Book Title: Nal Damayanti Charitrayam
Author(s): Jayshekharsuri, Sarvodaysagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust

View full book text
Previous | Next

Page 883
________________ A PSARANARASBHASHASAORas श्रीनयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलवमयन्तीचरित्रम् saaseeBasResolesalevantratika पतधम्मपरिरम्भ रोधकं छत्रकं दधत। पति: परिवनाम महिला स्वा: स चारयन् ॥९३२॥युग्मम्।। अन्वयः- पतदम्भ: परिरम्भरोध छनक वयत्, स्वा: महिषी: चारयन् स: परित: परिबभ्राम // 932 // विवरणम:- पतत् च तद् अम्भः च पतदम्भः। पतदम्भस: परिरम्भः पतदम्भः परिरम्भः। पतदम्भः परिरम्भस्य रोधकं पतदम्भः परिरम्भरोधकं निपतज्जलाश्लेषरोपकं छत्रं दधत् धारयन, स्वा: निजा: महिषी: चारयन् स: धन्यः परित: आसमन्तात् द परिषभ्राम // 932 // सरलार्थ:- निपतज्जलसंरभरोधक छत्रं पारवन, स्वाः महिवी: चारवन् सः धन्य: आसमन्तात् परिबभ्राम / / 932 // ગુજરાતી:-પડતા બેઘજળને અટકાવનારા છત્રને ધારણ કરી પોતાની ભેસોને ચરાવતો ચોતરફ ભ્રમણ કરવા લાગ્યો.૯૩રા हिन्दी :- गिरते हुऐ मेघजल को रोकनेवाले छत्र को धारण करते हुए अपनी भैसो को चराते हुऐ वह चारो ओर घूमने लगा||९३२॥ मराठी :- पडत असलेल्या मेयजलाला रोकण्यासाठी डोक्यावर छत्री धारण करून स्वतःच्या म्हशी चारीत तो चारही बाजूस भ्रमण करू लागला. // 932 // English :-He holds a sturdy umbrella in his hands, which can shelter him from the strongest of showers and roaming about, invited his buffses to lunch on the juicy meadows. ESSAFEBRULES 99

Loading...

Page Navigation
1 ... 881 882 883 884 885 886 887 888 889 890 891 892 893 894 895 896 897 898 899 900 901 902 903 904 905 906 907 908 909 910 911 912 913 914 915