Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 32
________________ अवधृत काल अनशन २६ अविपाक प्रत्यधिक अवधृत काल अनशन--१६५ ब, १२०० अ। अवस्था--१.२०१ ब, पर्याय ३४५ ब, व्यवस्था अवध्या --विदेहस्थ नगरी-निर्देग ३४६० अ नाम ३६१७ अ। ३४७० ब, विस्तार ३४७६, ३४८०, ३४८१, अवस्थात्याग---व्यय १३५७ ब । अकन ३४४४, ३४६८ के सामने (चित्र स० ३७), अवस्थान-१२०२ अ, अस्तित्व १२२१ ब, उत्पादादि चित्र ३४६० अ १३५६ ब, मोक्षमार्ग ३ ३३५ ब, लोकाकाश १२२२अवध्याधिकार-३१६६ । २२४, विहार ३ ५७४ अ, स्थान ४४५२ ब । अवनति -कृतिकर्म २१३३ ब, त्रिबार २२६ अ । अवस्था प्राप्ति-उत्पाद १३५७ अ ! अवनमन -२५०६ अ। अवस्थित-१२०२ अ, परमाणु ३१६ अ । अवना-लवणा देवी ३६१४ अ । अवस्थित अवधिज्ञान--१२०२ अ, अवधिज्ञान ११८८ म, अवनिपाल ---१२०० अ। ११६१ब। अवनीत-१२०० अ। अवस्थित उग्र ऋद्धि-ऋद्धि १४४७१४५३ ब । अवपीडक-१२०० अ। अवस्थित गुणश्रेणी आयाम-१२०२ अ, श्रेणी ४८९ब । अवबोध--२२७० ब । अवस्थित बंध --१२०२ अ, बध ३८६ अ। अवमान-१२०० अ, प्रमाण ३ १४५ अ । अवस्थित भागाहार-अनुयोगद्वार ११०२ ब । अवमौदर्य-१२०० अ । अवस्थित सख्या-संख्या ४६२ अ। अवयव-१२०० ब, अनुमान १६८ ब, उपदेश १४२५ अवहार- अनुयोगद्वार ११०२ अ। अ, ब, नैयायिक दर्शन २६३३ अ, गुण २२४१, अवहार काल-अतर्मुहर्त १३० अ, काल २८१ ब । ३३१० अ, परमाण ३१८ ब, पर्याय ३४७ अ, अवाक शय्यासन तप-कायक्लेश २ ४७ ब । शरीर १२०० ब, सम्यक्त्व ३३१० अ । अवाक्-१२०२ अ। अवयवपद - उपक्रम १४१६ ब । अवाच्य- सापेक्षधर्म ११०६ अ, ४३२३ बा । अवरोहक-१२०० ब, अवतारक ११८४ ब, अवतारक अवान्तरसत्ता-अस्तित्व १२१२ ब, द्रव्य २४५५ अ, ११८४ ब, कालावधि का अल्पबहुत्व ११६१ अ। सापेक्षधर्म ११०९ अ, ४३२३ अ । अवरोहण-गुणस्थान २२४७ अ। अवाय-१२०२ अ, अवग्रह ज्ञान ११८४ अ, धारणा अवर्णवाद---१२०० ब, असुर देव १२१० ब । ज्ञान २४६१ अ, कालावधि का अल्पबहुत्व ११६०, अवर्ण्यसमा--२०१ अ। मतिज्ञान ३ २५३ अ। अवलंब-१२०१ अ। अविकल्प-१२०२ ब, ३५३७ अ, नय २.५२३ अ । अवलबना -~-१२०१ अ । अविकृतिकरण --१२०२ ब, आलोचना १२७७ अ। अवलबनाकरण---१२०१ अ। अविज्ञातार्थ-१२०२ ब । अवलंब ब्रह्मचारी-१२०१ ब, ३ १६४ अ। अविग्रह गति--३५४१ अ। अवक---काल प्रमाण २ २१६ अ) अविचलस्थिति--चारित्र २२८४ अ, निजस्वरूप अववाग-काल प्रमाण २२१६ अ। २२८४ अ। अवश--१२०१ ब, आवश्यक १२७६ व । अविचार-१.२०२ब, भक्त प्रत्याख्यान ४३८८ ब। अवश्य --आवश्यक १२८० अ । अवितथ-१२०२ ब, ३५४३ अ, श्रुतज्ञान ४६० अ। अवष्टम्भ---कर्मोदय २७१ ब । अविद्धकरण-१२०२ ब । अवसन्न -१२०१ ब, मरण ३२८१ ब । अविद्या--मिथ्यादृष्टि ३३०४ अ, सस्कार ४१५० अ । अवसन्तासन्त-१२०१ ब, परमाणु-समूह १२२४ अ, अविध्वंस --- इक्ष्वाकुवश १३३५ अ। क्षेत्रप्रमाण २२१५ अ। अविनाभाव-१ २०२ ब, व्याप्ति ३६१८ अ । अवसर्पिणी---१२०१ब, अवगाहना ११८०, आयु १२६४, अविनाभावित्व-४५३८ अ । आर्यखड १२७५ अ, काल २८८, कालपरावर्तन अविनाभावी सम्बन्ध-उपचार १४२२ ब । २८६, क्षेत्र २६२, वृद्धि हानि २६१, समवसरण अविनेय-१.२०२ ब । ४३३१ ब, सिद्धो का अल्पबहुम्व ११५३ । अविपाक-१२०३ अ, विपाक ३५५६ ब्र। अवसाय ---१२०१ ब, व्यवसाय ३६१७ अ । अविपाक प्रत्यधिक-उदय १३६५ ब, उपशम १४४२ अ, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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