Book Title: Nal Damayanti Charitrayam
Author(s): Jayshekharsuri, Sarvodaysagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust

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Page 822
________________ ORMOn epalesed श्रीजयशेवग्यर्गिवर्गचतं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम DiagnospoRARANDRABolo प्र ગુજરાતી:- “હે સ્વામી તે વખતે તો મને સૂતી છોડીને ચાલ્યા ગયા હતા, અને હવે ઘણે સમયે તમોને મેં જોયા છે, હવે 0 જવાના છો?' એમ કહીને તે મુજને પકડીને ધરની અંદર લઇ ગઈ. 860 हिन्दी :- हे स्वामी। उस समय आप मुझे सोती हुई छोडकर चले गये थे, और अब बहुत समय के बाद मैंने तुम्हे देखा है, अब कहाँ जाओगे? ऐसा कहकर उस कुब्जको पकडकर दमयंती घर के अंदर ले गयी। // 860 // मराठी:- स्वामी। तेव्हा तुम्ही मी झोपली असतांना मला एकटीला सोडून गेला आता खूप दिवसानंतर दिसले आहात. आता कोठे जाला असे म्हणून त्या कुब्जाला धरून दमयंतीने घरात नेले. // 86 // English :- Then Damyanti addresion Nal has her master said to him that, she has been him after so long time, nince he had left her in the forest saying thus, she caught hold of him and took him in her room. वैवाऽभ्यर्थितोऽत्यर्थ कुब्जो विल्वकरण्डकात्॥ वस्त्राधाकृष्य संवीय स्वरुपस्योऽभवन्नलः॥८६॥ ॐ अन्वयः- वैदा अत्यर्थम् अभ्यर्यित: कुब्ज विल्यकरण्डकात् वस्त्रादि आकृष्य संवीय स्वरुपस्य: नल: अभवत् // 86 // विवरणम:- विवर्भाणामीश्वर: वैवर्भः। वैवस्थापत्यं स्त्री दैवी, तया वैवा दमयन्त्या अत्यर्थ भृशम् अभ्यर्थितः सम्प्रार्यित: कुब्ज: विल्वस्य करण्डक: विल्यकरण्डकः, तस्मात् विल्यकरण्डकात् वस्त्रमादौ यस्य तद् वस्त्रादि आकृष्य संवीय परिधाय च स्वरुपे तिष्ठतीति स्वरुपस्य: नल: अभवत् // 86 // सरलार्थ:- दमयन्त्या भृशं प्रार्थितः कुब्जः बिल्वकरण्डकात् वस्त्रादिकम् आकृष्य परिधाव च स्वरुपस्थ: नलः अभवत् / / 861 // કે ગુજરાતી:- પછી દમયંતીએ અત્યંત પ્રાર્થના કરવાથી તે કુજ બિલ્વફળ તથા ડાબડામાંથી વસઆદિ કાઢીને, તથા તે પહેરીને રે સત્ય સ્વરૂપવાળો નલરાજા પ્રગટ થયો.૮૬૧ 803 Jun Gun Aaradhak Trust PP.AC.Gunratnasuri M.S.

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