________________ अहिंसा की महिमा 209 46. यज्ञा - भाव-पूजा रूप। .47. आयतन - गुणों की घर। " 48. यजना - अभयदान-दात्रि अथवा यतना-प्राण-रक्षा रूप। 49. अप्रमाद - प्राणी-रक्षा के लिए प्रमाद को हटाने वाली। 50. आश्वासन - परम संतोष रूपा-कष्ट में धैर्य बंधाने वाली। 51. विश्वास - स्व-पर के लिए विश्वासदायिनी। ... . 52. सबके लिए अभय - संसार के सभी प्राणियों को निर्भय बनाने वाली। ..53. आमाघात - किसी भी प्राणी की घात का निवारण करने वाली-अमारी। 54. चोक्षा - पवित्र। 55. पवित्र - अत्यन्त पवित्र-विशुद्ध। .... 56. शुचि - भाव शुचि-शुद्धि रूप (हिंसादिमलिन भावों से रहित) यथा - ... सत्यं शौचं तपः शौचं, शौचमिन्द्रियनिग्रहः।... सर्वभूतदया शौचं, जलशौचं च पञ्चमम्॥ 57. पूता - पूजा अथवा पवित्रता रूप या भावों के द्वारा देव-पूजा रूप। .. . 58. विमला - निर्मल (स्वच्छ)। .- . 59. प्रभासा - दीप्ति-तेज युक्त। 60. निर्मलतर - जीव को अत्यन्त विशुद्ध बनाने वाली। इस प्रकार अहिंसा भगवती के निज-गुण निर्मित-गुण-निष्पन्न पर्यायवाची 60 नाम हैं। - अहिंसा की महिमा एसा सा भगवई अहिंसा जा सा भीयाण विव सरणं, पक्खीणं विव गमणं, तिसियाणं विव सलिलं, खुहियाणं विव असणं, समुद्दमझे व पोयवहणं चउप्पयाणं व आसम्पयं दुहट्ठियाणं व ओसहिबलं अडवीमझे विसत्थगमणं एत्तो विसिट्ठतरिया अहिंसा जा सा पुढवी-जल-अगणि-मारुय-वणस्सइ-बीय-हरिय-जलयर-थलयरखहयर-तस-थावर-सव्वभूय-खेमकरी। - शब्दार्थ - एसा - यह, भगवई - भगवती, अहिंसा - अहिंसा, जो - जो, सा- वह, भीयाण विव सरणं - भयभीत के लिए शरण के समान, पक्खीणं - पक्षियों के लिए, विव गमणं - आकाश गमन के समान, तिसियाणं - प्यासे मनुष्यों के लिए, विव सलिलं - पानी के समान, खुहियाणं - भूखे मनुष्यों के लिए, विव असणं - भोजन के समान, समुहमाझे - समुद्र-मार्ग से यात्रा करने वालों के लिए, पोयवहणं - जहाज के समान, चउप्पयाणं - पशुओं के लिए, आसमपयं - पशुशाला के समान, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org