Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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वैस्यमयी
वैशेषिक (दर्शन)
पर्वत का-निर्देश ३.४७५ अ, विस्तार ३.४८६, अकन । के योग्य परिणाम १.२५८ अ । इंद्र-निर्देश ४५१० ३.४६४। रुंचकवर पर्वत का-निर्देश ३.४७६ अ, ब, परिवार ४.५१३ अ, शक्ति ४५११ ब, विमान विस्तार ३.४८७, अंकन ३.४६८, ३४६६। पद्म नगर व भवन ४.५२१ अ। आदि द्रहों के-निर्देश ३.४७४ अ, विस्तार ३.४८३, वैमानिक वेव (प्ररूपणा)-बंध ३.१०२, बंधस्थान ३ ११३, अकन ३.४५४।
उदय १.३७८, उदयस्थान १.३६२ ब, उदीरणा बैर्यमयी-सुमेरु पर्वत की परिधि ३४४६ अ-ब ।
१.४११. अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४२८२, बडयसागर-दीप-नामनिर्देश ३ ४७० अ, विस्तार ३.४७८, सस्वस्थान ४.२६८, ४.३०५, त्रिसयोगीभग १४०६ ।
अकन ३ ४४३, जल का रस ३.४७० अ, ज्योतिष सत् ४.१८६, संक्या ४.६७, क्षेत्र २१६६, स्पर्शन चक्र २३४८ ब, अधिपति देव ३.६१४ ।
४.४८१, काल २.१०४, अतर १.१०, भाव ३.२२० वर्य (स्वर्गपटल)-सौधर्व पटल-निर्देश ४.५१६, अ, अल्पबहुत्व ११४५।
विस्तार ४.५१६, अकन ४.५१६ ब, देव आयु वैयधिकरण्य-३६०५ ब । १.२६६।
वैयाकरणी-३.६०५ ब, एकात १.४६५ ब । वैतरणी-३.६०४ ब । नरक की नदी-निर्देश २५७३, यावृत्ति-सल्लेखना ४.३९५ अ ।
२.५७७ ब । बौदाभिमत ३.४३४ ब, वैदिकाभिमत वैयावृत्त्य-३.६०५ ब, ३६०६ ब, अपवाद मार्ग ११२१ ३४३२ । मनुष्यलोक ३.२७५ ब ।
ब। दान २४२२ ब । वैतराणी-३.६०४ ब ।
वयावृत्त्यकरण शुद्धि-शुद्धि ४.४१ अ । बैताढ्य-३.६०४ ब, चक्रवर्ती ४.१५ ब ।
वैयावृत्त्य तप-वैयावृत्त्य ३.६०५ ब । वैतष्य --३६०४ ब, उपेक्षा १.४४४ ब, ४.४१४ ब । वैयावृत्य योगयुक्तता-३६०७ अ।। वैदर्भ-३ ६०४ ब, तीर्थकर चद्रप्रभ तथा सूविधिनाथ बैर-३६०७ ब । २३८७, मनुष्यलोक ३.२७५ अ-ब ।
वैरकुमार-३.६०७ अ । वैदिक दर्शन--३ ६०४ ब, दर्शन २.४०२ ब ।
वरगसार-इतिहास १.३४४ अ। वैदिक भूगोल-निर्देश ३.४३१ ब ।
वैरत्याग अहंतातिशय १.१३७ ब । वैदिक मूढ़ता-अमूढ़दृष्टि १.१३२ ब, मूढता ३.३१५ ब । वैराग्य-३.६०७ अ, उपदेश १.४२४ अ, उपेक्षा १.४४४ वैदिक शास्त्र-शास्त्र ४.२८ आ।
ब, करुणा २१५ ब, मिथ्यादृष्टि ३३०३ अ, राग वैदिश-३६०४ ब, मनुष्यलोक ३.२७५ ब ।
३.३९८ ब, ३.३६६ अ, साधु ४.४०६ ब । वैद्यसार-३.६०४ ब, इतिहास १.३४० ब ।
वैराग्यभावना-अनुप्रेक्षा १७८ अ, ध्येय २५०२ अ। वैद्युत-विद्याधरवंश १.३३६ अ ।
बराग्यमाला--३.६०७ ब, इतिहास १३४६ ब । वैधर्म्य-३६०४ ब, दृष्टात २४३८ अ।
वैरात्रिक-३.६०७ ब, कतिकर्म २१३७ ब । वैनयिक-३.६०५ अ, मिश्रगुणस्थान ३३०८ ब, श्रुतज्ञान
3..अ मिश्रणस्थान 3300 श्रतज्ञान वैरिसिंह--३६०७ ब । ४.६६ ब।
। वैरोचन-अनुदिश स्वर्ग विमान-निर्देश ४.५१९ अ, वैनयिक मिथ्यात्व-वैनयिक ३.६०५ अ ।
विस्तार ४५१६ अ, अंकन ४५१५, ४.५१७, आयु वैनयिकी ऋद्धि-ऋद्धि १४४८, १.४५० अ ।
१२६६ । असुरेद्र-निर्देश ३२०८ अ, परिवार वैभाविक भाव-विभाव ३ ५५७ ब।
३.२०६ अ, अवस्थान ३.२०६ ब, आयु २.२६५।। वैभाविकी क्रिया-विभाव ३.५५७ ब ।
बैरोटी-३.६०७ब, तीर्थंकर अनतनाथ की यक्षिणी वैभाविकी शक्ति-विभाव ३५५७ ब, ३.५५८ अ।
२३७९, विद्या ३.५४४ अ। वैभाषिकी-बौद्धदर्शन ३१८६ ब ।
बैलक्षणा-वैमानिक इद्रो की वल्लभिका देवी ४.५१३ व। बैमनस्क-३.६०५ ब, नरकपटल-निर्देश २५८० अ,
वैवस्वत यम-३.६०७ ब । विस्तार २.५८० अ, अकन ३४४१ । नारकी-अव वैश-विशद ३.५६७ अ । गाहना १.१७८, आयु १.२६३।।
बैशाख-३.६०७ ब । वैमानिक देव-निर्देश ३.४४५, २२४४ ब, ४.५१० अ, वैशेषिक (दर्शन)-३.६०७ ब, एकांत १.४६५ अ ।
अवगाहना १.१८०, अवधिज्ञान ११६७ अ, ११६८, १.४६६ अ, दर्शन २.४०३ अ, द्रव्य २.४५८ अ,' आत्मरक्ष १.२४३ ब, आयु १.२६६-२६६, आयुबध वैशेषिक ३.६०८ मा
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