Book Title: Nal Damayanti Charitrayam
Author(s): Jayshekharsuri, Sarvodaysagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust
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________________ %%%% 5 तानालोक्य तथावस्थान, कृपया भैम्यभाषत। हंहो मा भैष्ट मा भैष्ट,परित्रास्येऽहमम्बुदात् // 38 // अन्वय:- भैमी तान् तथावस्थान आलोक्य अभाषत हंहो कृपया मा भैष्ट / मा भैष्ट / अहम् अम्बुदात् परित्रास्ये॥३८॥ विवरणम् :- भीमस्य अपत्य स्त्री भैमी दमयन्ती तान तापसान् तथावस्थान भयभीतान् आलोक्य निरीक्ष्य अभाषत अवदत् हहो। कृपया मा भैष्ट मा बिभीत / मा भैष्ट मा बिभीत / अहं अम्बु ददाति इति अम्बुक; तस्मात् अम्बुदात् वारिदात परित्रास्ये रक्षिष्यामि // 38 // सरलार्य :- दमयन्ती तान तापसान तथावस्थान विलोक्य अभाषत हंहो कृपया मा बिभीत मा बिभीत अहं जलदात रक्षिष्यामि / / 384 / / ગજરાતી:-પછી તેવી દશાને પ્રાપ્ત થયેલા એવાતે તાપસીને જોઈને દમયંતી દયા લાવીને તેઓને કહેવા લાગી કે, હે તાપસો તમે रोना...शेना१२सायी ईतमा 20N. // 384 // हिन्दी :- फिर दमयंती उन तापसों को ऐसी अवस्था में देखकर कहने लगी कि, हे तापसो। आप डरोनही। डरोनही। इस बरसात से मैं तुम्हारा रक्षण करुंगी। // 384 // 1:- नंतर तशा भयभीत अवस्थेत असलेल्या तपस्व्यांना पाहन दमयंती म्हणाली-कृपा करून भिऊ नका, भिऊ नका, मी ह्या पावसापासून तुमचे रक्षण करीन. // 384|| English - Seeing the piteous situation of the friars, feeling of affection and sympathy protruded and swelled in her. And she told them not to be afraid and gather courage as she will free them such a disaster. %%%%%%$5555 1