Book Title: Nal Damayanti Charitrayam
Author(s): Jayshekharsuri, Sarvodaysagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust

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Page 846
________________ PROG R AIBARABANBode श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् ARUNSAANDRAPARATOPANRAIsrae KC विवरणम्:- धर्मात् सर्वा विभूति: ऐश्वर्य भवति। इति मत्वा कृतं जानाति इति कृतज्ञ: नल: भीमस्यापत्यं स्त्री भैमी वमयन्ती, तया भैम्या दमयन्त्या सह तं धर्म प्रवर्धयन् वृद्धि प्रापयन् तत्र निजे राज्ये प्रीत्या प्रेम्णा चैत्यानि मन्दिराणि अवन्दत // 48 // सरलार्थ:- धर्मात् सर्वम् ऐश्वर्य प्राप्यते इति मत्वा कृतज्ञ: नल: भैम्या सह तं धर्म प्रवर्षयन् स्वराज्ये चैत्वानि अवन्दत / / 888 // ગુજરાતી:- ધર્મથી સઘળો વૈભવ પ્રાપ્ત થાય છે, એમ માનીને કૃતજ્ઞ નલરાજાએ દમયંતી સહિત તે ધર્મની વૃદ્ધિ કરતાં પોતાના ન રાજ્યમાંના જિનમંદિરોનું હર્ષથી વંદન કર્યું.૮૮૮ र हिन्दी :- * धर्म से सभी वैभव प्राप्त होते हैं, ऐसा मानकर कृतज्ञ नलराजाने दमयंती सहित उस धर्म की वृद्धि करते हुए राज्य के जिन . मंदिरो को हर्ष से प्रणाम किया। // 888 // मराठी:- पर्माने सगळे वैभव प्राप्त होते असे मान्न कृतज्ञ नलराजाने दमवंतीसमवेत धर्माची वृद्धि करीत राज्यातील जिनमंदिरांना आनंदाने नमस्कार केले.।।८८८॥ English - The utmost grateful, belived that one attains all frandear and glory If only he practices his religion in an appropriate way. So Nal along with his wife Danyanti began increasing the esplendoyr and grace of the Jain religion and thankfully bowed down to all the Jain temples In their kingdom. रथयात्रां पवित्रात्मा कारयामास चाहताम्।। गुरुणां गुणिनां नित्यं वरिवस्यां व्यधत्त च // 889 // अन्धयः- पवित्रात्मा अर्हतां रथयात्रां कारयामास / गुरुणां गुणिनां च नित्यं वरिवस्यां व्यधत्त // 889 // विवरणम:- पवित्र आत्मा यस्य सः पवित्रात्मानल: अर्हतां तीर्थकराणां रथैः यात्रा रथयात्रा, तां रथयात्रांकारयामास गुरुणांगुणा: ऐषां सन्तीति गुणिनः, तेषां गुणिनां च वरिवस्यां सेवां व्यधत्त अकृत // 889 // P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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