Book Title: Pragnapana Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
View full book text
________________
२४
प्रज्ञापना सूत्र
*******************************
**********************
****************************
असंख्यात आकाश प्रदेशों में रहे हुए होते हैं। जघन्य संस्थान नियत संख्या वाले परमाणुओं से बने हुए होते हैं वे इस प्रकार हैं -
१. ओजः प्रदेश प्रतर वृत्त - पांच परमाणुओं से बना हुआ और पांच आकाश प्रदेशों में रहा हुआ जैसे कि - एक परमाणु बीच में और चार परमाणु अनुक्रम से पूर्व आदि चारों दिशाओं में स्थापित किये जाते हैं।
२. युग्म प्रदेश प्रतर वृत्त - बारह परमाणुओं से बना हुआ और बारह आकाश प्रदेश में रहा हुआ। उसमें निरन्तर चार परमाणु चार आकाश प्रदेश में रुचकाकार (गोस्तनाकार) स्थापित करना और उसके चारों ओर शेष आठ परमाणु रखना। ___३. ओजः प्रदेश घनवृत्त - सात परमाणुओं से बना हुआ और सात आकाश प्रदेशों में रहा हुआ पांच प्रदेश के प्रत्तर वृत्त के मध्य भाग में रहे हए परमाण के ऊपर और नीचे एक-एक परमाण रखना जिससे सात प्रदेश वाला घनवृत होता है।
४. युग्म प्रदेश घनवृत्त - बत्तीस परमाणुओं वाला और बत्तीस आकाश प्रदेशों में रहा हुआ। . पूर्वोक्त बारह परमाणुओं के प्रत्तरवृत्त के ऊपर बारह परमाणु रखना और उसके ऊपर नीचे दूसरे ४-४ परमाणु रखना।
५. ओजः प्रदेश प्रतर त्र्यस्त्र - तीन परगाणुओं से बना हुआ और तीन आकाश प्रदेशों में रहा हुआ तिरछे दो परमाणु और उसके बाद प्रथम परमाणु के नीचे एक ओर परमाणु।
६. युग्म प्रदेश - प्रतर त्र्यस्त्र - छह परमाणुओं से उत्पन्न हुआ और छह आकाश प्रदेश में रहा । हुआ। जिसमें तिरछे निरन्तर तीन परमाणु रखना उसके बाद प्रथम परमाणु के नीचे, ऊपर और नीचे यों दो परमाणु रखना और दूसरे के नीचे एक परमाणु रखना।
७. ओजः प्रदेश घन त्र्यस्त्र - ३५ परमाणुओं से बना हुआ और ३५ आकाश प्रदेशों में रहा हुआ। जो इस प्रकार है - तिरछे निरन्तर पांच परमाणु रखना, उसके नीचे अनुकम से तिरछे ४, ३, २ और १ परमाणु रखना, इस प्रकार १५ प्रदेश वाला प्रतर होता है।
इस प्रतर के ऊपर सभी पक्तियों के अंत में रहे हुए एक-एक प्रदेश को छोड़ कर दस परमाणु रखना उसी प्रकार उसके ऊपर छह तीन और एक इस प्रकार अनुक्रम से परमाणु रखना, ये सभी मिल कर ३५ प्रदेश होते हैं।
८. युग्म प्रदेश घन त्र्यस्त्र - चार प्रदेशों का बना हुआ और चार आकाश प्रदेशों में रहा हुआ। तीन प्रदेशों से बने हुए प्रतर त्र्यस्र के एक परमाणु के ऊपर एक परमाणु रखना, जिससे सब मिल कर चार प्रदेश होते हैं।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org