Book Title: Nal Damayanti Charitrayam
Author(s): Jayshekharsuri, Sarvodaysagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust

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Page 824
________________ OR PARASHARAARAARRANASEAN श्रीजयशेस्वरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् INHERASHTRARISHORTHEASTRATING L ठी:- खचा स्वरुपात असलेल्या त्या रूपसंपन्न नलराजाला पाह्न जण प्रेम उसल्न आल्यामुळे अतिशय आतुर झालेल्या दमवन्तीने लता जशी वृक्षाला आलिंगन देते तसे आपल्या पतीला नलराजाला गाढ आलिंगन दिले. (गाढ मिठी मारली) // 86 // English - Seeing the true form of Nal, Damyanti who was overcome with feelings of love and orgasm, embrased Nal, just as the creapers clasp a true. अथायातं बहिर्मध्यात् उपलक्ष्य नलं क्षणात्॥ . भीमः सिंहासने सौवेऽध्यासयदरतार्धपम्॥८६॥ ॐ अन्वयः अथ मध्यात् बहिः आयातं नलं क्षणात् उपलक्ष्य भीमः भरतार्धपं सौवे सिंहासने अध्यासयत् // 86 // विवरणम्:- अथ अनन्तरं मध्यात् गृहमध्यात् बहिः आगतं नलं क्षणात उपलक्ष्य भीमः नृपः भरतस्य अर्ध भरतार्थम् / भरताचं पाति इति भरतार्षपः, तं भरतापं भरतार्धाधिपं सौवे स्वकीये सिंहासने अध्यायत् उपावेशयत् // 863 // मसरलार्थ:- अनन्तरं गृहमण्यात बहिः आगतं मलम उपलक्ष्य भीमः अर्पभरतस्याधिपतिं तं स्वीये सिंहासने उपावेशवत् / / 8 / / * ગુજરાતી:- પછી અંદરથી બહાર આવેલા નલરાજને ભણવારમાં ઓળખી કાઢીને ભીમરાજાએ તે ભરતાર્થના સ્વામીને પોતાના . સિંહાસન પર બેસાડ્યા.૮૬૩ हिन्दी:- घर के बहार आये हुए नलराजा को क्षणभर में पहचान कर भीमराजा ने उस अर्धभरतखंड के स्वामी को अपने सिंहासन पर बैठाया। // 863 // मिराठी:- नंतर आतून बाहेर आलेल्या नलराजाला क्षणभरात ओळखून भीमराजांने त्या भरतार्याच्या स्वामीला स्वत:च्या सिंहासनावर बसविले.॥८६॥ English :- King Bhim had recognised king Nal who was the king of the half of the Bharatechetra, When he had arrived earies and made him sit on the throne next to him. ABELLEFEARELEASE FEENA P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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