Book Title: Abhidhan Rajendra Kosh ki Shabdawali ka Anushilan
Author(s): Darshitkalashreeji
Publisher: Raj Rajendra Prakashan Trust
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[414]... पञ्चम परिच्छेद
और भी कहा है
Thous shall not kill.21
इतर परम्पराओं में क्षमा22 :
श्रमण-ब्राह्मण परम्पराओं में स्वीकृत क्षमा आदि धर्मो को सार्वभौम स्वीकृति प्राप्त है। यहां पर जिसके कुछ उद्धरण प्रस्तुत
किये जा रहे हैं
जो वक्त पर धैर्य रखें और क्षमा कर दें तो निश्चय वह बडे साहस के कामों में से एक है।
अभिधान राजेन्द्र कोश की आचारपरक दार्शनिक शब्दावली का अनुशीलन अनजाने हुए हों और जो गुनाह साफ दिल से मैने प्रकट न किये हों, उन सबसे मैं पवित्र होकर अलग होता हूँ। 23 ईसाई धर्म में भी पापदेशना आवश्यक मानी जाती है। जेम्स ने 'धार्मिक अनुभूति की विविधताएँ नामक पुस्तक में इसका विवेचन किया है। 24
ईसाई एवं यहूदी परम्परा में मूसा के 10 आदेशों या दश आज्ञाओं में एक आज्ञा यह भी है कि सप्ताह में एक दिन विश्राम लेकर पवित्र आचरण करना 125 - यह जैनसिद्धान्तोक्त पौषध से समानता रखती है। 26 कुराने शरीफ में कहा है
रोजों की रातों में अपनी औरतों के पास जाना तुम्हारे लिए हलाल (निषेध) है।
- कुराने शरीफ : 42/43 क्षमा करने की आदत डाल, नेकी का हुक्म देता जा और जाहिलों से दूर रह ।
-कुराने शरीफ: 7/199 गुस्सा पी जाते हैं और लोगों को माफ कर देते हैं, अल्लाह ऐसी नेकी करनेवालों को प्यार करता हैं ।
- कुराने शरीफ : 3/134 अपने शत्रुओं से प्रेम रखो, और जो तुम्हें सताता है उसके लिए प्रार्थना करो ।
बाईबिल, नया नियम (मत्ती 5/44) प्रार्थना में यदि किसी के प्रति तुम्हारे मन में कोई विरोध खड़ा हो तो तत्काल क्षमा कर दो, अन्यथा परम पिता तुम्हें भी माफ नहीं करेगा ।
बाईबिल, नया नियम ( मरकुस 11/25-2644) हे पिता ! इन्हें क्षमा करना, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं ?
- बाईबिल, नया नियम (लूका 23/24) वैरी से मत हारो, बल्कि क्षमा से वैरी को जीत लो । बाईबिल, नया नियम (रोमियों - 12/21 परदेशी से भी प्रेम कर, अपने मन में किसी के प्रति वैर का दुश्मनी का भाव मत रखो ।
यहूदी धर्म प्रवर्तक- यहोवा (लैव्य-व्यवस्था - 19/17) यदि तुम्हारा शत्रु तुम्हें मारने आये और वह भूखा-प्यासा तुम्हारे घर पहुँचे, तो तुम उसे खाना दो, पानी दो ।
वही ( नीति - 25 / 21 मिदराश) मन से सदैव यही सोचो कि सभी मेरे भाई हैं, और उनके प्रति मैने किसी भी तरह का कोई अपराध किया हो तो प्रभु मुझे क्षमा करो ।
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- पारसी धर्म प्रवर्तक जरथुस्त्र (पहेलवी टेक्स्ट्स)
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पारसी धर्म में भी पाप - आलोचना की प्रणाली स्वीकार की गई है। खोरदेह अवस्ता में कहा गया है कि मैने मन से जो बुरे विचार किये, वाणी से जो तुच्छ भाषण किया और शरीर से जो हलका काम किया, इत्यादि प्रकार से जो जो गुनाह किये, उन सबके लिए मैं पश्चाताप करता हूँ। अभिमान, गर्व, मरे हुए लोगों की निन्दा करना, लोभ, बेहद गुस्सा, किसी की बड़ती देखकर जलना, किसी पर बुरी निगाह करना, स्वच्छन्दता, आलस्य, कानाफूसी, पवित्रता का भंग, झूठी गवाही, चोरी, लूट-खसोट, व्याभिचार, बेहद शौक करना, इत्यादि जो गुनाह मुझसे जाने
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-रुकअ-23/187
हज के महीने में औरतों के सामने सोहबत का तजकिरा
(त्याग) है।
हज के दिनों में औरतों से अलग रहो ।
24.
25.
26.
-रुकअ-25/197
शराब और जुए में बड़ा गुनाह है।
फकीरों को खैरात छिपाकर (गुप्त रूप से) दो ।
-रुक अ-28/222
माँ-बाप की भलाई करो ।
-सूर अहकाक, रुकअ - 4/15 उक्त विवेचन से स्पष्ट है कि जिस अहिंसा को प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव ने प्ररूपित किया था, जिसे महावीर पर्यन्त तीर्थंकरों ने पुष्पित, पल्लवित एवं विकसित किया उसका विश्व के समस्त धर्म एवं दर्शनों में स्थान है। सभी धर्मो द्वारा स्वीकृत अहिंसा एक ऐसी कडी है, जो विश्व के समस्त धर्मों को पारस्परिक एकता एवं सद्भाव के सूत्रो में आबद्ध कर देती है।
-रुकअ-27/219
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-रुकअ-37/271
21
22.
23. (क) अज हमोइन हर आइन गुनाह हर
आइन मगर जान हर आइन फरोह मान्द हर आइन मानीद हर आइन् गुनाह अज गुनाह ओएम अन्दर शेहेरवेर अयोषशस्त अयोषशस्त सर्दगान जस्त 'प' पतेत होम
(ख) 'अज...... अंदर संपदामद जमीन सर्दगांन जस्त प
पतेत होम'
Exodus 20/13
'शाश्वत धर्म' मासिक, अगस्त 2001, पृ. 15 से उद्धृत
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खोरदहे अवेस्ता पृ. 7/23-24, दर्शन और चन्तन, भाग 2, पृ. 193, 194 से उद्धृत
वेरायटीज ऑफ रिलिजीयस एक्सपीरियन्स, पृ. 452
बाईबल ओल्ड टेस्टामेन्ट, निर्गमन 20
जैन-बौद्ध - गीता के आचार दर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन, पृ. 298
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