Book Title: Nal Damayanti Charitrayam
Author(s): Jayshekharsuri, Sarvodaysagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust

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Page 877
________________ Everestaulessessehresश्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् MESSAINSalejewesterdreng ગુજરાતી :- વળી વીરમતીનો જીવ પણ પૂર્વ જન્મની પ્રીતિના બંધથી દેવલોકથી રવીને તે ધન્યની જ ધૂસરી નામે સ્ત્રી થઈ. // 825 // हिन्दी:- फिर वीरमती का जीव भी पूर्वजन्म की प्रीति के बंध से देवलोक में से आयुष्यपूर्ण कर धन्य की ही धूसरी नामक स्त्री हुई। // 925 // अमराठी:- नंतर वीरमतीचा जीव पण देवलोकात्न च्युत होऊन पूर्व जन्मातील प्रेमाच्या बंधनामुळे पन्दादी घसरी नावाची पत्नी झाली. // 925 // English :- Vermati, after finishing her life-time and due to the merits of her prarious life, became a wife to Dhany, named Dhusari. // धन्यो नित्यमरण्ये चा चारयन् महिषीर्निजाः॥ आभीराणामसावेवाजीवमाजीविका यतः॥९२६॥ अन्वयः- धन्य: नित्यम् अरण्य निजा: महिषी: अचारयत् / यत: असौ एव आभीराणाम् आजीवम् आरजीविका भवति // 926 // पद विवरणम:- धन्य: नित्यं सततम् अरण्ये विपिने निजा: स्वा: महिषी: अचारयता यत: असौ एव महिषीचारणमेव आभीराणांगोपानां जीवात् आ आजीवं यावत् जीवति तावत् आजीविका उपजीविका भवति। महिषीचारणमेव आभीराणांजीवनोपाय: भवति // 926 // सरलाई:- पन्यः नित्यं वने आत्मनः महिषी: अचारयत्। यतः महिषीचारणमेव आभीराणाम् आजीवं जीवनोपायः भवति // 926 // ગજરાતી:- હવે તે ધન તો હમેશાં જંગલમાં પોતાની ભેંસોને ચરાવતો હતો, કેમ કે ભરવાડોની જિંદગીપર્યત એ જ આજીવિકા खोयछ.॥८२६॥ . . . .

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