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अभिनन्दन - दीप
[] युवाचार्य डॉ. शिवमुनि, एम. ए., पी-एच. डी.
जैन साहित्य एवं जैन सिद्धान्तों में पारंगत अनेक मूर्धन्य विद्वानों के सहयोग से संपादित परम वन्दनीय कश्मीर-प्रचारिका, प्रवचन शिरोमणि, मालवज्योति, श्रद्धेय युवाचार्य श्रीमधुकर मुनिजी म. सा. की अन्तेवासिनी अध्यात्मजगत् की परमसाधिका महासती श्री उमरावकुंवरजी म. सा. "अर्चना" के व्यक्तित्व कृतित्व से युक्त तथा विद्वत्तापूर्ण उपयोगी अनेक प्रकार के लेखों से परिपूर्ण सुसज्जित अभिनन्दन ग्रन्थ के समर्पण से केवल जैन समाज ही नहीं, सम्पूर्ण भारतीय समाज धर्म एवं ध्यान के प्रति जाग्रत होगा । उसमें धर्माचरण के प्रति उत्साहवर्धन होगा ।
किसी भी महापुरुष के जीवन-दर्शन के अवलोकन से — अध्ययन से प्राध्यात्मिक संस्कार जितने अधिक सुपुष्ट होते हैं, वे आध्यात्मिक संस्कार अन्य किसी उपाय से उतने सुपुष्ट नहीं होते । समाज के सामान्य नर-नारी महान् विभूतियों के जीवनचरित्र से प्रेरणा पाकर ही सुन्दर रीति से धर्म एवं व्यवहार का समन्वय करते हुए अपना दुर्लभ मानव जीवन सार्थक कर लेते हैं ।
परम विदुषी, अध्यात्मसाधिका, महासतीजी का जीवन तपस्यामय, समता से युक्त एवं साधना से ओतप्रोत है ।
आप जैसी विशिष्ट साध्वीरत्न श्रमणसंघ के लिए गौरव हैं। हमारे लिए प्रेरणास्पद हैं। अभिनन्दन ग्रन्थ समारोह के शुभ अवसर पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें।
अभिनन्दनीय व्यक्तित्व
आचार्य श्री जयन्तसेनसूरि
श्रमण संस्कृति के प्रवाह में महासती साध्वीजी श्री अर्चनाजी के त्यागमय जीवन का अभिनंदन सच में त्यागमार्ग का अभिनंदन है । अपने कृतित्व के कारण ही व्यक्ति का व्यक्तित्व उभरता है, निखरता है और उसी प्रवाह में महासतीजी के अभिनंदनीय व्यक्तित्व का सम्मान समाज द्वारा किया जाता है, वह अपने प्राप में महत्वपूर्ण है ।
प्रथम खण्ड / ३
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आई घड़ी अभिनंदन की चरण कमल के वंदन की
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