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प्रश्नव्याकरण सूत्र श्रु० १ अ० ३
उत्साह से हाथ में अत्यन्त तीक्ष्ण शस्त्र लेकर, भयंकर शब्द करते हुए बाणवर्षा करते हैं, जैसे- बादलों द्वारा घनघोर बाणवर्षा की जा रही हो। वे युद्धप्रिय योद्धा, अनेक धनुष, तलवारें बहुत-से त्रिशुल और बाण ऊँचे उठाकर शत्रु पर प्रहार करने के लिए तत्पर रहते हैं । वे बायें हाथ में ढाल ग्रहण करके दाहिने हाथ में ऐसे खड्ग ग्रहण करते हैं जो म्यान से निकाल लिये गये हों और जिनकी स्वच्छता चमचमाहट करती हुई चकाचौंध करती दिखाई देती हो। उनके शस्त्र-कुन्त, तोमर, चक्र, गदा, कुठार (फरसा) मूसल, हल, शूल, लाठी, भिंडमाल, भाला, पट्टिस, चर्मेष्ट, मुद्गर, मौष्टिक, परिध, यंत्र - पत्थर, दुघण, शरधि, कुवेणी, पीठफलित और दुधारी तलवार आदि शस्त्र जो अत्यन्त चमकीले और आकाश से चमक कर गिरती हुई बिजली के समान प्रभायुक्त एवं चंचल दिखाई देते हैं । उस महासंग्राम में शंख, भेरी, तूर्य्य, ढोल और नगाड़े आदि के बजाने से होती हुई गंभीर ध्वनि हर्षित योद्धाओं के सिंहनाद तथा क्षुभित एवं भयाक्रांत कायरों के आर्त्तनाद एवं चित्कार से वहाँ कोलाहल उत्पन्न हो जाता है। दौड़ते हुए घोड़े, हाथी, रथ और योद्धाओं के पांवों से उठी हुई धूल, आकाश मंडल पर इतनी छा जाती है कि जिससे दिन में सूर्य का प्रकाश भी दबकर अन्धकार छा गया हो। ऐसी युद्ध भूमि कायर मनुष्यों के हृदय को व्याकुल कर देती है।
विवेचन उपरोक्त सूत्र में दूसरों के अधिकार के धन, धान्य और पृथ्वी आदि तथा भोगसाधनों को बलात् ग्रहण करने के लिए किये जाने वाले युद्ध में प्रयोग में आने वाले अस्त्र-शस्त्र तथा योद्धाओं की शस्त्र - सज्जा का वर्णन है और युद्धभूमि के वीभत्स वातावरण का उल्लेख किया गया है। . युद्ध-स्थल की वीभत्सता
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विलुलियउक्कड व - वर - मउड - तिरीड - कुंडलोडुदामाडोविया पागड-पडागउसियज्झय - वेजयंतिचामरचलंत - छत्तंधयारगंभीरे हयहेसिय-हत्थि-गुलुगुलाइयरहघणघणाइय-पाइकहरहराइय- अप्फाडिय - सीहणाया, छेलिय-विघुटुक्कुट्ठकंठगयसद्दभीमगज्जिए, सयराह - हसंत-रुसंत - कलकलरवे आसूणियवयणरुद्धे भीमदसणाधरो गाढदट्ठे सप्पहारणुज्जयकरे अमरिसवसतिव्वरत्तणिद्दारितच्छे वेरदिट्ठिकुद्ध - चिट्ठिय-तिवलि - कुडिलभिउडि-कयणिलाडे वहपरिणयणरसहस्स - विक्कमवियंभियबले । वग्गंत - तुरगरद्द - पहाविय समरभडा आवडियछेयलाघव-पहारसाहिया समूसविय - बाहु-जुयलं मुक्कट्टहासपुक्कंतबोल - बहुले ।
शब्दार्थ - विलुलिय- ढीले हो जाने से हिलते हुए, उक्कडवरमउ - : उत्तमोत्तम मुकुट, तिरीड - किरीट- कलंगी-तुर्रा-मस्तक पर धारण करने का भूषण, कुंडल कानों में पहनने का आभूषण, उडुदामनक्षत्र - माला के समान आभूषण, आडोविया - चमक रहे
पागड - प्रकट, पडाग
पताका,
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