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- प्रश्नव्याकरण सूत्र श्रु०१ अ०४ **************************************************************** जरामरणरोगसोगबहुले.- वृद्धावस्था, मृत्यु, रोग और शोक की अधिकता वाले, पलिओवमसागरोवमाइंपल्योपम और सागरोपम तक, अणाईयं - अनादि, अणवदग्गं - अनन्त, दीहमद्धं - लम्बे काल तक, चाउरंतसंसारकंतारं - चार गति वाले संसारमय घोर अटवी में, अणुपरियटृति - परिभ्रमण करते हैं, जीवा - जीव, मोहवस-सण्णिविट्ठा - मोह के वश में आसक्त बने हुए।
भावार्थ - स्त्रियों के भोग में लुब्ध बने हुए लोगों ने कई स्थानों पर महान् जन-संहारक एवं घोर युद्ध किये हैं-ऐसा सुना जाता है। सीता के लिए, द्रौपदी, रुक्मिणी, पद्मावती, तारा, कञ्चना, रक्तसुभद्रा, अहिल्या, सुवर्णगुटिका, किन्नरी, सुरूपविद्युत्मती और रोहिणी के लिए और इसी प्रकार की अन्य महिलाओं के लिए विषयी मनुष्यों द्वारा बहुत-से युद्ध हुए सुने जाते हैं। विषय-लोलुप मनुष्य इस लोक में भी विनष्ट होते हैं और परलोक में भी विनाश को प्राप्त होते हैं। वे महामोहरूपी घोर अन्धकार में पड़ते हैं। वे त्रस, स्थावर, सूक्ष्म, बादर, पर्याप्त, अपर्याप्त, साधारण शरीर और प्रत्येक वनस्पति के शरीर . में तथा अंडज, पोतज, जरायुज, रसज, संस्वेदिम, सम्मूर्च्छिम, उद्भिज और औपपातिक आदि में उत्पन्न होते हैं, नरक, तिर्यंच, देव और मनुष्य आदि में जन्म-मरण करते रहते हैं। वे जरा, मृत्यु, रोग और
शोक से अत्यधिक पीड़ित रहते हैं। वे कहीं पल्योपम और कहीं सागरोपम काल तक दुःख भोगते रहते । हैं। मोह में आसक्त बने हए जीव, इस अनादि अनन्तरूंप चार गति मय संसार रूपी घोर अटवी में बहत लम्बे काल तक परिभ्रमण करते रहते हैं।
विवेचन - इस सूत्र में आगमकार महर्षि ने विषयासक्त मनुष्यों द्वारा स्त्रियों के लिए किए हुए संग्रामों का उल्लेख किया है। एक शक्तिशाली मनुष्य, घर में अनेक सुन्दर स्त्रियाँ होते हुए भी पराई स्त्री पर लुब्ध होकर हजारों-लाखों मनुष्यों का संहार करवा देता है। ऐसे युद्धों में से कुछ के नाम इस सूत्र में आये हैं। उनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है- . .
सीता के लिए - महासती सीता का रावण ने हरण किया था। इस कारण रावण के साथ रामलक्ष्मण का युद्ध हुआ था और रावण, उसका परिवार और विशाल सेना नष्ट हो गई थी।
द्रौपदी के लिए - द्रौपदी पाण्डवों की पत्नी थी। उसका हरण धातकीखण्ड की अमरकंका नगरी के राजा पद्मोत्तर ने किया था। द्रौपदी को प्राप्त करने के लिए पांडव-सहित श्रीकृष्ण अमरकंका गए और पद्मोत्तर को हराकर द्रौपदी को लाये थे।
रुक्मिणी के लिए - कुण्डिनपुर के राजा भीम की पुत्री रुक्मिणी के लिए श्रीकृष्ण और शिशुपाल में युद्ध हुआ था।
पद्मावती के लिए - अरिष्ट नगर के नरेश हिरण्यनाभ की पुत्री पद्मावती के स्वयंवर में श्रीकृष्ण ने अन्य राजाओं के साथ युद्ध किया था।
तारा के लिए - किष्किन्धा के नरेश सुग्रीव का रानी तारा के लिए सहस्रगति विद्याधर के साथ सुग्रीव का युद्ध हुआ था और वह राम-लक्ष्मण की सहायता से विजयी हुआ था।
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