Book Title: Abhidhan Rajendra Kosh ki Shabdawali ka Anushilan
Author(s): Darshitkalashreeji
Publisher: Raj Rajendra Prakashan Trust
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अभिधान राजेन्द्र कोश की आचारपरक दार्शनिक शब्दावली का अनुशीलन
दोकिरिय
दोष
धण
धणमित्त
धणय
धिम
धुत्तक्खाण
पञ्चम भाग :
पाणपट्टण
पउमसेहर
पउमाई
पमिणी
एसिण्
पंथग
पच्चक्खाण
पच्छित
पज्जुसणाकप्प
पडिकमण
पडियरणा
पणिहि
पणत्तिकुसल पण्णापरिसह
पभावणा
पभासचित्तगर
पयाग
परंपरअ
परिणामिया
परियट्टिय
परिसा
परिहरणा
परिहार
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द्वैक्रिय
द्वेष
धन
धनमित्र
धन्यक
धृतिमति
धूर्ताख्यान
प्रतिष्ठानपत्तन
पद्मशेखर
पद्मावती
पद्मिनी
प्रदेशिन्
पन्थक
प्रत्याख्यान
प्रायश्चित्त
पर्युषणाकल्प प्रतिक्रमण
प्रतिचरणा
प्रणिधि
प्रज्ञप्तिकुशल प्रज्ञा परिषह
प्रभावना
प्रभास चित्रकार
प्रयाग
परम्परक
पारिणामिकी
परावर्तित
पर्षद्
परिहरणा
परिहार
षष्ठ परिच्छेद... [425]
गंगाचार्य नामक पंचम निह्नव की कथा ।
द्वेष के विषय में धर्मरुचि मुनि तथा नन्द नाविक की कथा । वैयावृत्त्य के विषय में धन सार्थवाह की कथा ।
जूठे कलंक देने के विषय में धनमित्र की विस्तृत कथा ।
सुपात्र दान के विषय में धन्ना - शालिभद्र की कथा । प्रभासपाटण तीर्थ की उत्पत्ति की कथा ।
पांच धूर्तो की कथा ।
सातवाहन (शालिवाहन ) राजा की कथा ।
जिन धर्म में दृढता के विषय में यक्ष एवं पद्मशेखर राजा की कथा ।
कृष्ण वासुदेव की पट्टरानी पद्मावती देवी की कथा । पद्मावती देवी की कथा ।
प्रदेशी राजा, केशी गणधर और सूर्याभदेव की कथा ।
अति प्रमादी गुरु को प्रतिबोध करने संबंधी शैलकसूरि के शिष्य पंथग मुनि की
कथा।
मूलगुण प्रत्याख्यान के विषय में शत्रुंजय राजा एवं जिनदेव श्रावक की कथा तथा उत्तरगुण आश्रयी धर्मघोषसूरि और धर्मयशा मुनि की कथा ।
सार्थवाह एवं राजा की, कुञ्चिक और प्रतिकुञ्चक की, राजा की, चारभट्ट और ताम्बुलिक की, वैद्य, रोगी और औषध की, रथकार की पत्नी की, चोर की, मूलदेव की और वणिक् की कथा ।
क्षमा के विषय में उदायन राजा और चंडप्रद्योत की कथा ।
अतिक्रमण और प्रतिक्रमण के विषय में दो कन्या और रास्ते की कथा । दो वणिकों की दृष्टांत कथा ।
माया के विषय में, द्रव्य - प्रणिधि के विषय में शालिवाहन राजा की, कुणाल भिक्षु की और जिनदेव सूरि की कथा ।
कथा कहने की कुशलता के विषय में क्षुल्लकाचार्य एवं मुरुण्ड राजा की कथा । श्रुतमद नहीं करने के विषय में कालिकाचार्य एवं उनके प्रशिष्य सागरचन्द्र की
कथा ।
जैनशासन - निन्दा से बोधिबीज की अलभ्यता एवं साधुवेश के दर्शन एवं साधुप्रशंसा से सम्यकत्व प्राप्ति के विषय में कौशाम्बी निवासी धनयक्ष श्रेष्ठी के पुत्र वस्तुपाल एवं तेजपाल की कथा ।
आत्मविशुद्धि रूप पात्रता प्राप्त करने के विषय में प्रभास चित्रकार की कथा | पुष्पचूला साध्वी एवं अर्णिकापुत्र आचार्य के स्थिरवास होने पर भी शुद्ध साध्वाचार की कथा ।
राग-द्वेष की द्रव्य परंपरा के विषय में मृगावती सती एवं चंडप्रद्योत राजा की तथा भील की कथा ।
पारिणामिकी बुद्धि के विषय में अभयकुमार, नंदिषेण, धनदत्त, स्थूलभद्र, नंदराजा, वज्रस्वामी आदि की कथा ।
साधु के आहार ग्रहण में परावर्तित दोष के विषय में बन्धुमती एवं लक्ष्मी की
कथा ।
सभा के गुण-दोष की परीक्षा के विषय में वैयाकरण एवं कुवादी; आचार्य एवं साधु एवं वैद्य और वैद्यपुत्र की दृष्टान्त कथा |
साधु जीवन के आचार- पालन में सर्व प्रकार के वर्जनीय के विषय में कुलपुत्र की कथा ।
गुरु के समीप किये हुए त्याग के विषय में वृषभ, योद्धा, नाव की उपनय कथा |
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