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महामारी के स्थान पर) जहाँ शव जल रहा है, कोई मृतक शरीर कुछ जला है, कुछ नहीं जला है, किसी के शरीर में से रक्त बह रहा है, कोई रक्त से लिप्त पड़ा है, जहाँ मदमत्त डाकिनियाँ मुर्दे का मांस भक्षण और रक्त पान करती हुई घूम रही हैं, जहाँ शृगाल 'खी खी' शब्द करते हैं, उलूक जहाँ घोर शब्द कर रहे हैं, जहाँ बेताल कहकहे लगाते हुए भयंकर अट्टहास करते हैं, इससे सर्वत्र भय एवं विमनस्कता (मनहूसी) व्याप्त हो रही है, जो अत्यन्त दुर्गन्ध से भरा हुआ और बीभत्स दिखाई दे रहा है। वे चोर ऐसे भयानक स्थान को पार करते हुए बियावान जंगल में जाते हैं और किसी सूने घर, पर्वत के निकट का स्थान, पर्वत - कन्दरा आदि भयानक स्थान, जो सिंहादि हिंसक पशुओं से युक्त है-जाते हैं और क्लेश होते हैं। उनके शरीर सर्दी-गर्मी के ताप से शुष्क हो जाते हैं, चमड़ी जल जाती है। वे नरक और तिर्यंच भव में भोगने योग्य अत्यन्त दुःख- समूह के उत्पादक ऐसे अत्यन्त पाप कर्मों का संचय करते रहते हैं। उन्हें भोजन - पानी मिलना भी कठिन एवं दुर्लभ हो जाता है। वे बिना पानी के प्यासे ही रह जाते हैं। भूख की पीड़ा से वे बहुत दुःखी रहते हैं। भूख से पीड़ित हो कर वे पशुओं को मार कर उनका मांस अथवा मरे हुए शरीर का मांस खाते हैं। कभी कन्द-मूलादि जो कुछ मिल जायेखा कर क्षुधा शान्त करते हैं। वे सदैव (राज्यादि भय से ) उद्विग्न, उत्सुक, चंचल तथा आश्रय रहित होते हैं और सर्प आदि सैकड़ों प्रकार भय वाले वन में निवास करते हैं।
अयसकरा तक्करा भयंकरा कास हरामोत्ति अज्ज दव्वं इइ सामत्थं करेंति गुज्झं बहुयस्स जणस्स कज्जकरणेसु विग्घकरा मत्तपमत्त - 1 -पसुत्त विसत्थ-छिद्दवाई वसणब्भुदएसु हरणबुद्धी विगव्व रुहिरमहिया परेंति - णरवइ-मज्जायमइक्कंता सज्जणजणदुगंछिया सकम्मेहिं पावकम्पकारी असुभपरिणया य दुक्खभागी णिच्चाइलदुहमणिव्वुड्मणा इहलोए चेव किलिस्संता परदव्वहरा णरा वसणसय
समावण्णा ।
शब्दार्थ - अयसकरा - जिनका अपयश-बुराई होती है, तक्करा - तस्कर - चोर, भयंकरा भयंकर, कास- किसका, हरामोति हरण करना चाहिए, अज्ज आज, दव्वं द्रव्य, इइ - इस प्रकार, सामत्थं करेंति- मन्त्रणा करते हैं, गुज्झं गुप्त, बहुयस्स जणस्स - बहुत-से लोगों के, कज्जकरणेसुकार्य करने में, विग्धकरा विघ्न करते हैं, मत्तपमत्त विसत्य विश्वस्त - विश्वास करने वाले, छिद्दघाई
प्रमादी एवं मदिरा से उन्मत्त, पसुत - सोये हुए,
का विचार करते हैं, विगव्व करते हैं, णरवइमज्जाय
छिद्र पाकर अवसर प्राप्त कर, वसणब्भुद सुरोगादि अवस्था, विपत्ति अथवा उत्सव आदि परिस्थिति उत्पन्न होने पर, हरणबुद्धि - धन हरण करने भेड़िये के समान, रुहिरमहिया रुधिर-पिपासु हो कर, पति - भ्रमण राजा की मर्यादा का, मइक्कंता अतिक्रमण - उल्लंघन करते हैं, सज्जणजणदुगंछिया - सज्जन जनों द्वारा निन्दित, सकम्मेहिं अपने ऐसे कर्म से, पावकम्मकारी -
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प्रश्नव्याकरण सूत्र श्रु० १ अ० ३
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