Book Title: Abhidhan Rajendra Kosh ki Shabdawali ka Anushilan
Author(s): Darshitkalashreeji
Publisher: Raj Rajendra Prakashan Trust
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नय कोष्टक : 2
शुद्ध द्रव्यार्थिक
(कर्मोपाधि
रहित)
शुद्ध द्रव्यार्थिक
द्रव्यार्थिक
द्रव्याथिक
71
शुद्ध द्रव्यार्थिक अशुद्ध भेदकल्पनारहित द्रव्यार्थिक (नित्यतावद् 73)
70.
अ. रा. पृ. 4 / 1876; सम्मतितर्क, काण्ड 1/12
71.
अ. रा.पू. 4/2469; 2470 द्रव्यानुयोगतर्कणा 5/9 से 19
72. अ.रा.पृ. 5/229, 230; द्रव्यानुयोगतर्कणा 6/2 से 7
73.
द्रव्य के नित्य होने के कारण सत्ता को मुख्य और उत्पाद व्यय को गौण मानने से ।
अनादित्य
अशुद्ध द्रव्यार्थिक कर्मोपाधि के
कारण
नय
सादिनित्य सदनित्य
अशुद्ध
द्रव्यार्थिक
उत्पादव्यय सापेक्ष
नित्योऽशुद्ध नित्यशुद्ध
अन्वयद्रव्यार्थिक
भेद कल्पना ग्रहण करने से
पर्यायार्थिक 72
स्वद्रव्यादिग्राही परद्रव्यादि
ग्राही
गुणपर्याययुक्त द्रव्य को एक मानने से
द्रव्यार्थिक
नय
अशुद्धनित्य
परमभाव
ग्राही
द्रव्यार्थिक
नय
अभिधान राजेन्द्र कोश की आचारपरक दार्शनिक शब्दावली का अनुशीलन
तृतीय परिच्छेद... [133]