Book Title: Nal Damayanti Charitrayam
Author(s): Jayshekharsuri, Sarvodaysagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust

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Page 767
________________ ORIGHERPRETTER श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् SRISHTERetardalevamsassgeet બજરાતી:- એવામાં રાજાએ ઉચે જોઇને કહ્યું કે, શું સૂર્ય અસ્ત પામો? રસના અતિશયપણાથી આપણે સંધ્યાકાળની ક્રિયાને પણ Girl 784 // न्दी :- इतने में राजा ने ऊपर देखकर कहा कि, "क्या सूरज अस्त हो गया? रस के अतिरेक से हम संध्याकर्म को भी भल गयो"||७९४|| मराठी :- इतक्यात राजा वर पाहन म्हणाला की, "काय सूर्यास्त झाला? रसाच्या अतिरेकामुळे आम्ही संध्याकाळची क्रिया करणे पण विसरून गेलो?||७९४|| English :- Just then the King asked if the sun has set. He added saying that they we so much dipped in the aqua of entertainment, to have forgotten the twilight period. पुरचालोक्य कुशलं कुशलं नाट्यकर्मसु॥ सपर्णामात्यमादिक्षद् भोस्त्वमेतं कृतार्थय॥७९५॥ अन्यय:- नादयकर्मसु कुशलं कुशलं पुरः आलोक्य सपर्णामात्यम् आदिक्षत् - भो: / त्वम् एतं कृतार्थय // 795 // विवरणम:- नटै: अभिनेयं नादयम् / नाट्यस्य कर्माणि नेपथयादीनि नाट्यकर्माणि तेषु नाट्यकर्मसु नेपथ्यादिषु कुशलं निष्णातं कुशलं भीमराजेन प्रेषितंदूतं (विप्रम्) पूरः अग्रे आलोक्य दृष्ट्राराजानृपः सपर्ण नाम अमात्यं सपामात्यं सपर्णमन्त्रिणम् आदिक्षत् - आदिशत् त- भो मन्त्रिन् / त्वम् एतं कुशलं कृतार्थय कृतार्थ कुरु॥७९॥ के सरलार्थ:- नाट्यकर्मसु कुशलं कुशलं नामभीमराजतं पुरतः आलोक्य नृपः सुपर्ण नाम अमात्यम् आदिशेत् - भोः अमात्या त्वमेतं कुशलं कृतार्थ कुरु॥७९५|| જરાતી:-પછીનાટ્યકાર્યમાં વિચક્ષણ એવા કુશલને આગળના ભાગમાં ઉભેલો જોઇને (રાજાએ) સપર્ણનામના મંત્રને કહ્યું કે, હે મંત્રી! તું આ કુશલને કૃતાર્થ કરજે?li૭૯૫ા ' 幽灣骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗徽

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