Book Title: Abhidhan Rajendra Kosh ki Shabdawali ka Anushilan
Author(s): Darshitkalashreeji
Publisher: Raj Rajendra Prakashan Trust
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नय74
[134]... तृतीय परिच्छेद
76
समास नय
75 व्यास नय (अनेक विकल्प से अनेक प्रकार से)
_77 द्रव्याथिक
पर्यायार्थिक
78 नैगम
80 संग्रह
व्यवहार
सर्वविशुद्ध
केवल सामान्यवादी
विशेषविशुद्ध
सामान्यविशेषवादी
सर्वविशुद्ध विशेषवादी
सामान्य (सर्वव्यापक
धर्मास्तिकादि तक द्रव्य की प्राप्ति होने पर छः द्रव्यों की प्राप्ति)
संग्रह
विशेष (देशव्यापक) सामान्य संग्रहभेदक जीव के भेद प्रभेद व्यवहार
का संग्राहक
विशेष संग्रहभेदक
व्यवहार
82 संग्रह
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धर्मयुग्मगोचर
धर्मीयुग्मगोचर
धर्मधर्मी-आलम्बन से
एक द्वित्रि
चार
पांच
छह पर (द्रव्य सत् है)
अपर (अवान्तर सामान्य ग्राही)
सतत, आगामी
पृष्ट पर...
74. अ.रा.पृ. 4/1855 75. अ.रा.पृ. 4/1855; सर्वार्थसिद्ध-1/33 की टीका; पंचाध्यायी-1/589; गोम्मटसार, कर्मकांड, गाथा 894; सम्मतितर्क 3/47 76. अ.रा.पृ. 4/1855, द्रव्यस्वभाव प्रकाशक नयचक्र गाथा-183, पुरुषार्थसिद्धयुपाय, गाथा 31, 32; पञ्चाध्यायी-1/516, 517 77. अ.रा.पृ. 4/1856, 2470 78. अ.रा.पृ. 4/2157 79. अ.रा.पृ. पृ. 4/1856 80. अ.रा.पृ. 773, 774 81. अ.रा.पृ. 7/74; नयोपदेश सटीक-23 82. अ.रा.पृ. 4/1856 83. अ.रा.पृ. 6/932, 933; विशेषावश्यकभाष्य 2215, 2219
अभिधान राजेन्द्र कोश की आचारपरक दार्शनिक शब्दावली का अनुशीलन
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