Book Title: Abhidhan Rajendra Kosh ki Shabdawali ka Anushilan
Author(s): Darshitkalashreeji
Publisher: Raj Rajendra Prakashan Trust

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Page 472
________________ अभिधान राजेन्द्र कोश की आचारपरक दार्शनिक शब्दावली का अनुशीलन अणिरिस ओवहाण अनिश्रितोपधान अणीयस अणीयस अणुब्भडवेस अणायया अणियाउत्त अत्तदोसोवसंहार अत्थकुसल अद्दगकुमार अब्बुय अभञ्ञसेण अभयकुमार अभयदेव अमरदत्त अर अरहणय अरिट्ठनेमि अलोभया अवंतिसुकुमाल असढ अनुद्भटवेष आणंद आतंकदंसी आधाकम्म अज्ञानता Jain Education International अणिकापुत्र आत्मदोषोपसंहार अर्थकुशल आर्द्रककुमार अर्बुद अभग्नसेन अभयकुमार अभयदेव अस्साववोहितित्थ अश्वावबोहितीर्थ अमरदत्त अर अरहन्त्रत / अर्हनक अरिष्टनेमि अलोभता अवंतिसुकुमार असठ अहिच्छता अहिणंदण द्वितिय भाग : आउ अहिच्छत्रा अभिनन्दन अप्, आतु, आकु, आयुस् आनंद आतंकदर्शी आधाकर्म षष्ठ परिच्छेद... [419] आर्य महागिरि के अनिश्रित तप ( भाव उपधान) की कथा । जैनों के 22 वें तीर्थंकर श्री अरिष्टनेमि के शासन में हुए भद्दिलपुरवासी नागरसारथीकी धर्मपत्नी सुलसा के पुत्र अणीयस कुमार के जीवन, दीक्षा एवं शत्रुंजय पर्वत पर संलेखना कर मोक्ष प्राप्ति की कथा । उद्भट्टवेष से उत्पन्न दोष और दुःख संबंधी बंधुमती और बंधुदत्त के अतीत एवं वर्तमान भव संबंधी कथा । यशः पूजा आदि की इच्छा से रहित अज्ञातरुप से गुप्त तप आदि विषयक धारिणी रानी की कथा । अन्तः कृत केवली अर्णिकापुत्र आचार्य एवं प्रयाग तीर्थ की उत्पत्ति की कथा । मांसभक्षणत्याग के नियम पालन से मोक्ष प्राप्ति के विषय में जिनदेव की कथा । संविग्न गीतार्थ गुरु के पास विधिपूर्वक विनयादि औचित्यपूर्वक सूत्रार्थ ग्रहण करके अर्थकुशल अर्थात् प्रवचन कुशल होकर भाव श्रावक बनने संबंधी ऋषिभद्रपुत्र की कथा । व्रत भंग से प्राप्त अनार्यत्व एवं जिनप्रतिमा के दर्शन से सम्यकत्व की प्राप्ति पर आर्द्रककुमार की कथा । श्रीमाता की उत्पत्ति, आबुपर्वत (तीर्थ) की प्रख्याति एवं बिमलवसहि, लुणगवसति एवं देलवाडा के जैनमंदिरों के निर्माण की कथा । चोरी से प्राप्त दुःख के ऊपर चोरसेनापति के पुत्र अभग्नसेन के वर्तमान एवं आगामी भव की कथा । श्रेणिकपुत्र बुद्धिनिधान जैनशास्त्र विशारद अभयकुमार की दमकमुनि से संबंधित कथा अभयदेवसूरि नामक आचार्यों का परिचय एवं नवांगी टीकाकर प्रथम अभयदेवसूरि के कुष्ठरोग निवारण संबंधी श्रीस्तंभनपार्श्वनाथ भगवान् की कथा । दर्शनशुद्धि एवं जिनधर्मपालन पर अमरदत्त की कथा । सप्तम चक्रवर्ती एवं अठारवें तीर्थंकर अरनाथ जिनेन्द्र की कथा । रागवश तीन भव संबंधी अरहन्नत की कथा तथा दृढ सम्यक्त्वपालन संबंधी अर्हन्नक श्रावक की विस्तृत कथा । जैनों के 22 वे तीर्थंकर अरिष्टनेमि की और राजीमती (राजुल) के नवभव की प्रणय कथा । अलोभता के विषय में क्षुल्लक (खुड्डग) कुमार की कथा । अवंतिसुकुमार की दीक्षा एवं स्वर्गगमन की कथा | मायारहितता / सरलता के विषय में चक्रदेव की कथा । जैनों के 20 वें तीर्थंकर मुनिसुव्रतस्वामी द्वारा पूर्वभव के मित्र अश्व को प्रतिबोध एवं अश्वावबोधतीर्थ (भरुच) की उत्पत्ति की कथा । श्री पार्श्वनाथ तीर्थकर के छद्मस्थावस्था में उत्पन्न कमठासुर के उपसर्ग के स्थान पर स्थापित अहिच्छत्रा तीर्थोत्पत्ति की कथा । जैनों के चतुर्थ तीर्थंकर श्री अभिनन्दन स्वामी की कथा । जलदेवता की एवं सात प्रकार से आयुः क्षय के विषय में ग्रामतरुणी, वणिक्, गजसुकुमाल, ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती आदि की संक्षिप्त कथा | पितृसेन और कृष्णा के नौंवे पुत्र आनंद की लघुकथा एवं जैनों के 24 वें तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी के प्रथम श्रावक आनंद की विस्तृत कथा । जितशत्रु राजा की कथा । साधुओं के उद्देश्य से उत्पन्न किये आहार संबंधी प्रतिसेवन, प्रतिश्रवण, संवास और अनुमोदना के विषय में क्रमशः चार राजपुत्र, पल्लीवासी वणिक और राजदुष्ट की कथाएँ । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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