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काकुशलं
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श्रन्थस इलिसिफालिया, अस
अकुशलं akushalam-सं० क्लो० ).. क्लेश शून्य । जिन किसी प्रकार का अकुशल akushala-हिं० संत्रा पु०
संकोच व कष्ट न हो (२) अनाग । सुगम ।
अकृत akritil-हिं० वि० [सं०] ( १ ) अहित, घुराई, (Evil or misfortun.) वि०( not clevel of skilfun ) जो दक्ष
(Not doll: Otp: :!..) (२)
स्वयंभू (३) प्राकृतिक (४) नन्द, कर्म न हो, अनिपुण, अनाड़ी।
हीन ( (Ot; wito khulon: 10 प्रकटः ukutah-सं० पु० फलवृन विशेष, श्रागई।
work.) संज्ञा (1) कारण, (२) रत्ना०।
मंरक्ष, (३) स्वभाव ! प्रकृति । अकनीनून tattit til-यु. ( ५ ) अनोस,
अकृत काल akrital kil- वि० से अतिविपा (Atomittilm Hoterophylli जिसके लिए कोई काल नियत न हो। जिसके m, Ill.)। (२) वरूनाभ (10.
लिए कोई समय न बांधा गया हो। चनियाद। witun Napa: J[ius,l.inn.)। (३) बन्सनाम वर्ग।
अकृताख्ययुषः kritik hyii yushah अकनेतस agunaitius-यु० खानिकननभिर ० पु० लवण, स्नेह, कटु यादि पदार्थ व.
जित यूय, यह लयु होता है। वे० नित्र । -अ०। विष,मीठा जहर, वत्सनाभ (aconittum Nap;ltus, Lin.)
. अकृतार्थ kritanthate चि०सं०] अकनास्यून aqinosyill-यु० र ईयुलश्रवल। अपद, अकुशल, कार्य में अदक्ष ।
एक बेटी है जिसके लक्षण में मतभेद है। अत्रिम kritrima-हिं० वि० [ ] अपार ॥kipari-हि संग पु०)
बेबनावटी, मापसे उम्पन्न, प्राकृतिक, स्वाभाविक,
(१)कच्छप, प्रकृतिसिद्ध, नैसर्गिक । अकृपारakujarah-सं० पु. )
(२) असली, यच्चा, वास्तविक, यथार्थ, (३) कछुना (Atortois: in grilhal.) .
हार्दिक । ग्रान्त रक । त्रि० का. ( २ ) बड़ाकछुग्रा। वह अकथित फोरम akiitbita-ksbiramकच्छप जो पृथ्वी के नीचे माना जाता
क्लीक कच्चा दुग्ध । यह कफ कुपित करता है है। (३) पत्थर वा चट्टान। (४) समुद्र
और भारी होता है। वे निघ। . ('The Sta.) (५) सूर्य ( The sun.) , अकाटkriduvihi-हिं०वि० (Unअक्रमाशून qumarshun-यु० जंगली सौंफ
jj 1) विधाहिन । ( Wiklanis..)
. अकृपच्य akrishtil. pachyn ) । अकरून qurin-यु. वज, वंच (1) cillamus, Lin. )
.. अकृष्ट हो nikrishan rohi t अकल argh] - अ० (५) बुद्धिमान मनुष्य
वि० [२०] [यो० अष्टपल्या, 'अकृष्टरोहिन ] (Idem) (२) संकोचक औषध (ust1
जो बिना जति पैदा हो,जंगली ((irowing ingut Velicine.)
xuberant or wilt.) असालियून jusaliyin-यु. करम्स नन्नी अन्थिस इलिलिफोलिश्रा, अरू..clithius जो कि बागी से बड़ा होता है।
Iliifotills, Li".-ले. हरकृन काँटा प्रकृच्छ, akrichchhita-हिं० संज्ञा प० [सं०] -हिं बं० हरिकपा-सं.) मोरन्ना-गो० मारण्डी
(1) क्रेश का अभाव (Absence of liffi- -मह । पैना स्कुलीभान्मला० (Holly,.ly culty. ) (२)आसानी । सुगमता । असंकोच A c anthus):मेलमे , वि०(१) (Flic from difficulty.) है गा०, फा०६०३ भार!
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