Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 288
________________ सुह्म २८२ सूक्ष्म-सूक्ष्म स्कंध सुह्म-४.४३८ अ, मनुष्यलोक ३.२७५ ब । सूक्ष्म प्राभृत दोष - आहार १.२६० ब । सू-सूक्ष्म की सहनानी २ २१६ अ, सूच्य गुल की सहनानी। सूक्ष्म-बादर-स्कंध-स्कध ४४४६ ब। २२१६ ब । सूक्ष्म राग-राग ३.३६६ अ। सू-प्रतरागुल की सहनानी २ २१६ ब। सूक्ष्म लोभ-सूक्ष्मसापराय ४४४१ ब । सू-घनागुलकी सहनानी २ २१६ ब । सूक्ष्म व्रत-व्रत ३ ६२७ ब । सूकरिका-४४३८ अ, मनुष्यलोक ३२७६ अ । सूक्ष्मशरीर नामकर्म प्रकृति -प्ररूपणा~प्रकृति ३५८. सूक्ष्म--४.४३८ अ, जीव २३३३ ब, पर्याय ३४७ ब, २५८३, स्थिति ४ ४६३, अनुभाग १.६५, प्रदेश श्रद्धान ४४५ अ, सहनानी २२१६ अ, सूक्ष्म ४४३६ ३१३६ । बध ३६७, बंधस्थान ३११०, उदय ब, ४.४०० ब, स्कंध ४.४४६ अ-ब । १३७५, उदयस्थान १.३६०, उदीरणा १४११ अ, सक्ष्म अनुमान लिंग - अनुमान १६८ अ। उदीरणास्थान १४१२, सत्व ४२७८, सत्त्वस्थान सुक्ष्म आलोचना-आलोचना का दोष १.२७७ ब । ४.३०३, त्रिसयोगी भग १४०४ । सक्रमण ४.८५ सूक्ष्म ऋजुसूत्र नय-नय २५३५ अ । अ, अल्रबहुत्व १ १६८। सक्ष्म कषाय-सूक्ष्म सारराय ४.४४१ ब । सूक्ष्म सांपराय (गुणस्थान)-४४४१ अ, अनिवृत्तिकरण सक्ष्मकायिक जीव-अप्रतिघाती १.२२३ ब, अहिंसा १.६८ अ, आरोहण-अवरोहण २ २४७ अ, ईर्यापथ १२१७ ब, आयु १२६४, काय २.४४, जीव २३३३ १३४६ अ, करणदशक २६ अ, कषाय २४० ब, ब, जीवसमास २.३४३, निगोद ३.५०८, वनस्पति काय २.४५ ब, कालावधि का अल्पबहुत्व १.१६० ब, ३५०३, मूक्ष्म ४४३८ अ। प्ररूपणा -बंध ३१०४, छेदोपस्थापना २३०८ ब, परिषह ३.३४ अ, प्रदेश बधस्थान ३.११३, उदय १३७६, उदय की विशेषता निर्जरा का अल्पबहुत्व ११७४, बधक ३.१७६ अ, १३७३ अ, उदयस्थान १.३९२ ब, उदीरणा १४११ लब्धिस्थानो का अल्पबहुत्व १.१६०, सक्रमण ४८६ अ, उदीरगास्थान १४१२, सत्त्व ४२८२, सत्त्वस्थान अ, सिद्धो का अल्पबहुत्व १.१५३, सूक्ष्मकृष्टि २.१४३ ४ २६६, ४ ३०५, त्रिसयोगी भंग १४०६ ब । सत् अ। ४२०१, सख्या ४१०१, क्षेत्र २ २०१, स्पर्शन सक्षमसांपराय गणस्थान प्ररूपणा --बंध ३६७, बंधस्थान ४४८४, काल २.१०६, अतर १.१२, भाव ३ २२० ३ ११०, उदय १३७५, उदयस्थान १४०६ अ, उदीब, अलबहुत्व १.१४६ । रणा १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व सूक्ष्म कृष्टि-उपशम १.४४१ अ, कृष्टि २१४२ ब, यक्ष ४ २७६, सत्त्वस्थान ४ २८६, ४३०४, विसयोगी भग (चारित्रमोह क्षपणा) २१८० ब, सूक्ष्मसापराय १४०६ अ। सत् ४१६४, सक्रमण ४.९४, क्षेत्र ४४४१ ब, ४.४४२ अ। २१६७, स्वर्शन ४.४७७, काल २.१००, अतर सूक्ष्मक्रिया अप्रतिपानी-शुक्लध्यान ४.३४ ब, ४ ३६ ब। १.७, भाव ३ २२२ ब, अल्पबहुत्व १.१४३ । सूक्ष्म क्षेत्रफल-गणित २२३२ ब । सूक्ष्मसापराय चारित्र-सूक्ष्मसापराय ४४४१ अ। सूक्ष्म जीव-दे० सूक्ष्मकायिक । सूक्ष्मसापराय बध -बध ३.१७६ अ । सूक्ष्मता-पर्याय ३,४८ ब । सूक्ष्मसांपराय बंध - बंध ३.१७६ अ। सक्ष्मत्व गण-मोक्ष ३ ३२५ ब, ३ ३२६ अ, सूक्ष्म सक्ष्मसापराय शद्धि संयत-सूक्ष्मसापराय ४४४१ ब, ४.४३६ अ। सूक्ष्मसापराय सयम - सूक्ष्मसापराय ४४४१ अ । प्ररूपणा सूक्ष्म दोष- आलोचना १२७७ ब, आहार १२६० ब, बंध ३.१०६, बंधस्थान ३.११३, उदय १३८३, उद्दिष्ट १४१३ अ। उ यस्थान १ ३६३ अ, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणासक्ष्मनिगोद वर्गणा -वनस्पति ३५०५ ब, वर्गणा स्थान १.४१२, सत्त्व ४२८३, सरवस्थान ४.३०१, ३.५१३ अ, ३.५१५ ब, ३.५१६ अ, ३५१७ ब, ४३०६, त्रिमंयोगी भग १४०७ ब, सत् ४२३८ ३.५१८ अ। सख्या ४ १०७, क्षेत्र २ २०५, स्पर्शन ४४८६, काल सूक्ष्म पदार्थ - श्रद्धान ४,४५ अ । २ ११४, अन्तर ११६, भाव ३.२२१ अ, अल्मबहुत्व सुक्ष्म परिधि गणित २ २३२ ब । सूक्ष्म पर्याय पर्याय ३ ४७ ब । सूक्ष्म-सूक्ष्म स्कंध-स्कध ४.४४६ ब । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307