Book Title: Nal Damayanti Charitrayam
Author(s): Jayshekharsuri, Sarvodaysagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust

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Page 842
________________ और 5555 ORIES RSHARABORTANTRA श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् asdaraswates निजं राज्यमलश्चक्रे शक्रेणाऽप्यथ दुर्जयः॥ नलो भैम्याश्रितश्रीक: स्त्रीरत्नेनेव चक्रभृत् // 884 // - अन्वयः- अथ शक्रेण अपि दुर्जयः, स्त्रीरत्नेन चक्रभृत् इव भैम्या आश्रितश्रीक: नल: निजं राज्यम् अलश्चक्रे॥८८४॥ विवरणम:- अथअनन्तरंशक्रेण इन्द्रेणअपिदुःखेनजीयतेऽसौ दुर्जय: जेतुमशक्यः, यथा स्त्रीरत्नेन चक्रं विभीति चक्रभृत् चक्रवर्ती आश्रितश्रीक: भवति तथा भीमस्यापत्यं स्त्री भैमी, तया भैम्या भीमराजपुत्र्या दयन्त्या आश्रिता श्री: यं स: आश्रितश्रीका आश्रित-लक्ष्मीक: नल: निजं स्वं राज्यम् अलञ्चक्रे भूषयाञ्चकार // 884 // सरलार्थ:- अनन्तरं इन्द्रेण अपि जेतुमशक्यः नलः यथा चक्रवर्ती स्त्रीरत्नेन श्रीमान भवति तथा, दमयन्त्या आश्रितश्रीकः अभवत् स्वं राज्यं च अलचक्रे / / 884|| ગુજરાતી:- પછી ઈંતથી પણ નજીતાય એવો નલરાજા, સ્ત્રીરત્નથી આત્રિત થયેલા ચકની પેઠે દમયંતીથી શોભાયુક્ત થઈ પોતાનાં રાજ્યને થોભાવવા લાગ્યો.૧૮૮૪ हिन्दी :- फिर इंद्र से भीनजीताजा सके ऐसा नलराजा, स्त्रीरत्न से आश्रित ऐसे चक्र के समान दमयंतीसे शोभायुक्त होते हुए अपने राज्य को सुशोभित करने लगे।।।८८४॥ मराठी:- नंतर इंद्राला सुदा जिंकता येणे अशक्य असलेला नलराजा स्त्रीरत्नाने चक्रवर्तीप्रमाणे दमयंतीमुळे राज्यलक्ष्मी प्राप्त करून स्वत:च्या राज्याला भूषवू लागला.।।८८४||. English - Then Nal, (who could'nt be defeated even by Indra) began to increase the glory and splendour of the Klongdom along with his magestic wife, who was a diadem among women, just as one Increase the glory and refulgent with his discuss. 55FREE 25 JunGOTTAarabnki PP.AC. Gunratnasuri M.S.

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