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प्रश्नव्याकरण सूत्र श्रु० १ ० १ *********************************
नरक का वर्णन इओ आउक्खए चुया असुभकम्मबहुला उववजंति णरएसु हुलियं महालएसु वयरामय-कुड्ड-रुद्द-णिस्संधि-दार-विरहिय-निम्मद्दव-भूमि-तल-खरामरिसविसमणिरय-घरचारएसु महोसिण-सया-पतत्त दुग्गंध-विस्स-उव्वेयजणगेसु बीभच्छ दरिसणिजेसु णिच्चं हिमपडलसीयलेसु कालोभासेसु य भीम-गंभीर-लोमहरिसणेसु णिरभिरामेसु णिप्पडियार-वाहिरोगजरापीलिएसु अईव णिच्चंधयार-तिमिस्सेसु पइभएसु ववगयगह-चंद सूर-णक्खत्तजोइसेसु मेय-वसा-मंसपडल-पोच्चड-पूयरूहि-रुक्किण्ण-विलीण-चिक्कण-रसिया वावण्णकुहियचिक्खल्लकद्दमेसु कुकूलाणल-पलित्तजालमुम्मुर-असिक्खुर-करवत्तधारासु णिसिय-विच्छुयडंक-णिवायोवम्मफरिस अइदुस्सहेसु य अत्ताणा असरणा कडुयदुक्खपरितावणेसु अणुबद्ध-णिरंतर-- वेयणेसु जमपुरिस-संकुलेसु।। _ शब्दार्थ - इओ - यहाँ मनुष्य भव का, आउक्खए - आयुष्य क्षय होने पर, चुया - च्युत होकरगिर कर, असुभकम्मबहुला - अशुभ-कर्मों की अत्यधिकता वाले मनुष्य, हुलियं - शीघ्र ही, महालएसुविशाल, णरएसु - नरक में, उववजति - उत्पन्न होते हैं। कैसे हैं वे नरक, वयरामयकुड्ड:- उसकी भीत वज्र की है, रुद्द - बहुत लम्बी-चौड़ी है, णिस्संधि - उसमें कहीं कोई सन्धि-छिद्र आदि नहीं है, दारविरहिय -- निकलने का द्वार भी नहीं है, णिम्मदव भूमितल - उसकी भूमि कोमल नहीं है-कर्कश है, खरामरिस - कठोरतर है, विसमणिरयघरचारएसु - नरकावास रूपी बन्दीगृह-नारकों के उत्पत्ति स्थान महा विषम हैं, महोसिणसयापतत्त - वे नरकावास अत्यन्त उष्ण और सदैव तप्त रहते हैं, दुग्गंधविस्सउवेयजणगेसु - दुर्गन्ध एवं सडान से भरपूर. जीव को उद्विग्न कर देने वाले, बीभच्छदरिसणिज्जेसु - बीभत्स-भयावने दृश्य वाले, णिच्चं - कुछ स्थान तो ऐसे हैं कि जो-नित्य, हिमपडलसियलेसु - हम-बर्फ के पटल के समान शीतल हैं, कालोभासेसु - काली प्रभा वाले, भीमगंभीरलोमहरिसणेसु - बड़े भयानक गम्भीर और रोंगटे खड़े कर देने वाले, णिरभिरामेसु - अरमणीय-घृणित, णिप्पडियार - जिसका प्रतिकार-चिकित्सा नहीं हो सके, ऐसे, वाहिरोगजरापीलिएसुकुष्टादि व्याधि रोग और जरा से पीड़ित, अईवणिच्चंधयातिमिस्सेसु - सदैव अत्यन्त घोर अन्धकार वाली, पइभएसु - प्रतिभय वालो-वहाँ की प्रत्येक वस्तु अत्यन्त भयंकर है, ववगयगह-चंद-सूरणक्खत्तजोइसेसु - चन्द्र, सूर्य, ग्रह और नक्षत्र को ज्योति से सर्वथा रहित, मेयवसामंसपडलपोच्चडपूयरुहिरुक्किण्णविलीग-चिक्कणरसियावावण्णकुहियचिक्खल्लकद्दमेसु- मेद, वसा. ती
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