Book Title: Nal Damayanti Charitrayam
Author(s): Jayshekharsuri, Sarvodaysagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust

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Page 845
________________ MRAP a luserHIBGAM श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् Shresertesedusadevanasevr विवरणमः अस्य नलस्य सुजनस्य भाव: सौजन्यं सुजनता, नसामान्या असामान्या अलौकिकी वदान्यस्य भाव: वदान्यता दाता उदारता, किम् उच्यते? तेन नलेन कूबरः अपि कपटेन स्व राज्यमपहरन् अपि पूर्ववत् यभापूर्व युवा चासौ राजा च अपि उपकारी नलः॥८८७॥ सरलार्थ:- नलस्य सुजनता अलौकिकोदारता च किम् उच्यते। नलेन शाम्चेन स्वं राज्यमपहरन अपकारी कबरः अपि युवराजः कृतः // 887|| . ગુજરાતી - તેની સજ્જનતા માટે તથા તેના અનુપમ ઉદારપણા માટે વધારે) શું કહેવું? કે જેણે ફૂબરને પણ પૂર્વની પેઠે પાછો યુવરાજ કર્યો. 887 हिन्दी :- उनकी सज्जनता के लिये और उनकी अनुपम उदारता के लिये और अधिक क्या कहना? कि जिसने कूबर को भी पूर्ववत् फिर युवराज बनाया // 887 / / मराठी:- नलराजाचा सज्जनपणा व असामान्य दातृता काय वर्णावी। त्याने कपटाने राज्य हरण करणाचा बरालाही पुन्हा वुदराज बनविले.||८८७|| English - King Nal's gantlemanilers and civilityand ulmost generosity, knew no barriers, as he even .. forgave his brother Kubar and made himaheir-apparent (Crown-prince) %%%%%纲听听听听听听听听听听听微 धर्मोद्विभूति: सर्वेति कृतज्ञस्तं प्रवर्धयन् // . नलो भैम्या समं तत्र प्रीत्या चैत्यान्यवन्दत // 888 // .. अन्वयः- धर्मात् सर्वा विभूतिः इति कृतज्ञ: नल: भैम्या सहतं प्रवर्धयन् तत्र प्रीत्या चैत्यानि अवन्दत // eo Shree SiduRANASudesastersnesshreshnetuRe826_turesentedineNepressedxsdess es

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