Book Title: Nal Damayanti Charitrayam
Author(s): Jayshekharsuri, Sarvodaysagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust
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________________ OREIGeogresedeoseeds श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् PRASANSARAMARPALI Yord:- sam ! ताथीस, सयु, पछी सामंत्री ji, शुने ! // ? आधु? प्रह // 786 // 卐हिन्दी :- "हे महासती! हे महासती महत्या करना छोड़ दो, छोड़ दो। फिर सपर्ण मंत्री भी बोला कि, "शुभे। यह क्या? यह ॐ क्या?"||७८६॥ जमराठी :- "हे महासती! हे महासः॥ प्रात्महत्या करणे पुरे झाले. (आत्महत्या करू नकोस) सपर्ण मंत्रीही म्हणाला हे कल्याणि। अग हे कावा हे भलतेच काय करतेस?"॥७८६।। 16 English - The King addressing her as a ghaste woman said to her to stop such an improper deed of hers. Then even the minister asked her to cease. जीवलोऽप्यूचिवानार्ये मामात्याक्षीरसून वृथा। नलोऽप्युत्थाय सपदि प्रोवाचोच्चै: ससंभ्रमः // 787 // अन्वय:- जीवल: अपि ऊचिवान् - आयें! असून वृथा मा मा त्याक्षी: / नल: अपि सपदि उत्थाय ससंभ्रम: उच्चे: प्रोवाच // 787 // विवरणम्:- जीवल: अपि ऊचिवान् उक्तवान् - आर्ये। असून प्राणान् वृथा मुघा मा मा त्याक्षी: / मा त्यजा मा मा त्यज / नल: अपि卐 सपदि द्रुतम् उत्थाय संभ्रमेण त्वरया सह वर्ततेऽसौ ससंभ्रमः सत्वरः उच्चैः प्रोवाच // 787 // सरलार्थ:- जीवल: अपि उक्तवान - आयें। वृथा प्राणान् मा त्वज / नल: अपि द्रुतमुत्थाय ससंभ्रमम् उच्चैः अब्रवीत् / / 787|| - ગુજરાતી:-જીવલ પ્રતિહાર પણ બોલ્યો કે, હે આર્વે તું નિરર્થક પ્રાણોને તજીનહી દે.ત્યારે નાલે પણ સંશમ સહિત તુરત ઊઠીને મોટા સ્વરથી કહ્યું 787 卐 हिन्दी.. जीवल प्रतिहार भी कहने लगे कि, "हे आयें तू व्यर्थ में अपने प्राणो का त्याग मत करा त्याग मत करा" तब नल भी भ्रमित होकर तुरंत खडे हो कर ऊंचे स्वर में कहने लगा // 787 //