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साद्रिका पोलिका
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बहुरि स्पर्शाधिकार विषै पूर्वोक्त सामान्य विशेषपने करि लेश्यानि का तीन काल संबंधी क्षेत्र का वर्णन है । वहाँ संग सहा पवन के सद्भाव का, पर जंबूद्वीप समान लवणसमुद्र के खंड, लवणसमुद्र के समान अन्य समुद्र के खंड करने के विधान का अर जलचर रहित समुद्रनि का मिलाया हुआ क्षेत्रफल के प्रमाण का घर देवादिक के उपजने, गमन करने का इत्यादि वर्णन है ।
बहुरि काल अधिकार विषै कृष्णादि लेश्या जितने काल रहे ताका वर्णन हैं । बहुरि अंतराधिकार विषै कृष्णादि लेश्या का जघन्य, उत्कृष्ट जितने कालश्रभाव रहे, ताका वर्णन है । तहां प्रसंग पाइ एकेंद्री, विककेंद्री विषै उत्कृष्ट रहने के काल का वर्णन है ।
बहुरि भावाधिकार विषे छहीं लेश्यानि विषै प्रदयिक भाव के सद्भाव का वर्णन है ।
बहुरि पबहुत्व अधिकार विषै संख्या के अनुसारि लेश्यानि विषै परस्पर अल्पबहुत्व का व्याख्यान है, ऐसें सोलह अधिकार कहिलेश्या रहित जीवनि का व्याख्यान है । बहुरि सोलहवां भव्यमार्गणा अधिकार विषै दोय प्रकार भव्य अर अभव्य र भव्य अभव्यपना करि रहित जीवनि का स्वरूप वर्णन है । बहुरि इहां संख्या का कथन विषै भव्य - अभव्य जीवनि का प्रमाण वर्णन है । बहुरि इहां प्रसंग पाइ द्रव्य, क्षेत्र, काल, भव, भावरूप पंचपरिवर्तननि के स्वरूप का, वा जैसे क्रम तें परिवर्तन हो है ताका श्रर परिवर्तननि के काल का अनादि ते जेते परिवर्तन भए, तिनके प्रमाण का वर्णन है । वहां गृहीतादि पुद्गलनि के स्वरूप संदृष्टि का, वा योग स्थान श्रादिकनिका वन पाइए है ।
बहुरि सतरहव सम्यक्त्वमार्गणा अधिकार विषै सम्यक्त्व के स्वरूप का, अरसराग वीतराग के भेदनि का अर षट् द्रव्य, नव पदार्थनि के श्रद्धानरूप लक्षण का वर्णन है । बहुरि षट् द्रव्य का वर्णन विषै सात अधिकारनि का कथन हैं ।
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ari नाम अधिकार विषे द्रव्य के एक वा दोय भेद का, थर जीव- अजीव के दो-दो भेदनिका, अर तहां पुद्गल का निरुक्ति लिए लक्षण का, पुद्गल परमाणु के प्रकार का वर्णनपूर्वक रूपी अरूपी जीव द्रव्य का कथन है ।
बहुरि उपलक्षणानुवादाविकार विषै छहों द्रव्यनि के लक्षणनि का वर्णन है । तहां गति आदि क्रिया जीव-पुद्गल के है, ताका कारण धर्मादिक हैं, ताका दृष्टांत