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प्रश्नव्याकरण सूत्र श्रु०१ अ०१
ने जिस अभिप्रायों का उल्लेख किया, उनमें मंदबुद्धी - विशेषण मुख्य है। इसका अर्थ है-हीन मति वाले, विवेक-विकल, मिथ्यादृष्टि जीव, जिन्हें हिताहित धर्म-अधर्म और पुण्य-पाप का ज्ञान नहीं है।
वास्तव में मिथ्यादृष्टिपन बहुत बड़ा पाप है। मिथ्यादृष्टि उस अन्धे के समान है जो सुख की चाह में भटकता हुआ दुःख के अन्धकूप में गिरकर मर जाता है। मिथ्यादृष्टि अन्य जीवों की घात के साथ अपनी आत्मा का भारी पतन कर लेता है। ___ मन्दबुद्धि के साथ 'दढमूढा' - अत्यन्त मूर्ख और 'दारुणमई' भयंकर विचार बाले क्रूर-परिणाम , भी मिल जाये, तो प्राणियों की हत्या बढ़ चढ़ कर की जाती है। मिथ्यात्व के साथ क्रूरता जिसमें आ जाये और वह शक्ति-सम्पन्न हो, तो अत्याचारों और हिंसक कार्यों की वृद्धि होती है। ...
मन्दबुद्धि केवल वही नहीं है-जो पढ़ा-लिखा नहीं हो, जिसे बोलना-लिखना और अधिकार जमानाथहीं आता हो। वे लोग भी बुद्धिहीन हैं, जो अपने समान प्राण रखने वाले जीवों की हिंसा बढ़ाते हैं। हिंसा के साधन बढ़ाते हैं, हिंसक कृत्य करके धन-संग्रह करना चाहते हैं और हिंसा में ही अपनी और राष्ट्र की उन्नति होना मानते हैं। अहिंसक लोगों में हिंसा का प्रचार, मांस-भक्षण में वृद्धि और ऐसे अन्य पापाचार की वृद्धि करने वाले पढ़े-लिखे, चुस्त, चालाक और अधिकार सम्पन्न व्यक्ति भी मन्दबुद्धि एवं भीषण-मति हैं। वे धर्म एवं उत्तम आर्य-संस्कारों को नष्ट कर, अनार्य एवं हिंसक संस्कार बढ़ाते हैं। शिक्षा एवं प्रयोगादि से हिंसा वृद्धि के उपाय बताते हैं। ये सब विवेकहीन हैं। एक जीव को अहिंसक से हिंसक बनाना भी महापाप है, तब सारे राष्ट्र को जीवघातक बनाना कितना भयानक पाप है?
सत्तपरिवजिया - सत्त्वपरिवर्जिक-बलहीन, शक्ति सहित, अशक्त, दीन, अपनी रक्षा करने में , असमर्थ। शक्ति-सम्पन्न जीव, अशक्त और दीन जीवों की हिंसा करते हैं, उन पर अत्याचार करते हैं और उनकी घात करके प्रसन्न होते हैं।
वेयत्थी - वेदार्थी-वैदिक अनुष्ठान को सम्पन्न करने के लिए। वैदिक क्रियाकांड में अन्य स्थावर और त्रस जीवों के अतिरिक्त पंचेन्द्रिय जीवों-बकराः भेड़ आदि का बलिदान करने में धर्म माना गया है। अजामेध, गोमेध, अश्वमेध और नरमेध तक का विधान है पर प्राणियों की हत्या करके धर्मसाधना करना-देव का प्रसन्न होना और अपनी तथा अपने कुटुम्ब की रक्षा होना माना जाता है। वैदिक मान्यता के अतिरिक्त इस्लाम, क्रिश्चियन आदि संस्कृति भी जीव-हत्या करके धर्म का अनुष्ठान होना मानती है। यह सब 'मंदबुद्धी' - मिथ्याइष्टि का परिणाम है।
हिंसक जन कयरे ते? जे ते सोयरिया मच्छबंधा सारणिया वाहा कूरकम्मा ब्राउरिया दीवियपिधणप्पओग-तप्पगल-जाल-वीरल्लगायसीदभ-वग्गुरा-कूडछलियाहत्थाहरिएसा
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