Book Title: Nal Damayanti Charitrayam
Author(s): Jayshekharsuri, Sarvodaysagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust
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________________ - AMONTRatressNRSASTERussips श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलषमयन्तीचरित्रम् ARTestsARTISHRessagresentawerPA न हिन्दी :- फिर दमयंती अपनी परछाई देखकर ऊंचे स्वर में कहने लगी कि, "अच्छा हुआ, मैं ने अपने स्वामी को आँखो से देखा, देखा। हे स्वामी! अब कहाँ जाओगे?"७३४॥ न मराठी:- नंतर दमयंती स्वत:च्या सावलीला पाहह्न एकदम मोठ्या स्वरात म्हणाली की, "भाग्य माझे की मला तुम्ही दिसला. आता कोठे जाल?"1७३४|| English - Then Damyanti happenning to see her own shadow, said in a loud voice, that she has seen her beloved with her own eyes, then she suddenly asked the shadow as to where it was heading to. धावित्या रभसात् भूयः स्थित्वा चाशु ससीत्कृतिः॥ सबाष्पमूचे गान्धारं विखौ दर्भाङ्करैः पदौ॥७३५॥ अन्वय:- भूय: रभसात् पवित्वा आशु स्थित्वा च ससीत्कृति: सबाष्पं गान्धारम् ऊचे दर्भाधुरैः पदौ विछौ / / 735 // विवरणम्:- भूयः पुन: रभसात् वेगात् धावित्वा पलाय्य आश शीघ्रं स्थित्वा सीत्कृत्या सह वर्ततेऽसौ ससीत्कृति: बाष्पैः अश्रुभिः सह यथा स्यात् तथा सवाष्पं साश्रु गान्धारम् ऊचे बभाषे-दर्भाणां कुशानाम् अकरा: वर्भाकुराः तैः वर्भावरैः कुशाग्रैः पदौ पादौ विद्यौस्तः इति // 735 // सरलार्प:- भूयः रभसात् पावित्वा आशु स्थित्वा समीत्कृतिः सा सबाष्पं गान्धारं बभाषे - दर्भाणामरैः पदी विदौ / / 735|| ગુજરાતી - વળી એકદમ દોડીને, તથા પાછી તરત ઉભી રહીને ચિત્કાર સહિત આંસુઓ લાવીને તે ગાંધારને કહેવા લાગી કે, (અરેરે) દર્ભોના કાંટાઓથી મારા તો પગ વિંધાઈ ગયા. I૭૩પ. दी :- फिर अचानक दौडने लगी और फिर तुरंत खडी होकर चित्कार शब्द सहित आँखो में आँसु भरकर उस गांधार से कहने लगी कि, (अरेरे।) दर्माकुरों (घास के कांटों) से मेरे पैर छलनी हो गये। // 735 / / 骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗微 Jun Gun Aaradhak Trust