Book Title: Abhidhan Rajendra Kosh ki Shabdawali ka Anushilan
Author(s): Darshitkalashreeji
Publisher: Raj Rajendra Prakashan Trust
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अभिधान राजेन्द्र कोश की आचारपरक दार्शनिक शब्दावली का अनुशीलन
चतुर्थ परिच्छेद... [203]
गुणस्थान में जीवस्थाना50
क्र. गुणस्थानक
का नाम 1. मिथ्यात्व x 2. सास्वादन
|10. सूक्ष्म संपराय 11.उपशान्तमोह वीतराग छदास्थ
क्र. जीवों के भेद
x5. देशविरति
1. अपर्याप्त सूक्ष्म एकेन्द्रिय |xxx 2. पर्याप्त सूक्ष्म एकेन्द्रिय V]xxxxxxxxxxxxx
xx 3. अपर्याप्त बादर एकेन्द्रिय
VIxxxxxxxxxxxx पृथ्वीकाय,अप्काय,वनस्पति |
- - - - - - तेजःकाय, वायुकाय VIxxxxxxxxxxxxx
-
-
x x
14. पर्याप्त बादर एकेन्द्रिय
Nxxxxxxxxxxxx
5. अपर्याप्त द्वीन्द्रिय
VIV]xxxxxxxxxxxx
x x
6. पर्याप्त द्विन्द्रिय
x 7. मिथ्यात्व x x 9. अनिवृत्ति बादर र x 1 x | x |I.उपशान्तमोह वीतराग
Tx12. क्षीणमोह वीतराग छद्मस्थ
| x |13. सयोगी केवली xx 14. अयोगी केवली
x | xxxx x x x 3. मिश्र
x
x x 2 || ||x/xxxxxxxxxx 4. अविरति
x x
x xx xxx xxx xxx xx x x x 8. अपूर्वकरण
x | < x x x x x x x xxxx xxx xx 6. प्रमत
x x |||||xxxx xx
x
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x x x 2 x x x x x x x xxxxxx
x x x x x
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7. अपर्याप्त त्रीन्द्रिय
VIVIXxxxxxxxxxxx
8. पर्याप्त त्रीन्द्रिय
VIxxxxxxxxxxxx
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Vxxxxxxxxxxxx
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9. अपर्याप्त चतुरिन्द्रिय 10. पर्याप्त चतुरिन्द्रिय 11. अपर्याप्त असंज्ञी पञ्चेन्द्रिय 12. पर्याप्त असंज्ञी पञ्चेन्द्रिय 13. अपर्याप्त संज्ञी पञ्चेन्द्रिय 14. पर्याप्त संज्ञी पञ्चेन्द्रिय
देव, नारक तिर्यंच मनुष्य
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150. अ.रा.प. 3/916, 917, 4/1548, 1582
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