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बहुत से वृत्तान्त एकत्र करभो लिये हैं तथापि उस महान् पुस्तक के लिये अभी तक बहुत आवश्यकीय विषय एकत्र करने शेष (बाकी) हैं, अतः उपरोक्त सम्पूर्ण भागों से युक्त 'पुष्करणो. त्पत्ति' नामक पुस्तक बनकर प्रकाशित होने में अभी बहुत विलम्ब हो जाने की सम्भावना देखकर कई सज्जनों ने प्रथम इस 'टाह भ्रमोच्छेदक' पुस्तक को बनाकर शीघ्र प्रकाशित करनेका अनुरोध किया । इसलिये मैंने भी उनके आज्ञानुसार प्रथम इस पुस्तक को बनाकर प्रकाशित को है । इस छोटी सी पुस्तक को देख कर आप अनुमान कर सकते हैं कि 'पुष्करणोत्पत्ति' ना. मक पुस्तक कितनी वृहत् और कैसी महान् उपयोगी बनेगी। (७) स्वजातीय प्राचीन ऐतिहासिक वृत्तान्त
इस पुस्तक को अधिक उपयोगी बनाने के लिये मैंने कई स्त्र जातीय विद्वानों से प्राचीन ऐतिहासिक वृत्तान्त लिख भेजनेकी प्रार्थना किई थी । परन्तु अधिकांश सज्जनो ने मेरी इस प्रार्थना के उचित और आवश्यक होने पर भी कुछ भी ध्यान नहीं दिया। हां किन्हीं ने जो कुछ लिख भेजने को कृपा की हैं, उन में से तो अधिकांश तो इसमें पहिले हो से सम्मिलित कर दिये गये हैं किन्तु कई आवश्यकीय वृत्तान्त समय पर न पहुंचने के कारण रहभी गये हैं। अतः जो रह गये हैं वे तथा और भी जो कोई लिख भेजेंगे वे सब इम पुस्तक की द्वितीया वृत्ति में तथा पुष्करणोत्पत्ति में भी सनिविष्ट कर दिये जायेंगे। (८) इस पुस्तक प्रकाशनार्थ उत्तेजकोंका उपकार
मुझे इस पुस्तक को प्रकाशित करने के लिये जिनर सज्जनोंने उत्तेजनादी है उन सबका मैं उपकार मानता हूं ।इसी प्रकार भीमान् जोशीजी आशकरजी, व्यासजी (चण्डवाणी जोशी)
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