Book Title: Nal Damayanti Charitrayam
Author(s): Jayshekharsuri, Sarvodaysagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust

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Page 826
________________ Engsawarenesdeseistranger श्रीनयोग्यग्गायिचिनं श्रीनन्नदमयन्तीचरित्रम Nasashusiaspressagesashusiastu STARTS दधिपर्णोऽपितं प्रतः प्रणिपत्य व्यजिज्ञपत्॥ ... यदज्ञानाववज्ञात: स्वाम्यपि त्वं क्षमस्व तत् / / 865 // अन्वयः- दधिपर्णः अपि प्रतः तं प्रणिपत्य व्यजिज्ञपत् - यत् त्वं स्वामी अपि अज्ञानात् अवज्ञात: तत् क्षमस्व // 86 // विवरणम्:- दधिपर्ण: अपि प्रतः नमः सन्तंनल प्रणिपत्य प्रणम्य व्यजिज्ञपत् व्यज्ञापयत् - यत् त्वं स्वामी अपि अज्ञानात् अज्ञानवशात् अवशात: अवमतः, तत् क्षमस्व // 86 // सरलार्थ :- दविपर्णः अपि नम्रः सन् तं नलं प्रणम्द व्यज्ञापवत्- यत् त्वं स्वामी अपि अस्माभिः अज्ञानवशात् अवज्ञातः / तत्क्षमस्व // 86 // ગુજરાતી:- દકિપાર્ણ રાજા પણ ખુશ થઈને, તથાતેને નમીને વિનંતી કરવા લાગ્યો કે, હે સ્વામી અજ્ઞાનને લીધે અમે સ્વામીની - જે અવશા કરી છે, તે માટે આપ માફ કર..૮૬પા. हिन्दी :- दधिपर्ण राजा भी खुश हो कर, और झुक कर विनंती करने लगे कि, हे स्वामी! अज्ञान के कारण स्वामी की जो अवज्ञा की है, उसके लिये आप क्षमा कीजिए। // 865|| मराठी:- दविपर्ण राजाने पण नम्र होऊन व नमस्कार करुन नलराजाला विनंती केली की, हे स्वामी। अज्ञानामुळे आमच्या कड् आपली जी अवज्ञा झाली त्याबदल क्षमा करा1८६५॥ 95 English - Even king Dadeparne bowed down and appealed to King Nal to fove him for his ignorance and insensibility for having treated him with despite and disregard. 5555555555 .... पूर्णऽथाभिग्रहे भैमी प्रियसनाज्निनोशितः॥ . कृत्वा स्नानानरागालङ्कारपुष्पांशुकार्चनम् // 866 // अन्वयः- अथ प्रियसङ्गात् अभिग्रहे पूर्णे सति भैमी जिनेशितुः स्नात्राङ्गरागालङ्कारपुष्पांशुकार्चनं कृत्वा ... // 866 // Reesaauseuserseasesdasesabusessursadnews200salesepssaeseseparssarsawsrepsexdes i Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC. Gunratnasuri M.S.

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