Book Title: Nal Damayanti Charitrayam
Author(s): Jayshekharsuri, Sarvodaysagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust

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Page 856
________________ OROMPARISHTRIANTERASACRIBus श्रीनगणेग्वग्गनिगिनितं श्रीनलगणयन्तीचरित्रम ASBIRBARUNBARASHTRINARRANDEY 卐सरलार्थ:-. एकस्मिन् दिने मृगवायां भाषा सह नगरात् बहिः गच्छता तेन सार्थमध्ये वर्तमान: एक: सायुः दृष्टः / / 900 / / 6 ગજરાતી:- પછી એક દિવસે રાણી સહિત તે રાજા શિકાર કરવાને નગરીની બહાર ગયો, એવામાં તેણે સાર્થની અંદર રહેલા એક 卐 मुनिराजनेस.coon .. पर हिन्दी :- एकसमय रानी के साथ शिकार के लिये राजा नगर के बाहर गया इतने में सार्थ के बीच में उसने एक मुनिराज को देखा // 900 // मराठी :- एकदा तो राणीसह शिकारीसाठी नगराच्या बाहेर निघाला असता त्याला सार्यामध्ये एक साप दिसला. // 900 / / English - Then one day he along with his wife went for a hunt, on the outskirts of the city. The he happened to see an ascetic in a camp. सोऽथ क्षुद्राशयो राजा सात्तिं मुनिसत्तमम्॥ यूथात् कपिमिवादाय खेलनाय न्यवर्तत // 901 // खान्यय:- अथ क्षुद्राशय: स राजा यूथात् कपिमिव सार्थात् खेलनाय तं मुनिसत्तमं आवायन्यवर्तत॥९०१॥ पर विवरणम्:- अथ अनन्तरंक्षुद्र:आशय: यस्य सः क्षुद्राशयः क्षुद्रमना: स: राजा यूथात् कपि वानरमिव सार्थात् खेलनाय तं मुनिसत्तम आवाय गृहीत्वा न्यवर्तत // 901 // सरलार्य:- अनन्तरं क्षुद्राशयः सः नृपः धात् कपिम् इव सार्थात् तं मुनिसत्तम खेलनाव गृहीत्वा न्यवर्तत // 901 // - ગુજરાતી :- પછી છુટ આશયવાળો તે રાજ, ટોળામાંથી જેમ વાંદરાને ઊંચકે તેમ સાર્થમાંથી ગમ્મત માટે તે મુનિરાજને લઈને દર पाछोयो.000१॥ हिन्दी:- फिर दुष्ट आशयवाले उस राजा ने टोलीमें से जैसे बंदर को, वैसे सार्थमें से परिहास के लिए उस मुनिराज को उठाकर वापस लौट आया।।९०१॥ P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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