Book Title: Nal Damayanti Charitrayam
Author(s): Jayshekharsuri, Sarvodaysagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust

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Page 852
________________ T ensedEARRASHTRANSad श्रीजयशग्वरसरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् RensuserRIPARIVARTANSARASVAL विवरणम्:- इति आवेध निवेध कथयित्वा अवधिज्ञानमस्यास्तीति अवधिज्ञानवान देव: अपि अगमत अगात् / अथ तदनन्तरं निरवधि ज्ञानं यस्य सः निरवधिज्ञान: असीमज्ञानवान् जिनसेन: अभिषा यस्य स: जिनसेनाभिधः जिनसेननामा गुरु: आगात् आगमत् // 895 // सरलार्थ:- इति कथयित्वा अवपिज्ञानवान देव: अगच्छत् / अथ निरवपिज्ञान: जिनसेननामा गुरुः आगच्छत् // 895|| ગુજરાતી:- એમ કહીને તે અવધિજ્ઞાનવાળા દેવ પણ ચાલ્યા ગયા અને અથાગ જ્ઞાનવાળા જિનસેન નામના ગુરુ મહારાજ માં . પધાર્યા.૮૯પા. हिन्दी :- ऐसा कहकर वह अवधिज्ञानवाला देव भी चला गया,और अथाग ज्ञानवाले जिनसेन नामक गुरुमहाराजवहाँ पधारे।।८९५॥ मराठी :- असे म्हणून अवधिज्ञानवान तो देव पण नियून गेला आणि अपांग ज्ञान असलेले जिनसेना नावाचे गुरुमहाराज तेथे आले.॥८९५|| English :- Saying thus even the God with a knowledge which can be perlaved beyond the senses, left off and a priest named Jin with an abyss of vigilance arrived there. ततो नल: समं भैम्या गत्वा भक्त्याउनम गुरुम।। शुश्राव देशनां तस्याऽ प्राक्षीदवसरे च तम्॥८९६॥ अन्वयः- ततो नल: भैम्या समं गत्या भक्त्या गुरुम् अनमत् / तस्य देशनां शुश्रावा अवसरे च तम् अप्राक्षीत् // 896 // विवरणम्:- तत: नल: भीमस्यापत्यं स्त्री, तया भैम्या दमयन्त्या समं साकंगत्वा भक्त्या प्रेम्णा गुरुम् अनमत् अवन्दता तस्य गुरोः देशनाम उपदेशं शुश्राव आकर्णयामासा अवसरे च तम् अप्रासीत् अपृच्छत् / / 896 // सरलार्य:- तत: नल: दमवन्त्या सह गत्वा भक्त्या गुरुं प्राणमत्। तस्य देशनाम अशृणोत्। अवसरे च तमपृच्छत् // 896 // reasotehankarArdostosadhanese_833 photosestarespersisterdasrepertoist P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun cun Aaradnak niet

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