Book Title: Nal Damayanti Charitrayam
Author(s): Jayshekharsuri, Sarvodaysagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust

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Page 817
________________ - - AREosasarianderpasenarsecsi श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलवमयन्तीचरित्रम् SHARRIERRIArteserPNBReddseing क्रीडया वीडया वापि मन्त्रतस्तन्मतोऽथवा॥ ___ असौ चक्रेऽङ्गवैकृत्यं नल एव न संशयः // 855 // अन्वयः- असौ क्रीडया ब्रीडया वा मन्त्रत: तन्त्रत: वा अङ्गवैकृत्यं चक्रे / असौ नल: एव अस्ति। न संशयः // 855 // विवरणम:- असौ क्रीडया वाव्रीडयालज्जयावा मन्त्रत: मन्त्रैः, तन्त्रत: तन्त्रैः अङ्गानामवयवानां वैकृत्यं अवैकृत्यम् अवयवविकारित्वं चक्रे। असौ नल: एव अस्ति / इत्यत्र संशय: नवर्तते // 855 // सरलार्थ:- असौ क्रीडया वा लज्जया वा मन्त्रः वा तन्त्रः वा स्वानि अङ्गानि विकृतानि अकरोत् / असी नलः एव अस्ति / अत्र संशयः न वर्तते।।८५५|| ગુજરાતી :- ક્રિીડાથી અથવા લજજાથી, મંત્રથી અથવા તત્વથી તેણે આખા શરીરનો ત્યાગ કર્યો છે, માટે તેનલ જ છે, એમાં સંદેહ નથી.i૮૫પા हिन्दी :- क्रीडा से अथवा लज्जासे, मंत्र से अथवा तंत्र से उसने अपने पूर्ण शरीर को विकृत किया है। वह नल ही है इसमें कोई संदेह नही है। / / 855 // मराठी:- क्रिडा म्हणून अथवा लाजेने मंत्र तंत्राच्या द्वारा याने आपले सर्व शरीर विकृत केले आहे. हा नलच आहे यात काही संशय नाही.।।८५५॥ English :- King Nal has, due to some fun and frolic or some shameful deed or due to some magic incantation or some enchantment, has attained such an uncommon and an unnatural appearance. नलाङ्गल्याऽप्यहं स्पृष्टा सद्य: पुलकमावटे॥ अस्याङ्गुल्यापि चेत् स्पृष्टा स्यां तथा सौ ततो नलः // 856 // अन्वयः- अहं नलाङ्गुल्या अपि स्पृष्टा सध: पुलकम् आवहे / अस्य अङ्गुल्या अपि स्पृष्टा तथा स्यां चेत् तत: असौ नलः / / 856 // Mas.../ Marite

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