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- मृषावाद के नाम
२. सदं - शठ, छलपूर्वक आचरण किया जाता है, इस कारण शठ है।
३. अणज्जं - अनार्य। आर्यजन असत्य नहीं बोलते। अनार्य लोग असत्य-भाषण करते हैं, अतएव मृषावाद का तीसरा नाम 'अनार्य' है।
४. मायामोसो - मायामृषा। कपट पूर्वक झूठ बोलने के कारण मृषावाद का नाम 'मायामृषा' है। . ५. असंतगं - असत्क। जिसका अस्तित्व नहीं अथवा जो जिस रूप में नहीं, उसे उस रूप में बतलाने के कारण असत्क।
६. कूडकवडमवत्थुगं - कूट-कपट-अवस्तुका झूठ और कपट के साथ असद्भूत वस्तु को सद्भूत बतलाने वाला। ". ७.णिरत्थयमवत्थयं-निरर्थक एवं अयथार्थ-सत्यार्थ से रहित।जिसमें से सत्य निकल गया है ऐसा।
८. विहेसगरहणिजं - विद्वेषगर्हणीय। द्वेषयुक्त होने के कारण निन्दनीय अथवा द्वेष और निन्दा का कारण।
. अणुजुर्ग - अनृजुक - सरलता से रहित। १०. कक्कणा - कल्कन-पाप का कारण। ११. वंचणा - वंचना-ठगाई। १२. मिच्छापच्छाकडं - मिथ्यापश्चात्कृत-ज्ञानीजनों द्वारा तिरस्कृत। १३. साई - साति-अविश्वास का स्थान।
१४. उच्छण्णं - उच्छन्न-अपने दोष और दूसरों के गुण को ढंकने वाला। इस शब्द का दूसरा रूप 'उच्छृत्तं' भी है जिसका अर्थ-अन्य-अर्थ भाषण या न्यूनाधिक भाषण रूप उत्सूत्रभाषण।
१५. उक्कूलं - उत्कूल। सद्मार्ग के तट-मर्यादा से च्युत करने वाला। १६. अट्ट - आर्त। स्व-पर को पीड़ित करने वाला अथवा आर्तध्यान का उत्पादक। १७. अब्भक्खाणं - अभ्याख्यान-झूठा दोषारोपण करने वाला। १८. किविसं - किल्विष-पाप का उत्पादक या पाप से भरा हुआ।
१९. वलयं- वलय-चक्कर। वक्रतायुक्त, कुटिल।। . २०. गहणं - गहन। जिसे समझना कठिन, जिसका सही भाव न जाना जा सके।
२१. मम्मणं - मन्मन-अस्पष्ट) २२. णूमं - नूम-सत्य को छुपाने वाला। २३. णिययी - निकृति-कपट को छुपाने वाला। २४. अप्पच्चओ - अप्रत्यय अप्रतीतिकारक, अविश्वसनीय।। २५. असंमओ - असम्यक्-अयथार्थ। २६. असच्चसंघत्तणं - असत्यसंघत्व-असत्य परम्परा को बढ़ाने वाला।
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