Book Title: Nal Damayanti Charitrayam
Author(s): Jayshekharsuri, Sarvodaysagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust

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Page 863
________________ OCHROPRASA D श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलषमयन्तीचरित्रम् SRoger Regovemgaveodate हिन्दी :- पहले किसी समय नसुना ऐसे उस धर्म को सुनकर मनोहर आशयवाले वह दोनों पति-पत्नी उनके प्रति आदरवाले हए, क्यों कि अपूर्व के प्रति किसे खुशी नही होती? // 908 // मराठी:- पूर्वी कधीही न ऐकलेला धर्म ऐकून त्या पति-पत्नीचे मन शुख झाले व ते दोघेही त्या धर्मात रम्न गेले कारण अपूर्व गोष्टीत कोण रमत नाही?||९०८॥ English - They had never heard such a serman in all their lives, which made their hearts overflow with feeling of elegance and comeliness and feelies of respect for the priest. who will no feel happy to hear unprecedented and unparalleled words that had never been heard before? कियन्तमापकियन्तं कालं च उपास्तये नमादौ येषां तानि अशना तं प्रत्यलाभयतां च निर्विरनादिभिः॥ कियन्तमपि कालं चाऽस्थापयेतामुपास्तये // 909 // अन्धयः- निर्दोशै: अशनादिभिः तं प्रत्यलाभयेताम् / कियन्तं कालं च उपास्तये अस्थापयेताम् // 909 // विवरणम:- निर्गत: दोष: येभ्यस्तानि निर्दोषाणि दोषरहितानि, तैः निर्दोषैः दोषरहितैः अशनमादौ येषां तानि अशनादीनि, तैः अशनादिभिः प्रत्यलाभयेतामा कियन्तं कालंच उपास्तये सेवायै तत्र अस्थापयेतामा निषिः आहारैः तं प्रत्यलाभयेताम्। . तस्य सेवां कर्तुं तं कियन्तं कालं तत्र अस्थापयेताम्॥९०९॥ सरलार्थ:- तो निषिः आहारैः तं प्रत्यलाभयेताम्। तस्य सेवां कर्तुं तं किदन्तं कालं तत्र अस्थापयेताम् / / 909|| ગુજરાતી - વળી દૂષણરહિત આહાર આદિવડે તેઓએ તેને પ્રતિલાવ્યા અને તેમની વૈયાવચ્ચ (સેવા) કરવા માટે તેમને કેટલાક 15 धावांपर.com ॐ हिन्दी :- फिर दूषणरहित आहार आदि का उन्होने मुनि को दान दिया, और उनकी वैयावच्च (सेवा) करने के लिये उनको बहुत समय तक वहाँ रोका।।।९०९||

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