Book Title: Nal Damayanti Charitrayam
Author(s): Jayshekharsuri, Sarvodaysagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust

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Page 876
________________ Oneeshesdatestersnese बीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनालयमयन्तीयरित्रम् ARASHTRasRABORNSARSeare KE માં ગુજરાતી:- પછી મખણનો જીવ ત્યાંથી આવીને પહેલા હીપના જંબુદ્વીપના ભરતક્ષેત્રમાં બહલી નામના દેશના મુકુટ સમાન પોતાના નામના નગરમાં ભરવાડ થયો. તેની રેણુકા નામની સ્ત્રી તથા તેઓનો વિનયથી નિર્મલ એવો ધન્ય નામે પુત્ર यो.॥४२४॥ हिन्दी :- फिर मम्मण काजीव वहाँ से आयुष्य पूर्ण कर के पहले द्वीप के (जंबूद्वीप के) भरतक्षेत्र में बहली नामक देशके मुकुट समान पोतन नामक नगर में, धम्मिलनामक चरवाह हुआ। और उसकी रेणुकानामक स्त्री तथा उनका विनयसे निर्मल ऐसा धन्य नामक पुत्र हुआ। // 924 // 1:- जंतर मम्मणचा जीव देवलोकातून च्युत होऊन जम्बूद्वीपात भरतक्षेत्रात बहली देशाला भूषणभूत असलेल्या पोतनपुर नावाच्या नगरात पम्मिल नावाचा गवळी उत्पन्न झाला. त्याची रेणुका नावाची पत्नी त्या दोघांचा विनवाने निर्मक बन्द . नावाचा मुलगा झाला.||९२४|| English - Then the soul of Mamann, after finishing its life-time as a God was born in the first Tambuduoep, in Bharatschetra, in a state named Behali and in a city named Patan which was a dladem of Behall, as Dhammil, who was a shepherd. He had a wife named Renuka, who gave birth to a son named Dhany. R ES वीरमत्या: पुनर्जीव: प्राग्जन्म प्रीतिबन्धतः॥ दिवश्च्युत्वा धूसरीति धन्यस्यैवाभवद्गृही॥९२५॥ अन्वयः- वीरमत्या: जीव: पुन: दिव: च्युत्वा प्राग्जन्मप्रीतिबन्धत: धन्यस्य एव धूसरी इति गृही अभवत् // 925 // विवरणम:- वीरमत्याः जीव: पुनः विवः स्वर्गातच्युत्वाप्राक्चंतद् जन्मच प्राग्जन्मा प्राग्जन्मनःप्रीतिः प्राग्जन्मप्रीतिः। प्राग्जन्मप्रीते: बन्धः, तस्मात् प्राग्जन्मप्रीतिबन्यतः पूर्वभवप्रेमबन्धनात् धन्यस्य एव धूसरी इति नाम्नीगृही पत्नी अभवत् // 925 // सरलार्थ:- वीरमत्या: जीव: पुन: देवलोकात् च्युत्वा पूर्वजन्मन; प्रेमबन्धनात् धन्यस्य एव धूसरीनाम्नी पत्नी अभवत् // 925 // A Kewasensesses 857 weigno wlePOSBRONST Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.

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