Book Title: Nal Damayanti Charitrayam
Author(s): Jayshekharsuri, Sarvodaysagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust

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Page 853
________________ ofessorsdadee श्रीजयशेखारसूरिविरचितं श्रीनलावमयन्तीचरित्रम् 8888888ABINBIELTS છે ગુજરાતી :- તારે નલરાજા દમયંતી સહિત ત્યાં જઈને ગુરુમહારાજને ભકિતથી નમ્યા તથા તેમની ધર્મદેશના સાંભળી પછી असरे सेमोणेते गुरुमहारानने 57,856 / हिन्दी :- तब नलराजाने दमयंती सहित वहाँ जाकर गुरुमहाराजको भक्ति से नमन किया और उनका धर्मदेशनासुनने के बाद फिर अवसर पाकर उन्होंने उन गुरुमहाराज से पूछा - / / 896 / / जन्मिराठी:- तेव्हा नलराजाने दमयंतीसह तेथे जाऊन गुरुमहाराजांना भक्तिभावाने नमस्कार केला. त्यांचा धर्मोपदेश ऐकला व नंतर . संघी साप्न त्यांना विचारले. // 896 / / English - Then King Nal along with his wife Damyanti went to him and wholeheastedly served him, then heard the sermon given by him, then they spoke to him. भगवान्। किं मया पूर्वभवे कर्म व्यधीयत॥ राज्यं यदीदृशं लब्ध्वा हारितं पुनराप्यत // 897 // अन्वय:- भगवन्! मया पूर्वभवे किं कर्म व्यधीयता यत् ईदृशं राज्यं लबध्वा हारितं पुन: आप्यत। विवरणम:- हेभगवन। मया पूर्वश्चासौभवश्च पूर्वभवः, तस्मिन् पूर्वभवे पूर्वजन्मनि किं कर्मव्यधीयत अक्रियता यद् ईदृशं समृद्ध राज्य जन लब्ध्वा घूते हारितम् गमितम्। तत: पुन: आप्यत अलभ्यत // 897 // सरलार्य:- हे भगवन्! मया पूर्वभवे किं कर्म कृतम्। येन ईदृशं समृदं राज्यं लब्ध्वा तद यते हारितम्। ततः पुनः लब्धम् / / 897|| ગુજરાતી :- હે ભગવાન! પૂર્વભવમાં મેં શું કર્મ બાંધ્યું છે કે જેથી આવું રાજ્ય મેળવીને હું હારી ગયો, અને પાછું મેં તે રાજ્ય मेथु.॥८८७॥ हिन्दी:- "हे भगवाना पूर्वभव में मैने ऐसे कौन से कर्म बांधे थे कि जिससे मैं ऐसा राज्य पाकर भी हार गया, और फिर मैन यह राज्य प्राप्त किया।"||८९७|| 听听听听听听听听听听%%%%%%

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