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प्रश्नव्याकरण सूत्र श्रु०१ अ०४ ******************************** ***************************** पउमपम्ह कोरंटगदामचंपकसुययवरकणकणिहसवण्णा सुवण्णा * सुजायसव्वंगसुंदरंगा महग्घवरपट्टणुग्गयविचित्तरा-गएणिमोणिणिम्मिय-दुगुल्लवरचीणपट्टकोसेज-सोणिसुत्तगविभूसियंगा वरसुरभि-गंधवरचुण्णवासवर-कुसुमभरियसिरया कप्पिय-छे यायरियसुक-यरइतमालकडगंगयतुडियपवर भूसण-पिणद्धदेहा एकावलिकंठ-सुरइयवच्छा पालंब-पलंबमाणसुकयपडउत्तरिजमुद्दिया-पिंगलंगुलिया उज्जल-णेवत्थ-रइयचेल्लगविरायमाणा तेएण दिवाकरोव्व दित्ता सारयणवत्थणियमहुरगंभीरणिद्धघोसा उप्पण्ण समत्त-रय-चक्करयणप्पहाणा णवणिहिवइणो समिद्धकोसा चाउरंता चाउराहिं सेणाहिं समणुजाइजमाणमग्गा तुरयवई गयवई रहवई णरवई विपुलकुलवीसुयजसा सारयससिसकल-सोमवयणा सूरा तिलोक्कणिग्गयपभावलद्धसद्दा समत्तभरहाहिवा णारिंदा ससेल-वण-काणणं य हिमवंतसागरंतं धीरा भुत्तूण भरहवासं जियसत्तू पवररायसीहा पुवकडतवप्पभावा णिविट्ठसंचियसुहा, अणेगवाससयमायुवंतो भजाहि य जणवयप्पहाणाहिं लालियंता अतुल-सद्द-फरिस-रसरूव गंधे य अणुभवेत्ता ते वि उवणमंति मरणधम्म अवितत्ता कामाणं। . . __ शब्दार्थ - बत्तीसं वरराय-सहस्साणुजायमग्गा - बत्तीस हजार श्रेष्ठ राजा जिनका अनुगमन करते हैं, चउसद्विसहस्स - चौसठ हजार, पवरजुक्तीणणयणकंता - उत्तम युवतियों के नयनों के प्रियतम, रत्ताभा - शरीर से निकलती हुई लाल आभा वाले, पउमपम्हकोरंट-गदामचंपक - जिनके शरीर का वर्ण कमलगर्भ, कोरंटक पुष्पमाला, चम्पक पुष्प, सुययवर-कणकणिहसवण्णा - तपाये हुए सोने की रेखा-कसौटी पर घिसी हुई रेखा के समान है, सुवण्णा - उत्तम वर्ण वाले, सुजायसव्वंगसुंदरंगा - जिनके सभी अंग सुडौल तथा सुन्दर हैं, महग्य - बहुमूल्य, वरपट्टणुग्गयविचित्तरागएणिमेणिणिम्मियप्रधान नगरों में बने हुए तथा विविध रंगों में रंगे हुए और मृगीविशेष के रोम से निर्मित, दुगुल्लवर - उत्तम दुकुल, चीणपट्ट - चीन का बना हुआ, रेशमी वस्त्र, कोसेज - कोस से निकले हुए तारों से बना हुआ-रेशमी, सोणीसुत्तग - श्रोणिसूत्रक-कटिसूत्र-करधनी से, विभूसियंगा - जिनका अंग-कमर सुशोभित है, वरसुरभिगंधवरचुण्णवासवरकुसुभरियसरिया - उत्तम सुगन्धित द्रव्यों, श्रेष्ठ चूर्णों और उत्तम सुगन्ध वाले पुष्पों से जिनका मस्तक शोभायमान है, कप्पिय-छेयायरिय-सुकयरइत - आर्यजनों के धारण करने योग्य तथा कुशल कलाकारों द्वारा बनाये हुए सुखकारी, मालकडगंगयतुडियपवरभूसणपिणद्धदेहा - माला, कटक, कुण्डल, अंगद और तुटिका आदि उत्तम आभूषणों से जिनका शरीर सुशोभित है एकावलिकंठसुरइयवच्छा - गले में एकावली हार पहिनने से जिनका वक्ष
* 'सुवण्णा' शब्द ज्ञानविमलसूरि वाली प्रति में ही है।
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