Page #1
--------------------------------------------------------------------------
________________
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
[पंचम भाग]
शब्दानुक्रमणिका
Page #2
--------------------------------------------------------------------------
________________
मर्तिदेवी जैन ग्रन्थमाला सस्कृत ग्रन्थाक-48
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
[ पंचम भाग] शब्दानुक्रमणिका
क्षु. जिनेन्द्र वर्णी
INSTA -माला
भारतीय ज्ञानपीठ चतुर्थ संस्करण : 2003 0 मूल्य : 130 रुपये
Page #3
--------------------------------------------------------------------------
________________
ISBN 81-263-0763-3 (Set)
81-263-0833-8 (Part-v)
भारतीय ज्ञानपीठ (स्थापना फाल्गुन कृष्ण 9, वीर नि स 2470, विक्रम स 2000, 18 फरवरी 1944)
पुण्यश्लोका माता मूर्तिदेवी की स्मृति मे साहू शान्तिप्रसाद जैन द्वारा सस्थापित
एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती रमा जैन द्वारा सम्पोषित
मूर्तिदेवी जैन ग्रन्थमाला इस ग्रन्थमाला के अन्तर्गत प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश, हिन्दी, कन्नड़, तमिल आदि प्राचीन भाषाओ में उपलब्ध आगमिक, दार्शनिक, पौराणिक, साहित्यिक, ऐतिहासिक आदि विविध विषयक जैन साहित्य का अनुसन्धानपूर्ण सम्पादन तथा उनके मूल और
यथासम्भव अनुवाद आदि के साथ प्रकाशन हो रहा है। जैन-भण्डारो की ग्रन्थसूचियाँ, शिलालेख-सग्रह, कला एवं स्थापत्य पर विशिष्ट विद्वानों के अध्ययन-ग्रन्थ और लोकहितकारी जैन साहित्य ग्रन्थ भी
इस ग्रन्थमाला में प्रकाशित हो रहे हैं।
प्रधान सम्पादक (प्रथम सस्करण) डॉ हीरालाल जैन एव डॉ आ ने उपाध्ये
प्रकाशक
भारतीय ज्ञानपीठ 18, इन्स्टीट्यूशनल एरिया, लोदी रोड, नयी दिल्ली-110 003
मुद्रक बी के ऑफसेट, दिल्ली-110032
© भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा सर्वाधिकार सुरक्षित
Page #4
--------------------------------------------------------------------------
________________
Moortidevi Jain Granthamala Sanskrit Grantha No 48
JAINENDRA SIDDHĀNTA KOSA
[PART-VI
INDEX
by
Kshu. JINENDRA VARNI
SAMT
BHARATIYA JNANPITH
Fourth Edition : 2003
Price: Rs. 130
Page #5
--------------------------------------------------------------------------
________________
ISBN 81-263-0763 - 3 (Set)
81-263-0833 - 8 (Part-V)
BHARATIYA JNANPITH
(Founded on Phalguna Krishna 9, Vira N Sam 2470, Vikrama Sam 2000, 18th Feb 1944)
MOORTIDEVI JAIN GRANTHAMALA
FOUNDED BY
Sahu Shanti Prasad Jain In memory of his illustrious mother Smt. Moortidevi
and promoted by his benevolent wife
Smt. Rama Jain
In this Granthamala critically edited Jain agamic, philosophical, puranic, literary, historical and other original texts in Prakrit,
Sanskrit, Apabhramsha, Hindi, Kannada, Tamıl etc are being published in the original form with their
translations in modern languages
Catalogues of Jain bhandaras, inscriptions, studies on art and architecture by
competent scholars and popular Jain literature are also being published
General Edutors (First Edition) Dr Hiralal Jain and Dr A N Upadhye
Published by
Bharatiya Jnanpith 18, Institutional Area, Lodi Road, New Delhi-110003
Printed at BK Offset, Delhi-110 032
© All Rights Reserved by Bharatiya Jnanpith
Page #6
--------------------------------------------------------------------------
________________
प्रकाशकीय
जैन धर्म-दर्शन के प्रखर तत्त्ववेत्ता श्रद्धेय क्षु जिनेन्द्र वर्णी जी द्वारा लिखित 'जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश' भारतीय ज्ञानपीठ ने चार भागो मे पहली बार सन् 1971-73 मे प्रकाशित किया था। प्रस्तुत ग्रन्थ उक्त चारो भागो की शब्दानुक्रमणिका (इण्डेक्स) के रूप मे पाँचवाँ खण्ड है। वैसे देखा जाए तो कोश अपने-आप मे शब्दानुक्रम के रूप मे ही होता है, फिर भी इस इण्डेक्स की अपनी विशेष उपयोगिता है। उदाहरण के लिए, 1 कोश मे शब्द विशेष के विवेचन मे प्रसगवश अनेक ऐसे शब्दो का भी उल्लेख है, जिन्हे मुख्य शब्द के रूप मे नही रखा गया, मात्र सन्दर्भ के रूप मे ही उनका प्रयोग हुआ है, 2 अनेक ऐसे शब्द भी है जिनका प्रयोग प्रसगत अनेक बार अनेक सन्दर्भो मे हुआ है, साथ ही, 3 ऐसे भी अनेक शब्द है जिनकी प्ररूपणाओ के सन्दर्भ एक-साथ,एक-जगह न होकर ग्रन्थ मे यत्र-तत्र फैले हुए है। इन सब बातो को ध्यान में रखकर वर्णी जी ने पूरे कोश की शब्दानुक्रमणिका जैसे श्रमसाध्य कार्य को भी अपने जीवन-काल के अन्तिम दिनो मे पूरा कर दिया था। वर्णी जी ने यह शब्दानुक्रमणिका कोश के प्रथम सस्करण के आधार पर बनायी थी, लेकिन बाद मे जो सस्करण निकले उनमे सशोधन-परिवर्तन के कारण चारो भागो की पृष्ठ-सख्या मे अन्तर आ गया । अत यहाँ यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि यह शब्दानुक्रमणिका कोश के द्वितीय और उसके बाद के सस्करणो पर आधारित है। प्रथम सस्करण से इसकी पृष्ठ-सख्या मेल नहीं खाएगी। शब्दानुक्रम (इण्डेक्स) देखते समय पाठको को द्वितीय आदि सस्करण को ही ध्यान मे रखना होगा । इस शब्दानुक्रमणिका (इण्डेक्स) मे दिये गये शब्द के सन्दर्भ का पहला अक कोश के भाग का सूचक है । बिन्दु के बाद के अक उस भाग की पृष्ठ-सख्या के सूचक है । 'अ' का अर्थ उस पृष्ठ का पहला कॉलम है और 'ब' का अर्थ दूसरा कॉलम | जैसे 'केवली-- 2 155 अ' का तात्पर्य है कि 'केवली' शब्द के लिए देखे द्वितीय भाग के पृष्ठ 155 का पहला कॉलम। हमारे विशेष अनुरोध पर श्री अरहत कुमार जैन (वाराणसी) ने इस शब्दानुक्रमाणिका के सशोधन कार्य-द्वितीय आदि सस्करण के अनुरूप पृष्ठ-सख्या शुद्धि के कार्य मे अथक परिश्रम किया है। जैनेन्द्र वर्णी ग्रन्थमाला, पानीपत के प्रबन्धक श्री सुरेश कुमार जैन ने भी इस दिशा मे हमे पर्याप्त सहयोग दिया है। भारतीय ज्ञानपीठ की ओर से इन दोनों सहयोगी बन्धुओं के प्रति हम विशेष आभारी है।
-प्रकाशक
Page #7
--------------------------------------------------------------------------
________________
जैनेन्द्र कोश शब्दानुक्रमणिका (क्षु. जिनेन्द्र वर्णी)
यदीया वाग्गंगा विविधनयकल्लोलविमला, बृहज्ज्ञानाभोभिर्जगति जगता या स्नयपति । इदानीमप्येषा बुधजनमरालैः परिचिता, महावीर स्वामी नयनपथगामी
भवतु मे ॥
अ
अंक
१ - १.१ अ । चित्रा पृथिवी ३.३८९ ब । सौधर्म स्वर्ग पटल - निर्देश ४.५१६, विस्तार ४.५१६, अकन ४५१६, ब, आयु १.२६६ । अनुदिश स्वर्ग श्रेणीबद्ध - निर्देश ४५१६ अ, अकन ४५१६, आयु १२६६ । अक ( कूट ) - १.१ अ । कुण्डलवर पर्वत का निर्देश ३ ४७५ ब, विस्तार ४८७, अंकन ३.४६७ । मानुषोत्तर पर्वत का –निर्देश ३.४७५ अ, विस्तार ३४८६, अकन ३.६४ । रुचकवर पर्वत का निर्देश ३ ४७६ अ, विस्तार ३४८७, अकन ३.४६६ । अंकगणना - १.१ अ ।
अंकगणित -- १.१ अ ।
अंकगति - वाम दिशा से २.२२२ अ ।
अंकप्रभ - १.१ अ । कुण्डलवर कूट -- निर्देश ३.४७५ ब, विस्तार ३.४८७, अकन ३.४६७ ।
अक्रमय - १.१ अ । पद्मद्रह कूट- निर्देश ३ ४७४ अ, विस्तार ३४८३, अकन ३४५४ ।
अकुरारोपण - इन्द्रनन्दि १.२६६ व । अंकुरार्पण यंत्र - ३. ३४८ ॥
अकुश रचना - अध. प्रवृत्तकरण २.८ व २.६ अ । अंकुशित - ११ अ वन्दना दोष ३.६२२ ब । अंक, को. को. - अन्तः कोटाकोटी २.२१८ ब । अंग - १ १ अ । अनुमान १.६८ ब, उपदेश १. ४२५ अ,
देश ३ २७५ ब, पूजा ३८० ब, वानर वंश १.३२८ ब, शरीर १.१ ब, श्रुतज्ञान ४.६७ ब, सम्यक् चारित्र २२८२ अ, सम्यग्ज्ञान २ २६३ अ, सम्यग्दर्शन ४ ३५० ब, सेना ४. ४४४ अ ।
अंगज्ञान - ११ अ ।
अंगज - ४२६ अ 1
अंगद - १.१ अ, वानरवश १.३३८ ब । अंगधर - मूलसघ १३१६-३१७ । अंगनिमित्त ज्ञान - २६१२ ब ऋद्धि १.४४८ । अंगणत - १.१ अ इतिहास १ ३४६ न । अंगप्रविष्ट - ४६७ अ, ब ।
अगबाह्य-- ४.६७ ब ।
अंगभूत - ४६७ अ ।
अगांशधर - मूलसंघ १.३८७, ३२२ब १. परि. / २.२ । अंगार -- १.१ ब । देश ३.२७५ ब । अंगारक - १.१ ब । देश ३.२७५ अ । अंगारदोष - आहार १. २६२ अ । अंगारिणी - १.१ ब । विद्या ३. ५४४ अ । अंगावर्त - १.१ ब । विद्याधर नगरी ३.५४५ अ ।
अकमल - १.१ अ ।
अकलेश्वर - १.१ अ ।
मंका - विदेहस्थ नगरी - नाम निर्देश ३.४७० ब, स्वरूप निर्देश ३.४६० अ, विस्तार ३.४७६-४८१, अकन ३.४४४, ३ ४६४ के सामने, चित्र ३.४६० अ । अंकावती --- १.१ अ । विदेहस्थ नगरी - नाम निर्देश ३.४७० ब, स्वरूप निर्देश ३.४६० अ, ४६५ के सामने, विस्तार
३.४७९-४८१, अंकन ३.४४४, चित्र ३.४६० अ Private & P अंगिरा ४.३६८ ब ।
Jain Education Internation
Page #8
--------------------------------------------------------------------------
________________
गिरियक
अतर
अंगिरेयक-पर्वत ३.२७५ ब ।
अंजना (नरकगति प्ररूपणा)-बन्ध ३.१००, बन्धस्थान अंगल-११ ब । क्षेत्र प्रमाण २.२१५ अ ।
३ ११३, उदय १.३७६, उदय स्थान १.३६२, अगलीचालन-१.१ ब । व्युत्सर्ग तप का दोष ३.६२२ अ । उदीरणा १४११, उदीरणा स्थान १.४१२, सत्त्व अंगोपांग-११ ब।
४.२८१, सत्त्वस्थान ४.२६८, ४.३०५, विसंयोगी अंगोपांग नाम में प्रकृति-११ ब; प्रकृति २.५८३ अ,
भग १४०६ । सत् ४१७०, सख्या ४.६५, क्षेत्र ३.६५ ब, स्थिति ४४६४, अनुभाग १.६५, प्रदेश
२.१६७, स्पर्शन ४४७६, काल २.१०१, अन्तर १८, ३ १३६ अ, बन्ध ३६८, बन्ध स्थान ३.११०, उदय
भाव ३,२२० अ, अल्पबहुत्व१.१४४ अ । १३७४ अ, ३७५, उदय स्थान १.३६०, उदीरणा
अंजना पवनंजय-इतिहास, १३४४ अ। १४११, उदीरणा स्थान १.४१२, सत्त्व ४२७८, __ अंजली-प्रमाण १४७२ अ । सत्त्व स्थान ४.३०३, त्रिसयोगी स्थान १.४०४ अ, अजसा-१.२ अ । सक्रमण ४८४ ब । अल्पबहुत्व ११६६ अ।
अंजुका-इन्द्राणी ४५१३ ब । अंजन-१२ अ। चित्रा पथिवी ३.३८६ ब। देवकूर अंड--१२ अ ।
का दिग्गजेन्द्र-निर्देश ३.४७१ ब, विस्तार ३४८३, अंडज---जन्म १.२ अ । वस्त्र ३.५३१ अ । ४८५, ४८६, अकन ३.४४४ । पाण्डुक वन मे यम अंडर-१.२ अ, वनस्पति ३.५०६ ब, ३.५१० अ। देव का भवन ३ ४५० ब । प्रतिष्ठा-मण्डप का द्वार- अंडा-उत्पत्ति ३.५८७ ब । पाल देव ३४६१ ब। वरुण लोकपाल का यान
अंतःकरण-१.२ ब । मन ३.२७० अ, ३.२७१ अ । ४५१३ अ । सनत्कुमार स्वर्ग का पटल-निर्देश
अंतःकोटाकोटी-१.२ ब, सहनानी २.२१८ ब । ४५१७, विस्तार ४.५१७, अकन ४५१५, आयु
3 अंत -१२ ब, गणित २२६ ब, २२३० ब, गणहानि १२६७ ।
२.२३२ अ । नरक पटल-निर्देश २.५८० ब, अंजन (कूट) -१२ अ । मानुषोत्तर-निर्देश ३.४७५ अ,
विस्तार २.५८० अ, अकन ३.४४१ । नारकीविस्तार ३४८६, अकन ३.४६४ । रुचकवर-निर्देश
अवगाहना १.१७८, आयु १.२६३। परमाणु ३.१६ ३.४७६ अ, विस्तार ३४८७, अकन ३.४६८,४६६ । अजनगिरि-१२ अ । नन्दीश्वर द्वीप मे--निर्देश ३ ४६३
अंतकाल ---४.३८५ ब। ब, विस्तार ३.४८७, वर्ण ३४७८, अकन ३४६५, चित्र ३.४६५ । रुचकपर्वत का दिग्गजेन्द्र ३ ४७६ ब।
अंतकृत-१.२ ब, केवली १.२ ब, २.१५७ अ, दशाग
१२ व, ४६८ अ। अजनमूल-१.२ अ । चित्रा पृथिवी ३.३६१ अ।
अंतडी-१.२ ब, औदारिक शरीर १.४७२ ब । अंजममूल (कूट)-मानुषोतर-निर्देश ३.४७५ अ, विस्तार ३४८६, अकन ३ ४६४ । रुचकवर-निर्देश
अंतधन-गणित २.२३० ब । ३.४७६ अ, विस्तार ३४८७, अक ३.४६८,
अंतप-मनुष्य लोक ३.२७५ ब । ४६६ ।
अंतमति--सल्लेखना ४.३०५ ब । अजनमूलक-१.२ अ ।
अंतरंग-१.२ ब, उपयोग २.४०६ ब, कारण २.६२ अ, अंजनवर--१.२ अ। सागर द्वीप -निर्देश ३४७० अ, २७२ ब, चिह्न २.४७८ ब, छेद १२१६ ब,
विस्तार ३.४७८, अकन ३ ४४३, जल का रस ३.४७० २३०६ ब, ३ २६ अ, ४.५३३ ब, जल्प ३.५४३ अ,
अ, ज्योतिष चक्र २३४४ ब, अधिपति देव ३ ६१४ । तत्त्व ३.३३६ अ, तप २.३६१ अ, त्याग ३.२७ ब, अंजन शैल-१२ अ । वक्षार गिरि-निर्देश ३.४६० अ, ३.२८ ब, धर्मध्यान २.४६५ ब, परिग्रह ३.२७ ब,
नाम निर्देश ३४७१ अ, विस्तार ३४८२, ३.४८५, ३२८, ३२६ अ, प्रत्यय ३.१२५ ब, प्रमेय ३४८६, अकन ३.४४४, ३४६४ के सामने, वर्ण ३.१४४ अ, प्रायश्चित्त ३१५८ब, शुद्धि ३.२९ अ, ३४७७ ।
हिंसा ४.५३६ अ । अजना-१.२ अ । चतुर्थ नरक-निर्देश २.५७६ अ, अंतर--१.२ ब, अनुयोगद्वार १.१०२ अ, १.१०३ अ,
पटल इन्द्रक श्रेणीबद्ध २ ५७८, २५८०, विस्तार गति परिवर्तन १.५ अ, साता असाता ३.५६२ ब । २.५७६, २.५७८, अंकन ३.४३६, ३.४४१ । प्ररूपणा-ओघ आदेश १.७-२२, अनन्तानुबन्धी नारकी-अवगाहना १.१७८, अवधिज्ञान १.१९८, १.६१ ब, उदीरणा १.४१२, उपशम १.४३८, आयु १.२६३ ।
स्थितिबन्ध ४.४५८ब, स्वामित्व सन्निकर्ष १.२४ ।
Page #9
--------------------------------------------------------------------------
________________
अकपनाचार्य
mm
अतरकरण
अंतरकरण-१.२५ अ, उपशम विधान १.४३८ ब, अंतश्चित्प्रकाश-दर्शनोपयोग २४०६ ब, २.४०७ अ। चारित्रमोह क्षपणा २.१८० अ।
अतस्तत्त्व- तत्व २.३५३ ब। अंतरकृष्टि-१२७ अ, कृष्टि २.१४० अ, ब, चारित्र अंतिम गुणहानि-गणित २.२३२ अ। मोह क्षपणा २.१८०ब।
अतिमतीर्थ-कृतिकर्म २१३४ अ, समवसरण ४३३१ ब । असरद-१.२७ अ, ग्रह २.२७४ अ।
अत्यसौम्य---सूक्ष्म ४.४३८ ब । अंतरनिवासी देव-व्यन्तर देव -आयु १२६४ व । अत्यस्थौल्य -४४३६अ। अंतरात्मा---१२७ अ, आत्मा १२४४ ब, जीव अध --.१ ३. अ, नरक पटल-निर्देश २ ५८० अ, विस्तार
२३३३ अ, ब, त्याग-ग्रहण ३ ३०५ ब, भव्य २.५८० अ, अवगाहना ११७८, आयु १.२६३ । ३२१३ अ, शास्त्रज्ञान २.२६७ ब।
अधपाषाण-३.२१२ अ। अंतरानयोग द्वार-११०२ अ, काल २६४ अ । अधश्रद्धान---४ ४४ अ। अंतराय (आहार)-१.२७ ब ।
अधहस्ती न्याय--एकान्त १४६३ ब। अंतराय कर्म प्रकृति--१२७ ब, अघातीवत १९१ अ, अंधेद्रा नरक पटल-निर्देश २५८० अ, विस्तार
आबाधा १.२४६ अ । प्ररूपणा-प्रकृति १२७, २५८० अ, अवगाहना ११७८, आयु १२६३ । ३८८, स्थिति ४,४६७, अनुभाग १.६४ ब, ९५, अंध्र--नगरी १.३० ब । अनुभाग का अल्पबहुत्व १.१६७ अ, ११६६ ब, अंधकरूढि-१३० अ, वानरवश ६.३३८ ब। प्रदेश ३.१३६ । बन्ध ३६७, बन्धस्थान ३११०, अंधकवृष्णि -१.३० अ, यदुवंश १३:६, हरिवश उदय १३७५, उदय के निमित्त १.३६७ व, उदय १.३४० अ। स्थान १.३८७ ब, उदीरणा १.४०० अ, १.४११, अंबर -- १३० व । उदीरणा स्थान १.४१२, सत्त्व ४.२८१, सत्त्वस्थान अंबरतिलक -१३० व, विद्याधर नगरी ३ ५४५ ब । ४.२९४, त्रिसंयोगी भंग १४०१ अ, १३६६ ब। अंबरीष-१३० ब । अध्यवसाय स्थान १६५, ३.१३८ अ, अल्पबहुत्व अवर्णा -१.३० ब । नदी ३.२७६ अ । ११६७ अ, सक्रमण ४.८५ ब।
अबा-कुरुवश १ ३३६ अ, व्यतर गणिका ३.६११ ब । अंतरायाम-अन्तरकरण १२५ अ, १२६ ब, १.२७ अ, अबालिका -कुरुवंश १.३३६ अ । उपशम १.४४१ अ।
अंबिका- कुरुवश १.३३६ अ । नव नारायण ४१८ । अंतरिक्ष निमित्तज्ञान--२.६१२ ब, ऋद्धि १.४४८ ।
अंबुवात-: ५३२ अ। अंतरिक्ष स्थिति-अहंन्नातिशय ११३८ ।
अंभोद-राक्षस वंश १.३३८ अ। अंतरित-श्रद्धान ४.४५ अ ।
अंभोधि- यदुवश १.३३७। अंतर्वीप--१.२६ व । कुमानुष द्वीप-निदेश ३.४६२ ब, अंश--१३० ब, उत्पादादि १३५८ अ, ३६१ब, केवलज्ञान विस्तार ३.४४६, अकन ३४४४, ३.४६१,३४६४ के
२.२५६ ब-२६०, गणित २२२३ ब, गुण २.२४१ सामने । कालविभाग २.६३, भोगभूमि २.४६२ ब । अ, ज्ञान २.२५६ ब, चारित्र २.२६३ ब, परमाणु चक्रवर्ती का वैभव ४.१३ व। म्लेच्छ--निर्देश ३१७ म, पर्याय ३.४५ ब, बन्ध ३३३४ अ, भेद ३.२७३ ब, ३३४५ ब, ३३४६ अ, अवगाहना विज्ञान ३.३३४ अ, मोक्ष ३३३४ अ, राग १.४३२ १.१८०, आयु १.२६४ अ, गुणस्थान ३.२३६ अ। अ, ब, ३.३०५ ब, सवर ४१४३ ब, सम्यक्त्व बौद्धाभिमत ३.४३४ ब।
३.३०६ अ, ३१० अ। अंतर्धान ऋद्धि-ऋद्धि १.४४७, १.४५१ ब ।
अंश कल्पना-१३० ब, विकलादेश ३.५३६ ब । अतपण्ड्य -१.२६ ब, मनुष्यलोक ३२७५ ब ।
अंशपना--३ १८ ब। अंतर्मग्न-मोक्षमार्ग ३.३३७ ब।
अंशमान-विद्याधर वश १.३३६ अ । अंतर्मखचित्प्रकाश-दर्शनोपयोग २४०६ ब, २.४०७ अ, अ-असज्ञी २.२१६ अ। अंतर्महत-१.३० अ, काल का प्रमाण २.२१६ ब, अकंप-यदुवश १३३७ । सहनानी २.२२० अ।
अकंपन-१३० ब, गणधर २.२१३ अ, राज्यवश १.३३५ अंतविचारिणी-१.३० अ, विद्या ३५४४ अ ।
अ, यदुवंश १.३३७ । अतस्थिति- अन्तरकरण १.२५ ब, सक्रमण ४.८९ ब। अकंपनाचार्य-१३० न, विष्णुकुमार १.३३६ अ।
Page #10
--------------------------------------------------------------------------
________________
अकबर
अखड
अकबर-१३० ब। अकम्प-दे० अकप: अकम्पन-दे० अकंपन । अकम्पनाचार्य-दे० अकपनाचार्य । अकरण-उपशम १४३७ अ। अकर्तव्य-धर्म २४७१ ब।। अकर्ता-एकान्तवाद २३४४ ब, कर्ताकर्म २.२४ ब, ज्ञानी
२.२६६ अ, ज्ञानचेतना २२६८ ब, ३००, राग
३ ३६६ अ, सम्यग्दृष्टि ४३७६ अ । अकर्तत्व-कर्ताकर्म २.२४ ब, शक्ति १.३० ब, नय
२.५२३ ब । अकर्म-उदय १३६६ ब । अकलक-चन्द्र १.३२३ ब, विद्य १३० ब, १३२५
१३३२ अ, भट्ट १३१ अ, मूलसघ १.३२२ ब,
इतिहास १.३३४ अ, १.३४७ ब । अकलक स्तोत्र-१.३१ अ, अकलक १.३१ अ, आगम
परम्परा १३४१ ब । अकषाय-कषाय २.३६ २ । अकषाय वेदनीय-३ ३४४ अ । अकषायी-उदय १.३८२, उदयस्थान १३६२, उदारणा
१.४११, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४२८६, सत्त्वस्थान ४.३००, ४.३०५, ' त्रिसयोगी भग १.४०६ । सत् ४.२३२, संख्या ४१०५, क्षेत्र २.२०४, स्पर्शन ४.४८८, काल २.११३, अन्तर
१.१५, भाव ३.२२१ अ, अल्पबहुत्व १.१५० अ। अकाम निर्जरा-२.६३२ ब। अकाय-सिद्ध-निर्देश २.४४, ४५ अ, जीवसमास
२३४२ । अल्पबहुत्व १.१४७ ब, सत् ४.२११ । अकार--३ ५२५ ब। अकार्यकारणशक्ति-१.३१ अ। अकाल नय--१.३१ अ, नय २५२३ ब । अकालमृत्यु-३२८४ अ । अकालवर्ष--१.३१ अ, राष्ट्रकूट वश १३१५ अ, ब । अकालाध्ययन-१.३१।। अकालुष्य-शुभोपयोग १४३४ ब । अकिंचित्कर-कारण २.६८ अ। अकिंचिकर हेस्वाभास-१.३१ अ। अकुशलानु बन्धा-२.६२२ ब । अकृत-१.३१ ब। अकृतिधारा-गणित २.२२६ अ। अकृतिमातकाधारा-गणित २.२२६ अ ।
अकृत्रिम गह-वसतिका ३.५२७ ब, ५२८ अ । अकृत्रिम चैत्यालय-२.३०४ अ। अक्रम-अनेकान्त ११०५ ब, २.१७२ ब, गुण २.१७२
__ अ, केवलज्ञान २१४६ ब, योगस्पर्धक ३३८३ ब । अक्रमवर्ती-२.१७२ ब । अक्रमानेकान्त-११०५ व, २१७२ ब । अक्रियवान-१३२ अ । अक्रियावाद-१३१ ब, एकान्त १.४६५ अ। अक्रियावादी–चार्वाक २.२६४ ब । अवर --- यदुवश १.३३७ । अक्ष-१३२ अ, गणित २२२६ अ, ब, ग्रह २.२७४ अ,
निक्षेप २५९८ ब, सुविधिनाथ २.३८४ । अक्षकर्म-२२६ अ। अक्षत-पूजा ३७८ ब । अक्षपाद ~परवाद ३ २३ अ, गौतम २.६३४ अ । अक्षमाला--अकम्पन १३० ब । अक्षमृक्षण---३ २२६ ब । अक्षमृक्षण वृत्ति-१३२ अ । अक्षयनिधिव्रत-१३२ अ । अक्षयफल दशमीव्रत-१.३२ अ। अक्षयानन्त-३ ३३२ अ। अक्षयी--कुरुवश १.३३६ अ । अक्षर--१.३२ ब, आगम १.२२८ ब, केवलज्ञान ४.६५
अक्षरज्ञान--१.३३ ब, श्रुतज्ञान ४.६५ अ, ६६ अ। अक्षरसमास --१.३३ ब। अक्षरसमास ज्ञान-४.६५ अ। अक्षरात्मक-श्रुतज्ञान ४.५६ ब, शब्द ६.२२६ ब । अक्षसंचार- १.३३ ब, गणित २.२२६ अ । अक्षांश-१.३३ ब । अक्षिप्र-१.३३ ब, ज्ञान ३.२५६ अ । अक्षीण महानस-ऋद्धि १४४७, १४५६ ब । अक्षीण महालय-ऋद्धि १.४४७, १.४५६ ब । अक्षीण परिभ्रमण १३३ ब । अक्षेत्रवान्-द्रव्य २.४५६ ब। अक्षेम-२२०६अ। अक्षोभ-१.३३ ब, विद्याधर ३५४६ अ । अक्षोभ्य-यदुवश १.३३७, विद्याधर ३.५४६ अ । अक्षौहिणी-१.३३ ब । सेना ४.४४४ अ । अखंड-१३३ ब, परमाणु ३ १८ ब, द्रव्य १२२१ ब । अखड-नरक पटल-निर्देश २.५८० अ, विस्तार २.५८०
अ, अकन ३.४४१, नारकी-अवगाहना १.१७८,
Page #11
--------------------------------------------------------------------------
________________
अखण्ड
आयु १-२६३ ।
अखंड दे० अखड ।
अखोभिनी संख्या प्रमाण २.२१४ व
अगर्त १३३ ब देश १.२७५ अ ।
-
-
अगाढ -१.३३ व, श्रद्धान ४३७० ब । १३३ ब, ३४ अ
अगार
अगारी - १३३ व अनगारी व्रती ३.६२१, ४.५० अ
अनगार १६२ अ ।
अगास देव - १.३४ अ ।
अगोतार्थ आचार्य ४ ३९४ ।
अगुण - उपशम १४३७ अ ।
अगुणी -नय २५२३ २ । अगुप्ति भय ३२०६ अ, व
अगुरु २.३०० अ
मोक्ष
अगुरुलघु - १३४ अ, गुण १३४ अ, ४.५१ अ मोल ३.३२६ अ ।
1
अगुरुलघु नाम कर्मप्रकृतिप्ररूपणा प्रकृति १३४ व २.५८३ ३८८ व स्थिति ४४६५, अनुभाग १६५ अ, अनुभाग का अल्पबहुत्व ११६९ व प्रदेश ३१३६, बन्ध ३१७, बन्धस्थान ३११०, उदय १.३७५, उदयस्थान १३६०, उदीरणा १४११, उदीरणास्थान १४१२, सत्व ४.२७८, सस्वस्थान ४. ३०३, त्रिसयोगी १.४०४ अ, सक्रमण ४ ८४ ब स्वामित्व व गुणस्थान ३ १३७ अ अगुरुलघु चतुष्क- उदय १.३७४ व अगुरुलघु द्विक - उदय १ ३७४ ब । अगुरुलघुत्वगुण १३४ अ, मोक्ष ३.३२६ अ । अगृहीत द्रव्य - सहनानी २२१६ अ । अगृहीत मिध्यात्व एकान्त १.४६४ व अगृहीता - ४.४५० व ।
अगृहीतार्थ - ४४०३ ब ।
अग्गल -- इतिहास १.३३१ अ १३३२ अ, १ ३४४ अ ।
अग्नि- १३५ अ कृत्तिका २५०४ व
।
क्रोध १.३५ व चैत्य २.३०२ व जीव ४४५४ ६ सय ४४५४ व देवता १.३५ व धर्म २.४७० अ, पंचाग्नि १.३५ ब । अग्निकाधिक १३६ व (विशेष दे० तेजकः विक) । अग्निकुंड - ३.३२८ व । अग्निकुमार (देव) देव निर्देश ३२१० व अवगाहना ११०० व अवधिज्ञान ११२८ आयु १.२६५, अवस्थान ३.४७१, ३.६१२, २.६१३ । इन्द्र-निर्देश ३. २०८ अ शक्ति आदि ३२०० परिवार ३२० । प्ररूपणा बन्ध २.१०२, बन्धस्थान ३.११२, उदय
-
-
५
१३०८, उदयस्थान १.३६२, उदीरणा १.४११, उदीरणास्थान १४१२, सत्व ४२८२, सत्त्वस्थान ४२१८, ४.३०५, त्रिसयोगी भग १.४०६ । सत् ४१८७, संख्या ४६७, क्षेत्र २.१६६, स्पर्शन ४.४८१, काल २.१०४, अन्तर १.१०, भाव ३.२२० अ अल्पबहुत्व १ १४५ अ ।
अग्निगति - १३६ अ, विद्या ३.५४४ अ ।
अग्निगुप्त - २.२१२ व ।
अग्निचरण - ऋद्धि १.४४७, १.४५१ ब ।
अग्निजीव- १.३६ ब ।
अग्निज्वाल- १.३६ व ग्रह २.२७४ अ, विद्याधर नगरी
1
३५४५ व ३५४६ अ
अग्नित्रय - १३५ अ ।
अग्निदत्त कल्की २.३१ व ।
अग्निदेव - १३६ व भूत-तीर्थंकर २.३७७, गणधर २२१२ब ।
अग्निप्रभ देव - १३६ ब ।
,
अग्निभूति १३६ व गणधर २२१३ अ - । अग्निमंडल - १.३५ व १.३६अ। अग्निमंडल यत्र ३.३४६ १
अज्ञान
-
अग्निमित्र - १.३६ ब शक १३१४ अ अग्नि श्रावक कल्की २.३१ ब ।
अग्निवाहन भावनेन्द्र - ३२०६व, निवास ३. २०६ व परिवार ३.२०९ अ आयु १.२६५ ।
-
अग्निवेग - यदुवंश १३३७ । अग्निशिखनव बलदेव ४.१७ अ, नव-नारायण
४१८ अ, यदुवश १ ३३७ । अग्निशिखा निश्चल ज्ञान २४१५ ब ।
अग्निशिखी भावनेन्द्र- ३२०८ व निवास ३२०१ ब परिवार ३.२० अ, आयु १२६५ ।
अग्निसह -- १.३६ ब ।
अग्निहोत्री - १३५ व ।
अग्न्याभ
- लौकातिक देव ३४१३ ब ।
अज्ञात १.३६, फल १३६३ ब सिद्ध १.३६ व हेत्वाभास १.२६० अ
अज्ञान -- १३६ ब, अतिचार १.४३ ब, १३८ अ, अध्यवसान १.५२ व अभेदज्ञान २२६७ ब इन्द्रिय ज्ञान २. २६७ ब कर्ता कर्म २२२ ब, क्रिया चेतना २.२१७ अ, २२६५ अ, ब, निग्रहस्थान १.२८ अ, परीष १३८ अ, प्रज्ञा परीषद् ३ ११४ व मिथ्याज्ञान २ २६६ व मिध्यात्व १.३७ अ मिश्र गुणस्थान ३३०८ अ, ब,
३३३ व
1
२२६८ अ, २.२९६ ब,
Page #12
--------------------------------------------------------------------------
________________
अज्ञान (प्ररुपणा)
अचित तव्यतिरिक्त
राग ३.३६८ ब।
ब, २४१४ ब । प्ररूपणा-बन्ध ३.१०६, बन्धस्थान अज्ञान (प्ररूपणा)-बन्ध ३.१०५, ३.१७५ अ, ३.३३८ ब, ३.११३, उदय १.३८४, उदयस्थान १.३६३ अ,
बन्धस्थान ३.१०८, ३.११३, उदय १.३८३, उदय उदीरणा १४११, उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व स्थान १३६३ अ, उदीरणा १४११ अ, उदीरणा स्थान ४.२८४, सत्त्वस्थान ४३०१, ४३०६, त्रिसयोगी १.४१२, सत्त्व ४२८३, सत्त्वस्थान ४.२८७, ४३००, भग १.४०७२ । सत् ४२४०, सख्या ४.१०७, क्षेत्र ४.३०५, त्रिसयोगी भग १.४०७ अ, सत् ४.२३३, २ २०५, म्पर्शन ४४६०, काल २.११५, अन्तर सख्या ४.१०५, क्षेत्र २.२०४, स्पर्शन ४४८८, काल ११००, भाव ३२२१ ब, अल्पबहुत्व १.१५१ । २११३, अन्तर १.१५, भाव ३ २२१ अ, ३.३०४ ब, अचक्षु दर्शनावरण--२.४२० अ। प्ररूपणाएँ---प्रकृति अल्पबहुत्व १.१५० अ।
२४२० अ, ३८८, स्थिति ४.४६०, अनुभाग अज्ञान निग्रहस्थान-१३८ अ ।
१.६४ न, प्रदेश ३.१३६ । बन्ध ३६७, बन्धस्थान अज्ञान परीषह-१३८ अ, परीषह ३.३३ ब, ३३४ ब।
३१०६, उदय १३७४ ब, उदयस्थान १३८७ ब, प्रज्ञा परीषह ३११४ ब ।
उदीरणा १.४११ ब, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान अज्ञानवाद-१.३८ अ, एकान्त १.४६५ अ ।
४२६४, त्रिमयोगी भग १.३६४ अ, संक्रमण अज्ञानान्धकार-२.२२ ब ।
४.८४ ब, अल्पबहुत्व १.१६८ अ। अज्ञानी-अनुभव १.८४ ब, कर्ता २.२२ ब, २२६९ ब,
अचर ज्योतिष विमान-निर्देश २३४६ ब, संख्या २.३४८ ज्ञान २२६५ अ, मिथ्यावृष्टि १.३७ अ, २२६६ ब,
ब, अवस्थान २.३४८ ब । २.२७३ अ, ३३०४ब, मोक्षमार्ग ३ ३३७ ब, राग
__ अचल-१३६ ब, गणधर २.२१२ ब, २२१३ अ, जीव ३.३६८ अ, हिंसा ४५३४ अ ।
प्रदेश २३३६ अ, नारायण ४२६ अ, प्रतिमा अज्ञायक-३ ३०३ ब ।
२१३९ अ। बलदेव ४.१६ अ, वासुपूज्य नाथ अग्र--१३८ ब, एकाग्र १.४६५ ब।
२३६१ । अग्रदेवी-ज्योतिष देव २ ३४६ अ, वैमानिक देव ४ ५१२. अचलग्राम-नगर ३.२७६ अ । ४.५१३।
अचलप्र-१.३६ ब। अग्रनिर्वत्ति क्रिया-४.१५२ अ ।
अचलमात्रा-१.३६ ब। अग्रप्रलम्ब-२.३६६ अ।
अचलयोग-४.४१७ अ। अग्रबीज-३५०२ ब, ३५०६ अ ।
अचल स्तोक-१.३६ ब। अग्रमुख-१.३६ अ।
अचलात्म-१३६ ब । काल-प्रमाण २.२१६ ब, अग्रय--श्रुतज्ञान ४६० अ।
२२१७ अ । अग्रवया-१३६ ।
अचला देवी-विद्युत्प्रभ गजदन्त की देवी ३.४७३ अ, अग्रस्थिति-1-४.४५७ अ।
अकन ३.४५७ । अग्रहण वर्गणा-३.५१३ अ, ब, ३.५१४ अ।
अचलावली-१.३६ ब, आनली १.२७६ अ। अग्रायणी-१.३६ अ, ४६७ ब, ४६८ ब ।
अचलित-३ १६ अ। अग्राह्य वर्गगा-३.५१३ अ-ब, ३.५१४ अ।
अचाक्षुष-४.४३८ ब । स्कन्ध ४४४७ ब । अग्रोद्यान-२३८३ ।
अचार-अभक्ष्य ३ २०२ ब । अघ-१.३६ अ, ग्रह २.२७४ अ।
अचारित्र --अध्यवसान १५२ ब । अघनधारा- गणित २.२२६ अ।
अचिता--३.२६२ अ। अधनमातृका धारा--गणित २.२२६ अ।
अचितित-मनःपयर्य ज्ञान ३.२६५ ब, ३.२६७ अ । अघाती-अनुभाग १६० ब, प्रकृति ३.६१ ब, वेदनीय अचित्त-१३६ ब, काल २.८१ ब, गुणयोग ३.३७६ अ, ३५६४ अ।
पाहुड ३.१५६ ब, पूजा ३७४ ब, ३.८० अ, बन्धक अघोर-ऋद्धि १.४४७, १.४५४ अ, गुण ब्रह्मचर्य १.४४७, ३.१७६ अ, भाव ३.२१८ ब, योनि १.३६ ब,
१४५४ अ, १.४५५ अ, १.४५६ अ, गुण ब्रह्मचारी ३.४८७ अ, वर्गणा ३.५१६ ब, ३.५१८ अ, शल्य ३.२०४ अ।
४.२६ ब, सचित्त ४.१५८ अ । अचक्षदर्शन-अनुभव १.८१ ब, दर्शनोपयोग २.४१३ अ, अचित्त तव्यतिरिक्त-अन्तर १.३ ब।
Page #13
--------------------------------------------------------------------------
________________
अचित नोकर्म द्रव्यबन्ध
अणव्रत
अचित्त नोकर्म द्रव्यबन्ध -३.१७६ अ। अचित्त पाहुड-३१५६ ब । अचेतन-१३६ ब, गुण २.२४४ द, जीव ३३३२ ब,
द्रव्य २.४५५ ब, सापेक्ष धर्म ४.३२३ ब, स्त्री
४४५१ अ। अचेतनत्व-अजीव १.४१ ब । अचेलक-१-३६ ब। अचेलकत्व-१.३६ ब, १४० ब, निग्रंथ २.६२१ ब,
लिग ३४१६ ब, ३.४१६ अ, साधु ४४०८ अ,
४.४०६अ। अचेल व्रत-१४० अ। अचैतन्य-सापेक्ष धर्म १.१०६ अ। अचौर्य-अणुव्रत १.२१३ ब, अस्तेय १२१३ अ, अहिंसा
१.२१७ अ, चारित्र शुद्धि व्रत २.२६४ ब, महाव्रत
१.२१३ ब। अच्छेज्ज--१४१ अ, वसतिका दोष ३.५२६ अ। अच्युत -१४१ अ । सनत्कुमार चक्री ४१० ब । अच्युत स्वर्ग-१.४१ अ । स्वर्ग-पटल ४.५१८, विस्तार
४५१८, उत्तर विभाग ४.५२० ब, अवस्थान ४ ५१४ ब, अंकन ४.५१५, इन्द्रक श्रेणीबद्ध ४५१८, ५२० । इन्द्र-निर्देश ४.५१० ब, उत्तरेन्द्र ४.५११ अ, परिवार ४.५१२-५१३, अवस्थान ४५२० ब, चिह्न आदि ४.५११ ब, विमान नगर व भवन ४.५२०५२१ । देव-अवगाहना ११८१ अ, अवधिज्ञान ११६८ ब, आयु १.२६८, आयु बन्ध योग्य परिणाम
१२५८ ब। अच्यत स्वर्ग (प्ररूपणा)-बन्ध ३१०२, बन्धस्थान
३११३, उदय १३७८, उदयस्थान १.३६२ ब, उदीरणा १.४११, उदीरणा-स्थान १.४१२, सत्त्व ४.२८२, सत्त्वस्थान ४.२६८, ४३०५, त्रिसयोगी भग १.४०६ ब । सत् ४.१६२, सख्या ४.६८, क्षेत्र २.२००, स्पर्शन ४.४८१, काल २.१०५, अन्तर
१.१०, भाव ३२२० ब, अल्पबहुत्व ११४५ अ। अच्युता-१.४१ अ, विद्या ३५४४ अ । अछेद-अर्द्धच्छेद २.२२५ । अछेद्य-१.४१ अ। अज-अजघन्य २२१८ ब। अज-१.४१ अ. पूर्वाभाद्रपद २.५०४ ब, श्रोता ४७४ ब। अजक-मगध देश १३१२ । अजघन्य-अनुभाग १८६ अ, सहनानी २२१८ ब । अजघन्य पद-१.१०२ ब, १.१०३ ब। अजघन्य विभक्ति-१.१०३ ब । अजयवर्मा-१४१ अ, भोजवंश १.३१० अ।
अजातशत्र-१.४१ अ, मगधदेश १३१२, यदुवंश
१.३३७ । अजितंजय-१.४१ अ, भरत चक्री ४.१५ अ, सुव्रतनाथ
२.३६१। अजितधर--१.४१ अ, रुद्र ४.२२ अ, अनन्तनाथ
२३६१ अजित-१४१ अ, पूर्व भव २.३७६-३६१, चन्द्रप्रभ का
यक्ष २३७६ । अजितनाथ-१४१ अ। राक्षसवश १.३३८ब, विद्याधर
वश १.३३६ ब, इक्ष्वाकुवश १.३३५ अ । अजितनाभि-१४१ अ, रुद्र ४.२२ अ, धर्मनाथ कालीन
रुद्र २३६१। अजितपुराण--१.४१ ब, इतिहास १३३३ अ । अजितवीर्य-२३६२। अजितसेन-१४१ब, इतिहास १.३३२ ब, १३४५ अ। अजीव--१४१ ब, कर्म २२७ अ, ब, कषाय २३७ ब,
क्रोध २३७ ब, विचय २४७६ अ। अजीवाधिकरण-१४६ अ। अटट--१४२ अ । सख्या प्रमाण २.२१४ ब, काल प्रमाण
२.२१६ अ, २१७ अ। अटटांग-१४२ अ, काल प्रमाण २.२१६ अ, २१७ अ । अटठाईस-प्रकृति ४.८७ ब, २७६ अ, मूलगुण
४.४०४अ। अठारह-एकड़ी की सहनानी २.२१८ ब, दोषातीत
(अर्हन्त व आप्त) १.१३७ अ, १.२४८ अ, श्रेणी
४७२ अ। अडड-काल प्रमाण २.२१६ अ । अडडांग--काल प्रमाण २११६ अ। अढाईद्वीप-१४२ अ, २४६२ ब, मनुष्य लोक ३.२७४ ब,
चित्र ३.४६४ के सामने । अढाई द्वीप प्रज्ञप्ति -अमितगति १.१३२ अ । अणथमिय कहा- इतिहास १३४५ ब । अणहिल-४८० ब। अणिमा ऋद्धि-१.४४७, १.४५० ब । अणु-१.४२ अ, परमाणु ३.१४ अ, ३.१८ अ, संघात
४.४४७ अ। अणुचटन-३२३७ अ। अणुछेदन-२३०६ ब, ३०७ अ। अणुवय रयण पईव -१.४२ अ, इतिहास १.३४५ अB
१.३३२ अ। अणवर्गणा-३.५१३ अ, ३.५१५ ब । अणुविभजन - १.४२ अ । अणुवत-अस्तेय १.२१३ अ, अहिंसा १.२१५१, परिग्रह
Page #14
--------------------------------------------------------------------------
________________
अणुव्रतरत्नप्रदीप
अत्रिलक्षणत्वं
३२६, बद्धायुष्क १२६२ ब, ब्रह्मचर्य ३१८६ ब, व्रत ३६२७ अ, श्रावक ४५० ब, सत्य ४२७० ब,
रात्रिभुक्ति २४०३ अ । अणुव्रतरत्नप्रदीप---इतिहास १.३४५ अ । अणुव्रती अगारी १.३३ व । अण्ड-दे० अड। अण्डज-दे० अडज । अण्डर-दे० अडर। अण्डा--दे० अडा। अतत--१४२ अ, सापेक्ष धर्म ११०६ अ, ११११ अ। अतत्व शक्ति ---१.४२ अ। अतद्भाव-अभाव ११२८ अ, अन्यत्व १.११२ अ। अतिकाय-१.४२ अ। व्यन्तरेन्द्र-निर्देश (महोरग देव)
३२६३ अ, ३६११ अ, सख्या ३ ६११ अ, परिवार
३६११ ब, आयु १.२६४ ब । अतिक्रम-१.४२ अ। अतिक्रांत-१४२ ब । मत्याख्यान ३ १३१ ब। अतिगोल-१४२ ब। अतिचार--१४२ ब, अज्ञान १३८ अ, १४३ ब, अचौर्य
३६३८ब, अतिथिसंविभाग १४५ अ, अनर्थदण्ड १.६४ अ, १६४ ब, अनशन १६५ ब, १६६ अ, अवमौदर्य १२०० अ, अस्तेय १.२१३ ब, अहिसा १२१ अ, ३.६२८ ब, आखेट-त्याग १.२२५ ब, आगमज्ञान १.२२८ अ, आदान-निक्षेपण ४.३४१ ब, आलोचना १२७७ अ, ईर्या समिति ४.३४० अ, उदबर फल १३६३ अ, एषणा समिति ४३४१ अ, कायक्लेश २ ४७ ब, कायगप्ति २.२५० अ, कायोत्सर्ग ३.६२१ ब, ६२३ ब, गुप्ति २.२५० अ, जलगालन २३२५ ब, दिग्वत २४२६ अ, देशव्रत ३.४५१ अ, परस्त्रीत्याग ३.१६१ ब, परिग्रह परिमाण ३ २७ अ, प्रतिक्रमण ३.६२१ अ, प्रतिष्ठापना समिति ४.३४२ अ, प्रायश्चित्त ३१५८ ब, प्रोषधोपवास ३१६४ ब, ब्रह्मचर्य ३.१६१ अ, ६२८ ब, भावना ३६२६ ब, भाषा समिति ४.३४० ब, भोगोपभोगपरिमाण ३.२३६ अ, ३.६२८ ब, मद्यत्याग ३.२६० ब, मधुत्याग ३.२६० अ, मनोगुप्ति २.२५० अ, मांस त्याग ३.२६३ अ, मौन ३ ३४५ ब, रस-परित्याग ३.३६३ ब, रात्रिभुक्ति-त्याग ३.४०१ ब, वदना ३.६२२ ब, वचनगुप्ति २२५० अ, विवेक ३.५६७ अ, वृत्तिपरिसख्यान ३५८१ अ, वेश्या- गमनत्याग ३.१६१ ब, व्युत्सर्ग ३.६२३ ब, शिकारत्याग १.२२५ ब, शीलवत ३.१६१ ब, श्रुतज्ञान १.२२८ अ, सत्य ३.६२८ ब,
४ २७२ अ, समिति ४३४०-३४२, सम्यग्दर्शन ४३५१ अ, सल्लेखना ४३८३ ब, सामायिक
४४१६ अ, स्वदारसतोप ३ १६१ अ। अतिथि----१४४ ब। अतिथिसंविभाग-१.४५ अ) अतिदुःखमा काल---१.२७५ अ। अतिपुरुष---१.४५ अ, किपुरुष २ १२५ अ । अतिप्रसग--१.४५ अ। अतिबल-१.४५ अ, इक्ष्वाकुवंश १३३५ अ, गणधर
२.२१३ अ, नारायण ४.२६ अ, पद्मप्रभनाथ व सुमति
नाथ २३७८ । अतिबाल विद्या-३१६६ अ । अतिभारारोपण--१२१६ अ। अतिरक्त-पाण्डुकवन की शिला-निर्देश ३.४५० ब,
विस्तार ३४८४, वर्ण ३४७७, अकन ३ ४५० । अतिवीर--१४५ अ। अतिवीर्य----१४५ अ, इक्ष्वाकुवश १३३५ अ । अतिवेलम्ब-१४५ अ । अतिव्याप्त-लक्षण ३.४०६ ब । अतिशय-अर्हन्त १.४५ ब, १.१३७ ब । अतिशायन हेतु-४ ५४० ब। अतिसषमा काल-१.२७५ अ। अतिसूक्ष्म--४४४६ अ । अतिस्थापना-अपकर्षण १११३ व, आवली १.२७६ अ,
उत्कर्षण १३५३ ब, ३५५ । अतिस्थापनावली-आवली १२७६ ब । अतिस्थूल-~४.४४६ अ। अतींद्र----वानरवश १.३३८ ब । अतींद्रियज-४४२६ ब । अतींद्रिय सुख-४४३१ अ, ब, ४.४३३ ब । अतीत---काल ११४२ ब, ४४५ अ, गोचर नय
२.५२२ अ, नयपक्ष २५१८ अ, पर्याप्ति ३ ४२ अ, प्राण ३१५२ ब, संसार ३२१२ अ, स्मरण
३१८६ ब। अतोरण-विमलनाथ २३७७ । अत्थिनेपुर-कालप्रमाण २२१६ अ। अत्थिनेपुरांग-कालप्रमाण २.२१६ अ। अत्यंताभाव-११२७ ब-१.१२६ ब । अत्यंतायोग व्यवच्छेद-एवकार १.४६७ अ, ब । अत्यय--१.४५ ब। अत्राणभय-३.२०६ ब । अत्रिलक्षणस्व-सापेक्ष धर्म १.१०६अ।
Page #15
--------------------------------------------------------------------------
________________
अथान
अध्यवसाय स्थान
अथान-३.२०३ अ।
परिणाम २७-११। अथालंद-चारित्र २.२८० ब, सल्लेखना १.४५ ब । अधरोष्ठ-कायोत्सर्ग अतिचार ३.६२१ ब । अदंडयता अधिकार-३.१६६ अ ।
अधर्म-अमढदष्टि ११३३ अ, देवमढता ३.३१५ ब, धर्म अदंतधोवन -१.४६ अ, २.४७ ब।
२.४६८ अ, ४४३१ ब, मिथ्यादर्शन ३३०० अ, अदतमंजन-कायक्लेश २ ४७ ब ।
स्वभाव ४.५०६ ब। अदत्त-१.२१५ अ।
अधर्म द्रव्य -२.४८७ ब, अनुभाग १.८८ अ, अस्तिकाय
२.४८७ ब, उत्पादादि, १.३६२ ब, उपकार २६३ ब । अदत्तग्रहण-- आहारातराय १२६ ब, अस्तेय १२१३ ब, १२१४ ब, ४४४६ अ ।
अधस्तन कृष्टि - २.१४१ अ, द्रव्य २१४१ ब । अदत्तादान-अस्तेय १.२१३ अ, १.२१५ अ, ४.४४६ अ,
अधस्तन द्वीप-१.४८ ब । प्रत्यय ३१५६ अ।
अधस्तन शीर्ष-२१४१ ब । अदरख-भक्ष्याभक्ष्य ३२०४ ।
अधिक-१.४६ अ, सकलन प्रक्रिया २.२२२ ब । अदर्शन-अध्यवसाय १.५२ ब, परीषह ३३३ ब, ३ ३४ अ, अधिकरण-१.४६ अ, अनुयोग ११०२ अ, कारक १.४६ ब, प्रज्ञापरीषह ३.११४ ब ।
२.४६ अ, कर्ता कर्म २.१७ ब, क्षेत्र २.१९२ ब, अदिति-१,४६ ब, विद्याधर वंश १.३३९ अ ।
न्याय २.६३३ ब, शक्ति १.४६ अ, सिद्धान्त अदीक्षा ब्रह्मचारी-३१६४ ब ।
४४२७ ब। अदृष्ट-१.४६ ब, व्युत्सर्ग ३.६२३ अ।
अधिकार-११०२ अ। अदेव-देव ३.३०० अ।
अधिकारिणी क्रिया-१५० अ, क्रिया २.१७४ ब । अद्धा-१.४६ ब, काल २८६ ब।
अधिगत चारित्र--२.२८० ब । अद्धा असक्षेप-१.४६ ब।
अधियत चारित्रार्थ-२.२८५ अ, २८८ ब । अद्धाच्छेद-१४७ अ, अनुयोगद्वार १.१०३ अ, विभक्ति
अधिगम-१५० अ।। ३ ५५७ अ।
अधिगमज-ज्ञान १५१ ब, सम्यग्दर्शन, १५१ अ, अद्धापल्य-उपमाप्रमाण २.२१८ अ, कालप्रमाण
४३६२ अ। २.२१७ ब, क्षेत्रप्रमाण २.२१५ ब ।
अधीश्वर-३४०० ब। अवायु-आयु १२५३ अ, ब ।
अधोऽधिगम-१.५२ अ। अद्धा सागर-कालप्रमाण २.२१७ ब ।
अधोगुरुत्व -२२५३ ब । अद्वैत-२.४५८ अ द्रव्याथिक नय २.५४२ ब ।
अधोगं वेयक--४५१८-५२० । अद्वैत दर्शन-१.४७ अ, वेदान्त ३ ५६६ अ ।
अधोगौरव धर्म-पुद्गल २२३५ ब । अद्वैत नय-१.४७ अ, २.५२३ अ।
अधोधिम-२६०२ ब। अद्वैतवाद-१.४७ अ, एकान्त १४६५ अ।
अधोमुख-१५२ अ, नारद ४२१ अ। अद्वैतसिद्धि-३.५६५ ब ।
अधोलोक-निर्देश १५२ अ, ३ ४४० ब, नरक २.५७६ अ, अधकरण-उपशम १.४३६ब, ४४० अ।
विस्तार २५७६ ब, चित्र ३४४१, रत्नप्रभा अधःकर्म-१.४८ अ, आहारदोष १२८७ ब, २६० ब,
३.३८६ ब । क्षेत्रप्ररूपणा २.१६१ ब। उद्दिष्ट १४१३ ब, कर्म २२६ अ, २७ अ, वसतिका
अधोलोक सिद्ध---अल्पबहुत्व ११५३ अ। दोष ३.५२८ ब । प्ररूपणाएँ-सत् ४.२६६ अ, सख्या
अध्यधि-१५२ अ, आहारदोष १.२६०ब। ४.११६ ब, क्षेत्र २.२०८, भाव ३.२२३ ।
अध्ययन-शास्त्र ४.५२४ ब, स्वाध्याय ४.५२३ अ। अधःप्रवृत्त--अप्रमत्त ४.१३० अ, उपशम १.४३९ब, अध्ययनकुशल साधु-१.५२ अ । ४४० अ।
अध्यवधि-१.५२ अ, आहारदोष १.४१३ अ। अध.प्रवृत्त संक्रमण--४.८४ अ, ४.८५ ब, ४.८७ ब, अध्यवसान-१.५२ अ, पौद्गलिक ३.३१८ ब, परिग्रह अल्पबहुत्व १.१७४ ब।
३२८ ब, बन्ध ३.१७६ ब, व्यवहार नय २.५६३ अ। अधःप्रवृत्त संयत-गुणश्रेणी निर्जरा अल्पबहुत्व १.१७४। अध्यवसाय-१.५२ अ, ५३ अ, अनध्यवसाय १.६२ ब, अधःप्रवृत्तिकरण-अपूर्वकरण २.१३ अ, उपशम १.४३९ ब, हिंसा ४.५३३ अ।
१.४४० अ, चारित्रमोह क्षपणा २.१७६ ब, अध्यवसाय स्थान-कषायोदय स्थान १.५३ अ।
Page #16
--------------------------------------------------------------------------
________________
अध्यात्म
अन्तबधी प्रकृति
अध्यात्म-१५४ अ, तप २.३५८ ब।
अनत द्रव्य-लोकाकाश १२२३ अ। अध्यात्मकमलमार्तण्ड-१.५४ अ, इतिहास १३४७ अ। अनंत धर्म-२ २४४ ब । अध्यात्मतरगिनी-इतिहास १.३४२ ब।
अनंत धर्मत्व शक्ति-१५६ ब । अध्यात्मपद टीका--१५४ अ, इतिहास १३४६ ब । अनंतनाथ-१५६ ब, पूर्वभव २३७६-३६१ । अध्यात्मपद्धति.३ ८ अ ।
अनंतनाथपुराण-१५६ ब । अध्यात्मभाषा-३ ८ ब ।
अनतनाथ पूजा-~-इतिहास १ ३४७ अ। अध्यात्मरति-४४३४ अ।
अनतपर्यायमयत्व----सापेक्ष धर्म ११०६ अ। अध्यात्मरहरय-१.५४ अ, आशाधर १.२८० ब, इतिहास
अनंतबल मुनि-१५६ ब । १.३४४ अ।
अनंतभाग--४६६ अ। अध्यात्मशास्त्र-१५४ अ।
अनंतमती-१५६ ब, सुमतिनाथ २३८८ । अध्यात्मसंदोह-१.५४ अ, इतिहास १३४१ अ । अनंतमित्र---यदुवश १३३६ । अध्यात्म सबया-इतिहास १.३४७ ब ।
अनंतरक्षेत्रस्पर्श-४४७५ ब। अध्यात्मसार---इतिहास १.३४७ ब ।
अनंतर गति सिद्ध-अल्पबहुत्व ११५३ ब । अध्यात्मस्थान-१५४ अ, स्थान ४.४५२ ब।
अनंतर ज्ञान सिद्ध-अल्पबहुत्व ११५४ अ । अध्यात्मोपनिषद्-इतिहास १ ३४७ ब ।
अनतर चारित्र सिद्ध-अल्पबहुत्व ११५३ ब । अध्यारोप-१.५४ ब ।
अनंतरथ-१५६ ब, रघुवश १३३८ अ । अध्यास---१.५४ ब. षटकारक २.५० ब ।
अनंतर बन्ध-३ १७१ ब। अध्रुव--१.५४ ब, अनुभाग १८६ अ, ज्ञान ३ २५८ अ, अनंतरोपनिधा-१५६ ब, अनुयोग ११०२ अ, शब्द
पद ११०२ ब, १०३ ब, बन्धी प्रकृति ३८८ अ, ६१ ४३ ब, श्रेणी ४७२ अ। अ, ३.६३, स्थान ४४५३ अ।
अनंतवर्मन-१५६ ब । अध्वगत-३ १३१ब।
अनंतविजय-१५६ ब। अध्वर--१५४ ब, पूजा ३.७४ अ।
अनंतवीर्य--मोक्ष ३३२६ अ, वीर्य ३५७७ अ। अध्वान-१ ५४ ब।
अनंतवीर्य-चक्रवर्ती ४११ ब, तीर्थकर २३७७, ३६२ । अनंगक्रीडा--१५४ ब ।
अनतवीर्य-१६० अ, इतिहास १.३३० ब, १३३१ ब, अनंत---१.५४ ब, कालाणु २.८६ अ, जघन्य उत्कृष्ट प्रमाण १३४२ ब।
२२१४ ब, गुण २२४४ अ, ब, जीवराशि अनंतवीर्य-कुरुवंश१३३६ अ। १.२२३ ब, द्रव्यराशि १२२३ अ, धर्म २२४४ ब, अनंतव्रत कथा-इतिहास १३४५ ब । पर्याय ११०६ अ, मोक्ष ३ ३३२ अ ।
अनंतशक्ति-द्रव्य २२४४ अ। अनंतकथा-१५६ अ।
अनंतसुख-४४३२ अ, ब, मोक्ष ३३२६ अ। अनतकायिक-भक्ष्याभक्ष्य ३ २०४ अ, ब ।
अनंता-सुमतिनाथ २३८८ । अनंतकाल-३२१३ ब, कालाणु २८६ अ।
अनंताणु वर्गणा-३५१३ अ, ३ ५१५ ब, ३५१६ अ। अनतकीति-१.५६ ब, नन्दिसंघ१३२३ ब, १३२४ अ, अनंतानत-१५६ ब, उपमा प्रमाण २२१८ ब, पुद्गल काष्ठा सघ १३२७ अ, इतिहास १३३० अ, आगम
२१४८ अ। परम्परा १३४१ ब, १३४२ अ।
अनंतानंतप्रदेशी वर्गणा-३५१५ अ, ३५१६ ब । अनत गणनांक-१५६ ब ।
अनंतानुबंधी-१६० अ। कषाय २३५ ब, २३८ अ, अनत गुणवृद्धि-४.६६ अ।
२३६ अ, मिथ्यादृष्टि ३३०३ अ, सासादन अनंतज्ञान-४४३२ ब, केवलज्ञान २.१४६ अ।
४४२३ अ, ब, मिश्रगुणस्थान ३३१० ब । अनतचतुर्दशी व्रत-१.५६ ब ।
अनंतानबंधी प्रकृति-१६० अ, उपशम १४४० अ, अनंतचतुष्टय-अनन्तत्व १.५६ अ, चतुष्टय २.२७८ अ, विसयोजना ३२८३ अ। प्ररूपणा-प्रकृति ३८८, अर्हन्त १.१३७ अ।
३.३४४ अ, स्थिति ४४६१, अनुभाग १६४ ब, अनंतजीव-लोकाकाश १.२२३ अ।
प्रदेश ३.१३६, प्रदेश निर्जरा का अल्पबहत्व अनंतदेव-१.५६ ब।
१.१६१ अ, १.१७४ अ। बन्ध ३.६७, बन्धस्थान
Page #17
--------------------------------------------------------------------------
________________
अनंशानुबधी चतुष्क
अनादिवधक ३१०६, उदय १३७५, उदय की विशेषता अनलकायिक-१६४ ब । आकाशोपपन्न देव २४४५ ब । १३७२ अ, उदयस्यान १३८६ अ, ब, उदीरणा अनवधत-१६५ ब । १४११, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४२७६ अनवधत अनशन-१६४ ब । अ, ४२७८, सत्त्वस्थान ४२६५, सत्त्वस्थान अल्प
अनवधृत काल अनशन-१६५ ब । बहुत्व ११६५ ब, ११६७ ब, त्रिसयोगी भग
अनवसपिणी सिद्ध-अल्पबहुत्व ११५३ ब । १.४०१ ब । संक्रमण ४८५ अ, अल्पबहत्व
अनवस्था-१६४ ब, दोप २४६० ब। ११६८ ब।
अनवस्थाप्य--१६४ व, परिहार प्रायश्चित ३३५ ब, अनतानुबंधी चतुष्क--उदय १३७४ ब ।
३ १६१ ब । अनंतावधि ज्ञान-१.१८७ व ।
अनवस्थित-१६५ अ, अवधिज्ञान ११८८ अ,११६३ ब, अनक्षर वचन-३२२७ अ।
कुंड १२०६ ब। अनक्षरात्मक भाषा-३२२६ ब ।
अनशन-निर्देश १ ६५ अ, निश्चय १६५ अ, व्यवहार अनक्षरात्मक तज्ञान--४ ५६ ब ।
१६५ अ, तप १६५ अ, अवधूत अनवधन काल अनगार~१३३ ब, ३४ अ, ६२ अ।
१६५ ब, अतिवार १६५ ब । अनगार धर्म-१.६२ अ।
अनस्तमी व्रत-१६६ अ । अनगार धर्मामृत-१६२ ब, आशाधर १.२८० ब, अनाकाक्ष-नि काक्षित २५८५ ब । इतिहास १३४४ अ ।
अनाकांक्ष किया -१.६६ अ, क्रिया २१७४ ब ।। अनधिगत चारित्र-२२८० ब, २.२८५ अ ।
अनाकार----१.६६ अ, उपयोग १२२८-२२६, राण अनधिगम चारित्रार्य-आर्य ८२७५ अ।
२.२४२ ब, प्रत्याख्यान ३.१३१ ब। अनध्यवसाय--१६२ ब, विपर्यय ४१४५ ब, सशय ४१४५ अनागत-काल अल्पबहत्व ११४२ ब, प्रत्याख्यान ब, १६२ ब ।
३.१३१ ब । अभिलापा ३.१८६ ब । अननुगामो-१६२ ब, अवधिज्ञान ११८८ अ, ब,
अनाचरित-३५२६ अ । ११६३ ब।
अनाचार-१६६ अ, अतिचार १४४ ब । अननुभाषण-१६२ ब।
अनाचिन्न-आहार दोष १२६० ब, १४१३ अ । अनन्य-अशरण भावना २४६१ अ।
अनात्मभूत-कारण २५४ अ, लक्षण ३४०१ ब । अनन्यमय-३ ३३८ ।
अनादर-१६६ अ । जम्बूवृक्ष ३४५८ अ, ३.६१३अनपति आयुष्क-१२६१ अ।
६१४। अनपायी--१.६२ ब ।
अनादि-१.६६ ब, अनन्त १५६ अ, अनुभाग १.८६ अ,
आगम १२२८ अ, काल २.८८ ब, जीवकर्म बन्ध अनभिज्ञ-४.७४ अ।
३.१७३ ब, नय १६६ ब, नित्य पर्यायाथिक नय अनभिगृहीत-३ ३०१ अ।
२,५५१ ब, पद ११०२ ब, १०३ ब, परिणाम अनभिलाप्य-श्रुत १२२८ ब ।
३.३१ ब, प्रकृतिबन्ध १.६६ ब, ३८८ अ, ३१६६ब, अनभिव्यक्ति-१६२ ब, अभिव्यक्ति ३६१६ अ।
बन्धक ३ १७६ अ, बन्धी प्रकृति ३.६० ब। मिथ्याअनय- १.६२ ब, ग्रह २.२७४ अ ।
दृष्टि १४३८ अ, २१८५ अ, ४३६८ ब, ४३६६ अ, अनयाभास-१६२ ब, नय २५२४ अ।
४ ३७२ अ। शरीरबन्ध ३.१७० ब, सिद्धान्त पद अनरण्य-रघुवश १.३३८ ।
१४१६ ब, ३.५ अ। अनर्थक पदत्व-१.१३६ अ।
,अनादि नय-१६६ ब, नित्य पर्यायाथिक २५५१ ब । अनर्थदंड- १.६२ ब, अतिचार १.६४ अ, प्रयोजन अनादि पद -११०२ ब, १०३ ब, सिद्धान्त पद १.४१६ ब, १६४ ब, महत्त्व १६४ ब, आखेट १ २२५ अ।
३५ अ। अनर्थसंतति-२ ४७० अ।
अनादिबंध-जीवकर्मबध ३.१६६ ब, ३.१७३ ब, अनाद्ध प्राप्तार्य-आर्य १.२७४ ब ।
प्रकृतिबध १.६६ ब, ३.८८ अ, शरीरबंध अनर्पित-१.६४ ब ।
३ १७०ब, स्थितिबध ४.४५७ अ। अनल-१६४ ब, अग्नि १.३५ अ।
अनादिबंधक-अनन्त ३.१७६ अ, बादर साम्परायिक
Page #18
--------------------------------------------------------------------------
________________
अनादिबधी प्रकृति
अनीश्वर
३१७६ अ, सान्त ३१७६ अ। अनादिबंधी प्रकृति-3 ६० ब । अनादि मिथ्यावृष्टि-४३६६ अ, अनादि तुल्य सादि
४ ३६८ ब, उपशम १४३८ अ, सयमासयम
२१८५ अ, सम्यक्त्व ४३६८ ब, ८ ३७२ अ। अनादृत -१६६ ब, जम्बूवृक्ष का देव ३ ४५८ अ,
३६१३, ६१४, दोष ३६२२ ब । अनादेय--३६६अ। अनाभोग -अतिचार १४३ ब, क्रिया २१७४ ब, निक्षेप
१.४६ ब । अनायतन-१.२५१ अ, त्याग ४.३६१ ब । अनारभ-१.६६ ब । अनार्ष- ३.३६६ अ। अनालब्ध----१.६६ ब, कायोत्सर्ग ३.६२३ अ । अनालोच्य वचन-असत्य १.२०८ ब। अनावर्त--१.६६ ब। अनावृष्टि-यदुवश १ ३३७ । अनाहत चक्र-पदस्थध्यान ३७ अ, ब, ह ३७ ब । अनाहार-१६६ ब। अनाहारक-१६६ ब, आहारक १२६४ ब, १२६५ अ,
केवली २१६४, सक्रमण (उद्वेलना) ४८७ अ, समुद्घात २१६७ ब। प्ररूपणा--बन्ध ३ १०८, बन्ध स्थान ३११३, उदय १.३८६, उदयस्थान १३६३ ब, उदीरणा १४११, उदीरणा स्थान १४१२, सत्त्व ४२८१, सत्त्वस्थान ४.३०२, ४३०६, त्रिसयोगी भग १४०८ अ। सत् ४१६७, सख्या ४ १६, क्षेत्र २२०७, स्पर्शन ४४६६, काल २११६, अन्तर
१२१, भाव ३२२ अ, अल्पबहुत्व ११५३ अ। अनि.सरणात्मक तेजस शरीर-२३६४ ब । अनिःसृत-१६६ ब, ज्ञान ३२५६ अ, ३२५७ ब,
३२५८ अ, प्राप्यकारी १३०४ ब । अनिदित-१६६ ब, किन्नर देव २ १२४ ब । अनिविता-१६६ब, सौमनस व नन्दन वन की दिक्कूमारी
३४७३ ब, ३४५१ । अनिद्रिय ---१६६ ब, अतीद्रिय ४४३२ ब, मन ३ २७० अ,
ब, इद्रिय १३०६ ब, जीवसमास २३४२ । अनिद्रिय जीव-इद्रिय १३०७ अ। अनित्थं-सस्थान ४१५५ अ । अनित्य--अनुप्रेक्षा १७२ अ, १७६ अ, जाति २६०७ब,
सापेक्ष धर्म ११०६अ, ४३२३ ब। अनित्यत्व-उत्पादादि १३५८ ब, सापेक्ष धर्म ११०४ अ,
१.१११ अ, ब, अपेक्षा निर्देश ४४९८ अ
अनित्य नय-१६७ अ, नय २५२३ अ. अनित्य निगोद-३५०३ ब । अनित्यवाद-एकान्त १४६५ अ। अनित्य समा जाति-२६०७ ब, २६०८ अ । अनिबद्ध मंगल -३ २४१ ब । अनियत-गति २ २३६ अ, नय २५२३ ब, विहार
४३६० ब, विहारी ३ ५७४ अ, सामायिक ४४१६ ब । अनिरुद्ध-१६७ अ। अनिर्वचनीय--अवक्तव्य ११७७ अ, सप्तभगी ४३२४ ब,
४३२५ ब। अनिल- राक्षस वश १३३८ अ, स्वाति २५०४ ब । अनिवर्तक-१६७ अ, तीर्थंकर २ ३७७ । अनिवृत्ति-१६७ ब। अनिवृत्तिकरण-१६७ अ, अन्तरकरण १२६ अ, ब,
अपूर्वकरण २ १४ अ, आरोहण अवरोहण २२४७, करण २१३ अ, कषाय २४० ब, काय २४५ ब, कालावधि का अल्पबहुत्व ११६१ अ, परिणाम २१३-१४, परिषह ३३४ अ, बन्धक ३१७६ अ। प्ररूपणाएँ-बन्ध ३६८, बन्ध स्थान ३१०८, ३ १०६, ३ ११०,३ ११२, उदय १ ३७५, उदयस्थान १३९२ अ, उदीरणा १४११, उदीरणा स्थान १४१२, सत्त्व ४ २७८, सत्त्व स्थान ४२८६,४३०४, विसयोगी भग १४०६ अ। सत् ४१६३, सख्या, ४६४, क्षेत्र २१६७, स्पर्शन ४४७७, काल २१००,
अन्तर १७, भाव ३२२२ ब, अल्पबहुत्व १.१४३ । अनिष्ट-१६८ अ, आर्तध्यान १२७३ अ, पक्षाभास
३३ अ। अनिष्णात श्रोता---उपदेश १४२६ अ, श्रोता ४७५ ब । अनिसृष्ट-१६८ ब, आहार दोष १२६१ अ, १४१३ अ,
वसतिका दोष ३५२६ अ। अनीक (देव)-१६८ ब। भवनवासी देव-निर्देश
३ २०६ अ, जम्बू व शाल्मली वृक्ष स्थल मे ३४५८४५६, आयु १२६५ । व्यन्तर देव-निर्देश ३ ६११ब, श्री आदि देवियो के ३६१२, आयु १२६४ ब । ज्योतिषी देव-निर्देश २.३४६अ। वैमानिक देवनिर्देश ४५१२, सुमेरु की पूष्करिणियो मे ३ ४५०
४५१, देवियाँ ४५१३, आयु १२६६, १.२७० । अनीकदत्त-१६८ ब, यदुवश १३३७ । अनीकपाल--१६८ ब, यदुवश १.३३७ । अनीकिनी-४.४४४ अ । अनीशार्थ-आहार दोष १.२६१ अ, १.४१३ अ। अनीश्वर-आहार दोष १२६१ अ, १४१३ अ-ब । नय
Page #19
--------------------------------------------------------------------------
________________
अनीहार
अनुभय मन-वचन-योग
२.५२३ ब।
अनुत्पन्न देव-व्यन्तर जातीय देव-आयु १२६४ ब । अनीहार-४३६० अ।
अनुत्पादानुच्छेद-उत्पादादि, १३६१ अ, व्युच्छित्ति अनु-१.६८ ब ।
३६१६ अ। अनुकंपा-१६६ अ, अहिसा १२१७ ब, करुणा २.१४ ब, अनुत्सपिणी सिद्ध-अल्पबहुत्व ११५३ ब । __ शुभोपयोग १४३४ ब, मिथ्यादृष्टि ३.३०५ अ अनत्सेक -१७० ब। सम्यग्दर्शन ४.३५१ अ।
अनदय-उपशम १४३७ अ, कारण २६८ ब । अनुकृति-१.७० अ।
अनदिश देव-निर्देश ४ ५१० अ, अवगाहना ११८१ अ, अनुकृष्टि-१.७० अ, गणित २२३१ ब, निर्वर्गण अवधिज्ञान ११६८ ब, आयु १२६६, आयुबन्ध के २.६२६ अ।
योग्य परिणाम १.२५८ ब । प्ररूपणा-बन्ध ३१०२, अनुकृष्टि गच्छ-१.७० अ, २.२३२ अ।
बन्धस्थान ३११३, उदय १३७८, उदयस्थान अनुकृष्टि चय-१७० अ, २ २३२ अ ।
१३६२ ब, उदीरणा १४११, सत्त्व ४२८२, सत्त्व अनुक्त-१.७० अ, ज्ञान ३२५७ अ, प्राप्यकारी
स्थान ४२६८, ४३०५, त्रिसयोगी भग १४०६ ब । १.३०४ ब ।
सत् ४१६२, सख्या ४६८, क्षेत्र २२००, स्पर्शन अनुक्रम-२.१७१ ब ।
४४८१, काल २१०४, अन्तर ११०, भाव अनुगताकार -बुद्धि १११२ ब ।
३२२० ब, अलगबहुत्व ११४५ । अनुगम-१७० अ । अविभ्राड्भाव सम्बन्ध १.७० ब।
अनदिश स्वर्ग-निर्देश ४५१४ अ, ४५१६ अ, पटल अनुगामी-१.७० ब, अवधिज्ञान १.१८८ अ-ब,
इन्द्रक व श्रेणीबद्ध ४५१८, ४५२०, विस्तार
४५१८, अकन ४५१५, ४५१७, कल्पातीत ११६३ ब। अनुज्ञा-४३६१ब।
४५१० अ, ४५१४ ब। अनुग्रह-१७० ब, उपकार १.४१५ ब, स्थितिकरण ।
अनुदीर्ण-उपशम १४३७ अ । ४४७० ब ।
अनुपक्रम काल-२८१ अ। अनुजीवी गुण-द्रव्य २.२४३ ब।
अनुपचरित--सापेक्ष धर्म-अनेकान्त १०६ अ, सप्तभगी अनुत्कृष्ट-अनुभाग १८६ अ, पद ११०२ ब, १०३ ब,
४३२३ ब। विभक्ति ११०३ ब, स्थिति ४४५६ ब ।
अनुपचरित असद्भूत नय-नय २५६१ ब। अनुत्तर-१.७० ब, राक्षसवश १३३८ अ, श्रुतज्ञान
अनुपचरित नय--नय २.५६० अ। ४६० अ । विमान ४१६ ब ।
अनुपम-गणधर २.२१३ अ। अनत्तर देव-निर्देश ४५१० अ, अवगाहना ११८१ अ,
अनुपमा- १७१ अ। अवधिज्ञान ११६८ ब्र. आयु १२६६, आयुबन्ध के अनुपमान- चक्रवर्ती की विभूति ४१५ अ। योग्य परिणाम १२५८ ब । प्ररूपणा-बन्ध ३.१०२, अनुपलब्धि (हेतु)-हेतु ४.५३६ ब। बन्धस्थान ३११३, उदय १.३७८, उदयस्थान अनुपसंहारी हेत्वाभास-१.७१ अ। १३९२, उदीरणा १.४११, सत्त्व ४.२८२, सत्त्वस्थान अनुपस्थापन-परिहार प्रायश्चित्त ३ ३५ ब । ४२६८,४३०५, त्रिसयोगी भग १४०६ ब । सत अनपहारक-परिहार प्रायश्चित्त ३.३६ ब। ४१६२, सख्या ४.६८, क्षेत्र २.२००, स्पर्शन ४.४८१ अनुपाख्यनि:स्वभाव--स्याद्वाद ४.४६६अ। काल २१०४, अन्तर ११०, भाव ३.२२० ब, अनपात्त-१७१ अ। अल्पबहुत्व ११४५ ।
अनुपालना शुद्ध प्रत्याख्यान-प्रत्याख्यान ३.१३२ अ। अनुत्तर स्वर्ग-१७० ब, ४१६ ब। स्वर्ग-निदेश, अनप्रेक्षणा-उपयोग १४२६ ब।
४५१६ अ, पचविमान ४.५१४ ब, पटल इन्द्रक व अनप्रेक्षा-१.७१ अ, उपयोग १४३४ ब, ध्यान २४८२ अ। श्रेणीबद्ध ४५१८-५२०, अवस्थान ४.५१४ ब, अनुभय असत्य-योग ३.३८० ब। अकन ४५१५, ४.५१७, कल्पातीत ४.५१० अ।
अनुभय मन-वचन-योग-प्ररूपणा-बन्ध ३१०४, बन्ध अनुत्तरोपपादक-१७०ब।
स्थान ३११३, उदय १.३७६, उदयस्थान १३९२ ब, अनुत्तरोपपादक दशांग--१.७० ब, श्रुतज्ञान ४.६८ अ। सत्त्व ४,२८३, सत्त्वस्थान ४२६६, ४३०५, अनुत्पत्ति समा जाति--१.७० ब ।
त्रिसंयोगी भंग १४०६ ब । सत् ४.२१३-२१४, सख्या
Page #20
--------------------------------------------------------------------------
________________
अनुभवागत सन्धिस्थान
४१०२, क्षेत्र २२०२, स्पर्शन ४४६५, काल २.१०८, अन्तर ११२, भाव ३२२० व अल्प १.१४ ॥ अनुभवागत लब्धिस्थान -लब्धि ३४१४ व । अनुभव - १८० अ, अनुप्रेक्षा १७२ व अनुभाग १.८८ व
आत्मानुभव १८२ १८४६८१ उदय १३६५, उदीरणा १४१० अ चेतना २.२१६ व दर्शन २४०६ ब, प्रमाण ( अनुभव ) १८२ अ-ब, मिथ्या दृष्टि ३३०५ अ विपाक २.५५६ अ
अनुभव प्रकाश - १.८७ अ ।
अनुभाग--- १.८७ अ अनुभव
१.८८ ब अल्पबहुत्व १.१६५ - १७१ अ अविभाग प्रतिच्छेद १२०३ अ आयु कर्म १२६१ अ कर्म १३५० कृष्ण (वगणा) २.१४० व निर्जरा २.६२२ अ, विपरिणमना ३.५५५ च ।
अनुभाग उदय -- अल्पबहुत्व १.१७६, उदय १.३८६, कारण (जीव परिणाम ) २६७ व अनुभाग काण्डक --- अन्तरकरण १२६ ब १. ११७ अ, काण्डक ( कण्डकोत्करण काल ) अनुभाग घात - अपकर्षक १११७, आयु का १२६१ ब स्थिति पात (अपकर्षण) १११७ । अनुभागबंध अध्यवसाय स्थान १.५२ अ, ४.११६ व अनुभागबन्ध १६० अ १.९४-९५, प्रकृतिबन्ध ३९३ अ प्रधानता (स्थिति) ४.४५७ व वन्धप्रत्यय ३१३० व बन्धवेदना का अल्पवत् १.१६५ व १.१७६, स्थितिबन्ध ४४६९ ।
अनुभाग सत्त्व - अल्पबहुत्व १.१६५ ब, ११७४ चौंसठ स्थानीय अल्लवत्व समुत्कीर्तना ४.३११ ।
१.३६५ व, २७२ अ । अपकर्षण
अनुभूत्यावरण- १. ८४ ब । अनुमति - १.९५ अ 1
अनुमति-त्याग प्रतिमा - अनुमति १.१६ अ ।
२.४२ अ अपवर्तन
अनुभाग स्थान- अध्यवसाय १५३ व ४.११६, अनुभाग १८ अ स्थान ४४५२ ब स्पर्धक ४८४७२ ब । अनुभाग स्वामित्व सन्निकर्षसत् १.९५, ३. ११४, ४३१०, ४५२७-५२९ सख्या ४.११७, क्षेत्र २२०८, स्पर्शन ४४९४, काल २१२१-१२१ अन्तर १२२, भाव ३ ३१३, अल्पबहुत्व ११७५, ४.४६६, ४.५२७, भागाभाग ३.२१५, ४.११६ ।
११६६ अ,
१.१६६ अ
अनुभाषण -- १.६५ अ ।
अनुभाषणा शुद्ध प्रत्याख्यान -- प्रत्याख्यान ३.१३२ अ । अनुभूति - अनुभव १.८१-८६ ब उपलब्धि १०.४३५ अ, सम्यग्दर्शन ४३५३ व
१८
अनुमान - १९६अ, अनि सूत मतिज्ञान ३२५६ व अर्थ लिगज श्रुतज्ञान ४५१ हा ज्ञान १३५२ अ, केवलज्ञान २.१५० ब प्रमाण ( अनुमान) ११८ अ मतिज्ञान ३.२५४ ब, ३.२५६ ब, लिंग ( सम्यग्दर्शन) ४३५१ व सोपाधिक अनुमान (उपाधि) १४४४ । अनुमान बाधित बाधित ३१८२ व । अनुमानित - १६६ अ, आलोचना १.२७७ ब । अनुमेयता-तम्यग्दर्शन ४,३५२ अ । अनुमोदक अनुमति १.९६ अ अनुयोग -- १६६ अ । ।
।
ब
अनयोगटार अनुयोग १.१०१ श्रुतज्ञान ४६४ व । अनुयोगद्वार समास - श्रुतज्ञान ४८.६४ ।
अनुयोग समास १.१०३ ब ।
अनुयोगी - १.१०४ अ
अनुराग - आकाक्षा (वात्सल्य ) ३.५३२ ब ३.५.३२ ब उपलब्धि १.४३५ अ, प्रववनवात्सल्य ३५३२ ब. राग
-
३.३१५ अ, वात्सल्य ३.५३३ अ ।
-
अनुराधा - १.१०४ अ तीर्थंकर २.५०४ व ।
अनक
अनुरुद्ध - १.३१२, १.३१३ । अनुलोम- १.१०४ अ ।
अनुवाद - १.१०४ ब ।
२.३८१, नक्षत्र
अनुवाद वाक्यवाक्य ३.५३१ अ अनुवीचि भाषण- ११०४ अ । अनुवृत्ति - ११०४ अ । अनुशिष्ट--- ११०४ अ । अनुशिष्टि - सल्लेखना ४.३१० ब ।
अनुश्रेणी --- १.१०४ अ विग्रह्णति ३.५४० अ । अनुष्ठान - भक्ति ३ १९८ ब । अनुसमयापवर्तना- १.१०४ अ अपकर्षण अपवर्तन
। -
घात १११६ ब, अनुभागकाण्डक घात १ ११७ व । अनुसारी ऋद्धि ऋद्धि १४४५ १.४४९ व । अनुसूर्य तप-कायले २४७ अ । अनुस्मरण --- १.१०४अ स्मृत्यन्तराधान ४४६५ ब । अन्जु - उत्तरप्रतिपत्ति १.३५६ अ ऋजुमतिमन:पर्यय ३ २६४ अ ।
1
अनूत वचन --असत्य १.२०८ अ ।
अनेक ११०४ अ, अनेक अजीव अनुयोगद्वार १.१०२ अ
अनेक अजीव कर्म व कषाय २२६ अ, २.३५ व अनेक क्षेत्र अवधिज्ञान १.१५० ब अनेक गृहभोजी क्षुल्लक २१५१ व अनेक जीव अनुयोगद्वार ११०२ अ अनेक जीव कर्म व कषाय २२६ अ,
Page #21
--------------------------------------------------------------------------
________________
अनेकत्व
१५.
अपदर्शन
२३५ ब, अनेक द्रव्य २४५६ ब, अनेक प्रदेशत्व अन्वयदत्ति-२४२२ ब ।
अनेकान्त ब सातभगी) ११०६ अ, ४.३२३ ब, अन्वयदृष्टान्त-अनुमान १६८ ब, दृष्टान्त २४३८ अ। सापेक्षधर्म (सप्तभगी) ४३२३ ब ।
अन्वय द्रव्याथिक नय-२५४५ ब । अनेकत्व-११०४ अ, अनेकान्त १.१०६ अ,
अन्वयव्यतिरेकी--हेतु ४५४० अ। ११११ अ, ब ।
अन्वयव्याप्ति-अनुमान १६७ अ । अनेक नय-नय २५२३ ब ।
अन्ययो-१११२ ब, गुण २ २४३ अ । धर्म (अनेकान्त व सप्तभंगी) ११०९, अन्वर्थ-१११२व। अनेक प्रदेशत्व-सापेक्षधर्म (अनेकान्त व सप्तभेगी। ४३२३ ब।
अन्वीक्षा-२६३१ ब । अनेक प्रदेशी-सापेक्ष धर्म (सप्तभंगी) ४.३२३ ब ।
अन्वेषण-३२६६ ब। अनेकान्त--११०४ ब, अनेकान्तात्मक (स्याद्वाद)
अप-२३३३ ब। ४४६७ ब, एकान्त (सप्तभगी) ४३१७ ब, सप्तभगी
अपकर्ष-१११२ ब, आयुबन्ध १२५६ अ, आयुकाल ४३१७ ब, सापेक्ष धर्म (अनेकान्त) ११०६ अ, सूख
अल्पबहुत्व ११७३ अ। ४४३१ अ, स्यात् ४४६६ अ।
अपकर्षण-१११२ ब, दशकरण २६, अन्तरकरण अनेकान्तग्राही-प्रमाण (नय) २५१६ ब ।
१२५ ब, १२६ अ, ब । गुणस्थान २६ अ। अनेषण-अनशन १६६ अ, तप २३६१ ब ।
अपकर्षण (कारण-गुणस्थान २६अ। अनैकान्तिक हेत्वाभास-हेत्वाभास ३६१६ ब ।
अपकर्षण (दोष)-आहार १२६० ब, उद्दिष्ट १४१३ अ। अनोजीविका-सावद्य खरकर्म ४४२१ ब ।
अपकर्षण प्राभूत (दोष)-आहार १२६० ब । अन्न-१.१११ ब, अभक्ष्य ३२०३ अ।
अपकर्ष समा-१११८ अ। अन्नपाननिरोध-१२१६ अ ।
अपकायिक जीव-अवगाहना ११७६ ब, आयु १.२६४ अ, अन्नप्राशन क्रिया-४.१५१ अ । मन्त्र ३२४७ अ ।
काय २.४४ ब, जल २३२४, जीवसमास २३४३, अन्नयाचानुद्देश्य--उद्दिष्ट १४१३ अ।
निगोद ३५०५ ब, स्थावर ४४५३, ४४५४ ब । अन्नशोधन--आहार १२८५ ब।
प्ररूपणा-बन्ध ३१०४, बन्धस्थान ३.११३, उदय अन्य--४५०७ अ।
१३७६, उदयस्थान १३६२ ब, उदीरणा १४११,
उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४.२८२, सत्त्वस्थान अन्यत्व---११११ ब । अनुप्रेक्षा १७२ ब, १.७६ अ,
४२६६,४३०५, त्रिसयोगी भग १४०६ ब । सत् एकत्व १७८ अ ।
४२०२, सख्या ४१००, क्षेत्र २२०१, स्पर्शन ४.४८३, अन्यथानुपपत्ति--४५३८ अ, ४५४० ब।
काल २१०६, अन्तर ११२, भाव ३२२० ब, अल्पअन्यथायक्तिखण्डन–१११२ अ।
बहुत्व ११४५ ब। अन्यदेवमूढता-अमूढदृष्टि १.१३२ ब ।
अपकार-उपकार १४१५ अ, कर्ता कर्म (मिथ्यात्व) अन्यदृष्टि-~अमूढदृष्टि १.१३३ अ।
२२३ अ, शरीर ४८ अ। अन्यदृष्टिप्रशंसा-१.११२ अ।
अपकृष्ट-१११८ ब। अन्यमती-कर्ता कर्म २ २३ अ ।
अपक्रम-गति २२३६ अ । अन्ययोगव्यवच्छेद-१.११२ अ, एकान्त १.४६२ अ, अपक्वकर्म-उदीरणा १४०६ ब, १४१० अ। एवकार १.४६७ अ।
अपक्वपाचन-उदीरणा १४०६ ब, १.४१० अ । अन्यवश-२.४८६ अ ।
अपगतवेद-वेद ३.५८५ अ। प्ररूपणा-सत् ४.२२८, अन्यापोह--१.१२८ अ।
, सख्या ४१०४, क्षेत्र २२०३, स्पर्शन ४.४८७, काल अन्योन्यगुणकार शलाका--१११२ अ ।
२१११, अन्तर ११५, भाव ३२२१ अ । अल्पबहुत्व अन्योन्याभाव-१.१२७-१२६ अ।
१९४६ ब। अन्योन्याभ्यस्तराशि-१११२ अ, गणित २.२३१ ब, कर्म ।
अपचय-ओम् १४७० अ । स्थिति २०२३२ ब।
अपचित अवयव पद-३.५ अ । अन्योन्याश्रय-हेत्वाभास १११२ अ ।
अपदर्श-१११८ ब। अन्वय-१११२ अ, द्रव्य २.४५४ ब ।
अपदर्शन-कूट व देव-निर्देश ३.४७२ अ, विस्तार
Page #22
--------------------------------------------------------------------------
________________
अपदेश
अपवर्तना पात
३४८३, ३ ४८५, ३४८६ अकन ३ ४४४ ।
निर्देश ३४७६ अ, ब, अकन ३ ४६८ । नन्दीश्वर दीप अपदेश-१११८ ब।
वापी-निर्देश ३४६३ ब, नामनिर्देश ३४७५ अ, अपध्यान-१११८ ब।
विस्तार ३४६१ अंकन ३४६५ । विदेहनगरीअपमण्डल-धारणा २३२४ ब, लोक ३४३४ अ ।
निर्देश ३ ४६० अ, नामनिर्देश ३४७० ब, विस्तार अपमण्डल यन्त्र-३ ३५३ ।
३ ४७६, ३४८०, ३४८१, अकन ३४४४, ३४६४
के सामने, चित्र ३ ४६० अ । अपमान-निन्दा २५८८ अ, मार्दव ३२६८ ब,
अपराजिता (नाम)--१ ११६ अ, तीर्थकर मुनिसुव्रतनाथ ३२६६अ।
२३७६, बलदेव ४१७ ब, रघुवश १३३८ अ । अपमृत्यु-आयु का अपवर्तन १२६१ अ, कषाय २ ३५ अ,
अपराल-१११६ अ। मरण ३२८४ अ।
अपराध---१.११६ अ, चारित्र २२८८ ब, धर्म २४७० अ, अपर-परत्वापरत्व ३१२ अ, परम ३१३ अ।
राग ३५५८ ब। अपरत्व-काल २८३ अ, परत्वापरत्व ३१२ अ।
अपरिगहीता-१११६ अ। अपरम-परम ३१२ ब ।
अपरिग्रह-अहिसा १२१७ अ। विशेष दे० परिग्रहअपर विदेह-१११८ ब, निषध व नील पर्वत का कूटनिर्देश ३४७२ अ, विस्तार ३४८३,३४८५, ३४८६,
त्याग । अकन ३४४४ । गजदन्त का कूट-निर्देश ३४७३ अ,
अपरिणत---१११६ अ, आहारदोष १२६१ ब । विस्तार ३४८३, ३४८५, ३४८६, अकन ३ ४४४ ।
अपरिमित ज्ञान-केवलज्ञान २१४६ ब । विदेहक्षेत्र का पश्चिम भाग-निर्देश ३ ४४६ ब,
अपरिवर्तमान परिणाम-परिणाम ३ ३१ ब । विस्तार ३४७६, ३.४८०, ३४८१, अकन ३४४४, अपरिशेष प्रत्याख्यान-प्रत्याख्यान ३१३१ ब । ३ ४६४ के सामने, इसके १६ देश व नगरियाँ अपरिस्पन्दात्मक पर्याय-पर्याय ३४७ अ । ३४६० अ, ३ ४७० ब।
अपरित्रविता--१११६ अ। अपर व्यवहार--१११८ ब ।
अपरीत वर्गणा-वर्गणा ३५१४ ब । अपर संग्रह-१११८ ब, नय २५३४ अ ।
अपर्याप्त-अवधिज्ञान ११६५ ब, आयु १२६४ अ, अपर संग्रहाभास-नय २५३४ ब ।
आहारक काययोग १२६८ अ, काय २४४, कार्मणअपर सामान्य--सामान्य ४४१२ अ।
काययोग २७६ ब, केवली २१६८ अ, जीवसमास अपराजित-१११८ ब। आचार्य-मूलसघ (अगधर)
२३४३, तिर्यचगति २३६७, नरक गति २५७५ अ, १३१६ । इतिहास-प्रथम १३२८ अ, द्वितीय
निगोद ३५१०, पर्याप्ति ३४० ब, प्राण ३ १५३ ब, १३२६ अ, तृतीय १३२६ ब, १३४१ ब । कूट
मन ३ ३८० अ, मनुष्य गति ३ २७३, वचनयोग रुचकवर पर्वत का कट-निर्देश ३४७६ अ, विस्तार
३३८० अ, सयम १२९८ ब, सहनानी २२१६अ। ३ ४८७, अंकन ३४६८ । जगती-जम्बूद्वीप की अपर्याप्त काल-३ ४२५ अ, विशुद्धि ३ ५७० । जगती का द्वार-निर्देश ३४४४ ब, विस्तार ३४८४,
विस्तार
अपर्याप्तनाम-कर्मप्रकृति--प्ररूपणा-प्रकृति ३८८, अकन ३४४४, रक्षक देव ३६१३ । नाम-गणधर
२५८३, स्थिति ४४६६, अनुभाग १६५ ब, प्रदेश २१२२ ब, ग्रह २२७४ अ, तीर्थंकर पद्मप्रभ व
३१३७। बन्ध ३६७, बन्धस्थान ३११०, उदय सुपार्श्वनाथ २३७८, बलदेव ४१८ अ, विद्याधर
१३७५ अ, उदयस्थान १३६०, उदीरणा १४११ अ, नगरी ३ ५४५ अ, हरिवंश १३४० अ ।
सत्त्व ४२७८ सत्त्वस्थान ४३०३, त्रिसयोगी भग अपराजित संघ-१११६ अ!
१४०४, सक्रमण ४८५ अ । अल्पबहुत्व ११६८। अपराजित (स्वर्ग)-अनुत्तर विमान-निर्देश ४५१६ अ. अपर्याप्त योग-३६०४ अ।
विमान ४५१४ ब,श्रेणीबद्ध ४५१८, अकन ४५१७, अपर्याप्ति--३४० ब। कल्पातीत ४५१०। इस विमान के देव-निर्देश अपवर्ग-१११६ब, नैयायिक दर्शन २६३३ ब । ४५१० ब, अवगाहना ११८१ अ, अवधिज्ञान अपवर्तन-१११६ ब, आयु १२६१ अ, अल्पबहुत्व ११६८ ब, आयु १२६६, आयुबन्ध के योग्य परि- ११६०, कदलीघात ३२८५ब, घात १११७ब। णाम १२५८ अ।
अपवर्तना घात-अपवर्तन १.११६ ब, काण्डकघात अपराजिता-१.१११ अ । दिक्कुमारी (रुचक पर्वत)
मारा (रुचक पवत)- १११७ ब।
Page #23
--------------------------------------------------------------------------
________________
अप्रतिष्ठित प्रत्येक वनल्पति
अपवर्तनोद्वर्तन
अपवर्तनोद्वर्तन-अश्वकर्ण करण १२०४ अ।
क्षेत्र २१६७, स्पर्शन ४४७७, काल २१००, अन्तर अपवर्त्य -१११६ ब।
१.७, भाव ३२२२ ब, अल्पबहुत्व ११४३ । अपवाद--१११६ब, पद्धति ३६ ब, पर्याय ३४५ ब । अपूर्वकृष्टि-२१४१ अ । अपवाद-मार्ग--अपवाद ११२०-१२३ अ, ब । कृतिकर्म अपूर्व चैत्यक्रिया-२१३८ ब । २१३७ अ. शुभोपयोग १४३३ ब।
अपूर्व स्पर्धक---कृष्टि २१४० ब, २१४१ ब, चारित्रमोह अपवाद लिग --३४१७ अ, ३ ४१६ अ, ब ।
क्षपणा २१८० ब, सूक्ष्मसाम्पराय ४४४१ ब, स्पर्धक अपशब्द-खंडन -११२३ ब।
४४७३. ब। अपसरण ---अपकर्षण १११५ अ ।
अपूर्वार्थ–१ १२५ ब । अपसिद्धान्त-११२३ ब, कर्ता कर्म २२२ ब ।
अपेक्षा-अनेकान्त ११०८ व, ११०६ अ, १११० अ, अपहृत-अन्तर्मुहुर्त १३० अ ।
अभाव ४५०७ अ, एकान्त १४६१-४६३ अ, जीट अपहृत संयम-अपवाद-मार्ग ११२० ब, चारित्र कर्म सम्बन्ध २७० ब, स्वभाव २६० अ, स्याद्वाद
२२८५ अ, २२६२ अ, शुभोपयोग १४३३ अ-ब, ४४९८ अ । सयम ४२३७ ब।
अपेक्षाकत-४५०७ अ । अपाच्य--११२३ ब ।
अपोह-११२५ ब । अपात्र-११२३ ब, उपदेश १४२५ब, ४७५ अ, दान
अपोहरूपता-१.१२५ ब । २४२६ ब, पात्र ३५२ अ, ब ।
अपोहा-ऊहा १.४४५ ब । अपादान कारक-११२३ ब कारक २४६अ।
अपोही--११२५ ब । अपादान-शक्ति-११२४ अ ।
अपौरुषेय -१ १२५ ब, १२३८ ब । अपान-११२४ अ।
अप्पय दीक्षित-३५६५ ब । अपाप-११२४ अ, तीयंकर २३७१ ।
अप्रकाश-४ ३८६ अ। अपाय-११२४ अ, अवाय १२०२ अ, ध्येय २५०० अ, अप्रणतिवाक-३ ४६७ ब। भावना १२१४ ब, १२१६ अ।
अप्रतिकर्म-११२५ ब । अपायविचय--११२४ अ, उपाय विचय २४७६ अ, अप्रतिक्रमण-अमृतकुम्भ २२८८ ब, अशभोपयोग धर्मध्यान २४८२ ब ।
१.४३३ ब, प्रतिक्रमण ३.११६ ब । अपार्थक-११२४ अ।
अप्रतिघात--११२६ अ, १२२३ ब, ऋद्धि १४४७, अपुनरागमन--३ ३२४ ब ।
१४५१ ब, सूक्ष्म ४४३६ ब । अपुनरुक्त अक्षर--१२२८ ब ।
अप्रतिचक्रेश्वरी-११२६ अ, पद्मप्रभनाथ २३७६ । अपूर्वकरण --११२४ अ । अध प्रवृत्तिकरण २ १३ अ, अप्रतिपक्ष प्रकृति-३ ६१ अ।
अनिवत्तिकरण २१४ अ, आरोहण-अवरोहण अप्रतिपत्ति-११२६ अ, व्यक्ति ३६१६ अ। २२४७ अ, उपशम १४४१ अ, उपशामक ४३४३ अ, अप्रतिपातिकी-३२६७ ब । करण दशक २६ अ, कषाय २.४० ब, काय २४५ ब, अप्रतिपाती-११२६ अ, अवधिज्ञान ११८८ ब, कालावधि का अल्पबहुत्व ११६१, क्षपक ४.३४३ अ, ११९४ अ । चारित्रमोह क्षपणा २१८० ब, परिणाम २११-१३, अप्रतिबुद्ध-११२६ अ। परिषह ३ ३४ अ, बन्धक ३१८० अ, सूक्ष्मसाम्पराय अप्रतिभा-११२६ अ । ४८६ अ।
अप्रतियोगी-११२६ अ। अपूर्वकरण (प्ररूपणा)-बन्ध ३६७, बन्धक ३ १७६ अ, अप्रतिष्ठान-११२६ अ।
बन्धस्थान ३ ११० ३ १११, प्रदेशनिर्जरा का अल्प- अप्रतिष्ठित-११२६ अ। बहत्व ११७४, उदय १३७५ ब, उदयस्थान अप्रतिष्ठित प्रत्येक बनस्पति-निर्देश ३५०६ ब, जीव. १.३६२ अ, उदीरणा १.४११, उदीरणा स्थान
समास २ ३४३, आयु १.२६४ अ। प्ररूपणा-बन्ध १.४१२, सत्त्व ४२७८, सत्वस्थान ४ २८६, ४.३०४, ३१०४, बन्धस्थान ३११३, उदय १३७६, उदयत्रिसयोगी भंग १४०६अ। सत ४१६३, सख्या ४.६४, स्थान १.३६२ ब, उदीरणा १.४११ उदीरणा स्थान
Page #24
--------------------------------------------------------------------------
________________
अप्रत्यवेक्षित
८
अभयचन्द्र
.
१४१२, सत्त्व ४२८२ सत्त्वस्थान ४२६६,४३०५, ३३६५ अ, वेद ३५८८ ब, वेद्य ३५६२ अ। त्रिसयोगी भग १४०६ ब। सत ४२०६, सख्या अप्रशस्त विहायोगति-३५७३ ब । प्ररूणाएं -प्रकृति ४१०१,क्षेत्र २२०१, स्पर्शन ४.४८४, कान २१०७, ३८८, ३ ५७३ ब, स्थिति ४४६६, अनुभाग १.६५ब,
अन्तर ११२, भाव ३.२२० ब, अल्पबहुत्व ११४६ । प्रदेश ३१३६ । बन्ध३९७, बन्धस्थान ३.११०, अप्रत्यवेक्षित-११२६ अ, उ.सर्ग १३६३ अ, निक्षेप उदय १३७५, उदयस्थान १३६०, उदीरणा १४११, १५० अ।
सत्त्व ४ २७६, सत्त्वस्थान ४३०३, त्रिसंयोगी भग अप्रत्याख्यान -११२६अ, क्रिया २.१७४।
१४०४, सक्रमण ४८५, अल्पबहुत्व ११६७ । अप्रत्याख्यानावरण (कर्मप्रकृति)-११२६ अ, कषाय अप्रसिद्ध-३.२ ब ।
२३५ ब, २३८ अ, २३६ अ। प्ररूपणा-प्रकृति अप्राप्त काल-११२६ ब । ३८८, ३.३४४ अ, स्थिति ४४६१. स्थितिसत्त्व अप्राप्यकारी-११२६ ब, इन्द्रिय १३०३-३०४, ४३०८, अनुभाग १६४ ब, प्रदेश ३ १३६, बन्ध ३ २५८ अ, अवग्रह ११८३ ब । ३६७, बन्धस्थान ३१०६, उदय १३७५, उदय
अप्रासुक-३२०४ ब । स्थान १३७९, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान
अप्रिय-४२७२ ब, वचन ३ ४६७ ब । १४१२, सत्त्व ४२७८ सत्त्वस्थान ४२६५, सत्त्व ।
अप्रेरक-कारण २६१२ अ। स्थान अल्पबहत्व ११६५ ब, त्रिसंयोगी भग १४०१, अबंध-११२६ ब, आयुकर्म १२६३ अ, ज्ञानी सक्रमण ४८५ अ, अल्पबहुत्व ११६८ ।
४३७५ ब, ४ ३७६ ब, बन्ध ३ १७२ अ। अप्रदेश--अनन्त १५५ ब, असंख्यात १२०६ अ, परमाणु
अबद्ध-११२७ अ, कारण २५६ ब । ३१८ अ।
अबद्धायुष्क-जन्म २३१३ ब, बन्ध-उदय-सत्त्वस्थान अप्रदेशी-११२६ ब, द्रव्य २४५५ ब, परमाणु ३१८ अ ।
१४००। अप्रमत्तसंयत -असत्य मनोयोग ३ ३८० अ, अहिसक
__ अबध्यदेश-सुबाहु २३६२ । १२१६ अ, आरोहण-अवरोहण २२४७, उपशम
अबब-सख्या प्रमाण २२१४ ब । १४३६ ब, करण दशक २६ अ, कषाय २४० व,
अबला-४४५० अ । काय २४५ ब, क्षीणकषाय २४७ ब, प्रमत्त (सयत)
अबाधित-३२ ब। ४१३० अ, सज्ञा ४१२२ ब, सयत ४१३० अ, अबद्धिपूर्वक-निर्जरा १७५ ब, २६२२ ब, बुद्धि ४१३१ ब, समुद्घात ४३४३ अ।
३१८४ ब, राग ३ ३९६ अ। अप्रमत्तसंयत (प्ररूपणा)-बन्ध ३६७, बन्धस्थान ३११०, अब्बहल भाग-११२७ अ, विस्तार ३३८६ ब, बिलो
प्रदेश निर्जरा अल्पबहुत्व ११७४, उदय १३७५ ब, का प्रमाण २५७, अकन ३४४१, चित्र ३.३८६। उदयस्थान १३६२ अ, उदीरणा १४११, उदीरणा अब्बद-सख्या प्रमाण २२१४ ब । स्थान १४१२, सत्त्व ४२७८, स्थितिसत्त्व का अल्प- अब्भोब्भव-११२७ अ, वसतिका दोष ३५३८ब । बहत्व ११७४, सत्त्वरथान ४२८८, ४३०४, अब्रह्म-११२७ अ, ब्रह्मचर्य ३१६२ ब, हिंसा १.२१७ अ, त्रिसयोगी भग १४०६ अ। सत् ४१६३, सख्या ४५३२ ब। ४.६४, क्षेत्र २१६७, स्पर्शन ४४७७, काल २६६,
सन ४४७७, काल २६६, अभक्ष्य-३२०२ अ। अन्तर १.७, भाव ३ २२२ ब, अल्पबहुत्व ११४३। अभयकर-११२७ अ, ग्रह २२६३ अ। अप्रमाण-अवग्रह ११८२ ब, उपचार १४२२ अ, युक्ति अभय-११२७ अ, अनुत्तरोपपादिक १७० ब, मूलसंघ
विरुद्ध १२३६ ब । अप्रमाद-प्रमाद ३१४६ अ ।
अभयकोति-नन्दिसघ १३२३ ब, काष्ठासघ १३२७ अ, अप्रमार्जित-उत्सर्ग १३६३ अ।
इतिहास १३३४ अ। अप्रयत-हिंसा ४५३५ ब ।
अभयकुमार.---११२७ अ, मगधदेश १३१० ब । अप्रशस्त-११२६ ब, उपशम १४३७ अ, ध्यान २४६ अ, अभयचन्द्र-११२७ अ, काष्ठासघ १३२७ अ, नन्दिसंघ
निदान २६० अ, नोआगम ३१५६ ब, मोह १३२३ ब । इतिहास-प्रथम १.३३२ अ, १.३४५ अ। ३३४० ब, राग (उपयोग) १४३३ ब, राग द्वितीय १३३२ अ, १.३४५ ।
Page #25
--------------------------------------------------------------------------
________________
अभयदान
अभयदान- - २४२ अ, २४२ ब ।
अभयदेव ( सूरि ) - १.१२७ अ इतिहास- १३३० ज १३३१ अ १३४२ अ । अभवनन्दि-११२७ अ, इन्द्रनन्दि १.२६६ व, देशीय गण १३२४, १३२५ । इतिहास १३३० न १३४२ ब अभयसेन- ११२७ व काष्ठास १३२७ अ पुन्नाट
सघ १३२७ अ ।
-
अभयानन्दसनाथ २३७ ।
बन्धापसरण
अभव्य जीव २३३३व, राशि १५६ अ १.११६ अ सापेक्ष धर्म ११०८ अ, ४३२२ ब समान भव्य ३२१२, सिद्ध ३२११ वा प्रसपणाबन्ध ३१०७, बन्धस्थान ३११३, उदय १३८४, उदयस्थान १३९२, उदीरणा १४११, सरव ४२८४, स्वान ४३०२ संयोगी भग १४०८ अ सत् ४२५४४१०८ क्षेत्र २.२०६र्शन ४४१२, काल २.११७, अन्तर १२०, भाव ३२२२ अ, अल्पबहुत्व ११४२ ब, ११५२ अ ।
अभव्यत्व -३२१२ अ ।
अभाव - १.१२७ व उत्पादादि १३६१ अ, नय २५२४ अ, प्रमाण २१५० ब, भाव ३२२४ अ, शक्ति ३ २२४ अ, सापेक्ष धर्म ४ ३१६ ब, ४३२० अ ।
अभाव भावशक्ति- ३.२२४ अ ।
अभाववाद - अभाव ११२८ व एकान्त ११२९ व १.४६५ अ ।
अभाषा - ३२२६ अ । शब्द ४.३ अ ।
अभिगमन- ३५४६ अ ।
अभिगृहीत - ३.३०१ अ ।
अभिनिबोध - ११२६ ब ज्ञान ११३० अ : अभिनिवेश ११३० अ ।
अभिन्न- ११३० अ सन्धि २, २०७४ अ ।
अभिपूर्वी ११३० अ, ऋद्धि
४५५ अ । अभिप्राय तर्फ ३६ व वक्ता १.४२५, २५१३ ब ब, स्याद्वाद ४५०० ब । अभिप्रेत
२२ व
अभिमन्यु - ११३० अ, कुरुवण १३३६ अ । अभिमान - ११३० अ हिंसा ४५३३ ब । अभियोग (देव) ११३० अ ज्योतिषी २.३४६ अ भवनवासी ३२०६अ, आयु १२६५, विजयार्धवासी ३४४८ अ, वैमानिक देवी ४५१३, देव आयु १.२६९ देवी आयु १२७०, व्यन्तर २६११ व आयु १.२६४ व ।
अभियोगी भावना - १.१३० ब । अभिलाप ११३० ब । अभिलाप्य श्रुतज्ञान १२२८ ब । अभिलाषा - ११३० व निःकाक्षित २५०५ व दे
-
-
अe
मूर्च्छा, आकांक्षा, कामना, तृष्णा, आशा, राग ) । परिग्रह ३२७ व पुण्य ३६६ व ब्रह्मचर्य ३१८६ अ संज्ञा ४ १२० ब ।
1
अभिवृद्धि उत्तराभाद्र २५०४ ब
अभिव्यक्ति २२९ अ व्यक्ति ३६१५ अ । अभिव्यापक आधार १२४६ अ ।
१४४८, दशपूर्वी
अभिवव ११३७ व
- ।
J
अभिषेक - ११३० व पूजी ३७८ व वन्दना २१३८ व अभिषेक पुर- - ज्योतिषी देवो के प्रासाद २०३५१ च । अभिषेक यन्दना किया-२.१३८ ।
अभिग्रह - १२०० अ ।
अभिघट ११२ व आहारदोष १२१० व उद्दिष्टदोष अभिसारिका – २४७० अ -
।
१४१३ अ वसति कादोष ३५२९ अ ।
अभीक्ष्णज्ञानोपयुक्ता ११३० व । अभीमज्ञानोपयोग- ११३० व
अभिघातगति --- २२३५ अ ।
अभिचन्द्र–१ १२ε ब, कुलकर ४.२३, यदुवरा १३३७, अभूतार्थ - ११३१ अ । नय २ ५६७ ब । हरिवंश १३४० अ ।
अभूतोद्भावन वचन सत्य १२०८ ।
अभिजित ११२६ व तीर्थकर २३८५, ब्रह्मा
अभेद - ११३१ अ, उत्पादादि १३५६ ब १३६० ब उप
२.५०४ व ।
अभिधान - ११२६ ब ।
अभिधान बिन्तामणि कोष — इतिहास १३४३ ब । अभिधान निबन्धन नाम-११२९ व २.५८२ व । अभिधान मल ३.२८० व - । अभिषेय १.१२९ ब ।
अभिनन्दन - १.१२९ ब पूर्वभव २३७६-३११ ।
चार १.१३१ अ, १४१६ अ, ४.५०१ ब, २५५६ ब, कर्ता कर्म २०१७ २४, कारण कार्य २५५ अ, कारक २.४१ व २.४०६, ज्ञान २२६१, अज्ञान २.२६७ ब चारि ४४१ व द्रव्य २.४५९ व भोग ३.२३५ व रत्नत्रय २.३३५ अ वृत्ति १.१३१ ४५०१ व सयम ४,४१६ ब, सापेक्षधर्म १.१०६ अ, स्वभाव १.१३१ अ ।
"
Page #26
--------------------------------------------------------------------------
________________
अभेदोपचार
अमृतरस
अभेदोपचार-११३१ अ, उपचार १८१६ अ, नय अमर-रक्ष-राक्षसवश १३३८ । २५५६ ब स्याद्वाद ४५०१ ब।
अमरसेनचरिउ-इतिहास १.३४६ ब । अभेद्य-११३१ अ, भरत चक्रवर्ती ४१५ अ ।
अमरावती-४४४५ अ । अभोक्ता-राग २ ३६६ ब, सम्यग्दृष्टि ४३७६ अ । अमरेन्द्र कौति-न्दिसघ १३२४ अ । अभोक्तृत्व शक्ति--१ १३१ अ।
अमर्यादित (भोजन)--१.१३२ अ, भक्ष्याभक्ष्य ३.२०२ ब । अभोज्य-३५२५ ब, गृहप्रवेश १२६ अ ।
अमलप्रभ-2 १३२ अ, तीर्थंकर २ ३७७ । अभोज्य गहप्रवेश-आहारान्तरराय १२६ अ।
अमात्य--११३२ अ । अभ्यंगस्नान-४४७१ ब ।
अमावस्या-११३२ अ, चन्द्र की गतिविधि २३५१ अ। अभ्यतर-११३१ अ, उपाधि १४२७ अ, ३६२३ ब, लवणसागर पर प्रभाव ३४६० ।
करण २६११ ब, कषाय २३५ ब, ग्रन्थ ३२८ अ, अमित-कुबेर का यान ४.५१३ अ। तप २३५६ अ, २३६१, तप.कर्म २२६ अ, त्याग अमितगति-१.१३२ अ, माथुर संघ प्र० १३२७ ब, ३ २६ ब, नेत्र २४६८ ब, धर्मध्यान २४८१ अ, द्वि० १३२७ ब, यदुवश १३३७ । इतिहास-प्र० परिग्रह १४२७ अ, ३.२८ अ, ३.६२३ ब, परिषद १३३० अ, १ ३४२ ब, द्वि० १.३३० ब, १३४३ अ। ३५६ अ, प्रत्यय ३१२५ ब, प्रत्यय कषाय २३५ ब, अमितगति (देव)-दिक्कुमारेन्द्र ३.२०८ ब, परिवार मल ३.२८८ अ, व्यास २.२२३ ब, व्युत्सर्ग ३.६२३ ब, ३२०६ अ, निवास ३२०९ ब, आयु १.२६५ ।। सल्लेखना ४ ३८२३ अ, ४.३८३ अ, सूची २२३३ ब, अमितगति श्रावकाचार-१.१३२ अ, इतिहास १३४३ अ। हेतु २.५४ अ, २६२ अ, ब, २७२ ब ।
अमित तेज-१.१३२ ब । अभ्यन्तरोपधि व्युत्सर्ग-३६२३ ब ।
अमितप्रभ-यदुवश १ ३३७ । अभ्यस्त-१.१३१ अ, गणित २२२२ ब ।
अमितमति-४२३। अभ्याख्यान-१.१३१ अ ।
अमितवाहन (देव)---दिक्कुमारेन्द्र ३२०८ ब, परिवार अभ्यागत-१.१३१ अ।
३२०६ अ, निवास ३ २०६ ब, आयु १.२६५। अभ्यास-११३१ अ, जिनागम ४.५२५ अ, सस्कार अमितसेन–११३२ ब, पुन्नाट सघ १ ३२७ अ, इतिहास ४.१४६ ब।
१.३२६ ब। अभ्युत्थान-१.१३१ ब, विनय ३ ५५२ अ, ब, ३.५५३ अ। अमितांग-४१० अ । अभ्युदय-१.१३२ अ, सुख ४.५२४ अ ।
अमुख मंगल-१.१३२ ब, अमुख्य मगल ३ २४१ ब । अभ्युपगम सिद्धान्त-१.१३२ अ, ४.४२७ ब, नैयायिक अमूढदृष्टि-१.१३२ ब । दर्शन २६३३ ब।
अमर्त-१.१३३ अ, गुण २२४४ ब, द्रव्य २.४५६ अ, अभ्र---१.१३२ अ, स्वर्गपटल-निर्देश ४५१६, विस्तार सापेक्ष धर्म १.१०६ अ, ४३२३ ब, बन्ध ३.१७३ अ,
४.५१६, अकन ४५१६ ब । देव-आयु १.२६७ । मन.पर्यय ज्ञान ३.२६३ अ, मूर्त ३.३१६ अ, स्पर्श अभावकाश-योग का अतिचार २.४८ अ, शय्यासन तप ४.४७६ ब । २.४७ ब।
अमर्तत्व-३ ३१६ अ, शक्ति ३ ३१६ ब । अमनस्क-४.१२२ अ ।
अमत-अनुभाग १.६० ब, कुम्भ २.२८८ ब, भरत चक्रवर्ती अमनोज्ञ--३.२६ ब ।
४.१५ ब, सदृश ४ २७० ब । अमम-१.१३२ अ, कालप्रमाण २.२१६ अ, २.२१७ अ। अमतकल्प-४१५ ब । अममांग-१.१३२ अ, कालप्रमाण २.२१६ अ, अमतकुम्भ-अप्रतिक्रमण २.२८८ ब । २.२१७ अ।
अमृतगर्भ-४.१५ ब । अमर-सुमतिनाथ २३८७ । हरिवंश १.३४० ।
अमृतचन्द्र-१ १३३ अ, इतिहास १३३० अ, १.३४२ अ । भमरकीति गणी-इतिहास १.३३२ अ, १.३४४ ब । अमृतधारा-१.१३३ अ, ३.५४५ ब । अमरकोष टीका-आशाधर १.२८० ब, इतिहास (क्रिया- अमृतप्रभ-यदुवश १.३३७ । कलाप) १.३४४ अ।
अमृत बल-इक्ष्वाकुवश १.३३५ अ । अमरप्रभ-१.१३२ अ, वानरवंश १.३३८ ब ।
अमृतरस-ऋद्धि १.४५६ अ ।
Page #27
--------------------------------------------------------------------------
________________
अमृतरसायन
अरनाय
१३७५ब, उदयस्थान १ ३६० अ, १.६६,१३६७, उदीरणा १४११ अ, स्व ४२७६, सत्त्वस्थान ४२६३, त्रिसयोगी भग १४०६ अ । सत् ४१६४, सख्या ४६८, क्षेत्र २.१६७, स्पर्शन ४.८७७, काल २.१००, अन्तर १७, भाव ३२०२ ब, अल्पबहुत्व
१.१४३। अयोगव्यवच्छेद-११३३ ब। अयोगी-दे० अयोगकेवली। अयोध्य-४ १५ अ। अयोध्या-११३३ ब, नारायण ४.१८ ब, तीर्थकर ऋषभ
अजित अभिनन्दन सुमति अनन्त पार्श्व २३७८-३७६, भरतक्षेत्र की राजधानी-निर्देश ३ ४४६ अ, अकन ३.४४४,३४४७, विदेह नगरी--निर्देश ३.४६० अ, नामनिर्देश ३.४७० ब, विस्तार ३.४७६, ३४८०, ३४८१, अकन ३ ४४४, ३.४६४ के सामने, चित्र
अमतरसायन-१.१३३ अ। अमृतवेग-राक्षसवश १३३८ अ। अमृतसर-४.१६ ब। अमृतस्रावी-ऋद्धि १.१३३ अ,१४८७,१४५६ अ। अमृताशीति-१.१३३ अ, इतिहाम १३४१ अ। अमेचक-१.१३३ अ। अमेध्य-(आहारान्तराय) १.२६ अ। अमोघ-११३३ ब, वाण ४१५ ब, नारायण ४१८ अ। अमोघ (स्वर्गपटल)-निर्देश ४५१८, विस्तार ४५१८,
अकन ४५१५ । देव-आयु १२६८ । अमोघ (पर्वतीय कूट)---मानुषोत्तर--निर्देश ३.४७५ अ,
अंकन ३ ४६४। रुचकवर-निर्देश ३४७६ अ,
विस्तार ३.४८७, अंकन ३.४६८, ४६६ । अमोघमली शक्ति--४.१६ ब । अमोघवर्ष-१.१३३ ब, राष्टकूटवश १.३१५ अ, ब,
अकालवर्ष १३१ अ। अयन-कर्मावस्था २६८ अ। अयत्नाचारी-४५३५ ब। अयथाकाल-उदय १.३६८ अ । अययार्थ-३ ३०२ ब। अयन-११३३ ब, कालप्रमाण २.२१६ अ, ब, सूर्य चन्द्र
की गतिविधि २३५१ अ, कायक्लेश २.४७ अ। अयश कीति-१.१३३ ब, नामकर्म ३ ६६ अ । प्ररूपणा
प्रकृति ३८८, २.५८३ अ, स्थिति ४४६७, अनुभाग १६५ ब, प्रदेश ३ १३६ ब । बन्ध ३६७, बन्धस्थान ३११०. उदय १३७५, उदयस्थान १३९०, उदीरणा १.४११, सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४.३०३, त्रिसयोगी भग १.३६६ ब, सक्रमण ४८५ अ, अल्प-
बहुत्व १.१६७ अ, ११७२ ब। अयस्थूल-३.६०५ अ। अयुत-कालप्रमाण २.२१६ अ। अयुतसिद्ध--१.१३३ ब, ४३३४ अ, द्रव्य २४५४ अ । अयुतांग-कालप्रमाण २ २१६ अ । अयोग-११३३ ब, योग ३ ३७६ ब । अयोगकेवली-अयोगी ३५०६ अ, अर्हन्त ११३८ अ,
कर्मक्षय २१५८ अ, कषाय २४० ब, काय २४५ ब, केवली २१५७ ब, २.१५८ अ, निगोद ३ ५०५ ब, प्राण ३ १५३ ब, समुद्घात ४.३४३ अ । आरोहण क्रम २.२४७, दश करण २.६, परिषह ३.३४, प्रदेश निर्जरा
अल्पबहुत्व १.१७४ अ। अयोगकेवली (प्ररूपणा)--बन्धस्थान ३.११३, उदय
अयोनिज--- १६५ अ। अर - चक्रवर्ती ४१० अ, २.३७७ । (दे० अरनाथ) अरक्षा भय - १.१३३ ब, भय ३ २०६अ। अरजस्का-११३३ ब, विद्याधर नगरी ३५४५ अ। अरजा-१.१३३ ब । विदेहस्थ नगरो-निर्देश ३.४६० अ,
नाम ३४७० ब, विस्तार २४७६-४८०-४८१, अकन ३ ४४४, ४६४ के सामने, चित्र ३४६० अ। नन्दीश्वर द्वीप की वापी-निर्देश ३४६३ ब, नाम
३४७५ अ, विस्तार ३.४६१, अकन ३४६५ । अरण्य -१.१३३ ब। अरति-कषाय ११३३ ब, २३५ ब, परीषह ११३४ अ,
३३३ ब, ३३४ अ, रति ३.३८८ ब, रागद्वेष २३६ अ, शोक ४.४२ ब।
अमोल अरति परीषह-११३४ अ, ३३३ ब, ३३४ अ। अरति प्रकृति--११३४ अ। प्ररूपणा-प्रकृति ३८८,
३.३४४ अ, स्थिति ४.४६१, स्थिति सत्त्वस्थान ४३०८, स्थिति सत्त्वस्थान का अल्पबहुत्व ११६५ ब, अनुभाग १६४ ब, प्रदेश ३.१३६, बन्ध ३६७, बन्ध काल का अल्पबहुत्व १.१६१ ब, बन्धस्थान ३१०६, उदय १.३७५ ब, उदयस्थान १३८६, उदीरणा १.४११ अ, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान ४.२६५ त्रिसंयोगी भग १.४०१ ब, अल्पबहुत्व १.१६८,
४.८५ अ। अरति वाक्-१.१३४ अ, वचन ३ ४६७ । अरति वेदनीय-३.३४४ ब । अरनाथ-१.१३४ अ, भावि तीर्थकर २.३७७. पर्व भव
Page #28
--------------------------------------------------------------------------
________________
अरल सागर
अर्जुन
२३७६-३६१, कुरुवश १३३५ ब, तीर्थकर अरुचि -उपदेश १४२५ अ, राग ३.३६७ ब, ३ ३६६ ब,
श्रद्धान ४ ४५ ब। अरल सागर-----उत्तरकुरु १३५६ अ।
अरुण-११३४ ब लौकान्तिक देव ३,४६३ ब, अरुणवर अरविंद-कुरुवश १३३६ अ।
द्वीप का रक्षक देव ३६१४, विजयवान नाभिगिरि अराग-सबर १४३२ ब।
का रक्षक देव ३ ४७१ अ। स्वर्गपटल-निर्देश अरिजय--१.१३४ अ, विद्याधर वश १३३६ अ, विद्याधर
४५१६, विस्तार ४.५१६, अकन ४.५१६ ब। देव नगरी ३५४५ अ।
आयु १.२६६ । अरिंदम-अजित सुपाश्वं चन्द्रप्रभ नाथ २.३७८, विद्याधर अरुणप्रभ-११३४ ब, अरुण वर द्वीप का रक्षक देव __ वश १३३६ अ। अरि----११३४ अ, मोहनीय कम ३ ३४२ अ।
अरुणमणि १ १३४ ब, इतिहास १.३३४ अ।
अरुणवर--११३४ ब। अरिकेसरी-११३४ अ। अरिमर्दन-राक्षसवश १३३८ अ।
अरुणा-११३४ ब, नदी ३.२७५ ब ।
अरुणाभास-दशम द्वीप सागर-निर्देश ३.४७० अ, अरिष्ट-११३४ अ, अनन्तनाथ २.३८७, भक्ष्याभक्ष्य ३२०३ अ, यम देवो का यान ४.५१३, लौकान्तिक
विस्तार ३.४७८, जल का रस ३.४७० अ, ज्योतिष देव ३४६३ ब, ब्रह्म युगल स्वर्ग का पटल-निर्देश
चक्र २३४८ ब, अधिपति देव ३.६१४, अंकन ४.५१८, विस्तार ४ ५१८, अकन ४५१५, देव आयु
अरुणी-१.१३४ ब, विद्याधर नगरी ३.५४५ ब। १२६७ । अरिष्टनेमि -यदुवश १३३७, हरिवश १३३६ब।
अरुणीवर--११३४ ब, नवम द्वीप-सागर-निर्देश अरिष्टपुर--११३४ अ, विदेहस्थ नगरी-निर्देश ३४७० अ, विस्तार ३४७८, जल का रस ३ ४७० अ, ३ ४६० अ, नाम ३.४७० ब,विस्तार ३ ४७६, ३.४८०,
ज्योतिषचक्र २.३४८ ब, अधिपति देव ३६१४, ३४८१, अकन ३ ४४४, ३.४६४ के सामने, चित्र
अंकन ३४४३ । ३४६० अ।
अरूपत्व-११३४ ब । अरिष्टसम्भवा--११३४ अ, आकाशोपपन्न देव २ ४४५ब। अरूपी-११३४ ब, मूर्त ३१६ अ। अरिष्टसेन-चक्रवर्ती ४२५ अ, धर्मनाथ २३८७। अर्क-हरिवश १.३४० अ । सौधर्म स्वर्ग का पटलअरिष्टा--१.१३४ ब, विदेहस्थ नगरी-निर्देश ३ ४६० अ, निर्देश ४.५१६, विस्तार ४.५१६, अकन ४५१६ ब,
नाम ३ ४७० ब, विस्तार ३.४७६, ३.४८०,३४८१, देव आयु १२६६ । अंकन ३.४४४, ३.४६४ के सामने, ३ ४३० अ। अर्ककीति -११३४ ब, अकम्पन १३० ब, इक्ष्वाकु वश मे रुचकवर पर्वत का कूट-निर्देश ३ ४७६ अ, विस्तार भरत चक्री का पुत्र १.३३५ अ, सूर्यवश १.३३६ ब । ३.४८७ अकन ३.४६८-४६६ ।
अर्कचूड - विद्याधर वंश १.३३६ अ। अरिष्टा (नरक पृथिवी)-नरक निर्देश २ ५७६ अ, अर्कमूल - ११३४ ब, विद्याधर ३.५४५ ब ।
विस्तार २५७६, २५७८, पटल इन्द्रक श्रेणी बद्ध अर्घ-३.७६ अ। २.५७८, २ ५८० अ, अकन ३,४४१। नारकी अव- अर्चट-११३४ ब, इतिहास १३२६ ब ।
गाहना १ १७८, अवधिज्ञान १ १६८ आयु १.२६३। अर्चन- ११३४ ब, पूजा ३८१ अ । अरिष्टा पथिवी (प्ररूपणा)-- बन्ध ३.१००, बन्धस्थान अर्चि-अनुदिश स्वर्ग का श्रेणीबद्ध-निर्देश ४५१९ अ.
३११३ उदय १.५७६, उदय स्यान १.३६२, उदीरणा ४५१५, ५१८ । देव आयु १.२६६ । १.४११, उदीरणा स्थान १.४१२, सत्त्व ४.२८१, अचिनिका-वैमानिक इन्द्रो की देवी ४.५१३ ब। सत्त्वस्थान ४२६८, ४३०५, त्रिसंयोगी भग अचिमालिनी--- अनुदिश स्वर्ग का श्रेणीबद्ध-निर्देश १.४०६ अ । सत् ४ १७०, संख्या ४ ६५, क्षेत्र २.१६७, ४५१६ अ, अकन ४.५१५, ५१७। देव आयु स्पर्शन, ४.४७६, काल २.१०१, अन्तर १८, भाव १२६६ । सूर्य चन्द्र की पट्ट देवी, २.३४६ अ। ३.२२० अ, अल्पबहुत्व ११४४ ।
अर्जुणी--३ ५४५ ब। अरिसत्रास-राक्षस वंश १.३३८ अ।
अर्जुन-१.१३४ ब, कुरुवश १.३३६ अ, एक कवि
Page #29
--------------------------------------------------------------------------
________________
अर्जनवर्मा
अर्धनाराचसहनन
१.३२८ अ । अर्जुनवर्मा-११३४ ब, भोजवश १.३१० अ। अर्जुनी-१.१३४ ब । अर्णव-४१६ ब। अर्थ- १.१३४ ब, अग्न १.३६ अ, अनन्तता १.२३४ अ,
अन्वयी १.११२ ब, अवग्रह १.१८१ ब १.१८३, आगम १२२६ ब, काल १२३४ अ, देश १ २३४ अ, द्रव्य २.४५४ ब, ध्येय २.५०० अ, नय २.५१४ ब, २५४३ अ, निरीक्षण २५६२ अ, नैयायिक दर्शन २ ६३३ ब, पंचविध १.२३० अ, प्रमाण १२३३ अ, शब्द १२३२ ब, शुक्लध्यान ४३३ अ, ब, शुद्धि
११३५ब, सप्तभगी ४३२४ अ, ४.३२५ ब । अर्थकथा-कथा २.३ ब । अर्थक्रियाकारित्व-३.५३० व। अर्थदर्शनार्य-आर्य १२७५ अ । अर्थनय--१.१३५ ब, नय २.५१४ ब, २५२० ब,
२५२६ अ, ब, २५४३ अ। अर्थनिपुर-काल प्रमाण २.२१६ अ । अर्थनिपुरांग --कालप्रमाण २ २१६ अ। अर्थनिबन्धन-२.५८२ ब । अर्थनिमित्तक विनय-३.५४८ ब । अर्थपद-१.१३५ ब, ३.४ अ, ब, श्रुतज्ञान ४.६५ अ । अर्थपरंपरा-आगमार्थ १२३. ब। अर्थपर्याय--१ १३५ ब, पर्याय ३ ४५ ब, ३४७ ब, सप्त.
भगी ४.३ २२ब। अर्थपर्याय नैगम नय -२५३१ अ। अर्थपर्यायनैगमाभास--२ ५३१ ब । अर्थपुनरुक्ति-१ १३५ ब । अर्थपुरुषार्थ-११३५ ब, कथा २ ३ ब, कारण ३७० अ। अर्थपौरुषी-१५२ अ। अर्थभेद-नय २.५४१ अ, मतिज्ञान ३,२५४ अ, शब्दभेद ।
३ २५४ अ, २५३६ ब। अर्थमल-११३५ ब, मल ३ २८८ब । अर्थरुचि-४३४८ ब । अर्थलिंगज श्रुतज्ञान-अनुमान ४५६ अ, श्रुतज्ञान
४.६० ब, ४.६४ अ। अर्थवाक्य--वाक्य ३.५३१ अ । अर्थवाद-१ १३५ ब। अर्थविकल्प ज्ञान-३.५३७ ब । अर्थव्यंजन पर्याय नैगम-२.५३१ अ । अर्थव्यंजन पर्याय नेगमाभास-~-२ ५३१ ब ।
अर्थशुद्धि--११३५ ब, उभय शुद्धिः १.४४४ ब । अर्थसंक्रान्ति--४.६१ अ। अर्थसग्रह-आगमार्थ १२३२ अ, मीमासादर्शन३.२११ अ। अर्थसंदृष्टि---११३५ ब, इतिहास १३४८ अ । अर्थसम-११३६ अ, अर्थ ११३५ अ, निक्षेप २ १३६ अ
२६०२ अ। अर्थसमय -११३६ अ, ज्ञान २ २६६ अ, समय ४२८ अ। अर्थसम्यक्त्व-११३६ अ, सभ्यग्दर्शन ४.३४८ ब । अर्थसम्यक्त्वार्य-आर्य १ २७५ अ1 अर्थाधिकार-उपक्रम १४१६ ब, श्रुतज्ञान ४६७ ब । अर्थाधिगम -११३६ अ । अधिगम १५०ब। अर्थातर -११३६ अ। अर्थापत्ति-११३६ अ, केवलज्ञान २१५० ब । अर्थापति समा जाति--१.१३६ अ । अर्थापदत्व-१.१३६ अ। अर्थावग्रह-११४६ अ । अवग्रह १.१८३ अ । अर्दन-१.२७२ ब। अर्द्ध कथानक-- १ १३६ ब, इतिहास १.३४७ ब । अर्द्धक्रम-११३६ ब । अर्द्धगोलक--१.१३६ व । अर्द्धचन्द्र-चन्द्रप्रभ २३७६ । अर्द्धच्छेदक-११३६ ब, गणित २.२२५ अ, राशि
२२२६ असहनानी २२१६ ब । अर्द्धनाराच-१.१३६ ब, सहनन ४.१५५ अ, ब । अर्द्धयुदगपरावर्तन-११३६ ब, श्रतज्ञान १.५८ ब। अर्द्धफालक-११३६ ब । अर्द्धमंडलीक-११३६ ब, राजा ३.४०० ब, ३.४०१ अ। अद्धेन्द्रा-१ १३६ ब । अर्धकंस-तौल का प्रमाण २.२१५ अ। अर्धकथानक-११३६ ब, इतिहास १३४७ ब । अर्धकांड-इतिहास १३४३ ब । अचिता-३.२६२ अ। अर्धच्छेदराशि-११३६ ब, गणित २.२२५ अ, राशि
२२२६ अ, सहनानी २.२१६ ब । अधनाराचसंहनन-(नामकर्म प्रकृति) प्ररूपणा-प्रकृति
३.७६, २५८३ अ, स्थिति ४.४६५, अनुभाग १.६५, प्रदेश ३.१३६ । बंध ३.६७, बंधस्थान ३.११०, उदय १.३७५, उदयस्थान १३८७ ब, उदीरणा १४११ अ, सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४.३०३, त्रिसयोगी भग १.४०४ । सक्रमण ४.८५ अ, अल्पबहुत्व १.१६७, १.१६६।
Page #30
--------------------------------------------------------------------------
________________
अर्धपर्यकासन
२४
अवती
अर्धपर्यकासन-कायक्लेश २.४७ ब । अर्धफालक सघ--४७७ अ,१परिशिष्ट २२। अर्धमडलीक ३४०१ अ, राजा ३४०० ब, ३.४०१ । अर्धस्वर्गोत्कृष्ट-राक्षस वश १.३३८ अ । अर्धानशन -१६५ अ। अपित-१.१३६ ब। अर्थमा--उत्तराफाल्गुन २.५०४ ब। अर्वाचीन पुरुष-आगम १२३६ ब । अर्हत -११३६ ब, अवर्णवाद १२०१ अ, आप्त (१८
दोष रहित) १२४८ अ, ओम् १४६६ ब, केवलज्ञान २१५२ ब, गुरु २२५१ ब, ध्येय २५०१ अ, नमस्कार मत्र ३२४८ अ, निषद्यका (व्युत्सर्ग तप) ३६२१ अ, पिडस्थ ध्यान ३५७ ब, भक्ति ३१३८ ब, ३ १९८ ब, मोक्ष (बिद्ध) ३३२४ अ, बिहार
३५७५ अ, सामायिक ४४१७ ब। अह-११३८ ब, सल्लेखना ४३६० ब । अर्हत-अर्हत ११३६ ब, चैत्य-चैत्यालय २.३०१ अ। अर्हत्पासा केवली-११३८ ब, इतिहास १३४८ अ। अर्हत्प्रवचन-इतिहास १.३४२ ब । अर्हत्सेन-११३८ ब, सेनसघ १३२६ अ, इतिहास
१३२८ ब, १.३२६ ॥ अर्हदत्त-११३८ ब, मूलसघ (श्रुतकेवली) १३१७,
१परि०-२६, इतिहास १.३२८ ब । अर्हदत्त (सेठ)-१.१३८ ब । अर्हद्दास (कवि)-इतिहास १ ३३२ ब, १.३४५ अ। अहदली-१.१३८ ब, मूलसंघ १३१७, १.३२२ ब,
१ परि०-२८, नदिसघ १ परि०-४.२, पुनाट सध
१३२६ ब, इतिहास १३२८ ब । अर्हद्भक्ति-१,१३८ ब, ३ १९८ ब । अहंन्मंडलयंत्र-यंत्र ३ ३४६ । अलकारचितामणि -- इतिहास १.३४५ । अलंकारोदय-११३८ ब । अलंबुष-यदुवंश १.३३७ । अलंबसा-वैमानिक गणिका ४५१४ अ। अलंबू-वैमानिक महत्तरिका ४.५१३ ब । अलभषा-१.१३८ ब । रुचकवर पर्वत की दिक्कुमारी
निर्देश ३.४७६ अ, अकन ३ ४६८-४६६ । अलक-११३८ ब, ग्रह २२७४ अ। अलका-११३८ ब, प्रतिनारायण ४.२० ब, विद्याधर
नगरी ३५४५ब। अलकापुरी-सजात २.३६२ । अलाभ--१.१३६ अ, परीषह १.१३६ अ, ३.३३ ब, ३.३४
ब, लाभ ३.४१६ अ। अलीक वचन - असत्य १.२०८ ब । अलेवड-११३६ अ। अलेश्या-३४२३ ब। अलोक -११३६ अ, आकाश १२२० ब, विभाग २.४८८
ब, २४६० अ, हानि २४६० अ, वर्तना २.८५ ब, अलकाकाश-१.२३६ अ, आकाश १२२० ब, विभाग
२४८८ ब, २.४६० अ, वर्तना २८५ब, अल्पबहुत्व
११४३ अ । हानि २.४६० अ। अलौकिक-११३६ अ, लोकोत्तर ३४६२ ब। गणना
११३६ अ, ३ १४४ ब, सुख ४.४३१ अ, शुचि
१.१३६ अ, ४.४३८ । अल्पकालिक प्रत्याख्यान-३.१३३ अ । अल्पतर बंध:-१.१३६ अ, प्रकृतिबध३८६अ। अल्प-पूर्ण उपचार -१.४२० ब । अल्पबहुत्व-११३६ अ, अनुयोगद्वार १.१०२ अ,
प्ररूपणाये-जीवसामान्य ओध १.१४३, आदेश १.१४४-१५४, सिद्ध या मुक्तजीव १.१५३, पंच शरीरो के स्वामी ११५७ ब-१६० अ । स्थिति बध स्थान सामान्य १.१६४ ब, स्थिति सत्त्वस्थान मोहनीय ११६५, अनुभाग सत्त्वस्थान सामान्य १.१६६-१७०, प्रदेशबध सामान्य १.१७१-१७३, उदीरण व उदीरणास्थान ओघ १.४१२, आयु का अपकर्ष काल १.१७३-१७४, अष्टकर्म निर्जरा १,१७४ । अवगाहना १.१५४, ११५७, योगस्थान १.१६१ ब१-६४, विशुद्धि व संक्लेशस्थान १.१६० अ, ज्ञान व चारित्र के भेदो का अवस्थान काल ११६० ब । २३ वर्गणाएँ १.१५५, पंचशरीर वर्गणा ११५६ ब। स्वामित्व सन्निकर्ष---बंध ११८२, ४४७०,४.५२८, बंधस्थान ४५२७, उदय आदि
११७५ । अध प्रवृत्तकरण २.१० अ। अल्पद्धि देव-आयु के बध योग्यपरिणाम १.२५८ अ, ब । अल्पविद्या-३५४४ अ । अल्पसावध-१.१७६ अ, सावध ४४२१ अ। अल्पसावध कार्य-निर्देश ४.४२१ब, लक्षण ४.४२१ अ,
आर्य १.२७५ अ। अल्पावधिक-३१३३ अ। अल्लीवण बंध-३.१७०ब। अल्हू-(कवि) इतिहास १ ३३३ अ। अवंतिकामा-११७६ अ, मनुष्यलोक ३ २७५ ब । अवंतिवर्मा-११७६ ब। अवंती-११७६ ब, मनुष्यलोक ३२७५ ब, मागध वंग
Page #31
--------------------------------------------------------------------------
________________
अवंतीवश
२५
अबधिस्थान
१.३१० ब, १३१२ यदुवश १३३७, अवंतीवश । अवधा-११८४ ब । इतिहास १३१२।
अवधारणा-११८४ ब। अवंतीवंश - इतिहास १.३१२ ।
अवधि-११८४ ब, अवधिज्ञान ११८८ ब, जन्म अवकाशदान-आकाश १२२० ।
२३२२ अ। अवक्तव्य-१.१७६ ब, तत्त्व १.२२६ अ, भग ४३२४ ब, अवधिज्ञान-१.१८४ ब, उपक्रम १.४१६ ब, ऋद्धि १.४४८,
सापेक्ष धर्म ४.३२४ ब, नय ११७७ अ, २५२२ ब, स्वामित्व २२६१, सम्मूच्छिम ४.१२७ अ। प्रकृतिवध ३.८६ अ।
प्ररूपणा - बध ३१०५, बधस्थान ३ ११३, उदय अवक्तव्यता --४३१४ ब ।
१३८३, उदयस्थान १३६२, उदीरणा १.४११ अ, अवक्तव्यवाद ---१.१७७ अ, एकान्त १.४६५ अ।
उदीरणा स्थान १४१२, सत्त्व ४.२८३, मत्त्व स्थान
४३००, त्रिसयोगी भंग १४०८ अ, सत् ४.२३७, अवक्रान्त-१.१७७ अ । नरक पटल-निर्देश २५७६ ब, विस्तार २.५७६ ब, अंकन ३४४१ । नारकी--
संख्या ४१०६, क्षेत्र ३२०४, स्पर्शन ४.४८८, काल अवगाहना १.१७८, आयु १.२६३ ।
२११३, अन्तर ११५, भाव ३.२२० अ, अल् बहुत्व
११५० अ। सिद्धो का अल्पबहुत्व १.१५४ अ । अवगम-२२७० व । अवगाढ--११७७ अ। दर्शनार्य १२७४ ब, सम्यक्त्वार्य
__ अवधिज्ञानावरण--११६६ ब। प्ररूपणा--प्रकृति ३८८,
२२७१ ब, स्थिति ४४६०, अनुभाग १६४ ब, प्रदेश १.२७४ ब, सम्यग्दर्शन ४३४८ ब, रुचि ४३४८ ब।
२१३६ । बध ३६७, बधस्थान ३.१०६, उदय अवगाह-११७७ अ । क्षेत्र २ २०६ अ, दान ११२० अ।
१.३७५, उदयस्थान १३८७ ब, उदीरणा १.४११, अवगाहन-१.१७७ अ, गति २.२३५ अ ।
उदीरणा स्थान १४१२, सत्त्व ४२७८, सत्वस्थान अवगाहनत्व--११७७ ब, ३ ३२६ अ।
४.२६४, त्रिसयोगी भग १.३६६, सक्रमण ४.८४ ब, अवगाहना-११७७ ब, आकाश गुण १.११२ अ, इन्द्रिय
अल्पबहुत्व १.१६८ । १३०५ ब, औदारिक शरीर अल्पबहुत्व ११५८, अवधिज्ञानी-कल्की २,३१ब, गणित श्रेणी ४.५२४ अ, मुक्ति ३ ३२८ अ, वर्गणा अल्पबहुत्व ११५६ ब, सिद्ध
तीर्थकर २.३८६ । अल्पबहुत्व ११५४ अ, जघन्य अवगाहना से श्रेणी
अवधिजिन-१.१६९ ब, जिनकल्प २.३२६ अ। माडने वालो की संख्या ४६४, षट्कालिक वृद्धि
अवधिदर्शन-१.१६६ ब, दर्शन २.४१३ अ, ब । प्ररूपणाहानि २६३।
बंध ३१०६, बधस्थान ३.११३, उदय १.३८४, अवग्रह-११८१ अ, ईहा ज्ञान १ ३५१ ब, दर्शन २४०६
उदयस्थान १३६३, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणा अ, प्रामाण्य १.१८२ ब, मतिज्ञान ३.२५३ अ। ज्ञान
स्थान १.४१२, सत्त्व ४.२८४, सत्त्वस्थान ४.३०१, की कालावधि का अल्पबहुत्व ११६० ब।
४३०६, त्रिसयोगी भग १.४०६ अ। सत् ४.२४१, अवग्रहकाल-३.२२८ ब।
सख्या ४.१०७, क्षेत्र २.२०५, स्पर्शन ४४६०, काल अवग्रहतप-कायक्लेश २.४७ अ।
२११५, अन्तर १.१७, भाव ३ २२१ ब, अल्पबहुत्व अवग्रहावरणीय कर्म-बीजबुद्धि ऋद्धि १.४४८ ब ।
११५१। अवच्छिन्न-१.१८४ ब ।
अवधिदर्शनावरण-१.१९९ब । प्ररूपणा-प्रकृति ३८८, अवच्छेदक-१.१८४ ब ।
२.४२० अ, स्थिति ४.४६० अनुभाग १६४ ब, प्रदेश अवतंस-११८४ ब। उत्तर कुरू का दिग्गजेन्द्र-निर्देश ३.१३६ । बध ३.६७, बधस्थान ३१०६, उदय ३४७१ब, विस्तार ३४८३, ३४८५, ३.४८६,
१.३७५, उदय स्थान १.३८७, उदीरणा १४११ अ, अकन ३.४४४ ।
उदीरणा स्थान १४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान अवतंसा-व्यंतर वल्लभिका ३.६११ ब ।
- ४.२९४, त्रिसंयोगी भग १.३६६, सक्रमण ४.८४ ब, अवतंसिका-४.१५ अ।
अल्पबहुत्व ११६८ । अवतारक-१.१८४ ब ।
अवधिमरण-१.१६६ ब, मरण ३२८१ ब । अवतारक्रिया-४.१५२ अ।
अबधिस्थान-११९६ ब । नरक पटल-निर्देश २५८० अवदान-१.१८४ ब ।
अ, इन्द्रक व श्रेणीबद्ध २५८० अ, विस्तार २.५८० अवद्य-१.१८४ ब।
अ, अकन ३.४४१ । नारकी-अवगाहना ११७८, अवधभावना--अस्तेय १.२१४ ब, अहिंसा २.११६ अ।
आयु १.२६३ ।
Page #32
--------------------------------------------------------------------------
________________
अवधृत काल अनशन
२६
अविपाक प्रत्यधिक
अवधृत काल अनशन--१६५ ब, १२०० अ।
अवस्था--१.२०१ ब, पर्याय ३४५ ब, व्यवस्था अवध्या --विदेहस्थ नगरी-निर्देग ३४६० अ नाम ३६१७ अ।
३४७० ब, विस्तार ३४७६, ३४८०, ३४८१, अवस्थात्याग---व्यय १३५७ ब । अकन ३४४४, ३४६८ के सामने (चित्र स० ३७), अवस्थान-१२०२ अ, अस्तित्व १२२१ ब, उत्पादादि चित्र ३४६० अ
१३५६ ब, मोक्षमार्ग ३ ३३५ ब, लोकाकाश १२२२अवध्याधिकार-३१६६ ।
२२४, विहार ३ ५७४ अ, स्थान ४४५२ ब । अवनति -कृतिकर्म २१३३ ब, त्रिबार २२६ अ । अवस्था प्राप्ति-उत्पाद १३५७ अ ! अवनमन -२५०६ अ।
अवस्थित-१२०२ अ, परमाणु ३१६ अ । अवना-लवणा देवी ३६१४ अ ।
अवस्थित अवधिज्ञान--१२०२ अ, अवधिज्ञान ११८८ म, अवनिपाल ---१२०० अ।
११६१ब। अवनीत-१२०० अ।
अवस्थित उग्र ऋद्धि-ऋद्धि १४४७१४५३ ब । अवपीडक-१२०० अ।
अवस्थित गुणश्रेणी आयाम-१२०२ अ, श्रेणी ४८९ब । अवबोध--२२७० ब ।
अवस्थित बंध --१२०२ अ, बध ३८६ अ। अवमान-१२०० अ, प्रमाण ३ १४५ अ ।
अवस्थित भागाहार-अनुयोगद्वार ११०२ ब । अवमौदर्य-१२०० अ ।
अवस्थित सख्या-संख्या ४६२ अ। अवयव-१२०० ब, अनुमान १६८ ब, उपदेश १४२५
अवहार- अनुयोगद्वार ११०२ अ। अ, ब, नैयायिक दर्शन २६३३ अ, गुण २२४१,
अवहार काल-अतर्मुहर्त १३० अ, काल २८१ ब । ३३१० अ, परमाण ३१८ ब, पर्याय ३४७ अ,
अवाक शय्यासन तप-कायक्लेश २ ४७ ब । शरीर १२०० ब, सम्यक्त्व ३३१० अ ।
अवाक्-१२०२ अ। अवयवपद - उपक्रम १४१६ ब ।
अवाच्य- सापेक्षधर्म ११०६ अ, ४३२३ बा । अवरोहक-१२०० ब, अवतारक ११८४ ब, अवतारक
अवान्तरसत्ता-अस्तित्व १२१२ ब, द्रव्य २४५५ अ, ११८४ ब, कालावधि का अल्पबहुत्व ११६१ अ।
सापेक्षधर्म ११०९ अ, ४३२३ अ । अवरोहण-गुणस्थान २२४७ अ।
अवाय-१२०२ अ, अवग्रह ज्ञान ११८४ अ, धारणा अवर्णवाद---१२०० ब, असुर देव १२१० ब ।
ज्ञान २४६१ अ, कालावधि का अल्पबहुत्व ११६०, अवर्ण्यसमा--२०१ अ।
मतिज्ञान ३ २५३ अ। अवलंब-१२०१ अ।
अविकल्प-१२०२ ब, ३५३७ अ, नय २.५२३ अ । अवलबना -~-१२०१ अ ।
अविकृतिकरण --१२०२ ब, आलोचना १२७७ अ। अवलबनाकरण---१२०१ अ।
अविज्ञातार्थ-१२०२ ब । अवलंब ब्रह्मचारी-१२०१ ब, ३ १६४ अ।
अविग्रह गति--३५४१ अ। अवक---काल प्रमाण २ २१६ अ)
अविचलस्थिति--चारित्र २२८४ अ, निजस्वरूप अववाग-काल प्रमाण २२१६ अ।
२२८४ अ। अवश--१२०१ ब, आवश्यक १२७६ व ।
अविचार-१.२०२ब, भक्त प्रत्याख्यान ४३८८ ब। अवश्य --आवश्यक १२८० अ ।
अवितथ-१२०२ ब, ३५४३ अ, श्रुतज्ञान ४६० अ। अवष्टम्भ---कर्मोदय २७१ ब ।
अविद्धकरण-१२०२ ब । अवसन्न -१२०१ ब, मरण ३२८१ ब ।
अविद्या--मिथ्यादृष्टि ३३०४ अ, सस्कार ४१५० अ । अवसन्तासन्त-१२०१ ब, परमाणु-समूह १२२४ अ, अविध्वंस --- इक्ष्वाकुवश १३३५ अ। क्षेत्रप्रमाण २२१५ अ।
अविनाभाव-१ २०२ ब, व्याप्ति ३६१८ अ । अवसर्पिणी---१२०१ब, अवगाहना ११८०, आयु १२६४, अविनाभावित्व-४५३८ अ ।
आर्यखड १२७५ अ, काल २८८, कालपरावर्तन अविनाभावी सम्बन्ध-उपचार १४२२ ब । २८६, क्षेत्र २६२, वृद्धि हानि २६१, समवसरण अविनेय-१.२०२ ब । ४३३१ ब, सिद्धो का अल्पबहुम्व ११५३ ।
अविपाक-१२०३ अ, विपाक ३५५६ ब्र। अवसाय ---१२०१ ब, व्यवसाय ३६१७ अ ।
अविपाक प्रत्यधिक-उदय १३६५ ब, उपशम १४४२ अ,
Page #33
--------------------------------------------------------------------------
________________
अविभक्ति
अशुद्धापयोम
निर्जरा १७५ ब, २६२२ अ, भावबध ३ १७१ब, अन्धवस्था-१२०३ ब, व्यवस्था ३.६१७ अ । ३१७२ अ।
अव्याघात-१२०३ ब, अपकर्षण १११३ ब, उत्कर्षण अविभक्ति -३.५५६ ब ।
१३५३ ब, सूक्ष्म ४४३६ ब। अविभाग प्रतिच्छेद-१२०३ अ, अपूर्वकरण २१२ अ, अव्याप्त---१.२०३ व, लक्षणाभास ३४०६ ब ।
उदय १३६६ ब, खड कल्पना २२४१ अ, गुण अव्याबाध-१२०३ ब, मोक्ष ३३२५ ब, ३३२६ अ, २२४१ अ, ब, योग मे अल्पबहुत्व १.१६२ ब, योग लौकान्तिक देब ३४६३ ब, सुख ४४३१ ब, वर्गणा ३३८३ अ, स्पर्धक ४४७२ अ, ब ।
४४३२ ब। अविभागी-द्रव्य १२२१ ब । परमाणु ३ १६ ब । अव्युत्पन्न श्रोता-४७४ अ, ब, उपदेश १४२६ । अविरत काय २४५ ब, दर्शन प्रतिमा २४१८ अ, अव्रत--(दे० अविरत सम्यग्दष्टि)। सम्यग्दृष्टि २२१२ अ ।
अवतीगृहस्थ-मूल गुण ४ ५१ अ। अविरतसम्यग्दृष्टि-१२०३ अ । आरोहण-अवरोहण
अशन--१.२०३ ब, आहार १२८५ अ । ७२४७, करण दशक २६, गर्हण २२३८ ब, दर्शन
अशन दोष--आहार १२८६ ब, १२६१ ब। प्रतिमा २४१८ अ, निर्जरा का अल्पबहुत्व १.१४१ ब,
अशनिघोष-१२०३ ब, मानुषोत्तर के कूट का देव-- परिषह ३३४, वेदक सम्यक्त्व २१५५, विशेष दे० निदश ३ ४७५ अ, अकन ३४६४ । 'सम्यग्दृष्टि'।
अशनिजव--१२०३ ब, महोरग देव ३२६३ अ। अविरतसम्यग्दष्टि (प्ररूपणा)-बध ३६७, बधस्थान अशब्द-परमाणु ३१५ ब।
३.१०६, उदय १३७५, उदयस्थान १३६२ अ, अशय्याशधिनी-१२०३ ब, विद्या ३.५४४ अ । उदीरणा १४११ अ उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व अशरण-१२०३ ब, अनुप्रेक्षा १७३ अ, ७६ अ। ४२७८, सत्त्वस्यान ४२८८, विसयोगी भग १४०६ अशरीर-३ ३२५ ब । अ। सत ४.१६२, सख्या ४६४, क्षेत्र २१९७, अशुचि-१२०३ ब, अनुप्रेक्षा १७३ ब, १७६ ब, स्पर्शन ४.४७७, काल २६६, अतर १७, भाव
आहारान्त राय १२६ अ, पिशाच ३५८ ब । ३२२२ ब, अल्पबहुत्व ११४३।।
अशुद्ध-१२०३ ब,आत्मा २.३३८ अ, आत्मानुभव १.८४५, अविरति-१२०३ अ, उपयोग (शुभ) १.४३३ ब, कषाय
१.८६ ब, उद्दिष्ट १.४१३ ब, उपयोग ८४३० ब, ३१२७ अ, प्रत्यय ३.१२६ अ-३ २३० । प्रमाद
१.४३१ ब, १४३२ अ, १४३४ अ, चेतना २.२६७ अ, ३.१२६ ब, बध ३१७५ अ, ३१७८ ब ।
नय २.५५१ अ, पर्याय ३४६ ब, शुद्ध ४.३८ अ, अविरुद्ध-१२०३ ब ।
सापेक्ष धर्म (अनेकान्त) १.१०६ अ (सप्तभंगी अविरुद्धोपलब्धि (हेतु)-२२०३ ब, ४५३८ ।
४३२३, ब। अविरोध-अनेकान्त १.१०६ ब, प्रामाणिकता १.२३६ अ।
अशद्ध अर्थपर्याय-नगम-नय २५३१ब। अविवक्षित-४५०२ ब ।
अशद्धता-१२०४ अ । अविवेक-कर्ता कर्म २२२ ब।
अशद्धद्रव्य अर्थपर्याय नंगम- नयाभास २५३२। अविशद-१.२०३ ब, अवग्रह ११८१ ब, १८३ अ।। अशुद्धद्रव्य नैगम-नय २५३१ अ, नयाभास २५३२। अविशेष समा जाति-१२०३ ब ।
अशुद्धद्रव्यध्यञ्जनपर्याय नैगम नय २.५३१ ब, नयाभास अविष्वग्भाव-१२०३ ब ।
२५३२ अ। अविसंवाद-अस्तेय १.२१४ अ ।
अशुद्ध द्रव्याथिक नय-१.२०४ अ, नय २.५४४ अ, नैगम अविहत-४.६० अ।
नय २५३२ अ, व्यवहार नय २.५५६ अ। अवीचार-४३४ब।
अशुद्धनिश्चय नय--१.२०४ अ, नय २.५५१ अ, अवृद्धिक दोष-आहार १२६०ब, उद्दिष्ट १.४१३ ।
२.५५४ अ। अवृद्धिक प्रामण्य दोष-आहार १७६० ब ।
अशद्धपर्याय-पर्याय ३.४६ ब । अव्यक्त-१.२०३ ब, आलोचना ६२७७ ब, निवृत्त्यक्षर __ अशुद्धपर्यायाथिक नय-नय २.५५१ अ।
१.३२ ब, बाल ३२८१ अ, मन पर्यय ३७६४ अ, ___अशुद्धपारिणामिक भाव-३.५५ अ । राग ३.३९६ अ।
अशुद्धसद्भुत-२.५६० ब। अव्यय-४.४३२ ब ।
अशुद्धोपयोग-१.२०४ अ, १.४३० ब, १.४३१ ब,
Page #34
--------------------------------------------------------------------------
________________
अशुभ
१.८३४ अपरिग्रह २.२९ अ विषकुम्भ शुभाशुभ १४३३ व हिंसा २२१६ ब, ४५३३ अ, ४५३४ ब ।
२८
१.४३४ अ १२१६ ब,
1
1
अशुभ -- ३३७७अ आसन ४२८२ व उपयोग १४३० ब १४३३ ब उपलम ४४३७ अ, करण चिन्ह ११६२ अ शुभ ४४१ ब, तैजरा शरीर २३६५ ब, तैजस समुद्घा २३६८ व नामकर्मप्रकृति १.२०४ व ३०३ ब परिणाम १४३१ अ. ३३१ अ २६२१अ निरोध २४७२ ब प्रणिधान ३११५ अ, मोह ३ ३४० व, योग १२०४ अ, २४६ ब, ३२७७ ब, ३३७५ व ४१६ व ४१४२ ब राग ३९६ अ, लेश्या २.४६३ अ, ३.४२२ व स्वप्न ४ ५०४ अ । अशुभ | मकर्मप्रकृति- १२०४ अ, शुभ ४४४१ अ पाप ३.५३ ब, प्ररूपणा - प्रकृति । ३.८८ २.५८३ अ स्थिति ४४६, अनुभाग १६५ प्रदेश ३ १३६ । बन्ध ३.४७ बन्ध स्थान ३.११०, उदय १३७५, उदय स्थान १३८७, उदीरणा १४११ अ उदीरणा स्थान १४१२ सय ४ २७८, सस्व स्थान ४३०३ सियोग 'भग १४०४, संक्रमण ४.८४ ब, अल्पबहुत्व १.१६८ । अशुभपरिणाम उपयोग १.४३० ब १४३१ अ ब परिणाम ३३१ अ व्युत्सर्ग ३६२१ अ । अशुभयोग- १२०४ काययोग २४६ व
३ ३७७ व, योग ३३७५ ब, वचनयोग सवर ४१४२ ब ।
अशुभलेश्या - ३४२२ व ध्याता ३४१३ । अशुभोपयोग – १२०४ अ उपयोग १४३० व १४३३ व अशुद्धोपयोग १४३४ अ १ ४३४ अ ।
अशून्यता - २.३३३ अ ।
अशून्य नय -- १२०४ अ, नय २५२३ अ ।
अशोक - १.२०४ अ ग्रह २२७८ अ, मल्लिनाथ २.३५३, मौर्यवंश १.३१३, १३१६, विद्याधर ३५४५ व व्यन्तरदेव ३६१३ ब
अशोकरोहिणी व्रत - १२०४ अ, रोहिणी व्रत ३.४०७ अ । अशोकवनभावन लोक मे ३२१० ब व्यन्तर लोक मे ३.६१२ ब, नन्दीश्वर द्वीप मे ३.४६६ अ ।
1
मनोयोग
३४१८ ब,
१.४३१ अ गुणस्थान
अशोकवृक्ष - -१-२०४ अ वृक्ष ३५७६ ब, ३.५८० अ, प्रातिहार्य १.१३७ ब ।
7
अशोक संस्थान-१२०४ अ ग्रह २.२७४ अ अशोका - १.२०४ अ दियाधर नगरी ३.५४५ व नन्दीश्वर द्वीप की बापी निर्देश ३.४६३ अ नाम ३.४७५ अ विस्तार ३४९१ अकन ३.४६५ ।
अशौच -- ४४४ व
अश्मक - १२०४ अ, मनुष्य लाक ३२७५ अ । अश्मगर्भ मानुषोत्तर पर्वत का कूट- निर्देश ३.५७५ अ, ३४६४
विस्तार ३४६
अश्रद्धा - ४.४६ अ ।
अश्रद्धानतत्त्व ३३०० अ मिध्गदर्शन २३०० अ
श्रद्धान ४४५ ब ।
अश्रुपात आहारान्तराय १२६ अ । अश्रेणी - गुणस्थान २ २४७ अ ।
अश्व १२०४ अ, चक्रवर्ती का वैभव ४१३ अ ग्रह २२०४ अ, अश्विनी नक्षत्र २५०४व माहेन्द्रदेव का
--
अष्ट
4
यान ४५११ ब लौकान्तिकदेव ३.४९३ व सम्भवनाथ का चिन्ह २३७६ ।
अश्वकठ -- ४२६ अ ।
अश्वकर्ण करण- १२०४, कृष्टि २१४० २१४२ अ स्पर्धक ४४७३ ।
अश्वग्रीव १२०४ व प्रतिनारायण २३६१ व ४३०, ४.२६ अ ।
अश्वत्थ १२०४ ब, अनन्तनाथ व पार्श्वनाथ २३८३ । अश्वत्थामा- -१२०४, ब ।
अश्वधर्मा- विद्याधर व १३३१ अ
अश्वध्वज - विद्याधर वरा १३३६ अ ।
अश्वपति १२०४ व ।
अश्यपुरी - १२०४ व विदेहस्थ नगरी निर्देश २.४६० अ, नगरी ३४७० ब विस्तार ३४७६, ३४८०, ३४८१, अकन २४४४, ३४६४ के सामने, चित्र ३ ४६० अ ।
अश्वमेघदल - १२०४ व अर्जुन ११३४ अ । अश्वलायन पश्पादी १४६५ अ । अश्ववन पार्श्वनाथ २३५३ । अश्वसेनचदुवरा १३२७ । अश्वसेना व १३३७ ।
-
,
अश्वस्थान
- २२७४ अ ।
अश्वायु - विद्याधर व १.३३९ अ
अश्विनी – १२०४ व नक्षत्र २५०४ व मल्लिनाथ - ब,
नमिनाथ २३५० ।
अश्विनी व्रत १२०४ व ।
अष्ट - १२०४ व अग २२६३ अ, ३५० ब ४३५१ अ ४३५८ब, अगधर १३६७, आयु के अपकर्ष काल १२५६ अ, १२६७, आयतन १२५१ अ, कर्म ३२ अ ३३२६, कर्मप्रदेश ४११६ व कर्म ब, वर्गणा ३५१७ ज, गुण (सिद्ध) ३३२५ व, ज्ञान के
Page #35
--------------------------------------------------------------------------
________________
अष्टकर्म
२६
असयत
अग १२६३ अ, दिक् १२०४ ब, द्रव्य (पूजा) असख्याल-१.२०५ब, अणु वर्गणा ३.५१३ अ, ३.५१५.ब, ३७८ अ, पाहुड १३४० ब, १३४८ अ, ३ ५७ अ,
३५१६ अ, अन्त ०५७ व, असख्यात १२०७ अ, पुत्र (अन्तकृत केवली) १२ब, पथिवी २५७६ ब,
कालाणु २८३ ब. २८५ ब, गणित प्रयोगविधि प्रवचनमाता ३१४८ अ, प्रानिहार्य १.१३७ ब, भक्त २.२१८ अ, गगित सहनानी २२१६ अ, जघन्य (तेला) ३१६४ ब, मगल द्रव्य २ ३०२ अ, २३०३ उत्कृष्ट १००५ ब, गुणवृद्धि ४६६ अ, ज्ञानावरण अ, ४३३१ अ, मद ४३६१ व, मध्यरुचक प्रदेश
२२७१ अ, द्वीप २४६२ ब, भागवृद्धि ४६६ अ, ३३७६ ब, मूलगुण १,२०५ अ, ४५० ब, शुद्धि लोक सहनानी २.२१६ अ, वर्षायुष्क १.२५४ अ, ४.३८ ब, सम्यग्दर्शन के अग ४३५० ब, ४३५१ अ, १२६१ अब। स्थान ३११० अ।
असंख्यातासख्यात---१२०७ अ । अष्टकर्म-प्रकृति ३६२ अ, उदय-उदीरणा आदि का असख्यय-१.२०७ अ, सख्या प्रमाण १२०५ ब, अद्धा
अल्पबहुत्व ११७५, अनुभाग अल्पबहुत्व ११६६, १२५६ अ, १२६० ब । बद्ध प्रदेश ४ ११६ ब, अबाधा १२४६, गुणावरोधक असंख्येयाद्धा-आयुवध १.२५६ अ, ब । शक्तियाँ ३३२६ ।
असख्येयासंख्येय - १२०७ अ, उपमा प्रमाण २२१८ अ। अष्टचत्वारिंशत्-मोहनीय की प्रकृतियाँ ३ ३४२, ३ ३४३।। असग-यदुवश १.३३६ । अष्टदिगवलोकन-१२०४ ब, व्युत्सर्ग ३६२२ अ।
असज्ञी-१२०७ अ, आयु १.०६४, एकेन्द्रिय जीव
१.३०७ अ, जीव २.२३३ ब, जीवसमास २३४३, अष्टद्रव्य-१२०४ ब, पूजा ३७८ अ, मंगल द्रव्य
देवगति की आयु १.३७३ व पचेन्द्रिय ४१२२ ब, २३०२ अ, ४३३१ अ।
प्राण ३.१५३ अ, बचनयोग ३.३८० ब, सक्लेश अष्टम-पृथिवी १२०५ अ, ३ ३२३ ब, ४४२५ अ,
विद्धि स्थानो का अल्पबहुत्व १.१६०, सज्ञी भक्त १२०५ अ, २ ४७ अ, भूमि ३२३४, ३ ३२४ अ।
४.१२२ अ, ४.१२३ अ, सहनानी २०२१६ अ। अष्टमध्यप्रदेश-~-१२०५ अ, जीव २ ३३६ अ, लोक
असजो (प्ररूपणा)-बध ३१०८, बधस्थान ३.११३, ३४४० ब ।
उदय १.३८५, उदयस्थान १.३९३, उदीरणा अष्टमी क्रिया--२ १३८ ब ।
१४११ अ, सत्त्व ४.२८४, सत्त्वस्थान ४.३०२, अष्टमी व्रत-१२०५ अ।
त्रिसयोगी भग १.४०८ अ। सत् ४२६२, संख्या अष्टशती--१२०५ अ, इतिहास १३४१ ब ।
४.१०६, क्षेत्र २.२०७, स्पर्शन ४४६३, काल अष्टसहस्री-१२०५ अ, अकलंक १३१ अ, १३१ अ।
२११६, अन्तर १.२१, भाव ३.३२ अ, अल्पबहुत्व इतिहास १३४१ ब।
१.१५२। अष्टांक-१२०५ अ।
असंचार-१२०७ अ, सचार ४.१२४ ब । अष्टांग--देहावयव ११ ब, निमित्तज्ञान १२०५ अ,
असंदिग्ध--१.२०७ अ, वचन ४३४० अ । २६१२ ब, १४८१। अष्टांगहृदयोछोत-१२०५ अ, आशाधर १२८१ अ,
असप्राप्तसुपाटिकासंहनन-प्रकृति ३८६, २५८३, स्थिति इतिहास १३४४ ब ।
४४६५, अनुभाग १.६५, प्रदेश ३ १३६ । बध ३९७, अष्टादश-दोषराहित्य ११३७ अ, १२४८ अ, एकट्ठी
बध-स्थान ३.११०, उदय १.३७५, उदयस्थान की सहनानी २२१८ ब, श्रेणी ४७२ अ।
१३६०, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान १.४१२, अष्टापद-१२०५ ब।
सत्त्व ४२७८, सत्वस्थान ४.३०३, त्रिसयोगी भग अष्टाविंशति---कर्म प्रकृति ४८७ ब, ४२७६ अ, मूलगुण
१४०४, संक्रमण ४.८५ अ, अल्पबहुत्व ११६६ । ४४०४ अ।
असबद्धप्रलाप-१.२०७ ब, वचन ३.४६७ ब । अष्टाह्निक-~-क्रिया (कृतिकर्म) २१३८ ब, पूजा १२०५ असंभव ---१.२०७ ब, लक्षणाभास ३.४०६ब। अ, ३७५ ब, व्रत १२०५ ब ।
असंभ्रांत--१.२०७ब, नरक पटल-निर्देश २५७६ब, अष्टोत्तरसहस्त्र-अर्हन्त भगवान के लक्षण ११३८ । विस्तार २५७६ ब, अकन ३४४१। नारकी-- असंकुचित विकासत्वशक्ति-१२०५ ब ।
अवगाहना १.१७८, आयू १.२६३ । असंकुट-२३३३ ब।
असंमोह-१.२०७ब। अक्षेपाबा--१२०५ ब, १४६ ब, आबाधा १२५० ब। असयत-मुणस्थान ३.२४६ ब, संक्रमण ४.८६ अ.
Page #36
--------------------------------------------------------------------------
________________
असयतसम्यग्दृष्टि
असिकर्म
समुद्रात ४३४३ अ, साधु ४४०७ अ । असयतसम्यग्दृष्टि-१२०७ ब, आरो'ण अवरोहण
२२४७, करण दशक २६, गर्हण २२३८ ब, दर्शन प्रतिमा २४१८ अ, निर्जरा का अल्पबहुत्व ११४१ ब, परिषह ३३४, वेदकसम्यक्त्व २१८५व, बिशेष दे०
'सम्यग्दष्टि'। असंयतसम्यग्दृष्टि (प्ररूपणा)---वध ३.६७, बधरान
३१०६, उदय १३७५, उदयस्थान १३६२, उदीरणा १४११अ, उदीरणा स्थान १४१२, सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४२८८, त्रिसयोगी भग १४०६ अ। सत ४१६२, सख्या ४ ६४, क्षेत्र २ १९७, स्पर्शन ४४७७, काल २६६, अन्तर १७, भाव ३ २२२ ब, अल्प
बहुत्व ११४३ । असयम-१.२०७ ब, आहारक शरीर १२६६ अ।
प्ररूपणाये-बंध ३१०६, बधस्थान ३ ११३, उदय १३८३, उदयस्थान १.३६३ अ, उदीरणा १.४११, सत्त्व ४२८४, सत्त्वस्थान ४.३०१, ४३०५, त्रिसयोगी भग १. १०७ ब । सत् ४२३८, संख्या ४.१०६, क्षेत्र २.२०५, पर्शन ४४८६, काल २,११४, अन्तर
१.१७, भाव ३.२२१ अ, अल्पबहुत्व १.१५१ । अससार--१२०७ ब, अनुप्रेक्षा १७८ अ, संसार
४.१४६ ब । असग--१.२०७ ब । इतिहास १३३० ब, १.३४३ अ। असतोपोषकर्म-१२०८ अ, सावध ४४२१ अ। असत्-१२०७ ब, अनेकान्त ११०६. उत्पाद १.३५७ ब,
१३५८ ब,४१५६ ब, उत्पादादि १३५८, १.३६०,
कार्य १३६२, द्रव्यगुणपर्याय १३६१ ब-३६२ ब। असत्ता-सापेक्षधर्म ११०६अ। असत्य-१२०८ अ, अनुभय ३३८० ब, असज्ञो ३३८०
ब, उपदेश १ ४२५ अ, कर्ता कर्म २२२ अ, मनोयोग (अप्रमत्त) ३ ३८० अ, मनोयोग (ध्यानस्थ) ३३८० अ, बचनयोग १२०९ अ, ३४६७ ब, ४२७३ अ,
स्वप्न ४५०४ अ, हिंसा १२१७ अ,४५३२ अ । असत्ययोग (प्ररूपणा)--बध ३१०४, बधस्थान ३११३,
उदय १३७६, उदयस्थान १३६२ ब, उदीरणा १४११ अ, सत्त्व ४.२८३, सत्त्वस्थान ४२६६, ४३०५, त्रिसंयोगी भंग १.४०६ ब । सत् ४,२१२, सख्या ४.१०२ क्षेत्र २.२०२, स्पर्शन ४.४८४, काल २.१०८, अन्तर १.१२, भाव ३.२२० ब, अल्पबहुत्व
१.१४६। असत्यार्थ उपचरित-१.४२० अ। असत्यासत्य-सत्य ४.२७१ अ । असत्योपचार-१.२०६ अ ।
असत्व-विभाव ३५६२ अ, सापेक्षधर्म १.१०६ । असदृश उत्पाद-३ ३२ अ । असद्भावस्थापना--१२०६, अन्तर १३ ब. उपशम
१.४३७ अ, कर्म २ २६ अ, काल २.८१ब, निक्षेप
२५१७ ब। असद्भुत -१.२०६ अ, उपचार १.४१६ अ-ब, व्यवहार
१४२३ अ, नय २५६१ अ । असद्रूप-~अनेकान्त ११०६ । असदेव-वेदनीय ३५९२ अ। असन---अभिनन्दन नाथ २३८३। असभ्य-~-४.३४० अ। असमपर्यकासन तप-कायक्लेश २,४७ ब। असमय फलोत्पत्ति---अर्हन्तातिशय १.१३७ ब। असमवायो-१.२०६ अ, कारण ४.३३५ ब । असमान जातीय द्रव्य पर्याय-३.४६ अ । असमाधि (दोष)-सल्लेखना ४.३९१ब। असमीक्ष्याधिकरण-~१.२०६अ, अधिकरण १५० अ। असम्यक्-उदाहरण १.२०६अ। असर्वगतत्व-१२०६ अ, सर्वगतत्व ४३७६ ब, द्रव्य
२४५७ अ, नय २५२३ अ, स्कन्ध ४.४४७ अ। असवाल-इतिहास १३३३ अ, १.३४६ अ। असहाय-केवलज्ञान २१५१ अ। असही-१.२०६ अ, साधु ४.४०४ ब। असाता..--दुख २४३४ ब । अमाता वेदनीय प्रकृति-१.२०६अ, केवली २१
द्विस्थान बंधक ३.५६६ ब, बधयोग्य परिणाम ३५६८ ब, वेदनीय ३५६२ अ। प्ररूपणा-प्रकृति ३८८, ३५६१, स्थिति ४.४६०, ४४६६, अनुभाग १६५, ४५२७, प्रदेश ३१३६ । बध ३.६७, बंध वेदना अल्पबहुत्व ११७६, बधस्थान ३.१०८, उदय १३७५, उदयस्थान १३८७, उदीरणा १४११ अ, उदीरणा स्थान १.४१२. सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४२५७, त्रिसंयोगी भग १३५९ । सक्रमण ४८५ अ।
अल्पबहुत्व १.१६८ । असाधारण १.२०६ब, गण २.२४० ब, २.२४३ ब.
पारिणामिक ३ ५५ अ, साधारण ४४०२ अ, हेतु
४.५३६ अ, हेत्वाभास ४.४०२ अ। असाम्प्रायादिक-बन्धक ३.१७६ अ। असाम्यता-१.२०६ ब । असारगल्ल--३.३६१ अ । असावध कार्य-आर्य १.२७५ अ । असिकर्म---१.२०६ब।
Page #37
--------------------------------------------------------------------------
________________
असि कर्मा
असिकर्मार्थ - आर्य १ २७५ अ ।
असिक्थ - १२०६ ब ।
असितपर्वत - १२०१ व विद्याधर नगरी २५४५ अ । असिद्ध - १२०१ व पक्षाभास १.२०१ व हेत्वाभास १२०१ ब ।
असिपत्र - १२१० ब, वन - निर्देश २५७२ ब, २५७३ अ, २५७७ अ । वैदिकाभिमत नरक ३४३३ | असुर - १२१० ब नक्कों में दुखदाता २.५७३ अ । असुरक्मार -- १२२० व भावन देव-निर्देश ३.२०८ अ, इन्द्र ३२०८ अ, शक्तिचिह्न आदि ३२०८ ब अवस्थान ३२०६ ब्र ३४७१, ३६१२-६१४ । अवगाहना ११८० अवधिज्ञान ११२८, आयु १ २६५ । भावन लोक ३२१० ब । असुरकुमार देव (प्ररूपणा ) - बध २१०२,
बधस्थान ३.११२, उदय १३७८ उदय स्थान १ ३९२ व उदीरणा १४११ अ सत्व ४२८२, सत्त्वस्थान ४२१८, ४३०५, त्रिसंयोगी भग १४०६ व सत् ४.१८८, संख्या ४.६७, क्षेत्र २ १६६, स्पर्शन ४४८१, काल २१०४, अन्तर ११०, भाव ३२२० ब, अल्पबहुत्व ११४५ ।
३१
असुर-पन- ३२७५ ।
असुर-वनीपाल - १२१० व
1
असूत्र - १२१० व तर्कविरुद्ध १२४६ व सूत्र १२४६ अ असूनृत वचन -असत्य १२०६ अ ।
असेवक - मिथ्यादृष्टि ३३०५ ब, सम्यग्दृष्टि ३ ३६६ ब ।
अस्ति-भग ४३१८ ब ।
अस्तिकाय १२११ अ ।
अस्तित्व - १२१२ब, अनेकान्त ११०६ अ नय २५२२ ब, २५२४ अ, सापेक्षधर्म ११०६ अ, स्याद्वाद
अहेतुत्
३८६२५८३, स्थिति ४.४६७, अनुभाग १.९५, प्रदेश ३ १३६ । बध ३.१७, बंधस्थान ३११०, उदय १.३७५, उदयस्थान १३९०, उदीरणा १४११ अ, उदीरणा स्थान १४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान ४२८७, त्रिसंयोगी भग १४०४ । संक्रमण ४८५ अ अल्पबहुत्व ११६८ । अस्थूण-विनयवादी १४६५ अ
अस्नात
४४७१ ब ।
अस्नान १२१५ अ कायक्लेश २४० ब. मूलगुण
- ४४७१ अ ।
अस्पृश्यशूद्र ३५२५ ब । अस्पृहा - उपेक्षा १४४४ ब । अस्वभाव नय - २५२३ ब ।
अहंकार - १२१५ अ कर्ताकर्म
1
३ २६६ अ ।
अहंक्रिया अप्रत्यय
१२१५ व अध्यवसान १५२ ब । २.३३६ अ ।
---
अहमिंद्र - १.२१५ व इन्द्र १२६१ अ कल्वातीत देवअवगाहना ११९८१ अ अवधिज्ञान १.११८, आयु १.२६८ । प्ररूपणा बंध ३१०२, बधस्थान ३११३, उदय १३७८, उदयस्थान ३३९२ ब. उदीरणा १४११, सत्व४२८२, सत्त्वस्थान ४२६८, ४३०५, जिसयोगी भंग १४०३ व सत् ४.१८८, संख्या ४.९७ क्षेत्र २१११ स्पर्शन ४४६१, काल २.१०४, अन्तर १.१०, भाव ३.२२०, अल्पबहुत्व १ १४५ ।
४५२० ब ।
अस्तित्व अवक्तव्य नय--२५२२ ब ।
अस्तित्व नास्तित्व नय - २.५२२ व १२१३ अ । अस्तिनास्ति प्रवाद - १.२१३ अ श्रुतज्ञान ४६८ व अस्तिनास्ति भंग १२१३ अ सप्तभंगी ४३२१ अ । अस्तेय - १.२१३ अ अहिसा १.२१७ अ 1
अस्थि -- अनुभाग १६१ ब ९३ ब ६४ अ, औदारिक शरीर १.४७२ अ मान २३८ अ
अस्थित
२.३३८ अ ।
अस्थिति ४४५६ अ ।
अस्थिर - १.२१५ अ, स्थिर ४४७० व अस्थिर नाम कर्मप्रकृति - ३१६ अ प्ररूपणा प्रकृति अहेतुमत् १.२१० अ
-
- ।
.अहह --- संख्या प्रमाण २.२१४ व ।
"
अहिंसक ६- अप्रमत्त १२१६अ, हिसक १.२१७ अ हिसा १ ११६ अ ।
अहिंसा - १.२१५ व हिसा १२१६ अ, ब
अहिंसावत अहिसा १२१५ व १२१६ व चारित्रशुद्धि २२१४ व समिति ४३४२ व
अहित - १२१७ब, उपदेश १४२६ व मिध्यादृष्टि
३ ३०५ ब ।
२२२-२३, मार्दव
-
- १२१० ब
अहद्रवर ( द्वीप सागर ) – निर्देश ३.४७० अ विस्तार ३४७८, जल का रस ३.४७० अ ज्योतिष चक्र २ ३४८ ब, अधिपति देव ३६१४, अंकन ३४४३ । अहेतुक - रागादि ३५६१ अ सत् ४ १५९ व स्वभाव ४.५०७ अ ।
Page #38
--------------------------------------------------------------------------
________________
अहेतुवाद
आगमभावनिक्षेप
अहेतुवाद-३ ८ ब।
आकाशचारण ऋद्धि---ऋद्धि १४४७, १४५२ अ। अहेतुसमा जाति-१२१८ अ।
आकाशनमल्य-अर्हन्तातिशय १.१३७ ब । अहोरात्र-~~-१२१८ अ, कालप्रमाण २.२१६ अ, ब । आकाशप्रदेशराशि-२२१६ अ, श्रेणी ४.७२ ब।
आकाशोपपन्न देव-निर्देश २ ४४५ ब, आयु १२६४ ब । आकिञ्चन्य-धर्म १२२४ ब, परिग्रह ३२६ ब, शौच
४४३ अ । आकृति-~१२२५ अ, गुण २ २४० अ। आक्रन्दन-१२२५ अ। आक्रोश-१२२५ अ, परिषह ३३३ ब, ३३४ अ। आक्षेपिणोकथा--१२२५ अ, उपदेश १.४२५ अ,
१४२६ अ, कथा २२ ब।
आखेट-१२२५ अ। आंचलिक गच्छ-४७७ ब ।
आगत--आगम प्रामाण्य १२३५ ब । ऑत--१२१८ अ, औदारिक गरीर १४७२ अ ।
आगम--१.२२५ ब, अनुयोग चतुष्टय १६६ ब, अभ्यास ऑतरा-१२१८ अ।
४५२३ ब, अर्वाचीन पुरुष १.२३६ ब, अरपता आंदोलन करण-१२१८ अ, अश्वकर्ण करण १२०४ अ।
१.२२८ ब, नय १२३६ अ, निक्षेप २६०५ ब, पद्धति आंध्र-१२१८ अ, मनुष्य लोक ३ २७५ ब ।
१२३६ ब, ३८ ब, प्रामाण्य १.८२ ब, १.२३४ ब, आंध्र वंश-१२१८ अ ।
भावना ३८ ब, सकलन १.२६६ ब, स्वाध्याय आंवली (आहार)-१२१८ अ ।
४५२४ ब । आसिक-१२१८ ब, मनुष्य लोक ३ २७५ अ ।
आगमज्ञ-श्रुतकेवली ४.५५ ब, ४.५७ अ । आ-१२१८ अ।
आगमज्ञान-२.२६८ ब, अकिचित्कर २२६५, २.२६७ ब, आउ---कालप्रमाण २२१६ अ।
आत्मज्ञान २.२६५, २२६७ ब, केवलज्ञान २.१५० ब, आउ अंग-कालप्रमाण २२१६ अ।
सम्यग्ज्ञान २२६८ ब, सम्यग्दर्शन ४३५४ ब, आकपित-१२१८ अ, आलोचना १२७७ ब।
४३५६अ। आकर-१२१८ अ ।
आगमचक्षु-१७८ अ, श्रुतज्ञान ४ ६३ अ, सासादन आकर्षण-ध्यान २४६७ अ, मन्त्र ३ २४५ व ।
४५२४ ब ।
आगमद्रव्यनिक्षेप-अन्तर १.३ व, अनन्त १५५ ब, उपशम आकस्मिक-भय १२१८ ब, ३.२०६ अ, भीति ३ २०६ ब।
१४३७ अ, काल २५१ब, निक्षेप २.५६६ ब। आकांक्षा-अनुराग ३४८४ ब, अभिलाषा १२१८ ब ।
आगमन-१२३६ ब । ११३० ब, उपदेश १४२४ ब, ममेद बुद्धि ३ ५३२ ब,
आगम परपरा-इतिहास १ ३४०। सम्यग्दृष्टि ३ ४०० अ।
आगमप्रमाण-१.२३४ ब, अर्थ-शब्द सम्बन्ध १२३३ अ, आकार-१२१८ ब, इन्द्रिय १३०५ ब, औदारिक शरीर
आचार्य वचन १.२३७ अ, आप्त वचन १२३४ ब, १४७१ ब, गुण २२४२ ब, परमाणु ३ १७ ब, विग्रह
छद्मस्थ ज्ञान १२३७ ब, जिन वचन १.२३८ अ, गति १२४७ अ।
तर्कसंगत १.२३६ अ, परम्परा से आगत १.२३५ ब, आकाश-१२१६ ब, अनुभाग १८८ अ, उत्पादादि
पूर्वापर अविरुद्ध १२३६ अ, पौरुषेय १.२३८ अ, प्रत्यक्ष १.३६२ ब, उपकार २६३ ब, गति ३ ५७३ ब, प्रदेश
ज्ञानी १२३५ ब, वचन-वक्ता सम्बन्ध १.२३४ ब, श्रेणी ४७२ ब, भूत १२२४ ब, ३२३४ अ, मण्डल वाच्य-वाचक सम्बन्ध १.२३३ अ, वीतराग वचन १२२० ब, स्वभाव ४५०६ ब, अल्पबहुत्व १२३५ अ, शब्द-अर्थ सम्बन्ध १.२३४ अ, सूत्र वचन १.१४३ अ।
१२३२ ब, सूत्र अविरुद्ध वचन १ २३८ अ, सूत्रसम आकाशगता चुलिका-१.२२४ ब, श्रुतज्ञान ४ ६६अ। वचन १२३५ ब। आकाश गमन-अर्हन्तातिशय ११३७ ब ।
आगमबाधित-१२३६ ब, बाधित ३.१९२ ब । आकाशगामित्व ऋद्धि-१.२२४ ब, ऋद्धि १.४४७, ४५१ ब, आगमभावनिक्षेप-अन्तर १३ ब, अनन्त १.५६ अ, । ४५२ अ।
उपशम १४३७ अ, कर्म २२६ अ, जीव २६०५ ब :
Page #39
--------------------------------------------------------------------------
________________
आगमाभास
बन्धक ३.१७९ अ, मंगल २.६०५ व ।
आगमाभास - १२३६ ब, आगम १.२२८ अ । आगमार्थ - १२३०, आगम १.२३० व । आयमिक गच्छ---४.७७ ब ।
आग्नेय - १२३६ ब ।
आग्नेयी धारणा-- १२३९ व अग्नि १३६ अ । आचरण (कवि) - इतिहास १३३२ अ । आचरण-वर्ण-व्यवस्था ३.५२४ व ।
आचरित - १.२३९ व वसतिका दोष ३.५२६ अ । आचामल (आहार) – १२३९ व कायक्लेस २४७ अ सल्लेखना ४३९२ व ३९३ व आचाम्लवर्धन - १.२३९ व सौवीर भुक्ति ४४४५ व आचार – १२४० अ वर्णव्यवस्था ३५२४ व विनय
,
३ ५५० ब । शास्त्र ४ ३६४ ब । आचारवर्द्धन व्रत - १२४१ अ । आचारसार १२४९ अ इतिहास १३३१ व १.३४४ अ । आचारांग १२४१ अ श्रुतज्ञान ४६८ अ आचारांगधर - मूलसंघ १.३१६, १ परि० / २२ । आचार्य - १.२४१ अ आलोचना १२७८ अ, उपकार १४६६ अ, उपाध्याय १४४४ अ, ओम् १४६९ ब कृतिकर्म २१३७-१३८ १३९ व क्षपक ४३११ अ गुरु २.२५१, २५२ व २५२ चैत्य (प्रतिमा) २३०१ अ देवत्व २४४४ व ध्येय २.५०१ अ निष्पक्षता १.२३६ अ, पदत्याग २१३५ व ४ ३९१ अ, पापभीरु १.२३२ अ, पूजा ३.७७ अ, भक्ति ३२०१ व वचन प्रामाण्य १.२३७ ब, साधु ४.४१० अ स्वर्गवास ४.५२६ अ । आचार्यपद प्रतिष्ठापन क्रिया २.१३८ व
--
आचार्य परम्परा - इतिहास १३२८-३३४ ।
आचार्य भक्ति इतिहास १.३४० व
- ।
-
आचार्य बन्दना कृतिकर्म २.१३७ व १३८ -१३१ व आचिन्न (दोष) - आहार १२१० व आचिन्न अभिघट्ट (दोष) आहार १.४६३ अ । अचेलक्य- १.२४३ अ. अचेलकत्व १४० अ । आछे (बोष ) - १२४३ अ आहार १.२९१ अ, उद्दिष्ट १.४१३ अ ।
आजीव (दोष) - १.२४३ अ, आहार १२६१ अ वसतिका ३.५२९ ब ।
आजीवक- १.२४३ अ एकात १.४६४ व । आजीविका - १२४३ अ, साधु के लिए निषेध ३. २४५ ब । माशा- १.२३९ व ध्येय २.५०० अ प्रमाण ४.४६ अ
,
१.२९० व उद्दिष्ट १.२६० ब, उद्दिष्ट
३३
आत्मपरिणाम
धधान ४.४४ व सम्यग्दर्शन श्रद्धान
रुचि ४.४६ अ ४.३४८ ब ।
आज्ञा कनिष्ठता - १.२६६ अ ।
आज्ञाचक्र -- पदस्थध्यान ( ललाट ) ३.६ न ।
आज्ञापनी भाषा - १.२३६ ब, भाषा ३,२२७ अ । आज्ञाविचय - १.२३६ ब, धर्मध्यान २.४७६ अ । आज्ञाव्यापादिको क्रिया --- १२३६ ब, क्रिया २ १७४ ब । आज्ञा सम्यक्त्व - १२३६ ब, सम्यग्दर्शन ४ ३४८ ब । आज्ञा सम्यक्त्वार्य - १२७५ अ ।
आठवीं पृथिवी - १२०५, भूमि ३२३४, मोक्ष ३३२३ ब
३.३२४ अ समुदात ४.४२५ अ ।
आढक - १२४३ अ, तौल का प्रमाण १.४७२ अ, २२१५ । आतप - १.२४३ अ, एकेन्द्रिय १३६३ । आतप ( नामकर्म प्रकृति ) – प्ररूपणाएँ - प्रकृति ३८६, २. ५८३ अ स्थिति ४.४६५, अनुभाग १.९५, प्रदेश ३.१३६ । बन्ध ३.६५ व, ३.१७, बन्धस्थान ३११०, उदय १.३७३, १.३७५, उदयस्थान १ ३६०, १.३६३, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणा स्थान १.४१२, सत्त्व, ४ २७८, सरवस्थान ४.३०३, त्रियोगी भग १.४०४ । सक्रमण ४.८५ अ अल्पबहुत्व १.१७१ व आतपन - १.२४३, नरक पटल निर्देश २.४७९ व नारकी-अब
- ब,
विस्तार २५७८ व अकन ३.४४१
गाना १.१७०, आयु १.२६३ । आतापन योग - १.२४३ व अतिचार २.४७ ब कायक्लेश ब, २४६, २.४७ अ-ब २.४८ अ ।
आत्म- - १.२४३ ब ।
आत्मख्याति - अमृतचन्द्र १.१३३ अ इतिहास १.३४२ अ । आत्मज्ञ - श्रुतकेवली ४५५ ब, ४.५७ अ ।
आत्मज्ञान आश्रमज्ञान २.२६५, २.२६७ व सम्यग्दर्शन ४. ३५४ ब, ४.३५६ अ-ब । आत्मघात - दे० आत्महत्या |
आत्मतत्त्वज्ञान २.६२ ब, श्रद्धान २.२६२ ब । आत्मदर्शनआत्मदर्शन- मोक्षमार्ग ३ ३३५ व, समाधि १ ८३ ब । आत्मद्रव्य १२४३ व मोक्षमार्ग ३३३६ अ जीव ब, २.३३२ अ । आत्मध्यान–अनुभव १.८४-८५ प्रतीति २.३३६ म प्रत्यक्ष १८१८६, मिथ्यादृष्टि ३३०५ शुद्धोपयोग १.४३१ व सम्यग्दृष्टि ४.३५१ व संविति ३.३३६ अ ।
आत्मनिन्दन - उपयोग १.४३४, सम्यग्दृष्टि ४.३७८ व आत्मनिष्ठ -- ३,३०५ ब, ३.३३६ ब । आत्मपरिणाम (दे० जीवपरिणाम) ।
Page #40
--------------------------------------------------------------------------
________________
आत्मप्रतीति
३४
आदित्य
आत्म प्रतीति-३३३६ अ । आत्मप्रत्यक्ष-१८१ ब-८६ । आत्मप्रदेश-परिस्पन्दन ३.३७५ अ, मन ३२७१ अ,
शरीर से बाहर निर्गमन ४.३४२ ब । आत्मप्रभावना- ३.१३६ ब । आत्मप्रवाद-१२४३ ब, श्रुतज्ञान ४६६ अ। आत्मप्रशंता --२.५८७ ब । आत्मभूत-१२४३ ब, कारण २५४ अ, लक्षण
३४०६व। आत्ममुख (हेत्वाभास)-१.२४३ ब। आत्मयज्ञ-१.३५ ब, ३,३६६ ब । आत्मरक्ष -.१२४३ बा ज्योतिषी देव-निर्देश २ ३४६ अ ।
भवनवासी देव-निर्देश ३२०९ अ,जम्बू शाल्मली वृक्षस्थल में ३.४५८-४५६, पद्म आदि हृदो मे ३ ४५३४५४, आयु १२६५, व्यन्तर- निर्देश ३.६१३ ब, आयु १.२६४, वैमानिक-निर्देश ४.५१२, सुमेरू पर्वत की पुष्करिणियो मे ३४५०-४५१, आयू १.२६६।
देवी---गणना ४५१३, आयु १२७० । आत्मरक्षित -३४६३ ब । आत्मरूप-सप्तभगी ४.३२४ ब, ४३२५ ब । आत्मवश-४५२२ अ । आत्मवाद-१२४३ ब, एकान्त १.४६५ अ। आत्मव्यवहार-१२४४ अ, मिथ्यादृष्टि ३.३०४ अ । आत्मश्रद्धान-मिथ्यादृष्टि ३.३०५ अ । आत्मसबोधन - इतिहास १३४६ अ । आत्मसंविति-३.३३६ अ। आत्मसंस्कार-१.२४४ अ, उपकार १.४१५ ब, काल
२८० ब, सस्कार ४.१४६ ब । आत्मसमाधि-१८३ ब । आत्मसमुत्थ (दोष)-भिक्षा ३.२३३ अ। आत्मसात्--२ २७४ अ । अत्मसुख-अनुभव १.८१-८५ अ। आत्मस्वभाव-स्थय ४.४१५ ब । आत्मस्वरूप-अनुभव ४४३४ अ, प्राप्ति ३.३३६ अ,
लीनता ४४१५ ब। आत्महत्या-१२४४ अ, आयु-अपवर्तन १.११७ ब,
१२६१, दषि (सल्लखना) ४३८२ ब, सल्लेखना
४.३८२ ब, ४.३८३ ब । आत्महनन-कषाय २.३५ अ। आत्महित-४.५३७ अ। आत्मांगुल-१.२४४ अ, उपमा प्रमाण २२१८ अ, क्षेत्र
प्रमाण २.२१५ अ।
आत्मांजन-१२४४ अ। वक्षार गिरि-निर्देश ३.४६० अ,
नामनिर्देश ३.४७१ अ, विस्तार ३४८२, ३.४८५अकन ३ ४४४, ३.४६४ के सामने, वर्ण ३४७५ । इस पर्वत का कूट तथा देव-निर्देश ३.४७२ ब, विस्तार
३.४८२, ३ ४८५, ३ ४८६, अकन ३.४४४। आत्मा--१२४४ अ, अग्र १३६ अ, आस्रव २४६१ अ,
ईश्वर ३.२० ब, कर्ता १.४३४ ब, गुरु २२५२ अ, ज्ञान २.२६५, २२६७ अ-ब, जीव २.३३२ अ, २.३३३ अ, २३३५ अ, तल्लीनता ३३३६ अ, ४.४१५ अ, द्रव्यास्रव २.४६१ अ, ध्यान ३ ५७ ब, ध्येय २.५०१ ब, नैयायिक दर्शन २६३३ ब, पच परमेष्ठी ३.२३ अ, परमात्मा ३२० अ, प्रभु ३ १४० अ, प्रामाण्य ३१४२ अ, श्रमण २ ८६ अ, श्रुतज्ञान
४६० अ। आत्माधीनता-- २४५ अ, कर्म २२६ अ, कृति-कर्म
२१३६ ब, वदना ३४६५ ब। आत्मानुभव-१२४५ अ, अनुभव १८६ अ, १.८१ ब
८७ अ, अनुभूति १.८१-८७ अ, उपलब्धि १.४३५ अ, ज्ञान १.८४ ब, ४.३५२ ब, तत्त्वश्रद्धान १.८२ ब, प्रतीति ३३३६ अ, प्रत्यक्ष १.८१-८७ अ, बोधि १८७ अ, मिथ्यादृष्टि ३ ३०५ अ, शुद्धोपयोग १४३१ अ, श्रद्धान १८२ ब, सवित्ति ३.३३६ अ, सम्यग्दृष्टि
४.३५३ अ-ब, सुख ४४३१ ब । आत्मानुशासन-१२४५ अ, इतिहास १३४१-३४२ अ । आत्माश्रय (दोष)-१२४५ अ। आत्मिक सुख-४.४३१ ब, ४.४३३ ब । आत्मीय स्वरूप ४ ३२४ अ। आत्मोत्पन्न-४.४२६ ब । आत्मोपलब्धि-१.४३५ अ । आत्रेय-१२४५ अ, मनुष्यलोक ३.२७५ अ, वेदान्त
३.५६५ ब। आदर-१२४५ अ, विनय ३.५५२ ब, जम्बूवृक्ष का
देव-निर्देश ३४५८ अ, ३.६१३, ३.६१४ । आदाननिक्षेपण--१२४५ अ, अहिंसा १२१६ अ, समिति
४३४१ अ। आदानपद-उपक्रम १.४१६ ब, पद ३५ अ । आदि-१.२४५ अ. परमाण ३.१६ ब. श्रेणी गणित
२.२२६ ब, २.२३० ब । आदितीर्थ-कृतिकर्म २१३४ ब, प्रतिक्रमण ३.११७ अ। आदित्य--१.२४५ अ, लोकान्तिक देव ३.४६३ ब, विद्या
३५४४ अ। अनुदिश स्वर्ग का इन्द्रक-निर्देश ४.५१८, विस्तार ४.५१८, अंकन ४.५१५-५१७ ।
Page #41
--------------------------------------------------------------------------
________________
आदित्यगति
आनदिनी
आदित्यति-राक्षसवश १३३८ अ। आदित्यनगर-१.२४५ अ, विद्याधर नगरी ३.५४५ब। आदित्यप्रभ-१२५अ । आदिधन-१.२४५ अ, श्रेणी गणित २.२२६ ब । आदिनाथ–१२४५ ब, तीर्थकर २३७८, केशलोंच
२१७० अ. ऋषभनाथ १४५७ ब । आदिनाथ जयन्ती व्रत --१.२४५ ब । आदिनाथ निर्वाणोत्सव व्रत-१२४५ ब । आदिनाथ शासन जयन्ती व्रत-१.२४५ ब । आदिपुराण-१२४५ब। इतिहास-प्र० १.३४३ अ,
द्वि० १.३४५ ब, त०१३३४ अ। आदिपुरुष-१.२४५ ब, ऋषभनाथ १४५७ ब । आदिब्रह्मा-१.२४५ ब, ऋषभनाथ १४५७ ब। आदिमान-३.३१ ब। आदिलिंगव्यभिचार-शब्दनय २५३७ ब । आवेयनाम कर्मप्रकृति-१.२४५ ब। प्ररूपणा- प्रकृति
३.८८, २.५८३ अ, स्थिति ४४६७, अनुभाग १.६५, प्रदेश ३ १३६ । बन्ध ३.६६ अ, ३६७, बन्धस्थान ३.११०, उदय १३७५, उदयस्थान १.३८७, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्वस्थान ४ २८७, त्रिसंयोगी भग १४०४ । संक्रमण
४.८५ अ, अल्पबहुत्व ११६८। आदेश-१.२४५ ब, अनुयोगद्वार १.१०२ अ, उद्दिष्ट
१.४१३ अ, उपदेश १.४२४ ब, साधु ४४०६ ब । आदेशकषाय-कषाय २.३५ ब, २.३६ अ, ब, स्थापना
कषाय २३७ ब । आवेशप्ररूपणा-अनुयोगद्वार १.१०३ ब । जीव सामान्य
सत् ४.१६५, सख्या ४.६५, क्षेत्र २.१६७, स्पर्शन ४.४७६, काल २.१०१, अन्तर १८, भाव ३.२२० अ, अल्पबहुत्व ११४४, भागाभाग ४ ११० । शरीर स्वामित्व-सत् ४७, क्षेत्र २.२०८, स्पर्शन ४४९४, भाव ३.२२३, अल्पबहुत्व १.१५६ । सघातन परिशातन कृति-सत् ४.२६६, संख्या ४.११६, क्षेत्र २.३०८, स्पर्शन ४.४९४, भाव ३२२३, षट् कर्म
स्वामित्व ४.२६६, बधप्रत्यय स्वामित्व ३१२८ । आवेशप्ररूपणा (बंध-उदय सत्त्व)-बध ३१००, बध
स्थान १.४३८, ३.११३, उदय १.३७६, उदयस्थान १.३९२ ब, सत्त्व ४.२८१, ४.२८५, सत्त्वस्थान ४.३०५, त्रिसंयोगी भग १.४०६ ब । अनुभाग अल्प-
बहुत्व १.१६७ । मादेशप्ररूपणा (स्वामित्व सन्निकर्ष)---प्रकृति-स्थिति
अनुभाग-प्रदेश ३.११४-४.३१०, ४.५२७-५२८.
५२६ । बन्ध, उदय, सत्त्व तथा इनके स्थान-~३११४, ४.३१०, ४.५२७-५२८-५२६, सख्या ४.११७, क्षेत्र २ २०८, स्पर्शन ४.४६४, काल २१२११२२-१२३, ४.५२७, अन्तर १.२३, भाव ३२२३, अल्पबहुत्व १७५, ४४६६, ४५२७, भागाभाग
३२१५ ४११७,४५२७ । आद्धा-१.२४६ अ। आधन्तमरण-१२४६ अ, मरण ३२८१ ब। आधाकम्म (दोष)-आहार १.२८७ ब, २६० ब, उद्दिष्ट
१.४१३ अ। माधान क्रिया-४.१५१ अ। माधार--१२४६ अ, आकाश १.२२१ अ । आधार आधेयसम्बन्ध-उपचार १.४२० ब, कारक
२.५० अ, सम्बन्ध ४१२६ अ । आधारवत्व-१.२४६ अ। माधिकारिणी क्रिया-२.१७४ ब । आधी मागधी भाषा-२.४३२ अ । आधुनिक भूगोल-निर्देश ३.४३५ व । आय-आधार सम्बन्ध-उपचार १.४२० ब, कारक
२.५० अ, सम्बन्ध ४.१२६ अ । आध्यात्मिक-धर्मध्यान २४७६ अ, १.४८१ अ, नास्तिक्य
२.५८५ ब, शुक्लध्यान ४३२ ब, सुख ४.४३१ ब। आध्यान-१२४६ अ, अपध्यान १.११८ ब, ध्यान
२४६६अ। आनंद-१.२४६ अ, अनुत्तरोपपादक दशांग १.५०,
आत्मानुभव १.८१ ब-८५, पार्श्वनाथ ३३७८,
विद्याधर नगरी ३५४५ अ, सुख ४.३३१ ब-४३२ ब । आनंद (कूट)--गन्धमादन गजदन्त-निर्देश ३.४७३ अ,
विस्तार ३.४८३, अकन ३.४४४, ३.४५७ । आनंद पाहुड--३ १५६ ब । आनदपुर-४१६ ब। आनंदबोध-३ ५६५ ब। आनंदवतो-४.१८ ब । आनंदवर्धन-१.२४६ ब । आनंदा--१.२४ ब, नन्दीश्वर द्वीप को वापी-निर्देश
३४६३ अ, नाम ३.४७५ ब, विस्तार ३.४६१ अकन ३ ४६५। रुचकवर पर्वत की दिक्कूमारी
निर्देश ३४७६ अ, अकन ३.४६८ । आनंदिता-१.२४६ ब। व्यन्तर बल्लभिका ३६११ब,
व्यन्तर गणिका ३.६११ ब, नन्दन वन की दिक्कूमारी
३.४७३। आनंदिनी-४.१५ वा
Page #42
--------------------------------------------------------------------------
________________
धानत
--
"
आनत (देव) - देव -- निर्देश ४.५१० व अवगाहना १.१८१ अ अवधिज्ञान ११९५ व आयु १.२६८, आयुबन्ध के योग्य रिणाम १२५८ अ । इन्द्र - निर्देश ४५१० व दक्षिनेन्द्र ४.५११ अ परिवार ४. ५१२-५१३ चिन्ह आदि ४.५११ व अवस्थान ४.५२० व, विमान नगर व भवन ४५२०-५२१ । आनत (देवप्ररूपणा ) - ३.१०२, बन्धस्थान ३११३, उदय १३७८, उदयस्थान १.३६२ ब, उदीरणा १४११ अ, उदीरणा स्थान १.४१२, सत्त्व ४२८२, सवस्थान ४.२२८, ४.३०५, त्रिसंयोगी भंग १.४०१ । सत् ४.१६२, सख्या ४६८, क्षेत्र २.२००, स्पर्शन ४.४८१, काल २.१०४, अन्तर १.१०६, भाव ३.२२७, अल्पबहुत्व १.१४५ । आनत (स्वर्ण) - स्वर्ग - निर्देश ४.५१४ ब, पटल इन्द्रक श्रेणीबद्ध ४.५१, ४५२०, दक्षिण विभाग ४. ५२० ब, अकन ४.५१५ । इसी स्वर्ग का पटल --- निर्देश ४.५१८, विस्तार ४५१५ अकन ४५१५ । आनपान १२४६ व उच्छ्वास १३५२ ब काल का प्रमाण २२१६ अ प्राण ३१५३ अ ।
,
आनपान पर्याप्ति ३४१ अ काल २८१ अ ।
1
आनयन - १.२४६ ब ।
अनर्थक्य - १२४६ ब ।
आनुपूर्वी --- १.२४६ व उपक्रम ४ ६७ ब ।
आनुपूवों नामकर्म प्रकृति - १२४७ अ । प्ररूपणा - प्रकृति ३८८ २५०३ अ स्थिति ४४६५, अनुभाग १९५, प्रदेश ३.१३६ । बन्ध ३६७, बधस्थान ३ ११०, उदय १.३७५, उदय की विशेषता १.३७२ ब, १३७३ ब, उदयस्थान १ ३६०, उदीरणा १.४११ अ उदीरणा स्थान १४१२, सत्त्व ४ २७८, सस्व स्थान ४३०३, त्रिसंयोगी भग १.४०४ । संक्रमण ४ ८५ अ, अल्पबहुत्व ११६८, ११७६ १ आपात (अतिचार ) - १२४७ व अतिचार १.४३ व ।
,
आपूछना - १.२४७ व समाचार ४३३६ व ३३७ अ आपृच्छा समाचार ४.३३६ ब ३३७ अ ।
आपेक्षिक गुण १२४७ व सूक्ष्मत्व ४.४३८ व, ४४३६ अ, स्वभाव ४ ५०६ । आप्त-१.२४७ व आगम
१२३५ ब सम्यग्दर्शन
४ ३५६ अ । आप्तपरीक्षा - १.२४६ अ इतिहास १.३४१ ब आप्तमीमांसा - १.२४८ अ इतिहास १३४० ब । आप्तमीमांसा टीका इतिहास १.३४१ व ।
--
—
१४१६ ब, श्रुतज्ञान
३६
आयु
आप्तमीमांसा वचनिका इतिहास १३४८ अ । आप्तमीमांसा विवृति इतिहास १३२९ व । आप्तवचन - प्रामाण्य १.२३५ ब | सूत्र १-२३६ अ । आप्ताज्ञा - आगम १२२७ ब ।
- ।
7
आवाधा – १२४८ अ मूलोत्तर प्रकृति १२४९ अ ४.४६०, अल्पबहुत्व १९७६ काण्डक १२४८ ब काल १२४८ अ, स्थान १ २४८ ब । आबिद्धकरण -- देशीयगण १३२५ । अभिनियोधिक ज्ञान-१ १३० अ उपक्रम १४१६ ब । अभियोग्य (देव) - निर्देश २४४५ ब, मध्यलोक में ३६१३ अ, आयुध योग्य परिणाम १.२५८ अ । आभीर - ३.२७५ अ । आभ्यंतर - उपाधि १४२७ अ ३६२३ ब, करण ( निमित्त) २.६११ ब कषाय २३५ व कारण २.५४ अ, २.६२ अ-ब २.७२ व ग्रन्थ (परिग्रह) ३.२८ अ, तप २३५६ अ, २३६१, तपःकर्म २२६ अ त्यान ३.२१ व धर्मध्यान २४८१ अ निमित्त ३६०२ ब नेत्र (उपयोग) २४६० ब परिग्रह ३.२८ अ १.४२७ अ, २.६२३ ब पारिषद देव ३५६ अ प्रत्यय ३ १२५ ब मल ३२८६ अ व्यास २२२२, ब्युत्सर्ग ३६२३ ब, सल्लेखना ४३८२, ४.३८३ अ सूची २२३३ ब हेतु (कारण) २५४ अ, २.६२ अ-ब २.७२ ब । आमंत्रणी - १.२५० व भाषा ३२२७ अ । आमषषध - १२५० व ऋद्धि १.४४७, १.४५५ अ । आमाशय -- औदारिक शरीर १४७२ अ । आमुंडा - १२५० ब । आम्नाय - १.२५१ अ । आम्र - अरनाथ २.३८३ । आम्रवन
1
शान्तिनाथ २.३५३, भावन लोक ३.२१० ब व्यन्तर लोक ३.६१२ ब, नन्दीश्वर द्वीप ३ ४६६ अ । आय- १२५१ अ गुणस्थान ३११७ ब वर्गीकरण २.४२८ अ, सामायिक ४,४१४ ब, ४.४१५ अ । आय-ज्ञान -- इतिहास १.३४२ ब ।
1
आयत - १२५१ अ । विशेष ३.४७ अ, सामान्य २.१७२ ब
२४५४ अ ।
आयतन १.२५१ अ ।
आयापाय दर्शनोयोत आचार्य १.२४२ अ आयोपाय १२७० अ ।
आयाम- १.२५१ व उदय १.२७१ अ, गुण हानि २.२३१ ब, काण्डक २४१ व निर्वण २.६२६ अ । आयु - १.२५१ व अकालमृत्यु ( मरण) ३.२८५ अ
Page #43
--------------------------------------------------------------------------
________________
आयुकर्म प्रकृति
अपकर्षकाल का अल्पबहुत्व ११७३ अ करण दशक २६ अ, मरण ३२८२ अ, ब ।
आयुकर्म प्रकृति - अपकर्षकाल का अल्पबहुत्व, १-१७३ अ आबाधा १.२४९ अ १२५० अ प्ररूपणा - प्रकृति ३८८, १२५३, स्थिति ४४६२, स्थितिघात १.११७ अ, अनुभाग १६५, अनुभाग का अल्पबहुत्व ११६६ ब प्रदेश ३.१३६, बध ३१७, बधस्थान ३१०८, उदय १.३७५, उदय के निमित्त १.३६७ ब, उदय की विशेषता १३७२ ब उदयस्थान १.३८७, उदीरणा १.४११ अ उदीरणास्थान १.४१२, सत्व ४.२७८, सरवस्थान ४.२९४, त्रिसयोगी भन १४०१ संक्रमण
४.८५ अ ४.०६ अ अल्पबहुत्व ११६९ ।
आयुध-नरक २५७४ अ ।
आयुधशाला - चक्रवर्ती ४१५ ब ।
आयुष्य - १२५३ अ ।
आयोधन- हरिवश १.३३६ व
आयोध्य - ४१३ अ ।
आयोपाय - १२७० अ ।
आरंभ – १२७० व उपदेश १६२ अ, अध कर्म १.४८ अ, कर्म २.२६ अ, ब । क्रिया १२७० ब, त्याग १.२७० ब दोष २.२६ व
,
आरंभकोपदेश - अनर्थदण्ड १.६३ अ
।
आरंभत्याग प्रतिमा - १.२७० ब । आर-१२७१ अ । नरक पटल-निर्देश २.५७१ ब, विस्तार २५७१ ब अकन ३४४१, नारकी अवगाहना ११७८, आयु १.२६३ ।
आरट्ट - १२७१ अ, मनुष्यलोक ३ २७५ ब ।
आरण (देव) - १२७१ अ देव-निर्देश ४५१० ब
१११८ व १२५८
अवगाहना ११८१ अ अवधिज्ञान आयु १.२६८, आयुबंध के योग्य परिणाम ब । इन्द्र - निर्देश ४५१० ब, दक्षिणेन्द्र ४५११ अ, परिवार ४५१२-५१३ चिह्न आदि ४५११ ब अवस्थान ४५२० ब विमान नगर व भवन ४५२०५२१ ।
आरण (देव प्ररूपणा ) - बंध ३१०२, बंधस्थान ३११३, उदय १३६८, उदयस्थान १ ३६२ ब । उदीरणा १. ४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४.२८२, सरवस्थान ४२१८, ४.३०५, त्रिसयोगी भग १४०६ ब । सत् ४ १९२, सख्या ४.६८, क्षेत्र २.२००, स्पर्शन ४४८१, काल २.१०४, अतर १.१० भाव ३. २२० ब, अल्प - बहुत्व १९४५ अ ।
३७
आरण (स्वर्ग) - स्वर्ग - निर्देश ४५१४ ब, पटल इन्द्रक श्रेणीबद्ध ४.५१, ४५२०, दक्षिण विभाग ४५२० व अकन ४४१५ । इसी स्वर्ग का पटल-निर्देश ४५८८ विस्तार ४.५१८, अकन ४५१५ । आरा - नरक पटल - निर्देश २.५८० अ, विस्तार २.५८०
अ । नारकी - अवगाहना १.१७८, आयु १.२६३ । आरातीय - १.२७१ अ, वक्ता ३ ४६६ ब ।
आखड
आराधक १२७१ ब ।
आराधना- १२७१ अ भक्ति ३.१६७ व सल्लेखना
४.३८५ व २८६ ३०६ अ ३९४ अ । आराधना इतिहास १.३४३, १.३४६ अ । आराधना कथाकोष -१ ३७१ व कथाकोष २३ ब इतिहास १३४६ ब ।
आराधना पंजिका -- १.२७१ ब ।
आराधना-संग्रह- १२७१ ब ।
आराधना सार- १.२७१ ब । इतिहास १ ३४२ ब । आराधना सार समुच्चय इतिहास १.३४४ व - ।
आराधित- १२७१ अ ।
आराम-३५२८ अ ।
आरोग्य - ३४१२ ब ।
आरोप — उपचार १.४१६ ब ।
आरोहक - १२७२ अ श्रेणी के कालावधि का अल्पबहुत्व
१ १६१ व ।
आरोहण - गुणस्थान २ २४७ अ । आर्जव १२७२ अ माया ४.१३१ व शुभोपयोग
ब,
१.४३४ ब । आर्त-१२७२ व अतिचार १.४३ व १. २७२ व ध्यान १. २७२ ब ।
,
आतंध्यान- १.२७२ व अशुभोपयोग १.४३३ व त्याग ब, ४. ४१७ व सम्यग्दृष्टि ४.३७६ अ, ४३७७ ब ध्यान २४६७ अ, साधु ४.१३२ अ ।
आतं परिणाम १२७४ व संध्यान १.२७२ ब । आर्द्रा नक्षत्र १२७४ व रुद्र २.५०४ ब ।
आर्य --- १.२७४ ब भोगभूमि ३.५२२ अ मनुष्य
३ २७३ ब, वर्ण व्यवस्था ३ ५२२ व विद्या ३.५४४ अ विद्याधर १.३३९ अ सत्प्ररूपणा ४.१०४, हरिवंश का राजा १ ३३६ ब ।
आर्यक – मगधदेश का राजा १.३१२ ।
आर्य कूष्मांड देवी - १.२७५ अ, विद्या ३.५४४ अ । आखंड १.२७५ अ निर्देश ३.४४६ अ विदेहस्य ३४६० अ, गणना ३.४४५ अ, अंकन ३.४५७, ३.४६४ के सामने काल विभाग २.१२ अ, २.६३ ।
1
Page #44
--------------------------------------------------------------------------
________________
आर्यन द
आश्चर्य
आर्यनंदि-१२७५ ब, पचस्तूप सघ १.३२६ ब, इतिहास
१.३२६ ब। आयमंक्ष-१२७५ ब, मूलसघ १३३२ ब, १. परि०/
२-१, ३१-३ । इतिहास १.३२८ ब । आर्यवती-१२७५ ब, विद्या ३.५४४ अ । आर्यसेन--सेनसघ १.३२६ अ। आयिका-१.२७५ ब, उपवार १.४१६ अ, कल्की २३१ ब,
गुरु २२५३ ब, तीर्थकर संघ २३८७, महाव्रत ३.५८६ ब, लिग ३.४१७ अ, वस्त्र १४० ब, सगति
४.११६ ब. साधु ४.१२० अ। आयिका संघ-कल्की २.३१ ब, तीर्थकर सघ २.३८८ । आर्षयज्ञ-३.३६६ ब । आर्ष वचन-आगम परम्परा १२३४ ब । आर्हन्त्य क्रिया-संस्कार ४.१५२ अ, ४.१५३ अ। आलब्ध-१.२७६ अ, व्युत्सर्ग दोष १.६२३ अ। आलय--१.२७६ अ। आलयांग-१२७६ अ, कल्पवृक्ष ३ ५७८ अ । आलाप-१.२७६ अ, अक्षसचार गणित .२२६ अ। आलापन बध-१.२७६ अ, नोकर्म बंध ३.१७० ब । आलाप पद्धति-१.२७६ अ, इतिहास १.३४२ ब । आलुच्छन-१.२७६ अ, आलोचना १२७६ ब । आलेखित-२.४६६ ब । आलेल्याकार-केवलज्ञान २ १४६ ब । आलेपन-१.२७६ ब, बध ३१७० अ। आलोक-१.२७६ ब। आलोकन वृत्ति-२.४०६ ब । आलोकितपान भोजन-अहिंसा १.२१६ अ, रात्रिभोजन
३.४०२ ब । आलोचन-आलोचना १.२७६ ब, दर्शन १४६ ब,
२.४०६ ब । मालोचना-१२७६ ब, प्रतिक्रमण ३.११७ अ, प्रायश्चित
३१५६ ब, १६० ब, वन्दना ३.४६५ ब, शुद्धि
४.४१ अ, सल्लेखना ४.३६० ब, ४.३६१ ब । आवरण-१२७८ ब, ज्ञान २.२७२ ब । आवजित करण-१.२७८ ब । मावर्त-१.२७६ अ, कर्म २.२६ अ, कृतिकर्म २१३३ ब,
२.१३४ ब, मनुष्यलोक ३.२७५ ब, राक्षसवश ।
१.३३८ अ, वदना ३.४६४ ब, सामायिक ४४१६ ब। मावर्तपुर--विद्याधर नगरी ३.५४५ अ । आया-विदेहस्थ क्षेत्र-निर्देश ३.४६० अ, नामनिर्देश
३.४७० ब, विस्तार ३.४७६, ३.४८०, ३.४८१, अकन
३.४४४, ३४६४ के सामने, चित्र ३.४६० अ। वक्षारगिरि का कट तथा देव-निर्देश ३.४७२ ब,
विस्तार ३. ४८२-३.४८५-३.४८६, अकन ३.४४४। आवली-१.२७६ अ, अन्तमुहर्त १.३० अ, काल का
प्रमाण २.२१६ अ, क्षेत्र का प्रमाण २.२१५ अ-ब,
सहनानी २.२२० अ । राक्षसवश १.३३८ अ। आवश्यक-१२७६ ब, अध प्रवृत्तकरण २.११ अ, अनि
वत्तिकरण २.१४ अ, अपूर्वकरण २.१२ ब, कृतिकर्म २.१३३ ब, गुणित कर्माशिक २१७७ अ, शुद्धि
४४० ब, श्रावक ४.५१ ब । आवश्यकापरिहाणि-१,२८० अ । आवास.....१२८० अ। भावन लोक ३.२१० अ, वनस्पति
३.५०६ ब, ३.५१० अ। व्यन्तरलोक--निर्देश ३६१२ अ, बनावट ३.६१२ ब, विस्तार ३.६१५ अ,
संख्या ३.६१२ ब। आवासक-आवश्यक १२८० अ । आविद्धकरण-१.२८० ब, नन्दिसघ देशीयगण १.३२५ अ,
पदमनन्दि १३३० अ, १३३१ अ, इतिहास १.३२६
ब। आविष्कार-१२८० ब । मावीचिका मरण-१२८० ब, मरण ३.२८० अ। तृष्णा
३ ३६५ ब, ३.३६६ ब, दासत्व ३.३६८ अ, निराकरण ३ ३६८ अ। रुचक पर्वत की दिक्कुमारी
-निर्देश ३.४७६ अ, अकन ३ ४६८, ४६९ । आवृत्तकरण-१.२८० ब । आवृष्ट-१.२८० ब, मनुष्यलोक ३ २७५ अ । आशंसा-१.२८० ब । आशय औदारिक शरीर १४७२ । आशा -१.२८० ब, राग-गर्त ३.३९५ ब । आशाधर-१२८० ब, स्तोत्र ४४४६ ब, इतिहास
१३३२ अ, १३४४ अ, १३४५ अ । आशिष-१२८१ अ। आशीर्वाद-१२८१ अ, नमस्कार २.५०६ ब । आशीविष (वक्षार)-१.२८१ अ, विदेहस्थ पर्वत-निर्देश
३ ४६० अ, नाम ३.४७१ अ, वर्ण ३.४७७, विस्तार ३.४८२, ३.४८५. ३.४८६, अंकन ३.४४४, ३ ४६४ के सामने । इस पर्वत का कूट तथा देव
निर्देश ३.४७२ ब। आशीविष रसऋद्धि-१२८१ अ, ऋद्धि १.४४७,
१४५५ ब। आश्चर्य-१.२८१ अ, पन आदि द्रहो के कूट-निर्देश
३ ४७४ अ, विस्तार ३.४८३, अकन ३.४५४ ।
Page #45
--------------------------------------------------------------------------
________________
आश्मरथ्य
आहारकशरीर नामकर्म प्रकृति
आश्मरथ्य-३ ५६५ब । आश्रम-१.२८१अ। आश्रमकेस-पार्श्वनाथ २.३८४ । आश्रय-१२८१ अ, आकाश १.२२१ अ, आधार
१२४६ अ, सापेक्षधर्म ४३२४ ब । आश्रय-आश्रयो सम्बन्ध-उपचार १.४२० ब, सम्बन्ध
४१२६ अ। आश्रयासिद्ध-हेत्वाभास १.२१० अ। आश्लेषा--१.२८१ अ, नक्षत्र २५०४ ब । आश्वलायन-२.१७५ ब। आषाढ-१.२८१ अ, विद्याधर नगरी ३.५४५ अ। आसन--१२८१ अ, कायक्लेश २.४६ ब, ४७ ब, कृति___ कर्म २.१३३ ब, सामायिक ४.४१६ ब । आसनगृह-भवनवासी देवो के भवनों मे ३ २१० ब । आसन तप-कायक्लेश २.४७ ब । आसन्न भध्य-१.१८१ब, भव्य ३.२११ ब । आसन्न मरण-१२८१ब, ३ २८० अ। आसव-३ २०३ अ । आसावन-१२८१ ब, उपघात १.४१८ ब, सासादन
४४२३ अ। आसिका-१२८१ ब, समाचार ४.३३६ ब । आसीधिका- असही १.२०६अ। आसुर-भावन देव २.४४५ ब । आसुरि-साख्य दर्शन ४ ३९८ ब । आसुरी-१.२८१ ब । आस्तिक्य-१.२८१ ब, सम्यग्दर्शन ४.३५१ अ । आस्यनिविष ऋद्धि-ऋद्धि १४४७, १.४५५ ब । आस्रष-१.२८२ अ, अनुप्रेक्षा १.७४ अ, १७८ अ,
१७६ ब, धर्मध्यान २ ८८३ ब । आस्रव विभगी-इतिहास १.३३३ अ,१३४५ अ। आसवानुप्रेक्षा-१२८३ ब, अनुप्रेक्षा १.७४ अ, १७८ अ,
१.७६ ब। आहत-जम्बू वृक्ष का देव ३.४५८ अ, ३.६१३, ३ ६१४ । आहवनीय-१.२८३ ब, अग्नि १३५ ब। आहार-१.२८३ ब, अधःकर्म १४८ अ, अनशन १.६६
अ, अतराय १.२८ अ, अहिंसा १.२१६ अ, काल १.२८६ अ, १.२८६ अ, गद्धता निषेध १ २८८ ब, चर्या १२८६ अ, २.१३७ ब, तीर्थकर २.३७२ ब, त्याग (अथाल६ चारित्र) १.४६ अ, त्याग (सल्लेखना) ४.३६२ ब, ४.३६३ अ, देव २४४६ अ, दोष १.२८६-२६०, ४.३४१ अ, नरक २.५७२ ब,
प्रमाण १.२८५ ब, १२८६ अ, षट्कालिक हानिवृद्धि २.६३, सल्लेखना १४६ अ, ४.३६२ ब,
४.३६३ अ. आहारक काययोग-१२६७ ब, काययोग २.४६ अ,
मरण ३२८४ अ, वेद भाव ३.५८८ ब। प्ररूपणाबध ३ १०४, बधस्थान ३.११३, उदय १३८०, उदयस्थान १ ३६२ ब, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान १ ४१२, सत्त्व ४२८३, सत्त्वस्थान ४.२६६, ४३०५, त्रिस योगी भग १४०७। सत् ४.२२०, संख्या ४.१०३, क्षेत्र २.२०२, स्पर्शन ४.४८५, काल २१०८, अन्तर ११३, भाव ३२२० ब, अल्पबहुत्व
१.१४८ । आहारक चतष्क-उदय १.३७४ ब । आहारक द्विक्-उदय १.३७४ ब । आहारक मार्गणा-१.२६४ ब, अनाहारक १.६६ ब, ऋजु
गति (अनाहारक) १६६ ब, केवली २१६४, केवली समुदघात २१६७ ब, पर्याप्ति ३.१४ अ, विग्रहगति ३ ५५० ब । प्ररूपणा--बध ३ १०६, बंधस्थान ३.११३, उदय १.३८६, उदयस्थान १.३१३ ब, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्व ४.२८४, सत्त्वस्थान ४.३०२, ४३०६, त्रिसयोगी भग १.४०८ अ । सत् ४.२६४, संख्या ४.११०, क्षेत्र २३०७, स्पर्शन ४४६४, काल २११६, अन्तर
१२१, भाव ३ २२२ अ, अल्पबहुत्व १.१५२ ब । आहारकमिश्र काययोग-१.२६७ ब, काययोग २.४६
अ-ब, मरण ३.२८४ अ, वेदभाव ३.५८८ ब ।
प्ररूपणा-दे० आहारक काययोग । आहारकवर्गणा-१.२६८ब, वर्गणा ३.५१३ अ, ३.५१५
ब, ३.५१६ अ, शरीरवर्गणा ३५१४ ब । आहारकशरीर-आहारक १२६५ब, औदारिक शरीर
१.४५७ अ, कथचित् प्रतिघाती (बैंक्रियिक शरीर) ३६०३ ब, निगोद ३.५०६ ब, परिहारविशुद्धि सयत ३.३७ अ, प्रदेशो का अल्पबहुत्व ११५६ ब, प्रमत्तसयत ३ ५०६ अ, वेदभाव ३५८८ ब, शुक्ल
लेश्या ३ ४२५ ब। आहारकशरीर अंगोपांग-अगोपाग ११ ब । प्ररूपणा
दे० आहारकशरीर नामकर्म। आहारकशरीर नामकर्म प्रकृति-प्ररूपणा-प्रकृति ३.८८, ___२.५८३ अ, स्थिति ४.४६३, अनुभाग १.६५, अनु
भाग का अल्पबहुत्व १.१६८, प्रदेश ३.१३६, प्रदेशो का अल्पबहुत्व १.१५६ ब। बंध ३.६७, बंधस्थान ३.११०, उदय १.३७५, उदय की विशेषता १.३७१
Page #46
--------------------------------------------------------------------------
________________
आहारकर बध
- इंद्राणी
अ. उदरस्थान १३६०, १३६६, १३६७, उदीरणा इगिनी (मरण)-१.२७८ ब, सल्लेखना ४३८६ ब, १४११ अ, उदीरणास्थान १४१०, सत्त्व ४२७५ ४३८७ अ, ४३८६ अ । ब ४२७८ ४०८१-२८० सत्त्वस्थान ४३०३, इंद्र (देव)-१२६८ ब, कल्याणक २३२ ब, श्वेताम्बर विसयोगी भग १४०४ । सक्रमण ४.८४ ब, अल्प- (गर्भ परिवर्तन) ४ ७६ ब, ४७८ अ। ज्योतिषी देवों बहुत्व ११६८।
के-निर्देश २ ३४५ ब, आयु १२६६, नक्षत्र आहारकशरीर बंध- आहारक-आहार-बध ३१७० ब, २५०४ ब, परिवार २ ३४६ अ, सख्या २३४५ ब ।
आहारक काम गवध ३ १७० ब, आहारक-तैजस-बध भवनवासी देवो के-निर्देश ४ २०८ अ, आयु १.२६५,
३१७० ब, आहारक तेजस-कार्मण बध ३.१७० ब । परिवार ३.२०६ अ, सख्या ३ २०८ अ। वैमानिक आहारक समुद्घात-१२६६ ब, केवली समुद्घात २१६७ देवो के-निर्देश ४ ५१० ब, आयु १२६६, चिह्न
ब क्षेत्र २१६६-००७, परिहारविशुद्धि ३ ३७ अ, यान आदि ४५११, तीर्थंकर विशालप्रभ २.३६२, मारणान्तिक समुद्घात ४ ३४३ ब, समुद्घात ४.३४३ दक्षिण-उत्तर विभाग ४,५११ अ, देवियाँ ४.५१२, व, सजन ४४७७-४६४।
निवास ४.५२० ब, परिवार ४५१० ब, सख्या आहार-काल-आहार १२८५ ब, १२८९ अ, भिक्षा ४.५१० ब । व्यन्तर देवो के - निर्देश ३.६११ अ, ३ २०८व।
आयु १२६४ ब, परिवार ३.६११ ब, सख्या आहार के अतराय-अतराय १२८ अ ।
३६११ ब । आहार के दोष-आहार १२१-२६०, समिति, इद्र (नाम)--१.२६६ अ, कल्की वंश १.३११ अ.१३१५ ८ ३४१ अ।
अ, राक्षस वश १.३३८ अ, विद्याधर वंश १.३३६ अ। आहारचर्या-आहार १२८६ अ, कृतिकर्म २१३७ इंद्रक-१.२६६ अ। नरकेन्द्रक-निर्देश २५७६ ब. : भिक्षा ३ २२८ ब ।
निर्देश २५७६-५८०, विस्तार २५७८-५६०, अकन आहारत्याग-अथालद चारित्र १४६ अ, अनशन १६६
३.४४१, सख्या २.५७८-५८० । स्वर्गेन्द्रक-निर्देश अ, प्रोषधोपवास ३ १६३ अ, सल्लेखना ४३६२ ब,
४५१६ अ, नामनिर्देश ४.५१६-५१८, विस्तार ४३६३ अ।
४.५१६-५१८, अंकन ४.५१७, अवस्थान ४.५१४ ब, आहार-दान-अतिथिसविभाग व्रत १.४४ ब, दान विमान ३ ५६३ अ, संख्या ४५१६, ४५२० । २४२२ब, २४०४ ब, प्रोषधोपवास ३१६३ ब।
इंद्रगिरि-हरिवंश १.३४० अ। आहारपर्याप्ति-१२९८ ब, पर्याप्ति ३.४१ अ।
इद्रजीत-१२६६ ब, राक्षसवश १.३३८ब। आहारविपर्यय--१२६८ ब।
इंद्र त्याग (क्रिया)-१.२६९ ब, संस्कार ४.१५२ अ। आहारशुद्धि-अपवाद-मार्ग ११२१ अ, आहार १.२८५ इद्रद्युम्न-इक्ष्वाकुवश १३३५ अ। अ-ब, १२८७ अ, १२८६अ।
इंद्रध्वज-१.२६६ ब। आहारसंज्ञा-१ २६८ ब, संज्ञा ४ १२० ब, ४ १२१ अ।
इंद्रनदि संहिता-१२९६ब। आहित-अग्नि १३५ ब, ग्रह २७७४ ।
इंद्रपथ-१ २६९ ब । आहुति मत्र-१२६८ ब ।
इद्रपुर-१२६९ ब, मनुष्यलोक ३.२७६ अ । आह्लाद-सुख ४४२६ ब ।
इद्रप्रभ-राक्षसवश १३३८ अ। आह्वानन-पूजा ३८० ब।
इंद्रभूति-१२६६ ब, गणधर २२१३ अ, गौतम १३१६, ___ वर्द्धमान प्रभु २.३८७ । इंद्रमत-वानरवश २.३३८ । इद्रराज-१ २६९ ब, राष्ट्रकूट वश १.३१५ ब । इद्रवीर्य-कुरुवश १.३३५ ब । इंद्रसुत-कल्की २ ३० ब । इंद्रसेन-१२६६ ब, सेनसंघ १.३२६ अ, इतिहास
१.३२८ ब। . इगाल-१.२९८ ब, भिक्षादोष ३ २३३ अ, वसतिका इंद्राग्नि-नक्षत्र २.५०४ ब । दोष ३.५३० अ।
इंद्राणी-ज्योतिषी देवो की २.३४६ अ। भवनवासी देवो
Page #47
--------------------------------------------------------------------------
________________
इद्राभिषेक
इलगोवडि
की-निर्देश ३ २०६अ, आयु १२६५ । वैमानिक इंद्रोपपाद (क्रिया)-१३०७ ब, सस्कार ८१५१ ब । देवों की-निर्देश ४ ५१२; आयु १२७०। व्यन्तर इक्कीस-स्वभाव ४५०६ ब। देवों की ३ ६११ ब।
इक्कीस गुणस्थान प्रकरण-१४५८ ब इतिहास इंद्राभिषेक (क्रिया)-१२६६ ब, सस्कार ४ १५१ ब,
१३४१ अ। ४ १५२ अ।
इक्षपुष्प-असाधु की निन्दा २.५८६ अ । इंद्रायुध-१२६९ ब।
इक्षमती-१३०७ ब, मनुष्यलोक ३२६५ ब । इद्रावतार (किया)-१३०० अ, सस्कार ४१५२ अ।
इक्षरस -१३०७ ब, रस ३ 38. ब।। इंद्रिय-१३०० अ, अवगाहना का अल्पबहत्व ११५८, इक्षुवर (सांगर व द्वीप)-१३०७ व न्देिशः ४७.अ प्रदेशों का अल्पबहुत्व ११५७, १३०१ ब, करण
विस्तार ३४७८, अकन ३ ८४३ जला र २५ ब, नैयायिक दर्शन २६२३ ब, प्राप्यकारी
३४७० अ, ज्योतिषचक्र २:४८ ब अधिनि देव
३६१४। वैदिकाभिमत क्षीरोद मागर-नि:अप्राप्यकारी विभाग १३०३ अ, १.१८३ ब, मन
३ ४३१ ब, अन ३ ४३ । ३२७० ब, मुक्त जीव ३ ३७६ ब, शरीर ४२ अ।
इक्ष्वाकुवश-१३०७ ब. इतिहास १५ अतीकर इद्रियज सुख-सुख ४ ४२१ब, ४४३४ अ।
ऋषभ आदि २३८०, रघुवंश १८ अ इंद्रियज्ञान -१३०७ अ, उपयोग १४३३ अ, तप १३३६ ब ।
२२६३ ब, सयम ४१३६ ब, सल्लेखना ४३६६ अ, इच्छा-परिग्रह ३२४ ब, ३ २६ अ अभिलापा ११.ब स्वाध्याय ४ ५३५ अ ।
लोकैषणा३३६७ अ, अनाकाक्ष अनशन १६६ उपदेश इद्रियजय-१३०७ अ, उपयोग १४३३ अ, तप १४२४ ब. तप २३५७ ब. २ ३६० अ धर्म : :
२३६३ ब, सयम ४१३६ ब, सल्लेखना ४ ३६६ अ, अ, ध्याता २४६३ अ. ३ ३६५ ब. राग ३ ३६६ ब स्वाध्याय ४५२५ अ ।
३.३६७ अ, वाद ३ ४३५ अ. विनय ३५५: ब इंद्रियपर्याप्ति-१३०७ अ, पति ३.४१ अ, ३ ४३ अ।
विवेक ३५६६ अ. श्रद्धान ४३५६ अ. सल्लेखना इंद्रियप्रमाण-१३०७ ब, परोक्ष ३ ३६ अ, प्रत्यक्ष
४.३८३ अ, साधु ४४०५ अ. स्वाध्याय । । ३.१२२ ब, ३१२३ ब, २१५० ब, प्रमाण
इच्छाकार-१३०७ ब, विनय ३५५१ ब ५५२."
समाचार ४३३६ ब, सल्लेखना । ३६७ अ । ३१४३ ब, श्रुतज्ञान ४६३ ब ।
इच्छादेवी-१३०७ ब. रूचकवर पर्वत की दिक्कुमारीइंद्रियप्राण-पर्याप्ति ३ ४३ ब, प्राण ३ १५२ ब ।
निर्देश ३ ४७६ अ, अकन ३ ४६८ । इद्रियमार्गणा-निर्देश १३०६ ब, जीवसमास २.३४३,
इच्छानिरोध-१३०७ ब, तप २२५८ ब । जीवो की अवगाहना ११७६, जीवो की आयु १२६३,
इच्छानुलोमा----१३०७ ब, भाषा ३.२२७ अ । १२६४ । प्ररूपणा -बध ३१०३, बन्धस्थान ३ ११३,
इच्छाराशि-~-१३०७ ब, गणित २.२२८ ब । उवय १३७८, उदयस्थान १३६२, उदीरणा
इच्छाविभाग (बोष)--१३०७ ब । १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४२८२,
इज्या--१३०७ ब, पूजा ३.७४ अ । ४२८५, ४२६६, सत्त्व स्थान, ४२६८, ४३०५,
इतरनिगोद -१३०८ अ, वनस्पति ३५० अ. मोक्ष ४३०७, त्रिसयोगी भगी १.४०६। सत् ४१६३. सख्या ४९६, क्षेत्र २ २००, स्पर्शन ४४८२, काल
इतरेतराभाव-१३०८ अ, अभाव ११२८ अ। २१०६, अन्तर १११, भाव ३२२० ब, अल्प- इतरेतराश्रय-कारण (जीवकर्म सम्बन्ध) २.७४ ब । बहत्व-इन्द्रियमार्गणा ११४५, ११५५ अ, इति---१३०८ अ । योगस्थान ११६१ ब, शरीर स्वामित्व ४७, इतिषत्त-१३०८ ब । १.१५१, सक्लेशविशुद्धिस्थान १.१६० अ ।
इतिहास-१३०८ब। इंद्रियलोभ---लोभ ३ ४६२ ब ।
इत्थं संस्थान-.१३४८ अ, सस्थान ४.१५४ ब । इंद्रियविवेक-विवेक ३ ५६६ ब ।
इत्वरिका-१३४८ अ । इंद्रियध्याधि-लिंग ३ ४१७ ब ।
इत्सिग-१३४८ ब। इंद्रियसंयम-१ २०७ ब, सयम ४ १३८ अ, ४ १३६ अ। इभवाहन-कुरुवश १ ३३५ च । इद्रियसुख-सुख ४ ४२१ब, ४४३४ अ।
इलंगोवडि- इतिहास १३२८ ब, १३४० अ।
Page #48
--------------------------------------------------------------------------
________________
इला
सकत
इला--१.३४८ ब । हिमवान पर्वत का कट तथा देवी--- . ४.५१६ ब । देव-अवगाहना ११८० ब, अवधिज्ञान निर्देश ३.४७२ अ, विस्तार ३.४८३, अकन ३.४४४ ।
१.१६८ ब, आयु १.२६६, आयु के बन्धयोग्य परिरुचकवर पर्वत की दिक्कुमारी-निर्देश ३४७६ अ, णाम १.२५८ ब । इन्द्र-निर्देश ४५१०ब, परिवार अकन ३४६८, ३.४७६ ।
४५१२-५१३, उनरेन्द्र ४.५११ अ, अवस्थान इलावर्धन--१.३४८ ब, मनुष्य नोक ३२७६ अ, हग्विण ४ ५२० ब, चिह्न आदि ४५११ ब, विमान नगर १.३४० अ।
और भवन ४ ५२०-५२११ इलावृत वर्ष-~~१.३४८ व।
ईशानदेव (प्ररूपणा)-बन्ध ३१०२, बन्ध्रस्थान ३ ११३, इषुगति-१३४८ ब, विग्रहगति ३५४० व ।
उदय १३७८, उदयस्थान १३६२, उदीरणा १४११, इष्ट-१३४८ ब, साध्य ३२ ब ।
सत्त्व ४.२८२, सत्त्वस्मान ४२६८, त्रिस योगी भग इष्टमरण-आहागन्तराय १२६ ब ।
१४०६ अ। सत् ४१६२, सख्या ४६८, क्षेत्र २२००, इष्टविणेगज--१३४८ ब, आध्यान १२७३ ब ।
स्पर्शन ४४८१, काल ११०४, अन्तर ११०, भाव इष्टविषय-ब्रह्मचर्य ३१८६ ब ।
३.२२० अ, अल्पबहुम्व ११४५ । इष्टानिष्ट-मोड़ ३.५६४ ब, राग ३ ३६५ ब, रुच ईशित्व ऋद्धि -१.३५० ब, ऋद्धि १४४७, १४५१ अ। ४४३० व।
ईश्वर -१३५० व, जैनदर्शन २३४४ ब, ३ २० ब, इष्टोपदेश-१.३४८ ब, इतिहास १३४१ अ।
नियतिवाद २.६१६ अ, विदेहस्थ तीर्थकर का नाम इष्टोपदेश (टीका)-.-आशाधर १२८० ब, इतिहास २३१२, वेदान्त ३६०८ अ । १.३४४ अ।
ईश्वर अनिसृष्ट दोष ---आहार १२६१, उद्दिष्ट १४१३ इष्वाकार--१३४८ ब । धातकी व पुष्कराध का पर्वत-.-- अ।
निर्देश ३४६२ ब, ४६३ ब, विस्तार ३४८५, ३४८७, ईश्वरकृष्ण-४.३६८ब। वर्ण ३.४७८, गणना ३४६३ अ, अकन ३ ४६४ के । ईश्वरनय--१.३५० ब, नय २ ५२३ ब । सामने।
ईश्वरवाद--१.३५० ब, एकान्त १४६५ अ, परमात्मा इह लोक-अभिलाषा २५८५ ब, भय २२०६ अ-ब। ३.२१ ब। ई -१३४८ ब।
ईश्वरसेन-१३५० ब, पुन्नाट सघ १३२७ अ। ईपिय-आस्रव २१५८ ब, उदय १३६७ ब, कर्म ईषत्परोक्ष--१.१६० ब ।
१३४८ ब, २.२६ अ-ब, २.२२७ अ, ४२६६ अ, ईषत्प्राग्भार -१.३५० ब, भूमि ३ २३४ ब, मोक्ष कायोत्सर्ग ३ ४६५ ब, क्रिया १३५० ब, २१७४ ब, ३३२३ ब, सासादन ४ ४२५ अ। शुद्धि १.३५० ब, २१३८ ब, ४३३६ब, सल्लेखना ईषत्ससार-४१४६ ब । ४३८५ब।
ईसवी संवत् --१३५१ अ, इतिहास १३०६ अ-ब, ईर्यापथकम-१.२४८ ब, कर्म २,२६ अ-ब, २२७ अ, १३१० अ।
सत् ४२६६, मख्या ४११६ ब, क्षेत्र २.२०८, भाव ईहा-११५१ अ, अवग्रह ११८२, ऊहा १४४५ ब, ३ २२३ ।
कालावधि का अल्पबहुत्व १.१६०, धारणा २४६१ अ, ईर्यापयशुद्धि--१३५० ब, कृतिकर्म २.१३८ ब, गमिनि प्रमाण १.३५१ अ, ११८२ ब, मतिज्ञान ३ २५२ ब, ४३३६ ब, सल्लेखना ४.३८७ ब ।
३.२५३ अ, श्रुतज्ञान ४ ६२ ब, सराय ११८२ ब । ईर्यापथिक-आलोचना १२७६ ब, प्रतिक्रमण ३११६ अ, ईहावरणीय कर्म-१४४६ब ।
बन्धक ३ १७६अ। ईर्या समिनि-१३५० ब, हिसा १.२१६ अ, कायगुप्ति २२५१ अ, शुद्धि २१३८ ब, श्रावक ४५२ब,
उ-ऊ समिति ४ ३३६ अ, सल्लेखना ४३८७ ब । ईशान-१.३५०ब। स्वर्ग-निर्देश ४ ५६४ ब, पटल इन्द्रक
श्रेणीबद्ध ४.५१६, ४.५२०, उत्तरविभाग ४.५२० ब, उ-उत्कृष्ट २२१८ ब, उर्वक १४४५ ब। अवस्थान ४.५१४ ब, अकन ४.५१५, चित्र उक्त-१३५२ अ, मतिज्ञान ३ २५७ अ ।
Page #49
--------------------------------------------------------------------------
________________
उत्तम
उन-अभिनंदन नाथ २३८३, पार्श्वनाथ २३८० ।
पर्याप्तिकाल १३९३-३६७ । उग्रतप-१३५२ अ, ऋद्धि १४४७, १४५३ ब । उज्ज्वलित-१३५३ अ, नरकपटल-निर्देश २ ५७६ अ, उप्रवंश-१३५२ अ, भोजवंश १३३६ ब, विद्याधर विस्तार २५८० अ, अकन ३४४१, अवगाहना दश १३३८ ब।
११७८, आयु १२६३ । उग्रश्री-राक्षसवश १३३८ अ ।
उज्जिति-१३५३ अ । नरक पटल-निर्देश २ ५७६ ब, उग्रसेन---१३५२ अ, नेमिनाथ २३६१, यदुवश १३३६,
विस्तार २ ५७६ ब, अकन ३ ४४१ । हरिवश १३४० अ।
उज्जनी-इतिहास १३१० अ, मगधदेश १३१० ब, मूल उग्रादित्य--१ ३५२ अ, इतिहास १ ३३० अ, १.३४२ अ ।
राघ १ परि०/२१-३, श्वेताम्बर संघ ४७७ ब । अग्रोग्रतप- -वृद्धि १४४७, १४५३ ब ।
उज्झनशुद्धि- १३५३ अ, शुद्धि ४४० ब । उच्च --मोक्ष ३ ३२६ अ, मार्दव ३२६८ ब ।
उडण्डदशमो व्रत--१३५३ अ । उच्चकुल-१३५२ अ, वर्ण-व्यवस्था ३.५२० ब ।
उडुपालन--विद्याधर वश १ ३३६ अ। उच्चगोत्र---१ ३५२ अ, वर्ण-व्यवस्था ३ ५२० ब,
उत्कट.. राक्षस वश १३३८ अ । ३.१२२ ब।
उत्कर-भेद ३ २३७ अ । उच्चगोत्र कर्मप्रकृति-प्ररूपणा-प्रकृति ३८८, ३ ५२०,
उत्करण काल-काण्डक २४२ अ। स्थिति ४४६७, अनुभाग १६५, प्रदेश ३१३७।
उत्करिकासन तप --कायक्लेश २४७ब। बंध ३६७, बंधस्थान ३११०, उदय १३७५. उत्कर्षण-१३५३ अ, अतरकरण १२६ अ-ब, आयु उदय की विशेषता १.३७३ ब, उदयस्थान १.३८७,
१२६० ब, गुणस्थान २ ६ अ, दशकरण २६ । उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व उत्कषण (दोष)-आहार १२६० ब, उद्दिष्ट १.४१३ अ। ४.२७८, सत्त्वस्थान ४.२६४, त्रिसयोगी भग १३६६, उत्कर्षणप्राभूत (दोष)- आहार १२६० ब । सक्रमण ४.८५ अ, अल्पबहुत्व ११६८ ।
उत्कर्ष समा-१३५५ ब । उच्चत्व-मार्दव ३२६८ ब ।
उत्कल-१३५५ ब । उच्च-नीच व्यवहार से अतीत-मोक्ष ३३२६ अ, वर्ण
उत्कलिका-१३५५ ब, श्रुतज्ञान ४६७ ब । व्यवस्था ३ ५२४ अ ।
उत्कीरण काल-१३५५ ब, अतरकरण १२५ ब, उच्च पद--धर्म २४६६ ब ।
१२६ अ, काल २८१ अ । उच्चाटन-ध्यान २४६७ अ, मत्र ३२४५ ब ।
उत्कीर्ण -- अतरकरण १२६ अ । उच्चार-१३५२ अ, आहारातराय १२६ अ , औदारिक, उत्कृष्ट-अनत २२१४ ब, २.२२६ अ, अनतानत २.२१८ शरीर १४७२ अ।
ब, अनुत्कृष्ट ३११४, अनुभाग (क्षयोपशम) २.१८६ उच्चारण वृत्ति -१ ३५२ अ, कषायपाहुड २.४१ अ।
अ, अनुभाग (स्थितिबध) ४४५८ ब, ४,४५६ ब, उच्चारणाचार्य-१३५२ अ, तत्त्व ४.२७६ ब ।
अतरात्मा १३७ अ-ब, अवगाहना (सख्या) ४.६४ अ, उच्छादन--१.३५३ अ ।
अतख्यात २.२१४ ब, २.२१६ अ, असख्यातासंख्यात उच्छिष्टावली -१.३५३ अ, आवली १.२७६ ब।
२.२१८ अ, २२१६ अ, आराधना (सल्लेखना) उच्छ्वास-१.३५२ अ, काल प्रमाण २.२१६ अ, ब।
४३८७ अ, कृष्टि २१४३ अ, धर्मध्यान २.४७६ अ, उच्छवास नामकर्म प्रकृति-प्ररूपणा- प्रकृति ३८८, पद (अनुयोग) ११०२ ब, ११०३ ब, परमाणु ३.१४
२५८३ अ, स्थिति ४४६५, अनुभाग १.६५ ब, अ, परितानंत २२१८ ब, २२१६ अ, परितासख्यात प्रदेश ३ १३६ । बंध ३.६.६ अ, ३.६७, बधस्थान २.२१८ ब-२१६अ, युक्तानन्त २२१८ब, २.२१६ अ, ३.११०, उदय १३७५, उदयस्थान १३६०, युक्तासख्यात २२१८ ब, २२१६ अ, लब्धि ३४१५अ, १.३६७, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान विभक्ति (अनुयोगद्वार) १.१०३ अ ब, श्रावक(क्षुल्लक) १४१२, सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४३०३, त्रिस- २ १८८ ब, सख्यात २.२१४ ब, २.२१८ अ, समययोगी भंग १४०४ । सक्रमण ४.८४ ब, अल्पबहुत्व प्रबद्ध २२१६ अ, सहनानी २.२१६ अ, स्थिति
४४५६ ब,४४५८ ब, ४.२७६ ब । उच्छ्वास-पर्याप्ति-१.३५२ ब, पर्याप्ति ३.४४ अ, उत्तम-आकिचन्य १.२३४ ब, आर्जब १२७२ अ, क्षमा
Page #50
--------------------------------------------------------------------------
________________
उतपा
२ १७७ अ प २३६३, त्याग २३९७ब, धर्मवश २४७६ अ पात्र ३५२ ब प्रोषधोपवास ३१६४ अ बाला २२१५ व ब्रह्मचर्यं ३१९० ब. मार्दव बालाग्र ब, ३२६८ अ, वर्ण १३५५ ब ३२७५ ब शौच
४४२ ब सहनन ४१५५ व स्त्री सहनन ३ ५६० अ । उत्तमा व्यतर बल्लभका ३६११ व । उत्तमार्थ - काल १३५६ अ, २८० ब, त्याग ( सल्लेखना ) ४३८८ अ, प्रतिक्रमण ३ ११६ अ
उत्तर - अयन २९१ ब, क्षण २५५ अ, अ, २२२९ ब ज्ञान २४०६ व ३६१४, दिशा १३५६ अ, २१३६
गणित १३५६ देव ( भावन) ब, ( भावन)
ब, २४३४ अ,
३६२० ब, ४३८६ ब ।
उत्तरकल्प - स्वर्गो का उत्तर भाग ४ ५२० ब ।
उत्तरकुमार - १३५६ अ ।
उत्तरकुरु ( कूट) – १३५६ अ । गजदत का कूट तथा देव - निर्देश ३ ४७३ ब विस्तार ३४८३, ३४८५, ३४८६, अकन ३४४४, ३४५७ ।
उत्तरक्त (देश) - १३५६ अ, चातुर्वीपिक भूगोल ३४३७ अ । जैनाभिमत-निर्देश ३४३१ ब, ३४५६ ब, ३ ४६२ ब, ३४६३ ब विस्तार ३४७६, ३४८०, ३४८१, अफन ३४४४, ३.४६४ के सामने, चित्र ३ ४५७, गणना ३ ४४५ अ । काल-व्यवस्था २६३, जीवो की अवगाहना ११८०, जीवो की आयु १.२६३, १२६४ | बौद्धाभिमत ३४३६ अ, वैदिकाभिमत ३४३१ म ।
उत्तरकुरु (ग्रह) १३५६ अ, उत्तरकुरु मे स्थित निर्देश ३ ४५६ ब नाम निर्देश. ३४७४ अ, विस्तार ४४६०, ३४६१, अकन ३.४४४, ३.४५७, ३४६४ के सामने |
उत्तरगुण - १.३५६ अ प्रत्याख्यान ३१३३ अ श्रावक ४. ५० ब, ४५१ अ, साधु ४४०४ अ । उत्तरचर हेतु - १३५६ अ कारण कार्य २५६ ब । उत्तरधूलिका-१३५६ अ ब्युत्सर्ग दोष ३६२३ अ । उत्तरदिशा- १३५६ अ कृतिकर्म २१३६ व कायोत्सर्ग
३. ६२० व शुभकार्य २४३४ अ, सल्लेखना ४३८६ ब, सामायिक ४४१६ ब । उत्तर--१३५६अ, श्रेढी व्यवहार गणित २२२९ ब २.२३० ब । उत्तरपुराण- १३५६ अ इतिहास १३४२ अ १३४५ ब तरप्रकृति (कमंप्रकृति ) - प्ररूपणाये - प्रकृति ३८८,
३ ६७, स्थिति ४४६०, अनुभाग १६५, प्रदेश ३.१३६ । बन्ध १.२७, बन्धस्थान ३.१०८, उदय
१.३७५, उदयस्थान १३८७, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४२८७, त्रिसयोगी भग १३९९ । अल्पबहुत्व ११६४ ब-१६६, ११७६, सक्रमण ४८५ व स्वामित्व सन्निकर्ष प्रकृति ३११४, सत्व ४३१०, स्वामित्व (प्रकृति- स्थिति अनुभाग-प्रदेश) ४५२७-५२८ । सख्या ४११७, क्षेत्र २२०८ स्पर्शन ४४९४, काल २१२१-१२२, अन्तर १२३, भाव ३२२३, अल्पबहुत्व ११७५४४६६, ४५२७ भागाभाग ४ ११७ । उत्तरप्रकृति विपरिणमना - ३५५५ ब । उत्तरप्रतिपत्ति-१ ३५६ अ
उत्तरभाद्रपदा नक्षत्र ३५०४ ब, विमलनाथ २३८० । उत्तरमीमांसा - १२५६ व दर्शन २४०२ व मीमांसा दर्शन ३३११ अ । उत्तरमुख–कृतिकर्म २१३६ ब, कायोत्सगं ३६२० ब, शुभ कर्म २४३४ अ, सल्लेखना ४.३८६ व सामायिक ४४१६ व केवलीस मुद्धात २१६७ ब । उत्तराध्ययन- १.३५६ व, श्रुतज्ञान ४.६६ व । उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र - १३५६ ब, नक्षत्र २५०४ ब तीर्थंकर २३८१ ।
"
उत्पल
--
उत्तराभाद्रपद नक्षत्र - १३५६ ब, नक्षत्र २५०४ ब । उत्तराभिमुख कृतिकर्म २१३६ व कायोत्सर्ग ३६२० ब, शुभकार्य २४३४ अ, सल्लेखना ४४८६ व सामायिक ४४१६ व केवलीसमुद्धात २१६७ ब । उत्तरायन - २३५१ ।
उत्तरार्ध ( कूट) - भरत ऐरावत विदेह देशो के विजयार्थीपर स्थित निर्देश ३४७१ ब विस्तार ३४८३, वर्ण ३४७७, अकन ३ ४४४ ।
उत्तराषाढ नक्षत्र ४१५६ व नक्षत्र २.५०४ व ऋषभ नेमिनाथ तथा वर्द्धमान २.३५० ।
उसरित - १३५६ म व्युत्सर्ग दोष ३.६१२ ब उत्तरेद्रव्यन्तर देव ३.६११ अ स्वर्ग ४.५११ अ । उत्तानशय्यासन तय - कायक्लेश २.४७ ब । उत्पितनिविष्टम्युत्सर्ग दोष ३६१९ व उत्थितोत्थित-- व्युत्सर्ग दोष ३.६१९ व ।
।
उत्पत्ति - १३५६ व, उत्पाद १३५७ अ, जन्म २.३१३ ब । उत्पन्न - व्यन्तर देव -- अत्यु १.२६४ न ।
उत्पन्न स्थान सस्य-१३५६ ब, सत्त्व ४.२७५ भ । उत्पल - १३५६ ब काल प्रमाण २२१६ अ, नीलकमल ( नमिनाथ ) २३७८ ।
उत्पन्न (फूट) - पद्म आदि हदो के कूट-निर्देश ३.४७४ अ, विस्तार ३.४०३ अकन ३.४५४ ।
Page #51
--------------------------------------------------------------------------
________________
उत्पलगुल्मा
उदयकाल
उत्पलगत्मा-सौमनस तथा नन्दन वन की पुष्करिणी- उत्साह- १.३६३ अ, तीर्थकर २३७७ !
निर्देश ३.४५३ ब, विस्तार ३४६०-४६१, नाम उत्सेध-१३६३ अ। ३४७३ ब अकम ३४५१, चित्र ३४५१ ।
उत्सेधांगुल-१३६३ अ, उपमा प्रमाण २२१८ अ, क्षेत्र उत्पला-१३५६ ब, व्यन्तर बल्लभिका ३६११ ब, सुमेरु का प्रमाण २२१५ ब । पुष्करिणी-निर्देश ३ ४५३ ब, नाम ३४७३ ब,
उदंडचर्या - १,४५ अ, अतिथि १४४ ब । विस्तार ३४६०,३४६१, अक ३४५१, चित्र
उदंबरफल -१३६३ अ, भक्ष्याभक्ष्य ३ २०३ ब, श्रावक
४४६६। ३ ४५१ । उत्पलांग-कालप्रमाण २२१६अ।
उदक-१ १३६३ अ, तीर्थकर २३७७ । उत्पलोज्ज्वला-१३५६ ब, सुमेरू पुष्करिणी-निर्देश
उदक-१३६३ ब, राक्षस जातीय व्यन्तर देव ३ ३६३ ब,
लवणसागर का पर्वत-निर्देश ३४६२ अ, नाम निर्देश ३४५३ ब, नाम ३.४७३ ब, विस्तार ३४६०-४६१,
३४७४ ब, विस्तार ३४७६, अकन ३४६१, वर्ण अकन ३४५१, चित्र ३.४५१ ।
३४७८, इस पर्वत का देव ३ ४७४ ब । उत्पात-१३५६ ब, ग्रह २.२७४ अ, छेदना २३०६ ब,
उदकवर्ण-१३६३ ब, ग्रह २ २७४ अ। २३०७ अ।
उदकावास-१३६३ ब, लवणसागर का पर्वत-निर्देश उत्पातिनी--१३५६ ब, विद्या ३.५४४ अ ।
३ ४६२ अ, नामनिर्देश ३४७४ ब, विस्तार ३४७६, उत्पाद-१.३५७ अ, गुण २.२४२ अ, द्रव्य २४५३ ब,
अकन ३४६१, वर्ण ३४७८ । इस पर्वत का देव निर्हेतुक २५५१ अ, सयमलब्धिस्थान ३.४१४ अ,
३ ४७४ ब। स्व-पर-निमित्तक १.२२१ ब, पूर्व ४६८ ब।
उदधि-यदुवश १३३७ । उत्पाद अनुच्छेद–१३६१ अ।
उदधिकुमार-१३६३ ब, भावन देव-निर्देश ३ २०८ अ, उत्पादक- कर्ता-कर्म २.२१ अ, कारण-कार्य २५६ ब ।
अवस्थान २ २०६ ब, ३६१२-६१४, ३४७१, भवनो उत्पादन (दोष)-१३५६ ब, आहार १२८६ ब, वसतिका
की सख्या ३ २१० ब, अवगाहना ११८०, अवधिज्ञान ३५२६ अ।
११६८ब, आयु १२६५ । इंद्र - निर्देश ३२०८ ब, उत्पाद-पूर्व-१३५६ ब, श्रुतज्ञान ४६८ ब ।
शक्तिचिह्न आदि ३ २०८ ब, अवस्थान २२०६ब । उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य-१३५६ ब, अस्तित्व १२१२ ब, भिRTUREबन्ध ३१.२.बन्ध स्थान ३११३. द्रव्य २४५३ ब।
उदय १३७८, उदयस्थान १३६२ ब, उदीरणा उत्पाद-व्यय-सापेक्ष अशुद्ध-द्रव्याथिक नय-२५४५ अ।
१४११ अ, सत्त्व ४२८२, सत्त्व स्थान, ४२६८, उत्पादानुच्छेद-१३६१ अ, व्युच्छित्ति ३६१८ ब।
त्रिसयोगी भग १४०६ ब । सत ४१८८, सख्या उत्पीलक-अवपीडक १२०० अ ।
४.६७, क्षेत्र २१६६, स्पर्शन ४४८१, काल २१०४, उत्प्रेक्षा-१३६३ अ ।
अन्तर ११०, भाव २२३१ ब, अल्पबहुत्व ११४५ । उत्संज्ञासंज्ञ-१३६३ अ ।
उदधिरक्ष-राक्षसवश १३३८ अ । उत्सरण-१३६३ अ, उत्कर्षण १३५३ ब ।
उबय १३६३ ब, आयुकर्म १२६२ ब, ईर्यापथ कर्म उत्सर्ग-१३६३ अ, अपवाद ११२२ अ, उपयोग १३५० अ, उदीरणा १४०६ ब, १४१० अ, दशकरण
१४३१ अ, कृतिकर्म २-१३७ अ, तप (व्युत्सर्ग) २६ अ, गुणस्थान २६ अ, निमित्त १३६७, (जीव) ३६१६, समिति ४३४१ ब ।
परिणाम २.६७ ब, २७२ अ, २७४ अ, यत्नायत्न उत्सर्गपद्धति-पद्धति ३६ ब।
२.६७ अ, सक्रमण ४८६ ब। प्ररूपणा-उदय उत्सर्गमार्ग-अपवाद मार्ग ११२०-१२३ ।
१३७५, १३८६, उदय-व्युच्छित्ति १ ३७५-३८६, उत्सर्गलिंग -लिग ३ ४१७ अ ।
उदय-व्युच्छित्ति प्रत्यय ३१२७ ब, उदयस्थान उत्सर्पिणी–१ ३६३ अ, अवगाहना १.१८०, आयु १ २६४,
१३८७ ब, त्रिसयोगी भग १४००-४०८। स्थिति आर्यखण्ड १.२७५ अ, काल २८८, काल परिवर्तन
१.३८६, अनुभाग १३८६, प्रदेश १३८६। काल २६०, काल का प्रमाण २२१७ ब, क्षेत्र २.६२, वृद्धि २१२२, अन्तर १२३, अल्पबहुत्व १.१७५-१७६ । हानि २.६१, सुख ४३३१ ब, सिद्धो का अल्पबहत्व उदयकाल-उदयस्थान १३६७, कषाय २.३८, काल १.१५३ ब।
२.१भा
Page #52
--------------------------------------------------------------------------
________________
उद्योत नामकर्म प्रकृति
उदयचन्द्र
उदीग्णा ४५२६, उदीरणा-स्थान ४.५२१. काल उदयचन्द्र-देगीयगण १.३०४व इतिहास १:३२ अ १.३४८ अ।
२.१२१, अन्तर १.२३, अल्पबहुत्व ११७५ । उदयदेव-१८०६अ।
उदोर्ण-१४१३ अ। उदयनाचार्य-१८०४ अ, एकान्ल १४३५ अ, न्यायदर्णन
उदबरी-मनुष्यलोक ३ २७५ ब। २६३४ अ, वैशेषिक दर्शन ०६१६ ब ।।
उद्गम दोष -१४१३ अ, आहार १३८६ अ, वसतिका उदयपर्वत -१८०१ अ, विद्याधर नगरी ५४५ व।
३५२८ अ। उदयप्रभ-नीकर ३७।
उद्दावण---१.४१३ अ। उदय व्यच्छित्ति -१.३७-३८६, प्रत्यय ३.१२७ व।
उद्दिष्ट-१८१३, अ, आहार १०८७, वसतिका उदयसेन-१८७६ अ । बाइबागदराय-प्रवन १३.७व,
३५२८ व। इतिहास १३२१ अद्वितीय १३.३।
उद्दिष्ट त्यागप्रतिमा-१४१३ ब । उदयसेन मनि-आगाधर १२८० ब।
उद्देश १४१३ ब । उदयस्थान--१३६६ अ, उदय १३८३-८०८, स्थान
उद्देशिक-१४१३ ब, आहार १.२८७ ब, उद्दिष्ट (610व।
१४१३ अ, वसतिका ३ ५२८ ब । उदया--१८०६ ।
उद्देश्य-१ ८१३, उद्दिष्ट १४१३ अ । उदयादित्य - १८०६ अ, भोजवग १३१० अ।
उद्देश्यता-१४१३ । उदयादित्य (कवि, -इतिहाम? :३१व।
उद्देश्यतावच्छेदक-१.४१३ ब । उदयाभाव-उदा १३६६ ब।
उद्धारक-गक्षसवश १ ३३८ अ । उदयाभावी क्षय-श्रम १७८ अ।
उद्धार देव -१४१४ अ, तीर्थकर २३७७ । उदयावली- अन्नरकरण १२५ ब, १२६ ब, अपकर्षण उद्वारपल्य--१८१८ अ, उपमाकाल प्रमाण २२१७ ब, १११४ ब, आवली १२७६ व।
उपमा प्रमाण २२१८ अ। उदयो-मगधनरेग १३१० ब, १३१२,१३१३। उद्धारसागर-१४१४ अ, कालप्रमाण २२१० ब । उदयोपरामिक --क्षयोरजम २ १८८ अ, मिश्र ३३०६ ब । उद्धत १८१४ अ। उदरकृमि निर्गमन-आहागनराय ? २९ ब ।
उदभव - यदुवश १३३७ । उदराग्नि--2३५ व।
उद्भाव-१४१४ अ । उदराग्नि प्रशमन वृत्ति-भिक्षा १:08
उदभिन्न दोष--१४१४ अ, आहार १.२६१ अ, उद्दिष्ट उदार-- औदारिक १८७२ अ।
१८१३ अ, वमतिका ३.५२६ अ । उदासीन-अनीहित वन्ति (ध्येय)२५०० ब न्याग विगग उदभेदिज-२ ३३४ अ । २३६६ ब।
उभ्रान्त-१४१४ अ, नरक पटल निर्देश २ ५७६ ब, उदासीन कारण-कारण २६५ ब, 10 अ, धर्माधर्म विस्तार २५७६ ब, अकन ३४४१ । नारकीद्रव्य २ ४२६ अ, निमित्त ०६१२ अ ।
अवगाहना ११७८, आयु १२६३ । उदाहरण-१८०६ अ, दृष्टान्न,२८३७ ब. न्याय उद्यवन-१९१४ अ।
२६३३ ब, अष्टकर्मों के आट उदाहरण ३६१ अ। उद्यानगृह-वसतिका ३५२७ ब । उदितपराक्रम--इक्ष्वाकुवश १३३५ अ ।
उद्यापन-१८१४ अ, प्रोषधोपवास ३१६६ ब । उदीच्य-१.४०६अ।
उधोत --१४१४ अ, एकेन्द्रिय १३६३, विकलेन्द्रिय उदीरक-उदीरणा १४१० अ ।
१३६८, पचेन्द्रिय १३६५। उदीरणा-१.४०६, आबाधा १२५० अ, आयुकर्म २६१ अ, उद्यात कर-२ ६२४ ॥
ईर्यापथ कर्म १ ३५० अ, उदय १३६७ अ, गुणस्थान उद्योत नामकर्म प्रकृति-१ ४१४ ब । प्ररूपणा-प्रकृति २६ अ, दशकरण २६ । प्ररूपणा-उदीरणा ३८८, २५८३ अ, स्थिति ४४६५, अनुभाग १६५, १.४१० ब, १४११, उदीरणा स्थान १.४१२,त्रिसयोगी प्रदेश ३ १३६, बध ३६७, बध स्थान ३११०, उदयभग १.४०० अ, १४०६ ब, काल १.४१२, अन्तर १३७५, उदय की विशेषता १ ३७३ अ-ब, उदय १.४१२, अल्पबहुत्व १४१२ । स्वामित्व प्ररूपणा
स्थान १३६०, एकेन्द्रिय के उदयस्थान १.३६३,
Page #53
--------------------------------------------------------------------------
________________
उपधातु
उद्योतकर
विकलेन्द्रिय के उदयस्थान १३६४, पचेद्रिय के उदय भेदाभेद ४३२४ ब, मिथ्यात्व २२३ अ, शरीर स्थान १३६५, उदीरणा १४११ अ, उदीरणा ४८ अ। स्थान १४१२, सत्त्व ४ २७८, सत्त्वस्थान ४३०३, उपकारक-शरीर ४८ अ। त्रिसयोगी भग १४०४। सक्रमण ४८५ अ, अल्प- उपकारी-निमित्त २६१२ अ । बहुत्व १ १७१ ब।
उपकार्य-उपकारक संबंध-षद्रव्य २६३ ब, सम्बन्ध उद्योतन-१४१४ अ। उद्योतनसूरि-१४१४ ब, इतिहास १३२६ ब।
उपकैशगच्छ-श्वेताम्बर ४७७ ब । उद्वर्तन - ३.२८२ अ।
उपक्रम--१८१६ ब, आयुण १२५६ अ । उद्वेग --१४१४ ब, सुख-दुख ४.४३० ज।
उपगहन --१४१६ व। उद्वेध-१४१४ ब ।
उपग्रह--१४१७ व, उपकार १४१४ ब, व्यभिचार उद्वेलनसंक्रमण---उपशमराम्यक्त्व ४.३६६ अ, प्रदेश अल्प- (शब्द नय)१४१७ व, २५३८ अ ।
बहत्व ११७४ ब, सक्रमण ४८४ अ, सत्त्व व्यच्छित्ति उपघात..-१४१७ ब। ४२८१-२८२ । एकेन्द्रियो मे सत्त्व ४२८२ ।
उपधात नामकर्म प्रकृति-१४१७ ब, असातावेदनीय उद्वेलना-उपशमसम्यक्त्व ४३६८ ब, एकेन्द्रिय मे सत्त्व
३ ५६३ ब, परघात नामकर्म ३ ६५ ब । प्ररूपणा४२८२, सक्रमण ४.८४ ब, ४८६ ब ।
प्रकृति ३८८, २५८३, स्थिति ४४६५, अनुभाग उद्वेल्लिम-१४१४ ब, निक्षेप २६०२ ब ।
१६५, प्रदेश ३ १३६ । बंध ३६७, बधस्थान उनचास-सहनानी २२१६ ब।
३ ११०, उदय १३७५, उदयस्थान १३६०, उदोरणा
१४११ अ, उदीरणा स्थान १४१२, सत्व ४२७८, उन्नीस-अवधिज्ञान काण्डक ११६६ ब।
सत्त्वस्थान ४३०३, त्रिसंयोगी भंग १४०४ । उन्मग्नजला नदी-४ १५ ब ।
सक्रमण ४८५ अ, अल्पबहुत्व ११६६ ब। उन्मग्ना-१४१४ ब, विजयाई की गुफाओ मे स्थित
उपचरित-१४१८ अ, सापेक्षधर्म १ १०९ अ, ४ ३२३ ब । नदी-निर्देश ३४४८ अ, अंकन ३४४८ अ, चक्रवर्ती
उपचरित-असदभूतव्यवहार नय-उपचार १.४१६ अ, ३४१५ ब ।
१४२० अ, १४२३ अ, नय २ ५६२ अ । उन्मत्त - १४१४ ब, व्युत्सर्ग दोष ३६२२ अ ।
उपचरित नय -नय २५६० ब । उन्मत्तजला-१.४१४ ब, विभगा नदी-निर्देश ३.४६०अ,
उपचरित स्वभाव-स्वभाव १.४१८ अ, ४.५०६ ब । नाम ३ ४७४ ब, विस्तार ३.४८६, अकन ३.४४४,
उपचार--१.४१८ अ, अतिचार १.४३ ब, अभेदोपचार ३४६४ के सामने ।
१४२३ ब, कर्ता-कर्म २.२१-२४, कार्य-कारण उन्मान-१.४१४ ब, प्रमाण ३.१४५ अ, हीनाधिक
२.६६ अ, धर्मध्यान २.४७६ अ, भेदोपचार (नय) मानोन्मान ४५३८ ब ।
२५६० व, व्यवहार नय २५६२ ब । उन्मार्ग--अशुभोपयोग १४३३ ब ।
उपचारकथन-कथन २२२ अ। उन्मिश्रदोष----१.४१४ ब, आहार १.२६१ ब, वसतिका
उपचारछल-४४२३ ब, छल २.३०६ अ, ३.५२६ व ।
उपचार नय--१.४२३ अ। उन्मुड-यदुवश १ ३३७ ।
उपचार विनय -१ ४२३ ब, विनय ३ ५४६ ब, ३.५५१ न । उन्मुख - नारद ४ २१ अ।
उपचितावयब पद---पद ३ ५ अ । उपकरण--१४१४ ब, इन्द्रिय १.३०१ ब, जिनालग उपदेश-१.४२३ ब. आदेश १२४६ अ. उपयोग १.४२8
३ २६ अ, निक्षेपाधिकरण १.५० अ, परिग्रह ३२६ च, रुचि सम्यक्त्व ४३४८ ब, वचन ३.४६६ ब, अ, १४१ अ, श्वेताम्बर ४७६ ब, बकुश ३ १८० अ, सल्लेखना ४ ३६६ अ. साधु ४.४०६ब । विवेक ३ ५६७ अ, शुद्धि ४.४१ अ, सयोजनाधिकरण उपदेशदर्शनार्य-आर्य १२७५ अ। १५० अ।
उपदेशसम्यक्त्वार्य-आर्य १२७५ अ, ४.३४८ । उपकल्कि -२.३१ अ।
उपद्रवण-१.४८ अ। उपकार - १.४१४ ब, उपदेश १४२५ अ, १४२६ ब, द्रव्य उपद्रावण कर्म-२.२६ अ ।
पटक २६३ ब, २६५ अ, 'निमित्त २६१२ अ, उपधातु-१.४२६ ब, औदारिक शरीर १.४७१ ब ।
Page #54
--------------------------------------------------------------------------
________________
उपविष्टोपविष्ट
उपधान
उपधान-१४२६ ब।
१३७५, उदयस्थान १३८७, उदीरणा १४११ अ, उपधि-१४२७ अ, अन्वेलक १४० अ, अपवाद मार्ग उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान
११२२ ब, परिग्रह ३२५ ब, ३२६ अ, माया ४२९४, त्रिसंयोगी भग १३६६ । सक्रणम ४८५ अ, ३.२६६ अ, वचन ३ ४६७ ब, वाक् १४२७ अ,
अल्पबहुत्व ११६६ ब । ३४९७ अ, सल्लेखना ४३२० ब।
उपमाकाल-गणित २२१७ ब । उपनदन - नदन वन का खंड ३४५० अ।
उपमान-१४२८ अ, केवलज्ञान २१५० ब, प्रमाण उपनय--१४२७ अ, अनुमान अवयव १६८ ब, नय
३१४४ ब। २५५६ अ, न्याय २६३३ ब, ब्रह्म वारी १४२७ ब,
उपमान-उपमेय संबंध-मतिज्ञान ३२५६ ब । ३४८८ अ, स्याद्वाद ४५०० ।
उपमा प्रमाण---१४२८ अ, गणित २२१८ अ । उपनयाभास-१४२७ ब ।
उपमा मान-१४२८ अ। उपनिषद भाष्य-वेदान्त ३५६५ ब ।
उपमा सत्य--१४२८ अ, सत्य ४२७१ ब । उपनीति -१४२७ ब, सस्कार ४१५१ ब, १५२ ब ।।
उपमिति भवप्रपच कथा- इनिहास १३४२ अ। उपनीतिक्रिया-सस्कार ४१५१ अ, ४१५२ ब, मन्त्र
उपयुक्तदोष--१४२८ अ। ३२४७ अ।
उपयुक्त नोआगम भाव मगल-२६०५ ब । उपन्यास-१४२७ ब ।
उपयोग-१४२८ अ, अनुभव १८४ ब, १८५ अ, १८६ उपपत्तिसमा-१४२७ ब ।
अ, अपवाद मार्ग ११२० ब, आकार १२१८ ब, उपपाण्डक-पाण्डुक वन का खण्ड ३ ४५० ब।
इन्द्रिय १३०२ ब, केवली २१६५ ब, २१६६ अ, उपपाद---१४२७ ब, जन्म २३१७ अ, लब्धिप्राप्त
पाप-पुण्य १४३३-४३५ अ, मार्गणा ३ २६८ अ, वैक्रियिक शरीर ३६०३ व, षट्कालगत वृद्धि हानि
योग ३ ३७७ अ, शुद्धाशुद्ध तथा शुभाशुभ १८५ अ, २६३, सयमलब्धि स्थान ३ ४१४ अ ।
१८६ अ, ११२० ब, श्रुतज्ञान ४६२ ब । उपपादक्षत्र-१४२७ ब, क्षेत्र २१६२ अ, २१६७-२०७, उपयोगिता क्रिया-सस्कार ४१५२ ब । २३१७ ।
उपरतबध-१४३५ अ, आयुकर्म १.२६३ अ-ब, बध उपपादग्रह-१४२७ ब, देव-भवनो मे २३५१,
३१७२ अ। ३२१०ब।
उपराम-अशुद्धोपयोग १४३३ ब । उपपादज-जन्म २३१२ ब, २३१७ अ।
उपरितन कृष्टि-१४३५ अ, कृष्टि २१४१ अ। उपपादगेग स्थान -- योगस्थान ३३८१ ब, ३३८२। उपरितन स्थिति-१४३५ अ, उपशम १४३८ ब, स्थिति उपपादसभा-चैत्य-चैत्यालय २३०३ अ, स्वर्ग विमान ४४५७ अ। ४५२१ अ।
उपरिम कृष्टि-कृष्टि २.१४१ अ । उपपार्श्वसभा-व्यन्तर देवो के भवन ३ ६१२ ब । उपरिमग्रे वेयक-४५१८-५२० । उपबृहक-उपगहन १ ४१७ ब ।
उपरिम द्वीप--१४३५ अ। उपबृहण --१४२८ अ, उपगूहन १४१७ अ ।
उपलब्धि-१४३५ अ, अनुभव १८२ ब, जीव २ ३३२ उपभोग -१४२८ अ, परिग्रह ३२७ ब, भोग ३२३७ ब। अ, बुद्धि ३१८४ ब, मतिज्ञान ४६२ ब, सम्यग्दर्शन उपभोगपरिभोग -अनुभव १८१ अ, अनर्थदड १६४ ब, ४३५७ अ, हेतु ४ ५३६ । सुख ४४३० अ।
उपलब्धिसमा जाति-१४३५ ब । उपभोग-परिभोग-परिमाण व्रत-अनर्थदण्ड १६४ ब,
उपवन भूमि-१४३५ ब, समवसरण ४४३० ब । सचित्तत्याग प्रतिमा ४१५८ अ ।
उपवर्य-वेदान्त ३५६५ ब । उपभोगपरिभोगानर्धक्य-१६४ ब ।
उपवर्ष-मीमासा दर्शन ३३११ अ। उपभोग लोभ-लोभ ३४६२ ब ।
उपवास-१४३५ ब, प्रोषधोपवास ३१६३ अ, ३१६४ ब, उपभोगान्तराय कर्मप्रकृति-प्ररूपणा-प्रकृति ३८८, शुभोपयोग १४३४ ब, सावद्य कर्म ४४२१ ब ।
१२७ ब, स्थिति ४४६७, अनुभाग १६४ ब, प्रदेश उपविष्टोत्थित-व्युत्सर्ग ३६१६ ब। ३ १३७ । बध ३६७, बंधस्थान ३ ११०, उदय उपविष्टोपविष्ट–व्युत्सर्ग ३ ६१६ ब।
Page #55
--------------------------------------------------------------------------
________________
उपबेल्लन
४६
उपादान
उपवेल्लन-१.४३५ ब, निक्षेप २.६०२ ब।
उपशांतकषाय (प्ररूपणा)-बंध ३६८, बंधस्थान ३११०उपवेशन-आहारान्त राय १२६ ब
१११, उदय १.३७५, उदयस्थान १.३६२ अ, उदीरणा उपशम--१४३५ ब, करण (अन्तर) १.२५-२६, करण १४११ अ, सस्व ४.२७८, सत्त्वस्थान ४२८६
(दश) २६, अपक श्रेणी ४७२ ब, ४६२ ब, गुण- ३०४, प्रदेश निर्जरा का अल्पबहुत्व १.१७४, विसंगी स्थान २६ अ, यत्नायत्न २६७ अ, सख्या ४६२ ब,
भंग १४०६अ। सत् ४१६४, संख्या ४.६४, क्षेत्र सम्यग्दर्शन ४३५१ अ।
२१६७, स्पर्शन ४४७७, काल २.१००, कालावधि उपशमकरण-उपशम १४३८ ब, निषेक १३७१ ब।
का अल्पबहुत्व ११६१ अ, अंतर १७, भाव ३.२२२ ब उपशमकाल-अल्पबहत्व ११६१ अ, काल २८१ अ।
अल्पबहुत्व ११४३ । उपशमचारित्र-१४४२ ब, उपशम १४३६ ब ।
उपशांतद्रव्य-उपशम १४४१ अ। उपशमना-अल्पबहुत्व ११७५।
उपशांतमोह-कषाय २४० ब, काय २.४५ ब, दशकरण उपशमश्रेणी-१४४२ ब, कालावधि का अल्पबहत्व ११६१ अ, परिहार विशुद्धि ३३७ अ, प्रवेशको की
उपशामक-१४४३ अ, अपूर्वकरण १.१२५ अ, कषाय सख्या ४६४, बद्धायुष्क १२६२ ब, मरण ३ २८३ अ,
२४० ब, काय २४५ ब, दशकरण २.६ अ, परिहार श्रेणी ४७३ अ, समुद्रात ४३४३ अ, सम्यग्दर्शन
विशुद्धि ३३७ अ, बधक ३१७६ अ, ब द्वायुष्क ४३६६अ।
१२६२ब, मरण ३२८३ अ, श्रेणी ४.७३ अ, समुदधात उपशमश्रेणी (प्ररूपणा)-बध २१००,बंध स्थान ३११०,
४ ३४३ अ, सम्यग्दर्शन ४.३६६ अ। ३१११, उदय १३७५, उदय स्थान १३६२, उदीरणा
उपशामक (प्ररूपणा)-बध ३.६७, वधस्थान ३११०. १४११ अ, सत्त्व ४२७७ ब, सत्त्वस्थान ४.२८६,
१११, उदय १३७५, उदयस्थान १.३९२, उदीरणा ४३०४, त्रिसंयोगी भंग १४०६ अ। सत् ४१६३,
१४११ अ, सत्त्व ४.२७८ व, सत्त्वस्थान सख्या ४१४, क्षेत्र २१६७, स्पर्शन ४४७७, काल
४.२८६, त्रिमलेगी भंग १.४०६ अ। सत् ४.१६३, २१००, अतर १७, भाव ३ २२२ ब, अल्पबहुत्व
संख्या ४.६४ क्षेत्र २१६७, स्पर्शन ४.४७७, काल उपशमसम्यग्दर्शन-उपशम १४३७-४३६, करण त्रिक
२१००, अतर १.७, भाव ३२२२ ब, अल्पबहुत्व २६-१४, देव (अपर्याप्त) २४४७ ब, पचलब्धि
१.१४३। ३४१२ अ, परिहारविशद्धि ३३७ अ, मन पर्यय उपसंयत-१४४ ५, समाचार ४.३३६ ब, ३३७ अ । ३२६६ब, सम्यग्दर्शन ४३६६ ब। प्ररूपणा-बंध उपसंपदा-१४४. ५, सल्लेखना ४.३६० ब । ३१०७, बधस्थान ३११३, उदय १३८५, उदय उपसमुद्र-१४४३ । स्यान १३९३, उदीरणा १४११ अ, सत्त्व ४२७१. उपसर्ग-१४४३ ब, न्तातिशयर १३७ ब, आहारान्तराय ४२८४, सस्वस्थान ४२८६ ४३०४, विसयोगी १२६ अ, केवली २१५७ अ, तीर्थंकर २.३७२ ब, भग १४०८ अ। सत् ४२५५. सख्या ४.१०८ क्षेत्र सामायिक ४.४१ ब । २२०६, स्पर्शन ४४६२, काल २११७, अंतर १२०१, उपसौमनस-सौमना न का खड ३४५० अ। भाव ३२२१ ब, अल्पबहुत्व ११५२, भागाभाग उपस्था (इन्द्रिया)---१ ४३ ब, प्रधानता ४.१३६ अ, सयम ४११४।
४१३६ अ । उपशमसम्यग्दृष्टि-उपशातकषाय ४३१२ ब, जीव उपस्थापना-१४४० ब, प्रायश्चित्त ३१५८ ब, ४३१२ ब, सख्या ४८७ अ।
३१६२ अ। उपशांतकर्म-१४४२ ब।
उपांग-शरीर १. ,१२ अ। उपशांतकषाय-१४४२ ब, अवधिज्ञानी ४३१२ ब, आरोह उपात -१.४४३० आकिंचन्य धर्म १.२२४ ब ।
अवरोहण २२४७ अ, अवरोहण का कारण ४७३ अ, उपादान-१४४३ च, असमर्थता २ ६२ ब, २.६६ ब, उपशम १४३६ ब, करण (दश) २.६ अ, क्षायिक २७३ ब, कार २.५४ अ, २६०,अ, २६१, २.६२, सम्यग्दष्टि ४३१२ ब, परिषह ३.३४ अ, मनुष्य निमित्त २.६ अ, २७२ अ, परतंत्रता २६२ ब, ४३१२ ब, वीतराग छंधस्थ १४४२ ब, संक्लेश २.६६ ब, २ ब, प्रधानता २.६२ अ, स्वतन्त्रता विशुद्धि ४७३ अ।
२.६० अ।
Page #56
--------------------------------------------------------------------------
________________
उदान-उपादेय-संबंध
ऊर्ध्वप्रचय
उपादान-उपादेय संबंध-कारण-कार्य २७३ अ, सम्बन्ध उभयोदयबंधी प्रकृति-१३६८ अ, प्रकृतिबंध ३८८ब, ४१२६ अ।
३८६ब। उपादेयबुद्धि- सम्यग्दर्शन ४३५६ ब ।,
उमा-तीर्थकर (महाभद्र) २३६२ ।। उपाधि-१४४३ ब, अतिचार १४३ ब, साधु ४४१० ब। उमास्वामी-१४४५ अ, निर्दग १ परि०/४२४, उपाध्याय-१४४४ अ, ओम् १४६६ ब, गुरु २२५१ ब, मूलसघ १३२२ ब, नन्दिसघ १३१८ ब, देशीयगण
देवत्व २०४४४ ब, ध्येय २५०१ अ, पूजा ३७७ अ, १३१६ अ, इतिहास १३२८ ब, १३४० ब । प्रतिमा २३०१ अ, साधु ४४१० अ।
उरग -निर्देश २३६७ ब, आयु १२६३ । उपाय-उपेयभाव-कारण-कार्य २५४ ब, सम्बन्ध उराल--औदारिक १४७१ अ। ३४३३ ब।
उरुकुल गण - १.४४५ ब, द्रविड सघ १३२० ब । उपायविचय-१४४४-ब, धर्मध्यान २ ४७६ अ। उरु बिल्व-१४४५ ब। उपालभ-१४४४ व ।
उर्मिमान-यदुवंश १३३७ । उपासकाध्ययन -१४४४ ब, श्रुनज्ञान ४६८ अ ।
उमिमालिनी-१४४५ ब, विर्भगा नदी-निर्देश ३ ४६० उपासना-१४४४ ब, विनय ३५५१ ब ।
अ, नाम ३ ४७४ ब, विस्तार ३.४८६, ३.४६०, उपेंद्र-१४४४ ब।
अंकन ३ ४४४, ३ ४६४ के सामने । उपेक्षा.---१४४४ ब, ध्यान २४६५ अ, सामायिक ४५१४ उर्वक-१४४५ ब ।
उलूक - अक्रियावादी १ ३२ अ, एकान्त मत १ ४६५ अ, उपेक्षा संयम-१.४४४ ब, उत्सर्ग मार्ग १.१२१ अ, शुद्धोप- वैशेषिक दर्शन ३६०७ ब, स्वप्न ४.५०५ अ ।
योग १४३१ अ, १४३३ ब, संयम ४ १३७ ब। उल्का-सुविधिनाथ २ ३८२ । उपेय-उपाय संबंध-कारण-कार्य २५४ ब, सम्बन्ध उल्कापात - अजितनाथ आदि तीर्थकर २.३८२ । ४१२६ अ ।
उवधि- उपधि अतिचार १.४३ ब । उपोद्धात-१४४४ ब, उपक्रम १४१६ ब ।
उशीनर-१४४५ ब, मनुष्यलोक ३२७५ ब । उप्पल-संख्या प्रमाण २२१४ ब ।
उचित अन्त-भक्ष्याभक्ष्य ३ २०२ ब । उभयदूषण-१४४४ ब।
उष्ट्रकूट-१.४४५ ब, कृष्टिकरण २ १४१ ब । उभयद्रव्य-१४४४ ब, कृष्टि २१४१ ब ।
उष्ण-परिषह १४४५ ब, ३.३३ ब, ३.३४ अ। योनि उभय प्रायश्चित प्रायश्चित ३१५८ अ, ब ।
१.४४५ ब, ३.३८७अ । उभयबध-बन्ध ३ १७१ अ।
उष्मगर्भकट-१.४४५ ब, मानुषोत्तर पर्वत-निर्देश ३.४७५ उभयबंधी प्रकृति-प्रकृति बंध ३८५।
अ, विस्तार ३.४८६, अंकन ३४६४ के सामने । उभय मन-वचन-योग- मनोयोग ३ २७७ ब, वचनयोग
उष्माहार-१४४५ ब, आहार २ ६६अ। ३ ४९८ अ । प्ररूपणा-बध ३१०४, बधस्थान ३ ११३, उदय १३७६, उदयस्थान १३६२ ब, उदीरणा
ऊमर-भक्ष्याभक्ष्य ३.२०३ ब, श्रावक ४.५० ब । १४११ अ, सत्त्व ४२८३, सत्त्वस्थान ४२६६,
ऊजंयंत -१४४५ नेमिनाथ ब, २ ३८४ अ । ४३०५, त्रिसंयोगी भग १४०६ ब । सत् ४२१३,
ऊध्वंक्रम-१४४५ ब, २१७२ अ । ४२१४, संख्या ४१०२, क्षेत्र २२०२, स्पर्शन iwu
अंग २०० स्पर्णन ऊर्ध्वगच्छ -श्रेढी व्यवहार गणित २.२३२ अ । ४४८५, काल २१०८, अन्तर ११२, भाव ३२२० । ऊर्ध्वगति-१४४५ ब, गति २२३५ अ, जीव २.३३५ ब, अल्पबहुत्व ११४८ अ ।
ब, मोक्ष ३ ३२८ ब। उभयमोहिनी-सासादन ४४२४ ब।
ऊर्ध्वगमन -- गति २.२३५ अ, जीव २.३३५ द, मुक्ति उभयशुद्धि-१४४४ ब ।
३ ३२८ ब। उभयसारी ऋद्धि-१४४५ अ, ऋद्धि १४४८-४४६ ब। अध्र्वगुरुत्व-गुरुत्व २ २५३ ब । उभयातिचार-प्रायश्चित ३१५८ ब ।
ऊर्ध्वगौरव धर्म-जीवगमन २.२३५ अ । उभयानंत-अनंत १.५५ ब ।
ऊर्ध्ववेयक-स्वर्ग ४.५१८-५२० । उभयानंद -शीतलनाथ २३७८ ।
ऊर्ध्वचय-श्रेढी व्यवहार गणित २२३२ अ। उभयासंख्यात-१४४५ अ, असख्यात १२०६ अ। ऊर्ध्वप्रचय--१४४५ ब, क्रम २१७२ अ।
Page #57
--------------------------------------------------------------------------
________________
ऊर्श्वलोक
अध्यलोक-१.४४५ ब, क्षेत्र २१११ ब, स्वर्ग-निर्देश २१२७ अ, गणधर २ २१२ अ ।
३४४० ब-४४४ अ, ४५१४, चित्र ४५१५। सिद्ध ऋद्धिगौरव (दोष)-१४४६ अ, गारव (भिक्षा) २२३९ (अल्पबहुःव) ११५३ अ ।
___ अ, व्युत्सर्ग ३ ६२२ ब । ऊध्र्वता सामान्य-क्रम २१७२ अ-ब, सामान्य ४४१२ अ। ऋद्धिप्राप्त आर्य-१४५७ अ, आर्य १२७४ ब । ऋद्धि ऊध्र्वसामान्य-क्रम २ १७२ अ-ब, सामान्य ४ ४१२ अ।
१४४७ । ऊर्ध्वसूर्य तप - कायक्लेश २ ४७ अ।
ऋद्धिमद-१४५७ अ, मद ३२५२ ब । अध्वांश-गुण २.२४१ ब ।
ऋद्धीश-१४५७ ब, सौधर्म पटल-निर्देश ४५१६,
विस्तार ४५१६, अकन ४५१६ ब। देव आयु ऊह-काल का प्रमाण २.२१६ अ। जहांग-काल का प्रमाण २२१६ अ ।
ऋषभ-तीथंकर ऋषभ का चिह्न २३७६, तीर्थंकर ऊहा-१४४५ ब। महापोह हेतु ४५४० ब ।
सीमन्धर का चिह्न २३६२, स्वर १४५७ ब,
४५०८ ब। ऋषभजयन्ती व्रत-१२४५ ब । ऋषभनाथ-१४५७ ब, अच्युत स्वर्ग १.४१ अ, इक्ष्वाकु
वश १३३५ अ, कुरुवश १३३५ ब, कुलकर ४२३, केशलोच २१७० अ, पूर्व भव २३७६-३६१, भरत
चक्री ४११ ब, ४१६ ब, भोजवंश १३३६ ब, ऋक्षराज--१.४४६ अ, वानर वश १.३३८ ब ।
राज्यवश १३३५ ब, विद्याधरवश १३३८ ब, अक्षवान-मनुष्य लोक ३ २७५ ब ।
सोमवंश १३३६ ब । ऋजु-मन:पर्यय ३२६४ अ।
ऋषभशासनजयन्तीव्रत-१२४५व । ऋजुकायकृतार्थज्ञ-मनःपर्यय ३२६४ ब।
ऋषभसेन-ऋषभनाथ २ ३८७ । ऋजुकूला-बर्द्धमान २.३८४ ।
ऋषभानन-तीर्थकर २३९२ । जगति-उपगद १४२७ ब, विग्रह मति ३ ५४० ब ।
ऋषि-१४५७ ब, अनगार १६२ अ । ऋजुत्व-मन.पर्यय ज्ञान ३.२६४ अ ।
ऋषिकेश-१४५७ ब। ऋजुमति-१४४६ अ, मन:पर्यय ३.२६४ ब ।
ऋषिदास-१४५७ ब, अनुत्तरोपपादक १७० ब । ऋजुमनस्कृतार्थज्ञ- मनःपर्यय ३२६४ ब ।
ऋषिपचमी व्रत--१४५८ अ । ऋजवाककृतार्थज्ञ-मनःपर्यय ३.२६४ ब ।
ऋषिपुत्र-१४५८ अ, इतिहास १३२६अ। ऋजुसूत्र नय --१.४.४६ अ, उपक्रम १४१६ ब, उपचार
ऋषिमंडल यंत्र-१४५८ अ, यंत्र ३ ३४६ । १४२३ अ, कषाय २३६ अ-ब, नय २५२७ ब, ५२८ अ, ५३४ ब, निक्षेप २.५६५ अ-ब, सप्तभंगी ऋषिवंश - १ ४५८ अ, इतिहास १३३५ ब, सोमवंश ४३१८ ब,४३२३ ब।
१३३६ ब। ऋजुसूत्राभास-नय २५३५ अ ।
ऋष्यमक-मनुष्यलोक का पर्वत ३२७५ ब । श्रण-१.४४६ अ, गणित २२२२ ब । ऋत-१.२७२ ब, वचन १.२०८ अ। ऋत-१.४४६ अ, कालप्रमाण २.२१६ ब, परिवर्तन
(तीर्थंकर) २.३८२, स्वर्ग पटल ४५१६ । ऋतु (स्वर्गपटल)-सौधर्म स्वर्ग का पटल-निर्देश
४५१६, विस्तार ४.५१६, अंकन ४.५१६ ब । देवआयु १.२६६ ।
ए-एकेंद्रिय की सहनानी २.२१९ अ । ऋतुकाल-स्त्री (विवाह) ३.५६५ ब।
एक-१.४५८ अ, एक अग्र २.४८६ अ, एक अजीव कर्म ऋतुविहीन फलोत्पत्ति-अर्हन्तातिशय १.१३७३।
२.२६ अ, एक अजीव कषाय २.३५ ब, एक क्षेत्रावधिऋषि-१,४४६ अ, आर्य १.४५७ अ, १.२७४ १, कुन्दकुन्द ज्ञान १.१८८ व, एक क्षेत्र स्पर्श ४.४७५ ब, गणित
ए-ौ
Page #58
--------------------------------------------------------------------------
________________
एक-अंगधर
3
२. २१४ ब, गृहीत द्रव्य २.२१६ अ, एक जीवानुयोग द्वार ११०२ अ एक जीवकर्म २.२६ अ एक जीव एक अजोव कर्म २.२६ अ, एक जीव नाना अजीव कर्म २.२६ अ, एक जीव काय २३५ ब, एक जीव एक अजीव कषाय २३५ ब, एक जीव नाना अजीव कपाय २ ३५ ब, एक द्रव्य २.४५६ ब एक नय २.५२४ अ, एक प्रदेशत्व ११०२ अ एक प्रदेशी २८३, ४.३२३ ब, एक भक्त उपवास १.४५८ ब ३१६४ ब, एकभुक्ति ( साधु का गुण ) २.१५१ अ एक विषयक मतिज्ञान ३२५५ ब, एक यम २३०८ ब सख्या का मान २ २१४ ब ।
एक अंगधर मूलसंघ १.३१७ ।
एक-अशग्राही ज्ञान- नय २५१४ अ । एक अधर्मध्यान २.४६६ अ
एक अजीव कर्म - २२६ अ ।
एक अजीव कषाय- २.३५ ब ।
एक अनत -- १४६६ अ, अनन्त १५६ अ ।
एक असंख्यात १४६६ व असंख्यात १२०६ अ । एक आसन बिहार- अर्हत ३५७५ ब ।
एक-एक संगति – १४५१ अ ।
-
एक कटनिद्रा-२६०१ व कायक्लेश २.४७ ब । ब, एकक्षेत्र – अवधिज्ञान १.१०० व स्पर्श ४, ४७५ ब । एकगृहभोजी शुल्लक २.१८१ अ एकज्ञान सिद्ध- अल्पबहुत्व १.१५४ । एकचारित्र सिद्ध-- अल्पबहुत्व ११५३ । एकचूड - विद्याधर वश १ ३३६ अ । एकजटि - १४५८ अ, ग्रह २.२७४ अ । एकजीव -- अनुयोगद्वार १ १०२ अ । एकजीव एक अजीव कर्म - २२६ अ । एकजीव एक अजीव कषाय - २.३५ ब । एकजीव कर्म - २२६ अ ।
एकजीव कषाय-२ ३५ ब ।
एक जीव नाना- अजीव कर्म - २.२६ अ । एक जीव नाना अजीव कवाम-२३५ ब । एकट्ठी १४५० अख्या २.२१४ ।
५२
एकत्व १४५८ अ अध्यास २.५० अन्यत्व १७८ अ, उपचार १४२१ अ ज्ञान २५४६अ, २.५४२, बुद्धि ४४११ ब व्यवहार २.५५८ व सापेक्ष धर्म १.१०९ अ, १.१११ अ ४.३२३ ब ।
7
--
एकत्वप्रत्यभिज्ञान - १.४५८ अ, प्रत्यभिज्ञान ३.१२५ अ । एकत्व भावना - १.४५८ अ, अनुप्रेक्षा १.७४ व १७९ ब
1
भावना ३२२४ ब ।
एकत्वविक्रिया- १४५८ अ, विक्रिया ३६०२ अ । एकत्ववितर्क अविचार - शुक्लध्यान ४३४ अ-ब, ३६ अ, धर्मध्यान २.४६३ ब प्रतिपत्ति ४.३५ व केवली २ १६५ व कालावधि का अल्पबहुत्व १.१६७ । एकत्वसप्ततिका इतिहास १.२४३ व
"
एकत्वस्थिति ४.४३२ ब ।
एकत्वानुप्रेक्षा - १.४५८ अ, १७४ ब, १.७६ व अन्यत्व १.७६ ब ।
एकदिशात्मक - १.४५८ अ ।
एकदेश - १.४५८ अ । अभिघट दोष (आहार) १.२६० ब अभिघट दोष (उद्दिष्ट) १.४१३ अ ज्ञान ( नय)
,
२. ५१३ ब, जिन २.३२८ ब, त्याग ( अपवाद मार्ग ) ११२० ब न्याय ( नय) २४५० व परित्याग ( शुभोपयोग ) १.४३३ ब विरक्त (व्रत) ३६२७ ब शुद्ध निश्चय नय २.५५३ ब, हेत्वाभास १.२१० अ । एकद्रव्य – २४५६ ब । २.५२४ अ । एकनासा- १४५० व निर्देश ३४७६ अ अकन ३.४६६ ।
एकनय
यचकबर पर्वत की दिक्कुमारी
,
एकपदार्थस्थित्व सापेक्षधर्म १.१०९ अ एकपर्यायमयत्व - सापेक्ष धर्म १ १०२ अ । एकपर्वा --- १.४५८ ब विद्या ३ ५४४ अ । एकपादतप— कायक्लेश २.४७ अ ।
एक पार्श्वशय्यासन — कायक्लेश २४७ ब, निद्रा २.६०६
ब ।
एकशल
―
एकप्रदेशत्व - सापेक्ष धर्म ११०६ अ, ४३२३ ब । एकप्रदेशी - काल द्रव्य २८३ ब ।
एकभक्त - १.४५८ व प्रोषधोपवास ३.१६४ व एकभुक्ति - क्षुल्लक २१८६ अ एकयम - सामायिक (छेदोपस्थापना) २.३०८ एकरात्रिप्रतिमा - १. ४५८ ब । एकरूपत्व-सापेक्ष धर्म १ १०६ अ ।
एकलठाणा - १.४५८ ब ।
एकलविहारी - १.४५८ ब, साधु ४४०३ ब ।
एकलव्य - १४५८ ब ।
एकविंशति स्वभाव ४.५०६ ब । एकविंशति-गुणस्थान- प्रकरण - १.४५० ब,
१.३४१ अ ।
एकविध एकरी
इतिहास
१४५६ व मतिज्ञान ३२५५ ब ।
१४५० ब विदेह वक्षार-निर्देश २.४६० अ
Page #59
--------------------------------------------------------------------------
________________
एकश्रेणिवणा
नाम ३४७१ अ विस्तार २३.४८२, ३४०५, ३.४०६, वर्ण ३.४७७, अवन ३४४४, ३४६४ के सामने । इस पर्वत का कूट तथा देव ३.४७२ ब । एकविणा- १४५० व अल्पबहुत्व ११५५ । एकसंख्या - १४५८ ब ।
7
एकसंग्रह - सल्लेखना ४.३६० व
एकसस्थान
१.४५० व ग्रह २२७४ म
एक सौ उन्हत्तर शलाकापुरुष ४१ ब एकस्थान उपवास — कायक्लेश २४७ अ । एकस्थानीय अनुभाग १६१ व
-
एकस्पर्धक वर्गणा सहनानी २२१६ अ । एक हजार आठ - अर्हन्त के लक्षण ११३८ अ ।
1
एकांग - नमस्कार २५०६ अ । एकांत १४५६ अ अनेकान्त १.१०७ अ, ४३१७ ब आगमार्य १.२३० व आलोचना १२७८, नय ११०७ व २५१६ व निषेध १२२१ व मिध्यात्व १४६४ अ विविक्त शय्यासन ३.५६५ व, सप्तभंगी ४३१७ ब सापेक्ष धर्म १.१०६ अ, ४.३१७ ब । एकांत स्थान - कृतिकर्म २१३६ व्युत्स एकांतानुवृद्धि-उपशम १४३९ व योग योगस्थान ३३८१ व १.४६५ व
एकातिक --- १४६५ ब ।
एकाकी – विहार ३५७३ ब, साधु ४४०६ अ । एका
१४६५ ब धर्मध्यान २२८५ अ, ध्यान २४६५ अब २४९६ व प्राणायाम ३१५६ अ मोक्षमार्ग ३ ३३६ अ, स्वाध्याय ४५२४ ब । एकादश रुद्र ४२२ अ प्रतिमा (धावक ) ४४९ ब व्रत ( श्रावक ) ४४७ ब, सयमस्थान (श्रावक ) ४४८ ब । एकादश अंगधर - मूलसघ १.३१६, १३२२ । श्रुतकेवली ४५६ अ ।
एकानंत-- १.४६६ अ, अनत १५५ ब । एकावली व्रत
१.४६६ अ ।
---- -
३६२० ब १५०३ अ
एका संख्यात १.४६६ ब असख्यात १२१५ अ । एकीभावस्तोत्र - १४६६ व स्तोत्र ४४४६ व इतिहास
५३
१.३४३ अ ।
एकेंद्रिय - १.४६६ व अंगोपाग नामकर्म १.३७४ अ अवगाहना ११७६, असज्ञी ४.१२१ ब इन्द्रिय १३०६ ब, आयु १.२६३-२६४, काययोग ३५८७ अ, जीब समास २३४३, तिर्यञ्च २.३६७, मन ४१२२ब, वेद ३.५५७ व संक्लेश-विशुद्धि स्थान अल्पबहुत्व
एशान
११६०, सहनानी २.२१८ अ, स्थावर ४४५४ अ एकेंद्रिय (जीव ) प्रमपणा बन्ध ३१०२, बन्धस्थान ३ ११३ उदय १३७८, उदयस्थान १३९२ ब, उदीरणा १४११ अ सत्व ४२८२, सत्त्वस्थान ४२६६, ४३०५, सियोगी भग १४०६ व सत् ४१६२, मख्या ४१, क्षेत्र २२००, स्पर्शन ४४८३, काल २१०६, अन्तर १११, भाव ३२२० ब, अल्पबहुत्व ११४५
एकेंद्रिय जाति नामकर्म - १४६६ ब । प्ररूपणा - प्रकृति ३८८, २५८३, स्थिति ४४६३, अनुभाग १६५, प्रदेश ३ १३६ । बन्ध ३६७, बन्धस्थान ३.११०, उदय १३७५, उदयस्थान १३६०, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४३०३ त्रिसयोगी भग १४०४ । संक्रमण ४८४ व अल्पबहुत्व ११६९ । एकोनपंचाशत-रज्जु प्रतर २२१६ ब । एकोनविंशति---अवधिज्ञान के काण्डक १ १६६ ब । एतिकायन -- १४६६ ब, अज्ञानवादी १३८ ब, एकान्त मिथ्यात्वी १४६५ अ
एर १४६६ ।
एरा - चक्रवर्ती ४११ ब, शान्तिनाथ २३८० । एरिगित्तर गण- १४६६ ब इतिहास १३२२ अ । एलाचार्य - १४६६ व आचार्य १२४२ ब कुन्दकुन्द २१२६ ब, १२७ अ, इतिहास १३२६ ब ।
एलापुत्र व्यास - १४६६ ब, एकान्त १.४६५ ब, वैनयिक ३.६०५ अ । एलेय - १४६६ ब वैनयिक १३३९ ब ।
३६०५ अ, हरिवश
एवंभूत नय--१४६६ व उपक्रम अ-ब २.५४० व, निक्षेप ४.२२३ ब ।
१४१६ व नय २५२८ २.५९५ व सप्तमेगी
1
एवंभूत नयाभास २.५४२ अ ।
एवकार -- १.४६६ ब. अपेक्षा १.४६१ अ, एकान्त १.४६० अ, १.४६२ व, नय ४.३१७ अ स्यात् ४.४१६ अ ४५०२ अ, स्याद्वाद ४.५०१ अ एशान - १.४६७ ब । स्वर्ग - निर्देश ४.५१४ ब, पटल इद्रक श्रेणीबद्ध ४५१६-५२०, उत्तर विभाग ४. ५२० ब, अवस्थान ४.५१४ ब, अकन ४.५१५, चित्र ४५१९ व देव - अवगाहना १.१५० व अवधिज्ञान । १.११८, आयु १२६६, आयु के बन्धयोग्य परिणाम
१.२५५ अ इन्द्र निर्देश ४.५१० ब परिवार । -
Page #60
--------------------------------------------------------------------------
________________
एज्ञानदेव (प्ररूपणा )
४५१२-५१, उत्तरेन्द्र ४५२० व चिह्न आदि ४५११ व व भवन ४५२०-५२१ ।
१४६५ अ ।
ऐंद्रध्वज--- पूजा ३ ७४ अ । ऐद्रिय सुख ४४३० ब ऐंद्रिय सुख-सुख ४. ४३० ब । ऐतिह्य - १.४६० ऐरावत (क्षेत्र)
उदय
एशानदेव (प्ररूपणा ) -बंध ३.१०२, बवस्थान ३११३, १३७८, उदयम्थान १३९२ व उरणा १४११ अ, सत्व ४.२८२, सस्वस्थान ४.२६८, ४३०५, त्रिसंयोगी भग १४०६ ब । सत् ४१६२, संख्या ४६८, क्षेत्र २२०० स्पर्शन ४४८१, काल २ १०४, अन्तर ११०, भाव ३२२० अ. अल्पबहुत्व ११४५ ।
V
एषणा - १४६७ व दोष (वसतिका) ३.५२९ व एवणाद्धि - १४६७ व आहार १२८५ ब भक्ति ३.१६६ अ ।
एषणासमिति -- १४६७ ब समिति ४३४१ अ ।
एसोसवत १.४६८ अ ।
एसोबत - १४६८ अ
ऐद्रल-- १४५८ अ, वैनयिक ३६०५ अ विनयवादी
५४
४५११ अ अवस्थान
2
विमान, नगर
इतिहास १३०६ अ
१.४६८ अ निर्देश ३४४६ अ विस्तार ३.४७६, ३.४८०, ३.४८१, अकन ३४४४, ३.४६४ के सामने, कर्मभूमि ३२३५ व काल विभाग २.१२ ब, अ, २१३, अवगाहना ११०० आयु १२६३२६४ | सत प्ररूपणा ४१८४ ।
ऐरावत ( ग्रह व कूट ) -- १४६८ अ, उत्तरकुरु का द्रह निर्देश ३४५६ ब, नाम ३४७४ अ. विस्तार ३४६०-४६१, अंकन ३४४४, ४५७, ४६४४ के सामने । कूट - पद्म आदि द्रह-निर्देश ३.४७४ अ, विस्तार ३४८३ अंकन ३.४५४ । शिखरी पर्वत का - निर्देश ३४६२ ब विस्तार ३४०३ अंकन ३४४४ | ऐरावत विजयार्ध का निर्देश ३४७१ व विस्तार ३४८२, अंकन ३.४४४ । ऐरावत (हाथी) - १.४६८ अ । ऐरावती - मनुष्यलोक ३.२७५ ब । ऐरेगित्तर गण -- द्रविडसंघ १३२० ब १.३२२ अ । ऐलक - १.४६८ व क्षुल्लक २.११० अ
ऐसान
विद्याधर नगरी ३५४५ व स्वग तथा उसकी प्ररूपणा दे० एशान ।
१.४६९, मब ३.२५१ म
-
ऐहिक फलानपेक्षा - १ ४६६ अ । ऐहिक सुख-सुख ४४३१ ब । ओं - ३७ अ !
ओली-पचमून २२६ ब
ओघ १४६९ अ. अनुयोगद्वार ११०२ अ आदेश १२५६ अन्य आलोचना १४६१ व १२७६ ब प्ररूपणा अनुयोग द्वार ११०३ व प्रत्यय ३१२७६ प्रकृति ३६७, स्थिति ४४६०, अनुभाग १९५, प्रदेश
३ १३७ । बध ३६७, बधस्थान ३.१०८, उदय १३७५ उदयस्थान १३५ अ उदीरणा १४११ अ, उदीरणा स्थान १.४१२, सत्त्व ४२७८, सस्व स्थान ४२८७, त्रिसंयोगी भंग १३६६ -४०० । सत् ४१६१, संख्या ४१४, क्षेत्र २११७, स्पर्शन ४४७७, काल २६६, अन्तर १७, भाव ३२१६ ब, ३२२२ ब अल्पबहुत्व १.१४३, भागाभाग
-
---
४ ११५ ॥ ओय्य देव
आंदारिक काययोग
इतिहास १३३२ अ
1
ओज-१४६२ व अनुयोगद्वार ११०२ व औदारिक शरीर १४७२ अ पद ११०२ व
ओजाहार - १४६९ व आहार १२८५ अ आहारक ब, १.२६५ अ ।
ओद्दारण १४६९ व ।
ओम् - ११०२ ब, १४६६ ब, पद ३४ अ । ओलगशाला - चैत्यवृक्ष ३५८० अ भवनवासी देवो के भवन ३२१० ब ।
ओलिक १४७० अ मनुष्यलोक ३ २७५ म । ओसण्ण मरण - मरण ३२८० अ ।
औंड्र - १४७० अ, मनुष्यलोक ३२७५ ब । औधिक - समाचार ४३३६ अ । औडलोमि – वेदान्त ३ ५६५ ३ ।
औत्पत्तिकी— ऋद्धि १४४६ १४५० अ-ब । औत्सनिक लिंग-३४१७ अ ।
1
औदयिक अज्ञान १३७ अ, असिद्धत्व २२१८ ब, उदय १४०८ ब क्षयोपशम २१८४ अ, पौदगलिक ३३१८ व मिश्र सम्यक्त्व ३.३१० व, योग ३२७८ अ, वेदक सम्यक्त्व २१८३ व सन्निपातिक भाव ४.३१२ ब ।
औदारिक - १.४७० अ ।
औदारिक काययोग - १.४७२ अ, काययोग २४६ ब केवली समुद्धात २.१६७ ब । प्ररूपणा -- बध ३ १०४, बंधस्थान ३.११३, उदय १.३८०, उदयस्थान १.३९२ व उदीरणा १.४११ म उदीरणास्थान
Page #61
--------------------------------------------------------------------------
________________
औदारिक चतुष्क
कदबीज
१४१२, सत्त्व ४२८३, सत्त्वस्थान ४२६६,४३०५, उदयस्थान १३६३ ब, उदीरणा १.४११ अ, सत्त्व त्रिसयोगी भंग १४०७ अ। सत् ४२१७, सख्या ४.२८४, सत्त्वस्थान ४३०२,४३०६, विसयोगी भग ४१०३, क्षेत्र २२०२, स्पर्शन ४४८५, काल २१०८, १४०८ अ। सत् ४ २५८, सख्या ४१०६, क्षेत्र अंतर ११३, भाव ३२२० ब, अल्पबहुत्व ११४८ ।
२१०६, स्पर्शन ४४६२, काल २११८, अन्तर औदारिक चतुष्क-१३७४ ब ।
१२० भाव ३२२२ अ, अल्पबहुत्व ११५२ । औदारिक द्विक- उदय १३७४ ब, १३७५ ब ।
औपश्लेषिक आधार--१२४६ अ । औदारिक-मिश्र-काययोग-१४७२ अ, काययोग २४६ ब, औलक्य-वैशेषिक आचार्य ३६०७ ब।
अवस्थान काल २६६ ब। प्ररूपणा-दे० औदारिक औषध - विदेहस्थ नगरी-निर्देश ३४६० अ, नाम काययोग।
३ ४७० ब, विस्तार ३४७६-४८०-४८१, अकन औदारिक शरीर-१४७१ अ अवगाहना का अल्पबहुत्व
३४४४, ३४६४ के सामने, चित्र ३४६० अ । ११५८, प्रदेशों का अल्पवहुत्व ११५७ ।
औषधवाहिनी--१४७३ ब, विभगा नदी-निर्देश औदारिक शरीर अंगोपांग- अगोपांग ११ ब ।
३ ४६० अ, नाम ३ ४७४ ब, विस्तार ३४८६-४६०, औदारिक शरीर अगोपांग नामकर्म प्रकृति-प्ररूपणा---- अंकन ३ ४४४, ३४६४ के सामने । दे० आगे औदारिक शरीर नाम कर्म प्रकृति ।
औषधि-१४७३ अ, आहार १२६३ अ, उदम्बर फल औदारिक शरीर नामकर्म प्रकृति-प्ररूपणा-प्रकृति ३८८,
१३६३ ब, ऋद्धि १४७३ ब, १४४७, १४५५ अ, २५८३ अ, स्थिति ४.४६३, अनुभाग १६५,
दान २ ४२३ अ, २ ४२५ अ-ब, भक्ष्याभश्य ३.२०१अ, प्रदेश ३१३६ । बन्ध ३६६-३६७, बन्धस्थान
___मधु ३ २६० अ, मंत्र ३ २४५ ब, बचन ३४०३ अ। ३११०, उदय १३७५, उदय की विशेषता १३७३ ब,
औषधि-विद्याधर वंश १३३६ अ। उदयस्थान १३६०, उदीरणा १४११ अ, उदीरणा
औषधि कल्प-१४७३ ब, इन्द्रनन्दि १२६६ ब । स्थान १४१२, सत्त्व ४२७८. सत्त्वस्थान ४३०३, त्रिसयोगी भग १४०४। सक्रमण ४८५ अ । अल्प
औस्तुभास - १४७३ ब । बहुत्व १.१६६ अ। औदारिक शरीर-बंध-औदारिक औदारिक, औदारिक
कार्मण, औदारिक तेजस, औदारिक तैजस कार्मण
३१७० ब । औदारिक वैक्रियिक ३६०३ अ। औदारिक शरीर वर्गणा-वर्गणा ३५१४ अ। औदार्य चितामणि-१४७२ ब, इतिहास १३४६ अ । औदि व्यावाहन--पूरन कश्यप ३.८२ अ। औद्देशिक-१४७३ अ, आहार १२८७ ब, उद्दिष्ट १४१३ अ।
ककेलि-मल्लिनाथ २३८४।। औद्र-१४७३ अ, मनुष्यलोक ३ २७५ ब ।
कंचन--२१ अ, सौधर्म स्वर्ग का पटल-निर्देश ४५१६, औपदेशिक-१४७३ अ, उद्दिष्ट १४१३ अ।
विस्तार ४५१६, अंकन ४५१६ ब, देत आयु औपपादिक-१.४७३ अ, जन्म २३१२ ब ।
१२६६ । औपमन्यु-१४७३ अ, विनयवादी १४६५ अ वैनयिक कंचनकामिनी-सम्यग्दृष्टि ४ ३७६ अ। ३६०५ अ।
कंचनप्रभा-व्यन्तरेन्द्र-वल्लभिका ३६११ ब। औपशमिक चारित्र-- उपशम १४३६ अ, चारिय कंजा - २.१ अ, मनुष्यलोक ३ २७५ ब । २२८५ब।
कंजिक व्रत-२१ अ। औपशमिक भाव-१४७३ अ, अपूर्वकरण ११२५ ब, कटकर्ह तप-२१ अ, मनष्यलोक ३२७५ ब ।
उपशम १४४२ अ, क्षयोपशम २१८४ अ, पौगलिक कंठस्थ कमल-पदस्थ ध्यान ३ ६ ब । ३३१८ ब, सन्निपातिक भाव ४ ३१२ ब ।
कंडक-२१ अ, औदारिक शरीर १४७२ अ । औपशमिक सम्यक्त्व-सम्यग्दर्शन ४३६६ ब । प्ररूपणा~ कंडरा-२.१ अ, औदारिक शरीर १४७२ अ ।
बन्ध ३१०८, बन्धस्थान ३११३, उदय १३८५, कदक-२.१ अ ।
Page #62
--------------------------------------------------------------------------
________________
कंदबीज
कनक (कूट)
कंदबीज-बनस्पति ३५०२ ब, ३५०६ अ । कंदमुल-२१ अ, ३.५०२ ब, ३५०६, अ। भक्ष्याभक्ष्य
३.१२४ अ। कदरा- वसतिका ३५२८ अ । कंदर्प-२१ अ, तीर्थंकर २३७७, नीच देव-निर्देश
२१ अ, २४४५ ब, आयुबन्ध योग्य परिणाम
१२५८ अ। कंबल - अचेलकत्व १४० ब, मनुष्य लोक ३ २७५ ब। कस-२१ अ, उग्रमेन १३५२ अ, ग्रह २२७४ अ, तौल
का प्रमाण २ २१५ अ, यदुवण १३३६ । कंस (आचार्य)--- मलमध १३१६, इतिहास १३२८ अ । कसकवर्ण-२.१ ब, ग्रह २२७४ अ। ककुत्थ-इक्ष्वाकु वंश १ ३३५ ब । ककेली–तीर्थकर मल्लिनाथ २३८४। कच्छ-२.१ ब, गणधर २.२१३ अ, मनष्य-लोक
३.२७५ ब। कच्छ (कट)-गजदन्त का कट व देव-निर्देश ३४७३ अ.
विस्तार ३४८३, ३४८५, ३.४८६, अंकन ३.४४४,
३४५७ । कच्छउड-अण्डर १.२ अ, आवास १.२८० ब, पुलवी
३.७१ ब । कच्छ परिंगित २१ ब, व्युत्सर्ग दोष ३ ६२२ ब। कच्छवद-२१ ब। कच्छविजय-२.१ ब। कच्छा-विदेह की नगरी-निर्देश ३४६० अ, नाम
३.४७० ब, विस्तार ३४७६-४८०-४८१,अकन ३.४४४, ३.४६४ के सामने, चित्र ३४६० अ। वक्षार
गिरि का कूट तथा देव ३ ४७२ ब । कच्छावती-विदेह की नगरी-निर्देश ३.४६०, नाम
३.४७० ब, विस्तार ३.४७६-४८०-४८१ अंकन ३.४४४, ३.४६४ के सामने। वक्षारगिरि का कट
तथा देव ३.४७२ व । कछुआ - इन्द्रिय (प्रत्याहार) ३.१३४ अ । मुनिसुव्रतनाथ
२.३७६ । कज्जलप्रभा- सुमेरु के वनो की पुष्करिणी-निर्देश
३.४५३ ब, नाम ३.४७३ ब, विस्तार ३४६०-४६१,
कन ३.४५१, चित्र ३ ४५१।। कज्जला-२०१ ब, सुमेरु के वनों की पुष्करिणी --निर्देश
३.४५३ ब, नाम ३.४७३ ब, विस्तार ३.४६०-४६१,
अकन ३ ४५१, चित्र ३४५१ । कज्जलाभा-२.१ ब, सुमेरु के वनो को पुष्करिणी-निर्देश
३.४५३ ब, नाम ३.४७३ ब, विस्तार ३४६०.४६१,
अंकन ३४५१, चित्र ३४५१। कज्जली-२.१ ब, ग्रह २२७४ अ। कटक-२.१ ब । कट-सर्वायुध तीर्थकर २.३७७ 1 कटुवचन---२१ब, गुरु २.२५३ अ, सत्य ४२७२ ब,
४२७३ अ, समिति ४३४० ब । कट्ठ---२.१ ब। कठूमर-भक्ष्याभध्य ३.२०३ ब, श्रावक ४५० ब । कठोर वचन - उपदेश १४२५ अ, गुरु २२५३ अ, सत्य
४२७२ १, ४२७३ अ, समिति ४३४०ब। कडछी--२२६ ब। कणभक्ष-एकान्त (कणाद) १४६५ अ, परवाद ३२३ अ,
वैशेषिक दर्शन ३६०७ ब, ३६०८ अ। कणाद-एकान्त अमत्कार्यवादी १४६५ अ. परख
३२३ अ, वैशेषिक दर्शन ३६०७ व, ३६०८ अ । कणाद रहस्य-वैशेषिक दर्शन ३६०८ अ । कण्व.२१ब, अज्ञानवादी १३५ब, एकान्ती १४६५ अ। कचित-२१ब, नय २.५२५ अ, स्यात् ४४६६ अ,
स्याद्वाद ४४६७ ब, ४५०० ब । कथन पद्धति-उपदेश १.४२५ अ । कथा-२२ अ। कथाकोष--२.३ ब, इतिहास-बहत्कथाकोप १३४२ ब,
१.३४३ ब, पुण्यात्रत्र १.३४५ अ। देवेन्द्रकीर्ति कृत
१.३४७ ब, १.३३३ ब । कथान-संख्या प्रमाण २२१४ ब । कथा-विचार-इतिहास १३४४ ब । कदंब-२४ अ, गन्धर्व २२११ अ, वासुपूज्यनाथ २३८३।
लवणसागर का पर्वत--निर्देश ३४७४ ब, विस्तार
३४७८, अकन ३४६१ । कदंबवंश-२४ अ। कदलीगृह-भवनवासी देवो के भवनो मे ३२१० ब । कदलीघात-२४ अ, अपवर्तन १११६ ब, आयु १२६१ __अ, मरण ३२८४ अ । कनक-२४ अ, कुलकर ४२५ अ, ग्रह २२७४ अ,
अजितवीर्य तीर्थकर २३६२। व्यन्तर देव-क्षोद्रवर
द्वीप का रक्षक ३६१४, घृतवरसागर का ३६१४। कमक (कट)-२४ अ, सौमनस गजदत का--निर्देश
३.४७२ ब, विस्तार ३.४८३, अंकन ३.४५७, ३.४४ । मानुषोत्तर पर्वत का-निर्देश ३४७५ अ, विस्तार ३४८६ अकन ३४६४। कडलवर पर्वत का-निर्देश ३.४७५ व, विस्तार ३४८७, अकन
Page #63
--------------------------------------------------------------------------
________________
कनकचित्ता
३४६७ | रुचकवर पर्वत का ३४७६ अ विस्तार ३.४८७, अंकन ३४६८-४६६ ।
कनकचित्रा - २४ अ रुचकवर के कूट की देवीनिर्देश ३.४७६ ब, अकन ३.४६८, ३४६६ । कनकध्वज- २४ अ. कुलकर४२५ अ । कनकनन्दि- २.४ अ मन्दिराम देशीय गण १३२५ । इतिहास - प्र १३३० ब, १३४२ ब, द्वि. १३३१ब ।
कनकपगत्व - कुलकर ४२५ अ । कनकपाद - कदर्प तीर्थंकर २३७७ ।
कनकपाषाण भव्य ३.२१२ अ ।
कनकपुल कुलकर ४२५ अ । aregret - विद्याधर वंश १३३९ अ ।
कनकप्रभ - २४ अ. कुमकर ४२५ अ, घृतवर सागर का देव ३६१४ । कुडलवर पर्वत का कूट -- निर्देश ३ ४७५ ब, विस्तार ३४८७, अकन ३४६७ । कनकमजरी विद्याधर वश १३३९ अ ।
81
कनकमाला - असुरेन्द्र की अग्रदेवी ३२०६ अ, वैमानिक दक्षिणेन्द्रो की बल्लभिका ४५१३ ब ।
-
कनकराज -- कुलकर ४२५ अ ।
कनकधी अगुरेन्द्र की अग्रदेवी ३२०१ अ
कनकसंस्थान - ग्रह २ २७४ अ
कनकसेन - २४ अ, इतिहास १३२१ व १३३० व देवी - निर्देश
कनका - २४ अ, रुचकवर पर्वत की
३ ४७६ अ-ब, अंकन ३४६८-४६६ । कनकाभ-- २४ अ, चक्रवर्ती ४१० अ
देव ३६१४, घृतवर सागर का देव ३६१४ । कनकामर इतिहास १३३० ब २.३४२ ब । कनकावली व्रत - २४५ ।
५७
कपिशा
२.४ ब ।
कपीवती - २४ व मनुष्यलोक ३.२७५ ब । कपोत लेश्या दे० कापोत लेश्या ।
कफ २.४ ब औदारिक शरीर १४७२ अ । कमंडलु - अथालन्द चारित्र १४६ अ, अपवाद मार्ग ११२२ व निक्षेपाधिकरण १४१ व समिति ४३४१ अ, सल्लेखना १४६ अ
कमठ - २४ ब ।
कमल- २४ब, अर्हन्तातिशय
कमलबन्धुइक्ष्वाकु वंश १३३५ व ।
इतिहास १३३२ ब ।
कमलभद्र --- सेनसच १३२६ अ कमलभव २४ ब कमलांग -- २४ ब काल प्रमाण २२१६ अ, २२१७ अ कमला – व्यन्तरेन्द्र वल्लभिका ३६११ ब । कमेकुर - २४ व मनुष्यलोक ३२७५ व क्षौद्रवर द्वीप का करकंडुचरित्र - २.४ ब [इतिहास] १३३३ व
।
करण— २.४ व उपशम १४३७ अ क्षयोपशम २१५६ अ क्षायोपशमिक सम्यकत्व ११८५ अ निमित्त कारण २६११ अ, शरीर ४६ ब, संयम तथा संयमासंयम २ १८५ ब । करणकारक कर्ता कर्म २१७-१८ कर्म २ १७ ब कारक
-२४८ ब कारण कार्य २५६ व
1
११३७ ब काल-प्रमाण २२१६ अ २२१७ अ तीर्थकर २३६९.२३११. मन्त्र ३६ अ, स्थापना ३६ अ ।
"
कमल ( ग्रहों में) कुलाचल के द्रहो मे निर्देश ३४४६ ब पृथिवीकाय ३५७८ ब गणना ३४४६ अ, विस्तार ३ ४६१, वर्ण ३४७७, अकन ३४५१, ३४५४, चित्र ३४५४ ।
कमलकीर्ति-काष्ठा सघ १३२७ अ ।
कमलगुरुम चक्रवर्ती ४१० ब
कमलप्रभा - श्यन्तरेन्द्र वल्लभिका ५६११ व ।
करोत क्रिया
कनकोम्बल - २४ अ ।
कनिष्क २४ अ इतिहास १३१४ ।
कन्नौज – २४ व
कन्या अलीक - सत्य ४ २७३ ब ।
कपट - आर्जव १२७२ अ ।
३.४१२ व ३४१३ ब, सम्यग्दर्शन ४.३६२ ब ।
कपाटसमुद्घात – २४ व बेबली २१६६ व लेण्या करणानुयोग- १६६-१०१ अ स्वाध्याय ४५२३ ब ।
- ब, ३४२५, ३४२० व
।
कपिकेतु वानर व १३३८
करभवेदिनी - २१४ व मनुष्यलोक ३२.७५ ब । करीरी - २१४ व मनुष्यलोक ३२७६ अ ।
कपित्यमुष्टि- २४ व त्सर्ग दोष ३६२२ अ । कपिल - २४ब, अक्रियावादी १.३२ अ एकान्त मती १४६५ अ परवाद ३ २३ अ, सांख्यदर्शन ४३१८ ब । कपिल-यदुवंश १३३७ ॥ कपिला
करुणा - २.१४ ब, अनुकंपा १६६ अ, १६९ अ, जीवकरुणा २.१५ अ । करुणावत्ति दान २.४२२ व २४२७ व करेण किचिद्महण - आहारान्तराव १ २१ ब । करोत क्रिया---२१५ न, चेतना २-२६६ अ
- यदुवंश १३३७ ।
-
करणचिह्न – अवधिज्ञान १९९१ व ११९२ अ-ब ।
1
करणलब्धि - २६-१४, उपशम १.४३८ अ, लब्धि
Page #64
--------------------------------------------------------------------------
________________
कर्कराज
कर्कराज - २.१५ व राष्ट्रकूटवश १३१५ व
कर्मस्थ-२२६ ब ।
कर्कोटक -- २१५ ब. मनुष्यलोक ३२७५ ब, यदुवश कर्मदहन यत्र - ३.३५० ।
१ ३२७ ।
कर्मनारकी - १५७२ अ ।
कर्मनिर्जरा व्रत - २.२६ ब ।
कर्मनोआगम उनलम १.४३७ ।
कर्मप्रकृति - अनेक रूप से परिणमन ३६१ ब, करण दशक २५ व प्ररूपणा - प्रकृति ३.८८ स्थिति ४.४६०, अनुभाग १६५, अनुभाग का अल्पत्व ११६६, प्रदेश ३१३६ । बन्ध ३६७, बन्धस्थान ३१०८, उदय १३७५. उदयस्थान १३८७. आबाधा १.२४६ अ उदीरणा १.४११ अ उदीरणा स्थान १४१२, सस्य ४ २७८ सत्त्वस्थान ४२५७ त्रिसंयोगी भग १३६६ । मक्रमण ४८५ अ, अतर १२३, अगबहुत्व १.१६८ चूर्णी २६३८ अ ।
कर्मप्रकृति ( शास्त्र ) -- इतिहास १.३२६ अ, १.३३२ अ । १ ३४५ अ ।
कर्मप्रकृति टीका इतिहास १३३३ व । कर्मप्रकृतिरहस्य - २२९ व
इतिहास १३४२ ब । कर्मप्रकृतिविधान --- २२६ ब ।
कर्मप्रकृतिसंग्रहिणी - इतिहास १ ३४१ अ ।
कर्मप्रवाद - २२६ ब, श्रुतज्ञान ४६६ ब ! कर्मप्राभूतटीका - २.२९ व इतिहास १.३४० अ । कर्मफल – उदय १३६७ अ, कर्म २२७ ब, जीव परिणाम २ ७४ अ । कर्मफलचेतना - चेतना २२६७ ब, सम्यग्दृष्टि ४३७६ अ, ४ ३७७ ब ।
कर्मबन्ध उपयोग १४३१ ब जीवकर्म कारण कार्य सम्बन्ध २६७ अ, २७० अ, २७१ब, २.७२ अ, २ ७४ अ, बन्ध ३ १७० अ, ३.१७२ ब, ३१७७ अ, विभाव ३५५६ ब, ३५६१ अ, शुद्ध परिणाम १.४३४ ब, समयप्रबद्ध ४.३२८ ब ।
कर्मबधक -- बन्ध ३.१७९ अ, संख्या तथा भागाभाग
४ ११७ अ ।
कर्ण - २१५ ब, कुरुवश १३३६ अ ।
कर्णगोभि २१५ ब ।
कर्णवार्य इतिहास १३३१ ।
कर्णविधि - २१५ ब । कर्णसुवर्ण २.१५ व ।
कर्तव्य - २१५ ब धर्म २४७१ ब, श्रावक ४५१ अ । कर्ता २१५ब आत्मा १४३४ ज्ञान २२६१ब, चेतना २२६८ अ-३००, द्रव्य २४५७ अ सत् ४१६० अ कर्ताकारक कर्ता कर्म २१६-२४, कर्म २ १७ब, कारक २४८ ब ।
9
कर्ताबुद्धि - अज्ञानी (चेतना) २२१६ ब ।
कर्तावाद २२४ व परमात्मा (ईश्वर) ३२० ब
,
कर्तृत्व- २२४ व उपकार १४१५ अ
ज्ञान २२६१ व ।
कर्तुत्वनय- २५.२३ ब २५२४ अ । कर्तृसमवायिनी किया क्रिया २१७३ अ कर्मन्वादि किया सस्कार ४१५२ ब ।
•
कर्नाटक – २२५ अ ।
-
1
कर्बुक - २२५ अ, मनुष्यलोक ३ २७५ अ ।
,
कर्म - २२५ अ, ईश्वरत्व ३२१ ब ईश्वर - कर्तृत्व ३.२१ ब, गमन ३७३ अ, ज्ञानी २६८ अ, नय १५५१ व नियति-पुरुषार्थ २.६१९ अ, पौद्गनिकत्व ३ ३१७ अ, बन्ध ३ १७३ अ, मिथ्यादृष्टि २ २६७ ब, मूर्तत्व ३३१७ अ, यत्न २६८ अ, वर्ण-व्यवस्था ३ ५२४ ब, आवक ४.५१ व सम्यग्दृष्टि ४३७७ ब स्कन्ध ४४४७ ब ।
कर्ता २२४ अ,
कर्मकांड इतिहास १३३३ व
कर्मकारक - कर्ता-कर्म २१६-२४, करण कारक २१७ ब,
कारक २४८ ब ।
हेतु
कर्मक्षपणा -- मिध्यादृष्टि तथा सम्यग्दृष्टि ३.३०७ अ हेतु (मोक्षमार्ग) ३३३६ अ ।
-
कर्मक्षयव्रत - २२६ ब ।
कर्मज्ञान मंत्री - उपयोग १.४३२ अ ज्ञान २२६१ । कर्मचूर व्रत - २.२९ ब ।
कर्मचेतना - चेतना २२१७ब, सम्यग्दृष्टि ४.३७६ अ । कर्मजस्वभाव स्वभाव ४.५०६ व ।
कर्मजा ऋद्धि- १४५० अ
कर्म तद्व्यतिरिक्त नोआगम - अनन्त १.५५ ब, द्रव्यनिक्षेप २.६०० ब ।
५८
વર્ણભૂમિ
अभयनन्दि ११२७ अ, अभवनन्दि
कर्मभाव - कारण २ ६७ अ-ब ।
कर्मभूमि - निर्देश ३.२३५ अ, गणना ३.४४५ अ, जीवसमास २३४३ अ, मनुष्य ३.२७३ ब, म्लेच्छ ३.३४५ व षट्काल व्यवस्था २१३ । अवगाहना १.१५० आयु १२६१, २६२ अ २.६३-२६४ ब, आयुबन्ध के योग्य परिणाम १.२५५ अन्य, आहार प्रमाण १२५५ व कर्म का उदय १.३७६ १.३७७, कर्म की स्थिति ४४६२, वेदभाव ३.५८० अ सत
,
Page #65
--------------------------------------------------------------------------
________________
कर्ममीमाशा
५६
प्ररूपणा ४.१४-१५ सम्यक्त्वादि गुण ३ २३५ । दर्शन २.४०२ ब ४०२ व
1
धर्मध्यान ३४६८ अ, प्रव्रज्या ३१५० अ । कलिकालसर्वत कुन्दकुन्य २१२ अ । कलिकुडदंडयंत्र-यंत्र ३३५० ॥ कलिचतुर्दशी व्रत २.३० अ ।
कलुषता कषाय २३५ अ ।
कलेवर - २३० अ ग्रह २ २७४ अ ।
कल्की २२० अ. इतिहास १.३११ अ १३१५ अ । कल्प- २३१व, स्वर्ग पटल-निर्देश ४५१० अ पटल ४५१४ व दक्षिण-उत्तर विभाग ४.५२ व कल्पकाल निर्देश २.८८, आर्यखण्ड १२७५ अ । कल्पदशक २३१ ब, साधु ४४०४ व
कल्पद्रुम पूजा ३ ७४५ ।
फर्मस्कंध कर्म २२७ व
कल्पपुर -२३१ ब मनुष्यलोक ३ २७१ अ कर्मस्व - २.२० अ इतिहास १३४१, १३४५ अ कल्पभूमि २.३१ व समवसरण ४.३३० व । कल्पवासी देव निर्देश २४४५ व ४५१० चैत्य
ब,
२.६३७ अ ।
कर्मस्पर्श -- स्पर्श ४ ४७६ अ ।
कर्माधीन - कारण ( यत्न) २७१ ब ।
कर्मा - आर्य १२७४ ब ।
चैत्यालय मे २३०३ अ २३०४ अ अवगाहमा । ११८० अवधिज्ञान १.११८ व आयु १२६६-२६८ । प्ररूपणा बध ३,१०२, बधस्थान ३११३, उदय १३७८, उदय स्थान १.३६२ ब, उदीरणा १४११ अ, सत्त्व ४२८२, सत्त्वस्थान ४२६८, ४३०५, त्रिसयोगी भाग १.४०६ व सत् ४ १९२, सख्या ४१८, क्षेत्र २२००, स्पर्शन ४४८१, काल २१०४, १.१०, भाव ३ २२० अ, अल्पबहुत्व ११४५ । कल्पवृक्ष - २३१, वृक्ष ३.५७८, स्वप्न ४५०५ अ । कल्पव्यवहार २३१ व, श्रुतज्ञान ४६१ व । कल्पशास्त्र -- शास्त्र ४२८ अ, सल्लेखना ४.३६४ ब । कल्पाकल्प --- २.३१ ब, श्रुतज्ञान ४६६ ब । कल्पातीत विभाग - निर्देश ४५१० अ पटल व विमान ४.५१४ ब । ब। देव देव अवगाहना ११८१ अ, अवधिज्ञान ११२० व आयु १.२६८-२६१ । प्ररूपणा -बध ३१०२, वधस्थान ३११२, उदय १३७८, उदयस्थान १.३९२ ब, उदीरणा १४११ अ, सत्त्व ४२८२ सवस्थान ४.२२८, ४३०५, त्रिसयोगी भग १.४०६ ब । सत् ४१६२, संख्या ४६८, क्षेत्र २२००, स्पर्शन ४.४८१, काल २.१०४, अन्तर १.१०, भाव ३.२२० अ अल्पबहुत्व १.१४५ । कल्पोपपन्न वेब निर्देश ४.५१० अ अवगाहना ११८० अ अवधिज्ञान १.११० व आयु १२६६-२६६ ।
कर्ममीमांसा
कर्मयोग चेतना २२६८ अ ।
कर्मवगंणा कर्म २२७ अ वर्गणा ३ ५१२ व कर्मविपाक उदय १३६६ अ इतिहास १३३० अ १३४२ अ १.३४५ ब ।
कर्मविसोपचय - श्या ३४२५ अ
कर्मव्यक्ति कर्म २२१ अ
कर्मव्युच्छित्ति - मोक्ष ३३३१ अ ।
कर्मशक्ति २३० अ ।
--
कर्मश्लेष - कषाय २.३५ अ ।
कर्मसमायिनी किया क्रिया २.१७३ अ
।
कर्मावस्था - कारण ( यत्न ) २६७ अ । कर्माहार आहार १२६५ अ आहारक १२६५ अ । कर्मोदय-अध्यवसान १५३ अ उदय १३६६ अ कर्म
जीव का कारण कार्य भावजीव परिणाम २.६७ ब २७०अ २७२ अ, २७४ अ, मोक्ष २ ७४व, मोक्षमार्ग २७४ ब । विभाव (ज्ञानी ३५६० ब । कमोंपाधिनिरपेक्ष- सापेक्ष नय २.३० अ शुद्ध द्रव्यापिक नय २.५४४ व अशुद्ध द्रव्याधिक नय २.५४५ अ २५५२ अ
कट- २३० अ, निद्रा २६०१ व बलदेव ४.१७ व . । कर्षण - कषाय २३५ अ । कलकल पृथिवी (आठवीं नरक २५७६ ब । कलधौतनन्दिदेशीयगन १ ३२४ ब इतिहास १३३० अ कलश -- चैत्य चैत्यालय २३०२ अ, तीर्थंकर मल्लिनाथ २३७१, यापनीय सघी साधु १३१९ व समयसार १ ३४२ अ, स्वप्न ४५०४ ब । कलह - २.३० अ
कलि ओज राशि - ओज १.४६९ व ।
---
कलिकाल - कल्की २.३१ अ, कुन्दकुन्द ( सर्वश) २.१२८ अ,
---
-
कलहपाहट प्राभत ३.१५६ ब ।
कला २.३० अ, कालप्रमाण २.२१७ अ व्यन्तरेन्द्र गणिका ३६११ ब, सुखांश ४.४३४ ब ।
कलिंग २२० अ, मनुष्यलोक ३.२७५ अन्य वैदिका कल्पव्यवहार - २३१व श्रुतज्ञान ४६१ व
-
।
भिमत देश ३ ४३१ ब ।
कल्याकल्प २.३१ व, श्रुतज्ञान ४.६६ व ।
कल्याण २.२१, श्रुतज्ञान ४.७० अ, यापनीय सघ
१.३१९५ ।
कल्याण
-
Page #66
--------------------------------------------------------------------------
________________
१०
कल्याणक
काचन (द्वीप, सागर)
कल्याणक-~~२३१ ब, तीर्थंकर २.३७३ अ-ब, सुमेरु ४३६६ अ, सामायिक ४४१५ ब । पर्वत ३.४५० ब।
कषायपाहुड-२४१ अ, इतिहास १.३४० अ-ब, टीका कल्याणकव्रत -२३३ अ ।
१ ३४१ ब । कल्याणकारण - उग्रादित्य १.३५२ अ, इतिहास १.३४२ अ। कषायप्रत्यय-अविरति ३१२७ अ, प्रमाद ३१२६ अ, कल्याणकीति--इतिहास १३३३ अ।
उदय न्युच्छिति ३१२७ -१३० । कल्याणत्रलोक्यसार यन्त्र-यन्त्र ३.३५१ ।
कषायप्रवृत्ति-लेश्या ३४२२ ब, ३ ४२४ अ, ३ ४२४ ।। कल्याणमंदिरस्तोत्र-२ ३३ ब, स्तोत्र ४.४४६ अ, इतिहास कक्षायप्राभूत---उच्चारणाचार्य १३५२ अ । १३४१ अ।
कषायमार्गणा-कषाय २३, ब, काल २.६७ अ, प्ररूपणाकल्याणमाला-२३३ ब ।
बन्ध ३१०५, बन्धस्थान ३.११३, आयुबन्ध के कल्याणवाद पूर्व-श्रुतज्ञान ४.६६ अ ।
स्थान १.२५६ अ, उदय १.३८२, उदयस्थान कल्ली-२.३३ ब, मनुष्यलोक ३.२७५ ।
१३६३ अ, उदीरणा १४११ अ, सत्त्व ४१८३, सत्त्व कल्लोल-ध्येय २५०० अ।
स्थान ४.२८७, ४.३००, ४.३०५, त्रिसयोगी भग क्लेशवणिज्या-अनर्थदण्ड १.६३ अ।
१.४०७ अ। सत् ४.२२८, संख्या ४.१०५, भागाभाग कवच-सल्लेखना ४.३६० ब, ४.३६२ अ, ४३६६ अ । ४.११७, क्षेत्र २.२०४, स्पर्शन ४.४८८, काल २.११२, कवयव-१३३ ब, ग्रह २.२७४ अ ।
कालावधि का अल्पबहुत्व ११६०-१६१, अतर १.१५, कवल--आहार १२८५ब।
भाव ३.२२१, अल्पबहुत्व १.१४६ । स्वामित्व-पच कवल चन्द्रायण व्रत-२.३३ ब।
शरीर ४७, अल्पबहुत्व ११५६, षट्कर्म ४.२६६ । कवलाहार-२ ३३ ब, आहार १.२८५ अ, आहारक कषायशक्ति-कषाय २.३८ अ। १.२६५ अ, केवली २.१५६ अ।
कषायसमुद्घात--निर्देश ४.३४३, कषाय २.४० ब, क्षेत्र कवाटक --२.३३ ब, मनुष्यलोक ३.२७५ ब ।
२.१६७-२०७, सत् ४.३४३, स्पशन ४.४७७-४६४। कश्मीर हून वश १३११ ब।
कसेरू-मनुष्यलोक ३.२७५ ब। कश्यप-राज्यवंश १.३३५ अ।
कहाण छप्पय-२.४१ ब । कषना- कषाय २३५ अ।
कांगधुनी -२.४२ अ, मनुष्यलोक ३.२७५ ब । कषाय--२३३ ब, अध्यवसाय स्थान १५३ अ-ब,
कांचन-द्वीप सागर २.४१ ब, राक्षस वश १.३३८ अ, अशुभोपयोग १४३३ ब, अजीव द्रव्य २३७ ब, आयु
विद्याधर नगरी ३.५४५ ब, स्वर्ग पटल-निर्देश बध स्थान १.२५६ अ, उपयोग १.४३२ ब, कषाय ४.५१६, विस्तार ४.५१६, अकन ४५१६ ब, देव की (जीव द्रव्य) २३७ अ, कालावधि का अल्पबहत्व आयु १२६६। १.१६१, जन्म २३१८ अ, परिग्रह ३.२६ अ, प्रत्यय कांचन (कट)-२४१ब, रुक्मि पर्वत-निर्देश ३४७२ब, (अविति) ३ १२७ अ, प्रत्यय (प्रमाद) ३१२६ अ, विस्तार ३.४८३, अकन ३४४४ । रुचकवर पर्वतप्रत्यय (उदय व्युच्छित्ति) ३.१२७-१३०, बध ३ १७५
निर्देश ३.४७६ अ, विस्तार ३.४८७, अंकन ३.४६८. अ, ३ १७८ ब, मोक्षमार्ग ३.३३६ अ, मोहनीय
४६६ । शिखरी पर्वत-निर्देश ३.४७२ ब, विस्तार ३.३४४ अ, लेश्या ३.४२२ ब,४४३७ अ-ब, विभाव
३.४८३, अंकन ३.४४४। सौमनस गजदन्त-निर्देश ३.५५८ ब, शक्ति २३८ अ, संक्रमण ४.८६ अ, संयम ३.४७२ ब, विस्तार ३.४८३, अंकन ३.४४४ ४.१२६ ब, ४.१३९ अ, संस्कार ४१५० अ, सल्लेखना ३४५७ । ४३८२ अ, ४.३८३ अ, ४३६६ अ, साध ४४०० कांचन (गिरि)-२ ४१ ब, देव तथा उत्तर कूरु में स्थित ब, सामायिक ४.४१५ ब, सासादन ४५२५ अ, हिंसा
पर्वत-निर्देश ३.४५३ अ, विस्तार ३.४८३, ३.४८५, १.२२६ अ, २१७ ब, ४५३४ अ।
४८६, वर्ण ३.४७७, अकन ३.४४४, ३.४६४ के करायकालक-अल्पबहुत्ब ११६१ अ।
सामने, चित्र ३.४५३ अ । कवायकुशील-कुशील साधु २.१३१ अ, श्रुतकेवली कांचन (देव)-२.४१ ब, कांचनगिरि का देव ३.४५३ ब, ४.५५ ब।
३.६१३ अ। कवायविग्रह-मोक्षमार्ग ३ ३३६ अ, सयम ४.१३६ ब, कांचन (द्वीप, सागर)-२.४१ ब, निर्देश ३.४७० अ,
१.१३६ अ, सल्लेखना ४.३८२ अ, ४.३८३ अ, विस्तार ३.४७८, अंकन ३.४४३, जस का रस
Page #67
--------------------------------------------------------------------------
________________
कांचनपुर
६१
३४७० अ, ज्योतिषचक २३४८ ब अधिपति देव
३.६१४ ।
मनुष्यलोक ३२७६ म
कांचनपुर २४१ व कांचना ( कानना)
- चरुवर पर्वत की दिक्कुमारी -- निर्देण ३४७६अ, अकन ३४६८, ३४६९ । कांचीपुर – २४१ ब ।
कांजी आहार - २.४१ ब, भक्ष्याभक्ष्य ३ २०३ ब, सल्लेखना ४ ३६३ ब ।
कांजी बारस व्रत - २.४१ ब । कांजीर- अनुभाग ११० ब । कांटा कायक्लेश २ ४७ ब ।
कांडक - २४१ ब, अपकर्षण
१.११७ अ
१.२४८ ब द्रव्य २४१ व सक्रमण ४ ८४ अ ।
2
कांडक आयाम - २४१ ब । कांडक घात— अनिवृत्तिकरण
२१३ व, अपकर्षण १११६ व अपवर्तन १. ११७ व अपसरण १११७ म अल्पबहुत्व ११७६, बन्धापसरण १.११७ अ ।
1
कांडक द्रव्य - २४१ ब ।
कांडक सक्रमण – सक्रमण ४ ८४ अ ।
कांडकोरकरण काल - २४२ अ ।
कतिमालाकुलकर ४२३ । कांपिल्य - विमलनाथ २३७६ । कांबोज २४२ अ मनुष्यलोक ३.२७५ अ-ब । काकंदी-सुविधिनाथ २.३७१ ।
काक - आहारान्तराय १.२६ अ ।
काकतालीय न्याय- २.४२ अ नियति २६१५ ब । काकवर्ण-मगधदेश १.३१२ ।
काकादिपिडहरण आहारान्तराय १.२९ अ । काकावलोकन - २.४२ अ म्युत्सर्ग ३६२१ व । काकिणी - २४२ अ चक्रवर्ती का रत्न ४१३ अ,
·
भाबाधा
-
४ १५ ब ।
काकुस्य चारित्र २.४२ अ ।
काक्षी - २४२ अ, मनुष्यलोक ३.२७५ अ ।
काणभिक्षु - इतिहास १.३२६ ब ।
काणोविद्ध-२४२ अ एकान्त मती १.४६५ अ किया
वादी २ १७५ ब ।
-
कान्ह - २४२ अ ।
कातन्त्ररूपमाला - इतिहास १३४४ ब ।
कानना- २४२ अ, रुचक पर्वत की दिक्कुमारी निर्देश २.४७६ अ अकन ३४६६ ।
--
कान्यकुब्ज – २४२ ब ।
कापिष्ठ— यदुवंश १३३७ । स्वर्ग - २४२, निर्देश ४५१४ न पटल इन्द्रक व श्रेणीबद्ध ४५१८-५२०, उत्तर विभाग ४.५२१ अ, अवस्थान ४५१४ ब अंकन ४५१५ । इन्द्र –निर्देश ४५१० व उत्तरेन्द्र ४५११ अ परिवार ४.५१२-५१३, अवस्थान ४५२० ब चिह्न आदि ४५११ व विमान नगर व भवन ४५२०-५२१ ।
कापिष्ठ (देव) - अवगाहना ११५० ब अवधिज्ञान १.१९८ व आयु १२६७, आयुबन्ध के योग्य परि नाम १२५८ ब । प्ररूपणा -बन्ध ३१०२, बन्ध स्थान ३११३, उदय १३७८, उदयस्थान १.३१२ ब उदीरणा १.४११ अ सत्व ४२८२, सत्त्वस्थान ४.२८, ४३०५, जिसयोगी भग १.४०६ ब । सत् ४१६२, सख्या ४६८, क्षेत्र २.२००, स्पर्शन ४.४८१, काल २.१०४, अन्तर ११०, भाव ३.२२० व अल्पबहुत्व १.१४५ ।
कापोत लेश्या - २४२ ब लेश्या ३४२३ अ, आयुबन्ध
१.२५६ अ । प्ररूपणा बन्ध ३.१०७, बन्धस्थान ३ ११३, उदय १३८४, उदयस्थान १.३६३ ब, उदीरणा १.४११ अ सत्त्व ४२६४, सत्त्वस्थान ४.३०१, ४.३०६, त्रिसयोगी भग १४०७ व सत् ४२४४ संख्या ४१०७, क्षेत्र २२०५ स्पर्शन ४.४१०, काल २११५ अंतर ११८, भाव ३२२१ ब अल्पबहुत्व ११५१ ।
काम --- २४२ व इन्द्रिय १३०६ अ ध्यान २४६६ अ,
"
1
पुरुषार्थ ३.७० अ, भोग ३.२३८ अ. विवाह ३५६५ ब शलाकापुरुष ४.२६ अ, हिंसा ४५३३ ब ।
कामकथा - २.३ ब ।
कामचर — लौकान्तिक ३.४९३ व । कामचांडाली कल्प - [इतिहास] १ ३४३ ब । कामतंत्र - विनय ३.५४६ व
कामरूप
कामतस्व ---- २४२ ब, काम २.४२ ब ।
कामद-शलाका पुरुष ४२६ अ ।
कामदेव - गणधर २२१३ अ प्रतिमा २३०३ ब नारद
४.२२ ब ।
कामना दे० अभिलाषा, इच्छा, आकांक्षा, राग । कामपुरखार्थकथा २.३ व पुरुषार्थ ३.७० अ । कामपुष्प - २.४३ अ विद्याधर नगरी ३.५४५ अ । कामराज --- २.४३ अ ।
कामरूप – मनुष्यलोक ३.२७५ ब ।
Page #68
--------------------------------------------------------------------------
________________
कार्मण काययोग
कामरूपित्व
कामरूपित्व ऋद्धि १४४७, १.४५१ ब ।
कायवंदना-३ ४६४ ब, २५०६ अ। कामरूप्य-२४३ अ, मनुष्यलोक ३ २७५ ब ।
कायविवेक -----भक्तपान, माया, लोभ, वसति, सस्तर कामवृष्टि-चक्रवर्ती के रत्न आदि ४१३ अ, ४१५ अ। वैयावृत्य, शरीर ३ ५६७ अ। कामा-महत्तरिका ४५१३ ब, गणिका ४५१४ अ । कायशुद्धि-भक्ति ३ १९६अ, शुद्धि ४३६अ। कामाग्नि-१२५ ब।
कायस्थिति-४४५७ ब । कामिनिका--महत्तरिका देवी ३५१३ ब ।
कायिक-आनव १२८२ ब, विनय ३.५४५ ब, कामिनी-गणिका ४.५१४ अ ।
३५४६ ब। काम्य मंत्र-३ २४६ अ।
कायिकी--- क्रिया २.१७४ ब, हिसा ४५३३ अ। काय-२.४३ अ, अस्तिकाय १.२११ अ, भाव २.२५० अ। कायोत्सर्ग-कृतिकर्म २.१३४ अ, २१३५ अ, गुप्त कायकर्म----२.२६ अ ।
२.२५० अ, तप २ ३६१ ब, धर्मध्यान २४८२ ब, कायक्लेश-२४५ ब, श्रावक २४८ अ, सम्यकत्व व ज्ञान
प्रतिक्रमण ३११७ ब, भक्ति १२०० ब, व्युत्सर्ग
३.६१६ अ, सामायिक ४४१६ व ४.४१७ ब । २३६० ब।
कारक---कर्ताकर्म २१६-२४, भेदाभेद कारक २.४८-५० । कायक्रिया-गुप्ति २.२५० अ।
कारण-२५१ अ, अनुमान लिगी १६७ ब । अन्तरग कायक्रोधविवेक-विवेक ३ ५६७ अ ।
२७२ ब, कारण २५४ अ, कार्य २७२ अ, ज्ञान कायगप्ति-अतिचार २.२५० अ, निश्चय लक्षण
१२६१ ब, न्याय २६३३ अ, परमात्मा ३२० अ, ६ २४८ ब, व्यवहार लक्षण २ २४६ अ ।
चतुष्टय २.२७८ अ। कायत्व-अस्तिकाय १.२११ अ-ब। कायपरावर्तन--कृतिकर्म १२७६ अ।
कारण-कार्य-संबध-२५१ अ, अभेद २.५४ अ, उपचार
१४२० अ, विभाव ३.५५६ अ । कायप्रतिमा-२ ३०० ब।
कारण-परमतत्त्व-३ १६ अ। कायप्रत्याख्यान-३.१३२ अ। कायप्राण-२१५३ अ, ३ १५४ ब ।
कारण-परमाणु-३.१४ अ।
कारणपरमात्मा --३ १६ अ । कायबल-ऋद्धि १४४७, १.४५५ , पर्याप्ति ३ ४४ अ, प्राण ३.१५३ अ, ३१५४ ब, योग ३.३८० अ। कारणप्रत्यय-४.३६४ अ ।
कारणविपर्यास-३३५६ ल । सम्यग्ज्ञान २२६४ ब । कायमार्गणा-निर्देश २ ४४ ब, अवगाहना ११७६, आयु १.२६४, जीवसमास २ ३४३ । प्ररूयणा-बन्ध
कारण बिरुद्ध व अविरुद्ध उपलब्धि-४५३८ । ३१०४, बन्धस्थान ३ ११३, उदय १३७६, उदय
कारणशुद्ध जीव-२३३४ अ ।
कारणशुद्ध पर्याय-३४६ ब । स्थान, १.३६२ ब, उदीरणा १४११ अ, सत्त्व ४२८२
कारण समयसार-मोक्ष ३.३२५ अ,समयसार ४३२६ अ । २८५, सत्त्वस्थान ४.२१६, ४३०५, त्रिसयोगी भग १.४०६ ब । सत् ४.१६६, सख्या ४१००, भागाभाग
कारणस्वभावज्ञान-उपयोग १.४३० अ। ४ १११-११५. क्षेत्र २२०१, स्पर्शन ४४८३, काल
कारणस्वभावदर्शन-उपयोग १४३० अ । २१०६, अन्तर ११२, भाव ३ २२० ब, अल्पबहुत्व
कारित-२७५ अ। १.१४५ । पचशरीर स्वामित्व ४.७, अल्पबहुत्व
न कार्तिकेय--२७५ अ, अनुत्तरोपपादक १.७० ब, इतिहास ११५६।
(कुमारस्वामी) १३२८ ब, १३४० ब । काययोग-निर्देश २४६ अ, ३३७६ ब, कार्मण काय
कातिकेयानुप्रेक्षा-----२.७५ अ, इतिहास १.३२८ ब, योग २ ४४ ब। प्ररूपणा-बन्ध ३.१०४, बन्धस्थान १.३४० ब । ३.११३, उदय १.३८०, उदयस्थान १.३६२ ब । उदी- कातिकयानुप्रेक्षा टीका --इतिहास १.३४७ अ। रणा १.४११ अ, सत्त्व ४.२८३, सत्त्वस्थान ४.२६६- कार्तिकेयानुप्रेक्षा वचनिका-इतिहास १३४८ अ । ३०५, त्रिसयोगी भग १.४०७ अ। सत् ४.२१४ कामेण काययोग-२७६ अ, आहारक १.२६५ अ, काय सख्या ४.१०१, क्षेत्र २.२०२, स्पर्शन ४.४८५, काल २४४ ब, पर्याप्तक २४६ ब । प्ररूपणा-बन्ध ३.१०३, २.१०८, कालावधि का अल्पबहुत्व १.१६१, अन्सर बन्धस्थान ३.११३, उदय १.३८१, उदयस्थान १.१२, भाव ३.२२० ब, अल्पबहुत्व १.१४७ ।
१.३६२ ब, उदीरणा १.४११ अ, सत्त्व ४.२८३
Page #69
--------------------------------------------------------------------------
________________
कार्मण काल
सत्त्वस्थान ४२६६, ४३०५ त्रिसगयोगी भग १४०७ अ । सत् ४२२१, सख्या ४.१०३, क्षेत्र २२०२, स्पर्शन ४४८७, काल २.१०८ अन्तर ११३, भाव ३२२० व अल्पबहुत्व ११४८
कार्मण काल – उदयस्थान १ ३१३-३६७, काल २८१ अ । कार्मण वर्गणा - वर्गणा ३५१३ अ ३५१५, ३५१६ अ । कार्मण शरीर - २७५ ब, अनादि २३६५ अ, अवगाहना
२३६५ अ, निरुपभोग २३६५ अ, पौद्गलिक ३ ३१७ अ, प्रदेश अल्पबहुत्व ११५६, स्वामित्व २३०५ अ ।
कार्मण शरीर नामकर्म प्रकृति प्ररूपणा प्रकृति ३८८ २५८३, स्थिति ४४६३, अनुभाग १९५, प्रदेश ३ १३६ । बध ३ २७, बधस्थान ३११०, उदय १२७५ उदयस्थान १३९०, ११९७ उदीरणा १४११ अ उदीरणास्थान १४१२, सत्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४३०३, त्रिसयोगी भग भग १४०४ । सक्रमण ४८४ ब अल्पबहुत्व ११६६ । कार्मण शरीर बध -- कार्मण कार्मण, कार्मण तैजस, औदारिक कार्मण, वैयिक कार्मण आहारक कार्मण ३ १७० ब । कार्य अनुमान लिंगी १.६८ अ, कारण २७२ अ-ब, निमित्त २७० अ पर्याय २५४ व २५५ अ, वर्ण
7
"
व्यवस्था ३५२४ व सदसत् १३६२ अ. समय (परमात्मा ) ३२० अ ।
कार्यकारण संबंध अनुमान १६८ अ उत्पत्ति २५५०
ब उपचार १४२० अ उपयोग १४३० अ नय २ ५५० व न्याय २६३३ अ, भेदाभेद २५५ अ । विभाव ३५५६ ब ।
कार्यचतुष्टय ३२७८ अ ।
कार्यपरमाणु- ३१४ अ ।
कार्यपरमात्मा - ३१६ व ।
कार्य विरुद्ध व अविरुद्ध हेतु - ४५३८ । कार्यशुद्ध जीव- २३३४ अ
कार्यशुद्धपर्याय - ३४६ ब ।
कार्य - समयसार -४३२६ अ - ३३५ अ । कार्य समा जाति-२७७ अ । कार्यस्वभाव – ज्ञानोपयोग
-
१४३० अ दर्शनोपयोग
१४३० अ ।
कार्ष्णाजिन वेदान्त ३५१५ व
काल- २७७ अ, अनन्तानुबन्धी का १६१ व, अन्तरकरण १२६ व अन्तर प्ररूपणा १३ व १५ अ उपक्रम
,
१४१६ व अध प्रवृत्तकरण
अनवधूत
२७ ब, २७ ब
६३
कालद्रव्य
1
अनशन १६५ व अनशन १६५ व अनिवृत्तिकरण २१३ अ अनुयोगद्वार ११०२ अ अपकर्ष ११७३ अ, अपूर्वकरण २१२ अ अप्रत्याख्यानावरण का ११२६ ब अप्राप्त ११२६ ब, अवधि व मन पर्यय ज्ञान ११८९ व ११९७ व आगमार्थ १२३४ अ, आबाधा १२४६ अ आयुवध १२५१ अ उदय ( पच उदय काल ) १३१७, उदीरणा १४१२ उपकार २६३ व उपशमन ११६१ अ. कषायोदय २३८ ब काण्डकोत्करण २४२ अ काल प्रमाण २२१५ व काल ३१२ अ ग्रह २२७४ अ चक्रवर्ती ४१४ व छेदोपस्थापना (देश काल का प्रभाव) २३०६ अ, नारद ४२१ अ निम्ति २६४ अ, नियतकाल अनशन १६५ व नियति २६१९ अ निर्जरा १७५ ब ११७४ अ प्रमाण ३१४५ अ, मरण ६२८२ अ, मुक्ति ३३२७ अ, मोहनीय का ३ ५४४ अ, यव मध्य ११६१ व विद्याधर जाति १३३५ ब वेदनीय का ३.५१२ व सख्या ४६२ अ सप्तभंगी ४३२० अ, ४३२४ अ-ब, ४३२५ ब, सम्यग्ज्ञान का अंग २ ८२ अ स्व चतुष्टय २२६७ ब काल (अनुयोगद्वार ) - ११०२ अ २ ६४ अ, ओघ प्ररूपणा २१०१, उदीरणा
"
प्ररूपणा २६६, आदेश १४१२ ।
ब,
काल (अल्पबहुत्व) - ११४२ व अपकर्ष काल ११७३ अ उपशमन क्षपण १९६१ अ, प्रदेश निर्जरा १.१७४ अ, यवमध्यकाल १ १६१ ब ।
,
काल ( व्यन्तरेन्द्र ) - निर्देश ३६११ अ संख्या ३६११ अ, परिवार ३६११ ब, आयु १२६४ ब । काल ( पट्काल ) - निर्देश
२.८८ परावर्तन ३२३५. परावर्तन योग्य २६२, अवगाहना १.१८०, आयु १.२६४ ब आखण्ड १२७५ अ द्वीप सागर
२ ६२ ब ।
कालक२१२४ अ ग्रह २२७४ अ विद्या १३३६ अ । कालकूट - २१२४ अ, मनुष्यलोक ३२७५ व कालकेतु - २१२४ अ ग्रह २२७४ अ
कालकेशपुर - २१२४ अ विद्याधर नगरी ३ ५४५ अ । कालक्रम - २१७१ ब २१७२ अ ।
कालतोया २१२४ अ मनुष्यलोक ३२७५ ब । कालदेश - - उपदेश १४२६ अ, छेदोपस्थापना चारित्र पर प्रभाव २३०६ अ ।
कालद्रव्य - २८२ ब अनुभाग १८८ ब अस्तिकाय १२११ ब उत्पादादि १३६० व १३६२ ब प्रदेश १२२१ अ निमित्तता १३६७-३६८ अ ।
Page #70
--------------------------------------------------------------------------
________________
कालनय
कालनय --- २५२३ ब ।
कालनिबन्धन २.६१० ब ।
काल निमित्तक -- कर्मोदय १.३६७ अ, १.३६८ अ । कालपरिवर्तन ससार ४१४८ न ।
कालप्रदेश- २१२४ अ ।
कालप्रतिक्रमण ३ ११६ व ।
कालप्रत्याख्यान -३ १३२ अ ।
--
कालप्रमाण - २.२१५ ब ३.१४५, आहार का १२८५ ब १२८१ अ सहनानी २२११ ।
कालमंगल- ३२४१ अ ।
कालमही- २१२४ अ, मनुष्यलोक ३२७५ ब ।
कालमुखी - २१२४ अ, विद्याधर विद्या ३ ५४४ अ । कालयवन - हरिवश १ ३४० अ । कालयुति - ३३७३ ब ।
कालधि नियति २.६१४व सम्यग्दर्शन ४३६२ ब ४ ३६३ अ ।
कालवर्गणा ३५१२ ब
-
कालवाद -- २१२४ अ, एकान्त १४६५ अ परतन्त्रवाद ३१२ अ ।
कालव्यभिचार-२५३८ अ ।
कालशुद्धि – ४३६ ब, सम्यग्ज्ञान का अग १२२८ अ, स्वाध्याय ४५२६ अ ।
काल श्वपाकज-विद्याधर १३३६ अ ।
कालसयोग पद ३५ अ
कालर्सवर - २१२४ अ ।
कालसंसार- ४१४७ अ
कालसमय राशि - सहनानी २.२१९ अ कालसामायिक ४४१६ अ ।
कालस्तव- -३२०० ब ।
कालस्पर्शन--४४७६ अ ।
कालातीत २६३२ व
कालात्यपदिष्टहेत्वाभाम २१२४ अ, २६३३ ब ।
कालापेक्षा व्यतिक्रम ३६२२ अ ।
कालासोक मगधदेश १३१२ ।
कालिंदी इन्द्रो की ज्येष्ठ देवी ४५१४ अ
काली - २१२४ व तीर्थकर पुष्पदन्त २३७६, विद्या
३ ५४४ अ ।
कालीघट्टपुरी - २.१२४ ब ।
कालीदास - २.१२४ अ ।
कालुष्य - २.१२४ ब, कषाय २३५ अ ।
काले यक- २१२४ ब, औदारिक शरीर १.४७२ अ ।
किपुरुष
कालोद सागर - २.१२४ व निर्देश ३.४६३ अ, नाम निर्देश ३४७० अ, विस्तार ३४७८, अकन ३४४३, ३४६४ के सामने, जल का रस ३.४७० अ ज्योतिष चक्र २३४८ ब, अधिपतिदेव ३६१४ । अन्तद्वीपज मनुष्य निर्देश ३३४६, अवगाहना ११७६ ब, जलचर जीव २३७० ब
६४
कालोद सिद्ध - अल्पबहुत्व १.१५३ ।
कालोल - नरक पटल निर्देश २१२४ ब २५७१ ब विस्तार २५७९ न अवगाहना ११७८, आयु १.२६३ ।
काव्यानुशासन- २१२४ व इतिहास १.३४४ अ, १ ३४५ अ ।
काव्यालंकार टीका - २१२४ ब, आशाधर १२६४ ब, इतिहास १.३४४ अ ।
काशमीर - २.१२४ व मनुष्यलोक ३२७५ ब । काशिका - ३.३११ ।
काशी - २१२४, अकम्पन १३० व चक्रवर्ती ४.१० ब चन्द्रप्रभ २३७८ मनुष्यलोक ३२७५ अ ।
काष्टा - कालप्रमाण २२१७ अ ।
काष्ठ - आसन २१३५ ब, मान कषाय २.३८ अ ।
काष्ठकर्म - २.२६ अ कषाय २.३५ ब निक्षेप
२५६८ अ ।
काष्ठा - २.१२४ ब, काल प्रमाण २२१७ अ । -काष्ठा संघ - २१२४ ब, जैनाभासी
१३२० ब, १३२७ अ ।
काष्ठी- ह २.२७४ अ
कामकृत्स्न ३ ५९५ व ।
किंकर - हरिदेव ४५३० अ ।
किचिवून चरम देह ३.३२६ व । किचिद् ग्रहण --- आहारान्तराय १.२६ ब ।
किंपुरुष (देव) - व्यन्तरदेव २१२४ व २१२५ अ, निर्देश ३६१० व अवगाहना ११५० अवधिज्ञान ११९८ व आयु १२६४ व शक्ति आदि ३१६१०६११, वर्ण व चैत्यालय ३६११ अ, अवस्थान ३६१२-६१४, ३४७१ इन्द्र निर्देश ३६१६ अ सख्या ३६११ अ परिवार ३६१२ ब ।
किपुरुष (देव) प्ररूपणा बध
---
१३१६ अ. व,
३१०२, बधस्थान ३.११३, उदय १३७८, उदयस्थान १३९२ ब, उदीरणा १.४११ अ सत्त्व ४२५२, सत्त्वस्थान ४.२६८, ३०५, त्रिसंयोगी भंग १४०६ ब । सत् ४२८८, संख्या ३६७, क्षेत्र २ १६६, स्पर्शन ४.४८ १,
-
Page #71
--------------------------------------------------------------------------
________________
६५
किंपुरुष (यक्ष)
कुंडल काल २१०४, अन्तर ११०, ३२२० अ, अल्पबहुत्व
वंश ३ ३३८ ब। १.१४५।
किष्किविल-२.१२५ ब, अंतकृत केवली १२ ब । किंपुरुष (यक्ष)--धर्मनाथ का यक्ष २.३७६ ।
किष्क -२.१२५ ब, क्षेत्र का प्रमाण २२१५ अ । वानरकिंपुरुष वर्ष-२१२५ अ, वैदिकाभिमत ३४३१ ब ।
वंश का निवास पर्वत १३३८ ब । किन्नर-व्यन्तर देव २.१२४ ब, २.१२५ अ, निर्देश किष्कपुर-वानरवंशी नगर १३३८ ब । ३६१० ब, अवगाहना ११८०, अवधिज्ञान ११९८ ब,
कीचक-२१२५ ब। आयु १२६४ ब, इन्द्र-निर्देश ३६११ अ, संख्या कीचड-लोभ २३८ अ। ३.६११ अ, परिवार ३६११ ब, शवित आदि ३६१०- कीर्तन-नमस्कार २.५०६ अ, पूजा ३७५ । ६११, वर्ण व चैत्यवक्ष ३६११ अ, अवस्थान कीति-कुरुवश १३३५ ब, १३३६ अ, शुद्धि ४३६अ। ३६१२-६१४,३४७१।
कीति (देवी)-२१२५ ब, नीलपर्वत ३४७२ अ, किन्नर (देव)-प्ररूपणा---बध ३१०२, बंधस्थान केसरीहद ३४५३ ब । अवस्थान ३ ६१४ अ, आयु
३ ११३, उदय १.३७८, उदयस्थान १३६२ ब, १२६५ ब, परिवार ३ ६१२ अ। उदीरणा १४११ अ, सत्व ४२८२, सत्त्वस्थान कीतिकूट-२१२५ ब ।। ४ २६८, ४.३०५, त्रिसयोगी भंग १.४०६ ब । सत् कीर्तिधर-२ १२५ ब, इतिहास १३४१ अ। इक्ष्वाकु४१८८, संख्या ४६७, क्षेत्र २ १६६, स्पर्शन ४.४८१, वश १३३५ ब । काल २१०४, अन्तर १.१०, भाव ३.२२० अ, अल्प- कीर्तिधवल -२ १२५ ब, राक्षसवश १३३८ब। बहुत्व १.१४५।
कीतिध्वज-वानरवंश १३३८ ब । किन्नर (यक्ष)-२१२५ अ, अनन्तनाथ का यक्ष
यक्ष कीतिमती-२.१२५ ब, रुचकवर पर्वत की दिक्कुमारी
का २३७६।
निर्देश ३ ४७६ अ, अकन ३ ४६६ । किन्नर क्रांत -३ ६१२ ब ।
कीर्तिमान -इक्ष्वाकुवंश १३३५ ब । किन्नर-किन्नर-२१२४ ब ।
कीर्तिवर्मा-२१२५ ब, इतिहास १३३१ अ। किन्नरगीत - २१२५ अ, विद्याधर नगरी ३ ५४५ अ । कीतिवीर्य-चक्रवर्ती ४११ ब । किन्नरप्रभ-किन्नर देवो का नगर ३ ६१२ ब ।
कीतिषेण या कीतिसेन-२१२५ ब, काष्ठा सघ १३२७ किन्नरमध्य - किन्नर देवो का नगर ३६१२ ब ।
अ, पुन्नाट संघ १३२७ अ, इतिहास १३२६ ब । किन्नरावर्त -किन्नर देवों का नगर ३ ६१२ ब। कीलकसंहनन नामकर्म प्रकृति--प्ररूपणा-प्रकृति ३८८, किन्नरोत्तम-२१२४ ब ।
२५८३ अ, स्थिति ४४६५, अनुभाग १६५, प्रदेश किन्नरोद्गीत-२१२५ अ। विद्याधर नगरी ३ ५४५ अ। ३१३६। बंध ३६७, बंधस्थान ३११०, उदय किन्नामित-२१२५ अ, विद्याधर नगरी ३ ५४५ अ ।
१३७५, उदयस्थान १३९०, उदीरणा १४११ अ, किरण-चन्द्र सूर्य आदि की २.३४८ व।।
उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४ २७८, सत्वस्थान किरणावली-वैशेषिक दर्शन का ग्रन्थ ३६०७ ।
४.३०३, त्रिसयोगी मग १४०४१ सक्रमण ४८५ अ, किरमजी-लोभ २३८ अ ।
अल्पबहुत्व ११६८। किलकिल-२१२५ अ । विद्याधर नगरी २५४५ ब ।
कुंचित-२१२६ अ, व्युत्सर्ग का दोष ३६२३ अ । किल्विषक देव-२१२५ अ, आयु बध के योग्य परिणाम कुंजरावर्त-२१२६ अ, विद्याधर नगरी ३५४५ अ, १२५८ अ। ज्योतिष देव -निर्देश २ ३४६ अ, आयु
हरिवंश १३४० अ। १२६४ व, भवनवासी-निर्देश २४४५ ब, आयु
कुंड-२१२६ अ, अग्नि के तीन कुंड १३५ ब, शलाका १२६५ । वैमानिक-निर्देश २४४५ ब, आयु
आदि तीन कुड १२०६ ब । गगा आदि नदियो के १.२६६, १.२७०, देवियाँ ४.५१३ । व्यन्तर-निर्देश
कंड-निर्देश ३.४५५ अ, गणना ४४३ अ,विस्तार ३.६११ ब, आयु १.२६४ ।
३.४६०, अंकन ३.४४४, तद्वर्ती द्वीप व कुट किल्विषी भावना-२.१२५ ब।
३.४५३ अ। किशनसिंह--इतिहास १.३३४ अ, १३४८ अ।
कंडल-रुचकवर पर्वत का कूट-निर्देश ३.४७६ अ, किष्किघ्र २.१२५ ब, मनुष्यलोक ३.२७५ ब, बानर विस्तार ३.४६७, अंकन ३.४६६ ।
Page #72
--------------------------------------------------------------------------
________________
कडलक
कुभोगभूमि
कडलक-रुचकवर पर्वत का कुट-निर्देश ३.४७६ अ, कटक-२.१२८ ब। विस्तार ३४८७, अकन ३ ३६८ ।
कुडइ.-२१२८ ब। कुडलगिरि-२१२६ अ ।
कुडव-तौल का प्रमाण २.२१५ अ । कुडलपुर-तीर्थ कर वर्द्धमान २३७६ ।
कुडयाश्रित-२१२८ ब, व्युत्सर्ग दोष ३.६२१ ब । कडलवर द्वीप सागर--२१२६ अ । निर्देश ३४६६ अ -णिक-२१२८ ब, मगधदेश १.३१० ब, १३१२ । नामनिर्देश ३ ४७० अ, विस्तार ३४७८, अकन ।
कुणिम-हरिवंश १.३३६ ब, १३४० अ । ३४४३, चित्र ३४६७। जल का रस ३४७० अ, कणीयान-२१२८ ब, मनुष्यलोक ३२७५ अ। ज्योतिषचक्र २३४८ ब, अधिपति देव ३.६१४ ।
कुत्ता - श्वान ४.५०५ अ । चैत्य-चैत्यालय २३०३ ।
कुत्सा-२३४४ अ। कडलवर पर्वत-नामनिर्देश ३ ४६६ अ, विस्तार ३४८७,
कुत्सित-देव ३५५३ ब, धर्म ३५५३ ब, लिग ३ ५५३ ब । कुट तथा देवो के नाम ३.४७५ ब, कूदों का विस्तार
कुथित-३२०२ ब। ३४८७, वर्ण ३४७८, चित्र ३४६७ ।
कुथुमि-२ १२६ अ, अज्ञानवादी १.३८ ब, एकान्ती कुडला --२ २१६ अ। विदेह नगरी-निर्देश ३.४६० अ,
१४६५ अ। नाम ४३७० ब, विस्तार ३.४७६-४८१, अक्रन
कुदेव-२.१२६ अ, अमूढदृष्टि ११३३ अ, निन्दा ३४४४, ३४६४ के सामने, चित्र ३.४६० अ ।
२५८८ ब, मूढता ३३१५ ब, विनय ३ ५५३ अ । कुंडिनपुर-२१२६ अ, मनुष्यलोक ३.२७६ अ ।
कुधर्म-२१२६ अ, अमूढदृष्टि १.१३३ अ । कुंतल-२१२६ अ, मनुष्यलोक ३ २७५ अ।
कुधर्माकांक्षा-२५८५ ब । कुंती-२१२६ अ, कुटुम्ब १३० अ, कुरुवंश १३३६ अ,
कुध्यान-~२४६७ अ। यदुवग १३३७ ।
कुनाल-मगधदेश १३१० ब, १३१३ । शान्तिनाथ कुथनाथ-२ १२६ अ, कुरुवंश-तीर्थकर १.३३५ ब,
२३६१। पूर्वभव २ ३७६-३६१ ।
कुपात्र--पात्र २५२ व, दान २४२६ अ। कंथु --- चक्रवर्ती ४१० अ, अरनाथ आदि तीर्थकर २३८७।
कुष्य-२१२६ अ। कंथ भक्ति-इक्ष्वाकुवश १.३३५व ।
कुबेर-२१२६ अ। अरनाथ का यक्ष २३७६, लोकपाल कुंथु सेना-अरनाथ २३८८ ।।
देव ३४६१ ब, स्वर्गलोक मे ४.५१३ अ, मध्यलोक कुंद-२१२६ अ, विद्याधर नगरी ३५४५ ब ।
मे ३.६१३ अ, सुमेरु पर्वत के वनो मे ३ ४५० अ-ब, कुंदकीति -काष्ठा सघ १३२७ अ ।
ऋद्धि शक्ति आदि ४५१३ अ, आयु १२६६ । कंदकंद-२१२६ अ-ब । देशीय गण १.३२४, इतिहास
कुबेरकान्त -४ १५ अ। १३२८ ब, १३४० ब, मूलसघ १३२२ ब ।
कुबेरदत्त - इक्ष्वाकुवश १.३३५ ब । कंदा-व्यन्तरेन्द्र वल्लभिका २६११ व।
कुब्जक-संस्थान नामकर्म - प्रकृति ३.८८, २५८३, स्थिति कुंभ--२१२८ ब, गणधर २.२१२ ब, तीर्थ फर मल्लिनाथ
४ ४६४, अनुभाग १६५, प्रदेश ३१३६ । बन्ध २३८०, तीर्थकर अरनाथ २३८७ ।
३६८, बन्धस्थान ३११०, उदय १३७५, उदयकुंभक-२१२८ ब, प्राणायाम ३ १५५ अ।
स्थान १ ३६०, उदीरणा १४११ अ, सत्त्व ४.२७८, कुंभकटक द्वीप-२ १२८ ब, मनुष्यलोक ३.२७५ ब ।
सत्त्वस्थान ४३०३, त्रिसयोगी भग १४०४ । संक्रमण कुभकर्ण-२१२८ ब, राक्षसवश १३३८ ब ।
४८५ अ, अल्पबहुत्व ११६८ । कुंमुज-२१२८ ब।
कुब्जा-२.१२६ अ, मनुष्यलोक ३.२७६ अ, अजितनाथ कुवरपाल-इतिहास १३३४ अ।
तीर्थंकर २३८८। कुगुरु-२ १२८ ब, विनय ३ ५५३ ब, अमूढदृष्टि १ १३३ कुभानु-हरिवंश १,३४० अ। अ, मूढता ३.३१५ ब ।
कभाषा--दिव्यध्वनि २.४३२ ब, भाषा ३.२२६ ब । कटिल अवलोकन-चैत्य-चैत्यालय २.३०२ ब ।
कभोगभूमि--निर्देश ३ २७३, अवगाहना १.१८०, आयु कुटिलता- माया ३ २६६ अ ।
१ २६३, १२६४, आयु के बन्धयोग्य परिणाम कुटीवर --वेदान्त ३५६५ ब ।
१२५६ ब, षट्काल व्यवस्था २ ६३, सम्यक्त्व आदि
Page #73
--------------------------------------------------------------------------
________________
कुमत
कुलमद
गुण ३.२३६ । वैदिक अभिमत भूगोल ३ ४३१ ब। कुमुदशैल-२ १२६ ब । कमत-विनय ३५५३ ब ।
कुमदांग-२१२६ ब, कालप्रमाण २२१६ अ, २.२१७ कमतिज्ञान----प्ररूपणा-बन्ध ३१०५, बन्धस्थान ३ ११३,
अ, संख्या प्रमाण २.२१४ ब। उदय १३८३, उदयस्थान १३६३, उदीरणा कुमुदा-२ १२६ ब। विदेहक्षेत्र-निर्देश ३४६० अ, १४११ अ, सत्त्व ४२८३, सत्त्वस्थान ४.३००, नाम ३ ४७० ब, विस्तार ३.४७६-४८०-४८१, ४३०५, त्रिसंयोगी भग १.४०७ अ । सत ४२३४, अकन ३४४४, ३४६४ के सामने, चित्र ३.४६० सख्या ४१०५, क्षेत्र २.२०४, स्पर्शन ४४८८, काल अ। सुमेरु की पुष्करिणी-निर्देश ३.४५३ ब, नाम २११३, अन्तर ११५, भाव ३२२१ अ, अल्पबहुत्व
३ ४७३ ब, विस्तार ३४६०-४६१, अकन ३.४५१, ११५०।
चित्र ३४५१ । नन्दीश्वर द्वीप की वापी कुमानुष-निर्देश ३.३४६, आयु बन्धयोग्य परिणाम ३४६३ अ, नाम ३.४७५ ब, विस्तार ३.४६१, १२५६ ब, पाप ३५४ अ।
अकन ३४६५। कुमानुष द्वीप-निर्देश ३३४६ अ-ब, ३४६२ ब, कुमुदेंदु-इतिहास १ ३३२ ब।
३४६३ ब, विस्तार ३४७६, अकन ३.४४४, ३४६१, कुरल काव्य-२१२६ ब। ३४६४ के सामने ।
कुरला- अपवाद मार्ग ११२१ ब । कुमार-२.१२६ अ, भवनवासी देव ३ २०८ अ, श्रेयासनाथ कुरु-~२.१२६ ब, कुरुवश १ ३३५ ब, १.३३६ अ, का यक्ष २३७६।
कुन्थुनाथ धर्मनाथ २.३८०, मनुष्यलोक ३.२७५ ब । कुमारगुप्त-२.१२६ ब, गुप्तवंश १३११ अ-ब, कुरुक्षेत्र-उत्तरकुरु ३.४४५ अ । १३१५।
कुरुचंद्र-कुरुवश १.३३५ ब, १.३३६ अ । कुमारनन्दि-२१२८ अ-१२६ अ, नन्दिसंघ १३२३ अ, कुरुजांगल देश--मनुष्यलोक ३ २७५ अ।
इतिहास १३२८ ब, १३२६ अ-ब, १३४१ । कुरुपांचाल-वैदिकाभिमत ३ ४३३ अ । कुमारश्रमण-वासुपूज्य आदि तीर्थकर २३८९ ।
करवश-२१२६ ब, ऐतिहासिक राजवश १३१० ब, कुमारसेन-२१२६ अ, काष्ठा संघ १.३२१ अ, १.३२७ अ, पौराणिक राजवश १.३३५ अ-ब।
पचस्तूप सघ १३२६ ब, सेन सघ १३२६ अ, कर्यधर-२१२६ ब। इतिहास १३२६ ब, १३३० ।
कुल-२.१३० अ, प्रव्रज्या ३.१५० अ 'भिक्षा ३ २३१ ब, कुमारस्वामी (कार्तिकेय)-२७५ अ, इतिहास १ ३२८ ब, वर्ण-व्यवस्था ३ ५२० ब। १३४० ब, २.१२९ अ।
कुलकर-२१३० ब, शलाकापुरुष ४.२३ अ, ४ २५ अ । कुमारिल भट्ट-२ १२६ ब, मीमासा दर्शन ३ ३११ अ। कुलकीति-कुरुवश १.३३५ ब । कुमारी-४ ४५० अ।
कुलकुंड पार्श्वनाथ विधान-२.१३० ब । कमार्ग- अमूढदष्टि ११३२ ब, ध्यान २.४६७ अ। कुल क्रिया-श्रावक ४.५० अ । कुमुद -२१२६ ब, कालप्रमाण २२२६ अ, २२१७ अ, कुलचद्र-२.१३० ब, कुरुवश १.३३६ अ, नन्दिसंघ
सख्याप्रमाण २२१४ ब, आरण इन्द्र का यान देशीय गण १ ३२५ । ४५११ ब, लोकपाल ३४६१ ब, विद्याधर नगरी कुलचर्या क्रिया-सस्कार ४१५१ ब, ४१५२ ब । ३ ५४५ ब ।
कुलटा-४.४५० ब। कुमुद (पर्वत तथा कूट)-देवकुरु का दिग्गजेन्द्र-निर्देश कुलदेवता-श्वेताम्बर ४७७ अ।
३४७१ ब, विस्तार ३.४८३, ३४८५-४८६, अंकन कुलधर-२.१३० ब, शलाकापुरुप ४.२५ अ। ३ ४४४ । रुचकवर पर्वत का कूट-निर्देश ३ ४७६ अ, कुलपर्वत-चैत्य-चैत्यालय २.३०३ । विस्तार ३ ४८७, अकन ३४६८-४६६ ।
कुलपुत्र-तीर्थकर २.३७७ । कमवप्रभा-२१२६ ब, सुमेरु की पुष्करिणी निर्देश ३.४५३ कुलभद्र --२.१३० ब, इतिहास १.३३० ब, १.३४२ ब ।
ब, नाम ३.४७३ ब, विस्तार, ३.४६०-४६१, अंकन कुलभूषण-२.१३० ब, देशीय गण १.३२५, इतिहास ३.४५१, चित्र ३.४५१ ।
१.३३१ अ । अग्निप्रभ देव १३६ ब । कुमुदवती-२१२६ब ।
कुलम-३.२५९।
Page #74
--------------------------------------------------------------------------
________________
कृतसूर्य
कुलयंत्र
६८
कुलयंत्र-३ ३५१।
कुसुमवती-३.२७५ ब, ३.२७६ अ। कुलविद्या-३ ५४४ अ ।
कुहा-२ १३१ अ, मनुष्यलोक ३.२७५ ब । कुलसुत-२.१३० ब, तीर्थकर २३७७ ।
कूट-२.१३१ अ-ब, मनुष्यलोक ३.२७५ ब । कलाचल-पर्वत-निर्देश ३४४६ ब, ३.४६२ब,३४६३ फट--कुण्डलवर पर्वत-निर्देश ३.४७५ ब. विस्तार ब, गणना ३४४५ अ, विस्तार ३.४८२, ३४८६,
३४८७ अकन ३.४६७ । कूलाचल पर्वत-निर्देश अकन ३ ४४४, ३.४६४ के सामने, वर्ण ३ ४७७ ।
३.४७२ अ, विस्तार ३.४८३, ३.४८५, ३४८६, कुलावधि--३ १६६ अ।
अकन ३ ४४४ । गंगा कुण्ड आदि-निर्देश ३.४५५ अ,
विस्तार ३.४८४, ३४८५, ३.४८६, अंकन २ ४५७ । कलिंग-मूढता ३.३१५ ब, विजय ३५५३ अ ।
गजदन्त पर्वत-निर्देश ३.४७२ ब, विस्तार ३४८३, कुलोत्तुग चोल-२१३० ब।
३.४८५, ३.४८६, अकन ३.४४४, ३.४४७ । जम्बू कुवलयमाला-२.१३० ब, उद्योतन सूरि १.४१४ ब ।
शाल्मली वृक्षस्थल-निर्देश ३.४५८ ब, अकन कुविचार-अशुभोपयोग १ ४३३ ब ।
३.४५६ । पद्मादि ह्रद–निर्देश ३.४७४ अ, विस्तार कुश-२१३० ब, मनुष्यलोक ३ २७५ ब ।
३.४८३, अकन ३ ४५४ । मानुषोत्तर पर्वत-निर्देश कुशद्यदेश- मनुष्यलोक ३ २७५ ब ।
३ ४७५ अ, विस्तार ३.४८६, अकन ३ ४६४ । कुशपुर-२ १३० ब।
रुचकवर पर्वत-निर्देश ३४७६ अ-ब, विस्तार कुशलमूला निर्जरा--१७५ ब, २६२२ ब ।
३.४८७, अकन ३.४६८-४-६६ । विजयार्धकशवर द्वीप सागर-नामनिर्देश ३ ४७० अ, विस्तार
निर्देश ३.४७१ ब, विस्तार ३.४८३, अंकन ३.४४४ । ३.४७८, जल का रस ३ ४७० अ, अधिपति देव सुमेरु पर्वत के वन-निर्देश ३४७३ ब, विस्तार
३. ६१४, ज्योतिषचक्र २३४८ ब, अकन ३ ४४३ । ३ ४८३, अकन ३.४५१ । कशसेन-४१० ब।
कूट मातंगपुर-~२१३१ ब, विद्याधर नगरी ३.५४५ ब । कुशाग्रपुर-मनुष्यलोक ३२७५ अ, मुनिसुव्रतनाथ कूटलेख क्रिया-२.१७४ ब । २ ३७६, बलदेव ४१८ अ।
कूटस्थ अलीक-४.२७३ ब । कशान वश-२.१३० ब, इतिहास १३१० ब, १३१४। कटाचल-मनुष्यलोक ३ २७५ ब । कशास्त्र-विनय ३.५५३ ब, सम्यग्ज्ञान २ २६५ ब । कूर्च-~-चैत्य-चैत्यालय २ ३०२ अ। कुशील-हिंसा ४.५३२ ब ।
कूर्म-इन्द्रिय प्रत्याहार ३.१३४ अ, मुनिसुव्रतनाथ कशीलसगति--२१३१ अ, सगति ४११६ अ-ब ।
२.३७६। कुशील साधु-२१३१ अ, श्रुतकेवली ४५५ ब, सगति कर्मचक्र यंत्र-३.३५१ । ४११६ अ-ब, साधु ४८०८ अ-ब ।
कर्मोन्नत योनि-३.३८७ अ। कुश्रुतज्ञान-प्ररूपणा-वध ३१०५, बधस्थान ३.११३, कूष्माण्डी देवी----नेमिनाथ २३७६ ।
उदय १३८३, उदयस्थान १३६३, उदीरणा कृत-२.१३१ ब। १४११ अ, सत्त्व ४२८३, सत्त्वस्थान ४ ३००, कृतक-२.१३१ ब । ४३०५, त्रिसयोगी भग १.४०७ अ। सत् ४२३३, कृतकृत्य--२.१३१ ब, पुरुषार्थ ३७० ब, मिथ्यादष्टि सख्या ४१०६, क्षेत्र २ २०४, स्पर्शन ४४८८, काल ३ ३०५ ब । २११३, अन्तर ११५, भाव ३२२१ अ, अल्पबहुत्व कृतकत्य छद्मस्थ-२.३०५ ब। १.१५०।
कृतकृत्यवेदक-जन्म २ १३४ ब, दर्शनमोह क्षपण कश्रति-अशुभोपयोग १.४३३ ब।
२.१७६ अ, मरण ३२८३ ब, सम्यग्दर्शन ४३७० कुष्मांड --२१३१ अ, पिशाच जातीय व्यन्तर देव- ब, ४.३७२ अ। निर्देश ३ ५८ ब, आयु १२६४ ब ।
कृतनाश हेत्वाभास--२.१३१ ब । कुष्मांड गणमाता-विद्या ३.५४४ अ।
कृतमाल-२.१३१ ब, विजयाध का देव ३.४७१ ब। कुसंगति-अशुभोपयोग १.४३३ ब,४११८ ब।
कृतमाला -२.१३१ ब, मनुष्यलोक ३.२७५ ब। कुसंसर्ग-संगति ४११८ ब ।
कतवर्मा-विमलनाथ २.३८०। कुसुम--२.१३१ अ।
कृतसूय-सर्वायुध तीर्थकर २३७७ ।
Page #75
--------------------------------------------------------------------------
________________
तांत्य
कृतांतवक्र - २१३१ ब ।
--
कृति २१३२ अ कर्म २२७ अ, गणित २२२३ अ कृतिकर्म - २१३२ अ, २१३३ ब कर्म २२६ अन्य २२७ अ श्रुतज्ञान ४६९ ब ।
कृतिकार्य २.१४० अक्षय २१७६अ। कृतिधारा गणित २२२६ अ
-
कृतिमातृकधारा गणित २२२१ अ
कृतिमूल २१४० अ वर्णित २.२२३ ब । कुत्-२१३१ व ।
कृत्तिका - २.१४० अ, नक्षत्र २ २०३ अ । कृत्स्न - २.१४० अ ।
कृपा
अनुकम्पा १६१ अ ।
कृमिनिर्गमन आहारान्तराय १.२९ व । कृशउरकार १४१५ अ सल्लेखना ४३८२ अ कुशीकरण कायक्लेश २४७ अ ।
2
-
कृषि - कर्मा १.२७५ अ, व्यवसाय २१४० अ । कृष्टि - २१४० अ । कूष्टिकरण- २.१४० अ कालावधि का कालावधि का अल्पबहुत्व ११६१ अ स्पर्धक ४४७३ ब ।
६ह
कृष्टिवेदन २.१४२ अ ।
कष्ट्यन्तर - २१४१ अ ।
कृष्ण - २.१४३ अ, उग्रसेन १३५२ अ, नारायण ४१८ अ, तीर्थंकर निर्मन २३७७, तीर्थकर नेमिनाथ
-
१३३६ व २३११, यदुवंश १.२३७। राष्ट्रकूट वंश १.३१ अ हरिदेव ४५३० अ कृष्णगंगा-२१४३ अ ।
कृष्णगिरि - मनुष्यलोक ३ २७५ ब ।
कृष्णदास – २१४३ व इतिहास १३३४ १.३४७ व । कृष्णपंचमी व्रत २.१४३ व
कृष्णपक्षपण सागर ३.४६० ब ।
--
कृष्णप्रभ - ३४६१ ब ।
कृष्णमती -- २१४३ ब, तीर्थकर २३७७ ।
1
कृष्णराज - २१४३ व राष्ट्रकूट वंश १.३१५ व । कृष्णलेश्या - आयुबंध १२५६ अ लेश्या ३.४२२ व । प्ररूपणा -बन्ध ३१०७, बन्धस्थान ३११३, उदय १. ३८४, उदयस्थान १३९३ व उदीरणा १.४११ अ, सब ४२८४, सत्त्वस्थान ४.३०१, ४.३०६, त्रिसयोगी भंग १.४३६ । सत् ४.२४२, सख्या ४.१०७, क्षेत्र २.२०५ स्पर्शन ४४९०, काल २. ११५, अन्तर ११८, भाव ३.२२१ ब, अल्पबहुत्व १.१५१ ।
केवलज्ञानावरण
कृष्णवर्णा मनुष्यलोक ३२७५ व कृष्णवर्मा -- २.१४३ ब ।
कृष्णा - असुरेन्द्र की अग्रदेवी २२०९ अ । केंद्रवर्ती वृत -- २१४३ ब । केंद्रित चितवृत्ति १४६६ अ
के - उ० अनन्त की सहनानी २.२१६ अ । केकय - २१४३ ब ।
केकी २.१४३ व रघुवंश १३३८ अ केतना - २१४३ व मनुष्यलोक ३२७६ अ । केतु-२१४३ व ग्रह २ २७४ अ, ज्योतिष लोक निर्देश
२.३४८ अ, इन्द्र २३४५ ब, सूर्यग्रहण २३५१ अ । विमान आकार २.३४८, विस्तार २३५१ व २ व वाहक देव २ ३४८ अ, चित्र २३४८ ॥ केतुभद्र - २.१४३ व ।
-
केतुमती - २.१४३ व व्यन्तरेन्द्र वल्लमिका ३.६११ व । केतुमाल - २१४३ व विद्याधर नगरी ३५४५ ब । केतुमाला - विद्याधर नगरी ३५४५ ब । केरल - २१४४ अ मनुष्यलोक ३२७५ व । के० सू० १- केवलज्ञान का प्रथम मूल २.२१६ अ । के० भू० २ - केवलज्ञान का द्वि० मूल २.२१६ अ । केवल २१४४ अ । केवलज्ञान
२.१४४ अ, आत्मानुभव १८३ अन्य उपक्रम १.४१६ व १४४८ कालावधि का अल्पबहुत्व ११६० व गति अमति २.३२२ अ गुणस्थान २.२६१ ज्ञान २२६० ब छद्मस्य २.२५६ व दर्शन २.४१३ व मतिज्ञान २२५ व २६०, मोक्ष ३ ३२६ अ, मोक्षमार्ग ३ ३३६ अ विकल्प ३५३ श्रुतज्ञान ४ ६३ अ, सह्नानी २.२१३ अ । शिद्धो का अल्पबहुत्व ११५४ अ, सुख ४४३२ अ केवलज्ञान (प्ररूपणा ) - बन्ध
३१०६, बन्धस्थान ३ ११३, उदय १३८३, उदयस्थान १.३९३ अ, उदीरणा १४११ अ सत्य ४२८३, सत्त्वस्थान ४. ३००, ४३०५, त्रिसयोगी भग १४०७ अ । सत् ४.२३६, सख्या ४१०६, क्षेत्र २२०४, स्पर्शन ४.४८८, काल २११३, अन्तर १.१५, भाव ३२२१ अ, अल्प १.१५० । केवलज्ञानातिशय- अर्हन्त १.१३७ ब । केवलज्ञानावरण-ज्ञानावरण २२७१ व सर्वघाती अनुभाग १९२ ब । प्ररूपणा - प्रकृति २२७० ब ३. स्थिति ४.४६०, अनुभाग १९४ व प्रदेश ३.१३६ । बन्ध ३.९७ बन्धस्थान ३.१०६, उदय १.३७५, उदयस्थान १.३५७ व १३९६, १३१७,
2
Page #76
--------------------------------------------------------------------------
________________
केवलज्ञानी
४२७८. सत्त्वस्थान
उदीरणा १.४११ अ, सत्त्व ४ २६४, त्रिसयोगी भग १३६६ | सक्रमण ४८४ ब
अल्पबहुत्व १.१६८ ।
"
केवलज्ञानी - दिव्यध्वनि २.४३० ब । केवलदर्शन- कालावधि का अत्यवस् ११६० व दर्शनोपयोग २.४१३ अ, मोक्ष ३३२६ अ । प्ररूपणाबन्ध ३१०६, बधस्थान ३११३, उदय १३=४, उदयस्थान १३९३ अ उदीरणा १४११ अ सत्व ४२८४, सरवस्थान ४३०१४३०६, सियोगी भग १४०७ व सत् ४२४२, सपा ४.१०७, क्षेत्र २२०५, स्पर्शन ४.४६०, काल २११५, अन्तर १-१७, भाव ३.२२१ ब, अल्पबहुत्व ११५१ । केवलदर्शनावरण- २४२० अ रूपमा प्रकृति २४२०. ३८८ स्थिति ४४६०, अनुभाग १६४ व प्रदेश ३.१३६ । बन्ध ३६७, बन्धस्थान ३१०६, उदय १३७५, उदयस्थान १३८७ व उदीरणा १४११ अ सत्व ४२७८, सरवस्थान ४२१४, त्रियोगी भग १३९६ । सङ्क्रमण ४८४ व अत्व ११६८ । केवललब्धि- नव लब्धि ३४१२ अ ।
केवलव्यतिरेकी ४.५४० व ।
केवलान्वयी - ४५४० अ ।
केवलिभुक्ति प्रकरण- इतिहास १३४२ अ केवली – २.१५५ अ, अनुभव (श्रुतज्ञानी) १८३, अर्हन्त ( सयोगी अयोगी) ११३८ अ, अवर्णवाद १२०६ अ इतिहास १३१६, नामकर्म उदयस्थान १३६६३६७, तीर्थकर सघ २३५६, निगोद ३. ५०५ व बन्ध ३ १७६ अ, मोक्ष ३३२८ ब । केवलीसमुद्घात - २१६६ अ, ४३४३, अनुभागबन्ध ४४६९, उदयस्थान (नामकर्म) १३१३ ब, १३१६३६७, क्षेत्रप्ररूपणा २१९७-२०७, प्रदेश निर्जरा का अत्यवहृत्व ११७४, सत्त्व ४३४३, स्थिति बन्ध ४३४३ स्वर्णन प्ररूपणा ४४७७-४९४ ।
केश २.१६१व, ग्रह २.२७४ अ ।
केशरिन - यदुवश १.३३७ । केशलोंच - २१६९ व
---
कायक्लेश २.४७ व क्षुल्लक २.१८ अ, तप २.३६३ ब, परिषह ३ ३४ ब, स्वाध्याय ४.५२६ अ ।
केशव - २१७० ब । केशबचन्द्रनन्दिसघ १३२३ व
- ।
केशवराज इतिहास १.३३२ अ - ।
-
केशववर्णी २.१७० व इतिहास १.३३२ व १.३४५ व । केशवसेन२.१७० व इतिहास १३३४ अ ।
७०
केशवाणिज्य - खरकम ४४२१ व केश-२१७० ब ।
केशवापक्रिया-संस्कार ४१५१ अ ।
केसरिसेन - अजितनाथ २.३५७ ।
केसरी ह्रद - २१७० ब । नील पर्वत का ह्रद-निर्देश ३.४४६ व विस्तार ३४९०-४९१, अकन ३.४४४,
३ ४६४ के सामने, चित्र ३.४५४ । मनुष्यलोक ३२७५ ब ।
कैकय
कैकेयी- दलदेव ११८ व
कैटभ - २१७० व
--
कैप्सियन
केरल - २१४४ अ
कैलाश पर्वत - २.१७० व ऋषभ २३८५ मनुष्यलोक ३.२७५ ब विद्याधर नगरी २.५४५ व ।
कैल्विष -- नीच जातीय देव २४४५ ब
कोकण - २.१७० व ।
को-कोटि २२१८ व
उत्तरकुरु १३५६ अ ।
कोका-२ १७० ब
कोफिल- शतारेन्द्र का यान ४.५११ ब । कोकिल पचमी व्रत- २.१७० व । को० को ०कोहाकोडी २२१६ व कोट- २१७१ अ ।
कोटर - ३.५२८ अ ।
कोटि-संख्या प्रभाण २२१४व सहनानी २२१८ व ५ कोटि या ६ कोटि शुद्ध आहार ११२१ अ । कोटिप्पकोटि सख्या प्रमाण २२१४ ब । कोटिवोर - ४.८० अ । कोटिशिला २.१७१ अ, ४.२० अ । - कोटि सहित ३.१३१व । कोटेश्वर- २.१७१ अ इतिहास १.३३३ अ । कोटा कोडी-सख्या ४१२ अ सहनानी २२१८ व कोटिकल - २.१७१ अ ।
कोण २१७६ अ ।
कोरव्य - २२१० ब । कोलाहल - मनुष्यलोक ३. २७५ ब ।
कोश - २१७१ अ, क्षेत्र प्रमाण २.२१५ अ ।
कोशल- मनुष्यलोक ३.२७५ अ-ब । कोशिनी - बलदेव ४.१८ ब । कोष्ठबुद्धि-- ऋद्धि १.४४८, १.४४९
२२१२ ब ।
कोठा
कोष्ठा - २.१७१ अ धारणा २४६१ अ ।
,
31,
गणधर
Page #77
--------------------------------------------------------------------------
________________
कोसल
कोसल - २१७१ अ ।
कोसियारुव्व - ३५३१ अ ।
कौंडकुण्डपुर - २१२६ अ-ब ।
कौडिन्य ४ ८० अ ।
कौश्कल - २१७५ व क्रियावादी एकान्ती १ ४६५ अ कोकुरुप २१७१ अ
कौमार देव कुमार २१२१ व सैद्धान्तिक १३२५ कौमार सप्तमी का - २.१७१ अ ।
व्रत
।
कौमुदी - नारायण ४ ११ व बलदेव ४ १८ अ
कौरव- २१७१ अ
कौशल देश- मनुष्यलोक ३२७५ अन्य
कौशांबी २.१७१ व नारायण ४.१८ व नमिनाथ
२३७५, पद्मप्रभ २ ३७६ । कौशिक – २१७१ ब, एकान्ती १४६५ अ, क्रियावादी २ १७५ ब, विद्याधर ३ ५४४ अ, विद्याधर नगरी ३ ५४५ ब, विद्याधर वश १३३६ अ । कौशिकी २१७१ व मनुष्यलोक ३ २७५ व विद्या १.३३६ अ । कौस्तुभ - २१७१ नारायण ४ १६ व लवण सागर का पर्वत - निर्देश ३ ४७४ ब, विस्तार ३४७६, वर्ण
-
३ ४७८, अवस्थान ३४६२ अ, अकन ३४६१ । कौस्तुभाभास - २१७१ व लवण सागर का पर्वत
।
७१
निर्देश ३४७४ ब विस्तार ३.४७९, वर्ण ३४७५, अवस्था ३४६२ अ अंकन ३४६१ ।
ऋतु - २१७१ब, पूजा ३ ७४ अ ।
P
क्रम २१७१ व अनेकान्त ११०५ व निर्वाण ३३९६ व मुक्ति २४८४ अ, योगवर्मणा ३३८३ व
क्रमकरण - २१७३ अ, अपकर्षक १११६ अ, उपशम १४४० ब ४४१ अ, क्षय २१८० अ । क्रमण २१७३अ मानुषोत्तर के कूट का देव ३४७५ अ, अकन ३४६४ ।
श्रमप्रवृतगुण २.२४२ व द्रव्य २.४५४ अ । फमबद्ध नियति २६१३ अ ।
क्रमभाव अविनाभाव १२०२ व ।
क्रमभावी - द्रव्य पर्याय ) २.४५४ अ, पर्याय ३.४५ ब
1
३.४७ अ ।
क्रमभू - गुण २२४२ व ।
क्रमतित्व- २.१७२ अ ।
वर्ती २१७२ध्ये (पर्याय) २.५०० अ विकल्प
-
३५३८ व ।
क्रमानेकान्त २१७२ ब |
-
क्रियमाण २२२६ अ ।
कियांतर निवृत्ति मोक्षमार्ग २.३३६ च । क्रियाकर्ता कर्म २१७ अ काल २.०३ अ क्रिया
२१७३ १७४ ज्ञान २२६८ अ पर्याय ३.४७ अ, पुरुषार्थ २६१९ अ शुक्लध्यान ४३५ अ धावक ४५१, ४५२, सावद्य ४४२१, हिसा ४.५३२ अ । क्रियाऋद्धि – २:१७५ अ, ऋद्धि १४४७, १.४५१ वै । क्रियाकर्म कर्म २२६ अन्य कृतिकर्म २.१३३ व
क्षेत्र प्ररूपणा २.२०८, नित्यनैमित्तिक ( सामायिक ) ४४१५ ब, भाव ३२२३, संख्या ४.११६, सत् ४२६६ अ ।
क्रियाकलाप - २१०५ अ आशाधर १.२५० व इतिहास १ ३४४ अ, टीका १ ३४३ अ ।
किपाको २१७५ अ इतिहास १.३४८ अ क्रियाधिकरणी हिंसा ४५३२ अ
क्रियानय - २५२३ व ज्ञाननय २२६६ ब विज्ञानवाद ३५४० अ ।
क्रियानिमित्तक उत्पाद १३६२ नाम २५६२ ब क्रियानिरोध पारित २.२६३ व मोक्षमार्ग ३.३३६ ब । त्रिप्रान्तर निवृत्ति - मोक्षमार्ग ३.३३६ ब । फियामंत्र - १२४६ ब ।
क्रियावती शक्ति-२ १७३ ब । त्रिवादाची - २५६२ व
फियाबाद २१७५ अ
।
क्रियावान- -काल २.८६ अ, द्रव्य २४५६ अ । किनविशाल- २.१७५ व ज्ञान ४६६ अ । क्रियाशक्ति - २१७३ व । क्रियाहीन ज्ञान - २.३३३ व । क्रीडापर्वत २१७५ ब ।
क्रीडाशाला - ज्योतिष देवो के प्रासादो मे २.३५१ ।
क्रीतदोष - २१७५ ब, आहार
१ ४१३ अ ।
शूर-यदुवच १३३७ ।
1
- २१७५ ब, कषाय २३५ ब, २३६ अ, क्षमा २. १७७ अ, जीव २३७ अ, दोष ३५२९ ब द्वेष २.३९ अ शक्ति २३८ अ हिंसा ४.५३३ ब । प्ररूपणा - बध ३ १०५, बन्धस्थान ३.११३, उदय १.३८२, उदयस्थान १.३६३ अ, उदीरणा १.४११ अ, सरर ४२०३ सरवस्थान ४३००, २०५, जिसयोगी भग १४०७ अ । सत् ४२२८, सच्या ४१०५, ४११७, क्षेत्र २२०४, स्पर्शन ४४८८, काल २.११२. कालावधि का अल्पबहुत्व ११६०-१६१ अ.
क्रोध
क्रोध
-
१२६० व, उद्दिष्ट
Page #78
--------------------------------------------------------------------------
________________
क्रोधकांडक
अन्तर ११५, भाव ३२२१ अ १२२३, अल्पबहुत्व
४.१५३, भागाभाग ४.११७ ।
शोधकांडक २.४२ अ ।
३.३४४,
क्रोधक प्रकृति - प्ररूपणा - प्रकृति ३.८८, स्थिति ४.४६१, अनुभाग १.६४ ब प्रदेश ३.१३६ । बन्ध ३ ६७, बन्धस्थान ३.१०६, उदय १३७५, उदयस्थान १.३८१ उदीरणा १.४११ अ उदीरणा स्वान १४१२, सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्यान ४.२२५, त्रियोगी भग १४०१ व संक्रमण ४.८५ अ अल्पबहुत्व १.१६८ ।
क्रोधशक्ति -- कषाय २.३८ अ ।
क्रोधाग्नि- १.३५ ब ।
क्रोधी- आहार दोष १.२११ अ
--
---
-
सन्निपातिक भाव
४.३१२ ब ।
फॉंच - २.१७६ अ ब्रह्मोत्तर यान ४.५११ व
क्रौंचवर द्वीप सागर नामनिर्देश ३४७० अ विस्तार ३४७८, जल का रस ३.४७० अ, अधिपति देव ३.६१४, ज्योतिषचक्र २३४८ व अंकन ३४४३ । क्लिश्यमान -- २१७६ अ ।
क्लेश २.१७६अ, २.४७० अ ।
क्वाथतोय २१७६ अ मनुष्यलोक ३.२७५ अ । क्षण - प्रतिबुद्धता ३. ११९ ब ।
क्षणभंगसिद्धि अट ११३४ व ।
क्षणमेव या अभेद उत्पादादि १.३६० ॥ क्षणयोगनिद्रा-२६१० अ ।
क्षणलवप्रतिबुद्धता ३११९ ब । क्षणिक - उपादान १ ४४३ ब । क्षणिकत्व उत्पादादि १.३५८ व
क्षतौजा मगधदेश १.३१२ ।
क्षत्रवती - २१७६अ, मनुष्यलोक (नदी) ३ २७५ व क्षत्रिय- २१७६अ, जयदेव तीर्थंकर २.३७७, बुधर
१३१६ इतिहास १३२८ अ
क्षत्रिय वंश - ३५२३ ब
क्षत्रिय वर्ण - ३५२३ ब, ३५२४ अ ।
अपक - २.१७६ अ, अपवाद मार्ग ११२१ व अपूर्वकरण १. १२५ अ, अवपीडक १.२०० अ, आचार्य (सल्लेखना) ४.३९१ अ आराधना १.२७१ व सल्लेखना ४.३२३
व, ४३८८ अ-३९१ अ-३६२ अ-ब । अपकश्रेणी - ४७२, ४७३ अ आबाधा १२५० अ
उपशम ४.६२ ब, करण दशक २.६ अ, कषाय २४० व काय २४५ व
३.१७९
समुद्घात
,
४ ३४३ अ । 1
७२
क्षायिक सम्यक्त्व
क्षश्रेणी (प्ररूपणा ) --बन्ध ३६७, बन्धक ३.१७६ अ,
बन्धस्थान ३ ११०-१११, उदय १.३७५, उदवस्थान १.३१२ अ उदीरणा १४११ अ सत्व ४.२७८२७६, सत्त्वस्थान ४.६५६, ४३०४, त्रिसंयोगीभग १४०६ अ सत् ४.१६३, सख्या ४.९४ ब क्षेत्र २.१९७, स्पर्शन ४४७७, काल २.१००, कालावधिका अल्पबहुत्व १.१६१, अन्तर १.७, भाव ३२२२ व अल्पबहुत्व १-१४३ । क्षपण-२.१७६ व चारित्रमोह (अन्तरकरण ) १.२६ ब । क्षपण काल-अल्पबहुत्व १.१६१ अ ।
-
क्षपणसार २१७६ व इतिहास १.३४२ ब टीका १.३४८ ब, १३४८ अ ।
क्षपणा -- ४३६० व ४.३६२ अ । अपित कर्माशिक २.१७६ ब ।
-
क्षमण - ४.३६० ब । क्षमणा -- ४३६० ब । क्षमा - २.१७७ अ, क्षमणा १४३४ व सयम ४.१३१ ब । क्षमा-धर्म-२.१७७ अ । क्षमावणी व्रत-२ १७८ अ
क्षमा-श्रमण - २.१७८ अ देवधि १.३२९ अ ।
3
क्षय- २.१७८ अ, विसंयोजना ३.५७१ ब । क्षयदेश- २.१७८ अ ।
क्षयोपशम - २१५१ ब, करण चिह्न ( अवधिज्ञान
१.१६२ अन्य त्रिकरण २.१०५ अ भवत्यय अवधिज्ञान १.१६३ अ, लब्धि ३.४१२ अ, सम्यक्त्व २.१८५ अ, ४३७० ब । शांति-२१८६ अ ।
४.३९१ अ शुभोपयोग
क्षायिक चारित्र - २२८५ ब । क्षायिक दान - २४२३ अ । क्षायिक भाव - अपूर्वकरण, - अपूर्वकरण
११२१४, औदयिकत्व १४०८ ब केवली २.१५८ अ, क्षय २१८१ अ, सन्निपातिक भाव ४३१२ व ।
क्षायिक भोग व उपभोग - ३२३७ ब । क्षायिक लब्धि - ३४११ ब ।
क्षायिक लाभ - ३.४११ अ । क्षायिक वीर्य - ३५७७ अ ।
सायिक सम्मवस्य - ४.३६६ व ४३७२ अ अढाई द्वीप २३६१ व अनानुवन्धी विसंयोजना १४३६ व तियं २३६८ भवनत्रिक देव २.४४९ अ ब, प्ररूपणा --बन्ध ३१०७, बन्धस्यान ३११३, उदय १३८१, उदयस्थान १३६३ ब, उदीरणा १४११ अ,
।
Page #79
--------------------------------------------------------------------------
________________
७३
सायिक सम्यग्दृष्टि
क्षेत्रऋद्धि संक्रमण ४.८७ अ, सत्त्व ४ ३७८, २८४, सत्त्वस्थान क्षीरकदंब-२१८७ ब । ४२८६, ३०१,३०६ त्रिसंयोगी भंग १.४०८ अ। क्षीरफल-उदम्बर १३६३ ब । सत् ४२५५, सख्या ४.१०८, क्षेत्र २.२०६, सर्शन क्षीररस-२१८७ ब, ग्रह २.२७४ अ । ४४६२, काल २.११८, अन्तर १२०, भाव ३.२२१ क्षीरवर द्वीप सागर-२.१८७ ब, नामनिर्देश ३.४७० अ, ब, असबहुत्व १.१५२ ।
विस्तार ३.४७८, जल का रस ३४७० अ, अधिपति क्षायिक सम्यादृष्टि-अप्रशस्त वेद ३.५८८ अ, उपशान्त
देव ३.६१४, ज्योतिषचक्र २.३४८ ब, अंकन कषाय ४३१२ ब, क्षीण कषाय ४.३१२ ब, दमोह क्षपणा २१७९ब, संक्रमण ४८७ अ, सयतासंयत
क्षीरस्रावी ऋद्धि-ऋद्धि १.४४७, १४५६ ब । २.३६८ब।
क्षीरोदधि-नामनिर्देश ३ ४७० अ, विस्तार ३४७८, क्षायोपशमिक भाव -अज्ञान १३७ अ, अज्ञानी २२६६
जल का रस ३ ४७० अ, अधिपति देव ३६१४, ब, गुणस्थान ३२०९ अ, चारित्र २२८५ ब,
ज्योतिषचक्र २३४८ ब, अक ३ ४४३ । वैदिकाभिमत पौगलिकत्व ३३१८ ब, योग ३.३७७ ब, सयम
३.४३१ ब। ४१३१ व, सयमासयम ४ १३५ अ, सन्निपातिक
क्षीरोदा-२.१८७ ब, विभगा नदी-निर्देश ३.४६० अ, भाव ४३१२ ब। क्षायोपशमिक सम्यक्त्व--४.३६६ ब, ४३७० ब,
नाम ३.४७४ ब, विस्तार ३४८६, अकन ३.४४४, २१८४ ब। प्ररूपणा-बन्ध ३१०७, बन्धस्थान
३४६४ के सामने । ३११३, उदय १.३८५, उदयस्थान १.३६३. क्षुद्रध्वजा-चैत्य-चैत्यालय २.३०३ अ। उदीरणा १४११ अ, सत्त्व ४.२८४, सत्त्वस्थान क्षुद्रभव-२ १८७ ब, आयु १.२६४, कालावधि का अल्प४.३०१, ४३०६, त्रिसयोगी भग १.४०८ अ। सत् बहुत्व ११६१ अ। ४.२५७, सख्या ४.१०६, क्षेत्र २.२०६, स्पर्शन क्षुब्रहिमवान्-पद्म आदि द्रहो का कूट-निर्देश ३ ४७४ ४.४६२, काल २.११८, अन्तर १.२०, भाव ३ २२१ अ, विस्तार ३४८३, अकन ३४५४ । ब, अल्पबहुत्व १.१५२ ।
क्षुधा-२.१८७ ब, परिषह ३ ३३ ब, ३.३४ अ । क्षारराशि-२.१८६ ब, ग्रह २.२७४ अ ।
क्षुल्लक-२१८८ अ, स्पर्श्य शूद्र ३ ५२५ ब । क्षितिशयन-२.१८६ ब, निद्रा २.६०६ ब ।
क्षुल्लक दीक्षा-स्पृश्य शूद्र ३ ५२५ ब । क्षितिसार-४.१५ अ।
क्षुल्लक भव-३.२०७ ब । क्षिप्रमतिज्ञान-मतिज्ञान ३.२५६ अ।
क्षेत्र--२.१६० अ, अनुयोगद्वार ११०२ अ, अन्तर क्षिप्रमतिज्ञानावरण-१४४६८।
१३ ब, अवधिज्ञान ११८८ ब, १.१६६ अ, आगमार्थ क्षीणकषाय-२१८६ ब, आरोहण २.२४७ अ, करण १२३४ अ, उपक्रम १४१६ व, कर्मोदय १३६७ अ,
दशक २.६ अ, परिषह ३.३४ अ, बन्धक ३.१७६ अ, कायोत्सर्ग ३ ६२० ब, गणना ४६२ ब, निमित्त वीतराग २१८६ ब, वीतराम छद्मस्थ २.१८६ ब, २६४ अ, प्रमाण २२°५ अ, ३ १४५ अ, प्ररूपणा
सन्निपातिक भाव ४ ३१२ ब, समुद्धात ४.३४३ अ । २१६७, बध ३८६ ब, मुक्ति ३ ३२६ ब, वसतिका क्षीणमोह-करण दशक २.६ अ, कषाय २.४० ब, काय
३ ५२७ अ, सप्तमगी ४३२० अ, स्व-चतुष्टय २४५ ब, परिषह ३ ३४ अ, बन्धक २ १७६ अ, २२७७ ब ।
सन्निपातिक भाव ४३१२ ब, समुद्घात४ ३४३ अ। क्षेत्र (भौगोलिक)-चातुर्दीपिक भूगोल ३४३७ अ. क्षीणमोह (प्ररूपणा)--बन्ध ३६८, बन्धस्थान ३ ११०- बौद्धाभिमत भूगोल ३ ४३४ अ, वैदिकाभिमत
१११, बन्धक ३ १७६ अ, उदय १३७५, उदय-, ३ ४३१ ब। जैनाभिमत-निर्देश ३४४६ अ, स्थान १.३६२ अ, उदीरणा १.४११ अ, सत्त्व विस्तार ३४७६-४८०-४८१. अंकन ३४४४, ४.२७६, सत्त्वस्थान ४२८९, २६६, ३०४, विसयोगी ४६४ के सामने । जैनाभिमत विदेह के ३२ क्षत्रभंग १४०६ अ। प्रदेश निर्जरा का अलबहुत्व ११७४ ।
निर्देश ३.४६० अ, नाम २ ४७० ब, विस्तार ३.४७६. सत् ४१६४, सख्या ४.६४, क्षेत्र २ १६७, स्पर्शन ४८०, अंकन ३ ४४४, ३ ४६४ के सामने, चित्र ४.४७७, काल २१००, कालावधि का अल्पबहुत्व
३.४५० अ। १.१६१ अ, अन्तर १.७, भाव ३.२२२ब, अल्प- क्षेत्र-भरतादि क्षेत्रो की चूलिका, गणित २२३३ अ। बहुत्व १.१४३ ।
क्षेत्रऋद्धि--ऋद्धि १.४४७. १.४५६ ब ।
Page #80
--------------------------------------------------------------------------
________________
क्षेत्रज्ञ
खंडित
क्षेत्रज्ञ-२२०६ अ, जीव २१६१ ब, २.३३३ अ-ब। क्षेम-२२०६ अ, ग्रह २.२७४ अ। क्षेत्रधर्म-मगध देश १.३१२।
क्षेमकोति-२.२०६ अ, काष्ठा सघ १.३२७ अ, १.३३१ क्षेत्रनिवधन -२६१० ब ।
अ, १.३३३ ब। क्षेत्रपरिवर्तन-४१४७ ब ।
क्षेमचंद्र-२.२०६ब, इतिहास १३३३ ब। क्षेत्रपाल-~-मूढता ३.३१५ ब ।
क्षेमचरी--विद्याधर नगरी ३ ५४५ अ । क्षेत्रप्रत्याख्यान-३१३२ अ ।
क्षेमपुर-२.२०६ ब, विद्याधर नगरी ३.५४५ अ । क्षेत्रप्रदेश-२२०६अ।
क्षेमपुरी-२२०६ब, विदेह नगरी-निर्देश ३.४६० अ, क्षेत्रप्रमाण-२२०६ अ, २.२१५ अ, ३.१४५ अ, क्षेत्र नामनिर्देश ३.४७० ब, विस्तार ३.४७६-४८०-४८१, ___ की अपेक्षा गणना ४६२ ब ।
अकन ३.४४४, ३४६४ के सामने,चित्र ३.४६० अ । क्षेत्रप्रयोग-२२०६अ।
तीर्थकर अरनाथ २.३७८ । क्षेत्रप्ररूपणा-२१६७, सर्शन ४.४७४ ब ।
क्षेमा-२२०६ब, बलदेव ४१६ ब, विदेह नगरी
निर्देश ३४६० अ, नामनिर्देश ३४७० ब, विस्तार क्षेत्रफल-२.२०६ अ। गणित -सामान्य विधि २२३२
३.४७६-४८१, अकन ३.४४४,४६४ के सामने, चित्र ब, चतुरन २२३२ ब, धनुषाकार २२३३ अ,
३.४६० अ। बेलनाकार २.२३४ अ, मृदगाकार २.२३४ अ,
क्षेमेंद्रीति-नन्दिसंघ १.३२३ ब । वलयाकार २ २३३ ब, वृत्ताकार २.२३२ ब, शखाकार २२३४ अ।
क्षोभ-२.२०६ ब, अनुभव १.८५ ब । क्षेत्रभवामनुगामी-अवधिज्ञान १.१८८ ब ।
क्षौद्रवरद्वीप सागर--नामनिर्देश ३.४७० अ, विस्तार क्षेत्रभवानुगामी-अवधिज्ञान १.१८८ ब ।
३४७८, जल का रस ३ ४७० अ, अधिपति देव
३.६१४, ज्योतिषचक्र २.३४८ ब, अकन ३.४४३ । क्षेत्रमगल-३ २४१ अ । क्षेत्रमिति–२ २०६अ।
श्वेलौषधऋद्धि-ऋद्धि १.४४७, १.४५५ अ । क्षेत्रयुति -३ ७३ ब। क्षेत्रलोक-२.१६२ अ। क्षेत्रवर्गणा-३५१२ ब । क्षेत्रवान-२२०६ अ, द्रव्य २.४५६ ब । क्षेत्रशुद्धि-ज्ञान १२२८ अ, शुद्धि ४३६ ब, स्वाध्याय
४.५२६ अ। क्षेत्रसयोग पद -३५ अ।
खड-२.२०६ ब, अधःप्रवृत्तिकरण २८ अ, २.१० अ, क्षेत्रससार-४.१४७ अ ।
भेद ३२३७ अ। क्षेत्रसमास ६०--इतिहास १३४१ अ।
खंडकल्पना-अभिभागी प्रतिच्छेद २२४१ अ. आकाश क्षेत्र सामायिक-४.४१६ अ।
१२२१ अ। क्षेत्रस्तव-३२०० ब ।
खंडदेव --मीमासदार्शन ३.६११ अ । क्षेत्रस्पर्शन-४.४७६अ।
खंडनखंडखाद्य-वेदान्त ३५६५ ब । क्षेत्रादिग्रंथ-२२७३ अ।
खडप्रपात-२२०९ व, चक्रवर्ती ४.१५ ब, विजया क्षेत्रानुगम-११०२ ब, २.१६१ अ।
पर्वत की गुफा-निर्देश ३.४४८ अ, ३.४५५ अ-ब, क्षेत्रार्य-आर्य १.२७५ अ ।
३४६२ ब. विस्तार ३.४८२, अकन ३.४४४, विदेहस्थ
विजयाओं की गुफा मे---निर्देश ३ ४६० अ, विस्तार क्षेत्रोपसयत--४.३३७ अ।
३४८२, अकन ३४६० अ। विजयाध पर्वतों के क्षेप-~-२२०६अ।
कूट-निर्देश ३४७१ ब, विस्तार ३.४८३, वर्ण क्षेपंकर -१२०६ अ, कुलकर ४ २३, ग्रह २२७४ अ, ३४७७, अंकन ३४४४, ३४४८ ।
लौकान्तिक देव ३४६३ ब, विद्याधर नगरी खंडशलाका-२२०९ ब । ३५४५ अ।
खडिका--२२०६ ब, विद्याधर नगरी ३ ५४५ ब । क्षेमधर - २.२०६ अ, कुलकर ४.२३, इतिहास १ ३३१ अ। खंडित-२२०६ ब, गणित २.२२३ अ।
Page #81
--------------------------------------------------------------------------
________________
खंडोत्कीर्ण काल
गंगा
खंडोत्कीर्ण काल-अन्तरकरण १२६ ब । ख-२२०६ब, अनन्त की सहनानी २.२२१ अ। १६ ख-पुद्गल राशि २.२१६अ। १६ ख ख-कालसमपराशि २.२१६ अ । १६ ख ख ख-आकाशप्रदेशराशि २२१६ अ। खगपुर-बलदेव ४.१७ अ, ४१८ अ। खचर-२.२०६ ब, विद्याधर ३.५४४ ब, ३.४४८ अ खटोलना गीत-इतिहास १३४७ ब । खड-२.२०६ ब । नरक पटल-निदंश २.५८० अ,
विस्तार २.५८० अ, अकन ३४४१ । नारकी
अवगाहना १.१७८, आयु १.२६३ ।। खडखड-२.२०६ ब । नरक पटल-निर्देश २.५८० अ,
विस्तार २.५८० अ, अंकन ३.४४१ । नारकी
अवगाहना १.१७८, आयु १२६३ । खडा-२.२०६ ब। नरक पटल-निर्देश २.५७६ ब,
विस्तार २.५७६ ब, अकन ३.४४१ । नारकी
अवगाहना ११७८, आयु १.२६३ ।। खडिका-२२०६ ब । नरक पटल-निर्देश २.५७६ ब,
विस्तार २.५७९ ब, अंकन ३४४१ । नारकी
अवगाहना १.१७८, आयु १.२६३ । खड्ग-२.२०६ ब, चक्रवर्ती ४१३ अ, मनुष्यलोक
३२७५ अ, विदेह नगरी-निर्देश ३४६० अ, नाम निर्देश ३४७० ब, विस्तार ३४७६-४८१, अकन
३.४४४, ३ ४६४ के सामने, चित्र ३.४६० अ। खड्गपुरी-२२०९ ब, विदेहनगरी-निर्देश ३.४६० अ,
नामनिर्देश ३ ४७० ब, विस्तार ३.४७६-४८१,
अकन ३ ४४४, ३.४६० अ, ३४६४ के सामने । खड्गसेन-२२०६ब, इतिहास १.३३४ अ। खड़गा-२.२०१ब, विदेह नगरी-निर्देश ३.४६० अ,
नामनिर्देश ३ ४७० ब, विस्तार ३.४७६-४८१,
अकन ३४४४, ४६४ के सामने, चित्र ३.४६० अ। खदिरसार-२२०६ ब । खरकर्म-२२०६ब, सावद्य ४.४२१ ब । खरतरगच्छ---श्वेताम्बर गच्छ ४.७७ ब । खरदूषण-२.२१० अ। खरभाग-२.२१० अ, भावन लोक-निर्देश ३३८६ब,
१६ पटल ३.३८६ ब, विस्तार ३.३८६ ब, अंकन ३.२१० अ, ३३८६, ३.४३६, ३४४१, चित्र ३२१० अ । भावन लोक ३.२०६ ब, भवनो की
सख्या ३.२१०, तेज-अप्कायिक जीव २४५ ब। खर्वट-चक्रवर्ती ४१३ ब । खलीनित -२.२१० अ, व्यत्सर्ग दोष३६२१८।
खांड-शुभ अनुभाग १६०ब। खांसना-कायक्लेश २४७ ब । खातिका-२२१० अ, समवसरण ४३३० ब । खाद्य-२२१० अ, आहार १२८५ अ । खारवेल-२२१० अ। खारी-२२१० अ, तौल का प्रमाण २२१५ अ । खजली-कायक्लेश २४७ ब । खुरपा-माया कषाय २३८ अ। खशालचंद-२ २१० अ, इतिहास १३३४ अ। खेचर जीव-अवगाहना ११७६, आयु १२६३,
इन्द्रिय १३०६ ब, जीवसमास २३४३, नभचर
२३६७। खेचरानंद-वानरवश १३३८ ब । खेट-२२१० अ, चक्रवर्ती ४१३ ब । खेटक-बलदेव ४१७ ब। खेद-२२१० अ। खेलमल्लक-श्वेताम्बर ४८० अ। खोह-वसतिका ३ ५२८ अ । ख्यातिपूजा लाभ-अनाकाक्ष अनशन १६५-६६, उपदेश
१४२४ ब, तप २३५८ ब,२३६० अ, धर्म २४७६ अ, ध्याता २४६३ अ, राग ३ ३६६ ब, ३ ३६७, वाद ३५३३ अ, विनय ३.५५२ ब, विवेक ३५६६ अ, सल्लेखना ४३८३ अ, साधु ४४०५ अ, स्वाध्याय ४.५२३।
गंग-इतिहास-मूलसघ १३१६ । गगकीति-नन्दिसघ १३२३ ब । गगदेव-२.२१० अ, इतिहास १.३२८ अ, कुरुवंश
१३३५ ब, १३३६ अ, नारायण ४.१८ अ, मूल
संघ १३१६ । गंगराज-२२१० ।। गंगा--२२१० अ, चक्रवर्ती ४१५ ब, तीर्थंकर २३६२।
नदी-निर्देश ३४५५ अ, विदेहस्थ नदी-निर्देश ३.४६० अ,निस्तार ३.४५६,जल का रंग ३.४७८
Page #82
--------------------------------------------------------------------------
________________
Aur
गंधा --
गगाकुड
अकन ३ ४४४, ३.४६४ के सामने, चित्र ३४४७ । तथा देवी, ३४७२ ब । बौद्धाभिमत ३४३४ अ, मनुष्यलोक ३२७५ ब, गधमाली-२२११ अ। स्नान ४४२ ब, ४४७१ ब।
गंधयंत्र ३ ३५२ । गंगाकंड-२२१०, निर्देश ३ ४५५ अ, विस्तार ३४८३, गधर्व - २२११ अ, कुन्थुनाथ का यक्ष २३७६, गुफा
४६०, अकन ३४४४,४४७, इसकी देवी ३४७२ अ । २२११ अ, विद्याधर ३५४४ अ, सुमेरु के वन मे गंगाकूट-२२१० अ, नदी कुण्ड में स्थित-निर्देश देव भवन-निर्देश ३ ४५० अ, अकन ३४५१ । शक
३ ४५५ अ, विस्तार ३४८४, वर्ण ३ ४७७, अकन वश १३१४। ३४४७ । हिमवान पर्वत पर-निर्देश ३४७२ अ, गंधर्वदेव-व्यन्तर देव-निर्देश ३६१० ब, अवगाहना विस्तार ३४८३, अकन ३ ४४४ ।
१.१८०, अवधिज्ञान ११६८ ब, आयु १.२६४ ब ।। गंगातट-नारायण ४.२० अ ।
इन्द्र की शक्ति आदि ३६१०-६११, वर्ण व चैत्यवृक्ष । गंगादास-इतिहास १३३४ अ।
३६११ अ, अवस्थान ३ ६१२-६१४, ३४७१। गगादेवी-२२१० अ।
गंधर्वदेव (प्ररूपणा)-बध ३ १०२, बधस्थान ३११३, : गगास्नान-४४२ ब, ४४७१ ब।
उदय १.३७८, उदयस्थान १३६२ ब, उदीरणा । गंडरादित्य-३ २१० ब।
१४११ अ, सत्त्व ४२८२, सत्त्वस्थान ४२६८, : गडविमुक्त देव -२२१० ब, नन्दिसघ, देशीयगण १३२५,
३०५, विसयोगी भग १.४०६ ब। सत् ४.१८८, इतिहास १३३१ ब, १३३२ अ ।
सख्या ४ ६७, क्षेत्र २ १६६, स्पर्शन ४.४८१, काल । गध-१२१० ब, आहारान्तराय १२८ ब, ईर्यापथ कर्म
२.१०४, अन्तर ११०, भाव ३.२२० अ, अल्पवहुत्व । १३४६ ब, गुण २२१० ब, निक्षेप २६०२ ब,
१.१४५। पूजा ३७८ ब, व्यन्तर देव २२११ अ ।
गंधर्वनगर-अभिनन्दन नाथ २ ३८२, विद्याधर नगरी । गंधअष्टमी व्रत-२२११ अ।
३५४५ ब। गंधकुटी-२२११ अ, समवसरण ४३३१ ब,४३३४ ब।
गंधर्वपुर-२२११ अ, विद्याधर नगरी ३ ५४५ ब,
गंधर्व विवाह -३ ५६५ ब । गंधकूट -२ २११ अ, शिखरी पर्वत-निर्देश ३ ४७२ ब, '
गंधर्वसेन--२२११ अ, शक वश १३१४। विस्तार ३४८३, अकन ३ ४४४ ।।
गंधवती-नाभिगिरि-निर्देश ३.४५२ ब, नाम निर्देश - गंधदेव-नन्दीश्वर द्वीप तथा क्षौद्रवर का रक्षक देव ।
३ ४७१ अ, विस्तार ३.४८३, ३४८५-४८६, वर्ण । ३६१४, आयु १२६४ ब ।
३४७७, अकन ३४४४, ३.४६४ के सामने, चित्र गंधमादन-२२११ अ, यदुवश १३३७, विद्याधर नगरी
३४५२ अ। ३५४६ अ।
गंधवती (कट)-शिखरी पर्वत का निर्देश ३४७२ ब, गंधमादन (कट)--गजदन्त-निर्देश ३ ४७३ अ, विस्तार
विस्तार ३४८३, अकन ३ ४४४ । ३४८३, अकन ३ ४४४, ३४५७ ।
गधवान-२२११ ब, नभिगिरि-निर्देश ३ ४५२ ब, गंधमादन(पर्वत)---२.२११ अ। गजदन्त-निर्देश ३.४५६
नामनिर्देश ३.४७१ अ, विस्तार ३.४८३, ३ ४८५ब, नाम निर्देश ३ ४७१ व, विस्तार ३ ४८२,३ ४८५
४८६, वर्ण ३ ४७७, अकन ३ ४४४, ४६४ के सामने, ४८६, वर्ण ३ ४७७, अकन ३ ४४४, ४५७, ४६४ के
चित्र ३४५२ ब। सामने । चित्र ३४५२ ब, इसके कुट व देव ३,४७२ । प्रयास- गजदन्त का कट-निर्देश ३.४७३ अ, विस्तार नाभिगिरि-निर्देश ३४५२ ब, विस्तार ३४८३,
३४८३, अकन ३४४४, ३४५७ । ४८५-४८६, वर्ण ३४७७, नामनिर्देश ३ ४७१ अ,
अंकन ३ ४४, ३४६४ के समाने, चित्र ३४५२ ब। गंधहस्ती महाभाष्य-२.२११ ब, इतिहास १.३४० ब। गंधमालिनी-२२११ अ । गजदन्त कूट-निर्देश ३ ४७३ गंधा-२.२११ ब । विदेहस्थ देश-निर्देश ३.४६० अ, अ, विस्तार ३४८३, अकन ३ ४४४, ३४५७ । विदेह
नामनिर्देश ३.४७०, विस्तार ३.४७६-४८०, ४८१, क्षेत्र-निर्देश ३ ४६०, नामनिर्देश ३ ४७० ब, अंकन ३४४४, चित्र ३.४६० अ। वक्षारगिरि का विस्तार ३४७६-४८०-४८१, अंकन ३४४४, कुट तथा देवी-निर्देश ३ ४७२ ब, विस्तार ३४८२, ४६४ के समाने, चित्र ३४६० अ। वक्षार का कूट ३.४८५-४८६, अकन ३.४४४ ।
Khadka
Page #83
--------------------------------------------------------------------------
________________
७७
गति नामकर्म प्रकृति
गधारी
गधारी-कुरुवश १.३३६ अ।
गण-२.२१२ अ, सघ ४ १२४ अ। गंधिला-२२११ ब । विदेहस्थ देश-निर्देश ३ ४६० अ, गणग्रहणक्रिया-संस्कार ४१५२ ब ।
नामनिर्देश ३४७० ब, विस्तार ३४८६, ३४८०, गणधर-२२१२ अ, अग्निकुण्ड १३५ ब, इन्द्रभूति ३.४८१, अकन ३४४४, चित्र ३४६० अ। वक्षार- १.२६६ ब, तीर्थकर सघ २३८६, मोक्ष ३ ३२८ ब। गिरि का कूट तथा देवी-निर्देश ३ ४७२ ब, विस्तार गणधरकीति-इतिहास १३३१ ब । ३४८२, ३ ४८५, अकन ३.४४४ ।
गणधरवलययंत्र-३३५२ । गंधोदक वृष्टि-अर्हन्तातिशय ११३७ ब ।
गणना-२२१३ अ, प्रमाण ३.१४४ ब-१४५ अ । गंभीर-२२११ ब, चंत्य-चैत्यालय ३२६३ अ, यदुवंश ।
गणनानत-२.२१३ अ, अनन्त १५५ ब । १३३७ ।
गणना प्रमाण-३ १४४ ब-१४५ अ,२२१४ ब । गंभीर मालिनी-२२११ व, विभगा नदी-निर्देश
गणना संख्यात-असख्यात १२०६ अ । ३.४६० अ, नामनिर्देश ३ ४७४ ब, विस्तार ३.४८६
गणपोषण काल-२८० ब। ४६०, अकन ३ ४४४, ३४६४ के सामने ।
गणिका-व्यन्तरेन्द्र-निर्देश ३६११ ब, भवन-विस्तार गंभीरा-२२११ ब, मनुष्यलोक ३ २७५ ब।
३६१५ । स्वर्गेन्द्र-निर्देश ४ ५१४ अ । गंभीरावर्त-चक्रवर्ती ४१५ ब ।
गणित--२२१३ अ । गगनखंड-ज्योतिषचक्र २३५० ।
गणितज्ञ..२ २३४ अ। गगनचरी-२२११ न, विद्याधर नगरी ३५४५ अ ।
गणितशास्त्र-२.२३४ अ । गगननंदन-२.२११ ब, विद्याधर नगरी ३.५४५ ब।
गणितसारसग्रह-२.२३४ अ, इतिहास १३२६ ब, गगनमंडल-२२११ ब, विद्यार नगरी ३ ५४५ ब ।
१३३० अ, १ ३४२ अ। गगनवल्लभ-२२११ ब, विद्याधर नगरी ३ ५४५ ब।
गणी-२ २३४ अ. गगनानंद-वानरवश १३३८ ब ।
गणोपग्रहण क्रिया-सस्कार ४१५१ ब । गच्छ-२ २११ ब, गणित २२२६ ब, २ २३० अ, जैना
गतभ्रम - राक्षसवश १३३८ अ । भासी सघ १३१६ अ, श्वेताम्बर ४ ७७ ब ।
गति---२ २२४ अ, काल द्रव्य २८४ ब, धर्म द्रव्य २.४८८ गच्छपद-२.२११ ब ।।
ब, २४६०, परिस्पन्दन ३.३७६ अ । गच्छ प्रतिबद्ध-सल्लेखना १४६ अ।
गति-अगति (सामान्य)-तिर्यच-कर्मभूमि भोगभूमि गच्छ विनिर्गति-सल्लेखना १४६ अ।
२३१६, पर्याप्तापर्याप्त २३२०, पृथिवी आदि पच गज--२२११ ब, एकान्त १.४६३ ब, क्षेत्रप्रमाण २२१५
स्थावर विकलत्रय २३२०, सज्ञी असज्ञी २३१६, ब, चक्रवर्ती ४१३ अ, तीर्थकर अजितनाथ २.३७६,
सरीसृप व पक्षी २.३१६, देवगति व नरकगतिसौधर्मेन्द्र व ईशानेन्द्र यान ४५११ ब । स्वर्ग पटल
२३२० । मनुष्यगति-कर्मभूमि भोगभूमि २.३१६, ---निर्देश ४ ५१७, विस्तार ४ ५१७, अकन ४५१६
दश व चतुर्दश पूर्वी २३१६, साधु परिव्राजक व व, देव की आयु १२६७ ।
तापस २.३१६, स्त्री पुरुष २ ३१६ । षट्लेश्या व गजकुमार-२२११ ब ।
षट् सस्थान २ ३२१ । गजदंत-२२११ब, गजदन्त पवत-निदश ३४५६ ब, गति-अगति (गण प्राप्ति)---तिर्यचगति कर्मभमिज भोगनामनिर्देश ३४७१ ब, गणना ३४४५ अ, विस्तार
भूमिज २३२२, देवगनि २३२२, नरकगति ३४८२, ४८५-४८६, वर्ण ३४७७, अकन ३४४४,
२ ३२२, मनुष्यगति २.३२२ । पचज्ञान-प्राप्ति ४५७, ४६४ के सामने, चित्र ३४५२ ब ।
२३२२, तीर्थकरत्व मोक्ष व शलाकापुरुषत्व २३२२, गजपुर -२ २११ ब, मनुष्यलोक ३ २७६ अ।
सयम-सयमासयम व सम्यक्त्व २३२२ । गजवती-२२११ व, मनुष्यलोक ३ २७५ ब, ३.२७६ अ। गति-अगति (गणस्थानप्राप्ति)- चतुर्गति सामान्य २३१८, गजवाहन - कुरुवश १.३३६ अ।
मिथ्यादष्टि से प्रमत्तसयत २३१८-३२० । गजस्नान-सम्यग्दष्टि ४.३७७ ब ।
गति-अगति लिका--जन्म २३१८ ब । गजाधर लाल-२.२११ व, इतिहास १३३४ न । गति द्विक-३६६ ब। गड्डी-२.२१२ अ।
गति नामकर्म प्रकृति-२.२३६ ब, आयुकर्म १.२५४ अ,
Page #84
--------------------------------------------------------------------------
________________
गतिप्रायोग्यानुपूर्वी
गिरिनदन
१२६२ च । प्ररूपणा-प्रकृति ३८८, २५८३, गरुडेद्र-~-२ २३८ अ। स्थिति ४ ४६२, अनुभाग १६५, प्रदेश ३.१३६ । गषि - इतिहास १ ३३० अ, १३४२ अ, २६३६ व। बन्ध ३६५ अ, ३६७, बन्धस्थान ३ ११०, उदय गर्तपूर्ण वृत्ति -२ २३८ अ, भिक्षा ३ २२६ ब । १३७५, उदय की विशेषता १ ३७२ ब, १३७३ ब, गर्दतोय -२२३८ अ, लौकान्तिक ३४६३ ब । उदयस्थान १३८७, उदीरणा १४११ अ, उदीरणा गर्दनिल्ल २२३८ अ, शकवश १३१४ । स्थान १.४१२, सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४ ३०३, गर्भ -२ २३८ ब, ब्रह्मचर्य ३ १६३ अ। त्रिसयोगी भग १४०४ । संक्रमण ४८५ अ, अल्प- गर्भकल्याणक-२१३६ अ, कल्याणक २३२ अ। बहुत्व ११६८ ।
गर्भगह ---भवनवासी देवो के भवनो मे ३२१० ब। गतिप्रायोग्यानपरू-१२४७ अ।
गर्भज-जन्म २३१२ ब, २३१४, जीवसमास २३४३, गति-भ्रमण काल-इन्द्रियमार्गणा २६५ अ ।
तिथंच २३६७ मनुष्य अल्पवहुत्व ११४६ । गतिमार्गणा-२ २३४ अ, अवगाहना ११७८, ११८०, गर्भसंचार--४७६ ब ।
आयु १२६२ अ, कषाय २३८ अ,२४० अ, मार्गणता गर्भाधान किया-मन्त्र ३२४६ ब, संस्कार ४१५१। ४६० अ, मोक्ष ३ ३२७ ब, सिद्धो का अल्पबहुत्व गर्भान्वयक्रिया-सस्कार ४१५० ब। ११५३।
गर्व-मानकषाय ३२६४ ब । गतिमार्गणा (प्ररूपणा)-बन्ध ३१००, बन्धस्थान गर्हण -२२३८ ब, सम्यग्दृष्टि ४३७८ ब।
३११३, उदय १३७६, उदयस्थान १३६२ ब, गौं-२२३८ ब, विषकुम्भ १४३४ अ, समिति ४४४२ उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२. सत्त्व अ, सम्यग्दर्शन ४.३५१ अ। ४२८१, सत्त्वस्थान ४२६८, ४३०५, त्रिसयोगी गहित वचन-वचन ३ ४६७ ब । स्थान भग १४०६ ब, आयुकर्म विषयक त्रिसयोगी गलसेन -तीर्थकर २३६२ । स्थान १४०१। सत् ४१६५, सख्या ४६५, क्षेत्र गलितावशेष-२२३८ ब, गुणश्रेणीसक्रमण ४८६अ। २१६४,२१६७, स्पर्शन ४४७६, काल २८३ अ, गवेषणा-२२३८ ब, कहा १४४५ ब । २१०१, अन्तर १५, १८, भाव ३२२० अ, अल्प- गव्यति -२२३८ ब। बहुत्व ११४३ ब, भामाभाग ४११०। पचशरीर
गांगेय-२२३८ ब, कुरुवश १३३६ अ। स्वामित्व ४७, इसका अल्पबहुत्व ११५६ । गांधर्व विवाह-३ १६१ ब। गदा-मनुष्यलोक ३२७५ ब ।
गांधार-२२३८ ब, मनुष्यलोक ३ २७५ अ, यदुवश गद्यकथाकोष-२३ ब, इतिहास १ ३४२ ब ।
१३३७, विद्याधर वश १३३६ अ, विद्या ३५४४ गद्यचिन्तामणि-२२३८ अ, इतिहास १३४१ ब ।
अ, स्वर ४५०८ ब। गमन-गति २ २३५ अ, चैत्य-चैत्यालय २३०२ व धर्म गाधार (कट)-शिखरी पर्वत का-निर्देश ३.४७२ ब, द्रव्य २४८६ अ, विग्रहगति १२४७ ब ।
विस्तार ३४८३, अंकन ३ ४४४ । गमनहेतुत्व-धर्म द्रव्य २४८८ ब ।
गांधारी--२ २३६ अ, विद्या ३.५४४ अ, विमलनाथ की गमनागमन तप-कायक्लेश २४७ अ।
यक्षिणी २३७६, हरिवश १३४० अ । गया-बुद्ध गया (उरु बिल्ब) १४४५ ब !
गाय -श्रोता ४७४ ब । गरिमा-ऋद्धि१४४७, १४५१ अ
गारव-२२३६ अ, विनय ३५५३ ब । गरिष्ठ रस-३३६३ अ।
गारुड तत्त्व -२२३८ अ । गरुड-२२३८ अ, तीर्थकर शान्तिनाथ का यक्ष २ ३७९. गारुडी विद्या-२४६६ अ ।
ध्यान २४६६अ। सहस्रारेन्द्र तथा आनतेन्द्र का गाय-२२३६ अ,१३२ अ, अक्रियावादी १४६५ अ। यान ४५११ ब । सानत्कुमार स्वर्ग पटल-निर्देश गार्हपत्य- अग्नि १३५ ब । ४५१७, विस्तार ४५१७, अकन ४५१५, देवायू गिरि - यदुवश १३३७, हरिवंश १३३६ ब । १२६७ ।
गिरिकूट-२२३६ अ, मनुष्यलोक ३२७५ ब । गरुडध्वज-२२३८ अ, विद्याधर नगरी ३.५४५ अ। गिरिकूटक-चक्रवर्ती ४१५ अ। गरुडपंचमीव्रत-२.२३८ ।
गिरिनदन--वानरवश १ ३३८ ब ।
Page #85
--------------------------------------------------------------------------
________________
गिरिनार
७६
गुणस्थान
गिरिनार-२२३६ अ, नेमिनाथ २.३८४, मनुष्यलोक गुणधरकीति-इतिहास १.३३१ ब। ३२७५ ब ।
गुणनन्दि-२२४४ ब, नन्दिसंघ १३२३ अ, १.३२४ ब, गिरिवज्र-२२३६ अ।
देशीयगण १३२४ ब, इतिहास १३२६ अ, गिरिशिखर-२२३६ अ, विद्याधर लोक ३५४६ अ, १३३० अ। वसतिका ३ ५२८ अ।
गुणन-२.२४५ अ, गणित २ २२२ ब, २.२२६ ब । गीतरति--२२३६ अ, गन्धर्व जातीय व्यन्तरेन्द्र-निर्देश गुणनिमित्तक नाम---२५८२ ब ।
२ २२६ अ, ३ ६११ अ, सख्या ३ ६११ अ, परिवार गुणपरावर्तन-२६६ अ। ३६११ ब, आयु १२६४ ब ।
गुणपर्याय--पर्याय ३ ४६ व, ३४८ अ। गोतरस-२२३६ अ, गन्धर्व जातीय व्यन्तरेन्द्र-निर्देश गुणपर्याय आरोप-उपचार १.४२१ अ ।
२२११ अ, ३६११ अ, सख्या ३ ६११ अ, परिवार गुणप्रत्यय-अवधिज्ञान ११७८ ब, १.१९२-१६६, करण ३६११ ब, आयु १२६४ ब ।
चिन्ह १.१६१ ब। गीतवीतराग-इतिहास १३४७ म।
गुणप्रत्यासत्ति-४१४१ अ । गंजाफल-२२३६ अ, तौल का प्रमाण २२१५ अ। गुणभद्र-२२४५ अ, उत्तरपुराण १३५६ अ, पंचस्तूप संघ गुड-शुभ अनुभाग १६० ब।।
१३२६ ब, सेनसघ १.३२६ ब, इतिहास प्र०१३३० गुण-२२३६ अ, २२४० अ, अचेतन २२४४ ब, अनन्त अ, १३४२ अ, द्वि० १३३२ अ, १.३४४ ब, त.
२२४४ अ, अन्यदृष्टिप्रशसा १११२,अनुजीवी, २२४३ १३३३ अ। ब, अमूर्त २२४४ ब, अर्हन्त ११३७ अ, अविभाग गुणयोग-३ ३७६ अ । प्रतिच्छेद १२०३ अ, २२४१ अ, आचार्य १२४२ गुणवती-२.२४५ अ। अ, उत्सादादि १३६१ ब, उपचार १४१६-४२१, गुणवर्म-२२४५ अ, इतिहास १.३३२, १.३४५ अ। उपशम १४३७ अ, उपाध्याय १४४४ अ, कारण
गुणवत-२.२४५। कार्य २५५ ब, चेतन २२४४ व, जीव २ ३३७ अ, गणश्रेणी- गणित २२२८ ब, सक्रमण ४८८ ब । धर्म २३३७ अ, परद्रव्य ४ ३२१ ब, पर्याय ४३२१ गणश्रेणी आयाम -सक्रमण ४८६अ। ब, पुद्गल ३ ६७ ब, प्रतिजीवी २२४३ ब, भाव
गुणश्रेणी निक्षेपण-क्रमण ४.८६ ब । ३ २१७ ब, मूर्त २२४४ ब, वर्णव्यवस्था ३ ५२४ ब, गणश्रेणी निर्जरा-अनिवत्तिकरण २१४ ब, प्रदेश निर्जरा सदसत् १३६१ ब, स्वद्रव्य ४३२१ ब, स्वभाव
अल्पबहुत्व ११७४ अ, व्यवहारचारित्र २२६१ अ, ४५०७ ब ।
सक्रमण ४८६अ। गुणक -२ २४४ ब, गणित २ २२२ ब ।
गुणश्रेणीशीर्ष-संक्रमण ४८६ अ । गुणकार--२२४४ ब, अनुयोगद्वार ११०२ ब, गणित
गुणसंक्रमण-४८४ अ, ४८८ अ, प्रदेशनिर्जरा का अल्प२२२२ ब, २ २२४ अ।
बहुत्व ११७४ ब। गणकीति-२२४४ ब, द्राविड सब १३२० ब, नन्दिसघ
गुणसमुदाय-द्रव्य २४५३ ब । १ ३२३ ब, १३२४ अ, इतिहास १३३० ब,
गुणसेन-२२४५ ब, काष्ठा संघ १.३२७ अ, लाडबागड १३३३ व ।
सघ १३२७ ब, सेन सघ १३२६ अ, इतिहास गुणगुरु---नमस्कार २५०५ ब ।
१३३१ अ-ब। गणचंद्र-नन्दिसघ १३२३ व, देशीय गण १३२४ ब, गुणस्थान-२२४५ ब, २३१८ ब, अनिवृत्तिकरण १.६७ ___ इतिहास १३३३ ब, १३४७ अ ।
अ, अन्तरकरण १५ अ, आत्मानुभव १.८४-८६ अ, गुणत्व-२२४४ ब ।
आद्य चार गुणस्थान ४.४२४ ब, आर्य ३.२६७ ब, गणदोष-सल्लेखना ४ ३६० ब ।
आरोहण अवरोहण क्रम २२४७, आर्तध्यान १२७४ गुणधर-२ २४४ ब, यदुवंश १ ३३६ । मूलसघ १.३१७ अ, इन्द्रिय मार्गणा १३०७ अ, ईर्यापथ कर्म उपयोग
ब, १ ३२२ ब, गुणधर संघ १ परि०/३१, इतिहास १४३४ अ, उपशम श्रेणी १,४४२ अ, १३४६ अ, १३२८ अ, १३४० अ, १ परि०/२१-२,१ परि०/ उपशान्तकषाय १४४२ ब, करण दशक २६ अ, ३.१-२ ।
कषाय २.४० ब, काय मार्गणा २.४५ अ, काल २.९६
Page #86
--------------------------------------------------------------------------
________________
गुहब्रह्मचारी
गुणहानि
अ, क्षपक श्रेणी ४७२ ब, गोत्र ३ ५२२ ब छेदोपस्या- गुप्तिऋद्धि-२२५१ ब, पुन्नाट सघ १३२७ अ, इतिहास पना चारित्र ३ ३६ ब, तिर्यञ्च २३६८ अ, बस २.३६८ १ ३२८ अ। ब, दर्शन मार्गणा २४१६ ब, दशकरण २६ अ, देव गुप्तिगुप्त-२२५१ ब, मूलसघ १ परि०/२३, ७-६, गति २४४७ अ, धर्मध्यान १८५ अ-ब, २४८१ ब, नन्दि सघ १३२३ अ, १ परि०/४ २, भद्रबाहु ३२०५ नरकगति २.५०४ ब, परिषह ३३४ अ, बद्धायुष्क ब, इतिहास १३२८ ब । १.२६२ अ, भव्यत्व मार्गणा ३२१२ ब, भोगभूमि गुप्तिमान-धर्मनाथ २.३७८ । ३ २३५ ब, मरण ३.२८२ ब, मिथ्या नय ३३०७ ब, गुप्तिवान-सामायिक ४४१५ ब। म्लेच्छ ३ ३४६ ब, ३३४७ अ, ययाख्यातचारित्र गप्तिश्रति-२२५१ ब, पुन्नाट संघ १.३२७ अ, इतिहास ३ ३७० ब, योगमार्गगा ३ ३७६ अ, रौद्रध्यान ३४०८
१३२८ अ। ब, लेश्यामार्गणर ३४२७ अ, वेदमार्गणा ३५८८ गुफा-गजदन्त पर्वत ३.४५३ अ, भरत एरावत विजयार्ध अ, शुक्लध्यान ४ ३६ अ, सज्ञा ४ १२१ ब, सज्ञी पर्वत-निर्देश ३.४१८ अ, गणना ३.४५ अ, विस्तार मार्गणा ४१२२ ब, सामान्य २३१८ ब, सूक्ष्मक्रिया ३.४८२, अकन ३.४५८ । विदेह विजयार्ध-निर्देश प्रतिपाती ध्यान ४३६ ब, सासादन ४४२४ ब, स्थान ३४६० अ, अकन ३.४६० अ । सुमेरु पर्वत के वन ४.४५२ ब।
३.४५० अ। वसतिका ३५२७ ब। गुणहानि-२२४७ ब, उदय १३७१ अ-ब । गणित-- गुमानी राम -२ २५१ ब, इतिहास १३३४ ब ।
निर्देश २२३१ अ-ब, द्रव्य २.२३२ अ, चय गुरु-२२५१ ब, अर्हन्त २.२५१ ब, आचार्य २.२५१ ब, २२३२ अ, मध्यधन २.२३२ अ, अनुकृष्टि चय आत्मा २.२५२ ब, आलोचना १२७८ अ, उपाध्याय २२३२ अ।
२.२५१ ब, निर्यापक २.६१४ ब, मिथ्यादृष्टि ३.४६६ गुणांश--२ २४१ ब, मिश्र गुणस्थान ३.२१० अ।
ब, विनय ३५५१ ब, सम्यग्दर्शन ४.३५६ अ, साधु गुणा-२२४७ ब।
२२५१ ब । गुणाधिक-२.२४७ ब, सगति ३ ११६ अ!
गुरुडांक-इक्ष्वाकुवश १.३३५ अ। गुणानुराग - शुभोपयोग १.४३४ ब, सगति ४.११६ अ।
गुरुतत्त्वविनिश्चय-२.२५३ ब। गुणारोपण -प्रतिष्ठा विधान ३१२० ब ।
गुरुत्व-२२५३ ब। गुणाथिक नय--२२४७ ब, नय २५१५ ब
गुरुत्वगति-२.२३५ अ । गणित-२२४७ ब, गणित २ २२२ ब।
गुरुपरम्परा--आगम १.२२८ अ, इतिहास १.३१६गुणित कर्माशिक-२१७६ ब । गणित क्षपित घोलमान-२ १७७ अ।
गुरुपूजन क्रिया-सस्कार ४.१५२ अ । गुणि देश-२२४७ ब, सप्तभगी ४ ३२४ अ-ब, ४३२५ ब ।
गुरुपूजा---शुभोपयोग १४३४ ब । गुगीनय-२५२३ ब ।
गुरुमत-मीमासक ३३११ अ । गुणोतर श्रेणी-२ २४७ छ ।
गुरुमूढना-३ ३१५ ब ।
गुरुवन्दना--३ ४६५ ब । गुणोपचार-१४२१ ब।
गुरुसाक्षी-व्रत ३ ६२६ अ । गुण्य -२२४७ ब, गणित २.२२२ ब ।
गुरुस्थानाभ्युपगमन क्रिया-सस्कार ४.१५१ ब। गुप्तफल्गु-गणधर २ २१३ अ ।
गुर्जर नरेद्र-२२५३ ब । गुप्तयज्ञ -- गणधर २ २१२ ब ।
गुल्म-२२५३ ब । सेना ४.४४४ अ । गुप्तवश----इतिहा। १३११ अ-ब, १३१५ ।
गहिलराज-२.२५३ ब । गुप्तसंघ-१३१७ ब।
गुह्य-समयसार ४३२६ अ। गुप्तसवत्-१.३०६ ब, १३१० अ।
गाक--२२५४ अ । वर्द्धमान का यक्ष २.३७८ । गुप्ति-२.२४८ अ, अहिसा व्रत भावना १२१६ अ, चारित्र गगा-भाषा समिति ४४३० व ।
२२६४ ब, शुभोपयोग १४३३ अ, १४३४ ब, सयम गढ क्षल्लक-२१६० अ। ४.१३८ब, सामायिक चारित्र ४.४२० असूक्ष्मसाम्पराय गढदंत-कुलकर ४.२५ । चारित्र ४.४४१ ब।
गूढब्रह्मचारी-३.१६४ ब ।
३१७।
Page #87
--------------------------------------------------------------------------
________________
गृद्धता
गोसगंन्काल
गद्धता -आहार १२८८ ब ।
अ, उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व ४२७८, सत्त्वगद्धपिच्छ-२.२५४ अ, कुन्दकुन्द २१२६ब-१२७ अ, स्थान ४.२६४, त्रिसयोगी भंग १३६६ । संक्रमण
मूलसघ १.३२२ ब, नन्दिसंघ १३२४ अ, देशीय ४८५ अ, अल्पबहुत्व १.१६८ । गण १.३२४ ब, इतिहास १ ३२८ ब।
गोदावरी-२.२५४ अ, मनुष्यलोक ३२७५ ब, गद्धपुष्ठ-~मरण ३.२८२ अ ।
३२७६ अ। गद्धि-लोभ ३.४६२ ब ।
गोदोहन आसन--कायक्लेश २४७ ब । गह-२२५४ अ।
गोपसेन-२२५४ अ, लाडबागड़ सघ १३२७ ब, इतिहास गृहकर्म-कर्म २२६ अ, निक्षेप २५९८ अ ।
१३३० ब।
गोपच्छ-काष्ठा सघ १३२० ब, योगवर्गणा ३.३५३ ब । गह कटक-चक्रवती ४१५ अ ।
गोपुच्छक-२.२५४ अ । जैनाभासी संघ १३१९ अ । गृहक्षोभ-राक्षसवश १३३८ ब । गृहत्याग-क्रिया-सस्कार ४१५१ ब, ४१५२ ब ।
गोपुच्छा-२२५४ अ, कृष्टि २.१४२ अ, २१४३ अ । गहपति-२२५४ अ, अकम्पन १३० ब, चक्रवर्ती
गोपुर-२ २५४ अ, चैत्य-चैत्यालय २ ३०२ ब, व्यन्तरो के
नगरो मे ३६१२ ब । ४१३ अ। गहस्थ-आत्मानुभव १८५-८६ अ। कायक्लेश तप गोप्य संघ-२२५४ अ, जैनाभासी सघ १३१ अ. याप. २४८ अ।
नीय सघ १.३१६ ब । गहस्थ आश्रम-१.२८१ अ, वर्ण व्यवस्था ३५२४ ब।
गोमती-२.२५४ ब, मनुष्यलोक ३ २७५ ब । महस्थधर्म-उपदेश १.४२४ ब, धर्म २४७३ अ, प्रत्या- गोमूत्र--माया कपाय २३८ ।
ख्यान ३ १३२ ब, व्रत ३.६२८ अ, श्रावक ४.४८ ब। गोमूत्रिका गति-विग्रहगति ३.५४०ब। गृहस्थाचार्य-आचार्य १.२४२ ब।
गोमेदक-रत्नप्रभा पृथिवी ३ ३६१ अ । गहस्थापित दोष-वसतिका ३.५२८ ब ।
गोमेध-२२५४ ब, नमिनाथ का यक्ष २३७६ । गृहीतग्रहण-ईहा ज्ञान १३५१ अ।
होम्मट-२ २७६ ब।
गोम्मटसार-२२५४ अ, २.२८० अ, इतिहास १३३०ब, गृहीत द्रव्य-सहनानी २२१६ अ। गहीतमिथ्यात्व-३ १७८ ब ।
१३४२ ब । टीका-अभयचन्द्र व अभयनन्दि ११२७ गहीता-स्त्री ४४५० ब ।
अ, इतिहास १३३२ ब,१३३३ ब, १३३४ ब, १३४५ गहोशिता क्रिया--सस्कार ४१५१ ब, ४१५२ ब ।
अ-ब, १.३४६ ब, १३४८ अ । गेंडा-श्रेयासनाथ २ ३७६ ।
गोम्मटसार पूजा-२.२५४ ब , इतिहास १ ३४८ अ ।
गोम्मटेश्वर-२.२८० अ। गो-तीर्थकर चन्द्रानन २३६२ । गो अलीक-सत्य ४२७३ ब ।
गोरस-भक्ष्याभक्ष्य ३.२०३ अ, रस ३३६२ ब ।
गोलाचार्य-२२५४ ब, देशीय गण १.३२४ ब, इतिहास गोकुलेश-वैशेषिक दर्शन ३६०६अ। गोक्षीर फेन-२२५४ अ, विद्याधर नगरी ३५४६ अ।
१३३० अ, नन्दिसघ १३२४ ब। गोचरी प्रतिक्रमण-व्युत्सर्ग ३६२१ अ।
गोववन-२.२५४ ब, ऋषभदेव का यक्ष २.३७९ । गोचरी वृत्ति-भिक्षा ३ २२६ ब।
गोवर्द्धन--२.२५४ ब, मूलसघ १३१६, इतिहास गोणसेन-२.२५४ अ, द्राविड सघ १३२०ब।
१३२८ अ। गोतमी पुत्र इतिहास १३१४ ।
गोवर्द्धनदास-२.२५४ ब, इतिहास १३३४ अ । गोत्र-वर्ण व्यवस्था ३ ५२० ब।
गोविंद-२.२५४ ब । राष्ट्रकूट वश-द्वि० १.३१५ ब, गोत्रकर्म प्रकृति-प्ररूपणा ३८८, ३५२० ब, स्थिति तृ० १३१५ ब, चतु० १.३१५ ब। वेदान्ताचार्य
४.४६७, अनुभाग १६५, अनुभाग का अलाबहुत्व ३५६५ब । इतिहास १३३१ ब । ११६७ अ, प्रदेश ३ १३७ । बन्ध ३६३ ब, ३.६७, गोशय्यासन तप-कायक्लेश २.४७ ब । बन्धस्थान ३.११०, उदय १.३७५, उदय के निमित्त गोशाल-२२५४ ब, पूर्णकश्यप ३८२ अ। १.३६७ ब, उदय की विशेषता १.३७३ ब, आबाधा गोशीर्ष-२.२५५ अ, मनुष्यलोक ३.२७५ ब । १२४६ अ, उदयस्थान १३८७ उदीरणा १४११ मोसग काल--२.२५५ अ।
Page #88
--------------------------------------------------------------------------
________________
गौड
गौड-२२५५ अ मनुष्यलोक ३२७५ ।
1
गौडपाद - २२५५ अ, बेदान्ताचार्य ३५६५ व साख्याचार्य
४३६८ ब ।
गौडिया वैष्णव दर्शन ३६० अ
गौण-२२५५ अ अर्पित १६४ व मुख्य १२३२ अ सुख ४४३१ अ, स्याद्वाद ४ ४६६ अ । गौणसेन इतिहास १.३३० व
गौण्वनामपद - उपक्रम १४१६ ब, उपशम १४३७ अ, पद
३५ अ ।
गौतम - २२५५ अ अन्धकवृणि १३० अ असत्कार्यबादी १४६५ अ, गुणधर - मूलसघ १.३१६, इतिहास १२२६ अ यदुवंश १३३७, श्वेताम्बर ४.७८ अ
ऋषि २६३४ अ । गौतमद्वीप - लवण तथा कालोव सागर — निर्देश ३४६२ व ४६३ अ विस्तार ३४७६, ३४६३ अ अकन ३४४४ ३.४६१, ३.४६४ के सामने ।
गौरव अविचार १४३ व व्युत्सर्ग दोष ३६२२ ब
ब,
गारव २२३६ अ ।
गौरिक विद्या ३ ५४४ अ, विद्याधर नगरी ३.५४५ ब विद्याधर वश १३३६ अ ।
गौरिकूट - २२५५ अ ।
गौरी- २२५५ अ वासुपूज्यनाथ की यक्षिणी २.३७६, विद्या ३ ५४४ अ, १३३६ अ ।
गौरीकूट विद्याधर नगरी ३५४५ अ । गौरीविद्या - विद्याधर वश १३३६ अ ।
ग्यारह - अंगधर १३१६, १३२३, ४५६ अ,
देशव्रत
४४७ ब, नारद ४२२ अ, प्रतिमा ४४६ ब, श्रावकस्थान ४४४८ ब - ४९ ब, सगम-स्थान ४४८ ब ।
२२७३ अध्यात्मग्रंथ ३८ व परिग्रह ३२० अ व्युत्स] ३६२१ अ
ग्रंथकर्ता - गणधर २२१२ ब ।
प्रथम - २२७४ अ, निक्षेप २६०२ अ ।
८२
ग्रंथि - २२७४ अ, साधु ४४०६ ब । प्रथम - २.२७४ अ निक्षेप २६०२ अ ग्रह-२२७४ अ, ज्योतिष देव निर्देश २३४५ व २३४८ अ, इन्द्र का नाम-निर्देश २३४५ ब, भद २ २७४ अ, किरणे तथा शक्ति २३४८ अ, परिवार २.३४६ अ, अवस्थान २३४६ व विमान संख्या २३४८ अ, विमान विस्तार २३५१, अन २३४८ । चार क्षेत्र ( गतिविधि ) २३४१-३५० । वीथियाँ २ ३४९ व अवगाहना ११५० अवधिज्ञान ११६८, आयु १.२६६ । ज्योतिषलोक २.३४६ ब ।
ब,
ग्रैवेयक स्वर्ग
--
ग्रह (प्ररूपणा ) बन्ध ३१०२, बन्धस्थान ३१११, उदय १३७८, उदयस्थान १ ३६२ ब, उदीरणा १४११ अ, सत्त्व ४२८२, सत्त्वस्थान ४२६८, ४३०५, त्रिसंयोगी भंग १४०६ ब । सत् ४१८८, सख्या ४६७, क्षेत्र २ १६६, स्पर्शन ४४८१, काल २१०४, अन्तर ११०, भाव ३.२२० अ अल्पबहुत्व ११४५ । ग्रहण -२२७४ अ आहारान्तराय १२६, चन्द्रग्रहण २. ३५१ अ सूर्यग्रहण २३५१ अ ।
ग्रहण - अतीतग्रहण त्याग ३.३०५ ३ ३०५ ब ।
ब, मिथ्यादृष्टि
ग्रहणकाल - काल २८१ अ । ग्रहणप्रायोग्य वर्गणा - ३.५१३व । ग्रहण विधि व्रत ३६२५ ब । ग्रहावती - २२७४ अ ।
ग्राम - २२७४ ब ।
ग्रामवाह - आहारान्तराय १२१ ब । ग्रास २ २७४ ब, आहार प्रमाण १२८६ अ । ग्राहवती - विभगा नदी - निर्देश ३४६० अ, नामनिर्देश ३ ४७४ ब, विस्तार ३४८९ ४६०, अकन ३.४४४, ३ ४६४ के सामने ।
ग्राह्य - २२७४ ब ।
ग्राह्य नाहक भाव-आगम १२२३ अ नय २५५० अ. सम्बन्ध ४१२६ अ ।
ब्रह्मवर्गणा - ३५१३ ब ।
ग्रीवाधोनयन व्युत्सर्व दोष ३६२२ अ ।
ग्रीवावनमन - २२७४ ब, व्युत्सर्ग दोष ३ ६२२ अ । श्रीवोनमन - २२७४ व व्युत्सर्ग दोष ३६२२ अ । श्रीवोध्वं नयनत्सर्ग दोष ३६२२ अ बेयक देव निर्देश ४५१४ व अवगाहना ११५० व अवधिज्ञान ११२८ व आयु १२६५, आयुबन्ध के योग्य परिणाम १.२५८ ब । प्ररूपणा - बन्ध ३१०२, बन्धस्थान ३ ११३, उदय १३७८, उदयस्थान १ ३६२ ब, उदीरणा १.४११ अ उदीरणास्थान १.४१२, सस्व ४२८२, सरवस्थान ४२९८४३०५ त्रियोगी भग १.४०६ व सत् ४१६२, सख्या ४१८, क्षेत्र २२००, स्पर्शन ४४८१ काल २१०४, अतर १-१०, भाव ३.२२० ब, अल्पबहुत्व ११४५ ।
ग्रैवेयक स्वर्ग -- २२७४ ब, निर्देश ४.५१० अ, ४.५१४ ब पटल इद्रक व श्रेणीबद्ध ४५१८, ४५२०, अकन ४५१५, कल्पातीत ४.५१० अ, ४.५१४ व चक्रवर्ती ४.१० ब ।
Page #89
--------------------------------------------------------------------------
________________
ग्लान
३
घोष
ग्लान-२.२७४ ब।
सख्या ४.६५, क्षेत्र २ १९७, स्पर्शन ४.४७६, काल ग्लानि~२२७४ ब, जुगुप्सा २३४४ अ, निविचिकित्सा २१०१, अन्तर १८, भाव ३२२० अ, अल्पबहुत्व २.६२६ ब। .
घर-३२३१ ब। घाट-नरक पटल निर्देश २५७६ ब, विस्तार २ ५७६
ब, अकन ३.४४१। नारकी-अवगाहना ११७८,
अवधिज्ञान ११६८ अ, आयु १२६३। घाटा-२ २७५ अ। नरक पटल-निर्देश २ ५८० अ,
विस्तार २५८० अ, अकन ३ ४४१ । नारकी-अव
गाहना १७८, अवधिज्ञान ११६८ अ, आयु घंटा--पूजा ३.७८ ब ।
१२६३ । घ-घनागुल की सहनानी २२१६ ब ।
घात-नरक पटल-निर्देश २ ५७६ब, विस्तार २५७६ घटस्थानोपयोगी यन्त्र-यन्त्र ३.३५२।
ब, अकन ३ ४४१ । नारकी--अवगाहना ११७८, घटा-२२७४ ब, नरक पटल-निर्देश २५८० अ,
अवधिज्ञान ११६८ अ, आयु १२६३ । विस्तार २५८० अ, अकन ३ ४३८ । नारकी-अव- घात-२२७५ अ, अश्वर्तना १११६ ब, आयु १२६२ अ, गाहना ११७८, आयु १२६३ ।
काण्डक १११६ व, गणित २२२२ ब, सावध ४४२२ घटिका-२२७४ ब, काल-प्रमाण २२१७ अ ।
अ, हिंसा ४.५३२ अ। घडी-२२७४ ब, काल-प्रमाण २२१७ अ।
घातकृष्टि-२१४२ अ। घन-२ २७४ ब, गणित २२२३ अ, २ २२४ अ, शब्द
घातांक-२ २७५ अ, गणित २ २२३ ब । ४.३ अ। धनधारा-२२७४ ब, गणित २२२६ अ।
घातायुष्क-आयुबध १२६२ अ, भवनवासी देव १२६५,
गन्तर देव १ २६४. ब, ज्योतिषी देव १२६६, वैमाघनफल-२२७४ ब, गणित २.२३२ ब । घनमातक धारा--गणित २२२६ अ ।
निक देव १२६६ मिथ्यादृष्टि ३ ३.३ अ । घनमूल---२.२७४ ब, गणित २.२२३ अ, २.२२४ अ ।
घाती-२२७५ अ, अनुभाग १६० ब । घनरथ--कुन्थुनाथ २३७८ ।
घाती कर्मप्रकृति-अनुभाग १६०। घनरव-अरहनाथ २३७८ ।
घुटुक--२ २७५ अ, कुरुवश १३३६ अ । घनलोक -२ २७५ अ, क्षेत्रप्रमाण २.२१५ ब, सहनानी घुना अन्न-भक्ष्याभक्ष्य ३२०३ अ । २२१९ ब।
घृतवर द्वीप सागर--२२७५ अ, निदेश ३४७० अ, धनवात-२ २७५ अ, ३ ५३२ अ, लोक ३ ४४० अ, अकन
विस्तार ३ ४७८ अकन ३४४३ । अधिपतिदेव ३६१४, ३४३९ ।
जल का रस २४८७ अ, ज्योतिष चक्र २३४८ ब । घनांगल-क्षेत्रप्रमाण २२१५ ब, सहनानी २२१६ ब । घृणा---२ २७५ अ, निविचिकित्सा २६२६ ब । घनाकार-२२७५ अ।
घोटकपाद-२२७५ अ, व्युत्सर्ग दोष ३ ६२१ ब। घनाघन--२२७५ अ, गणित २२२६ अ ।
घोटमान-योगस्थान ३ ३८२ अ, क्षपित कर्माशिक घनोदधि --३५३२ अ, लोक ३ ४४० अ, अकन ३४३६ । २१७७ अ। घम्मा-२२७५ अ। प्रथम नरक-निर्देश २.५७६ अ. घोड़ा-मगल-३२४४ अ, स्वप्न ४५०५ अ।
२५७८-५७६, विस्तार २५७६,२५७८, अकन घोर गुण-ऋद्धि १४४७, १४५४ अ। ३४४१, चित्र' ३.३८६ । नारकी --अवगाहना घोर तप-ऋद्धि १४४७, १४५३ ब । ११७८, अवधि ज्ञान ११६८ अ, आयु १२६३ ।
घोर पराक्रम -ऋद्धि १.४४७, १४५४ म । घम्मा नरक (प्ररूपणा)-बन्ध ३१००, बधस्थान ३११३, घोर ब्रह्मचर्य-ऋद्धि १४४७, १४५४ अ।
उदय १३७६, उदयस्थान १३९२ ब, उदीरणा घोलमान २२७५ अ, क्षपित कौशिक २१७७ अ, योग१४११ अ, सत्त्व ४.२८१, सत्त्वस्थान ४२६८, स्थान ३ ३८२ । ४.३०५, त्रिसंयोगी भग १४०६ ब । सत् ४.१६८, घोष-२.२७५ अ, शब्द ४.३ अ। स्तनिक कुमारेत्र
Page #90
--------------------------------------------------------------------------
________________
घोषसम
८४
चंद्रनखा
निर्देश ३२०८ ब, परिवार ३२०६अ, निवास ३ २०६ निर्देश ४.५१६, विस्तार ४.५.१६, अकन ४.५१६, ब, अवगाहना ११८० अ, अवधिज्ञान ११६८ ब, देव आयु १२६६। आयु १२६५।
चंद्रषि महत्तर-इतिहास १३३० अ, २६४० अ । घोषसम-निक्षेप २६०२ अ ।
चंद्रकान्त-यदुवश १३३७ । घोषसेन-नारायण ४१८ ब ।
चंद्रकीति-२२७५ब, नन्दिसंध देशीय गण १३२४ ब । घोषा-मुविधिनाथ सघ की अविका २३८८ ।
इतिहास १३३६ अ, १३३३ ब, १३४७ ब । नन्दिघोषार्या-~-विधिनाथ सघ की आयिका २३८८ ।
संघ भट्टारक १३२३ ब । घ्नत-२.२७५ ब, गणित २२२२ ।
चंद्रकूट-रुचकवर पर्वत का कूट-निर्देश ३ ४७६ अ। घ्राण-अवगाहना का अल्पबहुत्व १.१५७, आहारान्तराय
विस्तार ३४८७, अकन ३.४६८, ३४६६ । वक्षार१२८ ब, इन्द्रिय १३०२ अ, ज्ञान की कालावधि का गिरि का कूट तथा देव-निर्देश ३४७२ ब, विस्तार अल्पबहुत्व ११५७।
३४८२, ३४८५, ३४८६, अकन ३ ४४४ । चद्रगिरि-२२७६ अ । वक्षारगिरि-निर्देश ३.४६० अ,
नामनिर्देश ३.४७१ अ, विस्तार ३४८२, ३४८५४८६, अकन ३४४४, ३.४६४ के सामने, वर्ण
३.४७७। चंद्रगप्त-२२७६ अ, गुप्तवंश १ ३१५, मौर्यवश १३१०
ब, १३१३, जैनत्व १३१० ब ।
चंद्रग्रहण-२२७४ अ, ज्योतिष लोक २३५१ अ । चंगदेव-हरिदेव ४५३० अ ।
चंद्रचिह्न- कुरुवशी राजा १३३६ अ, तीर्थकर चन्द्रप्रभ चंवत (चच)-२ २७५ ब, सौधर्म स्वर्ग पटल-निर्देश २३७६, तीर्थकर स्वयप्रभ का चिह्न २३६२ ।
४५१६, विस्तार ४.५१६, अंकन ४५१६ ब। चंद्रचड-विद्याधर वंश १.३३६ अ। देवायु १२६६ ।
चरचूल-२२१३ अ। चचल-सौधर्म स्वर्गपटल-निर्देश ४५१६, विस्तार चद्रदेव-देव-अवगाहना ११८०, अवधिज्ञान ११६८ ४५१६, अकन ४.५१६ ब । देवायु १.२६६ ।
ब, आयु १२६६ । इन्द्र-निर्देश २ ३४५ ब, शक्ति चड-२२७५ ब, राक्षसवश १.३३८ अ ।
आदि २३४८, अवस्थान २३४६ ब, परिवार चंडवेग-चक्रवर्ती ४१५ अ।
२३४६ अ, विमान सख्या २३४८ अ। चंडवेगा-२.२७५ ब,मनुष्यलोक ३.२७१ब, ३.२७६अ। चंद्रदेव (प्ररूपणा)--बन्ध ३१०२, बन्धस्थान ३११३, चंडशासन-२२७५ब,प्रतिनारायण ४२० ब ।
उदय १३७८, उदयस्थान १३६२ ब, उदीरण चंडिका--मूढता ३३१५ ब ।
१४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४२८२, चंद-२.२७५ ब।
सत्त्वस्थान ४.२६८, ४३०५, विसयोगी भग चदन-पूजा ३७८ ब, चित्रा पृथिवी ३.३६१ अ।
१४०६ ब। सत ४१८८, संख्या ४६७, क्षेत्र चदन कथा--२ २७५ ब, इतिहास १.३४६ ब ।
२१६६, स्पर्शन ४४८१, काल २१०४, अन्तर चंदनछट्ठी कहा-इतिहास १.३४४ ब ।
११०, भाव ३२२० ब, अल्पबहुत्व ११४५ । चदनषष्ठी व्रत-२२७५ ब ।
चद्रद्रह--२२७६ अ, उत्तरकुरु का द्रह-निर्देश ३४५६ चंदना-२.२७५ ब, वर्द्धमान २३८८ ।
ब, नामनिर्देश ३४७४ अ, विस्तार ३४६०, चंदनाचारित्र-- इतिहास १.३४६ ब।
३४६१, अकन ३४४४,३४५७ । चंदप्पहचरिउ-इतिहास १३४३ ब, १३४४ ब।
चंद्रद्वीप-लवणसागर में स्थित-निर्देश ३४६२ ब, चंद्र-२२७५ ब, अरुणवर द्वीप का रक्षक देव ३.६१४, विस्तार ३४७६, अकन ३.४६१ ।
यदुवंश १ २३६, १३३७, विद्याधर नगरी ३.५४५ ब, , चंद्रधर-कुलकर ४ २५ ब । विद्याधर वश १.३३६ अ ।
चंद्रनंदि-२२७६ अ, इतिहास १३२८ अ, १३२६ब । चंद्र (स्वर्ग पटल)-२.२७५ ब, सौधर्म स्वर्ग का पटल- चंद्रनखा-२.२७६ अ, राक्षसवश १३३८ ब ।
Page #91
--------------------------------------------------------------------------
________________
चक्षु
चंद्रपर्वत चद्रपर्वत-२.२७६ अ, विद्याधर नगरी ३५४५ अ। चपक वन-तीर्थंकर मुनिसुव्रतनाथ २.३८३, नन्दीश्वर चद्रपुर-२ २७६ अ, तीर्थकर चन्द्रप्रभ २३७६, द्वीप मे ३ ४६६ अ, भवनवासी देवो के नगरो मे विद्याधर नगरी ३५४५ ब, ३ ५४६ अ।
३.२१० ब, व्यन्तर देवो के नगरो मे ३६१२ ब । चद्रप्रज्ञप्ति-२ २७६ ब, अमितगति १.१३२ अ । इतिहास चपा-२२७६ ब,तीर्थकर वासुपूज्यनाथ २३७९,२३८५, १३४१ अ, १३४३ अ । श्रुतज्ञान ४.६८ ब ।
विद्याधर नगरी ३ ५४५ ब । चंद्रप्रभ-२२७६ ब, इतिहास १३३१ ब ।
चंपापुरतीर्थकर मुनिसुव्रतनाथ २३७८, तीर्थंकर वासुचंद्रप्रभु–२ २७६ ब, तीर्थकर २.३७६-३६१ ।
पूज्यनाथ २ ३७६, २.३८५। चद्रप्रभचरित-२.२७६ ब, इतिहास १.३४२ ब,
चवर--चैत्य-चैत्यालय २.३०२ अ। रुचकवर पर्वत की
दिक्कूमारियाँ-निर्देश ३४६६ ब, अकन ३४६८, १३४६ ब । चंद्रप्रभसूरि-इतिहास १३४४ अ।
चकवा - तीर्थकर सुमतिनाथ २.३७६ । चंद्रबाहु - तीर्थकर २.३६२ ।
चकार-एकान्त १.४६१ अ, राक्षसवंश १३३८ । चंद्रभ-इतिहास १३३४ अ । चंद्रभागा-२.२७६ ब।
चक्र-३.२७६ ब, कीली २८२ ब, चक्रवर्ती ४१३ अ।
पदस्थ ध्यान के योग्य षट्चक्र ३६ ब । स्वर्ग पटलचंद्रमा-निर्देश २ ३४५ ब, विशेष दे० आगे चन्द्रविमान ।
निर्देश ४५१७, विस्तार ४५१७, अकन ४.५१५, चंद्रमाल-क्षारगिरि-निर्देश ३४६० अ, नामनिर्देश ३४७१ अ, विस्तार ३.४८२, ३४८५, ३.४८६,
देव आयु १२६७ । अकन ३ ४४४, ३ ४६४ के सामने, वर्ण ३ ४७७ । इस
चक्रक---२ २७६ ब। पर्वत का कुट तथा देव-निर्देश ३ ४७२ ब, विस्तार
चक्रधर-कुलकर ४२५ ब । ३४८२, ३४८५, ३४८६, अकन ३ ४४४ ।
चक्रधर्मा-विद्याधर वश १.३३६ अ । चद्ररथ-विद्याधर वंश १३३६ अ।
चक्रध्वज-विद्याधर वश १.३३६ अ। चंद्रवंश-१.३३६ ब, इक्ष्वाकुवश १३३५ अ, ऋषिवश चक्रपुर-२२७६ ब, नारायण ४१८ अ, ४२० ब, प्रति१३३५ ब, सूर्यवंश १ ३३६ ब।
नारायण ४.२० ब, बलदेव ४.१७ अ, मनुष्यलोक चंद्रवर्मा-यदुवश १.३३७ ।
३२७६ अ, विद्याधर नगरी ३५४५ अ। चंद्रबिमान-निर्देश २३४५, विस्तार २.३५१, किरण चक्रपुरी-२२७६ ब, विदेह नगरी-निर्देश ३४६० अ, तथा वाहक देव २३४८ अ, अकन २३४८, चित्र
नामनिर्देश ३४७० ब, विस्तार ३४७६, ३४८०, २३४८ । वलय २३४८, चार क्षेत्र २३४६ अ, ३.४८१, अकन ३.४४४, ३.४६४ के सामने, चित्र वीथियाँ २३४६ ब, गतिविधि २ ३५० अ, गगन- ३४६० अ। खण्ड २३५० अ, चन्द्रग्रहण २२७४ अ, २.३५१। चक्रमल-लोभ कषाय २३८ अ। आधुनिक मत ३.४३६ अ, बौद्धाभिमत ३४३४ ब। चक्रलाभक्रिया-सस्कार ४१५२ अ । वैदिवाभिमत ३४३३ । कूलकरो के काल मे दर्शन चक्रवर्ती-२,२७६ ब, तीर्थकर अर-शान्ति-कुन्थनाथ ४.२५ ब, स्वप्न ४५०४ ब ।
२३८६, २३६१, शलाकापुरुष ४१० अ-ब । चंद्रशेखर-२२७६ ब, विद्याधर वश १३३६ अ। चक्रवर्ती को माता-स्वप्न ४५०४ ब । चद्रसेन-२.२७६ ब, पचस्तूप संघ १३२६ ब, इतिहास चक्रवाक-शुक्रेन्द्र का यान ४५११ ब। १३२६ ब ।
चक्रवान-२२७६ ब। चंद्रानन-तीर्थकर २ ३६२ ।
चक्रवाल-विद्याधर नगरी ३ ५४५ अ । चंद्राभ-२२७६ ब, कुलकर ४२३, यदुवश १३३७, चक्राभिषेक क्रिया-सस्कार ४१५२ अ।
लौकान्तिक देव ३.४९२ ब, विद्याधर नगरी चक्रायध-२२७७ अ, तीर्थंकर शान्तिनाथ ३ २७५, ३ ५४५ अ।
विद्याधर वश १.३३६ अ। चंद्राभा--चन्द्रमा की अग्रदेवी २३४६ अ ।
चक्री -राजा ३४०० ब। चंद्रावर्त--राक्षसवश १३३८ अ ।
चक्रेश्वरी-२.२७७ अ, ऋषभदेव की यक्षिणी २.३७६ । चंद्रोदय--२.२७६ ब, इतिहास १.३४२ अ ।
चक्षु-मानुषोत्तर पर्वत का देव ३.६१४ ।
Page #92
--------------------------------------------------------------------------
________________
८६
चतुर्मासिक प्रतिक्रमण
चक्षु इन्द्रिय
चक्ष इन्द्रिय-२२७७ अ, अप्राप्यकारी १.३०३ अ, अव- १.३७५, उदयस्थान १३९०, उदीरणा १.४११ अ,
गाहना का अल्पबहुत्व ११५८ ब, आहारान्त राय उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान १२८ ब, इन्द्रिय १३०२ अ, ज्ञान की कालावधि का
४.३०३, त्रिसंयोगी भग १४०४, सक्रमण ४.८४ ब, अल्पबहुत्व ११६० ब, ज्ञानार्थक १३०६ ब,
अल्पबहुत्व १.१६६ अ । पर्यायाथिक नय २५४१ ब, २५४६ ब, सूक्ष्म ग्रहण चतुरिद्रिय (जीव)-२.२७७ अ, २.३३३ ब, अवगाहना ४४३६ ब।
१.१७६, इन्द्रिय १.३०६-३०७, आयु १२६३चक्षुदर्शन-कालावधि का अल्पबहुत्व ११६० ब, दर्शनो- २६४, जीवसमास २३४३, त्रस २.३६८, सक्लेश
पयोग २४१३ अ । प्ररूपणा-बन्ध ३.१०६, बन्ध- विशुद्धि स्थानो का अल्पबहुत्व १.१६० । प्ररूपणास्थान ३११३, उदय १३८३, उदयस्थान १३६३ बध ३ १०३, बधस्थान ३ ११३, उदय १ ३७८, उदय. अ, उदीरणा १४११ अ, सत्त्व ४२८४, सत्त्वस्थान स्थान १.३६२ ब, उदीरणा १.४११ अ, सत्त्व ४.२८२, ४३०१, ४३०६, त्रिसयोगी भंग १.४०७ ब। सत् सत्त्वस्थान ४ २६६, ४३०५, त्रिसयोगी भग १.४०६ ४२३९, संख्या ४.१०७, क्षेत्र २२०५, स्पर्शन
ब । सत् ४.१६६, सख्या ४.६६, क्षेत्र २ २००, स्पर्शन ४४८६, काल २११५, अन्तर ११७, भाव ३.२२१ ४.४८३, काल २.१०६, अन्तर १.११, भाव ३ २२० ब, अल्पबहुत्व ११५१ ।
ब, अल्पबहुत्व १ १४५ । चक्षदर्शनावरण --२.४२० अ। प्ररूपणा---प्रकृति २४२०, चतर्गति-आयुबंध १२६२ अ, कषाय २३८ अ, २४० ३८८, स्थिति ४४६०, अनुभाग १६१ ब, १६४ ब,
अ, निगोद ३१८३, सिद्ध (अल्पबहुत्व) १.१५३ । प्रदेश ३१३६ । बन्ध ३९८, बधस्थान ३ १०८, उदय चतगति-निगोद-वनस्पति ३५०३ ब। १.३७५, उदयस्थान १३८७ ब, उदीरणा १.४११, चतर्ज्ञान-सिद्ध-अल्पबहुत्व ११५४ अ । सत्त्व ४ २७८, सत्वस्थान ४.२८७, त्रिसंयोगी भग चतर्थकाल-२६२, वीर निर्वाण १३०६ अ।
१.३९४ । सक्रमण ४.८४ ब, अल्पबहुत्व १.१६८। चतर्थच्छेद-२२७७ अ, गणित २२२५ अ । चक्षुमित्र-शक वश १.३१४ ।
चतुर्थ-भक्त-२.२७७ अ, अनशन १६५ ब, कायक्लेश चक्षष्मान-२.२७७ अ, कुलकर ४.२३, पुष्कराधं का २४७ अ, प्रोषधोपवास ३ १६४ ब । रक्षक देव ३ ६१४ ।
चतर्दश-२ २७७ अ, गणस्थान २ २४६, जीवसमास चतुः-२२८० अ, अनुभाग स्थान १६०-६१, अनुयोग
२.३४१, पूर्व ४६८ ब, पूर्वधर ४५५ अ, मलदोष १.९६ ब, ४५२३ ब, असंख्यातासख्यात की सहनानी १२८६ ब, मार्गणा ३ २६७ अ, रत्न ४१३ । २.२१६ अ, आवश्यक २११ अ, २.१२ ब, २ १४ अ, चतर्दश पूर्व-श्रुतज्ञान ४६८ ब । आश्रम १.२८१ अ, ३ ५२४ ब, कषाय २.३५ ब, चतुर्दश पूर्वधर-मूल सघ १.३१६, शुक्लध्यान ४३६ अकृति की सहनानी २.२८० अ, गति २.२३६ ब, जल्प ब, श्रुतकेवली ४५५ अ। के अग २.३२६ अ, प्रतरागुल की सहनानी २ २१६ ब, चतुर्दश पूवित्व-ऋद्धि १ ४४८, श्रुतकेवली ४.५५ अ। युक्तासख्यात की सहनानी २.२१९ अ, वर्ण (वर्ण
क्रिया-कृतिकर्म २१३८ ब। व्यवस्था) ३.५२३ ब, ३ ५२४ अ, शिरोनति २ २६ चतुर्दशी व्रत - २ २७७ ब । अ, २२७७ ब, २.५०६ ब, सघ २.३१ ब।
चतुर्दिक मुखदर्शन-अर्हतातिशय १.१३७ ब । चतुरंक-२.२७७ अ।
चतुर्दोप-२ २७७ ब । चतुरंग-२.५०६ अ।
चतुर्दोष-आहार के संयोजनादोष १२६२ अ । चतुरन-क्षेत्रफल २.२३२ ब ।
चतुर्थभुक्त-अनशन १६५ ब, कायक्लेश २४७ अ, चतुरावश्यक-अधःप्रवृत्तकरण २.११ अ, अनिवृत्तिकरण प्रोषधोपवास ३ १६४ ब। २.१४ अ, अपूर्वकरण २.१२ ब।
चतुर्दश मुणस्थान-मनुष्यणी ३ ५८१ ब । चतुराधम-१.२८१ अ, ३.५२४ ब ।
चतुर्भुज-२२७७ ब, इतिहास १३३४ अ । चरिद्रिय जातिनाम कर्मप्रकृति-प्ररूपणा -प्रकृति ३८८, चतुर्भुज समलम्ब-२२७७ ब ।
२५८३, स्थिति ४.४६३, अनुभाग १.६५, प्रदेश चतुर्मास-२२७७ ब । ३.१३६ । बध ३.६७, बंधस्थान ३.११०, उदय चतुर्मासिक प्रतिक्रमण-३.११६ अ, ३.६२१ अ।
२.२०
Page #93
--------------------------------------------------------------------------
________________
चतुर्मुख
चतुर्मुख- २२७७ व याकुव
7
१३३५ ब कल्किव
१३११ अ १३१५ अ २३०६ नारद ४२१ अ पूजा ३ ७४ अ, विद्याधर नगरी ३५४५ अ । चतुर्मुख देव – २२७७ व इतिहास १३२६ ब चतुर्मुखी - २.२७७ ब ।
चतुर्विंशति - २२७७ ब, कामदेव ४२२ ब, तीर्थकर ४१ ब, २३७६, प्राकृतिक स्थान ४२७६ अ । चतुविशति पूजाविधान इतिहास १३४८ अ । चतुर्विंशति मडल यंत्र - ३३५३ । चतुविशतिसधान काव्य – इतिहास १.३४७ ब । चतुर्विंशतिस्तव भक्ति ३.२०० अ श्रुतज्ञान ४६९६ । चतुर्विध उदय - १.३८६ । विध-उपकार १४१६ अ
चतुश्चारित्रसिद्ध - अल्पबहुत्व १९५३ ब । चतु षष्ठि - चमर ११३७ ब ।
चतुःषष्ठि स्थानीय अल्पबहुत्व -- ११६६ अ । चतुष्टय-२२७७ व अहं ११३७ व विरोधी धर्म युग्म ११०८ व ।
चतुष्पाद - ग्रह २२७४ अ, पथ-निर्देश २३६७, आयु १२६३ ।
चतुस्त्रिशत् - अतिशय ११३७ व २.३०४ ब बधापसरण
१११५ अ ।
चमकदशमी व्रत - २२७८ ब ।
चमत्कार - २.२७८ प्रभावना ३.१३६ ब ।
,
चमर - २.२७८ व असुरेन्द्र — निर्देश ३२०८ अ, परिवार
३ २०६ अ, अवस्थान ३२०६ ब, आयु १२६५ । अर्हन्त प्रतिहार्य (चौसठ चमर) १.१३७ ब, तीर्थंकर सुमति व पद्मप्रभ २३८७ मंगल द्रव्य ३.२४४ ब विद्याधर नगरी ३ ५४५ ब । चमरेंद्र – २.२७८ ब । असुरेन्द्र - निर्देश ३ २०८ अ, परिवार ३ २०६ अ, अवस्थान ३.२०६ ब, आयु १ २६५ । चमू - २२७८ ब, सेना ४४४४ अ । चप-२२७८ व उदय १३७१ अ गणित २२२६ ब ब, २२३० अ ।
चयधन --- गणित २२२१ व २२३० व
-
चर ज्योतिष-लोक - निर्देश २३४९, गतिविधि २.३५० अ, वीथियाँ २ ३४९ ब, चार क्षेत्र २ ३४६ अ, गगनखण्ड २३५० अ ।
चरण चारण ऋद्धि १.४५१ व चारित्र २.२६३ ब । चरणसार २.२७८ व इतिहास १३४३ ब । चरणानुयोग - अनुयोग
१९९-१०१ ब,
४.५२३ व ।
८७
स्वाध्याय
चरम - हरिवंश १.२३९ व
चरमदेह मोक्ष (किचिदून आकार ) ३३२६ ब । चरमशरीरी - अवधिज्ञान ११६५ अ, आयु-अपवर्तन १२६१ अ मरण (अकाल मृत्यु) ३२८४ व । चरमावली – १४४१ ब ।
चरमोतम देह--२२७८ व अवधिज्ञान ११९५ अ, आयुअपवर्तन १ २६१ अ मरण ( अकाल मृत्यु ) ३२८४ ब मोक्ष ( किचिदून आकार) ३३२१ ब
1
चरविमान ज्योतिष विमान निर्देश २३४६ व गगन खड २ ३५० अ, गतिविधि २.३५० अ चार क्षेत्र
२ ३४१ अ ।
चरु
चर्चा
पूजा ३७८ व
२२७९ अ नरक पटल-निर्देश २५८० अ, विस्तार २५८० अ अकन ३४३८ । नारकीअवगाहना १.१७८, अवधिज्ञान १९९८ अ, आयु १२६३ ।
चचिका - २२७६ अ ।
धर्म-२२७९ अ औदारिक शरीर १४७१ व चक्रवर्ती
-
का रत्न ४ १३ अ, ४१५ ब ।
चर्मज - वस्त्र ३५३१ अ ।
-
चर्मण्यती-२२७१ अ मनुष्यलोक ३ २७५ ब । चर्मनिक्षिप्त- भक्ष्याभक्ष्य ३ २६३ व ।
चलितस्कंध
चर्मरत्न - चक्रवर्ती ४१३ अ, ४१५ ब । चर्या - २२७६ अ ।
चर्या परिवह- २२७९ अ परिषद् ३३३ व ३३४ अ । चर्याभावक - ४४५ व
चल -- २.२७६ ब, जीवप्रदेश १३०२ब, २३३६ अ, सम्यग्दर्शन का दोष ४३७० व
चलनी - ४७४ ब ।
चलप्रदेश - इन्द्रिय १.३०२ब, जीव २.३३६ अ । चलप्रभ - वरुण देव का यान ४५१३ अ । चलबिम्ब-प्रतिष्ठा कृतिकर्म
२.१३६
३.१२० ब ।
चलशव-साधु निन्दा २५६१ अ चलशील- २२७१ व
--
चल - संख्या - २२७६ ब ।
चलाचल- जीवप्रदेश २.३३१ अ ।
अ, प्रतिष्ठा
चलित परमाणु ३१६अ, रस २२६ व ३.२०३ ब स्कन्ध ३ १६ अ ।
चलितरस-कर्म
(पचसून) २२६ ब
३२०२ ब । चलितस्कध - परमाणु ३.१६ अ ।
भक्ष्याभक्ष्य
Page #94
--------------------------------------------------------------------------
________________
चारित्रसार चलुलितदोष
, ३४१४ अ, कषाय १.४३२ ब, ३५५८ ब, कालावधि चलुलितदोष-व्युत्सर्ग ३ ६२३ अ। चल्लितापि-२२७६ ब, मनुष्यलोक ३२७५ ब ।
का अल्पबहुत्व ११६१, चरण १४५१ ब, तप २.३५१ चांडाल-आहारान्तराय ११२६ अ । किल्विष देव २२१५ ब, त्याग २ २८३ अ, त्रिकरण २६-१४, भोगभूमि अ, भिक्षा ३ २३२ ब, स्पर्श १२६ ब।
३ २३६ अ, मनुष्यणी ३५८६ ब, मोक्ष ३ ३२७ ब, चाँदराय-२.२७६ ब ।
मोक्षमार्ग (आत्मा) ३ ३३७ अ, मोहनीय कर्म ३.३४३ चाक की कील-काल २८२ ब ।
ब, ३ ३४४ अ, योग (उपयोग) १.४३२ अ, लब्धि चाक्षुष-सूक्ष्म ४४३६ अ, स्कन्ध ४४४७ अ।
(करण) ३४१४ अ, विभाव (कषाय) ३५५८ ब, शुभ चाक्षुष स्कन्ध-४४४७ अ ।
भाव (अनुप्रेक्षा) १७८ ब, शुभोपयोग १४३४ ब, चाणक्य-मगधदेश १३१० ब ।
श्रद्धान ४ ४३ ब, सयम ४१३७ अ, ४१३८ ब, चातुर्दीपिक भूगोल-निर्देश ३ ४३७ अ।
सम्यक्त्व ४.३५४ अ, साधु ४४०७ अ, स्वरूपाचरण चातुर्मास २.२७७ ब ।
१८५ अ। चातुर्मासिक प्रतिक्रमण-३ ११६ अ, ३.६२१ अ।
चारित्रपडित -३.२८१ अ । चाप-२.२७६ ब।
चारित्रपाहुड-२२६४ अ, इतिहास १.३४० ब । चामत्कारिक-२२७८ ब, ३ १३६ ब ।
चारित्रबाल-३ २८१ अ। चामर - पद्मप्रभ २ ३८७ ।
चारित्रभक्ति-इतिहास १.३४० ब । चामुंड-राक्षसवंश १३३८ अ।
चारित्रभूषण-२२६४ अ, इतिहास १ ३२६ ब । चामुंडराय-२२७६ ब, २२८० अ, इतिहास १३३० ब, चरित्रमाहनाय
चारित्रमोहनीय कर्म-निर्देश ३ ३४३ ब, उदय की विशेषता १३४३ अ.
१.३७२ अ-ब, १३७३ ब, उपशम १२६ अ, १.४४० चामुंडराय पुराण-२२८० अ, इतिहास १३४३ अ।
अ, उपशम काल की अवधि का अल्पबहुत्व ११६१, ३-५२४ ब, कषाय २ ३५ ब, कृति की सहनानी क्षपण १.२६ ब, २ १७६ ब, क्षपणकाल की अवधि का २२८० अ, गति २२३६ ब, जल्प के अंग २ ३२६
अल्पबहुत्व ११६१, चारित्र २ २६४ अ। अ, प्रतरागल की सहनानी २२१६ ब, यूक्ता- चारित्रमोहनीय कर्म (प्ररूपणा)-प्रकृति ३८८, ३३४३ सख्यात की सहनानी २२१६ अ, वर्ण (वर्ण व्यवस्था)
ब, स्थिति ४ ४६१, अनुभाग १६४ ब, प्रदेश ३.५२३ ब, ३५२४ अ, शिरोनति २.२६ अ, २२७७
३१३६ । बन्ध ३६७, बन्धस्थान ३.१०६, उदय ब, २५०६ ब, सन २.३१ ब ।
१३७५, उदय के निमित्त १.३६७ ब, उदय की चार-२.२८० अ, अनुभाग स्थान १.६०-६३, अनुयोग
विशेषता १३७२ अ-व, १.३७३ ब, उदयस्थान १६६ अ, ४.५२३ ब, असख्यातासख्यात की सहनानी
१३८६, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, . २२१६ अ, आवश्यक २ ११ अ, २ १२ ब, २१४ अ,
सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान ४.२६५, विसंयोगी भंग आश्रम १२८१ अ।
१.४०१ ब । सक्रमण ४.८६ अ, अल्पबहुत्व ११६८ । चारण क्षेत्र-२२८० अ, ज्योतिष लोक २३४६ अ ।
चारित्रमोह उपशामक-अन्तरकरण १.२६ अ, उपराम चारण-नाभिगिरि का रक्षक देव ३४७१ अ,
१.४४० अ, कालावधि का अल्पबहुत्व १.१६१, प्रदेश ३.६१३ अ।
निर्जरा का अल्पबहुत्व १.१७४, मरण ३.२८३ अ, चारण ऋद्धि-१.४४७, १४५० ब, १४५१ ब ।
समुद्घात ४.३४३ अ, सम्यग्दर्शन ४.३७६ अ।
चारित्रमोह क्षपक- क्षपणा १.२६, अ-ब, २१७६ ब, चारणकूट व गुफा-२२८० अ।
कालावधि का अल्पबहुत्व १.१६१, प्रदेश निर्जरा का। चारणा-श्रेयासनाथ २३८८ । चारित्र--२.२८० अ, अनन्तानुबंधी १६० ब, अनुप्रेक्षा
अल्पबहुत्व १.१७४। १७८ ब, अपवाद मार्ग १.१२० ब, अभ्यास ११३१
चारित्रवाद-एकान्त १.४६५ ब । ब, अल्पबहुत्व १.१६०, अवधिज्ञान १.१९४ अ, ११९५ चारित्रविनय-३ ५४८ ब, ३.५५० ब । अ, आत्मा ३ ३३७ अ, उत्सर्गमार्ग ११२० ब, उद्योत चारित्रवृद्ध-विनय ३ ५५२ ब । १.४१४ अ, उपदेश १.४२६ ब, उपयोग (शुभ या शुद्ध) चारित्रशुद्धि-शुद्धि ४.४० ब । १.४३० ब, १४३२ अ, १४३३ अ, १४३४ ब, चारित्रशुद्धि व्रत-२.२६४ ब । उपशम १.४३६ अ, करणत्रिक २.६-१४, करणलब्धि चारित्रसार-२२६४ ब, इनिहाम १३४३ अ ।
Page #95
--------------------------------------------------------------------------
________________
चारित्रसिद्ध
८६
चित्रा
चारित्रसिद्ध-~-अल्पबहुत्व १.१५३ ।
चित्तप्रसाद--उपयोग (शुभ) १४३३ अ, १.४३४ ब । चारित्राचरण-मिथ्यादृष्टि ३३०३ ब ।
चित्तविकार--३२१७ ब। चारित्राचार--२.२८६ ब, आचार १२४० ब, विजय चित्तवृत्ति-एकाग्रता १४६६ अ, ध्यान २४६५ अ-ब, ३ ५५० ब।
सामायिक ४ ४१५ ब । बारिताराधना-आराधना १२७१ ब,चारित्र २.२८६ अ। चित्तरक्ष-धर्मनाथ २३७८ । चारित्रार्य-१२७५ अ।
चित्प्रकाश २२६५ ब, दर्शनोपयोग २४०६ ब । चारु-कुरुवश १३३५ ब ।
चित्र-२२६५ ब, नमिनाथ ३३८४, यमकगिरि का चारु कीति-नन्दिसघ १.३२३ ब, इतिहास १३३३ ब, रक्षक देव ३ ४५३ अ, सुमेरु के वन मे कुबेर भवन१.३४७ अ।
निर्देश ३४५० अ, अका ३४५१ । चारुकृष्ण--यदुवश १३३७ ।
चित्रक-सुमेरु के वनो मे कूट - निर्देश ३.४७३ ब, चारदत्त-२२६४ ब, यदुवश १.३३७, सम्भवनाथ विस्तार ३४८३, अंकन ३ ४५१ । २३८७।
चित्रकर्म-कर्म २२६ अ, कषाय २.३५ ब, निक्षेप चारुदत्त चरित्र-२२६४ ब, इतिहास १.३४६ अ ।
२५६८ अ। चारुपम-कुरुवश १३३५ ब ।
चित्रकारपुर-२२६५ ब, मनुष्यलोक ३२७६ अ। चारुपाद-विमलनाथ २३७७ ।
चित्रकूट -२२६५ ब, यमकगिरि-निर्देश ३.४५३ अ, चाररूप-कुरुवश १३३५ ब ।
नामनिर्देश ३ ४७१ अ, विस्तार ३४८३, ३.४८५, चारुसेन- सम्भवनाथ २३८७ ।
३४८६, वर्ण ३ ४७७, अकन ३ ४४४, ३ ४५७, ४६४ चार्वाक-२.२६४ ब, एकान्त १४६५ ब, जीव २३३६ ब,
के सामने, चित्र ३४५३ अ। वक्षार पर्वत--निर्देश परवाद ३.२३ अ।
३४६० अ, नामनिर्देश ३ ४७६, विस्तार ३.४८२० बालनी-श्रोता १.४२५ ब।
३४८५, ३४८६, अकन ३.४४४, ४६४ के सामने । चालिसिय-२२६५ अ।
इस पर्वत का कूट तथा देव ३.४७२ ब। विद्याधर चालुक्य जयसिंह-२२६५ अ ।
नगरी ३ ५४५ अ। चालुक्य वंश- अरिकेसरी ११३४ अ। चित-चक्रवर्ती ४ १० अ।
चित्रगुप्त-२.२६६ अ, तीर्थकर २ ३७७ । चितवन-वासुपूज्यनाथ २३८२ ।
चित्रगुप्ता-२२६६ अ, रुचकवर पर्वत की दिक्कुमारी
निर्देश ३४७६ अ, अकन ३ ४६८ । चिता -२२६५ अ, एकाग्रता १४६६ अ, धर्मध्यान २४८२ अ, २४८४ ब, मन.पर्याय ज्ञान ३.२६२ अ,
चित्रगुप्ति-तीर्थकर २३७७ । शुक्लध्यान ४३३ अ।
चित्रगृह-भवनवासी देव-भवनो मे ३२१० ब। चितागति-२.२६५ ब, राक्षस वश १३३८ अ ।
चित्रप्रभा--सौधर्म स्वर्ग पटल-निर्देश ४५१७, विस्तार चिताजननी-चक्रवर्ती ४ १३ अ, ४१५ अ ।
४.५१७, अकन ४५१६ ब । देवायु ४२७८ । चितानिरोध-२४६५ ब।
चित्रभवन-२.२६६ अ। चितामणि - मूलसघ १.३२२ ब ।
चित्रमती-चक्रवर्ती ४११ ब । चित्तामणि यात्र-३.३५३ ।
चित्ररथ-कुरुवश १ ३३५ ब । चितारक्ष-शान्तिनाथ २.३७८ ।
चित्रलाचरण-४ १२६ ब । चिकित्सादोष-२.२६५ ब, आहार १२६१ अ, वसतिका चित्रवती-२.२६६ अ, मनुष्यलोक ३ २७५ ब । ३.५२६ ब।
चित्रवसु-हरिवश १.३४० अ। चितिकर्म-२२६५ ब।
चित्रवाहन-कुलकर ४.२५ अ । चितकर्म-२२६५ ब, कर्म २.२६ ब, कृतिकर्म २.१३३ ब। चित्रविचित्र-कुरुवश १३३५ ब । वित्त -२ २६५ ब, अध्यवसान १५२ अ, परद्रव्य ३ १२ । चित्रांगदा-२२६६ अ। चित्तनिरोध-उपयोग (शद्ध) १.४३१ अ, एकाग्रता चित्रा-२२६६ अ, त्वष्टानक्षत्र २५०४ ब, पद्मप्रभ
१४६६ अ, ध्यान २.४६५ अ-ब, सामायिक २३८०, रुचकवर पर्वत की देवी--निर्देश ३.४७६ ४.४१५ब।
ब, अकन ३.४६६।
Page #96
--------------------------------------------------------------------------
________________
चित्रा पथिवी
जोरकया
चित्रा पथिवी-मध्यलोक ३४४२ अ, रत्नप्रभा-
निर्देश ३ ३८६ ब, विस्तार ३ ३६० अ, वैचित्र्य ३३८६ ब, अकन ३.३८६ ब, ३४३६, ३४४१,
चित्र ३२१० अ। चित्सुखाचार्य--वेदान्त ३ ५६५ ब । चित्सुखी-वेदान्त ३५६५ ब । चिदानंद-अनुभव १८५ ब । चिद्विलास-२२६६ अ । इतिहास १३४७ ब । चिरकाल स्थायी-पर्याय ३४८ अ । चिलात-२२६६ अ, मनुष्यलोक ३२७५ ब । चिलातपुत्र-२.२६६ अ, अनुत्तरोपपदक १७० ब । चिह्न-२.२६६ अ, प्रतिमा ३७८ अ, मातग विद्याधर
१३३६ ब, विद्याधर १.३३६ अ, वृत्तिपरिसख्यान
३५८० अ, स्वप्न ४५०४ अ। चिह्न (निमित्त ज्ञान)---२६१३ अ, ऋद्धि १४४८ । चुगलखोर-३.८५ अ। चुललित-२२६६ अ। चूड़ादेवी-चक्रवर्ती ४.११ ब । च डामणि--२.२६६ अ, चक्रवर्ती ४१३ अ, ४.१५ अ,
विद्याधर नगरी ३५४५ ब, ३५४६ अ, विद्याधर वश १३३६ अ, मूल सघ १३२२ ब, इतिहास
(तुम्बूलाचार्य) १३४७ ब। चूर्ण-२.२६६ अ, आहार का दोष १.२६१ ब, निक्षेप
२.६०२ ब, भेद ३.२३७ अ। चूर्णसूत्र--कषायपाहुड २ ४१ अ। - चूर्णसूत्रवृत्ति-उच्चारणाचार्य १.३५२ अ। चणि-२२६६ अ, कर्मप्रकृति १३४१ अ, कषायपाहुड
१३४० अ, मनुष्यलोक ३.२७६ अ, शतक १३४१
अ, सप्ततिका १३४२ अ, २ परि-/१ । चर्णिका-भेद ३२३७ अ। चूर्णोपजीवन-२२६६ अ। चुला-चक्रवर्ती ४११ ब । चूलिक-सुमेरु ४ ४३७ अ । . चूलिकांग -- कालप्रमाण २ २१६ ब । अलिका-२.२६६ अ, कालप्रमाण २२१६ ब, गणित
(क्षेत्रफल विधि) २२३३ अ, श्रुतज्ञान ४.६७ ब । सुमेरु-निर्देश ३.४४८ ब, विस्तार ३४८३, ३.४८५ ३.४८६, अकन ३ ४५० ब, चित्र ३.४४६, चार चैत्यालय ३४५० ब, पाण्डुक आदि चार शिलाएँ
३.४५० ब। चलित-काल प्रमाण २२१६ अ।
चूलितांग-काल प्रमाण २.२१६अ। चूली-कर्म (पञ्चसून) २.२६ ब । चेटक-२२६६ ब । चेटो-स्त्री ४.४५० ब । चेतन-२ २६६ ब, गुण २.२४४ ब, द्रव्य २.४५५ ब,
भाव ३ २१७ ब, सापेक्ष धर्म ४.३२३ ब । चेतनपुद्गल धमाल-इतिहास १३४७ अ। चेतना-२.२६६ ब, अनुभव १.८२ अ, उपलब्धि १.४४५
अ, ज्ञान १८२ अ, जीव २.३३२ अ। चेदि-२३०० अ, मनुष्यलोक ३ २७५ ब, ३.२७६ अ। चेर---२ ३०० अ, मनुष्यलोक ३.२७५ ब । चेलना - २३०० अ। चेला-चेली-परिग्रह ३.२५ ब । चेष्टा - २.३०० ॥ चैतन्य -- अनेका-त (सापेक्ष धर्म) ११०१ अ, जीव (प्राण)
२३३२ अ, जीवत्व २.३४० ब, मोक्षमार्ग (दर्शन)
३ ३३८ । चैतन्यप्राणरक्षा-अहिंसा १२१७ ब । चैतन्यान विधायी-उपयोग १.४२६अ। चैत्य - अवर्णवाद १२०१ अ। चैत्यगृह-२३०२ ब। चैत्यचैत्यालय-२.३०० अ। चैत्यप्रासादभूमि--२३०४ ब, समवसरण ४.३३० ब। चैत्यभक्ति-३ ७८ अ। चैत्यभूमि-२.३०३ अ। चैत्यवन्दना-३ ४६५ ब । चैत्यवासी-४७७ ब। चैत्यवक्ष-२३०३ अ, भावनलोक ३२०८ .ब, वक्ष
३५८१ अ, वैमानिक लोक ४.५२१ अ। व्यन्तर
लोक ३ ६११ अ, समवसरण ४३३४ अ। चैत्यालय-२३०२ ब, कुण्डलवर पर्वत ३४६६ अ,
३ ४६७, त्रिभुवन-चूडामणि ३४५८ अ, नन्दीश्वर द्वीप ३ ४६५, ३ ४६६ अ, पद्म आदि द्रह ३ ४५४, ३ ४२४ अ, मानुषोत्तर पर्वत ३४६३ ब, ३४६४, रुचकवर पर्व ३ ४६६, ३ ४६८, ३ ४६६, सिद्धायत
-निर्देश ३ ४७१ ब, जम्बूद्वीप मे गणना ३.४४५ ब, अकन ३ ४४४, ३ ४४७, ३४६२, ३४६४,
३४६६ । सुमेरु पर्वत पर ३.४५०,३४५१ । चैत्र-नमिनाथ २३८३ । चैत्रोद्यान-नमिनाथ २३८३ । चोरकथा-२.३ ब
Page #97
--------------------------------------------------------------------------
________________
चोरी
छिद्र (घटछिद्र)
चोरी-अस्तेय १२१३-२१५, श्रावक ४.५० ब, स्तेन- ११३७ ब, रत्न ४ १३ अ, ४१५ ब, रुचक पर्वत
प्रयोग ४.४४६ अ, हिंसा १२१७ अ, ४५३२ ब । की दिक्कुमारी ३४६६, ३.४६८-४६६ । चोल-२३०४ ब, मनुष्यलोक ३.२७५ ब ।
छत्रचूडामणि -२ ३०५ अ, इतिहास १३४१ ब । चौइन्द्रिय-३ १५३ अ।
छत्रत्रय-प्रातिहार्य ११३७ ब । चौका विधान-आहारशुद्धि १२८५ अ, १२८७ ब । छत्रपति-२३०५ अ, इतिहास १३३४ ब । चौंतीस-अतिशय १.१३७ ब, अतिशय व्रत २३०४ ब, छत्रपुर-वर्द्धमान प्रभु २ ३७८ । बन्धापसरण १११५ अ ।
छत्रसेन - सेन सघ १३२६ अ, ब, इतिहास १३३४ अ। चौथा काल-२३१७ अ।
छद्म-२३०५ अ। चौदह-२२७७ अ, गुणस्थान २.२४६, जीवसमास छद्मस्थ-२३०५ अ, आगम १.२३७ ब, आत्मानुभव २३४१, पूर्व ४.६८ ब, पूर्वधर ४५४ अ, मलदोष
१८४-८६ अ, गुणस्थान २२४६ ब, प्रामाण्य १२८६ ब, मार्गणा ३.२६७ अ, रत्न (चक्रवर्ती)
११४३ अ, बन्धक ३१७६ अ, शुद्धाशुद्ध ज्ञान ४१३-१४।
१८६ब। चौबीस-२२७७ ब, कामदेव ४२२ ब, तीर्थकर ४६ब, छद्मस्थविहित वस्तु-गुरु २२५३ ब । २३७७, प्रकृति सत्त्वस्थान ४२७६ अ।
छद्मस्थ वीतराग - उपशान्त कषाय १४४२ ब, क्षीणकषाय चौबीसी पूजा - इतिहास १३४८ अ।
२१८६ ब । चौर्यानंद-३४०८ अ ।
छन्ना-जल-गालन २ ३२५ ब । चौल क्रिया-मन्त्र ३२४७ अ।
छब्बीस-प्रकृतिसत्त्व ४८७ ब, ४ २७६ अ । चौंसठ-चमर ११३७ ब, अल्पबहुत्व के स्थान ११६६ छयालीस- अर्हन्त के गुण ११३७ अ, आहार के दोष अ, ११६८, ११६६ ब, ११७० अ।
१२८७ अ, १२८६ अ, बसतिका के दोष ३५२८ अ । च्यवन कल्प-२३०५ अ।
छदि - आहारान्तराय १२६ अ। च्यावित शरीर-निक्षेप २.६०० अ ।
छल-२३०५ ब, अनेकान्त ११०५ ब, न्याय २ ६३३ अ च्युतशरीर-निक्षेप २६०० ।
माया ३२६६ अ, वाद-विवाद ३.५३३ अ, विद्या न्युति-मरण ३२८२ अ।
३ ५४३ अ। छलना-जल-गालन २ ३२५ ब । छलनी-श्रोता १४२५ ब । छह-अनायतन १२५१ अ, आवश्यक कर्म (श्रावक)
४.५१ ब, आवश्यक कर्म (साधु) १२७६ ब, आहार १२८५ अ, कर्त्तव्य (श्रावक) ४.५१ ब, कर्म (असि, मसि आदि) ४.२४, ४.४२० ब, कारक २४८, खड
४.८१ अ, घनागुल की सहनानी २२१९ ब, दर्शन छंदन-समाचार ४३३६ ब, ४३३७ अ ।
(एकान्त मत) १.४६५ अ, द्रव्य २४५५ ब, पर्याप्ति छंदबद्ध चिट्ठी-२३०५ अ।
३ ४०, रस ३ ३६३ अ, हानि-वृद्धि ४.८१ अ। छंदशतक-२३०५ अ, १.३४८ अ।
छहढाला - इतिहास १३४८ अ । छंदशास्त्र-२३०५, १३४० अ, १३४७ अ।
छहारदशमी व्रत-२.३०६ अ। छंदानुशासन - इतिहास १.३४५ अ ।
छाग-कुन्थुनाथ २३७६ । . छंदोबिंदु-इतिहास १ ३४३ अ ।
छाया-२.३०६ अ। छक्कमुवएस-इतिहास १३४४ ब ।
छायाराहित्य-अर्हन्तातिशय १.१३७ ब । छठा अणुवत-रात्रिभोजन त्याग ३.४०३ अ ।
छायावत्-मोक्ष ३.३२९ ब । छत्तीस-आचार्य के गुण १.२४२ म।
छाया-व्याख्या टीका-योगदर्शन ३.३८४ अ। छच-२.३०५ अ चक्रवर्ती ४.१३ ) ४.१५ ब, चैत्य छाया-संकामिणी-विद्या ३.५४४ अ।
चैत्यालय २.३०२ अ, पूजा ३ ७८ ब, प्रातिहार्म छिद्र (पटछिद्र) श्रोता ४७४ ।
Page #98
--------------------------------------------------------------------------
________________
छिन्नगति
छिन्नगति-२२३५ अ ।
छिन्न निमित्त ज्ञान - २.६१३ अ ऋद्धि १४४८ | क-कायक्लेश २ ४७ व २३०६ अ ।
छे छे सूच्यागुल की अर्द्धच्छेद राशि २२१९ व । के छ प्रतरांगुल की अर्द्धच्छेद राशि २२११ ब । घनांगुल की अर्द्धच्छेद राति २२१६ व । जगत्प्रतर की अर्द्धच्छेद राशि २२१६ ब । घनलोक की अर्द्धच्छेद राशि २ २१६ ब, जगत्
छे छे
छे छे छे छे छे छे
--
-
श्रेणी की अर्द्धच्छेद राशि २२१६ ब । छेद--२ ३०६ अ, अहिंसा व्रतातिचार १.२१६ अ, गणित
प्रक्रिया २२२३ ब, पर्याय ३४५ ब, प्रायश्चित ३.१६१ अभग १२१६ व हिंसा ४५३३ ।
गणित - २.३०६ ब ।
संवना-२३०६ ब ।
छेदपिड - इतिहास १. ३४३ अ
-
प्रायश्चित - २३०७ अ आहार १.२५६ व
छेद भागाहार-अनुयोगद्वार ११०२ब
छेदविधि - २३०७ अ, छेदोपस्थापना २३०७ न ।
१२
,
ज
जंगम प्रतिमा
२३०० अ-ब ।
अघा चारण ऋद्धि- १.४४७, १.४५१ ब । जंतु - २३०६ ब, जीव २.३३३ अ-ब । अंबुद्दीवपत्ति - २.३०६ ब, इतिहास १.३४२ न ।
३ ४५८ अ, वर्ण ३४७७, अकन ३४४४, ३.४५७, चित्र ३४५८ अ, देव प्रासादो का विस्तार ३६१५ । बौद्धाभिमत ३४३४ ब, वैदिकाभिमत ३ ४४१ ब । जबूवृक्ष -- विमलनाथ २३८३, वृक्ष ३५७८ ब । बक्षस्थल निर्देश ३४५८ अ विस्तार ३.४५० अ अकन ३४५५, चित्र ३४५८, ३४५१ ।
वोपस्थापक २३०७ अ ।
छेदोपस्थापना ( चारित्र) - २३०७, निर्याक २.६२५ ब
।
परिहारविशुद्धि ३३६ व भाव ४१३२ अ लब्धि- जबूशंकुकुर - २३१० अ विद्याधर नगरी ३५४५ व ब, स्थान अल्पबहुत्व ११६०, सिद्धो का अल्पबहुत्व
११५३ । प्ररूपणा --- बन्ध ३१०६, बन्धस्थान ३११३ उदय १३८३ स्थान १३९३, उदीरणा १४११ सत्व ४२८२, मोहस्थितिसत्त्व ४.३०६ अ सत्त्वस्थान ४३०१, ४३०६ त्रिसयोगी भग १.४०७ ब । सत् ४.२३७, संख्या ४१०६, क्षेत्र २२०५, स्पर्शन ४४८१, काल २११४, अन्तर ११६, भाव ३२२१ ब, अल्पबहुत्व ११५१ ।
जगतुंग
जंबूद्दीव संघावणी २२०१ व इतिहास १ ३४१ अ जंबूद्वीप- २३०९ व चातुर्वीपिक निर्देश ३.४३७ अ अकन ३४३७ व बौद्धाभिमत निर्देश ३४३४ व अकन ३४३५ । वैदिकाभिमत निर्देश ३४३१ व अकन ३४३२ ।
3
जंबूद्वीप (जैनाभिमत) निर्देश ३४४४ अ नामनिर्देश ३.४७० अ विस्तार ३४४२ अ २.४७८, अकन ३४४३, चित्र ३४४४, ज्योतिष चक २३४८, अधिपति देव ३६१४ | इस क्षेत्र के पर्वत नदी आदि-निर्देश ३ ४४४ व गणना ३.४४५ ।
जबूद्वीपप्रज्ञप्ति -- २३०६ ब, अमितगति
१.१३६ अ,
2
इतिहास १३४२ अ. १३४३ अ श्रुतज्ञान ४६८ व जंबूद्वीपसमास - २३१० अ इतिहास १३४० ब । जबूडीपसिद्ध अल्पबहुत्व ११५३ अ । जंबूमती -- २३१० अ मनुष्यलोक ३ २७५ व अंबूवृक्ष - २.३१० अ निर्देश ३४५८-४५६, विस्तार
m
जंबूसामिचरिउ इतिहास १३४३ व
।
-
जंबूस्वामी २.२१० अ मूलसच १३१६, इतिहास १३२८ अ श्वेतान्वर ४७८ अ ।
जंबूस्वामीचरित्र - २३१० अ इतिहास १.३४३ म १३४५, १३४७ अ । जंभाई कायवलेश २४७ ब ।
ज-जगश्रेणी २२११ व जघन्य २.२१८ व अ - जपत्य को आदि लेकर अन्य भी २२१८ व । ब-जगत्तर लोकप्रतर २२१९ ब । जघनलोक २२१६ व
।
ज. जु अ- जघन्य युक्तानन्त २२१९ अ । ज. ज अ "उत्तम परीतानन्त, २२११ व जु ज. जु अ व -- जघन्य अनन्तानन्त २२१६ अ । जगच्चंद्र सूरि- इतिहास १३३२ अ जगजीवन- २२१० अ इतिहास १३३४ अ । जगती - निर्देश ३.४४४ ब, ३४६२ ब, ३.४६३ ब, विस्तार ३४८४, वर्ण ३७७, अकन ३.४४४, ३.४६४ के सामने |
जगतुंग- २.२१० अ राष्ट्रकूट वंश १.३१५ ब ।
Page #99
--------------------------------------------------------------------------
________________
जगत्
जन्मभूमि
अ।
जगत्-२३१० अ।
जघन्य पात्र-३ ५२ ब। जगत्कीति-काष्ठासघ १३२७ अ, नन्दिसघ १.३२३ ब। जघन्य प्रोषधोपवास-३ १६४ ब । जगत्कुसुम-२३१० अ, रुवकवर पर्वत का कट-निर्देश जघन्य भाव-बंध ३१७५ ब, सम्यग्दृष्टि ४.३७७ अ ।
३४७६ अ, विस्तार ३४८७, अंकन ३४६६ । जघन्य युक्तानन्त-उपमाकाल २२१८ अ, प्रमाण १५६ जगत्-घन-२३१० अ, क्षेत्रप्रमाण २ २१५ ब ।
ब, २२१४ ब, सहनानी २२१६ अ । जगत्प्रतर-२३१० अ, क्षेत्रप्रमाण २२१५ ब, सहनानी जघन्य युक्तासंख्यात-उपमाकाल २२१८ अ, प्रमाण २ २१६ ब।
१.२०६ ब, २२१५ ब, सहनानी २२१६ अ। जगत्श्रेणी-२३१० अ, क्षेत्रप्रमाण २२१५ ब, सहनानी जघन्य योगस्थान--३३८१ अ । २२१६ ब।
जघन्यलब्धि --३४१५ अ । जगतसुंदरी प्रयोगमाला-२३१० अ, इतिहास १३४५ जघन्य वर्ग--३५११ ब ।
जधन्य वर्गणा-सहनानी २२१६ अ। जगत्स्रष्टाकर्म २२८ अ।
जधन्य विभक्ति-अनुयोगद्वार ११०३ ब । जगदीश भट्टाचार्य-वैशेषिक दर्शन ३६०७ ब ।
जघन्य संख्यात- उपमा प्रमाण २२१४ अ, ४६२ अ । जगदेकमल्ल-२.३१० अ।
जघन्य स्थितिबंध-४४५८ ब। जगन्नाथ-इतिहास १३३४ अ, १३४७ ब ।
जघन्य स्थितिसत्त्व-४ २७६ ब, सम्यग्मिथ्यादष्टि जगमोहन दास---२३१० अ, इतिहास १३३४ ब ।
४२७७ अ। ज० ज्ञा०-जघन्य ज्ञान २२१८ ब ।
जघन्य स्पर्धक-४४७२ ब । जघन्य-अंतरात्मा--१२७ अ-ब ।
जटामुकुट--चैत्य-चैत्यालय २३०२ ब । जघन्य अजघन्य-प्ररूपणाएँ ३११४ ।
जटायु-२३१० ब। जघन्य अनन्तानन्त-प्रमाण १५६ ब, २२१४ ब, २ २१८ जटासिंहनदि-२३१० ब, इतिहास १ ३२६ ब । ब, सहनानी २२१६ अ ।
जटिल-२.३१० ब। जघन्य अनुभाग--१८६अ।
जठराग्नि-अग्नि १३५ ब। जघन्य अतरात्मा--१२७ अ-ब ।
जड़-२.३१० ब, २३३२ ब । जघन्य अवगाहना--सख्या ४६४ ब ।
जतुकर्ण - २.३१० ब, एकान्ती १४६५ ब, विनयवादी जघन्य असख्यात-प्रमाण १२०५ ब, सहनानी २२१६ ३६०५ अ। अ।
जनक-२.३१० ब, उग्रसेन १.३५२ मे, हरिवश १३४० जघन्य असख्येयासंख्येय--२२१८ अ।
अ। जघन्य आराधना-सल्लेखना ४३८७ ब ।
जनकपुरी-२.३१० ब। जघन्य कषायांश-बंध ३१७५ ब ।
जननाशौच-४.४४२ ब । जघन्य कृष्टि-२१४३ अ ।
जनपद-२३१० ब । जघन्यगुण-गुण २ २४१ अ-ब, स्कन्ध ४ ४४८ अ । जनपद सत्य--४.२७१ ब । जघन्य ज्ञान-बंध ३ १७५ ब, सहनानी २२१८ अ । जनसंसर्ग-४ ११८ अ। जघन्य धर्मध्यान-२४७६ अ।
जनार्दन-इतिहास १३३४ ब । जघन्य नक्षत्र-सल्लेखना ४ ३९७ ब ।
जन्नावार्य-२३१० ब,१३३२ अ। जघन्य निर्वृत्त्यपर्याप्त-३४२ अ ।
जन्म-२३१० ब, २३१२ अ, योनि ३.३८८ अ, वर्णजघन्य पद-अनुयोग११०२ ब, ११०३ ब ।
व्यवस्था ३५२५ अ। जघन्य परमाणु-३१४ अ ।
जन्मकल्याणक-२३२ अ । जघन्य परीतानन्त-प्रमाण १५६ अ, २२१४ ब, सहनानी जन्मकल्याणक-वन्दना-२१३६अ। २२१६ अ।
जन्मदत्त-४.२५ । जघन्य परोतासंख्यात्-प्रमाण १.२०६ अ, २.२१४ ब, जन्मभूमि-नारकियो का जन्मस्थान-निर्देश २ ५७७ अ. सहनानी २.२१६अ।
रचना २५७७ अ, विस्तार २.५७७ अ।
Page #100
--------------------------------------------------------------------------
________________
जन्म साहित्य
जन्मसाहित्य - मोज २३२६ अ ।
जन्मशाला भवनवासी देवभवन ३२१० ब ।
जन्मसंस्कार कियामंत्र-मंत्र ३२४६ व । जन्मसिद्ध अल्पबहुत्व ११५३ अ । जन्मांध -- एकान्त १४६३ ब ।
जन्मातिशय- अर्हन्त ११३७ व जन्माभिषेक सुमेरु पर वार हिलाये ३४५० छ । जन्मेजय २३२३ अ कुरुवश १३१० ब
जन्यजनक भाव १२३३ अ ।
--
जह्नु – इक्ष्वाकु वंश १३३५ अ ।
जप- ध्यान २४८३ ब ।
जमाली - श्वेताम्बर ४७६ ब ।
1
जयंत ( कूट ) -- रुचकवर पर्वत का कूट- निर्देश ३४७६ अ, विस्तार ३४५७, अकन २४६८ । जयंत (द्वार)- जम्बूद्वीप की जगती का द्वार-निर्देश ३४४४ ब विस्तार ३४८४, अकन ३४४४ के सामने, इसका रक्षक देव ३ ६१३ । जयत (नगरी) - विद्याधर नगरी ३५४५ अ । जयंत (स्वर्ग) २२२३ अ अनुगर स्वयं-निर्देश ४५१२ अ अकन ४५१५, ५१७ देव निर्देश ४५१० व आयु के बन्धयोग्य परिणाम १२५८ व चक्रवर्ती ४१० व । जयंतभट्ट २३२३ अ । जयंता - विदेह नगरी निर्देश ३४६० व नामनिर्देश ३४७० व विस्तार २४७१-४६१, अकन ३४४४, ३.४६४ के सामने चित्र ३.४६६ अ नन्दीश्वर द्वीप की बापी निर्देश ३४६३ अ. नामनिर्देश ३.४७५ अ, विस्तार ३४६१, अकन ३ ४६५ । स्थकवर पर्वतवासिनी देवी निर्देश ३४७६ अ-ब अंकन ३.४६८, ३४६६ ।
–
३ ४४४,
जतिको २.२२३ अ । जयंती - २३२३ अ, मनुष्यलोक ३२७६ अ, विद्या ३ ५४४ अ, विद्याधर नगरी ३५४५ अ । विदेह नगरी निर्देश ३४६० अ नामनिर्देश ३४७० व विस्तार ३.४७१-४८०-४८१. अंफन ३ ४६४ के सामने, चित्र ३४६० अ । जय - २३२३ अ, आचार्य १३१६, गणधर २२१३ अ, चक्रवर्ती ४.१० अ तीर्थकर २३७७, मूलसघ १.३१६, विद्याधर नगरी ३५४५ अ, ३ ५४६ अ, विमल - अनन्त नाथ २.३८७ । जयकीति २.१२३ अ, काष्ठासंघ १.३२७ न, तीनंकर
२.३७७ ।
जयकुमार - २३२३ अ, अकम्पन १३३५ ब, १३३६ अ । जयचंद छाबड़ा- २३२३ अ इतिहास
१३४५ अ । जयतिलक सूरि-इतिहास १२२२ व । जयदेव - तीर्थकर २३७७ ।
जयसेना
१३० व कुरुवश ब,
-
जयद्रथ – २३२३ ब ।
जयधवला - २३२३ व इतिहास १३४१ ब ।
"
जयनवि- २३२३ ब नन्दिसं
१.३२६ अ ।
जयनाथ तीर्थंकर २३७७ ।
जयपराजय -- न्याय २६३४ ब वितण्डा ३५४३ अ । जयपाल - २३२३ ब, मूलसंध १३१६, इतिहास १ ३२८ अ ।
जयपुर - २३२३ व मनुष्यलोक ३.२७६अ। ब, । जयपुरी- २३२३ व विद्याधर नगरी ३५४५ अ जयबाहु - २३२३ ब, मूलसघ १.३१६ । जयमित्र - २३२३४३१३ अ । जयमित्रहल - इतिहास १३३३ अ १३४५ च । जयराज कुवत १३२५ व जयरामा- सुविधिनाथ २३८० । जयराशि- २३२३व इतिहास १३२१ व जयवती बलदेव ४.१७ ब
।
जयवन्ती- बलदेव ४ १७ ब ।
जयवराह - २३२३ ब । जयवर्मा २.३२३ ब ।
जयवान् - २३२३ ब ।
जय विलास - २.३२३ ब इतिहास १.३४७ ब । जयश्यामा अनन्तनाथ विमलनाथ २३८० ॥ जयसागर इतिहास १३३४ ज ।
१३३४ व
जर्यासह २.३२३ व भोजवश १३१० अ जयसेन (आचार्य)जयसेन (आचार्य) - २३२४ मूल १२१६, इतिहास
अ,
-
१३२३ अ इतिहास
१३२६ अ काष्ठासघ १३२७ अ । पचस्तूप संघनिर्देश १३२६, इतिहास १३२६ व पुन्नाट सम-निर्देश १३२७ अ इतिहास १.३२९ ब । लाडवागढ सघ निर्देश १३२७ व इतिहास १३३१ अ, १३४३ अ । पचम - इतिहास १३३१ व षष्टम इतिहास १.३३१ व सप्तम - इतिहास । १.३४४ अ ।
-
जयसेन (राजा) - चक्रवर्ती २.३९१, ४.१० अ, यदुवंश १.३३७ ।
जयसेगा - उत्तरेन्द्र की ज्येष्ठा देवी ४५१४ ज
-
Page #101
--------------------------------------------------------------------------
________________
जया
जात्याय
जया-२.३२४ अ, अरनाथ की यक्षिणी २.३७६, विद्या जलमडल-धारणा २३२४ ब, लोक ३.४३४ अ । ३५४४ अ।
जलमंडल यंत्र-~-३ ३५३ ।
जलरेखा-क्रोध कषाय २.३८ अ । जयावती-वासुपूज्यनाथ २.३८०।
जलादिवासन यंत्र-३३५३ । जयावह-२.३२४ अ, विद्याधर नगरी ३५४५ ब, ३ ५४६ अ।
जलावर्त-२.३२६ अ, विद्याधर नगरी ३५४५ अ।
जलाशय-स्नान ४४७१ ब । जया वाचना-३ ५३१ ब ।
जलौषधऋद्धि-१४४७,१४५५ अ। जरत्कुमार-२.३२४ अ, यदुवश १.३३७ ।
जल्प-२ ३२६ अ, २.६३३ अ, २६३३ ब, वाद जरा-२ ३२४ ब, यदुवश १३३७ ।
३५३३ ब। जरापल्ली पार्श्वनाथ-२३२४ ब ।
जल्पनिर्णय -२.३२६ ब, इतिहास १३२६ ब, जरापल्ली पार्श्वनाथ स्तोत्र-४४४६ ब।
१३४१ ब । जरायु--२.३२४ ब।
जल्पवितंडा---बाद ३ ५४२ ब । जरासंध-२३२४ ब, हरिवंश १.३४० अ, प्रतिनारायण
जल्हिगले---इतिहास १.३३२ ब । ४.२० अ, नेमिनाथ २ ३६१, कुटुम्ब १११६ अ। जसहरचरिउ-इतिहास १३३० ब, १३४२ ब,। जल-२३२४ ब, अर्हन्तातिशय (निर्मल सुगन्धित जल
जह न-इक्ष्वाकु वश १ ३३५ अ । वृष्टि) ११३७ ब, नक्षत्र (पूर्वाषाढ) २५०४ ब, पूजा
जांबूनद -सुमेरु परिधि ३४४६ ब । ३७८ ब, मण्डल (अपमडल) २३२४ ब, ३४३४,
जांबूनदा-२.३२६ ब, विद्या ३ ५४४ अ । वर्ण (लेश्या) ३४२५ अ, विहार ३ ५७६ ब ।
जागति-ज्ञानी ४३७८ अ, निद्रा २६०६अ। जलकांत-उदधिकूमारेन्द्र -निर्देश ३२०८ अ, परिवार
जातकतिलक-इतिहास १३४२। ३ २०६ अ, अवस्थान ३ २०६ ब, आयु १२६५ ।।
जाति-२३२६ ब, आकृति १२२५ अ, कुल २.१३० अ, जलकायिक (जीव)--निर्देश २४४, २३२४ । अप्रतिष्ठित
न्याय २ ३२७ ब, २६३३ अ, वर्णव्यवस्था ३ ५२४ ब, शरीर ३५०६ अ, अवगाहना११७६, अवस्थान २ ४६
३५२५ ब, विद्या ३५४३ अ, विवाद ३५३३ अ, अ, आयु १२६४, जीवसमास २३४३, वर्ण ३४२५
शुक्लध्यान ३५३४ ब । अ, स्थावर ४४५४ ब ।
जाति नामकर्म प्रकृति-२३२६ ब। प्ररूपणा-प्रकृति जलकायिक (मार्गणा)-प्ररूपणा-बध ३१०४, बधस्थान
३८८, २५८३, स्थिति ४४६०, अनुभाग १६५, ३ ११३, उदय १३७६, उदयस्थान १.३६२ ब, प्रदेश ३१३६ । बध ३६५ अ, ३६८, बधस्थान उदीरणा १.४११ अ, सत्त्व ४२०२, सत्त्वस्थान
३१११, उदय १३७५, उदयस्थान १३६०, उदीरणा ४२६६, ४३०५, त्रिसयोगी भग १४०६ ब । सत् १४११ अ, उदीरणा स्थान १४१२, सत्त्व ४२७८, ४ २०२, सख्या ४१००, क्षेत्र २२०१, स्पर्शन
सत्त्वस्थान ४३०३, त्रिसंयोगी भंग १४०४ । सक्रमण ४४८३, काल २१०६, अन्तर ११२, भाव ३ २२०
४ ८५, अल्पबहुत्व ११६८, ११७६ । ब, अल्पबहुत्व ११४५ ।
जातिपदगत भग--३ १९७ अ। जलकेतु-२३२५ अ, ग्रह २२७४ अ।
जातिमंत्र--३ २४६ अ। जलगता चूलिका-२३२५ भ, श्रुतज्ञान ४७६अ।
जातिमद -३ २५६ ब। जलगति-२३२५ अ, विद्या ३ ५४४ अ।।
जातिवाचक नाम-२५८२ ब । जलगालन-२३२५ अ-ब, श्रावक ४५० ब।
जातिविद्या-३ ५४४ अ। जलचर-२३६७, अवग'हना ११७६, आयु १.२६३, जातिस्मरण-सम्यग्दर्शन की उत्पत्ति मे निमित्त ४.३६३ इन्द्रिय १३०६ व, जीवसमास २ ३४३ ।
अ, सुमति-पद्मप्रभ आदि तीर्थकर २३८२। जलचारण-ऋद्धि १४४७, १४५२ ब ।
जात्यतर-अनुगम १७० ब, सामान्य ४४१२ ब । जलधि--यदुवश १.३३७ ।
जाव्यतर ज्ञान-मिश्र गुणस्थान ३३०८ अ-ब । जलपथ~-२३२६ अ।
जात्यंतर भाव-अनेकान्त ११०५ अ। जलप्रभ-उदधिकुमारेन्द्र-निर्देश ३.२०८ अ, अवस्थान जास्यंतर श्रद्धान—मिश्र गुणस्थान ३३०७ ब ।
३२०६ ब, परिवार ३२०६ अ, आयु १२६५। जात्यार्य–आर्य १२७५ अ।
Page #102
--------------------------------------------------------------------------
________________
जानूपरि व्यतिक्रम
जिनायतन
जानपरि व्यतिक्रम-आहारान्तराय १.२६ अ।
जिनपुर--भवनवासी देवो के नगरों में जिनचैत्यालय जान्यधःपरामर्श-आहारान्तराय १.२६ अ ।
२.३०३ ब, व्यन्तर देवो के नगरो मे जिमचैत्यालय जाप-पदस्थध्यान ३५ ब, पूजा ३.७५ अ, व्युत्सर्ग ३.६२० ३.६१२ ब। ब, सामायिक ४४१७ अ।
जिनपूजा पुरन्दर व्रत-२३२६ ब । जासन-(दही का जामन) भक्ष्याभक्ष्य ३२०३ अ। जिनबिब-पूजा ३ ७७ अ, सामायिक ४४१७ अ। जाल-२३२८ अ, औदारिक शरीर १.४७२ अ ।
जिनबिब दर्शन---४३६३ अ । जालंधर - २३२८ अ।
जिनभद्रगणी--२३२६ ब, इतिहास १.३२६ अ, जिज्ञासा-२ ३२८ अ, ऊहा १.४४५ ब ।
१३४१ अ। जिणयत्तकहा-इतिहास १ ३४४ ब ।
जिनभवन-चैत्यालयो मे रति-कामदेव की मूर्ति २ ३०३ जिणरति कहा- इतिहास १३४६ अ।
ब भवन ३ २१० ब । जिणरतिविहाणकहा--इतिहास १३४५ अ।
जिनभास्कर---राक्षसवश १३३८ अ। जित-निक्षेप २६०१ ब ।
जिनमहिमा दर्शन-सम्यग्दर्शन की उत्पत्ति मे निमित्त जितकषाय-२३२८ अ।
४३६३ अ । जिलदड-२३२८ अ, पुन्नाट सघ १३२७ अ ।
जिनमुखावलोकन व्रत-२३२६ ब। जितनाभि-नारद ४२२ अ।
जिनमुद्रा-२१३५ अ, कृतिकर्म ३३१३ ब । जितमोह-२३२८ अ।
जिनयज्ञ कल्प- इतिहास १३४४ ब । जितशत्रु-२३२८ अ, इक्ष्वाकुवश १३३५ अ । अजितनाथ
जिनयज्ञ काव्य-आशाधर १२८१ अ। २ ३८०, २३६१, नारद ४ २२ अ, यदुवंश १३३७,
जिनराज--इतिहास १३३३ ब । रुद्र (अजितनाथ का) २.३६१ ।
जिनरात्रि व्रत-२३३० अ। जितारि-यदुव श १३३७ ।
जिनरूपता क्रिया--संस्कार ४.१५१ ब, ४१५२ ब । जितेंद्रिय-२३२८ अ।
जिनवचन-स्वाध्याय ४.५२५ अ । जिन-२३२८ ब ।
जिनवन्दना--पूजा ३७६ ब। जिनकल्प-२३२६ अ, २.१३६ ब, श्वेताम्बर ४७८ ब,
जिनपर-२ ३३० । ४७६ अ-ब।
जिनवर वृषभ-२.३३० । जिनकट-पद्म आदि द्रहो के कट-निर्देश ३४७४ अ,
जिनवल्लभ गणी-इतिहारा १३३१ अ, १३४३ ब । विस्तार ३४८३, अंकन ३४४४ ।
जिनशतक-इतिहास १३३४ ब । जिनगुणसपत्ति व्रत-२३२६अ।
जिनशतक स्तोत्र-४.४४६ ब । जिनगुणस्तुति-पात्रकेसरी स्तोत्र, इतिहास १३४१ अ । जिनचविंशति स्तोत्र--इतिहास १३४६ अ।
जिनशासन-आगम १२२७ ब । जिनचंद्र --२३२६ अ, कून्दकाद के गरु २१२६ ब.
जिनसंहिता-२३३० अ। २१२८ अ, मूलसंघ १३२२ ब, नन्दिसंघ १३२३
जिनसहस्रनाम-२३३० अ। अ, १३२४ अ, १ परि०/२३,१ परि०/४ ३, इतिहास जिनसहस्रनाम स्तोत्र-आशाधर १२८१ अ, स्तोत्र १३३८ ब, १.३३१ ब, १३३२ ब, १३३३ अ, ४.४४६ ब । १३४६ अ । श्वेताम्बर ४.७७ अ-ब।
जिनधागर-२३३० अ, इतिहास १३३४ ब, १ ३४७ ब। जिनदत्तचरित-२ ३२६ व, इतिहास १३४२ अ । जिनसेन-२२३० अ, उत्तरपुराण १३५६ अ। इतिहासजिनदत्ता-दक्षिणेन्द्रो की वल्लभिका ४५१३ ब।
कवि १३३४ ब, द्रविड सघ १.३२० अ, पंचस्तूप संघ जिनदास-२३२९व, इतिहास १३३२ ब, १३३४ ब । १३२६ ब, पुन्नाट सघ १.३२७ अ, इतिहास १.३३० जिनदासी-उत्तरेन्द्रो की वल्लभिका देवी ४५१३ ब ।
अ, १.३४१ ब, १३४२ अ, भट्टारक १३२६ ब, जिनदीक्षी--प्रव्रज्या ३१४६ ब, भरत चक्रवर्ती ३ ४१६अ। सेन सघ १३१८ ब, १.३२६ ब। जिननंदि--२३२६ ब, इतिहास १३२८ अ ।
जिनस्तुति शतक-२.३३० अ, स्तोत्र ४४४६ अ । जिनपालित-२.३२६ब।
जिनायतन-प्रत्येक पर्वत पर स्थित-निर्देश ३४७१
Page #103
--------------------------------------------------------------------------
________________
जिनालय वन्दना
जीव
४७३, विस्तार ३४८३, अंकन ३.४४४, ३.४६४ के जीतहार-न्याय २.६३४ ब, वितण्डा ३.५४५ अ । सामने, चैत्य-चैत्यालय २.३०४ अ ।
जीमूत-चक्रवर्ती ४१५ अ । जिनालय वन्दना-पूजा ३७६ ब।
जीरापल्ली पार्श्वनाथ स्तोत्र-इतिहास १३४५ ब । जिनेंद्र बुद्धि-२.३३० अ, मूलसंघ १.३२२ ब, पूज्यपाद जीवंधर-२३३० ब, ब्रह्म जीवधर १३३३ अ। ३८२ अ, नन्दिसघ (देवनन्दि) १.३२३ अ, इतिहास ।
जीवंधर चम्पू-२३३० ब । इतिहास १३४२ अ। १३२६ अ।
जीवंधरचरित्र-२३३० ब । इतिहास १३४१ ब । जिवानी-२२३० ब, जलगालन २.३२५ ब ।
जीवंधरपुराण-२३३० ब । इतिहास १३४७ ब । जित-नरक पटल-निर्देश २ ५७१ ब, विस्तार २ ५७९
जीवंधर (ब्रह्म)-इतिहास १३३३ अ । ब, अकन ३४४१ । नारकी-अवगाहना ११७८,
जीवंधर शतपदी-२३३० ब । अवधिज्ञान ११६८, आयु १.२६३ ।
जीव-२३३० ब, अजीव १.४१ ब, अप्रतिघाती १२२३ जिह्वक-नरक पटल-निर्देश २.५७६ ब, विस्तार २५७६ ब, अकन ३४४१ । नारकी-अवगाहना
ब, अवगाहना ११७७-११८०, अवस्थान १२२२ ब, ११७८, अवधिज्ञान १.१६८, आयु १२६३ ।
आयु १२६३, आहारक १२६४ ब, उपकार २६३ जिह्वा-२३३० ब, आहारान्तराय १.२८ ब, इन्द्रिय ब, उपादेयता (तत्त्व) २३५५ ब, कर्मसयोग (कारण
१३०२ अ, प्रदेश तथा अवगाहना का अल्पबहुत्व कार्य) २६७ अ, २७० अ, २७१ ब, २७२ अ, ११५७, रस ज्ञान की कालावधि का अल्पबहत्व २७४ अ, काय २४४ ब, गति (गमन) २२३५ अ, ११६०, संयम (प्रधानता) ४.१३६ अ।
ब, गुण २२४४ अ, जन्म २३१२ ब, पुद्गल सयोग जिह्वा-नरकपटल-निर्देश २.५७६ब, विस्तार २.५७६ ३ ३७३ ब, ३ ५६१ अ, पुद्गल मोक्ष ३ ३२२ ब, प्रासुक
ब, अकन ३४४१, नारकी-अवगाहना ११७८, ३१६२ अ, भावकर्म २२८ ब, मूर्तबन्ध ३१७३ अ, अवधिज्ञान ११६८, आयु १२६३ ।
लोकाकाश मे अवस्थान १२२२ ब, विग्रह गति १२४७ जिहिक-२३३० ब। नरक पटल-निर्देश २५७६ब, अ-ब, ३५४१ अ, विभाव ३५५६ ब, ३५६१ अ,
विस्तार २५७९ ब, अंकन ३४४१, नारकी-- शरीराकार १४७१ ब, शुद्ध २३३८ अ, श्रेष्ठता अवगाहना ११७८, अवधिज्ञान ११६८, आयु २३५५ ब, सकोच-विस्तार- शक्ति २४६ ब, २ ३३८ १२६३ ।
ब, स्वभाव २१५ अ, (करुणा) ४५०६ ब, भाव जीतशास्त्र-४.३६४ ब ।
आस्रव १२८२ अ, तत्त्व २३५३ ब। जीव (प्ररूपणा)
विषय
बंध बंधस्थान | उदय
उदयस्थान उदीरणा सत्त्व
सत्त्वस्थान त्रिसयोगी सक्रमण
ت
imix xuri
ओघ प्ररूपणा आदेश प्ररूपणा गतिमार्गणा इन्द्रिय । काय योग वेद कषाय ज्ञान सयम दर्शन
| ३.६७ । ३१०८ | १३७५ १३८८ | १.४११अ ४२७८ ४२८७ १४०० ४८७
३.१०० ३११३ | १३७६ १.१६२ १४११ ४२८१ ४२६८ १४०६ ४.८७ ३ १०० ३११३ १३७६ १३६२१.४११ ४२८१ ४२६८ १४०६ ३ १०३ ३११३
१३६२ १४११ ४२८२४२६४ १४०६ ४८७ ३.१०४ ३११३ १३७६ १३६२ १४११
४ २६४१४०६ ३१०४ ३.११३ १३७६, १३६२ १४११ ४२८३ ४२६६ १४०६ । ३ १०५ ३.११३ १३०१ १३६२ १४११ । ४२८३ ४३००/ १४०७ ३ १०५ ३.११३ | १.३८२ १.३६३ १.४११ ४२८३|| १४०७ ४८७ ३ १०५ १३८३ १.३६३] १४११ ४.२८३
१४०७ ४८७ १.३९३ | १४११ ४२८३| ४३०१
१४०७ ४५७ । ३.१०६ ३.११३ १.३८३ १४११ ४२८४ ४३०१ १४०७ ४८७ ३.१०७ ३.११३ १३८४ १३६३ १४११ ४२८४ ४३०१ | १४०७ ४,८७
३.११३। १३८४ १.३६३ | १.४११ ४.२८४, ४३०२ १४०८ ४८७ ३.१०७ ३.११३, १.३८५, १.३६३] १.४११ ४२८४ ४.३०२ | १४०८ ४८७ ३.१०८, ३.११३ | १.३८५/ १३६३ १.४११ ४.२८४ ४३०२ १४४८ ४८७ ३.१०८ ३.११३ १३८६ १३६३ १.४११ ४.२८४ ४३०२१४०८ ४८७
लेश्या
भव्यत्व सम्यक्त्व, सज्ञित्व , आहारकत्व,
१३./
Page #104
--------------------------------------------------------------------------
________________
जीव- अनुभाग
१
२
विषय
ओघ प्ररूपणा
आदेश प्ररूपणा गतिमार्गणा
इन्द्रिय
३.
काय
४. योग
५
वेद
६.
कषाय
ज्ञान
८. सयम
६. दर्शन
७
१०. लेश्या
११
भव्यत्व
---
27
--
"
31
13
17
19
17
१२
सम्यक्त्व" १३. सजित्व
१४. आहारकत्व,
1)
"
"
सत्
सख्या
जीव- अनुभाग-१८८अ
जीवकचिन्तामणि - इतिहास १.३४१ व
जीवकर्म-२२७ अ-ब ।
जीवकषाय- २३७ अ ।
जीवक्रोध - ३३७ अ ।
जीवगति ( गमन) – ऊर्ध्वं २.२३५ अ-ब, दिगन्तर २२३५ ब, विभावगति २२३५ ब विग्रहगति १ २४७ ब
३ ५४१ अ ।
।
जीवघात हिसा ४५३४ म जीवतत्त्वप्रदीपिका- २३४० व जीवत्थ-२३४० ब । जीवशा२३४१ अ ।
जीवन -- २.३४१ अ । जीवनलोभ- ३४६२ व ।
जीवनधर २३३० व ब्रह्म जीवन्धर १३३३ अ । जीवन्धर चम्पू--२३३० व इतिहास १ २४२ अ । जीवन्धरचरित्र- २३३० व इतिहास १.३४१ ब । जीवन्धरपुराण - २३३० व इतिहास १.३४७ व । ब, जीवन्धर ब्रह्म इतिहास १३३३ अ जीवनधर शतपदी- २३३० ब ।
-
क्षेत्र
६८
ม
जीवन्मुक्त अनुप्रक्षा १७८ अ, मोक्ष २३२२, सम्यग्दृष्टि
४ ३७६ ब ।
जीवन्मुक्ति विवेक ३५९५ ब ।
जीवपरिणाम अनुभागोदय २६७, २७२ अ कर्मोदय
४१६१
४६४
२१६७४४७७ ४. १६५ ४६५ २१६७ ४.४७९ ] ४१६५ / ४६५ २११७४४७९ ४.१६३ ४६६ २२०० ४४५३ ४ १९९ / ४१०१ २२०१ ४४८३ ४२११ ४१०२ २२०२ ४४८५ ४२२२ ४१०४ २.२०३ ४४८७ ४२२८ ४१०५ २२०४४४८८ ४२३३ ४१०५ २२०४ ४४८८ ४२३६ ४१०६ २२०५ ४४८१ ४२३६ ४१०७ २२०५ ४.४९० ४२४२ ४१०७ २२०५ ४४९० | | ४२५४ ४ १०८२२०६ ४२५५ ४१०६ २२०६
४४१२
२११७
४४१२
२११७
२.११६
४२६० ४११० २.२०७ ४४१३ ४२६३४११०२२०७ ४४१३ २२०७ ४४६३ २११६
स्पर्शन काल
२.१९ १७ २.१०१ २.१०१ १८ २१०१ १८
२.१०६ १११ २१०६
११२
२१०७
११२
२ १११ २११२
१ १४ ११५
११५
२ ११३ २११४ ११६ |
२११५
११७
२११५
११५
१२०
१२०
१२१
१२१
अन्तर
/
भाव
अल्पबहुत्व भागाभाग
३२११ ११४२ ४११५ ३२२०
११४२ ४११०
३२२०
११४३ ४११०
११४५ ४११०
३२२० ३२२० ११४५ ४१११
३२२१ ।। १.१४७
३२२१
१.१४७ ४१११ ११४८ | ४११२ ११४६४.११२
३२२१
-
जीवित
३ २२२ ३२२२
३२२१
३२२१
३२२१
११५१ ४ ११३ ११५१ ४११३
३ २२१
३२२१ ११५२ ४११४ ३२२११.१५२ ४११४ | ११५२ | ४११४ ११५२ ४११४
११५० ४११३
११५० ४.११३
२७२ अ, मोक्षमार्ग २६८ अ ।
जीवपुद्गल - मोक्ष ३.३२२ ब यति ( सयोग ) २३७३ ब विभाग ३५६१ अ ।
जीवप्रदेश- इन्द्रिव १३०२ ब योग ३.३८३ ब संकोच
विस्तार २४६ व २३३८ व समुद्धात ३५२१ अ । जीवबंध - ३१७० व उपथम १४४२ अ । जीवमोक्ष- ३३२२ ब ।
जीवयुति-- ३३७३ ब ।
जीवरक्षा - हिंसा ४ ५३४ व ।
।
जीवराशि सख्या प्रमाण ४१४, मोक्ष ३३२१ ब ।
जीवविषय- धर्मध्यान २४५० म
जीवविपाकी प्रकृति अनुभाग ११० व प्रकृतिबंध ३८९
ब !
।
जीवसंपात- आहारान्तराय १२६ अ । जीवसंस्थान विग्रह गति १.२४७ अ । जीवसमास - २.३४१ व काय २४४ ब मार्गणा ३२१८ अ, योग ३ ३७६ ब । योगस्थान ३.३८२ अ । जीवसमुदाहार अनुयोगद्वार ११०२ ब । जीवसिद्धि - २३४३ ब इतिहास १.३४० अ । जीवा- २३४३ ब गणित २२३३ अ जीवाराम - २३४२ व जीवाधिकरण- १४६ अ । जीविका - २.३४३ व
।
।
जीवित जीवन २ ३४१ अ ।
Page #105
--------------------------------------------------------------------------
________________
जीवितपूर्व
जीवितपूर्व - २.३३४ ब ।
जीवितावधिक प्रत्याख्यान - ३.१३३ अ । जुगुप्सा- २.३४४ अ, कषाय २.३५ ब, २.६२६ व रागद्वेष ( कषाय ) ४.४४२ अ, हिंसा ४.५३३ ब । जुगुप्सा कर्मप्रकृति प्ररूपणा प्रकृति ३.०० ३.३४४, स्थिति ४.४६१, स्थितिसत्त्व ४.३०८, स्थिति स्थान अल्पबहुत्व १.१६५ ब अनुभाग १.९४ ब प्रदेश ३.१३६ । बन्ध ३.६७, बन्धस्थान ३.१०६, उदय १. ३७५, उदयस्थान १.३८६ ब, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान ४.२६, त्रिसंयोगी भंग १.४०१ ब । संक्रमण
४.८५ अ, अल्पबहुत्व ११६८ । जुगुप्सा वेदनीय -- ३.३४४ ब ।
जूं - २.३४४ अ, क्षेत्रप्रमाण २.२१५ अ । जंतु गिवेव - २.३४४ अ । भोजवंश १.३१० अ ।
जैन - २.३४४ अ, चन्द्रगुप्त १.३१० ब ।
जनतर्क - २.३४४ ब, इतिहास १.३४७ ब । जनतकं वार्तिक - २.३४४ ब इतिहास १.३४३ अ । जैनदर्शन – २.३४४ ब, एकान्त १.४६५ अ । जनशतक - २.३४४ ब, इतिहास १.३४७ ब । बेनभावक ब्राह्मण ३. १६५ ब । जैमसंगीति - अर्हद्वली १.१३८ ब ।
जैनसंघ - इतिहास १.३१८ अ, कल्की २.३१ ब । जैनाभासी संघ - १.३१६ अ, एकान्त १.४६५ । जेनाभिमत भूगोल - निर्देश ३.४३१ अ । जैनेंद्र व्याकरण -- इतिहास १.३४० ब । जैबलि प्रवाहण - कुरुवंश १.३१० ब । जैमिनी - २.३४५ अ, अज्ञान मिथ्यात्व १.३७ अ, अज्ञानवादी १.३८ ब, एकान्त १.४६५ ब, परवाद ३.२३ अ मीमांसक १.४६५ ब, ३.३११ अ, वेदान्त ३.५१५
ब ।
जॉक-श्रोता १.४२५ ब, ४.७४ ब ।
निर्विचिकित्सा
२.३९ अ, सूतक
जोगपरिवती २.१५४।
जोगाविभाग पडिच्छेवा - ३.३८३ ब ।
जोड़ — २.३४५ अ ।
जोगीपा इतिहास १.३४० अ जोधराज गोवी २.३४५ इतिहास १.३३४ अ १.३४६ ब ।
-
εξ
ज्ञान (प्ररूपणा)
जोनशाह - २.३४५ अ ।
ज्ञ - २.२५५ अ, जीव २.२३३ अ ।
ज्ञप्तिक्रिया - अध्यवसान १.५२ ब कर्ता-कर्म २.१८ ब
चेतना २.२६९ अ ।
ज्ञप्ति परिवर्तन कर्म २.२६ अ ।
ज्ञात - २.२५५ ।
ज्ञाता - अकर्ता २.२६६ अ । ज्ञातकथांग २.२५५ अ । ज्ञातृतत्त्व - ३.३३६ ब । जातधर्मका ४.६८ ।
ज्ञान - २.२५५ अ, अधिगमज १.५१ ब अनुभव १.८१८६, अभ्यास १.१३१ ब, आगमज्ञान १.२२८ अ, आत्मा ३.३३७ अ, उपयोग १.४२६ ब - १.४३१ ब उपलब्धि १.४३५ अ, कषाय १.४३२ ब कालावधि का अल्पबहुत्व १.१६१, क्रिया २.६८ अ, क्रिया नय ३. ५४० अ, गति - अगति २.३२२ अ, चारित्र २.२८६ अब, तप २.३६० ब, दर्शन २.४०६ ब धर्म २.४६६ ब, ध्यान २.४६५ ब २.४९६ ब ध्येय २.५०० अ, निश्चय व्यवहार २.२७० ब, निसर्गज १.५१ ब, प्रज्ञा १.८७ अ, प्रज्ञाश्रमण १.४५० ब प्रत्याख्यान ३.१३२ ब, प्रमाण २.२५८ व २.५२६ अ, ३.१४१ ब बुद्धि ३. १८४ ब मिथ्या ( अज्ञान) १.३७ अ, मिथ्यात्व २. २६४ ब, मिश्रज्ञान ३.३०८ अ, मोक्षमार्ग ३.३२८ अ-ब, ३.३३३ ब, ३.३३७ अ, ३.३३८ ब, योग १.४३२ ब, राग ३.३६५ अ, विशुद्धि ३.५७० अ, शुद्धाशुद्ध उपयोग १.४३२ अ १.४३४ श्रुतकेवली ४. ५५ ब श्रुतज्ञान १.२२६ ब ४.५६ ब, सम्यग्ज्ञान २.२६२ अ, २,२६५ ब, सम्यग्दर्शन ४.३५३ ब, सम्यग्दृष्टि ४.३७५ व ४.३७६ ब । सविकल्प ३.५३७ ब, सविशेष १.२१६ अ साकार १.२१६ अ, सिद्धों का अल्पबहुत्व १.१५४, सुख ४.४३२ अ, स्वसंवेदन १.८१-८७ अ ।
ज्ञान (प्ररूपणा ) -बन्ध ३.१०५, बन्धस्थान ३.११३, उदय १.३८३, उदयस्थान १.३६३, उदीरणा १.४११ अ सत्त्व ४.२८३, ४.२८६, सत्त्वस्थान ४.३००, ४.३०५, त्रिसंयोगी भंग १.४०७ । सत् ४.२३३, संख्या ४.१०५, भागाभाग ४.११३, क्षेत्र २.२०४, स्पर्शन ४.४८८, काल २.११३, अन्तर १.१५, भाव ३.२२१, अल्पबहुत्व १.१५० | पंचशरीरस्वामित्व-निर्देश ४.७, १.१५६ षट्कर्म स्वामित्व ४.२६६ ।
Page #106
--------------------------------------------------------------------------
________________
ज्ञानकल्याणक
१००
ज्ञायक-शरीर-नोआगम
जानकल्याणक-कल्याणक २.३२ ब । ज्ञानकल्याणक वन्दना-कृतिकर्म २१३६ अ । जानकीर्ति-इतिहास १३३४ अ, १.३४७ ब । ज्ञानक्रिया-कर्ता-कर्म २.१८ ब, चेतना २२६८ अ। ज्ञानज्ञेय नय--अद्वैतवाद १.४७ ब । ज्ञानचन्द्र-२२७० अ, इतिहास १३३४ अ। ज्ञानचक्षु-इन्द्रिय १३०६ ब । ज्ञानचेतना-अनुभव १८२ अ, उपलब्धि १४३५ अ,
चेतना २.२६७-२६८, सम्यग्दर्शन ४.३५३ ब,
४३६१ ब, ४ ३७६ अ, सम्यग्दृष्टि ४.३७७ ब । ज्ञानदर्शनचारित्र (एकत्व)-चारित्र २ २८३ ब । ज्ञानदान-उपदेश १.४२५ ब, दान ४.४२३ अ-ब । ज्ञानदीपक-२२७० अ । ज्ञानदीपिका-२.२७० अ, आशाधर १.२८१ अ, इतिहास
१.३४४ अ। ज्ञाननंदि-नदिसंघ १३२३ ब । जाननय-२५१४ ब, २.५२० ब, २.५२३ ब, २५२६ ब,
२५४३ अ, चेतना (क्रिया नय) २२६६ ब । ज्ञानपंचमी-२.२७० अ । ज्ञानपंडित-३.२८१ अ । ज्ञानपच्चीसी व्रत-२.२७० अ। ज्ञानपर्याय-३.३३६ ब । ज्ञानप्रवाद-२२७० अ, श्रुतज्ञान ४.६८ ब । ज्ञानबाल-३.२८१ अ। ज्ञानभूषण-२२७० अ, नन्दिसंघ १.३२४ अ, भट्रारक
१.३२४ अ, इतिहास १३३३ अ, १३३३ ब,
१.३४६ अ,१३४७ अ । ज्ञानमती-२.२७० अ, तीर्थकर २.३७७ । ज्ञानमद-३२५६ ब । ज्ञानमार्गणा--(दे० ज्ञानप्ररूपणा)। ज्ञानमीमांसा-दर्शन (सम्प्रदाय) २४०२ ब, २.४०३
ज्ञानसस्कार-४१४६ । ज्ञानसमय-निश्चयज्ञान २.२६६ अ, समय ४३२८ अ। ज्ञानसागर -२ २७० ब, इतिहास १३३४ अ । ज्ञानसार-२२७० ब, इतिहास १३४२ ब, १३४३
ब। ज्ञानसूर्योदय नाटक-इतिहास १३४७ अ। ज्ञानाकार-अनेकान्त १.१०६ ब, आत्मा (मोक्षमार्ग)
३.३३६ अ, केवलज्ञान २ १५३ ब । ज्ञानाचरण-मिथ्यादष्टि ३३०३ ब । ज्ञानाचार-आचार १.२४० अ, मिथ्यादृष्टि ३३०३ ब,
विनय ३ ५५० ब। ज्ञानातिशय-अर्हन्त ११३७ ब । ज्ञानाराधना-आराधना-१२७१ ब । ज्ञानार्णव-२२७० ब, इतिहास १३४३ अ, टीका
१३४६ ब, वचनिका १३४८ अ। ज्ञानावरण-२.२७० ब, २२७२ अ, मोहनीय ३.३४२ अ,
वर्गणा ३.५१७ अ। प्ररूपणा-प्रकृति ३८८, २.२७० ब, स्थिति ४४६०, अनुभाग १६४, ब, अनुभाग का अल्पबहुत्व ११६६ अ, प्रदेश ३ १३६ ब । बन्ध ३ ६३, ३.६७, बन्धस्थान ३.१०६, उदय १३७५, उदयस्थान २.३८७ ब, उदय के निमित्त १.३६७ ब, आबाधा १२४६ अ, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४.२६४, त्रिसयोगी भग १.३६९। संक्रमण ४८४
ब, अल्पबहुत्व ११६८ ब ।। ज्ञानी--२.२७३ अ, आत्मानुभव १.८४ ब, कर्म
(अकिचित्कर) २.६८ अ, कर्मोदय ३५६० ब, चेतना (अकर्ता) २.२६८ ब, २ २६६ अ, जीव (नामविवक्षा) २३३३ अ, तप २.३६० ब, तीर्थंकर २.२७३ अ, निर्जरा २.६२३ ब, मोक्षमार्ग ३ ३३७ अ, विभाव ३.५६० ब, सम्यग्ज्ञान २.२६५ अ, सम्यग्दृष्टि :
४३७५ व, ४३७६ अ-ब, हिंसा ४.५३५ अ। ज्ञानेश्वर-२.२७३ अ, तीर्थकर २.३७७ । ज्ञानोद्योतन-१.४१४ अ। ज्ञानोपकरण-१.१२२ व, समिति ४.३४१ अ। ज्ञानोपयोग-(दे० ज्ञान), अल्पबहुत्व १.१६० । ज्ञायक-२.२७३ अ। जायक नोआगम द्रव्य-अन्तर १.३ ब । ज्ञायक शरीर-निक्षेप ६५९६ अ-ब, २.६०० ब । जायक-शरीर-आगम-उपशम १.४३७ अ। ज्ञायक-शरीर-नोआगम-अनन्त १.५५ब।
अ।
ज्ञानमूढ (साधु)-निन्दा २.५८६ अ । शानयोग-२.२६८ अ। ज्ञानविनय-विनय ३.५४८ ब, ३.५५० ब । मानवृद्ध-विनय ३.५५२ ब, सगति ४.११६ अ । ज्ञानशक्ति-२.२७० अ। जानशल्य--४२६ ब। सानशुद्धि-४.४० ब।
Page #107
--------------------------------------------------------------------------
________________
ज्ञायक-शरीरभूत-भावी
डडढा
ज्ञायक शरीर भूत-भावी --उपशम १४३७ अ। ज्ञेय-२२७३ अ। ज्ञेय-ज्ञायक-सबंध-४१२६ अ । ज्ञेय तत्त्व-मोक्षमार्ग ३३३६ ब ।
झंझावात - २३५२ अ, वायु ३ १३४ ब । अयाकार-अनेकान्त ११०६ ब, केवलज्ञान २१५३ ब,
झरन उदय १३६६ ब। मोक्षमार्ग ३ ३३६ अ ।
झल्लरी (मदग)- नरकलोक की जन्मभूमि का आकार ज्ञेयाकार परिणमन-केवलज्ञान २१५३ ब।
२५७७ अ, वैराग्य (लोक का आकार) ३६०७ ब । ज्ञेयार्थ (परिणमन)-२२७३ अ, परिणाम ३३० अ।
झष-२३५२ अ। नरकपटल-निर्देश २.५८० अ, ज्यामिति-२३४५ अ)
विस्तार २५८० अ, अकन ३४४१ । नारकीज्येष्ठ-२.३४५ अ, किन्नरदेव २१२४ ब ।
अवगाहना ११७८, अवधिज्ञान ११६८, आयु ज्येष्ठ-जिनवर व्रत-२३४५ अ।
१२६३ । ज्येष्ठ-स्थितिकल्प-२ ३४५ अ ।
झषक-नरक पटल-निर्देश २५८० अ, विस्तार ज्येष्ठा-२३४५ अ, नक्षत्र २५०४ ब, तीर्थंकर २३८१।
२ ५८० अ, अंकन ३ ४४१ । नारकी-अवगाहना ज्योति-३ ३४५ अ।
११७८, अवधिज्ञान १.१६८, आयु १२६३ । ज्योतिरस--३३६१ अ ।
झषका-नरकपटल-निर्देश २५८० अ, विस्तार ज्योतिर्ज्ञान विधि- इतिहास १.३४२ अ ।
२५८० अ, अकन ३४४१ । नारकी-अवगाहना ज्योतिषकरड-२३४५ ब, इतिहास १३४१ अ ।
१.१७८, अवधिज्ञान १.१६८, आयु १२६३ । ज्योतिषचारण ऋद्धि-१४४७, १.४५३ अ।
झांझ-चैत्य-चैत्यालय २३०२ अ । ज्योतिष देव-२४४५ ब, निर्देश २ ३४५ ब, शक्ति आदि झारी-चैत्य-चैत्यालय २३०२ अ, रुचकवर पर्वत की
२३४५ ब, अवस्थान २३४६ ब । अवगाहना दिक्कुमारी द्वारा अवधुत ३ ४६६ ब, अन ३४६८११८०, अवधिज्ञान १.१६८, आयु १२६६ । इन्द्र
४६६। निर्देश २ ३४५ ब, देवी २३४६ अ, विमान २ ३५१ झालर - नरकलोक की जन्मभूमि का आकार २ ५७७ अ। ब । आयबन्ध के योग्य परिणाम १.२५७ अ, १२५८ झावदशमी व्रत-२३५२ अ। अ, काल २८७ अ, चैत्य-चैत्यालय २ ३०३ ब, लेश्या झूठ - श्रावक ४५० ब ।
३.४२५ ब। ज्योतिष देव-प्ररूपणा-बन्ध ३ १०२, बन्धस्थान
३११३, उदय १.३७८, उदयस्थान १.३६२ ब, उदीरणा १४११ अ, सत्व ४२८२, सत्त्वस्थान ४२६८, ४.३०५, त्रिसंयोगी भंग १.४०६ ब । सत्
ट-ण ४.१८७, सख्या ४६७, क्षेत्र २.१८६, सर्शन ४.४८१, काल २.१०४, अन्तर ११०, भाव २ २३१ अ, अल्पबहुत्व १.१४५॥
टंक-२३५२ अ, वेदान्त ३५६५ ब । ज्योतिषलोक-२ ३४६ अ ।
टंकण-२३५२ अ। ज्योतिष-विद्या -२३५१ ब ।
टंकणद्वीप-मनुष्यलोक ३.२७५ ब। ज्योतिष्माण-ग्रह २.२७४ अ ।
टंकोत्कीर्ण-२३५२ अ, केवलज्ञान २.१४६ ब। ज्वलन-यदुवंश १ ३३७ ।
टडाणा गीत-इतिहास १३४७ अ। ज्वाला तीर्थकर प्ररूपणा २.३६२ ।
टिप्पणी-२३५२ अ। ज्वालामालिनी -विद्या ३५४४ अ, शीतलनाथ की टीका-२३५२ अ । यक्षिणी २ ३७६ ।
टोडरमल - २३५२ अ। इतिहास १.३३४ ब, १.३४८ अ। ज्वालामालिनी कल्प-२३५१ ब, इतिहास १.३४२ ब । ठकाप्पा (कवि)-इतिहास १.३३४ ब । ज्वालिनीकल्प-२.३५१ ब, इतिहास १३४३ ब। डड्ढा-२३५२ अ ।
Page #108
--------------------------------------------------------------------------
________________
डॉस
डांस - श्रोता ४.७४ ब ।
डामर - पार्थं वनाथ २३७८ ।
यो गुणहानि-गणित २२३१ व उदय १३७१ अ ढड्डा इतिहास १.३३१ अ १३४३ अ ।
--
इंडिया - निन्दा २.५८८ व श्वेताम्बर ४८० ब । णमोकार मंत्र २३५२, मंत्र ३.२४७ अ ।
णमोकार यत्र - ३.३५३ ।
णायकुमारचरित - इतिहास १३४२ व
णिक्लोदिम–निक्षेप २६०२ ब ।
मिगाहचरित्र - इतिहास १३४४ ब, १३४५ अ-ब ।
त
तंदुल सिक्य ४ १२८ अ ।
तत्चारण ऋद्धि- १ ४४७, १.४५२ ब ।
तंत्र-मन्त्र ३.२४५ अ ।
तंत्ररत्नमीमासा दर्शन ३३११ अ
तंत्रवातिक-मीमांसा दर्शन २३११ अ । तंत्रवार्तिक टीका - मीमासा दर्शन ३.३११ म
१०२
तंत्रसिद्धांत-२३५२ व
तक्षशिला २३५२ व ।
तट - राक्षसवंश १३३८ अ ।
तटछेदना - २३०६ ब, २३०७ अ । तडित्प्रभदेवकुरु का हृद–निर्देश ३४५६ व नामनिर्देश २.४७४ अ, विस्तार ३.४९०, ३.४६१, अकन
३४४४, ३४५७, ३४६४ के सामने । तबिद - चन्द्रप्रभ मल्लिनाथ २.३८२ । तंडुल सिक्य ४१२८ अ ।
ततक २.३५२ ब ।
तत्- २३५२ व उपचार १.४२० व शब्द ४३ अ सापेक्ष धर्म १.१०९ अ १.१११ अ-ब ४३२३ व
तस्य २३५२, अतीत नय पक्ष २५१५ अ अवक्तव्य १.२२० ब अथद्वान (मिध्यावृष्टि) ३३०० अ नय पक्षातीत २.५१८ अ, परमभाव ३.१३ अ, मिथ्यादृष्टि ३३०२ व श्रद्धान (सम्यग्दर्शन) ४.३५६ अ, श्रुतज्ञान ४६० अ, समयसार ४.३२६ अ । तत्त्व नरकपटल-निर्देश २.५०० अ विस्तार २.५८०
वाटीका
अ, अकन ३४४१ । नारकी - अवगाहना ११७८० अवधिज्ञान] १. ११५, आयु १२६३ ।
तस्वकर्तुत्व ३३०५ ब ।
तत्वज्ञानतर गिनी- २३५६ अ इतिहास १.३४६ अ तत्त्वज्ञानी २२७३ अ ।
तवचतन शुभोपयोग १४३४ व
तस्त्वत्रयप्रकाशिका - २३५६ अ इतिहास १ ३४६ व । तत्वदीपिका २३५६ अ इतिहास १३४३ व तत्त्वनिर्णय २३५६ अ इतिहास १३४६ व तत्वप्रकाशिका -२३५६ अ इतिहास १३४१ अ ।
---
तत्वप्रदीपिका २३५६ अ अमृतचन्द्र ११२३ अ इतिहास १३४२ ।
तस्ववती धारणा - २३५६ अ, पिण्डस्थ ध्यान ३५८ अ । तत्त्वविचार - मिध्यादृष्टि ३३०५ अ ।
तत्ववंशारदी-३३८४ अ ।
तत्त्वशक्ति- २३५६ ब ।
तत्त्वश्रद्धान–अनुभव १.५२ ब मिध्यादृष्टि ३३०२ ब ३३०५ अ सम्पग्दर्शन ३३३९ व ४.३५४ अ, ४३५६ अन्न, ४३५७, साधु ४.४०६ व
तत्व संतत्ति - १८२ ब ।
तत्त्वसमास -- ४.३६८ ब ।
तत्वसमीक्षा - ३५९५ व
तत्वसार- २३५६ व इतिहास १३४२ ब ।
तस्वातीत- १०२ ब ।
तत्त्वानुशासन --- २३५६ ब इतिहास १.३४० ब, १ ३४३ ब ।
तस्वार्थ – २.३५३ ब ।
तत्वार्थबोध २.३५६ व इतिहास १.२४८ अ तत्त्वार्थरस्नप्रभाकर - इतिहास १.३४६ अ । तत्वार्थराजवात्तिक - अकलंक १.३१ अ । तस्यार्थवृत्ति इतिहास १३४२ व १३४६ व तत्वार्थभद्वान - अनुभाव १८२ व मिध्यादृष्टि ३.३०२ ब, ३३०५ अ सम्यग्दर्शन ४.३४९ व ४.३५४,
1
४३५६ अ-ब ४३५७ व साधु ४.४०६ ब । तत्वार्थसार - २.३५६ ब अमृतचन्द्र ११३३ अ, इतिहास १३४२ अ ।
तत्वार्थसार दीपक २.३५६ व इतिहास १ ३४५ ब तत्वार्थसूत्र- २३५६ व इतिहास १३४० व तत्त्वार्थसूत्र लघु - इतिहास १.३४१ व स्वार्थसूत्रटीका अभयनन्दि ११२७ अ इतिहास
१३३३ ब ।
-
Page #109
--------------------------------------------------------------------------
________________
तत्त्वार्थसूत्र वृत्ति
तपित तत्त्वार्थसूत्र वृत्ति- इतिहास १.३३२ ब, १.३४४ अ, तन्तुचारण ऋद्धि-१.४४७; १.४५२ च । १.३४५ अ।
सप-२.३५७ अ अनशन १.६५ अ, कुलकर ४.२५ अ, तत्त्वार्थसूत्र वृत्तिपद----इतिहास १.३४२ ब ।
क्षुल्लक २२८६ अ, चारित्र २.२८६ अ, ध्याता तत्त्वार्थाधिगम माष्य-इतिहास १.३४० ब, टीका २.४६३ अ, निर्जरा २६२३ अ, प्रायश्चित्त ३१६१ अ, १.३२६ब।
मिथ्यादृष्टि ३३०३ ब, शुमोपयोग १४३३ अ, संवर तत्त्वोपलब्धि--आत्मानुभव १८२२ ।
२३६२ अ, सम्यक्त्व २३६० ब । तत्परिणत-नोआगमभाव मंगल-२६०६अ।
तप-उद्योतन-१४१४ अ। तत्प्रतियोगी-प्रत्यभिज्ञान ३.१२५ अ ।
तपऋद्धि-१.४४७,१४५३ ब । तत्प्रदोष-२३५७ अ।
तप कर्म-निर्देश २.२६ अ-ब; सत् ४२६६ अ, संख्या तत्प्रमाण--प्रमाण ३ १४४ ब ।
४.११६ ब, क्षेत्र २.२०८, भाव ३२२३ । तत्सेवी-आलोचना १.२७८ अ ।
तपकल्याणक-२३२ अ, आहारक शरीर १२६६ ब । तथाकार-समाचार ४३३६ ब ।
कृतिकर्म २१३६अ। तथाविधत्व-२३५७ अ।
तपकल्याणक वन्दना-कृतिकर्म २१३६अ। तदभाव-१.१२८ ब ।
तपगुरु-नमस्कार २५०५ ब । तदाहृतादान-२.३५७ अ, अस्तेय १.२१३ ब ।
तपन-२३६४ अ, इक्ष्वाकुवश १३३५ अ । नरक पटलतदिद्रियालोचन-ब्रह्मचर्य ३.१८६अ।
निर्देश २ ५७६ ब, विस्तार २५७६ ब, अकन ३.४४१, तदुभय उपक्रम-१४१६ ब ।
नारकी-अवगाहना ११७८, अवधिज्ञान ११६८, तदुभय प्रत्ययिक अजीवबध-३ १७२ अ।
आयु १२६३। तदुभय प्रत्ययिक जीवबंध-३.१७२ अ।
तपन (कट)-रुचकवर पर्वत का कूट-निर्देश ३.४७६ अ, तदुभय प्रतिक्रमण-३.११६ ब ।
विस्तार ३ ४८७, अकन ३ ४६८ । विद्युत्प्रभ गजदन्त तदुभय प्रायश्चित्त-३.११७ अ, ३.१६० ब ।
का कूट-निर्देश ३ ४७३ अ, विस्तार ३४८३, अकम तदुभय वक्तव्यता-३.४६६अ।
३४४४, ३४५७ । तदुभयसारी ऋद्धि-१.४४८, १.४४६ ब।
तपनतापि-२३६४ अ, आकाशोपपन्न देव २४४५ ब । तदुभयाधिकरण-१.४६ अ ।
तपनीय-२३६४ अ, सौधर्म स्वर्गपटल-निर्देश ४.५१६, तद्भव भरण-३ २८० ल।
विस्तार ४५१६, अकन ४५१६ ब। देव-आयु तद्भवस्थ केवली-२.१५७ अ।
१२६६। तभाव-सामान्य ४४१२ ब ।
तपनीय (कूट)---मानुषोत्तर पर्वत का-निर्देश ३.४७५ अ, तद्भाव तदुपचार-१.४२० ब ।
विस्तार ३४८६ अकन ३.४६४ । तद्विलक्षण-प्रत्यभिज्ञान ३ १२४ ब ।
तपनीयमयी-सुमेरु की परिधि ३ ४४६ ब । तव्यतिरिक्त आगम उपशम १४३७ अ ।
तपप्रायश्चित-२.३६४ अ। तव्यतिरिक्त नोआगम-अनन्त १५५ब, विक्षेप २.५६६
तपभावना-३ २२४ ब । ब।
तपमद-३.२५६ ब । तद्व्यतिरिक्त नोआगम द्रव्य--अन्तर १.३ ब, कषाय तपविद्या-३५४४ अ ।
२३५ ब, काल २.८१ब, दोष २.४६३ अ, निक्षेप तपविनय-३५४८ व। २.६०० ब, बन्धक ३ १७६ अ, संयम ३.४१४ ब, तपशद्धि - ४४० ब । सल्लेखना ३७६ अ ।
तपस्वी-२३६४ अ। तनक-२३५७ अ। नरकपटल-निर्देश २५७६ ब, तपागच्छ - श्वेताम्बर ४७७ ब ।
विस्तार २.५७६ ब, अंकन ३ ४४१ । नारकी- तपश्चरण-मिथ्यादष्टि ३.३०३ ब । अवगाहना ११७८; अबधिज्ञान १.१९८% आयु तपाचार-१२४० ब । १.२६३।
तपाराधना--१.२७१ ब । तनुवात-३५३२ अ, ३.४४० अ, अकन ३.४३६ । तपित-२३६४ अ, नरकपटल-निर्देश २.५७६ ब,
Page #110
--------------------------------------------------------------------------
________________
तापन
तपोद्योत
विस्तार २५७६ ब, अंकन ३.४४१। नारकी- तमालपत्र-कर्मसंयोग २.७१ ब । अवगाहना १.१७८. अवधिज्ञान ११६५, आयु तमिल वेद-२.३६५ ब। १२६३ ।
तमित्र -२३६५ अ। नरकपटल -निर्देश २.५८० अ. तपोधोत-१४१४ ।
विस्तार २५८० अ, अकन ३ ४४१ । तपोनिधिवत--२.३६४ अ ।
तमिस्रा-२ ३६५ अ, चक्रवर्ती द्वारा गुफा का भंग तपोवृद्ध-सगति ४.११६अ।
४.१५ ब । तपोशुद्धिव्रत-२.३६४ ब ।
तमो-२३६५ अ । नरकपटल-निर्देश २.५८० अ, तप्त-२.३६४ ब, नरकपटल-निर्देश २ ५७९ ब, विस्तार विस्तार २५८० अ, अकन ३४४१ । नारकी
२.५७६ ब, अंकन ३.४३६, ३.४४१। नारकी-- अवगाहना ११७८, अवधिज्ञान १.१६८, आयु अवगाहना ११७८%; अवधिज्ञान ११६८, आयु १२६३। १२६३ । वैदिकाभिमत नरक ३४३३ ।
तमोरदशमी व्रत-२.३६५ अ । तप्त-ऋद्धि-~१४४७; १४५४ ब ।
तरक-नरकपटल-निर्देश २ ५७६ ब, विस्तार २५७६ तप्तजला-२३६४ ब, विभंगा नदी-निर्देश ३४६० अ, ब, अंकन ३ ४४१ । नारकी-अवगाहना ११७८,
नामनिर्देश ३४७४ ब, विस्तार ३.४८६, ३४६०, अवधिज्ञान १.१६८, आयु १२६३ । अकन ३ ४४४,३ ४६४ के सामने ।
तरुण-वृद्ध ३.५८१ अ । तम प्रभा-२३६४ ब। नरक पृथिवी-निर्देश २.५७६ तरुणसंसर्ग-संगति ४११८ ब ।
अ, विस्तार २.५७६, २५७८, अकन ३ ४४१, पटलो तरेप्पन-श्रावक की क्रियाये ४ ५१ ब । के नाम २५८० अ, नारकी-अवगाहना ११७८, तरेप्पन क्रिया व्रत-२४०१ अ । अवधिज्ञान १.१६८, आयु १२६३ । वैदिकाभिमत तरेसठ - श्लाकापुरुष ४.६ ब । नरक 'तमस' ३४३३।
तरेसठ श्लाकापुरुष चरित्र-२४०१ अ। तमःप्रभा (प्ररूपणा)-बन्ध ३.१००, बन्धस्थान ३ ११३, तर्क-२.३६५ अ, अनुभव (प्रामाण्य) १८२ ब, अविना
उदय १३७६, उदयस्थान १३६२ ब; उदीरणा भाव १२०२ ब, आगम (प्रामाण्य) १२३६ अ, ऊहा १४११ अ, सत्त्व ४२८१, सत्त्वस्थान ४.२६८, १४४५ ब, न्याय २ ६३३ अ-ब, पद्धति (अभिप्राय) ४.३०५, त्रिसयोगी भंग १४०६ ब। सत् ४.१७० ३६ब, मतिज्ञान ३ २५४ ब, स्वभाव ४५०७ अ । सख्या ४६५, क्षेत्र २.१६७, स्पर्शन ४.४७६, काल तकौमदी-३६०८ अ। २१०१, अन्तर १८, भाव ३.२२० अ,,अल्पबहुत्व तर्कविरुद्ध-आगम (अप्रामाण्य) १२३६ ज । ११४४॥
तर्कसंगति-आगम (प्रामाण्य) १२३६ अ। तम-२३६४ ब। नरकपटल-निर्देश २.५८० अ, तर्कसग्रह-वैशेषिक दर्शन ३६०८ अ।
विस्तार २५८० अ, अकन ३४४१। नारकी- तर्कातीत-अनुभव १९१ब, आगम १२३७ व । अवगाहना ११७८, अवधिज्ञान ११६८; अकन तर्कामत-वैशेषिक दर्शन ३.६०८ अ। ३.४४१ । वैदिकाभिमत नरक ३ ४३३ ।
जित-२३६५ ब । व्युत्सर्ग का द्वेष ३.६२३ अ। तमक-२.३६४ ब। नरकपटल-निर्देश २५८० अ, तलवर-२.३६५ ब । सम्यग्दृष्टि (तस्कर) ४.३७८ ब ।
विस्तार २.५८० अ, अकन ३ ४४१ । नारकी-अव- तस्कर-सम्यग्दृष्टि ४३७८ ब।
गाहना ११७८, अवधिज्ञान १.१६८, आयु १२६३। तात्पर्यवत्ति-२.३६५ ब, अभयनन्दि ११२७ अ, इतिहास तमका-२ ३६५ अ। नरकपटल-निर्देश २.५८० अ, १.३४४ अ।
विस्तार २५८० अ, अकन ३.४४१। नारकी-अव- तादात्म्य संबंध- २.३६५ब, समवाय ४.३३४ अ।
गाहना १.१७८, अवधिज्ञान १.१९८, आयु १.२६३ । ताप-२.३६५ ब, सुख (तृष्णादु.ख) ४.४३० । तमकी-नरकपटल-निर्देश २५८० अ, विस्तार २५८० तापन-२.३६५ ब। नरकपटल-निर्देश २.५७९ ब,
अ, अकन ३.४४१ । नारकी-अवगाहना १.१७८, विस्तार २.५७६ ब, अंकन ३.४४१। नारकीअवधिज्ञान १.१६८, आयु१२६३ ।
अवगाहना १.१७८; अवधिज्ञान १.१६८ आयु! तमसा-२३६५ अ, मनुष्यलोक ३२७५ ब ।
Page #111
--------------------------------------------------------------------------
________________
तापस
तापस २.२६५ ब मनुष्यलोक ३.२७५ अ विनयवादी
एकान्ती १४६५ व
तापी - २.३६५ व, मनुष्यलोक ३ २७६ अ । तामस दान - २४२३ अ ।
तामिल वेद-२३६५ व । ताम्रलिप्ति-२३६५ ब ।
ताम्रा-२३६५ व मनुष्यलोक ३.२७५ व नरकपटल
तार- २.३६५ व विस्तार २५८० अ, अकन अवगाहना ११७८ अवधिज्ञान
१.२६३ ।
तारक- २.२६६अ, पिशाच व्यन्तर देव ३५८ व प्रति नारायण ४२० अ, वासुपूज्यनाथ २.३९१ । तारणस्वामी - इतिहास १३३३ अ । तारा --- चक्रवर्ती ४.११ ब, व्यन्तरेन्द्र वल्लभिका ३.६११ ब। नरकपटल - निर्देश २.५५० अ, विस्तार २५८० अ अकन ३.४४१ । नारकी - अवगाहना ११७८ अवधिज्ञान १११८, १.२६३ । तारा (ज्योतिष वेव) - देव - अवगाहना ११८०, अवधि -
ज्ञान ११९८ आयु १२६६ इन्द्र- निर्देश २३४६ ब, किरणे तथा शक्ति आदि २३४८ । प्ररूपणाबन्ध ३१०२, बन्धस्थान ३.११३, उदय १३७८, उदयस्थान १३९२ व उदीरणा १.४११ अ, उदीरणा स्थान १.४१२ सत्त्व ४.२८२, सत्त्वस्थान ४.२६८, ४ ३०५, त्रिसंयोगी भग १४०६ ब । सत् ४.१८८, संख्या ४९७, क्षेत्र २.१६६, स्पर्शन ४४८१, काल २१०४, अन्तर १.१०, भाव ३२२० अ, अल्पबहुत्व १ १४५ ।
तारा (ज्योतिषविमान ) - २३६६ अ, निर्देश २ ३४६ ब विस्तार २३५१ ब, आकार २.३४८, किरणें तथा वाहक देव २३४८ अ अकन २.३४८ चित्र
। ब,
२.३४८ । अवस्थान २३४७ व सख्या २.३४८ अ-ब वीवियाँ २३४९ व चार क्षेत्र तथा गतिविधि २३४१-३५०, अंकन २.३४९ । वैदिकाभिमत सप्त ऋषि वध व तारे ३.४३३ ।
तारादेवी प्रकलक भट्ट १.३१ अ
--
निर्देश २५५० अ ३.४४१ । नारकी
११९५, आयु
ताल - २.३६६ अ
तालप्रलंब - २३६६ अ, अचेलकत्व १.३१ व ।
तालाब - स्वप्न ४५०५ अ ।
तिगिछ-२३६६ अ निषधपर्वत का हृद― निर्देश
-
तिर्यच (जीव )
३४४६ ब, ३४६३ ब विस्तार ३.४६०, ३४६१, अंकन ३४४४, ३४६४ के सामने, चित्र ३४६१ । तितिणदा - २.३६६ अ, अतिचार १.४३ ब । तिथि चन्द्रमा २ ३५१ अ ।
तिमिति संमूच्छिम ४ १२७ व
---
अ,
तिमिस्रा (कूट - विजया पर्वतों पर स्थिति - निर्देश ३४७१ ब, विस्तार ३४८३, ३४८५, ३४८६, अन ३४४४, वर्ण ३ ४७७ । तिमिस्र (गुफा) - २३६६ अ विजयार्धपर्वत की गुफा -- भरत ऐरावत में निर्देश ३.४४८ ३४५५ अ-ब, विस्तार ३४५२, अकन ३४४८ । विदेह क्षेत्रो मे निर्देश ३.४६० अ विस्तार ३४५२, अकन ३४६० अ धातुक व पुष्करार्धद्वीपो में निर्देश ३४६२ ब विस्तार ३४६५, ३४८६, अकन ३४६४ के सामने । तिमिस्र (नरक) नरकपटल - निर्देश २.५८० अं, विस्तार २५५० अ अकन ३४४१ । नारकीअवगाहना ११७८, अवधिज्ञान १.१६८, आयु १२६३ । तिमिस्रका नरकपटल-निर्देश २.५८० अ विस्तार २५८० अ अकन ३४४१ । नारकी - अवगाहना ११७८, अवधिज्ञान १.१६८, आयु १२६३ । तिरस्कारिणी -२३६६ अ विद्या ३५४४ म । तिस्तयकतेवर २.३६६ अ इतिहास १.३२९ अ -- १.३४१ व । तिरोधान-कर्मोदय २.७१ ब तियंचगति (प्ररूपणा ) - बन्ध ३.१०१, आयुबन्ध १.२६५ ब बन्धस्थान ३११२. उदय १.३७६, उदयस्थान १३६२ व उदीरणा १४११ अ उदीरणास्थान १४१२, सस्व ४.२८१, उद्वेलना युक्त मे सत्व ४.२८२, सत्त्वस्थान ४२६८, ४३०५, त्रिसंयोगी भग १४०६ व सत् ४ १७०, मुख्या ४१५, क्षेत्र २१०, स्पर्शन ४७६, काल २.१०१. अम्वर १.५, भाव ३.२२० अ, अल्पबहुत्व ११४४ । तियंचगति नामकर्म प्रकृति प्ररूपणा प्रकृति ३८८ २५८३, स्थिति ४.४६३, अनुभाग १९५, प्रदेश ३.१३६ । बन्ध ३.६७, बन्धस्थान ३११०, उदय १.३७६, उदप्रस्थान १३१०, उदीरणा १४११ अ उदीरणास्थान १.४१२, सत्व ४२७८, उद्वेलना युक्त में सत्त्व ४.२८२, सत्त्वस्थान ४३०३, त्रिसयोगी भग १.४०४ । संक्रमण ४.८५ अ अल्पबहुत्व ११६९ । तिपंच (जीव ) - २.३६७ अ, अवगाहना १.१७६, अवधि ज्ञान ९.९९४ ब, आयु १.२६३, आयुबध के योग्य
- -
१०५
-
Page #112
--------------------------------------------------------------------------
________________
तिर्यच ( पचेंद्रिय)
परिणाम १.२५५ अ, कषाय २.३८ ब, गति अगति २३१६ अ २३२२ अ जीव २.३३३ ब, दु.ख २.४५ अ देवगति में जन्म २.३१९ अ लेश्या ३४२९ अ, वैक्रियिक शरीर ३.६०३ अ ।
तिर्यग्योनि निन्दनीय साधु २.५८६ अ । तिर्यग्वणिज्या अनर्थदण्ड १.६३ व
तिल - २.३७१ अ ग्रह २.२७४ अ
तिलक २२७१ अ कुन्थुनाथ २.३०३ विद्याधर नगरी
1
३ ५४५ व ।
तिलका विद्याधर नगरी ३.५४५ ब ।
तिलपुच्छ - २३७१ अ, ग्रह २ २७४ अ । तिल्लोपत्ति २३७१ अ इतिहास १ ३४० ब ।
J
1
,
3
लीन - २.३७१ अ, अग्नि १३५ अ, करण २.६ ब, काल २१४ ब गुप्ति २२४० व नति २१३३ व योग ३ ३७५ अ रनत्रय ३३३५ व लिंग ३४१६ ब लोक ३ ४४० व ३५७ व, वर्ग २४०० ब विशुद्धि (सम्यग्दर्शन) ४१६३ अ वेद ३५६३ व शुद्धि ४.३९ अब सहनानी सिद्ध जीवराशि २२११ अ । तीन-चौबीसी व्रत - २.३७१ अ । तीन सौ तेतालीस रज्जूधन की सहमानी २ २११ व तीर्थंकर्ण २३७१ व मनुष्यलोक ३२७५ अ तीर्थकर -२ २७१ व अग्नि १.३५ व अभिषेक ३४५० व अल्पबहुत्व ११५३ अवधिज्ञान ११९४ अ, आहारक ४२७५ व उच्चगोत्र ३५२१, चक्रवर्ती ४१० अ, चारित्र २२११ अ जन्मक्रिया (कृतिकर्म) २१३५ प २३६१ व निमोद ३५०५ ब पिटारे ( सुधर्मा सभा ) ४४४५ व भरत चक्रवर्ती २२६१ अ, माता ( स्वप्न ) ४५०४ मोक्ष ३३२८ व रान वृष्टि २.३२ ब विदेह ४.३३१ ब श्रेणिप्रवेश सख्या ४.६४ अ, सत्व ४.२७५ ब, स्त्री ३ ५६० अ । तीर्थंकर नामकर्म प्रकृति - प्ररूपणा प्रकृति ३८८, २५८३, उच्चगोत्र ३५२१ ब स्थिति ४४५६ अ, ४४६३, अनुभाग १९५, प्रदेश २१३६, बन्ध २१७, स्थान २१११, उदय १३७५, उदय की विशेषता १३९४ व उदयस्थान १.३९०, १.३१६, १३१७, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२. सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्वान ४३०३, त्रिसयोगी भंग १४०४ । बहुत्व ११५२, ११६० ।
"
,
तीर्थंकर बेला व्रत - २३६३ अ ।
V
तीर्थकर भक्ति इतिहास १३४० व - । तीयंकर व्रत-२२६३ अ ।
तिर्थगेकादश-- १३७४ ब ।
तिर्यग्गति - (दे० ऊपर तियंचगति तथा तिर्यंचगति नाम- तीर्थ - २३६३ अ, महावीर १.२ ब, १७१ ब ।
तीर्थकाल - मोक्ष ३ ३२७ अ । तीर्थदर्शन- सम्यग्दर्शन ४ ३६४ ब । तीर्थयात्रा श्रावक ४५२ अ तीर्थविहार- उपकार १४१६ अ
• ।
तिथंच (पचेद्रिय) दे० पचेद्रिय । तिर्यचलोक - २३७० अ ।
१०६
तियंचलोक सिद्ध
अल्पबहुत्व ११५३ ।
तिचा धर्मप्रकृति प्ररूपणा प्रकृति १.०८ १.२५२, स्थिति ४४६२, अनुभाग १६५, प्रदेश ३ १३७ । बन्ध ३६७, ११६५ ब, बन्धस्थान ३१०८, उदय १.३७५, उदयस्थान १३६०, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४२७८, उलनायुक्त मे सत्त्व ४२८२, सत्त्वस्थान ४३०३, त्रिसयोगी भग १४०४ । संक्रमण ४ ८५ अ, अल्पबहुत्व १.१६६ । तिर्यचिनी - योनिमति तिर्यच २३६७, ३३८८ अ, वेद ३.५८५ ब । प्ररूपणा बंध ३१०१, बधस्थान ३११२, उदन १२७६. उदयस्थान १३६२ ब, उदीरणा १४११ अ सत्व ४.२८१, सत्वस्थान ४२६८, ४३०५, त्रिसयोगी भग १४०६ व सत् ४१७०, सख्या ४.१५, क्षेत्र २.११८, स्पर्शन ४.४७९, काल २१०१ अन्तर १८ भाव ३२२०, अ, अल्पबहुत्व ११४४ ।
तिर्यक - ३६६ ब ।
तिर्व आयत चतुरस्र २.३७१ अ
तियं गच्छ २.३७१ अ, गणित २२३२ अ । तिर्यक् चतुष्टय -- १३७४ ब ।
तिर्यक डिक- १.३७४ ब । तिर्यक् प्रचय--२१७२ अ । तिर्यक् प्रतर- २३७१ अ । तिर्यक लोक २.३७० न । तिर्यक् लोकसिद्ध अल्प
१.१५३।
तिर्यक सामान्य - अभेद ११३१ अ कम २ १७२ अ-ब, सामान्य ४४१२ अ ।
तियं सूर्यंत कायक्लेण २४७ अ ।
तिरंगा - निन्दनीय साधु २.५८६ अ ।
२.५८३ ब । नियंत्रिक. १३७४ ब ।
-
कर्म) 1
तिर्यग्गतिप्रायोग्यानुपूर्वी आनुपूर्वी १.२४७ अ, नामकर्म १. २४७ अ, नामकर्म
-
----
तीर्थविहार
-
Page #113
--------------------------------------------------------------------------
________________
तीर्थच्छेद
तोपुच्छेद-आगम १२२१ व
तीर्थस्नानशीन ४४३ अ स्नग्न ४.४७१ ब । तीव्र - २३६३ ब, कषाय २३६अ, २३० अ, परिणाम ( उदीरणा) १.४१० अ, ३३२ अ ।
तीसरी भूमिका अमृतकुम्भ (चेतना) २२८६ अ चारित्र २२८८ब, चेतना २२-६ अ, धर्म २४६८ ब । तीसिय- २३६३ ब ।
तुंगवरक मनुष्यलोक २.२७५ ब तुबर--२३६३ म, गन्धर्वदेव २.२११ अ यासनाथ २३८३ ।
बुरव - २३२३ व गन्धर्वदेव २२११ अ सुमतिनाथ का यक्ष २.३७६ ।
तुबुलूर - २.३९३ ब ।
तुबूलाचार्य इतिहास १.३४७ ब ।
तुच्छाभाव - अनुभव १८२ अ ।
तुष्टीका मीमासा दर्शन ३३११ अ । तुक२३६३।
-
तुकिस्तान उत्तरकुरु १२५६ अ ।
तुलसीदास २३१३ ब ।
तुला - २३६३ ब, तौल का प्रमाण २२१५ अ । लिंग - २३९३ व मनुष्यलोक ३ २७५ अ तुल्य - २३६३ ब । तुल्यबलविरोध विरोध ३५६५ अ तुषित - २.३९३ व लौकान्तिक ३.४९३ व सूर्याग - २.३९३ व कहावृक्ष ३.५७८ अ । तूष्णीक - २३९३ ब, कारण ३५८ ब । तृणफल २३९४ अ ।
।
1
---
तृणमय आसन - कृतिकर्म २.१३५ ब ।
तृणसंस्तर - ४१५३ ब । तृणस्पर्श-२३९४ अ परिषद् ३.३३ व ३३४ अ । तृतीय गुण - गुणाश २२४१ अ । तृतीय भूमिका अमृतकुम्भ २२६१ अ उपयोग १४३४ अ, चारित्र २.२८८ व चेतना २२८६ अ धर्म २.४६८ ब ।
तृतीयमूल गणित २.२२३ अ ।
क्षुधा २.१८७ व परिषह ३.३३ ब, ३.३४ अ, पिपासा ३.५८ ब ।
तृष्णा-वाप ४४३० अ परिग्रह ३.२६ अ, ३२९ ब
7
१०७
राग ३ ३५ अब, ३३६८ अ, शरीर ४.८ अ, सुख (ताप) ४.४३० अ ।
तृष्णा वशीकरण - राम ३.३६८ अ ।
तदु धेयासनाय २३०३. तेईस वर्गणा ३५१३ अ ।
तेईस वर्गणा - निर्देश ३५१३ अ, अल्पबहुत्व ११५५ । तेईस सिंह - स्वप्न ४५०५ अ ।
"
तेज-२३९४ अ, जीव २२३३ व तेजस २३१४ व लोक मे अवस्थान २४५ व २४६ अ वनस्पति ३५०५ व वैक्रियिक ३६०२ ब ।
तजस शरीर अर्ध
तेजकायिक- अग्नि १३५, ११६ व अवगाहना ११७६,
आयु १२६४, काय २४४ जीवसमास २३४३, वनस्पति ३५०५ ब, वैक्रियिक शरीर ३६०२ ब स्थावर ४४५३ । प्ररूपणा - बन्ध ३ १०४, बन्धस्थान ३११२, उदय १३७९, उदय की विशेषता १३७३ ब, उदयम्थान १३६२ ब, उदीरणा १४११ असत्व ४२८२, सत्त्वस्थान ४३००, ४३०५, त्रिसंयोगी भग १४०६ ब सत् ४२०३, सख्या ४१०१, क्षेत्र २२०१ स्पर्शन ४४८२, काल २.१०६, अन्तर ११२. भाव ३२२० व अल्पबहुत्व १ १४५ ।
तेजपाल (कवि ) - इतिहास १३३३ १२४६ अ तेजसेन - यदुवश १ ३३७ ।
तेजस्वी – इक्ष्वाकुवंश १३३५ अ ।
तेजांग कल्पवृक्ष ३५७८ अ
तेजोजराशि ओज १४६९ व गणधर २२१३ अ । तेतीस प्रायस्त्रिण देव २ ३१९ ब सागर (आयु) १२६३, १२६६ । तेरह क्रिया (साधु) ४४०४ब, चारित्र के अग २२०२ अ । ससारी जीवराशि की सहनानो २.२१६ अ । तेरहपथ श्वेताम्बर ४८० व
तेला व्रत --- २.३६४ अ ।
तेजस - द्रव्य - वर्गणा - ३५१३ अ, ३५१५ ब, ३५१६ अ । तेजस शरीर २३९४ अ, प्रदेशो का अस्पबहुत्व १२५७ ॥ तेजस शरीर नामकर्म प्रकृति प्ररूपणा प्रकृति ३.८६, २५८३, स्थिति ४४६३, अनुभाग १९७, प्रदेश ३१३६, प्रदेशी का अल्पबहुत्व ११६३ । बन्ध ३.६७, बंधस्थान ३ ११०, उदय १३७५, उदयस्थान १३६०, उदीरणा १४११ म उदीरणा स्थान १.४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान ४.३०३, त्रिसयोगी भग १.४०४ । संक्रमण ४६४ व अल्पबहुत्व १.१४८, ११६८ ।
$
तेजस शरीर बंध-औदारिक तैजस, वैक्रियिक तैजस, आहारक तेजस, तेजस तेजस, वैजस कार्मण ३ १७० वा
-
-
Page #114
--------------------------------------------------------------------------
________________
तेजस समुद्घात
१०८
त्रिकच्छेद -
जस समदघात-२३६५ ब, ४.३४३, क्षेत्र २ १६७- ४२८२, सत्त्वस्थान ४२६६, ४.३०५, त्रिसंयोगी
२०७, परिहारविशुद्धि ३३७ अ, सत्त्व ४३४३, भंग १४०६ ब। सत् ४२१०, सख्या ४ ६६, क्षेत्र स्पर्शन ४४७७-४६४ ।
२२०१, स्पर्शन ४४८४, काल २ १०६, अन्तर १ १२, तैतिल-२ ३६६ ब, मनुष्यलोक ३ २७५ ब ।
भाव ३.२२० ब, अल्पबहुत्व ११४५ । तेरश्चिक-मनुष्यलोक ३ २७५ ब ।
सचतुष्क--१३७४ ब । तलमर्दन--अपवाद मार्ग ११२१ ब।
त्रसत्व--स्थावर ४४५४ ब । तेला-२३६६ब, मनुष्यलोक ३.२७५ ब ।
सदशक-१३७४ ब। तैलिपदेव-२३६६ ब ।
सनामकर्मप्रकृति-प्ररूपणा--प्रकृति ३८८, २५८३, तोता-शुक्रेन्द्र का यान ४५११ ब, श्रोता ४ ४५२ ब । स्थिति ४४६६, अनुभाग १.६५, प्रदेश ३ १३६ । तोयधरा-२३६६ ब, सुमेरु के वनो की दिक्कुमारी- बन्ध ३६७, बन्धस्थान ३ ११०, उदय १ ३७५, उदय- । निर्देश ३४७३ ब, अकन ३ ४५१ ।
स्थान १.३६०, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान तोय---राक्षसवश १३३८ ।
१४१२ ब, सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४३०३ त्रिसतोरण-२३६६ ब।
योगी भग १४०४। सक्रमण ४८४ ब, अल्पबहुत्व तोरणद्वार -समवसरण ४ ३३० ब ।
१.१६८। तोरणाचार्य-२३६६ ब ।
त्रसनाडी-२ ३६६ ब । तोरमाण-२३६६ ब, हनवश १३११ ब, १३१५ । त्रसरेणु (बटरेणु)-२३६१ ब, क्षेत्रप्रमाण २ २१५ अ । तोलामलितेवर-इतिहास १३२६ अ।
सलोक-२ ३६६ अ । तौल-द्रव्यप्रमाण २२१५ अ ।
त्रसित -२ ३९६ ब। नरकपटल--निर्देश २५७८ ब, त्यषत-आहार का दोष १२६२ अ।
विस्तार २ ५७६ ब, अकन ३ ४४१ । नारकीत्यक्तज्ञायक शरीर-२५६६ अ, उपशम १४३७ अ।
अवगाहना ११७८, अवधिज्ञान १.१६८, आयु त्यक्तदोष-आहार १२६२ अ। त्यक्तशरीर २६०० अ।
त्रस्त २३६६ ब, ग्रह २२७४ अ । नरकपटल --निर्देश त्यक्तावास-अस्तेय १२१४ अ।
२५७८ ब, विस्तार २५७६ ब, अंकन ३४४१ । त्याग-२३६६ ब, अतीत-त्याग ३.३०५ ब, अपवाद नारकी-अवगाहना ११७८, अवधिज्ञान १.१६८,
मार्ग (एकदेश-त्याग) ११२० ब, उत्सर्ग मार्ग (पूर्ण आयु १२६३। त्याग) ११२० ब, आहारान्त राय १२५-२६, चारित्र त्रास्त्रिश-२३६६ ब, भवनवासी--भावन लोक मे २३८३ अ, दान २४२२ ब, परिग्रह-परिमाण ३.२०६ अ, जम्बू शाल्मली-वृक्ष स्थल ३ ४५८, ३ ६२८ ब, मिथ्यादृष्टि ३३०५ ब, वासुपूज्यनाथ ३.४५६, पद्म आदि हृदो मे ३४५३-४५४, श्री आदि आदि तीर्थकर २३८६ । व्युत्सर्ग ३ ६२४ ब ।
देवियो के परिवार मे ३६१२ अ, आयु १२६५, त्यागधर्म-२३६७ अ, व्युत्सर्ग तप ३.६२४ अ, शौच
वैमानिक-स्वगों मे ४.५१२, सुमेरु पर्वत की पुष्क४४३ अ।
रिणियो मे ३४५०-४५१, आयु १२६६। इनकी प्रयात्मक द्रव्य - उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य १.३६१ ब।।
देवियाँ ४५१२, आयु १२७० ।। त्रयोदश चारित्र के अग २२८२ अ, साधु की क्रियाएँ त्रास्त्रिश-बौद्धाभिमत स्वर्ग ३.४३५ ।
४४०४ ब । ससारी जीवराशि की सहनानी त्रि-२३७१ अ, अग्नि १.३५ अ, वरण २६ ब, काल २२१६ अ।
२१४८ ब, गुप्ति २२४८ ब, नति २ १३३ ब, योग बयोविशति वर्गणा ३५१३ अ ।
३ ३७५ ब, रत्नमय ३.३३३ अ, लिग ३.४१६ ब, उसकाय-२३६८ अ, अवगाहना ११७६, काय २ ४४,
लोक ३ ४४० ब, ३ ५७ ब, कर्म २४०० ब, विशुद्धि जीव २३३३ ब, जीवसमास २.३४३, प्राण ३.१५३ (सम्यग्दर्शन) ४ ३६३ अ, वेद ३.५८३ ब, शुद्धि अ, स्थावर (अग्निवायु) ४.४५४ ब। प्ररूपणा
४.३६ अ-ब । सहनानी-सिद्ध जीवराशि २२१९ अ, बन्ध ३१०४, बन्धस्थान ३.११३, उदय १३७६, अपर्याप्त जीवराशि २२१६ अ । सदयस्थान १.३६२ ब, उदीरणा १:४११ अ, सत्त्व त्रिकच्छेद-२.४०० अ, गणित २२२५ अ ।
१.२६३ ।
आय
Page #115
--------------------------------------------------------------------------
________________
त्रिस्थानी
त्रिकरण
अ॥
त्रिकरण--२४०० अ, २.६ ब, दर्शनमोहक्षपण २.१७६ त्रिभुवनचंद्र-काष्ठासघ १३२७ ।
त्रिभुवनचूडामणि--२४०० अ, देवकुरु व उत्तरकुरु के त्रिकालग-२४०० अ, मनुष्यलोक ३ २७५ ब ।
चैत्यालय-निर्देश ३४५८ अ, अकन ३४५७ । त्रिकाल-२४०० अ।
त्रिभुवनस्वयंभू- इतिहास १ ३३० अ। त्रिकालज्ञता-२४०० अ, अवधिज्ञान ११६७, केवलज्ञान विमुख-२४०० अ, सभवनाथ का यक्षा २१४८ ब, २१४६ ब, २१५१ ब, मनःपर्ययज्ञान ।
त्रिलक्षण कवर्थन -२४०० अ । इतिहास १३४१ अ । ३ २६३ अ, श्रुतज्ञान ४.६० ब ।
त्रिलक्षणत्व-उत्पादादि १३६१ ब, परिणाम ३.३२ ब, त्रिकाल वंदना-३ ४६५ अ ।
सापेक्षधर्म ११०६अ। त्रिकाल सामायिक -४४१७ ब ।
त्रिलोक-ओम १.४७० अ, लोक ३ ४४० ब । -त्रिकाली पर्याय-२.४५४ अ, २४५५ अ।
त्रिलोकगुरु-गुरु २.२५१ व । त्रिकट---मनुष्यलोक ३२७५ ब, विद्याधर नगरी त्रिलोकतीज
३ ५४५ अ। विदेह वक्षार-निर्देश ३ ४६० अ, नाम- विलोकबिदुसार-२ ४०० ब । निर्देश ३ ४७१ अ, विस्तार ३.४८२, ३४८५, ३४८६, त्रिलोकमडन-२.४०० ब। वर्ण ३ ४७७, अकन ३ ४४४, ३.४६४ के सामने। त्रिलोकव्याप्त वली पर्वत का कूट तथा देव ३४७२ ब ।
त्रिलोकसार--२.४०० ब, इतिहास १३४२ ब । त्रिकति-२४०० अ, कर्म २२६ अ, कृतिकर्म २१३३ ब,
त्रिलोकसार टीका-इतिहास १३४२ अ । वदना ३४६५ अ।
त्रिलोकसार व्रत-२.४०० ब । त्रिकोणरचना-उदय १३६६, १ ३७१ अ, स्थिति
त्रिलोकीय-नेमिनाथ २.३७८ । ४४५८ अ।
त्रिवर्ग-२.४०० ब। त्रिखंड-२४०० अ।
त्रिवर्गगतवाद--एकान्त १४६५ ब । त्रिखंडाधिपति-३ ४०० ब ।
त्रिवर्ग महेंद्र-मातलि जल्प-२४०० ब, इतिहास १ ३४२ ब । त्रिगर्त--२.४०० अ । मनुष्यलोक ३ २७५ ब ।
त्रिवर्गवाद-२४०० ब। त्रिगणसार व्रत-२.४०० अ।
त्रिवर्ण-प्रव्रज्या २१४६ ब, वर्णव्यवस्था ३५२३ ब, त्रिगुप्ति-अनन्तनाथ २३७८, गुप्ति २२४८ अ।
३५२४ ब । त्रिगुप्तिगुप्त - २.२४८ अ।
त्रिवर्णाचार-२४०० व, इतिहास १३४७ ब । त्रिचारित्रसिद्ध- अल्पबहुत्व ११५३ ।
त्रिवलित-२४०१ अ, व्युत्सर्ग का दोष ३.६२३ अ । त्रिचड विद्याधरवश १.३३६ अ। त्रिजट-राक्षसवश १.३३८ अ।
त्रिविध-प्रतिक्रमण ३ २१६ अ। त्रिज्ञानसिद्ध-अल्पबहुत्व ११५४ ।
त्रिवेदसिद्ध-अल्पबहुत्ब १.१५३ । त्रिज्या-२४०० ।
त्रिशिरा-२४०१ अ, कुण्डलवर पर्वत का कूट तथा देव
निर्देश ३ ४७५ ब, अकन ३ ४६७ । रुचकवर पर्वत त्रिदशंजय-इक्ष्वाकुवश १३३५ अ । त्रिधाकरण-मिथ्यात्व १४३८ ब ।
का कूट तथा देव-निर्देश ३ ४७६ ब, अकन त्रिपंचाशत-श्रावक की त्रेपन क्रियाएं ४ ५१ ब ।
३४६८। त्रिपर्वा-२४०० अ । विद्या ३५४४ अ।
त्रिषष्ठि- शलाकापुरुष ४.६ ब । त्रिपातिनी-२,४०० अ, विद्या ३.५४४ अ ।
विषष्ठिशलाकापुरुष चरित्र-२४०१ । त्रिपुर-२४०० अ, मनुष्यलोक ३.२७५ ब ।
त्रिषष्ठिस्मतिशास्त्र-आशाधर १२८१ अ, इतिहास त्रिपृष्ठ -२.४०० अ, नारायण ४.१८ अ, शलाकापुरुष १.३४४ ब, १३४५ अ। ४२६ अ, श्रेयांसनाथ २३६१ ।
त्रिसंयोगीस्थान प्ररूपणा-उदय १४०-४०८, आयु त्रिप्रदक्षिणा-कर्म २.२६ अ ।
१.४०१, नामकर्म १४०४ मूलोत्तरप्रकृति १४००, त्रिबार सामायिक--४४१८ अ।
मोहनीय १.४०१ब, नामकर्म ओघ १.४०५ ब, नामत्रिभंगीसार-२.४०० अ, इतिहास १.३४५ अ ।
कर्म आदेश १४०६ ब। त्रिभवनकोति-काष्ठासंघ १.३२७ अ, नंदिसघ १.३२४ अ। त्रिस्थानी-अनुभाग १६१ ब।
Page #116
--------------------------------------------------------------------------
________________
श्रीद्रिय
त्रीद्रिय २४०१ अ अवगाहना १.१७६, आयु १२६२२६४ इन्द्रिय १३०६, १३०७ अ, जीव- २३३३ ब, जीवसमास २३४३. प्राण ३१५३ अ, सक्से स्थान (अल्पत्व) ११६० स २३१८ । त्रींद्रिय जातिनामकर्म प्रकृति - प्ररूपणा प्रकृति ३८८, २५८३, स्थिति ४.४६३, अनुभाग १६५, प्रदेश ३.१३६ । बन्ध ३.१७, बन्धस्थान ३.११०. उदय १३७५, उदयस्थान १३६०, उदीरणा १ ४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्व ४२७८ सरवस्थान ४३०३ त्रिसयोगी भग १४०४ ब, मक्रमण -- ४८४ ब, अल्पबहुत्व ११६८ ।
श्रींद्रिय जीव प्ररूपण वध ३१०३, वधस्थान ३११३, उदय १.३७५, उदयस्थान १३९२ व उदीरगा १४११ अ, सत्त्व ४.२८२, उद्वेलनायुक्त सत्त्व ४.२०२, सस्वस्थान ४२९९, ४३०५, त्रिसगयोगी भग १४.६ व सत् ४.१९५, सख्या ४१९, क्षेत्र २.२००, स्पर्शन ४.४६३, काल २.१०६ अन्तर १११, भाव ३२२० व अल्पबहुत्व ११४५ ।
टरेणु क्षेत्रमाण २- २१५ अ ।
-
त्रुटित - २४०१ अ. कालप्रमाण २२१६ अ २.२१७ अ । त्रुटितांग कालप्रमाण २२१६अ, २२१७ अ । त्रेपनक्रियावत- २४०१ अ ।
काययोगी २४०१ अ नन्दिसंघ देशीय गण १३२४, इतिहास १३३० अ ।
राशिक २४०१ अ अनुपात १७१ अ गणित २२२८ अ ।
7
,
शशिकवाद - २४०१ अ एकान्त १४६४ व १४६५ अ-ब ।
लिंग -- २४०१ अ ।
त्रैलोक्य दीपक इतिहास १२४५ अ विद्यदेव - । - २४०१ अ, नन्दिसंघ १३२५ ।
यि विश्वेश्वर - द्रविडसंघ १३२० अ ।
व्यंग नमस्कार - २५.१अ ।
त्व स्पर्श – ४.४७६ अ ।
त्वचा - २४०१ ब, औदारिक शरीर १४७२ अ । त्वष्टा - चित्रा नक्षत्र २.५०४ व ।
थ
थलचर - निर्देश २३६७, अवगाहना ११७६, आयु १.२६३, इन्द्रिय १:३०६ व जीवसमास २ २४३ ।
११०
थावर प्रतिमा
२३०० ब ।
चिउक्क – सक्रमण ४ ६१ अ । विद्याज्ञान पर्वत उत्तरहरु १३५६ अ
- ।
थूकना कायक्लेश २४७ व भोसामिदंडकवना २४१५ व
hu
दड- २४०१ व क्षेत्रप्रमाण २२१५अ योग ३ ३७५ व रश्न (चक्रवर्ती) ४१३ अ सयम ४१३६ । दड-बंधी संबंध य २४६० अ संबध ४१२६ अ दडनायक - नन्दिसघ १३२५ ।
दंडपति - २.४०१ ब ।
दंडभूत सहस्रक - २.४०१ ब विद्या ३.५४४ अ ।
दडरश्न चक्रवर्ती ४१५ व
।
द- समुद्धति-२ १६६ ब ।
दडाध्यक्षगण २४०१ व विद्या३ ५४४ अ दंडासन तप - कायक्लेश तप २ ४७ ब । दंत - अनगार १६२ अ ।
दंतकर्म-कर्म २२६ अ, निक्षेप २५६१ व । दंतवाणिज्य - सावद्य ४४२१ ब ।
-
दंशमशक परिषद् - २४०१ व परिषह ३२३ ब, ३३४
-
अ ।
दंसणकरण करंड इतिहास १३४३ व।
वक लवणसागर का पर्वत निर्देश ३४६२ अ नामनिर्देश ३ ४७४ ब, विस्तार ३.४७६. वर्ण ३४७८, अकन ३४६१ ।
दकवास -- लवणसागर का पर्वत - निर्देश ३.४६२ अ, नामनिर्देश ३४७४ व विस्तार ३४७९, वर्ण ३.४७८, अंकन ३४६१ ।
दक्ष - २४.२ अ, हरिवश १३३६ ब, १३४० अ ।
दक्षिण - अग्नि १३५ व, अयन २६१ ब, २.३५१ । इन्द्र (दे० इद्र) ।
freeल्प स्वर्गपटलो का दक्षिण भाग ४५२० व ।
दक्षिणायन
दक्षिणप्रतिपत्ति २४०२ अ ।
दक्षिणाग्नि - १.३५ ।
दक्षिणायन - २९१ व उत्पत्ति २३५१ ।
Page #117
--------------------------------------------------------------------------
________________
दक्षिणार्ध
दर्शनार्य दक्षिणार्थ -विजया कूट तथा देव-निर्देश ३४७१ ब, ब, उद्योत १.४१४ अ, एकान्त १.४६४ ब, वैदिक विस्तार ३४८३, वर्ण ३४७७, अकन ३४४४ ।
आदि २.४०२ ब, २४०३ अ । दक्षिणेद्र-व्यन्तर देव ३६११ अ, स्वर्ग ४५११ अ। दर्शन (सम्यग्दर्शन)- अदर्शन परिषह १.४६ ब, उद्योत दत्त-२.४०२ अ, चन्द्रप्रभ २३८७, नारायण ४.१८ अ । १४१४ अ, कषाय १४३२ ब, मोक्षमार्ग ४.३४६ दत्तक - चन्द्रप्रभ २३८७ ।
ब, योग १४३२ ब, श्रद्धा १.४६ ब, ४ ३४६ ब । दत्तावधान बुद्धि-श्रद्धान ४ ४३ ब ।
दर्शनकथा-२४१७ अ, इतिहास १३४८ । दधिपर्ण-धर्मनाथ २.३८३ ।
दर्शनक्रिया-२१७४ ब । दधिमख-२.४०२ अ, नन्दीश्वर द्वीप का पर्वत-निर्देश दर्शन-ज्ञान-चारित्र-आत्मा ३३३६ ब, मोक्षमार्ग ३.३३३ ३४६६ अ, विस्तार ३४८७, वर्ण ३४७८, अकन
___ अ, रत्नत्रय ३.३३५ ब ।
दर्शन-चतुष्क-१.३७४ ब । दमवर--बलदेव ४१६ ब।
दर्शनपंडित--३.२८१ अ। दमितारि -२४०२ अ।
दर्शनपाहुड--२४१७ अ, इतिहास १३४० ब, वचनिका दया-अनुकपा १.६६ अ, करुणा २१५ अ, हिंसा
१३४८ अ। ४५३५ अ।
दर्शनप्रतिमा-२.४१७ अ । दयादत्ति -२.४२२ ब ।
दर्शन-बाल-३ २८१ अ । दयापाल-द्रविडसघ १.३२० अ ।
दर्शनमोह-उपशम-निर्देश १४३७ ब, १.४३६ ब, दयाभाव -~-२ १४ ब। दयाद्रं-१६६अ।
कालावधि का अल्पब हुत्व १.१६१, प्रदेशनिर्जरा का दयालु-२१५ अ।
अल्पबहुत्व १.१७४, समूच्छिमों मे अभाव ४१२७ ब ।
क्षपण-निर्देश २ १७८ ब, कालावधि का अल्पबहत्व दयावती--तीर्थकर चन्द्रानन २३६२ ।
११६१, प्रदेशनिर्जरा का अल्पवहुत्ब ११७४, दयासागर (कवि)-१३३४ ब ।
प्रस्थापक ४,३७३ अ । दयासागरसूरि -२४०२ ब, इतिहास १३४६ अ ।
दर्शनमोहनीयकर्न--३ ३४२ ब । प्ररूपणा-प्रकृति ३८८, दर्प-२४०२ ब।
३ ३४२, स्थिति ४४६१, अनुभाग १६४ ब, प्रदेश दर्पग-चैत्य-चैत्यालय २३०२ अ, मगल ३ २४४ अ।
३१३७। बध ३६७, बंधस्थान ३.११०, उदय रुचकवर पर्वत की दिक्कुमारी द्वारा अवधृत-निर्देश
१३७५, उदयनिमित्त १.३६७ ब, उदय की विशेषता ३४६६ ब, अकन ३४६८, ३४६६ । शान्तिनाथ
१३७२ अ, १.३७३ ब, उदयस्थान १३८६, उदीरणा २३८२। दर्पणतुल्ल भूमि-अर्हन्तातिशय १.१३७ ब ।
१४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४.२७८,
सत्त्वस्थान ४ २६५, त्रिसयोगी भग १.४०१ ब। दर्शक-मगधदेश १३१२ ।
संक्रमण ४८६ अ, अल्पबहुत्ब ११६८। दर्शन (उपयोग)-आकार १.२१६ अ, उपयोग १४२६
दर्शनवाद --एकान्त १४६५ ब, श्रद्धान ४ ४६ अ। ४३० ब, कालावधि का अल्पबहुत्व ११६०, दर्शन २४०५ ब, २४०६ अ, निर्विकल ३ ५३७ ब, मति
दर्शनविनय--३ ५४८ ब, ३ ५५० ब । ज्ञान ३ २५१ अ, विशुद्धि ३ ५७० अ। प्ररूपणा--बध
दर्शनविशद्धि-~-२४१८ ब। ३ १०६, बधस्थान ३.११३, उदय १३८३, उदय
दर्शनविशुद्धि व्रत -२४१६ ब। स्थान १३६३, उदीरणा १४११ अ, सत्त्व ४२८४, दशेनशुद्धि (शास्त्र)-२.४१६ ब । सत्वस्थान ४३०१, ४३०६, वियोगी भग दर्शनश्रावक-२.४१७ अ । १४०७ । सत् ४.२३६, सख्या ४.१०७, क्षेत्र २२०५, दर्शनसार २४१६ ब, इतिहास १.३४२ ब। स्पर्शन ४४६०, काल २.११५, अन्तर १.१७, भाव दर्शनाचरण-मिथ्यादृष्टि ३.३०३ ब ।
३ २२१ ब, अल्पबहुत्व ११५१, भागाभाग ४११३ । दर्शनाचार-१२४० अ, मिथ्यादष्टि ३.३०३ ब, विनय दर्शन (चाक्षुष ज्ञान)-आहारान्तराय १ २८ ब, १२६ अ। ३.५५० ब। दर्शन (नाम)-मध्यलोकवासी एक व्यन्तर ३६१४ अ। दर्शनाराधना-१.२७१ ब । दर्शन (सांप्रदायिक सिद्धांत)-- आध्यात्मिक अर्थ २४०५ दर्शनार्य-१२७४ ब ।
Page #118
--------------------------------------------------------------------------
________________
दर्शनावरण
दर्शनावरण- २४११ ब, आसव (ज्ञानावरण) २२७१ ब, ज्ञानावरण २२७१ ब २.२७२ अ, सम्यग्दर्शन ४ ३४१ व । प्ररूपणा प्रकृति ३८८ ३९२ ब २.४२०, स्थिति ४४६०, अनुभाग १९४ ब, अनुभाग का अल्पबहुत्व १.१६६ अ, प्रदेश ३.१३६ । बध ३ ६७, बधस्थान ३१०८, उदय १३७५. उदय के निमित्त १३६७ व उदवस्थान १ ३८७ व उदीरणा १४११ अ उदीरणास्थान १४१२, सरव ४.२७८, सरवस्थान ४.२९४, सियोगी भग १.३९९ | सक्रमण
४ ८४ व अल्पबहुत्व ११६८ ।
7
दल- २४२० व गणित २२२५ अ ।
दश
२ ३१ ब, ४४०४ ब करण २५ व द्वार (प्राणायाम ) ३ १५५ व धर्म २४७६ अ पूर्वधर ४३६अ, प्राण ३.१५२ व विकार (काम) २४२, स्थान ( ध्यान ) २४९८ अ २ ३१ ब ४.४०४ ब ।
}
स्वितिकल्प (साधु)
देश - गणना प्रमाण २२१४ व ब, √ " दश अशन दोष आहार १.२९१ व ।
दश करण - २५ ब ।
दश द्वार - प्राणायाम ३ १५५ ब' ।
दश धर्म -- २४७६ अ ।
दश पर्वा २.४२० व विद्या ३.५४४ अ ।
दशपुर - २४२० ब ।
दशपूर्विय ऋद्धि-१४४८ ।
-२२१४ ब, आहार के दोष १ २६१ ब, कल्प (साधु) दशोक्त - २ ४२१ अ ।
२.२१६ व ।
वशपूर्वी इतिहास ( मूलसच ) १.२१६, ४३६ अ-ब, श्रुतकेवली ४५५ अ ।
दश प्राण - ३.१५२ ब ।
दशभक्ति - २४२० ब इतिहास १.३४० व ।
दशम द्वार - - प्राणायाम २१५५ ब ।
दशम भक्त - २.४२० ब ।
११२
दशलक्षण व्रत - २४२१ अ । दशलाक्षणिक धर्म चक्रोद्वार यत्र - ३.३५४ । दशवर्ष काल का प्रमाण २२१६ अ । दशवर्षसहस्र - काल का प्रमाण २२१६ अ ।
शुक्लध्यान
दशमलव - २४२० ब । दशम शब्द – ३.१६४ ब ।
दशमान --- २४२० ब ।
दश मिनिमानी व्रत - २.४२० व ।
दशरथ
२४२१ अ धर्मनाथ २.३७७, पचस्तूपी आचार्य १३२६ ब, १३३० अ, बलदेव ४१७ अ, ४.१८ अ, यदुवंश १३३७, रघुवंश ११३८ ।
देश विकार - काम २.४२ व
v
।
दशकालिक - २४२१ अ श्रुतज्ञान ४६९ ब ।
दशशतसहस्र गणना प्रमाण २२१४ व ।
-
1
दशसहस्र - गणना प्रमाण २२१४ ब । दशस्थान- ध्यान २४६८ अ । दशस्थितिकल्प-कल्प २३१ व साधु ४. ४०४ व । दशानन - प्रतिनारायण ४.२० अ, राक्षसवश १३३८ ब । दशार्ण २४२१ अ मनुष्यलोक ३२७५ ब । शार्णक - २.४२१ अ मनुष्यलोक ३ २७५ अ । दशार्णा मनुष्यलोक ३ २७५ व दशेक मनुष्यलोक ३२७५ अ
7
दामोदर (कवि)
दस २२१४ व आहार के अशन ( दोष
१२९१ ब
J
कल्प (साधु) २३१ ब, ४४०५ ब, करण २५ ब, हार ( प्राणायाम) २१५५ व धर्म २४७६ अ, पूर्वधर ४.३६ अ, प्राण ३१५२ व विकार (काम) २.४२ व स्थान (ध्यान) २४९८ अ स्थितिकल्प (साधु) २.३१ ब, ४४०४ ब ।
7
दही - भक्ष्याभक्ष्य ३ २०३ अ ।
दांडीक - २४२१ अ, मनुष्यलोक ३ २७५ अ ।
दांत -- २४२१ अ, औदारिक शरीर १.४७२ ब । २४२१ अ. आहार १२१२ अ ।
दाता
दातार - आहार १ २६२ अ ।
दातार दोष – आहार १२९२ अ, उद्दिष्ट १.४१३ अ ।
दातृ - २.४२१ अ ।
३५० १.२७,
दान -- २४२१ अ, त्याग २३६७ ब, दान २.४२७ ब, भोजन २४२३ व शुभोपयोग १४३४ व दानकथा - २४२८ ब इतिहास १३४८ अ । दानवीर्थ- सुपार्श्वनाथ २३११ । दानांतराय - १२७ ब । दानांतराय कर्मप्रकृति प्ररूपणा प्रकृति स्थिति ४४६७, अनुभाग ११४ व प्रदेश ३ १३७ । बंध ३१७, बधस्थान ३१०५ ३१०१, उदय १३७५, उदयस्थान १३८७, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सब ४.२७८ सत्वस्थान ४.२९४, त्रिसंयोगी भंग १.३६६ । संक्रमण ४ ८५ अ अल्पबहुत्व ११६८
दामनंदि २.४२८ व देशीय गण १३२४ ब इतिहास
१·३३० ब १.३४२ ब ।
--
बामर - पाईनाथ २३७८ ॥
दामोदर (कवि ) - इतिहास १.३३२ १.३४५ अ ।
Page #119
--------------------------------------------------------------------------
________________
दामोदर (ब्रह्म)
दिगोषध दामोदर (ब्रह्म)-- इतिहास १.३३३ ब, १.३४४ अ। दिगवलोकन-व्युत्सर्ग दोष ३.६२२ अ। दायक दोष-२,४२८ ब, आहार १२६१ ब, वसतिका दिगिंद्र-इन्द्र १.२६ अ । ३.५२६ ब, सूतक ४.४४२ ब, ४.४४३ अ।
दिग्गजेंद्र-२.४२८ब, मध्यलोकवासी देव ३.६१३ ब, वारिका-३ १९२ अ।
देवकुरु उत्तरकुरु के पर्वत-निर्देश ३.४४५ अ, हार- अनुभाग शक्ति १.६१ ब, १.६३ ब, १.९४ अ,
३.४५६ ब, नामनिर्देश ३४७१ ब, विस्तार ३.४८३, मान कषाय २.३८ अ, यदुवंश १३३७ ।
३.४८५, ३४८७, वर्ण ३४७७, गणना ३४४५ अ, दारुक-यदुवश १.३३७ ।
अकन ३४४४, ३४५७, ३४६४ के सामने । रुचकवर दारुवेणि-२४२८ ब, मनुष्यलोक ३२७६ अ।
पर्वत का कूट तथा देव - निर्देश ३ ४६६ ब, ३ ४७१, दार्शनिक श्रावक-दर्शन प्रतिमा २४१७ ब, श्रावक
अकन ३४६८, ३ ४६६ । ४४६ ब ।
दिग्नाग-२४२८ ब । दासत्व--वात्सल्य ३ ५३२ ब ।
दिग्पट चौरासी -२४२६ अ, इतिहास १.३४७ ब । दासी-२४२८ ब, ब्रह्मचर्य ३.१९२ अ, स्त्री ४४५० ब ।
दिग्वसतिका-चक्रवर्ती ४१५ अ । दिक-२४२८ ब।
दिग्वास - श्वेताम्बर ४७८ अ । दिक् इंद्र-१.२६६ अ।
दिग्वासी देव -- व्यन्तर देव- आयु १२६४ ब । विक्कमार (देव)-२४२८ ब । भवनवासी देव-निर्देश ३२१० ब, नाम निर्देश ३ २०८ अ, अवगाहना
दिग्विजय-२४२६ अ, चक्रवर्ती ४१५ ब, नारायण ११८०, अवधिज्ञान १.१९८, आयु १२६५, अव
४२० अ।
दिग्वत -२४२६ अ, देशव्रत २४५१ अ। स्थान ३.२०६ब, ३.४७१, ३.६१२, ३६१४ । इद्र--- निर्देश ३२०८ अ, शक्ति आदि ३२०८ ब, परिवार
दिन-२.४२६ ब, कालप्रमाण २२१६ अ, उत्पत्ति का,
कारण सूर्य की गति २ ३५१ अ, रात्रिभोज (दिवा३ २०६अ। दिक्कूमार देव--प्ररूपणा-बन्ध ३१०२ बन्धस्यान
मथुन त्याग) ३४०३ अ। ३.११३, उदय १३७८, उदयस्थान १.३६२ ब, दिनकर-हस्त नक्षत्र २ ५०४ ब । उदीरणा १.४११ अ, सत्त्व ४२८२, सत्त्वस्थान दिनप्रतिमा- कायक्लेश २४८ अ । ४२९८,४.३०५, त्रिसंयोगी भंग १४०६ ब । सत् दिवस-कालप्रमाण २२१६ अ, उत्पत्ति का कारण ४१८८, संख्या ४६७, क्षेत्र २१६६, स्पर्शन ४.४८१, सूर्य की गति २३५१ अ, मैथुनत्याग ३ ४०३ अ । काल २.१०४, अन्तर १.१०, भाव ३२३१ अ, अल्प- दिवाकरनंदि-२४२६ ब, देशीय गण १३२४ ब । बहुत्व १.१४५।
दिवाकर सेन-२४३० अ, सेनसघ १३२६ अ, इतिहास विक्कूमारी-२४२८ ब, मध्यलोक में अवस्थान ३.६१४ १३२८ ब, १३२६ अ।
अ, रुचकवर पर्वत पर -निर्देश ३.४६६ ब, नाम दिवा-भोजन - रात्रि-भोजन ३४०२ ब । ३४७६ अ, अंकन ३.४६८, ३४६६। सुमेरु पर्वत दिवा-मैथुन-त्याग-रात्रि भोजन ३ ४०३ अ । पर-निर्देश ३.४५० अ, नाम ३.४७३ ब, अकन दिव्य -अनूदिश स्वर्ग का विमान-निर्देश ४.५१६ अ, ३ ४५१ ।
अंकन ४५१५, ४५१७ देव की आयु १२६६ । दिक् वास-२४२८ ब, ३.४७४ ब ।
दिव्यकला-मोक्षमार्ग ३ ३३६ अ। विक स्वस्तिक-रुचकवर पर्वत का कूट-निर्देश ३.४७५ दिव्यतिलक २४३० अ, विद्याधर नगरी ३५४५ ब । अ, विस्तार ३.४८७, अंकन ३.४६६ ।
विध्यध्वनि--२.४३० अ, अर्हन्तातिशय १.१३७ ब, ओम दिगंतरक्षित - २.४२८ ब, लौकान्तिक ३.४६३ ब ।
१.४६९ ब, आगम १२२८ ब, श्रुतकेवली (प्रतिपाद्य) विगंतर गति-जीव की २.२३५ ब ।।
४.५६ अ। दिगंबर-२.४२८ ब, अचेलकत्व १.३९ ब, चैत्य चत्यालय दिव्यपाव-तीर्थकर ३३७७ ।
(प्रतिमा) २.३०१ब, श्वेताबर ४.७८ अ, ४.७६ अ, दिव्ययोजन-२४३३ ब, क्षेत्रप्रमाण २२१५ ब । ४.८० अ।
दिव्यवाद-तीर्थंकर २.३७७ । दिगंबर संघ-जैन १.३१५ ब, १.३१८ अ, जैनाभासी दिव्या-जाति २३२६ ब। १.३१६ ।
दिव्यौषध-२४३३ ब, विद्याधर नगरी ३.५४५ ब ।
Page #120
--------------------------------------------------------------------------
________________
दिण संस्थित
११४
दुषमा काल
ब।
दिश-संस्थित - २४३३ ब, ग्रह २२७४ अ।
दुःश्रुति - २.४३६ अ, अनर्थदण्ड १६४ अ। दिशांजय क्रिया-संस्कार ४१५२ अ।
दुस्वर नामकर्म प्रकृति-प्ररूपणा-प्रकृति ३.८८ अ, दिशा---२ ४३३ ब, कृनिकर्म २१३६ ब, सल्लेखना २५८३, स्थिति ४.४६६, अनुभाग १६५ब, प्रदेश ४३६० ब ।
३ १३६, बन्ध ३.६६, ३६७, बन्धस्थान ३ १११, विशामंत्य--२४३४ अ, सुमेरु का नाम ४.४३७ अ ।
उदय १३७४, १३७५, उदयस्थान १.३६०, उदीरणा दिशामादि -२४३४ अ, सुमेरु का नाम ४४३७ अ ।
१.४११, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४.२७८ सत्त्वदिशामुत्तर-२४३४ अ, सुमेरु का नाम ४४३७ अ।
स्थान ४ ३०३, त्रिसयोगी भग १४०४ । सक्रमण दीक्षा-प्रव्रज्या ३ १४६, भरत चक्रवर्ती ३ ४१६ अ,
४८५ अ, अल्पबहुत्व ११६८।। सस्कार ४.१५२ अ ।
दुग्ध-भक्ष्याभक्ष्य ३ २०३ अ, दुग्धरसी व्रत २.४३६ ब । दीक्षाकाल.-२८० ब ।
दुन्दुभक (दुन्दुभि)-ग्रह २ २७४ अ । दीक्षागुरु---२ २५३ अ ।
दुन्दुभीनाद --प्रातिहार्य ११३७ ब । दीक्षाद्यक्रिया-सस्कार ४.१५१ ब, ४१५२ व ।
दुराग्रही श्रोता-उपदेश १ ४२६ अ । दीक्षाचार्य-आचार्य १२४२ ब ।
दुर्गधा-२४३६ ब। दीक्षान्वय क्रिया-सस्कार ४१५२ अ।
दुर्ग--२ ४३६. मनुष्यलोक ३ २७५ अ-ब, विद्याधर दीक्षाविधि-कृतिकर्म २१३८ ब।
नगरी ३ ५४६ अ। दौतिदेवी-२४३४ अ, पुनर्वसु नक्षत्र २५०४ ब, विद्याधर वंश १३३६ अ।
दुर्गदेव--इतिहास १३३१ अ, १.३४३ ब । दीप-चै.य-चैत्यालय २३०२ अ, पूजा ३७८ ब।
दुर्गाटवी -२४३६ व।
दुर्गह-राक्षस वश १३३८ अ। दीपचंद शाह-२.४३४ अ, इतिहास १.३३४ ब, १३४७
दुर्जन-संगति ४११८ अ ।
दर्दर-२ ४३६ ब, मनुष्यलोक ३ २७५ ब, व्युत्सर्ग का दीपदशमी व्रत-२४३४ अ।
दोष ३ ६२३ अ। दीपन-हरिवंश १३४० अ ।
दुर्दर्श-यदुवश १ ३३७ । दीपमालिका व्रत-२.४३४ अ।
दुर्द्धर-२४३६ ब, यदुवंश १३३६, विद्याधर नगरी दीपसेन-२४३४ अ, पुन्नाट संघ १३२७ अ।
३५४६ अ। दीपांग-२.४३४ अ, कल्पवृक्ष ३५७८ अ।
दुर्नय-३.३०५ अ। दीप्त ऋद्धि-१.४४७, १.४५४ ब ।
दर्भग-नामकर्म प्रकृति-प्ररूपणा-प्रकृति ३.८८,३६६, दीप्ति - इक्ष्वाकुवश १३३५ ब ।
२५८३, स्थिति ४ ४६६ । अनुभाग १६५ ब, प्रदेश दीर्घ अक्षर-१३३ अ।
३ १३६ । बन्ध ३६६ अ, ३.६७, बन्धस्थान ३११०, दीधंदत-कुलकर ४२५ अ ।
उदय १३७५, उदयस्थान १३६०, उदीरणा १४११ दीर्घबाहु-हरिवंश १३४० अ ।
अ, उदीरणास्पान १४१२, सत्त्व ४२७८, सत्त्वदुःख-२४३४ ब, इन्द्रियज सुख ४.४३० अ, देवगति स्थान ४३०३, त्रिसयोगी भग १.४०४। संक्रमण
२४४६ अ, धर्म २.४७० अ, नरक २५७२ अ, ४८५ अ, अल्पबहुत्व ११६८ । नैयायिक दर्शन २.६३३ ब, परिग्रह ३.२६ अ, पुण्य दुर्भाषा---३ २२६ व । /३ ६२ अ, वेदनीय कर्म ३.५६४ अ, सुखाभाव भिक्ष- भद्रबाहु स्वामी १. परि०/२.१-३ । ४.४३२ ब, ४४३३ अ।
दुर्मख-२४३६ ब, नारद ४ २१ अ । यदुवंश १.३३७ । दुःखमा काल-दे० दुषमा काल ।
दुर्योधन-२४३६ ब, कुरुवंश १.३३६ अ । दुःखहरण व्रत-२४३६ अ ।
दुर्लभसेन-सेनसघ १.३२६ अ । दुःपक्व आहार-२४३६ अ, भोगोपभोग ३.२३६अ। विनीत-२.४३६ ब । दुप्रणिधान-२४३६ ब, प्रणिधान ३ ११५ ब, स्मृत्यनुप- दुश्शासन-२.४३६ अ। स्थान ४.४६५ब।
दुश्श्रुति-२४३६ अ, अनर्थदण्ड १.६४ अ। दुःप्रमाण-भिथ्यादृष्टि ३.३०५ अ।
दुषमा काल--२.४३६ अ-ब, उपमा काल २२१७ ब, दुःशासन-२.४३६ अ।
निदेश २८८, परिचय २६३, कुछ विशेषताएँ २६२
Page #121
--------------------------------------------------------------------------
________________
दुषमा-दुषमा काल
११५
देवकुरु
प्रमाण २६० । अवगाहना १.१८०, अवसपिणी २.८६, दूरादास्वादन ऋद्धि-१४४८, १४५० अ। आयु १.२६४, आयंखण्ड १२७५ अ, उत्सपिणी
दूराद्दर्शन ऋद्धि --१४४८, १.४५० अ। २.६० कर्मभूमि ३ २३५, कल्कि २३१ अ, क्षेत्र
दूरापकृष्टि--२ ४३७ अ। २६२, दर्शनमोह क्षपणा २१७८ ब. धर्मध्यान २४८४ ब।
दूरार्थ-२४३७ अ। दषमा-दुषमा काल-उपमा काल २२१७ ब, निर्देश २८८ दूरास्वादित्व ऋद्धि-१४५० अ।
परिचय २६३, प्रमाण २.६० । अवगाहना ११८०, दूषण -- उभय १.४४४ ब । अवसपिणी २९०, आयु १२६४, आयेखण्ड १२७५ दृष्य क्षेत्र-२४३७ अ। अ, उत्सर्पिणी २.६०, कर्मभूमि ३.२३५, क्षेत्र २६२,
दृढचर्याक्रिया-सस्कार ४१५२ ब । दर्शनमोह क्षपणा २१७८ ब ।
दृढनेमि -- यदुवंश १ ३३७ ॥ दुषमा-सुषमा काल-~-उपमा काल २२१ ब, निर्देश
दृढमुष्टि - यदुवंश १ ३३७ । २८८, परिचय २९३, कुछ विशेषताएँ २ ६२, प्रमाण
दृढरथ-२४३७ अ, गणधर २२१२ ब, विद्याधर वंश २.६०। अवगाहना १.१८०, अवसर्पिर्णी २.८६,
१३३६ अ, शान्तिनाथ २३७८, शीतलनाथ २३८०, आयु १.२६४, आर्यखण्ड १.२७५ अ, उत्सर्पिणी
हरिवंश १३४० । २६०, कर्मभूमि ३२३५, क्षेत्र २६२, चरमशरीरी
दृढराज्य-सम्भवनाथ २३८०। तथा तीर्थकरो आदि का जन्म २.६२, २३१७ अ,
दृढव्रत-~-यदुवश १.३३७ । ३२३५, विदेह ३.५४३ ब, विद्याधर लोक ३.२३५ ।
दृश्यकर्म-२४३७ अ। दुष्ट-प्रमृष्ट निक्षेप-१५० अ।
दृश्यमान द्रव्य-२.४३७ अ, कृष्टि २.१४१ ब। दुष्पक्व आहार-२४३६ ब, भोगोपभोग ३२३६अ।
दृष्ट--२४३७ अ। दुष्पूर-यदुवंश १ ३३७ ।
दृष्टांत-२४३७ अ-ब, अनुमानावयव १.६८ ब, न्याय दुष्प्रणिधान-२.४३६ ब, प्रणिधान ३.११५ अ, स्मृत्य
२६३३ अ-ब, षट्लेश्या ३४२६ अ । नुपस्थान ४४६५ ब ।
दृष्टि - आहारान्त राय १२८ ब, चैत्य-चैत्यालय (प्रतिमा) दुष्प्रमाण--मिथ्यादृष्टि ३.३०५ अ ।
२३०१ अ, मिथ्यादृष्टि (रुचि) ३ ३०२ ब, रुचि दुष्प्रयुक्त निक्षेप-१.५० अ।
३४०४ ब। दुस्स्वर नामकर्म प्रकृति-प्ररूपणा-प्रकृति ३६६ अ, दृष्टिनिविष ऋद्धि-१४४७ १४५५ ब।
२५८३, स्थिति ४४६३, अनुभाग १.६५, प्रदेश दृष्टिप्रवाद - २४४० अ, श्रुतज्ञान ४६८ अ। ३.१३६ । बन्ध ३६७, बन्धस्थान ३.१११, उदय दृष्टिभेद-२४४० अ। १३७४, १.३७५, उदयस्थान १३६०, उदीरणा दृष्टिवाद श्रुतज्ञान ४६७ अ, ४६८ अ। १.४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्व४.२७८, दृष्टिविषऋद्धि-१.४४७, १४५६ अ। सत्त्वस्थान ४३०३, त्रिसंयोगी भंग १.४०४ । सक्रमण दृष्टिशक्ति-२,४४३ अ । ४.८५ अ, अल्पबहुत्व ११६८ ।
देय--२.४४३ अ, गणित २२२३ ब । दूत-२.४३६ ब।
देयक्रम-२४४३ अ। दूतकर्म- वसतिका का दोष ३५२६ अ।
देयद्रव्य--२४४३ अ। दूध-भक्ष्याभक्ष्य ३.२०३ अ।
देव-२४४३ अ, २.४४४ अ, पूजा (शास्त्र व प्रतिमा) दूरध्राणत्व ऋद्धि--१४५० अ ।
३७७ अ-ब । देवगति (दे० आगे)। दूरदशित्व ऋद्धि-१४५० अ ।
देव--मूलसघ १३१६ ।
देवऋद्धि-२४४६ अ। दूरभव्य - ३.२११ ब ।
देव ऋद्धिदर्शन-सम्यक्त्वोत्पत्तिका कारण ४३६३ अ,ब। दूरवर्ती-४४५ अ।
देवकृत अतिशय--अर्हन्त ११३७ ब । दूरश्रवणत्व ऋद्धि-१.४५० अ।
देवकीनारायण ४१८ ब, यदुवश १३३६, १३३७ । दूरस्पर्शत्व ऋद्धि-१.४५० अ ।
देवकीति-२.४४६ अ, देशीय गण १३२५, इतिहास द्वि० दूराच्छ्रवण ऋद्धि-१४४८, १४५० अ।
१३३० ब, तु. १३३१ ब, चतु..१३३२ अ, दाडि दूरात्स्पर्श ऋद्धि-१४४८, १.४५० अ।
सघ १३२०ब। दूराद्माण ऋद्धि-१.४४८, १.४५० अ।
देवकुरु--२४४६ -ब। लोकविभाग-निर्देश ३.४५६
Page #122
--------------------------------------------------------------------------
________________
देवकुरु
ब, ३.४६२ व ३४६३ अ विस्तार ३४७६, ३४८०, ३४०१, गणना ३४४५ अ, अंकन ३ ४४४ के सामने, ३४६४ के सामने (चित्र २७) चित्र ३४५७ उत्तम भोगभूमि-निर्देश ३२३५ ब, अवगाहना ११८०, आयु तिच १२६३, आयुमनुष्य १ २६४, काल विभाग २२ व सुषमा- सुषमा काल २९३ । देवकुरु ( ब्रहकूट आदि) देवकुरु का द्रह - निर्देश ३ ४५६ ब, नामनिर्देश ३४७४ अ, विस्तार ३४६०, ३ ४६१, अंकन ३४४४ के सामने, ३४५७, ३४६४ सामने । गजदन्त के कूट तथा देव-निर्देश ३ ४७२ के ब, ३४७३ अ, विस्तार ३४८३ अंकन ३४४४, ३४५७ ।
- -
देवकूट - २४४९ व ।
देवगति ( देवसामान्य ) - २.४४५ अ, अकालमृत्यु ३२८४
अ, अनीक १६८ व अवगाहना ११५० अ अवधिज्ञान ११६४ अ, ११६८, अवर्णवाद १.२०१ अ, १२१० व आत्मरक्ष १.२४३ व आयु १२६५, आयुबन्ध १२६२ अ, आयु का अपकर्ष काल १२५६ ब. उद्योत प्रकृति १३७३ ब कषाय २३८ अ कषाय की कालावधि का अल्पबहुत्व ११६१. कल्याणक २३२ ब. काल (केवल सुषमा-सुषमा) २६३, गति अगति ( मर कर कहाँ जन्मे ) २३२२ अ जीव २३३३ ब, दुख २४३५ अ, पंचकल्याणक २३२ ब ब्राह्मण ३ १६५ अ, मरण ३ २८४ अ, लिंग ३५८७ अ, लेश्या (द्रव्य) ३४२५ ब, लेश्या (भाव) ३.४२८ व लोकपाल ३४९१ अ वनस्पति ३५०६ अ, वेदभाव ३५८७ अवैक्रिषिक ३६०२ व सम्यग्दर्शन ४३५६ अ ।
देवगति (निकाय)
विषय
कोशखण्ड सं० खण्ड ३
निर्देश
भेद
शक्ति आदि निवास
विमान
अवगाहना
आयु
इन्द्र
निर्देश
परिवार देवियाँ
भवनवासी
व्यन्तर
खण्ड २
२०७ व ६१० ब २०८ अ
37
२०५ व ६१०-६११
[२०६
६१३
૪૨]
११८० ११८० १.२६५ | १२६४
२०८६११ अ २१० २०६ अ ६११ ब
३४५ व ५१० अ ५१० व ५११
23
[६१२ अ ३४६ व ५१४ ब ૪૪૨
"
११६
ज्योतिषी वैमानिक
खण्ड २
27
खण्ड ४
५११ ब ११८० ११८० १२६६ १.२६६
३४५ ब ५१० ब
३४६ अ ५१२
77
31
देवगति (प्ररूपणा ) - बन्ध ३१०२, बन्धस्थान ३.११३, उदय १.३७८, उद्योतप्रकृति का उदय १३७३ ब
देवभाव
उदयस्थान १३९२ व उदीरणा १४११ अ सत्य ४.२८२, उद्वेलनायुक्त सरव ४२८२ सत्त्वस्थान ४२१८, ४.३०५, त्रिसंयोगी भग १४०६ व सत् ४१८५, संख्या ४.६७, क्षेत्र २.१६६, स्पर्शन ४४८१, काल २१०४, अन्तर १६, १.१० भाव ३.२२० अ अल्पबहुत्व ११४५ ।
देवगति नामकर्म - प्रकृति - प्ररूपणा - प्रकृति ३.८८, २.५८३, स्थिति ४४६२, अनुभाग १९५, प्रदेश ३ १२६ । बन्ध ३६७, बन्धस्थान ३१११, उदय १३७५, उद्योत प्रकृति का उदय १३७३ व उदयस्थान १.३९०, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, ४२७८, उद्वेलना युक्त सत्व ४.२८२, सत्त्वस्थान ४३०३, त्रिसयोगी भग १४०४ | सक्रमण ४.८५ अ अल्पबहुत्व ११६८१
देवगति प्रायोग्यानुपूर्वी नामनिर्देश २.५८३ ब, लक्षण १.२४७ अ । प्रपणा दे० गति नामकर्म प्ररूपणा ।
-
देवगर्भ - हरिवश १३४० अ
―
देवचंद्र - २४४६ ब, मत्रवादी - देशीयगण १३२५, इतिहास १.३३१ व पण्डित आशाधर १२५० व देवचतुष्क - १.३७४ ब ।
देवच्छद – चैत्य - चैत्यालय २३०३ अ । देवजी – २४४६ ब ।
देवता - २४४९ व व्रत की साक्षी ३.६२६ अ, अग्नि
१३५ ब ।
देवत्रिक - १३७४ ब ।
देवत्व - पथ कर्म १३५० व
देवदत्त यदुवंश १२३७, हरिवंश १.३४० अ भट्टारक [इतिहास] १३३० व देवदास पार्श्वनाथ २३८३ । देवदेव - तीर्थकर २३७७ । देवद्विक १२७४ व । देवद्विज- ३१९५ अ । बेयनंव व १.३३७ ।
देवनंदि - २४४६ ब नन्दिसंघ १.३२३ अ, द्रविडसंघ १.३२० अ इतिहास १३२६ अ १.३२१ व
देवपाल - २४४६ ब, तीर्थंकर २.३७७, भोजवंश १.३१०
आ यदुवंश १३३७ ॥
,
देवपुत्र - तीर्थंकर २३७७ ।
देवपूजा - शुभोपयोग १.४३४ ब (वि० दे० पूजा ) ।
देवभद्र भट्टारक १२८० व
---
- ।
देवभवन - वेत्य चैत्यालय २ ३०३ ब ।
देवभाव - गणधर २२१२ ब ।
Page #123
--------------------------------------------------------------------------
________________
देवमत्री
देशजिन
आयु
देवमंत्री-पुष्य नक्षत्र २५०४ ब ।
स्थिति ४४६२, अनुभाग १६५, प्रदेश ३ १३६ । देवमाल-२४४६ ब । वक्षार-गिरि---निर्देश ३४६० अ, बन्ध ३ ६७, बन्धस्थान ३.१०८, उदय १३७५, उदय
नामनिर्देश ३ ४७१ अ, विस्तार ३४८२, ३४८५, स्थान १३८७, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान ३४८६, वर्ण ३४७७, अंकन ३४४४, ३४६४ के १४१२, सत्व ४२७८, नत्वस्थान ४२६४,-िसयोगी सामने । इस पर्वत का कूट तथा देव ३ ४७२ ब।
भग १४०१ । अल्पबहुत्व ११६८, विस्तार ३.४८७, देवमूढता -अमूढदृष्टि ११३३ ब, मूढता ३३१५ अ,
३४८८, अंकन ३४४४, ३४६४ के सामने । ३३१५ ब सम्यग्दर्शन ४३६१ ब।
देवी-मध्यलोक मे आवास ३६१४, उदय प्ररूपणा देवयज्ञ-३३६६ ब।
१३७८, अल्पबहुत्व ११४४ अ, ११४७ अ । देवयश-२३६२।
परिवार-अनीक १.६८ ब, आत्मरक्ष १२४३ ब । देवरमण --भद्र शाल वन का भाग--निर्देश ३४५० अ, इन्द्रो की प्रधान देवियाँ ---- विस्तार ३४८८, अकन ३ ४४४, ३४५७, ३४६४ के
विषय | भवनवासी | :न्तर | ज्योतिषी वैमानिक साभने (चित्र स० ३७)। देवरम्या-चक्रवर्ती ४१५ अ।
कोश खण्ड - खण्ड ३ | खण्ड ३ | खण्ड २ खण्ड ४ देवराज-तीर्थकर २३६२ । देवराय-२४४६ ब ।
नाम निर्देश २०६ अ ६११ ब , ३४६ अ ५१३ ब देवद्धिगणी क्षमाश्रमग-श्वेताम्बराचार्य ४७८ अ, इतिहास
विक्रिया । २०६ अ
1 ५१२
सख्या २०६ अ । ६११ ब ३४६ अ५१२-५१३ १३२६ अ।
परिवार २०६ब ६१२ अ ३४६ अ ५१२ देवर्षि -ऋषि १४५७ ब, लौकान्तिक ३४६३ अ ।
विकास । ६१२ अ
३४६ अ| ५१३ देवल-साख्यदर्शन ४.३६८ ब ।
१२६५१.२६४ १२६६ १२६६ देवलोक-२४४६ब, धर्म (क्लेश का कारण) २ ४७० अ।
नोट -वैमानिक देवियाँ सौधर्म ऐशान मे ही होती है देववदना-कृतिकर्म २१३७ ब, वदना ३४६५ ब ।
४.५१४ अ। दववर (द्वीप, सागर)---२४४६ ब, नामनिर्देश ३ ४७० अ,
देवीदयाल-इतिहास १३४८ । विस्तार ३४७८, जल का रस ३ ४७० अ, अकन
देवीदास-२.४५० अ। ३.४४३, ज्योतिष चक्र २३४८ ब, अधिपति देव
देवेंद्रकीति-२४५० अ। प्रथम--नन्दिसघ १३२३ ब, ३.६१४ ।
१३२४ अ, इतिहास १.३३३ अ, १३४७ ब । द्वितीय-- देवविमान-२.४५० अ, स्वप्न ४५०४ ब ।
इतिहास १३३३ ब । तृतीय-काष्ठासघ १.३२७ अ, देवशर्मा-२२१२ ब ।
इतिहास १३३४ ब, भट्टारक १.३३२ ब । देवसंघ-१३१६अ।
देवेद्रमुनि-सेनसघ १.३२६ अ, इतिहास १.३३२ अ । देवसत्य--२२१२ ।
देवेद्र सूरि-इतिहास १३३२ ब, १३४५ अ। देवसमिति-स्वर्गपटल-निर्देश ४५१८, विस्तार ४५१८, देवेंद्र सैद्धांतिक-२४५० अ, देशीयगण १३२४ ब, अकन ४५१५, देव-आयु १२६७ ।
इतिहास १.३३० ब। देवसुत -- २४५० अ, तीर्थकर २.३७७ ।
देश-२.४५० ब, आहार दोष, १.२६० ब, अतिचार देवसेन २४५० अ, सजात तीर्थकर २३६२, यदुवंश
१.४२ ब, १४३ ब, स्कन्ध ४४४६ अ । १३३६, हरिवश १.३४० अ।
देशकरण--उपशम १४३७ अ। देवसेन-प्रथम-पस्तूप सघ १३२६ ब, इतिहास १ ३३० देशकाल-आगमार्थ १.२३४ अ, उपदेश १.४२६ अ।
अ, १.३४३ अ। द्वितीय- माथुरसंघ १३२७ब, देशक्रम-२.१७१ ब, २१७२ अ । इतिहास १.३३० अ, १.३४२ ब । तृतीय-सेनसंघ देशघाती प्रकृति--निर्देश १.६१-६३, उदय १.३७१ ब, १.३२६ अ, इतिहास १.३३१ अ ।
__ अल्पबहुत्व १.१७१ अ । देवागम स्तोत्र-४.४४६ अ।
वेशधाती स्पर्धक-४.४७३ अ, चारित्रमोह क्षाणा २.१८० देवाग्नि -२.२१२ ब। देवायु कर्मप्रकृति-प्ररूपणा-प्रकृति ३८८, १.२५३, देशजिन-३.७७ अ।
Page #124
--------------------------------------------------------------------------
________________
देशत्याग
देशत्याग - शुभोपयोग १४३३ ब ।
देशना३ ४१३ अ ।
1
देशनालब्धि ३४१३ अ सम्यग्दर्शन ४.३६२ व । देवप्रकृति विपरिणमना - ३५५५ व
- ।
देशप्रत्यक्ष ३१२२ व ।
देशविरत -४१३४ अ । प्ररूपणा - बन्ध ३६७, बन्धस्थान ३११० १११, उदय १३७५ उदयस्थान १३६२ अ, उदीरणा १४११ अ सत्व ४२७८ सस्वस्थान ४,२८८, ४२६६, ४३०४, त्रिसंयोगी भंग १४०६ असत् ४१६२, सख्या ४९४ क्षेत्र २ ११७, स्पर्शन ४४७७, काल २६६, अन्तर १७, भाव ३२२२ ब, अल्पबहुत्व ११४३ | वि० दे० सयतासयत ।
देशव्रत -- २४५० ब व्रत ३६२८ अ ।
देशप्रत्यासत्ति ४.१४१ अ ।
देशभूषण - २४५० ब अग्निप्रभदेव १३६ ब, नन्दिसंध दोगुणहानि
१ ३२३ ब ।
देशव्रती - दे० सयतासयत ।
देशसयत - काय २४५ ब । वि० दे० सयतासयत । देशसंयम - २३७३ ब । वि० दे० सयतासयत ।
देशसत्य- ४२७१ व
देशस्पर्श - ४४७५ ब ।
देशांश - गुण २२४१ व । देशातिचार देशयत २४५१ अ ।
देशात्मवाद - बहिरात्मा ३१८१ ब । देशावकाशिक व्रत - देशव्रत २४५१ अ । देशावधि
११८७ व १११६-११६ करण चिह्न १.१५१ ब, गुणप्रत्यय ११६३ व भवप्रत्यय ११९३ ब. विषय १.१६८-१६६ । शब्दकोष ४.४ ब । देशी नाममाला इतिहास १२४४ अ ।
देशीय गण २.४५१ व मूलसप १३२२ अ नन्दिस १.३१९ अ पट्टावली १.३२४ व । देशोपशम-सम्यग्दर्शन ४.३६८ व ।
देह - २.४५१ ब, पिडस्थ ध्यान ३५८ ब, विशेष देखिए - शरीर ।
बेहवेवालय पूजा ३.७७ ब । देहप्रमाणत्व शक्ति - शक्ति ४.६ ब बेहरहितता - मोक्ष ३.३३० अ ।
।
वैश्य - विद्या ३.५४४ अ ।
देव - नियति २.६१६ ब, २.६१६ अ ।
वैवनय - २५२३ ब ।
दैववाद - एकान्त - १.४६३ ब, नियति २.६१६ ब ।
११८
१२७६ व प्रतिक्रमण कृतिकर्म
देवसिक आयोजना २.१३७ वत्स
३६२६ अ ।
देवी मीमामा - दर्शन २४०२ ब ।
दो - २४५१ ब । सहनानी - जघन्य असख्यात, जघन्य संख्यात, जघन्य युक्तासन्यात; उत्कृष्ट परीतासख्यात तथा पर्याप्त २२६६ अ । सूच्सगुल २२१६ ब । दोगुणहानि - गणित २.२३१ ब । बोप्रतिक पाहुड -- पाहुड ३.१५६ ब ।
,
दोय्य (कवि ) - इतिहास १३३३ अब १३४६ व दोलायित २.४५१ व व्यूदोष ३.६२२ व । दोष- २.४५१ ब, अष्टादशदोष ११३७ अ आप्त
आहार १.२५७ अ
चल
१.२४८ अ, १४४४ व. ३. ३०४ अ, द्वेष सम्यग्दर्शन (चल) २.२७६ ब ।
दो सौ छप्पन - सहनानी - उत्कृष्ट
असख्याता सख्यात, जघन्य परीतानन्त; ध्रुव राशि २२१६ अ । वोहापाहुड २४५२ ब इतिहास १२४१ अ १.३४३ अ दौर्भाग्यसुभग दुर्भव ४.४३६ अ
द्रव्य
-
२२७९ व २४६३ अ,
१.२८१ अ उभव
देव (मिध्यादृष्टि ) न्याय २६३३ ब,
दौलतराम - २.४५१ ब इतिहास - १.३३४ अ, १३४८ अ, द्वितीय १.३३४ व १.२४८ अ ।
द्यानतराय – २४५१ व इतिहास १ ३३४ अ ।
द्यूतक्रीडा - २४५१ ब ।
युति - २४५१ व सूर्य की अग्निदेवी २३४६ अ । तिलक - विद्याधर नगरी ३ ५४५ ब । द्युतिश्रुति - सूर्य की अग्निदेवी २.३४६ अ । द्योत्पयोतक भाव सम्बन्ध ४.१२६ अ । द्रमिल - २४५२ अ ।
विदेश २.४५२ अ ।
द्रविड संघ - २४५२ अ, जैनाभासी सघ १४६५, इतिहास
१३२० अ-ब ।
वाचार्य वेदान्त ३५१५ ब ।
द्रव्य - २.४५२ अ, अनन्त गुण २.२४४ अ, अल्पबहुत्व १.१४२, अवधिज्ञान के विषय ११६७ व अवस्थान १.२२३ अ १.२२४ अ, अविभागी अश (क्षेत्र का प्रमाण २.२१५ अ, उपकार्य उपकारक भाव २.६३ ब उत्पादादि १.३६१ उपचार (गुण-पर्याय आरोप) १.४२१ अ कर्मोदय के निमित्त १.३६७ ब, कारणकाय भाव २५४ ब, २.५५ ब, २६३ ब, दानोपयोगी २.४२७ अ पर चतुष्टय २.२७८ अ, ४.३१९ अ, भेदाभेद (कारक) २५० व लोकाकाश में १.२२४ अ, विकल्पातीत ४.३२० अ सदसत् १.३६१ व
Page #125
--------------------------------------------------------------------------
________________
द्रब्य-अनंत
११६
द्रव्य-सूत्र
सम्यग्दर्शन के निमित्त ४.३६२ ब, सामान्य विशेष द्रव्य-पर्याय-३४६ अ । ४.३२२ ब, ४.३२३ अ, स्व-चतुष्टय २२७७, ब, द्रव्य-पर्याय-आरोप-उपचार १.४२१ अ । २२७८ अ, ४ ३१६ अ, स्वतन्त्रता २.६० अ, द्रव्य पुण्य-३६० अ। २७३ अ, स्वभाव ४.५०६ ब ।
द्रव्य-पुरुष-३६६ ब । द्रव्य-अनंत-१५५ ब ।
द्रव्य-पूजा-३.७४ ब, ३८० अ । द्रव्य-अनुयोग-१६६ ब-१०१ ब, स्वाध्याय ४५२३ ब । द्रव्य-प्रतिक्रमण-३.११६ ब । द्रव्य-अंतर-१३ ब।
द्रव्य-प्रत्याख्यान-३ १३२ अ। द्रव्य-अप्रतिक्रमण -३११७ अ।
द्रव्य-प्रमाण-~-अनुयोग २१०२ अ, प्रमाण ३.१४६ अ । द्रव्य-अप्रत्याख्यान-११२६ अ।
द्रव्य-प्राण-३१५२ ब। द्रव्य-अवसन्न-१.२०१ ब ।
द्रव्य-बंध-बध ३ १७१ अ, ३१७२ अ, स्कध ४४४७ ब। द्रव्य-आरोप-१४१६ व-१४२१ ब ।
द्रव्य-मन- अनुभव १८१ब, मन ३२७० अ, मन.पर्यय द्रव्य-आस्त्रव-११८२ ब ।
३.२६७ ब, मूर्त ३३१८ अ। द्रव्य-इंद्रिय-१३०१ब, १३०५ ब, केवली २१६२ अ। द्रव्य-मल-२२६६अ। द्रव्य-उदय-~१३६५ ब ।
द्रव्य-मोक्ष-३ ३२२ ब । द्रव्य-उपक्रम-१४१६ ब ।
द्रव्य-मोह-३३४० अ। द्रव्य-उपचार-१४१६ ब-१४२१ व, पर्यायारोप १४२१ द्रव्य-युति-३ ६७३ ब । अ-ब ।
द्रव्य-योग-३ ३७५ ब । द्रव्य-उपशम१.४३७ अ।
द्रव्य-लिंग--चारित्र २२६१ ब, धर्म २४७० अ, लिग द्रव्य कर्म-२.२६ अ, २२७ अ-ब, २ २८ ब, भावकर्म
३४१६ ब, ३४२०, विनय ३५५३ ब, वेदभाव २२७ अ, षद्रव्य २२८ ब, उदय १३६५ ब ।
३.५८३ ब, साधु ४४०७ ब । द्रव्य-कषाय-२३५ ब, २३७ अ।
द्रव्य-लेश्या-द्रव्य ३४२२ ब, भाब ३ ४२५ अ, ३४२६ द्रव्य-कोत (दोष)-आहार १२६० ब, उद्दिष्ट १४१३ अ।
अ, वर्ण नाम कर्मोदय ३४२६ ब । द्रव्य-छेदना---२३०६ ब ।
द्रव्य-वचन- मूर्त ३ ३१७ ब । द्रव्यत्व - २.४६१ अ।
द्रव्यवाद-साख्यदर्शन एकान्त १४६५ ब । द्रव्य-तीर्थ-२३६३ ब ।
द्रव्यविचिकित्सा- निविचिकित्सा २६२६ ब । द्रव्य-दोष- आहार १२६० ब।
द्रव्य-शल्य-४२६ ब । द्रव्य-ध्येय-२५०० अ।
द्रव्यशुद्धि-अतिचार (ज्ञान) १ २२८ अ, शुद्धि ४३६ ब, द्रव्य-नपुंसक-२५०५ ब ।
स्वाध्याय ४ ५२६ अ। द्रव्य-नमस्कार-२५०६ ब।।
द्रव्यश्रुत -४५६ ब, अक्षर १२२८ अ, आगम (ज्ञान) द्रव्य-नय-२५१४ ब, २५२१ ब, निक्षेप नय २५२३.अ, १.२२६ ब, आगम (सूत्र) १२३८ ब, आत्मा १२४४ सप्तभगी नय २५२२ ब ।
अ, गौणता (ध्याता) २४६२ ब, गौणता (श्रुतज्ञान) द्रव्य-निक्षेप-द्रव्य २५६६ अ, भाव २६०६ अ ।
४६१ अ, ग्रन्थ २.२७३ अ, श्रुतकेवली ४५६ अ, द्रव्य-निबंधन-२६१० ब।
स्वाध्याय ४ ५२५ अ। द्रव्य-निमित्त-२ ६४ अ ।
द्रव्यसंग्रह-२४६१ ब, इतिहास १३४३ ब, टीका द्रव्य-निमित्तक- कर्मोदय १३६७ अ, नाम २५८२ ब, १४४३ ब । बचनिका १३४८ अ । वृत्ति १.३४३ ब। सम्यग्दर्शन ४.३६३ ब ।
द्रव्य-संयोगपद-शरीर ३.५ अ । द्रव्य-निर्जरा-२.६२२ अ-ब, सम्यग्दृष्टि ४३७७ अ ।" द्रव्य-संवर-४१४१ ब । द्रव्य-निविचिकित्सा-२.६२६ ब ।
द्रव्य-संसार-४१४७ अ। द्रव्य-परमाणु-ध्येय २५०१ ब, परमाणु ३ १४ ब, शक्ल- द्रव्य-सल्लेखना-४३८२ ब । ध्यान ४३३ ब।
द्रव्य-सामायिक-४४१५ ब । द्रव्य-परिवर्तन-ससार ४१४७ ब ।
द्रव्य-सूत्र-यज्ञोपवीत ३.३६६।
Page #126
--------------------------------------------------------------------------
________________
द्रव्य-स्त्री
१२०
द्वितीयोपशम सम्यक्त्व
द्रव्य-स्त्री-४४५० अ।
आयतन (बौद्ध) १२५१ अ, आवर्त (कृतिकर्म) द्रव्यस्तव-भक्ति ३.२०० ब।
१२७६ अ, २ १३३ ब, चक्रवर्ती ४१० ब, तप द्रव्यस्पर्श-४ ४७५ ब ।
२.३५६ अ, भावना १७८ ब, भिक्षु प्रतिमा ४.३६२ द्रव्य-स्वभाव-तत्त्व २३५३ अ, परमाणु ३१३ अ । द्रव्यांश-उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य १.३६१ ब ।
द्वादशवर्षी दुर्भिक्ष -- १ परि०/२१-३ । द्रव्यानंत-१५५ ब ।
द्वादशांग-आगम १.२२८ ब, आत्मा १.२४४ अ, गणधर द्रव्यानुयोग-अनुयोगद्वार १६६ ब-१०१ ब, स्वाध्याय से उत्पति २२१२ ब, श्रुतवली ४.५६ अ, श्रुतज्ञान ४.५२३ ब।
४६७ अ-ब। द्रव्यारोप-उपचार १४१६ ब-१४२१ ब ।
द्वादशांगपूजा - इतिहास १३४७ अ। द्रव्यार्थता--कर्म २.२६ ब ।
द्वादशानुप्रेक्षा-शुभोपयोग १४३४ ब । द्रव्याथिक-निर्देश २.५१४ ब, २.५१५ अ, २५४२ अ, द्वादशी व्रत-२४६२ अ।
ऋजुसूत्र २५३४ ब, एकान्त (चक्षु) १४६२ ब, द्वापुरी-नारायण४१८ अ । द्रव्य २४६१ ब, निक्षेप २५६३ ब, निश्चय २५५४ द्वार-जगती के द्वार--निर्देश ३४४४ ब. विस्तार ब, पर्यायाधिक २५३५ ब, सम्यक मिथ्या २.५२६ ब,
३४८४, अकन ३.४४४, ३ ४६४ के सामने। स्याद्वाद ४.४६८ अ।
द्वारवंग-२४६२ अ।
द्वारावती-नारायण ४१८ अ, नेमिनाथ २३७६, बलदेव द्रव्याश्रय--द्रव्य २४६० अ।
४१७ अ। द्रव्योंद्रिय-१३०१ ब, १३०५ ब, केवली २१६२ अ।
द्विकावली व्रत-२४६२ अ। द्रव्योदय-उदय १३६५ ब ।
द्विगुण क्रम -२.४६२ अ । द्रव्योपचार-उपचार १४२१ अ, पर्यायारोप १४२१ ब।
द्विज्ञानसिद्ध-अल्पबहुत्व ११५४ । द्रव्योपशम-१.४३७ अ।
द्विचत्वारिंशत-बादाल सख्या की सहनानी २२१८ ब। द्रह-२४६१ ब, ह्रद ४ ५३८ अ, देवकुरु उत्तरकुरु
दिचरम देह-चरम २२७८ ब । निर्देश ३ ४५६ ब, नामनिर्देश ३.४७४ अ, विस्तार
द्विचरम देही-लौकान्तिक आदि देव ४.५१० ब । ३४६०, ३.४६१, अंकन ३४४४, ३४५७. ३ ४६४
द्विचरमावली-उपशम १४४१ ब । के सामने । वर्षधर पर्वत पर-निर्देश ३.४४६ ब,
द्विचारित्रसिद्ध-अल्पबहुत्व ११५३ । ३४५३ ब, ३४६३ अ-ब, विस्तार ३४६०-४९१,
द्विचूड-विद्याधर वश १३३६ अ। गणना ३४४५ अ, अंकन ३.४४४, ३४६४ के सामने
द्विज-ब्राह्मण ३.१६५ अ, वर्ण व्यवस्था ३५२३ अ-ब, इनके कूट ३ ४७४ ।
सस्कार ४.१५३ अ। द्रहवती-२४६१ ब, विभंगा नदी-निर्देश ३४६० अ, द्विजपति-हरिदेव ४५३० अ।
नामनिर्देश ३४७४ ब, विस्तार ३४८६-४६०, द्वितीयगण-गणाश २२४१ अ। अकन ३४४४, ३.४६४ के सामने ।
द्वितीय-गुण-हानि --- गणित २ २३१ व । द्रुमसेन-नारायण ४१८ ब ।
द्वितीय मूल-गणित २ २२३ अ। द्रोण-२४६१ ब, तौल का प्रमाण २.२१५ अ।
द्वितीय वर्ग-गणित २२२३ अ। द्रोणमुख-२४६१ ब, चक्रवर्ती ४१३ ब, बलदेव ४१७ ।
द्वितीय स्थिति-अन्तरकरण १२५ अ, १.२६ अ, गुण
श्रेणी सक्रमण ४८१ब, स्थिति ४.४५७ अ। द्रोणाचार्य-२४६१ ब ।
द्वितीयावली-आवली १.२७९ब। द्रौपदी-२.४६२ अ।
द्वितीयोपशम सम्यक्त्व-२.४६२ ब, अन्तरकरण १२५, द्वंद्व-२४६२ अ।
उपशम १.४३६ अ, करणत्रिक २६-१४, श्रेणी द्वयंग नमस्कार-२.५०६अ।
४७४ अ, सम्यग्दर्शन ४३६९ ब, सासादन ४४२६ द्वात्रिशतिका-२.४६२ अ, इतिहास १३४१ अ, १३४३ अ। प्ररूपणा--बंध ३.१०८, बधस्थान ३११२, अ, १३४४ अ।
उदय १३८५, उदयस्थान १३८७,१३८६,१३६२, द्वादश-अंग (श्रुतज्ञान) ४.६७ ब, अनुप्रेक्षा १७६ अ, उदीरणा १४११ अ, सत्त्व ४.२८४, सत्त्वस्थान
Page #127
--------------------------------------------------------------------------
________________
दिल
४.२८९, ४.२६६, त्रिसंयोगी भंग १४०० । सत् ४१५८, संख्या ४१०९, क्षेत्र २.२०६, स्पर्शन ४.४१२, काल २.११८, अन्तर १.४ ब अल्पबहुत्व १.१४३ ।
द्विदल - भक्ष्याभक्ष्य ३.२०३ ब ।
द्विपर्वा -- २.४६२ ब, विद्या ३.५४४ अ ।
हिपृष्ठ - २.४६२ व नारायण ४१८ अ, वासुपूज्यनाथ २. ३६१, भावि शलाकापुरुष ४२६ अ ।
द्विरवरथ इक्ष्वाकुवंश १.३३५ ब ।
हिरूप - धनधारा, घनावनधारा, वगंधारा २.२२१ अ द्विविस्तारात्मक – २ ४६२ ब । द्विशत षट्पंचाशत- उत्कृष्ट
असख्यातास ख्यात की सहनानी २ २११ अ जधन्य परीतानन्त को सहनानी २. २११ अ वराशि की सहनानी २.२१९ अ । द्विसंधान महाकाव्य – इतिहास १.३४२ अ ।
-- -
द्विस्थानीय अनुभाग १.९१ व
इंद्रिय जाति नामकर्म-प्ररूपणा - प्रकृति ३६८२.५८३, स्थिति ४.४६३, अनुभाग १.९५, प्रदेश ३१३६, बन्ध ३.१७, बन्धस्थान ३११०, उदय १.३७५, उदवस्थान १.३१०, उदीरणा १.४११ अ उदीरणास्थान १.४१२, सरव ४.२७८, सत्त्वस्थान ४३०३, त्रिसंयोगी भग १४०६ । सङ्क्रमण ४.८४ व अल्पबहुत्व १.१६८ ।
द्वींद्रिय जीव - अवगाहना १.१७६, आयु १.२६३, १.२६४, इन्द्रिय १३०६ व जीव २.३३३ व जीवसमास २.३४३, नस २.३९८, प्राण ३१५४ अ, बसेश विशुद्धि स्थानों का अल्पबहुत्व १ १६० । प्ररूपणाबन्ध ३.१०३, बन्धस्थान ३.११३, उदय १.३७८, उदयस्थान १.३६२ ब, उदीरणा १.४११ अ, सत्त्व ४२८२, सरवस्थान ४.२९९, ४३०५, जिसयोगी भंग १४०६ व सत् ४१९५, संख्या ४९९, क्षेत्र २. २००, स्पर्शन ४४८३, काल २१०६, अन्तर १.११, भाव ३.२२० ब, अल्पबहुत्व ११४५ ।
१२१
द्वीप- २.४६२ व कुरुवंश १.३३५ व गणित (परिधि, सूची, व्यास तथा क्षेत्रफल) २.२३३ व चक्रवर्ती का वैभव ४.१३ अ चातुर्थीपिक भूगोल ३.४३७ अ बलदेव का वैभव ४.१८ अ, बौद्धाभिमत ३.४३४ ब, वैदिकाभिमत ३.४३१ व
द्वीप जैनाभिमत द्वीप सागर-नामनिर्देश ३.४७० अ विस्तार ३.४७८, संख्या ३४४२ अ, संख्या ३४४२ अ अंकन ३.४४३ ।
।
गंगा आदि कुण्डों मे स्थित निर्देश ३४५५ अ विस्तार ३४८४, वर्ण ३.४७७, अंकन ३४४७ । लवण सागर में स्थित -- निर्देश ३४६२ अ, विस्तार ३४७६, अंकन ३४६१ ।
द्वीपकुमार - २४६२ ब भवनवासी देव निर्देश ३२१० व नामनिर्देश ३२०६ अ अवगाहना ११८०, अवधिज्ञान १११८, अवस्थान ३२०१ व १६१२६१४, ३४७१, आयु १.२६५ । इन्द्र -- निर्देश ३ २०८ अ, शक्ति आदि ३२०० व परिवार ३२०९ अ । द्वीपकुमार प्ररूपणा वध ३.१०२, बंधस्थान ३११२, उदय १३७८, उदयस्थान १.३१२, उदीरणा १.४११, अ सत्व ४२८२ सस्वस्थान ४.२६८, ४३०५, त्रिसंयोगी भग १.४०६ व सत् ४.१८८, सख्या ४६७, क्षेत्र २ १९९, स्पर्शन ४४८१, काल २१०४ अन्तर १.१०, भाव ३२२० अ अल्पबहुत्व ११४५ द्वीपवाह राक्षसवश १३३८ अ । द्वीपसागरप्रज्ञप्ति २.४६२ ब श्रुतज्ञान ४६८ । दीपसिद्ध- अल्पबहुस्व ११५३ ।
7
उद्याश्रय महाकाव्य
द्वीपायन - कुरुवंश १३३५ त्र, तीर्थंकर २३७७ । द्वेष - २४६२, अतीत द्वेष ३३१८ ब, अशुभोपयोग
१४३३ व उपयोग १४३३ अ प्रत्यय ३१२६५, कषाय २३९ अ त्याग ३.३१७व, मूर्त ३३१८ ब राग ३३९५ अ, ३.३९७ व विभाव ३५५८ व सत्व ४५२८, सम्यग्दृष्टि ४३५१ व हिसा १.२१६ अ, १.२१७ व ।
द्वेषिकी किया - हिंसा ४.५३२ अ ।
द्वेषोदय - सम्यग्दर्शन ४.३५१ ब । २४६२ अ द्रव्य २.४५० ब । इंतदर्शन - वेदान्त ३.५९६ अ
ईतनय अद्वैतनय १.४७ अ, नय २५२३ अ । द्वैतपक्ष द्रव्य २.४५८ अ । इतवाद वेदान्त ३५९९ अ । ईसाई वेदान्त ३.५९७ अ । इंतात नय अद्वैतनय १.४७ अ । द्वैताद्वैतवाद-वेदान्त ३५६८ ब ।
पायन - २.४६३ अ तीर्थंकर २.३७७ ।
इथ गुणहानि - उदय १.३७१, गणित २.२३१ व
-
द्वयाश्रय घालय महाकाव्य
२.४६३ व इतिहास १.३४४ अ
।
1
Page #128
--------------------------------------------------------------------------
________________
धण्णकुमारचरिउ
१२२
धर्मद्रव्य
धण्णकुमारचरिउ-इतिहास १.३४५ ब । धन-२४६३ ब, गणित २ २२२ ब, पदधन-सर्वधन आदि
२२२६ब, दान २४२४ अ। धनकुमारचरित्र-२.४६४ अ, इतिहास १३४४ ब,
१.३४६अ। धनंजय-२४६३ ब, कवि-इतिहास १.३२६ ब, १३४२
अ, यदुवश १.३३७, विद्याधर नगरी ३५४५ ब,
३५४६ अ, विद्याधरवश १.३३६ अ। धनंजय निघण्टु-इतिहास १.३४२ अ । धनद-लोकपाल कुबेर ३४६१ ब । धनव-कलश-व्रत-२४६३ ब । धनदेव-२.४६३ ब । धनपति-२.४६३ ब, अरहनाथ २.३७८ । धनपाल-२४६३ ब, कवि-इतिहास १.३३० अ,
१३४२ अ। द्वितीय-इतिहास १३३२ ब, १.३४५
ब, यक्ष ३.३६६अ। धनपालक--गणधर २२१३ अ। धनप्रभ-राक्षसवश १.३३८ ब। धनमित्र-नारायण ४१८ अ । धनराशि-२.४६३ ब । धनानद-२.४५३ ब, नन्दवश १.३१० ब, १.३१३ । धनिष्ठा-२.४६३ ब, तीर्थंकर २.३८५, वसु नक्षत्र
२.५०४ ब। धनुष-२.४६३ ब, क्षेत्रप्रमाण २ २१५ अ, जीवा प्राण
आदि का क्षेत्रफल २ २३३ अ। धनषपृष्ठ-२४६४ अ, क्षेत्रफल आदि २.२३३ अ। धन्य--२४६४ अ, अनुत्तरोपपादिक १.७० ब । धन्यकुमारचरित्र-२४६४ अ, इतिहास १३४४ ब,
१३४६ अ। धम्मपरिक्खा-इतिहास १३४३ अ, १.३४६ ब । धम्मरसायण-२४६४ अ, इतिहास १३४२ ब । घर-यदुवंश १.३३६ । धरण-२.४६४ अ, तोल का प्रमाण २.२१५ अ, पद्मप्रभ
नाथ २.३८०। धरणा-शीतलनाथ २.३८८। धरणानंद-नागकुमारेन्द्र-निर्देश ३.२०८ अ, आयु
१.२६५, परिवार ३.२०६ अ, निवास ३.२०६ ब।
धरणी-२.४६४ अ, धारणा २.४६१ अ, विद्याधर नगरी
३५४६अ। धरणीतिलक-२.४६४ अ, मनुष्यलोक ३२७६ अ । धरणीधर-२४६४ अ। धरणीवराह-२.४६४ अ, महीपाल ३.२६२ ब । धरणेंद्र-२४६४ अ, विद्याधरवश १३३८ ब । धरसेन - २४६४ अ। मूलसंघ १३१७, १परि०)
२१,२,७,८, १ परि०/१० । मूलसघ विभाजन १३२२ ब । इतिहास १३२८ ब, १३४० अ। पुन्नाट सघ–१३२७ अ, इतिहास १ ३२६ अ । सेनसघ
१३२६ अ, इतिहास १.३३२ ब, १३४५ अ। धराधर-२.४६४ अ, विद्याधर नगरी ३५६३ अ । धर्म (नाम)-बलदेव ४.१६ अ, वासुपूज्य श्रेयासनाथ
२.३८७, विमलनाथ २३६१, श्रुतकेवली १.३१६ । धर्म (न्याय)-पक्ष ३.३ अ। धर्म (पुरुषार्थ)-२.४६४ अ, अनुकंपा १.६६ ब, अनुभव
१८५ ब, अभिप्राय मिथ्यादृष्टि ३ ३०६ ब, अवर्णवाद १.२०१ अ, उपदेश १४२४ अ, उपयोग १४३४ अ, १.४३५ अ, करुणा २१५ अ, कल्कि २.३१ अ, गुप्ति २२५० ब, चारित्र २.२८५ ब, २.२८६ अ, चिदानन्द १८५ब, चैत्य-चैत्यालय २ ३०१ अ, निश्चय १८५ ब, २४७१ अ, पुण्य १.४३५ ब, मिथ्यादष्टि ३ ३०३ अ, ३ ३०४ अ, ३ ३०५ अ, वैराग्य (मिथ्यादृष्टि) ३३०३ अ, व्यवहार २४७१ अ, शुभोपयोग १४३५ अ, श्रावक ४५१ अ, समिति २२५० ब,
सम्यग्दर्शन ४३५६ अ, सुख ४.४३१ ब । धर्म (स्वभाव)--अनन्त २ २४४ ब, अनेकात ११०८ ब
१११, एकान्त १४६० ब, १.४६२ ब, १४६३ अ, गुण २२४० अ, २२४४ ब, २३३७ अ, जीव २३३७ अ, सप्तभगी (सर्वथा) ४३२५ अ, सापेक्ष ११०६, ४.३२२ ब, ४४६८ ब, स्याद्वाद ४४६८ ब,
स्वभाव ४.५०६ अ-ब, ४५०७ ब । धर्म-अनप्रेक्षा-१७५ अ, १७६ ब । धर्मकथा-उपयोग १४२६ ब, कथा २२ अ । धर्मकीति-२४७६ अ, नन्दिसघ १३१३ ब, इतिहास
१३३३ ब । बौद्धाचार्य-इतिहास १.३२६ अ । धर्मचद्र-२४७६ अ, नन्दिसंघ भट्टारक १३३४ अ,
१३२३ ब, इतिहास १३३४ ब । धर्मचक्र--२.४७६ ब, समवसरण ४.३३१ अ । धर्मचक्र व्रत-२.४७६ ब । धर्मदत्तचरित्र--२.४७६ ब, इतिहास १३४६अ। धर्मद्रव्य-अनुभाग १.८८ अ, उत्पादादि १.३६२ ब, उप
Page #129
--------------------------------------------------------------------------
________________
धर्मधर
१२३
धारा नगरी
कार २.६३ ब, २.६५ अ, काल २.८५ अ, द्रव्य धर्मोत्तर-२.४६० ब । २.४८७ ब।
धर्मोपदेश-उपदेश १.४२४ अ, उपयोग १.४३० अ। धर्मधर--२४७६ ब, इतिहास १३३३ अ, १३४६ अ। धर्मोपदेशपीयूषवर्षा श्रावकाचार-इतिहास १३४६ ब । धर्मध्यान-२४७६ ब, अनुप्रेक्षा १७६ अ, अनुभव १८५ धर्मापदेष्टा-वक्ता ३ ४६६ ब।
अ-ब, अनुभव (गुणस्थान) १.८५ ब, ध्याता २४६२ धर्म्य-धर्मध्यान २.४७८ अ। अ, २.४६३ अ, प्रतिक्रमण ३११७ ब, बाह्य धर्म- धव-पार्शवनाथ २३८३ । ध्यान २४८१ अ, शुभोपभोग १४३१ ब ।
धवल (कवि)-२.४६१ अ, इतिहास १.३४३ ब । धर्मनदि-नन्दिसघ भट्टारक १ ३२३ ब ।
धवल रुधिर-अर्हन्त ११३७ ब । धर्मनाथ-२.४८७ अ, पूर्वभव आदि २ ३७६-३६१, वज्र धवल सेठ-२४६१ अ। २३७६ ।
धवला-२.४६१ अ, इतिहास १.३४१ ब। धर्मपत्नी-स्त्री ४४५० ब।
धवलाचार्य-२.४६१ अ, इतिहास १३३१ अ। धर्मपरीक्षा-२.४८७ अ, अमितगति ११३२ अ, इतिहास धातकीखंड-२४६१ अ । निर्देश ३ ४६२ ब, नामनिर्देश १३४३ अ, १३४४ अ ।
३.४७० अ, विस्तार ३ ४७८, अकन ३४४३, चित्र धर्मपाल-२४८७ अ।
(सं० ३७) ३.४६४, ज्योतिष चक्र २३४८, अधिपति धर्मपुरुषार्थ-३ ७० अ, (विशेष दे० धर्म)।
देव ३६१४ । द्वितीय घातकीखण्ड ३ ४७० । धर्मभूषण-२४८७ अ। इतिहास-प्रथम १३३२ ब,
वैदिकाभिमत ३.४३२ ब । द्वितीय १.३३२ ब, १३४५ ब, तृतीय १३३२ ब ।
धातकीखंडसिद्ध-अल्पबहुत्व १.१५३ । धर्ममूटता-मूढता ३३१५ ब ।
धातकी वृक्ष-३ ५७८ ब, निर्देश ३.४६३ अ, विस्तार धर्मयुगल-अनेकान्त ११०६ अ ।
३.४५८ अ, वर्ण ३ ४७७, अकन ३ ४६३ । धर्मरत्नाकर-२४८७ अ, इतिहास १३४३ अ ।
धातु-२.४६१ अ, औदारिक शरीर १४७१ ब । धर्मरसिक--इतिहास १ ३४७ ब ।
धात्री दोष-२.४६१ अ, आहार १२६१ अ, वमका धर्मरुचि-चक्रवर्ती ४१० अ।
३.५२६ अ। धर्मविलास-२४८७ अ ।
धान्यमाष फल-तौल का प्रमाण २.२१५ अ । धर्मवीर्य-पद्मभनाथ २३६१ ।
धान्यपुर-चक्रवर्ती ४१० ब । धर्मशर्माभ्युदय---२.४८७ अ, इतिहास १३४३ अ।
धान्यरस-रस ३ ३६२ब । धर्मश्रवण-सम्यग्दर्शन का निमित्त ४.३६३ अ ।
धायदोष-आहार १.२६१ अ, वसतिका ३ ५२६ अ । धर्मश्री-सम्भवनाथ २.३८८ ।
धारण-कुरुवश १३३५ ब, यदुवश १३३७, विद्याधर धर्मसंग्रह -२.४८७ अ, इतिहास १३४६ अ ।
नगरी ३५४६ अ। धर्मसागर-इतिहास १३३४ ब ।
धारणा-२४६१ अ, आग्नेयी आदि १३६ अ, ईहा ज्ञान धर्मसूरि-२४८७ अ।
१.३५१ ब, उपयोग १.४३४ अ, ज्ञानत्व १३५१ ब, धर्मसेन-२४८७ अ, मूलसघ १.३१६, लाडबागड सध ध्यान २४६६ अ, ध्र वज्ञान ३.२५८ ब, प्रौषधोपवास
१३२७ ब । इतिहास-प्रथम १.३२८ अ, १ ३२६ ब, ३.१६३ ब, मतिज्ञान ३.२५३ अ, ३ २५८ ब, द्वितीय १.३३० ।
विषकुम्भ १.४३४ अ। धर्माकर दत्त-२.४८७ ब, अर्चट ११३४ ब।
धारणा (नाम)-श्रेयासनाथ २ ३८८, सुमेरु पर्वत के वनो धर्माधर्म (द्रव्य)--२४८७ ब ।
मे देव भवन-निर्देश ३.४५० अ, अकन ३ ४५१ । धर्मानुप्रेक्षा-१७५ अ, १.७६ ब ।
धारणावरणी कर्म-ऋद्धि १४४६। धर्मानुराग--- शभोपयोग १.४३४ अ, १४३५ अ, राग धारणी-२.४६१ ब, विद्या ३ ५४४ अ । ३३६५ अ।
धारा-२४६१ ब, गणित २ २२६ अ। धर्मामृत-२.४६० ब, इतिहास १३४४ अ।
धारागृह-चक्रवर्ती ४ १५ अ । धर्मार्या-सम्भवनाथ २.३८८ ।
धाराचारण ऋद्धि--ऋद्धि १.४४७, १.४५३ अ। धर्मास्तिकाय-दे० धर्मद्रव्य।
धारा नगरी-२.४६१ ब।
Page #130
--------------------------------------------------------------------------
________________
धारावाहिक ज्ञान
धारावाहिक ज्ञान - श्रुतज्ञान ४.५१ ब । धारिणी २.४९१ व कुलकर ४.२३, विद्या ३. ५४४ अ । धार्मिक क्रिया- क्रिस २१७३ अ
धीमान् - यदुवंश १३३७ ।
धीर - २४६१ ब, मल्लिनाथ २३७८, यदुवश १३३७ धूतरय कुरुवंश १.३३५ व ।
धूप पूजा ३ ७८ व
धूपघट समवसरण ४३३० व ४.४३१ अ
धूपदशमी व्रत २४१ व ।
धूपनी चैत्यालय २ ३०२ अ ।
धूम ग्रह २.२७४ अ ।
धूमकेतु- २४२१ व ग्रह २२७४ अ
घूमचारणऋद्धि- १ ४५२ व
धूमशेष- २४९२ अ बाहार १.२९२ अ वसतिका
-
३५३० अ ।
धूमप्रभा - २४१२ अ । पंचम नरक पृथिवी निर्देश
२. ५७६ अ, पउल २५७६, इन्द्रक श्रेणीबद्ध २५७८, ५८०, विस्तार २.५७६, २५७८, अंकन ३.४५७ । नारकी अवगाहना १. १७८, अवधिज्ञान ११६८ अ, आयु १.२६३ ।
-
"
--
घूमप्रभा -- प्ररूपणा-वन्ध ३.१००, बन्धस्थान ३११२, उदय १३७६, उदयस्थान १३२२ व उदीरणा १.४११ अ सस्व ४२८१, सस्वस्थान ४२१८, ४.३०५, त्रिसयोगी भंग १४०६ ब । सत् ४ १७०, सख्या ४.९५, क्षेत्र २१६७, स्पर्शन ४.४७६, काल २१०१ अन्तर १८, भाव ३२२० अ अल्पबहुत्व १.१४४ । धूलिरेखा क्रोध २३८ अ ।
धूलिशाल - २.४९२ अ, शीतलनाथ २.३८४, समवसरण ४३३० ब ।
घृत- कुरुवंश १३३५ ब, निषध पर्वत का कूट तथा देव निर्देश ३४७२ अ विस्तार ३.४८३, अक्रन ३.४४४ । धूततेजकुरुवंश १.३३५ ब । धूतधर्मा - कुरुवश १३३५ ब । घृतपद्म - कुरुवंश १३३५ ब । घृतमान - कुरुवंश १.३३५ ब । धृतयश— कुरुवंश १३३५ ब । मृतराज- कुरुवंश १.३३६ अ ।
धृतराष्ट्र - २.४६२ अ, कुरुवंश १.३३६ अ-ब ।
घृतवीर्य कुरुवध १.३२५ ब ।
घृतव्यास- कुरुवश १ ३३५ ब
१२४
-
ध्येय
धृतिकूट - निषध पर्वत - निर्देश ३४७२, विस्तार ३४५३, अकन ३ ४४४ | रुचकवर पर्वत निर्देश ३४७६ अ विस्तार ३.४८७, अंकन ३४६६ ।
धृतिक्रिया - सस्कार ४ १५१ अ । घुतिक्रिया मन्त्र मन्त्र ४२४६ व प्रतिकर कुरुवंश १३३५, १.३३६ अ ।
घृतिक्षेम कुरुवंश १३३५ ब, १३३६ अ । वृतिवृष्टि - कुरुवश १३३५ ब ।
पृतिदेव कुरुवण १३३५ व १३३६ अ ।
धृतिदेयी - २४९२ अ, तिगिन्छ हृदवासिनी - निर्देश ३४५३ व, अवस्थान ३६१४ अ भवन विस्तार ३६१५, परिवार ३६१२ अ आयु १२६५ । निषध पर्वतवासिनी ३४५३ व रुपकपर्वतवासिनी ३.४७६
अ, अंकन ३४६९ |
घुतिभावना - ३२२४ व
ब, ।
प्रतिमित्र कुरुवंग १३३५ व १३३६ अ । भूतिषेण २.४६२ अ मूलराघ - १ ३२५ अ ।
१३१६, इतिहास
घृतेन्द्र - कुरुवंश १३३५ ब । धृतोदय -- कुरुवश १३३५ ब ।
धेर्या २४९२ अ, मनुष्यलोक १२७६ अ । धैवत - स्वर ४५०८ ब । ध्याता - २४६२ अ ।
ध्यान - २४६४ अ, अनुभव
1
१८५ व अभ्यास ११३१ ब, आत्मा ३७ ब उपयोग १४३१ अ, एकाग्र १४६५ व कृतिकर्म २१३६अ, केवली २१६५ अ चिन्तानिरोध १४६५ व धर्म-ध्यान २४५१ अ वाता २.४९३ अ निश्चय १८५ व पदस्थ २.६ ब ३७ व पूजा ३.७५ अ प्रशस्त ३१५१ व प्राणायाम ३ १५५ ब, ३१५६ अ, मोक्षमार्ग ३.३३५ ब, भावना २.३४६ व योग ३३७५ अ वर्णमातृका ३.६ व शुभोपयोग १४३१ अ संहनन ४१५५ व सल्लेखना ४.३६० व ४३६२ अ, सामायिक ४४१७ व । ध्यानशुद्धि - ४४० ब ।
3
ध्यानस्तव ( शास्त्र ) - इतिहास १३४५ अ । ध्यानस्थ -- योग ३. ३८० अ ।
ध्यानस्थ पुरुष - केवली २१५५ अ ।
ध्येय - तत्त्व २३५३ अ, ध्यान २४६६ ब, पदस्थ ध्यान ३५ ब, ३.६ व परम भाव ३१३ अ परमेष्ठी ३. ३०६ ब, भाव ३ ३०६ ब, मिथ्यादृष्टि ३.३०६ ब मोक्षमार्ग ३ ३३५ ब, समयसार ४३२६ अ, सामायिक ४.४१७ अ शुद्धोपयोग १४३१ अ
Page #131
--------------------------------------------------------------------------
________________
ध्रुव
१२५
नंदिमित्र
प्रव-अनुभाग १.५१ अ, उत्पादादि १.३५८ अ, ध्येय नदन (स्वर्गपटल)-सौधर्म स्वर्ग का पटल -निर्देश ४.५१६ २५०२ ब, पर्याय (उत्पादादि) १३६२ अ, प्ररूपणा विस्तार ४५१६, अकन ४.५१६ ब । देव-आयू
-३.११४, मतिज्ञान३.२५८ अ, यदुवंश १.३३७, १२६६। स्थान ४.४५३ अ।
नंदनपुर-प्रतिनारायण ४.२० ब। ध्रुवपद-११०२ ब, १.१०३ ब ।
नंदनवन-~-चैत्य-चैत्यालय २३०३ अ, सुमेरु पर्वत का ध्रुवबन्धी प्रकृति-३ ८८ अ, ३.६१ अ, ३.६२ अ।
वन-निर्देश ३.४५० अ, विस्तार ३.४८८, अंकन ध्रुवराज-२५०३ अ, अकालवर्ष १.३१ अ ।
३४४४, ३४५७, ३.४६४ के सामने। (चित्र सं. प्रवराशि-सहनानी २२१६ अ ।
३७), चित्र ३.४५१। ध्रुवशून्य वर्गणा-३५१३ अ-ब ।
नदपुरी--बलदेव ४.१६ ब । ध्रुवसेन-२५०३ अ, इतिहास १३२८ अ ।
नंदवश-२५०३ अ, इतिहास १.३१३ । ध्रुवस्कंध वर्गणा-३.५१३ अ, ब, ३५१५ ब, ३५१६ अ! नंदवती-नंदीश्वर द्वीप की वापी-निर्देश ३४६३ ब, प्रवोदयी प्रकृति-उदय १३६६ ब, १.३७४ ब ।
नामनिर्देश ३४७५ अ, विस्तार ३.४६१, अकन प्रौव्य-अस्तित्व १२१२ ब, उत्पादादि १.३५८ अ, ३.४६५ । रुचकवर पर्वत की दिक्कुमारी-निर्देश पर्याय (उत्पादादि) १.३६१ ब ।
३.४७६ अ, अकन ३.४६८ ।। ध्वजभूमि-२५०३ अ, चैत्य-चैत्यालय २३०३, समवसरण मंदसप्तमी व्रत-~२.५०३ अ। ४.३३० ब ।
नंदा-२.५०३ ब, इन्द्रों की वल्लभिका देवी ४.५१३ ब । ध्वजमाल-विद्याधर नगरी ३.५४५ ब ।
नन्दीश्वर द्वीप की वापी ३४६३ ब, नामनिर्देश ध्वजा--चैत्य-चैत्यालय २.३०२ अ, २.३०३ अ।
३४७५ अ, विस्तार ३.४६१, अकन ३.४६५ । ध्वनि-ओम् (ऊँकार) १.४६६ ब, स्फोट ४.४६५ अ।
मनुष्यलोक ३२७५ ब । रुचकवर पर्वत की ध्वान-२५०३ अ।
दिक्कुमारी-निर्देश ३.४७६ अ, अंकन ३.४६८,
३४६६ । वाचना ३५३१ ब, शीतलनाथ २.३८० । नदावती-२.५०३ ब। नदि-२५०३ ब, मूलसघ १.३१६ । नन्दीश्वर द्वीप व
सागर का रक्षक देव ३६१४ । नदि-अन्वय-द्रविडसघ १३२० ब । नंदिघोषा-२५०३ ब, नन्दीश्वर द्वीप की वापी-निर्देश
३४६३ ब, नामनिर्देश३४७५ अ, विस्तार ३४६१, नंद-२५०३ अ, तीर्थंकर २.३७७, नमिनाथ व वर्द्धमान
अकन ३४६५। २३७८, शान्तिनाथ २३८३, साख्यदर्शन ४.३९८ नम
.२६८ नंदितट गच्छ-काष्ठासघ १३२१ अ, जैनाभासी सघ ब। मानुषोत्तर पर्वत के कट का देव-निर्देश ३४७५
१४६५ अ। अ, अकन ३४६४।।
नवितटग्राम - काष्ठासंघ १३२१ अ। नंदन-२५०३ अ, अनुत्तरोपपादक १७० ब, गणधर
नंदिन-भावि शलाकापुरुष ४.२६ अ । २.२१२ ब, चक्रवर्ती ४१० ब, चैत्य-चैत्यालय २३०३
नंदिनी-२५०३ ब, विद्याधर नगरी ३.५४६ अ, अ, तीर्थंकर २.३७७, नन्दन वन का खण्ड ३४५० अ,
व्यन्तरेन्द्र वल्लभिका ३.६११ ब । यदुवश १ ३३७, ईमान २ ३७८, विद्याधर नगरी ३५४५ ब।
नंदिप्रभ-२५०३ ब, नन्दीश्वर द्वीप सागर का रक्षक देव नंदन (कट)-रुचकवर पर्वत का कट - निर्देश ३ ४७६ अ,
३६१४। विस्तार ३४८७, अन ३ ४६६। सुमेरु पर्वत के नंदिभूति-भाधि शलाकापुरुष ४.२६ अ। वन का कूट निर्देश ३४७३ ब, विस्तार ३४८३, नंदिभूतिक-भावि शलाकापुरुष ४२६ । अंकन ३.४५१ ।
नंदिमित्र-२५०३ ब, आचार्य- मूलसंघ १.३१६, नंदन (देव)-मानुषोत्तर पर्वत के कट का-निर्देश ३.४७५ इतिहास १.३२८ अ, गणधर २२१३ अ, बलदेव भ, अकन ३.४६४ ।
२३६१, ४.१६ अ, भावि शलाकापुरुष ४.२६ अ।
Page #132
--------------------------------------------------------------------------
________________
नदिवर्द्धन
नंदिवर्द्धन - २.५०३ व मगधदेश १.३१० व १३१२,
१ ३१३ ।
ब,
नंदिवर्द्धना -२५०३ रुचकबर पर्वत की दिक्कुमारी - नकुल- २.५०४ अ, कुरुवा १३३६ अ । निर्देश ३.४७६ अ. अकन ३.४६६ ।
नखा -- २.५०४ अ, मनुष्यलोक ३.२७५ ब ।
नंदिवृक्ष -- नन्दि सघ १. परि० / २.६, १ परि० / ४.१ । नंदिषेण - २५०३ ब, अच्युत १४१ अ, तीर्थंकर चन्द्रप्रभु
तथा सुपार्श्वनाथ २.३७८ पुग्नाटसपी आवार्य १ ३२७ अ, बलदेव ४.१६ अ, शलाकापुरुष ४.२६
अ ।
नंदिषेणा रुचक पर्वत की दिवकुमारी निर्देश ३४७६
१२३
अ अकन ३४६८ ।
नदिसंघ - २.५०३ व इतिहास १.३१६ व मूलसंघ १३२२ब १, १२०/२२ मापनन्दि १. परि० / २.२, विशेष परिचय १३१०१ परि० / २१,३,५,७, १. परि० / ४.१२ । देशीय गण १३२४ व १३२५,
बलात्कार गण १.३२३ अ, ब ।
नंदि - गणधर २.२१३ अ, भावि शलाकापुरुष ४.२६ अ मल्लिनाथ २३९१ शान्तिनाय २.३८४ । नंदीश्वर कथा - २५०२व ।
नंदीश्वर द्वीप २.५०४ अ चैत्यचैत्यालय २.३०३ अ निर्देश ३.४६३ व नामनिर्देश ३.४७० अ विस्तार ३४७८, अकन ३४४३, चित्र ३.४६५, ज्योतिषचक्र २.३४८ व अधिपति देव २.६१४ । मंदीश्वरपंक्ति व्रत २५०४ अ नंदीश्वर पूजा - ३७५ ब । नंदीश्वर सागर - २५०४ अ
नामनिर्देश ३.४७० ब विस्तार ३४७८ जल का रस ३४७० अ, अरुन ३.४४३, ज्योतिषच २३४८ व अधिपति देव २६१४ ।
नदीसूत्र - २५०४ अ । नंदोत्तर- मानुषोत्तर पर्वत के कूट का देव निर्दोष ३ ४७५ अ अकन ३४६४ । रुचकवर पर्वत की दिकुमारीनिर्देश २४७६, अकन ३.४६८, ३,४६८ ।
J
नंदोत्तरा - २५०४ अ । नन्दीश्वर द्वीप की वापी - निर्देश
३.४६३ ब, नामनिर्देश ३४७५ अ, विस्तार ३.४६१ । अंकन ३४६५ र पर्वत के कूट की दिक्कुमारी अंकन ३४६८, ३४६९
निर्देश ३४७६ नंद्यावर्त - चक्रवर्ती ४१५ अ,
शान्तिनाथ २३८३,
सुपार्श्वनाथ २३७१।
निर्देश
नंद्यावर्त - २५०४ अ, रुचकवर पर्वत का कूट ३४७६ व विस्तार ३४६७, अन ३,४६९ । सौधर्म
-
नगरी
स्वर्ग का पटल निर्देश ४५१७, विस्तार ४.५१७, अंकन ४.५१२ व देव-आयु १२६७ ।
1
नक्षत्र - २५०४ अ, मूलसघ १ ३१६, इतिहास १.३२८ अ । नक्षत्र ( ज्योतिषलोक) निर्देश २३४१ व २.३५० ब विमानों का विस्तार २३५१ किरणे तथा वाहक देव २३४७, गगनखड २३५० ब वीथियाँ २३४६, गतिविधि २.३५०, चार क्षेत्र २३४ अ अकन २३४८, २८ मे २५०४ व उत्कृष्ट नक्षत्र (सल्लेखना) ४३६७ व वैदिकाभिमत ३.४३३ ।
नक्षत्र ( ज्योतिषदेव ) - नामनिर्देश २३४५ ब, २८ भेद २५०४ ब इन्द्र नामनिर्देश २.३४५ ब, किरणे तथा शक्ति २.३४७, अवस्थान २.३४६ ब, परिवार २.३४६ अ विमान सख्या २३४८ अ देव-अबगाना १.१८० अवधिज्ञान ११९८ आयु १.२६६ । नक्षत्रदेव (प्ररूपणा ) --- बन्ध ३.१०२, बन्धस्थान ३११३, उदय १.३७८ उदवस्थान १.३९२ व उदीरणा १.४११. अ सत्य ४२६२, सरवस्थान ४२१८, ४.३०५, जिसयोगी भग १४०६ व सत् ४१५८ संख्या ४९७, क्षेत्र २.१९९ स्पर्शन ४४८१, काल २.१०४, अन्तर १.१०, भाव ३.२२० अ, अल्पबहुत्व १.१४५ ।
नक्षत्रदम - राक्षसवंश १३३८ ब ।
नक्षत्रमाला व्रत - २५०५ अ ।
नस प्रदारिक शरीर १.४७२ अ । नख समानता अहंतातिशय] ११३७ न नग - यदुवंश १३३७
नगनरथ--अचेलकत्व १४० व निर्बंध २६२१ व लिंग ३.४१७, ३.४१९ अ परिषह १३१ व २२३ ब २३४४.४०८ अ ४.४०
"
अ
नगर -- २.५०५ अ । भवनवासी देवो के निर्देश ३. २०७ ब ३२१० अभ्यन्तर देवो के निर्देश ३.६१२ म बनावट ३६१२ ब, विस्तार ३६१५ अ, सख्या ३६१२ व विजयदेव की नगरी ३.६१२ व ज्योतिष देवो की निर्देश २३५१ । वैमानिक देवो कीनिर्देश ४.५२१ ब, विस्तार ४५२१ ब । लवणसागर में ३४६२, अकन ३.४६१ । नगरनायिका ब्रह्मचये ३११२ अ ।
नगरी --- चैत्य चैत्यालय २.३०३ अ, प्रत्येक महाक्षेत्र की राजधानी -- निर्देश ३.४४६ अ, अंकन ३.४४४,
-
-
Page #133
--------------------------------------------------------------------------
________________
नधुष
नयातरविधि
३४४७ । विदेह क्षेत्रो की राजधानी-निर्देश ३४६० नभ-२.५०५ ब, ग्रह २ २७४ अ, निमित्त ज्ञान २.६१२ ब। अ. नामनिर्देश ३४७० ब, अकन ३ ४४४, ३४६०, नभचर जीव-निदेश २३६७, अवगाहना १.१७६, आयु ३.४६४ के सामने (चि. स. ३७) ।
१.२६३, इन्द्रिय १.३०६ ब, जीव समास २.३४३ ।
नभसेन-हरिवश१३४०, अ । नघुष-२.५०५ अ, इक्ष्वाकुवंश १३३५ ब । नति-नमस्कार २.५०६ अ।
नभस्तिलक-२५०५ ब, विद्याधर नगरी ३५४५ अ। नतित्रय-कर्म २२६ अ, कृतिकर्म २.१३३ ब, सामायिक नमस्कार-२.५०५ ब, चैत्य-चैत्यालय २.३०१ ब, मत्र ४४१६ ब ।
३२४८ अ, विनय ३५५२ अ, ३५५४ अ, शुभोपनथमल विलाल (कवि)-- इतिहास १३३४ ब ।
योग १.४३३ अ। नदी-२.५०५ अ, चातुद्धीपिक भूगोल मे ३४३७ ब, बौद्धा- नमस्क्रिया--२.५०६ ब।
भिमत ३.४३४ ब, विहार काल में नदी का उल्लघन नमि-२.५०७ अ, अन्तकृत् केवली १२ ब, उग्रवंश ३ ५७४ ब । जैनाभिमत भूगोल के अनुसार प्रत्येक १३३५ ब, गणधर २.२१३ अ, भोजवश १३३६ ब. क्षेत्र की महानदी, विदेह की महानदी तथा विभंगा
विद्याधरवश १३३८ ब, १३३६ अ।
नमिनाथ-२.५०७ब । नदी-निर्देश ३४५५ अ, ३४६० अ, विभगा नाम
नमिष-२५०७ब । निर्देश ३ ४७४ ब, विस्तार ४४८६, ३४६०, अकन
नमुचि-२.५०७ ब । ३४४४, ३४४७, ३४६४ के सामने जल का वर्ण
नमोऽस्तु-विनय ३५४६अ। ३ ४७८, गणना ३४४५ ब।
नय-२.५०७ ब, अनुभव १.८१ ब, १८३ ब, अनेकान्त नदीस्रोतन्याय-२५०५ अ । नन्तराज-२५०५ अ।
११०६-१०८ ब, आगम १२३४ अ, १.२३७ ब,
उपक्रम १४१६ ब, उपचार १.४२३ अ, एकान्त नपुसकवेद-२५०५ अ, आहारक काययोग १२६७ ब,
११०७ ब, निक्षेप २.५६२ अ, २.५६३ ब, पक्ष निषेध कषाय २.३५ ब, नरकगति ३.५८६ ब, पुरुषवेद
१८१ ब, १८२ अ-ब, २५१८ अ, प्रतिपक्ष का संग्रह ३.५८६ अ, राग कषाय २३६ अ, सगति ४.११६ब,
१२३७ ब, मिथ्यादृष्टि ३३१६ अ, लोप ४.४६४ अ, कालावधि का अल्पबहुत्व ११६१ ब ।
शब्द प्रामाण्य १२३४ अ, सप्तभंगी ४.३१५ ब, नपुंसक-वेद-कर्मप्रकृति-निर्देश ३३४४ ब । प्ररूपणा -
सम्यग्दृष्टि ४३७८ अ, स्याद्वाद ४.४६६अ। प्रकृति ३ ८८, ३.३४४ अ, स्थिति ४.४६१, स्थिति
यात नयकीति-२.५७० अ, नन्दिसघ देशीय गण १३२४ ब, सत्त्व ४.३०८, स्थितिसत्त्व का अल्पहुत्व ११६५ ब,
इतिहास १.३३१ ब। अनुभाग १६५ अ, प्रदेश ३.१३६ । बन्ध३६७, बन्ध
नयचक्र-२.५७० अ, इतिहास-द्वादशार १३२६ अ, स्थान ३१०६, उदय १.३७५, उदय की विशेषता
१३४० अ, लघु १३४२ ब । १३७३ ब, उदयस्थान १३८९, उदीरणा १.४११ अ,
नयष्टि -सम्यग्दर्शन ४.३५८ ब । उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान
नयनदि-२५७० अ, नन्दिसंघ १.३२३ ब, देशीयगण ४२६५, त्रिसयोगी भग १.४०१ब । सक्रमण ४८५अ,
१.३२५, इतिहास १.३३१ अ, १.३४३ ब । अल्पबहुत्व ११६८।
नयनसुख (कवि)-२.५७० अ, इतिहास १.३३४ ब । नपुसक-वेद-मार्गणा-प्ररूपणा-बन्ध ३.१०५, बन्धस्थान नयनोन्मीलनयंत्र-३.३५४।
३११३, उदय १.३८२,उदय की विशेषता १३७३ ब, नयप्रमाण-प्रमाण ३.१४५ अ। उदयस्थान १.३६२ ब, उदीरणा १.४११ अ, सत्व नयवाद-एकान्त १४६५ अ, परतन्त्रवाद ३.१२ म,
४.२८३, सत्वस्थान ४.३००,४३०५, त्रिसयोगी भग श्रुतज्ञान ४.६० अ।। १४०७ अ, सत ४.२२६, सख्या ४.६४ ब, ४.१०४, नयविधि-श्रुतज्ञान, ४.६० अ। क्षेत्र २.२०३, स्पर्शन ४४८७, काल २.१११, अन्तर नयविवरण-२५७० अ, इतिहास १.३४१ ब ।
१.१४, भाव ३ २२० ब, अल्पबहुत्व १.१४६ । नयसेन-२.५७० अ, काष्ठासंघ १.३२७ अ, इतिहास नपुसक-वेद-सिद्ध-अल्पबहुत्व १.१५३ ब ।
१.३३१ ब, १३४४ अ। नभःसेन -शकवश १३१४, नरवाहन २.५८०, ब। नयांतरविधि-श्रुतज्ञान ४.६० अ।
Page #134
--------------------------------------------------------------------------
________________
नयाधिपति
नयाधिपति निश्चय नय २.५५६ अ ।
नयार्थ - आगमार्थ १२३० अ कर्ताकर्म २.२४ व
नयुत - काल का प्रमाण २.२१६ अ । नयूतांग- काल का प्रमाण २२१६ अ नर-२५७० अ । नरकगति-निर्देश २५७१ ब २५७२ अ, अधःकर्म १४८ ब, अवगाहना १.१७८, अवधिज्ञान १ १६४, ११६८ अ, अमरकुमार १ २१० ब, आयु १२६३, आयुबन्ध १२६२ अ आयुबन्ध के अपकर्ष काल १२५९ ब ईथ कर्म १ ३४९ अ कषाय २३८ अ क्रोधादि की कालावधि का अल्पबहुत्य १.१६१, गति (जन्म-मरण तथा गुणप्राप्ति) २.३१३ अ २.३१९ व २ ३२१ ब, २.३२२ अ, गुणस्थान २५७४ ब, तीर्थंकर प्रकृति २.३७६ व, दुख २.४३४ व २५७२ अ भवधारण सीमा २३२१ ब मृत्यु अकाल ३.२८४ अ लेश्या ३४२८ ब, वनस्पति ३५०६ अ, शरीर २५७३, १६०२ व सम्यक्त्व २.५७१ ब । नरकगति (प्ररूपणा ) -- बन्ध ३.१००, बन्धस्थान ३११३, उदय १३७६, उदयसत्त्व १.३९२ ब उदीरणा १.४११ अ, सत्त्व ४.२८१, सत्त्वस्थान ४२६८, ४३०५, जिसयोगी भग १४०६ व सत् ४१६५, सख्या ४.६५, क्षेत्र २ १६७, स्पर्शन ४.४७६, काल २.१०१, अन्तर १६, १८, भाव ३.२२० अ अल्पबहुत्व १ १४४ ।
नरकगति नामकर्म प्रकृति प्ररूपणा - प्रकृति ३८८, २५८२, स्थिति ४४६२, अनुभाग ११५, प्रदेश ३ १३६ । बन्ध ३ ९७, बन्धस्थान ३. ११०, उदय १.३७५, उदयस्थान १३९०, उदीरणा १.४११ अ उदीरणास्थान १.४१२, सस्व ४.२७८, उद्वेलना युक्त में सत्त्व ४२८१, सरवस्थान ४३०३, जिसयोगी भंग १४०४ । संक्रमण ४८५ अ अल्पबहुत्व ११६८ । नरकगत्यानुपूर्वी नामकर्म प्रकृति अनुपूर्वी १. २४७ अ, प्ररूपणा - प्रकृति ३.०० २.५६३, स्थिति ४.४६३, अनुभाग १९५, प्रदेश २.१३६ । बन्ध २.१७, बन्ध स्थान ३११०, उदय १.३७५, उदवस्थान १.३१०, उदीरणा १४११ अ उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४२७८, सस्वस्थान ४.३०३, त्रिसंयोगी भग १.४०४ । सक्रमण ४ ८५ अ अल्पबहुत्व १.१६८ । नरकचतुष्क- १ ३७४ ब
,
नरकत्रिक - १.३७४ व ।
--
१२८
नरमद
नरकडिक १.२७४ ब ।
नरकप्रस्तर निर्देश २.५७६ व नामनिर्देश २५७६ अ विस्तार २५७९ व अंकन ३.४४१
नरक बिल -- इन्द्रक श्रेणी वद्ध प्रकीर्णक २५७८-५७६, चित्र ३४४१ ।
नरकख २५८० नारद ४२१ अ । नरकलोक - निर्देश २५७६ अ अफन ३४३१, चित्र ३.४४१ ।
नरकलोक सिद्ध — अस्पबहुत्व १.१५३ ।
नरकांता कुड – निर्देश ३४५५ अ विस्तार ३.४६०, अकन ३ ४४७ ।
-----
नरकांता कूट- २५८० अ नरकान्ता कुंड में स्थित निर्देश ३ ४५६ अ, विस्तार ३४८४, वर्ण ३ ४७७, अंकन ३.४४४, नील पर्वत का निर्देश ३.४७२ भ विस्तार ३४८३ अंकन ३.४४४ । रुक्मि पर्वतका - निर्देश ३४०२ ब विस्तार ३.४६३ अंकन ३. ४४४ । नरकांता देवी - २५८० अ नरकान्ता नदी के कुछ की देवी ३.४५५ व, नील पर्वत के कूट की देवी ३. ४७२ अ, रुक्मि पर्वत के कूट की देवी ३ ४७२ ब नरकांता नदी - २५८० अ रम्यक क्षेत्र की महानदी -
निर्देश ३ ४५५ अ, विस्तार ३४८६, ३४६०, अकन २.४४४, ३.४६४ के सामने, जल का वर्ण ३४७८ । नरका कर्म प्रकृति - प्ररूपणा प्रकृति ३८८ १२५३, स्थिति ४४६२, प्रदेश ३.१३६ । बन्ध ३६७, बन्ध योग्य परिणाम १२५४ ब, बन्धस्थान ३१०८, उदय १३७५, उदयस्थान १३८७ ब, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्त्व स्थान ४२९४, त्रिसयोगी भग १४०१ । अल्पबहुत्व १.१६८ ।
नरकेंद्रक — निर्देश २५७६ ब, नाम निर्देश २.५७६-५८०१ विस्तार २५७८-१८०, अकन ३.४४१, संख्या २.५७८-५८० ।
नरगीत - २५८० अ, विद्याधर ३.५४५ अ । नरचंद्र - नन्दिसघ १ ३२३ ब । नरतगति - २५७१ ब, विशेष दे० नरक गति । नरगीत -- विद्याधर नगरी ३.५४५ अ ।
नरदेव - प्रतिनारायण ४.२० व यदुवश १.३३७ ॥ नरधर्मा - भोजवश १.३१० अ ।
नरपति — २.५८० व चक्रवर्ती ४.१० अ, यदुवश
१३३६ ।
नरमद - २.५०० व मनुष्यलोक ३.२७५ अ ।
Page #135
--------------------------------------------------------------------------
________________
नरवक्त्र
१२६
नवकेवल-लब्धि
नरवक्त्र-नारद ४.२१ अ।
नलिनावर्त-२५८१ अ। वक्षारगिरि-निर्देश ३ ४६० नरवर्मा-२५८० ब।
अ, नामनिर्देश ३.४७३ ब, विस्तार ३४८२, नरवाहन -२५८० ब, शकवंश १३२० ब, १३१४ ।
३.४८५, ३.४८६, अकन ३.४४४, वर्ण ३ ४७७ । नर-वृषभ-२५८० ब ।
इस पर्वत का कट तथा देव-निर्देश ३४७२ ब, नरसेन-२५८० ब । इतिहास १३३२ ब, १३४५ अ।
विस्तार ३.४८२, ३ ४८५, ३ ४८६, अकन ३ ४४४ । नरहरि-कुरुवंश १३३५ ब ।
नलिनी--२५८१ अ, पुष्करिणी-निर्देश ३ ४५० ब, नरेंद्रकीति-नन्दिसघ १३२३ ब ।
३ ४५३ ब, नामनिर्देश ३ ४७३ ब, विस्तार नरेंद्रसेन-२.५८० ब, सेनसंघ १.३२६ ब, लाडबागड
३ ४६०, ३४६१, आन ३ ४५१ चित्र ३ ४५० ब । सघ १३२७ ब। इतिहास १३३१ ब, १३४३ ब ।
विदेहक्षेत्र---३ ४६० अ, नामनिर्देश ३४७० ब, द्वितीय १३३४ ब, १३४८ अ।
विस्तार ३४७६, ३४८०, अकन ३४४४, ३४६४ नर्मदा-२५८० अ, मनुप्यलोक ३२७५ ब ।
के सामने चित्र ३४६० अ। वक्षारगिरि का कट नल-२५८० ब । वानरवंश १३३८ ब ।
तथा देव ३.४७२ ब। नलकूबर-२.५८० ब ।
नव-असख्यात लोक की सहनानी २ २१६ अ, अनुदिश नलगच्छ --आशाधर १२८०ब।
४५१० अ, केवललब्धि ३४१२ अ, कोटि शुद्ध नलदियार-२५८० ब।
आहार १.१२१ अ, १२१२ ब, (नव) कोटिशद्ध नलिन-२५८१ अ, कालप्रमाण २.२१६ अ, २२१७
ब्रह्मचर्य ३.१८६ ब, वेयक ४.५१० अ, तत्त्व अ, भावि शलाकापुरुष ४२५ अ। विदेह क्षेत्र
३.३३७ अ, ४.३५६ ब, देवता २.४४४ ब, नारद ३ ४७० ब। रुवकवर पर्वत का कूट-निर्देश
४.२१ अ, नारायण ४१८ अ। निधि- चक्रवर्ती ३ ४७६ अ, विस्तार ३४८७, अकन ३४६८,
३१४ ब, समवसरण ४३३० ब, ४३३१ अ । पदार्थ ३४६६ । सौधर्म स्वर्ग का पटल -निर्देश ४५१६,
३८ अ, ३ २१८ अ, ४.३६० अ, पूर्वधर ४.३६ अविस्तार ४५१६, अकन ४५१६ ब, देव आयु ब, प्रतिनारायण ४२० अ, बलदेव ४१६ अ ।
स्पर्धक शलाका की सहमानी २२१९ अ । नलिन कट-वक्षार पर्वत-निर्देश ३४६० अ, नाम
नव अनदिश-स्वर्ग-निर्देश ४ ५१० अ, इद्रक श्रेणीनिर्देश ३ ४७१ अ, विस्तार ३४८२, ३४८५,
बद्ध ४५१८, ४५२०, कल्पातीत ४५१० अ, अह३४८६, अकन ३४४४, ३ ४६४ के मामने, वर्ण
मिन्द्र ४५१० अ, अकन ४५१५, चित्र ४५१७ । ३४७७। इस पर्वत का कूट तथा देव ३ ४७२ ब ।
देव-निर्देश २ ४४५ ब, अवगाहना १२८१ब, नलिनगल्म-तीर्थकर श्रेयाननाथ तथा विमलनाथ २३७८ ।
अवधिज्ञान ११६८ ब आयु १२६६, आयु बन्ध के नलिनगहमा-सुमेरु के वनो की पुष्करिणी --निर्देश
योग्य परिणाम १२५८ ब, सम्यवत्व २ ४४८ अ । ३.४५३ ब, नामनिर्देश ३४७४ अ, विस्तार ३४६०,
नव अनदिश (प्ररूपणा)-बन्ध ३१०२, वन्ध्रस्थान ३ ११३, ३ ४६१, अकन ३ ४५१, चित्र ३ ४५१ ।
उदय १.३७८, उदयस्थान १३६२ ब, उदीरणा नलिनध्वज--भावि शलाकापुरुष ४.२५ अ ।
१४११ अ, सत्त्व ४२८२, सत्त्वस्थान ४२१८, नलिनपुख-भावि शलाकापुरुष ४ २५ अ ।
४३०५, त्रिसयोगी भग १४०६ ब । सत् ४ १६२, नलिनपुगव-भावि शलाकापुरुष ४२५ अ ।
सख्या ४६८, क्षेत्र २.२००, स्पर्शन ४४८१, नलिनप्रभ-२.५८१ अ, भावि शलाकापुरुष ४२५ अ,
काल २१०४, अन्तर ११०, भाव ३.२२० ब, श्रेयासनाथ २३७८ ।
अल्पबहुत्व'११४५।। नलिनराज-भावि शलाकापुरुष ४.२५ अ।
नवक प्रबद्ध-उपशम १.४४१ अ, समयप्रबद्ध ४ ३२८ ब। नलिनांग-२५८१ अ, कालप्रमाण २२१६ अ, २ २१७ नवक समयप्रबद्ध-४.३२८ ब, उपशम १४४१ २ । अ।
नवकारमंत्र-३२४७ अ। नलिना-२.५८१ अ, सुमेरु के वनो की पुष्करिणी- नवकार व्रत--२ ५८१ अ।
निर्देश ३ ४५३ ब, नामनिर्देश ३४७३ ब, विस्तार । नवकार श्रावकाचार-२६३१ अ, इतिहाम १२४१ अ। ३.४६०, ३.४६१, अकन ३४५१, चित्र ३४५१ । नवकेवल-लब्धि-लब्धि ३,४१२ अ।
Page #136
--------------------------------------------------------------------------
________________
नवकोटिशुद्ध
नवकोटिशुद्ध आहार १.१२१ अ १.२८६ व १२१२ ब, ब्रह्मचर्य ३१८६ ब ।
नवप्रवेयक स्वर्ग निर्देश ४५१० अ पटल ४.५१८, इन्द्रक श्रेणीबद्ध ४५१८, ४.५२०, कल्पातीत ४५१० अ अहमिन्द्र ४५१० अ अंकन ४५१५ । देव - निर्देश २४४५ ब अवगाहना ११८० अवधिज्ञान ११९८ ब, आयु १२६८, आयुबन्ध के योग्य
,
1
परिणाम १२५८ ब । नवग्रैवेयक (प्ररूपणा ) -- बन्ध ३१०२, बन्धस्थान ३११३, उदय १३७५ उदवस्थान १३९२ व उदीरणा १४११ अ सत्त्व ४२८२, सत्त्वस्थान ४२१८, ४३०५, त्रिसयोगी भग १४०६ व सत् ४१६२, सख्या ४१८, क्षेत्र २.२००, स्पर्शन ४४८१, काल २.१०४, अन्तर ११०, भाव ३२२० ब अव ११४५ ।
नवतश्व - मोक्षमार्ग ३३३७ अ, सम्यग्दर्शन ४३५६ व
-
---
४ ३६० अ ।
नवदेवता - २४४४ व कृतकर्म २१३४ अ ।
नवधा-त्याग-२५८१ अ, त्याग २२६६ अ । नवधा भक्ति - २५०१ अ आहार १२६६ व भक्ति ३ १६६ अ ।
नवनव-मगधदेश इतिहास १३१३ ।
नवनारद -४२१ अ ।
नवनारायण - ४ १८ अ ।
नवनिधि चक्रवर्ती ४१४ व समवसरण ४.३३० व
ब,
१३०
४ ३३१ अ ।
नवनीत २५६१ अ भक्ष्याभक्ष्य ३२०२ ब ।
नवपदार्थ पद्धति ३ अभाव ३२१५ अ सम्यग्दर्शन
४३६० अ ।
नवपूर्वधर - शुक्लध्यान ४३६ अ-ब ।
--
नवप्रतिनारायण - ४२० अ ।
नव बलदेव - ४.१६ अ ।
,
नवमिका - २५०१ रुचकर पर्वत की दिवकुमारीनिर्देश ३४७६ अ अकन ३४६६ ।
-
नवमी स्वस्वर पर्वत की दिवकुमारी निर्देश ३४७६ -- अ, अंकन ३४६८ | वैमानिक इन्द्र की देवी ४५१३ ब, व्यन्तरे द्र की वल्लभका ३६११ ब । नवराष्ट्र - २५८१ ब, मनुष्यलोक ३२७५ अ । नवविधि व्रत २५८१ अ ।
नवीन अवस्थाप्राप्ति उत्पाद १३५७ अ । नवीन पर्यायप्राप्ति - उत्पाद १.३५७ स ।
नव्यन्याय न्याय २६३४ अ ।
नष्ट - २५८१ ब, आगम १२२६ अ, अक्ष संचार-गणितप्रक्रिया २२२६ अन्य २२२७ अ
नहुत — संख्याप्रमाण २२१४ ब । नहुष - २५८१ ब ।
7
नाग-२५६१ व आचार्य १३१६, तीर्थकर सुविधिनाथ वचन्द्रप्रभ २३२,२३८७ मनुष्यलोक ३२७५ व लोकपाल ३४९१ व स्वर्गपटल निर्देश ४५१७, विस्तार ४५१७, अरुन ४.५१५, देव आयु १२६७ । नागकुमार (देव) --- २५८१ ब, भवनवासी देव — निर्देश ३२०८ अ, अवगाहना ११८० अवधिज्ञान १११८ व, अवस्थान ३२०१ व ३.४७१, ३६१२६१४ आयु १२६५ इन्द्र ३.२०८ अ भक्तिचिह्न आदि ३२० व भवन ४.५०४ व
-
नागकुमार (प्ररूपणा) बन्ध ३१०२, बन्धस्थान ३११३, उदय १३७८ उदयस्थान १३६२ ब १३९२ ब उदीरणा १४११ अ सस्य ४.२८२, सरवस्थान ४२६८, ४३०५, जिसगयोगी भग १.४०६ व सत् ४ १६५ संख्या ४९७, क्षेत्र २१६६, स्पर्शन ४४८१, काल २१०४, अन्तर १.१०, भाव ३२२० अ अल्पबहुत्व १४५ ।
नागकुमार काव्य - इतिहास १३४३ ब । नागकुमारचरित इतिहास १३४६ अन्य ।
नागमाल
नागगिरि २५०१ व वक्षारगिरि-निर्देश ३४६० म नामनिर्देश ३४७१ अ, विस्तार ३४८२, ३४८५, ३४८६, अकन ३.४४४, ३४६४ के सामने, वर्ण ३ ४७७ । इस पर्वत का कूट तथा देव ३.४७२ ब. । नागचद्र २.५०१ ब नन्दिघ १३२३व इतिहास
१३३१ व ।
नागदत्त २.५८१ ब ।
नागदास - मगधंदेश १३१० ब १३१२ । नागदेव-२५८१ व हरिदेव ४५३० अ
इतिहास १३३२ व ।
--
कवि
नागनंदि -- २५०१ व
नागम्य - अचेलकत्व १३१ नं परिषह ३३३ ३३४
अ ।
नागपुर- २५०१ ब मनुष्यलोक ३२७६ अ । नागप्रिय - ३२७५ ब ।
नागभट्ट - २५८१ ब ।
नागमाल क्षारगिरि निर्देश ३.४६० अ नामनिर्देश ३.४७१ अ विस्तार ३.४५१, ३.४६५, ३४८६
M
Page #137
--------------------------------------------------------------------------
________________
नागरमण
अंकन ३.४४४, ३४६४ के सामने, वर्ण ३.४७७ ॥ नागरमण -- भद्रशाल वन का खण्ड निर्देश ३.४५० अ विस्तार ३.४८८, अंकन ३४४४, ३४५७, ३४६४ के सामने ।
नागवर - २५८१ ब, षष्ठ द्वीप सागर - निर्देश ३४७० अ, विस्तार ३.४७८ अंकन ३४४३, जल का रस २.४७० अ ज्योतिष २.३४८ व अधिपति देव ३.६१४ । भागवमं (कवि ) - इतिहास द्वितीय १३३१ व नागधी - २५८१ व
नागसेन - २.५८२ अ मूलसघ १.३१६, इतिहास - प्रथम १३२८ अद्वितीय १३३१ अ
नागहस्ती - २५८२ अ मूलसच १३२२ब १ परि०/ २.१, १ परि० / ३१, ३, पुन्नाट सच १३२७ अ । इतिहास १३२८ ब । नागार्जुन - २.५८२ अ ।
नागोजी भट्ट - ३३८४ अ ।
नागौर - आशाधर १.२५० ब ।
नाटक - पूजा ३.८१ अ ।
नाटक समयसार - इतिहास १.३३४ अ, टीका १३३४ ब । नाट्यशाला-समवसरण ४ ३३० ब ।
नाडी -- २५८२ अ, उच्छ्वास १.३५२ ब क्षेत्र का प्रमाण
२२१५ अ ।
नाथ- वर्द्धमान २३८०, २३६३ ।
नाथवंश - १.३३५ अ, १.३३६ ब ।
नावग्रह - भवनवासी देवो के भवनो मे ३.२१० ब । नाना - अजीव - कर्म २.२६ अ, कषाय २३५ ब । नाना - गुणहानि -- गणित २२३१ ब ।
नाना- जीव- अनुयोगद्वार १.१०२ अ कर्म २.२६ अ,
कषाय २३५ ब ।
१३१
१३३० ब, १३४३ अ,
नाना - जीव एक अजीव - कर्म २२६ अ, कषाय २. ३५ ब । नानाजीव नानाअजीव कर्म २.२६ अ कषाय २३५ ब । नानाश्रेणी- प्रदेश अल्पबहुत्व ११५५ ब वर्गणा अल्पबहुत्व ११५५ ब ।
नामांत --- २५०२ अ विद्याधर नगरी ३.५४५ अ । नाभिकमल --- पदस्य ध्यान ३.६ व ।
नाभिकीति नन्दिसंघ १.३२३व । नाभिगिरि क्षेत्रों के मध्यवर्ती गोल पर्वत -- निर्देश ३४५२ ब, व नामनिर्देश ३.४७१ व विस्तार ३.४८२, ३४८५, ३.४८६, अंकन ३.४४४, ३४६४ के सामने चित्र ३.४५२ व वर्ण ३.४७७ ।
-
-
नाभिराज - २५८२ अ, ऋषभनाथ २३८०, कुलकर ४२३ । नाभ्यधोनिर्गमन - आहारान्तराय १.२६ अ ।
नाम - २५८२ अ ।
नाम अग्रायणीपूर्व श्रुतज्ञान १.६७ व
-१ ५५ ब ।
नाम-अनन्तनाम-अंतर--१३ ब
नाम उपक्रम - १ ४१६ ब ।
नाम - उपशम- १.४३७ अ । नाम-कर्म - २५०३ अ कर्म २२६ अ
--
-
नामकर्म प्रकृति - प्ररूपणा - प्रकृति ३८८,
२५८३ अ स्थिति ४४६३, अनुभाग ११५, अनुभाग का अल्पबहुत्व ११६६, प्रदेश ३१३६ सबंधी नियम ३२३, ३६५
बन्ध ३.९०, बध
स्थान ३.११० अ,
उदय १३७५, उदय की विशेषता १३७२ व १३७०३,
,
उदय के निमित्त १३६७ व आवाधा १२५१ व उदयस्थान १३६०, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान ४.३०३, त्रिसंयोगी भग १.४०४-४०८ । संक्रमण ४८५ अ,
अल्पबहुत्व १.१६८
नामकर्म किया संस्कार ४१५१ अ मन्त्र ३ २४७ अ । नाम कषाय- २३५-ब ।
नाम - काल - २८१ ब ।
नाम छेदना - २३०६ ब ।
नारत
नामध्येय – २५०० अ ।
नामनय - २५२२ ब ।
नामनिक्षेप २.५६४ व द्रव्यार्थिक नय २५९४ अ
स्थापना निक्षेप २५६८ ब ।
नामनिबंधन - २५८२ अ ।
नामपद - उपक्रम १४१६ ब, पद ३.५ अ । नामप्रतिक्रमण - ३.११६ ब ।
नामप्रत्याख्यान - ३.१३२ अ ।
नाममंगल - ३.२४१ अ ।
नाममाला - २५८५ अ, इतिहास १३४७ ब ।
नामसत्य - ४.२७१ व
नामसम-२६०२ अ ।
नामस्तव - भक्ति ३२०० अ ।
नारक-जीव २३३३ ब, नरक गति २.५७१ ब, विशेष दे, नरक गति नरक पटल-निर्देश २५७६ व विस्तार २५७१ व अकन ३ ४४१ ।
नारकी - नरक गति २५७१ व विशेष दे. नरक गति । नारत - नरक गति २.५७१ ब । विशेष दे. नरक गति ।
Page #138
--------------------------------------------------------------------------
________________
नारद
१३२
निक्षेपार्थ नारद...२५८५ अ, गति-अगति २.३२१ ब, तीर्थकर नि कषाय-२५८५ ब, तीर्थकर २३७७ । ३७७. यदवश१३३७, शलाकापुरुष ४.२१
अ नि कांक्षित-२५८५ ब,२.५८६ अ, १.६६ अ, अनशन नारसिंह-२५८५ अ।
१.६५ ब, १६६ अ, उपदेश १.४२४ व, तप २३५८ नाराचसंहनन कर्मप्रकृति-प्ररूपणा-प्रकृति ३.८८,२५८३, ब,२३६० अ, राग २३६७ अ।
स्थिति ४४६३, अनुभाग १६५, प्रदेश ३ १३६ । निकांचित-करण २६, गुणस्थान २६ अ। बन्ध ३६७, बन्धस्थान ३११०, उदय १३७५, निःशकित ---२ ५८६ अ, सम्यग्दष्टि ४ ३७८ ब। उदयस्थान १.३६०, उदीरणा १४११ अ, उदीरणा- निःशल्य-व्रती ३६२६ अ । स्थान १४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान ४३०३, निःशल्य अष्टमी व्रत-२.५८७ अ ।
त्रिसयोगी भंग १४०४ । अल्पबहुत्व ११६८। निश्रेयस--२५८७ अ। नारायण-२५८५ अ, अज्ञानवादी १३८ ब, १.४६५ ब, नि श्वास-२५८७ ब ।
कून्यनाथ २३६१, कुरुवश १३३५ ब, गति-अगति नि संगत्व-२५८७ब, सल्लेखना ४.३६६ ब । २३२१ ब, चक्रवर्ती ४१० अ, शलाकापुरुष नि सगत्व भावना क्रिया-सस्कार ४१५१ ब । ४१८ अ।
नि सरणात्मक तैजस शरीर-२.५८७ ब, २३६५ ब । नारायण की माता-स्वप्न ४५०४ ब ।
नि सूत ज्ञान--२५८७ ब, मतिज्ञान ३२५६ अ, नारी-२५८५ अ, कुण्ड-निर्देश ३.४५५ अ, विस्तार ३२५७ ब ।
३४६०, अकन ३.४४७ । देवी-नारीकुण्डवासिनी निदन-२५८७ ब, शुभोपयोग १.४३४ अ, सम्यग्दृष्टि ३ ४५५ अ, नीलपर्वतवासिनी ३४७२ अ, रुक्मि- ४.३७८ ब ।। पर्वतवासिनी ३.४७२ ब । नदी-निर्देश ३.४५६ अ, निदा-२५८७ ब, आहारान्तराय १.२६ ब, शूभोपयोग विस्तार ३४८६, ३४६०, अंकन ३ ४४४, ३४६४ १ ४३४ अ, विषकुम्भ १.४३४ अ, सम्यग्दर्शन ४.३५१
के सामने, जल का वर्ण ३ ४७८ । स्त्री ४४५० अ। ब, स्त्री ४४५१ अ। नारीकट-नारीकुण्ड मे स्थित-निर्देश ३.४५६ अ, निब-अनुभाग १.६० ब ।
विस्तार ३ ४८४, अकन ३ ४४७, वर्ण ३.४७७ । नील निबदेव २५८६अ। पर्वत का-निर्देश ३४७२ अ, विस्तार ३४८३, निंबार्क--वेदान्त ३५६८ ब, वैष्णव ३६०६अ। अंकन ३४४४ । रुक्मि पर्वत का-निर्देश ३४७२ ब, निकटावती-नाभिगिरि-निर्देश ३ ४५२ ब, नाम निर्देश विस्तार ३४८३, अंकन ३.४४४ ।
३४७१ अ, विस्तार ३.४८३, ३४८५, ३४८६, नालिका-२५८५ अ, काल का प्रमाण २.२१६ अ, मनुष्य- अंकन ३४४४, ३४६४ के सामने, चित्र ३४५२ ब, लोक ३ २७५ ब ।
वर्ण ३ ४७७। नाली-२५८५ अ, काल का प्रमाण २२१२
अ
निकल-२५८६ अ, ध्यान ३.३३६ अ, परमात्मा नाश-व्यय १३५७ ब, १३५८ ब ।
३२० अ। नासाग्र--कृतिकर्म २१३४ व, चैत्यप्रतिमा २३०१ अ, निकाचित-२५८६ अ, करण २६ । ध्यान २४६८ अ।
निकाय-२५८६ ब। नासारिक-२.५८५ ब, मनुप्यलोक ३ २७५ अ।
निकंदरी-२५८६ ब, मनुष्यलोक ३ २७५ ब । नास्ति भग-४३१८ ब।
निकृति -- २५८६ब, माया ३ २६६ अ, वचन.३ ४६७ब।
निक्षिप्त-२५८६ ब, आहार दोष १.२६१ ब, वैसतिका नास्तिक- एकान्त १४६५ ब, चार्वाक २२६४ ब । नास्तिक्य--२५८५ ब, नय २५२२ ब, मिथ्यादर्शन दोष ३ ५२६ ब। ३.३०० अ ।
निक्षेप-२.५८६ ब, अधिकरण १.४६ अ-ब, १५० अ, नास्तित्व-२५८५ ब, अनेकान्त (सापेक्ष धर्म) ११०६अ, अन्तर १३ ब, अपकर्षण १११३ ब, आवली १.२७६
अ, उत्कर्षण १३५३-३५५, नय २५२२ ब। नय २.५२२ ब, सप्तभग ४.३१८ ब, सापेक्ष धर्म १.१०६ अ, स्याद्वाद ४५०० ब, स्वभाव ४.५०६ अ, निक्षेपण - अन्तरकरण १.२५ अ, १२६ अ-ब । २५८५ब।
निक्षेपाधिकरण-१.४६ अ-ब, १.५० अ।
निक्षेरार्थ-आगम १.२३० अ। नि:कल-ध्यान ३.३३६ अ, परमात्मा ३.२० अ।
Page #139
--------------------------------------------------------------------------
________________
निखंडित
निखंडित प्रत्याख्यानं ३.१३१ ब ।
निगमन - २.६०६ ब अनुमानावयव १.१०१ अ न्याय २.६३३. ब ।
निगमनाभास - २.६०६ ब ।
निगूढतर्क - २.६० ६ व ।
निगोद -- २.६०६ ब, निर्देश ३.५०३-५०५, ३.५०८-५१०, अप्रतिघाती १.२२३.ब, अवगाहना १.१७८, क्षीण कषायी का शरीर २.१८७ अ जन्म २.३१७ ब, जीव समास २.३४२, देव शरीर २.४४६ अ, नारकी शरीर २.५७३ ब मरण ३.२८०, मोक्ष २.३१७ ब ३. ३२५ अ, वनस्पति ३.५०३ ब, ३ . ५०५, ३.५०६ ब ३. ५०६ अ, ३.५१० अ वेदना ३.५६१ अ । निग्रह - २.६०६ ब, उपकार १.४१५ ब, गुप्ति २.२५० ब । निग्रहस्थान - २६०६ ब, अज्ञान १.३८ अ, न्याय २.६३४ ब, ३.६३५ अ, प्रयोज्य २.६३४ब, वितण्डा
३. ५४३ अ ।
निघंटु — २.६०७ अ ।
निचली कृष्टि - २.१४१ अ ।
निज - अनुकम्पा १.६६ अ, उपकार १.४१४ ब, १.४१५,
अहिंसा १.२१६ ब, तत्त्व ३.१२ ब । निजगणानुपस्थापना - परिहार प्रायश्चित ३.३५ ब । निजात्मज्ञान विमुखता - मिथ्याज्ञान २.२६३ अं । निजात्माष्टक - २.६०७ अ ।
निजाष्टक - २.६०७ अ इतिहास १.३४१ अ । नित्य - २.६०७ अ, आगम १.२३८ ब, उपादान १.४४३ ब, द्रव्य २.४५६ ब पदार्थ प्राप्ति (मोक्षमार्ग) ३.३३६ अ, व्युत्सर्ग ३.६२३ ब, सापेक्षधर्म १ १०६ अ, ४.३२३ ब मरण ३.२८० अ ।
नित्यक्रिया - २१३८ अ ।
नित्यत्व - उत्पादादि १.३५८ अ-ब, सापेक्षधर्म १.१०६. अ, १. १११ अ, ब, ४.३२३ ब, स्याद्वाद ४.४६८ अ । नित्यनय - २.५२३ अ । नित्यनिगोद-निर्देश ३.५०३, जीवसमास २.३४२ । नित्यमह—- पूजा ३.७४ अ ।
नित्यमहोद्योत - २.६०७ ब इतिहास १.३४४ ब ।
नित्यरसी व्रत - २.६०७ ब ।
नित्यवाद - एकान्त १.४६५ ब ।
नित्यवाहिनी - २.६०७ ब, विद्याधर नगरी ३.५४५ . ब ।
नित्यसमाजाति - २.३०८ अ ।
नित्यानंद - मोक्षमार्ग ३.३३६ अ । नित्यानित्य — उत्पादादि १.३६१ ब ।
निमित्त
नित्यालोक - २.६०८ अ, रुचकवर पर्वत का कूट - निर्देश ३.४०६ अ विस्तार ३.४५७, अंकन ३.४६८, ३.४६६ । नित्योद्योत - २.६०८ अ, रुचकवर पर्वत का कूटन - निर्देश ३.४७६ ब वि.तार ३.४८७, अंकन ३.४६८, ३.४६६ । विद्याधर नगरी ३.५४५ ब । नित्योद्योतिनी - विद्याधर नगरी ३.५४५ ब । निदर्शन - २.६०८ अ ।
निदाघ - २.६०८ अ
नरकपटल-निर्देश २.५७६ ब
विस्तार २.५७६ ब, अंकन ३.४४१ । नारकी - अवगाना १.१७८ अवधिज्ञान १.१६८, आयु १.२६३ । निदान - २.६०८ अ, आर्त्तध्यान १.२७४ अ नारायण
४.२० ब, मिथ्यादृष्टि ३.३०६ अ, शल्य ४.२६ ब । निद्रा - २.६०८ ब, कृतिकर्म (साधु) २.१३७ ब । निद्रा कर्मप्रकृति - प्ररूपणा - प्रकृति ३.८८, २.४२०,
स्थिति ४.४६०, अनुभाग १.९५, प्रदेश ३.१३६ । बन्ध ३.६७, बन्धस्थान ३.१०६, उदय १.३७५, उदयस्थान १.३८७, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान १.४१२, सस्व ४.२७८, सत्त्वस्थान ४.२९४, त्रिसंयोगी भंग १.३६६ । संक्रमण ४.८५ अ, अल्पबहुत्व १.१६८ । निद्राद्विक - १.३७४ ब । निद्रा-निद्रा- २.६०८ ब दर्शनावरण २.४२० ब । निद्रा-निद्रा-कर्मप्रकृति - प्ररूपणा - प्रकृति ३.८८ २.४२०,
स्थिति ४.४६०, अनुभाग १.६५, प्रदेश ३.१३६ । बन्ध ३.६७, बन्धस्थान ३१०६, उदय १.३७५, उदय की विशेषता १.३७३ ब, उदयस्थान १.३८७, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान ४.२६४ त्रिसंयोगी भंग १.३६६ । संक्रमण ४.८५ अ, अल्पबहुत्व १.१६८ । निद्रापंचक -- १.३७४ ब ।
निधत २.५८ अ, दसकरण २.६, गुणस्थान २.६ अ । निधि - २.६१० अ, गणित सहनानी २२१८ ब, चक्रवर्ती ४.१२ अ, ४.१४ ब ।
निधुरा - २.६१० अ, मनुष्यलोक ३.२७५ ब । निन्नहुत-संख्याप्रमाण २.२१४ अ ।
१३३
निबंधन - २.६१० ब ।
निबद्धमंगल - ३.२४१ ब ।
निमंत्रण - समाचार ४.३३६ ब, ४.३३७ अ । निमग्ना - २.६१० ब, विजयार्ध की गुफा में नदी - निर्देश ३.४४८ अ, अंकन ३.४४८ अ ।
निमित्त २.६१० ब अकिंचित्कर २.६६ ब, उपादान २.६९ अ, २.७२ अ, कर्ता - कर्म २.२० ब २.२३ ब
For Private
Personal Use Only
Page #140
--------------------------------------------------------------------------
________________
निमित्तक उत्पाद
२६० व
कल्पना २७३ अ कारण कार्य २५५ व २६१ व २६२, २६४, २६६, २६७ अ, २.७० व २७२ अ २७४ अ, गौणता २६५ अ २६६ द्रव्य क्षेत्रादि २६४ अ प्रधानता २६७ व २७३ अन्य वस्तु स्वतन्त्रता २७३ अ
1
विभाव
२ ७४ ब ।
निमित्तक उत्पाद • आकाश १.२२१ ब । निमित्त कारण २६१० ब । निमित्त ज्ञान -२६१२व ऋद्धि १४४८ निमित्त दोष आहार १.२६१ ब ३५२९ अ । निमित्त नैमित्तिक संबंध- कारण कार्य सबध २.५५ ब, २.६० ब, २.६१ ब, २.६२ ब, २६४ ब, २०६६ ब, २६७ अ, २.७०अ २७२ अ, २७४ अ सम्बन्ध ४.१२६ अ ।
निमित्तवाद एकान्त १४६५ व
निमित्तशास्त्र - शास्त्र ४.२५ अ इतिहास १.३२६ अ । निमिष विद्याधर नगरी ३५४५ ब ।
निमेव-२६१३ अ, उत्पत्ति २८७ अ, काल का प्रमाण
२.२१६, २२१७ अ ।
नियतकाल अनशन - १६५ व । नियतकाल सामायिक – ४४१९ व ।
नियत प्रदेशत्व २.६१३ अ ।
नियत वृत्ति - २६१३ अ । नियति-२६१३ अ ।
-
नियति नय – २.५२३ अ ।
-
नियतिवाद - २६१४ अ, नामनिर्देश ३.१२ अ, एकान्त १.४६५ अ-ब, सम्यग् मिथ्या २६१४ अ, पुरुषार्थ
समन्वय २.६१६ अ ।
नियम - २६२० अ, तप २ ३५६ अ, भोगोपभोग ३ २३६
अ ।
नियमसार २६२० व इतिहास १३४० ब नियमसार टीका इतिहास १३४४ अ ।
१३४
-
नियमित सान्द्र-२६३० व
नियुक्त - २६२० ब, कालप्रमाण २२१६ अ, २२१७ ब । नियुतांग- २६२० ब कालप्रमाण २२१६ अ ।
नियोग- अनुयोग ११०१ ब ।
निरंजन - मोक्षमार्ग ३३३५ ब ।
निरंतरसिद्ध - अल्पबहुत्व ११५३ । निरंतरस्थिति--४ ४५७ अ
निरंश-परमाणु ३१६ ब
निरतगति - २.५७१ ब विशेष दे० नरकगति । निरतिचार - २६२० व सामायिक ४४१८ अ निरतिचारता - १ ४२ ब ।
निरनुबंधा - २६२२ व निर्जरा अनुप्रेक्षा १७७ अ ब, । निरनुयोज्यानुप्रेक्षण -- २ ६२१ अ । निरन्वय - २.६२१ अ ।
निरपराध – अपराध ११११, विभाव ३५५१ अ । निरपेक्ष एकान्त १४६२-४६३, स्याद्वाद ४४६८ अ, ४ ४६६ अ, स्वभाव ४.५०७ अ ।
निरपेक्ष नयनय २५२० अ, २५२५ ब । निरब्बुद संख्या प्रमाण २२१४ व
निरव २६२१ अ नरकपटल निर्देश २५७६ व विस्तार २.५७९ व अकन ३ ४४१ । नारकी-अव गाहना ११७८, आयु १२६३ ।
निरयगति- २५७२ अ विशेष दे. नरक गति । । निरर्थक- २६२१ अ ।
निरवद्यकिया योग ३.३७५ अ ।
---
-
निरवयव आकाण १२२१ द्रव्य २४५१ अ परमाणु
३१६ ब ।
निराकांक्ष- २.६२१ अ, २५८५ ब, तप २३५८ ब
निरंतर २.६३० ब ।
निरंतरबंधी प्रकृति — ३.८८ब, ३.६० ब, ३.९२ ब, नियम निरुपभोग
३.१३-१४, त्रिसंयोगी प्ररूपणा १.३१६ ।
निरोध
२३६० अ ।
निराकांक्ष अनशन - १ ६५ ब ।
निराकार उपयोग आकार १२११व । निराकुलता सुख ४४३१. अ ।
,
निरागार - अनगार १६२ अ सयम ४.१३७ अ । निराभरण - चैत्य (प्रतिमा) २३०२ ब । निरायुध - चैत्य (प्रतिमा) २.३०२ व निरालंब ध्यान - शुक्लध्यान ४ ३३ अ । निरावरण कायक्लेश २.४६ ब । निराशा - राम ( राज्य ) ३३१८ अ निरास्रव - सम्यग्दृष्टि ४३७६ ब, ४३७६ ब । निराहारता अर्हत १.१३७ ब
निरीह - पुण्य ३६६ व ।
निरुद्ध- अविचार-भक्त- प्रत्याख्यान - सल्लेखना ४.३८८ ब
४.३८६ अ ।
-
-
निश्पक्रम आयुष्य – आयु १२५२, १.२६० अ । निरुपभोग- तेजस शरीर २३६५ अ ।
निरूपणा - २६२१ अ, प्ररूपणा ३.१४७ अ ।
निरोध - २६२१ अ, एकाग्रचिन्तानिरोध १४६६ अ,
ध्यान २४६५ ब ।
Page #141
--------------------------------------------------------------------------
________________
निर्गमन
निविचिकित्सा
निर्गमन-२.६२१ अ ।
उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान निग्रंथ-२.६२१ अ, परिग्रह ३ २६ ब, लिंग ३ ४२० अ, ४.३०३, त्रिसंयोगी भंग १.४०४, संक्रमण ४.८४ ब,
श्रुतकेवली ४.५५ ब, श्वे. ४७८ अ, साधु ४.४०६ अ, अल्पबहुत्व ११६८। ४.४०८ ब, ४,४०६ अ-ब ।
निर्माणरज-२६२५ अ। निथ-श्वेतपट-महाश्रमण संघ- श्वेताम्बर ४७८ अ । निर्माणरजस-लौकान्तिक देव ३४६३ ब । निर्जर पंचमी व्रत-२ ६२१ ब।
निर्माल्य द्रव्य - २६२५ अ, पूजा ३ ८० अ। निर्जरा-२.६२१ ब, २६२३ अ, अल्पबहुत्व ११४१ ब, निमूढ-२६२५ अ अविपाक १७५ ब, ईर्यापथ कर्म १३४६ ब, उदय
निर्मोह-साधु ४४०६ अ । १३६६ ब, गुणश्रेणी अल्पबहत्व ११७४ अ, चारित्र नियापक-२६२५ अ, गुरु २.२५२ अ, सल्लेखना ४.३८५ २२८६ अ, २.२६० अ, तप २३६२ अ, २३६३ अ,
ब, ४.३६० ब, ४.३६३ ब । २६२३ अ, धर्म (व्यवहार) २.४७५ अ, धर्मध्यान नियुक्ति -आवश्यक १ २७६ ब । २४८३ ब, २४८५ ब, प्रदेश निर्जरा अल्पबहुत्व
निर्लेपन-२.६२५ ब। १.१७४ अ, व्यवहार धर्म २.४७५ अ, शुभोपयोग
शासोपयोग निर्लोभ-शौच ४४३ ब । २२६० अ, सम्यग्दर्शन ४३५३ ब, सम्यग्दष्टि । निर्वर्ग-२ ६२५ ब। ४ ३७५ ब, ४ ३७७ अ, सविपाक १.७५ ब ।
निर्वज्ञशांवला-२.६२६ अ, विद्या ३५४४ अ। निर्जरा अनुप्रेक्षा-१७५ ब, १.७८ अ, १७६ ब,
निर्वर्गण-२ ६२५ ब। सविपाक अविपाक १७५ ब ।
निर्वर्गणा कांडक-२.६२६ अ, अधःप्रवृत्तकरण २८ ब, निर्णय-२६२४ अ, आगमार्थ १२३२, ब, न्याय २६३३ २१० अ। अ, ब ।
निर्वर्तना-अधिकरण १४६ ब । निदंड-२६२४ अ।
निर्वस्त्र ----अचेलकत्व १४० ब, निर्जरा २६२१ ब, लिंग निर्व ख- २.६२४ अ, ग्रह २ २७४ ।
३४१७ अ, ३.४१६ अ, परिषह ३ ३३ ब, ३३४ अ, निर्देश --२ ६२४ अ, अनुयोगद्वार ११०२ अ, आगम साधु ४.४०८, अ, ४४०६अ। (उद्देश्य) १.२३२ अ।
निर्वय॑कर्म-कर्ता २.१७ अ । निर्दोष - २६२४ ब ।
निर्वहण-२६२६ अ। निद-२.६२४ ब ।
निर्वाण- २६२६ अ, तीर्थकर २३७७ । निर्धूम अग्नि-स्वप्न ४.५०४ ब ।
निर्वाणकल्याणक-कल्याणक २ ३२ ब । निर्नामिक-२६२४ ब ।
निर्वाणकल्याणक वन्दना-कृतिकर्म २१३६ अ। निनिमेष दृष्टि-अर्हन्त १ १३७ ब ।
निर्वाणभक्ति-भक्ति ३१९८ ब, शास्त्र इतिहास १.३४० निर्भरानंद - अनुभव १८५ अ ।
ब, राक्षसवश १ ३३८ अ। निमंत्र- ग्रह २ २७४ अ।
निर्वाणभूमि -व्युत्सर्ग ३ ६२१ अ। निर्मम-२६२४ ब।
निर्वाणसंपत्ति यंत्र-३३५५ । निर्मल--२.६२४ ब, गणधर २२१२ ब, तीर्थकर २३७७, निर्वाण सनत --इतिहास १३०६ अ, १.३१० अ, १३१६ । विशद ३५६७ ब, स्वरूप ३.३३५ ब ।
निविकल्प-विकल्प ३५३७ ब, सम्यग्दर्शन ४३६२ अ । निर्मल आकाश-अहंन्तातिशय ११३७ ब ।
निविकल्पता-गुण २ २४२ ब, निश्चय नय २.५५४ ब । निर्मल जल-अर्हन्तातिशय १.१३७ ब ।
निविकल्प ध्यान-पदस्थ ध्यान ३८ ब। मोक्षमार्ग निर्मल शरीर--अर्हन्तातिशय ११३७ ब ।
३ ३३६अ। निर्माण नामकर्म प्रकृति-२६२४ व, आनुपूर्वी नामकर्म निर्विकल्प समाधि-ज्ञान २.२७० अ।
१२४७ अ। प्ररूपणा--प्रकृति ३८८, २५८३, मिविकल्प सुख-४.४३१ ब, ४.४३२ ब । २.६२४ ब, स्थिति ४४६३, अनुभाग १.६५, प्रदेश निविकृति आहार-२६२६ अ, कायक्लेश २.४७ अ, ३१३६ । बध ३.६७, बंधम्थान ३११०, उदय सल्लेखना ४३६२ ब । १३७५, उदयस्थान १३६०, उदीरणा १४११ अ, निविचिकित्सा-२.६२६ ब ।
Page #142
--------------------------------------------------------------------------
________________
निविध्या
निश्चय-सम्यग्दर्शन
निविध्या-२६२६ अ, मनुष्यलोक ३.२७५ ब ।
सम्यग्ज्ञान २.२६७ अ, स्वसंवेदन २ २६२ ब । निर्वत्ति-२६२७ ब, अक्षर १३२ ब, इन्द्रिय १३०१ ब, निश्चयचारित्र-आचार १३४० ब, चारित्र २ २८३ अ, भक्ति ३१६८ ब, विद्या ३५४४ अ।
२२८८ ब, (रत्नत्रय) २२८६, २२६१ अ। निर्वत्ति अक्षर-१३२ ब।
निश्चय-तप-आचार १.२४१ अ। निर्वत इंद्रिय--१३०१ ब ।
निश्चय-दर्शन - आचार १२४० अ। निर्वत्ति भक्ति-३ १९८ ब।
निश्चय-धर्म-अनुभव १८५ब, २४६६ ब, २४६८ ब, निर्वेगिनी कथा-कथा २३ अ।
२.४७५। निर्वेजनी कथा-कथा २३ अ।
निश्चय-ध्यान-अनुभव १८५ ब, धर्मध्यान २.४७१ अ, निर्वेद-२६२७ ब, उपयोग १४३३ अ, सम्यग्दर्शन २४८५ अ, २४८६अ। ४३५१ अ।
निश्चय-नय--२.६२८ अ, उत्सर्ग मार्ग १.१२१ अ, नय निर्वेदिनी कथा-उपदेश १४२५ अ, १४२६ अ, कथा
२५१४ ब, २.५१५ अ, निश्चय-नय २५५२ अ, २३ अ।
सम्यक् नय २५२३ ब, प्रत्याख्यान ३१३१ ब, निवर–सामायिक ४४१६ ब ।
प्रायश्चित ३.१५७ ब, शुद्धोपयोग १४३१ अ। निर्व्याकुल चित्त-सुख ४ ४३३ ब ।
निश्चय-निमित्त -२७३ अ। निलय-२६२७ ब, ग्रह २२७४ अ।।
निश्चय-निविचिकित्सा-२.६२७ अ। निवास-भवनवासी देव ३२१० अ, ३६१३ । व्यन्तरदेव
निश्चय-पचाशत-इतिहास १३४३ ब । -निर्देश ३ ६१२ अ, विस्तार ३ ६१५ अ, बनावट
निश्चय-पूजा-~३७५ अ। ३६१२ ब, सख्या ३६१२ ब। श्रावक ४.५० अ,
निश्चय-प्रतिक्रमण-३.११५ ब, ३.११६ अ। साधु (मासकवास) ३ २६६ ब।
निश्चय-प्रभावना-३.१३६ अ । निवृत्ति---२६२७ ब, अनिवृत्तिकरण १६७ ब, उपयोग
निश्चय-प्राण-अहिंसा १२१७ ब, प्राण ३१५२ ब, १४३४ अ, चारित्र २२८५ अ, राग ३३९८ अ, विष १४३४ अ, संवर ४.१४३ ब ।
३१५४ अ। निवत्त्यपर्याप्त--जीव २३३३ ब, जीवसमास २३४३,
निश्चय-प्रोषधोपवास-३ १६३ अ । पर्याप्त ३४१ब, ३४२ अ।
निश्चय-ब्रह्मचर्य-३ १८८ ब। निशिभोजन कथा-२६२७ ब, इतिहास १.३४८ अ ।
निश्चय-भक्ति-३१६७ ब, ३१६६ ब । निशुंभ-२.६२७ ब, तीर्थकर धर्मनाथ २३६१, प्रति- निश्चय-भोक्ता-भोग्यभाव- ३.२३८ । नारायण ४.२० अ।
निश्चय-मोक्षमार्ग-३ ३३५ अ, ब, ३.३३६ अ, ३.३३८ निश्चय-२६२८ अ, ग्रह २२७४ अ।
ब, ३ ३३६ अ। निश्चय-अनशन - अनशन १६५ अ ।
निश्चय-रक्षा -अहिसा १२१७ ब । निश्चय-अनुप्रेक्षा - अनुप्रेक्षा १७२-७८ ।
निश्चय-रत्नत्रय-उपयोग १४३४ ब, चारित्र २२६९ अ, निश्चय-अमृढदृष्टि --अमूढ दृष्टि १.१३२ ब ।
मोक्षमार्ग ३.३३५ ब, संवर ४१४३ ब । निश्चय-अहिंसा-अहिंसा १२१६ अ ।
निश्चय-वदना-३ ४६४ ब । निश्चय-आचार-दे० निश्चयाचार ।
निश्चय-वात्सल्य-३५३२ ब । निश्चय-आराधना-मोक्षमार्ग ३ ३३६ अ ।
निश्चय-विनय-३ ५४८ अ। निश्चय-आलोचना-आलोचना १.२७६ ब ।
निश्चय-वीर्य-आचार १२४१ अ । निश्चय-उपगूहन-उपगृहन १.४१७ अ।
निश्चय-व्रत चारित्र २ २६२ अ, व्रत ३.६२५ अ। निश्चय-कर्ताकर्म-२१६, २२३ ब।
निश्चय-श्रुतकेवली-४५५ ब । निश्चयकाल-काल २८२ ब।
निश्चय षडावश्यक- मोक्षमार्ग ३.३३६ अ । निश्चयक्षमा-२१७७ अ।
निश्चय-संयम-४१३७ अ। निश्चयगुप्ति---२२४८ अ, ब ।
निश्चय-संवर-४१४२ ब । निश्चयगुरु-२.२५२ अ।
निश्चय समिति-४.३३६ अ, ४३४२ अ । निश्चयज्ञान--आचार १.२४० अ, ज्ञान २.२५६ अ, निश्चय-सम्यग्दर्शन- आचार १.२४० अ, सम्यग्दर्शन २.२६६ब,
४३५६ अ-ब।
Page #143
--------------------------------------------------------------------------
________________
निश्चय-साधु
१३७
नीचकुल
निश्चय-साधु-४४०६अ।
का अल्पबहुत्व १.१६५ ब। निश्चय-स्तवन-३ १६६ ब।
निषेकहार--२ ६२६ अ, गणित २.२३० ब । निश्चय-स्थितीकरण-४.४७० अ।
निषेध---२६२६ अ, अनेकान्त ११०९ अ, गौणता ४.४६६ निश्चय-स्वाध्याय-४.५२३ अ ।
ब, निर्वेद २६२७ ब, सप्तभगी ४.३१८ ब, ४.३१६ निश्चय-हिंसक-१.२१६ अ।
ब, सापेक्ष धर्म ११०६ अ, ४३१८ ब, स्याद्वाद निश्चय-हिंसा-४५३२ अ, ब ।
४४६८ अ, ४.४६६ ब, ४५०० व। निश्चयाचार-ज्ञानाचार १२४० ब, चारित्राचार १.२४० निषेधसाधक हेत-४५४० ब ।
ब, तप चार १.२४१ अ, दर्शनाचार १.२४० अ, निषेधिका- समाचार ४३३६ ब, ४.३३७ अ। वीर्याचार १.२४१ अ।
निष्कंप-यदुवश १.३३७ । निश्चयावलबी-४४०६ अ ।
निष्कल-ध्यान ३ ३३६ अ, परमात्मा ३२० अ । निश्चल-२६२८ अ. ग्रह २ २७४ अ ।
निष्कषाय--२५८५ ब, तीर्थकर २३७७ । निश्चल चित्त-सामायिक ४४१५ ब ।
निष्कांक्षित-२.५८५ ब, २५८६ अ, तप २३५७ ब, निश्चित विपक्षवृत्ति-व्यभिचार ३६१६ ब ।
२.३६० अ, शास्त्रश्रवण ४.७५ ब । निषण्ण-निषण्ण-व्युत्सर्ग--३६२० अ।
निष्कांक्षित अनशन -१.६५ ब, १६६ अ । निषद्य-सल्लेखना ४३६६ ब ।
निष्काम-(दे० निष्काक्षित)। निषद्यका-कृतिकर्म २१३६ अ ।
निष्कुट क्षेत्र-क्षेत्र २१६२ ब, विग्रहगति ३.५४१ ब । निषद्या-क्रिया-मन्त्र ३ २४७ अ, सस्कार ४.१५१ अ।
निष्क्रांति क्रिया-सस्कार ४.१५२ अ। निषद्यापरिषह--२.६२८ अ, चर्या २.२७६ अ, परिषह।
निष्क्रिय परमाणु-३.१५ ब । ३.३३ ब, ३.३४ अ।
निष्क्रियत्व शक्ति-२६२६ अ। निषध-निषध कट का रक्षक देव २६२८ ब, यवश निष्ठीवन-आहारान्तराय १.२६ ब, व्यत्सर्ग दोप ३ ६२२
अ। निषधकूट-२.६२८ ब । तिगिंछ द्रह का-निर्देश ३.४७४ निष्ठुर -समिति ४३४० अ।
अ, विस्तार ३.४८३, अकन ३४५४ । निषध पर्वत निपत्ति-२६२६ अ। का-निर्देश ३ ४७२ अ, विस्तार ३.४८२, ३.४८३, निष्पन्न योगी-धर्मध्यान २४६४ अ, योगी ३३८६अ।
४८६, अमन ३.४४४ । सुमेर के वनो मे निष्परिग्रह-अचेलकत्व १४० अ, ब, अहिंसा १२१७ अ. -निर्देश ३.४७३ ब, विस्तार ३.४८३, अकन चारित्र २२९४ ब ।
निष्पाप-तीर्थंकर २३७७ । निषधग्रह-२ ६२८ ब। दवकुरु उत्तरकुरु-निदंश निष्पिच्छ संघ-२६२६ अ, जैनाभासी सघ १.३१६ अ, ३ ४५६ ब, नाम निर्देश ३ ४७४ अ, विस्त र ३ ४६०,
इतिहास १३२१ ब । ३ ४६१, अंकन ३ ४४४, ३ ४५७, ३ ४६४ के सामने निसर्ग-२ ६२६ अ, अधिगम १५० व । (चित्र सं० ३७)।
निसर्ग क्रिया-क्रिया २१७४ ब । निषधपर्वत-२६२८ अ, निर्देश २ ४४६, विस्तार ३४८२, निसर्ग:ज-२६२६ ब, अधिकरण १४६ अ-ब, १५० अ, ३.४८५, ३ ४८६, अकन ३४४४ के सामने, ३.४६४
ज्ञान १५१ ब, सम्यग्दर्शन १५० ब । के सामने, वर्ण ३ ४७७ ।
निसर्गाधिकरण-१४६ अ-ब, १५० अ। निषाद-२६२८ ब, स्वर ४ ५०८ ब ।
निसही- असही १२०६ अ, साधु ४.४०४ ब । निषिक्त-२.६२८ ब।
निसीधिका-असही १२०६अ। निषिद्धिका-२६२८ ब, श्रुतज्ञान ४.६६ ब ।
निस्तरण-२.६१९ ब। निषिधिका-२६२८ ब, सल्लेखना ४.३९७ अ ।
निहत शत्रु-हरिवंश १३४० म । निषेक - २.६२८ ब । रचना-उदय १.३६८-३७१, स्थिति निहार-तीर्थंकर २.३७३ ब, देवगति २.४४६ अ#
४.४५८ अ । अपकर्षण १.२६ ब, उदय १.३६६ अ। नीच-२.६२९ ब । समयप्रबद्ध का अल्पबहुत्व १.१७१ अ, स्थितिबन्ध नीचकुल-वर्णव्यवस्था ३.५२० ब ।
१.३३७।
Page #144
--------------------------------------------------------------------------
________________
नीचगोत्र
१३८
नेमिनाथ
नीचगोत्र-वर्णव्यवस्था ३.५२० ब ।
१.४११ अ,सत्त्व ४२८४, सत्त्वस्थान ४.३०१,४३०६, नीचगोत्र कर्मप्रकृति-प्ररूपणा-प्रकृति ३.८८, ३ ५२०% त्रिसंयोगी भग १४०७ ब । सत् ४२४४, संख्या
स्थिति ४ ४६७, अनुभाग १६५, प्रदेश ३ १३७ । बध ४१०७ क्षेत्र २२०५, सर्शन ४४६०, काल २.११५, ३६७, बधस्थान ३ ११०, उदय १३७५, उदयस्थान अन्तर १.१८, भाव ३ २२१ ब, अल्पबहुत्व ११५१ । १३८७, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्यान १४१२, नीलांजना-ऋषभदेव २३८२ । सत्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४२६८, त्रिसयोगी भग नीलाभास-ग्रह २२७४ अ । १३६६ । संक्रमण ४८५ अ, अल्पबहुत्व ११६८ ।
नीलोत्पला-उतरेन्द्रो की वल्लभिका ४५१३ ब । नीचत्व-मार्दव ३२६८ ब ।
नीलोद्यान-मुनिसुव्रतनाथ २३८३ । नीचदेव-आयुबन्ध के योग्य परिणाम १२५७ ब ।
नीहार-तीर्थकर २.३७३ ब । देवगति २.४४६ । नीचपद से उद्धार-धर्म २४६६ व ।
नीहारप्रायोपगमन - सल्लेखना ४.३६० अ । नीचैर्वृत्ति--२६२६ ब।
नृत्यगान--पूजा ३८० ब। नीचोपपाद देव-व्यन्तरजातीय देव-आयु १.२६४ ब । नृत्यमडप-चैत्यालय २.३०३ अ । नीति-नय २५१३ ब।
नत्यमाल-२.६२६ ब, विजयार्धखण्ड प्रपातकूट का देव नीतिक्रिया-न्याय २.६३१ अ ।
३.४७१ ब। नीतिवाक्यामत-२६२६ ब, इतिहास १.३४२ ब। नृपतग-२.६२६ ब । नीतिसार-२६२६ ब, इन्द्र नन्दि १.२६९ ब, इतिहास नपदत-२.६२६ ब, यदुवश १.३३७ । १३४२ अ।
नपनदि-२ ६३० अ। नीरस-आहार-आहार १२८८ अ ।
नेत्र (चक्षु इद्रिय)-२ २७७, अप्राप्यकारी १३०३ अ, नीरा- मनुष्यलोक (नदी) ३.२७६ अ ।
अवगाहना का अल्पबहुत्व ११५८, आहारान्तराय नील-२६२६ ब, ग्रह २.२७४ अ। दिग्गजेन्द्र पर्वत- १२८ ब, इन्द्रिय १३०२ अ, ज्ञान की कालावधि का
निर्देश ३ ४७१ ब, विस्तार ३.४८३, ३ ४८५,३४८६, अल्प बहुत्व ११६०, ज्ञानार्थक १.३०६ ब, पर्यायाथिक अंकन ३.४४४ । द्रह-निर्देश ३.४५६ ब, नामनिर्देश
नय २५४२ ब, २५४६ ब, सूक्ष्मग्रहण ४४३६ ब । ३४७४ अ, विस्तार ३४६०,३४६१, अकन ३.४४४, नेत्रोन्मीलन-२६३० अ प्रतिष्ठा विधान ३.१२० ब। ३४५७ ३.४६४ के सामने । वर्षधर पर्वत-निर्देश नेमिचंद्र-२.६३० अ, अभयनन्दि १.१२७ अ, इन्द्रनन्दि ३.४४६ ब, विस्तार ३४८२, ३४८५, ३४८६,
१२६९ ब, नन्दिसघ १ ३२३ अ, देशीय गण १ ३२५, अकन ३४४४ के सामने, ३४६४ के सामने (चित्र
इतिहास १३२६ अ । इतिहास -द्वितीय १३३० ब, सं ३७), वणं ३ ४७७ ।।
१३४२ ब, १३४३ ब । तृतीय १३३१ अ, १.३४३ नील (कूट)-उत्तरकुरु व देवकुरु का कूट-निर्देश
ब। चतुर्थ १३३२ अ,१३४४ ब । पचम १३३२ ३ ४७४ अ, अकन ३.४५७ । केसरी द्रह का-निर्देश
अ, १३४६ ब । षष्ठ १.३३२ ब। सप्तम १३३३ ३४७४ अ, विस्तार ३४८३, अकन ३४५४ । नील पर्वत का-निर्देश ३.४७२ अ, विस्तार ३.४८३,
नेमिचंद्र भट्टारक-काष्ठासघ १.३२७ अ, नंदिसघ अंकन ३ ४४४ । रुचकवर पर्वत का-निर्देश ३ ४७६
१.३२४ अ। ब, विस्तार ३.४८७ ।
नेमिचद्र श्वेतांबर-१३३१ अ, १३४३ ब। नील (नाम)-मुनिसुव्रतनाथ २ ३८३, वानरवश १.३३८
नेमिचंद्रिका-२६३० अ।
नेमिदत्त-२६३० अ, नन्दिसघ १३२४ अ, इतिहास नीलकंठ भावि शलाकापुरुष ४२६ अ ।
१३३३ ब, १३४६ ब । नीलकुमारी-मध्यलोकवासिनी देवी ३ ६१४ ।
नेमिदेव-२६३० अ, इतिहास १३३० अ। नीलयशा-यदुवंश १३३७ ।
. नेमिनंदि-नन्दिसघ भट्टारक १३२३ ब । नीललेश्या-निर्देश ३४२३ अ, प्ररूपणा-बन्ध ३ १०७, नेमिनाथ-२.६३० अ, हरिवंश १३४० अ, कुटुम्ब १३०
बन्धस्थान ३ ११३, आयुबन्ध के स्थान १२५६-अ, ब, पूर्वमव १.१२२ ब, २३७६-३६१, राजुल उदय १३८४, उदयस्थान १३६३ ब, उदीरणा (भोजवंश) १३३६ ब ।
Page #145
--------------------------------------------------------------------------
________________
न्यग्रोधवृक्ष नेमिनाथपुराण नेमिनाथपुराण -२.६३० ब, इतिहास १३४७ अ । ___ भाव ३२१८ ब, योग ३ ३७६ अ, वर्गणा ३ ५१३
अ, सामयिक ४४१६ अ। नेमिनाथ बारहमासा-इतिहास १.३४७ अ।
नो-इद्रिय प्रणिधान--प्रणिधान ३११५ अ। नेमिनाथ वसत-इतिहास १३४७ अ।
नो-ओम्--ओम् १४७० अ। नेमिनिर्वाण काव्य-२६३० ब, इतिहास १३४३ ब ।
नो-ओम नो-विशिष्ट-अनुयोग द्वार ११०२ ब । नेमिप्रभ-तीर्थंकर २३६२ ।
नोकर्म-आबाधा १२५० ब, कर्म २२७ ब, २२८ अ, नैमिषेण--२६३० ब माथुर सघ १३२७ ब । सेनसघ
बन्ध ३ १७० अ, ३१७६ अ, भाव २ २७ अ, सक्रमण १३२६ अ-ब, इतिहास १३३२ ब ।
(गुणश्रेणी) ४६० ब, स्कन्ध ४४४७ ब । नंऋति-२६३० ब, नक्षत्र २.५०४ ब ।
नोकर्म आहार---आहार १२८५ अ, आहारक १२६५ अ, नंगमनय--२५२७ ब, उपक्रम १४१६ ब, उपचार
केवली २१५६ अ। १.४२३ अ, नय २५२८ ब, निक्षेप २५६५ अ, नोकर्म तव्यतिरिक्त-निक्षेप २.५६६ ब, २.६०० ब, रागद्वेष २३६ अ-ब ।
मगल ३२४१ अ। नेगमाभास-नय २५३१ ब ।
नोकर्म नारकी-२५७२ अ । नेपाल-२६३० ब, मनुष्यलोक ३.२७५ ब ।
नोकर्म नोआगम-उपशम १४३७ अ। नेपोरियन लॉग-अर्धच्छेद प्रक्रिया गणित २ २२५ अ । नोकर्म वर्गणा-कर्म २२७ अ, वर्गणा ३५१२ब। नैमित्तिक-निमित्त-नैमित्तिक भाव-दे० निमित्त । नोकर्माहार-आहार १२८५ अ, आहारक १२६५ अ, नैमित्तिक उत्पाद-उत्पाद-व्यय १३६२ ब ।
केवली २१५६ अ, केवलीसमुद्घात २१५६ अ । नैमित्तिक क्रिया-कृतिकर्म २१३८ ।
नोकषाय-२६३१ अ, कषाय २३५ ब, २३६ अ, बन्ध
काल का अल्पबहुत्व ११६१, सक्रमण ४.८६ अ, नैमित्तिक दुःख-दुःख २ ४३४ ब ।
स्थितिसत्त्व स्थानो का अल्पबहुत्व ११६५ ब। नैमित्तिक व्युत्सर्ग व्युत्सर्ग ३ ६२३ ब ।
नोक्षेत्र--क्षेत्र २१९१ अ, २.१६२ अ नैमिष-विद्याधर नगरी ३ ५४५ ब ।
नोगौण्य नाम-उपशम १४३७ अ। नमिष-२३६० ब।
नोगौण्यपद-उपक्रम २.४१६ ब, पद ३५ अ । नैयायिक दर्शन - एकान्त १.४६५ अ-ब । जीवविषयक
नोजीव-२३३३ ब' २.३३४ अ। मत २३३६ ब, दर्शन २४०३ अ ।
नोत्वचा-२४०१ब । नवेध-पूजा ३७८ ब ।
नोविशिष्ट-ओम १४७० अ । नैषध-२६३० ब, मनुष्यलोक ३२७५ ब ।
नोससार- अनुप्रेक्षा १७८ अ, ससार ४१४६ ब । नष्कर्म्य-वेदान्त ३५६५ ब ।
नोसर्वविभक्ति-अनुयोग द्वार ११०३ ब । नैष्ठिक ब्रह्मचारी-३ १६४ ब ।
नौ-अनुदिश ४५१० अ, केवललब्धि ३४१२ अ, कोटि नैष्ठिक श्रावक-२६३० ब, श्रावक ४४८ ब, ४५० अ।
शुद्ध आहार ११२१ अ, १२१२ ब, कोटिशुद्ध नैसगिक मिथ्यात्व-एकान्त १४६४ अ, मिथ्यादर्शन
ब्रह्मचर्य ३१८६ ब, ग्रंवेयक ४.५१० अ, तत्व ३.३०० ब, ३.३०१ अ।
२३५३ ब, ४३५६ ब, देवता २४४४ ब, नारद नैसर्प-२६३० ब, चक्रवर्ती ४१४ ब ।
४२१ अ, नारायण ४.१८ अ, निधि-चक्रवर्ती नो-२६३० ब।
४१४ ब, समवसरण ४३३१ अ। पदार्थ ३८ अ, नोआगम-२६३० ब, आगम १२२८ अ, क्षेत्र २.१६२
३.२१८ अ, ४.३६० अ, पूर्वधर ४३६ अ-ब, प्रतिब, निक्षेप २.५६६ अ, २६०५ ब ।
नारायण ४२० अ, बलदेव ४.१६ अ, सहनानी नोआगम द्रव्य-अनत १५५ ब, अन्तर १३ ब, उपशम २२१६अ।
१.४३७ अ, काल २८१ब, निक्षेप २५६९ ब, नौका-विहार (आरोहण) ३५७४ ब । सामायिक ४४१६ अ।
नौकार मन्त्र-३.२४७ अ। नो-आगम द्रव्य भाव- अनन्त १५५ ब, अन्तर १.३ ब, नोकार धावकाचार-२६३१ अ, इतिहास १३४१ अ।
उपशम.१.४३७ अ, कर्म २.२६ अ, काल २.८१ब, न्यग्रोधवृक्ष-ऋषभनाथ २.३८४, चैत्य-चैत्यालय जीव २.६०५ ब, पाहुड ३१५६ ब, बधक ३ १७६अ, २२०३-३०४, पृथिवीस्वरूप ३ ५७८ ब।
Page #146
--------------------------------------------------------------------------
________________
न्यग्रोधपरिमडलसंस्थान नामक
१४०
पंच-ओचार
न्यग्रोधपरिमंडलसस्थान नामकर्म-प्ररूपणा-प्रकृति ३८८, पकजगुल्मा--वासुपूज्यनाथ २ ३७८ ।
२.५८३, स्थिति ४.४६३, अनुभाग १.६५, प्रदेश पंकप्रभा-३१ अ। चतुर्थ नरक-निर्देश २ ५७६ अ, ३ १३६ । बन्ध ३.६७, बन्धस्थान ३.११०, उदय
विस्तार २ ५७६, ५७८, अकन ३ ४४१, पटल १३७५, उदयस्थान १.३६०, उदीरणा १४११ अ,
२५८०, इन्द्र क श्रेणीबद्ध २.५७८, ५८० । नारकीउदीरणास्थान १४१२, सत्व ४२७८, सत्त्वस्थान
अवगाहना १.१७८, अवधिज्ञान ११६८, आयु ४३०३ त्रिसयोगी भग १४०४ अ, सक्रमण ४८५
१२६३ । प्ररूपणा बन्ध ३१०१, बन्धस्थान अ, अल्पबहुत्व ११६८ ।
३११३, उदय १३७६, उदयस्थान १३६२ ब, न्याय-२.६३१ अ, श्रुतज्ञान ४६० अ।
उदीरणा १.४११ अ, सत्त्व ४२८१, सत्त्वस्थान न्यायकंदली-वैशेषिक दर्शन ३६०७ब, इतिहास १३३०
४.२६८, ४३०५, विसयोगी भग १४०६ ब ! सत न्यायकणिका-२ ६३५ अ ।
४१००, सख्या ४६५, क्षेत्र २१६, स्पर्शन ४४७९, न्यायकुमुदचद्रिका-२६३५ अ, इतिहास १३४३ अ ।
काल २१०१, अन्तर १८, भाव ३२२० अ, अल्पन्यायलिका-२६३५ ब, अकलक १३१ अ, इतिहास
बहुत्व ११४४१ १३४१ ब ।
पंकभाग-३१ अ, भावनलोक ---निर्देश ३३८६ ब, न्यायदीपावली-वेदान्त ३.५६५ ब ।
३.२०६ब, विस्तार ३३८६ ब, अकन ३२१० अ, न्यायदीपिका-२ ६३५ ब, इतिहास १३४४ ब, १३४५ ३३६०, ३.४३६, ३ ४४१ । भवनो की सख्या
३ २१०, अप तथा तेज कायिक जीव २४५ ब । भ्यायभागमतसमुच्चय-२.६३५ब ।
पंकावती-३१ अ । विभगा नदी निर्देश ३४६० अ, न्यायमकरद-वेदान्त ३५६५ ब ।
नामनिर्देश ३४७४ ब, विस्तार ३४८६, ३४६०, न्यायमालाविस्तर----मीमासा दर्शन ३ ३११ अ ।
अकन ३४४४, ३४६४ (चित्र स० ३७) । न्यायरत्नमाला-नीमांसा दर्शन ३३११ अ।
पक्तिक्रिया--क्रिया २ १७५ अ। न्यायरत्नाकर-मीमासा दर्शन ३३११ अ ।
पंगश्रीश्राविका-कल्की २३१ ब । न्यायविनिश्चय --२.६३५ ब, अकलंक १३१ अ, इतिहास पंच-अग्नि १३५ ब, अतिचार ३ ६२६ ब, अनुत्तर विमान १३४१ ब ।
४५१४ ब, अनुमानावयव १६८ब, अस्तिकाय न्यायविनिश्च यविवरण--इतिहास १३४३ अ ।
१२११ अ, आवार १२४० अ, इन्द्रिय १३०१ ब, भ्यायसुधा-मीमासा दर्शन ३ ३११ अ ।
उदम्बर १३६३ अ, कल्याणक २३२ अ, क्षायिक न्यायसूर्यावली--इतिह स १३४४ ब ।
लब्धि ३४११ ब, ज्ञान २२५६ ब, चूलिका (श्रुतज्ञान) न्यायाभास-२६३१ ब ।
४६६ अ, नमस्कार मन्त्र ३२४७ अ, परमेष्ठी ३२३ न्यास-निक्षेप २ ५६० ब ।
अ, पारवर्तन (ससार) ४ १४७ अ, पाप ४४१७ ब, न्यासापहार-२६३५ ब ।
भाव ३ २१८ ब, भावना ३.२२४ ब, मेरु (पूजा) न्यासालाप-सत्य ४२७३ ब ।
३.७५ ब, यम महाव्रत) ३.६२७ ब, लब्धि ३.४१२ न्यून--२ ६३५ ब, गणित २२२२ ब, व्युत्सर्ग दोष अ, व्रत ३६२७ ब, शरीर ४६ अ, समिति ४.३३६ ३६२२ अ।
अ, सूना २.२६ ब। म्योनदशमी व्रत-२ ६३५ ब ।
पच-अग्नि -३२ अ, अग्नि १३५ ब, तय २.३५६ ब । पंच-अतिचार-व्रत ३.६२६ ब । पंच-अनुत्तर विमान-स्वर्ग ४.५१४ ब, प्ररूपणा दे.
अनुत्तरदेव । पंच-अनुदिश विमान-स्वर्ग ४.५१४ ब, प्ररूपणा दे. '
अनुदिश देव ।
पंच-अनुमानावयव-अनुमान १.६८ ब । पं-पंचेंद्रिय की सहनानी २२१९ अ ।
पंच-अस्तिकाय-३२ अ, अस्तिकाय १.२११ अ । पंकजगंधा - महत्तरिका देवी ४.५१३ ब ।
पंच-आचार-दे. पचाचार।
पगुन १३५
वयव १
१३०१५
Page #147
--------------------------------------------------------------------------
________________
पंच-इद्रिय
१४१
पचीकृत विचार
अ।
पंच-इद्रिय - इद्रिय १ ३०१ ब, सहनानी २ २१६ अ। पंचवर्ण--३.१ ब, ग्रह २ २७४ अ । पच-उदुंबर फल-उदम्बर १३६३ अ, भक्ष्या नक्ष्य ३२०३ पचविंशति-उपाध्याय के गृण १४४४ अ, सभ्यग्दर्शन के ब, श्रावक ४५० ब ।
दोष ४.३५१ अ। पंच-उदय काल- उदय १ ३६३ ।
पविशति कल्याण भावना व्रत-३१ब । पचकल्याणक-अर्हन्त १.१३८ ब कल्याणक २३२ अ । पविंशतिका-१३३१ अ १३४३ ब । पचकल्याणक वदना-कृतिकर्म २१३६ अ।
पविशिका - इतिहास १३३४ ब । पचकोटि शुद्ध आहार-अपवाद मार्ग ११२१ अ । पंचत-व्रत (अणु तथा महा) ३६२७ ब । पंचक्षायिक लब्धि-मोक्ष ३.३२६ अ, लब्धि ३ ४११ ब। पचशती-वेदान्त ३५९५ व। पंचमुरुभक्ति-इतिहास १३४० ब ।
पंचशरीर-अल्पबहत्व ११४२ अ,११५८, शरीर ४.६ पचज्ञान-अदर्शन परिपह १४६ ब, ज्ञान २२५७ ब । पंचचारित्रसिद्ध-अल्पबहुत्व ११५३ ब ।
पंचशिख--साख्यदर्शन ४ ३६८ ब । पंचचूलिका-श्रुतज्ञान ४६६ अ ।
पशिखरी-३.१ ब। पंचदश--उत्कृष्ट असख्यात को सहनानी २२१६ अ।
पंचशिरा-.३ १ ब, कुण्डलवर पर्वत के कूट का देव---
निर्देश ३४७५ ब, अकन ३ ४६७ । पंचधारणा-धारणा २४६१ ब, पिण्डस्थ ध्यान ३ ५८ अ ।
पचश्रुतज्ञान व्रत-३१ब । पंचमद-३.१ अ।
पचषष्ठि-पणट्ठी की सहनानी २२१८ ब । पंचनमस्कार मंत्र-मन्त्र ३ २४७ अ, सामायिक ४४१७
पंचसंग्रह--३१ब, अमितगति ११३२ अ । इतिहासब
प्रथम १३४१ अ, द्वितीय १३४३ अ, तृतीय १.३४३ पंचनमस्कारमत्रमाहात्म्य-३१ अ।
अ, वा पंचनिद्रा दर्शन २ ४१२ अ ।
पंचसग्रह टीका -- इतिहास १ ३४६ अ । पंचपद-वेदान्त ३.५६५ ब ।
पंचसंग्रह वृत्ति-इतिहास २ ३४२ ब । पंचपरमेष्ठी-ओम १.४६६ ब, चैत्य (प्रतिमा) २३०१
पंचसमवाय-नियति २६१६ अ । अ, ध्येय २५०१ अ, परमेष्ठी ३ २३ अ, व्रत ३.६२६
पचसमिति-लमिति ४३३६अ। अ, सामायिक ४.४१७ अ ।
पंचसूनदोष-कर्म २२६ ब । पंचपरिवर्तन- ससार ४.१४७ अ ।
पंचस्तूपसघ-१३१७ ब, १३२६ ब । पंचपाप-सामायिक ४.४१७ ब।
पंचांक-३२ अ। पंचपौरिया व्रत- ३.१ अ।
पचांग-नमस्कार २५०६ अ । पंचभाव-भाव ३२१८ ब ।
पचाग्नि--३२ अ, अग्नि १३५ ब, तप २.३५६ ब। पंचभावना-ब्रह्मचर्य ३.१६० ब, भावना ३.२२४ ब, व्रत
पंचाग्नि तप-तप २३५६ ब ।। ३.६२६ ब ।
पंचाचार--आचार १२४० अ, चारित्र २२६१ अ, दीक्षा पचमकाल-अवधिज्ञान ११८६ ब, कल्कि २३१ अ, काल
धारण २२६१ अ, मिथ्मादष्टि ३.३१३ ब, मोक्षमार्ग (द्र खमा) २६२, धर्मध्यान २४८४ ब, प्रव्रज्या
३३३६अ। ३.१५० अ, मन पर्यय ज्ञान ११८६ ब ।
पचातिचार-व्रत ३ ६२६ ब । पचमस्वर-स्वर ४५०८ ब ।
पचाध्यायी-३२ अ, इतिहास १३४७ अ । पंचमी व्रत-३१ ब।
पंचामृत अभिषेक-पूजा ३.७६ अ। पंचमुष्ठी-३१ब, नमस्कार २५०६ अ।
पंचास्तिकाय-३२ अ, अस्तिकाय १.२११ अ। पचमेक - पूजा ३७५ ब ।
पचास्तिकाय (शास्त्र)-३२ अ, इतिहास १.३४० अ। पंच यम--छेदोपस्थापना २३०८ ब, व्रत ३.६२७ ब । पचास्तिकाय टीका-अमृतचन्द्र १.१३३ अ। इतिहास पचरात्र-वैष्णव दर्शन ३.६०६ अ ।
१३३४ अ, १३४२ अ, ब, १३४४ अ। पंचलब्धि-उपशम १.४३८ अ, लब्धि ३.४११ ब, ३.४१२ पंचास्तिकायप्रदीप--इतिहास १३४२ ब । अ, सम्यग्दर्शन ४.३६२ ब, ४.३६६ ब ।
पंचीकृत विचार -वेदान्त ३.५६७ अ।
Page #148
--------------------------------------------------------------------------
________________
पचेद्रिय (जीव )
पंचेंद्रिय (जीव ) - १३०६ अवाना १.१७६, आयु १२६३, १.२६४, इन्द्रिय १३०७ अ, केवली २१६२ अ, ब, जीव २३३३, जीवसमास २३४३, तिच २३६७, स २३६८ मोक्षमार्ग ३३३६ अ, सक्लेश विशुद्धि स्थान का अल्पबहुत्व ११६० अ । पचेंद्रिय जातिनाम कर्म - प्ररूपणा - प्रकृति ३८६२५८३, स्थिति ४४६३, अनुभाग १९५, प्रदेश ३१३६ । बन्ध ३६६ ब, ३ ६७, बन्धस्थान ३.११०, उदय १ ३७५, उदस्थान १३६०, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४३०२, त्रियोगी भंग १४०४, सक्रमण ४८४ व अल्पबहुत्व १.१६९ ।
पंचेंद्रिय जीव- प्ररूपणा - बन्ध ३.१०१, बन्ध स्थान ३ ११३; उदय १३७८, उदयस्थान १३१२ब, उदीरणा १.४११ अ सत्त्व ४.२८२, सत्त्वस्थान ४२६, ४३०५, त्रिसयोगी भग १४०६ व सत् ४.१६७, सख्या ४ ६६, क्षेत्र २.१००, स्पर्शन ४४८३, काल २.१०६, अन्तर १११, भाव ३२२० व, अल्पबहुत्व ११४५ ।
पर्चेद्रियत्व केवली २१६२ अ । पंचेंद्रिय तिर्यच - प्ररूपणा बन्ध ३.१०१, बन्धस्थान ३ ११३, उदय १३७६, उदयस्थान १ ३६२ ब, उदीरणा १४११ अ सत्व ४.२८१, सत्त्वस्थान ४.२८, ४३०५, त्रियोगी भग १४०६ व सत् ४. १७२, संख्या ४५. क्षेत्र २.११५, स्पर्शन ४.४७६, काल २.१०१, अन्तर १८, भाव ३२२० अ अल्पबहुत्व १.१४५ ।
1
पंजाब - मगधदेश १ ३१० व
पत्रिका- १.२ अ ।
पंडित ३.२ ब
१४२
पंडितपडितमरण - मरण ३ २८० ब ।
पंडितमरण - मरण ३ २८० ब, सल्लेखना ४ ३९२ ब । पंद्रह - उत्कृष्ट असख्यात की सहनानी २२१६ अ । पंप ३२ व ।
पउमचरिउ - - इतिहास १३४० ब, द्वितीय १३४१ ब कवि रद्दधू वाला तृतीय १.३४५ व । पकोटि- सख्या प्रमाण २.२१४ व । पक्वाशय औदारिक शरीर १.४७२ अ ।
पक्ष- ३२ब, काल का प्रमाण २.२१६ अ, ब, वाद ३.५३३ अ, श्रावक ४.४८ अ ।
पक्षपात - ३३ ब, एकान्त १४६३ ब, नय २.५१८ अ, २. ५२४ व मिध्यादृष्टि (श्रद्धान) ४.४६ अ श्रद्धान
पदसाहित्य
४४६ श्रोता १४२६ अ सम्पदृष्टि ४३७७ ब। पक्षपाती श्रोता उपदेश १४२६ म
पक्षाभास- - ३ ३ अ ।
पक्षेप
पच्चीस - उपाध्याय के गुण १४४४ अ, सम्यग्दर्शन के दोष
-
- ३३ व ।
—
४३५१ अ ।
पणचरिउ – १ ३४४ व पज्जुण्णचरिउ
।
पटच्चर- ३३ व मनुष्यलोक ३.२७५ अ । पटदेवी - भवनवासी इन्द्र की ३.२०६ अ ।
पटल - ३.३ ब, प्रस्तर २५७६ ब । नरकपटल - निर्देश ३५७६ व नामनिर्देश २५७९ अ विस्तार २.५७६ अ अकन ३४४१ स्वर्गपटल निर्देश ४५१४ व नामनिर्देश ४५१६ अ विस्तार ४.५१६ अ अकन ४५१५ दक्षिण-उत्तर विभाग ४५१४ ब ।
7
पट्टक शाला - सल्लेखना ४ ३६४ अ । पट्टन चक्रवर्ती ४.१३ ब । पणट्ठी - २३ व सख्याप्रमाण २ २१८ ब । पण्य भवन ३३ ब । पहरावण २३ ब ।
-
पतंजलि योगदर्शन ३३८४ अ ।
-
पतझड़ सुपानाव पतन - आहारान्तराय १२६ अ । पताका- पूजा ३७६ अ ।
पति- स्त्री ४.४५१ व ४४५२ अ । पतिव्रत - स्त्री ४ ४५१ ब ।
-
२.२१४ ब सहनानी
नाथ २३८२ ।
--
·
पत्तन३३ व बलदेव ४.१७ व मनुष्यलोक ३.२७५ व पति ३३ व सेसा ४४४४ अ ।
पत्रचारण ऋद्धि - १.४५३ अ ।
पत्रजाति वनस्पति - ३३ ब, मक्ष्याभक्ष्य ३ २०४ ब । पत्रपरीक्षा - ३३ब, इतिहास १.३४१ ब ॥
पत्रसमूह स्वप्न ४५०५ अ
पत्र ३२ व आगम (बुतज्ञान) १.२२६ व पदगतभंग- २.१९७ अ ।
पदज्ञान - श्रुतज्ञान ४.६५ अ । पवन-३५ व गणित २२२९ व पदनिशेष – ३४ व
पदमीमांसा - अनुयोग १.१०२ ब ।
पदविभागी - आलोचना १.२७७ अ, समाचार ४.३३६ ब । पदसमास- श्रुतज्ञान ४.६५ न । पदसाहित्य - इतिहास १.३४७ ब ।
Page #149
--------------------------------------------------------------------------
________________
पदस्थ ध्यान
१४३
पद्मप्रभ मल्लधारी देव
पदस्थ ध्यान-३५ब ।
पद्मकीति-३.६ ब, नन्दि सघ १.३२३ ब, इतिहास पदानुसारी ऋद्धि-१४४८, १४४६ ब, गणधर २.२१२ १३३१ अ, १.३४२ ब, १ ३४३ ब।
पद्मकूट-३६ ब, विदेह वक्षार गिरि-निर्देश ३४६० अ, पदार्थ -३ ८ अ, गुण २२४४ ब, द्रव्य २४६० अ, प्रमाण ___ नाम निर्देश ३.४७१ अ, विस्तार ३४८२, ३४८५, ३१४२ अ।
३.४८६, अंकन ३४४४ के सामने, ३४६४ के सामने, पदार्थ श्रद्धान-मिथ्यादर्शन ३३०० अ, मिथ्यादृष्टि
चित्र ३.४६० अ, वर्ण ३ ४७७ । इस पर्वत का कूट ३३०२ ब, सम्यग्दर्शन ४३५६ अ।
तथा देव ३४७२ ब। पदुम-सख्याप्रमाण २ २१४ ब ।
पद्मगंधा-वैमानिक गणिका ४५१४ अ । पद्धति--३ ८ अ, उपदेश १४२५ अ ।
पद्मगुल्म-३६व, शीतलनाथ २३७८ । पद्धतिटीका-इतिहास १.३४० ब ।
पद्मगुल्मा--सुमेरु के वनो की पुष्करिणी-निर्देश ३.४५३ पद्म--३ ६ ब, काल का प्रमाण २.२१६ अ, २२१७ अ, ब, नाम निर्देश ३ ४७४ अ, विस्तार ३४६०, ३४६१
कुरुवंश १३३५ ब, चक्रवर्ती ४.१० अ, ४१४ ब, अकन ३ ४५१, चित्र ३४५१।। तीर्थकर २३६१, तीर्थकर चन्द्रप्रभ व पुष्पदन्त पद्मदेव-३१० अ, कुरुवश १३३५ व । २३७८, बलदेव ४१६ अ, भावि शलाकापुरुष ४.२५ पद्मनंदि-३१० अ। प्रथम-नन्दिसघ १३२३ अ, अ, यदुवंश १३३७, रघुवश १३३८ अ ।
देशीयगण १३२४ ब, कुन्दकुन्द ३ १२७ ब, इतिहास पद्म (कट)--कुण्डलवर पर्वत का--निर्देश ३४७५ ब,
१३२८ ब। द्वितीय-(आबिद्धकरण पद्मनन्दि)देशीय विस्तार ३४८७, अकन ३.४६७ । रुचकवर पर्वत
गण १३२४ ब, १३२५, इतिहास १३३० अ। का-निर्देश ३ ४७३ अ, विस्तार ३.४८७, अकन
तृतीय-काष्ठासघ १.३२७ अ, इतिहास १३३० ब । ३४६८-३४६६ । विद्युत्प्रभ गजदन्तका-निर्देश
चतुर्थ-नन्दिसघ देशीयगण १३२५, इतिहास ३४७३ अ, विस्तार ३४८७, अक ३४६८, ३४६६ ।
१३३० ब, १३४२ ब । पचम-इतिहास १३३१ विद्युत्प्रभ गजदन्त का-निर्देश ३ ४७३ अ, विस्तार
अ, १३४३ ब । अष्टम-(पद्मनन्दि लघ) नन्दिसघ ३.४८३, अंकन ३४४४ के सामने, ३ ४५७ ।
भट्टारक १.३२३ ब, इतिहास १३३२ ब । नवम्पद्म (क्षेत्र)-विदेह का क्षेत्र -निर्देश ३४६० अ, नाम
नन्दिसघ भट्टारक १३२४ अ, इतिहास १३३२ ब, निर्देश ३४७० ब, विस्तार ३४७६, ३४८०, ३४८१,
१३४५ ब । अकन ३ ४४४, ३४६४ के सामने, चित्र ३४६० अ।
पद्मनंदि पंचविशतिका--३ १० ब, इतिहास १.३३१ अ, पन (देव)-त्रुण्डलवर के कूट का ३४७५ ब, नाभिगिरि
१३४३ ब । का ३४७१ अ, पुष्करार्ध द्वीप का ३६१४ ।
पद्मनदि सैद्धांतिक-आबिद्धकरण पद्मनन्दि-देशीयगण पद्म (ब्रह-हिमवान पर्वत पर स्थित--निर्देश ३४४६
१३२५। ब, ३४५३ ब, विस्तार ३४६०, ३४६१, अकन
पद्मनाभ (कवि)-३१० ब, इतिहास १.३३३ अ-ब, ३.४४४, ३ ४६४ के सामने, चित्र ३४५४ ।
१३४५ ब । पा (नाभिगिरि)-रम्यक क्षेत्र का निदश ३४५२ ब, पद्मनाभ-३१०ब, करुवरा १३३६ अ. चक्रवर्ती ४११ नाम निर्देश ३ ४७१ अ, विस्तार ३४८३, ३४८५
ब, चन्द्रप्रभ २३७८ ।। अकन ३४४४, ३ ४६४ के सामने चित्र ३४५२ ब, पद्मनाभचरित्र ३१० ब, इतिहास १३४६ ब । वर्ण ३४७७।
पद्मनिभ--िद्याधरवश १३३६ अ । पद्य (स्वर्ण)-प्राणतेन्द्र का यान ४५११ ब। स्वर्ण- पद्मपाद -वेदान्त ३५६५ ब ।
पटल-निर्देश ४.५१७, विस्तार ४५१७, अकन पद्मपुख-भावि शलाकापूरुष ४२५ अ। ४ ५१६ ब, देवआयु १२६७ ।
पद्मपुंगव-भावि शलाकापुरुष ४ २५ अ । पग्रक-यदुवंश १.३३७ ।
पद्मपुराण -३१० ब, इतिहास १३३३ ब । पत्रकावती-विदेह का क्षेत्र-निर्देश ३ ४६० अ, नाम पद्मप्रभ -३ १० ब, तीर्थंकर २.३७८-३६१, भावि शलाका
निर्देश ३ ४७० ब, विस्तार ३ ४७६, ३४८०-४८१, पुरुष ४ २५ अ। अकन ३४४४.३४६४ के सामने, चित्र ३४६० अ। पद्मप्रभ मलधारी देव-३.१० ब, इतिहाम १.३३१ब. विजयवान वक्षार का कूट तथा देव ३.४७२ब। १३४४ अ ।
Page #150
--------------------------------------------------------------------------
________________
पद्ममाल
पद्यमाल-३१० ब, कुरुवंश १ ३३५ अ। स्वर्गपटल -- अकन ३.४५१, चित्र ३४५१ ।
निर्देश ४५१७, विस्तार ४५१७, अकन ४५१६ब, पद्माल-३११ अ, विद्याधर नगरी ३ ५४५ ब । देव आयु १२६७ ।
पद्मावत-३११ अ। पद्ममालिनी-व्यतरेन्द्र गणिका ३ ६११ ब ।
पद्मावती-३ ११ अ, पार्श्वनाथ २३७८, मुनिसुव्रतनाथ पद्ममावी-विद्याधर वश १ ३३६अ।
२.३८०। यदुवंश १.३३७ । रुचकवर पर्वत की पद्यरथ-३.१० ब, अनन्तनाथ २३७८ ब,कुरुवंश १३३५
दिक्कुमारी-निर्देश ३ ४७६ अ, अकन ३ ४६६ । ब, १.३३६ अ, चक्रवर्ती ४ ११, धर्मनाथ २३७८, विदेह की नगरी-निर्देश ३४६० अ, नामनिर्देश वज्रधर २.३६२, विद्याधरवश १.३३६ अ ।
३ ४७० ब, विस्तार ३४७६, ३४८०, ३४८१. पद्मरागमयी-सुमेरु की परिधि ३ ४४६ अ-ब ।
अकन ३.४४४, ३४६४ (चित्र स० ३७), चित्र
३४६० अ। पद्मराज-~भावि शलाकापुरुष ४२५ अ।
पद्मावती कल्प-३ ११ अ, इतिहास (भैरव पद्मावती पद्मलेश्या-३ ४२३ ब, आयुबन्ध १२५६ अ ।
कल्प) १३४३ ब। प्ररूपणा-बन्ध ३ १०७, बन्धस्थान ३.११३, उदय पद्मासन-आसन १२८१ अ, कृतिकर्म २.१३५ ब, १३८४, उदयस्थान, १३१३ ब, सत्त्व ४२८४, विमलनाथ अनन्तनाथ २३७८ । सत्त्वस्थान ४ ३०१, ४३०६, विसयोगी भग १४०७ पद्मोत्तर-३११ अ, उत्तरकुरु दिग्गजेद्र-निर्देश ब। सत् ४२४६, सख्या ४१०८, क्षेत्र २२०६ ३ ४७१ ब, विस्तार ३४८३, ३४८५, ३.४८६, स्पर्शन ४ ४६०, काल २ ११६, अन्तर ११८, भाव
अकन ३ ४४४ । के डलवर पर्वत का कूट तथा देव
निर्देश ३४७५ ब, अकन ३ ४६७ । रुचकवर पर्वत का ३ २२१ ब, अल्पबहत्व ११५१ ।
दिग्गजेद्र-निर्देश ३४७६ अ । पद्मवत-विदेहस्थ क्षेत्र-निर्देश ३.४६० अ, नाम निर्देश
पद्मोत्तर (नाम)--वानरवशी विद्याधर १३३८ ब, वासु३४७० ब, विस्तार ३४७६, ३४८०, ३४८१,
पूज्यनाथ तथा श्रेयासनाथ २३७८ । अकन ३४४४, ३४६४, के सामने (चित्र न. ३७)
पद्य-साधु का स्थितकल्प ४४०४ ब । चित्र ३४६० अ। वक्षारगिरि का कूट तथा देव
पनसा-३११ अ, मनुष्यलोक (नदी) ३.२७५ ब । ३ ४७२ ब ।
पन्नग--विद्या ३.५४४ अ । पद्मवान्-३११ अ, रम्यक क्षेत्र का नाभिगिरि-निर्देश
पन्नालाल-३ ११ अ, इतिहास १३३४ ब । ३.४५२ ब, नामनिर्देश ३ ४७६ अ, विस्तार ३.४८३,
पभार-वसतिका (शिक्षागृह) ३५२८ अ । ३४८५, ३४८६, अकन ३.४४४, ३४६४, (चित्र परपरा ३११ ब, आगम १२२८ अ, १२३५ ब । आगस० ३७) चित्र ३४५२ ब, वर्ण ३४७७ ।
मार्थ १२३० ब, उत्तर प्रतिपत्ति १३५६ अ। पद्मश्री-चमरेन्द्र की अग्रदेवी ३.२०६अ।
परंपरा-आगत -- आगम की प्रामाणिकता १.२३५ ब । पद्मसिंह-३११ अ, इतिहास १ ३३१ अ।
परपरा-आगम-१२२८ अ, १.२३५ ब । पद्मसुन्दर- इतिहास १३३३ ब ।
परपरा-गुरु-१३२२-३२७ । पद्मसेन--३११ अ, पचस्तूप संघ १३२६ ब, पुन्नाटसघ परपरा-बध-३१७१ ब । १३२७ अ, इतिहास १३३० अ, विमलनाथ २.३७८। परपरा-मक्ति - धर्मध्यान २४८६ ब ।
परपरा-सक्ति .. मान पद्महृद-३११ ।
परपरा-मोक्ष का कारण- उपयोग १.४३२ अ, चारित्र पद्मांग-३ ११ अ, काल का प्रमाण २२१६ अ, २.२१७
२२६१ अ, धर्म २.४७५ व, धर्मध्यान २४८४ अ-ब, अ।
२४८६, ब, मोक्षमार्ग ३३३६ ब, सरकार पद्मा-३.११ अ, चमरेन्द्र की अनदेवी ३२०६अ।
४ १५० अ, स्वाध्याय ४ ३२४ अ। वैमानिक इद्रो की ज्यष्ठ देवी ४५१३ ब, ४५१४ अ, परपरा-लब्धि-श्रुतज्ञान ४.६० अ । वैमानिक इद्रो की वल्लभिका ४५१३ ब, व्यन्तरेद्र परपराहेतु-स्वाध्याय ४.५२४ अ । की वास्तभिका ३६११ व, विमलनाथ २ ३८८ । रुचक
परंपरोपनिधा-अनुयोगद्वार १.१०२ ब, श्रेणी ४७२ अ। वर पर्वत की दिक्कूमारी-निर्देश ३४७६ अ, अकन पर-३ ११ ब, परत्वापरत्व ३ १२ अ, परम ३ १२ ब, ३.४६८ सुमेरु के वनो की पुष्करिणी-निर्देश ३४५३ ३.१३ अ, सम्यग्दर्शन (स्व-पर विभाग) ४.३४६ ब, ब, नामनिर्देश ३ ४७३ ब, विस्तार ३.४६०, ३.४६१, सापेक्षधर्म १.१०६अ।
Page #151
--------------------------------------------------------------------------
________________
पर अहिंसा
पर अहिंसा-अहिसा १ २१६ ब ।
पर आकार -- सप्तभंगी ४.३२२ अ ।
पर उपकार उपकार १४१४ ब
१.४१५, उपदेश
१.४२५ अ १४२६ ब कर्ता-कर्म २२३ अ । पर कालकाल २५० अ चतुष्टय २२७८ व सप्तभंगी
,
४.३२२ अ ।
परकृति- ३ ११ व ।
पर क्षेत्र क्षेत्र २१९१ व अ, ससार ४ १४७ अ
1
-
२.१६२ अ चतुष्टय २.२७८ ४१४५ अ सप्तभगी ४३२१
परघात नामकर्म प्रकृति-३११ ब प्ररूपणा - प्रकृति ३८८२५८२, स्थिति ४.४६५, अनुभाग ११५, प्रदेश ३.१३७, बन्ध ३९७, बधस्थान ३.१११, उदय १३७५, उदयस्थान १३६०, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान ४३०३, त्रिसयोगी भग १.४०४, सक्रमण ४८४ व अल्पवस्व ११६१ ब । पर-चतुष्टय- सप्तभंगी ४३१७ व ४३१९ व ४३२१
1
ब ।
पर चारित्र चारित्र २.२५२ व २२८३ अ । परतत्रता - कारण कार्य २६२ व
कर्मोदय २.७१ ब ।
परतत्रवाद ३ १२ अ ।
परतत्र विवक्षा स्याद्वाद ४४६८ अ ।
परत्व
ब ।
परगण चर्चा सत्से बना ४.३१० ब ४.३६१ अ । परगणानुपस्थापन परिहार प्रायश्चित ३३५ व । पर- निरपेक्ष- स्वभाव ४५०७ अ |
पर ग्राम अभिघट्ट दोष जाहार १२६० व उद्दिष्ट परम अद्वैत - ३.१३ अ मोक्षमार्ग ३३२६ अ ।
1
१४१३ अ ।
२.७१ व २.७३ ब
-काल २८३ अ, पर ३.११ ब, परत्वापरत्व ३ १२ अ ।
परत्वापरत्व - ३१२ अ । परदेश- अभिघट दोष आहार १.२९० व उद्दिष्ट १.४१३ अ ।
परद्रव्य- ३.१२ अ चतुष्टय २२७८ अ, सप्तभवी ४३२१
ब |
परद्रव्य-ग्राहक नय नय २५४५ व । परद्रव्य-रत- मिथ्यादृष्टि ३३०२ व परद्रव्यविरत उपदेश १.४२४ अ । पर- निदानिया २.५८७ व । पर-निमित्तक उत्पाद - आकाश १.२२१ ब, उत्पाद १.३५७
ब ।
१४५
पर-पक्षदूषक हेतु ४ ५४१ अ । पर पर्याय- पर्याय ३.४६ व
पर-पुरुष - ब्रह्मचर्य ३ १९२ ब ।
परप्रकाशक ज्ञान २२५८ व दर्शन २.४०६ अ
पर प्रत्यय उत्पाद - आकाश १२२१ ब, उत्पाद १.३५७
न ।
पर प्रशंसा - निदा २५६८ अ पर-ब्रह्म-मोक्ष ३३२५ अ ।
पर-भविक प्रत्यय - प्रकृतिबंध ३० व ३१० अ पर-भाव
चतुष्टय २.२७८ अ, भाव ३२१८ व ससार ४ १४७ अ, सप्तभगी ४३२२ ब, सापेक्ष धर्म १ १०६
ब |
--
परम -३ १२ ब, तत्त्व २३५३ अ, समयसार ४.३२६ अ ।
परम एकस्व - ३.१३ अ मोक्षमार्ग ३.३३६ अ परमऋषि - १४५७ ब ।
परम गुरु - गुरु २.२५१ ब । परम ज्ञान - मोक्षमार्ग ३३३६ अ
परम ज्योति - ३.१३ अ मोक्षमार्ग ३ ३३६ अ परम तत्त्व-- ३१३ अ, परम ३.१२ ब, मोक्षमार्ग ३३३६
अ ।
1
परम तत्वज्ञान ३१३ अ मोक्षमार्ग ३.३३५ ब । परम धर्मध्यान- मोक्षमार्ग २२२६ अ । परम ध्यान- ३.१३ अ मोक्षमार्ग २.३३६ म । परम निजस्वरूप मोक्षमार्ग ३.२३५ व
परम निरुद्धमरण – सन्लेखना ४.३८६ अ ।
परम स्वास्थ्य
-
परम परम तत्त्व २३५३ अ ।
परम ब्रह्म ३१३ अ, ओम् १.४६९ व ब्रह्म ३१५८ अ मोक्षमार्ग ३.३३५ ब ।
-
-
परमभाव-ग्राहक नय नय २५४५ ब ।
परमभेदज्ञान - ३१३ अ, मोक्षमार्ग ३३३६ अ । परम विष्णु - ३१३ अ, मोक्षमार्ग ३.३३५ ब । परम वीतरागता ३१३ अ मोक्षमार्ग २ ३३६ अ परम समता - ३१३ अ, मोक्षमार्ग ३.३३६ अ । परमसमरसी भाव-३ १३ अ, मोक्षमार्ग ३ ३३६ अ । परम समाधि - ३१३ अ मोक्षमार्ग ३३३६ प्र ।
।
परम सुख - सुख ४.४३२ ब ।
परम स्वभाव सुख ४.४२१ अ ।
-
-
परम स्वरूप - ३.१३ अ ।
परम स्वाध्याय मोक्षमार्ग २३३६ अ ।
परम स्वास्थ्य - ३.१३ अ, मोक्षमार्ग ३.३३६ अ ।
Page #152
--------------------------------------------------------------------------
________________
परमहंस
परमहंस - ३१३ अ, मोक्षमार्ग ३ ३३५ ब, वेदात ३.५६५
ब ।
परमा- जाति २२२६ ब । परमागम नेत्र अनुप्रेक्षा १.७८ अ
परमागमसार - इतिहास १.३४५ ब । परमा जाति-जाति २३२६ व परमाणु - ३१६ अ, आकाश मे अवस्थान
१२२३ अ
क्षेत्रमा २.२१५ अ, मूर्त ३.३१६ ब वर्गणा
३ ५१५ अ स्कन्ध ४४४६ अ ।
परमात्म ज्ञान - ३१५ ब ।
"
परमाश्म तत्व -३ १८ ब, तत्त्व २ ३५३ ब । परमात्मदर्शन- ३१८ व मोक्षमार्ग ३३३५ व । परमात्मप्रकाश - ३१८ इतिहास १३४१ अ । परमात्मभावना ३१८ व मोक्षमार्ग ३.३३६अ । ब, परमात्मराजस्तोत्र - इतिहास १.३४५ ब । परमात्मस्वरूप - ३.१८ ब मोक्षमार्ग ३ ३३५ ब । परमात्मा - ३.१६ अ, आत्मा १२४४ ब, ज्ञानावरण २२७० व जीव २.६३३ व ध्येय २.५०१ व भव्य ३ २१३ अ । परमाध्वात्मतरंगिनी -३२२अ अमृतचन्द्र ११२३ अ इतिहास १३४६ ॥ परमानंद ३२२ व अनुभव १८५ अ, मोक्षमार्ग ३३३६
2
-
-
ब |
,
परमानंदविलास ३ २२ व इतिहास १.३४८ अ - । परमानंद सूरि - इतिहास १३३१ ब । परमार्थ - ३२२ ब मोक्षमार्ग ३३३६ अ । परमार्थ गीत - इतिहास १३४७ ब । परमार्थ तस्व-३२२ व तत्त्व २.३५३ अ परमार्थ दोहा शतक – इतिहास १३४७ ब ।
परमार्थ बाह्य - ३.२२ ब ।
परमार्थ सत्य उपदेश १.४२४ ब ।
परमावगाढ दर्शनार्य - आर्य १ २७५ अ, ४.३४८ अ । परमावगाढ रुचि सम्यग्दर्शन ४.३४८ व । परमावगाढ सम्यक्त्वार्य - १२७५ अ । परमावगाढ सम्यग्दर्शन - ४.३४९ अ । परमावधि - निर्देश १.१८७ ब,
गुणप्रत्यय ११९३ ब । देशावधि ११६३ ब, विषय ११६६ अ । परमावस्था मोक्षमार्ग ३३३५ व ।
१४६
-
परमुख उदय - उदय १३६६अ, १.३६७ अ, १.३७१ ब । परमेश्वर - ३.२२ ब तीर्थंकर २३७७ ॥
परमेश्वर तत्व-३२२ व ।
परमेष्ठी ३२२ व अनुभव १.५३ अ, ओम् १४६९ व चैत्य - चैत्यालय २.३०१ अ ।
परमेष्ठी (कवि) - ३.२२ व इतिहास १३३०अ १३४२
अ ।
परमेष्ठीगुण व्रत - ३.२३ अ ।
परमेष्ठीप्रकाशसार इतिहास १.३४६ ब । परमेष्ठीसहाय इतिहास १३३४ व
।
1
परमोपेक्षा संयम - चारित्र २२८५ अ २२२ ब, शुद्धोपयोग १.४३१ अ १४३३ ब ।
1
परमोदारिक शरीर अर्हत ११३८ अ, केवली २१५८ ब ।
पर रक्षा असा १२१६ व ।
पर रूप से उदय – उदय १३६६ ब । परलोक
अ, मोक्ष ३३२४ ब
।
परलोक भय भय ३२०६ अ ।
परवश- अतिचार - अतिचार १४३ ब ।
३२३ अ. नि काक्षित २५६५ व भय ३२०६
पर वात्सल्य - उपकार १.४१५ ब ।
पर वाद- ३२३ अ श्रुतज्ञान ४६० अ । पर व्यपदेश - ३२३ ब ।
परशुराम - ३२३ ब ।
- -
पर-मग्रह नय नय २. ५३४ अन्य । पर संग्रहाभास
३५३४ व । पर-संयोगी भगभग ३१६७ अ ।
पर समय- ३२३ व एकान्त १४६५ अ चारित्र २.२८२ य मिथ्यादृष्टि २३०३, ३३०४ अ, समय ४.३२८
अ ।
पर समय उपक्रम - उपक्रम १.४१६ ब । पर सामान्य - सामान्य ४४१२ अ । परस्त्री - स्त्री ४४५० ब ४४५२ अ । परस्त्री त्याग - ब्रह्मचर्य २१०६
३.१९२ अ, ३१९३ ब परस्थान अल्पबहुत्व - ११४६, ११५४, १.१५५, १.१५७, ११६२, ११६६, १.१७२ । परस्थान- गोपुच्छा २.२५४ अ ।
।
परस्थान भागाभाग – ४ ११५ । परस्थान संक्रमण ४.६४ अ परस्थान सन्निकर्ष – ४३१२ अ । परस्पर परिहार- विरोध - विरोध ३५६५ अ । पहिंसा अहिंसा १२१६ व, हिंसा ४५३३ अ । परहित उपदेश १४२५ अ हित ४.५३७ अ । परोभोधि - नारायण ४.१८ ।
।
परा-३,२३ ब ।
-
Page #153
--------------------------------------------------------------------------
________________
पराजय
१४७
परिवर्तन
पराजय -३२३ब।
परिणाम भाव-३३० ब, अध्यवसान १५२ अ, अन्तपरात्मा-३.२३, सप्तभगी ४ ३२१ ब ।
राय कर्म के बन्धयोग्य १.२८ अ, आयुकर्म के बन्धपरामर्शन-स्मृत्यन्तराधान ४ ४६५ ब ।
योग्य १२५४ अ, उदीरणा १४१० अ। उपयोगपरार्थप्रमाण-प्रमाण ३.१४१ अ।
१४२६ अ, कर्मबन्ध १४३४ ब, सयम १.४३४ अ, परार्थाधिगम-१५० ब।
स्वभाव-विभाव १४२६ ब । करण–२५ ब, अधपरार्थानुमान-१.९७ अ-६८ ब ।
प्रवृत्त करण २.८-११, अनिवत्तिकरण २१३-१४. परावर्त-३२३ ब।
अपूर्वकरण २ १२ अ, २१३ अ, करणत्रिक २७ अ, परावर्तन--कृतिकर्म (आवर्त) १.२७६ अ, संसार (परि
२१४ अ, त्याग २३६६ ब, पारिणामिक ३ ५४ ब, वर्तन) ४१४७ अ।
प्रकृतिबन्ध ३.८८ ब, ३६० अ, प्रायश्चित्त ३१६०
अ, बन्ध ३ १७५ अ, भाव ३.२१७ ब, योगस्थान पराशर-३२३ ब, कुरुवश १ ३३५ ब, १३३६ अ ।
३.३८२ अ, सल्लेखना ४३६० ब । परिजा--३२३ ब, मनुष्यलोक ३.२७५ ब ।
परिणाम-योगस्थान-३३८२ अ । परिकर्म-३२३ ब, श्रुतज्ञान ४.६८ ब ।
परिणाम-शक्ति . ३३२ ब । परिकर्म (शास्त्र)-इतिहास १३४० ब ।
परिणाम-शुद्धि-उदयाभाव १३६६ ब । परिकर्माष्टक-३ २३ ब, गणित २.२२२ अ ।
परिणामी-३.३२ ब, कर्ता-कर्म २१८ अ, गुण २२४१ परिगणित-३२३ ब ।
ब, द्रव्य २४५६ ब, समयसार ४३२६ अ। परिग्रहीता-३.२३ ब ।
परितापन-अध कर्म १.४८ अ । परिग्रह-३ २३ ब, अचेलकत्व १.४० अ-ब, अपवाद मार्ग
परितापन कर्म-कर्म २.२६ अ । ११२२ ब, उपधि १.४२७ अ, सज्ञा ४.१२०,
परिदावन-३ ३२ ब । ४.१२१ अ, हिंसा १.२१७ अ, ४५३२ ब।
परिदेवन-३.३२ ब । परिग्रह-त्याग–अचेलकत्व १.४० अ-ब, अहिसा १.२१७
परिधि---३.३३ अ। गणित-क्षेत्रफल २.२३२ ब, वलय अ, चारित्र २२६४ अ, परिमाण ३२६ अ, ३.२७।।
२२३३ ब, वृत्त २२३२ ब। सुमेरु की परिधियाँ परिग्रह-त्याग-अणुव्रत-परिग्रह ३२६ अ, ३ २७ ।
३४४६अ। परिग्रह-त्याग-प्रतिमा-परिग्रह ३.२६ अ, ३ २७ ।
परिनिवत्ति क्रिया-संस्कार ४.१५३ अ। परिग्रह-त्याग-महाव्रत-परिग्रह ३२६ अ ।
परिनिष्क्रमण-आहारक शरीर १ २६६ ब । परिग्रह-त्याग व्रत-परिग्रह ३.२६ अ, व्युत्सर्ग ३ ६२४ अ।
परिपट्ट-व्युत्सर्ग दोष ३५२६ अ । परिग्रह-भाव-राग ३.३९६ ब।
परिपीडित-३ ३३ अ, वसति का दोष ३६२२ ब । परिचारक-३३० अ, सल्लेखना ४.३६२ अ, ४.३६४ ब ।
परिभोग-भोग-परिभोग ३२३७ ब । परिचित-निक्षेप २६०२ अ ।
परिभ्रमण-योग ३.३७५ अ, योग (जीवप्रदेश) ३.३७५ परिच्छेद-अनुयोग १.१०२ अ, ज्ञानावरण २२७० ब। अ, संसार ४.१४६ ब । परिणमन-३३० अ, ३३१ अ, (अलोकाकाश) २८५ब, परिमल्ल (कवि)-इतिहास १३४७ ब ।
उत्पादादि १.३५८ अ, १.३६१ ब, १३६२ ब, कर्ता- परिमह-३३३ अ। कर्म २१६ ब, २१८ अ, २.१६ अ-ब, २.२१ अ। परिमाण-३३३ अ । कारणकार्य-निमित्त २.६८ अ, योग्यता २६१ अ, परिमाणगत प्रत्यय-३.१३१ ब। स्वतंत्रता २६० अ-ब, २.६६ ब, काल २.८५ अ, गुण परिमाणहीन-३.३३ अ। २.२४१ ब, द्रव्य २४६० ब, धर्म-अधर्म द्रव्य २४८६ परिमित -३३३ अ, सत्य ४ २७० ब ।
ब, भाव ३.२१७ ब, ३ २७७ ब, वस्तु ३ ५३० ब । परियात्रा-मनुष्यलोक (पर्वत) ३.२७५ ब । परिणाम (परिणमन)-३३० ब, उपादान १.४४३ ब, परिवर्त-३ ३३ अ, आहार दोष १२६० ब. उहिष्ट दोष
कर्ता-कर्म २.१६ ब, २१८ अ, २.१६ अ-ब, २.२१ १४१३ अ। अ, कारण-कार्य २५५ अ, काल २.७९ अ, २.८२ अ, परिवर्तन--३३३ अ, आर्यखण्ड १.२७५ अ, उत्पादादि २.८३ अ, पर्याय ३.३१ अ, ३.४५ ब ।
१३६१ ब, कर्म २.२६ अ, गणित २ २२६ अ-ब, संसार परिणाम परिणामक शक्ति-३.३० ब ।
४.१४६ ब ।
Page #154
--------------------------------------------------------------------------
________________
परिवर्तना
परिवर्तना- २३३ अ उपयोग १४२९ व परिवर्तमान परिणाम परिणाम ३१ व
परिवार - देवी - वैमानिक इन्द्र आदि की -- आयु १२७० । परिवार - मंडप - समवसरण ४ ३३० अ ।
परिशातन कृति - ३ ३३ अ । परिशेष न्याय ३३३ अ ।
परिषह - ३३३ अ, कायक्लेश २४८ अ, केवली २.१६० ब ध्यान २.४६३ व सामायिक ४.४१७ अ । परिषह जय -- ३.३३ ब । परिसर्पतिर्यच निर्देश २.३६७ व आयु १.२६३ । परिस्पंद - ३.३५ अ, त्रिया २.१७३ अ योग ३ ३७६ अ । परिस्पदन उत्पादादि ( धर्म आदि द्रव्य) १३६२ ब । गति २२३५ अ । जीवप्रदेश २३३६ व, योग ३.३७५
अ !
परिस्पंदात्मक किया - ३.४७ अ ।
}
परिहार – ३३५ अ उपयोग (विषकुभ) १४३४ अ परिहारविशुद्ध १.३६ अ ।
"
परिहार प्रायश्चित ३३५ अ । परिहार- विशुद्धिसंयम ३३६ अ छेदोपस्थापना २.३०८ अ, सब्धिस्थान वा अल्पबहुत्व १.१६०, वेदभाव ३५०० व सिद्धों का अल्पबहुत्व ११५३ प्ररूपणा -बन्ध ३.१०६ स्थान ३११३ । उदय १३०२, उदयस्थान १३६३, उदीरणा १.४११, सत्व ४.२८३ । मोह-स्थितिसत्त्व ४.३०६ अ सत्त्वस्थान ४.३०१, ४.३०५, त्रियोगी भग १४०७ । सत् ४.२३५, सख्या ४.१०६ क्षेत्र २.२०४, स्पर्शन ४४८६, काल २.११४, अन्तर १.१६ भाव ३२२१ अ अल्पबहुस्व १. १५१ ।
समिति ४ ३४० अ
३३८ अ, उपदेश १.४२५ व, कहा १४४५ व निक्षेप २५६२ अ, न्याय २६३४ ब, विचय ३५४१ व, विनय ३५५४ अ, बदान ४४४ अ सल्लेखना ४.३६० ब ।
परीक्षामुख २.३८ अ इतिहास १३४३ अ ।
परिहास
परीक्षा
-
परीक्षित- ३.३० अ कुरुवंश १.३१० ब । परीत ३.३८ अ, अनन्त व असख्यात २.२१४ व वर्गणा
३.५१४ व । परीतवर्गणा - ३ ११४ व
परीतानत - १५५ अ ।
१४८
परीतासंख्यात - १२०६ अ । परीलेखा -- ३.३८ अ ।
परुषवचन
-असत्य १.२०८ अ ।
2
परोक्ष ३३८ व अनुभव १.८३, १८७ अ अवधिमन पर्यय १.१० व प्रमाण ३१४१ व मति श्रुत
१८१ ब ४६३ ब, श्रुनज्ञान ४६३ ब, स्वाध्याय ४.५२४ अ ।
परोक्षज्ञान- देशतः (प्रमाण) ३१४१ व परोक्ष विनय-विनय ३५४९ व
पर्याप्तिनाम - कर्मप्रकृति
परोक्षाभास - ३३९ अ ।
परोदय- ३३९ ब उदय १३६६ अ
१३७१ ब ।
१३६७ अ
परोदयबंधी प्रकृति -१३१८ अ, बन्ध उदय सयोगी प्ररूपणा १ ३६६ ।
परोपकार उपकार १.४१५ अब उपदेश १.४२५ अ १४२६ व कर्ता-कर्म २२३ ।
--
परोपघात - हिंसा ४५३३ अ । परोपदेशनिमिलक मिथ्यादर्शन- मिथ्यादर्शन ३३००
३३०१ अ ।
परोपरोधाकरण - अस्तेयव्रत १२१४ अ ।
पर्यासन -आसन १२८१ व कायक्लेश २.४७ व कृतिकर्म २.१३४ व २ १३५ अ-ब ।
पर्यकासन तप — कायक्लेश २ ४७ ब । पर्यनुयोज्योपेक्षण निग्रहस्थान - १.३१ व । पर्यवसन- ३३९ व
पर्याप्त (जीव ) - अकालमृत्यु ३२८५ अ, आयु १.२६३,
आहारक १.२९५ अ, आहारक काय योग १२१८ अ, काय २.४४, काययोग २४६ व केवली समुद्घांत २१६८ अ, जीव २३३३ ब, जीवसमास २.३४३, तिच २३६७, निगोद (वनस्पति) ३.५०९ अ ३५१०, पर्याप्ति ३४० ब, प्राण ३१५३ ब, मनुष्य ३२७३, मरण ३२८५ अ, मार्गणा ३२६८ अ, मिश्रगुण-स्थान ३.३०८ ब सहनानी २२१६ अ । पर्याप्ति- ३३९ व निगोद (वनस्पति) २.५०९ अ ब, ३५१०, योग ( मन ) ३.३८० अ पर्याप्तिकाल -- नामकर्म उदयस्थान १.३६३-३९७ । पर्याप्तिनाम-कर्मप्रकृति प्ररूपणा - प्रकृति ३.०२५८३ स्थिति ४.४६६, अनुभाग १.६५, प्रदेश ३.१३६, बध ३१६, ३६७, बधस्थान ३११० उदय १३७५, उदयस्थान १३९०, १३६७, उदीरणा १४११, उदीरणा-स्थान १४१२, सत्त्व ४२७६, सत्त्वस्थान ४.२०३, त्रिसयोगी भंग १४०४, सक्रमण ४.८५ अ अल्पबहुत्व ११६७ अ ।
Page #155
--------------------------------------------------------------------------
________________
पर्याय
१४६
पर्याय-३४४ ब, ३ ४५ ब । उपचार-गुणारोप १४२१ पर्वोपवास-क्षुल्लक २१८६ अ।
ब, द्रव्यारोप १४२१ अ, पर्यायारोप १४१६-४२१। पल-३५० ब, काल का प्रमाण २२१७ अ, तौल का उत्पादादि-१३५८ स, १३६० ब, १३६१ अ-ब,
प्रमाण २२१५ अ।
पलाय-मरण-मरण ३.२८१ ब । १३६२ अ, उत्पाद १३५७, ध्रौव्य १३५८ अ, १३६२ अ,व्यय १३५७ ब, सदसत् १३५७ ब, कारण
पलाशगिरि - ३ ५० ब । कार्य २५४ ब, २५५ अ, काल २७६ अ, भाव
पलिकुंचन--३५० ब ।
पल्यंकासन-आसन १२८१ ब, कायक्लेश २.४७ ब, ३२१७ ब, सप्तभगी ४३२१ ब, ४३२२ ब।
कृतिकर्म २.१३४ ब, २१३५ अ-ब । पर्याय-ज्ञान-- अक्षर १३२ ब, श्रुतज्ञान ४६४ ब,
पल्यंकासन तप-कायक्लेश २.४७ ब । ४६५ ब। पर्याय-नय-नय २५२३ अ ।
पल्य-३५० ब, उपमाकाल प्रमाण २.२१७ ब । पर्यायवत्त्व-३.५० ब।
पल्लव-३५०ब। पर्यायवाची शब्द -- शब्दमय २५३६ ब, २५४० अ।
पल्लव-विधान व्रत-३५० ब । पर्यायवान्--द्रव्य २४५४ अ।
पवनजय-३ ५१ अ, अंजना १२ अ, चक्रवर्ती ४१३ अ,
४१५ब। पर्यायसमास - श्रुतज्ञान ४६५ब ।
पवन-राक्षसवश १.३३८ अ, वायु ३ ५३४ ब । पर्यायसमास ज्ञान--श्रुतज्ञान ४६५ अ ।
पवनदूत-इतिहास १३४७ अ । पर्यायांश-उत्पादादि १३६१ ब ।
पवाइज्जमाण-३५१ अ । पर्यायाथिक-नय २५१४ ब, २ ५१५ अ, २५२६ ब,
पशु-३ ५१ अ, संगति ४.११६ ब । निक्षेप २५६३ ब।
पशुक्रदन--नेमिनाथ २३८२ । पर्यायाथिक चक्षु-एकान्त १४६२ ब ।
पश्चात्-आनुपूर्वी- यानुपूर्वी १२४६ ब । पर्यायाथिक नयनय २५४६ अ, २५५१ अ, २५५६
पश्चात् स्तुति दोष-३ ५१ अ, आहार १.२६१ ब, अ, पर्याय ३.५० ब, (व्यवहार) नय २५५६ अ,
वसतिका ३५२६ ब । स्याद्वाद ४.४६८ अ।
पश्चात्ताप-प्रायश्चित्त ३१५६ अ। पर्यायोपचार-उपचार १४२१ अ-ब ।
पश्चिमा-विद्याधर नगरी ३ ५४५ ब । पर्युदास अभाव-अभाव ११२८ अब ।
पश्यंती--भाषा ३.२२७ ब। पर्व-३ ५० ब ।
पाँच - अग्नि १३५ ब, अतिचार ३६२६ ब, अनुत्तरपर्वत (नाम)- नारायण ४१८, विद्या ३५४४ अ । विद्या
विमान १५१०अ, ४५१४ ब, अनुमानावयव १६८ धर वश १.३३६अ।
ब, अस्तिकाय १२११ अ, आचार १२४० अ, पर्वत-३५० ब, क्षेत्रफल २२३३ अ, अन्यमत मान्य
इन्द्रिय १३०१ ब, उदम्बर फल १३६३ अ, --आधुनिक ३ ४३६ । चातुर्दीपिक भूगोल ३.४३७ कल्याणक २३२ अ, क्षायिकलब्धि ३४११ ब, ब, चित्र ३४३७ ब । बौद्धाभिमत ३४३४ अ, चित्र ज्ञान २.२५६ ब, चूलिका (श्रुतज्ञान) ४६६ ३४३५ । वैदिकाभिमत ३४३१ ब, चित्र ३४३२ ।
अ, नमस्कारमन्त्र ३२४७ अ, परमेष्ठी ३.२३ अ, पर्वत (जैनमत मान्य)- काचनगिरि ३ ४५३ अ, ४५६ ब, परिवर्तन (ससार) ४.१४७ अ, पाप ४.४१७ ब,
गजदन्त ३ ४५२ ब, ३४५६ ब, दिग्गजेन्द्र ३४५३ भाव ३२१८ ब, भावना ३ २२४ ब, मेरु (पूजा) अ, ३.४५६ अ, नाभिगिरि ३४४६ अ, यमकगिरि
३७५ ब, यम (महाव्रत) ३६२७ ब, लब्धि ३.४१२
अ, व्रत ३६२७ ब, शरीर ४६ अ, समिति ४३३६ ३.४५३ अ, ३४५६ ब, वक्षारगिरि ३.४६० अ,
अ, सूनादोष २.२६ ब । वर्षधर ३ ४४६ ब, विजया ३४४८ अ, वृषभगिरि
पांचजन्य शंख-नारायण ४११ ब । ३४४६ अ । लवणसागर मे स्थित-निर्देश ३.४६२
पांचाल-३५१ अ, मनुष्यलोक ३ २७५ अ-ब । अ, नामनिर्देश ३४७४ ब, विस्तार ३४७६, अकन
पांडव-३.५१ अ। ३४६१, वर्ण ३.४७७, ३ ४७८ ।
पांडवपुराण-३.५१ ब, इतिहास-द्वितीय १३४६ अ, पर्वत-गफा-वसतिका ३.५२७ ब ।
तृतीय १३४७ अ । पर्वबीज-वनस्पति ३५०२ व, ३.५०६ अ ।
पांडु-३ ५१ ब, कुरुवंश १३३६ अ, चक्रवर्ती ४.१४ ब,
Page #156
--------------------------------------------------------------------------
________________
पाडुकंबला शिला
१५०
पाप-आस्रव
विद्या ३५४४ अ। श्रुनकेवली (मूलसघ) १.३१६, पातंजल भाष्यवातिक-साख्यदर्शन ४ ३९८ ब । इतिहास १३२८ अ, विद्याधरवश १३३७।
पातक-सूतक ४४४२ ब । पांडकबला शिला-३५१ ब, पाण्डुकवन मे स्थित -निर्देश पाताल - ३.५२ अ, तीर्थकर विमलनाथ का यक्ष २३७६. ३४५० ब, अकन ३४५० ब, वर्ण ३४७७ !
यदुवश १.३३७ । लवणसागर में स्थित-निर्देश पांडुक -३५१ ब, कुण्डलवर पर्वत का देव-निर्देश ३ ४६० ब, नामनिर्देश ३.४७४ ब, विस्तार ३ ४७६,
३ ४७५ ब, अकन ३ ४६७ पाण्डुकवन का लोकपाल अंकन ३४६१, चित्र ३४६२ अ। भवन ३.४५० ब, विद्याधर नगरी ३५४५ ब, मातग पात्र-३५२ अ, अचेलकत्व १४० ब, पाणिपात्राहारी वश १३३६ ब।
क्षुल्लक २.१८६ अ, पाणिपात्राहारी साधु १.२८६ पांडुकवन-३.५१ ब, चैत्य-चैत्यालय २३०३ अ, सुमेरु, अ, श्वेताम्बर ४७६ ब।
पर्वत--निर्देश ३४५० अ, विस्तार ३४८८, अकन पात्र-अपात्र-उपदेश १४२५ ब, दान ३५२ अ, श्रावक ३४४६, चित्र ३४५० ब। पाण्डुक वन का भाग धर्म ४.४६ अ, श्रोता ४७५ अ। ३४५० ब ।
पात्रकेसरी-३ ५२ ब, मूलसघ १३२२ ब। इतिहासपांडुक शिला-पाण्डक वन मे स्थित-निर्देश ३ ४५० ब, १३२६ अ,१३४१ अ। विस्तार ३४८४, अकन ३.४५० ब, वर्ण ३.४७७ ।
पात्रकेसरीस्तोत्र-३.५३ अ, इतिहास १३४१ अ । पांडकी विद्या-विद्याधर वश १३३६ अ।
पात्रग्रहण-अचेलकत्व १.४० ब, श्वेताबर ४७६ ब । पांडकेय- विद्याधर वश १.३३६ अ ।
पात्रत्व-अधिकार-ब्राह्मण ३.१६६ अ। पांडुर-३.५१ ब, कुण्डलवर पर्वत का देव-निर्देश ३ ४७५ पात्रदत्ति-दान २४२२ ब। ब, अकन ३ ४६७ ।
पात्रदान-दान २.४२४ अ । पांडुशिला-३५१ ब, पाण्डुवन मे स्थित-निर्देश ३ ४५० पात्रदोष--आहार १२६२ अ, उद्दिष्ट १४१३ अ ।
ब, विस्तार ३.४८४, अंकन ३.४५० ब, वर्ण ३ ४७७ । पात्री-चैत्य-चैत्यालय २३०२ आ। पांड्य - ३.५२ अ, मनुष्यलोक ३२७५ ब ।
पाद-३५३ अ, क्षेत्र का प्रमाण २२१५ अ, वर्गमूल पांड्य वाटक-३.५२ अ, मनुष्यलोक ३.२७५ ब ।
२२२३ अ। पांशुतापि-३५२ अ, देव आकाशोपपन्न २४४५ ब। पावतप-कायक्लेश २ ४७ अ। पांशमल-३५२ अ, विद्या ३५४४ अ, विद्याधर नगरी पावपीठ-अर्हन्तातिशय ११३७ ब । ३५४५ अ।
पादानुसारी ऋद्धि-ऋद्धि १.४४६ ब, गणधर २.२१२ब। पांशुमलिक-विद्याधरवश १.३३६ अ।
पादुकार----३.५३ अ। पांशमलिक विद्या-विद्याधरवश १३३६ अ ।
पादेन किंचित् ग्रहण-आहारान्तराय १२६ ब । पाकर फल-भक्ष्याभक्ष्य ३.२०३ ब ।
पादोपगमन-सल्लेखना ४३८७ अ । पाक्षिक आलोचना-आलोचना १२७६ ब।
पाद्यस्थितिकल्प--३५३ अ। पाक्षिक प्रतिक्रमण-प्रतिक्रमण ३ ११६ अ, व्युत्सर्ग ३ ६२१ पान-३५३ अ, आहार १२८५ अ । अ.
पानक-३५३ अ। पाक्षिक श्रावक-दर्शनप्रतिमा २४१८ अ, श्रावक ४४८ पानकाहार- सल्लेखना ४३६३ ब । अ, ४४६ ब ।
पानदशमी व्रत- ३.५३ ब । पाखडी-मूढता ३ ३१५ ब ।
पानभोजन-अहिंसा १२१६ अ। पाटला-तीर्थकर वासुपूज्यनाथ २.३८३ ।
पानी छानना-जल-गालन २३२५ अ-ब, श्रावक ४.५० पाटलिका - चैत्यचैत्यालय २३०२ अ । पाटलीपुत्र-३.५२ अ, इतिहास १३१० ब।
पाप-३.५३ ब, अन्तरंग भाव ३६० ब, उपयोग १४३४ पाणिपात्र-आहार १२८६ अ, क्षुल्लक २१८६ अ ।
अ, चारित्र २.२८३ अ, चारित्र मोहनीय ३३४३ ब, पाणितः जंतुवध-आहारान्तराय १२६अ।
धर्म २४७० ब, पुज्य ३.६० ब, ३६१ अ, ३६४ अ, पाणितः पिंडपतन-आहारान्तराय १२६ अ ।
प्रकृति ३८६ अ-ब, मिथ्यादर्शन ३३०१ अ। पाणिमुक्ता गति-विग्रहगति ३.५४० ब ।
पाप-पालव-३,५३ ब ।
Page #157
--------------------------------------------------------------------------
________________
पापकर्म कसर्गता
१५१
पाल्यकीर्ति
पापकर्मैकसर्गता-व्युत्सर्ग ३ ६२२ अ ।
पारिणामिक स्वभाव-उत्पादादि (ध्रौव्य) १.३५८ । पापक्रिया-निरोध-चारण ऋद्धि १.४५१ ब ।
पारिणामिकी ऋद्धि-१४४८, १४५० अ। पापजीव-जीव २ ३३३ ब, २.३३४ अ, निन्दा (साधु) पारितापिकी-हिंसा ४.५३२ । २५८६अ।
पारितापिकी क्रिया--क्रिया २१७४ ब । पापप्रकृति-अनुभाग १.६० ब, प्रकृति ३ ८६ अ, ३.६१
पारियात्र-३ ५६ अ । अ।
पारिवाज्य क्रिया-संस्कार ४१५३ अ । पापभीर-आगम १.२३७ अ, आचार्य १२३२ अ, सल्लेखना ४३६१ ब ।
पारिषद-३.५६ अ। पापभीरता -- एकान्त १४६३ ब् ।
पारिषददेव - ज्योतिषीदेव-२३४६ अ । भवनवासी देव पापमोहितमति-निन्दा (साधु) २५८६अ।
-निर्देश ३.२०६ अ, जम्बू-शाल्मली वृक्षस्थल पापश्रमण-निन्दा (साधु) २५८६ अ।
३४५८-४५६, पद आदि ह्रद ३ ४५३-४५४, श्री ह्री
आदि देवियो का परिवार ३६१२ अ, आयु १२६५ । पापसवर-सवर ४१४३ ब ।
वैमानिक देव-स्वर्गो मे ४५१२, सुमेरु पर्वत की पापसूत्र--यज्ञोपवीत ३.३७० अ ।
पुष्करिणी ३ ४५०-४५१, आयु १२६६ । इनकी पापानुबंधी पुण्य-पुण्य ३ ६४ अ, मिथ्यादष्टि ३३०६ अ।
देवियाँ-निर्देश ४ ५१३, आयु १२७०, व्यन्तर देवो पापास्त्रव-३५३ ब । पापी-धर्म २ ४६८ अ, मिथ्यादर्शन ३३०१ अ ।
के ३ ६११ ब ।
पार्थसारथि मिश्र-मीमासादर्शन ३३११ अ। पापोपदेश-अनर्थदण्ड १६३ अ ।
पार्थिवी धारणा-पृथिवी ३ ८४ ब । पामिच्छ -३५४ ब, वसति का दोष : ५२६अ।
पार्वतेय-मातग-वश १३३६ ब, विद्याधरवंश १३३६ पामीर-३ ५४ ब। पारचिक-परिहार-प्रायश्चित्त - परिहार-प्रायश्चित ३३५
पार्श्व-३५६ ब, नेमिनाथ का यक्ष २ ३७६ । ब, प्रायश्चित्त ३ १६१ ब । पारणा-प्रोषधोपवास ३.१६३ अ।
पार्श्वकृष्टि-कृष्टि २ १४१ अ । पारपरिमित -३.५४ ब ।
पावचंद्र गच्छ-~-श्वेताबर ४७७ ब।
पार्श्वदेव-इतिहास १३३२ अ, १३४४ ब । पारमाथिक-प्रत्यक्ष ३ १२३ अ। पारमार्थिक ध्यान-ध्यान २.४६७ अ ।
पार्श्वनाथ-३५६ ब, तीर्थकर २३७६-३६१ । पारमार्थिक प्रत्यक्ष-प्रत्यक्ष ३१२२ ब ।
पार्श्वनाथ प्रतिमा (फण)-पूजा ३७८ अ। पारमार्थिक सुख-सुख ४.४३० ब ।
पार्श्वनाथ काव्य पजिका-३५६ ब, इतिहास १३४६ ब । पारलौकिक भय-भय ३.२०६ ब ।
पार्श्वनाथचरित्र- इतिहास १३४३ ब । पारा-३ ५४ ब, मनुष्यलोक ३ २७५ ब, ३.२७६ अ ।
पार्श्वनाथ पुराण-१३३२ अ, १३३३ ब, १.३४५ ब, पारामष्य-३५४ ब ।
१३४७ ब। पाराशर - ३ ५४ ब, एकान्ती १४६५ ब, विनयवादी पार्श्वनाथ स्तोत्र इतिहास १ ३४४ अ । ३.६०५ अ।
पार्श्वपंडित--३५६ ब, इतिहास १३३२ अ। पारिग्राहिको क्रिया-क्रिया २१७४ ब ।
पाश्वपुराण--३ ५६ ब । इतिहास १३४२ ब, १३४७
अ-ब । | पारिणामिक- ३५४ ब । पारिणामिक गति-२२३५ अ ।
पाश्वंशम्याशन तप कायक्लेश २.४७ ब ।
पार्श्वस्थ (साधु)-३५६ ब, विनय ३ ५५३ अ, साधु परिणामिक परमाणु- स्कन्ध ४ ४४८ ब । पारिणामिक भाव-३ ५५ अ। उत्पादादिक १.३५८ अ,
४४०८ अ। गुण २२४१ ब, २२४२ ब, ध्येय २५०१ ब, परम पार्वाभ्युदय-३ ५७ अ, इतिहास १३४२ अ । ३ १२ ब, भव्य ३.२१४ अ, भाव ३२१६ अ, मोक्ष- पालंब-३.५७ अ, अतकृतकेवली १.२ ब। मार्ग ३ ३३५ ब, ३.३३७ ब, ३३३८ अ, योग पालक-३ ५७ अ, मगधव श १३१० ब। ३.३७७ ब, सन्निपातिक भाव ४३१२ ब्र, सासादन पालिकंचन-अतिचार १४४ अ । ४.४२४ अ।
पाल्यकीति- इतिहास १३३० अ, १.३४२ अ ।
Page #158
--------------------------------------------------------------------------
________________
पावापुरी
पुडरीकिनी (देवी तथा वापी):
पावापुरी-वर्द्धमान तीर्थंकर २३८५।
पिशाच देव-प्ररूपणा -बन्ध ३ १०२, बन्धस्थान ३ ११३, पाविल-तीर्थंकर २ ३७७ ।
उदय १३७८, उदयस्थान १.३९२ ब, उदोरणा पाषाण-रत्नप्रभा (१६वी पृथिवी) ३.३६१ अ, श्रोता १.४११ अ, मत्त्व ४.२८२, सत्त्वस्थान ४.२६८, ४७४ ब ।
४३०५, त्रिसयोगी भग १४०६ ब। सत् ४.१८८, पासणाहचरिउ-इतिहास १.३३१ अ-ब, १३३३ अ,
सख्या ४६७, क्षेत्र २ १६६, स्पर्शन ४.४८१, काल १३४६ अ।
२१०४, अन्तर १.१०, भाव ३ २२० अ, अलबहुत्व पासपुराण-इतिहास १.३४६ अ।
११४५। पाहुड-३ ५७ अ, इतिहास १३४० ब ।
पिशुलि-३ ५६ ॥ कुदकुद २.१२८ अ, प्राभूत ३ १५६ ब ।
पिण्टाक-स्वर्ग पटल-निर्देश ४ ५१७, विस्तार ४.५१७, पाहुडदोहा- इतिहास १.३३३ अ, १३४६ ब ।
अंकन ४५१६ ब । देव आयु १.२६७ । पाहुडिक-३ ५७ अ, पुत्सर्ग दोष ३ ५२८ ब।
पिहित दोष-३५६ अ, आहार १.२६१ ब, वसतिका पिंगल-३ ५७ अ, चक्रवर्ती ४१४ ब, यदुवंश १३३७ ।
३५२६ ब । पिंगल (शास्त्र)--इतिहास १३४७ अ।
पिहितास्रव-३.५६ अ, पद्पप्रभ सुपार्श्वनाथ २ ३७८ । पिंजरा-३ ५७ अ।
पीछी (पिच्छिका)-३ ५८ अ, अयालन्दचारित्र १४६, पिंड-३.५७ ब।
अधिकरण १.४६ ब, अपवादमार्ग ११२२ ब, क्षुल्लक पिंडपद भंग-भग ३ १९७ अ।
(वस्त्र की) २१८८ ब, विहार ३ ५७४ ब । समिति पिंडप्रकृति -नामकर्म २५८४ अ।
४३३६ ब, ४ ३४० अ, ४३४१ अ-ब, ४.३४२ अ, पिंडशुद्धि--आहार १२८७ अ, १२८६ अ।
सल्लेखना ४.३६२ अ, ४ ३६७ अ। पिंडस्थ-ध्यान-३ ५७ ब ।
पोठ-३५६ अ, कृतिकर्म २.१३५ ब, चक्रवर्ती ४.१० अ, पिच्छ –सल्लेखना ४.३६२ अ ।
यदुवश १.३३७, रुद्र ४२२ अ, शान्तिनाथ का रुद्र पिच्छिका-३ ५८ अ, अथालन्दचारित्र १४६ अ, अधि- २.३६१।
करण १४६ ब, अपवादमार्ग ११२२ ब, क्षुल्लक पीठयत्र-३ ३५५ । (वस्त्र की) २१८८ब, विहार ३.५७४ ब । समिति पीतलेश्या-निर्देश ३४२३ ब, प्ररूपणा-बन्ध३१०७ ४ ३३६ ब, ४३४० अ, ४ ३४१ अ-ब, ४.३४२ अ, आयु बन्ध १२५६ अ, बन्धस्थान ३११३, उदय सल्लेख ना ४ ३६२ अ, ४ ३६७ अ ।
१३८४, उदयस्थान १ ३६३ ब, सत्त्व ४.२८४ सत्त्वपिच्छिका निक्षेप-अधिकरण १.४६ ब, समिति ४ ३४०अ । स्थान ४ ३०१, ४३०६, त्रिसंयोगी भंग १४०७ ब । पिटारे-तीर्थंकर देव के वस्त्राभरण वाले-सुधर्म सभा सत ४ २४६,सख्या ४.१०८, क्षेत्र २ २०५, स्पर्शन ४.४४५ ब, स्वर्ग ४.५२१ अ।
४४६०, काल २.११५, अन्तर ११८, भाव ३ २२१ पिठरपाक-३५८ ब, वैशेषिक दर्शन ३.६०८ ब।
ब, अल्पबहुत्व ११५१ । पिता-मघा नक्षत्र २५०४ ब ।
पीपल-तीर्थकर अनन्तनाथ २३८३, भक्ष्याभक्ष्य ३.२०३ पितकायिक-३.५८ ब, आकाशोपपन्न देव २.४४५ ब । पितृघाती कुल-मगध वंश १ ३१० ब ।।
पोलुपाक-वैशेषिक दर्शन ३.६०८ ब । पित्त--३५८ ब, औदारिक शरीर १४७२ अ ।
पुंजस्थल-इक्ष्वाकुवंश १ ३३५ ब । पिपासा -३५८ ब, क्षुधा २.१८७ ब, परिषह ३ ३३ ब, पुंडरीक-३५६ अ, तीर्थकर २३६१, तीर्थकर विमलनाथ ३३४ अ।
का रुद्र २३६१, पुष्करार्ध का रक्षक देव ३.६१४, पिलखन फल-भक्ष्याभक्ष्य ३.२०३ ब।
रुद्र ४२२ अ, विद्याधर नगरी ३.५४५ अ, श्रतज्ञान पिशाच-३.५८ ब, व्युत्सर्ग ३ ६२२ अ।
४.६१ ब, संख्या का प्रमाण २.२१४ ब। हृद-निर्देश पिशाच देव --३ ५८ ब । निर्देश ३ ६१० ब, अवगाहना
३५९ अ, ३.४४६ ब, ३४५३ ब, विस्तार ३४९० १.१८०, अवधिज्ञान १.१९८ ब, आयु १.२६४ ब ।
३४६१, अंकन ३४४४ (चित्र सं. १३), ३.४६४ इन्द्र-निर्देश ३ ६११ अ, शक्ति आदि ३.६१०-६११, (चित्र सं. ३७), चित्र ३४५४ । वर्ण व चैत्यवृक्ष ३६११ अ, अवस्थान ३६१२- पुंडरीकिनी (देवी तथा वापी)-३ ५६ अ, नन्दीश्वर द्वीप ६१४।
की वापी-निर्देश ३.४६३, नामनिर्देश ३.४७५ ब,
kumadain hushal
Taitadiutke.
Page #159
--------------------------------------------------------------------------
________________
पुंडरीकन नगरी
रुचकवर पर्वत की अकन ३.४६८,
विस्तार ३४११, अंकन ३.४६५ दिक्कुमारी निर्देश ३४७६ अ ३४६१ । वक्षारगिरि का कूट तथा देवी -निर्देश ३४७२ व विस्तार ३४५२, ३४८५, ३४८६, अंकन ३४४४ ।
पुंडरीकनी नगरी - ३५६ अ, चक्रवर्ती ४१० ब तीर्थकर ऋषभदेव तथा शान्तिनाथ २३७८, तीर्थकर चन्द्रानन आदि विदेहस्थ २३१२, बलदेव, ४१६ ब । विदेह नगरी - निर्देश ३४६० अ, नामनिर्देश ३४७० ब, विस्तार ३४७६, ३४८०, ३४८१, अकन ३४४४, ३४६४ (चित्र नं. २७), ३.४६० अ ।
३५ अ मनुष्यलोक ३ २७५ ब । पंवर्धन २५९ अ अहंडली ११३८ वेद - मोहनीय ३३४४ व विशेष टे० पुरुषवेद ।
।
1
पुण्य (तत्व) - ३५६ अ, उपयोग १४३२ अ, १४३३ अ, १४३४ अ-ब १४३५ अ चारित्र २२५३ अ तस्व २३५४ व धर्म २४७४ व धर्मध्वान २.४८३ व मिथ्यादृष्टि ३३०६ अ शुभोपांग १४३३ अ १ ४३४ अ ।
7
,
पुण्य (नाम) क्षौद्रवर द्वीन का रक्षक देव ३६१४ । पुण्य-अव पुण्य ३ ६० ब ।
पुण्यकर्म पुण्यकर्म ३६० अ - ।
-
―
पुण्यचंद्र - विद्याधरवश १३३९ अ । पुष्यजीव-जीव २३३३ व २.३३४ अ, पुण्य ३ ६० अ । पुण्यप्रकृति निर्देश-३ ८१ व ३६१ अ, अनुभाग ११० "ब, अनुभाग काण्डक घात १.११७ ब । पुष्पप्रभ३६६ व क्षौद्रवर द्वीप का देव ३६१४ । पुण्यमूर्ति तीर्थकर २३७७ ।
पुण्ययज्ञ
क्रिया सस्कार ४ १५२ ब ।
पुण्यानुबंधी पुण्य – पुण्य ३ ६४ अ, मिथ्यादृष्टि ३३०६ अ । पुण्यासवकचाकोष २६६ व इतिहास १ ३४५ अ । पुतली - नरक मे लोहे की पुतली २.५७२ ब । पुद्गल – ३६७ अ, अनुभाग १८८ ब, अल्पबहुत्व १.१४२ ब, अवस्थान (लोकाकाश) १२२३ व अस्तिकाय १२११ व, आकाश में अवस्थान १२२३ ब, उपकार (कारण) २६३ व कर्म (क्रिया) २२० ब कारणकार्य २६३ ब, गति ( स्वभाव-विभाव) २२३५ ब, जीव २ ३३३ ब, परमाणु ३१५ अ, विभाव ३५६१ अ, विभावगत २.२३५ व स्कन्ध ४४४७ ब अ, स्वभाव ४५०६ ब, स्वभाव गति २२३५ ब । पुद्गल - अनुभाग - १.८८ ब ।
४४४८
·
१५३
पुद्गल अस्तिकाय - १२११ब । पुद्गलक्षेप ३६८ व
पुद्गल-परमाणु परमाणु ३.१५ अ ।
पुद्गलबध - स्कन्ध ४४४७ ब । पुद्गलमोक्षमोक्ष ३३२२ ब । पुद्गलयुति - युति ३३७३ ब । पुद्गलराशि- गणित ( सहनानी) २२१६अ। पुदगलविपाको प्रकृति प्रकृतिबंध ३० ब पुद्गलसघात अवगाहना १२२३ ब । पुदगलस्कध - ४४४६ अ । पुद्गलानुभाग - १ ८८ ब । पुद्गलास्तिकाय - १२११ व । पुनरुक्त निग्रहस्थान - ३६८ ब । पुनर्भय की सीमा नरवति २३२१ । ।
पुनर्वसु अभिनन्दननाथ २३८० तीर्थकर २३८१
-
नक्षत्र २५०४ ब, नारायण ४१८ अ । पुन्नाग - ३६८ ब, मनुष्यलोक ३ २७५ ब । पुन्नाट ३६६ अ । पुग्नाटसंघ इतिहास १३२६ व
पुमान -- ३६६ अ, जीव २३३३ अ । पुरजय विद्याधर नगरी ३५४५ अ ।
पुरंधर - इक्ष्वाकुवश १३३५ ब ।
पुराकल्प - ३६६ अ । पुराण- ३६९ अ
पुराणसंग्रह - ३६६ अ ।
पुराणसार- ३६६ अ इतिहास १.३४६ ब । पुराणसारसंग्रह - इतिहास १३३१ अ १३४२ व १-२४३
-
-
अ, १३४५ ब |
पुरिमताल ऋषभनाथ २३८४ ।
पुरु- ३६१ अ, ओदारिक शरीर १४७१ अ किंपुरुष २ १२५ अ, विद्याधर नगरी ३५४६ अ ।
पुरुषदत्ता
पुरुढवश - ३६६ अ ।
पुरुदेव किपुरुष २१२५ अ ।
-
पुरुदेव चंपू - इतिहास १३४५ अ । पुरुरवा - ३६९ अ ।
-
पुरुष ३६९ अ, किपुरुष जातीय व्यन्तर देव २१२५ अ, जीव २३३३ अ, पुरुषार्थ के अर्थ मे २६१९ अ, ३.१२ अ, मनुष्यलोक ३ २७५ अ शुल्कव्यान ४ ३३ अ । पुरुषतरव ३६६ ब ।
,
पुरुषवत्ता - ३६९ ब विद्या १५४४ अ, सुपार्श्वनाथ की
यक्षिणी २३७९ ।
Page #160
--------------------------------------------------------------------------
________________
पुरुषदशिनी
पुष्कलाक्त पुरुषदशिनी-व्यन्तरेद्र को गणका ३६११ ब।
पुरुषोत्तम--३.७१ब, कि पुरुष २ १२५ अ, तीर्थकर अनन्त पुरुषपुडरीक अनतनाथ २३६१, नारायण ४१८ अ । नाथ व विमलनाथ २३६१, नारायण ४१५ अ। पुरुषपुर -३७० अ।
पुरुहूत -विद्याधरवंश १ ३३६ अ। पुरुषप्रभ-३७० अ, विपुष २१२५ अ ।
पुरोत्तम-३७१ ब, विद्याधर नगरी ३ ५४५ अ। पुरुषर्षभ--बलदेव ४१६ अ।।
पुरोहित-३ ७१ ब, चक्रवर्ती ४१३ अ । पुरुषवाद - एकान १४६५ अ परत त्रवाद ३१२ अ, पुलवी-३७१ ब, वनस्पति ३.५०६, ३ ५०६, ब ३५१०
निपतिवार २ ६१८ अ, साख्यदर्शन १४६५ ब । पुरुषवेद कमप्रकृति--प्ररूपणा-प्रकृति ३८८, ३ ३४४ अ, पलस्त्य-विद्याधरवश १३३६ अ। स्थिति ४ ४६२, अनुभाग १६१ ब, १६५, प्रदेश
पुलाक - ३७२ अ, श्रुतकेवलो ४५५ ब, साधु ४.४०८ ब। ३१३६ । बध ३ ६३, ३ ६४, ३ ६५ अ, ३ ६६ ब,
पुलोम-हरिवश १३३६ ब, १३४० अ । ३६७, बन्ध की कालावधि का अल्पबहुत्व ११६१ ब,
प्लुत अक्षर --१.३३ अ। बन्धस्थान ३ १०६, उदय १.३७४, ४६४ ब, उदय ।
पुष्कर ३७२ अ। की विशेषता १३७३ अ, उदयस्थान १३८६,
पुष्करद्वीप-३७२ अ, निर्देश ३ ४६३ ब, नामनिर्देश उदीरणा १४११, उदीरणा-स्थान १४१२ सत्त्व
३ ४७०, विस्तार ३४७८ अकन ३४४३, चित्र ४२७८, सत्यपान ४२६६, स्थिनिसत्त्व स्थान का
३४६४, ज्योतष चक्र २.२४८, अधिपतिदेव ३६१४ । अरपबहत्व ११६५ ब, त्रिसयोगी भग १४०१ व ।
तीर्थकर पुष्पदत, वासुपूज्य, शीतल तथा श्रेयासनाथ सक्रमण ४८५ अ, अल्सबहुत्व ११६८ ब ।
२३७८ । वैदिकाभिमत ३.०३१ ब । पुरुषवेद (मार्गणा)-कषाय २.३५ ब, नपुसकवेद ३५८६
पुष्करद्वीप सिद्ध-अल्पबहत्व ११५३ अ। अ, मनुष्य ३५८६ अ, राग कषाय २ ३६ अ, वेद ।
पुष्कर वृक्ष-निर्देश ३४६३ ब, पृथिवीकायिक (वृक्ष) ३५८३ ब, ३ ५-६ । प्ररूपगा-बन्ध ३ १०५, बन्ध
३ ५७८ ब, विस्तार ३४५८ अ, अकन ३४६४ के की कालावधि का अल्पबहुत्व ११६१ ब, बन्धस्थान ३११३, उदय १३८१, उदयस्थान १३६२ ब, सत्त्व
सामने, वर्ण ३४७७ । ४२८३, सत्त्वस्थान ४ ३००, त्रिसयोगी भग १.४०७
पुष्करवर सागर-निर्देश ३ ४७० अ, विस्तार ३४७८, अ। सत् ४.२२४, संख्या ४६४, ४६६, ४१०४,
अकन ३ ४४३, ज्योतिष चक २३४८, अधिपति देव क्षेत्र २२०३, स्पर्शन ४४८७, काल २ १११, अन्तर ३.६१४, जल का रस ३४७० अ । ११४, भाव ३ २२१ अ, अल्पबहुत्व ११४६ ।
पुष्करावती-चक्रवर्ती ४.१५ अ। पुरुषवेद सिद्ध - अल्पबहुत्व ११५३ ब ।
पुष्करावर्त - ३७२ अ। पुरुष-व्यभिचार-शब्दनय २५३६ ब ।
पुष्करिणी-जम्बू शाल्मली वृक्षस्थलो मे-निर्देश ३ ४५८ पुरुषसिंह-३.७० अ, धर्मनाथ २३६१, नारायण ४१२ ब, अकन ३४५६ । सुमेरु के वनो मे-निर्देश अ।
३.४५३ ब, नामनिर्देश ३ ४७३ ब । विस्तार ३४६० पुरुषाकांता-व्यन्तरेद्र की गणिका ३६११ ब ।
३४६१, अकन ३ ४५०, ३४५१, चित्र ३ ४५१ । पुरुषाकार --मोक्ष ३.३२६ ब ।
पुष्कल--३७२ अ।। पुरुषाकार नय --नय २५२३ ब ।
पुष्कला–विदेहस्य क्षेत्र-निर्देश ३.४६० अ, नामनिर्देश पुरुषाद्वैत-अद्वैतवाद १४७ अ।
३ ४७० ब, विस्तार ३४७६, ३४८०, ३४८१, पुरुषार्थ-३७० अ, करणलब्धि ३४१३ ब, दैव २६१७ अकन ३.४४४, २४६४ (चित्र स ३७), चित्र ३४६० अ, नियति २ ६१८ अ ।
अ। वक्षार पर्वत का कूट तथा देव ३ ४७२ ब ।। पुरुषार्थ नय-३७१ ब ।
पुष्कलावती-३७२ अ, विदेहस्य क्षेत्र-निर्देश ३४६० पुरुषार्थवाद-३७१ ब, एकात १४६५ अ-ब, दैववाद अ, नामनिर्देश ३.४७० ब, विस्तार ३४७६, ३.४८०
२६१७ अ, नियतिवाद २६१८ अ, परतंत्रवाद ३१२ ३.४८१, अंकन ३४४४, ३४६४ (चित्र ३७), चित्र अ।
३.४६० अ। वक्षार गिरिका कट तथा देव ३४७२ पुरुषार्थसिद्ध्युपाय -३ ७१ ब, अमृतचद्र १.१३३ अ, ब। इतिहास १३४२ अ।
पुष्कलावर्त-३.७२ अ।
Page #161
--------------------------------------------------------------------------
________________
पुष
१५५
पूणभद्र (देव)
पष्प ----३७२ अ, तीर्थंकर सुविधिनाथ २३८३, पूजा १.४२४ ब । तप २३५८ ब, २३६० अ, धर्म २४७६ ३७८ ब, भक्ष्याभक्ष्य ३२०४ ब ।
अ, ध्याता २४६३ अ, राग ३.३९६ ब, ३ ३९७ अ, पष्पक-३७२ अ, तीर्थकर सुविधि २३८३, ईशान इन्द्र वाद ३.५३३ अ, विनय ३५५२ ब । विवेक ३५६६ का यान ४५११ ब ।
अ, सल्लेखना ४३८३ अ, साधु ४४०५ अ, स्वाध्याय यष्पक विमान-३ ७२ अ। स्वर्गपटल-निर्देश ४५१८, ४५२३ अ।
विस्तार ४.५१८, अकन ४५१५, देव आयू १२६८। पूजा-पाठ-पूजा ३८१ ब । पुष्पगधी व्यन्तरेद्र की वल्लभिका ३६११ ब।
पूजायंत्र-३.३५६ । पुष्पगिरि-मनुष्यलोक ३२७५ ब ।
पूजामद-मद ३.२५६ ब । पष्पचारण ऋद्धि---ऋद्धि १.४४७, १४५३ अ
पूजाराध्य क्रिया-सस्कार ४१५२ अ। पुष्पचूर-विद्याधर नगरी ३५४५ ब, ३५४६ अ।
पूजाह-राक्षसवंश १३३८ अ।।
पूज्य-विनय ३५५२ ब, ३.५५३ ब । पुष्पचल---३७२ ब, विद्याधर नगरी ३ ५४५ ब ।
पूज्यपाद-३८१ ब, इतिहास १३२६ अ, १.३४०ब। पष्पदत-३७२ ब, क्षीरवर द्वीप का देव ३६१४,लोकपाल
पूति-३ ८२ अ, आहार का दोष १ २६० ब, उद्दिष्ट दोष ३४६१ ब।
.१.४१३ अ। पुस्पदत (आचार्य)-मूलसंघ १३१७, १३२२ ब, १
पूतिक-३८२ अ, वसति का दोष ३.५२८ ब । परि०/२२, कालावधि १. परि०/२७-८, विशेष
पतिकर्म-कर्म २२६ ब । विचार १ परि०/२११ । इतिहास १३२८ ब ।
परक-३८२ अ, प्राणायाम ३१५५ अ । पुष्पदंत (कवि)---इतिहास १३३० ब,१३४२ ब ।
परण-३ ८२ अ, एकात मत (मस्करीमत) १४६५ ब. पुष्पदंत पुराण-३.७२ ब, इतिहास १३४५ अ।
यदुवश १३३७ । पुष्पदंता-तीर्थकर मुनिसुव्रतनाथ २ ३८८ ।
पूरणकरण-अन्तरकरण १२७ अ। पुष्य दत्त-तीर्थकर २३६१।
पूरणकाल-काल २८१ अ। पुष्पनंदि-३७२ ब।
पूरणगलन--परमाणु ३१५ अ, पुद्गल ३६७ अ। पष्पप्रकीर्णक विमान-विमान ३५६३ अ।
पूरन कश्यप-३८२ अ, एकान्तमती १४६५ ब । पुष्पमाल-३.७२ ब, विद्याधर नगरी ३.५४६ अ।
पूरिम-निक्षेप ३.६०२ब। पुष्पमाला-३७२ ब, सुमेरु के वनो की दिक्कूमारी--
पूर्ण-३.८२ ब । असुरेद्र -निर्देश ३.२०८ अ, परिवार निर्देश ३४७३ ब, अकन ३४५१ ।
३२०९ अ, अवस्यान ३ २०६ ब । आयु १२६५। पुष्पवती-व्यन्तरेद्र की वल्लभिका ३.६११ ब ।
क्षौद्रवर द्वीप का रक्षक देव ३.६१४ । पुष्पवती स्त्री-स्त्री ४.४४३ अ।
पूर्ण-अल्प उपचार-उपचार १.४२० ब । पुष्पवृष्टि-प्रातिहार्य १ १३७ ब ।
पूर्णकलश मगल-मंगल ३२४४ अ। पम्पसेन--३७२ ब, मलसघ १३२२ ब, इतिहास १३२६ पूर्णचन---३.८२ ब, राक्षसवश १३.८ अ, विद्याधरणवश
१.३३६ ब । पुष्पांजली-३.७३ अ, तीर्थकर २३७७ ।
पूर्णचंद्र--भावि शलाकापुरुष ४.२५ ब, विद्याधरवश पुष्पांजली व्रत-३.७३ अ।
१३३६अ। पुष्य---३७३ अ, तीर्थकर २.३८१, नक्षत्र २५०४ ब । पूर्णप्रभ-३८२ब। पुष्यमित्र-३७३ अ, शकवश १.३१० ब, १३१४ । पूर्णबुद्धि-तीर्थकर २.३७७ । पूजन-पूजा ३.८० ब।
पूर्णभद्र (कट)-३८२ ब, गजदंत का-निर्देश ३.४७२, पूजा-३.७३ अ, ३७४ अ, क्षुल्लक २१६० अ, चैत्य- विस्तार ३४८३, अंकन ३.४५७ । विजयाध का
चैत्यालय २३०१ अ, पुण्य (उपयोग) १४३५ अ, निर्देश ३४७१ध, विस्तार ३.४८३, अंकन ३.४४४ शुभोपयोग १४३४ अ. सावध ४४२१ ब ।
(निद्रव० १३)। पूजाकर्म-कर्म २.२६ ब, कुतिकर्म २१३३ ब ।
पूर्णभद्र (देव)-३.८२ब, ३८३ अ, क्षौद्रवर द्वीप का देव पूजाकल्प - अभयनन्दि १.१२७ अ, इन्द्रनन्दि १.२६६ ब, ३.६१४, गजदन्त के कूट का देव ३.४७३ अ, यक्ष पूजाख्याति प्रतिष्ठा- अनाकाक्ष अनशन १.६६ अ, उपदेश देव ३.३६६ अ, विजया के कूट का देव ३.४७१ ब ।
Page #162
--------------------------------------------------------------------------
________________
पूर्णक
१५६
पृथिवीकाय व्यन्तरेद्र-निर्देश ३६११ अ, परिवार ३.६११ ब, पूर्वांग---३ ८३ अ, काल-प्रमाण २ २१६ अ, २२१७ अ । संख्या ३६११ अ, आयु १२६४ ब ।
पूर्वातिपूर्व-श्रुतज्ञान ४६० अ । पांक-३८३ अ।
पूर्वानुपूर्वी - आनुपूर्वी १२४६ व । पणिमा--३८३ अ, उत्पत्ति का कारण चन्द्रमा की गति
पूर्वापर अविरोध--आगम १२३६ अ । २३५१ अ, लवणसागर मे जवार ३४६० ब ।
पूर्वापर विरोध-अ गम १२३७ अ । पूर्व-३ ८३ अ, कालप्रमाण २ २१६ अ, २२१७ अ,
पूर्वापर सबंध-आगम १२३० ब, सम्बन्ध ४१२६ अ । श्रुतज्ञान ४६० अ,४६४ ब ।
पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र २५०४ ब । पूर्वकृष्टि-कृष्टि २ १४१ अ।
पूर्वाभाद्रपद-३८३ अ, तीर्थकर २३८१, नक्षत्र २५०४ पूर्वक्षण उपादान कारण २.५५ अ। पूर्वगत -३८३ अ, श्रुतज्ञान ४.६७ ब ।
पूर्वाभिमुख-कृतिकर्म २.१३६ ब, केवल २१६७ अ-ब, पूर्ववर हेतु-कारण-कार्य २५६ ब ।
व्युत्सर्ग ३ ६२० ब, सल्लेखना ४३८६ ब, सामायिक पूर्व-जिनचैत्य-क्रिया-कृतिकर्म २१३८ ब ।
४४१६ ब । पर्वतालका-तीर्थकर ऋषभदेव २.३८४ ।
पूर्वाषाढ-३८३ अ, तीर्थकर शीतलनाथ २.३८०, नक्षत्र पूर्वदत्ता-तीर्थकर मुनिसुव्रतनाथ २ ३८८ ।
२५०४ ब । पूर्वदिशा--३८३ अ, कृतिकर्म २१३६ ब, केवली २.१६७
पूषमाडी-३८३ अ। अ-ब, दिशा २४३४ अ, व्युत्सर्ग ३६२० ब, सलोखना
पूषा-नक्षत्र (अधिपति देव) २५०४ ब। ४३८६ ब, सामायिक ४४१६ ब।
पृच्छना-३८३ अ, उपयोग १४२६ ब। पूर्वधर- तीर्थंकरो के सघ मे २ ३८६, मूलसघ १३१६ ।
पृच्छा-सल्लेखना ४३६० ब । पूर्वपर्याय-त्याग-उत्पादादि १३५७ ब ।
पृच्छा विधि-३ ८३ ब, श्रुतज्ञान ४६० अ। पर्वप्रज्ञापन नय नय २ ५२१ ब, २.५२२ अ ।
पृतना-३८३ ब, सेना ४ ४४४ अ । पूर्वभाव-प्रज्ञापन नय - नय २५२१ ब, २.५२२ अ ।
पृथक्त्व-३८३ ब, शुल्कध्यान ४३३ ब । पर्वमीमांसा-दर्शन २४०२ ब, मीमासा दर्शन ३३११
पृथक्त्वविक्रिया-वक्रियिक ३६०२ अ।
पृथक्त्ववितर्क-शुत्कघ्यान (प्रतिपाती) ४३५ ब । बमख-कृतिकर्म २१३६ ब, केवली २.१६७ अ-ब, पथक्त्व-वितर्क-वीचार-उपयोग १४३१ अ, १.४३२ अ, व्युत्सर्ग ३६२० ब, सल्लेखना ४३८६ ब, सामायिक
कालावधि का अल्पबहुत्व ११६१ अ,धमंध्यान २४८३ ४४१६ ब ।
अ, शुक्लध्यान ४३३ अ, ४३६ अ। पूर्ववत अनुमान-अनुमान १६७ ब ।
पृथक्त्व व्यवहार-नय २५५८ ब । पूर्वविद्-3 ८३ अ, तीर्थ करो के सघ मे २ ३८६ । मूलसघ
पृथिवी-३.८३ ब, (गुण) ३.६८ अ, जीव २३३३ ब, १३१७ ।
पुद्गल ३६८ अ, स्थावर ४४५४ ब, स्वप्न (पथिवी पूर्वविदेह-३८३ अ, विदेहक्षेत्र का पूर्व भाग--निर्देश ग्रसन) ४५०४ ब ।
३ ४४६ ब. १६ क्षेत्र निर्देश ३ ४६० अ, ३ ४७० ब, पृथिवी (नरक)-३.८३ ब, अष्टम पृथिवी १५७६ ब, विस्तार ३४७६, ३४८०, ३४८१, अकन ३ ४४४,
कलकल २५७६ ब । नेरक-निर्देश २५७६ अ, ३ ४६४ (वित्र स ३७)।
पटल निर्देश २५७६, विस्तार २५७६, २.५७८, पूर्वविदेह (कूट)-निषध पर्वत-निर्देश ३४७२ अ, अकन
अकन ३.४४१ । वातवलयो के साथ स्पर्श २.५७६ ब । ३४४४, गजदन्त पर्वत-निर्देश ३४७२ ब, अकन
पृथिवी (नाम)-रुचकवर पर्वत की दिक्कुमारी-निर्देश ३ ४४४ (चित्र स. १३)।
३४७६ अ, अंकन ३ ४६८,३४६६ । नारायण ४१५ पूर्वसमास-श्रुतज्ञान ४.६४ ब । पर्वस्तति-३८३ अ, आहार का दोष १२६१ अ, पथिवी अलीक-सत्य ४.२७३ ब । वसति का का दोष ३.५२६ ब।
पथिवीकाय-३८४ अ । प्ररूपणा-बन्ध ३१०४, बन्धपूर्वस्थिति-उपशम १४३८ ब।
स्थान ३११३. उदय १ ३७६. उदयस्थान १३६२ पूर्वस्वर्षक-कृष्टि २.१४० ब, २.१४१ ब, सूक्ष्मसाम्पराय ब, उदीरणा १.४११ अ, सत्त्व ४२८२, सत्त्वस्थान ४४४१ ब, स्पर्धक ४.४७३।
४.२६६, ४.३०५ त्रिसयोगी भग १.४०६ ब । सत्
अ।
Page #163
--------------------------------------------------------------------------
________________
पथिवीकायिक जीव
प्रकृतिबध
४२००, सख्या ४१००, क्षेत्र २२०१, स्पर्शन नियतिवाद २.६१८ अ, परतत्रवाद ३.१२ अ । ४.४८३, काल २१०६, अन्तर ११२ भाव ३२२० पौरुषेय---३ ८५ ब, आगम १२३८ अ । ब, अल्पबहुत्व ११४५।
पौलोम-हरिवंश १३३६ ब । पथिवीकायिक जीव-३८३ ब, ३८४ अ, अवगाहना पौलोमपुर-३ ८५ब, ३ २७६ अ । ११७६, आयु १२६४, जीव २३३३ ब, जीवसमास ।
पौष्टिक आहार-१२८८अ। २.३४३ काय २४४, वनस्पति ३ ५०६ अ, स्थावर प्र-प्रतरागुल की सहनानी २.२१६ ब । ४४५३-४५४ ।
प्रकरण-अनुयोगद्वार ११०२ अ। पथिवीकायिक-वृक्ष कमल ३३७८ ब। चैत्यवृक्ष प्रकरणसम-न्याय २.६३३ ब । ३ ५७६ ब।
प्रकरणसम जाति ३.८५ ब । पथिवी कोंगणि--३८५ अ ।
प्रकरणसम हेत्वाभास-३.८५ ब । पथिवी-जीव--३ ८४ अ।
प्रषिणी-विद्या ३.५४४ अ। पृथिवीनाथ- कुरुवश १३३६ अ ।
प्रकाम—भावि शलाकापुरुष ४ २६ अ। पथिवीपाल--३८५ अ ।
प्रकार -३.८५ ब। पथिवीपुर-चक्रवर्ती ४१० ब, प्रतिनारायण ४२० ब । प्रकाश-३८६ अ, सल्लेखना ४.३८६अ। पृथिवीपुरी-बलदेव ४१६ ब ।
प्रकाशन-सल्लेखना ४३६० ब । पृथिवीमडल-३.८४ ब ।
प्रकाशवृत्ति-दर्शन २४०६ ब । पथिवीरेखा-क्रोध २३८ अ।
प्रकाशशक्ति-३.८६ अ। पृथिवीर्षणा–तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ २ ३८० ।
प्रकाश्य-प्रकाशक भाव-आगम १.२३३ ब, मबध ४.१२६ पृथिवीसिंह- ३ ८५ अ।
अ। पथ-३.८५ अ, कूरूवश १.३३५ ब, १.३३६ अ, यदुवश प्रकीर्णक-३ ८६ अ । नरकबिल-निर्देश २५७६ ब, १.३३७ ।
विस्तार २५७८ ब, अफन ३४४१। सख्या २५७८ पृष्ठ-धनुष पृष्ठ निकालने की विधि गणित २२३३ अ । अब स्वर्ग विमान-निर्देश ३ ५६३ अ, अकन ४५१७, पृष्ठक-३८५ अ । स्वर्ग पटल-निर्देश ४.५१७, विस्तार सं. ४ ५२० ।
४५१७, अकन ४५१६ ब, देव आयु १२६७ । प्रकीर्णक तारे-३८६ अ। ज्योतिषदेव प्ररूपणा-बन्ध पेज्ज-सुख ४.४३० ब ।
३१०२, बन्धस्थान ३.११३, उदय १३७८, उदयपेय-३८५ अ।
स्थान १३९२ ब, उदीरणा १४११ अ, सत्त्व ४२८२, पेशि-३८५ अ, औदारिक शरीर १४७२ अ।
सत्त्वस्थान ४.२६८, ४३०५, त्रिसयोगी भग १४०६ पैसठ-पणट्ठी की सहनानी २२१८ ब ।
ब । सत् ४१८८, संख्या ४.१७, क्षेत्र २१६६, स्पर्शन पप्पलाद--३८५ अ, अज्ञानवादी १३८ ब, एकाती १४६५ ४४०१, काल २१०४, अन्तर ११०, भाव ३२२० ब।
अ, अल्पबहुत्व १.१४५ । पैशून्य - ३ ८५ अ।
प्रकीर्णक देव-३.८६ अ, ज्योतिष-निर्देश २३४६ अ, पोत-३ ८५ अ।
आयु १२६६ ब, भावन-निर्देश ३.२०६ अ, आयु पोतकर्म--कर्म २.२६ अ, निक्षेप २५६८ अ।
१२६५, वैमानिक-निर्देश ४५१३, देवियो की पोदन-३८५ ब । ३ २७६ अ ।
गणना ४५३, देव आयु १२६६, देवी आयु १.२७०, पोदनपुर-नारायण ४१८ ब, बलदेव ४१७ .
व्यन्तर-निर्देश ३६११ ब, आयु १२६४ ब । पोन्न-३ ८५ ब, इतिहास १.३३० ब ।
प्रकुब्जा-तीर्थकर अजितनाथ २.३८८। पौण्ड-मनुष्यलोक ३ २७५ अ, यदुवश १ ३३७, वैदिकाभि- प्रकर्वी-३८६अ। मत देश ३.४३२ अ ।
प्रकृति-३.८६ अ, गुण २२४० अ । पौर-३.८५ ब ।
प्रकृति-उदय-१.३६५ ब । पौराणिक राजवंश---इतिहास १३३५ अ।
प्रकृति-द्युति-यदुवंश १३३७ । पौरुषवाद- एकान्त १.४६५ अ-ब, दैववाद २६१७ अ, प्रकृतिबंध- ३.८६ अ, ३८७ब, ईर्यापथ कर्म १.३५० ब.
Page #164
--------------------------------------------------------------------------
________________
प्रकृतिबध वेदना १५८
प्रतिघात करण दशक २५ ब, देश व सर्वघाती १.६०-६४, प्रच्युति-उत्पादादि (धय) १३५८ अ। बंध ३६७, बन्धस्थान ३१०८, त्रिसयोगी भग प्रजापति - गणधर २२१३ अ, बलदेव ४१७ अ, नारायण १.४०४, सक्रम ग४८४ अ, अल्पबहुत्व १.१६८ ।
४१८ अ, रोहिणी नक्षत्र का देवता २५०४ ब । प्रकृतिबंध वेदना-अल्पबहुत्व १ १७६ । .
प्रजापाल----३ ११४ ब, चक्रवर्ती ४.१० अ, बलदेव प्रकृतिवाद -एकान्त 'साख्य दर्शन) १४६५ व ।
४१६ ब। प्रकृति-विपरिणमना-विपर्य7 ३ ५५५ अ-ब ।
प्रजावती-तीर्थकर मल्लिनाथ २३८०। प्रक्रम-उपक्रम १४१६ ब।
प्रज्वलित-३११४ ब । नरकपटल-निर्देश २५७६ ब । प्रक्रिया-३.११४ अ।
विस्तार २५७९ ब, अकन ३४४१, नारकी---- प्रक्षेपक-३११४ अ ।
अवगाहना ११७८, आयु १२६३ । प्रख्यात-नारायग ४१८ ब।
प्रणय---३११५ अ! प्रख्यात कीति-नन्दिसघ १३२३ ब, १३२४ अ।
प्रणव-पदस्थ व्यान ३७ अ-ब।
प्रणाम-नमस्कार २५०६ अ। कृतिकर्म २१३३ ब, प्रगणना -३११४ अ। प्रज्ञप्ति-३११४ अ, तीर्थकर सम्भवनाथ की यक्षिणी सामायिक ४४१६ ब । २३७६, विद्या ३ ५४४ अ ।
प्रणाली--हिमवान पर गंगाद्वार ३४५५ अ ।
प्रणिधान-~-३ ११५ अ, उपयोग १४२६ अ, योग ३ ३७५ प्रज्ञा-३११४ अ, अनुभव १.८७ अ, परिपह ३ ३३ ब।
अ। प्रज्ञाकर गुप्त-३ ११४ अ ।
प्रणिधि-३ ११५ अ, माया ३ २९६ ब । प्रज्ञापना-प्ररूपणा ३.१४७ अ।
प्रणियोग-योग ३.३७५ अ। प्रज्ञापनी-भाषा ३२२७ अ।
प्रतर-३ ११५ अ, भेद ३.२३७ अ। रज्जू, लोक व तिर्यक प्रज्ञापनीय----आगम १२२८ ब, श्रुतकेवली ४५६ अ ।
प्रतर ३११५ अ। प्रजापरिषह-३ ११४ अ, परिषह ३३३ ब, ३३४
प्रतरसमुद्घात २१६६ ब । अब ।
प्रतरांगुल-क्षेत्रप्रमाण २२१५ ब, सहनानी २.२१६ ब । प्रज्ञाभाव छेदना- छेदना २३०६ ब, २३०७ अ।
प्रतरात्मक आकाश-३.११५ अ। प्रज्ञाश्रमण ऋद्धि---- ऋद्धि १४४८, १.४५० अ-ब ।
प्रताप-इक्ष्वाकुवश १ ३३५ ब । प्रचय-३११४ ब, पर्याप्ति ३४४ अ ।
प्रतापवान्-इक्ष्वाकुवश १.३३५ अ । प्रचला-निद्रा २६०८ ब।
प्रतापसेन काण्ठासघ १३२७ अ । प्रचला (कर्मप्रकृति)-प्ररूपणा-प्रकृति ३८८, २४२०
प्रतिकुंचन-३ ११५ अ, माया ३ २६६ ब । अ, स्थिति ४.४६०, अनुभाग १.६४ ब, प्रदेश ३.१३६ ।
प्रतिक्रमण-३ ११५ अ, उपयोग १४३४ अ, कृतिकर्म बध ३६७, बंधस्थान ३१०६, उदय १३७५,
२१३७ ब, २१३६ ब, चारित्र २.२८८ ब, प्रतिक्रमण उदयस्थान १३८७ ब, उदीरणा १४११ अ, उदीरणा
(प्रायश्चित) ३ ११७ अ, विषकुम्भ (उपयोग) १४३४ स्थान १४१२, सत्त्व ४२७६, सत्त्वस्थान ४२६४,
अ, श्रुत ज्ञान ४ ६६ ब, सयम (उपयोग) १.४३४ अ, त्रिसयोगी भग १३६६, सक्रमण ४८५ अ, अल्पबहुत्व
प्रायश्चित ३१६० ब । १.१६८ ब।
प्रतिज्ञा-३११८ ब, अनुमानावयव १६८ व, न्याय प्रचला-प्रचला-निद्रा २६०८ ब।
२६३३ ब । प्रचलाप्रचला (कर्मप्रकृति -प्ररूपणा--प्रकृति ३.८८ प्रतिज्ञांतर-३११८ अ ।
२४२०, स्थिति ४४६० अनुभाग १.६४ ब, प्रदेश प्रतिज्ञाविरोध-निग्रहस्थान-३११८ ब । ३.१३६। बन्ध ३.९७, बधस्थान ३१०६, उदय प्रतिज्ञासंन्यास निग्रहस्थान-३११८ ब । १३७५, उदय की विशेषता १.३७३ ब, उदयस्थान प्रतिज्ञा-हानि निग्रहस्थान-३११६ अ। १.३५७ ब, उदीरणा १.४११ अ. उदीरणास्थान प्रतिग्रह -- भक्ति ३ ११६ अ । १.४१२, सत्त्व ४२७८ सत्त्वस्थान ४.२४६, त्रिसंयोगी प्रतिघकर्म-अनुयोग १.१०२ अ
भग १३६६, सक्रमण ४.८५ अ, अल्पबहुत्व १.१६८। प्रतिघात-३.११६ अ, कर्मोदय २.७१ ब, सूक्ष्म ४४३८ प्रच्छन्न-३.११४ ब, आलोचना १-२७७ ब।
अ, ४.४३६ अ-ब।
Page #165
--------------------------------------------------------------------------
________________
प्रतिघात कर्म
१५६
प्रतिष्ठित प्रत्येकवनस्पति
प्रतिमा-३.१२० अ, चैत्य-चैत्यालय २.३०० अ, दिगबर
२३०१ ब, परिग्रह ३.२७ अ, पूजा ३.७७ अ-ब,
श्रावक ४४८ अ। प्रतिमान-प्रमाण ३.१४५ अ । प्रतिमा-योग-सल्लेखना ३ ३६३ अ । प्रतिमायोगी मुनिक्रिया-कृतिकर्म २.१३६ अ । प्रतिमा-योग्य-श्रावक ४५२ ब । प्रतिमा-स्थान-कायक्लेश तप २४६ ब । प्रतियोगी-३१२० अ। प्रतिरूप ३ १२० अ, भूत जातीय देव ३२३४ अ, व्यन्त
रेन्द्र-निर्देश ३ ६११ अ, सख्या ३ ६११ अ, परिवार
३६११ ब, आयु १.२६४ ब । प्रतिरूपक-३ १२० अ। प्रतिरूपक व्यवहार-अस्तेय १२१३ ब । प्रतिलेखन-अथालन्दचारित्र १४६ अ, सल्लेखना ४३९०
प्रतिधात कर्म - अनुयोग ११०२ अ । प्रतिघाती--३ ११६ ॥ प्रतिचद्र-वानरवश १.३३८ । प्रतिच्छन्न-३.११६ अ, भूत ३२३४ अ। प्रतिजीवी गुण द्रव्य २ २४३ व । प्रतितंत्र-न्याय २६३३ ब, सिद्धान्त ४४२७ ब । प्रतिदष्टांत समाजाति -३११६ अ। प्रतिनारायण-गति-अगति (जन्म) २३२१ ब, चक्रवर्ती
४१० अ, जन्म (गति-अगति) २.३२१ ब, शलाका-
पुरुष ४२० ब । प्रतिनीत-३११६व, व्युत्सर्ग दोष ३६२२ ब । प्रतिपक्ष - अनेकान्त १.१०८ ब, आगम १२३७ ब, पक्ष
३३ अ, वाद ३५३३ अ । प्रतिपक्षपद-उपक्रम १४१६ ब, पद ३.५ अ । प्रतिपत्ति श्रुतज्ञान ४ ६४ ब । प्रतिपत्तिसमास-श्रुतज्ञान ४६४ ब। प्रतिपद्यमान लब्धि ३.४१४ अ । प्रतिपात-३ ११६ ब । प्रतिपातस्थान-लब्धि ३४१४ ब । प्रतिपाती-३.११६ ब, अवधिज्ञान ११८८ ब, ११६३
ब, मरण ३.२६७ ब, शुक्लध्यान ४३४ अ, ४३५ ब। प्रतिपादन-आगम १२३२ ब । प्रतिपाद्य -- आगम १ २२८ ब । प्रतिपच्छा--समाचार ४३३६ ब, ४.३३७ अ। प्रतिबंध-३११६ ब। प्रतिबधक कारण २७१ अ। प्रतिबध्य-३११६ ब । प्रतिबध्य-प्रतिबधक-विरोध३.५६४ ब, सबध ४.१२६अ। प्रतिबल-बानरवश १३३८ ब । प्रतिबिंब - पूजा ३.७७ ब । प्रतिबिंबवत्-केवलज्ञान २.१४६ ब, २१५४ अ। प्रतिबद्धता--३ ११६ ब । प्रतिबोध-३ ११६ ब । प्रतिबोध चितामणि -इतिहास १.३४७ अ । प्रतिभग्न---३ ११६ ब । प्रतिभा--३.१२० अ। प्रतिभाग ३ १२० अ। प्रतिभा संस्कारारोपण पूजा-इन्द्रनदि १.२६९ ब । प्रतिभासादेत-द्रव्य २.४५८ अ। प्रतिभूत -३ १२० अ, भूत ३ २३४ अ प्रतिमन्यु-इक्ष्वाकुवंश १३३५ ब ।
प्रतिलोम क्रम-३१२० अ। प्रतिविपलाश - ३ १२. अ । प्रतिविपला-३ १२० अ, कालप्रमाण २.२१७ अ । प्रतिशलाका सध्या ४.६२ अ । प्रतिशलाका कंड-असख्यात १२०६ ब । प्रतिश्रवण - अनुमति १६६ अ। प्रतिश्रुति-३१२० अ, कुलकर ४२३ । प्रतिषेध-अनेकान्त ११०६ अ, सकलादेश ४१५७ अ,
सप्तभगी ४३१६ब । स्याद्वाद ४४६६ अ। हेतु ४५३६
अ। प्रतिषेधरूप हेतु-४५३६ अ। प्रतिष्ठा-३ १२० अ, धारणा २४६१ अ, कीति-प्रतिष्ठा
दे० पूजा-ख्याति प्रतिष्ठा । प्रतिष्ठाचार्य-आचार्य १२४२ ब । प्रतिष्ठातिलक-३१२० ब, इतिहास १३४३ ब। प्रतिष्ठापन-समिति–समिति ४ ३४१ ब । प्रतिष्ठापना-शद्धि-समिति ४३४२ अ। प्रतिष्ठा-पाठ ३ १२० ब, आशाधर १२८१ अ, इन्द्रनन्दि
१२६६ ब । प्रतिष्ठा-विधान-३.१२० ब। प्रतिष्ठासारसग्रह-इतिहास १३४३ ब। प्रतिष्ठित --३.१२० ब, कुरुवर १ ३३५ ब । प्रतिष्ठित प्रत्येकवनस्पति-निर्देश ३.५०२-५०७, जीव
समास २.३४३ । प्ररूपणा -बन्ध ३.१०४, बन्धस्थान ३.११३, उदय १३७६, उदयस्थान १.३६२ ब,
Page #166
--------------------------------------------------------------------------
________________
प्रतिसर
9
उदीरणा १४११ अ सत्त्व ४.२५२, सत्त्वस्थान ४२६, ४३०५, त्रियोगी भग १४०६ व सत् ४.२०१, सख्या ४.१०१, क्षेत्र २.२०१ स्पर्शन
४४८४, काल २१०७, अन्तर ११२, भाव ३.२२० ब, अल्हव ११४६ ।
प्रतिसर - कुरुवश १ ३३५ ब ।
प्रतिसरण - ३१२० व उपयोग (विषकुम्भ १४३४ अ । प्रतिसारी ऋद्धि-१४४० १.४४९ ब ।
प्रतिसेवना श्रुतके वली ४.५५ ब साधु ४४०८ व । प्रतिसेवना-काल-काल २८१ ब ।
प्रतिसेवना-कुशील कुशील २१३१ अ श्रुतकेवली ४.५५ ब, साधु ४४०८ ब ।
प्रतिसेवा अनुमति १९६ अ
३ १२० ब ।
प्रतिसूर्य प्रतिसूर्य तप
--
कायक्लेश २४७ अ
प्रतिहरण- ३१२१ अ ।
प्रतीद्र-इन्द्र १२६६ अ, ज्योतिषदेव — निर्देश २.३४५ व आयु १२६६ भवनवासी देव-निर्देश३२०१ अ, आयु १२६२, वैमानिक देव–निर्देश ४.५१२, देवियो की गणना ४५१३ आयु १२६६, व्यन्तर निर्देश ३६११ ब, आयु १२६४ ब ।
प्रतीक- ३१२१ अ ।
प्रतीच्छना - ३.१२१ अ उपयोग १.४२६ ब ।
1
प्रतीच्य३.१२१ अ । प्रतीति- ३१२१ अ उपदेश १४२६ व, सम्यग्दर्शन ४ ३५० ब ।
प्रतीत्य सत्य सत्य ४.२७१ ब ।
१६०
प्रत्यक्- -३ १२१ अ ।
प्रत्यक्ष- ३१२१ अ अनुभव
१८१-८७ अवधिज्ञान ११६० अ-ब, परोक्ष अनुभव १८७ अ, मतिज्ञान अनुभव १८३ ब, मन पर्यय ज्ञान ( अवधिज्ञान) ११९० अ, श्रुतज्ञान ( अनुभव ) १८३ब, स्वसवेदन (अनुभव ) १८१-८७, स्वाध्याय ४५२४ अ । प्रत्यक्षज्ञान --- प्रमाण ३ १४१ व, सम्यग्दर्शन ४३५२ अ । प्रत्यक्षज्ञानी - आगम प्रामाण्य १२३५ ब ।
--
प्रत्यक्षवाधित बाधित ३१८२ ब । प्रत्यक्ष विनय विनय ३ ५४६ ब । प्रत्यक्ष हेतु - स्वाध्याय ४५२४ अ । प्रत्यक्षाभास - प्रत्यक्ष ३ १२३ अ ।
-
प्रत्यनीक - ३१२४ अ, कारण (कर्मोदय) २.७१ ब । प्रत्यभिज्ञान- ३.१२४ व मतिज्ञान ३२५४ अन्य स्मृति
( गतिज्ञान ) ३.२५४ अ ।
प्रत्यभिज्ञानाभास - प्रत्यभिज्ञान ३१२५ अ ।
प्रत्यय - ३१२५ अ, ३१२६ अ, आकाश १२२१ ब उदय व्युच्छित्ति ३१२६-१.२१ प्रत्ययस्थान ३१२९ १२०, उपयोग (अशुभ) १४३३ व निमित्त २६१० ब, पर-प्रत्यय उत्पाद १.२२१ ब, मोक्षमार्ग ३३३५ अ, मोहनीय ३ ३४२ व सम्यग्दर्शन ४३५० व प्रत्यय उत्पाद १२२१ ब ।
7
प्रत्यय कषाय - २.३५ ब, २.३६ अ, २३७ अ-ब, समुत्पत्तिक कषाय २३७ ब ।
प्रत्यय निबंधन नाम- -नाम २५८२ ब ।
प्रत्यय मल मल ३.२८८ ब ।
प्रत्यय स्थान
- प्रत्यय ३ १२६ ब ।
प्रत्यवेक्षण - ३१३१ अ, स्मृत्यतराधान ४४९५ ब । प्रत्याख्यात सेवना - आहारातराय १२६ अ ।
प्रत्याख्यान - ३१३१ अ कृतिकर्म २१३६ व प्रतिक्रमण ३११८ अ मोक्षमार्ग ३३३७ अ ( सम्यग्दर्शन) ३ १३२ ब, सल्लेखना ४.३६० ब, ४३६३ अ । प्रत्याख्यान - कषाय-कषाय २३५ ब, २३८ अ, २३६ अ । प्रत्याख्यान चतुष्क उदय १ ३७४ ब । प्रत्याख्यान-धारण - कृतिकर्म २१३६ ब । प्रत्याख्यान प्रवाद - श्रुतज्ञान ४.६६ अ । प्रत्याख्यानावरण कर्मप्रकृति – ३१३३ अ,
सर्वघाती १.९३
ब । प्ररूपणा - प्रकृति ३८८, ३३४४ अ, स्थिति ४४६१, अनुभाग १९४ ब, प्रदेश ३१३६ । बन्ध ३ ६७, बन्धस्थान ३.१०६, उदय १३७५, उदयस्थान १३८१, उदीरणा १ ४११ अ, उदीरणास्थान १४१२ सत्त्व ४२७८. सत्त्वस्थान ४२६६, स्थितिसत्त्व स्थानो का अल्पबहुत्व ११६५ ब, त्रिसंयोगी भंग १४०१ व संक्रमण ४८५ अ अल्पबहुत्व १.१६० । प्रत्याख्यानावरण चतुष्क १.३७४ ब । प्रत्याख्यानी भाषा-भाषा ३.२२७ अ । प्रत्यागाल आगाल १२३६ ब ।
----
प्रत्येक पद
प्रत्यामुंडा - ३१३३ अ ।
प्रत्यावती अन्तरकरण १२५ व आवली १.२७६ व ।
प्रत्यास
३.१३३ ब । प्रत्यासत्ति - ३.१३३ ब ।
प्रत्याहार - ३१३४ अ, प्राणायाम ३.१५५ अ ।
प्रत्युत्पन्न नय] सिद्ध- अल्पवय ११५३ ब ।
प्रत्युत्पन्न भाव प्रज्ञापन नय- -नय २५२२ अ । प्रत्युपकार- उपकार १.४१५ अ ।
प्रत्यूषकाल - ३.१३४ अ ।
प्रत्येक पव-भंग २.१९७ ।
Page #167
--------------------------------------------------------------------------
________________
- प्रत्येकबुद्ध
१६१
प्रदेशार्थता
प्रत्येकबुद्ध-बुद्ध ३.१८४ अ. अल्पबहुत्व १.१५४ अ, उदीरणा १.४११ अ, सत्त्व ४२८४, सत्त्वस्थान संख्या ४६४ अ।
४.३०२, ४.३०६, त्रिसंयोगी भग १४०८ अ। सत् प्रत्येकबुद्ध वचन-आगम १२३६ अ ।
४.२५८, सख्या ४.१०६, क्षेत्र २.२०६, स्पर्शन प्रत्येकबुद्धि ऋद्धि-ऋद्धि १४४८ ।
४.४६३, काल २.११८, अतर १४ अ, १२०, प्रत्येक भग-भंग ३१६७ अ।
भाव ३२२१ ब, अल्पबहुत्व ११५२। प्रत्येकवनस्पति काय-काय-निर्देश २४४, वनस्पति-निर्देश प्रथ-हरिवश १.३४० अ।
गाहना १.१७६, आयू १.२६४, प्रदक्षिणा-३ १३४ अ, कर्म २२६ अ, वंदना ३.४६५ ब। जीवसमाम २३४३ । प्ररूपणा-बन्ध ३१०४, बन्ध- प्रदुकार दोष-वसतिका ३.५२८ ब । स्थान ३ ११३, उदय १.३७६, उदयस्थान १३६२ प्रदुष्ट--३ १३४ अ, व्युत्सर्ग दोष ३.६२३ अ। ब, उदीरणा १.४११ अ, सत्त्व ४ २८२, सत्त्वस्थान प्रदेश-३ १३४ अ-ब, अणु १४२ अ, अस्ति काय १ २११ ४ २६६, ४३०५, त्रिसयोगी भा १.४०६ ब । सत अ, १.२१२ अ, आकाश (अखण्डत्व) १२२१ अ, ४.२०७, संख्या ४१०१, क्षेत्र २ २०१, स्पर्शन आकाश (अवगाह) १२२४ अ, आकाश (लोवाकाश) ४.४८४, काल २१०६, अन्तर ११२, भाव ३२२० १२२२ अ, इद्रिय १३०२ ब, औदारिक शरीर ब, अल्पबहुत्व ११४६ ।
१४७१ ब, काय २४४ अ, २.४६ ब, कालद्रव्य(अस्ति
काय) १.२१२ अ, जीव २३३६ अ-ब, द्रव्य २४५८ प्रत्येकशरीर नामकर्म प्रकृति---प्ररूपणा -- प्रकृति ३.८८.
अ,२. ४६० धर्म-अधर्म द्रव्य २४८७ ब, परमाणु २५८३, ३.५०३ अ, स्थिति ४.४६३, अनुभाग १६५, प्रदेश ३ १३६ । बन्ध ३६७, बन्धस्थान
३१७ अ, ३१८ अ, पर्याय ३४७ अ, पुद्गल ३ ६७
ब, प्रदेशभ्रमण २३३६ ब, रुचक प्रदेश २.३३६ अ, ३ ११०, उदय १३७५, उदयस्पान १३६०, उदीरणा
३४४० ब, शरीर ४६ अ, संकोच-विस्तार (काय) १४११ ब, उदी.णास्थान १.४१२, सत्त्व ४.२७८,
२४६ ब, सत्त्व ४२७६ ब, सप्तभंगी (सापेक्ष धर्म) सत्त्वस्थान ४३०३, त्रिस योगी भग १४०४, सक्रमण
४३२३ अ, सूक्ष्म बादर ४४४० अ, स्कन्ध ४४४६ ४८५ अ, अल्पबहुत्व ११६७ अ।
अ। प्रत्येकशरीर वर्गणा-~बनस्पति ३५०३ अ, वर्गणा ।
प्रदेश उदय-१ ३६५ ब, १३८६ । ३.५१३ अ, ३.५१४ अ, ३.५१५ ब, ३५१६ अ,
प्रदेशघात- अपकर्षण १११७ ब, क्षपित कर्माशिक ३५१७ ब, ३५१८ अ ।
२१७७ अ। प्रथम-श्रेढो व्यवहार गणित २.२२६ ब, २.२३० ब ।
प्रदेश-छेदना-छेदना २३०६ ब. २.३०७ अ। प्रथमकोट-समवसरण ४३३० ब ।
प्रदेशत्व-३.१३८ अ, द्रव्य २४५८ ब। प्रथम गणहानि----श्रेढी-व्यवहार गणित २.२३१ ब,
प्रदेश-निजरा-अल्पबहत्व ११७४ अ। २२३२ अ।
प्रदेश-परिस्पद-काय २.४६ ब, क्रिया २१७३ ब, योग प्रथम तीर्थ-समवसरण ४३३१ ब ।
३३७५ अ। प्रथम धन-श्रेढी व्यवहार गणित २ २२६ ब ।
प्रदेश-बंध -३१३५ अ, ३ १३६, अनुभाग बन्ध १६०ब, प्रथम मल-गणित (वर्गमूल) २२२३ अ।
अनिवृत्तिकरण २ १३ ब, अल्पबहुत्व १.१७१,११७३, प्रथम सम्यक्त्व-पर्याप्ति ३४४ ब ।
अ, ११७६, शरीरबद्ध प्रदेशो का अल्पबहुत्व ११५७, प्रथम स्थिति-अन्तरकरण १२५ अ-ब, १२६ अ ।
स्थितिबन्ध ४.४५८ अ। प्रथमानयोग-३१३४ अ, अनुयोग १.६६-१०१ अ, आगम प्रदेशत्व/-३ १३८ अ, द्रव्य (आकाश) २४५८ ब ।
१२३६ ब, श्रुतज्ञान ४.६८ब, स्वाध्याय ४५२३ ब। प्रबेशविपरिणमना-विपरिणमना ३.५५५ब। प्रथमोपशम सम्यकत्व - अन्तरकरण १.२५ अ, उपशम प्रवेश-विरच-३.१३८ अ ।
१.४३७ ब, १४३८ अ, तीर्थकर २३७६ ब, परि- प्रदेश-सक्रमण--संक्रमण ४.८५ ब, संक्रमण का अल्पबहत्व हारविशुद्धि ४३७ अ, मरण ३२८३ अ, सम्म
११७४ ब। ४.१२७ अ, सम्यग्दर्शन ४.३६६ ब, सासादन ४.४२५ प्रदेशान-अन्तरकरण १२५ ब । प्रथमोपशम सम्यग्दर्शन-प्ररूपणा - बन्ध ३.१०८, बन्ध- प्रदेशापचय-ओम् १.४७० म।
स्थान ३.११३, उदय १.३८५, उदयस्थान १३६३, प्रदेशार्थता-कर्म २.२६ ब ।
Page #168
--------------------------------------------------------------------------
________________
प्रदेशीपना
प्रवेशीपना परमाणु ३१५ अ ।
प्रदोष ३१३८ अ, अतिचार १४४ अ ।
प्रद्युम्न - ३१२५ अ वंश १.३३७ ।
प्रद्युम्नचरित्र - ३१३८ व इतिहास - प्रथम १३४२ व द्वितीय १३४६ अ ।
प्रद्योत - इतिहास ( मगध देश ) १३१० ब, १३१२ । प्रद्योत वंश इतिहास (मगध देश) १.३१२ ।
--
--
-
प्रधान
कारण २७३ ब ।
प्रधानवाद - एकात (दर्शन) १४६५ व । प्रबंधन काल-काल २.८१ अ ।
प्रवोध कारण (लब्धि ) २५६ अ ।
प्रभंकर – ३१३८ व स्वर्गपटल निर्देश ४५१७, विस्तार ४५१७, अंकन ४.५१६ ब, देव-आयु १२६७ । प्रभंकरा - चन्द्र-सूर्य की पट्टदेवी २३४६ अ । नन्दीश्वर द्वीप की वापीनिर्देश ३४६३ अ नामनिर्देश ३.४७५ व विस्तार ३.४९१, अकन ३४६५। विदेह नगरी - निर्देश ३४६० अ, नामनिर्देश ३४७० ब विस्तार ३४७६, ३४८०, ३४८१, अन ३४४४ के सामने, ३ ४६४ के सामने, चित्र ३४६० अ प्रभजन - २.१३८ व वायुकुमारेन्द्र निर्देश ३२०८ व परिवार ३२०६ अ, अवस्थान ३.२०१६ आयु १.२६५ । विद्याधर वश १३३६ अ । प्रभंजन ( कूट ) - मानुषोत्तर पर्वत का निर्देश ३ ४७५ अ, विस्तार ३.४०६ अंकन ३.४६४ ॥ प्रभ - ३.१३८ व स्वर्गपटल — निर्देश ४.५१७, विस्तार ४.५१७, अकन ४५१६ ब, देव-आयु १२६७ । प्रभवा -- नारायण ( पटरानी) ४१८ ।
ब,
-
-
प्रभाकर मत-मीमांसादर्शन ३३११ अ !
प्रभाकर मिश्र - मीमासा दर्शन ३३११ अ । प्रभाकरी - चक्रवर्ती ४११ ब | विदेह नगरी - निर्देश
३. ४६० अ नामनिर्देश ३.४७० व विस्तार २.४७१, ३.४८०, ३.४८१, अकन ३.४४४ के सामने, ३.४६४ के सामने, चित्र ३४६० । प्रभाचंद्र - ३.१३८ व प्रथम नन्दिसंघ १.३२३ अ १३२४ अ, देशीयगण १३२५, इतिहास १३२९ अ द्वितीय इतिहास १.३२९ अ तृतीय इतिहास - - १.३२९ व १.३४२ अ चतुर्थ इतिहास १३२० ब पंचम देशीयगण इतिहास १.३३० १३४२
।
1
-
१६२
प्रमत्तसयत
,
अ-ब । षष्ठ- इतिहास १३३१ ब ब. १.३४३ १३३२ अ सप्तम नन्दिसघ १३२३ व इतिहास १३३२ अ । अष्टम - नन्दिसघ १३२३ ब, इतिहास १३३२ व नवम इतिहास १.३३२ व दशमइतिहास १३३३ अ एकादश दश इतिहास । १.३३३ ब द्वादश - इतिहास १३३३ ब । प्रभादेव तीर्थंकर २३७७ ।
-
प्रभामंडल चैत्य चैत्यालय २३०२ प्रातिहार्य १.१३७
―――
प्रभु ३१४० अ
प्रभुत्वं शक्ति - ३.१४० अ ।
प्रभा -- ३.१३८ व तेजस शरीर ३.३६४ व । प्रभाकर भट्ट – ३.१३८ ब, एकान्ती १४६५ ब, मीमासा प्रभोदय - तीर्थंकर २३७७ ।
प्रभूत तेज इक्ष्वाकुवंश १.३३५ अ ।
दर्शन ३.३११ अ ।
ब ।
प्रभाव - ३.१३६ अ ।
प्रभावती - ३१३९ अ कुलकर ४२३, तीर्थंकर मल्लिनाथ
"
-
२३८०, बलदेव ४१८ व यदुवश १३३७, वैमानिक इन्द्र की ज्योष्ठा देवी ४५१४ अ ।
प्रभावना- -३ १३६ अ ।
प्रभावना अग - सम्यग्दर्शन ४३५६ अ ।
प्रभास (स्वर्ग) ३१४० अ, अनुदिश स्वर्ग का श्रेणीबद्ध-निर्देश ४५१९ व अकन ४.५१५, ४.५१७, देव-आयु १ २६९ ।
-
,
प्रभासदेव – ३. १४० अ धातकीखण्ड का देव ३६१४, नाभिगिरि का देव ३.४७१ अ, ३.६१३ ब, नारायण ४.२० व गणधर २.२१३ अ चक्रवर्ती ४.१५ ब । प्रभासद्वीप लवणोद व कालोद सागर मे निर्देश ३४५५ ब, २.४६२ ब विस्तार ३४६२ व ३४७८, अकन ३ ४४४ के सामने, ३.४६१, ३४६४ के सामने । सिन्धु नदी का प्रवेशतीर्थ ३.४५५ ब, सीतोदा नदी
मे स्थित ३४६० ब ।
-
व १.३३५ अ ।
प्रमत्त अहिंसा १२१६ अ धर्मध्यान २.४६२ अ प्रमत्तयोग - हिंसा ४ ५३५ ब । प्रमत्तसंयत - आरोहण-अवरोहण २.२४७, आर्तध्यान १२७४ अ आहारक काययोग १२९७ब करण दशक २६ अ, कषाय २४० ब, काय २४५ बें, गुणस्थान २२४६ व गुणस्थान परिवर्तन (प्रमत्तअप्रमत्त) ४.३७० अ, निगोद वनस्पति ३.५०६ अ, परिषद् ३.३४, प्रदेश निर्जरा का अल्पबहुत्व ११७४ अ, प्रदेशनिर्जरा की कालावधि का अल्पबहुत्व ११७४ ब सयत ४ १२६ व ४१३१ अ समुदघात ४३४३ । प्रमत्तसंयत- प्ररूपणा - बंध ३६७, बधस्थान ३१०८, ३१०९, उदय १३७५, उदयस्थान १३१२ अ, उदी
Page #169
--------------------------------------------------------------------------
________________
- प्रेमदै
प्रयुताग
रणा १४११ अ, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान ४.२८८, प्रमाण-प्रमेयकलिका-इतिहास १३४८ अ। ४३०४, विसयोगी भग १४०६ अ । सत् ४१६२, प्रमाणमीमांसा–३ १४५ ब, इतिहास १३४१ ब, १३४३ सख्या ४.६४, क्षेत्र २.१९७, स्पर्शन ४४७७, काल २६६, अतर १७, भाव ३२२० ब, अल्पबहुत्व प्रमाण-योजन-२१४५ ब, क्षेत्र प्रमाण २.२१५ ब । १.१४३ ।
प्रमाण-राशि-३.१४५ ब । प्रमद-भावि शलाकापुरुष ४२६ अ।
प्रमाण-विस्तार-३१४५ ब । प्रमदा-वेद ३.५८६ अ, स्त्री ४.४५० अ ।
प्रमाणसंग्रह-३.१४५ ब, अकलक १३१ अ, इतिहास प्रमाकरण-प्रमाण ३१४४ अ।
१.३४१ ब। प्रमाण-३ १४० अ, अनुभव प्रधान १८२ अ, अनुमान प्रमाणसंग्रहालकार-इतिहास १.३४२ ब । ११०० ब, अनेकान्त १.१०६, अवग्रह १.१८२ ब, प्रमाणागुल
का प्रमाणांगुल-३ १४५ ब, उपमा प्रभाण २२१८ अ, क्षेत्र आगम (दे आगे), ईहा १.३५१ अ, ११८२ ब,
प्रमाण २.३१५ अ । उपचार १.४२२ अ, ज्ञान २२५८ ब, नय २५१६
प्रमाणातिरेक दोष-वसतिका ३ ५२६ ब । अ-ब, २५२६, निक्षेप २ ५६२ अ, नैगम नय २.५३२
प्रमाणाभास-प्रमाण ३.१४१ ब, ११४२ अ। ब, न्याय २६३३ अ, मिथ्यादृष्टि ३३०५ अ, श्रुतज्ञान
प्रमाता-३.१४५ ब, प्रमाण ३.१४३ अ। ४.६७ ब, सकलादेशी (नय) २५१७ अ, ४१५६
प्रमाद-३ १४५ ब, अतिचार १.४४ अ, अशुभोपयोग ब, सप्तभंगी ४३१५ ब, स्यात् ४.३१७ अ।
१.४३३ ब, दोष प्रस्तार २.२२६ ब, समिति ४.३४२'
___ अ। हिंसा---निर्देश १.२१६ अ, १२१७ अ, ४.५३२ प्रमाण (अनुयोग)-१.१०२ ब, आहार तथा आहारकाल
ब, रहितता ४५३३ ब। १.२८५ ब, १२८६ अ, उपक्रम १.४१६ ब, श्रुतज्ञान
प्रमादचरित-अनर्थदण्ड १.६३ ब । ४.६७ ब, समवसरण ४.३३१ ब ।
प्रमादप्रत्यय-३१२६ अ, अविरति ३१२६ ब, उदय प्रमाण (आगम)-१.२३४ ब, अर्थ व शब्द सबंध १२३३
३१२७-१३०, कषाय २१२६ अ । अ, आचार्य-वचन १२३७ अ, आप्तवचन १२३५ ब,
प्रमादयोग-हिंसा ४.५३२ अ-ब । छद्मस्थ ज्ञान १.२३७ ब, जिनवचन १.२३८ अ,
प्रमा-प्रमेय-इतिहास १३४४ ब । तर्कसगत १२३६ अ, परम्परा से आगत १२३५ ब,
प्रमार्जन-विहार ३५७४ ब, समिति ४.३३६ ब। पूर्वापर अविरुद्ध १२३६ अ, पौरुषेय १२३८ अ,
प्रमाजित-३.१६६ ब । प्रत्यक्ष ज्ञानी १,२३५ ब, वचन-वक्ता संबध १२३४
प्रमिति-३.१४६ ब । ब, वाच्य-वाचक सबध १२३३ अ, वीतराग वचन
प्रमशा-३ १४६ ब, मनुष्यलोक (नदी) ३२७५ ब । १.२३५ अ, शब्द-अर्थ सबंध १२३४ अ, सूत्र वचन
प्रमेय-३१४६ ब, ज्ञान २.२५८ ब, न्याय २.६३३ अ, १.२३२ ब, सूत्र-अविरुद्ध वचन १.२३८ अ, सूत्रसम
प्रमाण ३१४३ ब। वचन १.२३५ ब।
प्रमेय उपक्रम-उपक्रम १४१६ ब । प्रमाण (ज्ञान)-नयसापेक्ष २५२६ अ, प्रमाण ३१४१ ब,
प्रमेयकमलमार्तड-३ १४६ ब, इतिहास १३४३ अ। प्रमेयत्व २२५८ ब, स्वपर-प्रकाशक २.२५८ ब ।
प्रमेयत्व--३.१४६ ब । प्रमाणक देव-व्यन्तरजातीय देव-आयु १२६४ ब।
प्रमेयरत्नकोश-३१४६ ब, इतिहास १३४४ अ। प्रमाणदोष-आहार का दोष १.२६२ अ।
प्रमेयरत्नाकर-११४६ ब, आशाधर १,२८१ अ, इतिहास प्रमाणद्वय सिद्धि-अर्चट १.१३४ ब ।
१:३४४ अ. प्रमाणनय-तत्त्वालकार-३.१४५ ब, इतिहास १.३४४ अ।
प्रमेयरत्नालकार-इतिहास १.३४७ अ। प्रमाणनिर्णय-इतिहास १.३४३ अ।
प्रमेयाकार-प्रमाण २.१५३ ब । प्रमाणनिर्माण-निर्माण २.६२५ अ ।
प्रमोद-३१४६ ब, राक्षसवंश १.३३८ । प्रमाणपद-पद ३.४ ब, ३.५ अ, श्रुतज्ञान ४.६५ अ । प्रयत-हिंसा ४.५३५ ब । प्रमाणपद-उपक्रम-उपक्रम १.४१६ ब ।
प्रयुत-कालप्रमाण २२१६ । प्रमाण-परीक्षा-३.१४५ ब, इतिहास १.३४१ब। प्रयतांग-कालप्रमाण २.२१६अ।
Page #170
--------------------------------------------------------------------------
________________
प्रयोग
प्रसेनजित् ।
प्रयोग-३.१४६ ब, उदय १.३६५ ब ।
प्रवृद्धावेग---चक्रवर्ती ४१३ अ । प्रयोगकर्म-कर्म २.२६ अ-ब। सत् ४.२६६, सख्या प्रवेणी-३ १४६ अ, मनुष्यलोक ३.२७६ अ। ४११६ ब, क्षेत्र २२०८, भाव ३२२३ ।
प्रवज्या -३ १४६ अ, म्लेच्छ ३३४७ अ । प्रयोग किया-क्रिया २.१७४ ब ।
प्रशंसा-३१५१ अ, अन्य दृष्टिप्रशसा १११२ अ, स्त्री प्रयोगगति-गति २.२३५ अ।
४४५१ अ। प्रयोगज परिणाम-परिणाम ३.३१ ब ।
प्रशम-३१५१ अ, उपेक्षा १४४४ ब, सम्यग्दर्शन प्रयोजन-३१४६ ब, न्यायदर्शन २.६३३ अ-ब ।
४३५१ अ, ४.३५२ अ, ४.३५३ अ, सुख ४४२६ प्रयोज्यता-३१४६ ब ।
ब, ४.४३२ अ। प्ररूपणा-३.१४७ अ, अनुयोगद्वार ११०२ अ, १.१०३ प्रशमाभास-प्रशम ३.१५१ ।।
प्रशस्त- ३.१५१ ब, उपयोग १.४३३ अ, उपशम १४३७ प्ररोहण-कार्मण २.७५ ब ।
अ, धर्मध्यान २४७८ अ, ध्यान २४६६ अ, निदान प्रलंब-३.१४७ अ, ग्रह २.२७४ अ, तालप्रलब न्याय
२६०८ अ, प्राभृत ३१५६ ब, मोह ३.३४० ब, राग
३३६५ अ, वेद्य ३५६२ अ, सत्य ४.२७२ ब । २.३६६ अ। प्रलय-३१४७ अ, वैशेषिक दर्शन ३.६०८ अ।
प्रशस्तपाद-३१५१ ब ।
प्रशस्तपाद भाष्य-वैशेषिक दर्शन ३.६०७ ब । प्रवक-३१४७ ब। प्रवचन--३१४७ब, उपदेश १.४२४ अ, पिशाच जातीय
प्रशस्त विहायोगति नामकर्म प्रकृति--विहायोगति ३५७३
अश व्यन्तर देव ३.५८ ब, श्रुतज्ञान ४.६० अ।
ब। प्ररूपणा-प्रकृति ३.८८, २५८३ अ, स्थिति
४.४६६, अनुभाग १६५ ब, प्रदेश ३.१३६। बन्ध प्रवचन-प्रभावना-प्रभावना ३.१३६ ब । प्रवचन-भक्ति-भक्ति ३ १९८ ब।
३.६७, बन्धस्थान ३.११०, उदय १३७५, उदय
स्थान १.३६०, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान प्रवचन-वात्सल्य-वात्सल्य ३ ५३२ ब।
१.४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान ४.३०३, त्रिसप्रवचन-सन्निकर्ष-३.१४८ अ, श्रुतज्ञान ४.६० अ।
योगी भग १४०४। सक्रमण ४.८४ ब, अल्पबहुत्व ' प्रवचनसार-३१४८ अ, इतिहास १३४० ब ।
१.१६६ । प्रवचनसार टीका-अमृतचन्द्र ११३३ अ।
प्रशांतता क्रिया-संस्कार ४.१५२ ब । प्रवचनसारोद्धार-३.१४८ अ, इतिहास १.३४२ ब,
प्रशांति-कुरुवंश १.३३५ ब । १.३४३ ब।
प्रशांति क्रिया-सस्कार ४१५१ ब। प्रवचनाद्धा-३.१४८ ब, श्रुतज्ञान ४६० अ।
प्रश्न-३.१५१ ब, स्वभाव ४५०७ अ । प्रवचनार्थ-३ १४८ ब, श्रुतज्ञान ४.६० अ ।
प्रश्नकोति-तीर्थंकर २३७७ । प्रवचमी-३.१४८ ब, श्रुतज्ञान ४६० अ ।
प्रश्नकुशल साधु-३.१५१ ब । प्रवचनीय-३.१४८ ब, श्रुतज्ञान ४.६० अ।
प्रश्नभाषा-भाषा ३.२२७ अ। प्रवरवाद--३ १४८ ब, श्रुतज्ञान ४६० अ।
प्रश्नव्याकरण-३.१५१ ब, श्रुतज्ञान ४६८ अ । प्रवर्तक (साधु)--३.१४८ ब, निर्यापक २६२५ ब । प्रश्नोत्तरमाला-अमोघवर्ष १.१३३ ब। प्रवाद-३१४८ ब ।
प्रश्नोत्तर श्रावकाचार-३१५१ ब, इतिहास १.३४५ ब । प्रवाल-~-३१४८ ब, रत्नप्रभा की चित्रापृथिवी ३.३६१ अ, प्रष्ठक-स्वर्गपटल-निर्देश ४.५१७ ब, विस्तार ४.५१७,
मानुषोत्तर पर्वत का कूट-निर्देश ३ ४७५ अ, विस्तार अकन ४५१६ ब, देव-आयु १.२६७ । ३.४८६, अकन ३.४६४ ।
प्रसंख्यान—एकाग्रचितानिरोध १.४६६ अ। प्रवाह क्रम-क्रम २१७१ ब ।
प्रसंग-३.१५१ ब । प्रवाहण जैवलि-३.१४८ ब, कुरुवश १३१० ब। प्रसंगसमा जाति--३.१५१ ब । प्रविचार--३.१४६ अ, देवगति २.४४६ ब।
प्रसज्य अभाव-अभाव १.१२८ अ-ब । प्रविष्ट-३.१४६ अ, व्युत्सर्ग दोष ३.६२२ ब ।
प्रसाद-दान २४२३ ब । प्रवृत्ति-३.१४९ अ, गुप्ति २.२५० ब, न्याय २६३३ ब, प्रसारितबाहु तप-कायक्लेश २.४७ अ। राग ३.३६८ अ।
प्रसेनजित्-३.१५१ ब, कुलकर ४.२३, यदुवंश १३३७ ।
Page #171
--------------------------------------------------------------------------
________________
प्रस्तर
१६५
प्राभृतप्राभूत
अ।
४ १६२, सख्या ४६८, क्षेत्र २२००, स्पर्शन ४४८१, प्रस्तर-३१५२ अ। नरकपटल-निर्देश २५७६ ब,
नामनिर्देश २५७६ अ, विस्तार २५७६ अ, अन काल २१०४, अन्तर ११०, भाव ३२२० अ, अल्प३४४१। स्वर्गपटल--निर्देश ४५१४ ब, नामनिर्देश बहुत्व ११४५ । ४.५१६, विस्तार ४५१६, अकन ४५१५ ।
प्राणत (स्वर्ग)-३ १५४ ब, निर्देश ४.५१४ ब, पटल प्रस्तार-३१५२ अ, अक्षसचार गणित २२२६ अ-ब। ४५१८, विभाग ४ ५२० ब, विस्तार ४५१८, अवप्रस्ताव-३.१५२ अ।
स्थान ४५१४ ब, अकन ४.५१५, इन्द्रक श्रेणीबद्ध प्रस्थ-३ १५२ अ, औदारिक शरीर १४७२ अ, तौल का ४५१८,४५२० । प्रमाण २.२१५ अ।
प्राणपीडन--हिंसा ४.५३२ अ । प्रस्थापक-३.१५२ अ ।
प्राणरक्षा-अहिंसा १.२१७ ब । प्रस्रवण-आहारान्तगय १२६ अ ।
प्राणवाद -३ १५४ ब । प्रहरण-तीर्थकर २.३६१, प्रतिनारायण ४२० ।
प्राणव्यपरोप- अहिसा १.२१७ ब । प्रहरा-३१५२ अ, मनुष्यलोक ३२७६ अ।
प्राणव्यपरोपण- हिंसा ४५३२ अ। प्रहसित-३१५२ अ, मातगवश १.३३६ ब ।
प्राणि-संयम-संयम ४१३८ अ । प्रहार-आहारान्तराय १२६ ब ।
प्राणातिपात-३.१५४ ब, प्रत्यय ३१२६ अ। प्रहारसक्रामिणी विद्या-३ १५२ अ, विद्या ३५४४ अ।
प्राणातिपातिकी क्रिया---त्रिया २.१७४ ब । प्रह्लाद -३१५२ अ, प्रतिनारायण ४२० ।
प्राणापान पर्याप्ति-उच्च्यास १३५२ ब । प्राक्--३.१५२ अ।
प्राणायाम-३ १५४ ब, ध्यान २.४६६ अ, मडल ३.१५५ प्राकाम्य ऋद्धि-ऋद्धि १४४७, १४५१ अ, १४५२ ब । प्राकार--३१५२ अ।
प्राणावाय पूर्व-श्रुतज्ञान ४६६अ। प्राकृत सख्या-३ १५२ अ ।
प्राणि संयम-संयम ४१३८ अ । प्रागभाव - अभाव १.१२७ ब-१२६ अ ।
प्राणी-जीव २.३३३ अ-ब । प्रारज्योतिष-मनुष्यलोक ३ २७५ अ ।
प्राणु-कालप्रमाण २२१६ अ। प्राच्य-३१५२ अ।
प्रातर---३.१५६ अ, मनुष्यलोक ३.२७५ ब । प्राण-३ १५२ अ, अयोगकेवली २.१६४ अ, कालप्रमाण प्रातिक देव--व्यन्तर जातीय देव--आयु १२६४ ब ।
अ. पर्याप्ति ३४३ ब, मार्गणा ३ २६८ अ, प्रातिहार्य-अर्हन्त १.१३७ ब, चैत्यचैत्यालय २३०३ अ । समुद्घातकेवली २१६४ अ, सयोगकेवली २.१६४ अ,
प्रात्ययिकी क्रिया-क्रिया २१७४ ब । हिंसा ४.५३६ अ।'
प्राथमिक-३१५६ अ। प्राण असयम-असयम १२०७ ब ।
प्रादुर्भाव-उत्पाद १३६० ब । प्राणघात-हिंसा ४५३६ अ ।
प्रादुष्कार-३ १५६ अ, आहार दोष १२६० ब, उद्दिष्ट प्राणधातिकी हिंसा-हिंसा ४.५३२ अ।
१.४१३ अ, वसतिका दोष ३ ५२८ ब । प्राणत-३१५४ ब, नारायण ४१८ब ।
प्रादुष्कृत-वसतिका दोष ३५२८ ब । प्राणत (देव)-३१५४ ब, अवगाहना १.१८१ अ, अवधि- प्रादोषिक काल-३१५६अ।
ज्ञान ११६८ ब, आयु १२६८, आयुबन्ध के योग्य प्रादोषिकी क्रिया-क्रिया २.१७४ ब । परिणाम १२५८ब, इन्द्र-निर्देश ४५१० ब, उत्तरद्र प्राधान्य पद-उपक्रम १४१६ ब, पद ३५ अ। ४५११ अ, परिवार ४५१२-५१३, चिह्न आदि प्राप्ति-ऋद्धि-ऋद्धि १.४४७, १.४५१ अ। ४५११ब, अवस्थान ४५२० ब, विमान नगर व प्राप्तिसमा जाति-३१५६ अ। भवन ४.५२०-५२१।
प्राप्य कर्म-कर्म २.१७ अ। प्राणत (देव)-प्ररूपणा-बन्ध ३.१०२, बन्धस्थान प्राप्यकारी-इन्द्रिय १.३०३-३०४।
३.११३, उदय १.३७८, उदयस्थान १.३६२ ब, प्राभूत-३.१५६ ब, श्रुतज्ञान ४६४ ब । उदीरणा १४११ अ, सत्त्व ४२८२, सत्त्वरथान प्राभूत दोष--आहार १२६० ब उद्दिष्ट १४१३ अ। ४२६८.४.३०५, त्रिसयोगी भग १.४०६ ब। सत् प्राभूतप्राभूत-श्रतज्ञान ४६४ ब।
Page #172
--------------------------------------------------------------------------
________________
भूभूत समाव
प्राभूतप्रभूत समास
प्राभृत समास श्रुतज्ञान ४६४ ब ।
प्रामाण्य - ३१५७ अ, प्रमाण ३ १४३ अ । प्रामाण्य भंग - इतिहास १ ३४१ ब । प्रामुष्य दोष- ३१५७ अ आहार १.२९० व उद्दिष्ट १४१३ अ ।
प्रायश्चित - ३.१५७ अ प्रायश्चित्त ३१५८ व भक्ष्याभक्ष्य ३.२०१ व व्युत्सर्ग २.६२३, व्रत ३६२६ अ सल्लेखना ४ ३६१ ब ।
प्रायाश्चित्त विधान- इन्द्रनन्दि १२६६ ब ।
समान ४.६४ व ।
प्रायश्चित्त शास्त्र - श्रोता (पात्रापात्र ) ४७५ ब ।
प्रायोगिक बध-वध ३१६९ व ।
प्रायोगिको किया - क्रिया २१७३ ब ।
प्रायोग्य लब्धि - नियति २.६१५ अ, लब्धि ३.४१२ ब । प्रायोग्यानुपूर्वी आनुपूर्वी १.२४७ अ
।
प्रायोपगमन - सल्लेखना ४३८६ ब ।
प्रायोपगमन मरण - सल्लेखना ४.३८६ व ।
१६६
प्रारंभ क्रिया - क्रिया २ १७४ ब ।
प्रारब्ध योगी —— ध्याता २४६४ अ, योगी ३.३८६ अ । प्रावचन ३ १६२ अ श्रुतज्ञान ४६० अ । प्राविष्कृत- ३.१६२ अ ।
प्रासाद३.१६२ अ, ज्योतिषी देवी के २३५१, भवनवासी देवो के ३.२१० व मध्यलोकवासी देवो के ३ ६१५, व्यन्तर देवो के ३६१२ ब ।
प्रासुक - ३१६२ अ, आहार (उद्दिष्ट ) १४१३ ब । जल २ ३२५ अ वनस्पति या सचित पदार्थ ४.१५० व प्रासुक परित्याग --- त्याग २ ३६७ ब । प्रासुक विहारी - विहार ३.५७४ अ ।
प्रास्थाल ३१६२ अ मनुष्यलोक ३.२७५ अ । प्रिय ३.१६२ अ धातकीखण्ड का रक्षक देव ३६१४, सुख ४४३० ब ।
प्रियकारिणी - ३.१६२ व तीर्थंकर वर्द्धमान २.३५० ।
प्रियकर-हरिदेव ४५३० अ
प्रियंगु- - तीर्थंकर सुमति व पद्मप्रभ २.३८३ ।
प्रियंगु सुदरी - यदुवंश १.३३७ ।
प्रियदर्शन - ३१६२ ब धातकीखण्ड का रक्षक देव ३४६३ अ, ३.६१४, महोरग जातीय व्यन्तर देव ३२६३ अ, लवण सागर का रक्षक देव ३६१४, सुमेरु का अपर नाम ४४३७ अ ।
प्रियदर्शना-व्यन्तरेन्द्र वल्लभिका ३.६११ ब । प्रिममित्र - ३.१६२ ब, नारायण ४१८ अ ।
फल
प्रियोद्भव क्रिया - मन्त्र ३.२४६ ब, सस्कार ४१५१ अ । प्रीतिंकर - ३१६२ ब, कुरुवश १३३५ ब, लान्तवेन्द्र का यान ४५११ व स्वर्ग (त्रैवेयक) पटल-निर्देश ४५१० विस्तार ४.५१८, अकन ४५१५, देव-आयु
१२६८ ।
प्रीति-वात्सल्य ३५३२ अ ।
प्रीति-किया- मन्त्र ३२४६ व संस्कार ४१५१ अ प्रेत- सल्लेखना ४ ३६६ ब । प्रेत्य भाव
३१६२ व न्यायदर्शन २६३३ ब
प्रेम ३१६२ व राग ३.३१७ ब, वात्सल्य ३५३२ अ, ३५३३ अ, श्रद्धा ४.४६ अ । प्रेमक तीर्थकर २३७७ । प्रेमानुराग राग २.३९५ अ
प्रेरक कारण २६४ अ, २६५ अ, (धर्मादि द्रव्य) २.६५ अ निमित्त २६४ अ, २६१२ अ ।
प्रेय प्रयोग- ३१६२ ब
प्रोक्षण विधि - ३ १६२ ब ।
प्रोषध प्रोषधीषवास ३१६३ अ । प्रोषध प्रतिमा - प्रोषधोपवास ३.१६५ अ । प्रोषधोपवास - ३.१६२ ब अनशन १६५ ब, क्षुल्लक २.१८६ अ ।
प्रोषधोपवास प्रतिमा - प्रोषधोपवास ३ १६४ ब । प्रोष्ठिल- ३१६७ अ मूल सघ १.३१६, इतिहास १३२८ अ तीर्थकर २३७७ ।
प्रष्ठित तीर्थंकर २.३७७, तीर्थकर वर्द्धमान २३७८ । प्लक्ष -- तीर्थंकर शीतलनाथ २.३८३ । प्लक्षणकूला शिखरी पर्वत का कूट तथा देवी निर्देश ३ ४७२ ब विस्तार ३४८३, अकन ३४४४ के सामने | प्लुत-अक्षर १३३ अ ।
-
फ
फण - ( पार्श्वनाथ प्रतिमा) पूजा ३.७८ अ । फल- ३.१६७ अ, कर्म २ २७ब, कारण ( जीव के परिणाम )
२ ७४ अ, न्याय २.६३३ ब, पूजा ३.७८ ब प्रमाण ३.१४२ अ भध्याभक्ष्य ३.२०३ व राग ३.३१७ अ सल्लेखना ४३९० ब ।
Page #173
--------------------------------------------------------------------------
________________
फलकमय सस्तर
फलकमय सस्तर
संस्तर ४ १५३ व
7
फलचारण ऋद्धि - ऋद्धि १४४७, १४५३ अ । फलत्याग - अनशन १.६६ अ, उपदेश १४२४ ब, तप २३५८ व २३६० अ, नि काक्षित २.५८५ ब, २५८६ अ, राग ३.३६७ अ । फलदशमी व्रत - ३.१६७ अ । फलदान - उदय १३६६ १.४१३ अ ।
अत्र १३६७ अ उदीर्ण
फलरस - रस ३ ३६२ ब ।
फलराशि - ३१६७ अ । फलाकांक्षा अनशन १.६६ अ, उपदेश १ ४२४ व तप २.३५८ व २.३६० अ नि काक्षित २५८५ व २५०६ अ, राग ३ ३६७ अ ।
फलेच्छा -- दे. फलाकाक्षा ।
फालि - अपकर्षण १११७ अ, काण्डक २४१ ब । फालि संक्रमण - सक्रमण ४ ८४ अ ।
फाहियान २.१६७ अ ।
फिलिप्स - ३१६७ अ ।
-
१६७
कुसी - कायक्लेश २४७ ब ।
फूई - भक्ष्याभक्ष्य ३.२०२ ब, ३२०३ अ ।
फूलदशमी व्रत ३१६७ अ । फेनमालिनी - ३.१६७ अ विमगा नदी -निर्देश ३४६० अ नामनिर्देश ३ ४७४ ब विस्तार ३४५९, ३.४६०, अकन ३ ४४४ (चित्र १३), ३.४६४ के सामने (चित्र ३७) ।
फोड़ा - कायक्लेश २४७ ब । फ्रेंच लाग- गणित २२२५ अ ।
ब
बंग-३१६७ अ मनुष्यलोक ३२७५ व । बगाल --- मगधदेश १ ३१० ब ।
बंदर
तीर्थंकर अभिनंदननाथ २३७९ । बंध -- ३.१६७ ब, अहिसा व्रत १.२१६ अ । बंध ( कर्मबध ) - ३.१६८ व अध्यवसान ( परिग्रह) ३२८
ब, अन्तर १.२३, अल्पबहुत्व १.१६४ ब, १४१७५, आसव १२८३ ब ईथ कर्म १.३४९ ब उदय
बधहेतु
१३६८ अ-ब उपयोग १४३२ अ एकसमयिक स्थिति ४.४५५ व करण दशक २६, गति व आयु बन्ध में अन्तर १२५४ अ, गुणस्थान (करण दशक ) २६ परिग्रह ३२८ व युति ३३७३ ब रागादि ब, ३१७४ रागाध (उपयोग ) १४३२ अ व्यवहारचारित्र २. २१० अ, व्यवहार धर्म २४७४ व शुक्लध्यान ४ ३४ अ, सङ्क्रान्ति ४३५८ अ ।
बध (प्ररूपणा ) -- प्रकृति ३८८ अ स्थिति ४४५७ में, ४४६०, अनुभाग १८८-६०, १९४ ब प्रदेश ३१३६, बन्ध ३६७, अन्तराय कर्म १२८ अ, आयुकर्म १२५४ अ १२६२ व बग्धस्थान ३१०८, उदय १३६८ अ, उदयस्थान १३८७, उदीरणा १.४११ अ उदीरणास्थान १.४१२, सब ४२७६, सरवस्थान ४२८७, त्रिसंयोगी भग १३६६-४०८, सक्रमण ४८४ अ अबहुत्व ११६४ १७६ ।
बंध- अपसरण - अपकर्षण १११५ अ, १११७ अ, काण्डक २४२ अक्षय २१७१ व २१५० अ ।
बंध- उदय सत्त्व त्रिभंगी - इतिहास १ ३४४ ब । बंधक ३ १७८ ब ।
बंधन - नामकर्म-प्रकृति- ३१७६ अ प्ररूपणा - प्रकृति ३८६२५८३, स्थिति ४४६३, अनुभाग ११५, प्रदेश ३१३७, बन्ध ३.१७, बन्धस्थान ३११०, उदय १.३७४, उदयस्थान १३९०, उदीरणा १ ४११ अ, उदीरणास्थान १.४१२, सत्व ४२७८ सत्त्वस्थान ४३०३, त्रिसयोगी भग १४०४, संक्रमण ४८५ अ अल्पबहुत्व ११७१ व ।
बंधन बद्धत्व - ३ १७६ ब । बंधनीय वेदना २.५९० व
बंधपरिणाम आयुबन्ध योग्य १ २५४ अ मोहनीय बन्ध
योग्य ३ ३४४ अ । बंधयोग्य प्रकृति - ३१० अ बध-विधान - ३.१७६ ब ।
बंध- वेदना -- अल्पबहुत्व ११७६ ।
बंध- समुत्पत्तिक - अनुभाग सत्कर्म स्थान १ ६१ व सत्त्व का अल्पबहुत्व ११६५ ब ।
बंधस्थान ३१७९ व अनुभाग १८१ व, आयु १२५६ स्थितिबन्ध अल्पबहुत्व
अ, प्रकृतिबन्ध ३१०८, १.१६४ ब ।
बंधस्पर्श - स्पर्श ४.४७६ अ ।
बंधस्वामित्व इतिहास १३४१ अ १३४५ अ । बंधहेतु उदय (मोहज भाव ) १४०८ व बन्ध २ १७५ अ ।
Page #174
--------------------------------------------------------------------------
________________
बधापसरण
बलिदोष
बंधापसरण-अपकर्षण १.११५ अ, १.११७ अ, काण्डक बप्रिला-तीर्थंकर नमिनाथ २.३८० । २.४२ अ, क्षय २.१७६ ब,२१८० अ।
बयालीस-बादाल की सहनानी २.२१८ब। बंधाभाव गति-गति २२३५ अ।
बरड़-गन्धमादन २.२११ अ। बंधावली-आवली १.२७६ अ, उपशम १.४४१ ब । बल-३ १८१ अ, इक्ष्वाकुवश १.३३५ अ, कालकृत हानिबंधुमति-यदुवंश १३३७ ।
वृद्धि २६३, गणधर २२१३ अ, तीर्थकर. सुपार्श्वबंधुवर्मा-इतिहास १.३३२ अ।
नाथ २.३८७, बलदेव ४१६, भावि शलाकापुरुष बधुसेन-यदुवंश १३३७ ब ।
४२६ अ, रुद्र ४.२२ अ, रघुवश १३३८ अ। बंधुसेना-तीर्थकर मल्लिनाथ २.३८८ ।
बलऋद्धि-ऋद्धि १.४४७, १४५४ ब । बंधोत्सरण-उत्कर्षण १३५३ ब ।
बलचंद्र-३.१८१ अ। बंध्यबधक भाव-कारक २५० अ।
बलदत्त-तीर्थकर सुपार्श्वनाथ २३८७ । बकरा-स्वप्न ४.५०५ अ ।
बलदेव-३ १८१ अ, गति-अगति (जन्म) २३२१ ब, यदुबकुल-तीर्थकर नेमिनाथ २३८३ ।
वश १३३७, शलाकापुरुष ४.१६ अ। बकुश-३.१७६ ब, श्रुतकेवली ४५५ ब ।
बलदेव (आचार्य)-सूरि ३१८१ अ, इतिहास-१३२८ बगुला-श्रोता ४७४ ब ।
अ । पुन्नाट सघ १.३२७ अ, इतिहास १.३२६ ब । बघेरवाल -आशाधर १२८० ब ।
बलभद्र-३१८१ अ, चक्रवर्ती ४.१० अ, प्रतिनारायण बड़-भक्ष्याभक्ष्य ३२०३ ब ।
४.२० ब । सुमेरु पर्वत का कूट व देव-निर्देश बड़वामुख-लवणसागर का पाताल-निर्देश ३.४७४ ब,
३४५० अ, विस्तार ३ ४८३, अकन ३ ४५१ । स्वर्ग
पटल-निर्देश ४.५१७, विस्तार ४५१७, अकन विस्तार ३.४७८, अकुन ३.४६१, चित्र ३.४६२ अ । बड़ानगर--३१८० अ।
४.५१५, देव-आयु १२६७ ।
बलमद-मद ३ २५६ ब ! बदला---उपकार १४१५ अ।
बलमित्र-३१८१ अ। बद्ध-३.१८० अ, कारण २.५६ ब । बद्धायुष्क-अकालमृत्यु (मरण) ३२८४ अ, आयुबन्ध ।
बलवत्ता-कारण (कर्म) २.७१ अ-ब ।
बलवान-कारण २.७१ब। १.२६२ अ, गुणस्थान आयु १.२६२ ब। जन्म
बलहद्दचरिउ -- इतिहास १ ३४५ ब । २.३१३-३१४, बन्ध-उदय सत्त्व (उदय) १.४०० अ,
बला (देवी)-गजदत कूट की-निर्देश ३.४७३ अ, । मरण ३.२८४ अ, सम्यग्दर्शन (आय) १.२६२ ब ।
३.६१४, आयु १.२६५ ब, पद्मह्रद की-निर्देश । बध्यमान आयु-अपवर्तन १.२६१ अ, आयु १.२५३ ब ।
३.४५५ अ, ३.६१४। वैमानिक इंद्रों की ४.५१३ , बध-३१८० अ। बघपरिषह-३.१८० अ।
बलाकपिच्छ-३.१८१ अ, मूलसंघ १.३२२ ब, देशीयगण बध्य-घातक विरोध-३.१८०, कर्म-जीव २६७ ब, विरोध
१.३२४ ब, इतिहास १.३२८ ब। ३५६४ ब, सम्बन्ध ४.१२६ अ।
बलाकामरण-मरण ३२८१ ब । बध्य-बन्धक भाव-नय २.५५० ब ।
बलात्कार गण-३ १८१ अ, मूलसंघ १३२३ अ, १.३२४ बध्यमान कर्म-३.१८० ब ।
। नन्दिसघ १. परि०/२.३, १. परि०/४.२, १३१८ बनवारीलाल-३१८० बा बनारस-तीर्थंकर पार्श्वनाथ २.३७६, नारायण ४.१८ अ,
बलाधानहेतु-कारण २.७१ ब, निमित्त २.६११ ब । प्रतिनारायण ४.२०, बलदेव ४१७ अ ।
बलाधायक हेतु-निमित्त २.६१२ अ। बनारसीदास-~-३.१८०ब, इतिहास १.३३४ अ, १.३४७
बलि-३१८१ अ, अकम्पनाचार्य १.३०ब, तीर्थकर मल्लि
नाथ २३६१, सुपार्श्वनाथ २.३८७, पूजा ३.७८ ब, बनारसौविलास-३१८० ब, इतिहास १.३४७ ब ।
प्रतिनारायण ४.२० अ, यदुवंश १.३३७ । बंदर-तीर्थकर अभिनंदननाथ २ ३७६ ।
बलिदत्त तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ २.३८७ । बप्पदेव-३१८०ब, इतिहास १.३२८ ब, १.३४० अ।। बलिदोष-आहार १.२६० ब, उद्दिष्ट १.४१३ अ, बप्पनदि-देशीय गण १.३२५ ।
वसतिका ३.५२८ ब ।
Page #175
--------------------------------------------------------------------------
________________
बलीद्र
१६६
बादर स्कंध
बलौद्र-३१८१ ब, प्रतिनारायण ४.२० अ ।
बा-बादर की सहनानी २२१९ अ । बल्लभ संप्रदाय--वैष्णव ३६०६अ।
बाकी-३ १८२ ब। बल्लभीपुर- श्वेताम्बर ४.७७ अ।
बागड़गच्छ-एकात (जैनाभासी सघ) १४६५ अ, काष्ठा बल्लाकदेव-३ १८१ ब ।
सघ १३२१ ब, १३२२ अ । बसंततिलक-इक्ष्वाक १३३५ ब ।
वाण-३१८२ ब। बहल-३ १८१ब।
बाणभट्ट-३ १८२ ब ।' बहिरगछेद-अहिंसा १.२१६ ब, छेद २३०६ ब, हिसा
बाणमुक्त-मनुष्यलोक ३ २७५ अ । ४५३३ ब।
बाणा--३ १८२ ब । मनुष्यलोक ३ २७६ अ । बहिरंग धर्मध्यान-नरक २४७८ ब ।
बादर - सहनानी २२१६ अ। बहिरंग शुद्धि- परिग्रह ३ २६ अ।
बादर आलोचना-आलोचना १२७७ ब । बहिरंग हिंसा-४.५३६ अ।।
बादर कषाय-गुणस्थान २२४६ ब । बहिरात्मा-३१८१ ब, अन्तरात्मा १२७ अ, आत्मा बादर-कायिक जीव-अवगाहना (सूक्ष्म) ४ ४३६ ब, आयु १२४४ ब, गुरु २२५२ अ, जीव २३३३ ब, भव्य
१२६४, काय २.४४, जीव २३३३ ब, जीवसमास ३ २१३ अ, मिथ्यादष्टि ३३०५ ब, ३३०६ अ,
२ ३४३। सूक्ष्म ४४३६ अ-ब । प्ररूपणा - बन्ध शक्ति-व्यक्ति ३ २१३ अ, सम्यग्ज्ञान २.२६७ ब ।
३१०४, बन्धस्थान ३ ११३, उदय १३३६ उदयबहिचित्प्रकाश-दर्शन २४०६ ब ।
स्थान १३९२ ब, उदीरणा १४११ अ, सत्त्व ४२८२, बहिर्मखचित्प्रकाश-दर्शन २.४०७ अ।
सत्त्वस्थान ४ २६६, ४ ३०५, त्रिस योगी भग १४०६ बहिर्यान क्रिया-मन्त्र ३२४७ अ, सस्कार ४१५१ अ,
ब । सत ४२०१-२०६, सख्या ४.१०१, क्षेत्र २२०१, सूतक ४४४२ ब ।। बहिस्तत्त्व - तरव २३५३ ब ।
स्पर्श न ४४८४, काल २१०६, अन्तर ११२, भाव
३ २२० ब, अल्पबहुत्व ११४६ । बहु-३ १८२ अ, मतिज्ञान ३ २५४ ब । बहुकेतु --३ १८२ अ, विद्याधर नगरी ३५४५ अ।
बादरकष्टि -२१४० ब । बहजन आलोचना--आलोचना १२७७ ब ।
बादर क्षेत्रफन- गणित २२३२ ब । बहुजन-पृच्छा आलोचना--आलोचना १.२७७ ब । बादर दोष-आहार १२६० ब, उद्दिष्ट १.४१३ अ । बहुजन ससक्त प्रदेश-भिक्षा ३२३१ अ।
बादर नामकर्म प्रकृति-सूक्ष्म ४४४० ब। प्ररूपणाबहुपुत्रा-व्यन्तरेद्र वल्लभिका ३६११ ब ।
प्रकृति ३८८, २५८३, ४४४० ब, स्थिति ४४६६, बहुप्रदेशी-काय २४४ अ।
अनुभाग १६५, प्रदेश ३ १३६, बन्ध ३६७, ब धबहु मतिज्ञानावरण-ऋद्धि १४४६ ब ।
स्थान १११०, उदय १३७५, उदयस्थान १३६०, बहुमान-३ १८२ अ।
उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व बहमख-विद्याधर नगरी ३.५४५ अ ।
४२७८, सत्त्वस्थान ४ ३०३, त्रिसंयोगी भग १४०४, बहुमखी - ३१८२ अ ।
सक्रमण ४ ८५ अ, अल्पबदुत्व ११६७ अ। बहरूपा-व्यन्तरेद्र वल्लभिका ३६११ ब ।
बादर-निगोद-वनस्पति ३५०५,३५०८। , बहरूपिणी-३१८२ अ, तीर्थकर नमिनाथ २.३७६ । बादर-निगोद-वर्गणा-बनस्पति ३.५०५ ब वर्गणा बहुल-रत्नप्रभा ३ ३६१ अ ।
३५१३ अ, ३५१५-३५१८ । बहुलप्रमतीर्थकर २३७७ ।
बावर परिधि -गणित २२३२ ब । बहुवज्रा-३१८२ अ, मनुष्यलोक ३.२७५ ब।
बादर-प्राभृत दोष-~~आहार १२६० ब । बहुविध-३.१८२ अ, मतिज्ञान ३ २५४ ब ।
बादर-वनस्पति-वनस्पति ३५०४। बहुविध मतिज्ञानावरण-ऋद्धि १४४६ ब।
बावर-बादर-स्कंध-स्कन्ध ४४४६ ब । बहुश्रुत-३१८२ ब, सस्कार ४१५० अ ।
बादर युग्मराशि-ओज १४६६ ब। बहुश्रुत भक्ति-भक्ति ३१६८ ब।
बादर सांपराय-अनिवृत्तिकरण १६७ ब । बहूदक-वेदान्त ३ ५६५ ब ।
वादर सांपरायिक बंधक बन्धक ३ १७६ अ । बांस-तीर्थकर नेमिनाथ २.३८३ ।
बादर स्कंध-स्कंध ४,४४६ब।
Page #176
--------------------------------------------------------------------------
________________
बादरायण
बाह्य परिग्रह
बादरायण-३१८२ ब, अज्ञानवादी १३७ अ, १.३८ ब, बालादित्य-३.१८३ अ। एकातवादी १४६५ ब, वेदान्त ३.५६५ ब ।
बालिश्त-३.१८३ अ। बादरि-वेदात ३ ५६५ ब ।
बाली-३ १८३ अ, वानरवश १.३३८ ब । बादाल-३ १८२ ब, सख्याप्रमाण २.२१४ ब, सहनानी बालक-सौधर्मेंद्र का यान ४५११ ब । २२१८ ब।
बालुकाप्रभा--३ १८३ ब, तृतीय नरक पृथिवी-निर्देश बाधक-कारण (कर्मोदय) २.७१ ब ।
२.५७६ अ, पटल २५७६, इंद्र श्रेणीबद्ध बिल २ ५७८, बाधारहित-सुख ४४३२ अ।
२५७६, विस्तार २५७६, २५७८, अकन ३ ४४१ । बाधित-३ १८२ ब ।
नारकी--अवगाहना १.१७८, अवधिज्ञान ११६८ बाध्य-बाधक भाव - संबध ४ १२६ अ।
अ, आयु १२६३ ।। बानमुक्त - ३१८२ ब ।
बालुकाप्रभा (प्ररूपणा)-बध ३.१०१, बधस्थान ३११३, बानर-३१८२ ब, स्वप्न ४५०५ अ ।
उदय १३७६, उदयस्थान १.३६२ ब, उदीरणा बारस-अणुवेक्खा--३१५२ब, इतिहास १.३४० ब ।
१४११ अ, सत्व ४२८१, सत्त्वस्थान ४.२६८ बारह-अग (श्रतज्ञान) ४६७ ब, अनुप्रेक्षा १७६ अ,
४३०५, विसयोगी भग १४०६ ब । सत् ४१७१, आयतन (बोद्ध) १२५१ अ। आवर्त (कृतिकर्म)
सख्या ४६५, क्षेत्र २.१६७, स्पर्शन ४४७६, काल १.२७६ अ, २१३३ ब, चक्रवर्ती ४१० ब, तप २१०१, अन्तर १८, भाब ३ २२० अ, अल्पबहुत २.३५६ अ, जीवसमाम २३४१, भावना (अनुप्रेक्षा) १.१४४। १७० ब, भिक्षाप्रतिमा (सल्लेखना) ४.३६२ ब, श्रत- बालेद्र-विद्याधरवंश १.३३६ अ। ज्ञान के अग ४ ६७ ब।
बालीक - मनुष्यलोक ३.२७५ ब । बारह-तप व्रत-३१८२ ब ।
बासन-कर्म (पंचसूत्र) २२६ ब । बारह बिजोरा-३.१८३ अ।
बासी भोजन-३१८३ ब, भक्ष्याभक्ष्य ३.२०२ ब । बारहदशमी व्रत-३.१८३ अ।
बाहु तीर्थंकर २३६२। बाल-३१८३ अ, औदारिक शरीर १.४७२ अ।
बाहुतप-कायक्लेश २ ४७ अ । बालकन्या-मगल ३.२४४ ब ।
बाहुबलिचरिउ- इतिहास १३४५ ब । बालक्रिया-क्रिया २.१७५ अ ।
बाहुबली-३१८३ ब, इक्ष्वाकुव श १३३५ अ, काम बालचद्र-३१८३ अ, भावि शलाकापुरुष ४२५ अ । देव ४ २२ ब, पूजा (प्रतिमा) ३.७८ अ, शल्य ४.२६ काष्ठासघ १३२७ अ, इतिहास १.३२६ ब ।
ब, सोमवश १.३३६ ब ।
बाहुबली (कवि)-इतिहास १३३३ ब । बालचंद्र सैद्धांतिक-इतिहास १.३३१ ब, १.३३२ अ।
बाहुल्य--३ १८३ ब। बालचन्द्रा-यदुवश १.३३७ ।
बाह्य-३ १८३ ब। बालचरण-ज्ञान २.२६७ ब, निंदा (साधु) २५८६ अ।
बाह्य अनर्थदड-आखेट १.२२५ अ । बालचारित्र - चारित्र २.२८८ अ, २२८६ अ ।
बाह्य उपधि-उपधि १.४२७ अ, व्युत्सर्ग ३.६२३ ब । बालतप-तप २.३५६ ब ।
बाह्य करण-निमित्त २६११ ब । गालनंदि-३ १८३ अ, देशीय गग १.३२५, इतिहास
बाह्य कारण-कारण-कार्य २.७२ ब । १.३३१ अ।
बाझ चिह्न-धर्मध्यान २.४७८ ब । बालपडितमरण- मरण ३२८०ब।
बाह्य तप.कर्म-कर्म २२६ अ । बाल बालमरण-मरण ३ २८० ब ।
बाह्य तप-तप २.३५९ अ, २.३६१ ब । बालमरण-मरण ३.२८० ब ।
बाहा त्याग-परिग्रह ३२७ ब,३ २६ब । बालबत-चारित्र २२८६ अ, तप २.३५६ ब ।
बाह्य द्रव्यमल - मल ३.२८८ अ । बालधुत-ज्ञान २२६७ ब, चारित्र २२८८ अ, निन्दा
बाह्य धर्मध्यान-२४७६ अ, २४८१ अ। (साधु) २.५८६अ।
बाह्य नास्तिक्य-नास्तिक्य २५८५ ब । बालान- ३.१८३ अ।
ब्राहा परिप्रह-उपधि १.४२५ अ, अथ २.२७३ ब । बालाचार्य --आचार्य १.२४३ अ, दिशा २,४३३ ब। परिग्रह ३.२८।
Page #177
--------------------------------------------------------------------------
________________
बाह्य पारिषद
बूचीराज
बाह्य पारिषद-पारिषद ३.५६ अ। बाह प्रत्ययकषाय २३५ ब, प्रत्यय ३.१२५ ब । बाह्य प्रमेय -प्रमाण ३१४४ अ। बाह्य प्राण-हिंसा ४५३२ ब। बाह्य वर्गणा-वर्गणा ३.५१६ ब । बाह्य व्यास-गणित २ २३३ ब । बाह्य व्युत्सर्ग-व्युत्सर्ग ३.६२३ ब । बाह्य शास्त्र-शास्त्र ४२८ अ । बाह्य शुक्लध्यान-शुक्लध्यान ४.३२ ब । बाद्य सल्लेखना-सल्लेखना ४.३८२ अ। बाह्य सूची- गणित २.२३३ ब । बाह्य हिसा--हिंसा ४५३५ अ । बाह्य हेतु-कारण २५४ अ, २७२ ब । बाझोपधि व्युत्सर्ग-व्युत्सर्ग ३.६२३ ब । बिंदु-सख्या प्रमाण २२१४ ब। बिदुसार---३.१८३ ब, मगधदेश-इतिहास १३१० ब,
बीधा अन्न--भक्ष्याभक्ष्य ३२०३ अ। बीस- आयुबध-स्थान १२५६ अ, प्ररूपणा ३१४७ अ,
मार्गगा (२० प्ररूपणा) ३२६८ अ । बीसिय-३१८४ अ। बद्ध ३१८४ अ, ग्रह २२७४ अ, मगधदेश- इतिहास
१३१० ब, वीर सवत् १ परि०/१। बुद्ध गया-उरुबिल्व १४४५ ब । बुद्धगुप्त--३ १८४ अ। बुद्धस्वामी-३.१८४ अ, इतिहास १.३२६ ब । बुद्धि-३१८४ अ, अध्यवसान १५२ अ, अनुगताकार
(अन्वय) १,११२ ब, न्याय २६३३ ब, सस्कार
४.१५० अ। बुद्धि ऋद्धि-ऋद्धि १४४७-४५० । बुद्धिकीति-३ १८४ ब। बद्धिकट-३.१८४ ब, रुक्मिपर्वत का-निर्देश ३ ४७२,
विस्तार ३४८३, ३ ४८५, ३ ४८६, अकन ३ ४४४
के सामने। बद्धिदेवी-३१८४ ब, भवनवासिनी-निर्देश ३.६१२ अ,
परिवार ३.६१२ अ, भवनविस्तार ३.६१५, आयु १.२६५ ब, ह्रद-निवासिनी-निर्देश ३.४५३ ब, परिवार ३६१२ अ, रुक्मि पर्वत के कट की-निर्देश
३.४७२ ब, अकन ३.४४४ के सामने । बुद्धिल-मूलसघ १.३१६ । बुद्धिलिंग-११८४ ब, मूलसघ १३१६, इतिहास १३२८
बिब-३.१८३ ब। बिबसार-३ १८४ अ, मगधदेश - इतिहास १.३१० ब,
१.३१२। बिबोष्ठ-विद्याधर वंश १३३६ अ। बिल-३ १८४ अ। नरक-निर्देश २५७६ ब, श्रेणी
४७२ ब, सख्या २.५७८-५७६, विस्तार २.५७८
५७६, अवस्थान २.५७६, अकन ३.४४१ । बीज - ३१८४ अ, अग्नि १३६ अ। बीजगणित--३.१८४ अ। बीजचारण ऋद्धि-ऋद्धि १४४७, १.४५३ अ। बोजदर्शनार्य-आर्य १२७५ अ । बोजना-चैत्य-चैत्यालय २३०२ अ। बीजपद-अर्थ ११३५ अ, पद ३.४ अ, पद्धति ३.८ ब । बीजबुद्धि ऋद्धि-ऋद्धि १४४८ अ-ब, १.४४६ अ, गणधर
२२१२ ब। बीजमान -प्रमाण ३१४५ अ । बीजरचि-सम्यग्दर्शन ४.३४८ ब। बीजरुद्ध-धनस्पति ३.५०३ अ, ३.५०६अ। बोजसम्यक्त्वार्य-आर्य १२७५ अ । बोज-सम्यग्दर्शन-सम्यग्दर्शन ४.३४८ ब । बीजा--३.१८४ अ, मनुष्यलोक ३.२७५ ब । बीजाक्षर-अक्षर १३३ अ, दिव्यध्वनि २.४३२ ब । बीपी-३१८४ अ, समवसरण ४.३३०ब।
बुद्धिवीर्य-तीर्थंकर पुष्पदत २.३६१ । बुद्धिसागर-चक्रवर्ती ४१३ अ, ४.१५ अ। बबेशभवनव्याख्यान-३१८४ ब, इतिहास १.३४१ । बुध-३ १८४ ब । ज्योतिष ग्रह-निर्देश २.३४८ अ,
विस्तार २३५१ ब, आकार २३४७, किरणे तथा वाहक देव २३४७, चित्र २३४७, देव आयु १.२६६ ब। आधुनिक मत ३४३६ अ, वैदिक मत ३४३२
बुधजन-३१८४ ब, इतिहास १३३४ ब, १.३४८ अ। बुधजनविलास ३१८४ ब, इतिहास १३४८ अ । बुधजन सतसई-३१८४ ब, इतिहास १.३४८ अ । बुभुक्षा काल-भिक्षा ३२२८ ब । बुलाकीदास-३१८४ ब, इतिहास १.३३४ अ। बचिमय्यंगुल-गण्डविमुक्त देव २२१०ब। बूचीराज-३.१८४ ब, इतिहास १.३३१ ब, १.३३३ ब,
१.३४७ अ।
Page #178
--------------------------------------------------------------------------
________________
बृहती
१७२
ब्रह्मदेव
बृहती-मीनासादर्शन ३ ३११ अ।
बोधितबुद्ध-३ १८५ अ, सख्या ४.६४ अ, अल्पबहत्व बृहत्कथा -३.१८४ ब ।
११५४ अ। बहतकथाकोष-कथाकोष २३ ब, इतिहास १३४२ अ। बोधिदुर्लभ-अनुप्रेक्षा १.७५ ब, १.८० अ। बृहत्कथासरितसागर-कथाकोष २३ ब।
बोधिसमाधियत्र-यत्र ३३५६ । बृहत्कांत-राक्षसव श १ ३३८ अ।
बौद्धदर्शन-३१८५ अ, आयतन १२५१ अ, इतिहास बृहत्कीति--राक्षसवश १ ३३८ अ।
(मगध देश) १३१० ब, एकात १४६५ अ-ब, जीव बृहत्केतु-कुरुवंश १.३३६ अ।
२३३६ ब, द्रव्य २.४५८ अ, भूगोल ३४३४ अ। बहतक्षेत्रसमास-३ १८४ ब, इतिहास १३४१ अ।
बौद्धायन--मीमासादर्शन ३३११ अ । बृहत्चूणि--१.३४१ ब,२ परि०/१।
ब्रह्म-३१८८ अ, ओम् १.४६९ ब, जीव २ ३३६ अ । बहत त्रयम्-३१८४ ब, अकलंक १३१ अ, इतिहास
तीर्थकर पुष्पदंतनाथ का यक्ष २३७६ । १३४१ ब ।
ब्रह्म (देव)-अवगाहना ११८० ब, अवधिज्ञान १.१६८, बृहतशतक चूर्णी--इतिहास १ ३४१ ब, २ परि०/१
आयु १.२६७, आयुबध के योग्य परिणाम १२५८ बहतसग्रहिणी सूत्र-३ १८५ अ, इतिहास १३४१ अ ।
ब। निर्देश ४.५१० ब, दक्षिणेद्र ४५११ अ, चिह्न बृहतसघायणी सुत्त इतिहास १३४१ अ।
आदि ४५११ ब, परिवार ४५१२-५१३, अवस्थान बृहत्सर्वज्ञसिद्धि-३ १८५ अ, अनन्तकीर्ति १.५० ब,
४५२० ब, विमान, भवन व नगर ४५२१ । इतिहास १३३० अ, १३४२ अ।
ब्रह्म (देव)-प्ररूपणा-बध ३ १०२, बधस्थान ३.११३, बृहद्गति--राक्षसवश १ ३३८ अ।
उदय १३७८, उदयस्थान १३६२ ब, उदीरणा बृहदगृह ३१८५ अ, विद्याधर नगरी ३ ५४५ अ ।
१.४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४२८२, बृहद्बल-३१८५ अ ।
सत्त्वस्थान ४.२६८, ४.३०५, त्रिसयोगी भग १.४०६
ब । सत् ४ १६२, सख्या ४६८, क्षेत्र २ २००, स्पर्शन बृहद्रथ - यदुवंश १३३७, हरिव श १ ३४० अ।
४४८१, काल २१०४, अन्तर ११०, भाव ३.२२० बृहद्वसु - हरिवश १ ३४० अ।
ब, अल्पबहुत्व ११४५ । बहस्पति-३.१८५ अ, ग्रह-निदेश २३४८ अ, नाम- ब्रह्म (स्वग)--निर्देश ४.५१४ ब, पटल ४.५१८ इन्द्रक व निर्देश २ २७४ अ, विमान का आकार २.३४७,
श्रेणीबद्ध ४ ५१८, ४.५२०, दक्षिण विभाग ४५२१ विमान का विस्तार २३५१ ब, विमान का चित्र
अ, अवस्थान ४५१४ ब, ४ ५२० ब, अकन ४५१५। २३४७, किरणे तथा वाहक देव २.३४७ । आधुनिक
बौद्धाभिमत ३४३५ । ब्रह्म स्वर्ग का पटल-निर्देश मत ३४३६ अ. वैदिक अभिमत ३४३२ ब । देव
४.५१८, विस्तार ४५१८, अंकन ४.५१५ । देव-आयु आयु १.२६६ अ, इन्द्र २ ३४५ ब ।
१२६७। बेलधर-३ १८५ अ।
ब्रह्म (स्वर्ग,-चक्रवर्ती ४१० ब, नारायण ४१८ ब । बेल--तीर्थकर शीतलनाथ २३८३ अ।
बलदेव ४.१६ ब, ४१७ अ,४१८ ब । बेलड़ी-३१८५ ।
ब्रह्मचर्य-३१८८ अ, अहिसा १२१७ अ, चारित्रशुद्धिबलन-३.१८५ अ ।
व्रत २२९४ ब। बेलनाकार-३.१८५ अ, गणित २२३४ अ ।
ब्रह्मचर्य आश्रम-आश्रम १.२८१ अ, वर्णव्यवस्था ३५२४ बेला व्रत-३.१८५ अ। बैल-तीर्थंकर ऋषभनाथ २.३७६, तीर्थकर सीमन्धर ब्रह्मचर्य आश्रमी--ब्रह्मचर्य ३.१६४ अ।
तथा सरिप्रभ २३६२, स्वप्न ४५०४ अ, ४५०५ ब्रह्मचर्य तप-ऋद्धि-३.१६४ अ । अ ।
ब्रह्मचर्य प्रतिमा - ब्रह्मचर्य ३ १६० अ। बोदृनराय-३.१८५ अ ।
ब्रह्मचारी-३ १९४ अ, आश्रम १.२८१ अ । बोध पाहुड-३ १८५ अ, इतिहास १.३४० ब।
ब्रह्मदत्त-३ १६४ ब, चक्रवर्ती ४.१० अ, तीर्थंकर बोधायन--३.१८५ अ, वेदात ३.५६५ ब ।
२.३६१। बोधि-३ १८५ अं।
बह्मदेव-३.१६४ ब, इतिहास १.३३१ ब, १.३४३ ब ।
Page #179
--------------------------------------------------------------------------
________________
सम् ब्रह्मन दि
१७३
भगलि
ब्रह्मनदि-नन्दिसघ भट्टारक १३२३ ब ।
इन्द्रक श्रेणीबद्ध ४५१८-५२०, उत्तर विभाग ४५२१ ब्रह्मभूति–नारायण (पिता) ४ १८ अ।
अ, अवस्थान ४.५१४ ब, अकन ४.५१५ ब । ब्रह्ममीमांसा---मीमासादर्शन ३ ३११ अ ।
बात-कुरुवरा १३३५ ब । ब्रह्मरथ-इक्ष्वाकुवश १३३५ ब, चक्रवर्ती ४.११ ब । ब्राह्मण--३.१६५ अ, यज्ञोपवीत ३ ३७० अ, वर्ण-व्यव था ब्रह्मराक्षस-३१६४ ब, राक्षरा ३३६३ ब ।
३५२३ ब, ३ ५२४ अ। ब्रह्मरुचि-रुद्र ४ २२ अ ।
ब्राह्मी-३१६६ ब, तीर्थकर ऋषभदेव २३८५, तीर्थंकर ब्रह्मर्षि--ऋषि १.४५७ ब ।
पार्श्वनाथ २३८०। ब्रह्मलोक-लौकान्तिक देव ३४६४ अ। ब्रह्मवाद--अद्वैतवाद १४६५ व । ब्रह्मविद्या --३ १६४ ब, इतिहास १.३४४ अ । ब्रह्मविलास-इतिहास १३४७ ब । ब्रह्म संप्रदाय - वैष्णव दर्शन ३.६०६ अ। ब्रह्मसाधारण-इतिहास १३३३ अ। ब्रह्मसिद्धि --वेदान्त ३५६५ ब । ब्रह्मसूत्र-वेदान्त ३ ५६५ ब ।
। भग-३१६६ ब, अभर १३३ अ, आयुकर्म के त्रिसयोगी ब्रह्मसेन-३.१६४ ब, काष्ठा संघ १३२७ अ, लाडबागड भग १२६२, गणित २२२८ अ, पर्याय ३.४५ ब, सघ १३२७ ब, सेनसघ १३२६ अ।
प्रत्यय ३१२६ ब, प्रत्ययस्थान ३ १२६ ब, बन्ध-उदय ब्रह्महृद-३१६४ ब।
सत्व के त्रिसयोगी भग १४०१, मनुष्यलाक ३.२७५ ब्रह्महृदय--स्वर्गपटल निर्देश ४.५१८, विस्तार ४.५१८, ब। अंकन ४ ५१५, देव-आयु १२६७ ।
भंगविचय--अनुयोगद्वार ११०३ अ। ब्रह्मा-चक्रवर्ती ४११ ब, नक्षत्र २५०४ व, निन्दा २ ५८८ ।। भंगविधि-भग ३१६६ ब, श्रुतज्ञान ४६० अ। ब।
भंडारदशमी व्रत-३१६७ अ । ब्रह्माद्वैत-अद्वैतवाद १४७ ब । नय २४५८ अ, वेदान्त भक्त-३ १६७ अ। ३५६६ अ।
भक्तकथा-कथा २३ ब। ब्रह्मेश्वर -३१९४ ब, शीतलनाथ का यक्ष २ ३७६ । भक्तपान संयोजना-अधिकरण १.४६ अ। ब्रह्मोत्तर (देव)-३१६४ ब । अवगाहना ११८० ब, भक्तप्रत्याख्यान-सल्लेखना ४३८५-३८७ ब।
अवधिज्ञान १११८, आयु १२६७, आयुबन्ध के योग्य भक्तामर कथा-३ १९७ अ, इतिहास १३४७ ब, १३४८ परिणाम १२५८ ब । इन्द्र-निर्देश ४५१० ब, अ। उत्तरेन्द्र ४५११ अ. चिह्न आदि ४५११ ब, भक्तामर स्तोत्र--३ १६७ अ, इतिहास १.३४१ ब । स्तोत्र परिवार ४५१२-५१३, अवस्थान ४५२० ब, विमान ४४४९ व । व नगर ४.५२०-५२१ ।
भक्ति-३ १९७ अ, पूजा ३७५ अ, ३७६ अब, ब्रह्मोत्तर (देव)-प्ररूपणा-बध ३ १०२, बधस्थान (प्रतिमा) ३७७ ब, सम्यग्दर्शन ४.३५१ अ ।
३११३, उदय १.३७८, उदयस्थान १३६२ ब, भक्ति (नवधा)-आहार १२८६ ब । उदीरणा १.४११ अ, सत्त्व ४.४८२, सत्त्वस्थान भक्षण-पूजा (पूजा किये बिना भोजन करना) ३७५ ब । ४२६८,४३०५, त्रिसयोगी भग १४०६ ब। सत् भक्ष्य नैवेद्य,-पूजा ३.८० अ। ४१६२, सख्या ४.६८, क्षेत्र २.२००, स्पर्शन ४४८१, भक्ष्याभक्ष्य--३.२००ब। काल २.१०४, अन्तर १.१०, भाव ३२२० ब, अल्प- भग-परमात्मा ३.२० ब, नक्षत्र २.५०४ ब । बहुत्व ११४५।
भगवत - गणधर २२१३ अ । ब्रह्मोत्तर (पटल)-स्वर्गपटल-निर्देश ४.५१८, विस्तार भगदेव- गणधर २२१३ अ । ४.५१८, अंकन ४५१५, देव-आयु १२६७ ।
भगफल्ग-गणधर २.२१३ अ । ब्रह्मोत्तर (स्वर्ग)-निर्देश ४.५१४ ब, पटल ४.५१८, भगलि-तीर्थकर २ ३७७ ।
Page #180
--------------------------------------------------------------------------
________________
भगवती आराधना
भरतक्षेत्र
भगवती आराधना-३ २०४ ब, अमितगति ११३२ अ, भद्रशालवन-३२०६ अ, चत्य-चैत्यालय २.३०३ अ. __इतिहास १३४० अ।
सुमेरु का वनखण्ड-निर्देश ३ ४५० अ, विस्तार भगवती आराधना टीका-आशाधर १.२८१ अ।
३४८८, अंकन ३४४४ के सामने, ३ ४५७, ३ ४६४ भगवतीदास-३२०५ अ, इतिहास १.३३४ अ, १.३४७
के सामने, चित्र ३ ४४६ । ब।
भद्रसंघ-दि० सघ १३१७ ब । भगवान् -केवली २१५८ ब, परमात्मा ३२० ब। भद्रसेन-काष्ठा सघ १३२७ अ। भगीरथ-३२०५ अ।
भद्रांभोजा-बलदेव ४.१७ ब । भग्नघट श्रोता-उपदेश १.४२५ ब ।
भद्रा-३२०६ अ चक्रवर्ती ४.११ व, रुचकवर पर्वत की भट्ट अकलंक-१३१ अ, ३.२०५ अ, इतिहास १.३३४ अ, दिक्कुमारी ३४७६, अक ३४६८-४६६, वाचना १३४१ ब, १३४७ ब।
३५३१ ब, विद्याधरवश १३३६ अ, व्यन्तरेन्द्र गणिका भट्ट चार्वाक-जीव २.३३६ ब ।
३६११ ब। भट्ट प्रभाकर-मीमासक एकाती १.४६५ ब ।
भद्राश्व-३२०६ अ, विद्याधर नगरी ३५४६ अ। भट्ट भास्कर-३२०५ अ ।
भद्रासन - पाण्डुकशिला पर स्थित-निर्देश ३ ४५२ अ, भट्ट वोसरि-इतिहास १.३३० ब, १.३४२ ब ।
विस्तार ३४८४, चित्र ३४५२ अ। भट्टाकलंक -१.३३४ अ । देखिए भट्टअकलक।
भद्रिल-तीर्थकर शीतलनाथ २३७६ । भट्टारक-३.२०५ अ ।
भय-३२०६ अ, अतिचार १४४ अ, काय २ ३५ ब, भवत-३.२०५ अ, अनगार १.६२ अ ।
२.३६ अ, नि शकित २५८६ ब, विनय ३.५५३ ब, भदेय-मनुष्यलोक ३ २७५ ब ।
सज्ञा ४१२० ब, सत्य ४ २७२ अ, हिंसा ४५३३ ब । भद्र-३२०५ अ, इक्ष्वाकुवश १३३५ अ, नन्दीश्वर सागर भय दोष-व्युत्सर्ग दोष ३.६२२ ब।
का रक्षक देव ३ ६१४, बलदेव ४.१६ अ, ४.१७ अ, भयद्विक्-१३७४ ब । ४१८, मनुष्यलोक ३२७५ ब। रुचकवर पर्वत का भय प्रकृति--प्ररूपणा–प्रकृति ३.८८, ३.३४१, स्थिति कूट -निर्देश ३४७६ अ, विस्तार ३४८७, अकन सत्त्वस्थानो का अल्पबहुव १.१६५ ब, अनुभाग १६४, ३.४६६ । हरिवश १.३४० अ।
प्रदेश ३ १३६ । बन्ध ३६७, बन्धस्थान ३ १०९, भद्रक-३२०५ अ, यक्ष ३.३६६अ।
उदय १.३७५, उदयस्थान १.३८४ ब, उदीरणा भद्रकाली-३२०५ अ, विद्या ३५४४ अ।
१४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सस्व ४२७८, भद्रपुर-३ २०५ अ, तीर्थंकर शीतलनाथ २ ३७६, मनुष्य- सत्त्वस्थान ४.२६५, त्रिसयोगी भग १४०१ब। लोक ३२७६ अ.
सक्रमण ४८५ अ, अल्पबहुत्व १.१६८ ब। भद्रबल-गणधर २२१३ अ।
भय विनय-विनय ३५४८ ब । भद्रबाहु-३२०५ अ । प्रथम-मलसंघ १.३१६, भय वेदनीय मोहनीय ३ ३४४ ब। १ परि०/२१,२,७, नन्दिसघ १. परि०/४.२, काल
भय संज्ञा-सज्ञा ४.१२० ब, ४१२१ अ । विचार १. परि०/२-३ । इतिहास १.३२८ अ,
__ भयानक वन-वसतिका ३.५२८ अ। श्वेताम्बर ४७७ अ, ४.७८ अ । द्वितीय-मूलसघ भरणी नक्षत्र २५०४ ब ।। १.३१६, १ परि०/२१,२,३,७, नन्दिसंघ १३२३ भरत-३२०६ ब, इक्ष्वाकुवश १३३५ अ, (विशेष दे अ। इतिहास १३२८ अ, श्वेताम्बर ४.७७ अ, ४.७८ भरत चक्री) भावि शलाकापुरुष ४२५ अ, यदुवंश
१.३३७, रघुवश १३३८ अ। भद्रबाहु गणी--३.२०५ ब ।
भरतक्षेत्र-३.२०७ अ। निर्देश ३४४६ अ, विस्तार भद्रबाहुचरित-३२०५ ब, इतिहास १३४६ ब ।
३४७६, ३४८०, ३४८१, अंकन ३.४४४ के सामने, भद्रमित्र-३.२०५ब।
३४६४ के सामने, चित्र ३.४४७ । अवगाहना भद्रमुख-चक्रवर्ती ४.१३ अ, ४.१५ अ।
१.१८०, आयु (तिर्यच) १.२६३, आयु (मनुष्य) भद्रलपुर-३.२०५ ब, मनुष्यलोक ३.२७६अ।
१२६४, कर्मभूमि ३.२३५ ब, कालविभाग २.६२ अ, भनवती-चक्रवर्ती ४.११ब
२.६३ । आधुनिक भूगोल ३.४३६ अ, ३.४३७ अ,
अ।
Page #181
--------------------------------------------------------------------------
________________
भरतकूट
वैदिक भूगोल ३४३१ ब ।
भरतकूट - ३२०७ अ विजयार्ध
निर्देश ३.४७१ ब
विस्तार ३४८३, अकन २.४४४ के सामने हिमवान --- निर्देश ३.४७२ अ विस्तार ३४८३ अंकन ३.४४४ के सामने ।
-
भरतचद्र - नंदि सघ १ ३२४ अ ।
भरत चक्री - अकम्पन १३० ब, अच्युत स्वर्ग १४१ अ, इक्ष्वाकुवंश १३३५ अ ऋषभ के पुत्र २.३६१, कुलकर ४२३, चक्रवर्ती ४१० अ, चारित्र २२६१ अ, तीर्थकर ऋषभ २३९१, दीक्षा २२६१ अ, लिंग धारण ३.४१९ अ, विभूति ४.१५ अ सूर्यवंश १३३९ ब, स्वप्न ४५०५ अ ।
भरतचंद्र नदिसघ १३२४ अ ।
भरतिमय्य- गण्डविमुक्त देव २२१० ब ।
भरतेशवैभव - इतिहास १३४७ अ । भरतेश्वराभ्युदय --- ३.२०७ अ, आशाधर १२८१, इतिहास १ ३४४ ब ।
भरिचूड - विद्याधरवश १३३१ अ ।
भरकच्छ - ३.२७ अ मनुष्यलोक ३२७५ अ भतं प्रपच - ३.२०७ अ वेदान्त ३५१५ ब । भतं प्रपंच वेदांत वेदान्त ३५१६ अ ।
मतं हरि - ३.२०७ अ ।
भल्लक - नरकलोक मे जन्मभूमि का आकार २. ५७७ अ । भव - ३२०७ब, कारण २६४ अ प्रत्यय १.१५७ व ३८८३१० अ भाविणलाकापुरुष ४२६ अ ।
,
भवनजय — विद्याधर नगरी ३.५४६ अ ।
१७५
,
भवन - ३२०७ व काञ्चनगिरि पर ३४५३ अ, चैत्यचैत्यालय मे २३०३ अ । जम्बू व शाल्मली वृक्षस्थलो मे ३.४५८ ब, अकन ३.४५६ । दिग्गजेन्द्र पर्वतो पर ३ ४५३ अ, मध्यलोक मे ३.६१५ अ, यमक पर्वतो पर ३४५३ अ । भगनवासी देवो के निर्देश ३ २०७ अ, ३.६१५ अ, विस्तार ३२१० व अवस्थान ३२१० व स्वरूप ३ २१० ब संख्या ३.२१० ब लोकपाल देवो के ३४५० ब । व्यन्तर देवो केनिर्देश ३४७१, ३६१२ अ ३६१३. विस्तार १.६१५ अ, अवस्थान ३६१२ अ, ३.६१३, स्वरूप ३६१२ ब, सख्या ३.६१२ व स्वर्गवासी देवो के निर्देश ४५२१ अ विस्तार ४.५२१ व अवस्थान ४५२० ब, स्वरूप ४ २५१ अ ।
1
,
भवनतापि देव (आकाशोपपन्न) २.४४५ ब ।
भवनत्रिक द्वेष प्ररूपणा बन्ध ३.१०२ बन्धस्थान
भवायु
३. ११२, आयुबन्ध योग्य परिणाम १.२५७ अ, उदय १.३७८, उदयस्थान १३९२ व उदीरणा १.४११ अ, सत्त्व ४.२८२, सत्त्वस्थान ४.२६८, ४.३०५, त्रिसयोगी भंग १४०६ व सत् ४ १८७, संख्या ४.१७, क्षेत्र २.१६६, स्पर्शन ४.४८२, काल २१०४, अन्तर ११०, भाव ३.२२०, अल्पबहुत्व १.१४५ । भवनपुर भवनवासी देवो के ३-२०७ व ३.२१० अ । व्यन्तर देवों के निर्देश ३.६१२ अ, स्वरूप ३.६१२, विस्तार ३६१५ अ सख्या ३६१२ व सुमेरु पर्वत
-
पर ३४५० अ ।
भवनभूमि समवसरण ४३३१ अ
- ।
भवनवासी देव निर्देश २.४४५ व ३२०७ व अवगाहना ११८०, अवधिज्ञान १.१६८, आयु १२६५, अयु बन्ध के योग्य परिणाम, १२५७, चैट चैत्यालय २३०२, २३०३ ब, अवस्थान ३.२१० अ, ३६१३ च्या ३४२५ व इन्द्र- निर्देश ३.२०६ अ, परिवार ३.२०९ अ शक्ति चिह्न आदि ३२०८ ब, भवन तथा भवनपुर ३.१२० अ देवियाँ ३२०६
अ ।
भवनवासी देव (प्ररूपणा ) - बन्ध ३१०२, बन्धस्थान
३ ११३१३७५ उदयस्थान १.३१२ व उदीरणा १.४११ अ. सत्त्व ४.२८२, सत्त्वस्थान ४२६८, ४.३०५, त्रिसयोगी भग १४०६ ब । सत् ४.१८७, सख्या ४.१७, क्षेत्र २.११९, स्पर्शन ४.४८१, काल २. १०४, अन्तर ११०, भाव ३२२० अ, अल्पबहुत्व १.१४५ ।
भवनधुत -- बलदेव ४ १७ ब ।
भवनिमित्तक - उदय (कर्म) १३६७ अ, कारण २.६४ अ भवपरिवर्तन - संसार ४. १४८ अ ।
भवप्रत्ययिक अवधिज्ञान १.१८७ ब, १.१६२-१९६, प्रकृतिवन्ध ३० व ३१० अ भवविचय-- धर्मध्यान २४८० अ । भवविपाकी प्रकृति - प्रकृतिबन्ध ३८१ व
भववृक्ष साधु ४.४०७ अ ।
-
भवसंसार - संसार ४.१४७ अ ।
भवसिद्ध भव्य ३२११ ब - ।
भवस्थिति ३२११ अ स्थिति ४४५७ ब ।
भवाद्धा - ३२११ अ ।
।
भवाननुगामी - अवधिज्ञान ११८८ व भवानुगामी - अवधिज्ञान १.१६८ अ भवाभिनंदी - निन्दा (साधु) २.५८६ अ ।
भवायु आयु १.२५३ ।
Page #182
--------------------------------------------------------------------------
________________
भाव (विशेष) भवितव्य भवितव्य-नियति २६१७ ब ।
विषयक ३२१५, ४.११७, ४५२७, सत्त्वविषयक भविष्यकाल-अवधिज्ञान ११६७ बकालप्रमाण २८६अ। ३२१५, ४.११७ । भविष्यग्राही ज्ञान-अवधिज्ञान ११६७ ब, केवलज्ञान भागाहार-३.२१६ अ, अनुयोगद्वार १.१०२ ब, गणित
२.१४८ ब, २१४६ ब, २१५१ ब, मन-पर्यय ज्ञान २२२२ ब, २ २२४ अ, सक्रमण ४.८४ अ। ३२६३ अ, श्रुतज्ञान ४६० ब ।
भागाहार संक्रमण -सक्रमण ४८४ अ, अल्पबहुत्व १.१७४ भविष्यत-श्रुतज्ञान ४६० ब । भविष्यत् ज्ञायक शरीर-निक्षेप २६०४ अ।
भाग्य -३.२१६ अ। भविष्यदत्तकथा-३२११ अ, इतिहास १३४५ ब ।
भाग्यपुर-३२१६ अ। भविष्यदत्तचारित्र-~३ २११ अ, इतिहास १३४७ अ ।
भाजक-३ २१६ अ, गणित २.२२३ अ। भविष्यवाणी--३२११ अ।
भाजनांग जातीय कल्पवृक्ष -वृक्ष ३५७८ अ । भविष्याभाव सबध-सम्बन्ध ४१२६ अ ।
भाजित -३.२१६ अ, गणित २.२२३ अ । भवितयत्तकहा-इतिहास १ ३४२ अ, १३३० अ । भाज्य-३.२१६ अ, गणित २.२२३ अ । भविसयत्तचरिउ-इतिहास १.३४४ अ ।
भाट्ट दीपिका -मीमासा दर्शन ३ ३११ अ। भव्य-३ २११ अ, अल्पबहुत्व ११४२ ब, जीव २ ३३३ ।। भाट्टमत मीमांसा दर्शन ३३११ अ ।
ब, श्रुतज्ञान ४६० अ, सन्निपातिक भाव ४३१२ ब, भाद्रवन-सिंह-निष्क्रीडित व्रत- ३.२१६ अ । सापेक्षधर्म ११०६अ, ४ ३२३ ब ।
भान-३२१६ अ, तीथंकर धर्मनाथ २३८०, यदुवंश भव्यकुमुदचन्द्रिका-३२१४ ब, आधार १.२८१ अ, १.३३७, राक्षसवश १ ३३८ अ, हरिवश १.३४० अ। इतिहास १३४४ ब।
भानुकण-राक्षसवश १३३८ ब। भव्यकूट-समवसरण ४.३३० अ ।
भानुकीति -- ३ २१६ अ, नन्दिसघ देशीयगण १.३२५,' भव्यज्ञायक शरीर--अन्तर १.३ ब ।
इतिहास १.३३२ अ। भव्यजनकठाभरण-३२१४ ब, इतिहास १.३४५ अ। भानुमति - राक्षसवश १ ३३८ अ। भव्यत्व-प्ररूपणा--बंध ३.१०७, बंधस्थान ३.१६३, भानुगुप्त - ३२१६ अ, गुप्तवश १ ३११ अ-ब, १३१५ ।
उदय १३८४, उदयस्थान १३६३, उदीरणा १.४१२ भानुनंदि-३ २१६ अ, नन्दिसघ १३२३ अ, इतिहास अ, सत्त्व ४.२८४, सत्त्वस्थान ४३०२, ४३०६, १३२६ अ। निसयोगी भंग १४०८ । सत् ४२५४, सख्या ४.१०८, भानुप्रभ-राक्षसवश १.३३८ । क्षेत्र २.२०६, स्पर्शन ४ ४६२, काल २११७, अन्तर भानुमती-३.२१६ अ । १.२०, भाव ३ २२१ ब, अल्बबहुत्व ११४२, भानुमित्र-३.२१६ अ, शकवंश १.३१४ । १.१५२।
भानुरक्ष-राक्षसवश १.३३८ अ । भव्यत्व भाव-३२१२ अ, सन्निपातिक भाव ४३१२ ब। भानुवर्मा--राक्षसवंश १.३३८ अ । भव्यत्वाभिव्यक्ति-पद्धति ३.८ ब।
भामंडल---३.२१६ अ, अर्हन्त प्रातिहार्य ११३७ ब । भव्यनोआगम द्रव्य-अन्तर १३ ब ।
भामती टीका-वेशन्त ३५६५ ब । भव्यसिद्ध-भव्य ३.२११ ब ।
भारद्वाज--३.२१६ ब, मनुष्यलोक ३२७५ अ । भव्यसेन-~-३.२१४ ब ।
भारद्वाज वृत्ति-वैशेषिक दर्शन ३.६०७ ब । भव्यस्पर्श-स्पर्श ४४७६ अ ।
भारामल्ल कवि-३.२१६ ब, इतिहास १.३४८ अ । भाग-३,२१४ ब, पर्याय ३ ४५ ब ।
भार्गव-३.२१६ व, मनुष्यलोक ३.२७५ अ । भागचंद-३.२१४ ब, इतिहास १३३४ ब, १.३४८ अ. भार्गवाचार्य-३ २१६ ब, सांख्यदर्शन ४३९८ब । भागवत-वैष्णवधर्म ३६०६अ।
भाव-३.२१६ ब, अध्यवसान १.५२ अ, अनुयोगद्वार भागहार-३.२१४ ब, अनुयोगद्वार ११०२ अ, गणित १.१०२ अ, उत्पाद १.३६१ अ, चित्तविकार (विभ्रम) २२२२ ब, २.२२४ अ ।
३५६२ ब, भाव ३.२२४ अ, महा सामान्य ४.४१२ : भागाभाग-३.२१४ ब, अनुयोगद्वार १.१०२ अ, १.१०३
ब, जीवविषयक प्ररूपणा ४.११०-११६ । बन्ध- भाव (विशेष) अवधिज्ञान का विषय १.१६५ ब, आता
अ।
Page #183
--------------------------------------------------------------------------
________________
- भाव (स्वचतुष्टय)
१७७
भावप्राधान्य ध्यान मे १ २७४ अ, धर्मध्यान मे २४८१ ब, पौद्ग- ३.२०६ ब, भवनों की संख्या ३ २१० व । अप् तथा लिकत्व ३३१८ ब, रौद्रध्यान मे ३.४०७ ब, ३४०८ तेज-कायिक २४५ ब।
भावना-३२२४ अ, अभ्यास ११३१ब, उपयोग १.४२९ भाव (स्वचतुष्टय)-२.२७८ अ, परभाव २२७८ अ, ब, धर्मध्यान २४८२ अ, २४८५ ब, ध्येय २१०२
सप्तभगी ४३१६ ब, ४ ३२० अ। स्वभाव २ २७७ अ, शुक्लध्यान ४.३३ अ, शुभोपयोग १४३३ अ, श्रुतब।
ज्ञान ४.५६ ब, ४.६२ ब । भाव अतर--अतर १.३ ब ।
भावना (धर्म-तप-व्रत आदि की)---अस्तेय व्रत की १२१४ भाव अनंत-अनंत १५५ ब ।
अ, अहिसा व्रत की १२१६ अ, आकिञ्चन्य धर्म की भाव अनुयोगद्वार---अनुयोगद्वार ११०३ ब ।
१.२२४ ब, आर्जव धर्म की १२७२ अ, क्षमा धर्म की भाव अप्रतिक्रमण-प्रतिक्रमण ३११७ अ।
२१७७ ब, चारित्र की २२८२ ब, तप धर्म की
२३६० अ, परिग्रहत्याग व्रत का ३२६ ब, वैयावत्त्य भाव अप्रत्याख्यान-अप्रत्याख्यान ११२६ अ।
की ३६०६ ब, वैराग्य की ३६०७ अ, व्रत की भाव अशुद्ध आहार-उद्दिष्ट १.४१३ ब।
३.६२६ ब, सत्य धर्म की ४२७२ अ, सम्यग्ज्ञान की भाव आत्रव-आस्रव १२८२ ब ।
२.२६३ ब, सम्यग्दर्शन की ४३५१ अ, सल्लेखना की भाव इंद्रिय-इद्रिय १३०१ब, १३०२ अ, १.३०४
४ ३६० ब, ४.३९२ अ।
भावना-पच्चीसी व्रत-३ २२५ ब। भाव उदय----उदय १.३६६ अ ।
भावना-पद्धति----३२२५ ब, इतिहास १३४५ ब । भाव उपक्रम-उपक्रम १.४१६ ब ।
भावना-लीनता-सुख ४.४३२ ब । भाव उपशम-उपशम १४३७ ।
भावना-विधि व्रत-३२२५ ब । भावकर्म-उदय १३६६. अ, कर्म २२६ अ-२७ ब, २.२८ भाव-निक्षेप-२५६३ ब, २६०५ अ-ब । ब; जीव पुदगल २२८ ब, नो कर्म २.२७ ।
भाव-निबधन---निबधन २६१० ब। भावकषाय-कषाय २ ३५ ब ।
भावनिर्जरा-निर्जरा २.६२२ अ-ब, सम्यग्यदृष्टि ४.३७७ भावकाय-गुप्ति २२५० अ।
अ। भावकोति-काष्ठासघ १३२७ अ।
भावनिविचिकित्सा-निविचिकित्सा २६२७ अ । भावकोत-आहार दोष १२६० ब, उद्दिष्ट दोष १.४१३ भावपरमाणु - ध्येय २५०१ ब, परमाणु ३ १४ ब, शुक्लअ, वसतिका दोष ३ ५२८ ब ।
__ध्यान ४.३३ ब। भावक्रोध-विवेक ३ ५६७ अ ।
भावपरिवर्तन-ससार ४१४८ ब । भावग्रंथ-परिग्रह ३२८ अ।
भावपाहुड-३२२६ अ, इतिहास १३४०ब। भावग्रह-ग्रह २२७४ अ।
भावपुण्य-३६० ।। भावचद्र-नंदिसघ १३२३ ब ।
भावपुरुष - पुरुष ३६६ ब । भावतीर्थ-तीर्थ २ ३९३ ब।
भावपूजा-पूजा ३७५ अ। भाव विभगी-इतिहास १.३४५ अ ।
भावप्रतिक्रमण-प्रतिक्रमण ३११६ ब । भावदोष-आहार १.२६० ब।
भावप्रत्याख्यान-प्रत्या-यान ३१३२ अ। भावध्येय-२.५०० अ, २.५०१ ब, २५०२ अ ।
भावप्रमाण--प्रमाण ३ १४४ ब, ३ १४५ अ। भावनंदि-नदिसघ १३२३ ब ।
भावप्ररूपणा-अनुयोगद्वार ११०३ अ, केवली २१५८ अ,
क्षीणक्षाय २१८६ ब, जीव सामान्य की ओघ आदेशभाव नपुंसक-नपुसक २.५०५ ब ।
'प्ररूपणा ३२१६, मिथ्यादृष्टि ३३०४ अ, मिश्र गुणभाव नमस्कार-नमस्कार २५०६ ब, २.५०७ अ, विनय
स्थान ३.३०६ अ । ३.५५२ अ।
भावप्राण-प्राण ३.१५२ ब । भाव-नय-नय २५१४ ब, २.५२१ ब, २.५२२ ब, भावप्राधान्य-आगमार्थ १.२३१ अ, पाप ३.५३ ब, पुण्य २.५२३ अ।
३.६० ब, पूजा ३.७७ ब, बन्ध ३.१७४ ब, मार्गणा भावन-लोक-निर्देश ३.२०६ब, विस्तार ३६१२ अ, ३.२६७ अ । लिंग (वेद) ३५८४ अ-ब, लिग (साधु)
बवस्थान ३२१० अ, चित्र ३.२१० अ, पंकखर भाग ३.४१७ ब, विनय (साध) ३५५३ ब ।
Page #184
--------------------------------------------------------------------------
________________
भाव-प्रासुक-आहार
भाष्य-सूक्ति
भाव-प्राप्तुक-आहार-उद्दिष्ट १.४१३ ब ।
भावसूत्र-यज्ञोपवीत ३.३६६ ब । भादबंध--उपशम १.४४२ अ, ३ १७० ब, ३ १७४ ब । भावसेन-३२२६ अ, लाडबागड़ संघ १.३२७ ब, इतिहास भावभावक भाव-कर्ता २२२ ब ।
१.३३० ब, १३३२ अ, १३४४ ब । भावमंगल -३ २४१ अ।
भावस्तवन-भक्ति ३ १६६ ब, ३२०० ब । भावमन-अनुभव १८१ ब, गुप्ति २२४६ ब, प्राण भाव स्त्री-स्त्री ४४५० अ ।
३ १५३ ब, मन ३ २७० अ, मूर्तत्व तथा पौद्गलिकत्व भावस्पर्श-स्पर्श ४ ४७६ अ। ३३१८ अ।
भावस्वाध्याय-स्वाध्याय ४.५२३ अ । भावमल-मल ३२८८ अ ।
भावागार--अगारी १३४ अ । भाव-मान-कषाय विवेक-विवेक ३ ५६७ अ ।
भावानंत-अनत १५५ ब । भावमार्गणा---मार्गणा ३.२६७ अ।
भावानुराग-राग ३.३६५ अ । भावमोक्ष - मोक्ष ३.३२२ ब ३ ३२४ ब ।
भावाभाव--उत्पादादि १३६१ अ । भावयुति-युति ३.३७३ ब ।
भावाभाव शक्ति-भाव ३२२४ अ । भावयोग-योग ३.३७५ ब ।
भावार्थ-३२२६ अ, आगम १.२३१ ब । भावलिग (वेद)-वेद ३ ५८४ अ-ब, ३ ५८६ अ। भावार्थ-दीपिका-३ २२६ अ। भावलिंग (साधु)–लिग ३.४१७ ब, ३.४१८ ब, विनय भावावसन्त-अवसन्न १२०१ ब । ३.५५३ ब ।
भावात्रव-आस्रव १.२८२ ब। भावलेश्या लेश्या ३.४२२ ब, ३.४२६ अ।
भावि-आगम--उपशम १.४३७ अ। भावलोभ विवेक-विवेक ३.५६७ अ ।
भाविज्ञायिक शरीर-उपशम १४३७ अ।
भाविता-तीर्थकर कुन्थुनाथ २.३८८ । भाववचन - मूर्त ३३१७ अ। भाववती शक्ति-भाव ३.२२४ अ ।
भावि-नोआगम-अनंत १५५ ब, निक्षेप २६०० अ। भाववान्---दव्य २.४५६ अ ।
भावि-नैगमनय-नय २.५२२ अ, २५३० अ, २५३३ भावविवेक --विवेक ३.५६६ ब।
भावि-नोआगम द्रव्य-काल २८१ब। भावविशुद्धि---प्रत्याख्यान ३,१३२ अ। भाववेद-वेद ३.५८४ अ, ३.५८६ अ।
भावि-भूत उपचार-उपचार १४२० ब। भावशक्ति-भाव ३.२२४ अ ।
भावेद्रिय-इन्द्रिय १.३०१ ब, १.३०२ अ, १.३०४-३०५। भावशल्य-शल्य ४.२६ ब ।
भावोदय-उदय १.३६६ अ। भावशद्धि-आलोचना १.२७७ अ, आहार १२८६ अ,
भावोपशम-उपशम १.४३७ अ । ज्ञानातिचार १.२२८ अ, धर्म २.४६६ ब, शुद्धि ४.३६
भाव्य-भावक भाव-कर्ता-कर्म २२२ ब, २.२४ अ, संबध । अ।
४.१२६ अ। भावभुत-आगम १.२२६ ब, १.२३८ ब, आत्मा १२४४
भाषा-३.२२६ अ-ब, अनुयोग ११०१ ब, योग (मनो-: अ, श्रुतकेवली ४.५६ अ, श्रुतज्ञान ४.५६ ब, ४६१
योगी) ३.३८० अ। अ। सूत्र--(आगम) १.२३८ ब, स्वाध्याय ४.५२५
भाषा-द्रव्य वर्गणा-वर्गणा ३.५१३ अ। अ।
भाषापरिच्छेद - वंशेषिक दर्शन ३.६०८ अ। भावश्रुत ग्रंथ कृति-ग्रथ २२७३ ब।
भाषा-पर्याप्ति-पर्याप्ति ३.४१ ब । भावसंग्रह-३२२६ अ, इतिहास १३४२ ब, १३४५ अ। भाषा-पर्याप्ति काल-काल २.८१ अ, नामकर्म उदयभाव-संयोगपद-पद ३५ अ ।
स्थान १.३६२-३६७। भावसवर-सवर ४.१४१ ब ।
भाषावर्गणा-~वर्गणा ३.५१३ अ ३.५१५ ब, ३५१६ ब । भावसत्य-सत्य ४२७१ ब ।
भाषासमिति-धाग्गुप्ति २.२५१ अ, सत्यधर्म ४.२७३ ब, भाव-सल्लेखना-सल्लेखना ४३८२ ब ।
समिति ४.३४० अ। भाव-सामायिक-सामायिक ४.४१६ अ ।
भाष्य-योगदर्शन ३.३८४ अ। भाव-सिंह--३.२२६ अ ।
भाष्य-सूक्ति-वैशेषिक दर्शन ३.६०५ ।
Page #185
--------------------------------------------------------------------------
________________
१७६ ५. भासुर
भूतकाल भासुर-३.२२७ ब, ग्रह २.२७४ अ।
भीमवर्मा-यदुवंश १.३३७ । भास्कर-मीमासादर्शन ३.३११ अ।
भीष्म-३.२३४ अ, कुरुवंश १.३३६ अ, राक्षसवश भास्कर (कवि)-३ २२७ ब, इतिहास १.३३३ अ ।
१.३३८ अ। भास्करन दि-३ २२७ ब, इतिहास १३३२ ब, १.३४५ भुजंगदेव-३.२३४ अ, मध्यलोकवासी व्यन्तर ३.६१३ अ।
ब। लवण सागर का रक्षक-आयु १२६४ ब । भास्कर वेदांत-३२२७ ब, वेदान्त ३ ५९७ अ ।
भुजंगम-तीर्थकर २३६२ । भास्कराभ-राक्षसवश १३३८ अ ।
भुजंगशाली-महोरग जातीय व्यतर देव ३.२६३ अ। भिक्षा-३२२७ब ।
भुजग--महोरग जातीय व्यतर देव ३.२६३ अ। भिक्षाकाल-भिक्षा ३२२८ ब ।
भुजगप्रिया-व्यंतरेद्र गणिका ३.६११ ब । भिक्षाचर्या-भिक्षा ३ २२८ ब ।
भुजगा- व्यंतरेद्र गणिका ३.६११ ब । भिक्षावृत्ति-आहार १.२८६ अ, भिक्षा २२२८ ब, भुजगार बंध-प्रकृतिबंध ३.८६ अ ।
श्रावक (कायक्लेश) २४८ अ, सप्त ग्रह (आहार) भुजगार स्थितिबंध-स्थिति ४४५६ ब । १२८७ अ।
भुजबलिचरित-इतिहास १३४६ ब । भिक्षाशद्धि-अस्तेयव्रत भावना १२१४ अ, भिक्षा भजवर द्वीप-सागर--नामनिर्देश ३४७० अ, विस्तर ३२२८ ब, ३.२२६ अ।
३.४७८, अकन ३.४४३, जल का रस ३.४७० अ, भिक्षु-श्वेताम्बर ४८० ब ।
ज्योतिष चक्र २.३४६ ब, अधिपति देव ३.६१४ ब । भिक्षुक-आश्रम १.२८१ अ।
भुक्ति-मुक्ति-विचार-इतिहास १३४४ ब । भिक्ष-प्रतिमा-सल्लेखना ४.३६३ अ ।
भज्यमान आयु---अपवर्तन १.२६१ अ, आयु १.२५३ ब। भित्तिकर्म-कर्म २२६ अ, निक्षेप २५६८ ब ।
भवनकीति--३.२३४ अ, नन्दिसघ भट्टारक १.३२४ अ, भिन्न-३.२३३ ब ।
नन्दि सघ बला० (शुभ० आम्नाय) १.३२४ अ । भिन्न कर्ता-कर्म-कर्ता २.२४ अ ।
भवनकोति गीत-३.२३४ अ, इतिहास १.३४७ अ । भिन्न दशपूर्वी-श्रुतकेवली ४.५५ अ।
भूगोल-३४३१ अ, आधुनिक ३ ४३५ ब, चातुर्दीपिक भिन्न परिकर्माष्टक - गणित २२२३ ब ।
३४३७ अ । जैनाभिमत ३.४३१ अ, बौद्धाभिमत भिन्नपूवित्व ऋद्धि---ऋद्धि १.४४८।
३.४३४ अ, वैदिकाभिमत ३,४३१ ब, सप्तद्वीपिक भिन्न महर्त-३२३३ ब, अन्तर्महत १३० अ, काल- ३४३१ ब । प्रमाण २२१६ ब।
भूत--३२३४ अ, परतत्रवाद ३.१२ अ, श्रुतज्ञान ४६० भिल्लक संघ-इतिहास १३२२ अ, एकात जैनाभासी अ, स्वप्न ४५० अ । १४६५ ब ।
भत (देव)-निर्देश ३.६१० ब, अवगाहना ११८०, अवधिमो-एकात १४६१ अ ।
ज्ञान १.१६८ ब, आयु १.२६४, अवस्थान ३.६१२भीति-भय ३.२०६ अ।
६१४, ३.४७१। इन्द्र-निर्देश ३.६११ अ, शक्ति भीम-३ २३३ ब, कुरुवंश १३३६ अ, नारद ४.२१ अ, आदि ३.६१०-६११, वर्ण तथा चैत्यवृक्ष ३.६११ अ,
यदुवश १३३७, राक्षस जातीय व्यतर ३३६३ ब, परिवार ३.२०६अ। राक्षसवंश १.३३८ अ. हरिवंश १.३४० अ।
भूत (व्यंतर देव)-प्ररूपणा-बन्ध ३१०२, बन्धस्थान भीम (व्यंतरेंद्र)-निर्देश ३.६११ अ, परिवार ३ ६११ ३.११३, उदय १३७८, उदयस्थान १.३६२ ब, ब, सख्या ३६११ अ, आयु १.२६४ ब।
उदीरणा १.४११ अ, सत्त्व ४.२८२, सत्त्वस्थान भीमप्रभ-राक्षसवश १.३३८ अ।
४२६८, ४.३०५, त्रिसंयोगी भंग १.४०६ ब । सत् भीमरथी-३२३३ ब, मनुष्यलोक ३.२७६ अ।
४१८८, सख्या ४६७ क्षेत्र २१६६, स्पर्शन ४.४८१, भीमसेन-३२३३ ब, काष्ठासंघ १३२७ अ, पुन्नाटसप काल २.१०४, अतर ११०, भाव ३.२२० अ, १.३२७ अ, इतिहास १.३३३ अ।
अल्पबहुत्व १.१४५। भीमावलि-२.२३४ अ, तीर्थंकर ऋषभ २.३६१, रुद्र भूतकांता-व्यतरेद्र गणिका ३.६११ ब । ४.२२ अ।
भूतकाल-अवधिज्ञान १.१६७ ब, काल प्रमाण २.८अ,
Page #186
--------------------------------------------------------------------------
________________
भूतदेव
भदज्ञान -
निक्षेप (ज्ञायक शरीर) २.५६५ अ।
भूमि -३.२३४ ब, गणित २ २२६ ब, ३ २३० ब, दर्पण भूतग्राही ज्ञान-अवधिज्ञान १.१६७ ब, केवलज्ञान २.१४८ तुल्य (अहंतातिशय) १.१३७ ब ।
ब, २.१४६ ब, २.१५१ ब, मनःपर्यय ज्ञान ३२६३ भूमिकल्प-३२३६ ब, इद्रनदि १.२६९ ब । अ, श्रुतज्ञान ४.६० ब ।
भूमिका-दे० गुणस्थान। भूतग्राही नय-नय २.५२२ अ।
भुमिकुडल-३.२३६ ब । भूतज्ञायक शरीर-उपशम १.४३७ अ, निक्षेप २.५६६ अ । भमितिलक-३२४७ ब, ३२३६ ब । भूतदेव-हरिव १.३४० अ।
भूमितड-विद्या ३.५४४ अ, विद्याधर नगरी ३.५४५ ब, . भूत नंगमनय-नय २.५३० अ।
विद्याधरवंश १३३६ अ। भूतपूर्व नय २ ५२२ अ ।
भूमिधन-गणित २.२३० ब'। भूतपूर्व न्याय-नय २.५२२ अ।
भूमिनाश-प्रलय ३ १४७ ब । भूतपूर्व प्रज्ञापन नय-नय २५२२ अ ।
भूमिपाल-तीर्थकर वीरसेन २.३६२। भूत प्रज्ञापन नय-नय २५२२ अ ।
भमिमंडल-विद्याधर नगरी ३.५४५ ब । भूत भावी उपचार-उपचार १.४२० ब ।
भूमिमित्र-मगधदेश इतिहास १.३१२ । भूतबली-३२३४ अ, मूलसघ १.३१७, १.३२२ ब, भूमिशुद्धि-३.२३६ ब।
१ परि०/२२, कालावधि १. परि०/२.७ विशेष भूमिसंस्तर-सस्तर ४.१५३ अ। विचार १. परि०/२११। इतिहास १.३२८ ब, भूमिस्पर्श-आहारातराय १२६ब। १३४० अ।
भूलसुधार - आगम १ २३८ अ, आगमार्थ १.२३२ ब। भूतमुख-चक्रवर्ती ४१५ अ।
भूषणगह ज्योतिष देवो के प्रासादो मे २.३५१ ब। . भतरक्ता-व्यंतरेद्र गणिका ३६११ ब ।
भूषणशाला-भवनवासी देवो के भवनो मे ३२१० ब। भतरमण-भद्र शाल वन का एक भाग-~-निर्देश ३.४५० अ, भूषणांग जाति कल्पवृक्ष-वृक्ष ३.५७८ अ । विस्तार ३.४८८, अकन ३.४४४ के सामने, ३४५७,
भृगनिभा-३२३६ ब, सुमेरु की पुष्करिणी-निर्देश । ३.४६४ के सामने ।
३४५३ ब, नाम निर्देश ३.४७३ ब, विस्तार ३.४६०, ! भूतवर-३.२३४ अ।
३.४६१, अंकन ३.४५१, चित्र ३.४५१।। भूतवर सागर-द्वीप-निर्देश ३.४७० अ, विस्तार ३ ४७८, भंगा-३२३६ ब, सुमेरु की पुष्करिणी-निर्देश ३.४५३.
अंकन ३ ४४३, जल का रस ३.४७० अ, ज्योतिष चक्र ब. नामनिर्देश ३.४७३ ब, विस्तार ३.४३ २३४८ ब, अधिपति देव ३ ६१४ ।
अकन ३.४५१, चित्र ३४५१ । भूतविषय नय-नय २५२२ अ।
भगार-चैत्यचैत्यालय २.३०२ ब । भूतसेन - काष्ठासघ १.३२७ अ ।
भकूटी-३.२३६ ब, चैत्य-चैत्यालय २३०२ब, तीर्थकर भता-व्यतरेद्र गणिका ३.६११ ब ।
मुनिसुव्रतनाथ का यक्ष २.३७६ । भूतानद-नागेन्द्र ३.२०८ अ, परिवार ३.२०६ अ, आयु भृत्यवंश-३ २३६ ब, इतिहास १.३११ अ, १३१४ । १.२६५, अवस्थान ३.२०६ ब ।
भेंडकर्म-कर्म २.२६ अ, निक्षेप २ ५९८ । भतारण्यक वन-३.२३४ ब-निर्देश ३.४६० ब, विस्तार भेद--३२३६ ब, उत्पादादि १.३५६ ब, १.३६१ अ,
३.४८७, अकन ३.४४४ के सामने, ३.४६४ के सामने । उपचार १४१६ अ, द्रव्य २.४५८ अ, २.४६०, पर्याय भूतार्थ-नय २.५६७ ब, मोक्षमार्ग ३.३३६ अ।
३ ४५ ब, वर्गणा ३.५१६ अ, सापेक्ष धर्म (अनेकान्त) भूतोत्तम-३२३४ अ-ब।
११०६ अ, स्कन्ध ४.४४७ अ । भूधरवास-३.२३४ ब, इतिहास १ ३३४ ब, १.३४७ ब। भेदकल्पना-निरपेक्ष-शुद्ध-व्याथिक नय-नय २.५४५ अ।। भूपाल-३.२३४ ब, चक्रवर्ती ४.१० अ।
भेदकल्पना-सापेक्ष-अशुद्ध-द्रव्याथिक नय-नय २.५४४ अ । भूपाल चतुर्विशतिका-३.२३४ ब ।
भेदज्ञान-अनुभव १.८७ अ, ज्ञान २.२६१ ब, प्रज्ञा भूपाल चविंशतिका टोका-आशाधर १.२८१ अ, इतिहास (अनुभव) १.८७ अ, सस्कार (वासना) ४.१५० अ, १.३४४ ब।
सम्यग्ज्ञान (ज्ञान) २.२६२ ब, २.२६५ अ ।
Page #187
--------------------------------------------------------------------------
________________
भेदग्रहण
१८१
भोज्यशूद्र
भेदग्रहण-आकार १२१८ ब ।
१२६४, आयु का अपकर्ष काल १.२५६ ब, आयुभेदपक्ष-द्रव्य २४५६ अ-ब, २.४६० अ।
बंध १२६१ ब, १.२६२ ब, आयुबंध के योग्य भेदपद-अनुयोग ११०२ ब ।
परिणाम १२५५-२५६, उदय-व्युच्छित्ति १३७७, भेदप्रवृत्ति-विश्लेषण पद्धति (नय) २५५८ अ।
कालविभागू २६३, गणना ३.४४५, गुणस्थान
३ २३५ ब, गोत्र ३ ५२२ अ, जीवसमास २३४३, भेदरत्नत्रय-मोक्षमार्ग ३ ३३६ अ । भेदवाद--३.२३७ अ।
मनुष्य ३ २७३, वेद ३ ५८७ अ । सत् ४.१८५, सम्य
क्त्व ३२३५ ब, वैदिकाभिमत ३ ४३१ ब । भेदविज्ञान-उपयोग १४३२ ब, ज्ञान (सम्यक) २.२६७
भोगमालिनी-३२३८ ब, गजदन्त के कट की देवी भेदसंघात-वर्गणा ३ ५१६ अ, ३५१८ ब, संघात ३४७३ अ, ३.६१४ । ४१२४ अ, स्कध ४.४४७ अ।
भोगरति-सुख ४.४३४ अ ।
भोगवती-३.२३८ ब, गजदन्त के कट की देवी ३४७३ भेद-स्वभाव-भेद ३२३६ ब।
अ, व्यतरेद्र गणिका ३६११ ब, मध्यलोक मे अवस्थान भेदातीत-लब्धि ३४१५ अ।
३ ६१४ ब। भेदाभेद-अनेकांत (सापेक्ष धर्म) ११०६ अ, उत्पादादि
- भोगवर्धन-प्रतिनारायण ४२० ब, मनुष्यलोक ३२७५ १.३५६ ब-३६१ अ, कर्ता-कर्म २.१७-२४, कारक
अ। २.४८-५०, कारण-कार्य २५५ अ, द्रव्य २४५८ अ,
भोगा-व्यतरेद्र गणिका व वरलभिका २६११ ब । २.४५६ अ-ब, भोक्ता-भोग्य ३२३८ अ।
भोगाकांक्षा-निदान २६०८ अ। भेदाभेद-विपर्यास-ज्ञान २.२६४ ब, विपर्यय ३५५६ अ।
भोगांतराय कर्म प्रकृति-प्ररूपणा-प्रकृति ३८८, १२७ भेदोपचार-उपचार १४१६ अ नय २५५६ ब ।
ब, स्थिति ४४६७, अनुभाग १६४, प्रदेश ३.१३७ । भैससम-उपदेश १४२५ ब, श्रोता ४७४ ब ।
बध ३.६७, बन्धस्थान ३ १०६, उदय १३७५, भैसा--उपदेश (श्रोता) १४२५ ब, तीर्थंकर वासुपूज्य
उदयस्थान १३८७, उदीरणा १४११ अ, उदीरणा २ ३७६, श्रोता ४७४ ब ।
स्थान १.४१२, तत्त्व ४२८१, सत्त्वस्थान ४.२६४, भक्ष्यशद्धि-अस्तेय व्रत १२१४ अ।
त्रिसयोगी भग १३६६ संक्रमण ४८५ अ, अल्पबहुत्व भैरवपद्मावती कल्प- इतिहास १३४३ ब ।
१.१६६ । भोक्ता-३.२३७ अ, कर्ता २२० ब, २२४ ब, जीव ।
भोगोपभोग ३.२३८ ब, अनुभव १.८१ अ, अनर्थदण्ड २३३३ ब, द्रव्य २४५७ अ।।
१६४ अ, सुख ४४३० अ। भोक्ता-भोग्य भाव-कर्ता-कर्म २ २२ अ, २ २४ ब ।
भोगोपभोग परिमाण व्रत -३२३८ ब, अनर्थदण्ड १.६४ भोक्तृत्व-भोक्ता ३ २३७ ब ।।
अ, सचित्तत्याग प्रतिमा ४१५८ अ। भोक्तत्व नय--२५२३ ब ।।
भोज-३२३६ब, योगदर्शन ३ ३८४ अ। भोक्तत्व भोग्य भाव-कर्ता-कर्म २.२२ अ, २२४ ब।
भोजवश-३२३६ ब, इतिहास १३१० अ, १३३६ ब । भोगंकरा-गजदन्त के कूट की देवी ३४७३ अ, ३.६१४।
भोजकवृष्णि-३२३६ ब, यदुवश १३३६, हरिवंश
भोली भोगकृति-जदन्त के कट की देवी ३४७३ अ, ३.६१४ ।
१३४० अ। भोगंधरी-३.२३७ ब ।
भोजन-३२४० अ, दान २४२४ ब, भिदा काल ३२२८ भोग-३ २३७ ब, इद्रिय विषय १.३०६ अ, काम २.४२ ब।
ब, निदान २६०८ अ-ब, मिथ्यादृष्टि ३३०५ब, राग भोजनकथा-कथा २.३ ब । ३३६६ ब, सम्यग्दष्टि ३.४०० अ।
भोजनदान-दान ३.४२४ ब। भोग (नाम)-चक्रवर्ती ४.१५ आ।
भोजनपान-अहिसा १२१६ अ । भोग निदान-निदान २६०८ अ-ब ।
भोजनसपात-आहारान्तराय १.२६ अ। भोगपत्नी-स्त्री ४.४५० ब, ४.४५२ अ ।
भोजनांग जातीय कल्पवृक्ष-वृक्ष ३५७८ अ। भोगभूमि-निर्देश ३.२३५, अकालमरण ३.२८४ ब, भोजवृत्ति-योगदर्शन ३.३८४ अ।
अधःकर्म १.४८ ब, अवगाहना १.१८०, आयु १.२६३, भोज्यशूद्र-वर्ण व्यवस्था ३ ५२५ ब।
Page #188
--------------------------------------------------------------------------
________________
भीमनिमित्तज्ञान
मंदकषाय
भौमनिमित्तज्ञान - ऋद्धि १४४८, निमित्तज्ञान २६१२ ब ।
२३४७, चित्र २३४७, किरण तथा वाहक देव भ्रम-३२४० अ, कर्ता-कर्म २२२ ब । नरक पटल
२३४७ । देव-निर्देश २३४५ ब, आयु १.२६६ निर्देश २.५८० अ, पिस्तार २.५८० अ, अकन ब। इन्द्र निर्देश २३४५ ब, शक्ति २३४५ ब । ३४४१। नारकी-अवगाहना ११७८, अवधिज्ञान
आधुनिक मत ३४३६, वैदिक मत ३ ४३२ ब । ११६८, आयु १२६३ ।
मंगल गोचर----कृतिकर्म २.१३% अ । २०४० अ. नरकपटल-निर्देश २५८० अ, मंगलगोचर प्रत्याख्यान -कृतिकर्म २१३७ ब । विस्तार २५८० अ, अकन ३ ४४१। नारकी- मंगल द्रव्य-समवसरण ४३३० ब । अवगाहना १.१७८, अवधिज्ञान ११६८, आयु मगला-३ २४४ ब, तीर्थंकर सुमतिनाथ २३८०, १२६३।
तीर्थंकर स्वयंप्रभ २ ३९२, विद्या ३ ५४४ अ।। धमका-३२४० अ, नरक पटल--निदंश २५८० अ, मंगलावती-३२४४ व । विदेहस्थ क्षेत्र-निर्देश ३४६० विस्तार २५८० अ, अकन ३४४१। नारकी
अ, नामनिर्देश ३४७० ब, विस्तार ३४७६, अवगाहना ११७८, अवधिज्ञान ११६८, आयु
३४८०, ३ ४८१, अकन ३.४४४ के सामने, २४६४ १२६३।
के सामने, चित्र ३४६० अ। वक्षारगिरि का कूट भ्रमघोष-कुरुवंश १ ३३६ अ ।
तथा देव ३४७२ ब । भ्रमण-जीवप्रदेश २ ३३६ ब ।
मंगलावर्त-३२४४ ब, गजदन्त का कूट -निर्देश ३४७३ भ्रमणकाल-काल-पुरुषवेदी २६६ ब, स्त्रीवेदी २६६ ब। ब, विस्तार ३४८३, अकन ३४४४ के सामने, भ्रमरघोष-कुरुवंश १ ३३५ ब ।
३४५७ । भ्रमराहार-आहार १.२८८ ब, भिक्षा ३.२२६ ब। मंगिना-तीर्थकर नेमिनाथ २ ३८८ । अष्ट मनि-साध ४४०६ ब, स्वच्छन्द साधु ४५०३ । मंजूषा-३२४४ ब, विदेह नगरी-निर्देश ३४६० अ. भ्रांत-३२४० अ. नरकपटल-निर्देश २५७६ व, विस्तार नामनिर्देश ३४७० ब, विस्तार ३४७६, ३४८०,
२५७६ ब, अकन ३४४१ । नारकी---अवगाहना ३४८१, अकन ३ ४४४ के सामने, ३ ४६४ के सामने. ११७८, अवधिज्ञान ११६८, आयु १२६३ ।
चित्र ३४६० अ। धांति-३ २४० अ, सस्कार ४१५० अ ।
मडन-मीमासक ३३११ अ, वेदान्त ३ ५६५ ब । भ्रामरी बत्ति-३ २४० अ, आहार १२८८ ब, भिक्षा मंडन मिश्र-३.२४४ ब, वेदान्त ३ ५६५ ब ।
क्लेश (श्रावक) २.४८ अ, भिक्षा ३ २२९ ब । मंडप- समवसरण ४.३३० अ। भ्रूक्षेपण-व्युत्सर्ग दोष ३ ६२२ अ ।
मडपभूमि-३.२४४ ब, समवसरण ४३३० अ। मंडल-३२४५ अ, अग्नि १.३५ ब, १३६ अ, आकाश
१२२० ब, मन्त्र ३२४५ ब । मडलीक-३ २४५ अ, राजा ३.४००ब, तीर्थकर ऋषभ
आदि २५८६ । मंडित-३.२४५ अ, विद्याधर नगरी ३५४५ अ। मत्र-३.२४५ अ-ब, पदस्थ ध्यान ३.५ ब । हिंसा ४५३४
मंखलि-पूरन कश्यप ३.८२ अ।
मंत्र बोष-आहार १.२६१ ब। मगरस-३.२४० अ, इतिहास १३३३ ब, १३४६ ब । मंत्र महोदधि-इतिहास ५.३४३ ब। मंगराज-३२४० अ, इतिहास १३३३ ब ।
मंत्रवादी देवचंद्र-नन्दिसघ १.३२५ । मंगल-३२४० अ, ग्रह २२७४ अ । गजदन्त का कूट मत्रशाला-ज्योतिष देवो के प्रासादो मे २३५१ ब।
तथा देव-निर्देश ३४७२ ब, विस्तार ३४८३, मंत्रसामर्थ्य-हिंसा ४.५३४ ब । अंकन ३४४४ के सामने, ३.४५७ ।
मंत्री-२.२४८ ब, प्रतिनारायण ४.२० ब । मंगल (ज्योतिषलोक)-ज्योतिषविमान-निर्देश २.३४६ मंत्रोपजीवी-३.२४८ ब ।
ब, आकार २.३४७, विस्तार २.३५१ ब, अंकन मंदकवाय-कषाय २.३६ अ, २.३६ अ .
Page #189
--------------------------------------------------------------------------
________________
मदपरिणाम
मंदपरिणाम उदीरणा १.४१० अ ।
मदप्रबोधिनी - ३ ३४८ ब, अभयचन्द्र १.१२७ अ, इतिहास
१ ३४५ अ ।
-
मंदभाव परिणाम ३३२ अ ।
मदर (फूट) – कुडलवर पर्वत का निर्देश ३४७५ ब विस्तार ३४८७, अंकन ३ ४६७ रुचकबर पर्वत का का-निर्देश ३४७६ अ, विस्तार ३.४८७, अकन ३.४६८ सुमेध पर्वत का निर्देश २४७३, विस्तार ३४६३. अकन ३.४५१ ।
मंदर ( नाम ) - कुरुवश १३३५ ब तीर्थंकर विमलनाथ २२.६७, वानरवश १३३० व विद्याधर नगरी ३ ५४५ ब ।
भवर (सुमेह) - ३२४८ व सुमेरु ४४३७ अ, वैदिकाभिमत ३.४३१ ब ।
मदरपुर- प्रतिनारायण ४.२० ब ।
मदराकार क्षेत्र ३२४८ व ।
--
-
मंद ३.२४८ व तीर्थकर विमलनाथ २३८७, पुरनाट सघ १.३२७ अ, इतिहास १३२८ ब ।
मंदिर - तीर्थकर वासुपूज्य २.३८७, रुच कवर पर्वत का कूट निर्देश २.४७६ विस्तार ३.४६७ ३.४६६, विद्याधर नगरी ३५४५ ब ।
अकन
-
मंदिर निर्माणकर्म — श्रावक ४.५२ अ । मंदोदरी - ३२४८ ब ।
।
मकर-मुलासन तप कायक्लेश २४७ व मक्खन - भक्ष्याभक्ष्य ३२०२ ब । ३.२४८ व पूजा ३.७४ अ
मख
मगध - ३२४८ व अग्निभूति १२६, इतिहास १.३१० व परि० / २ १२, मनुष्यलोक ३२७५ अन्य मगधारक ३२४८ व विद्याधर नगरी ३५४५ अ । मगर - तीर्थंकर पुष्पदन्त २३७६ ।
7
मधवा- ३२४८ व चक्रवर्ती ४१० अ तीर्थंकर २३६१ । मघवान् ३२४८ व गणधर २२१३ अ । मघवी – नरक पृथिवी निर्देश २.५७६ ब पटल २५८०, इन्द्रक श्रेणीबद्ध २५७८, २.५८०, विस्तार २५७६, २५७८ अंकन ३.४४१ । नारकी - अवगाहना ११७८ अवधिज्ञान ११६८ आयु १.२६३ ॥
१८३
- --
-
मघवी (नरक पृथिवी ) - प्ररूपणा - बंध ३ १००, बधस्थान ३११२, उदय १.३७६ उदयस्थान १३९२ ब उदीरणा १४११ अ, सत्त्व ४२८१, सत्त्वस्थान ४२१८, ४३०५, विसयोगी भग १४०६ व सत् ४.१७०४६५, क्षेत्र २.११७, स्पर्शन ४४७९, काल २१०१ अन्तर १८, भाव ३.२२० अ, अल्पबहुत्व १-१४४ ।
मना - ३.२४० व तीर्थंकर सुमतिनाथ ३.३५० नक्षत्र २.५०४ ।
मघा सवत् — इतिहास १.३१० अ । मच्छरसम श्रोता - उपदेश १.४२५ ब । मनीरा चैत्यचैत्यालय २३०२ अ ।
मज्जा औदारिक शरीर १४७१ व १४७२ अ ।
मज्जानुराग राग ३३१५ अ
मटंब - ३२४८ ब, चक्रवर्ती ४१३ ब, बलदेव ४ १७ ब । मणि- ३२४६ अ, चक्रवर्ती ४१३ अ मन्त्र ३.२४५ व । मणि ( कूट ) -- कुडलवर पर्वत का -निर्देश ३४७५ ब,
विस्तार ३४८७, अकन ३४६७ । रुचकवर पर्वत का निर्देश ३४७६ ब विस्तार ३.४८७, अंकन ३४६८ । शिखरी पर्वत का — निर्देश ३.४७२ ब, विस्तार ३४८३, अकन ३ ४४४ के सामने | मणिकांचन - ३२४६ अ, विद्याधर नगरी ३.५४५ ब । मणिकांचन ( कूट ) - ३ २४६ अ, रुक्मि पर्वत का कूट तथा देव-निर्देश ३.४७२ ब विस्तार ३४८३, अकन ३ ४४४ । शिखरी पर्वत का कूट तथा देव-निर्देश ३४७२ ब विस्तार ३४८३, अकन २.४४४ के सामने । मणिकुंडल-अच्युत १४१ अ । मणिकेतु - ३.२४६ अ ।
मणिग्रीव - विद्याधर वर्ग १३३९ अ
-
मणिचित - ३२४६ अ, सुमेरु ४४३७ अ । मणिधूल- विद्याधरवण १३३९ अ मणिपूर चक्र पदस्थान ( नाभिकमल ) ३६ ब मणिप्रभ - ३२४९ अ विद्याधर नगरी ३ ५४५ अ । मणिप्रभ ( कूट) कुडलवर पर्वत का निर्देश ३.४७५ ब, विस्तार ३.४५७, अकन ३.४६७ रुचकवर पर्वत का निर्देश ३.४७६ ब विस्तार ३.४८७ ।
,
1
मणिभद्र ( कूट ) - ३,२४६ अ, रुचकवर पर्वत का – निर्देश ३४७६ व विस्तार ३-४८७, अकन ३४६९ । विजयार्ध पर्वत का निर्देश ३.४७१ ब विस्तार ३.४८२ अकन २०४४४ के सामने ।
"
मतंग
मणिभद्र (देव) - ३.२४९ अ, यक्ष ३.३६९ अ व्यतरेंद्र--- निर्देश ३.६११ अ सख्या ३.६११ अ परिवार २-६११ व आयु १.२६४ ब ।
मणिभवन - ३.२४१ अ ।
मणिभासुर विद्याधरव १३३९ अ ।
मणिमालिनी - ३.२४६अ, गजदंत के कूट की देवी
-
३.६१४ । सुमेरु के वन की दिक्कुमारी निर्देश ३.४७३ ब अकन ३.४५१ ।
विद्याधर नगरी ३.५४५ व,
-
मणिय - ३२४९ अ
३.५४६ अ ।
मणिस्यंदन - विद्याधरवंश १.३३६ अ । मतग३.२४९ म अन्तकृत केवली १.२ ।
Page #190
--------------------------------------------------------------------------
________________
मतगज
मध्य धन
१८४
मतंगज-यदु वंश १ ३३७ ।।
ममितिको-३.२५६ अ । मत-३.२४६ अ, एकान्तमत १४६४ ब ।
मथुरा-३२५८ अ, उग्रसेन १.३५२ अ, नारायण ४१८ मतानुज्ञा-३२४६ अ।
___ अ, मनुष्यलोक ३.२७६ अ। मतार्थ-३.२४६ अ, आगम १२३० अ, कर्ताकर्म २.२४ मथुरा संघ--३.२५६ अ, जैनाभासी संघ १३१६ अ, ब।
इतिहास १३२१ ब, १.३२७ ब । मति-अध्यवसान १५२ अ, मतिज्ञान ३ २५० अ।
मद--३.२५६ अ, मार्दव ३.२६८ ब । मतिज्ञान--३ ३४६ अ, अनुभव प्रत्यक्ष १.८३ ब, अवग्रह, मदनकोति-आशाधर १.२८०ब।
आदि की कालावधि का अल्पबहुत्व ११६०, अवधि- मदनवेगा-यदुवंश १३३७ । ज्ञान ११८६ अ, ११६० ब, केवलज्ञान २२५६- मदना -३ २५६ ब, मनुष्यलोक ३.२७६ अ । २६०, गति-अगति (गुणोत्पादन) २३२२, गुणस्थान मदिरा-मद्य ३.२५६ ब, भक्ष्याभक्ष्य ३.२०२ ब। तथा जीवसमास २२६१, नय २५५४ अ, परोक्ष मद्य-३२५६ ब,भक्ष्याभक्ष्य ३.२०२ ब, श्रावक ४.५० ब। ३ ३६ अ, प्रत्यक्ष (अनुभव) १८३ ब, (सा- मद्यमयी-सुमेरु की परिधि ३४४९ अ। व्यवहारिक) ३१२२ ब, मन:पर्यय ३२६७ ब, मोक्ष मद्यांग नातीय कल्पवृक्ष-वृक्ष ३.५७८ अ ।
मार्ग ४६० ब, श्रुतज्ञान ४.६० अ, ४.६१ अ-ब। मत्र -३३६० अ, मनुष्यलोक ३,२७५ ब । मतिज्ञान (प्ररूपणा) - बंध ३.१०६, बधस्थान ३११३, मद्रक-३.२६० अ, मनुष्यलोक ३ २७५ अ ।
उदय १३८३, उदयस्थान १.३६३ अ, उदीरणा मद्रकार-मनुष्यलोक ३.२७५ अ। १.४११ अ, सत्त्व ४.२८३, सत्त्वस्थान ४.३००, मद्री-३.२६० अ, अन्ध्रकवृष्णि १३० अ, यदुवश ४.३०५, विसयोगी भग १.४०७ अ। सत् ४२३५, १.३३७ । सख्या ४१०६, क्षेत्र २.२०४, स्पर्शन ४४८८, काल
मधु-३२६० अ, प्रतिनारायण ४.२० अ, भक्ष्याभक्ष्य २.११३, अन्तर १.१५, भाव ३.२२१ अ, अल्पबहुत्व
३.२०२ ब, श्रावक ४५० ब । ११५० ।
मधुकरी वृत्ति-आहार १२८८ ब, भिक्षा ३ २२६ ब। . मतिज्ञान सिद्ध - अल्पबहुत्व १.१५४ अ।
मधुकैटभ-३२६० ब, तीर्थंकर अनन्तनाथ २३६१, प्रतिमतिज्ञानावरण-"ज्ञानावरण २.२७१ अ । प्ररूपणा--प्रकृति
नारायण ४.२० अ। ३.८८, २.२७१ अ, स्थिति ४.४६०, अनुभाग १.६१
मधुक्रीड-प्रतिनारायण ४.२० अ। ब, १.६४ ब, प्रदेश ३.१३६ । बध ३.६८, बधस्थान
मपिंगल-३२६० ब । ३१०९, उदय १३७५, उदयस्थान १.३८७ उदीरणा
मधुर (कवि)-इतिहास ३ ३३२ ब । १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२ सत्त्व ४२७८,
मधुर भाषण-गुरु २.२५२ ब, सत्य ४.२७२ ब, समिति सत्त्वस्थान ४.२६४, बिसयोगी भग १३६६ । सक्रमण ४.३४० ब। ४.८४ ब, अल्पबहुत्व १.१६८ ब ।
मधुरा-३.२६१ अ, व्यन्तरेन्द्र गणिका ३.६११ ब । मतिसागर-द्रविड सघ १.३२० अ।
मधुरालापा-व्यन्तरेन्द्र गणिका ३.६११ ब । मत्तजला-३.२५६ अ। विभंगा नदी--निर्देश ३.४६० मधुसूदन-प्रतिनारायण ४२० अ।
अ, नामनिर्देश ३.४७४ ब, विस्तार ३.४८६, मधुसूदन सरस्वती-३.२६१ अ, वेदान्त ३.५६५ ब ।
३४६०, अकन ३४४४ के सामने, ३४६४ के सामने। मधुसेना--तीर्थंकर मल्लिनाथ २३८८ । मत्यज्ञान - अज्ञान १३७ ब, मतिज्ञान ३.२५२ अ, जीव- मधुस्रावी ऋद्धि-ऋद्धि १.४४७, १.४५६ अ ।
समास तथा गुणस्थान २.२६१। प्ररूपणा--दे० मध्य-३.२६१ अ, परमाणु ३.१६ ब, वारुणीवर सागर मतिज्ञान ।
का रक्षक देव ३.६१४, वैष्णव ३६०६अ। मत्स-३२५६ अ।
मध्यखंड द्रव्य-कृष्टि २.१४१ ब । मत्सर-३.२५६ अ।
मध्य-पवेयक-वेयक स्वर्ग के पटल ४.५१८-५२० । मत्स्य-३.२५६ अ, तीर्थंकर अरहनाथ २३७६, मनुष्य- मध्य-चय-धन-गणित २२२६ ब । लोक ३.२७५ अ, हरिवंश १३३६ ब ।
मध्यदिन-एकान्त (अज्ञानवादी) १.४६५ ब । मत्स्ययुगल-स्वप्न ४.५०४ ब ।
मध्यदेश-मनुष्यलोक ३.२७५ ब । मत्स्योद्वर्त-३.२५६ अ, व्युत्सर्गदोष ३.६२२ ब ।
मध्यधन-गणित २.२२६ ब, २.२३२ अ।
Page #191
--------------------------------------------------------------------------
________________
मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश - ३२६१ अ ।
मध्यम — वारुणीवर सागर का रक्षक देव ३६१४ । मध्यम अनन्त – अनन्त १५६ व गणित २.२१४ ब । मध्यम अन्तरात्मा - १२७ अ ।
मध्यम अवगाहना-सख्याप्ररूपणा ४ ६४ अ ।
मध्यम असंख्यात - असंख्यात १२०६ ब, गणित २.२१४ ब ।
मध्यम आराधना - सल्लेखना ४ ३८७ म
।
मध्यम ग्रं वेयक - ग्रैवेयक स्वर्ग पटल ४५१८-५२० । मध्यम नक्षत्र --- सल्लेखना ४.३६७ ब ।
मध्यम धर्मध्यान -- धर्मध्यान २४७६ अ ।
मध्यम पद - आगम १.२२८ ब पद ३.४ ब, श्रुतज्ञान
४.६५ अ ।
मध्यम पात्र
पात ३५२ ब ।
मध्यम पारिषदपारिषद ३.५६ अ ।
मध्यम प्रोषधोपवास- प्रोषधोपवास ३ १६४ अ ।
मध्यम व्यास - गणित २२३३ ब ।
मध्यम संख्यात गणित २.२१४ ब, सख्यात ४६२ अ ।
मध्यम सूची - गणित २. २३३ ब ।
मध्य स्वर - स्वर ४.५०८ ब ।
-
-
-भाषा ३.२२७ ब ।
मध्यमा मध्य मीमांसा दर्शन २.४०४ अ ।
―
-
मध्यलोक - ३२६१ अ, ३.४४२ अ, चित्र ३.४४३ । क्षेत्रप्ररूपणा २९६१ व चैत्य-चंत्यालय २.३०३ अ, २.३०४ अ ।
मध्यलोक सिद्ध - अल्पबहुत्व १.१५३ । मध्यस्थ भाव - सामायिक ४४१६ अ ।
मध्याह्न - ३.२६१ अ ।
मध्याखव ऋद्धि — ऋद्धि १.४५६ ब ।
मन. कर्म कर्म २-२६ अ ।
१८५
मन:पर्ययज्ञान - ३.२६१ अ अवधिज्ञान १.१८८ ब. ११५१ अ अवधिज्ञान ( प्रत्यक्षता परोक्षता) ११९० अ-य, उपक्रम १४१६ व ऋद्धि १.४४८, गतिअगति ( गुणोत्पादन ) २३२२ अ, जीवसमास तथा गुणस्थान २२६१ । दर्शन २४१६ अ, पचम काल १.१८६ व परिहारविशुद्धि ३३७ अ प्रत्यक्षता परोक्षता (अवधिज्ञान) १.१६०-१६१, मोक्षमार्ग ( अवधिज्ञान) १.१०१ व वेद भाव ३.५८० व मन:पर्ययज्ञान (प्ररूपणा ) - बघ ३ १०६, बधस्थान ३.११३, उदय १.३८३, उदयस्थान १३६३ अ, उदी
मनाधिगुप्त
रणा १४११ अ, सत्त्व ४२५३, सत्त्वस्थान ४३००, ४. ३०५, त्रिसयोगी भंग १४०७ अ, सत् ४२३६, संख्या ४१०६, क्षेत्र २२०४, स्पर्शन ४४५०, काल २११३, अन्तर ११५, भाव ३२२१ अ अबहुत्व ११५० ।
मन पर्ययज्ञान सिद्ध- अल्पबहुत्व ११५४ अ । मन:पर्ययज्ञानावरण३ २७१ व प्रकृति ३८८२२७०, स्थिति ४४६०, अनुभाग ११४ व प्रदेश २ १३६ । बन्ध ३.६७, बन्धस्थान ३ १०६, उदय १३७५, उदयस्थान १३८७, उदीरणा १४११, उदीरणा-स्थान १.४१२, सत्व ४२७८, सस्वस्थान ४२९४, त्रिसं योगी भग १३९९ संक्रमण ४८४ व अल्पबहुत्व १.१६८ ।
मन:पर्ययज्ञानावरणीयदे. मन पर्ययज्ञानावरण मन:पर्ययज्ञानी तीर्थकर सम २३८७, स्वाध्याय ४५२४
अ ।
मनःपर्याप्ति पर्याप्ति ३४१ ब ।
मनः परावर्तन - आवर्त १२७६ अ । मनःप्रतिक्रमण प्रतिमन ३११६ व ।
मन प्रत्याख्यान
प्रत्याख्यान ३ १३२ अ ।
मन. शिल- ३२६६ व सोलहवां सागर द्वीप-निर्देश ३ ४७० अ, विस्तार ३.४७८, अकन ३. ४४३, जल का रस ३.४७० अ ज्योतिषचक २३४८ व अधिपति
देव ३६१४ ।
मनः शुद्धि--- धर्म २४६९ ब, भक्ति ३.१६६ अ ।
1
१.८१ व न्याय
,
मन - ३२६६ ब, अनुभव १८१ ब अवधिज्ञान ११६१ अन्य, आहारान्तराय १.२१ अ उपयोग (कर्मबन्ध) १.४३३ व एकेन्द्रिय १.३०७ अ कर्म २.२६ अ ब, केवली २.१६३ अ द्रव्यमन (अनुभव) २६३३ व पर्याप्त ३.३८० अ प्राण ३.१५३ अ ३. १५४ व प्राणायाम ३.१५६ अ मतिज्ञान ३.२५० ब, ३.२६८ अ, मन पर्यय ज्ञान ३.२६२ अ, ३२६७ ब, ३.२६८ अ, मूर्त ३.२१८ अ, भावमन (अनुभव) १.८१ ब, सज्ञी ४.१२२ अ, संस्कार ४.१५० अ, स्वाध्याय ४५२५ अ । मनक – ३.२७२ अ नरकपटल निर्देश २.५७९ ब - -- विस्तार २.५७१ व अंकन ३.४३१ । नारकी - अब गाहना १.१७८, आयु १.२६३ । मनचती अष्टमी व्रत—३.२७२ अ ॥
-
मनन --- स्वाध्याय ४.५२३ अ ।
मनरंगलाल - ३.२७२ ब इतिहास १.३३४ ब, ३४८ अ । मनाधिगुप्त - भावि तीर्थंकर २.३७७ ।
Page #192
--------------------------------------------------------------------------
________________
मनु
१८६
मनोयोग (प्ररूपणा)
मनु-३ २७२ ब, कुलकर २१३० ब, भावि शलाकापुरुष २१६६, स्पर्शन ४.४८०, काल २१०३, अन्तर ४.२५ अ, विद्या ३५४४ अ, विद्याधर नगरी ३ ५४५ १६, भाव ३.२२० अ, अल्पबहुत्व ११४४ ।
मनुष्यणी सिद्ध-अल्पबहुत्व ११५४ । मनुज-३.२७२ ब ।
मनुष्यद्विक-उदय १३७४ । मनुपुत्रक-विद्याधर वंश १.३३६अ।
मनुष्यलोक-३.२३५, ३.२७४ । मनुष्य-३ २७२ ब, अवधिज्ञान ११६४ ब, आकाश मे मनुष्यव्यवहार-३.२७६ अ, मिथ्यादष्टि ३ ३०४ अ।
अवस्थान १२२४ अ, आयुबन्ध १.२६२ अ, गति- मनुष्यसिद्ध-अल्पबहुत्व ११५४ । अगति (जन्म) २.३१६ अ, जीव २.३३३ ब, पुरुषवेद मनुष्यायु कर्मप्रकृति--आयु (बन्धयोग्य परिणाम) १२५५ ३ ५८६ अ, वैऋषिक शरीर ३.६०३ अ, व्यन्तर
ब, प्ररूपणा-प्रकृति ३.८८,१२५३, स्थिति ४ ४६२, (भूताविष्ट) ३६११ अ, सन्निपातिक भाव ४३१२ अनुभाग १.६५, प्रदेश ३.१३६ । बन्ध ३६७, बन्ध
स्थान ३.१०८, उदय १३७५, उदयस्थान १३८७, मनुष्यक्षेत्र--- आकाश १.२२४ अ ।
उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान १.४१२, सत्व मनुष्यगति-निर्देश ३२७३, अवगाहना ११८०, अवधि
४.२७८, सत्त्वस्थान ४२६४, बिसयोगी भग १.४०१। ज्ञान १.१६४ ब, अवविज्ञान का विषय १.१६६ अ,
सक्रमण ४.८५ अ, अल्पबहुत्व ११६६ । आयु १.२६४, कषाय २३८ अ, जन्म (गति-अगति) मनागुप्ति-अतिचार (गुप्ति) २२५० अ-ब, अहिंसा २.३२२, दु ख २४३५ अ, लेश्या ३.४२८ ब ।
१२१६ अ, गुप्ति (निश्चय व्यवहार) २.२४८ ब, मनुष्यगति (प्ररूपणा)-बन्ध ३१०१, बन्धस्थान ३११३,
२२४६ अ, गुप्ति (भाव) २२४६ अ। उदय १.३७७, उदयस्थान १३६२ ब, उदीरणा १४११ मनोजय-प्राणायाम ३ १५६ अ, सयम ४.१३६ अ, अ, सत्व ४.२८२, उद्वेलना युक्त सत्त्व ४२८२, सत्त्व
स्वाध्याय ४५२५ अ। स्थान ४.२६८, ४३०५, त्रिसयोगी भंग १४०६ ब। मनोज्ञ -आतध्यान १२७३ ब, १.२७४ अ, परिग्रह ३ २६ सत् ४१७७, सख्या ४९६, क्षेत्र २१६६, स्पर्शन ब। ४४८०, काल २१०२, अन्तर १६, भाव ३२२० अ, मनोज्ञ साधु-३२७६ अ । अल्पबहुत्व १.१४४।।
मनोज्ञान-मनोयोग ३.२७७ ब । मनष्यगति नामकर्म प्रकृति-प्ररूपणा-प्रकृति ३८८, मनोत्पन्न सुख-सुख ४४२६ ब ।
२५८३, स्थिति ४४६३, अनुभाग १.६५, प्रदेश मनोदुष्ट--२.२७६ अ, व्युत्सर्ग दोष ३.६२२ ब । ३१३६ । बन्ध ३६७, बन्धस्थान ३.११०, उदय मनोद्रव्यवर्गणा-वर्गणा २.५१३ अ । १३७५, उदयस्थान १३६०, उदीरणा १४११ अ, मनोबल-३२७६ अ, ऋद्धि १४४७, १४५५ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान पर्याप्ति ३.४४ अ। ४.३०३, विसयोगी भग १.४०४ । सक्रमण ४.८५ अ, मनोभद्र-३२७६, यक्ष २ ३६६ अ । अल्पबहुत्व ११६६अ।
मनोभव - भावि शलाकापुरुष ४ २६ अ । मनुष्यगति प्रायोग्यानुपूर्वी-नाम कर्म २५८३ ब । मनोमतिज्ञान-श्रुतज्ञान ४.६२ ब । मनुष्यगत्यानपूर्वी नामकर्म प्रकृति--आनुपूर्वी १२४७ अ, मनोयोग-३ २७६ अ, अपर्याप्त (योग) ३३८० अ, कार्य
प्ररूपणा-(दे. मनुष्यगति नामकर्म प्रकृति प्ररूपणा) । कारण (योग) ३ ३७८ ब, काल २६६ ब, कालामनुष्यचतुष्क-उदय १.३७४ ब ।
वधि का अल्पबहुत्व ११६१, भाषा पर्याप्ति (योग) मनुष्यत्रिक--उदय १.३७४ ब।
३.३८० अ, (मनोमतिज्ञान मनोयोग) ३ २७७ ब, मनुष्यणी-निर्देश ३.२७३ । वेद-गुणस्थान ३५८९ ब। वचनोत्पत्ति (योग) ३३८१ अ, योग ३ ३७६ अ,
वेदभाव ३.५८५ ब, स्त्रीवेद ३.५८६ अ । प्ररूपणा ३ ३८० अ-ब, शरीरपर्याप्ति (योग) ३.३८० अ।
-बन्ध ३.१०१ बन्धस्थान ३११३ उदय १३७७, मनोयोग (प्ररूपणा)-बध ३१०४, बधस्थान ३.११३, उदयस्थान १३९२ ब, उदीरणा १.४११ अ, सत्त्व उदय १.३७६, उदयस्थान १.३९२ ब, सत्त्व ४.२८३, ४२८२, सत्त्वस्थान ४.२६८, ४३०५, त्रिसयोगी सत्त्वस्थान ४.२९६, ४.३०५, त्रिसंयोगी भग १.४०६ भंग १.४०६ ब । सत् ४१८०, सख्या ४.६६, क्षेत्र
ब। सत् ४२१२, संख्या ४१०२, क्षेत्र २.२०२०
Page #193
--------------------------------------------------------------------------
________________
मनोरम
૨૭
स्पर्शन ४४८५, काल २.१०८, अतर १.१२, भाव ३.२२० ब अल्पबहुत्व १.१४८। मनोरम - ३२७८ अ, किन्नर २१२४ ब, सुमेरु ४.४३७
अ 1
३.२७८ अ
मनोरमा मनोरम्य - राक्षसवंश १.३३८ अ । मनोवंदना - वदना ३.४६४ ब ।
मनोवर्गणा - वर्गणा ३.५१३ अ, ३.५१५ ब, ३.५१६ अ । मनोवेग - २.२७८ अ चक्रवर्ती ४.१५ अ राक्षसवश
१३३८ अ ।
---
मनोवेगा - ३.२७८ अ, तीर्थकर चन्द्रप्रभ की यक्षिणी २३७६ । मनोहर २.२७८ अ तीर्थकर पद्मप्रभ श्रेयांस व वासुपूज्य २.३८३, मनोरग जातीय व्यन्तरदेव ३२६३ अ, राक्षसवंश १३३८ अ, शतारेंद्र का यान ४५११ ब । मनोहरण- ३२७८ व यक्ष ३३६६ अ । मनोहर लाल - इतिहास १३३४ अ ।
मनोहरा
नारायण ४१८ ब ।
मनोहरी - कुलकर४२३ ।
मनोह्लाद - राक्षसवश १.३३० अ ।
ममकार ३२७८ व अहकार १.२१५ अ ।
ममत्व ३२७८ व परिग्रह ३.२४ ब शरीर ४.८ अ हिंसा (सुख) ४५३२ ब ।
ममेदं बुद्धि - वात्सल्य ( आकाक्षा ) ३५३२ ब ।
-
-
मय- ३२७८ ब यदुवंश १.३२७ । मयणज्य – इतिहास १३४७ अ ।
-
मयणपराजयचरिउ --- इतिहास १३४५ ब ।
मयूर अच्युतेद्र का यान ४.५११ ब मयूरग्रीव - भावि शलाकापुरुष ४२६ अ । मयूरपिच्छ शुल्लक २१८८
ब ।
मयूरवान् - राक्षसवंश १.३२३८ अ ।
मयूरी चक्रवर्ती ४.११ ब ।
।
मरण - ३.२७८ व आहारातराय १.२९व काल २६६ अ, नरक २५७४, श्या ३४२७ व षट्कालिक हानि-वृद्धि २.१३ ।
मरणकांडिका - इतिहास १३४३ ब ।
मरणसूतक सूतक ४.४४२ व मरणावली- उदीरणा १.४१० अ । मरणाशीच सूतक ४.४४२ ब ।
मरणासन्न - स्वाध्याय ४.५२६ अ । मरियानी - गंडविमुक्त देव २.२१० ब
।
-
मल्लभूषण
मरीचि - ३२८८ अ, अक्रियावादी १.३२ अ एकांती
१,४६५ ब ।
मरु - ३०२८८ अ ।
मरुडवश- ३.३१४ अ ।
मस्त ३२६८ अ, लोकातिक देव ३.४९३ व स्वर्गपटल-निर्देश ४५१६, विस्तार ४५१६, अकन ४५१९ व देवआयु १.२६६ ।
मदतचारण ऋद्धि - ऋद्धि १.४४७, १४५२ ब । मरुत्वान यज्ञ --- ४.२२ अ ।
मरुदेव - ३२०० अ, यदुवंश १.३२७ ।
,
मरुदेवी ३२८ अ कुलकर ४.२३, चक्रवर्ती ४११ व तीर्थंकर ऋषभ २३८० ॥
मरुदेव कुलकर ४ २३ । मरुप्रभ-२२८८अ किपुरुष २१२५ अ
मरुभूति - ३.२८८ अ ।
मर्मस्थान - ३.२८८ अ, औदारिक शरीर १.४७२ अ ।
मर्यादा - ३.२८८ अ, जल २३२५ अ, भक्ष्याभक्ष्य ३.२०२ अ, ३२०३ अ ।
1
मल -३२८८ अ परिषद् ३.३३ व ३.३४अ समिति ( प्रतिष्ठापन ) ४. ३४१ ब । मलद३२०० व मनुष्यलोक ३२७५ अ । मलशेष आहार १.२०१ ब ।
मल परिवह३२६६ व ३३३, ३-३४ अ । मलय-३२० प्रतिनारायण ४२० व बलदेव ४.१६ ब. मनुष्यलोक १२७५ व, यदुवरा १३३७ । मलयकीति - इतिहास १३३३ अ ।
मलयगिरि - मनुष्यलोक २.२७५ ब श्वेतावर टीकाकार १३३१ अ ।
मलिन- सम्यग्दर्शन ४.३७० व
मलीषध ऋद्धि ऋद्धि १४४७, १४५५ अ ।
मल्ल - ३.२८८ ब, मनुष्यलोक ३ २७५ अ-ब । मल्लधारीदेव-३२८१ अ नदिष देशीय गण १.३२४
व इतिहास - १.३३१ ब ।
मल्लवादी - ३.२८६ अ इतिहास - प्रथम १.३२६अ, १. ३४० ब ।
मल्लि - तीर्थंकर मुनिसुव्रतनाथ के गणधर २.३८७ । मल्लिणाह कब्व - इतिहास १.३४५ ब । मल्लिनाथ - ३२८९ अ तीर्थंकर प्ररूपमा २.३७१-३११। मल्लिनाथचरित्र - ३२८१ अ इतिहास १ ३४५ ब । मल्लि भूपाल - ३.२८६ अ ।
महिलभूषण - ३२८१ अ नंदिसंघ १.३२४ अ, इतिहास
प्रथम १.३३३ अ ।
Page #194
--------------------------------------------------------------------------
________________
मल्लिषण
१८८
महातम.प्रभा (प्ररूपणा)
मल्लिषेण --३२८६ अ, इतिहास-प्रथम १३३१ अ-ब, अ, परिवार ३.६११ ब, आयु १२६४ ब ।
१३४३ अ-ब, द्वितीय १३४४ अ, तृतीय १.३३२ ब, महाकाल-३२८६ ब, ग्रह २२७४ अ, चक्रवर्ती १.१४ १३४५ अ ।
ब, नारद ४२१ अ, पिशाच जातीय देव ३५८ ब। मल्लिषण-प्रशस्ति-३२८९ ।
व्यतरेद्र--निर्देश ३६११ अ, सख्या ३६११ अ, मशकसम स्रोता-उपदेश १४२५ ब ।
परिवार ३६११ ब, आयु १.२६४ ब । मसिकर्यि--आर्य १२७५ अ।
महाकाली-३२८६ ब, तीर्थंकर श्रेयासनाथ की यक्षिणी मस्करी-एकान्त अज्ञानवादी १.४६५ ब, परवाद ३.२३
२३७६, विद्या ३ ५४४ अ।
महाकीति -नदिसघ १३२३ ब । मस्करी गोशाल-३२८६ अ, पूरनकश्यप ३.८२ ब ।
महाकुमुद-काल का प्रमाण २.२१६ अ।
महाकुमुदांग-काल का प्रमाण २.२१६ अ। मस्करी पूरनपूरनकश्यप ३८२ ब ।
महाकूट-३२८६ ब, विद्याधर नगरी ३ ५४५ अ । मस्तक-३२८६ब, मनुष्यलोक ३ २७५ अ । स्वर्ग पटल -
महाकौशल-३२८६ ब । निर्देश ४ ५१७, विस्तार ४.५१७, अकन ४५१६ ब,
महाक्षेत्र-भरत आदि क्षेत्र-निर्देश ३.४४६ अ, ३.४६२ देवआयु १२६७ ।
ब, ३.४६३ ब, विस्तार ३४७६, ३.४८०, ३४८१, मस्तककमल-पदस्थध्यान ३६ ब ।
अंकन ३.४४४ के सामने, ३४६४ के सामने । मस्तिष्क -३.२८६ ब, औदारिक शरीर १.४७२ अ।
महाखर-३.२८६ ब । मह-३२८६ ब, पूजा ३.७४ अ ।
महागंध-३२८६ ब। महत्तर -३.२८६ ब ।
महागंध (देव)-क्षौद्रवर द्वीप सागर का रक्षक ३.६१४, महत्तरदेवी-भवनवासी-परिवार ३ २०६ अ, वैमानिक
नन्दीश्वर द्वीप सागर का रक्षक ३.६१४, आयु ---नामनिर्देश ४५१३ ब, सख्या ४.५१२, आयु
१२६५। १२७० । व्यंतर-आयु १.२६४ ब ।
महागिरि-हरिवंश १ ३३६ ब, १.३४० अ। महत्ता-३.२८६ ब।
महागौरी-३२८९ब, विद्या ३.५४४ अ। महनंदि-इतिहास १३३३ अ, १३४६ ब।
महाग्रह-ग्रह ३ २७४ अ । महा अडड - काल का प्रमाण २.२१६ अ ।
महाघोष-स्तनित कुमारेद्र -निर्देश ३ २०८ ब, अवस्थान महा अडडांग-काल का प्रमाण २२१६ अ।
३ २०६ब, परिवार ३ २०६ अ, आयु १.२६५ अ । महाधिक तणफल-तौल का प्रमाण २.२१५ अ।
महाचंद्र -३२८४ ब, भावि शलाकापुरुष ४२५ ब । महा-ऊह-काल का प्रमाण २२१६ अ।
महाज्वाल-३२८६ ब, विद्याधर नगरी ३.५४५ ब, महा-महाग- काल का प्रमाण २ २१६ अ ।
३५४६ अ। महा ऋद्धि-ऋद्धि १४४७, १४५४ ब ।
महातन-३२८६ ब, महोरग जातीय व्यन्तर देव ३.२६३ महाकक्ष-३२८६ ब, विद्याधर नगरी ३.५४५ अi
अ। महाकच्छ-३२८६ ब, गणधर २२१३ अ ।
महातमः प्रभा--३ २६० अ। नरक पृथिवी-निर्देश महाकच्छा--३ २८६ ब, विदेहस्थ क्षेत्र निर्देश ३.४६०
२५७६, पटल २.५७६, इन्द्रक श्रेणीबद्ध २.५७८, अ, नामनिर्देश ३.४७० ब, विस्तार ३.४७६, ३.४८०,
२५८०, विस्तार २ ५७६, २.५७८, अकन ३.४४१ । ३.४८१, अकन ३.४४४ के सामने, ३.४६४ के सामने,
नारकी अवगाहना १.१७८, अवधिज्ञान १.१६८, चित्र ३४६० अ।
आयु १२६३ । महाकथानक-संख्या का प्रमाण २.२१४ ब ।
महातमःप्रभा (प्ररूपणा)-बध ३ १००, बधस्थान ३.११३, महाकमल-काल का प्रमाण २.२१६ अ।
उदय १३७६, उदयस्थान १.३९२ ब, उदीरणा महाकमलांग-काल का प्रमाण २.२१६ अ।
१.४११ अ, सत्त्व ४.२८१, सत्त्वस्थान ४.२६८, महाकल्प-३.२८६ ब, श्रुतज्ञान ४.६६ ब।
४.३०५, त्रिसंयोगी भंग १.४०६ ब । सत् ४.१७० महाकल्प्य-श्रुतज्ञान ४.६६ ब ।
सख्या ४.६५, क्षेत्र २१९७, स्पर्शन ४४७६, काल महाकल्याण-चक्रतर्ती ४.१५ ब ।
२.१०१, अंतर १८, भाव ३.२२० अ, अल्पबहुत्व महाकाय - व्यंतरेंद्र-निर्देश ३६११ अ, सख्या ३.६११
Page #195
--------------------------------------------------------------------------
________________
महातेज
महातेज —- तीर्थकर अजितनाथ २३७८ । महात्मा - ३२६० अ ।
महात्रुटित-काल का प्रमाण २.२१६ अ । महात्रुटितांग - काल का प्रमाण २२१६ अ । महादेवी तीर्थंकर नेमिनाथ २३८० । महादेह - ३२६० अ, पिशाचजातीय व्यन्तरदेव २.५८ ब । महाधनु – यदुवंश १३३७ ।
महाध्वजा चैत्य चैवालय २.३०३ अ
➖➖➖
महानंद अच्युत १.४१ अ मगधदेश इतिहास १.३१३ । महान लिन काल का प्रमाण २२१६ अ ।
--
महानलिनांग - काल का प्रमाण २२१६ अ ।
महानिमित्तज्ञान --- ऋद्धि १४४८, निमित्तज्ञान २.६१२
ब, विद्या ३ ५४४ अ ।
महानेमि-यदुवश १२३७ । महान् - ओदारिक १.४७१ अ ।
महापद्म ३२१० अ, काल का प्रमाण २.२१६ अ, कुंडलवर पर्वत का कूट तथा देव — निर्देश ३.४७५ ब। विस्तार ३४८७, अकन ३.४६७ । कुरुवश १.३३५, १.३३६अ, तीर्थकर पुष्पदत व शीतलनाथ २.३७८, तीर्थकर भाविकालीन २३७७, भावि शलाका पुरुष ४.२५ अ ।
महापद्म (हब) निर्देश ३.४४६ व ३.४५३ ब विस्तार ३.४६०, ३.४९१. अकन ३ ४४४ के सामने, ३४६४ के सामने, चित्र ३ ४५४ ।
महापद्म नंद-मगधदेश इतिहास १२१३ ।
-
-
महापद्मकाल का प्रमाण २२१६ अ । महापद्मा असुरेद्र की अग्रदेवी ३२०९ अ विदेहस्थ अग्रदेवी ३ २०९ अ । विदेहस्थ क्षेत्र - निर्देश ३.४६० अ, नामनिर्देग ३४७०, विस्तार ३.४७६, ३४८०, ३.४८१, अकन २.४४४ के सामने, ३.४६४ के सामने, चित्र ३४६० अ । वक्षारगिरि का कूट तथा देवी – निर्देश ३.४७२ ब विस्तार ३.४६२३.४८५, ३४८६, अकन ३४४४ के सामने ।
-
महापुराण - ३.२६० अ इतिहास - प्रथम १३४३ अ, .
द्वितीय १.३३१ अ ।
महामेघ रथ
महापुराण कालिका - इतिहास १.३४५ अ । महापुराण टिप्पणी- इतिहास १.३४३ अ महापुरी - ३२९० अ चक्रवर्ती ४.१० व विदेहस्थ नगरी - निर्देश ३४६० अ, नामनिर्देश ३.४७० ब विस्तार ३४७६, ३.४८०, ३.४०१, अकन ३४४४ के सामने, ३४६४ के सामने, चित्र ३४६० अ । महापुरुष --- ३.२६० अ किपुरुष जातीय व्यंतर देव २१२५ अ व्यतरेद्र निर्देश ३.६११ अ संख्या ३.६११ अ परिवार ३६११व, आयु १.२६४ ॥
महाप्रभ - ३.२९० अ । कुडलवर पर्वत का कूट — निर्देश ३४७५ ब विस्तार ३४८७ अकन ३ ४६७ । घृतवर सागर व द्वीप का रक्षक देव ३६१४। महाप्रातिहार्य - वृक्ष ३५७९ ।
महाबध - ३.२९० अ ३ परि०, सत्कर्म पजिका ४ परि०, इतिहास १३४० अ ।
१८६
महाबल - २.२६० अ इक्ष्वाकुवंश १.३३५ अ तीर्थंकर अभिनंदन व सुममिनाथ २.३७८, तीर्थंकर भुजगम २ ३६२, बलदेव ४.१६ अ, भावि शलाकापुरुष ४. २६ अ, सोमवश १-३३९ ब ।
-
महाबाल - गणधर २.२१३ अ । महाबाहू कुडलवर पर्वत के कूट का देव निर्देश ३.४७५ ब, अकन ३४६७ । राक्षसवश १.३३८ अ । महाभद्र तीर्थंकर २३९२ ।
महाभानु यदुवंश १.३३७ ।
महाभारत ३.२६० ब । महाभाषा-दिव्यध्वनि २४३२ अ ! महाभिषेक - ३.२९० ब ।
महाभीम - ३.२१०व, नारद ४.२१ अ, राक्षस जातीय व्यंतर देव ३३९३ व व्यतरेद्र निर्देश ३.६११ परिवार ३.६११ व आयु
।
अ, सख्या ३.६११ अ
महापयन वायु २.५३४ ब । महापुंडरीक - २२९० अ श्रुतज्ञान ४.६९ व रुक्मि पर्वत ब, का द्रह-निर्देश ३.४४६ ४ ३.४५३ ब विस्तार ब, ३.४९०, ३४९१, अकन ३.४४४ के सामने, ३.४६४ के सामने, चित्र ३४५४ । महापुर ३.२० व मनुष्यलोक ३.२७६ अ, विद्याधर महामात्य — ३.२९० व ।
- अ,
-
नगरी २.५४६ अ ।
-
१.२६४ ।
महाभुज - ३.२६० ब ।
महाभूत — ३.२९० ब भूत जातीय व्यतर देव ३.२३४
अ ।
---
-
महामंडलीक ३२९० व राजा ३.४०१ । महामति ३२१० ब ।
–
महामत्स्य - अवगाहना १.१७६, वनस्पति ३.५०५ ब संमूच्छिम ४१२८ ।
महामानसी – ३२९० ब तीर्थकर कुथुनाथ की यक्षिणी २. ३७९, विद्या ३ ५४४ अ ।
महामेघ रथ-तीर्थकर कुथुनाथ २.३७८ ।
Page #196
--------------------------------------------------------------------------
________________
महामेरु
महामेद - सुमेरु ४.४३७ अ । महायक्ष ३२९०
२.३७६ ।
महायान - ३२९० ब, बौद्धदर्शन ३.१८७ अ-ब । महायोजन - ३.२९० ब ।
महारज राक्षसवश १.३३८ अ ।
महारत्न -नारायण ४.१८ अ ।
महारय
-
तीर्थकर अजितनाथ का यक्ष
कुरुवा १२३५ व गणधर २२१३ अ. यदुवश १. ३३७, हरिवश १ ३४० अ ।
महारव - राक्षसवश १.३३८ अ ।
महारस गणधर २२१३ अ ।
-
महाराज राजा ३४०० ब
महाराजा - ३२९० व ।
१६०
-
महाराष्ट्र - ३२९१ अ ।
महारुद्र - ३२९१ अ ग्रह २.२७४ अ, नारद ४२१ अ महालता - ३२६१ अ, काल का प्रमाण २२१६ व महालतांग- ३.२६१ अ, काल का प्रमाण २२१६ ब । महावग्ग - पूरन कश्यप ३८२ अ । महावत्सा- २२६१ अ, विदेहस्थ क्षेत्र — निर्देश ३४६० अ, नामनिर्देश ३.४७० ब, ३.४७० व विस्तार ३.४७१, विस्तार ३.४७६, ३४८०, ३४८१, अकन ३४४४, ३४६४ के सामने, चित्र ३४६० । वक्षारगिरि का कूट — निर्देश ३.४७२ ब, विस्तार ३.४८२, ३.४८५, ३४८६, अंकन ३४४४ के सामने ।
महावप्र - ३२६१ अ । महावप्रा - विदेहस्य क्षेत्र — निर्देश २.४६० अ, नामनिर्देश
३ ४७० ब, विस्तार ३.४७६, ३४८०, ३४८१, अकन ३.४४४ के सामने, ३.४६४ के सामने, चित्र ३४६० अ वक्षारगिरि का कूट-निर्देश २.४७२ ब, विस्तार ३४८२, ३४८५-४६६ अकन ३४४४ । महावसेन - काष्ठास १ ३२७ अ महावसु हरिवश १३४० अ
महावाह - व्यतरेंद्र गणिका ३.६११ ब । महाविकृतिमास ३.२१३ अ
महाविद्या - विद्या ३. ५४४ अ । महावीरतीचं अनुतरोपपादक १.७० व अंतकृत केवली १. २ब, अपराजित १. ११९ अ । महावीर - निर्वाण सवत्-इतिहास १.३०२ अ, १.३१० अ, १.३१६, १. परि० / १
महावीर पडित आशाधर १.२५० व महावीरपुराण ३.२१२ अ इतिहास - प्रथम ५.३४५ ब द्वितीय १.३४६ ब ।
महावीर भगवान् - ३.२६१ अ इन्द्रभूति १२९६ ब, गणधर प्ररूपणा मगधदेश इतिहास १३१६, १ परि० / २१,२, ८ तीर्थ १३१८ अ ।
महावीराचार्य - ३२१२ अ इतिहास १.३३०अ १३४२
महाशुक (प्ररूपणा )
अग्निमित्र १३६ व २२१३ अ । तीर्थंकर १.३१० व मूलसघ वीरसंवत् १. परि०/१,
अ ।
महावीराष्टक - इतिहास १.३४८ अ । महावीर्यं कुरुवश १.३३६ अ । महाव्रत अस्तेय १२१३ व अहिंसा २३६० अ परिग्रह ३२६अ, बायुष्क ब्रह्मचर्य ३१०९ व व्रत ३६२७ अ
7
,
-----
१२१५ व तप १२६२ व शुभोपयोग
१.४३३ अ, सयम ४१३६ ब, सत्य ४२७० ब, सल्लेखना ४३९६ अ स्वामित्व ( प ) २.३६० अ महाशख - ३.२६२ अ, लवणसागर मे स्थिति पर्वतनिर्देश ३४६२ अ, नामनिर्देश ३.४७४ ब, विस्तार ३४७६, अकन ३४६१, वर्ण ३.४७८ ।
-
महारालाका सख्या ४९२ अ । महाशलाका कुछ असंख्यात १.२०६ ब । महाशिरा - ३.२६२ अ । कुडलवर पर्वत के कूट का देव - निर्देश ३.४७५ ब अंकन ३.४६७ ।
महाशुक्र (स्वर्ग) - ३.२९२ अ, चक्रवर्ती ४ १० ब, नारायण ४.१८, बलदेव ४.१६ व स्वर्ग - निर्देश ४.५१४ ब, पटल ४.५१८, इन्द्रक व श्रेणीबद ४५१८, ४.५२०, उत्तर विभाग ४.५२१ अ अवस्थान ४. ५१४ ब अकन ४५१५ । इस स्वर्ग का पटल-निर्देश ४.५१५, विस्तार ४५१५ अकन ४.५१५, देव आयु १२६८ ।
महाशुक्र (देव) - अवगाहना ११८१ अ,
अवधिज्ञान ११६८ व आयु १.२७०, आयुबध के योग्य ब, परिणाम २.२५८ अ । इद्र-निर्देश ४.५१० ब उत्तरेंद्र ४.५११ अ परिवार ४५१२-५१२, अवस्थान ४.५२० व, चिह्न, शक्ति आदि ४.५११ ब विमान, नगर व भवन ४.५२०-५२१ । महाशुक्र (प्ररूपणा ) — २.१०२, बंधस्थान ३११२, उदय १३७८, उदयस्थान १.३९२ व उदीरणा १.४११ अ, सत्त्व ४.२८२, सत्वस्थान ४.२६८, ४.३०५, त्रिसयोगी भंग १.४०६ ब । सत् ४.१६२, संख्या ४१८, क्षेत्र २.२००, स्पर्शन ४.४८१, काल २.१०४, अन्तर १.१०, भाव ३.२२० व अल्पबहुत्व १.१४५ ।
Page #197
--------------------------------------------------------------------------
________________
महाश्वता
महाश्वेता ३२९२ अ विद्या ३ ५४४ अ महासंधिक ३२९२ अ ।
-
- •
महावता-३२९२ अ अस्तित्व १२१३ अ द्रव्य २.४५५
अ, सापेक्ष धर्म १ १०६ अ, ४.३२३ अ । महासर - कुरुवंश १३३५ ब । महासर्वतोभद्र - ३२९२ अ । महासाध तीर्थकर २३७७ ॥
महा सामान्य सामान्य ४.४१२ अ । महासुव्रत- बलदेव ४.१६ व
।
महासेन -- ३.२९२ अ, तीर्थकर चन्द्रप्रभ २०३८०, तीर्थंकर पार्श्वनाथ २३९१ यदुवंश १३३६, हरिवश १.३४०, इतिहास १.३२९ व १.३३० व १२४२ व काष्ठा सघ १३२७ अ ।
महास्कंध १.२९२ अ ३५०५ वा
-
१६१
अ, ३५१६ व स्कध ४४४६ । महास्कंध स्थान वनस्पति ३५०५ ब ।
महास्वर ३२९२ अ गधवं जातीय व्यंवर २.२११ अ महाहिमवान् ( कूट ) -- ३.२८२ अ, पद्महद का कूटनिर्देश ३.४७४ अ, विस्तार ३.४८३, अकन ३४५४ । महाहिमवान् पर्वत का कूट तथा देव -- निर्देश ३.४७२ अ, विस्तार ३४८२ अकन ३ ४४४ के सामने । महाहिमवान् (पर्वत) – निर्देश ३४४६ ब विस्तार ३ ४८२, ३ ४८५, ३ ४८६, अकन ३४४४, ३४६४ के सामने, वर्णं ३४७७, इनके कूट तथा देव ३.४७२
,
अ ।
महाहृदय कुडलवर पर्वत के कूट का देव ३४७५ ब अकन ३४६७ ।
महितसागर (कवि ) - - इतिहास १.३३४ ब ।
--
महिम मनुष्यलोक ३ २७५ अ
महिमा - ३२९२ ब, साधु (आत्म प्रशंमा ) ४४०८ अ । महिमा ऋद्धि ऋद्धि १४४७, १.४५१ अ । महिमा नगर अली ११३० व पति १ परि०/२२ ।
—
-
महिला - सगति ४११६ ब । स्त्री ४४५० अ । महिष- ३२९२ व मनुष्यलोक ३२७५ ब । महिषण - ३.२६२ ब ।
"
महिषमति २. २९२ ब ।
महिषतम श्रोता उपदेश १.४२५ व ।
महिषद
परमाणु ३.१६ अ वनस्पति ३५१३ अ ३५१५ ब ३५१६
सम्मेलन
- नंदिसघ १.३२३ व १३२४ अ, काष्ठासप १३२७ अ, इतिहास १३३४ अ, १.३४७ ब । महोजय यदुवंश १.२३७ ।
महीत - हरिवंश १.३३१ व ।
महादेव – ३२१२, मूलसंच १३२२, अफलंक भट्ट
-
१.३१ अ ।
महींद्र - इतिहास १.३३३ ब, १३४७ अ ।
महीधर गणधर २२१२ ब । महीपाल - ३२६२ ब ।
महीभागी - गणधर २.२१३ अ ।
महीर – २.२१२ ब ।
विस्तार
महेंद्र - ३.२९२ ब, अजना १.२ अ, गणधर २.२१२ ब यदुवंश १३३७, विद्याधर नगरी ३.५४६ अ । कुंडलवर पर्वत का कूट निर्देश ३ ४७५ ब, ३४८७, अंकन ३४६७ महेंद्रका मनुष्यलोक ३.२७५ व महेंद्रकीति नदिसब १.३२३ व १.३२४ ब । महेंद्रगिरि - यदुवंश १.३३७ । मद्रजित् इक्ष्वाकुव १३३५ अ महेंद्रदत्त - चक्रवर्ती ४.१० अ । महेंद्रदेव - ३.२९२ व इतिहास १३३१ अ । महेद्रपुर – विद्याधर नगरी ३ ५४६ अ । महेद्रविक्रम - इक्ष्वाकुवश १३३५ अ । महेंद्र सेन इतिहास १३३४ अ । महेंद्रिका ३२९२ व मनुष्यलोक ३.२७५ ब । महेश्वर - २.१६३ अ, निदा २.५८८ ब । महेश्वरमुनि - मूलसघ १३२२ ब । महोदधि - वानरवश १.३३८ ब । महोदय - समवसरण ४.३३० ४। महोपवास विधि-स्वाध्याय ४५२६ अ महोरग - ३.२१३ अ व्यतरदेव-निर्देश ३६१० ब ।
अवगाहना ११८०, अवधिज्ञान ११६८, आयु १.२६४ ब । इन्द्र - निर्देश ३.६११ अ, शक्ति आदि ३६१०-६११, वर्ण व चैत्यवृक्ष ३.६११ अ, अवस्थान ३६१२-६१४, ३४७१ ।
---
महोरग (देव) प्ररूपणा बंध प्ररूपणा बंध ३१०२, बधस्थान ३११३, उदय १३७८, उदयस्थान १.३६२ ब, उदीरणा १४११ अ सत्त्व ४३८२, सत्त्वस्थान ४२१८, ४.३०५, सियोगी भग १४०६ व सत् ४.१८१, सख्या ४६७, क्षेत्र २.१९९, स्पर्शन ४.४०१, काल २.१०४, अतर १.१०, भाव ३२२० अ. अल्पबहुत्व ११४५ ।
मांछपिक क्रियावादी २.१७५ ब ।
मांडल गढ - आशाधर १३८० ब । मांडलिक - वायु ३.५३४ ब ।
-
मांडलिक
-
-
Page #198
--------------------------------------------------------------------------
________________
माइलोक
माध्व वेदात
अ,
-
मांडलीक - ३२१३, एकातो १.४६५ व क्रियावादी माणिक्यनंवि ३२१४ अ नदिसघ १३२३ अ देशीय गण १३२५, इतिहास १३२९ ब १३३१ अ, १-३४३ व । माणिक्यराज - इतिहास १.३३३ब, १३४६ ब, १३४७
२.१७५ ब ।
मांडव्य - गणधर २२१३ अ ।
मांस - ३.२९३ अ भक्ष्याभक्ष्य ३.२०२ व वैक्रियिक शरीर २५७३ व धावक ४.५० व
अ ।
मातंग- ३२९४ अ, तीर्थकर पद्मप्रभ व पार्श्वनाथ का यक्ष २.३७६, मातंग वंश १३३६ ब विद्या ३ ५४४ अ, विद्याधर १३३६ अ, विद्याधरवश १३३६ व
मांसदर्शन आहारातराय १२६ व । मांसपेशी - औदारिक शरीर १.४७२ अ । मागधदेव - चक्रवर्ती ४१५ ब प्रतिनारायण ४२० अ । मागध द्वीप ३२९३ व निर्देश २.४५५ अ, ३.४६२ व विस्तार ३.४७६, अकन ३.४४४, ३४६१, ३४६४ के सामने सीता सीतोदा नदी के तीर्थ १.४६० अ - ३.२६४ अ ।
माघमाघचंद्र नदिस १३२३, काष्ठाच १३२७ । माघनंदि ३ २९४ अ प्रथम नविस १.३१० व देशीयगण १.३२४ ब, बलात्कार गण १.३२३ अ, मूलसंघ १.३२२ ब इतिहास १३२८ ब । १. परि०/२१,२,३,७ । १ परि० / ४.२ कालावधि १ परि०/२.८ तृतीय इतिहास १.३३२ अ । चतुर्थ - इतिहास १३३२ अ १३४४ व । राधनंदि कोल्हापुरीय - देशीयगण १३३१ ब । माघनंदि विद्यदेशीयगण १.३२५ इतिहास १.३३१
।
- देशीयगण १३२५, १३२५, इतिहास
ब |
-
-
माधवी – ३.२९४ अ । नरक पृथिवी – निर्देश २.५७६ अ, पटल इंद्रक व श्रेणीबद्ध २५७८, २५८०, विस्तार २.५७६, २५७८ अंकन ३४४१ नारकी अवगाहना ११७८ अवधिज्ञान ११२८, आयु १२६३ । प्ररूपणा – बध ३ १००, बंधस्थान ३.११३, उदय १.२७६, उदयस्थान १३९२ व उदीरणा ब, १. ४११ अ, उदीरणा स्थान १४१२, सत्त्व ४२८१, सरवस्थान ४२१८, ४३०५, त्रियोगी भग १४०६ ब । सत् ४.१००, सख्या ४९५, क्षेत्र २ १९७, स्पर्शन ४.४७६, काल २१०१, अतर १.८, भाव ३२२० अ, अल्पबहुत्व १ १ ४४ ।
३.२९४ अ अक्रियावाद
१ ४६५ ब, साख्य ४ ३६८ ब । मानव-मनुष्यलोक ३.२७५ अ । माणवक तीर्थकर २३७७ । माणिकचंद इतिहास १.२३३ व
माणिकभद्र - ३.२९४ अ ।
माणिकसेन - सेनसंच १३२६ अ ।
माठर
-
S
-
१३२ अ एकाती
E
१ ३३६ अ ।
मातगवश - इतिहास १३३६ ब । मातंगी विद्या इतिहास १३३९ अ मातलिजल्प इतिहास १३४२ व
माता - प्रवचनमाता ३ १४८ अ ।
-
मातृका - पदस्थ ध्यान ३६ ब । मातृका यंत्र-यंत्र ३ ३५६ ॥ मात्सर्य - ३२९४ अ ।
माथुरगच्छ - एकात ( जैनाभासी सग) १.४६५ अ, काष्ठासघ १३२१ अ ।
माथुरसंघ - एकात (जैनाभासी सघ) १४६५ व इतिहास १३१६ अ, १३२१ ब ।
मादिती - प्राणतेंद्र का यान ४५११ ब । माद्री - कुरुवश १३३६ अ ।
माधव- - ३ २९४ ब ।
माधवचत्र -- ३.२९४ ब, नंदिसघ १.३२३ ब, देशीयगण १ ३२५ ।
माघवचंद्र विद्य— इतिहास १.३३० अ, १३३२ अ १३४२ अ, १३४४ ब । माघसिंह - ३२९४ व
।
माधवसेन- ३२९४ व माथुरसघ १.३२७ ब इतिहास १.३३० ब ।
माधवाचार्य -- ३२६४ ब ।
माधवी - नारायण ४१८ ब ।
माध्यंदिन ३२९४ व एकाती १४६५ व अज्ञानवादी १३८ ब ।
माध्यमिक- -३ २९४ ब, बौद्धदर्शन ३.१८७ ब ।
माध्यस्थ - ३.२६४ ब ।
माध्यस्थता धर्म २४६७ अ शुद्धोपयोग १४३० ब ।
माध्यस्व भावामायिक ४४१४ ब ।
उपेक्षा १.४४४ व ।
माध्यस्थ्य माध्य वेदांत
३३०५ ब वेदा २.६०७ अ ।
Page #199
--------------------------------------------------------------------------
________________
मान
माया
मान-३२६४ ब, ग्रह २.२७४ अ, सुमेरु के वन में देव मानस-जप-व्युत्सर्ग ३.६२० ब।
भवन-निर्देश ३४५० अ, अंकन ३.४५१ । प्रमाण मानस-जाप-व्युत्सर्ग ३ ६२० ब। ३ १४५ अ।
मानस दुख-दुख २.४३४ ब । मान (कषाय)-३ २६४ ब, कषाय २.३५ ब, कालावधि मानसरोवर-३.२६५ अ, मनुष्यलोक ३.२७५ ब । का अल्पबहुत्व ११६०, १.१६१, द्वेष कषाय २३६
मानस-विनय-विनय ३.५४८ ब । अ, मार्दव ४१३६ ब । प्ररूपणा-बंध ३१०५, मानस-व्युत्सर्ग-व्युत्सर्ग ३ ६२० अ । बधस्थान ३११३, उदय १३८२, उदयस्थान १३६३ मानसाहार-आहार १२८५ अ, आहारक १२६५ अ. अ, उदीरणा १४११ अ, सत्त्व ४२८३, सत्त्वस्थान
देव गति २४४६ अ। ४३००, ४.३०५, त्रिसयोगी भग १.४०७ अ । सत मानसिक आस्रव - आस्रव १२८२ ब । ४२३२, सख्या ४१०५, ४११७, क्षेत्र २ २०४, मानसिक आहार-आहार १२८५ अ, आहारक १२६५ स्पर्शन ४.४८८, काल २११२, अन्तर १.१५, भाव अ, देवगति २ ४४६ अ । ३.२२१ अ, ३२२३, अल्पबहुत्व ११४६, भागाभाग मानसिक कायोत्सर्ग - व्युत्सर्ग ३६२० अ। ४११७।
मानसिक जप-व्युत्सर्ग ३ ६२० म। मानकांडक-काडक २ ४१ अ।
मानसिक जाप-व्युत्सर्ग ३ ६२० ब । मानतुग-३२६५ अ, स्तोत्र ४४४६ ब, इतिहास १३२६ मानसिक दुख - दुख २ ४३४ ब ।
मानसिक विनय-विनय ३ ५४८ ब, ३ ५४६ ब। अ, १.३४१ब । मानदंड-सुमेरु ४.४३६ ब ।
मानसिक व्युत्सर्ग-व्युत्सर्ग ३ ६२० अ । मानपद-सूक्ष्म ४५३७ ब।
मानसी - ३.२६५ अ, तीर्थंकर शीतलनाथ की यक्षिणी भान (कर्म) प्रकृति-प्ररूपणा-प्रकृति ३८८, ३ ३४१,
२३७६, विद्या ३५४४ अ । स्थिति ४.४६१, अनुभाग १६४ अ-ब, प्रदेश ३.१३६ ।
मानस्तम्भ- ३ २६५ ब, इन्द्रभूति १२६९ ब, चैत्य-चंत्याबध २६७, बधस्थान ३ १०६, उदय १.३७५, उदय
___ लय २३.२ ब, सौधर्म स्वर्ग ४४४५ व। स्थान १३८६, उदीरणा १.४११, उदीरणास्थान मानस्तम्भ-भूमि-समवसरण ४ ३३० ब, ४ १.४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान ४.२६५, त्रिसं- मानी-जीव २ ३३३ ब । योगीभग १४०१ब । सक्रमण ४८५ अ, अल्पबहत्व मानी दोष-आहार १२६१ अ। १.१६८।
मानुष-२.२६५ ब, मनुष्य ३ २७३ ब, मानुषोत्तर पर्वत मानव-३ २९५ अ, चक्रवर्ती ४.१४ ब, जीव २.३३३ ब, के कूट का देव-निर्देश ३.४७५ अ, अकन ३.४६४, विद्या ३.५४४ अ, विद्याधर नगरी ३५४५ ब।
यक्ष ३३६६अ। मानवक-ग्रह २.२७४ अ।
मानुषोत्तर-३२६५ ब, भद्रशाल वन का भाग ३ ४५० मानवपुत्रक-विद्याधर १.३३६ अ।
__अ, चैत्य-चैत्यालय २.३०३ अ । मानवयोजन-३.२६५ अ, क्षेत्र का प्रमाण २ २१५ ब । मानुषोत्तर पर्वत--३ २६५ ब, जनाभिमत-निर्देश मानवतिक-३२६५ अ, मनुष्यलोक ३ २७५ अ ।
३ ४६३ ब । कूटो के नाम ३ ४७५ अ, विस्तार मानवी-३ २६५ अ।
३ ४८६, अकन ३४६४ वे सामने, चित्र ३.४६४, मानशक्ति-कषाय २.३८ अ ।
वर्ण ३४७८। वैदिकाभिमत-दिश ३४३१ ब, मानस-३.२६५ अ, मानुषोत्तर पर्वत के कूट देव- चित्र ३४३२ । चैत्यचैत्यालय २ ३०३ अ।
निर्देश ३४७५ अ, अकन ३.४७४, विद्याधर नगरी मान्धाता-इक्ष्वाकुवंश १३३५ ब । ३.५४५ अ।
मान्यखेट-३ २६६ अ, अकालवर्ण १३१ अ, इतिहास मानस-आस्रव--आस्रव १२८२ ब।
१३१५ अ। मानस-आहार-आहार १२८५ अ, आहारक १.२६५ अ, मान्याहता अधिकार-ब्राह्मण ३ १६६ ब । देव २.४४६ अ।
माप-३२२६ अ। मानस-कायोत्सर्ग-व्युत्सर्ग ३.६२० अ।
मापिकी-३२९६ अ। मानसचेष्टित-नारायण ४.१८ अ।
माया-३.२६६ अ, वेदात ३५६६ ब ।
Page #200
--------------------------------------------------------------------------
________________
माया कषाय
१६४
मालिनी
माया कषाय-आर्जव १.२७२ अ, कषाय २३५ ब,
अंकन ३४४१ । नारकी-अवगाहना १.१७८, आयु कालावधि का अल्पबहुत्व १.१६०, १.१६१, रागद्वेष कषाय २३९ । प्ररूपणा-बध ३.१०५, बंधस्थान मारीच-३.२६६ व ।।
३ ११३, उदय १३८२, उदयस्थान १३६३ अ, मारुतचारण ऋद्धि- ऋद्धि १.४५२ ब । । उदीरणा १४११ अ, सत्त्व ४.२८३, सत्त्वस्थान मारुत-वेग-~-बलदेव ४१६ अ।
४३००, त्रिसयोगी भग १४०७ अ। सत् ४२३२, मारुति-धारणा-वायु ३ ५३५ अ। सख्या ४१०५, ४११७, क्षेत्र २२०४, स्पर्शन । मार्कडे-हरिव ग १३४० अ। ४४८८, काल २११२, अतर ११५, भाव ३२२१ मार्ग -३२६६ ब, मिथ्यादर्शन ३ ३०० अ ।
अ, ३२२३, अल्पबहुत्व ११४६, भागाभाग ४११७।। मार्गण --सल्लेखना ४३६० ब । मायाकांडक-काडक २४२ अ।
मार्गणा-३ २६६ व, ३ २६७ अ, ऊहा १४४५ ब, कषाय मायाक्यिा -त्रिया २१७४ ब ।
२३५ब । मायाक्षर - पदस्थ ध्यान ३७ ब ।
मार्गणास्थान-स्थान ४४५२ ब । मायागता चूलिका- तज्ञान ४६६ अ ।
मार्ग दर्शनार्य-आर्य १ २७५ अ। माया प्रकृति -(प्ररूपणा)-प्रकृति ३८८,३ ३४१, स्थिति मार्गप्रभावना-प्रभावना ३ १३६ ब ।
४४६१, अनुभाग १६४ अ-ब, प्रदेश ३ १३६ । बध मार्गप्रासुक-विहार ३५७५ अ । ३६७, बधप्थान ३१०६, उदय १३७५, उदयस्पान मार्गयथानु मार्ग-श्रुतज्ञान ४६० अ । १३८६, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान मार्गरुचि-सम्यग्दर्शन ४.३४८ ब । १४१२, सत्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४२६५, त्रिस- मार्गवाद-~मार्गणा ३ २६८ अ, श्रुतज्ञान ४६० अ । योगी भग १४०१ ब । सक्रमण ४.८५ अ, अल्पबहुत्व
मार्ग-सम्यग्दर्शन-सम्यग्दर्शन ४ ३४८ ब । ११६८।
मार्ग-सम्यक्त्वार्य-आर्य १२७५ अ, सम्यग्दर्शन ४ ३४८ मायाप्रायस्थिति-व्यत्सर्ग दोष ३६२२ अ । मायाशक्ति-कषाय २३८ अ।
मागिणी-तीर्थकर नमिनाथ २३८८ । मायाशल्य-माया ३ २६६ अ, शल्य ४.२६ ब ।
मार्गोपसंयत-समाचार ४३३७ । मायी-आहार दोष १२६१ अ, जीव २.३३३ ब । मार्जार-श्रोता ४७४ ब । मायूरी-३ २६४ ब, विद्या ३ ५४४ अ।
मार्दव--सयम ४१३६ ब, सम्यग्दष्टि ४ ३७८ ब । मार-३ २६४ ब, भावि शलाकापुरुष ४२६ अ। नरक- मार्दव धर्म-मार्दव ३२६८ अ, सयम ४१३६ ब,
पटल-निर्देश २५८० अ, विस्तार २५७६ ब, सम्यग्दष्टि ४.३७८ ब । अकन ३ ४४० । नारकी-अवगाहना १.१७८, आयु मार्दवधर्म-लोक--मार्दव ३२६८ ब । १.२६३ ।
मालक -३ ५४४ अ। मारण-मन्त्र ३.२४५ ब, राक्षसवश १३३८ । मालव-३ २६६ अ, मनुष्यलोक ३२७५ ब । मारणांत सल्लेखना-सल्लेखना ४.३८६ अ।
मालवा-३२६६ अ, आशाधर १२८० अ, मागध देश मारणांतिक कषाय-मरण ३२८७ ब ।
इतिहास १३१० ब, १३११ अ, १३१५ । मारणांतिक वेदना-मरण ३२८७ ब ।
माला- स्वप्न ४५०४ ब। मारणांतिक समुद्घात-निर्देश ४ ३४३, उपपाद १४२७ मालांग-३२६६ अ।।
ब, क्षेत्र २१६६ अ, क्षेत्र प्ररूपणा २१६७-२०७, जन्म मालांग जातीय कल्पवृक्ष-वृक्ष ३५७८ अ । २३१६ ब, मरण ३२८६ अ, विशुद्धि ३ ५७० अ, माला निमित्तज्ञान-ऋद्धि १४४८ ।। सालेश ३५७० अ, सत्त्व ४३४३, सल्लेखना ४३८५ मालारोहण---३ २६६ अ, आहार दोष १२६१ ब, सासादन ४ ४२५ अ, स्पर्शन प्ररूपणा ४४७७. उदिष्ट १४१३ अ, वसतिका दोष ३ ५२६ अ । ४६४।
मालास्वप्न-स्वप्न ४५०४ अ। मारसिंह - ३ २६६ ब ।
मालिकोद्वहन-३.२६६ ब, व्युत्सर्ग दोष ३.६२१ ब । मारा-नरकपटल-निर्देश २५८० अ, विस्तार २.५८०, मालिनी-व्यतरेंद्र गणिका ३६११ ब ।
Page #201
--------------------------------------------------------------------------
________________
माली
मिथ्यात्व प्रकृति (कर्म)
माली-राक्षसवण १.३३८ ब ।
ब, पटल ४५१७, इन्द्रक व श्रेणीबद्ध ४५१७, माल्य-२.२६६ ब, मनुष्यलोक ३२७५ ब, विद्याधर ४५२०, अवस्थान ४५१४ ब, अकन ४.५१.५ । नगरी ३.५४६ अ।
मिट्टीसम श्रोता-उपदेश १४२५ ब, श्रोता ४७४ ब । माल्यकल्लोवनोपांत-मनुष्यलोक ३ २७५ अ।
मित संभाषण-३२६९ ब, समिदी ४ ३४० अ-ब। माल्यवती- ३२६६ ब, मनुष्यलोक ३.२७५ ब । मित्र-नक्षत्र २५०४ ब, सगति ४.१२० अ, स्वर्ग पटल माल्यवान-३.२६६ ब, यदुवंश १३३७, राक्षसवश --निर्देश ४५१७, विस्तार ४.५१७, अकन ४५१६ १३३८ ब।
ब, देव आयु १.२६७ । माल्यवान-३ २६९ ब, गजदत-निर्देश ३४५६ ब, मित्रक-३.२६६ ब, पुन्नाट संघ १.३२७ अ।
नामनिर्देश ३.४७१ ब, विस्तार ३.४८२, ३४८५, मित्रता-संगति ४.१२० अ । ३४८६, अंकन ३ ४४४, ३४५६ ३.४६४ के सामने, मित्रनंदि-३२६९ ब, इतिहास १३२८ अ। चित्र ३.४५२ ब, वर्ण ३ ४७७, कूट व देव ३.४७२। मित्रफल्ग-गणधर २.२१३ अ। गजदत का कूट-निर्देश ३ ४७३ अ, विस्तार ३४८३, मित्रभाव-तीर्थंकर अभिनदननाथ २.३९१ । अंकन ३४४४,३४५७ । द्रह - निदेश ३४५६ ब, मित्रयज्ञ-गणधर २.२१२ ब । नामनिर्देश ३४७६ अ, विस्तार ३४६०, ३४६१, मित्रवीर-३२६९ ब, पून्नाट संघ १.३२७ अ, इतिहास अकन ३.४४४, ३.४५७, ३४६४ के सामने । नाभि- १३ गिरि-निर्देश ३४५२ व। नामनिर्देश ३ ४७१ अ, मित्रवीर्य-तीर्थकर सुमतिनाथ २.३६१ । विस्तार ३.४८३, ३.४८५, ३.४८६, अकन ३४४४, मित्रसेना-तीर्थकर अरनाथ २.३८०।
३.४६४ के सामने, चित्र ३४५२ ब, वर्ण ३४७७ । मिवाति , माषफल-३ २६९ ब ।
मिथिला- ३.२६६ ब,तीर्थकर नमिनाथ,मल्लिनाथ २.३७६, माषवती -३.२६९ ब । मनुष्यलोक ३२७५ ब ।
नारायण ४.१८ अ, हरिवश १.३४० अ। मास-३.२६६ ब, काल का प्रमाण २ २१६ अ-ब ।
मिथ्या अनेकांत-अनेकात ११०५ ब। मासिक धर्म-सूतक ४ ४४३ अ।
मिथ्या अवधिज्ञान-अवधिज्ञान ११८७ अ। मासकवासिता-३२६९ ब ।
मिथ्या अहंकार-कर्ता २२०३ अ। माहिषक-३.२६६ ब, मनुष्यलोक ३ २७५ अ। मिथ्या उपदेश-उपदेश १.४२४ अ। माहिष्मती-मनुष्यलोक ३.२७६ अ ।
मिथ्या एकांत-एकात १४५६ ब, १४६३ अ-ब, १.४६४ माहेद्र-३.२६९ ब, चक्रवर्ती ४.१० ब, नारायण ४१८ब। अब। विद्याधर नगरी ३५४६ अ।
मिथ्या कर्ता-कर्म-कर्ता २२२ अ। माहेंद्र (देव)--निर्देश ४.५१० ब, अवगाहना १.१८० ब। मिथ्याकार--समाचार ४.३३६ ब ।
अवधिज्ञान १.१९८ ब, आयु १२६७, आयुबध के मिथ्याज्ञान-अज्ञान १३७ अ, अध्यवसान १५२ ब, योग्य परिणाम १.२५८ अ । इन्द्र-निर्देश ४.५१० ब, सम्यग्ज्ञान ३२६३ अ-२६७ । उत्तरेन्द्र ४.५११ अ, परिवार ४.५१२-५१३, अवस्थान मिथ्याचारित्र-अध्यवसान १५२ ब, चारित्र २.२८३ अ । ४५२० ब, चिह्न आदि ४.५११ ब, विमान नगर व मिथ्यात्व-अज्ञान १.३७ अ, अंतरायाम १.४४१ अ, भवन ४५२०-५२१ ।
अशुभोपयोग १.४३३ ब, उपशम १.४३८ ब, एकान्त माहेंद्र (देव प्ररूपणा)-बध ३.१०२, बधस्थान ३.११३, १४६४ अ, कर्ता-कर्म २.२२ ब, २.२३ अ, कारक
उदय १.३७८, उदयस्थान १३६२ ब, उदीरणा २.५० ब, कालावधि का अल्पबहुत्व ११६१ब, शान१.४११ अ, सत्त्व ४२८२, सत्त्वस्थान ४.२९८ दर्शन (मिथ्या) २२६४ अ, विधाकरण १.४३८ ब, ४.३०५, त्रिसंयोगी भग १.४०६ ब । सत् ४.१६१, व्यवहार नय २.५६४ अ, सासादन (काल) २.६५ सख्या ४.९८, क्षेत्र २.२००, स्पर्शन ४४८१, काल अ,ब ४.४२६ । २१०४, अन्तर १.१०, भाव २.२२० ब, अल्पबहुत्व मिथ्यात्व क्रिया-क्रिया २.१७४ ब । १.१४५ ।
मिथ्यात्व प्रकृति (कर्म)-आबाधा १.२४९ म, मोहनीय माहेंद्र (स्वर्ग)-निर्देश ४.५१४ ब, उत्तर विभाग ४.५२० ३.३४२ ब, ३ ३४३ अ, सर्वघाती १.६३ ब । प्ररूपणा
Page #202
--------------------------------------------------------------------------
________________
१६६
मिश्र मोहनीय
मिथ्यात्व प्रत्यय
-प्रकृति ३८८, ३ ३४१, स्थिति ४.४६१, अनुभाग उदय १.३७५, उदयस्थान १३६२ अ, उदीरण १६३ ब, १६४ ब, प्रदेश ३१३६ । बंध ३६७,
१.४११ अ, सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४२८७, ३ १७८ ब, बधस्थान ३ १०६, उदय १३७५, उदय- ४.२६७,४३०४, त्रिसयोगी भग १४०५ ब । सत स्थान १३८६, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान ४१६१, सख्या ४६४, क्षेत्र २.१९७, स्पर्शन ४४७७, १.४१२, सत्व ४ २७८ सत्त्वस्थान ४२६५, स्थिति- काल २.६६, अन्तर १७, भाव ३२२२ ब, अल्पबहुत्व सत्त्व स्थानो का अल्पबहुत्व ११६५ ब। त्रिसयोगी १.१४२ ब। भंग १४०१ ब । उपशम १४३८ ब, क्षय २१७६ अ, मिथ्या नय-नय २५२०, २.५२४ अ। सक्रमण ४८५ अ, ४.८६ अ, ४८७ अ-ब, ४.८८ अ, मिथ्या मत-एकात १४६४ ब । अल्पबहुत्व १.१६६।
मिथ्या शस्य- शल्य ४२६ ब । मिथ्यात्व प्रत्यय-उदय ३१२७-१३० ।
मिथ्या श्रुतज्ञान---श्रुतज्ञान ४.५६ ब । मिथ्यात्वादिक-ग्रन्थ २२७३ अ ।
मिथ्याहकार-कर्ता २.२३ अ। मिथ्यादर्शन-३ ३०० अ, अध्यवसान १५३ अ, अनत मिथ्योपदेश-उपदेश १ ४२४ अ ।
१५४ ब, अनतानुबधी १६० अ, अवधिज्ञान ११६४ मिनट-३३०७ अ, काल का प्रमाण २ २१७ अ । ब, करण चिह्न ११६२ ब, प्रत्यय ३१२६ अ, दर्शना- मिश्र -३३०७ अ, अनुकपा १६६ ब, अनुभव १.८६ अ। वरण ४.३४६ ब।
उपयोग १४३१ ब, काय २४३ ब, काययोग २४६ मिथ्यादर्शन क्रिया-क्रिया २.१७४ ब।
ब, १४७२ अ-ब, काल २८० अ, मिश्र गुणस्थान मिथ्यादर्शन प्ररूपणा-बध ३ १०७ ब, बधस्थान ३११३, ३३०७ अ, समुद्रात ४.३४३ अ।
उदय १३८६, उदयस्थान १३६३, उदीरणा १४११ मिश्र काययोग-आयु बध १२६३ ब, औदारिक १४७२ अ, उदीरणास्थान १ ४१२, सत्त्व ४२८४, सत्त्व- अ-ब, काय (पर्याप्त) २४६ ब, वैक्रियिक ३६०४ अ, स्थान ४३०१-४३०६, त्रिसयोगी भग १४०८ । सत
प्ररूपणा-बंध ३ १०४, बधस्थान ३.११३, उदय ४२६० सख्या ४१०६ क्षेत्र २ २०६, स्पर्शन ४ ४६३, १३८०, उदयस्थान १ ३६२ ब, उदीरणा १४११ अ, काल २११६, अन्तर १२१, भाव ३.२२१ ब, अल्प
सत्त्व ४.२८२, सत्त्वस्थान ४.२६६, ४३०५, बहुत्व ११५२।
त्रिसयोगी भग १४०७ अ । सत् ४.२१८, सख्या मिथ्यादर्शन वाक्-वचन ३ ५६७ ब।
४.१०३, क्षेत्र २२०२, स्पर्शन ४.४८५, काल २.१०८, मिथ्यावृष्टि-३३०१ ब, अज्ञानी १३७ अ, २२७३ अ, अतर १.१३, भाव ३.२२० ब, अल्पबहुत्व १.१४८ । अधश्रद्धानी (श्रद्धान) ४ ४५ अ, अभव्य (भव्य)
(श्रदान) ४४५ अ. अभव्य (भव्य) मिश्रकाल-काल २८० अ। ३२२३ ब, अवधिज्ञान ११६० अ, ११६४ ब, मिश्रकेशा-३ ३०७ स, रुचकवर पर्वत की दिक्कूमारी आगमार्थ ग्रहण १२३२ अ-ब, आरोहण-अवरोहण
-निर्देश ३४७६ अ, अकन ३४६८, ३४६६ । २२४७, उपदेश १४२६ अ, उपशम १४३८ ब, मिश्र गुणस्थान-३.३०७ अ, दे० सम्यम्मिथ्याष्टि।
मिश्र तद्व्यतिरिक्त--अंतर १३ ब ।। कषाय २४० ब, काय २४५ अ, कारक (भेदाभेद) मिश्र दोष-आहार १२६० ब, उद्दिष्ट १.४१३ अ, २५० ब। गति गति (कालाबध का अल्पबहत्व) ११६१ । ज्ञान २२५७ ब, ज्ञानी (अज्ञानी) २२७३ मिश्र द्रव्य-सहनानी २२१६ अ । अ, चेतना (कर्म व कर्मफल) २२६७ ब, २.२६६ ब, मिश्र नोकर्म द्रव्यबंधक-बधक ३ १७६ अ। दशक रण २६ अ, धमध्यान २४८२ अ, नय २५२६ मिश्र पाहुड-प्राभूत ३१५६ ब। अ, निंदा २५८६अ, परिषह ३.३७ । भव्य (अभव्य) मिश्रपूजा-पूजा ३७४ ब। २२२३ ब, राग ३ ३६८ ब, ३३६६ अ-ब, शास्त्र
मिश्रप्रकृति-दे. सम्यग्मिथ्यात्व प्रकृति। ज्ञान (ज्ञान) २२६५ ब, २२६७, श्रद्धान ४.४५ अ,
मिश्र बंधक-बंधक ३.१७६ अ। ४.४६ अ, धुतकेवली (साधु) ४.५६ अ, सक्रमण मिश्र मत-मीमासादर्शन ३.३११ अ । ४.८७ अ-ब, समुद्रात ४.३४३ अ।
मिश्र मोहनीय - सक्रमण ४.८६ अ, दे० सम्यग्मिथ्यात्व मिथ्यावृष्टि (प्ररूपणा)- बध ३.६७, बंधस्थान ३.१०६ प्रकृति ।
Page #203
--------------------------------------------------------------------------
________________
- मिश्रयोग
१६७
मुमुक्षु
मिश्रयोग-आयुबध १२६३ ब, औदारिक १४७२ अ-ब, मुक्तदत-भावि शलाकापुरुष ४ २५ अ।
काय (पर्याप्त) २४६ ब, वैक्रियिक ३६०४ अ। मुक्तावली व्रत-व्रत ३३१३ अ। प्ररूपणा-बध ३१०४, बधस्थान ३११३, उदय मुक्ताशुक्ति कर्म-कर्म २ १३५ अ। १३८०, उदयस्थान १ ३६२ ब, उदीरणा १४११ मुक्ताशुक्ति मुद्रा-मुद्रा ३३१३ ब, २ १३५ अ। अ, सत्त्व ४२८३, सत्त्वस्थान ४२६६, ४३०५, मक्ताहर-३.३१३ अ, विद्याधर नगरी ३५४५ ब। त्रिसंयोगी भग १४०७ अ । सत् ४२१६, सख्या भुक्ताहार-विद्याधर नगरी ३ ५४५ ब । ४.१०४, क्षेत्र २.२०२, स्पर्शन ४.४८५, काल मक्ति-दे. मोक्ष । २१०८, अतर ११३, भाव ३ २२० ब, अल्पबहुत्व
मुख-३ ३१३ अ, गणित २ २२६ ब, २.२२० ब । ११४८ ।
मुखधन-गणित २२२६ ब । मिश्रयोनि-योनि ३ ३८७ अ ।
मुखनिविष ऋद्धि-ऋद्धि १.४४७, १.४५५ ब । मिश्रशरीर काल-उदयस्थान १३६७ ।
मुखवस्त्रिका-श्वेताबर ४७९ ब । मिश्रशरीर पर्याप्तिकाल-उदयस्थान १३६७ ।
मुखस्थ कमल-पदस्थ ध्यान ३६ ब। मिश्रशल्य - शल्य ४ २६ ब ।
मुख्य-३३१३ ब, गौण १२३२ अ, स्यावाद ४४६६ अ। मिश्रश्रद्धा-मिश्र (गुणस्थान) ३३०७ ब ।
मख्य गणधर-तीर्थकर प्ररूपणा २३८७ । मिश्रितश्रेणीव्यवहार गणित ---गणित २.२३१ अ ।
मख्य-गौण व्यवस्था-निश्चय-व्यवहार २५६८ अ, मिश्रानुकपा-अनुकपा १६६ ब ।
सामान्य ४४१४ अ, स्याद्वाद ४४६६ अ । मिश्रानुभव-अनुभव १८६ अ ।
मुख्य धर्मध्यान-धर्मध्यान २.४७६ अ। मिश्रोपयोग-१४३१ व ।
मुख्य मंगल-मगल ३ २४१ ब । मिहिरकुल--३३१० ब, हनवश १३११ अ-ब, १३१५ मुख्य व्यवस्था-निश्चय-व्यवहार २५६८ अ, सामान्य
४४१३ अ, स्याद्वाद ४४६६ अ। मीना-तीर्थकर सुपार्श्वनाथ २ ३८८ ।
मुग्ध बोध-इतिहास १.३४० ब, व्याकरण ३ ६१७ ब । मोनार्या-तीर्थकर सुपार्श्वनाथ २३८८ ।
मद्रा--३३१३ ब, कृतिकर्म २.१३३ ब, २१३५ अ, मत्र मीमांसा--३३११ अ, ऊहा १४४५ ब, विचय ३.५४६ ३२४५ ब । ब।
मुद्राकर्म-अनुयोग १.१०१ ब । मीमांसा दर्शन-३३११ अ, एकाती १४६५ अ-ब, मुनि-३३१३ ब । विशेष दे. साध । दर्शन २ ४०३ अ।
मुनिगुप्त-गणधर २२१२ ब । मीमांसानुक्रमणी-मीमासादर्शन ३३११ अ।
मुनिदत्त-गणधर २.२१२ ब । मीमांसा न्यायप्रकाश-मीमासादर्शन ३ ३११ अ । मुनिदेवगणधर २२१२ ब । मीमांसापरीक्षा-अतिचार १४४ अ ।
मनि प्रायश्चित्त (शास्त्र)---३३१३ ब, इन्द्रनदि १.२६४ मील-क्षेत्र का प्रमाण २२१५ ब । मुज-३३१३ अ, भोजवंश १३१० अ।
मुनिभद्र-३ ३१४ अ, इतिहास १३३२ ब । मुड-३३१३ अ, एकाती १४६५ ब, क्रियावादी २.१७५ मुनियज्ञ- गणधर २२१२ ब । ब । मगधदेश इतिहास १३१२, १३१३ ।
मनि-लिंग-लिग ३.४१७ अ, ३ ४१६ ब । मुकुटसप्तमी व्रत-३३१३ अ ।
मनिसुव्रत--तीथंकर २३७६-३६१, भावि तीथंकर मुकुद-मनुष्यलोक ३ २७५ ब ।
२.३७७। मक्त जीव- अल्पबहुत्व ११४२ ब, उत्पादादि १.३६२ मुनिसुव्रत काव्य-इतिहास १.३४५ अ ।
ब, जीव २२३४ ब, धर्माधर्म द्रव्य २४८६ अ, मोक्ष मुनिसुव्रतनाथः-३.३१४ अ, राक्षसवश १३३८ अ, वानर३.३२३ अ, ३ ३२४ अ, शरीर (सल्लेखना) ४.३६७
वश १.३३८ब, हरिवश १३३६ ब, १३४० अ। बसत प्ररूपणा ४ १६५, सुख ४.४३१ अ, ४.४३३ मनिसुव्रत पुराण-३३१४ अ, इतिहास १३४७ ब । अ।
मुन्नालाल-३ ३१४ अ, इतिहास १३३४ ब । मुक्त जीवराशि-सहनानी २२१६ अ ।
मुमुक्षु-३.३१४ ।
Page #204
--------------------------------------------------------------------------
________________
भु रजमध्य व्रत
मुरजमध्य व्रत
३२१४ अ ।
मुरब्बा - भक्ष्याभक्ष्य ३.२०२ ब ।
मरा - ३३१४ अ, मनुष्यलोक ३ २७६ अ ।
मुरारी मिश्र मीमासान ३.३११
-
मुरुडश - ३.३१४ अ, इतिहास १३१० ब, १.३१३ । मुलगित ( वैद्यराज) - हरिदेव ४५३० अ ।
मुष्टिविधान व्रत - २३१४अ ।
मुहांवापुर - ३.२१४ अ ।
मुहूर्त -- ३३१४ ब, काल का प्रमाण २.२१६ अ-ब । मू― मूल की सहनानी २.२१८ ब । मूक - ३.३१४ ब ।
मूककेवली - केवली २.१५७ अ । मूक दोष उत्सर्ग दोष ३.६२३ अ मुक संज्ञा ३३१४ व मूडबिद्री- २३१४ ब ।
३३१४ व कर्ताकर्म २२२ व मिथ्यादर्शन ३३०० अ, ३३०१, अ, मोक्षमार्ग ३३३७ व राग ३३६८
अ ।
मूढता – ३.३१५ अ, अमूढदृष्टि ११३२ ब, ११३३ अ । मूढशिव्य उपदेश १४२५ ब
मूढ धोता — उपदेश १.४२५ ब ।
मूत्र - ३३१६ अ समिति (प्रतिष्ठापना ) ४ ३४१ म । मूर्ख श्रोता - उपदेश १.४२५ ब ।
मूर्च्छन—समूमि ४.१२६ व ।
-
सदोष ३६२२ ब
-
मूलक- १.३१९ अ, मनुष्यलोक ३.२७५ अ ।
मूलकर्म - ३.३१६अ, आहार दोष
दोष ३.५२९ ब । मूलकिया ३.३१२ अ ।
मृगशिरा
मूलगुण
- २३१९ अ, चारित्र (संयत ) २२२३ अ धानक ४.५० ब, साधु ४४०४ अ ।
मूलगुण प्रत्याख्यान - प्रत्याख्यान ३ १३३ अ । मूल प्रकृति-प्ररूपणा - प्रकृति ३.६८ स्थिति ४४६०, अनुभाग १.६५, प्रदेश ३१३६ । बंध ३६७, बधस्थान ३.१०८, उदय १.३७५, उदयस्थान १३८८ उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान ४२८७, त्रियोगी भग १३९९ | सक्रमण ४.०४ अ अल्पबहुत्व ११७१ । मूलप्रलंब-ताल प्रलब २२६६ अ ।
प्रायश्चित्त—प्रायश्चित्त ३१६१ ब ।
१.२६१ ब, वसतिका
११८
मूल
मूल बीज
-
- वनस्पति ३५०२ ब, ३.५०६ अ । ३३१९ अ ।
मूलराज मूलराशि- ३३१६ अ, गणित २२२२ ब । मूलवीयंक - विद्या २५४४ अ, विद्याधरवश १.३३९ अ । संघ ३३१९ अ परिचय १३१५ व १. परि०/ २२, विचार १परि० / २.१, पट्टावली १३१६-३१७ । विभाजन १३१७ व १. परि०/२-२, ४-१ श्वेताम्बरदिगम्बर भेद १ परि २३ जैनाभासी सघ १.३१९
अ ।
मूर्छा - ३३१६ अ, परिग्रह ३२४ ब ३.२५ अ, सुख मूलाचारप्रदीप - इतिहास १३४६ अ ।
(हिंसा ) ४५३२ ब ।
मूर्त---- ३३१६ अ, गुण २.२४४ व जीव २३३२ द्रव्य ब, ब, २.४५६ अ ध ३१७३ अ संसारी जीव ( मन. पर्यय ज्ञान ) ३२६३ अ, सापेक्ष धर्म ११०६ अ, ४३२३ बम्प ४४७६ ब मूर्तस्य मूर्त ३३१६ अ ।
-
1
मूर्ति - ३.३१६ अ चैत्य चैत्यालय २२०३ अ पूजा ३७७ अब, मूर्तपरिणाम ३.३१६ ब ।
मूर्तिक पदार्थ अवधिज्ञान ११९६ अ मूल- ३.३१२ अ, गणित
२.२२३ अ तीर्थंकर सुविधि
नाथ २.३८०, नक्षत्र २.५०४ ब सहनानी २.२१८ ब, हरिवंश १३४० अ ।
-
मूलस्थान - ३.३१६ अ । मूलस्वान प्रायश्चित आहार १२८८ व प्रायश्चित
३ १६१ व ॥
मूला ३.२११ व मनुष्यलोक ३२७६ अ । मूलाचार - ३३१६ व इतिहास १.३४० ब ।
-
मुलाराधना- ३.३१९ व आशाधर १२५१ अ । मूलाराधनादर्पण - ३३१६ व इतिहास १३४४ अ । । मूल द्राविड सघ १३२० व १.३२२ अ मूलोतर प्रकृति प्ररूपणा - प्रकृति ३८८८, स्थिति ४४६०, अनुभाग १६५, प्रदेश ३१३६ । बध ३ ६७, बधस्थान ३१०८, उदय १३७५, उदयस्थान १.३८८ उदीरणा १४११ अ उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व ४ २७८, सत्त्वस्थान ४.२८७, त्रिसं योगी भग १३६६ | सक्रमण ४८४ अ, अल्पबहुत्व १.१७१ ।
-
मूष- मोक्ष (मोम का साचा) ३ ३२६ ब ।
मूसल ३३१९ ब क्षेत्र का प्रमाण २२१५ अ । मुक्षित दोष आहार दोष १२९१ व । मृग - ३३१९ ब ।
मृगचारित ३३१९ व स्वच्छद साधु ४.५०३ ब । मृगशिरा नक्षत्र २५०४ व तीर्थकर सभवनाथ २३८०
"
Page #205
--------------------------------------------------------------------------
________________
मगशीर्ष
मेदार्य
मगशीर्ष-३.३१६ब, नक्षत्र २.५०४ ब । मगांक-३३१६ ब, इक्ष्वाकुवंश १३३५ अ, बलदेव
४१७ ब। मगारिदमन - राक्षसवश १.३३८ अ । मुगावती-नारायण ४.१८ ब। मगोधर्मा-विद्याधरवंश १३३६ अ। मृत शरीर-अपवाद (क्षपक) १.१२२ अ, मोक्ष ३.३२८
ब। सल्लेखना ४३९६ ब । मतसजीवनी-३ ३१६ ब, विद्या ३ ५४४ अ। मत्तिका-नयन यंत्र-यत्र ३.३५७ । मृत्तिका-सम श्रोता-उपदेश १४२५ ब । मत्युजय यत्र-यंत्र ३ ३५७ । मृत्यु-नरक २५७४, मरण ३२७८ ब । मृत्युभय-३.२०६ ब । मृदंग-लोक (ऊर्ध्व) ३.४३८ ब, वैराग्य ३६०७ ब । मृदंगमध्य व्रत-३.३१६ ब । मदगाकार-३३१६ ब, क्षेत्रफल गणित २.२३४ अ । मद् भाषण--गुरु २२५२ ब, सत्य ४.२७२ ब, समिति
४३४०ब। मदभाषिणी--ध्यंतरेंद्र गणिका ३.६११ ब । मृषानंद-रौद्रध्यान ३ ४०७ ब, ३४०८ अ । मषा योग- अनुभय वचन ३३८० ब, असज्ञी ३३८० ब,
असत्य -दे० असत्य, प्रत्यय ३ १२६ अ, मनोराग ३३८० अ, वचनयोग १२०६ अ, ३४६७ ब, ४२७३ अ। प्ररूपणा-बध ३१०४, बधस्थान ३.११३, उदय १३७६, उदयस्थान १.३६२ ब, उदीरणा १.४११ अ, सत्त्व ४२८३, सत्त्वस्थान ४२६६, ४३०५, त्रिसयोगी भग १.४०६ ब । सत् ४ २१२, सख्या ४१०२, क्षेत्र २.२०२, स्पर्शन ४४८४, काल २१०८, अतर ११२, भाव ३.२२०
ब, अल्पबहुत्व ११४७ । मृषावाद-प्रत्यय ३१२६ अ। मेखलापुर-३ ३२० अ, विद्याधर नारी ३ ५४५ अ । मेघंकरा-सुमेरु के कूट की दिक्कुमारी-निर्देश ३ ४७३ ब, ____ अंकन ३ ४५१ । मेघंकरी-३ ३२० अ । मेघ-३.३२० अ, तीर्थंकर सभवनाथ, अभिनंदननाथ, विमलनाथ २३८२, मानुषोत्तर पर्वत के कूट का देव
-निर्देश ३४७५ अ, अंकन ३४६४, यमकगिरि का रक्षक देव ३४५३ अ । यदुवश १३३७, राक्षसवश
१३३८ । स्वर्गपटल-निर्देश ४.५१६, विस्तार
४.५१६, अकन ४५१९ ब, देव आयु १.२६७ । मेघकट-३.३२० अ। यमक गिरि-निर्देश ३४५३ अ,
नामनिर्देश ३ ४७१ अ, विस्तार ३.४८३, ३४८५, ३४८६, अकन ३ ४४४, ३४५७, ३.४६४ के सामने,
वर्ण ३४७७ । विद्याधर नगरी ३ ५४५ अ। मेघचंद्र - ३ ३२० अ, नदिसघ १३२३ अ-ब, अभयनंदि
११२७ अ, इतिहास १३२६ ब । मेघचंद्र विद्य--प्रथम-देशीय गण १.३२५, इतिहास
१३३० ब । द्वितीय-देशीय गण १३२५ इतिहास
१३३१ अ। मेघचारण ऋद्धि-ऋद्धि १.४४७, १.४५२ ब । मेघध्वान-राक्षसवश १.३३८ अ । मेघनाद-~३ ३२० अ। मेघमाल-३३२० अ, विद्याधर नगरी ३.५४६ अ । मेघमाला व्रत-३३२० अ । मेघमालिनी-३.३२० अ, सुमेरु पर्वत की दिक्कूमारी--
निर्देश ३ ४७३ ब, अकन ३.४५१ । मेघरथ-३ ३२० अ, कुरुवश १.३३६ अ । तीर्थंकर शान्ति
नाथ २ ३७८ । तीर्थकर सुमतिनाथ २.३८० । मेघराजी-उत्तरेद्रो की ज्येष्ठा देवी ४५१३ ब । मेघवती-३.३२० अ, सुमेरु के कूट की दिक्कुमारी
निर्देश ३४७३ ब, ३६१४। मेघवाहन--३ ३२० ब, राक्षस वश १३३८ · अ-ब,
विद्याधरवश १३३६ ब । मेघा-नरक पथिवी-निर्देश २ ५७६ अ, पटल २५७६,
इन्द्रक व श्रेणीबद्ध २५७८, २५७६ । विस्तार २५७६, २.५७८, अंकन ३४४१। नारकीअवगाहना ११७८, अवधिज्ञान १.१६८, आयु १२६३ । प्ररूपणा-बंध३१००, बंधस्थान ३ ११३, उदय १३७६, उदयस्थान १३६२ ब, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४२८२, सत्त्वस्थान ४ २६८, ४ ३०५, त्रियोगी भग १४०६ ब। सत् ४ १७० सख्या ४६५, क्षेत्र २.१६७, स्पर्शन ४४७६, काल २७१, अतर १८, भाव ३२२० अ,
अल्पबहुत्व ११४४। मेघानीक-विद्याधरवश १३३६ अ।
मेढासम श्रोता -- उपदेश १.४२५ ब । मेद-----३ २२० ब, औदारिक शरीर १.४७२ अ। मेदार्य-गणधर २.२१३ अ।
Page #206
--------------------------------------------------------------------------
________________
मेवा
मेवा - ३.३२०द ।
मेधावी इतिहास १.३३३
१.३४६ म ।
मेमंदर पुराण -- इतिहास १.३३२ अ १.३४४ ब । मेय - ३.३२० ब ।
मेरक- ३.३२० व तीर्थंकर विमलनाथ २.३९१, प्रतिनारायण ४.२० अ ।
मेद - ३.३२० व गणधर २.२१२ ब वानरवंश १.३३८ ब, सुमेरु ४.४३६ व ४४३७ अ
मेकी ३.३२० ब नंदिसंघ १.३२३ अ इतिहास मोलशास्त्र तत्वार्थसूत्र ३२५६४ ।
मोक्षसप्तमी व्रत - ३.३४० अ ।
मोड़ वाली गति - विग्रह गति ३.५४१ व
मोद - एकातवादी १.४६५ व अज्ञानवाद १.३८ ब । मोद फिवा मत्र ३.२४६ व संस्कार ४१५१ अ । मोष-वचन ३.४९८ अ । मोषवचन-वचन ३.४९८ अ ।
-
२००
मेक्सम बोता- उपदेश १.४२५ व । मेहेसरचरिउ - इतिहास १.३४५ व मेगस्थनीज - ३३२० ब । मंत्री- ३३२१ अ, अनुकंपा १६९ अ मैत्रीभाव -- सामायिक ४४१६ ब ।
मंत्री भावना - ३३.२१ व सामायिक ४४१५ व मैथिलीकल्याणम् - इतिहास १.३४४ अ । मैथुन- ३३२१ अ प्रत्यय ३.१२६ अ, प्रविचार २.१४२ अ, ब्रह्मचर्य ३१९२ ब, ३१९३ अ-ब, वेदभाव ३५८३ ब, हिंसा ४५३२ ब ।
१.३२९ ब ।
मेरुचंद - नंदिसंघ १.३२४ अ इतिहास १.३३४ अ । मेरुघन - गणधर २.२१२ ब । मेक्ति व्रत ३.३२० ब । मेरुभूति - गणधर २.२१२ ब ।
मेरुणा-तीर्थंकर अभिनदननाथ २३८८ ।
मेषशृंग -- कषाय (माया) २.३८ अ, तीर्थंकर नेमिनाथ मोषवाक् वचन ३.४९८ अ ।
२.३८३ ।
मैथुनशाला – ज्योतिष देवो के प्रासादों मे २.३५१, भवनबासी देवो के भवनो ३.२१० व ।
मैथुन संज्ञा-सा ४.१२०, ४१२१ अ स्त्री ४४५०
अ ।
मनासुंदरी - ३.३२१ अ ।
मोक-३३२१ अ मनुष्यलोक ३२७५ अ ।
मोक्ष -- ३३३१ अ अग्य १.३६ अ उपयोग १४३२ अ कर्मोदय २.७४ व चक्रवर्ती ४१० अ चारित्र २२८५ व धर्मपान २४६४ अ पुरुषार्थ ३.७० ब मोक्षमार्ग (प्रत्यय) ३२२४ व ३३२५ अ राग ३. ३१६ व वर्णव्यवस्था ( उच्च-नीच कुल ) ३५३४ ३५३४ अ, सुख ४४३१, ४.४३२ व ४.४२४ अ । मोक्ष पाहुड – ३३३२ अ इतिहास १.३४० ब । मोक्ष पुरुषार्थ पुरुषार्थ ३.७० ब
मोक्षमार्ग - ३.३३२ अ, अभ्यास १.१३१ ब, अवधिमनपर्यय ज्ञान १.१८ अ, कारण ( कर्मोदय) २.७४ ब कारण ( जीव परिणाम ) २.६८ अ धर्म ( निश्चय ) २.४७४, विनय ३.५५१ व सामायिक (साम्य )
४,४१५ ब । मोक्षमार्गप्रकाशक --- ३.३४० अ, इतिहास १.३४८ अ । मोक्षमार्ग यत्र - यंत्र ३.३५७ । मोक्षविनय-विनय ३.५४८ अ ।
मोह - ३.३४० अ अशुभोपयोग १.४३३ ब उपयोग १४३३ अब कर्ताकर्म २.२२ ब करुणा २.१५ अ, गुणस्थान २२४६ अ, पुण्य ३.६१ अ, प्रत्यय ३१२६ अ, मूर्त ३.३१८ व राग ३३९५, ३४१० व विभाव ३५५८ व वेद ३५८३ । मोहज भाव - औदयिक भाव १.४०८ ब ।
मोहन - ध्यान २४६७ अ, राक्षसवश १३३८ अ । मोहनीय कर्मप्रकृति- १.३४० व आबाधा १.२४१ अ - ब, उदयबध कारण कार्य भाव ३१७६ अ, उपशम १.४३७-४४०, क्षय २.१७८ ब, वेदनीय कर्म ३५६४ अ प्ररूपणा - प्रकृति ३.८८ ३.३४१ स्थिति ४४६१, स्थितिरात्त्व स्थानो का अल्पबहुत्व १.१६५ ब, अनुभाग १ ९४ व, अनुभाग का अल्पबहुत्व १.१६६ प्रदेश ३.१३६, प्रदेशध का अल्पबहुत्व ११४२ व बंध ३ ६७, बंध सबधी नियम ३.६३, ३९४ अ, बंधस्थान ३. १०१ अ, उदय १३७५ उदय के निमित्त १.३६७ ब, उदयस्थान १.३८६, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४२७८ सत्त्वस्थान ४२६५, सत्त्वस्थानों का काल २१२०, सत्व की अपेक्षा जीवो की सख्या ४.११७ अ त्रिसंयोगी भग १.४०१ व संक्रमण ४ ८४ अ, अल्पबहुत्व ११६८ । मोह - विवेक युद्ध - इतिहास १३४७ अ । मौर्य - ३.३४४ ब ।
मौद्गलायन --- ३३४४ व अक्रियावादी बौद्ध १३२ अ एकाती १४६५ ब |
Page #207
--------------------------------------------------------------------------
________________
मान
२०१
यथाख्यात संयम
मौन--३.३४५ अ, आहार १.२८६ अ, भिक्षा ३.२२६ अ, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व
सत्य ४.२७० ब, सल्लेखना ४.३८६ ब, ४.३६२ ब, ४२८२, सत्त्वस्थान ४२६८, ४.३०५, त्रिसयोगी सामायिक ४४१७ अ।
भंग १.४०६ ब । सत् ४.१८८, सख्या ४६७, क्षेत्र मौनवृत्ति--सल्लेखना ४३६२ ब ।
३१६६, स्पर्शन ४४८१,काल २१०४, अन्तर १.१०, मौनव्रत-३३४५ ब ।
भाव ३ २२० अ, अल्पबहुत्व ११४५ । मौनाध्ययन वृत्ति - सस्कार ४१५२ ब ।
यक्षलिक-३३६६ अ। मौनाध्ययन वृत्ति क्रिया-सस्कार ४.१५१ ब।
यक्षवर (सागर द्वीप)-३ ३६६ अ। अत से चतुर्थमौर्यपुत्र--गणधर २.२१३ अ ।
निर्देश ३.४७० अ, विस्तार ३ ४७८, अकन ३.४४३, मौर्यवश इतिहास १.३१० ब, १३१३ ।
जल का रस ३ ४७० अ, ज्योतिष चक्र २३४८ ब, मौलिक प्रक्रिया-३३४५ ब ।
अधिपतिदेव ३६१४ । म्रक्षित-३ ३४५ ब, वसतिका दोष ३ ५२६ ब । यक्षिणी- तीर्थंकर प्ररूपणा २ ३७६, तीर्थकर नेमिनाथ की म्लेच्छ-निर्देश ३२७३ ब, ३३४५ ब, अंतीपज निर्देश मुख्य आर्यिका २३८८ ।
३.३४६ अ, अतद्वीपजो की आयु १.२६४ अ, चक्रवर्ती यक्षिता-तीर्थकर अर नाथ की मुख्य आर्यिका २३८८ । ४१५ ब, प्रतिनारायण ४२० अ, प्रव्रज्या ३.१५० यक्षेश्वर-३ ३६६ अ, तीथंकर अभिनदननाथ का यक्ष अ, सत् प्ररूपणा ४१८४ ।
२.३७६ । म्लेच्छ-खंड-निर्देश ३४४६ अ, ३.४६२ ब,३४६३ ब, यक्षोत्तम-३३६६अ।
विदेहस्थ ३४६० अ, गणना ३.४४५ अ, अंकन ३ ४४४ यज्ञ-३ ३६६ अ, अग्नि (आत्मा) १.३५ ब, पूजा ३७४ के सामने, ३ ४४७, ३.४६४ के सामने, काल-विभाग
अ। २.६२ अ।
यज्ञोपवीत-३३६६ब, क्षल्लक २१८८ ब, वर्णव्यवस्था
३५२३ ब। यति-३ ३७० अ, अनगार १६२ अ। यतिपूजा - शुभोपयोग १४३४ ब । यतिवर वृषभ-३ ३७० अ । यतिवृषभ-३.३७० अ, मूलसघ १.३२२ ब, १ परि०/
२-१; ३ १,५, १.३२२ ब, आर्यमंक्षु १२७५ ब, उच्चारणाचार्य १३५२ अ। इतिहास १३२८ ब,
१३४० ब । यंत्र-३ ३४७ अ, करणत्रिक (अध.करण) २७-६, (अपूर्व
यति सम्मेलन-१.परि०/२-२,७,८ । करण) २.१२ ब, मंत्र ३.२४५ ब ।
यत्न-कारण (कर्मव्यवस्था) २६८ब। यंत्रपीडन जीविका-४४२१ ब ।
यत्नाचार-अहिसा १२१७ ब । यंत्रशाला-भवनवासी देवों के भवनो मे ३२१०ब।
यत्याचार-३३७० अ । यंत्रेशयंत्र-यत्र ३.३५७।।
यत्रतत्रानुपूर्वी—आनुपूर्वी १ २४७ अ । यक्ष-३३६६ अ, चक्रवर्ती ४.१३ अ, चैत्य-चैत्यालय यथाकाल उदय-उदय १३६८ अ।
२३०२ अ, तीर्थंकर प्ररूपणा २३७९। पिशाच यथाख्यात चारित्र-३३७० ब, लब्धिस्थानों का अल्पजातीय व्यंतर देव ३५८ ब। व्यंतर देव-निर्देश
. बहुत्व १.१६०, सिद्धों का अल्पबहुत्व ११५३ । ३६१०ब,३५८ ब, अवगाहना ११८०, अवधिज्ञान ययाख्यात विहार-३३७० ब। १.१९८ ब, अवस्थान ३६१२-६१४, आयु १२६४। ययाख्यात विहार-शुद्धि सयत-३ ३७० ब । इन्द्र --निर्देश ३६११ अ, शक्ति आदि ३६१०- प्रथाख्यात संयम ३.३७, ब, प्रलपणा-बध ३.१०६, ६११, वर्ण व चैत्यवक्ष ३६११ अ। बौद्धाभिमत बंधस्थान ३.११३, उदय १.३८३, उदयस्थान ३.४३५ अ। प्ररूपणा-बंध ३.१०२, बधस्थान १.३९१ अ, उदीरणा १.४११, उदीरणास्थान १,४१२,
३.१११, उदय १.३७८, उदयस्थान १.११११, सर .९३, सस्वस्थान ४.३०२, पिन
Page #208
--------------------------------------------------------------------------
________________
यथाच्छंद मुनि
२०२
यशोधर
योगी भंग १४०७ ब । सत् ४२३८, संख्या ४१०६, यवन-३.३७१ अ, मनुष्यलोक ३ २७५ अ । क्षेत्र २ २०५, स्पर्शन ४४८६, काल २.११४, अतर यवमध्य-वनस्पति ३.५०६ अ, योगस्थानो मे समयो का ११७, भाव ३ २२१ अ, अल्पबहुत्व ११५१ ।
अल्पबहुत्व १.१६१ ब, अनुभागबध अध्यवसाय यथाच्छंद मुनि- स्वच्छद साधु ४५०३ ब।
स्थानो की रचना का अल्पबहुत्व ११७६, सान्तर यथाच्छंद श्रोता-उपदेश १४२५ ब ।
सिद्धो का अल्पबहुत्व ११५३ ब। यथाजात-३३७०ब।
यवमध्य काल--अद्धा असंक्षेप १४७ अ, अल्पबहुत्व यथाजातरूपधर-३.३७० ब, निग्रंथ २.६२१ ब ।
११६१ ब । यथातथानुपूर्वी-आनुपूर्वी १२४६ ब ।
यवमध्य क्षेत्र-३३७१ अ। यथानुपूर्व-श्रुतज्ञान ४.६० अ ।
यवमध्य-रचना-याग ३ ३८२ अ। यथार्थ-३३७१ अ।
यवमुरज क्षेत्र-३ ३७१ ब। यथालब्ध --आहार १२८८ अ ।
यश कीर्ति-३.३७१ ब। प्रथम-नदिसंघ १३२३ अ, यदु-३ ३७१ अ, यदुवश १३३६, हरिवश १.३४० अ। १३२४ अ, इतिहास १३२८ ब । द्वितीय-- काष्ठासघ यदुवंश-~-निर्देश १ ३३६, इतिहास १.३३७, हरिवश १.३२७ ब, इतिहास १३३० ब। तृतीय - अनन्त१.३४० अ।
कीति १५६ ब, इतिहास १३३२ अ, १३४५ अ । यदृच्छा . परतत्रदाद ३१२ अ ।
चतुर्थ- इतिहास १.३३२ अ, १३४३ ब। पचम यदृष्ट-३ ३७१ अ, आलोचना १२७७ ब ।
- इतिहास १३३१ अ, १.३४६ अ । षष्ठ-इतिहास : यम-३ ३७१ अ, नक्षत्र २५०४ ब, भोगोपभोग ३२३६
१३३३ अ, १३४६ अ । सप्तम--इतिहास १३३३ अ, यमकगिरि का रक्षक देव ३४५३ अ, इस देव के प्रासाद का विस्तार ३.६१५, शुभोपयोग १४३३ अ,
यश. नामकर्म प्रकृति-प्ररूपणा--प्रकृति ३६६ अ, सयम ४१३६ ब, सामायिक २३०८ ब।
२५५३, स्थिति ४४६३, अनुभाग १६५, प्रदेश यम (लोकपाल) -- ३ ३७१ अ, लोकपाल ३ ४६१ ब, आयु
३१३६ । बध ३६७, बधस्थान ३.११०, उदय । १२६६, ऋद्धि व शक्ति ४५१३ अ, दिग्गजेद्र
१३७५, उदयस्थान १३६२, उदीरणा १.४११ अ, '
उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान, पर्वतवासी वाहन देव ३६१३ अ, ३४५३ अ, सुमेरु
४.३०३, त्रिसंयोगी भग १४०४ । सक्रमण ४.८४ अ, .. पर्वत पर भवन ३ ४५० अ-ब, स्वर्गलोक मे ४.५१३ अ.
अल्पबहुत्व १.१६६। यमक-३ ३७१ अ।
यश-३ ३७२ अ, रुचकवर पर्वत का कट-निर्देश ३ ४७६ यमकगिरि-निर्देश ३.४५३ अ, नामनिर्देश ३.४७१ अ,
अ, विस्तार ३४८७, अकन ३.४६६ ।
यशपाल-३ ३७२ अ, मूलसघ १३१६ । विस्तार ३.४८३, ३.४८५, ३४८६, अकन ३४४४,
यशस्कांत--मानुषोत्तर पर्वत के कट का देव-निर्देश ३४५७, ३.४६४ के सामने, चित्र ३४५३ अ, वर्ण
३४७५ अ, अकन ३.४६४ । ३.४८३, गणना ३४४५ अ । यमकायिक-आकाशोपन्न देव २४४५ ब।
यशस्तिलकचद्रिका--३ ३७२ अ, इतिहास १३४६ ब ।
यशस्तिलकचपू-३ ३७२ अ, इतिहास १३४२ ब । यमकट - यमक गिरि-निर्देश ३.४५३ अ, नामनिर्देश ३४७१ अ, विस्तार ३.४८३, ३.४८५, ३.४८६,
यशस्वती-कुलकर ४.२३, चक्रवर्ती ४ ११ ब । अकन ३४४४, ३.४५७, ३.४६४ के सामने, चित्र
यशस्वान - ३३७२ अ, किंपुरुषजातीय व्यतरदेव २.१२५ ३४५३ अ, वर्ण ३ ४७७ ।
अ । मानुषोत्तर पर्वत के कट का देव-निर्देश यमदंड-३.३७१ अ।
३४७५ अ, अकन ३ ४६४।। यमदग्नि-३३७१ अ।
यशस्विनी-३ ३७२ अ, रुचकवर पर्वत की दिक्कूमारीयमदेव--३.३७१ अ।
निर्देश ३४७६ अ, अंकन ३४६६ । यमलोक-३.३७१ अ, अतकृत १.२ ब ।
यशस्वी-३ ३७२ अ, कुलकर ४२३ । यमुना-मनुष्य क्षेत्र ३२७५ ब ।
यशोदेव-३३७२ अ। यव-३३७१ अ, क्षेत्र का प्रमाण ३२०४ अ ।
यशोधर-३.३७१ अ, चक्रवर्ती ४ १० ब, तीर्थकर २.३७७,
Page #209
--------------------------------------------------------------------------
________________
यशोधरचरित्र
योग
तर पवन क कूट का दव-निदरा ३.४७५ अ, यक्तानंत-अनंत १.५६ ब, २.२१५ अ । अकन ३४६४। ग्रैवेयक स्वर्ग का पटल-निर्देश
युक्तासंख्यात-असख्यात १२०५, २.२१५ ब । ४५१८, विस्तार ४५१८, अकन ४५१५, देव- यक्ति - अनुभव १५२ ब, अविनाभाव १.२०२ ब । आगम आयु १२६८।
(प्रामाण्य) १ २३६ अ, ऊहा १.४४५ ब, तर्क २ ३६५ यशोधरचरित्र--३.३७२ अ। इतिहास-प्रथम १.३४३
अ, न्याय २६३३ अ-ब, पद्धति (अभिप्राय) ३.६ ब, अ । द्वितीय १.३४५ ब । तृतीय १३४६ अ। चतुर्थ
मतिज्ञान ३२५४ ब, स्वभाव ४.५०७ अ। १.३४६ ब । पंचम १.३४७ ब ।
युक्तिक-यदुवश १ ३३६ । यशोधरा-३ ३७२ अ, कुलकर ४.२३ । रचकवर पर्वत
युक्तिचितामणि स्तव-३ ३७३ अ, इतिहास १.३४२ ब । की दिक्कूमारी-निर्देश ३ ४७६ अ, अकन ३.४६८,
युक्त्यनुशासन-३.३७३ अ, इतिहास १३४० ब । ३.४६६ ।
युक्त्यनुशासनालंकारइतिहास १३४१ ब। यशोधर्मा-भोजवश १.३१० अ ।
युग-३ ३७३ अ, काल का प्रमाण २२१६ अ, क्षेत्र का यशोनंदि--३.३७२ अ, नंदिसंघ १३२३ अ, इतिहास
प्रमाण २.२१५ अ, सृष्टिक्रम २६१, पूर्णता की तिथि १३२८ ब।
२.३५१ अ। यशोबाहु- गणधर २.२१२ ब । भद्रबाहु द्वि०-मूलसंघ
युगकंधर-३३७३ अ, व्युत्सर्ग दोष ३.६२१ ब । १३१६, इतिहास १.३२८ अ ।
युगत-यदुदश १.३३७ । यशोभद्र-३ ३७२ अ, मूलसंघ १.३१६ इतिहास १ ३२८ युगंधर-तीर्थकर चंद्रप्रभ व पुष्पदन्त २.३७८ । अ।
युगपत-३ ३७३ अ, केवलज्ञान २१४६ ब । यशोभद्र सूरि-इतिहास १३३० ब ।
युगप्रतिक्रमण-१.प्रति०/२२,८ । यशोभद्रा--३.३७२ ब ।
युगमंधर-तीर्थकर २३६२ । यशोरथ-३.३७२ ब ।
युगल अष्टक-उदय १.३७४ ब । यशोवती- चक्रवर्ती ४.११ ब।
युगलविरोधी धर्म-अनेकान्त ११०६अ। यशोवर्मा-३ ३७२ ब।
युगादि पुरुष-३.३७३ अ, कुलकर २.१३० ब। यशोविजय--३.३७२ ब, इतिहास १.३३४ अ, १.३४७
यग्म-३३७३ अ, अनुयोगद्वार (पद) १.१०२ ब ।
युतसिद्ध-३ ३७३ अ। याग-पूजा ३७४ अ, यज्ञ ३.३६६अ।
युति- ३.३७३ ब। याज्ञिक-एकात १४६५ ब ।
युधिष्ठिर--३.३७३ ब, कुरुवंश १३३६ अ । याज्ञिक मत--३३७२ ब । एकात १.४६५ ब ।
युवती-३३७३ ब, चक्रवर्ती ४.१३ अ, स्त्री ४.४५० अ । याचना-३.३७२ ब, परिषद् ३.३३ ब, ३.३४ अ, भिक्षा
युवेनच्वांग-३३७३ ब । ३२२६ अ।
यूक-३.३७३ ब। याचना-परिषह-३.३७२ ब, ३.३३ ब, ३३४ अ ।
यूनान-३ ३७३ ब। याचनी भाषा-भाषा ३ २२७ अ ।
यपकेशरी-लवणसागर का पाताल-निर्देश ३.४७४ ब, यादव-तीर्थकर मुनिसुव्रतनाथ व नेमिनाथ ३३८०।
विस्तार ३४७८, अंकन ३४६१,चित्र ३.४६२ । यादववंश-इतिहास १३३७, हरिवंश १.३४० अ।
योग-३.३७३ ब। निर्देश ३३७६ ब, ३ ३७७ अ, यान-३ ३७२ ब । देव विमान विविध आकार ४.५११ । अविभाग प्रतिच्छेद १.२०३ अ, ३.२८७ अ-ब, यापनीय संघ-इतिहास १.३१६ ब । एकांत (जैनाभासी) अविभाग प्रतिच्छेदो का अल्पबहुत्व ११६२, आयु१.४६५ अ-ब।
बंध १.२६३ ब, आस्रव १२५२ अ, औदारिक शरीर याम-३ ३७२ ब।
१४७२, करण-त्रिक (अनिवृतिकरण) २१३ ब, यावानुद्देश-३.३७२ ब, उद्दिष्ट १.४१३ अ ।
कायक्लेश २.४७ ब । केवली २.१६४ ब, गुणस्थानं युक्त-३३७३ अ, अनंत २.११५ अ, असंख्यात २२१४ २२४६ अ, ध्यान १.४६६ अ, प्रत्यय ३ १२६ अ, ब, २२१५ ब। -
प्रदेशबन्ध ३१३५ ब, प्राणायाम ३.१५४ ब, बंध युक्ताचारी हिसा-हिंसा ४५३५ ब ।
४.१७५ अ, ३.१७८ ब, मोक्षमार्ग ३.३३७ अ,
Page #210
--------------------------------------------------------------------------
________________
योग (प्ररूपणा)
२०४
योषा
लेश्या ३४२४ ब। शरीर स्वामित्व ४.७, षट्कर्म- योगसार-३.३८६ अ, प्रथम (योगेद्र कृत) इतिहास स्वामित्व ४२६६ ।
१३४१ अ, द्वितीय (अमितगति कृत) इतिहास योग (प्ररूपणा)-बध ३.१०४, बंधस्थान ३ ११३, उदय १.३४२ ब । तृतीय-इतिहास १३४६ ब ।
१३७६, उदयस्थान १.३६२ ब, उदीरणा १.४११ अ, योगसूत्र-योगदर्शन ३३८४ अ। उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४.२८३, सत्त्वस्थान योगस्थान-निर्देश-३३८१ अ, अविभाग प्रतिच्छेद ४ २६६,४३०५, त्रिसयोगी भग १४०६ ब। सत् १.१६२, ३.३८३ ब, अवस्थानकाल २१२१, योग ४.२११, स्वामित्व सत्व ३३७६, सख्या ४१०२, ३.३८३ ब, स्थान ४४५२ ब। प्ररूपणा--सत, क्षेत्र २२०२, स्पर्शन ४.४८५, काल २.१०८, अतर
(इन्द्रिय मार्गणा पूरी) १.१६०-१६४, संख्या ४.११६ १४ अ, ११२, भाव ३ २२० ब, अल्पबहुत्व ११४७, ब, अल्पबहुत्व ११६१ ब, ११७६, भागाभाग पचशरीरस्वामित्व अल्पबहुत्व ११५६ ब ।
४.११६ ब, स्वामित्व (इन्द्रिय मार्गणा पूरी) ३३८२ योग (उपयोग)- उपयोग १४३२ ब, अशुभोपयोग १.४३३ ब, शुद्धोपयोग १४३१ अ।
योगस्पर्धक-योग ३.३८३ ब । योगचंद्र-३३८३ ब, इतिहास १३३१ ब ।
योगाचार-बौद्धदर्शन ३.१८७ । योगत्यागक्रिया- सस्कार ४१५२ अ ।
योगाविभाग-प्रतिच्छेद-योग ३.३.३ अ-ब, अल्पबहुत्व योगदर्शन-३३८४ अ, दर्शन २.४०३ अ ।
११६२ ब । योगदेव--इतिहास १३३३ अ-ब, १३४७ अ।
योगिभक्ति-भक्ति ३.१६८ अ, इतिहास १.३४० ब । योगद्वार-आस्रव १२८३ अ।
योगी-३३८६ अ, जीव २ ३३३ ब, सम्यग्दृष्टि ४.३७६ योगनिग्रह-गुप्ति २२४८ अ।
ब, सुख ४.४३३ ब, स्नातक ४४७१ अ। योगनिद्रा-निद्रा २६१० अ, सम्यग्दृष्टि ४ ३७८ अ। योगेदु देव-३३८६ अ, इतिहास १३२६ अ, १.३४१ योगनिरोध---३ ३८५ब, ध्यान २४६६ ब, योग ३३८८
योग्य क्षेत्र-कृतिकर्म २.१३५ ब। योगनिर्वाणसंप्राप्तिक्रिया-संस्कार ४१५१ ब ।
योग्यता-३३८६ ब, कारण-(परिणमन) २.६१ अ, योगनिर्वाणसाधनक्रिया-सस्कार ४१५१ ब ।
(शक्ति) २.५६ अ, २६१ अ । योगपरिवर्तन-काल २६५ब, शुक्लध्यान ४३३ अ, योग्य पात्र-उपदेश १.४२५ ब, पात्र (दान) ३.५२ अ, सक्राति ४६१ अ।
__ व्रत ३ ६२५ ब। योगप्रत्यय-उदय ३१२७ ।
योग्य मुद्रा-कृतिकर्म २१३४ ब । योगमत-एकात १८६५ ब ।
योजन--३.३८६ ब, क्षेत्र का प्रमाण २.२१५ अ-ब । योगमार्ग-३३८५ ब, इतिहास १३४२ ब ।
योजना-योग ३.३७६ अ। योगमार्गणा-दे० योग (प्ररूपणा)।
योध-राक्षसवंश १३३८ अ । योगमुद्रा-मुद्रा ३३१३ ब।
योनि-३.३८६ ब, परतत्रवाद ३१२ अ, वेदभाव ३.५८६ योगवक्रता-३३८५ ब ।
अ। योगवर्गणा-योग (अविभाग प्रतिच्छेद) ३ ३८३ अ, योनिभूत स्थान-जन्म २३१२ ब ।
अविभाग प्रतिच्छेदो का अल्पबहुत्व ११६२, जीव- योनिमति तियंच-३.३८८ अ, तिर्यच २.३६७, वेद प्रदेशो का अल्पवहुत्व १.१७६. कर्मप्रदेशो का ३.५८५ ब। प्ररूपणा-बध ३१०१, बधस्थान अल्पबहुत्व ११७६ ।
३.११३, उदय १.३७६, उदयस्थान १ ३९२ ब, उदीयोगवातिक योगदर्शन ३ ३८४ अ।
रणा १४११ अ, उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व योगशल्य-भावि शलाकापुरुष ४२६ ब ।
४.२८२, सत्त्वस्थान ४ २६८, ४.३०५, त्रिसयोगी भग योगशास्त्र-३३८६ अ, इतिहास १.३४४ अ।
१४०६ ब। सत् १२७५, सख्या ४६५, क्षेत्र योगसंक्रमण - शुक्लध्यान ४.३३ अ-ब ।
२१६८, स्पर्शन ४.४८०, काल २.१०६, अतर १.८, योगसंक्रांति-- शुक्लध्यान ४.३७ ब,स'कात्ति ४.६१ अ।
भाव ३.२२०. अ, अल्पबहुत्व ११४४। योगसम्मह क्रिया-सस्कार ४.१५२ अ ।
योषा - स्त्री ४ ४५० अ।
Page #211
--------------------------------------------------------------------------
________________
यौग
योग - ३३८८ अ ।
यौवराज्य किया-मस्कार ४.१५२ अ ।
र
र- रज्जू की सहनानी २.२१६ ब ।
"
रघु ३३ अ इतिहास १.३३२ व १३४५ ब । रक्कस- -३३८८ अ ।
रक्त- आहारात राय १.२६ अ, औदारिक शरीर १.४७१ ब, १.४७२ अ ।
रक्तकला – ३.३८८ अ ३ ४५० ब, विस्तार २.४७७ ।
२०५
पाहुकवन की शिला-निर्देश ३४८४, अकन ३.४५०, वर्ण
रक्तनिभ ग्रह २.२७४ अ
रक्तवती शिखरी पर्वत का कूट तथा देवी निर्देश ३.४७२ व विस्तार ३४८३, अकन ३.४४४, २.४६४ के सामने ।
रक्त शिला - ३.३८८ अ । पाडुक वन की शिला-निर्देश ३४५० व विस्तार ३.४८४ अंकन ३४५० ब, वर्ण ३ ४७७ ।
रक्ता (कुड) - ३३८८ अ, रक्ता नदी का कुड तथा उसकी देवी- निर्देश ३४५५ अ विस्तार ३४९०, अकन ३.४४७ । इस कुड मे स्थित द्वीप तथा कूट — निर्देश २.४५६ अ विस्तार ३४८४, अकन ३.४४७, वर्ण ३४७७ ।
-
रक्ता (कूट ) - ३३८ अ शिखरी पर्वत का कूट तथा देवी — निर्देश ३.४७२ ब विस्तार ३.४०३ अकन ३.४४४ के सामने, ३ ४६४ के सामने | रक्ता (देवी) - ३.३८८ अ, रक्ताकूटवासिनी ३.४७२ब, रक्ताकुडवासिनी ३.४५५ म ।
रक्ता (नदी) - ३३८ अ निर्देश ३.४५५ अ, ३४६०
अ विस्तार ३४८९ ४६०, अंकन ३.४४४, ३.४६४ के सामने, जल का वर्ण ३.४७८ ।
रक्तोदा (कुंड) - ३३८८ अ, रक्तोदा नदी का कुंड निर्देश ३.४५५ अ विस्तार ३.४६०, अकन ३.४४७ । इस कुंड का द्वीप तथा कूट- निर्देश ३.४५६ अ । विस्तार २.४८४, अकन ३४४७, वर्ण ३.४७७ ।
रज्जू
रक्तोदा ( कूट ) - ३.३८६ अ शिखरी पर्वत का कूट तथा देवी निर्देश ३४७२ ब विस्तार ३४८३, अकन ३४४४ । रक्तोदा कुछ मे स्थित कूट निर्देश - ३४५६ अ विस्तार ३४६४, अकन ३. ४४७, वर्ण
३ ४७७ ।
रक्तोदा (देवी) ३.३८८ अ, रक्तोदा कुड तथा कूटवासिनी
३४५६, ३.४७२ ब ।
रक्तोदा (नदी) - ३.३८८ अ । ऐरावत तथा विदेहक्षेत्रो की - निर्देश ३.४५५ अ, ३.४६० अ, विस्तार ३४८६, ३४६०, अकन ३४४४, ३४६४ के सामने, जल का वर्ण ३.४७८ ।
4
रक्तोष्ठ - विद्याधरवश १३३६ अ ।
रक्षा अहिंसा १२१६ व १.२१७ व शरीर ४.८ अ रक्षाबंधन व्रत - ३३८८ अ ।
रक्षिता तीर्थंकर मल्लिनाथ २३८० ॥
रघु - ३.३८८ अ, इक्ष्वाकुश १ ३३५ अ, रघुवश १३३८ अ ।
रघु (कवि) - इतिहास १.३३४ ब ।
---
-
रघुनाथ - ३.३८८ ब ।
रघुवंश इतिहास १.२३८ अ
-
रज - ३३८८ ब ।
रजत ३३८८ व कुडलवर पर्वत का कूट-निर्देश ३.४७५ ब, विस्तार ३४८७, अकन ३४६७ । मानुवोत्तर पर्वत का कूट-निर्देश ३४७५ अ विस्तार ३४८६, अकन ३४६४ माल्यवान गजदत का कूट -निर्देश ३४७३ अ, विस्तार ३४५३, अकन ३४४४, ३ ४५७ । रुचकवर पर्वत का कूट-निर्देश ३४७६ अ विस्तार ३४८७, अकन ३.४६८ । सुमेरु के वन का कूट - निर्देश ३४७३ ब विस्तार ३४८३, अकन ३ ४५१ । रजतप्रभ कुडलवर पर्वत का कूट निर्देश ३. ४७५ ब विस्तार ३४८७, अंकन ३४६७ ।
रजताभ कुडलवर पर्वत का कूट निर्देश २.४७५ ब विस्तार ३.४६७, अकन ३४६७ ।
"
रजस्वला स्त्री - भिक्षा ३.२३२ अ सूतक ४.४४३ अ । रजोहरण - श्वेतावर ४७९ व ।
रज्जू - ३.३८८ व औदारिक शरीर १.४७२ अ, क्षेत्र का प्रमाण २.२१५ ब, गणित २.२१८ ब, लोक का आयाम ३३४३ व सहनानी २.२१९ ब ।
रज्जू - रज्जूप्रतर की सहनानी २.२१६ ब । रज्जू -- रन्जूधन की सहनानी २.२१६ ब ।
-
-
Page #212
--------------------------------------------------------------------------
________________
रत्नसंचय
रज्जूधन
रज्जूधन-सहनानी २२१६ ब।
रत्नत्रय--३३८६ अ, मोक्षमार्ग ३ ३३५ ब, शुभोपयोग रज्जप्रतर-पहनानी २२१६ ब।
१४३४ ब। रति-३३८८ ब, उपदेश १.४२४ अ। कपाय २.३५ ब, रत्नत्रयकथा-३.३८६ अ।
२३६ अ, चैत्य-चैत्यालय (मति) २ ३०३ ब, सुख रत्नत्रयचक्र यत्र-यत्र ३३५८ । ४.४३० ब, हिसा ४.५३३ ब ।
रत्नत्रयविधान-३.३८६ अ । रतिकर- ३.३८८ ब, नदीवर द्वीप का पर्वत-निर्देश रत्नत्रयविधान टोका--इतिहास १३४४ ब, आशावर ३४६६ अ, विस्तार ३४८७, अकन, ३४६५, वर्ण १२८१ अ।
रत्नत्रयविधान यंत्र-यत्र ३,३५८ । रतिकूट-३३८६ अ, विद्यावर नगरी ३५४५ अ। रत्नत्रयव्रत-३.३८६ अ। रति-प्रकृति-३३८८ब,प्ररूपणा -प्रकृति ३.८८, ३.३४१, रत्नद्वीप-राक्षसवश १.३३८ अ।
स्थिति ३४४६, अनुभाग १६४ ब, प्रदेश ३१३६। रत्ननदि-३ ३८६ ब, नंदिसघ १.३२३ अ, इतिहास बंध ३ ६४ ब, ३९६ ब, ३६७, बघ की कालावधि १३२८ ब, १ ३२६ अ। का अल्पबहुत्व १.१६१ ब, बधस्थान ३१०६, उदय रत्नपुर-तीर्थकर धर्मनाथ २.३७६, प्रतिनारायण ४२० १३७५, उदयस्थान १.३८६, उदीरणा १४११ अ,
ब, विद्याधर नगरी ३५४६ अ। उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान रत्नपुरी-३३८९ब। ४२६५, स्थितिसत्त्व स्थानो का अल्पबहुत्व ११६५
रत्नप्रभ ३३८६ ब। रुचकवर पर्वत का कट-निर्देश ब, त्रिसयोगी भग १४०१ ब { सक्रमण ४८५ अ,
३४७६ ब, विस्तार ३.४८७, अकन ३.४६६ । लोकअल्पबहुत्व ११६८।
पाल ३४६१ ब। रतिप्रिय-३ ३८६ अ, किन्नरजातीय व्यतरदेव २१२४ रत्नप्रभा-३.३८६ ब। नरक पृथिवी-निर्देश २५७६
अ, पटल २५७६ ब, इद्रक श्रेणीबद्ध व प्रकीर्णक रतिप्रिया -व्यतरेद्र वल्लमिका ३६११ ब ।
२५७८, २५७६, विस्तार २.५७६, २५७८, अकन रतिवाक्-वचन ३ ४६७ ब ।
३४४१, चित्र ३३६०। नारकी-अवगाहना रतिवेदनीय-- मोहनीय ३३४४ ब ।
११७८, अवधिज्ञान १.१६८, आयु १.२६३ ॥
प्ररूपणा-बध ३१००, बधस्थान ३११३, उदय रतिषेण-३ ३८६ अ, तीर्थकर सुमतिनाथ २.३७८ ।
१.३७६, उदयस्थान १ ३६२ ब, उदीरणा १४११ अ, रतिषेणा-तीर्थकर पद्मपभ २३८८ ।
सत्त्व ४२८१, सत्त्वस्थान ४ २६८, ४.३०५, त्रिसरतिसेना-व्यतरेद्र वल्लभिका ३६११ ब ।
योगी भंग १४०६ ब । सत् ४.१६१, सध्या ४ ६५, रत्न - ३ ३८६ अ, कवि-इतिहास १.३३० ब, चक्रवर्ती
क्षेत्र २.१६७, स्पर्शन ४.४७६, काल २१०१, अतर ४१२ अ,४१३ अ, नारायण ४१६ ब ।
१.८, भाव ३२२० अ, अल्पबहुत्व १.१४४। रत्नकंबल-श्वेताबर ४८० अ।
रत्नमाला-३.३६१ अ, हरिवंश १.३४० अ । रत्नकरडश्रावकाचार --३३८१ अ, इतिहास १३४० ब। रत्नमाली-विद्याधरवश १.३३६ अ । रत्नकीति-३ ३८६ अ। प्रथम-दिसंघ १.३२४ अ, रत्नमुक्तावली व्रत-३.३६१ अ।
काष्ठा सघ १३२७ ब। इतिहास-द्वितीय १३३२ रत्नरथ-विद्याधरवश १३३६ अ। ब। तृतीय १.३३३ ब, १.३४६ ब । चतुर्थ १३३४ रत्नराशि-स्वप्न ४.५०४ ब, ४.५०५ अ ।
रत्नवज्र-विद्याधरवंश १.३३६ अ। रत्नकट-३३८६ अ, मानुषोत्तर पर्वत का कूट-निर्देश रलवती-यदवश १.३३७। ३४७५ अ, विस्तार ३ ४८६, अकन ३ ४६४ । रुचक
रत्नवृष्टि-कल्याणक २.३२ ब । वर पर्वत का कूट-निर्देश ३.४७६ ब, विस्तार रत्नशैल--रत्नप्रभा ३.३६१ अ। ३.४८७, अकन ३.४६८ ।
रत्नश्रवा-३.३६१ अ, राक्षसवश १३३८ ब । रत्नगर्भ-यवश १.३३७ ।
रत्नसंचय-३ ३६१ अ, तीर्थंकर अभिनंदननाथ २.३७८ रत्नचित्र-विद्याधरवश १.३३६ अ ।
विद्याधर नगरी ३५४५ अ।
Page #213
--------------------------------------------------------------------------
________________
रत्नसचया
रत्नसच्या विदेह नगरी निर्देश ३.४६० अ नामनिर्देश
३४७० ब विस्तार
३.४७६ - ३.४८१, अकन
३ ४४४, ३.४६४ के सामने, चित्र ३४६० अ । रहना - चमरेद्र की अपदेवी ३२०१ अ रत्नाकर - ३३९१ अ, विद्याधर नगरी ३५४६ अ रत्नाकर वर्णी (कवि ) - इतिहास १३३३ ब, १.३४७ अ । रत्नाढ्या व्यंतरेद्र की वल्लभका ३६११ ब । रत्नावतमिका नारायण ४९८ अ ।
रत्नावली व्रत - ३ ३६१ अ ।
रश्नि- ३३६१व ।
२०७
रत्नोच्य ३३९१ व रुपकवर पर्वत का कूटन ३४७६ व विस्तार ३४८७, अकन ३४६६, सुमेरु पर्वत का नाम ४४३७ अ ।
रत्नोपचय - ३३९१ ब ।
रथ - ३३९१ ब ।
रथनूपुर - ३३९१ ब, विद्याधर नगरी ३ ५४५ अ । रथपुर - ३.३६१ ब, विद्याधर नगरी ३.५४५ अ । रयरे- १.३११व, क्षेत्र का प्रमाण २२१५ अ । रथवीपुर - श्वेताबर ४८० अ । रमणीया- ३.३६१ ब । नदीश्वर द्वीप की वापी - निर्देश ३४६३ अ नामनिर्देश २४७५ ब विस्तार ३४६१, अकन ३.४६५ । विदेहस्थ क्षेत्र निर्देश ३४६० अ नामनिर्देश ३४७० व विस्तार २.४७९, ३४५०, ३.४८१, अकन ३४४४, ३.४६४ के सामने, चित्र ३.४६० अ ।
-
रम्यक - शुक्रेद्र का यान ४५११ व
रम्पक कूट- ३३९१ व रूविम पर्वत का कूट तथा देव निर्देश ३४७२ ब, विस्तार ३.४८३, अकन ३४४४ । वक्षारगिरि का कूट ३ ४७२ ब । रम्यक क्षेत्र - ३.३९१ व । महाक्षेत्र--निर्देश ३४४६ अ, विस्तार ३४७६, ३४५०, ३,४८१. अकन ३.४४४, ३. ४६४ के सामने । भोगभूमि-निर्देश ३२३५ ब अवाना १.१५० आयु १.२६३, १.२६४, क.ल विभाग २९२, चातुदींपिक भूगोल ३.४३७ व वैदिकाभिमत ३४३१ ब, सुषमाकाल २.९३ | विदेहस्थ क्षेत्र - निर्देश ३४६० अ, नामनिर्देश ३.४७० ब विस्तार ३.४७६, ३.४५०, २.४८१, अकन ३.४४४, ३.४६४ के सामने, चित्र ३.४६० अ । रम्यक देव - ३३९१ब, रुक्मि पर्वग के कूट का देवनिर्देश ३.४७२ ब अकन ३४४४ । वक्षारगिरि के
"
कूट का देव ३.४७२ ब ।
रम्यकविजयकाल २.६२ ब ।
रम्यका - ३३६१ ब ।
रम्यपुर - ३३९२ अ, विद्याधर नगरी ३५४५ अ । रम्या – ३३६२ अ । नदीश्वर द्वीप की वापी - निर्देश ३-४६३ अ नामनिर्देश ३.४७५ व, विस्तार ३.४९१, अक ३४६५। मनुष्यलोक ३२७५ व विदेहस्थ क्षेत्र - निर्देश ३.४६० अ, नामनिर्देश ३.४७० ब, विस्तार ३४७६, ३.४८०, ३.४८१, अकन ३.४४४, ३४६४ के सामने, चित्र ३४६० अ । रयणसार ३.३९२ इतिहास १३४० ब ।
रयसकात देव - ३ ३६२ अ ।
-
रवि राक्षसव १२३८ अ, विद्याधर वश १३३६ अ. हरिवश १३४० अ ।
रविधोष
कुरुवा १.३३६ अ ।
रविचंद्र देनीगण १३२४ व इतिहास १.३३२ अ
१ ३४४ व ।
रवितेज - इक्ष्वाकुवंश १३३५ अ । रविनदि ३३९२ अ ।
---
-
रखना इंद्रिय
रविप्रभवानस्वन १३३८ ।
-
ब
रविभद्र - ३.३१२ अ इतिहास १३३० ब । रविमन्यु – इक्ष्वाकु १३३५ ॥ रविवय कहा इतिहास १३३२ १३४६ अ रविवार व्रत ३३१२ अ ।
----
-
रविषेण ३.३१२ अ सेनस १.२२६अ, इतिहास
१.३२९ व १.३४१ ब ।
रवेस्या - मनुष्यलोक (नदी) ३ २७५ ब रश्मिदेव - ३३९२ अ ।
रश्मिवेग- ३३६२४ ।
रस- ३३९२ अनय कर्म १ ३४९ अ आहारांतराय १२८ ब पूजा ३७८ ब ।
7
रसाद्ध ऋद्धि १४४७, १४५५ व रसकर्ममत्र ३२४५ ब ।
रस कषाय कधाय २३५ ब ।
रसकूट ३३९२ ब शिखरी पर्वत का कूट- निर्देश ३४७२, विस्तार ३४८३ अंकन ३.४४४ के सामने । रसजीव २३३४ अ ।
1
रसदेवी ३.३९३ अ शिखरी पर्वत के कूट की देवीनिर्देश ३४७२, अंकन २.४४४ के सामने ।
रसना इंद्रिय-३३१३ अ आहारातराय १.२८ व इंद्रिय १.३०२ अ इंद्रिय की अवगाहना वा अल्पबहुत्व १. १५७, इसके प्रदेशो का अल्पबहुत्व १.१५७ ।
Page #214
--------------------------------------------------------------------------
________________
रसना ज्ञान
२०८
राजेन्द्र
प्रधानता ४.१३६ अ।
राग लोकेषणा-अनाकाक्ष अनशन १६६ अ, उपदेश रसना ज्ञान-कालावधि का अल्पबहुत्व १.१६० ब ।
१.४२४ ब, तप २.३५८ ब, २.३६० अ, धर्म रस निरपेक्ष-आहार १२८८ अ।
२२७५ अ, ध्याता २४६३ अ, राग ३ ३६६ ब, रस-परित्याग- ३.३६३ अ।
३३९७ अ, वाद ३.५३३ अ, विनय ३.५५२ ब । रसमान-प्रमाण ३१४५ अ ।
विवेक ३.५६६ अ, सल्लेखना ४.३८३ अ, साधु रसा-व्यतरेद्र गणिका ३६११ ब ।
४.५०५ अ, स्वाध्याय ४.५२३ । रसायन-मत्र ३.२४५ ब।
रागांश - उपयोग १४३२ अ । रहस्य-३.३६३ ब।
राघव-हरिदेव ४ ५३० अ। रहस्यपूर्ण चिट्ठी-३ ३६३ ब, इतिहास १.३४८ अ। राजकया-कथा २३ ब। रहोभ्याख्यान-३.३६३ ब ।
राजगृह-तीर्थकर मुनिसुव्रत २३७९, प्रतिनारायण राई-भक्ष्याभक्ष्य ३२०३ अ-ब ।
४२० ब । मगध देश इतिहास १३१० ब। राक्षस-३.३६३ ब, राक्षसवश १३३८ अ।
राजधानी-३ ४०० अ, चक्रबर्ती ४१६ अ, भरत, ऐरावत राक्षस (देव)-३३६३ब, पिशाच जातीय व्यतर देव -निर्देश तथा विदेह क्षेत्रो की प्रधान नगरियाँ-निर्देश ३५८ ब, नामनिर्देश ३६१० ब, अवगाहना ११८०,
३४४६ अ, ३ ४६० अ, गणना ३४४५ अ, अंकन अवधिज्ञान १.१६८, आयु १.२६४ ब । बौद्धाभिमत
३ ४४४, ३४४७, ३ ४६० अ। ३४३४ ब । इंद्र-निर्देश ३६११ अ, शक्ति आदि
रापिड-भिक्षा ३ २३३ अ। ३६१०-६११, वर्ण व चैत्यवृक्ष ३६११ अ, अवस्थान राजपुर-चक्रवर्ती ४.१० ब । ३४७१, ३६१२-६१४।।
राजभय --आहारातराय १२६ब । राक्षस (देव)-प्ररूपणा--बध ३ १०२, बधस्थान ३११३,
राजमती-तीर्थकर नेमिनाथ २३८८ । उदय १.३७८, उदयस्थान १३६२ ब, उदीरणा राजमती विप्रलम-३ ४०० अ, आशाधर १.२८१ अ, १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४२८२, इतिहास १३४४ ब । सत्वस्थान ४२६८,४३०५, विसंयोगी भग १४०६ राजमल्ल -३.४०० अ, इतिहास १३३३ ब, १.३४७ अ । ब । सत् ४१८८, संख्या ४६७, क्षेत्र २१६६, राजमल्ल सत्यवाक्य -३.४०० ब । स्पर्शन ४.४८१, काल २१०४, अतर १.१०, भाव राजर्षि ऋषि १४५७ ब । ३२२० अ, अल्पबहुत्व ११४५ ।
राजवलिकथे-३.४०० अ। राक्षस द्वीप-राक्षसवंश १३३८ अ।
राजवल्लभ नौकर--निंदा (साधु) २५८६ अ। राक्षस-राक्षस-३.३६३ ब ।
राजवातिक-३.४०० ब, अकलक १.३१ अ, इतिहास राक्षसवंश-इतिहास १.३३८ अ, विद्याधर वश १.३३६ १३४१ ब। अ।
राजशेखर-३४०० ब । राक्षसी विद्या-राक्षसवश १.३३८ अ ।
राजसदान-दान २४२३ अ। राग-३.३६३ ब । अपराध (विभाव) ३५५८ ब, अभि- राजसिंह--३.४०० ब, प्रतिनारायण ४.२० ब ।
लाषा १६५ अ, १६६ अ, आकाक्षा १६५ ब, राजसेना-श्रेणी ४७२ अ। १६६ अ, आकाशवत् अनत १२२४ ब, उपयोग राजसेवा-निंदा (साधु) २.५८६ अ, साधु ४.४०८ अ । १४३२ अ-४३३ ब। कषाय २३६ अ, पोद्गलिक राजा-३४०० ब ।। (मत) ३३१८ ब, बध ३१७५ अ, मूर्त ३ ३१८ ब, राजादित्य-इतिहास १३३१ ब । विभाव ३ ५५८ ब, ३५५६ अ, ३ ५६० अ, ३ ५६२ राजीमती-३४०१ अ। अ, सत्त्व ४५२८, हिंसा १२१६ अ, १.२१७ ब, राजलमती-भोजवश १३३६ ब । ४५३२ अ।
राजू--३.४०१ अ, (रज्जू) ३ ३८८ ब, क्षेत्र का प्रमाण राग-परिहार-चारित्र २.२८४ अ, त्याग २ ३९६ ब,
२.२१५ ब, गणित २.२१८ ब, लोक का आयाम राग ३.३६७ अ, सामायिक ४.४१६ ब,४.४१६ अ। ३.४३८ ब, सहनानी २.२१६ब। राग-प्रत्यय-प्रत्यय ३.१२६ भ।
राग-०१।
Page #215
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजेंद्रकीति
राजेंद्रकीति काष्ठासंघ १.३२७ अ ।
राज्य - ३४०१ अ । रुचकवर पर्वत का कूट- निर्देश ३४७६ अ, विस्तार ३४८७, अकन ३.४६८ । राज्यकाल -- जगतुंग २ ३१० अ । राज्यवंश -- ३.४०१ अ इतिहास १३१० अ, १.३३५ अ । राज्यसेवक - निदा ( स्वच्छंद साधु) २५८१ अ साघु
3
४४०८ अ ।
राज्यातिक्रम — अस्तेय व्रत १.२१३ ब 1
राज्योतम - ३४०१ अ, रुचकवर पर्वत का कूट-निर्देश ३४७६ अ, विस्तार ३.४८७, अकन ३४६८ ।
,
रात्रि - ३४०१ अ अपवाद मार्ग ११२२ अ पूजा ३८० ब सूर्य की गति से उत्पत्ति २.३५१, सम्यग्दृष्टि
४३७८ अ ।
रात्रिक आलोचना - आलोचना १.२७६ व
रात्रिक पूजा-पूजा ३८० व
रात्रिक प्रतिक्रमण कृतिकर्म २१३७ व प्रतिक्रमण ३११६
• ब,
-
-
7
अ, व्युत्सर्ग ३.६२१ अ । रात्रिभवितत्याग रात्रिभोजन ३४०३ अ व्रत ३६२७ - ब। धावक ४५० ब हिसा ४५३२ व रात्रिभोजन- ३४०१ अ जल-गालन २.३२६अ, व्रत २६२७ ब धावक ४५० द. हिंसा ४.५३२ व । रात्रिभोजन त्यागवत कथा इतिहास १३४६ । रात्रियोग - कृतिकर्म २ १३७ ब । रात्रिवचनाला अपवाद मार्ग ११२२ न । राध - ३.४०३ ब आराधना १.२७१ अ । राम-३४०३ व अग्निप्रभदेव १३६ व चक्रवर्ती ४.१६
अ, रघुवंश १.३५८ अ, हरिदेव ४५३० अ रामकथा - ३४०३ व इतिहास १३४१ अ । रामकीर्ति - नंदिसघ १.३२३ व
२०१
रामगिरि - ३.४०३ ब ।
रामचंद्र -- ३.४०३ ब, काष्ठासघ १.३२७ मे, नदिसघ १.३२३ ब ।
रामचंद्र विद्य - ३४०३ ब, इतिहास १३३२ अ । देशीयगण १.३२५ अ ।
रामचंद्र मुमुक्षु इतिहास १३३२, १३४५ अ । रामचरित्र - इतिहास १ ३४५ ब ।
रामदत्ता - ३.४०३ ब ।
रामनंदि - ३.४०३ व देशीवगण १३२५ । रामपुत्र - ३.४०३ ब, अंतकृत केवली १.२ ब । रामपुराण - इतिहास १.३३३ व १.२४७ म
राम-बलदेवतीर्थंकर २३६१ ।
रामल्य - श्वेताबर ४७७ अ, ४७८ अ, इतिहास १३२८
अ, स्थूलभद्र ४४७१ अ ।
,
2
रामसेन- ३४०४ काष्ठा सच १.३२७ अ माथुर सघ १३२७ ब इतिहास १३३१ अ १.३४३ ब । रामा वैमानिक उत्तरेद्रो की ज्येष्ठा देवी ४५१४ अ तीर्थंकर सुविधिनाथ २१५० ।
—
रामानंदी - वैष्णव दर्शन ३.६०९ अ ।
रुक्मपात्रांकित
रामानुज वेदांत - ३४०४ अ, वेदात ३.५६७ ब । रामापति- वैमानिक उत्तरेद्रो की ज्येष्ठा देवी ४५१३
ब ।
रामायण ( जैन ) - इतिहास १३३२ ब । रायचद- - ३४०४ अ ।
रायमल - ३४०४ अ, इतिहास - अनंतकीर्ति के शिष्य १३३३ ब प टोडरमल के अन्तेवासी १३३४ ब, सकलचन्द्र भट्टारक के शिष्य १३३४ अ इतिहास १ ३४७ ब । रायमल्लाभ्युदय - इतिहास १३४७ अ ।
रावण ३४०४ अ, तीर्थंकर प्ररूपणा २३११, निप्रतिनारायण ४.२०, राक्षस १३३८ अ । रावणभाष्य वैशेषिक दर्शन ३६०७ ब । राशि- ३.४०४ अ
राष्ट्रकड अकालवर्ष १३१ अ
राष्ट्रकूट वंश इतिहास १.३१५ अ रासभ - ३.४०४ अ ।
राहू - ज्योतिष ग्रह-निर्देश २.३४८ अ, २.३४७ । विस्तार २३५१ ब, इद्र चद्रग्रहण २३५१ अ ।
रिक्कु - ३.४०४ अ ।
रिटठणेमिचरिउ - ३ ४०४ अ, इतिहास १ ३४१ ब ।
-
रिण- ३४०४ अ ।
रिणराशि- ३.४०४ ब ।
रिपुदम-तीर्थकर संभवनाथ २.३७८ ।
रिष्टक संभवा- ३४०४ अ, आकाशोपपन्न देव २.४४५ ब । रिष्टसमुच्चय इतिहास १३४३ व - ।
रिष्टा - विदेह नगरी - निर्देश ३.४६० अ
रुक्मण कुरुवंश १३३६ अ । रुक्मपात्रांकित तीर्थमडल यंत्र ३.३५६, ३.३५९, वरुणमंडल यंत्र ३-३५१ ।
आकार व चित्र
२. ३४५ व
नामनिर्देश
,
३. ४७० व विस्तार ३.४७१-४८१. अकन ३.४४४, ३.४६४ के सामने, चित्र ३.४६० अ
वज्रमंडल यंत्र
Page #216
--------------------------------------------------------------------------
________________
२१०
रुक्मि (कूटो
रुदिल रुक्मि (कट)-३४०४ ब, पुंडरीक या महापुंडरीक रुचकवर पर्वत--चैत्यचैत्यालय २.३० ३ अ, रुचकवर द्वीप
हद का कूट -निर्देश ३.४७४ अ, विस्तार ३४८३, का कुडलाकार पर्वत-निर्देश ३४६६ ब, विस्तार ३.४८५, ३४८६ । रुक्मि पर्वत का कूट---निर्देश ३४८७, चित्र ३४६८, ३४६६, वर्ण ३४७८,. ३४७२ ब, विस्तार ३४८३, ३४८५, ३४८६, कूट तथा देव ३४७६, कुटो का विस्तार ३४८७।। अकन ३.४४४ के सामने ।।
रुचकवर सागर-निर्देश ३४७० अ, विस्तार ३४७८, रुक्मि (पर्वत)-३४०४ ब, वर्षधर पर्वत-निर्देश ३४४६ अकन ३ ४४३, जल का रस ३ ४७० अ, ज्योतिष
ब, विस्तार ३४८२, ३४८५, ३४८६, अकन ३ ४४४ चक्र २३४८ ब, अधिपति देव ३६१४। के सामने, ३४६४ के सामने, वर्ण ३ ४७७ ।
रुचका--३४०४ ब, रुचकवर पर्वत की देवी--निर्देश रुक्मिणी-३४०४ ब, नारायण ४१८ ब ।
३४७६ ब, अकन ३४६८, ३४६६ । रुक्मिणी व्रत-३४०४ अ ।
रुचकांता- रुचकवर पर्वत के कूट की देवी-निर्देश ३ ४७६ रुचक-३४०४ ब। कुंडलवर पर्वत का कूट-निर्देश ब, अकन ३.४६६।
३४७५ ब, विस्तार ३४८७, अकन ३४६७ । निषध रुचकाभा-३.४०४ ब, रुचकवर पर्वत के कट की देवीपर्वत का कट-निर्देश ३.४७२ अ, विस्तार ३४८३, निर्देश ३४७६ ब, अकन ३४६६। अंकन ३४४४ । पद्म आदि हृदो के कट-निर्दश रुचकी--३४०४ ब । ३४७४ अ, विस्तार ३४८३, अंकन ३४५४ । मानु- रुचकोत्तम-रुचकवर पर्वत का कूट-निर्देश ३४७६ ब, षोत्तर पर्वत का कूट-निर्देश ३ ४७५ अ, विस्तार विस्तार ३४८७, अकन ३४६६ । ३४८६, अकन ३४६४ । रुचक पर्वत का कूट-निर्देश रुचकोत्तमा रुचकवर पर्वत के कूट की देवी-निर्देश ३४७६ अ, विस्तार ३४८७, अकन ३४६८, ३.४७६ ब, अकन ३४६६। ३४६६ । सुमेरु के वन का कूट-निर्देश ३४७३, ब, रुचकोत्तर--रुचकवर पर्वत का कूट-निर्देश ३४७६ अ, विस्तार ३४८३, अकन ३४५१।।
विस्तार ३४८७ अकन ३.४६६ । रुचक (स्वर्ग)--३४०४ ब । सौधर्म स्वर्ग का पटल- रुचि-३४०४ ब, उपदेश १४२५ अ, १.४२६ ब, मोह
निर्देश ४५१६, विस्तार ४५१६, अंकन ४५१६ब, नीय ३३४२ ब, राग ३ ३६५ ब. श्रद्धान ४.४४ अ, देव आयु १२६६ ।
सम्यग्दर्शन ४३४८ ब, ४३५० ब, ४३५७ अ, सुख रुचककांता-३४०४ ब। रुचक पर्वत के कूट की देवी- ४४३० ब । निर्देश ३४७६ ब, अकन ३ ४६८ ।
हचिर-४४०४ ब। रुचकवर पर्वत का कट-निर्देश रुचकाम-कुडलवर पर्वत का कूट-निर्देश ३ ४७५ ब, ३४७६ अ, विस्तार ३४८७, अंकन ३ ४६६ । स्वर्ग विस्तार ३४८७, अंकन ३.४६७।
पटल-निर्देश ४.५१६, विस्तार ४.५१६, अकन रुचककीति-३४०४ ब, रुचकवर पर्वत के कट की देवी ४.५१६ ब, देव आयु १२६६ ।
-निर्देश ३ ४७६ ब, अंकन ३४६८। । इजा-३४०५ अ । रुचकगिरि-३४०४ ब । विशेष दे. रुचकवर पर्वत । हद्र-३४०५ अ, जन्म (गति-अगति) २.३२१ ब, ग्रह रुचकप्रदेश--जीव के आठ मध्यप्रदेश २३३६अ।लोकाकाश २.२७४ अ, नक्षत्र २५०४ ब, नारद ४२१ अ, ___ के आठ मध्यप्रदेश ३.४४० ब ।
४.२२ अ। रुचकप्रभ - कुडलवर पर्वत का कूट-निर्देश ३४७५, ब रुद्रदत्त-३.४०५ अ, अन्ध्रकवृष्णि १.३० अ । विस्तार ३४८७, अकन ३४६७ ।
रुद्ररुद्र-तीर्थकर पुष्पदंत २ ३६१ । रुषकप्रभा-३४०४ ब, रुचकवर पर्वत के कूट की देवी- रुद्रवती-व्यतरेंद्र की गणिका ३ ६११ ब । निर्देश ३ ४७६ ब, अकन ३ ४६८ ।
रुद्रवसंत व्रत-३४०५ अ। रुचकवर-३४०४ ब ।
रुद्रसंप्रवाय-वैष्णव दर्शन ३६०६अ। रुचकवर द्वीप-निर्देश ३ ४६६ ब, नामनिर्देश ३४७० रुद्रसेन-काष्ठा संघ १.३२७ अ ।
अ, विस्तार ३.४७८, अकन ३.४४३ । चित्र ३.४६८ रुद्रा-व्यंतरेद्र की गणिका ३.६११ ब । ब, ३.४६६, ज्योतिष चक्र २.३४८ ब, अधिपति देव हद्राश्व-३.४०५ अ, विद्याधर नगरी ३५४५ ब। ३.६१४। .
रुद्रिल-साख्य दर्शन ४.३९८ ब ।
Page #217
--------------------------------------------------------------------------
________________
रुधिर
7
हरि-३४०५ अ अहंत भगवान १.१३७ व आहारातराय १२१ अ औदारिक शरीर १.४७१ व १.४७२ अ स्वर्ग पटल-निर्देश ४.५१६, विस्तार ४.५१६, अंकन ४.५१६ व देव आयु १.२६६ । ब, रूक्षत्वस्कंध - ४४४८ अ ।
रूक्षपुद्गल - स्कध ४४४८ अ ।
रूक्षाण - ईयपथ कर्म १३५० अ
रूढ संख्या - ३४०५ अ ।
रूढि — कर्ता कर्म २.२२ अ, नय २५३६ ब, २५६३ अ ।
रूप - ३४०५ अ, गुण २२४० अ । रूपगता चूलिका --- ३.४०५ अ श्रुतज्ञान ४.६६ अ ।
रूपचंद पांडेय - ३.४०५ अ, १३३४ अ-ब १.३४७ ब । रूपनिभ- १.४०५ व ग्रह २ २७४ अ । रूपपाली ३४०५ व किन्नर जातीय व्यंतर देव २.१२४
व ।
रूपमद - मद ३ २५६ ब । रूपरेखा-३४०५ व ।
रूपवती-व्यतरेद्र वल्लभिका ३६११ ब ।
२११
रूपसत्य सत्य ४ २७१ ब ।
रूपस्थ ध्यान -३४०५ ब । रुपातीत ध्यान ३४०६ म पानुपात - ३.४०६ ब
रूपाधिक भागाहार-अनुयोगद्वार ११०२ ब । रूपिणी नारायण ४ १८ व
।
रूपी --अवधिज्ञान १.१६६ अ, मूर्त ३.३१६ अ । रूपोन भागाहार-अनुयोगद्वार ११०२ ।
--
-
रूप्य — रुक्मिपर्वत का कूट तथा देव निर्देश ३.४७२ व विस्तार ३४६३, अकन ३.४४४ के सामने । रूप्यकूला (कुंड) - ३.४०६ व रूप्यकूला नदी का कुंड - ब, निर्देश ३.४५५ अ विस्तार ३.४१०, अंकन ३.४५७ । इस कुंड मे स्थित द्वीप - निर्देश ३.४५६ अ, विस्तार ३.४८४, अकन ३.४४७, वर्ण ३.४७७ । रूप्यकूला (कूट ) - ३.४०६, रूप्यकूला कुड का कूटनिर्देश ३.४५५ अ विस्तार ३४८४, अकन ३.४४७ । रुक्मिपर्वत का कूट - निर्देश ३.४७२ ब विस्तार ३४८३, अंक ३.४४४ के सामने, वर्ण ३.४७७ ॥ रूप्यकूला (देवी) - रूप्यकूला कुड की देवी निर्देश ३.४५५ अ, अंकन ३.४४७ रूप्यकूला कूट की देवी निर्देश ३.४७२, अंकन ३.४४४ के सामने । रूप्यकूला (नदी) – ३.४०६ ब, हैरण्यवत क्षेत्र की महानदी - निर्देश ३४५६ अ विस्तार ३.४८९,
➖➖➖
रोहिणी
३४१०, अंकन ३४४४, ३.४६४ के सामने, जल का वर्ण ३.४७८ ।
रूप्यमाषफल -- ३४०५ ब, तौल का प्रमाण २२१५ अ । रूप्यवर - ३.४०६ ब ।
रूप्यवर द्वीप सागर- ३४०६ व नामनिर्देश ३४७० अ विस्तार ३४७८, अकन ३४४३, जल का रस ३४७० अ ज्योतिषचक्र २.३४८ व अधिपति देव ३.६१४ । रेखा - ३४०६ ब
रेचक - प्राणायाम ३.१५५ अ ।
रेणुका-तीर्थंकर चंद्रबाहु २३९२ ।
रेवती - ३४०६ व तीर्थकर अनतनाथ धर्मनाथ-अरनाथ
२ ३८०, नक्षत्र २.५०४ ब । रेवा --- ३४०६ व मनुष्यलोक ३.२७५ व । रेशमी वस्त्र-वस्त्र ३.५३१ अ ।
रैन मंजूषा - ३.४०६ ब ।
रेवतीर्थंकर २.३७७, शिखरी पर्वत का कूट तथा देव - निर्देश ३.४७२ब, विस्तार ३.४०३. ३.४८३ अंकन ३.४४४ के सामने । रक्तक- ३.४०६ ब । रोग - ३.४०६ ब, परिवाह ३.३३ ब, रोगपरिषह - ३४०६ व ३३३ व रोगराहित्य अहंतातिथय ११३७ व रोचक शैल - ३.४०७ अ । रोचन - दिग्गजेन्द्र पर्वत-निर्देश
।
३३४ अ । ३-३४ अ
३.४७१ व विस्तार
३.४८३, ३.४८५, ३४८६, अकन ३४०४ के सामने ।
रोटतीज व्रत ३४०७ अ ।
रोध आहारातरा १.२६ अ
रोम -- ३.४०७ अ, औदारिक शरीर १४७२ अ । रोमज (वस्त्र) - वस्त्र ३.५३१ अ ।
रोमश- ३.४०७ अ, एकातवादी १४६५ व क्रियावादी २ १७५ ब ।
रोम शैल - यदुवंश १.३३७ ।
रोम समानता - अहंतातिशय] ११३७ व रोमहर्षिणी - ३.४०७ अ, एकाती १४६५ व वैनयिक ३. ६०५ अ ।
रोष- ३४०७ अ ।
रोहिणी - ३४०७ अ, तीर्थंकर अजितनाथ की यक्षिणी
२.३७१, नक्षत्र २.१०४ व बलदेव ४.१७ व यदुवश १.३३७, विद्या २.५४४ अ, वैमानिक दक्षिणेव की वल्लभका ४५१३ म, व्यंतरेंद्र वल्लभिका २.६११
ब ।
Page #218
--------------------------------------------------------------------------
________________
रोहिणी व्रत
२१२
लक्ष्मणपुरी
ल
रोहिणी व्रत-३ ४०७ अ ।
'रौरव-३ ४०६ अ, नरक पटल-निर्देश २ ५७९ ब. रोहित कुड -३४०७ अ, रोहित नदी का कड-निर्देश विस्तार २.५७६ ब, अंकन ३४४१ । नारकी
३४५५ अ, विस्तार ३४६०, अंकन ३.४४७। अवगाहना ११७८, आयु १.२६३, वैदिकाभिमत रोहित कड मे स्थित द्वीप-निर्देश ३.४५५ अ। नरक ३४३२ ब। विस्तार ३४८४, अन ३ ४४७, वर्ण ३ ४७७ । रोरुक-३४०६ अ, नरक पटल -निर्देश २ ५७६ अ, रोहित (कट)-३.४०७ अ, रोहित कुड के द्वीप मे स्थित विस्तार २ ५७६ अ, अकन ३ ४४१ । नारकी
कट-निर्देश ३४५५ ब, विस्तार ३४८४, अकन अवगाहना १.१७८, आयु १.२६३ । ३४४७, वर्ण ३.४७७ । महाहिमवान पर्वत का कूट है- पदस्थ ध्यान ३६ ब ।
-निर्देश ३ ४७२ अ, विस्तार ३४८३, अकन ३४४४। रोहित (देव)-३४०७ अ, रोहित कुड की देवी-निर्देश
३४५५ अ, अकन ३ ४४७ । महाहिमवान के कूट की देवी-निर्देश ३ ४७२ अ, अकन ४४४४ । लवण
सागर के पर्वत का रक्षक देव ३.४७४ ब । रोहित (नदी)-३.४०७ अ, हैमवत क्षेत्र की महानदी
निर्देश ३४५५ अ, विस्तार ३.४८६, ३४६०, अकन
३४४४,३४६४ के सामने, जल का वर्ण ३.४७८ । लंका-३४०४ अ, प्रतिनारायण ४२० अ-ब, राक्षसवश रोहित पटल-स्वर्ग पटल-निर्देश ४५१६, विस्तार १३३८ अ, विद्याधरवश १३३६ अ ।
४५१६, अकन ४५१६ ब, देव आयु १२६६ । लका-शोक -राक्षसवश १३३८ । रोहितास्था कुंड-३ ४०७ अ, रोहितास्या नदी का कुड लंघन-प्रोषधोपवास ३ १६६ ब। निर्देश ३.४५५ अ, विस्तार ३.४८४, अकन ३४४७। लत--3x.
लब-संक्षेत्र-३४०६अ। रोहितास्था कंड का द्वीप-निर्देश ३४५५ अ, लवित-३४० अ व्यत्मा दोष 3603 विस्तार ३ ५८४, अकन ३४४७, वर्ण ३.४७७ । लबिताधर-विद्याधरवश १३३६ अ। रोहितास्या कट -३४०७ अ, गहितास्था कुड के द्वीप ल० - लक्ष की सहनानी २२१८ ब ।
का कट-निर्देश ३४५५ ब, विस्तार ३४८४, ल० को०-लक्ष कोटि की सहनानी २२१८ ब । अकन ३४४७, वर्ण ३.४७७ । महाहिमवान पर्वत लक्खण (कवि)-३४०६ अ, इतिहास १३३२ अ। का कट-निर्देश ३४७२ अ, विस्तार ३४८३,
लक्खनदि-नदिसघ १३२५ । अकन ३ ४४४ के सामने।।
लक्ष-सहनानी २२१८ ब । रोहितास्या देवी-३४०७ अ, रोहितास्या कुड की देवी लक्षकोटि-सहनानी २२१८ ब।
-निर्देश ३ ४५५ अ, अकन ३४४७, रोहितास्या लक्षण-३४०६ अ, गुण २२४० अ, प्रवृत्ति ३ १४६ । कट की देवी-निर्देश ३४७२ अ, अकन ३.४४४ के लक्षणनिमित्तज्ञान-निमित्तज्ञान २६१३ अ, ऋद्धि सामने ।
१४४८ । रोहितास्या नदी-३ ४०७ अ, हैमवत क्षेत्र की महानदी लक्षणपंक्ति व्रत -- ३ ४१० अ।
---निर्देश ३,४५५ अ, विस्तार ३४८६, ३४६०, लक्षणाभास-लक्षण ३ ४०६ ब। अकन ३४४४, ३४६४ के सामने, जल का वर्ण लक्षपर्वा-३४१० अ, विद्या ३.५४४ अ । ३४७८॥
लक्षावधि-साधु ४४०८ अ। रौद्र ~३४०७ अ।
लक्ष्मण-३४१० अं, अग्निप्रभ देव १.३६ ब, तीथंकर रौद्र ध्यान-३४०७ अ, अशुभोपयोग १.४३३ ब, ध्यान २.३६१, प्रतिनारायण ४.२० अ, रघुवंश १.३३८ २.४६७ अ, सम्यग्दृष्टि ४३७६ अ, सामायिक
लक्ष्मणदेव (कवि)-३.४१० अ, इतिहास १३३२ ब । रोदनाद-नारायण ४१८ ब।
लक्ष्मणपुरी-३.४१० अ।
अ।
Page #219
--------------------------------------------------------------------------
________________
लक्ष्मण सेन
२१३
लवणतापि
लक्ष्मणमेन-३४१० अ। प्रथम-काष्ठासघ १.३२७ अ, लता--- अनुभाग १६१ब, १.६३ ब, काल का प्रमाग
इतिहास १.३२६ अ। सेनसघ १३२६ अ, इतिहास २२१६ अ, २२१७ अ। १३३३ अ।
लतागृह - भवनवासी देवो के भवनो मे ३.२१० अ। लक्ष्मणा-तीर्थकर चन्द्रप्रभ २३८० ।
लताभूमि -समवसरण ४.३३० ब । लक्ष्मी-३.४१० अ, आनतेद्र का यान ४५११ ब, लतावक्र-३ ४१० ब, व्युत्सर्ग दोष ३ ६२१ ब । नारायण ४ १८ ब, स्वप्न ४५०४ ब ।
लब्ध–३ ४१० ब। लक्ष्मीकुट-विद्याधर नगरी ३५४५ अ।
लब्धराशि-३४१० ब। लक्ष्मीचद्र-३४१० अ। प्रथम-नदिसघ १.३२३ ब, लब्धाभिमान--हरिवश १३४० अ। १३२४ अ, इतिहास १३३३ अ।
लब्धि-३४१० ब, उपयोग १४२६ अ, १४३० अ-ब, लक्ष्मीचंद्र (कवि)-इतिहास १३३३ अ,१३३४ ब । उपशम १४३८ अ-ब, कारण (योग्यता) २५६ अ, लक्ष्मीदेवी-पडरीक हद की देवी-निर्देश ३ ४५३ ब, छेदोपस्थापना २३०६ अ, विकल्प (निर्विकल्प)
परिवार ३.६१२ अ, अंकन ३ ४४४ के सामने, भवन- ३.५३८ अ, श्रुतज्ञान ४५६ ब, ४६२ ब । वासी देवी-आयु १२६५, परिवार ३६१२ अ, लब्धि-अक्षर-अक्षर १.३२ ब । भवन का विस्तार ३.६०६ । चकवर पर्वत के कूट लब्धिप्राप्त-क्रियिक ३६०३ ब । की देवी--निर्देश ३४७६ अ, अकन ३४६८। लब्धिविधान व्रत-३४१५ अ। शिखरी पर्वत के कूट की देवी-निर्देश ३ ४७२ ब, लब्धिसपन्न ऋषि-सम्यग्दर्शन का निमित्त ४३६४ ब। विस्तार ३४८३, अकन ३ ४४४ के सामने ।
लब्धिसंवेग सपन्नता -सवेग ४१४४ अ-ब। लक्ष्मीमती-३४१० अ, तीर्थकर चद्रप्रभ २३८० ।
लब्धिसार-३.४१५ ब, इतिहास १३४३ अ। लक्ष्मीवती-२चकवर पर्वत के कट की दिक्कूमारी
लब्धिसार टीका-इतिहास १३४८ अ । निर्देश ३.४७६ अ, अकन ३.४६६ ।
लब्धिस्थान--अल्पबहुत्व ११६० अ, छेदोपस्थापना लक्ष्मीसेन- सेनसघ १.३२६ अ।
२३०६ अ, लब्धि ३ ४१४ अ, ३४१५ अ । 'लक्ष्य--३४१० ।
लब्ब्यक्षर-अक्षर १.३२ ब ।। लक्ष्य-लक्षण सबंध-४१२६ अ ।
लब्ध्यक्षर ज्ञान-श्रुतज्ञान ४.६५ ब । लक्ष्य-लक्षण समानाधिकरण-लक्षण ३ ४१० अ। लब्ब्यपर्याप्त आय १.२६४, जीव २.३३३ ब, जीवसमास लगड शय्यासन तप-कायक्लेश २.४७ ब।
२.३४३, पर्याप्ति ३४२ अ, मनुष्य ३.२७३, योगलछिमा ऋद्धि - ऋद्धि १४४.७, १.४५१ अ।
स्थान ३,३८३ अ, वेदभाव ३५८७ अ । लघीयस्त्रय-३४१० ब, अकलंक १३१ अ, इतिहास लय-मोक्षमार्ग ३३३५ ब । १३४१ ब।
लयकर्म-कर्म २.२६ अ, निक्षेप २.५९८ अ। लघीयस्त्रयवृत्ति - अभयचद्र ११२७ अ ।
लयभाजन-निदा (मिथ्या साधु) २.५८६अ। लघु- ३ ४१०, चूणि २.६३८ ।
लरि०-लघुरिक्थ की सहनानी २.२२५। लघुत्व गति-गति २ २३५ अ ।
ललितकीति-३४१५ ब। प्रथम अनतकीर्ति १५६ ब, लघुभाषा--दिव्यध्वनि २ ४३२ अ ।
इतिहास १३३२ अ । द्वितीय -काष्ठा संघ १३२७ लघु मासिक प्रायश्चित्त-प्रायश्चित्त १.४० ब ।
अ, इतिहास १३३४ ब । तृतीय-नदिसंघ भट्टारक । लघुरिक्थ-३ ४१० ब, गणित २ २२५ अ ।
१ ३२३ ब। लघुशंका-व्युत्सर्ग दोष ३ ६२१ अ।
ललितांग देव-३.४१५ ब। लघु शतक चूणि-इतिहास १.३४१ अ।
लल्लक-३.४१५ ब, नरक पटल-निर्देश २.५७६ ब, लधु सर्वज्ञसिद्धि-३४१० ब, अनंतवीर्य १.६० अ, विस्तार २.५७६ ब, अकन ३.४४१। नारकीइतिहास १.३४२ ।।
अवगाहना १.१७८, आयु १२६३ । लघुहन्व- अकलक भट्ट १.३१ अ।
लव-३.४१५ ब, काल का प्रमाण २२१६ अ-ब, गणित लज्जा-विनय ३.५५३ ब ।
२ २२३ ब, प्रतिबुद्धता ३.१६६ ब । लतांग-काल का प्रमाण २.२१६ अ, २२१७ अ।
लवणतापि--३४१५ ब, देवं (आकाशोपपन्न) २.४४५ ब ।
Page #220
--------------------------------------------------------------------------
________________
लवणसागर
२१४
लेपाहार
लवणागर--३.४१५ ब, निर्देश ३.४६० ब, नामनिर्देश ब, दक्षिणेद्र ४५११ अ, परिवार ४.५१२-५१३, अव.
३ ४७० अ, पर्वत तथा पाताल ३ ४६२ अ, ३४७४ स्थान ४.५२० ब, चिह्न आदि ४.५११ ब, विमान ब, विस्तार ३४७८, अकन ३.४४३, ३४४४, ३ ४६४ नगर व भवन ४ ५२०-५२१ । के सामने, चित्र ३४६१, जल का रस ३४८०, अधि- लाखू (कवि)-इतिहास १.३३२ अ, १३४५ अ। पति देव ३ ६१४ । जीव-अन्तीपज मनुष्य ३३५८ लाधव-३.४१६ अ, अचेलकत्व १.४० अ, शौच ४.४२ अ, अवगाहना १ १७६, तियं च २.३७० ब। वैदिकाभिमत-निर्देश ३.४३१ब, अकन ३.४३२।
लाट-३४१६ अ। लवणादेवी-सिंधु नदी के कूट की देवी ३६१४, आयु लाटी संहिता-३.४१६ अ, इतिहास १.३४७ अ । १२६५ ब ।
लाड़बागड़ गच्छ-एकात जैनाभास १४६५ अ, काष्ठासंघ लवणोदसिद्ध-अल्पबहुत्व १.१५३ अ।
१.३२१ अ,१३२२ अ, १.३२७ ब । लवपुर-३.४१५ ब।
लाड़बागड़ संघ-काष्ठा सघ १.३२१ अ, १३२७ ब । लहू-अतराय (आहारातराय) १.२६ अ।
लाभ-३.४१६ अ। लांगल--३.४१५ ब । स्वर्ग पटल-निर्देश ४.५१७, लामांतराय-अन्तराय १.२७ ब। प्ररूपणा--प्रकृति
विस्तार ४५१७, अकन ४५१५, देव आयु १२६७। ३.८८, १६४ ब, स्थिति ४४६७, अनुभाग १.६४ ब, लांगल खातिका-३४१५ ब, मनुष्यलोक ३.३७६ अ । प्रदेश ३.१३७ । बध ३.६७ बधस्थान ३.११०, उदय लांगल चित्र-करणविक २.६अ।
१३७५, उदयस्थान १३८७, उदीरणा १.४११ अ, लांगल रचना करणत्रिक (अध.करण) २.८ब, २.६अ। उदीरणा स्थान १४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान लांगलस्वस्तिका-३४१५ ब ।
४२९४, त्रिसयोगीभग १.३६६ । संक्रमण ४.८५ अ, लांगलावर्त -३४१५ ब ।
अल्पबहुत्व ११६९ ब । लांगलावर्ता-विदेहस्थ क्षेत्र-निर्देश ३४६० अ, नाम
लालसा-निदान २.६०८ अ। निर्देश ३४७० ब, विस्तार ३.४७६, ३.४८०,
लिंग-३४१६ अ, मोक्ष ३.३२७ ब, वेद ३.५८३ ब, ३४८१, अंकन ३.४४४, ३.४६४ के सामने, चित्र
सल्लेखना ४३६०। ३ ४६० अ। वक्षारगिरि का कृट तथा देवी-निर्देश लिंगज शुतज्ञान-श्रुतज्ञान ४.५६ अ । ३४७२ ब, विस्तार ३.४८२, ३.४८५, ३.४८६, लिंगपाहुड-३.४२० ब, इतिहास १३४० ब। अंकन ३.४४४ ।
लिंग व्यभिचार-नय २५३७ ब। लांगलिका गति-विग्रह गति ३५४०ब।
लिंगशुद्धि-शुद्धि ४४० अ । लांतव (देव)-३४१५ ब । निर्देश ४.५१० ब, अवगाहना लिंगसावरण-वेद ३५८६अ।
१.१८१ अ, अवधिज्ञान १.१६८ ब, आयु १.२६७, लिपिबद्ध-आगम १.२२८ ब । आयु बध के योग्य परिणाम १२५८ब।
लिपि संख्यान क्रिया-मंत्र ३.२४७ अ, संस्कार ४,१५१ लांतव देव (प्ररूपणा)-बध ३.१०२, बंधस्थान ३.११३, अ।
उदय १.३७८, उदयस्थान १.३६२ ब, उदीरणा लिप्त-३.४२० ब, आहार दोष १२६१ ब । १.४११ अ, उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व ४.२८२, लीख-३.४२० ब, क्षेत्र का प्रमाण २.२१७ अ। सत्त्वस्थान ४.२६८, ४३०५, त्रिसंयोगीभंग १.४०६ लीन-चारित्र २.२८४ अ, मोक्षमार्ग (लय) ३.३३५ब, ब। सत् ४.१६२, सख्या ४.६८, क्षेत्र २.२००, स्पर्शन सामायिक ४.४१५ ब। ४.४८१, काल २ १०४, अन्तर १.१०, भाव ३.२२०, लीलाविस्तार टीका--३ ४२० ब, इतिहास १.३४२ म। अल्पबहुत्व १.१४५।
लुका-३.४२० ब, श्वेताबर ४८०ब। लांतव स्वर्ग-निर्देश ४.५१८, पटल ४.५१८, इद्रक व खंका मत-३.४२० ब । श्वेताबर ४.८० ब ।
श्रेणीबद्ध ४.५१८, ४.५२०, दक्षिण विभाग ४.५२१ लेखक्रिया--क्रिया २.१७४ ब । अ, अवस्थान ४.५१४ ब, विस्तार ४.५१८, अंकन लेखन-आगम १.२२८ब। ४.५१५ । नारायण ४.१८ब।
लेप-३४२० ब। लाक्षा वाणिज्य कर्म-सावध ४.४२१बी निर्देश ४.५१०
Page #221
--------------------------------------------------------------------------
________________
लेप्यकर्म
अ,
कर्म-कर्म २२६ अ, निक्षेप २.५२८ अ । लेप्याहार - आहार १.२८५ अ आहारक १२६५ अ । लेवड़ - ३४२० ब । लेश्या - ३.४२० व आयुबंध के स्थान ब, आर्तष्यान १२७४ अ, कषाय २३१ अ अ, २६७ व केवली २.१६४ व जन्म ( गति अगति) २३२१ अ प्रकृति २. ३७६ व, धर्मध्यान ३२८३ व रौद्रध्यान ३४०८ ब
१.२५१ ब काल २.६७
जन्म २३१६ व
लोकागes - श्वेताबर ४ ८० ब ।
---
अ. ४.३१० ब ।
लेश्या मार्गणा (प्ररूपणा ) - ३४२५ ब । प्ररूपणा बघ ३१०७ बंधस्थान ३११२, उदय १३०४, उदय स्थान १३६३ ब, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४.२५४, सत्त्वस्थान ४२८६, ४.३०१, ४.३०६, विसंयोगीभग १.४०७ व सत् ४२४२, संख्या ४१०७, क्षेत्र २.२०५, स्पर्शन ४४१०, काल २११५, अन्तर ११८, भाव ३२२१ ब, अल्पबहुत्व ११५१. भागाभाग ४.११३ । पचशरीर स्वामित्व ४७ ।
लेह्य आहार १२८५ अ ।
लोकाशाह श्वेतावर ४.५० व
।
-
२१५
तीर्थंकर नामकर्म २४८१ ब, मरण
सन्लेखना ४३८४
लोंच - २१६९ ब ।
लो०- घनलोक की सहनानी २.२१६ ब ।
लोक-३४२० व निर्देव ३.४३१ अ, आकार ३.४३० अ लक्षण ३.४३८ अ, विस्तार ३४३८ अ, त्रि विभाग ३४४० व चित्र ३४३९, संतुलित अध्ययन ३४३१ अ ओम् १.४७० अ धर्माधर्म द्रव्य २४८८ व २४९० सत् ४१६० अ ।
लोक अनुप्रेक्षा- अनुप्रेक्षा १७६ व १८० अ । लोकचन्द्र - ३.४९१ अ नदिसघ १.३२३ अब इतिहास १३२६ अ ।
लोकनाभि-सुमेरु ४४३७ अ ।
लोकनिंदा - आहारातराय १.२९ व
।
लोकपवित किया- ३४११ अ क्रिया २.१७५ अ । लोकपाल -- ३४६१ अ । भवनवासी - निर्देश ३.२०६ अ, आयु १२६५ । वैमानिक — निर्देश ४५१२, आयु १२६१-२७०, देवियो की गणना ४.५१३ । लोकपूरण समुद्धात केवली २१६६ ।
लो० प्र० लोकप्रतर की सहनानी २,२१९ ब । लोकप्रतर - ३४६२ अ, सहनानी २२१६ ब ।
-
लोकप्रमाण- संख्या ४.६२ ब । लोकबाधित - वाधित ३ १८२ ब । लोकबदुसार - श्रुतज्ञान ४.६६ अ । लोकमध्य- सुमेरु ४.४३७ अ ।
लोकमूढता अमूढदृष्टि १.१३२व मूढता ३.३१५ अ, सम्यग्दर्शन ४३६१ ब ।
लोकवाद - एकात १.४६५ अ व लोकोत्तर वाद ३४६२
"
अ ।
लोकोत्तर शुचित्व
लोकविनिश्चय - इतिहास १३४० अ ।
लोकविभाग - ३४९२ अ इतिहास १३२६ अ १.३४१
अ ।
लोकव्यवहार सम्यग्दन २५५७ अ ।
लोकश्रेणी - ३.४६२ अ ।
लोकसंस्थान - ध्येय २.५०० अ ।
लोकसेन– ३४१२ अ पचस्तूप सप १३२६ व इतिहास
१३३० अ ।
लोकांत लौकातिक देव ३४९३ अ । लोकांतिक लोकातिक देव ३.४९३ अ ।
लोकाकाशआकाश १२२० व १.२२४ अ, उत्पादादि
१ ३६२ ब ।
लोकाग्र-- मोक्ष ३ ३२४ ब ।
लोकादित्य - ३.४१२ अ अकालवर्ष १२१ अ ।
1
लोकानुप्रेक्षा १७६ व १८० अ लोकानुवृत्ति-विनय ३५४८ व लोकायत - चार्वाक २ २६४ ब ।
लोकालोक विभाग - धर्माधर्म द्रव्य २४८५६ ब, २४६०
अ ।
लोकालोक व्याने केवलज्ञान २१४७ ब ।
+
2
लोकेषणा - अनाकांक्ष अनशन १६५ अ १.६६ अ उपदेश १.४२४ व तप २३५८ व २३६० अ धर्म २२७५ अ, ध्याता २४९३ अ बाद ३५३३ अ. विनय सल्लेखना ४३८३ अ ४.५२३ ।
राम ३३६६ व ३.३९७ अ, ३५५२ ब विवेक २५६६, साधु ४४०५ अ स्वाध्याय
-
लोकोत्तर गणना - प्रमाण ३.१४४ ब । लोकोतर चेतनाचेतना २.२११ व लोकोत्तर जुगुप्सा - जुगुप्सा २.२४४ अ, सूतक ४.४४२ ब । लोकोत्तर मंगल - निक्षेप २.६०१ अ । लोकोत्तरवाद - ३ ४९२ अ ।
लोकोत्तर शरण शरण ४.५ अ । लोकोत्तर सुचित्व- शुचि ४.३८ ।
अ ।
Page #222
--------------------------------------------------------------------------
________________
लोकोत्तरीय वाद
लोकोतरीय वाद - श्रुतज्ञान ४.६० अ । लोगाक्षि भास्कर - - ३,४९४ अ, मीमांसा दर्शन ३.३११ अ, वैशे षक दर्शन ३.६०८ अ ।
7
(परिग्रह )
लोभ ( कषाय ) -- ३४६२ ब, कषाय २.३५ ब, २३८ अ, २३६ अ का २४२ अ कालावधि का अल्पबहुत्व ११६०-१६१, शौच ४,४२ ब सज्ञा ४१२१ अ । प्ररूपणा बंध ३१०५, वधस्थान ३११२, उदय १३०२ उदयस्थान १३९३ अ, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४.२८३, सवस्थान ४३००, ४३०५, त्रिसयोगी भग १.४०७ अ सत्रु ४२३२. सध्या ४१०५ ४.११७, क्षेत्र २२०४, स्पर्शन ४४८५ काल २११२, अतर ११५, भाव ३.२२१ अ. ३.२२३, अल्पबहुत्व ११४६, भागाभाग ४ ११७ ।
लोभकर्मप्रकृति प्ररूपणा - प्रकृति ३८८ ३.३४१ स्थिति ४४६१, अनुभाग १६४ ब प्रदेश ३१३६ । बध ३१७, स्थान ३१०६, उदय १.३७५ उदवस्थान
१३८६, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्व ४.२७८, सत्स्वस्थान ४२६५, त्रिसंयोगी भग १४०१ ब । संक्रमण ४८५ अ, अल्पबहुत्व १.१६८ । लोभाकुलता दोष ३६२२ अ लोभाणुसूक्ष्म सापराय ४४४१ व
लोभी- आहार दोष १२११ अ ।
लोन ३४६२ व नरक पटल - निर्देश २.५७२ व
- ।
विस्तार २.५७६ व अकन ३४४१ । नारकी
२१६
-
-
लीकिक मंगल
इतिहास १.३२८ अ, १ परि० / २२,३,५,७ द्वितीय मूलसंघ १३१६ १.३१७, नंदिसघ बलात्कारगण १.३२३ अ, पुम्नाट सघ १३२७ अ इतिहास १३२८ अ । तृतीय - मूलसघ १३२२ब, नदिसघ बलात्कारगण १ ३२३ अ, इतिहास १३२८ ब । चतुर्थं - सेन १३२६ अ
लोहार्गल विद्याधर नगरी ३५४५ अ । लोहार्यमूलक १३१६। इतिहास १३२८ अ लोहित - ३४९३ अ गजदव का कूट-निर्देश ३.४७३ अ, विस्तार ३.४८३, अकन ३४४४, ३.४५७ । ग्रह २.२७४ अपाक वन मे सोमदेव का भवन निर्देश ३४५० ब, अंकन ३४५० ब । मानुषोत्तर पर्वतका कूट-निर्देश २४७५ अ विस्तार ३४८६, अंकन ३४६४ । लगसागर के पर्वत का देव ३ ४७४ ब ।
-
अवगाहना १ १७८ आयु १२६३ ।
।
लोलक - ३.४६२ ब । नरकपटल - निर्देश २.५७६ ब विस्तार ३.५७९ व अकन ३४४१ । नारकीअवगाहना ११७८, आयु १२६३ । लोलवत्स - ३४९२ व नरक पटल-निर्देश २.५७६ ब, विस्तार २५७६ ब अकन ३.४४१ । नारकीअवगाहना १.१७८, आयु १.२६३ । लोलुक - नरकपटल निर्देश २५७६ ब विस्तार २५७९ ब अकन ३.४४१ नारकी - अवगाहना ११७८, आयु १२६३ । लोलुप नरकपटल निर्देश २५७१ व विस्तार २५७६ ब अकन ३४४१, नारकी - अवगाहना १.१७८ आयु १२६३ ।
लोहवाहिनी - चक्रवर्ती ४.१५ अ . लोहागल - ३.४९३ अ । विद्याधर नगरी ३.५४५ अ । लोहाचार्य ३४९३ अ ।
।
- -
प्रथम --- मूलसघ
१.३१६,
लोहित (स्वर्ग पटल ) -- निर्देश ४५१७, विस्तार ४५१७, अकन ४५१६ ब, देव आयु १२७६ । लोहितांक – रत्नप्रभा (चित्रा पृथिवो) ३३८६ ब । लवण सागर के पर्वत का देव ३४७४ ब । लोहिताक्ष ३४९३ अ कवर पर्वत का कूट-निर्देश - ३-४७६ अ विस्तार ३४६७, अरुन ३४६९ । स्वर्गपटल निर्देश ४५१७ विस्तार ४५१७, अफन ४.५१९ व, देव आयु १.२६७ । लोहिताक्षमपी शुमेरु की परिधि ३.४४१ अन्य । लौंद मास - चन्द्र की गति से उत्पत्ति २.३५१ अ । लौकांतिक देव - ३.४९३ अ, आयुबध के योग्य परिणाम १२५८ ब जन्म २३१७ व द्विचरम शरीर ४.५१०
-
ब ।
लौकिक-३४९४ अ नरक पटल-निर्देश २५७१ ब विस्तार २.५७६ ब, अकन ३.४४१ । नारकीअवगाहना ११७८, वायु १.२६३, निक्षेप २.५११
ब ।
लौकिक कर्ताकर्म कर्ताकर्म २.२३ अ लौकिक क्रियासाधु ४.४०५ व । लौकिक गणना - प्रमाण ३ १४४ व । सौकिक चेतना चेतना ३.२१९ व
लौकिक जुगुप्सा - जुगुप्सा २.३४४ अ, सूतक ४.४४२ ब । लौकिक जैन-२ ३४४ अ । लौकिकता कर्ताकर्म २.२३ अ चेतना २.२१६ व.. . जैन
-
२ ३४४ अ ।
लौकिक मंगल निक्षेप २.६०१ अ ।
Page #223
--------------------------------------------------------------------------
________________
लौकिक मूढता
वक्षारगिरि
लौकिक मूढरा अमूढदृष्टि ११२२ व मूढता ३.३१५ वंशा (नरक) रूपणा वध ३१०० बंधस्थान ३.११३,
अ, सम्यग्दर्शन ४.३६१ व ।
लौकिकवाद एकात १४६५ अब, लोकोत्तर वाद ३४६२ व, श्रुतज्ञान ४.६० अ
लौकिक शरण-शरण ४५ अ । लौकिक शास्त्र लौकिक शुचिचि ४३८ अ
उदय १.३७६, उदयस्थान १३६२ ब उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान १.४१२. सत्व ४२८१ सत्त्वस्थान ४२६८, ३३०५ योगीभग १४०६ ब । सत ४१६६, संख्या ४.६५, क्षेत्र २११७. स्पर्शन ४४७९, काल २.१०१. अन्तर १८ भाव ३२२० अ अल्पबहुत्व १.१४४ ॥ बाल- ३४९६ अ विद्याधर नगरी ३.५४५ व ।
शास्त्र ४२८ अ ।
लौकिक संगति- सगति ४११८ अ । लौकिक सुख - सुख ४४३० ब ।
वंशालय - विद्या ३.५४४ अ विवावर १.३३१ अ, विद्या
,
व
वंचना -- माया ३ २६६ अ ।
वंदन - विनय ३५५२ अ-ब ।
२१७
वंदनमाला - मंगल ३.२४४ अ ।
वंदना - ३ ४६४ ब, उपयोग १.४३४ अ, कृतिकर्म २.१३४ अ, २.१३५ अ, पूजा २७६ व विनय ३.५४३ व ३५५२ अब उत्सर्ग ३.६२१ अ श्रुतज्ञान ४६९ ब, सयम (उपयोग ) १.४३४ अ सामायिक ४४१७
1
अ ।
वंदना मुद्रा - मुद्रा ३३१३ ब ।
वंदनीय विनय ३५५३ अ ।
बंग- मनुष्यलोक (बग) ३२७५ अ ।
[ व 22/2] - घनामुलकी वर्गशला का राति २ २१६ व ।
बंगा - ३४९४ अ, मनुष्यलोक (बंगा) ३२७५ ब ।
बंजन पटल-निर्देश ४५१६, विस्तार ४५१६, [ २४/०] - जगस्त्रतरकी वर्ग शलाका राज २ २१९ व ।
-
[2]
16/
व
अकन ४५१९ ब, देव आयु १२६६ ॥
वकुश - - साधु बकुश ) ४४०८ ब ।
वक्कज - वस्त्र ३५३१ अ ।
यद्य-विनय ३५५३ अ, ३५५४ अ ।
वंश - ३.४९६ अ इतिहास १.३१० अ वर्ण व्यवस्था
३.५२० व ।
वंशक - मगधदेश इतिहास १३१२ । वंशपत्र (योनि) पोनि २.२८७ अ वंशा ३४९६ अ नरक पृथिवी निर्देश २५७६ अ पटल २५७६, इद्रक श्रेणीबद्ध प्रकीर्णक २.५७८, २. ५७६, विस्तार २५७६, २.५७८ अंकन ३.४४१ । नारकी - अवगाहना ११७८ अवधिज्ञान ११६८, आयु १२६३ ।
घर नगरी ३५४६ अ ।
व - जघन्य वर्ग की सहनानी २२१६ अ ।
वसुभ्यंगुल तथा पनागुल की वर्ग शलाका २२१६ ब -जगश्रेणी की वर्गशलाका राशि
व +
व
१६+२ २.२१६ व ।
a, " प्रतरागुल की वर्ग शलाका राशि २.२१६४ । व0/- जनश्रेणी की वर्ग हलाका राशि २२१६ व
वक्वार आवास १२५० ब । वक्तृत्व केवलज्ञान (सर्वज्ञता २१५२ अ । वक्तव्य - ३४६६ अ, सप्तभागी ४३२६ व । वक्तव्यता - ३४१६ अ उपक्रम १४१५ ब श्रुतज्ञान ४६७ ब ।
वक्ता - ३ ४९६ अ, आगम १२३४ व उपदेश १४२४
व १.४२५ अ, जीव २३३३ व प्रामाणिकता (आगम ) १.२३४ व सामान्य ( इच्छा) ४४१३ अ । वत्रग्रीव ३४९७ अ कुन्दकुन्द २१२६ व २.१२७ ब मूलसघ १३२२ ब इतिहास १३३१ ब । वांत ३.४९७ अ । नरकपटल - निर्देश २.५७६ ब, विस्तार २.५७६ ब, अकन ३४४१ । नारकी.अवगाहना १.१७८, आयु १.२६३ । वक्षार-३.४९७ म । वक्षारगिरि – ३४६७ अ, चैत्य चैत्यालय २.३०३ अ विदेह क्षेत्र के पर्वत निर्देश ३४६० अ नामनिर्देश ३४७१ अ, विस्तार ३.४८३, ३.४८५, ३.४८६, अंकन ३४४४, ३४६४ के सामने चित्र ३४६० अ वर्ण ३.४७७, कूट तथा देव ३.४७२ व
Page #224
--------------------------------------------------------------------------
________________
वचन
वजनाराचसंहनन
वचन-३४६७ अ, अतिचार १४४ अ, आगम (प्रामाण्य) वचनातीत-अवक्तव्य १.१७७ अ, तत्व १२१६ अ, नय
१.२३४ ब, केवली २१६३ अ-ब, मन (योग) २५५४ ब, मोक्ष ३३३० अ, नय (अवक्तव्य) ३३८१ अ, मूर्तत्व ३३१७ अ, योग (मन) ३३८१ ११७७ अ, २५२२ ब, नय (वचनानीत) २५५४ विवेक ३५६७ अ, व्युत्सर्ग ३.६२० अ ।
सापेक्ष धर्म (अवक्तव्य) ४३२४ ब । वचन (अन्त)---असत्य १२०८ ब ।
वचनालाप-(रात्रि को) अपवादमार्ग ११२२ अ । वचन (अनालोच्य)-अनत्य १ २०८ ब ।
वज्र---३.४६८ ब, गणधर ३२१३ अ, तीर्थकर सुमति व वचन (अभतोद्भावन)--- असत्य १२०८ ब।
अभिनन्दन २ ३८७, विद्याधरवश १३३६ अ । वचन (असत्य-असत्य १२०८ अ॥
वज्र (कट)-कुडलवर पर्वत का-निर्देश ३४७५ ब, वचन (असूनत) असत्य १.२०६अ।
विस्तार ३ ४८७, अकन ३४६७ । मानुषोत्तर पर्वत वचन (ऋत)-असत्य १२०८ अ।
का-निर्देश ३४७५ अ, विस्तार ३४८६, अकन वचन (कर्म)---कर्म २२६ अ)
३४६४ । रुचकवर पर्वत का-निर्देश ३ ४७६ अ, वचनगुप्ति-अतिचार (गृप्ति) २२५० ब, अहिंसा
विस्तार ३४८७, अकन ३४६८ । सुमेरु के बनो मे १२१६ अ, गुप्ति २२४८ ब, २२४६ अ, २.२५०
स्थित-निर्देश ३ ४७३ ब, विस्तार ३४८३, अकन
३ ४५१ । सुमेरु के वन में सोम देव का पुर-निर्देश वचन-गोचरातीत -- मोक्ष ३.३३० अ।
३४५०, अंकन ३४५१ । वचन निविष ऋद्धि-ऋद्धि १४५५ ब ।
बज्र (स्वर्ग)-अनुदिश स्वर्ग का श्रेणीबद्ध निर्देश वचन-पथ - एकात ४४६५ अ, नय २५२४ अ।
४५१६ अ, अकन ४५१५, ४५१७, देव आयु वचन-परावर्तन - कृतिकर्म (आवर्त १२७९ अ ।
१२६६ । सौधर्म स्वर्ग का पटल -निर्देश ४ ५१७, वचन (परुष)-असत्य १२०८ अ ।
विस्तार ४५१७, अंकन ४५१६ ब, देव आयु वचन प्रत्याख्यान -प्रत्याख्यान ३.१३२ अ।
१२६७ । वचनप्रवृत्ति - मनोयोग ३.२७७ अ।
वज्रकठ-~वानरवश १ ३३८ ब । वचनप्राण-प्राण ३ १५३ अ, ३.१५४ ब ।
वज्रकांड-चक्रवर्ती ४१५ अ । वचनबल -३ ४६८ ब, ऋद्धि १४४७, १४५५ अ, वनखंडिक-३४९८ ब, मनुष्यलोक ३ २७५ ब । पर्याप्ति ३ ४४ अ, योग ३३८० अ ।
बज्रघोष-३४९८ ब । वचनवल ऋद्धि-ऋद्धि १४४७,१४५५ अ।
वज्रचमर-तीर्थकर अभिनदन तथा पद्मप्रभ २ ३८७ । वचनयोग-३४६८ अ, अपर्याप्त (योग) ३३८० अ, वज्रचूड-विद्याधरवश १३३६ अ।
काल २.६६ ब, कालावधि का अल्पबहुत्व १.१६०, वचजघ-३ ४६६ अ, विद्याधरवंश १३३६ अ। केवलज्ञान (सर्वज्ञत्व) २१५२ अ, दिव्यध्वनि २४३० वनजानु-विद्याधरवश १ ३३६ अ। ब, योग ३.३७६ अ-ब, ३.३८० अ-ब ।
वज्रतुडा-~चक्रवर्ती ४१५ अ । वचनयोग (प्ररूपणा)----बध ३ १०४, बधस्थान ३११३, वज्रदत-३ ४६६ अ, तीर्थकर वासुपूज्य २३७८ ।
उदय १२७६, उदयस्थान १.३६२ ब, उदीरणा वज्रदष्ट्र-यदुवंश १३३७, विद्याधर वश १३३६ अ। १.४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४.२८३, वनदत-तीर्थंकर श्रेयासनाथ २३७८ । ३३७६ अ, सत्त्वस्थान ४२६६, ४.३०५, त्रिसयोगी वज्रधर-तीर्थकर ३ ३६२ । भंग १४०६ ब । सत् ४२१३, सख्या ४.१०२, क्षेत्र वज्रधर्मा-यदुवंश १३३६ । २ २०२, स्पर्शन ४.४८५, काल २१०८, अन्तर वज्रध्वज-विद्याधरवंश १३३६ अ।
११२, भाव ३ २२० ब, अल्पबहुत्व ११४७ । वज्रनदि-३ ४६६ अ। प्रथम-नदिसघ १३२३ अ, वचनवदना-वदना ३४६४ ब।
इतिहास १३२६ अ । द्वितीय-द्रविडसघ १३२० ब, वचन विवेक -विवेक ३५६७ अ ।
मूलसंघ १३२२ ब, इतिहास १३२६ अ । वचनशुद्धि-भक्ति ३ १६६ अ, शुद्धि ४ ३६ अ, ४३४१ वजनाभि-३४६६ अ, तीर्थंकर ऋषभ,बिमल तथा वासु
पूज्य २.३७८, तीर्थकर अभिनंदन २३८७ । वचन (सत्यतिवेध) -असत्य १.२०८ ब ।
बननाराचसंहनन--४.१५५ अ-ब, नामकर्मप्रकृति प्ररूपणा
Page #225
--------------------------------------------------------------------------
________________
वज्रपंजरविधान
२१६
वत्सावती
-प्रकृति ३८८, २५८३, स्थिति ४.४६३, वज्रसंज्ञ-विद्याधरवश१३३६अ। अनुभाग १६५, प्रदेश ३१३६ । बध ३ ६७, बध वज्रसार-गणधर २२१३ अ, तीर्थंकर ऋषभनाथ स्थान ३११०, उदय १३७५, उदयस्थान १३६०, २३७८ । उदीरणा१४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व वज्रसेन-विद्याधरवश १३३६ अ । ४.२७८, सत्त्वस्थान ४३०३, विसयोगी भंग १४०४ वज्रांकुशा - ३४६६ ब, तीर्थकर सुमतिनाथ की यक्षिणी सक्रमण ४८५ अ, अल्पबहुत्व ११६८ अ ।
२३७६, विद्या ३५४४ अ । वज्रपजरविधान - इतिहास १३४३ ब ।
वज्राढ्य-३४६६ ब, विद्याधर नगरी ३५४५ अ । वज्रपाणि -विद्याधरवश १३३६ अ ।
वनाढ्यपुर-विद्याधर नगरी ३५४५ अ ।
वज्रा पृथिवी-सागरो की आधारभूत पृथिवी ३४४२ अ । वज्रपुर-३.४६६ अ, मनुष्यलोक ३ २७६ अ, विद्याधर
वज्राभ-विद्याधरवश १.३३६ अ । नगरी ३५४६ अ। वनप्रभ-३ ४६६ अ, वानरवंश १.३३८ ब ।
वज्रायुध--३४६६ ब, विद्याधरवश १३३६ अ। वज्रप्रभ (कट)-कुडलवर पर्वत का
वज्रार्गल-३४६६ ब, विद्याधर नगरी ३ ५४५ अ ।
कट-निर्देश ३.४७५ ब, विस्तार ३४८७, अकन ३४६७ ।
वज्रार्द्धतर-३.४६६ ब, विद्याधर नगरी ३ ५४६ अ।
वज्रास्य--विद्याधरवश १.३३६ अ। वज्रबाह -३४६६ ब, विद्याधरवंश १३३६ अ, हरिवंश
वट-तीर्थंकर ऋषभदेव २३८३। १३४० अ।
वट्टकेर-३.४६६ अ, कुन्दकुन्द २१२७ अ, इतिहास बज्रभूत-विद्याधरवंश १.३३६ अ ।
१३२८ ब। वज्रमध्य-राक्षसवश १३३८ अ ।
वढमाण वरिउ-३ ४६६ ब, इतिहास १३४४ अ, वज्रमध्य व्रत---३४६६ ब ।
१३४५ ब। वज्रमय-सुमेरु पर स्थित यभदेव का पूर-निर्देश
वणथली-३ ५०० अ । ३४५० अ, अकन ३ ४५१ ।
वणिककर्म-सावध ४.४२० ब । वज्रमयी-सुमेरु की परिधि ३४४६ अ-ब ।
वणिवर्ग दोष)-३५०० अ, वसतिका दोष ३५२९ ब । वज्रमूक-३४६६ ब ।।
वत्थि मोक्खो-ब्रह्मचर्य ३१८६अ। वज्रमूल-सुमेरु ४४३७ अ ।
वत्स-३ ५०० अ, मनुष्यलोक ३ २७५ ब, तीथंकर वज्रयश-१.परि०/३.४, इतिहास १३२८ ब ।
पद्मप्रभ २३७६ । वत्रर्षभनाराचसंहनन-४१५५ अ-ब, नामकर्म प्रकृति वत्समित्रा-३ ५०० अ, गजदत के कूट की देवी-निर्देश प्ररूपणा-प्रकृति ३.८८, २५८३, स्थिति ४४६३,
३.४७२ ब, अकन ३.४५७ । अनुभाग १६५, प्रदेश ३.१३६ । बध ३ ६७, बंधस्थान
वत्सराज-३.५०० अ, राष्ट्रकूट वश १.३१५ अ। ३.११०, उदय १.३७५, उदयस्थान १.३६०, उदी
वत्सवत-विदेहस्थ क्षेत्र-निर्देश ३.४६० अ, नामनिर्देश रणा १.४११ अ, उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व
३.४७० ब, विस्तार ३४७६, ३४८०, ३४८१, ४२७८, सस्वस्थान ४३०३, त्रिसयोगीभग १४०४।
अकन ३.४४४, ३.४६४ के सामने, चित्र ३.४६० संक्रमण ४८५ अ, अल्पबहुत्व १.१६६ अ।
अ। वक्षारगिरि का कूट तथा देवी-निर्देश ३.४७२ वज्रवर-३.४६६ब।
ब, विस्तार ३.४८२, ३.४८५, ३४८६, अकन वज्रवर सागर-द्वीप-३ ४६६ ब। निर्देश ३.४७० अ,
३.४४४, ३.४६० अ।। विस्तार ३.४७८, अकन ३.४४३, जल का रस
वत्सा-३.५०० अ, विदेहस्थ क्षेत्र-निर्देश ३.४६० अ, अ ज्योतिषचक्र २.३४८ ब, अधिपति देव । नामनिर्देश ३.४७० ब, विस्तार ३.४७६, ३.४८०,
३.४८१, अकन ३४४४, ३.४६४ के सामने, चित्र वज्रवा-इक्ष्वाकुवंश १.३३५ ब ।
३.४६० अ। वक्षारगिरि का कूट तथा देवी-निर्देश वज्रयान-३.४६६ ब, गंधर्व जातीय व्यंतरदेव २.२११
३.४७२ ब, गिस्तार ३.४८२, ३,४८५, अंकन अ, विद्याधरवश १.३३६ अ।
३,४४४, ३.४६० अ। बज्रशंखला-३.४६ ब, तीर्थकर अभिनदननाथ की वत्सावती-३.५०० अ, विदेहस्थ क्षेत्र-निर्देश ३.४६० यक्षिणी ३.३७६, विद्या ३.५४४ अ।
अ. नामनिर्देश ३४७० ब, विस्तार ३४७६, ३.४८०,
Page #226
--------------------------------------------------------------------------
________________
वदताव्याधात
३.४६१, अन ३४४४, ३४६४ के सामने, चित्र ३ ४६० अ । वक्षारगिरि का कूट तथा देवी -निर्देश ३४७२ ब विस्तार ३४८२, ३.४८५, अकन ३४४४ । वदतोव्याघात
२५०० अ ।
२२०
-
वदन- - ३५०० अ ।
बद्दिग - ३५०० अ ।
वद्धदेव (चूड़ामणि ) - मूलसघ १.३२२ ब ।
वध ३५०० अ अहिंसा व्रत का अतिचार १.२१६अ, वधकोपदेश १६३ ब ।
परिषह - ३५०० अ परिषद् ३३३ व १३४अ । वधू - स्त्री ४.४५० अ ।
घातक ३.५०० व विरोध ३.५७४ व संबंध ४.१२६ अ ।
वनक--- ३५०० ब । नरकपटल निर्देश २ ५७६ ब, विस्तार २.५७६ ब, अंकन ३.४४१ । नारकी - अवगाना ११७८, आयु १.२६३ ।
वनखड - जबू व शाल्मली वृक्षस्थल - निर्देश ३४५८ ब अकन ३.४५६। भूतारण्यक देवारण्यक - निर्देश ३४६० ब विस्तार ३.४५७, ३४८८, अकन ३४४४, ३४६२ । सुमेद के चार वन निर्देश ३४५० अ, विस्तार ३.४५८ । अकन ३३४४, ३४५७, ३४६४ के सामने । बनजीविका- सावध (खर कर्म) ४४२१ ब । वनभूमि चैत्य चैत्यालय २३०३ अ । वनमाल ३५०० व स्वर्गपटल - निर्देश
।
४५१७, विस्तार ४.५१७, अफन ४.५१५, देवआपु १२६७ ।
वनमाला - ३.५०० ब ।
वनवास - ३५०० ब ।
वनवास्या – ३. ५०० ब मनुष्यलोक ३२७६ अ । वनस्पति ( कार्य ) - ३५०० व ३५०२, अवगाहमा १-१७६, आयु १२६४, काय २.४४, २.४६ अ, जीव २३३३ व जीवसमास २.३४३, भक्ष्याभक्ष्य ३.२०३ ब ३.२०४ अ, सचित्त अवित्त ४१५८ अ, स्थावर ४४५२, ४४५४ व ।
वनस्पतिकाय प्ररूपणा वध ३.१०४, वधस्थान ३.११३, उदय १३७६, उदयस्थान १.३६२ ब, १.३१२ब, उदीरणा १.४११ अ उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व ४.२५२, सवस्थान ४.२९९, ४०३५, सियोगीभग १४०६ ब सत् ४ २०६, सख्या ४१०१ क्षेत्र २.२०१, स्पर्शन ४.४८२, - काल - २.१०६, अन्तर १.१२, भाव
।
३.२२० व अल्पबहुत्व ११४५ । वनीपक - २.५१० ब, आहारदोष १.२६१ अ ।
वपुः स्पर्श-- ध्युत्सर्ग दोष ३.६२२ अ ।
वत्र - ३.५१० ब ।
चमकावती - विदेहस्थ क्षेत्र निर्देश ३.४६० अ नामनिर्देश अकन ३.४७० ब, विस्तार ३४७६, ३४८०, ३४८१, अकन ३४४४, ३४६४ के सामने, चित्र, ३.४६० अ । वक्षारगिरि का कूट तथा देवी निर्देश २.४७२ ब । विस्तार ३.४६२३४८५ अकन ३.४४४ के सामने । प्रभु - हरिवंश १.३४० अ । वप्रवान् ३.५१० ब ।
वप्रा - चक्रवर्ती ४११ ब, तीर्थकर नमिनाथ २.३८० ॥ विदेहस्थ क्षेत्र निर्देश २.४६० अ - नामनिर्देश ३.४७० ब, विस्तार ३४७६, ३४८०, ३४८१, अंकन ३.४४४, ३४६४ के सामने, चित्र ३४६० अ । वक्षार गिरि का कूट व देवी -- निर्देश ३४८२ ब
विस्तार ३४८२, ३४८५, अकन ३४४४ के सामने | वप्रावत् विदेस्य क्षेत्र निर्देश २.४६०, नामनिर्देश ३.४७० ब विस्तार ३.४७६, ३.४८०, ३.४८१, अफन ३.४४४, ३.४६४ के सामने, चित्र ३.४६० अ । वक्षारगिरि का कूट तथा देव-निर्देश ३.४७२ ब विस्तार ३.४८२, ३.४८५, अकन ३.४४४ के सामने । वमन - आहारात राय १.२६ अ ।
वय - ३.५१० ब ।
वयोपेक्षा विवर्जन व्युत्सर्गं दोष ३.६२२ अ ।
वयोवृद्ध संगति ४.११९ अ ।
-
-
-
--
वरसेन
वरकुमार कुरुवश १.३३५ १.३३६ अ । वरचंद्र - भावि शलाकापुरुष ४२५ ब ।
घर ज्येष्ठ- यम लोकपाल का यान ४५१३ अ । वरतनु - ३.५११ अ ।
वरतनु (देव) - चक्रवर्ती ४.१५ व प्रतिनारायण ४२० अ बरतनु (द्वीप) -: 1- लवण तथा कालोदसागर का अन्तद्वीप - निर्देश ३.४६२ ब, ३.४६३ अ, विस्तार ३.४६२ ब ३.४६३ व ३.४७८, अकन ३.४४४ के सामने, ३.४६४ के सामने, सीता व सीतोदा नदी का तीर्थ ३.४६० ब ।
वरवत तीर्थंकर नेमिनाथ २.३०७ । वरधर्म - तीर्थंकर मल्लिनाथ २३७८ । वरदचि ३.५११ अ चक्रवर्ती ४.१० ब । वरवीर - ३.५११ अ ।
वरसेन अच्युत १.४१ अ, बलदेव ४.१७ अ ४.१८ अ
Page #227
--------------------------------------------------------------------------
________________
वरसेना
२२१
वर्तमान महावीर
ब।
वरसेना-तीर्थकर वासुपूज्य २३८८ ।
वर्गशलाका राशि-गगित २२२६अ। सहनानी २.२१६ वरांगकुमार-३.५११ अ ।
ब। वरांगचरिउ -- इतिहास १३४६ अ।
वर्ग-समीकरण-३५१६ अ। वरांगचरित्र-इतिहास १३४५ ब ।
वगित-गणित २ २२५ अ। वराटक-३.५११ ब, पूजा ३.७६ अ, निक्षेप २.५९८ब। गित सर्वागत-३.५१६ अ, अनन्त १.५६ अ, गणित वराटक कर्म-कर्म २२६ अ, निक्षेप २५६८ ब ।
२२२३ ब । वराह-३ ५११ अ, तीर्थंकर श्रेयासनाथ (गेंडा) २३७६, वर्चगत-रत्नप्रभा (चित्रा पृथिवी) ३.३६१ अ । विद्याधर नगरी ३.५४५ ब ।
वर्चस्क-३५१६ अ। नरकपटल-निर्देश २५८० अ,
विस्तार २५८० अ, अकन १४४१। नारकीवराहमिहिर-३ ५११ अ, श्वेताबर ४७८ ब ।
अवगाहना १.१७८, आयु १.२६३ । वरुण ३५११ ब, गणधर २२१३ अ, तीर्थंकर मल्लि
वर्ण-३.५१६ अ, ईर्यापथ कर्म १,३४१ अ, निक्षेप २.६०२ नाथ का यक्ष २.३७६, नक्षत्र २५०४ ब, मनुष्यलोक
ब, प्रव्रज्या ३.१४६ ब । ३२७५ ब । वारुणीवर द्वीप का रक्षक देव ३६१४ ।
वर्णचतुष्क १.३७४ व । वरुणकायिक--३.५११ ब, देव (आकाशोपपन्न) २.४४५
वर्णमातका-पदस्थ ध्यान ३६ब ।
वर्णलाभ क्रिया-संस्कार ४१५१ ब, ४.१५२ ब । वरणपर्वत-मनुष्यलोक ३२७५ ब ।
वर्णविभाग- वर्णव्यवस्था ३ ५२२ ब । वरुणपुर-जल २.३२४ ब ।
वर्णव्यवस्था -३५१९ ब, गोत्रकर्म निर्देश ३.५२०ब, वरुणप्रभ.-३.५११ ब, वारुणीवर द्वीप का रक्षक देव
वणव्यवस्था निर्देश ३ ५२३ अ, उच्च-नीच कुल ३.६१४।
३ ५३४, शूद्र ३ ५२५ ब। वरुण लोकपाल-वैमानिक देवों के निर्देश ३ ४६२ अ, बोनस अधिकार-माटा
शक्ति आदि ४५१३ अ, मध्यलोक में अवस्थान वयंसमा जाति-३५२५ ब । ३.६१३ ब,३६१४, सुमेरु पर्वत पर भवन ३.४५० वर्तना-३५२६ अ. काल २.८२ ब, २८३ अ, २.८५ अ-ब, स्वर्गलोक मे अवस्था ४५१३ अ, आयु १.२६६ ।
अ-ब। वरुना-तीर्थंकर चद्रप्रभ २३८८ ।
वर्तमान काल-३.५२६ अ, अल्पबहुत्व ११४२ ब, काल वर्ग-३५११ ब, उदय १.३६६ ब, गणित २.२२३ अ, (प्रमाण) २.८८ अ, नय २.५३६ अ । २२२४ अ, त्रिवर्ग २.४०० ब ।
वर्तमान ज्ञायक शरीर-अन्तर १.३ ब, निक्षेप २६०३ ब। वर्गण संवर्गण - गणित २.२२३ ब ।
वर्तमान प्राही नय-नय ३.५२२ अ। वर्गणा-३५११ब, उदय १३६६ ब, कर्म २.२७ अ-ब, वर्तमान नेगम-जय-जय २५३० अ-ब ।
कृष्टि (अनुभाग) २१४० ब, निर्वगेणा २.६२६ अ, बर्दल-३.५२६ अ, नरकपटल-निर्देश २.५८० अ, प्रदेश (समयप्रबद्ध) ३.१३५ ब, सख्या ४.६३ अ।
विस्तार २५८० अ, अकन ३४४१ 1 नारकी-अववर्गणा (प्ररूपणा)-सत् ३५१२ अ, सख्या ४११६ ब, गाहना १.१७८, आयु १२६३ ।
क्षेत्र २२०८, सर्शन ४४६४, भाव (वर्गणा के वर्द्धमान-३.५२६ अ, रुचकवर पर्वत का कूट -निर्देश स्वामियो का) ३२२३ । अल्पबहुत्व-वर्गणाबद्ध ३.४७६ ब, विस्तार ३.४८७, अंकन ३.४६६ । प्रदेशो का ११४२ अ,११५५, १.१७६, शरीरबद्ध वर्षमानकोति-नन्दिसंघ १.३२३ ब। वर्गणाओ का १.१५७, वर्गणा की अवगाहना का वढमानचरित्र-इतिहास १.३४५ ब, १.३४६ अ। ११५७, वर्गणा पचक के द्रव्य प्रमाण आदि का पर्वमानचारित्र-३.५२६ अ, असग १२०७ ब, इतिहास
, एकश्रेणी व नाना श्रेणी वर्गणाओ का १.३३० ब. १.३४३ अ। ११५५।
वर्धमान भट्टारक-इतिहास-प्रथम १.३३२ ब, १.३४५ वर्गणा शलाका-३५१८ ब ।
ब। द्वितीय १.३३३ ब। वर्गधारा-गणित २.२२६ अ ।
पर्वमान महावीर-अग्निमित्र १.३६ ब, इंद्रभूति १.२९६ वर्गमल-३.५१८ ब, गणित २.२२३ अ, २.२२४ अ।
ब, गणधर २ २१३ अ, तीयंकर प्ररूपणा २.३७६वर्ग::साका-३५१६ अ, गणित २ २२५ अ ।
३६१, मगधदेश इतिहास १.३१०, महावीर ३.२६१
Page #228
--------------------------------------------------------------------------
________________
वर्द्धमान यत्र
-२२२
अ, मूलसघ १.३१६, १ परि०/२१,२, ८ | वीरसंवत् १ परि०/१, श्रुती १.३१८ अ
वर्द्धमान यंत्र-यंत्र ३३५९ ।
वर्धक - ३५२६ अ, मनुष्यलोक ३२७६ अ । वर्धमानक चक्रवर्ती ४ १५ अ
।
वर्मा तीर्थंकर पार्श्वनाथ २३५० ।
मिला - तीर्थंकर पार्श्वनाथ २३८० ।
--
वर्ष ३५२६ अकाल का प्रमाण २.२१६ अ सूर्य की गति से उत्पत्ति २३५१ अ चातुर्वीपिक मत ३४३७
व बौद्धमत ३४३४, वैदिक अभिमत ३४३१ व ।
7
वर्ष दशक काल का प्रमाण २२१६ अ । वर्षधर - ३५२६ अ, प्रत्येक द्वीप मे लबायमान पर्वतनिर्देश ३४४६ व विस्तार ३४८२, ३४६५, ३४८६, अकन ३४४४, ३४६४ के सामने, वर्ण ३.४७७, गणना ३.४४५ अ, ३.४६२ ब, ३४६३ ब, इसके कूट तथा देवः ३.४७२ अ
वर्षलक्ष-काल का प्रमाण २.२१६ अ ।
वर्ष शतसहस्र - काल का प्रमाण २२१६ अ । वर्षा ऋतु - योग (कालस्थिति) ३३७५ व वर्षायोग - ३५२६ व कायक्लेश २.४७ व कृतिकर्म २.१३६ अ, योग ३३७५ ब ।
वलजुअ कच्छउड -- अडर १.२ अ ।
वलय --- ३५२६ ब, क्षेत्रफल परिधि, व्यास आदि २२३३ व चन्द्रसूर्य आदि के वलय २३४७ ।
1
बलाहक ३५२६ व विद्याधर नगरी २.५४५, ३.५४६
अ ।
क्लीक - ३.५२६ ब, अंतकृत केवली १२ ब । वल्कल - ३५२६ व एकातवादी १४६५व, अज्ञानवादी १.३८ ब ।
1
वल्गु - ३५२६ ब, गधा क्षेत्र का अपर नाम २.२११ अ, लोकपाल का यान ४५१३ अ । विदेहस्थ क्षेत्र -- निर्देश ३४६० अ नाम निर्देश ३.४७० व विस्तार ३.४७९-४८१, अकन ३४४४, ३४६४ के सामने, चित्र ३४६० अ वक्षारगिरि का कूट तथा देवनिर्देश ३४७२ व विस्तार ३.४८२, ३.४५५, ३.४५६, अकन ३४४४ । वल्गु (स्वर्ग) -- स्वर्गपटल -- निर्देश ४५१६, विस्तार ४५१६, विस्तार ४.५१६, अकन ४५१६ ब, देव आयु १२६६ । वल्गुप्रभ— कुबेर लोकपाल का यान ४५१३ अ वल्लभ - ३.५२६ ब वेदान्त ३६०१ अ ।
वल्लभगोविंद राष्ट्रकूट वंश १३१५ व ।
- ।
बल्लभा भवनवासी इन्द्रो की ३२०१ अ व्यन्तरेन्द्रो को ३.६११ वैमानिक इन्द्रो की ४५१२, ४.५४३ ब । वल्लभका - ३५२६ ब, भवनवासी इन्द्रो की ३.२०६ अ, व्यंतरेद्रो की ३६११ व वैमानिक इन्द्रो की ४५१२. ४ ५१३ ब ।
वरि छेदना २.३०६
२३०७ ४ ।
- ब,
वल्लभूमि ३५२६ व समवसरण ४३३० ब । वशवर्तिता - कारण ( कर्मोदय) २७१ ब । वशार्तमरण - मरण ३२८१ ब ।
वशित्व ऋद्धिद्धि १४४७, १.४५१ अ । वशिष्ठ ३.५२६ व एकाउ विनयवादी १४६५ व. वैनयिक ३.६०५ अ ।
वशीकरण-ध्यान २.४६७ अ मन्त्र ३.२४५ व वश्यकर्म - ३५२६ व ।
वश्ययत्र यत्र ३ ३६० ।
बसत - ३.५२६ ब, सुमेद ४४३७ अ । वसंतकोति नदिसघ १३२३ व ।
वसंतभद्र व्रत -- ३.५२६ ब ।
वसतिका ३५२६ व अतिचार १.४४ अ, अचालन्द चारित्र १.४६ अ, अधःकर्म ३४८ अ, उद्दिष्ट १४१३
----
वसुधर्मा
ब, सल्लेखना ४ ३६२ अ ।
वसा - ३५३० अ, औदारिक शरीर १४७२ अ । वसिष्ठ - द्वीपकुमारेद्र निर्देश ३२०८ अ
--
परिवार
३ २०६ अ, अवस्थान ३.२०६ ब, आयु १२६५ । वसुंधर- ३५३० अ, कुरुवंश १.३३५ ब, गणधर २.२१२ व चक्रवर्ती ४१० अ, ४१६ अ वसुधरा—३५३० अ । स्वकवर पर्वत की दिलकुमारी -- निर्देश २.४७६ अ अंकन ३४६८, ३४६९ वैमा निक इन्द्रो की ज्येष्ठा देवी ४५१३ ब, ४ ५१४ अ । वसु - ३.५३० अ, अज्ञानवादी १३७ अ १.३० व एकात अज्ञानवादी १४६५ ब, कुरुवंश १३३५ ब, नक्षत्र २. ५०४ ब लौकातिक देव ३४६३ ब हरिवश (असत्य के प्रभाव से नरक) १३४० अ । वसुका - वैमानिक इंद्रो की ज्येष्ठा देवी ४.५१३ ब । वसुकीर्ति कुरुवंश १.३३५ व १.३३६ अ वसुगिरि- हरिवंश १.३४० अ । वसुदर्शन नारायण ४.१८ ब
- ।
वसुदेव - ३५३० अ, गणधर ३२१२ ब, बलदेव ४१७
अ, ४१८ अ, यदुवंश १.३३७ ।
वसुधर्मा - वैमानिक इन्द्रो की ज्येष्ठा देवी ४.५१३ ब ।
4
Page #229
--------------------------------------------------------------------------
________________
वसुधर्मी
२२३
वाटग्राम
वसुधर्मी-यदुवश १३३७ ।
वाक् (वचन) ३ ४६७ अ । विशेष दे० वचन । वसुधा-३ ५३० अ।
वाक्छल-छल २३०५ ब, न्याय २६३४ अ । वसुधारक-चक्रवर्ती ४१५ म।
वाक्शद्धि-समिति ४३४० ब, शुद्धि (वचन) ४.३६ अ । वसुध्वजयदुवंश १३३७ ।
वाकुस-३ ५३१ अ। वसुनंदि-३ ५३० अ। प्रथम-नंदिसघ १३२३ अ,
वाक्य -३५३१ अ । इतिहास १ ३२६ अ । द्वितीय-देशीय गण १३२४
वाक्यप्रतिक्रमण-प्रतिक्रमण ३ ११६ ब । व, १ ३२५ अ, इतिहास १.३३० अ । तृतीय -इतिहास
वागर्थसग्रह-इतिहास १३४२ अ । १३३१ अ, १३४३ ब।
बागलि-तीर्थकर समाधिगप्ति २३७७ । वसुनंदि श्रावकाचार-३ ५३० ब, इतिहास १३४३ ब ।
वाग्भट्ट--३ ५३१ ब, इतिहास-प्रथम १३३१ अ, वसुपाल-३ ५३० ब।
१३४३ ब। द्वितीय १३३२ ब, १३४५ अ। वसुपूज्य-तीर्थकर वासुपूज्य २३८० ।
वाग्भट्ट संहिता-आगाधर १.२८१ अ, इतिहास १ ३४४ वसुबंधु-३५३० ब ।
अ। वसुभूति - नारायण ४१८ ब ।
वाधादेण-काल २ ६५ ब । वसुमती-३५३० ब, मनुष्यलोक ३२७५ ब, विद्याधर
वाङमय-आगम १२२७ । नगरी ३ ५४५ ब ।
वाचक---३ ५३१ ब । वसुमत्का-३ ५३० ब, विद्याधर नगरी ३.५४५ ब ।
वाचक-वाच्य सबंध-आगम १२३२ ब, १२३३ अ, नय वसुमान-यदुवश १३३७ ।
२५५० अ, सबध ४.१२६ अ । वसुमित्र-३ ५३० ब, गणधर २२१२ ब, शकवंश
वाचक शब्द-नय २ ५२८ ब, सप्तभंगी ४ ३२४ ब । १३१४। वसुमित्रा-मानिक इन्द्रो की ज्येष्ठा देवी ४५१३ ब,
वाचना-३५३१ ब, उपयोग १४२६ ब। ४५१४ अ, व्यतरेद्रो की वल्लभिका ३.६११ ब ।
वाचनिक-व्यत्सर्ग ३ ६२० ब । वसुरथ-कुरुवंश १३३५ ब ।
वाचनिक आस्रव -आस्रव १२८२ ब । वसुषेण--३ ५३० ब ।
वाचनिक व्युत्सर्ग--व्युत्सर्ग ३ ६२० ब । वस्तु-३ ५३० ब, अनेकात ११०८ ब, एकात (विवक्षा) वाचनोपगत-निक्षेप २६०२ अ ।
१४६२ ब, १४६३ अ, कारण (वस्तुस्वातंत्र्य) वाचस्पति-न्याय २ ६३४ अ । २६० अ, २७३ अ, द्रव्य २४५४ ब, नमस्कार वाचस्पति मिश्र-३ ५३१ ब, वेदात ३ ५६५ ब, योगदर्शन २५०६ ब, श्रुतज्ञान ४ ६४ ब ।
३३८४ अ, साख्यदर्शन ४.३९८ ब । वस्तुग्राही नय-नय २५१३ ब ।
वाचा उपकरण-विवेक-विवेक ३५६७ अ । वस्तुत्व-३ ५३० ब ।
वाचा मायाविवेक-विवेक ३.५६७ अ । वस्तुविद्या-३५३१ अ।
वाचा लोभविवेक-विवेक ३५६७ अ। वस्तुसमास- ३ ५३१ अ, श्रुतज्ञान ४ ६४ ब ।
वाचा वसतिसंस्तरविवेक-विवेक ३५६७ अ। वस्तून ग्रह २ २७४ अ।
वाचा वैयावत्यविवेक-विवेक ३५६७ अ । वस्त्र----३ ५३१, अचेलकत्व १.४० ब, श्वेताबर ४७६ब। वाचा शरीरविवेक-विवेक ३५६७ अ । वस्त्ररहित-चैत्य-चैत्यालय २३०२ ब ।
वाचिक - विनय ३ ५४८ ब । वस्त्रांग (कल्पवक्ष)-३ ५३१ अ, वृक्ष ३५७८ अ । वाचिक आस्रव-आस्रव १२८२ ब । वस्वीक-३ ५३१ अ, विद्याधर नगरी ३ ५४५ ब । वाचिक विनय-विनय ३५४६ ब। वह्नि-३५१०, लौकातिक ३ ४६३ ब। अग्नि के अर्थ में । देखिए अग्नि ।
वाच्य-अनेकात (सापेक्ष धर्म, ११ ६ अ, नय २५२८ वहिजरी - विद्याधर वंश १३३६ अ । वह्नितेज-विद्याधर वंश १.३३९ अ।
वाच्य-वाचक भाव-आगम १२३२ ब, १.२३३ अ, नय वांछा-परिग्रह ३२७ ब, सज्ञा ४ १२० ब ।
२५५० अ, संबंध ४.१२६ अ । वाइम--३ ५३१ अ, निक्षेप २६०२ अ ।
वाटग्नाम-३ ५३१ ब ।
Page #230
--------------------------------------------------------------------------
________________
वाटवान्
२२४
वायुकायिक वाटवान्-३.५३१ ब, मनुष्यलोक ३ २७५ अ। वादिदेव सूरि-३ ५३४ अ, इतिहास १.३३८ ब, १.३५१ वाण-३.५३१ ब, गणित २२३३ अ, मनुष्यलोक ३२७५ ब, १.३५२ अ । ब।
वादिभूषण-नंदिसघ १.३२४ अ, इतिहास १३३३ ब। वाणप्रस्थ -(दे. वानप्रस्थ)।
वादिराज-३.५३४ अ। प्रथम-मूलसघ १३२२ ब... वाणिज्य-३.५३१ ब, सावध ४४२० ब ।
इतिहास १.३२८ ब, १३४० ब । द्वितीय-द्राविडसंघ वाणिज्य कर्माय - आर्य १२७५ अ।
१३२० ब, इतिहास १.३३१ अ, १३४३ अ-ब । स्तोत्र वाणी-३५३१ ब, आगम १२२७ ब, ओम् १.४६६ ब ।
४.४४६ ब। वात-औदारिक शरीर १४७१ब, वातवलय ३.५३२ । वादिराज सूार-द्रविडसघ १३२० अ । वातकायिक-दे० वायुकायिक ।
वादीद्र मुनि - आशाधर १.२८०ब।
वादी-तीर्थकरवश २३८७ । वातकुमार-३.५३१ ब, भवनवासी देव-निर्देश ३२०८ अ, ३.२१० ब, अवगाहना १.१८०, अवधिज्ञान वादोभासह (अजितसेन)-३५३४ ब, इतिहास
ब, १.३४४ अ। ११६८, आयु १२६५। इन्द्र--निर्देश ३ २०८ अ,
वादीसिंह (ओडय देव)- मूलसघ १३२२ ब, इतिहास शक्ति आदि ३ २०८ ब। अवस्थान ३२०६ब,
१३२६ ब, १३४१ ब । ३४७१, ३ ६१२-६१४ ।।
वाबलि --अक्रियावाद १३२ अ । वातकुमार देव-प्ररूपणा-बंध ३१०२, बधस्थान
वानप्रस्थ-३ ५३४ ब, आश्रम १२८१ अ, क्षुल्लक ३११३, उदय १३७८, उदयस्थान १३६२ ब, उदी- २१६० अ। रणा १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व वानप्रस्थ आश्रम-वर्णव्यवस्था ३.५२४ ब। ४२८२, सत्त्वस्थान ४२६८, ४३०५, त्रिसयोगीभग वानरद्वीप-वानरवश १३३८ ब। १४०६ ब। सत् ४.१८८, संख्या ४६७, क्षेत्र वानरवश-इतिहास १३३८ ब । २१६६, स्पर्शन ४.४८१, काल २१०४, अतर ११०, वानायुज -३ ५३४ ब, मनुष्यलोक ३ २७५ ब । भाव ३२२० अ, अल्पबहुत्व ११४५ ।
वापी-जम्ब-शाल्मली वृक्षस्थलो मे-निर्देश ३४५८ ब. वातपृष्ठ-मनुष्यलोक ३२७५ ब ।
विस्तार ३४६०, ३४६१ । नदीश्वर द्वीप मे-निर्देश वातवलय-३५३२ अ, लोक ४.४४० अ, चित्र ३४३९ । ३४६३ ब, नामनिर्देश ३४७५ अ, विस्तार ३,४६१,
अकन ३४६५। वातव्यतर-लेश्या ३४२५ ब ।
वामदेव-३५३४ ब, यदुवंश १.३३७ । वात्सल्य-३.५३२ अ, उपकार १४१५ ब, निश्चय वात्सल्य
वामदेव पंडित-इतिहास २.३३१ ब, १.३४५ अ। ३.५३२ ब, सम्यग्दर्शन ४.३५१ अ,४३५८ ब।
वामन-लोकपाल ३४६१ब। वात्सायन-३ ५३३ अ, न्यायदर्शन २.६३४ अ ।
वामन मुनि-इतिहास १.३३३ अ, १३४४ ब । वाद-३ ५३३ अ, एकात १४६५ अ, कथा २२ अ,
वामनसस्थान-जामकर्म-प्रकृति---४ १५४ ब, प्ररूपणा--- न्याय २६३३ अ-ब, स्याद्वाद ४४६७ ब ।
प्रकृति ३.८८, २५८३, स्थिति ४४६३, अनुभाग बाद (नरकपटल)-निर्देश २५८० ब, विस्तार २.५७६
१६५, प्रदेश ३१३६ । बंध ३६७, बधस्थान ३.११० ब, अकन ३४४१ । नारकी--अवगाहना ११७८,
उदय १.३७५, उदयस्थान १.३६०, उदीरणा १.४११ आयु १.२६३ ।
अ, उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान वाद-न्याय-३ ५३४ अ, इतिहास १.३४१ ब ।
४.३.३ । त्रिसंयोगी भंग १.४०४। संक्रमण ४.८५ वाद-महार्णव-३ ५३४ अ, अभयदेव ११२७ अ, इतिहास
अ, अल्पबहुत्व ११६६अ। १३३० अ,१३४२ अ।
वामा-३५३४ ब । वाद-विवाद-अस्तेय १२१४ अ, वाद ३.५३३ व।
वायव्य-३.५३४ ब। वादाभास--वाद ३ ५३३ ब ।
वाय-३५३४ ब, अहंतातिशय १.१३७ ब। वादिचत्र-३ ५३४ अ, नंदिसघ १३२४ अ, इतिहास
वायकायिक-३.५३४ ब, आयु १.२६४, काय २.४४१, १.३३३ ब, १.३४७ अ।
जीव २.३३३ ब, जीवसमास २३४३, वनस्पति वादिचतुर्मुख नदिसघ १.३२५ ।
३५०६ अ, लोक में अवस्थान ३५३५ अ । वक्रियिक वावित्व ऋद्धि-ऋद्धि १४४८ ।
३.६०२ ब, स्थावर ४.४५३, ४.४५४ ब ।
Page #231
--------------------------------------------------------------------------
________________
वायुकायिक
२२५
विकलादेश
मा
वायुकायिक-प्ररूपणा-बध ३१०४, बधस्थान ३११३, वैनयिक ३.६०५ अ, साख्यदर्शन ४.३६८ब।
उदर १.३७६, उदय की विशे-ना १३७३ अ, उदय वाविल--३ ५३६ अ। नरकपटल-निर्देश २.५७६ ब, स्थान १ ३६२ ब, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान विस्तार २.५७६ ब, अकन ३४४१ । नारको-अव१४१२, सत्त्व ४२८२, सत्त्वस्थान ४.२६६, ४३०५, गाहना ११७८, आयु १२६३ । त्रिसंयोगी भग १.४०६ ब । सत् ४२०७, सख्या वासना-३५३६ अ, सुख ४४३० अ। ४१०१, क्षेत्र २.२०१, स्पर्शन ४४८४, काल २१०६, वासनाकाल-अनन्तानुबधी १६१ ब, काल २८१ अ,
अन्तर ११२, भाव ३२२० ब, अलबहुत्व ११४५ । अप्रत्याख्यानावरण ११२६ ब, प्रत्याख्यानावरण वायुकुमार देव-दे० वातकुमार ।
३१३३ ब, संज्वलन ४१२५ अ। वायुचारण ऋद्धि-ऋद्धि १४४७, १४५२ ब ।
वासवंत-मनुष्यलोक ३२७५ ब । वायुधारणा-प्राणायाम ३१५५ ब ।
वासव-३ ५३६ अ, कुरुवश १३३५ ब, गधर्व २२११ वायुनिरोध-प्राणायाम ३१५५ ब ।
अ, विद्याधरवंश १३३६ अ, हरिवश १३४० अ। वायुभूति-३ ५३५ ब, गणधर २२१३ अ।
वासवकेतु-हरिवश १ ३४० अ । वायुमंडल-वायु ३.५३४ ब । बौद्धाभिमत ३ ४३४ अ।। वासुकि-३ ५३६ अ, कुरुवश १३३५ ब, १३३६ अ, वायुरथ---३.५३५ ब ।
यदुवश १३३७ । कुडलवर पर्वत के कूट का देववायुवेग-यदुवश १ ३३७।
निर्देश ३ ४७५ ब, अकन ३४६७ । वायुशर्मा-गणधर २२१२ ब ।
वासुदेव -३ ५३६ अ, तीर्थकर कृष्ण २.३७७, प्रतिनारायण वाराणसी-तीर्थंकर सुपार्श्व तथा पार्श्वनाथ २३७६ ।
४२० व। वारिणी-३.५३५ ब, विद्याधरनगरी धारिणी ३५४६ अ। वासुदेव सार्वभौम-३५३६ अ। वारिषण-३.५३५ ब, अनुत्तरोपपादक दशागी १७. वासुपूज्य -३.५३६ अ, तीर्थकर प्ररूपणा २३७६-३६१। ब।
वाह-तौल का प्रमाण २.२१५ अ। वारिषेणा -गजदत के कट की देवी ३.४७३ अ, ३६१४।
वाहिनी-३.५३६ अ, सेना ४.४४४ अ। वारुणी-३ ५३५ ब, ३.५३६ अ, रुवकवर पर्वत की।
वालिक-यदुवश १.३३७ । दिक्कुमारी-निर्देश ३४७६ अ, अंकन ३४६८,
वालीक--३.५३६ अ, मनुष्यलोक ३ २७५ अ। । ३४६६ । विद्याधर नगरी ३.५४५ ब ।
विदफल-३५३६ अ। वारुणी धारणावारुणो ३.५३५ ब ।
विदुसार हरिवश १.३४० अ। वारुणीवर-३५३६ अ, चतुर्थ सागर द्वीप-निर्देश
विष्य पर्वत-३.५३६ ब । ३४७० अ, विस्तार ३४७८, अकन ३४४३, जल
विष्यवर्मा-३.५३६ ब, आशाधर १२८० ब, भोजवश का रस ३ ४७० अ, ज्योतिषचक्र २.३४८ ब, अधि
१.३१० अ। पति देव ३.६१४।
विध्यव्यासी-३.५३६ ब, साख्यदर्शन ४.३६८ ब ।
विध्यशक्ति-३५३६ ब, प्रतिनारायण ४.२० ब । वार्भमूल---विद्याधरवश १.३३६ अ।
विध्याचल -३५३६ ब, मनुष्यलोक ३.२७५ ब । वाक्षमूलिक-विद्याधरवश १.३३६ अ।
विशति-आयुबधस्थान १२५६ अ, प्ररूपणा ३१४७ अ, वार्ता-३.५३६ अ।
मार्गणा (२० प्ररूपणा) ३.२६८ अ । वातिक-३५३६ अ । अनुयोगद्वार ११०२ अ।
वि--विकलेद्रिय की सहनानी २२१६ अ । वातिकाकर्म-अनुयोगद्वार १.१०२ अ।
विकद-ग्रह २ २७४ अ, बलदेव ४.१८ अ। वाई दल-नरकपटल-निर्देश २५८० अ, विस्तार २.५० :
विकथा-कथा २.२ अ, २.३ अ-ब, समिति ४३४० ब, अ. अकन ३.४४१ । नारकी-अवगाहना ११७८, साधु ४.४०५ब। आयु १.२६३ ।
विकल-३.५३६ ब। वार्षगण्य-३.५३६ अ, साख्यदर्शन ४.३९८ ब।
विकलचारित्र-सयम ४.१३७ अ। वार्षिक प्रतिक्रमण-कृतिकर्म २.१३६ ब, प्रतिक्रमण
विकलन-३.५३६ ब। ३.११६ अ, व्युत्सर्ग ३.६२१ ।
विकलप्रत्यक्ष-प्रत्यक्ष ३.१२३ अ। वाल्मीकि-३.५३६ अ, एकांत विनयवादी १.४६५ ब, विकलादेश-३.५३६ ब, सकलादेश ४.१५६ ब, सप्तभंगी
Page #232
--------------------------------------------------------------------------
________________
विकलादेशी
४३१५ ब, ४३१६ अ ।
विकलादेशी- नय २५१७ अ । विकलेंद्रिय -- ३५३७ अ सहनानी २.२१९ब निर्देश २.३६७, अवगाहना १.१७६ आयु १.२६३, १२६४, जन्म २३१५ अ, जीवसमास २.३४३, स २३१८, वेद ३५०७ अ क्लेश विशुद्धि स्थानो का अल्पबहुत्व
११६०, सज्ञी ४१२२ ब सस्थान १.३७४ अ । विकलेद्रिय (प्ररूपणा ) बध ३.१०३, बधस्थान ३११३, उदय १३७८, उदयस्थान १३९२ ब उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व ४.२८२, सस्वस्थान ४२९९, ४३०५, त्रिसयोगी भग १.४०६ ब। सत् ४ १६५, सख्या ४.९९, क्षेत्र २.२००, स्पर्शन ४४८३, काल २१०६ अंतर १११ भाव ३.२२० ब. अल्पबहुत्व ११४५ ।
विकल्प - ३५३७ अ, आकार १.२१८ ब, २ १५५ अ, धर्मध्यान २.४८५ ब, नय २. ५१६, पर्याय ३.४५ ब, मनोयोग सल्लेखना ४३८२ व विकल्पनयनय २५२३ अ ।
विकल्प समा२.५३९ अ विकस - ग्रह २२७४ अ ।
विकार - ३५३६ अ, कषाय २.३६ ब, काम के दश विकार २.४२ ब विनय ३५३९ अ पर्याय ३.४५ ब ।
विकार्य कर्मकर्ता-कर्म २ १७ अ
विकाल ग्रह २२७४ अ
विकृत गति गति २२३५ ।
विकृतवान् - ३.५३९ ब । हरिक्षेत्र का नाभिगिरि - निर्देश ३४५२ व नामनिर्देश ३४७१ अ विस्तार ३४८३, ३४८५, ३.४८६, अकन ३.४४४, ३४६४ के सामने, चित्र २.४५२ ब, वर्ण ३४७७ ॥
विकृति - ३५३६ ब, निविकृति २६२६ ब ।
विक्रम - ३५३६ ब ।
-
----
केवलज्ञान २५१४ अ, ३ २७७ ब
-
१५२ अ मविज्ञान
साख्य
विज्ञानभिक्षु३५३६ व योगदर्शन ३३८४ अ साठ दर्शन ४३१८ व ।
विज्ञानवाद - ३५३६ ब, बौद्धदर्शन ३१८७ अ । विज्ञान इस अद्वैतवाद १४७ व बौद्धदर्शन ३१५७ अ । विज्ञानामृतभाष्य सारूपदर्शन ४ ३६८ व । विग्रह ३५४० अ ।
विग्रहगति - ३.५४० अ, उपपाद १.४२७ ब, अवगाहना
११७८ अ आनुपूर्वी १२४७ अन्य कार्मणकाययोग २७६ ब, जीवप्रदेश २३३६ ब, निगोद वनस्पति ३५०५ अ जन्म २३१२ व पर्याय ३.४३ अ वनस्पति ( निगोद) ३.५०५ अ भुजगार बध (स्थिति) ४४५९ व मरण ३२०६ व विग्रहगति ३.५४१ अ वेद ३५८७ ब, संस्थान (आनुपूर्वी ) १२४७ अ, स्थिति ( बघ ) ४.४५६ ब ।
विघट - राक्षसवश १.३३८ अ ।
विघ्न ३५४१ व अर्हतातिशय] १.१३७ ब । विचय - ३.५४१ ब ।
विचार-३ ५४१ व नव २५२० ब । विचारस्थान स्थिति ४ ४५७ व
J
विचारणा - ऊहा १.४४५. व विषय ३५४१ व विचिकित्सा - निविचिकित्सा ३.६२७ अ । विचित्र - ३५४२ अ, कुरुवश १३३५ ब, यमगिरि का रक्षक देव ३४५३ अ ।
विक्रमप्रबध टीका - ३ ५३६ ब ।
विचित्रकूट
विक्रम संवत् इतिहास १३०९ अ
।
विक्रमादित्य - ३.५३२ व गुप्तवंश १३१५, मौवंश विचित्रकूट - ३५४२ अ यमकगिरि-निर्देश ३४५३ अ
१३१३ । विक्रांत ३५३६ व नरकपटल -निर्देश २५७१ व विस्तार २५७ व अंकन ३४४१ । नारकी गाहना ११७८, आयु १२६३ ।
नामनिर्देश ३४७१ अ, विस्तार ३.४५३, ३.४८५, ३४५६, अकन ३४४४, ३४५७, ३.४६४ के सामने, चित्र ३४५३ अ, वर्ण ३४७७ । विद्याधर नगरी ३ ५४५ अ ।
विचित्रगुप्त - चक्रवर्ती ४.१० ब ।
विक्रांतकौरव इतिहास १.३४४ अ । विक्रिया ३५३९ व देवगति २.४४६ व नरक गति विचित्रवाहन भावि शलाकापुरुष ४.२५ अ । - ।
-
- अव
२२६
-
२५७४ अ, वैक्रियिक ३६०२ अ ।
विक्रिया ऋदि
विशुद्धि सयम ३३७ अ ।
विक्रिया ऋद्विपारी तीर्थंकर सघ २३८६ । विक्षेप - ३५३६ ब ध्यान २४६५ अ । विशेषिणी कया— उपदेश १.४२५ अ १४२६ अ २२ ब, श्रोता ४.७५ ब । विगलि तीर्थकर स्वयंभू २३७७ । विज्ञप्ति - ३५३६ ब । विज्ञान - ३.५३६ ब, ३.२५५ व ।
----
विचित्रवाहन
१.४४७, १४५०, परिहार
अध्यवसान
कथा
Page #233
--------------------------------------------------------------------------
________________
विचित्रवीर्य
विचित्रवीर्य कुरुवंश १३३५ ब । विजयमित्र विचित्रा ३५४२ अ सुमेरु के वनों की दिक्ककुमारी विजयवंश ३.५४२ ब । ३.४७३ ब ।
विचित्राrयाकीर्ण - ३.५४२ अ, सुमेरु ४.४३७ अ । विच्छेद – आगम १.२२६ ब । वि०छे० छे० -- घनलोक के अर्द्धच्छेद की सहनानी २.२१६
-
ब ।
विजय -- ३.५४२ अ, अच्युत १४१, कुरुवंश १३३६ अ, ग्रह २ २७४ अ चक्रवर्ती का तथा उसके पिता का नाम ४१० अ, ४११ व तीर्थकर नमिनाथ के पिता तथा धोता का नाम २.३५०, २३६१, तीर्थकर श्रेयास के समय बलदेव २३६१, तीर्थकर सुपार्श्वनाथ का यक्ष २३७६, तीर्थकर भाविकालीन २३७७, बलदेव का नाम ४.१६ अ यदुवश १३३७, विद्याधर वंश १३३८ अ, विद्याधर नगरी ३५४५ अ श्रुतकेवली (मूलसघ) १३१६, १.३२ अ विजय कवि - - इतिहास १ ३४६ अ । विजयकीर्ति - ३.५४२ अ १ ३३३ अ । विजय कूटगजदतो के कूट निर्देश ३४७३ अ विस्तार २.४८३, अकन ३४४४, ३.४५६ । निषध पर्वत का कूट - निर्देश ३४७२ अ विस्तार ३.४६३ अकन ३४४४ । रुचकवर पर्वत का कूट - निर्देश ३ ४७६ अ, विस्तार ३.४०७, अकन ३.४६८ । विजय गिरि- चक्रवर्ती ४१३ अ ४१५ व । विजयगुप्त गणधर २२१२ ब ।
नदिसघ १३२४ अ, इतिहास
,
विजयचंद्र काष्ठास १.३२७ अ ।
विजयचरी विद्याधर नगरी ३५४५ अ । विजयदेव - विजयद्वार का रक्षक देव ३६१५ अ, इसका नगर ३६१२ ब, आयु बध के योग्य परिणाम १२५६
-
ब ।
विजयद्वार – जम्बूद्वीप की जगती का पूर्वद्वार - निर्देश ३.४४४ व विस्तार ३४५४, अकन ३ ४४४ । विजयनदि- देशीय गण १.३२५ इतिहास १३३१ म विजयनगर-३५४२ व विद्याधर नगरी ३ ५४६ अ विजयपुर - प्रतिनारायण ४.२० व बलदेव ४१६ ब
विद्याधर नगरी ३५४६ अ
विजयपुरी - ३५४२ व विदेह नगरी निर्देश ३४६०
अ, नामनिर्देश ३४७० व विस्तार ३४७१-४८१, अंकन ३.४४४, ३.४६४ के सामने, चित्र ३ ४६० अ । विजय महाराज कुरुवंश १.३३५ व
२२७
विजयार्ध गिरि
गणधर २२१२ ब । - ।
1
विजय वर्णी इतिहास १.३३२ व १.३४५ अ विजयवर्मा - ३.५४२ व भोजवंश १३१० अ । विजयवान् विदेह वक्षार - निर्देश ३.४६० अ, नामनिर्देश ३.४७१ अ विस्तार ३.४५२, ३४५५ ३. ४८६, अंकन ३४४४, ३४६० अ, ३४६४ के सामने (चित्र स० ३७ ), वर्ग ३४७७ | इस वक्षार का कूट- निर्देश ३.४७२ व विस्तार ३४५२, ३४८५, ३.४८६, अकन ३४४४ हरिक्षेत्र का नाभिमिरि-निर्देश ३४५२ व नामनिर्देश ३४७१ अ विस्तार ३.४८३, ३४८५, ३.४८६, अकन ३ ४४४, ३४६४ के सामने (चित्र स० ३७) चित्र ३४५२ व वर्ण ३ ४७७ ॥
विजय विमान ३.५४२ अ अनुत्तर स्वर्ग का विमान - निर्देश ४५१९ अ अफन ४.५१५, ४५१७, देव ४५१० व चक्रवर्ती ४१० व विजयसागर - इक्ष्वाकुवंश १.३३५ अ । विजयसिंह - इतिहास १३३३ अ । विजयसेन ३५४२ ब ल १३१६ नागसेन के गुरु -- इतिहास १३३० अ । का ठासघ १३२७ अ, इतिहास १३२५ अ ।
विजयसेना तीर्थंकर अजितनाथ २३५० व १३५७। विजया - ३५४२ ब, तीर्थंकर मल्लिनाथ की यक्षिणी
२. ३७१, ती बैंकर वासुपूज्य का माता २३८० तीर्थंकर देवयश, बाहू तथा विशालभद्र की माता २३६२ । बलदेव की माता ४१७ व नन्दीश्वर द्वीप की बारी - निर्देश ३४६३ अ, नामनिर्देश ३४७५ अ, विस्तार ३४१, अंकन ३४६५ रुचकवर पर्वत की दिक्कुमारी - निर्देश ३४७६ अ, अंकन ३४६८, ३४६९ | विदेह नगरी निर्देश ३४६० अ, नामनिर्देश ३४७० व विस्तार ३४७१-४८१. अकन ३४४४, ३४६० अ २.४६२ विद्याधर नगरी ३.५४५ अ
1
विजयाचार्य - ३ ५४२ ब, अपराजित १- ११६ अ । विजयार्थ-२५४२ व प्रतिनारायण ४२० अ वानरवण १ ३३८ ब ।
-
विजयार्ध कुमार —— विजयार्ध का कूट तथा देव-निर्देश ३.४७१ व विस्तार ३४८२, अन ३ ४४४ । विजयार्थ गिरि-निर्देश ३४४८ अ, ३४६० अ विस्तार ३.४८२, ३.४८५, अकन ३.४४४, ३४४७, ३४६४
Page #234
--------------------------------------------------------------------------
________________
विजयाश्रिता
२२८
विद्युत्कुमार (देव प्ररूपणा)
के सामने (चित्र स० ३७), चित्र ३.४४८ अ, वर्ण तप २३६० । ३.४७७, गणना ३४४५ अ।
विद्या-३ ५४३ ब, मंत्र ३.२४५ ब, विद्याधर वंश विजयाश्रिता-जाति २.३२६ ब ।
१.३३६ अ। विजयिल-गणधर २.२१२ ब ।
विद्या (दोष)- आहार १२६१ व, वसतिका ३ ५२६ । विजयोदया टोका-३.५४२ ब, इतिहास १.३४१ ब । विद्या कार्य -आर्य १ २७५ अ सापद्य ४ ४२१ अ।। विजस्का-३ ५४२ ब ।
विद्याधर -३५४४ व, चकार्की ४१५ ब, चिह्न १३३६ विजाति---३.५४२ ब । उपचार १.४१६ ब ।
ब, जातियाँ १ ३३६ अ। प्रतिनाराय ग ४२० अ, विजिगीषु कथा-३ ५४२ ब, कथा २.२ अ ।
वश १३३८ ब, सत प्ररूपणा ४१८४ ब । विजिष्णु-३ ५४२ ब, ग्रह २२७४ अ।
विद्याधर जिन-जिन २.३२६ अ। विडऔषधि ऋद्धि- ऋद्धि १.४४७,१४५५ ब ।
विद्याधरलोक -निर्देश ३५४४ ब, कालविभाग २६२ अ, वितंडा--३ ५४२ ब, न्याय २६३३ अ-ब, वाद ३ ५३३ ब ।
२६३, नगरियाँ ३५४५ अ, नगरियो की गणना विनत - ३.५४३ अ, शब्द ४३ अ।
३ ४४५ अ, अमन ३४४८ । धातकीखड मे वितथ-३.५४३ अ।
३४६२ ३, पुष्करार्ध द्वीप मे ३ ४६३ ब । वितर्क-३.५४३ अ, ऊहा १४४६ अ।
विद्याधरवंश -- इतिहास १३३८ ब । वितस्ता-३ ५४३ अ।
विद्यानद - इतिहास १३२६ ब, १.३४१ ब । वितस्ति - ३.५४३ अ, क्षेत्र का प्रमाण २.२१५ अ. २२१७ विद्यानंद महोदय-३.५४६ अ, इतिहास १.३४१ ब । अ।
विद्यानदि-३.५४६ अ। प्रथम - देखिए विद्यानद । वित्तसार-इतिहास १.३४५ ब ।
द्वितीय-नदिसघ १.३२३ ब, १३२४ अ, इतिहास विदर्भ--३.५४३ अ, तीर्थकर सुविधि २३८७ अ।
१.३३३ अ, १३४५ अ । तृतीय-इतिहास १३३३ विदर्भपुर-३५४३ अ।
ब, १३४६ अ । चतुर्थ-इतिहास १३३३ ब । विदल-भक्ष्याभक्ष्य ३ २०३ ब ।
विद्यानिकाय–विद्याधरवश १३३६अ। विदारण क्रिया--क्रिया २१७४ ब।
विद्यानुवाद (पूर्व)-३.५४६ ब, रुद्र ४ २२ व, श्रुतज्ञान विदिशा-३५४३ अ, दिशा २.४३३ ब ।
४६६अ। विदुर-३.५४३ अ, कुरुवश १ ३३६ अ ।
विद्याप्रदान - अपवादमार्ग १.१२२ अ। विदरथ-यदुवश १३३७ ।
विद्याभूषण भट्टारक-नदिसघ १.३२४ अ। विदेह ३५४३ अ, मनुष्यलोक ३.२७५ ब, ३.२७६ अ। विद्यारण्य -वेदात ३.५१५ ब । विदेहकूट-गजदतो के कूट-निर्देश ३४७२ ब, ३ ४७३ विद्याश्रमण-श्रुतकेवली ४.५५ अ ।
अ, विस्तार ३.४८३, अकन ३.४४४, ३ ४५७ । नील विद्युच्चर-३.५४६ ब । पर्वत का कूट तथा देव-निर्देश ३.४७२ अ, विस्तार विद्यज्जिह -३.५४६ ब, ग्रह २.२७४ अ । ३४८३, अकन ३.४४४ ।
विद्युत ---देवकुरु का द्रह-निर्देश ३.४५६ अ, नामनिर्देश विदेहक्षेत्र-३.५४३ अ, कुदकुद २.११७ ब, विदेह ३ ५४३ ३.४७४ अ, विस्तार ३४६०, ३.४६१, अंकन ३४४४,
ब, निर्देश ३.४४६ अ, विस्तार ३ ४७६-४८१, अकन ३४५७, ३ ४६४ के सामने । ३४४४, ३ ४६४ के सामने (चित्र स. ३७), बत्तीस विद्युत्करण -- ३.५४६ ब । विदेह नामनिर्देश ३.४७० ब । जैनाभिमत ३ ४३१ बा, विद्युत्कुमार-३ ५४६ ब । भवनवासी देव-निर्देश ३.२१० समवसरण ४.३३१ ब ।।
अ, अवगाहना ११८०, अवधिज्ञान १.१६८, आयु विदेहक्षेत्र (कर्मभूमि)-निर्देश ३.२३५ ब, अवगाहना १२६५ । इद्र-निर्देश ३ २१० ब, शक्ति आदि
११८०, आयु १२६३, १२६४, दुखमा-सुषमाकाल ३२०८ ब, अवस्यान ३ २०६ ब, ३.६१२-६१४ । २.६३, सत् प्ररूपणा ४१८४ अ।
विद्युत्कुमार (देव प्ररूपणा)-बध ३१०२, बधस्थान' विद्दावण-३.५४३ ब ।
३.११३, उदय १३७८, उदयस्थान १३६२ ब, विद्धणू (कवि)-३ ५४३ ब ।
उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व विद्धाशन-अनशन १.६६ अ, अपवाद मार्ग २.१२१ अ, ४.२६२, सत्त्वस्थान ४,२६८, ४.३०५, त्रिसयोगी
Page #235
--------------------------------------------------------------------------
________________
विद्यत्केश
२२६
विपरीत मिथ्यात्व
भग १.४०६ ब । सत् ४१८८, संख्या ४.६७, क्षेत्र वश१३३६ ब, मातगवश १३३६ ब, विद्याधरव श २.१६६, स्पर्शन ४.४८१, काल २.१०४, अतर - १३३८ ब, १ ३३६ अ।
११०, भाव ३ २२० अ, अल्सबहुत्व ११४५ । विनयधर-३५४७ अ, पुलाटमघ १३२७ अ, इतिहास विद्युत्केश-३ ५४६ ब, राक्षसवश १.३३८ ब ।
१३२८ अ। विद्युत्प्रभ-३ ५४६ ब, चक्रवर्ती ४.१५ अ, यदुवश विनय-३ ५४७ अ, ३.५५२ ब, अतिचार १४४ अ,
१.३३७, विद्याधर नगरी ३ ५४५ ब, ३५४६ अ। सल्लेखना ४ ३६० ब । गजदत --निर्देश ३.४५६ ब, नामनिर्देश ३.४७१ व, विनयकर्म - कर्म २२६ ब, कृतिकर्म २.१३३ ब । विस्तार ३४८२, ३.४८५, ३४८६ अंकन ३ ४४४, विनयचंद्र-३५५४ ब, कष्ठासघ १.३२७ अ, इतिहास ३४५७, ३४६४ के सामने (चित्र स०३७), चित्र १३३२ अ । ३४५२ ब. वर्ण३ ४७७, इसका कुट तथा देव ३४७३ ।। विनयचरी-विद्याधर नगरी ३४४५ अ ।
अ, विस्तार ३४८३, अकन ३.४४४, ३ ४५७ । विनयचारी-३.५५५ अ । विद्युत्वान-विद्याधरवश १ ३३६ अ।
विनयतप-विनय ३ ५४८ अ, ३ ५५१ अ । विद्युदाभ - विद्याधर वश १ ३३६ अ।
विनयदत्त-३ ५५५ अ, श्रत केवली १३१७, १.परि०/ विद्युदंष्ट्र -३ ५४६ ब । विद्याधरवश १.३३६ अ।
३६, इतिहास १३२८ ब । विद्य दृढ-विद्याधरवश १३३६ अ।
विनयपुरी-३.५५५ अ। विद्युद्वेग - विद्याधरवश १.३३६ अ।
विनयभद्र - आशाधर १२८० ब । विद्युन्मख -विद्याधरवंश १३३६ अ।
विनय मिथ्यात्व --मिथ गुणस्थान ३३०८ ब । विद्येशता-अर्हन्तातिशय ११४१ ब । ११३७ ब। विनय लालसा--३.५५५ अ, सप्त ऋषि ४ ३१३ अ । विद्योपजीवन - ३.५४६ ब ।
विनयवादी-एकात १४६५ अ-ब, वैनयिक ३६०५ अ । विद्रावण-अधःकर्म १४८ अ। विद्दावण ३ ५४३ ब। विनयविजय उपाध्याय---३ ५५५ अ। विद्रावण कर्म-कर्म २२६ अ ।
विनयशुद्धि -प्रत्याख्यान ३ १३२ अ, शुद्धि ४.३६ अ । विद्रम-बलदेव ४१६ ब, यदुवश १.३३७ ब ।
विनयश्री-वैमानिक इदो को बल्लभिका देवी ४.५१३ ब। विद्वज्जनबोधक-३.५४६ ब ।
विनयसपन्नता--विनय ३ ५४८ अ, ३.५५० ब । विद्वेषण मत्र-मंत्र ३२४५ ब ।
विनयसेन-३५५५ अ । प्रथम-पचस्तूपसघ १३२६ ब विध-३ ५४६ ब, मतिज्ञान ३.२५४ ब ।
इतिहास १३३७ अ। द्वितीय---काष्ठासघ १३२१ विधा-पर्याय ३४५ ब ।
अ, इतिहास १३३८ अ। विधाता-३५४६ ब ।
विनयोपसंयत - समाचार ४ ३३७ अ। विधान-३५४६ ब, अनुयोगद्वार १.१०२ अ, सख्या विनायक-~-३.५५५ अ, राक्षम ३ ४०६ ब । ४६२ अ।
विनायक यंत्र - यत्र ३३६० । विधि-३ ५४७ अ, अनेकात (सापेक्षधर्म) ११०६ अ, विनाश-३ ५५५ अ, गुण २.२४२ अ, नय २.५५० ब ।
तत्त्र २३५३ अ, द्रव्य २४५४ ब, निपेध २६२६ अ, विनिमय --३ ५५५ अ ।' सकलादेश ४१५७ अ, सप्तभगी ४३१८ ब, ४.३१६ विनिहात्र-मनुष्यलोक ३.२७५ ब ।
ब, स्याद्वार ४४६८ अ, ४ ४६६ अ, ४५०० ब। विनीत-गणधर २२१२ ब । विधिदानक्रिया-सार ४१५१ व।
विनीता-तीर्थकर ऋषभ तथा अनंतनाथ २३७६, भरत विधिवाक्य--वाक्य ३ ५३१ अ।
क्षेत्र ३ २०७ अ ३.४४६ अ। विधिबिवेक-मोमासादर्शन ३ ३११ अ।
विनोदीलाल-३.५५५ अ, इतिहास १३३२ ब। विधिसाधक हेतु-हेतु ४ ५३६ ब ।
विपक्ष-३ ५५५ अ। विध -- 'एक' का संद्धांतिक नाम २२१८ ब ।
'विपरिणाम-३ ५५५ अ । विध्यात-संक्रमण सक्रमण ४.८४ अ,४८७ ब । अल्पबहुत्व विपरिणामना-विपरिणाम ३.५५५ अ । १.१७४ ब ।
विपरीत मत-विपर्यय ३.५५५ ब । विनमि-अग्रवश १.३३५ ब, गणधर २.२१३ अ, भोज विपरीत मिथ्यात्व-विपर्यय ३.५५६ अ।
Page #236
--------------------------------------------------------------------------
________________
विपरीतवाद
विपरीतवाद - एकात १४६५ ब विपर्यय ३.५५६ अ । विपरीत धद्वान मिथ्यादर्शन ३.३०० ब श्रद्धान ४.४६
"
अ ।
विपरीत बढानी - मिध्यादृष्टि ३३०४ अ । विपरीताभिनिवेश सम्यग्दर्शन ४.३५६ व
विपर्यय - ३५५५ ब ।
विपर्यय ३५५५ ब ।
विपर्यय ज्ञान विपर्यय मिध्यात्वविपय ३.५५५
।
विपल - ३५५६ व काल का प्रमाण २.२१७ अ । विपलांस काल का प्रमाण २२१७ अ ।
विपाक - ३५५६अ, उदप १३६५ व ध्येय २.५०० अ
बध ३१७१ ब ।
विपाकजा निर्जरा निर्जरा २६२२ अ ।
विपाक - प्रत्ययिक बंध-बंध ३.१७२ अ । विपाक-विचयधर्मध्यान २४८० अ । विपाकसूत्र - ३५५६ व, श्रुतज्ञान ४.६८ अ । विपुल
- ३.५५६ ब, ग्रह २२७४ अ, भाविकालीन तीर्थंकर २३७७, मन पर्यय ज्ञान ३२६६ अ । विपुलख्याति तीर्थकर भवनाथ २३७८ | विपुलत्व - मन पर्ययज्ञान ३.२६६ अ । विपुलमति मन पर्यवज्ञान ३.२६६ अ ।
।
विपुलवाहन सभवनाथ व अभिनंदननाथ २३७८ । इद्रभूति १.२१९ ब ।
विपुलाच
।
'विप्पाणस मरण- -मरण ३२८० अ ।
-
विप्रतिपत्ति- ३५५६ ब ।
विप्राणस मरण - मरण ३.२८२ अ ।
विलुप्त - ३.५५६ व
विभंग ज्ञान -- ३५५६ ब, अपर्याप्त ११९५ ब अवधिज्ञान गुणस्थान
१.१०६ व १.१६० अ १.११५ अब, २२६१, जीवसमास २.२६१ ।
विभंग ज्ञान (प्ररूपणा ) - बध ३.१०५, बधस्थान ३११३,
उदय १३८३, उदयस्थान १३९३ अ, उदीरणा १.४११ अ उदीरणास्थान १४१२, सत्व ४२६२, १.४०७ अ, सत्त्वस्थान ४३००, ४३०५, त्रिसयोगी भग १४०७ अ सत् ४२३४, सख्या ४.१०६, क्षेत्र २११६, २.२०४, पर्शन ४४८८, काल २११३, अंतर ११५, भाव २२२१ अ अबहुत्व ११५० । विभंगतानी क्षेत्र २१६६ अ ।
विभंगदर्शन वर्णन २.४१५ व ।
विभंगा - ३.५५६ ब । कुण्ड - निर्देश ३.४५६ अ, विस्तार ३.४९०, ३४११, अकन ३.४४४, ३.४६४ के सामने
―
२३०
विमल (कट)
( चित्र स० ३७ ) | गणना ३.४४५ अ । नदी - निर्देश ३४५६अ, २४६० अ नामनिर्देश ३ ४७४ ब, विस्तार ३.४५६, ३४६०, अकन ३४४४, ३.४६४ के सामने, गणना ३ ४४५ अ । विभक्ति ३५५६ व अनुयोगद्वार ११०३ अ । विभक्तिकरण आदेश १.२४५ व ।
विभाग- निष्पन्न क्षेत्र - क्षेत्रप्रमाण २ २०६ अ ।
विभाव - ३५५७ अ, निमित्त २.७४ ब, पर्याय ३.४६ अ
,
साक्षधर्म ( अनेका) १.१०२ अ अनित्य पर्यायार्थिक नय २५५१ ब ।
विभाव अर्थपर्याय पर्याय ३५० अ विभाव-क्रियाक्रिया २.१७३ ब विभाव ३५५७ ब । विभाव-गति गति २२३५ ब ।
-
विभाव गुण गुण २२४० व । विभावगुणपर्या पर्याय ३५० अ विभाव- गुणव्यजनपर्याय - ३५० अ विभाव- द्रव्यपर्याय-- ३.४६ द ।
विभाव द्रव्यव्यंजनपर्याय --- ३.४६ ब ।
।
विभावपुदगल - पुद्गल ३६७ अ विभाव शक्ति ३१७७ अ । विभाव-स्वभाव-विभाव ३५५६ अ । विभाषा३५६२ व अनुयोगद्वार १.१०१ ब । विभीषण- ३५६२ ब, राक्षसवश १३३८ ब । विभुवाकुव १३३५ अ । विभुत्वशक्ति ३५६२ व । विभूति- - भरत चक्रवर्ती ४.१५ अ विभ्य- ३५६२ व । विभ्रमविभ्रम- ३५६२ ब ।
विभ्रांत ३५६२, नरक पटल-निर्देश २५७६ ब विस्तार २.५७९ व अकन ३४४१ नारकी अब गाहना ११७५, आयु १२६३ । विमर्श विमर्श-३५६२ ब ।
विमल ३५६२, अच्युतेद्र विमान ४५११ व आरणेद्र विमान ४५११ ब, क्षीरवर सागर का देव ३६१४, ग्रह २ २७४ अ, चक्रवर्ती ४.१० व तीर्थकर अजित नाथ २३७८, तीर्थकर भाविकालीन २.३७७, विद्या धर नगर ३ ५४६ अ ।
विमल ( कूट ) - गजदत का कूट-निर्देश २.४७२ ब विस्तार ३.४६३, अकन ३.४४४, २.४५७ रुचकवर पर्वत का कूट - - निर्देश ३४७६ अ-ब, विस्तार ३.४५७, अंकन ३.४६९
।
-
Page #237
--------------------------------------------------------------------------
________________
विमल (स्वगपटल)
विवाद
विमल (स्वर्गपटल)-सौधर्म पटल-निर्देश ४.५१६, विरजा-३.५६३ ब । नदीश्वर द्वीप की वापी-निर्देश विस्तार ४५१६, अकन ४.५.१६ ब, देव आयु ३.४६३ ब, नामनिर्देश ३ ४७५ अ, विस्तार ३ ४६१,
अंकन ३ ४६५ । विदेह नगरी--निर्देश ३४६० अ, विमलकीति----इतिहास १३३१ ब ।
नामनिर्देश ३.४७० ब, विस्तार ३.४७६ ३४८०, विमलदास -३ ५६२ ब, अनत देव १.५६ ब, इतिहास ३४८१, अंका३४४४, ३.४६४ के सामने (चित्र १३३३ अ।
स० ३७), चित्र ३४६० अ। विमलदेव-३ ५६२ ब, इतिहास १.३३० अ।
विरत --३.५६३ ब, ग्रह २.२७४ अ। विमलनाथ-३ ५६२ ब, तीर्थकर प्ररूपणा २३७६-३६१। विरताविरत-३.५६४ अ, सचतासंयत ४.१३४ अ। विमलपुराण-३ ५६३ अ, इतिहास १३४७ ब ।
विरति-३ ५६४ अ, उपदेश (परद्र व्यविरति) १४२४ अ, विमलप्रभ-३.५६३ अ, क्षीरवर सागर का देव ३.६१४,
संयम ४१३८ ब ।। भूत भावि तीर्थकर २३७७ ।
विरलन-३५६४ अ, गणित २.२२३ ब । विमलवाहन-३५६३ अ, कुलकर ४२३, तीर्थकर अजित विरलन देय प्रक्रिया-३५६४ अ, गणित २.२२३ ब । व सभवनाथ आदि २.३७८ । भावि शलाकापुरुष
विरहकाल--अतर १.३ अ, १.६ ब। ४.२५ अ।
विराग-३५६४ अ, धर्मध्यान २.४८० अ, प्रत्याख्यान विमलसुंदरी-नारायण ४ १८ ब ।
३१३२ व। विमलसूरि-३.५६३ अ, इतिहास १३२६ अ, १.३४०
विराट-३.५६४ अ।
विराधन-३ ५६४ अ । ब।
विराधित-३५६४ अ । विमला--कुलकर ४.२३, व्यन रेद्र गणिका ३ ६११ व ।
विरुद्ध - जीव २३३५ अ, न्याय २.६२३ ब । विमलेश्वर-३.५६३ अ, भूत कालीन तीर्थकर २.३७७ ।
विरुद्धधर्मत्व शक्ति-३५६४ अ। विमा-~-३ ५६३ अ।
विरुद्ध राज्यातिक्रम---३ ५६४ अ, अस्तेय १२१३ ब। बिमान-३ ५६३ अ । ज्योतिपलोक-निर्देश २ ३५१ ब,
विरुद्ध हेत्वाभास--३.५६४ अ । बनावट २ ३५१ ब, विस्तार २३५१ ब, अवस्थान
विरोध-३ ५६४ ब, अनेकात ११०६-१११, आगमार्थ २३४६ ब, अकन २.३४७, चित्र ३ ३४७ । चर-अचर
१२३२ अ, उपदेश १.४२५ अ। भेद २३४६ ब, देवयान ४५११ ब। सल्लेखना
विरोधी धर्म--अनेकात १.१०८ ब, १.१०६-१११, जीव ४ ३६४ अ, साधु ४५०४ ब। स्वर्गलोक-निर्देश
२.३३७ ब । ४५१४ब, विस्तार ४५२१ ब । अकन ४.२१२, विरोधी हिसा--हिंसा ४.५३५ अ। बनावट ४.५२१ अ, सख्या ४५२० अ, अवस्थान
विलया-~-स्त्री४४५० अ। ४५१६-५१८, ४५२० ब, चित्र ४५१७ ।
विलसित-३.५६५ अ। विमानपंक्ति व्रत-३ ५६३ ब ।
विलास-३.५६५ अ । विमानवासी देव -निर्देश २.४४५ ब, ४५१० अ, अव
विलेपन -३५६५ अ, निक्षेप २६०२ ब, पूजा ३७६ अ। गाहना ११८०, अवधिज्ञान १.१६८, आयु १२६६
विल्लाल-३ ५६५ अ । २६६।
विल्हण - आशावर १२८० अ । विमुख-३ ५६३ ब ।
विवक्षा-३५६५ अ, एकात १४६१ अ-१.४६३ अ, विमुखी--३५६३ ब, विद्याधर नगरी ३५४५ ब।
सामान्य ४ ४१३ अ, स्याद्वाद ४.४६७ ब, ४.४६८ ब, विमोच-विद्याधर नगरी ३५४५ अ।
४.४६६ब। विमोचिता-३५६३ ब, विद्याधर नगरी ३ ५४५ अ। विवर-३५६५ अ, लवणसागर के पाताल-निर्देश विमोचितावास - अस्तेय १२१४ अ ।
३४६० ब, नामनिर्देश ३४७४ ब, स्वरूप ३४६० ब, विमोचिपुर—विद्याधर नगरी ३.५४५ अ।
विस्तार ३.४७६, अंकन ३४६१, चित्र ३.४६१, विमोह-३५६३ ब।
३४६४ के सामने। विरक्त-ध्याता २४६३ ब ।
विवर्त-३५६५ अ, परिणाम ३३१ अ । विरजस्का-विद्याधर नगरी ३.५४५ अ।
विवाद-बाद ३.५३३ अ-ब ।
Page #238
--------------------------------------------------------------------------
________________
विवाह
विवाह - ३५६५ अ ।
विवाह किस प्रकार ४१५१ व ४.१५२ ब । विवाह पटल - ३५६५ व ।
विवाहिता स्त्री ४.४५० छ ।
विविक्त - वसतिका ३-५२७ ब । विविक्त वलिकामा ३५२७ व । विविक्त शय्यासन -३५६५ ब i विवृत योनि ३३८० अ विवेक - ३२६६ अ
प्रायश्चित
--
३.५४१ व ।
विवेक प्रायश्चित - विवेक २.५६६ ।
विवेचन- ३५६७ अ ।
विशद ३५६० अ ।
विशवाय ग्रह अवग्रह ११८२ अ १.१५३ अ
विशल्या ३५६७ व ।
विशत्याकारिणी - ३.५६७ व विद्या ३.५४८ अ । विशाख-तीर्थकर मल्लिनाथ २.३८७ ।
विशाखदत्त- मूलसच १३१६ ।
विशाखनदि २.५६७ व प्रतिनारायण ४.२० व विशाखभूति - ३५६७ ब, चक्रवर्ती ४.१६ अ । विशाखयूप-मगध देश इतिहास १३१२ । विशाखा ३५६७ व तीर्थंकर सुवं
द्रव पा
३१६१ विचय
अ
नाथ २३८०, नक्षत्र २.५०४ ब ।
विशाखाचार्य २५६७ व मूलसच (धुतकेवली ) १२१६० १ परि० / २.२, चद्रगुप्त मौर्य १ परि०/२.७ इतिहास १३२८ अ ।
विशालकोति - आशाधर १२५० अ नदिसच भट्टारक १.३२३ व इतिहास १.३३४ ब ।
-
अकन ३.४४४, ३.४५७ ॥
विशिष्ट पद - अनेकात १.१०२ ब ।
२३२
विशालनयन रुद्र ४.२२ अ ।
विशालनेत्र - कुडलवर पर्वत के कूट का देव-निर्देश ३४७५
अकन ३४६७ ।
विशालप्रभ-तीर्थंकर २३६२ ।
विशाला ३.५६०, मनुष्यलोक ३ २७५ ब । विशालाक्ष - ३.५६७ व गणधर २२१३ अ । विशिष्ट - ३५६७ ब, कुंडलवर पर्वत के कूट का देव - निर्देश ३.४७५ अ, अकन ३.४६७ । गजदत का कूट तथा देव निर्देश ३.४७२ व विस्तार ३.४०३,
-
- ब,
विशिष्टाईत वेदांत ३.५६७ व
विशुद्ध ३.५६७ व सम्यग्दर्शन (लेश्या) ४.३६३ अ ।
'विशुद्धता करण (अधकरण ) २९ अ ।
विशुद्ध परिणाम स्थिति ४.४५८ ब ।
विशुद्धि २.५६० अ उदवाभाव १३६६ व उपयोग
(अशुद्ध ) १४३१ ब १.४३३ ब, उपयोग (शुभ) १४३३ अ । करणत्रिक-अप करण २६-११, अनिवृतिकरण २१३-१४, अपूर्वकरण २१२ प बहुत्व २७अ त्रिकरण २७ मा
३.२६७ ब, स्वाध्याय ४५२६ अ ।
विशुद्धि लब्धि-लब्धि ३४१२ अ । विशुद्धि व क्लेश विशुद्धि २५६१ विशुद्धि-स्थान-अप
-
स्थान ४४५२ ब ।
7
विशेष- ३५७० अ, गणित २२२१ व गुन २२४० अ पर्याय ३४५ व सप्तभगी ४३१८ अ सापेक्ष धर्म ब, ( अनेकात) ११०९ अ सामान्य ४.४१२ अ । विशेष उपयोग आकार (ज्ञान) १२१६ अ । विशेष काल - सप्तभगी ४३२३ अ ।
विश्वक
विशेष क्षेत्र-क्षेत्र २ १६२ अ ।
विशेष गुण गुण २.२४०, २२४२ व. २.२४३ व । विशेषण पक्ष ३२अ ।
११६०, विशुद्धि १५६८
विशेषणविशेष्य भाव आगम १.२३३.२५४६ विशेष नय - २.५२३ ब ।
विशेष विधि - आराम १.२३२ अ । विशेष-संग्रह नयनय २५३४ अ ।
-
विशेष-संग्रह भेदक व्यवहार नय - २.५५८ ब । विशेष स्वभाव स्वभाव ४.५०६ अ । विशेषानोचना -- सल्लेखना ४.३६१ ब । विशेषावश्यक भाष्य - ३५७०, इतिहास १३४१ अ । विशेष्य- विशेषण भाव- आगम १.२३३व, नय २५४१
ब ।
विशोक - ३५७० ब, विद्याधर नगरी ३.५४५ ब । विशोका विद्याधर नगरी ३५४५ ब ।
विश्रमण-काल अद्धा असक्षेप १.४७ अ
विश्वकेतु -
विश्रुता वैमानिक इद्रो की बल्लभका देवी ४.५१३४ । विवेणी गतिविग्रह्नति २.५४१ अ
ब ।
विश्लेषण - ३५७० ब ।
"
विश्व- २५७० व कुरुवंश १३३५, १.३३६ अ, नक्षत्र २ ५०४ ब, लौकांतिक देव ३ ४९३ ब ।
विश्वकीति काष्ठास १३२७ अ ।
- कुरुवश १३३५ ब ।
Page #239
--------------------------------------------------------------------------
________________
विश्वचंद्र
२३३
विस्रसोपचय विश्वचत-काष्ठासघ १३२७ अ, नदिसघ भट्टारक विष्टा-३.५७१ अ, औदारिक शरीर १.४७२ अ, समिति १३२३ ब ।
४.३४१ ब। विश्वतत्त्वप्रकाश-इतिहास १३४४ ब ।
विष्णु-३.५७१ अ, कुरुवंश १ ३३५ ब, १ ३३६ अ, विश्वध्वज-कुरुवश १३३५ ब ।
जीव २.३३३ ब, नक्षत्र २५०४ ब, तीर्थकर श्रेयास विश्वनंदि-३.५७० ब, नदिसघ भट्टारक १३२३ ब, नाथ २३८०, निंदा २५८८ब, मिथ्यादृष्टि ३ ३०६ बलदेव ४१८ अ।
ब। विश्वनाथ-वैशेषिक दर्शन ३६०८ अ ।
विष्णुकुमार-३ ५७१ अ, अकंपनाचार्य १३०ब । विश्वभू-३५७० ब ।
विष्णुदत्त-३ ५७१ अ। विश्वभुषण-३.५७० ब ।
विष्णुनंदि-३५७१ अ, मूलसघ १३१६, इतिहास विश्वरूप-यदुवश १ ३३७ ।
१३२८ अ। विश्वलोचन कोष-इतिहास १३४५ अ।
विष्णुयशोधर्म-३ ५७१ अ, हूनवंझ १३११ ब, १३१५ विश्वसेन-३ ५७० ब, कुरुवश १.३३५ ब, १३३६ अ, अ। गणधर २.२१२ ब, तीर्थकर शाति तथा पार्श्वनाथ विष्णुवर्धन-३ ५७१ अ।
विष्णश्री-तीर्थंकर श्रेयासनाथ २.३८० । २३८० ।
विष्णुसजय-यदुवश १.३३७ । विश्ववसु-हरिवश १३४० अ ।
विष्णस्वामी-वैष्णवदर्शन ३.६०६अ। विषंग-३.५७० ब।
विसंयोजन-उपशम १४३६ ब । विष-३.५७० ब, अनुभाग १.६० ब, चैत्य २३०२ ब ।
विसंयोजना-३.५७१ अ, उपशम १.४३७ ब । विषकभ---उपयोग १.४३४ अ, चारित्र २२८८ ब,
विसंवाद-वाद ३.५३३ अ, यो वक्रता ३३८५ ब। २२६० अ।
विसदृश-३.५७२ ब, परिणाम ३.३२ अ, सापेक्ष धर्म विषद - यदुवश १.३३६ ।
(अनेकात) १.१०६अ। विषम-स्कध ४४४८ अ।
विसर्जन-पूजा ३,८०ब। विषम दृष्टांत-३.५७० ब, दृष्टात २४४० अ ।
विसर्पण --जीव २.३३८ । विषमधारा- गणित २.२२६ अ।
विसष्टांक तप-कायक्लेश २ ४७ अ। विषमित्र-यदुवश १३३६ ।
विस्तर सत्त्व त्रिभगी--इतिहास १.३३० ब, १३४२ ब। विषमोचिका-चक्रवर्ती ४.१५ अ ।
विस्तार-३ ५७२ ब । विष-३५७० ब, इद्रिय १३०६ अ, सुख ४४३० ब।
विस्तार-दर्शनार्य-आर्य १२७५ सा। विषयत्याग-मिथ्यादृष्टि ३ ३०७ अ ।
विस्तार-रुचि-उपदेश १४२५ अ, सम्यग्दर्शन ४.३४८ विषयरुचि-सुख ४.४३० ब ।
ब। विषयविराग-विराग ३५६४ अ ।
विस्तार-विशेष-गुण २ २४१ अ। विषयसंरक्षणानंद-रौद्रध्यान ३.४०८ अ।
विस्तार-सम्यक्त्वार्य-आर्य १.२७५ अ । विषयातीत सुख ४ ४३२ व ।
विस्तार-सम्यग्दर्शन-सम्यग्दर्शन ४३४८ ब्र। विषयाधीन सुख ४४३० ब।
विस्तार-सामान्य-क्रम २.१७२-ब, द्रव्य २४५४ अ । विषयाभिलाष-राग ३३६५ब ।
विस्तारानत-अनंत १५५ ब । विषयासक्ति उपयोग १.४३३ ब ।
विस्तारासंख्यात-असंख्यात १२०६ । विषरथ-३ ५७१ अ।
विस्मय -सम्यग्दर्शन ४ ३७२ ब। विषापहार स्तोत्र-इतिहास १.३४२ अ।
विनसोपचय-३ ५७३ अ, अल्पबहुत्व १.१४२ अ, विषुप-काल २.६१ ब ।
११५७, आस्रव १.२८३ अ, कारण (अबद्धकर्म) विष्कंभ-३.५७१ अ, गणित २२३२ ब।
२५६ ब, कार्मण १.७६ अ, गुण २.२४१ ब, प्रदेश विष्कंभक्रम-क्रम २.१७१ ब ।
३.१३५ अ, बध ३.१७४ ब, वर्गणा ३.५१६ ब, विष्कंभ सूची--सूची ४४४२ अ ।
संमूर्छन ४.१२८ अ।
Page #240
--------------------------------------------------------------------------
________________
वीरासन बिहायोगति विहायोगति-३.५७३ अ।
३.४६५ । विदेह नगरी-निर्देश ३.४६० अ, नाम। विहायोगति नामकर्म प्रकृति-प्ररूपणा-प्रकृति ३.८५, निर्देश ३.४७० ब, विस्तार ३.४७६, ३.४८०,
२५८३, स्थिति ४४६३, अनुभाग १.६५, प्रदेश ३.४८१, अकन ३.४४४, ३.४६४ के सामने, चित्र ३ १३६ । बध ३ ६७ अ, ३६७, बधस्थान ३११०, ३ ४६० अ। उदय १३७५, उदयस्थान १३६०, उदीरणा १४११, वीथी-चद्र सूर्य की २.३४६ब, समवसरण ४.३३० ब, उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४३३१ । ४३०३, त्रिसयोगी भग १४०४ । सक्रमण ४८५ अ, वीर-३ ५७६ अ, महावीर के लिए दे० महावीर, यदुवश अल्पबहुत्व ११६६।
१३३६, विद्याधर नगरी ३.५४५ ब, हरिवश १३४० विहायोद्विकउदय १३७४ ब ।
अ, सौधर्म स्वर्ग का पटल-निर्देश ४५१६, विस्तार विहार-३ ५७३ ब, आर्यिका १.२७६ अ ।
४५१६, अकन ४५१६ ब, देव आयु १२६६ । विहारक्रिया सस्कार ४.१५२ अ !
वीर कवि-इतिहास १३३१ अ, १.३४३ ब । विहारवत् स्वस्थान-क्षेत्र २१६२ अ, ११६७-२०७ । वीरचद्र-३ ५७६ अ, प्रथम - नंदिसघ १३२४ अ, विचार-विचार ३ ५४१ ब ।
इतिहास १३३३ ब । द्वितीय---भिल्लक सघ १.३२२ धीची- अनुवीचि भाषण १.१०४ अ।
अ, इतिहास १.३३३ अ। बीतमय-३ ५७५ ब ।
वीरचर्या-तप २३६० अ, श्रावक २४८ अ, ४५२ ब। बीलभी-इक्ष्वाकुवश १३३५ अ ।
वीर-जयंती व्रत-३ ५७६ अ । वीतराग-३ ५७५ ब, अनगार १६२ अ, अनुभव १८५ वीरनदि-३५७६ अ, नदिसघ १३२३ अ, देशीय गण
ब, चारित्र २२६३ अ, छमस्थ २.३०५ ब । मोक्ष १३२४ ब, १३२५, अभयनदि ११२७ अ । इतिहास ३३२४ ब।
-प्रथम १३२६ अ। द्वितीय १३३० ब, १३४२ वीतरागकथा- कथा २२ अ, वाद ३ ५३३ ब ।
ब। तृतीय १ ३३० ब । चतुर्थ १ ३३१ ब, १ ३४४ वीतरागचारित्र--उत्सर्ग मार्ग १.१२१ अ, उपयोग (शुद्ध) अ।
१४३१ अ, चारित्र २.२८५ अ, २.२८१ब, २२६० वोरनिर्वाण-क्रिया-कृतिकर्म २१३६अ। ब, पद्धति ३६ अ, सम्यग्दर्शन ४.३५८ ।
वीरनिर्वाण सवत्-इतिहास १३०६ अ, १३१० अ, धीतराग छपस्थ---उपशांत कषाय १४४२ ब, छद्मस्थ २३०५ ब, शुक्लध्यान ४ ३६ अ ।
वीरमातंडी-३ ५७६ ब, इतिहास १३४३ अ । वीतरागता-उपयोग (शुद्ध) १.४३०ब, धर्म २४६७ अ। वीरवित-३.५७६ ब, पुन्नाटसघ १३२७ अ । वीतराग धर्मध्यान--उपयोग (शुद्ध) १४३१ अ, पद्धति बीर-वैष्णव - वैष्णवदर्शन ३ ६०६ अ । ३.६ अ।
वीरशासनजयती व्रत-३ ५७६ ब । वीतराग वचन-आगम १.२३५ अ।
वीरसंघ विघटन १३१७ ब । वीतराग श्रमण-साधु ४४०६ म ।
वीरसागर-३५७६ ब, इतिहास १३३४ ब । वीतराग सम्यग्दर्शन-सम्यग्दर्शन ४३६० ब ।
वीरसेन-३ ५७६ ब, इक्ष्वाकुवश १.३३५ ब, तीर्थकर वीतराग सम्यग्दृष्टि-सम्यग्दृष्टि ४३७७ ब ।
ऋषभानन २.३६२। वीतराग सुख-अनुभव १८५ अ, सुख ४.४३२ अ। वीरसेन (आचार्य)--प्रथम-पचस्तूपसघ १३२६ ब, वीतराग स्तोत्र-३ ५७५ ब, स्तोत्र ४.४४६ ब ।
इतिहास १३२६ ब, १३४१ ब । द्वितीय-काष्ठा वीतरागांश सवर १.४३२ अ ।
सघ १३२७ अ । माथुरसघ १३२७ ब । सेनसंघ बीतशोक-३५७६ अ, ग्रह २२७४ अ, विद्याधर नगरी १३२६ अ । इतिहास १.३३० अ। तृतीय- लाड३५४५ ब।
वागडसघ १३२७ ब । इतिहास १.३३१ अ । वीतशोका-३.५७६ अ, चक्रवर्ती ४.१० ब, तीर्थकर वीरसेना-तीर्थंकर ऋषभानन २.३६२।
मल्लिनाथ २.३७८, बलदेव ४१६ ब, विद्याधर नगरी वीरांगज मुनि-कल्की २३१ ब । ३५४५ ब । नदीश्वर द्वीप की वापी-निर्देश ३.४६३ वीरानव-चक्रवर्ती ४.१५ ब । अनामनिर्देश ३.४७५ अ, विस्तार ३.४६१, अकन वोरासन-आसन १२८१ अ-ब, कृतिकर्म २.१६५ब ।
Page #241
--------------------------------------------------------------------------
________________
बीरासन तप
२३५
वेणु (देव)
वीरासन तप-कायक्लेश २४७ ब ।
वृत्तिलाभ क्रिया-सस्कार ४१५२ ब । वीर्य-३.५७६ ब, कुरुवंश १३३५ ब, तीर्थंकर विशाल- वृत्तिविलास-३५८१ अ, इतिहास १.३३१ अ, १.३४४
प्रभ २.३६२। वीर्य (गुण)~३.५७६ ब, जीव २.३३७ अ, योग ३ ३७७ वृत्तिसूत्र-आगम १२३६ अ ।
वृत्त्यश-पर्याय ३.४५ ब । वीर्य-चर्या-तप २३६० अ, श्रावक ४४८ अ, ४ ५२ ब । वृद्धि - ३.५८१ अ, संगति ४.११६ अ । बोयं-प्रवाद--३.५७७ अ, श्रुतज्ञान ४६८ ब।
वृद्धार्थ-यदुवश १.३३७ । वीर्य लम्धि-३.४११ ब ।
वृद्धि-३५८१ब, अवधिज्ञान १.१६९ ब, गणित २.२२९ वीर्यातराय-अंतराय १२७ ब । वीर्यातराय कर्मप्रकृति--प्ररूपणा-प्रकृति ३.८८, १.२७, वृद्धि-हानि-अवधिज्ञान १.१६७ ब, षड्गण ४.८१ अ।
स्थिति ४४६७, अनुभाग १.६५, प्रदेश ३.१३७। वृद्ध-ह्रास-काल २६३ । बध ३.६७, बंधस्थान ३.११०, उदय १३७५, उदय- वृष-३५८१ ब । स्थान १३८७, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान वृषध्वज-कुरुवंश १ ३३५ ब । १.४१२, सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४२६४, त्रिस- वृषभ-३.५८१ ब, तीर्थंकर ऋषभनाथ २३७६, तीर्थंकर योगीभंग १.३६६, सक्रमण ४८५ अ, अल्पबहुत्व सीमधर तथा सूरिप्रभ २.३६२, स्वप्न ४५०४ ब ।
वृषभगिरि-३५८५ अ, निर्देश ३४४६ अ। विस्तार वीर्याचरण-मिथ्यादृष्टि ३.२०३ ब।
३.४८३, ३.४८५, ३.४८६, अंकन ३.४४४, ३.४४७, वीर्याचार-आचार १.२४१ अ।
३.४६४ के सामने । वर्ण ३.४७७, विदेहस्थ ३.४६० वृदावन-३.५७७ अ, इतिहास १३३४ ब, १.३४८ अ । अ। चक्रवर्ती ४१५ब । वृंदावन विलास-३ ५७७ ब, इतिहास १३४८ अ।
वषभदेव - मध्यलोक मे अवस्थान ३.६१३ अ; आयु दंदावनी-वैष्णवदर्शन ३६०६अ।
१.२६५ अ। वृदावली-३.५७७ ब, आवली १.२७६ ब ।
वृषभध्वज-इक्ष्वाकुवश १.३३५ म । वृकार्थक-३ ५७७ ब, मनुष्यलोक ३२७५ अ ।
वृषभसंघ-१३१७ ब, १३१६ अ, १.३२६ अ। वृक्ष-३ ५७७ ब, जम्बू द्वीप में गणना ३.४४५ अ । जम्बू- वृषभसेन-३ ५८२ अ, गणधर २.२१२ ब, तीर्थंकर ऋषभ
वृक्ष ३४५८ अ, चित्र ३.४५८ब, वर्ण ३४७७। देव २३८७।। वृक्षस्थल ३.४५८ ब, चित्र ३.४५६ । वसतिका वृषभाकार प्रणाली-गंगानदी का द्वार ३.४५५ अ। (वृक्षमूल) ३ ५२७ ब, साधु (भव वृक्ष) ४.४०७ अ, वृषभेष्टा-लोकातिक देव ३.४६३ ब। स्वप्न ४.५०५ अ)
वृषानंत-कुरुवश १.३३५ ब । वृक्षमूल-३.५८० अ, वसतिका ३.५२७ ब, विद्या ३.५४४ वृष्य-अभिषव १.१३० ब। अ ।
वृष्यरससेवा-ब्रह्मचर्य ३.१८६अ। वृक्षमूल योग- अतिचार २.४७ ब, कायक्लेश २.४७ब। बृहदारण्यक-वेदात ३ ५६५ ब । वृक्षमूल विद्या-विद्या ३.५४४ अ, विद्याधर वंश १३३९
वहबध्वज-कुरुवंश १.३३५ ब ।
बेंगी नगर-आंध्रदेश की नगरी १.३०ब। अ।
बंत-कषाय (मान) २.३८ अ। वृक्षमूलावास-कायक्लेश २.४६ ब। वृत्त-३.५८० अ, औदारिक शरीर १.४७१ अ, गणित वेगवती-यदुवंश १.३३७ ।
(क्षेत्रफल, व्यास आदि) २.२३२ ब, २२३३ ब। वेगवान्-यदुवंश १ ३३७ । वृत्त-विष्कंभ-३५८० अ।
वेणा-३.५८२ अ, मनुष्यलोक ३ २७६ अ। वृत्ति-३.५८० अ।
वेणु-३.५८२ अ, विद्याधर नगरी ३ ५४५ ब । वृत्तिपरिसंख्यान-३.५८० अ।
वेणु (वेव)-मानुषोत्तर पर्वत के कूट का देव-निर्देश वृत्तिमत्व-३.५८१ अ।
३.४७५ अ, अंकन ३.४६४ । शाल्मली वृक्ष का देव वृत्तिमान-३५८१ अ ।
१,४५८ अ, १.६०३३ । सुपर्ण कुमारेंद्र-निर्देश
Page #242
--------------------------------------------------------------------------
________________
वेणुतालि
1
वेद (शास्त्र) निदा २.५८८ श्रुतज्ञान ४६० अ वेदक- ३.५९० भ
काल २.६८ अ, २.१८ अ क्षयोपशम सम्यग्दर्शन ४३६६ अ
वेणुधारी - ३५८२ अ मानुषोत्तर पर्वत के कूट का देवनिर्देश ३४७५ अ, अकन ३.४६४ । शाल्मलीवृक्ष का देव ३.४९८ अ २६१२ व सुपर्ण कुमारेद्र निर्देश ३.२०८ परिवार ३२०१ अ, निवास ३.२०६ व आयु १.२६५ ।
३.२०८ अ परिवार ३२०१ अ निवास ३२०१ ब आयु १-२६५ । वेणुतालि - मानुषोत्तर पर्वत के कूट का देव — निर्देश वेदककाल — काल २.८१ अ । ३ ४७५ अ, अंकन ३४६४ । वेदक- सम्यक्त्व - ३ ५६० अ, २.१८३ व २.१८४ व ४.३७० ब । प्ररूपणा - बध ३.१०७ वधस्थान ३ ११३, उदय १.३८५, उदयस्थान १.३६३, उदीरणा १४११ अ उदीरणास्थान १.४१२, मस्व ४२६४, सवस्थान ४३०१, ४३०६, त्रिसंयोगीभग १४०८ । सत् ४२५७, सख्या ४१०१, क्षेत्र २.२०६, स्पर्शन ४४६२, काल २११८, अतर १२०, भाव ३२२१ व अल्पबहुत्व १.१५२, संक्रमण ४.८७ अ ।
J
वेणुन ३५६२ अ ।
वेणुनीत -- मानुषोत्तर पर्वत के कूट देव-निर्देश ३.४७५
म, अकन ३.४६४ ।
बेवक सम्यग्दृष्टि - क्षयोपशम २.१०५ व सक्रमण ४८७
वेणुपुर - ३५८२ अ ।
"
वेणुमती २.५०२ अ मनुष्य नोक ३२७५ ब । वेणुमूल कषाय (माया) २३५ अ
वेणुवती - ३५८२ अ ।
वेणुश्री - तीर्थकर श्रेयासनाथ २.३८० ।
अंतरंगी नरकलोक की नदी २.५७३ अ २५७७ ।
बेता- ३५८२ अ ।
क्षेत्र कषाय (मार) २३० अ
वेत्रवती २.५६२ अ ।
बेत्रासन ३.५८२ अ, अधोलोक ३४३८ अ वैराग्य ३६०७ ब ।
-
--
वेद ( कर्म प्रकृति ) - प्ररूपणा - प्रकृति ३.८८, ३३४३ ब, स्थिति ४४६१, अनुभाग १६५, प्रदेश ३ १३६, बध ३६७, वधस्थान ३१०१, उदय १.३७५, उदय के निमित्त १.३६७ ब, उदय की विशेषता १३७१ ब, १३७२ ब, १३७३ ब, उदयस्थान १.३८६, उदीरणा १४११ अ उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान ४.२९५, त्रिसयोगी भग १.४०१ ब । सक्रमण ४८६अ, अल्पबहु १.१६८, १-१७६ । वेद ( कषाय ) - ३५८२ अ, ३५८३ ब, कषाय २३५ ब, २.३९ अ, जीव २.३३३ ब, मैथुन संज्ञा ४ १२१ अ । बेद (मार्गणा) - प्ररूपणा बंध ३१०५, बैधस्थान ३.११२, उदय १३७५, उदयस्वान १३१२ ब, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १.४१२, सत्व ४.२८३, सरवस्थान ४.३०५, त्रियोगी भंग १४०७ अ सन् ४.२२२,४१०४, क्षेत्र ३.२०२, स्पर्शन ४.४८७, काल २.१११, अतर १.१४, भाव ३.२२० व अपहृत्य १.१४८, पंचशरीर स्वामियों का अल्पबहुत्य १.१५१ व भागाभाग ४.११२ ।
-
-
२३६
वेदिका
अ ।
वेवत्रय
- अल्पबहुत्व ११७६, उदय १.३७३ ब । वेदन --- ३.५१० अ, अनुभव १.६१-६६ । वेदना - ३.५१० अ आतंब्यान १.२७४ अ, उपलब्धि
ब
१४३५ अ समुद्घात ४३४३ व सम्यग्दर्शन का ब, निमित्त ४३६३ अ, स्वाध्याय ४५२६ अ । बेदना भय भय ३२०६ । वेदनाभिभवसम्यग्दर्शन का निमित्त ४३६३ व । वेदना - सन्निकर्ष - सन्निकर्ष ४३१२ अ । वेदना - समुद्धात ३.५९१ अ निर्देश
( समुद्घात) ४.३४३, सत् ४.३४३, क्षेत्र २११७ २०७, स्पर्शन ४.४७७-४६४ ।
7
वेदनीय ३५९१ व आवाधा १२४१ अ पाती १.९१ अ प्ररूपणा प्रकृति ३८ ३१२अ, ३५९१, स्थिति ४४६०, अनुभाग १.९५, अनुभाग का अल्पबहुत्व १.१६६ अ प्रदेश ३१३६ । वध ३.६७, बधस्थान ३ १०६, उदय १३७५, उदय के निमित्त १ ३६७ ब, उदयस्थान १३८७, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १.४१२, सत्व ४.२७८, सत्त्वस्थान ४ २६४, त्रिसयोगी भग १.३६६ | सक्रमण ४.८४ अ, अल्पबहुत्व ११६८ ।
बेव सिद्ध- अल्पबहुत्वं १-१५३ व वेदांत- -३ ५६४ ब, एकात १.४६५ ब । वेदांतसार - वेदात ३. ५६५ ब । वेदिका - ३.६०१ व जंबूद्वीप- निर्देश (ज्योति) ३.४४४ ब गणना ३.४४६ अ विस्तार ३.४८४ अंकन ३.४४४, वर्णं ३ ४७७ । जंबू व शाल्मली वृक्षस्थलनिर्देश ३४५८ अ विस्तार ३.४८४ अंकन ३. ५६७, वर्ण ३.४७७ । ग्रह–निर्देश ३.४४४ व विस्तार
Page #243
--------------------------------------------------------------------------
________________
वेदिकाबद्ध
२३७
वैडूर्य (कूट).
३.४८४, अंकन ३४५४, वर्ण ३.४७७ । पुष्करिणी प्रदेश ३१३६ । बध ३६७, बंधस्थान ३.११०, उदय ----अकन ३.४५२, रेवाण्यक व भूतारण्य वन-निर्देश १.३७५, उदय की विशेषता १.३७३ ब, उदयस्थान ३.४४४, ३ ४५७ ब, विस्तार ३.४८४, अकन ३ ४४४, १३६०, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान ३.४४७, ३.४६४ के सामने, वर्ण ३४७७ । पर्वत- १४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान ४३०३, सत्रमण निर्देश ३ ४४४ ब, विस्तार ३.४८४, अकन ३.४४७, ४.८४ ब, अल्पबहुत्व १.१६६ । ३.४४६, ३४५२, वर्ण ३ ४७७ । भद्रशाल वन- क्रियिक शरीर बंध-वक्रियिक-वैक्रियिक, वैक्रियिक-तंजस. निर्देश ३.४५८ अ, विस्तार ३.४८४, अकन ३४४४,
वैऋियिक-कार्मण, वैक्रियिक-तैजस-कार्मण ३.१७० वर्ण ३.४७७। बेदिकाबद्ध-३.६०१ ब, व्युत्सर्ग दोष ३.६२२ ब । वैक्रियिक षट्क-उदय १.३७४ ब । वेदिम-३६०१ ब।
वैक्रियिक समुदघात-बैंक्रियिक ३७०४ अ। समुदधात बेदी-३.६०१ब, विशेष प्ररूपणा दे० ऊपर वेदिका।
-निर्देश ४.३४३, क्षेत्र २.१६७-२०७, स्पर्शन वेधिम-निक्षेप २.६०२ अ।
४.४७७-४६४। वेलधर देव नगरी-लवणसागर मे ३४६२ अ, अकन वैखरी--भाषा ३.२२७ ब।
वैखानस मनि-वैष्णवदर्शन ३६०६अ। वेलंब-३६०१ ब, मानुषोत्तर पर्वत का कूट तथा देव- वैज्ञानिक भूगोल-निर्देश ३४३५ ब।
निर्देश ३ ४७५ अ, विस्तार ३४८६, अकन ३ ४६४। वैचित्र्य-कारण (कर्मोदय) २७१ ब । वायकमार इद्र-निर्देश ३२०८ अ, परिवार ३.२०६ वैजयंत-३६०४ ब. ग्रह २२७४ अ. विटा अ, अवस्थान ३.२०६ब, आयु १.२६५ ।
३.५४५ अ । जम्बूद्वीप की जगतो का द्वार-निर्देश वेश्या-३६०१ब, ब्रह्मचर्य ३.१६२ अ, स्त्री ४.४५० ब । ३.४४४ ब, विस्तार ३.४८४, अकन ३.४४४ वेश्यागमन-ब्रह्मचर्य ३ १९१ब ।
३.४४७, इसका रक्षकदेब ३६१३ । रुचकवर पर्वत वैकालिक वशक -३६०१ब, श्रुबज्ञान ४.६७ ब ।
का कूट-निर्देश ३.४७६, विस्तार ३.४८७, अकन वैक्रियिक --३६०१ ब। वैक्रियिक काययोग-३.६०३ ब, प्ररूपणा--बध ३.१०४, बैजयंत (स्वर्ग)-अनुत्तर विमान-निर्देश ४११
बंधस्थान ३११३, उदय १३८०, उदयस्थान १.३६२ विस्तार ४५१८, अकन ४.३१५, ४५१७ । देवब, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, निर्देश ४.५१० अ, आयु १.२६६, आयु बध के योग्य सत्त्व ४३८३, सत्त्वस्थान ४२१६, ४३०५, त्रिस- परिणाम १२५८ ब । चक्रवर्ती ४१५ अ-ब । योगीभग १.४०७ अ । सत ४२६६, सख्या ४१०३, वैजयंता-विदेहनगरी-निर्देश ३४७० ब, नामनिर्देश क्षेत्र २२०२, स्पर्शन ४४९५, काल २६६ ब, ३.४७० ब, विस्तार ३.४७६.४८१, अंकन ३.४४४. २१०८, अतर ११३, भाव ३.२२० ब, अल्पबहुत्व ३.४६२, चित्र ३.४६० अ। ११४८ ।
वैजयंती-३६०४ ब, बलदेव ४१७ ब, विद्याधर नगरी वैक्रियिक चतुष्क ~ उदय १३८४ ब ।
३.५४५ अ। नंदीश्वर द्वीप की वापी-निर्देश वैक्रियिक द्विक--उदय १३७४ ब।
३.४६३ अ, नामनिर्देश ३ ४७५ अ, विस्तार ३.४६१, वक्रियिक वर्गणा- वर्गणा ३.५१४ ब ।
अकन ३४६५ । रुचकवर पर्वत की दिक्कुमारीवैक्रियिक विमान-विमान ३५६३ अ।
निर्देश ३४७६ अ-ब, अकन ३.४६८, ३.४६६ । वैक्रियिक शरीर-आहारक शरीर १.४५७ अ, कल्याणक विदेह नगरी-निर्देश ३४६० अ, नामनिर्देश
२३२ ब, नरक २५७३ ब, प्रदेश अल्पबहुत्व ११५७ । ३.४७० ब, विस्तार ३.४७६, ३.४८०, ३४८१, वैक्रियिक शरीर अंगोपांग-~१.१ ब ।
अकन ३४४४, ३.४६४ के सामने, चित्र ३.४६० अ । वैक्रियिक शरीर अंगोपांग नामकर्मप्रकृति-प्ररूपणा--दे० र्य-३.६०४ ब, मनुष्यलोक, ३.२७५ ब, रत्नप्रभा नीचे वक्रियिक परीर नामकर्मप्रकृति ।
३.३८६ ब। बैंक्रियिक शरीर नामकर्म प्रकृति-प्ररूपणा--प्रकृति वैडूर्य (कूट)-महाहिमवान् पर्वत का-निर्देश ३.४७२
३.८८, २५८३, स्थिति ४.४६३, अनुभाग १.६५, अ, विस्तार ३४८३, अंकन ३.४४४ । मानुषोत्तर
Page #244
--------------------------------------------------------------------------
________________
वैस्यमयी
वैशेषिक (दर्शन)
पर्वत का-निर्देश ३.४७५ अ, विस्तार ३.४८६, अकन । के योग्य परिणाम १.२५८ अ । इंद्र-निर्देश ४५१० ३.४६४। रुंचकवर पर्वत का-निर्देश ३.४७६ अ, ब, परिवार ४.५१३ अ, शक्ति ४५११ ब, विमान विस्तार ३.४८७, अंकन ३.४६८, ३४६६। पद्म नगर व भवन ४.५२१ अ। आदि द्रहों के-निर्देश ३.४७४ अ, विस्तार ३.४८३, वैमानिक वेव (प्ररूपणा)-बंध ३.१०२, बंधस्थान ३ ११३, अकन ३.४५४।
उदय १.३७८, उदयस्थान १.३६२ ब, उदीरणा बैर्यमयी-सुमेरु पर्वत की परिधि ३४४६ अ-ब ।
१.४११. अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४२८२, बडयसागर-दीप-नामनिर्देश ३ ४७० अ, विस्तार ३.४७८, सस्वस्थान ४.२६८, ४.३०५, त्रिसयोगीभग १४०६ ।
अकन ३ ४४३, जल का रस ३.४७० अ, ज्योतिष सत् ४.१८६, संक्या ४.६७, क्षेत्र २१६६, स्पर्शन चक्र २३४८ ब, अधिपति देव ३.६१४ ।
४.४८१, काल २.१०४, अतर १.१०, भाव ३.२२० वर्य (स्वर्गपटल)-सौधर्व पटल-निर्देश ४.५१६, अ, अल्पबहुत्व ११४५।
विस्तार ४.५१६, अकन ४.५१६ ब, देव आयु वैयधिकरण्य-३६०५ ब । १.२६६।
वैयाकरणी-३.६०५ ब, एकात १.४६५ ब । वैतरणी-३.६०४ ब । नरक की नदी-निर्देश २५७३, यावृत्ति-सल्लेखना ४.३९५ अ ।
२.५७७ ब । बौदाभिमत ३.४३४ ब, वैदिकाभिमत वैयावृत्त्य-३.६०५ ब, ३६०६ ब, अपवाद मार्ग ११२१ ३४३२ । मनुष्यलोक ३.२७५ ब ।
ब। दान २४२२ ब । वैतराणी-३.६०४ ब ।
वयावृत्त्यकरण शुद्धि-शुद्धि ४.४१ अ । बैताढ्य-३.६०४ ब, चक्रवर्ती ४.१५ ब ।
वैयावृत्त्य तप-वैयावृत्त्य ३.६०५ ब । वैतष्य --३६०४ ब, उपेक्षा १.४४४ ब, ४.४१४ ब । वैयावृत्य योगयुक्तता-३६०७ अ।। वैदर्भ-३ ६०४ ब, तीर्थकर चद्रप्रभ तथा सूविधिनाथ बैर-३६०७ ब । २३८७, मनुष्यलोक ३.२७५ अ-ब ।
वैरकुमार-३.६०७ अ । वैदिक दर्शन--३ ६०४ ब, दर्शन २.४०२ ब ।
वरगसार-इतिहास १.३४४ अ। वैदिक भूगोल-निर्देश ३.४३१ ब ।
वैरत्याग अहंतातिशय १.१३७ ब । वैदिक मूढ़ता-अमूढ़दृष्टि १.१३२ ब, मूढता ३.३१५ ब । वैराग्य-३.६०७ अ, उपदेश १.४२४ अ, उपेक्षा १.४४४ वैदिक शास्त्र-शास्त्र ४.२८ आ।
ब, करुणा २१५ ब, मिथ्यादृष्टि ३३०३ अ, राग वैदिश-३६०४ ब, मनुष्यलोक ३.२७५ ब ।
३.३९८ ब, ३.३६६ अ, साधु ४.४०६ ब । वैद्यसार-३.६०४ ब, इतिहास १.३४० ब ।
वैराग्यभावना-अनुप्रेक्षा १७८ अ, ध्येय २५०२ अ। वैद्युत-विद्याधरवंश १.३३६ अ ।
बराग्यमाला--३.६०७ ब, इतिहास १३४६ ब । वैधर्म्य-३६०४ ब, दृष्टात २४३८ अ।
वैरात्रिक-३.६०७ ब, कतिकर्म २१३७ ब । वैनयिक-३.६०५ अ, मिश्रगुणस्थान ३३०८ ब, श्रुतज्ञान
3..अ मिश्रणस्थान 3300 श्रतज्ञान वैरिसिंह--३६०७ ब । ४.६६ ब।
। वैरोचन-अनुदिश स्वर्ग विमान-निर्देश ४.५१९ अ, वैनयिक मिथ्यात्व-वैनयिक ३.६०५ अ ।
विस्तार ४५१६ अ, अंकन ४५१५, ४.५१७, आयु वैनयिकी ऋद्धि-ऋद्धि १४४८, १.४५० अ ।
१२६६ । असुरेद्र-निर्देश ३२०८ अ, परिवार वैभाविक भाव-विभाव ३ ५५७ ब।
३.२०६ अ, अवस्थान ३.२०६ ब, आयु २.२६५।। वैभाविकी क्रिया-विभाव ३.५५७ ब ।
बैरोटी-३.६०७ब, तीर्थंकर अनतनाथ की यक्षिणी वैभाविकी शक्ति-विभाव ३५५७ ब, ३.५५८ अ।
२३७९, विद्या ३.५४४ अ। वैभाषिकी-बौद्धदर्शन ३१८६ ब ।
बैलक्षणा-वैमानिक इद्रो की वल्लभिका देवी ४.५१३ व। बैमनस्क-३.६०५ ब, नरकपटल-निर्देश २५८० अ,
वैवस्वत यम-३.६०७ ब । विस्तार २.५८० अ, अकन ३४४१ । नारकी-अव वैश-विशद ३.५६७ अ । गाहना १.१७८, आयु १.२६३।।
बैशाख-३.६०७ ब । वैमानिक देव-निर्देश ३.४४५, २२४४ ब, ४.५१० अ, वैशेषिक (दर्शन)-३.६०७ ब, एकांत १.४६५ अ ।
अवगाहना १.१८०, अवधिज्ञान ११६७ अ, ११६८, १.४६६ अ, दर्शन २.४०३ अ, द्रव्य २.४५८ अ,' आत्मरक्ष १.२४३ ब, आयु १.२६६-२६६, आयुबध वैशेषिक ३.६०८ मा
Page #245
--------------------------------------------------------------------------
________________
वैशेषिकसूत्र
वंशेविक सूत्र ३.६०७ ब ।
वैश्य - ३.६०१ अ, वर्णव्यवस्था ३.५२३ ब, ३.५२४ अ । वैश्रवण - ३.६०९ अ तीर्थंकर मल्लिनाथ २.३७८ । दिग्गजेंद्र पर्वत का देव ३४५३ अ मानुषोत्तर पर्वत के कूट का देव ३४७५ ४ ।
कायिक- देव (आकाशोपन्न ) ३.४४५ ब । वैश्रवण कूट-विदेह वक्षार-निर्देश ३.४६० अ नाम निर्देश ३४७१ अ, विस्तार ३. ४८२, ३.४८५, ३. ४८६, अंकन ३४४४, ३.४६४ के सामने, वर्ण ३-४७७ । पद्म आदि ब्रहों के कूट- निर्देश ३.४७४ अ विस्तार २४८२ अकन ३४५४ मानुशेत्तर पर्वत का कूट निर्देश ३४७५ अ विस्तार ३.४६६, अकन ३४६४ | रुचकर पर्वत का कूट निर्देश ३.४७६ अ, विस्तार ३.४८७, अकन ३४६८ । वक्षारगिरि का कूट तथा देव -निर्देश ३४७२, विस्तार ३.४८२, ३.४८५, ३.४८६, अकन ३४४४, ३.४६० अ । विजधा गिरि का कूट निर्देश २.४७१ ब विस्तार ३.४८३ अंकन ३४४४, ३५४५ अ-ब । वैश्वानर - ३६०१ अ. कुरुवंश १.३३५ व १.३३६ अ
तीर्थंकर शीतलनाथ का रुद्र २.३६१, रुद्र ४२२ अ ।
वैयधिक आधार - आधार १.२४६ अ ।
वैष्णव दर्शन - ३६०९ अ ।
वंस दृश्य प्रत्यभिज्ञान - प्रत्यभिज्ञान ३.१२५ अ ।
-
बेसादृश्य - प्रत्यभिज्ञान ३. १२५ अ । वैनसिक परिणाम - परिणाम ३.३१ ब ।
-
नसिक बंध - बंध ३.१६९ ब । बेसिक शब्द शब्द ४.३ अ वैसी किया- क्रिया २.१७३ व बॉयज वस्त्र ३५३१ अ । वोटिक - श्वेतांबर ४.५० । बोम्मरस -- इतिहास १३३३ अ । व्यंग्यव्यंजक भाव स्फोट ४४१५ अ ।
३४४८ । विद्याधरनगरी |
-
व्यंग्यव्यंजक संबंध – संबंध ४.१२६ अ ।
२३ε
व्यंजन - ३६०६ ब, अक्षर १३३ अ, शुक्लध्यान ४.३३ ब । व्यंजन- निमित्तज्ञान - ऋद्धि १.४४८, निमित्तज्ञान २.६१३
अ ।
व्यंजन पर्याय - ३४७ व ३.४५ व, सप्तभंगी ४.३२२ ब । व्यजन- पर्याय नैगमनयनय २.५३१ अ । व्यजन- पर्याय नैगमाभास - नय २.५३१ ब । व्यंजन-शुद्धि-- ३६०१ व उभय शुद्धि (सम्यग्ज्ञान) १.४४४
--
भ्र ।
व्यंजन-संक्रांति
संक्राति ४.९१ अ ।
व्यंजनावग्रह - अवग्रह १.१८२ अ १.१८३, मतिज्ञान ३.२५७ अ । व्यंतर ३६०१ व चैत्यालय २.३०३ अन्य मनुष्यशरीर प्रवेश ३.६११ अ, स्वप्न ४.५०५ अ । उपंतरदेव - निर्देश २.४४५ ब, ३.६१० ब, भेद ३.६१० ब । अवगाहना ११८० अवधिज्ञान १.१६८, अवस्थान १४७१, ३६१२-६१४, आयु १.२६४, आयुवध के योग्य परिणाम १२६० ब इद्र - निर्देश ३६११ अ शक्ति आदि २.६१० व शरीर का वर्ण आदि ३६११ अ देवी ३६११ब, भव, आवास व नगर. ३६१२ अ-ब ।
व्यंतरदेव (प्ररूपणा ) - बंध ३.१०२, बंधस्थान ३.११३, उदय १३७८, उदयस्थान १३६२ ब, उदीरणा १४११ अ उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व ४.२८२, सवस्थान ४२१८, ४३०५, त्रिसंयोगी भग १.४०६ ब । सत् ४ १८७, संख्या ४६७, क्षेत्र २.१६६, स्पर्शन ४.४८१. काल २१०४, अंतर १.१०, भाव ३.२२० अ, अल्पबहुत्व १.१४५ ।
व्यतर लोक निर्देश ३६१२ अ
व्यकलन- ३६१५ अ गणित २.२२२ व २२२४ अ । व्यक्त मन. पर्ययज्ञान ३ २६४ अ ।
व्यक्तनिर्वृ स्यक्षर-अक्षर १.३२ ब ।
व्यक्तराग - राग ३ ३६६ अ ।
व्यक्ति ३६१५ अ कर्म २.२१ अ साधु ४.५०७ अ । व्यक्ति स्थिति उत्कर्षण १.३५४ ब ।
--
-
- -
--
व्यव्रता विनिवृत्ति व्यतिकर (दोष) व्यतिक्रम - ३.६१६ अ
व्यतिरेक ३६१६ अ ।
व्यतिरेकी दृष्टांत अनुमान ११६ व दृष्टात २.४३८
व्यभिचारी हेत्वाभास
ध्यान २.४१५ अ
३.६१६ अ कर्ता-कर्म २.२२ ब
-
अ ।
।
व्यतिरेकी धर्मव्यतिरेक ३.६१६ अ । व्यतिरेकी पर्याय पर्याय ३४७ अ व्यतिरेकी लिंगानुमान अनुमान १.९७ व व्यतिरेकी विशेष — व्यतिरेकी ३६१६ अ । व्यतिरेकी व्याप्ति अनुमान १.९७ अ व्यतीत शोक - तीर्थंकर नेमिनाथ २ ३७८ । व्यधिकरण- ३६१६ ब ।
व्यभिचार- ३.६१६ व शब्द न २५३६ ब । व्यभिचारी हेत्वाभास - व्यभिचार ३.६१६ व ।
-
Page #246
--------------------------------------------------------------------------
________________
व्यय
व्यय उत्पाद-यय-प्रोध १.३५७ व माणा ३२९७
-
ब |
व्यर्थ सभाषण -- सत्य ४.२७३ अ ।
व्यवच्छेद - ३.६१७ अ ।
व्यवसाय - ३.६१७ अ अध्यवसान १५२ अ । व्यवस्था - ३६१७ अ ।
व्यवस्था-पद- अनुयोगद्वार १.१०२ व पद ३४ ब व्यवहार-अनशन अनशन १६५ अ ।
व्यवहार अनुप्रेक्षा - प्रनुप्रेक्षा १.७२-७८ ब । व्यवहार अमूष्टि- अमूडदृष्टि ११२२ ब । व्यवहार अहिंसा-अहिंसा १२१७ ब । व्यवहार आलोचना - आलोचना १.२७६ ब । व्यवहार-उपग् हन उपगूहन १.४१७ अ । व्यवहार-उपयोग- उपयोग ( शुभोपयोग ) १.४३४ अ
-
-
१४३५ अ ।
व्यवहार कर्ता कर्मकर्ता - कर्म २२१-२४ । व्यवहार-कारक – कारक २.४६ अ । व्यवहार-कारण- कारण (निमित्त ) २७३ अ ।
व्यवहार काल-काल २.८६ ब । व्यवहार क्षमा क्षमा २१७७ अ ।
- ।
व्यवहार गणित इतिहास १३३१ व व्यवहार-गुप्ति-गुप्ति २२४६अ, २२४९ अ २२५०
अ ।
व्यवहार तपाचार आचार १२४० ब ।
व्यवहारराव (गुण) – ३६१७ ब ।
---
-
।
२४०
-
व्यवहार दर्शनाचार-आचार १.२४० अ
।
1
व्यवहार- धर्म - उपयोग - अशुद्धोपयोग १.४३४ व, पुण्य
१४३४ अ, विषकुभ १.४३४ अ, शुभोपयोग १. ४३४ अ । धर्म २४६६ ब, २४६६ अ-ब, २४७५ । व्यवहार धर्मध्यान- धर्मध्यान २४७९ अ २४८५ व । व्यवहार नयनय निर्देश २५१४ व २५१५ अ उपचार २५६२ अ, सविकल्प २५५५ अ, अशुद्ध २५५५ त्र, अशुद्ध निश्वय २५५५ अ अपवाद-मार्ग ११२० व नयसप्तक - २.५२० ब २.५२८ अ, २५५६ व निक्षेप - २.५६३ अ,
२५३२ अ २.५६५ अ
व्यवहार ज्ञान - २२५८ ब ज्ञान २२६५ न । व्यवहार जानाचार-आचार १२४० व । व्यवहार चारित्र चारित्र २२५४ २२८१ व । व्यवहार चारित्राचार - आचार १२४० व व्यवहार-तप-तप (लक्षण) २३५८ ब, तप (बाह्य) व्यवहार सत्य - सत्य ४ २७१ ब ।
2
२.३५६अ, २३६१ ब ।
उदाहरण - आत्मद्रव्य २५२३ व रागद्वेष कषाय
२.३६ अन्य, सी ४३१५ व
व्यवहार-नय-उपक्रम उपक्रम १४१६ ब । व्यवहार-नयाभास - नय २५५९ अ । व्यवहार- पंडितमरण - मरण ३३८१ अ व्यवहार- पर्याय - पर्याय ३.४५ ब ।
व्यवहार- पल्य - उपमाप्रमाण २.२१८ अ, काल का प्रमाण २ २१७ व ।
व्यवहार प्रत्याख्यान प्रत्याख्यान ३ १३१ अ उपवहार- प्रभावना प्रभावना ३१३९ ब । व्यवहार-प्राण प्राण ३.१५२ व ३ १५४ अ । व्यवहार प्रायश्चित्त-प्रायश्चित्त ३.१५८ अ । व्यवहार- प्रोषधोपवास-प्रोषधोपवास ३ १६३ अ व्यवहार बालमरण-मरण ३२०१ अ । व्यवहार-ब्रह्मचर्य ब्रह्मचर्य ३१५९ अ व्यवहार भक्ति - भक्ति ३ १९७ ब । व्यवहार - भोक्ता भोग्यभाव - कर्ता कर्म २२२ अ भोक्ता ३ २३७ अ, भोग ३.२३८ अ ।
व्यवहार-मोक्षमार्ग मोक्षमार्ग २२२५ ३ २३६ अ । व्यवहार-रत्नत्रय - उपयोग (शुभ) १.४३४ ब, सवर ३ १४३ ब ।
व्यसन
-
व्यवहार-वारयत्यवात्सल्य ३५३२ अ । व्यवहारवान् (आचार्य) - पवहारत्वगुण ३६१७ व । व्यवहार - विनय-विनय ३५४८ अ । व्यवहार-वीर्याचार-आचार १.२४१ अ । व्यवहार- घुतकेवली - श्रुतकेवली ४.५५ ब । व्यवहार-संयम-संयम ४१३६ ब ।
--
व्यवहार समिति समिति ४३३६ अ, ४३४२ अ । व्यवहार - सम्यग्दर्शनसम्यग्दर्शन ४३५६ अ व्यवहार-सागर-काल का प्रमाण २ २१७ ब । व्यवहार साधु साधु ४ ४०४ अ । व्यवहार सुख-सुख ४४३२ अ । व्यवहार-स्तवन- भक्ति ३ १९६ व
व्यवहार स्थितिकरण स्थितिकरण ४.४७० अ । व्यवहार स्वाध्याय स्वाध्याय ४.५२३ अ । व्यवहार हिंसा हिंसा ४५३४ अ व्यहाराबलंबी मिथ्यादृष्टि २.३०३ व साधु ४.४०४
अ ।
-
--
व्यवहारेशिता अधिकार ब्राह्मण ३.१९६ अ । व्यसन - ३.६१७ ब, श्रावक ४.५० ब ।
Page #247
--------------------------------------------------------------------------
________________
व्याकरण
२४१
वातमंदर
व्याकरण-३.६१७ ब, आगमज्ञान १.२३१ ब, १.२३२ व्यास-३.६१८ ब, एकांत विनयवादी १.४६५ ब ।
बनयिक ३.६०५ अ। कुरुवंश १.३३६ अ, 'गणित व्याकरण क्रियाकलाप-आशाधर १.२८० ब, इतिहास २२३२ ब, २.२३३ ब । योगदर्शन ३.३८४ अ। १.३४४ अ।
व्युच्छित्ति-३.६१८ ब, उदय १.३७५, उदीरणा १.४११ व्याकरण गुजराती-३६१७ ब।
अ, बंध ३ ६७, सत्त्व ४.२७८ । व्याकरण जैनेन्द्र-३.६१७ ब।
व्युच्छेद-आगम (तीर्थव्युच्छेद) १२३७ अ । व्याकरण प्राकृत-३.६१७ ब ।
व्युत्कांत- ३.६२४ अ, नरकपटल-निर्देश २५३६ब ध्याकरणशास्त्र-नय (शब्दनय) २.५३६ अ।
विस्तार २५७६ ब, अंकन ३.४४१ । नारकी-अव. ध्याक्षेपासक्त-चित्तता-व्युल्सर्ग दोष ३.६२२ अ ।
गाहना ११७८, आयु १.२६३ । ध्याख्या-३.६१७ ब ।
व्युत्सर्ग-३ ६१९ अ, त्याग २.३६६ ब । व्याख्यान-उपदेश १४२५ ब, पद्धति ३.६ब ।
व्युत्सर्ग-तप-व्युत्सर्ग ३ ६२३ अ। व्याख्यानाचार्य-सत्त्व ४ २७६ ब ।
व्युत्सर्ग प्रायश्चित्तप्रायश्चित्त ३१६१ अ ।
व्युपरतक्रिया-निवृत्ति-शुक्लध्यान ४३५ ब । व्याख्यानाभास-आगम १२३६ ब ।
व्यष्टिक्रिया-मत्र ३२४७ अ, सस्कार ४१५१ स। व्याख्याप्रज्ञप्ति-३६१७ ब, श्रुतज्ञान ४६८ अ-ब, अमित
व्योमेंदू-विद्याधरवंश १३३६अ। गति ११३२ अ, इतिहास १.३२८ ब, १.३४० अ, १.३४३ अ।
व्योमचर-विद्या ३५४४ अ । व्याख्यालंकार टीका-आशाधर १.२८१ अ ।
व्योमवती-वैशेषिक दर्शन ३६०७ ब । व्याघात-३.६१८ अ, सूक्ष्म ४४३८ अ।
व्योमशेखर - वैशेषिक दर्शन ३६०७ ब । व्याघात-अपकर्षण-अपकर्षण १११३ ब, १११६ ब ।
व्रणमुख-३.६२४ अ, औदारिक शरीर १४७२ अ । व्याघात-उत्कर्षण-उत्कर्षण १.३५३ ब ।
व्रण संरोहिणी-विद्या ३ ५४४ अ। व्याघात-काल-काल (योगमार्गणा का जघन्य काल)
वत-३.६२४ अ, अस्तेय १२१३ अ, अहिंसा १.२१५ ब, २१६ अ.
उपयोग १४३३ अ, १.४३४ ब, १४३५ अ, चारित्र व्याघ्रभूति-३.६१८ अ, अक्रियावाद १३२ अ, एकात
२ २८६ अ, २.२६० अ, २.२६१ ब, २.२६२ ब, १४६५ ब ।
ध्याता २४६३ अ, पुण्य (उपयोग) १.४३५ अ, भक्ष्याव्याघ्रहस्ती-३.६१८ अ, पुन्नाटसंग १.३२७ अ।
भक्ष्य ३.२०१ब, राग ३.४०० अ, शुभोपयोग
१.४३३ अ, १.४३४ अ-ब, सवर ४१४३ ब, २.२६२ व्याघ्री-३६१८ अ, मनुष्यलोक ३.२७५ ब । व्याज-३.६१८ अ।
व्रत-कथाकोष-कथाकोष २.३ ब, इतिहास १३४६ अ । व्यापक-३.६१८ अ।
व्रतखंडन-अतिचार १.४२ ब, अपवाद मार्ग ११२१ अ। ध्यापकानुपलब्धि अनुमान--३६१८ अ, अनुमान १६७ । वतचर्या-क्रिया - मंत्र ३ २४७ अ, संस्कार ४.१५१ अ, व्यापार-३६१६ अ।
४.१५२ ब। व्याप्ति-३ ६१८ अ, कारण-कार्य २५६ अ, तर्क २३६५
वसत्याग-चारित्र २.२६० ब, २.२६१ अ, २.२६४ अ । अ।
व्रतदान-प्रत ३६२५ ब । ध्याप्तिज्ञान-मतिज्ञान ३.२५४ ब ।
व्रतधर्मा-कुरुवंश १.३३५ ब । व्याप्य--३६१८ ब।
व्रतप्रतिमा-३.६२८ ब, दर्शनप्रतिमा २.४१८ अ । व्याप्य-व्यापक भाव-कर्ता-कर्म २१६-२४, कारण-कार्य
व्रतभंग- अतिचार १.४२ ब, अपवाद मार्ग ११२१ अ। २५७ अ॥
व्रतशुद्धि-शुद्धि ४४० अ। व्याप्यव्यापक सबध--कारक २५० अ, संबध ३.१२६ अ।
व्रतारोपण-व्रत ३.६२५ ब । व्याप्यासिद्ध हेत्वाभास - असिद्ध हेत्वाभास १.२१० ।। व्रतावतरण क्रिया-सस्कार ४.१५१ ब, ४१५२ ब । व्यामोह-३६१८ ब।
व्रती-३.६२६ अ, बद्धायुष्क १.२६२ ब । ध्यावृत्ति-३ ६१८ ब, पर्याय ३.४५ ब।
बातमदर-कुरुवंश १३३६ अ।
Page #248
--------------------------------------------------------------------------
________________
शंकर मिश्र
शंकर मिश्र वैशेषिक ३.६०७ व
शंकर वेदांत ४१ अं, वेदांत २.५९६ अ ।
-
श
शंकराचार्य --४१ अ, वेदांत ३.५६५ ब ।
शकरानंद -४१ अ ।
२४२
शंका- ४१ अ, अतिचार १४४ अ, आप्त १.२४७ ब निःशक्ति २.५८६ ब ।
शंकाकार शिखा - ४ १ अ !
शंका विचार अतिचार १.४४ अ संशयमिध्यात्व ४.१४५
ब |
शंका राहित्य - आप्त १ २४७ ब ।
शंकित दोष ४.१ अ आहार १.२९१ व वसतिका
३.५२६ ब ।
शंकित विपशवृत्ति-व्यभिचार ०.६१६ व । शक- विद्या३ ५४४ अ, विद्याधरवंश १.३३९ अ । शंकु समू४ १ अ ।
-
शंख - ४.१ अ, चक्रवर्ती ४ १४ ब, चेत्य चैत्यालय २३०२, अ तीर्थंकर नेमिनाथ १.३७१ तीर्थंकर प्रभादेव २३७७, तीर्थकर बच्चधर २.३६२, यदुवंश १.३२७, हरिवश १.३४० अ । लवण सागर के पर्वत - निर्देश ३.४६२ अ नामनिर्देश ३४७४, विस्तार ३४७१, अकन ३४६१, वर्ण ३.४७८ ।
शत्र-परिणाम ४.१ अ २२७४ अ । शखरत्न - ४.१ अ रुचकवर पर्वत का कूट-निर्देश ३४७६ व विस्तार ३.४८७, अकन ३.४६९ । लव ४.१ व विद्याधर नगरी ३ ५४५ अ शंखवर -- ४१ ब, बारहवाँ द्वीप सागर - निर्देश ३.४७० अ विस्तार ३४७८ अंकन ३.४४३, जल का रस २४७० अ ज्योतिषचक २.३४० व अधिपति देव ३.६१४ ॥
>
शंखवर्ण-४१ अ. ग्रह २.२७४ अ शंखा - विदेहक्षेत्र - निर्देश ३४६० अ, नामनिर्देश ३४७० ब, विस्तार ३.४७६, ३.४५०, ३.४८१, अकन ३४४४, ३४६४ के सामने, चित्र ३४६० अ । विदेह वक्षार का कूट तथा देवी निर्देश ३४७२, ३४८५, ३४८६, अंकन ३ ४४४ के सामने | शंखाकार आकृति - ४.१ व गणित (क्षेत्रफल) २२३४
अ ।
शंखावर्त योनि-योनि ३.३५७ अ । शंब४.१ व, यदुवंश १.३३७ । शंबरदेव -- ४.१ ब ।
शंबूक - ४.१ ब ।
।
शक - ४.१ व अग्निमित्र १.१६ व शकट-४१ व तीर्थंकर ऋषभदेव २.३८४ । शकट द्वीप -- मनुष्यलोक ३.२७५ ब । शकटमुखी --४२ अ, विद्याधर नगरी ३५४५ अ । शकटमुख - विद्याधर नगरी ३.५४५ अ ।
शक वंश - ४२ अ, इतिहास १.३१० ब, १३१४ । शक संवत् - १.१०१ व १३१० अ । शकृदमन - यदुवंश १.३३७ ।
शक्कर - अनुभाग १. ६० ब ।
शक्ति ४२ अ अनशन १६६ अ कर्म २२१ अ कर्मों
1
-
शतपदा
दव (कारण) २७१ व कवाय २३८ अ, कारण २६०अ २.७१, गुण २२४० अ, २.२४१ अ. तप २३६०अ २.३६३ ब प्रकृति ३.५७ ब प्रोषधोपवास ३.१६५अ स्वभाव ४.५०७ । शक्ति- अंश-गुण २ २४१ अ । शक्तिकुमार- ४२ ज ।
शक्तितः अनशन - १६६ अ
शक्तितस्तप - तप २३६० अ, २३६३ ब । शक्तितस्त्याग-त्याग २.३६७ अ । शक्ति- भूपाल-४२ अ । शक्ति-स्थिति-उत्र्क्षण १३५४ ३ ।
""!"
शक्य पक्ष-पक्ष ३२ ब । शक्य प्राप्ति ४२ अ ।
शक्रपुरी - ४.२ अ, विद्याधर नगरी ३.५४५ अ । शादित्य- ४२ अ ।
शची-वैमानिक इंद्रो की ज्येष्ठा देवी ४ ५१३ ब । सख्या परिमाण २.२१४ ब इन्द्र १२६६ अ । इन्द्र १.२९९ अ ।
शतशत
शत उज्ज्वल - गजदंत कूट- निर्देश ३४७३ अ, विस्तार ३४८३, अकन ३.४४५, ३४५७ : इतिहास १३४१ अ
- -
शतक शतक पूर्णि इतिहास १३४१ अ बृहत् १ २४१ ब । शतक ज्वाल - गजदूत का कूट तथा देव-निर्देश ३४७३ अ, विस्तार ३४८३, अकन ३४४४, ३.४५७ । शतधनु - गणधर २२१२ब, यदुवंश १३३७, हरिवश १ ३४० अ ।
शतपदा ---४२ अ चकवर पर्वत के कूट की देवी निर्देश
2
Page #249
--------------------------------------------------------------------------
________________
शतपवा
शब्दाकुलित
३४७६ ब, अकन ३ ४६८, ३ ४६८, ३ ४६६ । शतपर्वा-४.२ अ, विद्या ३५४४ अ।। शतभागा-४२ अ, मनुष्यलोक ३ २७५ ब । शतभिषा-४२ अ, तीर्थंकर वासुपूज्य २३८०, नक्षत्र
२५०४ अ। शतमति–४.२ अ। शतमुख-४.२ ब, यदुवश १ ३३७ । शतरथ-इक्ष्वाकुवश १ ३३५ ब । शतसहस्र--संख्या-परिमाण (गणित) २२१४ ब । शतहद-४.२ अ, विद्याधर नगरी ३.५४५ अ । शतहदा-रुचकवर पर्वत की देवी ३.४७६ ब । शताख्य-स्वर्गपटल-निर्देश ४५१८, विस्तार ४ ५१८,
अंकन ४५१५, देव आयु १२६८।। शतानोक-४.२ ब, कुरुवंश १३१० ब, विद्याधरवश
१३३६ अ। शतार (देव)-४२ ब, देव-निर्देश ४५१० ब, अव
गाहना ११८० ब, अवधिज्ञान ११६८ ब, आयु १२६८, आयुबंध के योग्य परिणाम १२५८ ब । इन्द्र-निर्देश ४.५१० ब, दक्षिणेद्र ४५११ अ, परिवार ४५१२-५१३, चिह्न आदि ४.५११ ब, अवस्थान ४.५२० ब, विमान नगर व भवन ४.५२०
५२१ । शतार (देव) प्ररूपणा-बध ३१०२, बधस्थान ३.११३,
उदय १३७८, उदयस्थान १३६२ ब, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व ४.२८२, सत्त्वस्थान ४२६८, ४३०५, त्रिसयोगीभग १४०६ ब। सत् ४१६२, संख्या ४१८, क्षेत्र २.२००, स्पर्शन ४.४८१, काल २.१०४, अतर ११०, भाव ३ २२०
ब, अल्पबहुत्व ११४५। शतार (स्वर्ग)-४२ब। निर्देश ४.५१४ ब, पटल ४५१८,
इन्द्रक श्रेणीबद्ध ४५१८, ४५२०, दक्षिण विभाग ४५२१ अ । अवस्थान ४.५१४ ब, अकन ४५१५। स्वर्गपटल-निर्देश ४५१८, विस्तार ४५१८, अंकन
४५१५ । शत्रुजय-४.२ ब, विद्याधर नगरी ३.५४५ ब, विद्याधरवश
१.३३६अ। शत्र-४:२ ब, गुरु २.२५२ ब, सुख ४४३० ब । शत्रुघ्न-४.२ ब, यदुवश १.३३७, रघुवंश १.३३८ अ । शत्रुभयंकर-राष्ट्रकूटवंश १.३१५ बे। शत्रुसेन यदुवंश १३३७ । शनि-४.२ ब, ग्रह २२७४ अ । ज्योतिष विमान-निर्देश
२.३४७, आकार २३४७, किरणे तथा वाहक देव २.३४७, विस्तार २३५१ ब, अकन २.३४७, चित्र २३४७ । आधुनिक मत ३४३६, वैदिकाभिमत ३.४३२ ब। इन्द्र-निर्देश २.३४५ ब, किरणे तथा
शक्ति २.३४७ । शबर-भाषा-मीमासादर्शन ३ ३११ अ। शबर-स्वामी-४.२ ब, मीमासादर्शन ३ ३११ अ। शबरी-गुह्यगृहन-व्युत्सर्ग दोष ३६२२ अ। शबल-४२ ब। शब्द-४२ ब, आगम १२२६ ब, १२३४ अ, आगमार्थ
१२३१ अ, १२३२ ब, आहारातराय १२६ अ, ध्येय २५०० अ, नय २५१४ ब, २५४३ अ, मूर्त ३.३१८ अ, व्युत्सर्ग दोष ३.६२३ अ, सप्तभगी
४३२४ ब, ४.३२५ ब, स्फोट ४४६५ ब। शब्दकोष -४४ ब। शब्द-गौरव-गौरव या गारव २.२३६ अ । शब्द-ग्रहण संस्कार-सस्कार ४.१५० अ। शब्दचितामणि-इतिहास १.३४६ ब । शब्बनय-आगम १२३४ अ, कषाय २४० अ, नय
सामान्य २.५१४ ब, २५२० ब, नय सप्तक २५२६ ब, २.५२७ ब, २५२८ अ, नय (शब्द नय) २५३६ अ, २५३६ ब, २५४० अ, २५४१ अ, २.५४३ अ, निक्षेप २५६५ ब, २५६६ ब, समभिरूढ़ नय
२.५४० अ, सप्तभगी ४ ३२३ ब । शब्दनय-उपक्रम-उपक्रम १४१६ ब । शब्द-नयाभास-नय २.५३७ अ। शब्द-प्रमाण-आगम १२२८ अ, प्रमाण १२३४ अ। शब्द-ब्रह्म-ब्रह्म ३१८८ अ । शब्दभेद-नय (अर्थभेद) २.५३६ अ, २ ५४१ अ, मतिज्ञान
(अर्थभेद) ३ २५४ अ। शब्दरत्नप्रदीप-इतिहास १३४७ ब । शब्द-लिंगज-श्रुतज्ञान ४५६ अ, ४६० ब, ४.६७ अ। शब्दवान-४.४ ब, नाभिगिरि-निर्देश ३.४५२ ब, नाम। निर्देश ३.४७१ अ, विस्तार ३.४८३, ३.४८५,
३.४८६, अकन ३४४४, ३.४६४ के सामने, चित्र
३.४५२ ब, वर्ण ३.४७७। । शब्दसंक्रमण- शुक्लध्यान ४३३ अ । शब्द-समय-ज्ञान २.२६६ अ, समय ४.३२८ अ। शब्दांभोज भास्कर-इतिहास १.३५३ अ । शब्दाकुलित--आलोचना का दोष १२७७ ब ।
Page #250
--------------------------------------------------------------------------
________________
शब्दाद्वैत
शब्दाद्वैत-अद्वैतवाद १.४७ ब, एकात १.४६५ ब । शब्दानुपात - ४.४ ब ।
शब्दानुशासन इतिहास १३४२ अ १३४३ व १.३४७
ब ।
शब्दार्थ आगमता १२३४ब देशकाल १२३४
अ ।
शब्दावतार - इतिहास १३४० ब ।
शम - ४.४ ब ।
शयन - कृतिकर्म २१३५ ब कायक्लेश २४६ ब । शयनतप- २.४७ ब ।
शयनासन शुद्धि - वसतिका २.५२० अ
-
शय्या - सल्लेखना ४३१० ब ।
शय्याधर- भिक्षा ३.२३१ व ।
शय्या परिषह - ४४ ब, चर्या २ २७६ अ, परिषह ३.३३ ब, ३.३४ अ ।
शय्या व संस्तर शुद्धि-शुद्धि ४.४१ अ
शर कुरुवा १.२३५ व शरण-४५ अ, अनुप्रेक्षा १.७३ अ ( अनन्य शरण ) २.४६१ अ । शरद्वीप - कुरुवंश १३३५ ब । शरभरथ इक्ष्वाकुवंश १.२२५ व शरावती - ४५ अ ।
१७६ अ, द्रव्य
शरीर - ४.५ अ, अंगोपाय १.१ व अ.कर्म
अ,
१४८ ब आकार १.४७१ व कर्म २.२९ अ काम २.४४ अ कायोत्सर्ग ३.६२० अ कारक २.५०, केवली २.१५८ ब क्षीणकषाय २१८७ चक्रवर्ती ४.१० ब ४११ अ जीव २३३८ अ तीर्थंकर २ ३७३ब, देव २४४६ अ, नरक २.५०३ ब निगोद (क्षीणकषाय) २.१०७ अ न्याय २.६३३ व पिंडस्व ध्यान ३.५८ अ लेश्या (वर्ण) ३.४२५ अ व्युत्सर्ग तप ३.६२० अ, षट्कालिक वृद्धि-हानि २६३, सौक्ष्म्यस्वल्य ४६, ११५७ व
शरीर प्ररूपणा शरीरबद्ध प्रदेशवगंगा - सत् - -
४.६६ अल्पबहुत्व ११५७ । सौक्ष्म्य स्थौल्य - सत् ४.६, अल्पबहुत्व ११५७ ब । पंच शरीर स्वामित्व४७, अल्पबहुत्व ११४२ अ ११५८ व शरीरस्थान स्वामित्व - सन् ४७ ।
-सत्
कायक्लेश तप
शरीर- कृशीकरण - उपकार १.४१५ अ, २४७ अ, सल्लेखना ४.३५२ व शरीरत्यागरसर्ग तप ३.६१९ अ, सल्लेखना ४.३१२
ब ।
-
२४४
शरीरत्रिक उदय १.३७४ ब ।
शरीर नामकर्म प्रकृति प्ररूपणा - प्रकृति ३.०६ ११५ अ, २५८३, स्थिति ४४६३, अनुभाग १.९५, प्रदेश
-
३ १३६ । बध ३६७, बप्रस्थान ३ ११०, उदय १३७५ उदवस्थान १२६०, उदीरणा १.४११ अ उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४२७८, सस्वस्थान ४. ३०३, त्रिसयोगीभग १.४०४ । संक्रमण ४ ८४ व अल्पबहुत्व १.१६६ । शरीर-निर्मलता - अहंतातिशय १.१३७ ब । शरीर-निर्माण क्रम-जन्म २.३१३ अ ।
शर्कराप्रभा (प्ररूपणा)
शरीर निर्वर्तनाधिकरण अधिकरण १ ४६ ब । शरीर - निर्वृत्तिस्थान—पर्याप्ति ३४२ अ ।
शरीर पर्याप्ति पर्याप्ति ३.४१ अ, योग ३३८० अ । शरीर पर्याप्त कालकाल २५१ अ उदयस्थान १.३९३
--S
३६७ ।
शरीर प्रमाण जीव-जीव २.३३० अ शरीर-बंध - बध ३.१७० ब ।
"
शरीर बंधन गुणच्छेदना छेदना २३०६ व २३०७ अ शरीर-कुश वकुश २.१८० अ
-
शरीरबद्ध प्रदेश - अल्पबहुत्व १.१५७ ।
शरीरबद्ध वर्गणा अस्वहुत्व १.१५६ ।
शरीर रक्षा-बहार १२९२ व ।
7
शरीर वगंणावणा २५१६ व अल्पबहुत्व १.१५७ । शरीर-वियोग - हिंसा ४.५३६ ब । शरीर-विससोपचय —– अल्पबहुत्व ११४२ अ, १.१५७ । शरीर शोषण - उपकार १४१५ अ कायक्लेश तप २.४७ अ ।
शरीर सल्लेखना - ४.३०२ ब । शरीरसघात - संपात ४.१२५ अ ।
शरीरसघात नामकर्म - सधात ४.१९२४ अ । शरीर-सस्कार - साधु ४.४०५ अ ।
शरीर-स्वामित्व - अल्पबहुत्व १.१५८ ब । शरीरी - जीव २ ३३३ ब ।
शर्करा - अनुभाग १.१० व
शकेराप्रभा ४० व नरक पृथिवी अपरनाम वंशानिर्देश २,५७६ मे पटल २.५७१ व इन्द्रक श्रेणीबद्ध प्रकीर्णक २.५७८ २.५७१, विस्तार २.५७६, २. ५७८ अंकन ३.४४१ । नारकी - अवगाहना १.१७५ अवधिज्ञान १.१९५, आयु १.२६३ । शर्कराप्रभा (प्ररूपणा ) - बंध ३.१०१, बधस्थान ३.११३, ' उदय १.३७६, उदयस्थान उदयस्थान १.३६२ ब, उदीरणा
1
Maxi
Page #251
--------------------------------------------------------------------------
________________
शर्करावती
१४११ अ उदीरणास्थान १.४१२, सत्व ४.२८१, सत्त्वस्थान ४२१८, ४३०५, त्रिसयोगीभग १४०६ ब 1 सत् ४.१६६, संख्या ४६५ क्षेत्र २ १९७, स्पर्शन ४४७९, काल २१०१ अंतर १८ भाव ३२२० अ अल्पबहुत्व १९४४ ।
शर्करावती - ४.०ब मनुष्यलोक ३२७५ व । शर्मा-तीर्थंकर मिलना ३३८० ।
शलाका- -४८ ब सख्या ४ ६२ अ । शलाकाकूड असंख्यात १२०६ व शलाका-निष्ठापन भावि शलाकापुरुष ४२६ अ । शलाकापुरुष - ४.६ व आयुबध योग्य परिणाम १२५६ अ, कुलकर २.१३० ब, गज २२११ ब, जन्म (गति अगति) २३२१, २३२२, त्रिपृष्ठ २.४०० अ, मरण ३.२८४ व ।
"
राज्य - ४.२६ अ ४.२७ अ पाता २.४९३ अ व्रती ३ ६२६ अ ।
शल्परहित व्रत प्रतिमा ३.६२० व
शवविसर्जन - सल्लेखना ४.३६६ ब 1
शवशय्यासन तप -- कायक्लेश २.४७ ब ।
शशांक कुरुवा १३३५ व तीर्थंकर जयकीर्ति २.३७७ । यदुवंश १.३३७ ।
शशांकमुल विद्याधर वश १.३३९ अ
शशि - इक्ष्वाकुवंश १३३५ अ ।
शशिन यदुवरा १३३७ ।
शशिप्रभ - ४.२७ अ, चक्रवर्ती ४१० अ, यदुवंश १३३७, विद्याधरनगरी ३५४५ ब ३५४६ अ
शशिप्रभा विद्याधर नगरी ३५४५ ब
-
-
1
-
शहद - भक्ष्याभक्ष्य ३ २०२ ब, श्रावक ४५० ब । शहाबुद्दीन - आशाघर १२८० व । शांतकर स्वर्गपटल-निर्देश ४.५१८, विस्तार ४५१८,
अकन ४.५१५, देव आयु १.२६८ । शांत काय वैधक ३१७३ अ शांतनु - ४.२७ अ, कुरुवरा यदुवंश १.३३६, १३३७ ॥
१३३५ व १.३३६ अ,
शांतभद्र - ४.२७ अ ।
शांतरिक्ष - ४.२७ अ ।
शांति - उपेक्षा १.४४४ ब, चक्रवर्ती ४.१० अ । शांतिकीति ४२७ अ, नविस १३२३ अ इतिहास
१.३२९ व १३३३ ब।...
शांतिचक्र पूजा इन्द्रनदि १.२९९ । शांतिचक्र यंत्रोद्वार-यत्र ३३६२ ।
२४५
शालिसिथ मत्स्य
शांतिचद्र - कुरुवंश १.३३५ब, १.३३६ अ । शाशिनाथ ४२७ अ अपराजित १११६ अ कुरुश १.३३५ व १.३३६ अ तीर्थकर प्ररूपणा २३७६३६१ । शांतिनाथचारित्र इतिहास १३४३ अ १३४५ ब । शांतिनाथ पुराण-४२७ अ, असम कवि १२०७ ब इतिहास १३४७ अ ।
शांतिनाथ स्तोत्र स्तोत्र ४.४४६ अ । शांतिप्रभ - कुरुवश १३३५ ब १ शांति यंत्र-यंत्र ३.३६१ ।
शांतिवर्धन - कुरुवश १३३५ ब, १३३६ अ । शांतिविधान यंत्र-यंत्र २.३६३ ।
शांतिषेण १३३५ ब इतिहास १३२९ अ शांतिसागर – ४:२७ व इतिहास १३३४ ब ।
1
शांतिसेन ४२७ व पुन्नाटसघ १.३२७ अ, लाडवागढ़ सघ - १३२७ब, इतिहास १.३३० अ । शांक ४२७ व इतिहास १.३४० ब । शात्याचा
1
४२७व, स्वेतावर ४.७७ अ, १. परि०/२४, इतिहास १३३. ब, १३४३ अ ।
शर्मि- नारायण ४.१९ ब ।
1
शाकटायन न्यास --- ४.२७ व इतिहास १३४३ अ, टीका १ ३४४ ब ।
शाकटायन पात्यकीर्ति - इतिहास १३३० अ, १३४२ । शाकटाल- मगध देश इतिहास १३१० ब । शाकल्य४२७ ब, अज्ञानवाद १३८ ब ।
शाखा - ४२७ ब ।
शातंकर --- ४२७ ब ।
शाती— नाभिगिरि का रक्षक देव ३.४७१ अ ।
शाप-- ४२७ ब ।
शामकुड - ४२७ ब, इतिहास ( कुदकुद ) १.३२८ ब १ ३४० ब ।
शारीरिक दुःख-दुख २ ४३४ ब । शालतीर्थकर धर्मनाथ, सभवनाथ २.३८३, हरिवंश १ ३४० अ ।
शालगुहा - ४२८ अ, मनुष्यलोक ३.२७६ अ । शालि तीर्थकर धर्मनाथ, मल्लिनाथ २.३८३ । शालिग्राम - अग्निभूति १३६ ब ।
7
शालिभद्र ४.२८ अ अनुत्तरोपपादकदशाग १.७० व शालिवाहन ४२८ अ भूत्यवंश १.३१४ । इतिहार
१३११, १३१४ ।
शालिवाहन संवत् १२०१ ब - ।
―
शालिसिक्थ मत्स्य - समूच्र्छन ४.१२८ अ ।
Page #252
--------------------------------------------------------------------------
________________
शाली (देव)
२४६
शिवगुप्त
शाली (देव)-भावनदेव-आयु १२६५, अवस्थान ' शिक्षा--४.२८ ब, सल्लेखना ४ ३६० ब । ३.६१३ अ।
शिक्षाकाल-काल २.८०ब। शाल्मली वृक्ष-४.२८ अ, तीर्थकर सभवनाथ २ ३८३। शिक्षागुरु-गुरु २.२५२ अ ।
वृक्ष-निर्देश ३.४५८-४५६, ३.५७८ ब, अवस्थान शिक्षावत-४.२८ ब । ३४५६ ब, विस्तार ३.४५८ अ, अंकन ३.४४४, शिखडी-४ २८ ब । ३४५७, चित्र ३४५८ ब, वर्ण ३४७७, वृक्ष शिखरनी-भक्ष्याभक्ष्य ३.२०३ ब । ३.५७८ ब ।
शिखरी-४.२८ ब, वर्षधर पर्वत-निर्देश ३४४६ ब, शाल्मली वृक्षस्थल-४.२८ अ, अवस्थान ३.४५८ अ, नामनिर्देश ३.४७१, विस्तार ३४८२, ३.४८५,
अंकन ३ ४५७, चित्र ३.४५६, वर्ण ३४७७, देव ३४८६, अकन ३४४४, ३.४६४ के सामने, वर्ण प्रासादो का विस्तार ३६१५ । बौद्धाभिमत नरकस्थित ३.४७७, वैदिकाभिमत श गी पर्वत ३.४३१ ब। अय.शाल्मली वन ३.४३४ ब, वैदिकाभिमत ३४३१ शिखरी (कूट)-पद्य आदि हृदो के कूट-निर्देश ३४७४
अ, विस्तार ३४८३, अकन ३.४५४। शिखरी पर्वत शाश्वत उपादान-उपादान १.४४३ ब ।
का कुट-निर्देश ३ ४७२ ब, विस्तार ३४८३, अकन शाश्वत जिनस्तुति-स्तोत्र ४.४४६ अ, इतिहास १३४१ ३४४४ के सामने । अ।
शिखा-क्षुल्लक २१८८ ब। शाश्वत सुख-सूक्ष्म सापराय ४४४१ अ।
शिखिकंठ-भावि शलाकापुरुष ४.२६ अ। शाश्वतानत-अनत १५५ ब ।
शिथिल-साधु ४.४०७ ब । शाश्वतासख्यात-असख्यात १२०५ ब ।
शिथिल श्रद्धानी-सम्यग्दर्शन ४.३७१ अ । शासन-४२८ अ, आगम १.२२७ ब।
शिथिलाचारी-साधु ४.४०७ ब । शासनविवस-महावीर ३२६१ अ ।
शिप्रा-४२८ ब, मनुष्यलोक ३ २७५ ब । शासन देव-विनय ३५५३ अ।
शिर.कंप-४.२८ ब । शास्त्र-४.२८ अ, अग्र (श्रुत) १३६ अ, अध्यात्म १.५४ शिरोनति-कर्म २२६ अ, कृतिकर्म २.१३३ ब, नमस्कार अ, आगम १.२२७-२३६, चैत्य-चैत्यालय २.३०१
२५०६ अ, वदना ३.४६४ ब । अ, पूजा ३७७ अ। शब्दलिंगज श्रुतज्ञान ४.६७ अ, शिरोमणि वास-इतिहास १.३३३ ब । स्वाध्याय ४५२३ अ।
शिला-४.२६ अ। शास्त्रज्ञान-ज्ञान २२६७ ब, २.२६८ अ, (चारित्र) शिलामय आसन-कृतिकर्म २.१३५ ब ।
२२६७ ब, मिथ्यादृष्टि २.२६५ ब, २.२६७ ब, शिलामय संस्तर-सस्तर ४.१५३ ब ।
श्रुतज्ञान (द्रव्य) ४.५६ ब, सम्यग्दर्शन ४३५६ अ। शिलायुध-यदुवंश १.३३७ । शास्त्र-तात्पर्य-ज्ञान २.२६६अ।
शिलारेखा-कषाय (क्रोध) २३८ अ। शास्त्रदान-अपवाद मार्ग ११२२ अ, दान २.४२३ अ। शिल्पकर्म-सावद्य ४,४२० ब । शास्त्रदीपिका--मीमासादर्शन ३.३११ ।
शिल्पकार्य-आर्य १.२७५ अ, सावद्य ४.४२१ अ। शास्त्र-पठन-सिद्धातशास्त्र के पठन का अधिकार २.४८ शिल्पिसंहिता-४.२६ अ, इतिहास १.३४२ ब । अ, स्वाध्याय ४५२४ ब, ४.५२५ अ।
शिल्पि डिक्कार-इतिहास १.३४० अ । शास्त्रवार्तासमुच्चय-४.२८ ब, इतिहास १.३४४ ब । शिवकर -४.२६ अ, विद्याधर नगरी ३.५४५५ । शास्त्रसारसमुच्चय-४.२८ ब, इतिहास १.३४४ ब । शिव-४.२६ अ। तीर्थकर २.३७७, ध्यान २.४६६ ब, शास्त्राध्ययन-श्रावक का अधिकार २.४८ अ, स्वाध्याय लवण-सागर के पर्वतों का रक्षक देव ३.४७४ ब। ५.५२४ ब, ४.५२५ अ।
शिवकुमार-४.२६ । शास्त्रार्थ-बाद ३५३३ ब।
शिवकुमार बेला व्रत-४.२६ अ। शाह ठाकुर-इतिहास १.३३३ ब, १.३४५ अ।
शिवकोटि-४.२६ अ, इतिहास-प्रथम १.३२८ अ, शिकार-आखेट १.२२५ अ ।
१.३४० अ. शिक्षक--तीर्थकर संघ २.३८६ ।
शिवगुप्त-४.२६ ब, चक्रवर्ती ४.१० ब । पुन्नाट संघ
Page #253
--------------------------------------------------------------------------
________________
शिवघोष
२४७
शुक्र (देव)
१.३२७ अ, इतिहास १.३२८ अ।
शीतल वायु - अहंतातिशय १.१३७ ब । शिवघोष-बलदेव ४.१७ ब ।
शीता-रुचकवर पर्वत के कूट की दिक्कुमारी--निर्देश शिवतत्त्व-४.२६ ब ।
३.४७६ अ। शिवदत्त-४.२६ ब, मलसंघ १.३१७, १परि०/२.६, शीतोपचार-अपवाद मार्ग १.१२२ अ। इतिहास १३२८ ब ।
शीतोष्ण -योनि ३ ३८७ अ। शिवदेव-४.२६ ब।
शीर्ष-प्रकंपित - काल का प्रमाण २.२१६ ब । शिवदेवी-४.२६ ब, तीर्थंकर नेमिनाथ २.३८० ।
शीर्ष-प्रकंपित-व्युत्सर्ग दोष ३ ६२२ अ। शिवनद- यदुवंश १३३७ ।
शीर्ष-प्रहेलिका--काल का प्रमाण २.३१६ अ-ब । शिवनंदिनदिसत्र १.३२३ ब ।
शीर्ष प्रहेलिकांग-काल का प्रमाण २.२१६ अ-ब । शिवभति-श्वेताबर ४.७८ अ-ब, ४.७६ ब।
शील----४.३० अ उपयोग (शुभ) १.४३४ ब, गुण २.२४० शिवमदिर-४२६ ब, विद्याधर नगरी ३ ५४५ अ-ब ।
अ, ब्रह्म वर्य ३ १६० अ, ३.१६३ अ, शुभापयोग शिवमत-एकात (वैशेषिक) १.४६५ ब ।
१.४३४ ब, सावद्यकर्म ४.४२१ ब । - शिवमार-४.२६ ब ।
शीलकया --४३१ अ, इतिहास १३४८ अ। शिवमगेश वर्म-४२६ ब ।
शीलचंद -नदिसंघ भट्टारक १.३२३ ब । शिवलाल-४.२६ ब । इतिहास १.३३४ ब ।
शोलपनाका-इतिहास १३४७ ब । शिवशर्म सूरि-इतिहास १३२६ अ, १.३४१ अ। शीलपाहुड-४३१ अ, इतिहास १.३४० ब, वच० १.३४८ शिवसागर-४.२६ ब, इतिहास १.३३४ ब ।
अ. शिवस्कंद-४.२६ ब, इतिहास १३२८ ब ।
शीलवत-४३१ अ, शील ४.३० अ । शिवा-वैमानिक इन्द्रो की ज्येष्ठा देवी ४.५१३ ब, शीलतानतिचार -शील ४३०ब। ४५१४ अ।
शीलवतेष्वनतिचार-शीन ४.३० ब। शिवाकर--नारायण ४ १८ ब ।
शीलवृद्ध-सगति ४११६ अ । शिवादित्य-वैशेषिक दर्शन ३६०८।
शीलसप्तमी व्रत-४.३१ अ । शिवार्य-४.२६ ब, इतिहास (शिवकोटि) १३२८ अ, शुंभा-४.३१ अ। १.३४० अ।
शुक-महा शुक्रे का यान ४५११ ब । शिवि-यदुवश १.३३६ ।
शुकसम श्रोता-उपदेश १४२५ ब, श्रोता ४.७४ ब । शिविका-४.३० अ।
शकाढ्या-असुरेंद्र की अग्र देवी ३.२०६अ। शिशुनाग-मगधदेश इतिहास १.३१२ ।
शुक्ति -४.३१ अ। शिशनाग वंश-मगधदेश इतिहास १.३१२ ।
शुक्तिमती-४ २१ अ, मनुष्यलोक ३ २७५ ब, (नगर) शिशपाल-४.३० अ, कल्कीराज २३० ब, कल्कीवश ३२७६ अ। १३११ ब, १.३१५ अ ।
शुक्र-४३१ अ, औदारिक शरीर १.४७१ ब, १४७२ अ, शिष्य-४.३० अ, आलोचना १.२७८ अ, उपदेश १.४२५ विद्याधर नगरी ३.५४५ अ। अ-ब, गुरु २२५२ ब ।
शुक्र (ग्रह)-४.३१ अ, ग्रह २ २७४ अ, ज्योतिष विमान शीत-४.३० अ, परिषह ३.३३ ब, ३.३४ अ, योनि -निर्देश २ ३४८ अ, आकार २ ३४७, किरणे तथा ३.३५७ अ। नरकपटल-निर्देश २.५७६ ब, विस्तार
वाहक देव २३४७, विस्तार २३५१ ब, अकन २५७६ ब, अंकत ३४४१ । नारकी-अवगाहना २ ३४७, चित्र २३४७ । देवआयु १२६६ अ, इन्द्र ११७८, आयु १.२६३।
२.३४५ ब । आधुनिक मत ३.४३६ अ, वैदिकाभिमत शीतयुद्ध - ४.३० अ । मनुष्यलोक ३.२७५ ।
३४३२ ब। शीतपरिषह-४.३० अ, परिषह ३.३३ ब, ३.३४ अ। क(देव)-देव -निर्देश ४५१० ब, अवगाहना ११८१ शीतयोग-कायक्लेश २४७ ब, २.४८ अ ।
अ, अवधिज्ञान ११६८ ब, आयु १.२६८, आयु बंद शीतलनाथ-४.३० अ, तीर्थकर प्ररूपणा २३७६-३६१ के योग्य परिणाम १.२५८ ब । इन्द्र-निर्देश ४.५१ शीतलप्रसाद-४३० अ, इतिहास १३३४ ब ।
ब, दक्षिणेद्र ४५११ अ, परिवार ४.५१२-५१
Page #254
--------------------------------------------------------------------------
________________
शुक्र (देव)
२४८
शुद्धात्मानुभूति
अवस्थान ४५२० ब, चिह्न आदि ४.५११ ब, विमान शुद्ध उपयोग---उत्सर्ग मार्ग १.१२१ अ, उपयोग १.४३० नगर व भवन ४५२०-५२१ ।
ब-१.४३१ ब, (गुणस्थान) १.४३४ अ, पद्धति शुक्र (देव)-प्ररूपणा-बध ३१०२, बधस्थान ३११३, ३८ ब।
उदय १३७८, उदघस्थान १३६२ ब, उदीरणा १.४११ शुद्ध-उपलब्धि-उपलब्धि १.४३५ ब । अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्व ४२८२, सत्वस्थान शुद्धवारित्र-धर्मध्यान (पचमकाल) २.४८४ ब, मोक्षमार्ग ४२६८, ४३०५, त्रिस मोगी भग १.४०६ ब । सत् ३३३५ ब। ४.१६२, सख्या ४६८, क्षेत्र २२००, सर्गन ४४८१, शुद्धचेतना-चेतना २२६७ अ। काल २१०४, अतर १.१०, भाव ३ २२० ब, अल्प- शुद्धता-उदयाभाव १.३६६ ब। बहुत्व ११४५।
शुद्धदव्य -जय २५३१ अ-ब । शुक्र (स्वर्ग)-स्वर्ग-निर्देश ४५१४ ब, पटल ४५१८, शुद्वद्रव्य नैगमनय -जय २ ५३१ अ ।
इन्द्रक व श्रेणीबद्ध ४५१८,४५२०, दक्षिण विभाग शुद्धद्रव्य-नैगमाभास-नय २५३२ अ । ४५२१ अ, अवस्थान ४.५१४ ब, अकन ४५१५। शुद्धद्रव्य-व्यंजनपर्याय नैगमनय -नय २.५३१ ब । स्वर्गपटल -निर्देश ४.५१८, विस्तार ४५१८, अकन शुद्धद्रव्य-व्यंजनपर्याय नैगमाभास-नय २ ५३२ अ । ४.५१५
शद्धद्रव्याथंपर्याय नैगमानय-नय २५३१ ब । शुक्लध्यान-४.३१ अ, कालावध का अलबत्व १.१६१, शद्धद्रव्यार्थपर्याय नेगमाभास-नय २५३२ अ ।
धर्मध्यान २.४८१ अ, ध्याता २४६२ अ, २४६३ शुद्धद्रव्याथिक नय -नय २५४३ ब, नय (संग्रह) २५३४ ब, पद्धति ३६ अ, प्रतिक्रमण ३११७ ब, मोक्षमार्ग ३ ३२६ अ, विकल्प ३ ५२८ ब, शुद्धोपयोग १४३१ शुद्ध ध्यान-ध्यान २.४६६ अ । अ।
शुद्ध नय-नय २.५२३ ब। शुक्लपक्ष-लवण सागर में जलवृद्धि ३ ४६० ब ।
शुद्ध निश्चयनय-नय २.५५३ ब । शुक्ल लेश्या-कालावधि का अल्पबहुत्व ११५६, लेश्या शद्ध परिणाम-उपयोग १.४३४ ब, परिणाम ३.३१ ब ।
३४२३ ब, आयुबंध १.२५६ अ। प्ररूपणा-बंध शद्धपर्यायाथिक नय-नय (ऋजुसूत्र) २५३५ अ । ३.१०७, बधस्थान ३११३, उदय १३८४, उदय- शद्ध पारिणामिक भाव-उत्पादादि १.३५८ अ,गुण २२४१ स्थान १३६३ ब, उीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान ब, २२४२ ब, ध्येय २.५०१ ब, परम ३१२ ब, १.४१२, सत्त्व ४२८४, सत्त्वस्थान ४३०१, ४.३०६, पारिणामिक ३५५ अ, भव्य ३ २१४ अ, भाव ३.२१९ त्रिसयोगी भग १४०७ ब । सत् ४२५१, सख्या अ, मोक्षमार्ग ३ ३३५ ब, ३.३३७ ब, ३.३३८ अ । ४.१०८, क्षेत्र २.२०६, सर्शन ४.४६०, काल
शुद्ध भाव-उपयोग १४३० ब, धर्म २.४६७ अ, पद्धति २११६, अतर १.१८, भाव ३ २२१ ब, अल्पबहुत्व ३८ ब । ११५१ ब ।
शुद्धमति-४३८ ब, तीर्थंकर २.३७७ । शुचि-४.३८ अ, पिशाच जातीय व्यतरदेव ३.५८ ब ।
शुद्ध सद्भुत नय-य २५६० अ। शुचित्व-शुचि ४.३८ अ ।
शुद्धात्म ज्ञान-४.३८ ब, मोक्षमार्ग ३ ३३५ ब। शुचिदत्त-गणधर २.२१३ अ।
शुद्धात्म-दर्शन-४३८ ब, मोक्षमार्ग ३ ३३५ ब। शुचिशाल- गणधर २.२१३ अ ।
शुद्धात्म-द्रव्य-मोक्षमार्ग ३ ३३६ अ । शुत ग-४.३८ अ।
शद्धात्म-पठन--मोक्षमार्ग ३.३३६ अ। शुद्ध-४.३८ अ, अनशन १.६६ अ, अनुभव १.८२ ब, शद्धात्म-संवित्ति-पद्धति ३६अ।
१.८४ ब, १.८६ ब, आहार १.२६२ ब, उपयोग १८६ शुद्धात्म-स्वरूप-४३८ ब, मोक्षमार्ग ३३३५ ब। अ, तत्त्व २.३५३ अ, नय २.५५१ अ, परम ३.१३ अ, शुद्धात्मा-तत्त्व २ ३५५ ब, ध्येय २५०१ ब, पद्धति श्रुतज्ञान ४.६० अ । सापेक्षधर्म-अनेकात १.१०६ ३६अ, सम्यग्दर्शन ४३५७ अ, ४.३५८ अ। अ, सप्तभंगी ४.३२३ ब ।
शुद्धात्मानुभव-अनुभव १८६ ब, मोक्षमार्ग ३ ३३६ अ, शद्ध अर्थ-पर्याय-पर्याय ३.४६ ब ।
स्वरूपाचरण ४.५०६अ। शब आहार-अपवाद मार्ग ११२१ अ, आहार १२८५ शद्वात्मानभति-मोक्षमार्ग ३.३३५ ब, ३.३३६ अ-ब, अ।
सामायिक ४.४१९ ।
Page #255
--------------------------------------------------------------------------
________________
शुद्धात्माभिमुख परिणाम .२४६
शूकर शुद्धात्माभिमुख परिणाम-पद्धति ३ ८ ब ।
चतुर्थ-नदिसंघ भट्टारक १३२३ ब, इतिहास १३३२ शुद्धाद्वैत-वेदात ३६०१ अ ।
अ। पंचम -- इतिहास १३३२ अ। षष्ठ-इतिहास शुद्धाभ देव---४३८ ब, तीर्थकर २३७७ ।
१३३२ ब। सप्तम -१३३३ ब, १३४६ ब, शद्धाशन-अपवाद ११२१ अ, अनशन १६६ अ, तप १३४७ अ। २३६० अ.
शुभ-तैजस-शरीर-तेजस २३६४ ब । शद्धाशद्धोपयोग-उपयोग १४३० ब ।
शुभ-तेजस-समुद्घात--तैजस २ ३६६ अ। शुद्धि-४१८ ब, आहार १.२८५ अ-ब, १२८९ अ, शुभध्यान-धर्मध्यान २४७८ अ, २४८२ अ ।
आगम १२२८ अ, उपयोग १.४३० ब, उभय शृद्धि शुभनदि-४.४१ ब, इतिहास १३२८ ब । १४४४ ब, द्रव्य क्षेत्रादि की शुद्धि (आगम) १२२८ शुभ नामकर्म प्रकृति--पुण्य ३६०ब । प्ररूपणा -प्रकृति अ, भावशुद्धि (आहार) १२८६ अ, विष्कुम्भ
३८८, २.५८३, स्थिति ४४६६, अनुभाग १६५, (उपयोग) १४३४ अ, सम्यग्ज्ञान (उभय शुद्धि)
प्रदेश ३१३६ । बंध ३६७, बधस्थान ३ ११०, उदय १४४४ ब ।
१३७५, उदयस्थान १३६०, उदीरणा १४११ अ, शुद्धोदन-४४१ अ।
सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४ ३०३, त्रिसयोगी भग
१.४०४। सक्रमण ४८५ अ, अल्पब हुत्व १.१६७ अ । शद्धोपयोग--१.४३० ब-४३१ ब, (गुणस्थान) १४३४ अ,
शुभ परिणाम-उपयोग १.४३१ ब, पुण्य ३.६० अ, ३६३ चारित्र २२८६ अ-ब, धर्म २४६६ अ, धर्मध्यान २.४८३ अ, पद्धति ३८ ब, मोक्षमार्ग ३३३६ अ,
शुभ भाव -अनुप्रेक्षा १७८ ब, (चारित्र) १७८ ब, पुण्य संवर ४१४३ ब, हिंसा (अशुद्धोपयोग) ४ ५३२ अ ।
३६३ अ। शुद्धोपयोगी-धर्म २४६६ब, साधु ४.४०३ अ, ४४०७
शुभ भावना-धर्मध्यान २४८२ ब ।
शभ योग-योग ३३७५ ब, सवर ४१४२ ब । शुभंकर-कृरुवश १३३५ ब, १.३३६ अ।
शभ लेश्या- लेश्या ३४२२ ब । शुभ-४४१ अ, अनुभव १८६ अ, उपयोग १.४३०
__ शुभ वचनयोग-वचन ३.४६८ ब । १४३५, उपशम १.४३७ अ, धर्म २४७२ ब,
शभ विचार-सामायिक ४.४१७ ब । परिणाम ३३१ अ, प्रणिवान ३११५ अ, मनोयोग
शुभ स्वप्न-स्वप्न ४५०४ अ। ३ २७७ ब, मोह ३ ३४० ब, योग ३ ३७७ अ, सयत
शुभा-विदेह नगरी-निर्देश ३४६० अ, नामनिर्देश ४१३२ ब ।
३४७० ब, विस्तार ३.४७६, ३४८०, ३४८१, शुभ आस्रव-आस्रव १२८२ ब, सवर ४१४३ अ ।
अंकन ३ ४४४.३ ४६४ के सामने, चित्र ३४६० अ । शुभ उपयोग-अपवादमार्ग ११२० ब। उपयोग--
शुभानुबधी निर्जरा -अनुप्रेक्षा १.७५ ब, निर्जरा २६२२ १.४३०-१४३५, गुगस्थान १४३४ अ, धर्म १.४३३४३४, विष्कुम्भ १४३४ अ। चारित्र २.२६० अ-ब,
। चारित्र २.२६० अ-4, शभास्रव -आस्रव १.२८२ ब, संवर ४.१४३ अ । धर्म २४६६ ब, सवर ४१४३ ब ।
शुभपयोग-अपवाद माग ११२० ब । उपयोग-१.४३०शुभ उपशम-उपशम १४३७ अ ।
४३५, (अशुद्धोपयोग) १४३३ ब, (गुणस्थान) शुभकरण चिह्न अवधिज्ञान ११६२ अ।
१.४३४ अ, (धर्म) १.४३४, (विषकुम) १.४३४ अ । शुभकर्म-राग ३ ३६६ अ ।
चारित्र २ २६० अ-ब, धर्म २.४६६ ब, सवर ४.१४३ शुभ काययोग-काय २ ४६ अ। शुभकीति -- ४४१ ब, नदिसध भट्टारक १३२३ ब । शुभोपयोगी-चारित्र २.२६३ ब, साधु ४.४०४ अ,
काष्ठासघ १३२७ अ, इतिहास १.३३३ अ, १३४६ ४४०७ ब । अ।
शुभ्र-४.४२ अ। शुभचंद्र -४.४१ ब, शलाकापुरुष ४.२५ ब, प्रथम--नदि शुभ्रपूर -मनुष्यलोक ३.२७६ अ ।
सघ १.३२४ अ, इतिहास १ ३३१ अ, १ ३४३ अ। शुम्भा --४.३१ अ। द्वितीय-नदिसघ देशीयगण १.३२४ ब, १.३२५, शुष्क-४.४२ अ, मनुष्यलोक ३.२७५ ब । इतिहास १.३३१ ब । तृतीय-इतिहास १ ३३१ ब। शूकर-तीर्थंकर विमलनाथ २ ३७६ ।
Page #256
--------------------------------------------------------------------------
________________
शूद्र
२५०
श्यामा
शूद्र-आहारातराय १.२६ ब, प्रायश्चित्त ३.१६२ अ, कालावधि का अल्पबहुत्व ११६१, हिसा ४५३३ ब ।
भिक्षा ३.२३२ अ, ब्राह्मण ३.१६५ अ, वर्णव्यवस्था शोक --(कर्मप्रकृति)-४४२ अ, चारित्र मोहनीय ३.३४३ ३.५२५ ब ।
ब, ३ ३४४ ब, उपशम १२६ अ, १४४० अ, उपशम शूद्र (कारू)- वर्णव्यवस्था ३.५२५ ब।
की कालावधि का अल्पबहुत्व ११६१, क्षपणा १२६ शूद्रवश - वर्णव्यवस्था ३५२४ अ ।
ब, २१७६ ब, क्षपणा का कालावधि का अपबहत्व शुद्रवर्ण-वर्णव्यवस्था ३.५२३ ब, ३.५२४ अ-ब।
११६१, चारित्र २.२६४ अ । शून्य-अगुहीत द्रव्य की सहनानी '०' २.२१६ अ ।
शोक (कर्मप्रकृति)-प्ररूपगा-प्रकृति ३.८८, ३.३४१, शून्य...४.४२ अ, अनुभव १.८२ अ, जीव २.३३३ अ,
स्थिति ४ ४६१, स्थिति सत्त्वस्थानो का अल्पबहत्व ध्यान २ ४६६ ब, पदस्थ ध्यान ३७ अ, शुक्लध्यान ४.३३ अ।
११६५ ब, अनुभाग १६४ ब, प्रदेश ३ १३६ । बध शन्यघर-वसतिका ३ ५२७ ब ।
३.६७, बधस्थान ३१०६, बंध की कालावधि का शन्य दोष-कर्ता कर्म २२२ ब।
अल्पबहुत्व ११६१, उदय १.३७५, उदय की काला
वधि का अल्पबहुत्व २.१२०, उदय की विशेषता शुन्य ध्यान-धर्मध्यान २४८५ब, शुक्नध्यान ४३२ ब ।
१३७२ अब, उदयस्थान १.३८६, उदीरणा १४११ शून्य नय-४४२ अ, नय २५२३ अ।
अ. उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वशून्य परिकर्माष्टक -गणित २२२२ अ, २२२४ ब ।
स्थान ४२६५, स्पिनि सत्त्वस्थानो का अल्पबहुत्व शून्य वर्गणा-वर्गणा ३ ५१८ अ।
११६५ ब, त्रिसयोगी भग १.४०१ ब। संक्रमण शुन्यवाद-४४२ अ, एकांत १.४६५ ब, बौद्धदर्शन
४८५ अ अल्पबहुत्व १.१६८ । ३१८७ ब । शन्यागारावास- अस्तेय १.२१४ अ ।
शोक वेदनीय-मोहनीय ३३४४ अ, ३.३४४ व। शूर - ४.४२ अ, अध्रकवृष्णि १.३० अ, कुरुवंश १.३३६ शोका--विदेह नगरी-निर्देश ३.४६० अ, नामनिर्देश अ, मनुष्यलोक ३.२७५ अ, यदुवंश १३३६, हरिवंश
३४७० ब, विस्तार ३.४७६ ३४८०, ३४५१, १३४० अ।
अकन ३.४४४, ३.४६४ के सामने, चित्र ३४६० अ। शूरसेन--४४२ अ।
शोधन-आहार (अन्न शोधन) १२८५ ब । शृखलित-४४३ ब, व्युत्सर्ग दोष ३६२२ अ।
शोधित--४ ४२ ब, गणित (अकलन) २.२२२ ब । शृंगारमंजरी-इतिहास १.३४५ अ।
शोन- ४.४२ ब, मनुष्यलोक ३ २७५ व । शृंगारार्णवचंद्रिका-इतिहास १.३४५ अ ।
शौच - ४४२ ब, समिति (उपकरण) ४.३४१ अ। शेषवत् अनुमान-अनुमान १.६७ ब।
शौचधर्म-४.४२ ब, गुप्ति २२५० । शेषवती-४४२ अ, रुचकवर पर्वत के कुट की दिक्कुमारी शौचोपकरण - ममिति ४ ३४१ अ। -निर्देश ३४७६ अ, अंकन ३.४६८ ।
शौद्धोदनि-परवाद ३२३ अ । शैक्ष-४४२ अ।
शौरपुर-४४३ ब, अध्रावृष्णि १३० अ, मनुष्यलोक शैल-४४२ अ, अनुभाग १.९१ब, १६४ अ, कषाय ३२.६ अ।
(मान) २३८ अ, रत्नप्रभा ३ ३६१ अ, यदुवंश शौरीपर-तीर्थंकर नेमिनाथ २ ३७६ । १.३३७ ।
शौर्यपुर - यदुवंश १३३६ । शेलकर्म-कर्म २.२६ अ, निक्षेप २५९८ अ ।
श्मशान-निलय-मातगवश १ ३३६ ब । शैलघन श्रोता-उपदेश १४२५ ब ।
श्मशानभूमि- वसतिका ३५२७ ब । शैलनगर -- नारायण ४१८ब।
श्यामकुमार-४४३ व । शलभद्र-४४२ अ, यक्ष ३ ३६६अ।
श्याम द्वीप व सागर-तेरहवाँ द्वीप व सागर-निर्देश शैलराज-सुमेरु ४.४३७ अ।
३.४७० अ, विस्तार ३.४७८, अंकन ३.४४३, जल का शैला-४४२ अ।
रस ३४७० अ, ज्योतिषचक्र २.३४८ब, अधिपत देव शैलेशी अवस्था-शुक्लध्यान ४.३५ ।
३.६१४। शैवदर्शन-४.२ अ, एकांत १.४६५ब, वेदांत ३.६०१ अ। श्यामा-वैमानिक इद्रो की ज्येष्ठा देवी ४.५१४ अ, यदुशोक-४.४२ अ, कषाय २.३५, (रागद्वेष) २.३६ अ, वश १.३३७ ।
Page #257
--------------------------------------------------------------------------
________________
२५१
श्रीधर
श्रद्धा-प्रत्यय ३ १२५ ब, मोहनीय ३ ३४२ ब, सम्यग्दर्शन धावकाचार-४.५२ ब, इतिहास- (धर्मरत्नाकर)
४.३५० ब, ४३५६ अ, ४.३५६ ब सम्यग्दष्टि १ ३४३ अ, आगम परम्परा १३४३ ब। ४.३७८ ब।
श्रावकाचार सारोद्धार-इतिहास १३४५ ब । श्रद्धान-४४३ ब, अदर्शन परिषह १४६ ब, अनुभव श्रावणद्वादशी व्रत-४५२ ब ।
१८२ ब, आगमार्थ १२३२ ब, उपदेश १.४२६ ब श्रावस्ती - तीर्थंकर सभवनाथ २३७६, नारायण ४१८ प्रायश्चित्त ३१५८ ब, ३ १६२ अ, मिथ्यादष्टि ३३०२ ब, प्रतिनारायण ४२० ब। ब, ३.३०५ अ, सम्यग्दर्शन ४३४६ अ-ब, ४.३५२ श्राविका-उपकार १४१६ अ, तीर्थंकर सघ २.३८७। ब, ४३५४ अ, ४३५६ अ-ब, ४३५६ अ, साधु थिति - ४५२ ब, सल्लेखना ४.३६० ब । ४४०६ ब ।
श्री-४५३ अ । पपद्रह की देवी-निर्देश ३.४५३ ब, श्रद्धान प्रायश्चित्त-प्रायश्चित ३१५८ ब ।
परिवार ३.६१२ अ, अवस्थान ३६१४ अ, अंकन श्रद्धानवाद -एकात १४६५ ब ।
३.४०३, भवन विस्तार ३६१५ रुचकवर पर्वत की श्रद्धानांश-मिश्र गुमस्यान ३ ३१० अ ।
दिक्कुमारी-निर्देश ३४७६ अ, अंकन ३४६८, श्रद्धानाश्रद्धान-मिश्र गुणस्थान ३३१० अ।
३.४६६ । हिमवान पर्वत का कट तथा देवी-निर्देश श्रद्धावती-नाभिगिरि-निर्देश ३४५२ ब, नामनिर्देश
३ ४७२ अ, विस्तार ३.४५३, ३४८५, ३.४८६, ३४७१ अ, विस्तार ३४८३. ३४८५, ३४८६,
अंकन ३४४४ के सामने । अकन ३४४४,३४६४ के सामने, चित्र ३४५२ ब। श्रीकंठ-४५३ अ, भावि शलाकापरुष ४२६ अ. वानरश्रद्धावान् -४४६ ब, सम्यग्दृष्टि ४.३७८ ब।
वश १.३३८ ब। श्रद्धावान् (कूट)-वक्षारगिरि का कूट तथा देव-निर्देश श्रीकटन - ४.५३ अ, मनुष्यलोक ३ २७५ ब । ३४७२ ब, विस्तार ३.४८२, ३४८५, ३४८६,
श्रीकल्प-४.५३ अ। काल का प्रमाण २२१६ ब, २.२७
अ। अकन ३४४४ ।
श्रीकांत-भावि शलाकापुरुष ४२५ । श्रद्धावान् (पर्वत)-४.४६ ब। नाभिगिरि-निर्देश
श्रीकांता-४.५३ अ, तीथंकर कुंथुनाथ २ ३८०, सुमेरु । ३ ४५२ ब, नाम निर्देश ३.४७१ अ, विस्तार ३.४८३
वनो की पुष्करिणी-निर्देश ३.४५३ ब, नामनिर्देश ३.४८५, ३४८६, अंकन ३४४४,३४६४ के सामने,
३४७३ ब, विस्तार ३.४६०,३४६१, अकन ३.४५१, वर्ण ३.४७७ । वक्षारगिरि-निर्देश ३४६० अ, नाम
चित्र ३४५१। निर्देश ३ ४७१ अ, विस्तार ३४८२, ३.४८५, ३.४८६,
०१. श्रीकट-विद्याधर नगरी ३.५४५ अ । अकन ३४४४, ३ ४६४ के सामने, वर्ण ३ ४७७।
श्रीचंद्र-४५३ अ, कुरुवंश १.३३५ ब, १३३६ अ, चक्रश्रमण-४४६ ब, अनगार १.६२ अ, अनुभव १.८६ अ, वर्ती ४.१६ अ, भावि शलाकापुरुष ४.२५ ब ।
साध ४.४०६ अ. ४.४०७ ब, ४४१० अविशेष श्रीचद्र-४.५३ अ, नन्दिसंघ भट्रारक १३२३ ब, १३२४ दे० साधु।
अ। इतिहास १.३३१ अ, १३३३ अ, १३४३ ब, श्रमणशय्या-व्युत्सर्ग ३.६२१ अ।
१.३४६ ब। श्रवण-आहारान्तराय १२६ अ, ग्रह २२७४ अ, तीर्थ- श्रीचद्रा-सुमेरु के वनों की पुष्करिणी -निर्देश ३४५०
कर श्रेयास तथा मुनिसुव्रतनाथ २.३८०, नक्षत्र अ, नामनिर्देश ३.४७३ ब, विस्तार ३४६०, ३.४६१, २.५०४ ब।
अकन ३४५१, चित्र ३४५१ । श्रामण्य-परिग्रह ३.२५ ब ।
श्रीवत्त-४.५३ अ, तीर्थकर २.३७७ । श्रावक-४४६ ब, अनुभव १.८४-८६ अ, आहारांत- श्रीवत्त-४.५३ अ, मलसंघ १३१७, परि०/२.६. इति
राय १२८ अ, उपकार १.४१६ अ, कायक्लेश २.४८ हास-प्रथम १.३२८ ब, द्वितीय १.३२६अ,ब। अ, क्रिया २१७४ अ-ब, २.१७५ अ, तीर्थंकर संघ श्रीधर--४५३ अ, तीर्थकर २३७७, पुष्कर सागर का २.३८८, पूजा ३७५ अ, बौद्ध दर्शन ३१८६ ब ।
देव ३.६१४, विद्याधर नगरी ३.५४५ अ, वैशेषिक श्रावकसंघ-कल्की २.३१ब।
६०७ ब। भावकसूत्र-यज्ञोपवीत ३.३६६ब।
श्रीधर-४५३ अ, नन्दिसंष देशीय गण १३२४ ब।
Page #258
--------------------------------------------------------------------------
________________
श्रीधरा
२५२
श्रतक्रीति
इतिहास-प्रथम १३२६ ब, १३४२ अ। द्वितीय १३३० ब, १.३४४ अ। तृतीय १.३३०, १.३४४ अ । चतुर्थ १३३१ ब, १३४५ ब । पचम १.३३१ ब। षष्ठ १३३२ अ। सप्तम १३३२ ब । अष्टम
१.३३३ अ। श्रीधरा-४५३ अ। श्रीधर्म-तीर्थकर मुनिसुव्रतनाथ २३७८ । श्रीध्वज-यदुवश १ ३३७ । श्रीनंदन-४५३ अ। श्रीनदि-.४५३ ब, नदिसघ भट्रारक १.३२३ ब । देशीय
गण १३२५, इतिहास १३३१ अ। श्रीनदि तटगच्छ-एकात (जैनाभासी संघ) १.४६५ अ।। श्रीनाथ-४५३ ब। श्रीनिकेत-४५३ ब, विद्याधर नगरी ३५४५ ब । श्रीनिकेतन-३ ५४५ ब । सोनियन पाटि के कर...
३४७४ अ, विस्तार ३४८३, अकन ३४५४. श्रीनिलया-सुमेरु के वनो की पुष्करिणी-निर्देश ३.४५३
ब, नामनिर्देश ३.४७३ ब, विस्तार ३ ४६०, ३४६१, __ अकन ३ ४५१, चित्र ३४५१ । श्रीनिवास-४५३ ब, विद्याधर नगरो ३.५४६ अ । श्रीपर्वत-मनुष्यलोक ३ २७५ ब । श्रीपाल-४५३ ब । पचस्तूप संघ १.३२६ ब, इतिहास
१.३२६ ब, द्राविड सघ १३२० । भोपाल-आख्यान-इतिहास १३४७ अ । श्रीपालचरित-४५३ ब, इतिहास १.३४६ अ-ब, १३४७
अ-ब, १.३४८ अ। भोपालदेव-द्रविडसघ १३२० अ। भोपाल वर्णी - ४५४ अ । भीपर-४.५४ अ, चक्रवर्ती ४१० ब, विद्याधर नगरी
३.५४५ अ। श्रीपुर-पार्श्वनाथस्तोत्र-इतिहास १३४१ ब । श्रीपुरुष-४५४ अ। श्रीप्रभ-४ ५४ अ, पुष्कर सागर का देव ३.६१४, विद्या
घर नगरी ३५४५ अ । श्रीबल्लभ गोविंद-राष्ट्रकूट वश १.३१५ ब । श्रीभद्र-४.५४ अ, तीर्थंकर २३७७ ।। भीभद्रा-४५४ अ, सुमेरु के वनो की पुष्करिणी-निर्देश __३.४५३ ब, नामनिर्देश ३.४७३ ब, विस्तार ३४६०,
३.४६१, अका ३४५१, चित्र ३४५१ । श्रीभूति-भावि शलाकापुरुष ४२५ अ। भीभूषण -- ४.५४ अ, नंदिसंत्र भट्टारक १.३२३ ब,
१.३२४ अ, इतिहास १३३३ ब, १३४७ अ । श्रीमंडप-समवसरण ४३३० अ। श्रीमडप भूमि -४ ५४ अ, समवसरण ४३३१ अ। श्रीमती-४५४ अ, कुलकर ४.२३, तीर्थकर कथनाथ
२३८०, वैमानिक इद्रो की ज्येष्ठा देवी ४५१४ अ। श्रीमन्य-४.५४ अ। श्रीमहिता-४५४ अ, सुमेरु के पर्वत के वनो की पुष्करिणी
-निर्देश ३ ४५३ ब, नामनिर्देश ३ ४७३, विस्तार ३४६०-३४६१, अकन ३.४५१, चित्र ३.४५१ । श्रीमाधव-मीमांसादर्शन ३३११ अ । श्रीराधावल्लभ - वैष्णवदर्शन ३.६०६ अ । श्रीरुह-तीर्थकर युगमधर २ ३६२ । श्रीवंश-४५४ अ, इतिहास १.३३६ ब । श्रीवत्स-वैशेषिक दर्शन ३६०७ अ । श्रीवत्समित्रा-गजदत के कूट की देवी-निर्देश ३४७२
ब, अवस्थान ३६१४ ।। श्रीवद्धन --हरिवश १३४० अ । श्रीवर्मा-४.५४ अ। श्रीवल्लभ ४५४ अ। श्रीवसु-कुरुवश १३३५ ब । श्रीविजय-४.५४ ब । श्रीवृक्ष-४ ५४ ब । कुडलवर पर्वत के कूट का देव ----
निर्देश ३४७५ ब, अकन ३४६७ । महेद्र का यान ४५११ ब । रुचकवर पर्वत का कुट-निर्देश ३.४७६ ब, विस्तार ३४८७, अकन ३ ४६६ । हरिवश
१.३४० अ। श्रीव्रत-कुरुवश १ ३३५ ब । श्रीशैल-४५४ ब । श्रीष-तीर्थकर सुपार्श्वनाथ २३८३ । श्रीषेण -४५४ ब, अच्युत १४१ अ, भावि शलाकापूरुष
४२५ । सेनसघ १ ३२६ अ । श्रीसंचर -४ ५४ ब, पद्य आदि द्रहो का कूट-निर्देश
३४७४ अ, विस्तार ३.४८३, अकन ३४५४ । श्रीसंप्रदाय -वैष्णवदर्शन ३६०८ अ । श्रीसौव-४५४ ब, विद्याधरनगरी ३५४५ ब । श्रीहर्म्य-विद्याधर नगरी ३५४५ ब । श्रीहर्ष-४ ५४ ब, वेत ३ ५६५ ब । श्रुत-अग्र १३६ अ, अबर्णवाद १.२०१ अ, आत्मा
१२४४ अ, चैत्य-चैत्यालय २३०१ अ, जन्म (गतिअगति) २३२२ अ, तत्त्व २.३५३ अ। श्रुतकेवली
४५६ अ, थुतज्ञान ४५८ ब, ४.५६ अ। ध्रुतकीति - ४ ५४ ब, नदिसघ देशीयगण १३२५, नदिसंघ
Page #259
--------------------------------------------------------------------------
________________
श्रुतकेवली
श्रेयोविधा
भद्रारक १३२३ ब, १३२४ अ। इतिहास १३३१ श्रुतभक्ति (दशभक्ति -- इतिहास १३४० ब । अ-व, १३३२ ब, १३४६ ब ।
ध्रुतभावना-भावना ३ २२४ ब । श्रुतकेवली-४ ५४ प, अनुसर १८६ अ, आगम १ २३८ श्रतमनि --- इतिहास १३३२ ब, १३४५ अ-ब ।
ब, ध्याता २४६२ अ-ब, युतवली ४५७ अ । मून- श्रुतवाद --४.७१ अ, श्रतज्ञान ४६० अ।
सघ १.३१६, १ परि०/२२, अपराजित १११६ अ। श्रुतवीर -सनसब १ ३२६ अ। श्रुतगरु - गुरु २२५२ अ. नमस्कार २५०५ ब।
श्रुतसागर-४७१ अ, नदिसंघ १३२४ अ, इतिहास श्रुतज्ञान-४५७ अ, अतिचार १२२८ अ, अनुभव १८३, १३३३ अ, १३४६ अ।
अनुमान १६७ब, अर्थापनि ११३६ अ, अवधिज्ञान तसागरी-इतिहास १३२६ । ११८६ अ, आगम १२२७-२३६, उपमान १४२८
श्रुतस्कध - स्वाध्याय ४५२५ अ, । अ, कालावधि का अल्पबहत्व ११६० ब, केवलज्ञान श्रतस्कध पूजा-इतिहास १३३४ अ,१३४६ ब। (अनुभव) १.८३, तत्त्व २३५३ अ, पद ३५ ब, श्रुतस्कध व्रत-४७१ अ। परोक्ष ३ ३६ अ, १८३ ब, मन ४६० ब, मन पर्यय
थुताज्ञान -श्रुतज्ञान ४५६ ब । ३२६८ ब, श्रुतकेवली ४५६ अ, सज्ञी ४१२३ अ,
श्रुतावतार--४७१ अ. इद्रनदि १२६६ ब, इतिहास स्वाध्याय ४५२५ अ, स्वामित्व (जीवसमास)
१३१६, १३३० ब, १३३२ ब । १२६१।
श्रुति-सूर्य की अग्रदेवी २ ३४६ अ । श्रुतज्ञान (प्ररूपणा)--बध ३१०५, बधस्थान ३११३,
श्रुतिकोति-बलदेव ४ १७ ब । उदय १३८३, उदयस्थान १३६३, उदीरणा १४११
श्रुतिगम्य-४.७१ अ। अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४२८३, सत्त्वस्थान
श्रेढो-४.७१ ब, गणित २.२२८ ब। ४३००, ४३०५, त्रिसयोगीभग १४०७। सत्
श्रेढी व्यवहार गणित गणित २.२२८ ब। ४२३५, सख्या ४१०६, क्षेत्र २ २०४, स्पर्शन
श्रेणिक--४.७१ ब, तीर्थकर महापद्म २.३७७, तीर्थकर ४४८८, काल २ ११३, अतर ११५, भाव ३ २२१
वर्द्धमान २.३६१, मगधदेश इतिहास १.३१० ब, अ, अल्पबहुत्व ११५० ।
१.३१२। श्रुतज्ञान उपक्रम-१४१६ ब ।
श्रेणी-४७१ ब, अनुयोगद्वार ११०२ अ, आरोहण अवश्रुतज्ञान व्रत-४७० ब।
रोहण काल की अवधि तथा अल्पबहुत्व ११६१, गुण श्रुतज्ञानसिद्ध-अल्पबहुत्व ११५४ अ ।
स्थान २२४७ अ, युगपत् प्रवेश करने वालो का अतज्ञानावरण-ज्ञानावरण-निर्देश२२७१ अ, आबाधा
प्रमाण ४६४, विग्रहगति ३५४१ ब, विद्याधर लोक १.२४६ अ, मोहनीय ३ ३४२ अ, वर्गणा ३ ५१७ अ।
३५४१ ब, ३४६४ अ, विद्याधर लोक मे कालप्ररूपणा-प्रकृति ३८८, २.२७१ अ, स्थिति ४४६०,
विभाग २६३, सेना को अठारह श्रेणी ४७२ अ। अनुभाग १६४ ब, प्र.श ३ १३६ । बत्र ३६७, बध
श्रेणीचारण ऋद्धि-ऋद्धि १४४७, १.४५१ ब । स्थान ३१०६, उदय १३७५, उदयस्थान १३८७,
श्रेणीबद्ध-४७२ ब । नरक बिल-निर्देश २ ५७१ ब, उदीरणा १.४११ अ, उदोरणास्थान १४१२, सत्त्व
२५७६ अ, विस्तार २५७८ ब, अकन ३.४४१, ४२७८, सत्त्वस्थान ४२६४,त्रिसयोगी भग १.३६६ । सक्रमण ४८४ ब, अल्पबहुत्व ११६८।
सख्या २५७८-५८०। स्वर्गविमान निर्देश ३५६३ श्रुतज्ञानी-अनुभव (केवलीसम) १८३ ब ।
अ, ४.५१६ अ, नामनिर्देश ४५१६ अ, विस्तार भुत थकृति-ग्रथ २२७३ ब ।
४५१६-५१८, अकन ४.५१७, सख्या ४.५१६श्रुततीर्थ-इतिहास-उत्पत्ति १३१७ ब, १. परि०/२१, ५२०। ह्रास १.३१८ अ, १. परि०/३१ ।
श्रेणीबद्ध कल्पना-४७४ अ। श्रुतदर्शन-दर्शन २.४१५ ब।
श्रेयस्कर-४७४ अ, लौकातिक देव ३.४६३ बा। धतदेवता-समवसरण ४३३० ।
श्रेयांस- ४७४ अ, कुरुवशी राजा १.३३५ ब, तीर्थंकर धुतधर आम्नाय-इतिहास, १.परि०/२१-२-३, ३.१ । २.३७६-३६१, नारायण ४१८ ब, स्वप्न ४.५०५ अ। श्रतपंचमी क्रिया-कृतिकर्म २.१३६ अ।
श्रेयांससेन---काष्टासघ १.३२७ अ। श्रुतपंचमी व्रत--४७१ अ।
श्रेयोविधा-अभयनंदि १०१२७ अ।
Page #260
--------------------------------------------------------------------------
________________
श्रेष्ठी
२५४
षद्रव्य
श्रेष्ठी--तीर्थ कर २.३७७ ।
४ ५१ ब, आवश्यक कर्म (साधु) १२७६ ब, आहार श्रोता. ४.७४ अ, उपदेश १,४२४ ब ।
१.२८५ अ, कर्तव्य (श्रावक) ४५१ ब, कर्म (असिश्रोत्र (इद्रिय)-आहारातराय १२६ अ, इंद्रिय १.३०२ मसि आदि) 6 २४, ४.४२० ब, कारक २४८, खड
अ, प्रदेश तथा अवगाहना का अल्पबहुत्व ११५७, ४८१ अ, धनागुल की सहनानी २२१६ ब, दर्शन प्राप्यकारी १३.३ ब ।
(एकात मत) १४६५ अ, द्रव्य २.४५५ ब, पर्याप्ति श्रोत्रज मतिज्ञान - कालावधि का अल्पबहुत्व ११६० ब,
३४१ अ, रम ३ ३६३ अ, हानिवृद्धि ४८१ अ। श्रुतज्ञान ४६२ अ।
षट्-अनायतन-आयतन १ २५१ अ। श्रोत्रिय ब्राह्मण ३.१६५ अ ।
षट्-आवश्यक-श्रावक ४५१ ब, साधु १.२७६ ब । श्लक्ष्णकला-~४७५ ब ।
षटकर्म-श्रावक ४५१ ब, सावध ४४२० ब । श्लेष-४७५ ब। श्लेष संबंध-४७५ ब ।
षटकाय-काय २४6 ब । श्लेष्म-औदारिक शरीर १४७२ अ ।
षट्कारक-कारक २४८-५०, ज्ञान (भेदज्ञान) २.२६१ श्लोकवातिक-४७६ अ, इतिहास १.३४१ ब । मीमासा
ब । ध्यान २४६५ अ। दर्शन २३११ अ।
षदखंड-४८१ अ, भरत आदि क्षेत्रो के छ: छ: खंड - श्लोहित-४७६ अ।
निर्देश ३.४४६ अ, विस्तार ३४४७, ३४६० अ, श्वपाकज -विद्याधरव श१३३६ अ ।
३.४७६, अवन ३४४७, ३४६४ के सामने, गणना श्वपापविद्या-विद्याधरवश १.३३६ अ।
३४४५ अ, काल विभाग २६३ । श्वस्ना-४७६ अ, मनुष्यलोक ३.२७५ ब ।
षट्खंड टीका- इतिहास १३४० ब । श्वासोच्छ्वास-४.७६ अ, उच्छ्वास १.३५२ ब, काला- षखंडागम-४८१ अ, इतिहास १३४० अ।
वधि का अल्पबहुत्व १.१६१ अ, प्राणायाम ३१५५ अ, षटखडागम टीका-इतिहास १ ३४० ब । शुक्लध्यान ४३५ब ।
षट् गुण हानि वृद्धि-४८१ अ, अगुरुलघु १.३४ अ श्वेत-तीर्थंकर मल्लिनाथ २३८३ ।
___अध्यवसाय १.५३ ब, गणित २ २३१ । श्वेतकुमार-४७६ अ।
षट्चक-पदस्थ ध्यान ३६ ब । श्वेतकेतु-४.७६ अ, विद्याधर नगरी ३५४५ अ।
षट्चत्वारिशत् - अर्हत के गुण १.१३७ ब, आहार के दोष श्वेतध्वज-विद्याधर नगरी ३५४५ अ ।
१२८७ अ, १२८६ अ, वसतिका के दोष ३ ५२८ श्वेतपंचमी व्रत-४.७६ अ।
अ। श्वेतरधिर-अहंतातिशय १.१३७ ब ।
षटत्रिंशत्-आचार्य के गुण १२४२ अ। श्वेतवर्ण-मंगल ३ २४४ अ ।
षट्पर्याप्ति-केवली २.१६२ ब, पर्याप्ति ३.४१ अ। श्वेतवस्त्र-क्षुल्लक २.१८८ ब ।
षट्प्राभूत टोका-इतिहास १३४६ ब । श्वेतवाहन-४.७६ अ ।
षडशता-परमाणु ३.१७ अ। श्वेतांबर-४.७६ अ, अचेलकत्व १४० अ, कुदकुद षडनायतन-आयतन १.२५१ अ। २.१२७ अ, मूलसंघ १.३१६ अ, १. परि०/२.३,
षडशीति-इतिहास १.३४५ अ। निंदा २.५८८ ब ।
षडावश्यक - आवश्यक (साधु) १.२७६ श्रावक ४.५१ ब । श्वेतांबर पराजय-इतिहास १.३४७ ब ।
षड्क--४८१ ब । श्वेतांबर संघ-एकात (जैनाभास) १.४६५ अ ।
षड्गुण-हानि-वृद्धि-४८१ अ, अगुरुलघु १.३४ अ अध्यवश्वेतांबराभास-श्वेताबर ४.८० ब।
साय १.५३ ब, गणित २.२३१ अ। षड्ज - ४८१ ब, स्वर ४५०८ ब । षड्दर्शन--एकात १४६५ अ, दर्शन २.४०२ ब। षड्दर्शनसमुच्चय-४.८२ अ, इतिहास १३४१ अ । बड़दिक-अपक्रम-गति ३ ३५ ब, २.२३६ अ।
षड्दिक-गति-गति २.२३५ ब, २.२३६ अ। चंड वन-तीर्थकर २.३८३ ।
षद्रव्य-निर्देश (द्रव्य) २४५५ ब, अल्पबहुत्व १.१४२ बट-अनायतन १.२५१ अ, आवश्यक कर्म (श्रावक) ब, कर्म २.२८ ब, कारण-कार्य २.६३ ब ।
Page #261
--------------------------------------------------------------------------
________________
षडरस
२५५
संख्या तुल्यघात
षडरस-रस-परित्याग तप ३३६३ अ ।
सकल्प-४.८२ ब, आहारांतराय १.२६ अ, विकल्प षडरसी व्रत-४८२ अ ।
३५३७ ब। षधि आहार-आहार १.२८५ अ।
संकल्पी हिंसा-हिंसा ४५३५ अ । षविशति (कर्म प्रकृति)-सक्रमण ४८७ ब, सत्त्व संकुट-४८२ ब, जीव २ ३३३ ब । ४२७६ अ।
संकेत-४८२ ब। बग्णवति प्रकरण - ४.८२ अ, इतिहास १३४२ ब ।
संकेत क्रम-४८२ ब । षष्ठ अणुव्रत-रात्रिभोजन ३४०३ अ ।
संकोच-४८२ ब । षष्ठ बेला-४८२ अ।
संकोच-विकोच-काय ८४६ ब, मनोयोग ३२७६ ब, पष्ठ भक्त-४ ८२ अ, अनसन १६५ ब, कायक्लेश २ ४७
योग ३३७६ । अ, प्रोषधोपवास ३१६४ ब ।
संकोच-विस्तार-जीव २३३८ ब, २३३६ ब, मोक्ष षष्ठितत्र-साख्यदर्शन ४.३६८ ब।
३३२६ अ, योग ३ ३७६ अ। षष्ठीवत-४.५२ अ।
संकोच-विस्तार धर्म - जीव २३३८ ब, २३३६ ब । षाष्ठिक पद्धति -४८२ अ ।
संक्रमण-४८२ ब, अतरकरण १२५ ब, १.२६ अ-ब, षोडश-सहनानी अनत = '१६', अनतानत= १६,
अष्टकर्म अल्पबहुत्व ११७५, आयुकर्म १२६० असख्यात (परीत)=१६, जीवराशि=१६ । काल
ब-२६१, करणदशक २६, कालावधि का अल्पबहत्व समय राशि-१६ ख ख, आकाशप्रदेश राशि-१६ १.१६०, कृष्टि २१४२ अ, क्षपणा २१८० अ,
गलितावशेष २२३८ ब, गुमास्यान (करण दशक) ख ख ख । २२१६ अ ।
२६ अ, प्रदेशो का अल्पबहुस्त्र १.१७४ ब। षोडश-आहार के उत्पादन व उद्गम दोष १२८६-२६१,
संक्रांति-४६१ अ, शुल्कध्यान ४.३७ अ। कुलकर ४.२३ अ, पृथिवी (रत्नप्रभा) ३ ३८६ ब,
संक्लिष्ट हस्तकर्म-हस्तकर्म ४.५३० ब। भावना ३.२२५ अ, स्वप्न ४५०४ अ।
संक्लेश- उपयोग १४३१ ब. १.४३३ ब, विशुद्धि ३५६८ षोडशकारणधर्म चक्रोद्धारयंत्र-यत्र ३ ३६३ ।
अ-ब, स्थितिबंध ४४५८ ब, ४.४६०-४६७, स्थान षोडशकारणभावना-भावना ३ २२५ ।
४४५२ ब, स्थानो का अल्पबहुत्व १.१६० अ । षोडशकारणभावना व्रत ४८२ अ ।
संक्षेप दर्शनार्य-आर्य १.२७५ अ । षोडशपदिक अल्पबहुत्व --अल्पबहुत्व १ १४२ ब ।
सक्षेप रुचि -उपदेश १.४२५ अ, सम्यग्दर्शन ४३४८ब । बोरश स्वप्न - ४.५०४ अ, ब, ४.५०५ अ।
संक्षेप शारीरिक-वेदात ३.५६५ ब । संक्षेप सम्यक्त्वार्य---आर्य १.२७५ अ । संक्षेप सम्यग्दर्शन-सम्यग्दर्शन ४३४८ ब । संख्या - ४.६१ अ, अनुयोगद्वार १.१०२ अ-ब, अवधिज्ञान
१.१६६ अ, करणत्रिक (परिणाम) २७-१४, गणित २.२१४ ब, २२२६ अ-ब, जीवप्ररूपणा ४.६४-१०६,
द्रव्य २.४५६ ब, मोक्ष (मुक्तजीव) ३ ३२८ अ । संख्यात ---असख्यात १.५८ ब, गणित २२१४ ब, २.२१८
अ, सख्या ४६२ अ। सं-संज्ञी की सहनानी २.२१६ अ, सामाधिक ४,४१५ अ। संख्यात गणवद्धि अध्यवसाय १.५३ अ, धुतज्ञान संकटहरण व्रत-४.८२ अ।
४६६ अ, षड्गुण हानि-वृद्धि ४.८१ ब। सकर दोष-४.८२ अ, कर्ता-धर्म २.२२ ब ।
संख्यात भागवृद्धि-अध्यवसाय १.५३ ब, श्रुतज्ञान ४.६६ संकलन-४.८२ अ, गणित २२२२ ब, २.२२४ अ ।
अ, षड्गुण ४.८१ ब । संकलन-व्यवहार-गणित २.२२६ ब ।
संख्याताणवर्गणा- वर्गणा ३.५१३ अ, ३.५१५ ब, संकलन-श्रेणी व्यवहार-गणित २.२२८ ब, २.२२६ ब । ३.५१६ । संकलित धन-४.८२ ब।
संख्या तुल्यधात- ४.११ ।
Page #262
--------------------------------------------------------------------------
________________
संख्याधिकार
२५६
सतिणाहचरिउ
संख्याधिकार-अयोगद्वार ११०३ अ ।
संचेतन-४१२४ ब । संख्या व्यभिचार-नय २ ५३७ ब ।
संचेतना-अनुभव १८२ अ। संगति -४११८ अ।
सजम-रुद्र ४२२ ब। संगीत समयसार-इतिहास १३४४ ब ।
संजयंत-४.१२४ ब, विद्याधर नगरी ३ ५४५ अ, हरिवंश संगीति-अहंदबलि ११३८ ब ।
१३४० अ। संग्रह-४.१२३ ब, आगमार्थ १.२३२ अ ।
संजयंती--विद्याधर नगरी ३.५४५ अ। संग्रहकृष्टि--कृष्टि ११४० अ-ब, २.१४१ अ।
संजय-४१२४ ब, विद्याधरवश १३३६ अ । सग्रहनय-उपचार १.४२३ अ, कषाय २.३६ अ-ब, सजात-तीर्थंकर २३६२ ।
दर्शन २.४०६ ब, नय २.५२७ ब, २.५३२ अ, संज--सज्ञी ४ १२२ अ।
२.५३३ ब, निक्षेप २५६५ अ, सप्तभंगी ४.३१८ ब। सज्ञा-४१२० ब, मार्गणा३२६८ अ। संग्रहनय-उपक्रम-उपक्रम २.४१६ ब ।।
संज्ञासंज्ञ -४१२१ ब । संग्रहाभास-नय २.५३४ ब ।
सज्ञी-४१२१ ब, आयु १२६४ अ, केवली २१६३ ब, संघ-४ १२३ ब, अवर्णवाद १.२०१ अ, इतिहास १३१६, जीव २.३३३ ब, जीवसमाम २ ३४३, प्राण ३ १५३
उपकार १.४१६ अ, एकात जैनाभाम १४६५ अ, अ. संक्लेश विशुद्धि स्थानो का अपनत्व १-१६० अ, कल्की २३१ ब।
सजी मार्गणा ४१२१ ब, सहनानी २२१६ अ। सघकरमोचन दोष-व्युत्सर्ग ३६२३ अ।
संजी मार्गणा (प्ररूपणा)-प्ररूपणा-बध ३.१०८ बंध संघसाक्षी-व्रत ३ ६२६ अ ।
स्यान ३ ११३, १३८५, उदयस्थान १.३६३ ब, संघाट-नरक पटल-निर्देश २५७६, विस्तार २ ५७६, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व
अंकन ३४४१। नारकी-अवगाहना ११७८, आयु ४२८४, सत्त्वस्थान ४ ३०२, ४.३०६, त्रिसयोगी भग १.२६३ ।
१४०८ अ। सत् ४.२६०, सरूग ४१०६, क्षेत्र संघात-४१२४ अ, वर्गणा ३५१६ अ, श्रुतज्ञान ४६४ २२०७, सर्शन ४४६३, काल २.११६, अतर १.२१, ब, स्कध ४ ४४७ अ।
भाव ३ २२२ अ अल्पबहुत्व ११५२ । संघात (नामकर्म प्रकृति)-४१२४ अ । प्ररूपणा- संज्वलन-४१२४ ब, कषाय २.३५ ब, २.३८ अ, २.३६ प्रकृति ३.८८, २.५८३, स्थिति ४४६३, अनुभाग
अ, संयत ४१३२ अ। १.६५, प्रदेश ३१३६, बध ३.६७, बंधस्थान ३११०, सज्वलन (कर्मप्रकृति)-प्ररूपणा--प्रकृति ३.८८, ३.३४१, उदय १३७५, उदयस्थान १३६०, उदीरणा १४११
स्थिति ४.४६१, अनुभाग १६१ ब, १.६४ अ, प्रदेश अ, उदीरणा स्थान १.४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्वस्थान
३ १३६ । बध ३ ६७ बधस्थान ३ १०६, उदय १३७५, ४.३०३, त्रिसयोगी भग १४०४। सक्रमण ४८५
उदयस्थान १३८६, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणाअ, अल्पबहुत्व ११६८ ।
स्थान १४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्यान ४ २६५, संघातन---४ १२४ अ।
स्थिति सत्वस्थान अल्पबहुत्व १.१६५ ब, त्रिसयोगी संघातन कृति - संघातन ४.१२४ अ ।
भग १४०१ ब, सक्रमण ४.८५ अ, अल्पबहुत्व संघातन-परिशातन कृति-सघातन ४१२४ ब।
१.१६८। सघात-समास-ज्ञान-श्रुतज्ञान ४.६४ ब ।
सज्वलन चतुष्क-उदय १३७४ ब । संघातिम-निक्षेप २६०२ ब ।।
संज्वलित-४१२५ ब । नरकपटल-निर्देश २.५७६ ब, संघायणी (ब. संघायणी सुत्त)-~४.१२४ ब, इतिहास विस्तार २ ५७६ ब, अकन ३.४४१ । नारकी--अव१.३४१ अ।
गाहना १.१७८, आयु १.२६३ । संचया–४.१२४ ब ।
संततता-४१२५ ब। संचरण-जीव २.३३९ ब ।
संतलाल-४१२५ ब, इतिहास १.३३४ अ। सचार-४.१२४ व।
संतान-४.१२५ ब, ग्रह २.२७४ अ, धर्मध्यान २.४८१ संचारगति-गति २.२३५ अ ।
___ ब, वर्णव्यवस्था ३ ५२० ब । संचालन-जीव २.३३६ ब ।
संतिणाहचरिउ-इतिहास १.३३३ ब, १.३४४ अ, १.३४५
Page #263
--------------------------------------------------------------------------
________________
संतोष
२५७
संयतासंयत
अ, १.३४६ अ, १.३४७ अ ।
संबंधांतर अधिकार-ब्राह्मण ३.१९६ ब। संतोष-शौच ४४२ ब, संयम ४.१३६ ब ।
संबधाहार-सचित्त ४१५८ अ। सतोषतिलक जयमाल--इतिहास १३४७ अ ।
संभव-४ १२६ ब, ग्रह २.२७४ अ, तीयंकर २३७६संतोष भावना-भावना ३.२२५ अ ।
३६१, देव (आकाशोपपन्न) २.४४५ ब । सदंश-आहारातराय १२६ ब ।
संभवचरिउ-इतिहास १.३४६ अ। संदिग्ध-भक्ष्याभक्ष्य ३ २०३ अ ।
संभवदल कर्म-१.१०२ अ। संदिग्ध अन्न-भक्ष्याभक्ष्य ३.२०३ अ।
सभवनाथ-४.१२६ ब, तीर्थकर २.३७९-३९१ । सदिग्धासिद्ध हेत्वाभास-असिद्धहेत्वाभास १.२१० अ। संभवयोग-योग ३ ३७६ अ । संदृष्टि-४१२५ ब, अधःकरण २७-६, अपूर्वकरण संभावना सत्य-सत्य ४ २७१ ब । २१२ब।
संभाषण-४ १२६ ब। संदेह-नि शकित २५८६ ब ।
सभिन्नमति-४.१२६ ब । संधान-भक्ष्याभक्ष्य ३ २०३ अ।
संभिन्नश्रोत्र-ऋद्धि १.४४८, १.४४६ ब, गणधर २.२१२ सधानक-भक्ष्याभक्ष्य ३२०३ ब । संधि-४.१२५ ब, औदारिक शरीर १४७२ अ, ग्रह सभूत-चक्रवर्ती ४१० अ, नारायरण ४.१८ ब, हरिवश २२७४ अ।
१,३४० अ। संध्या-सामायिक ४४१५ ब ।
संभ्रांत-४.१२६ ब। नरकपटल -निर्देश २५७६ ब, संध्याकार-राक्षसवंश १.३३८ अ।
विस्तार २ ५७६ ब, अकन ३४५७ । नारकी-अवसध्याकाल-वदना ३४६५ अ।
गाहना ११७८, आयु १२६३ । संनिधिकरण.-पूजा ३८० ब।
संमद-शलाकापुरुष ४२६ अ । सन्यास-आश्रम-आश्रम १२८१ अ, वर्णव्यवस्था ३.५२४ संमिश्र-भोगोपभोग ३ २३६ ब, सचित्त ४ १५८ अ।
संमूच्र्छन-४१२६ ब।। सन्यास-क्रिया--कृतिकर्म २१३६ अ ।
संमूर्च्छन जन्म -संमूचठन ४ १२६ ब । सन्यास-मरण-सल्लेखना ४३६२ ब, ४ ३६३ ब, ४३८६ संमर्छन मनुष्य-समर्छन ४ १२७ अ, मनुष्य ३ २७३ ।
संमच्छिम-४ १२६ ब । अवधिज्ञान ११९५ अ, जीवसंन्यास-विधि-स्वाध्याय ४.५२६ अ ।
समास २.३४३, तिर्यच २३६७, मनुष्य ३२७३, संपराय-४१२५ ब।
वनस्पति ३५०३ अ,३५०६ अ। संपरिकीति-राक्षसवश १३३८ अ।
संमच्छिम तियंच-तियंच २ ३६७, वेद ३५८७ अ। संपूर्ण जीवराशि-सहनानी २२१६ अ।
समूच्छिम मनुष्य - मनुष्य ३ २७३, समूच्र्छन ४.१२७ ब । संप्रज्वलित-.४.१२५ व । नरकाटल -निर्देश २ ५७६ ब। संमेदशिखर-तीर्थंकर प्ररूपणा-२३८५।
विस्तार २५७६ ब, अकन ३ ४४१ । नारकी अव- संमेदाचल माहात्म्य-४३४४ अ, इतिहास १३४८ अ। गाहना १.१७८, आयु १२६३ । वैदिकाभिमत नरक संमेलन-अर्हबली १.१३८ ब । महाज्वाल तथा वह्निज्वाल ३ ४३२ व ।
संमोह (देव)-४.१२८ ब, आयुबंध के योग्य परिणाम संप्रति-४.१२५ ब, मौर्यवश १३१३, इतिहास १.३१० ब। १२५८ अ, देव २४४५ ब, पिशाच जातीय व्यतर देव संप्रदान कारक-४१२५ ब । कारक २४८ ब ।
३५८ ब। संप्रदान शक्ति-४१२५ ब ।
संमोही भावना-४१२८ ब, भावना ३ २२५ व। संप्रदाय-विरध-आगम १.२३७ ब।
संयत-४१२८ ब, विशेषताओं के लिए दे० संयम । सप्राप्तिजनित उदय-उदय १३६६ अ ।
प्ररूपणाओं के लिए दे० प्रमतसयत तथा अप्रमत्तसबध--४.१२५ ब, कारक २४६ ब, ज्ञान २२६१ ब, संयत ।
नय २५४६ ब, न्याय २६३३ अ, सप्तभंगी भेदाभेद संयतासंयत-४१३३ ब, विशेषताओ के लिए दे. संयमा४.३२४ अ-ब, ४.३२५ ब ।
संयम । प्ररूपणा-बंध ३६७, बधस्थान ३.११०, संबंधशक्ति-४.१२६ ब।
३.१११, उदय १.३७५, उदयस्थान १.३६२ भ,
Page #264
--------------------------------------------------------------------------
________________
Pr
2161
संयप
२५८
संरक्षणानंद
उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४.२७८, सस्त्रस्थान ४ २८८, ४२६६, ४.३०४, त्रिमयोगी भंग १,४०६ अ। सन ४.१६२, सख्या ४६५, क्षेत्र २.१६७, स्पर्शन ४.४७७, काल २६६,
अतर १७, भाव ३ २२२ ब, अल्पबहुत्व १.१४३ । संयम-४.१४० ब, तीर्थकर २.३७७, शलाकापुरुष
४.२५ अ। संयम (सयत)-४ १.५ ब, अनगार (सयत) १६२ अ,
अवधिज्ञान ११९५ अ, अग्युका अपवर्तन १२६१ ब, आर्तध्यान १२७४ अ, आहारक समुद्धात १२६८ ब, उपयोग १ ४३१ अ, १.४३२ अ, १.४३३ अ, १.४३४ अ, ऋद्धि (चारण) १४५१ ब, कषाय २.३४ अ, केवली २१६५ अ, क्षयोपशम २.१८५ ब, २.१८६ अ, क्षायोपश्चमिक भाव २१८२ ब, चारित्र २२८२ ब, २.२८७ ब, २.२८८ अ, २.२८६ अ, २.२६१ ब, १.२६३ अब, जन्म (गनि-अगति) २३२२ ब, तप २.३५६ ब, २.३६१ अ, तिर्थच २.३६६ ब, निर्जरा का अल्पबहुत्व १.१४१ ब, प्रत्याख्यानावरण ३.१३३ ब, बद्ध'युष्क १.२६२ ब, मोक्ष ३.३२६ ब, मोक्षमार्ग ३ ३३६ अ-त्र, लब्ध ३.४१४ अ, शुक्लध्यान २.३४ ब, षट्कालिक हानिवृद्धि २.६३, सन्निरातिक भाव
४.३१२ ब, साधु ४.४०७ अ, सामाधिक ४४१८ ब। सयम (प्ररूपणा)-बध ३.१०६, बधस्थान ३.११३, उदय
१३८३, उदरस्थान १.३६३ अ, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व ४.२८३, सत्त्वस्थान ४३०१, ४३०६, त्रिसयोगी भग १,४०७ ब । सत ४२३६, सख्या ४.१०६, क्षेत्र २.२०५, स्पर्शन ४४८६, काल २.११४, अंतर १.१६, भाव ३.२२१, अल्पबहुत्व १.१५०, भागाभाग ४.११३ । पंचशरीरस्वामित्व-निर्देश ४.७, अल्पबहुत्व १.१५६ ब।
अनुभाग का अल्पबहुत्व १.१६८ । संयम (अपहृत)-अपवादमार्ग १.१२० ब । सयम (उपेक्षा)-उत्सर्गमार्ग १.१२१ अ । संयम (उपकरण-उकरण १.४१४ ब, समिति ४.३४१
सयमस्वरूप-प्रतिमा-चैत्य-चैत्यालय २.३०० ब । संयमाचरण-चारित्र २२८५ अ । सयमासंयम-४१३३ ब, अप्रत्याख्यानावरण १.१२६ अ.
आरोहण अवरोहण २.२४७, आर्तध्यान १२७४ अ, करण दगक २.६ अ, कषाय २४० ब, काय २.४५ ब, क्षयोपशम २.१८५ अ, २१८६ अ, क्षायोपशमिक भाव २,१८२ ब, २१८३ अ, क्षापिक सभ्यग्दष्टि २.३६८ ब, चारित्र २.२८७ ब, तिर्यच २.३६८ ब, तिर्यच अपर्याप्त २३६६ अ, तीर्थंकर २.३७३ ब, परिषह ३ ३४, प्रदेश निर्जरा का अल्पबहुत्व १.१७४, बद्धायुष्क १२६२ ब, लब्धि ३४१४ अ, मख्या ४६२ ब, समर्छन ४.१२७ अ, सन्निपातिक भाव ४३१२ ब, समुद्घात ४.३४३ अ, सम्यग्दर्शन
(क्षायिक) ४.३७३ ब। सयमासंयम (प्ररूपणा) बंध ३.१०६, बधस्थान ३११३,
उदय १३८३ उदयस्थान १.३६३ अ, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान १.४१२ सत्त्व ४ २८५, सत्त्वस्थान ४.३०१, ४.३०६, त्रिसयोगी भग १.४०७ । सत् ४.२३९, सख्या ४.१०६, क्षेत्र २-२०५, स्पर्शन ४,४८६, काल २.११४, अंतर १.१७, भाव
३.२२१ अ, अल्पबहुत्व १.१५१ । संयमोपकरण --उधकरण १४१४ ब, समिति ४.३४१ अ। संयोग-विभाव ३.५६१ अ । सयोगकेवली-दे० सयोगकेवली । सयोगगति - गति २.२३५ अ । समोगद्रव्य-द्रव्य २ ४५४ ब । सयोगपद-उपक्रम-उपक्रम १.४१६ ब । संयोगवाद -४१४१ अ, एकात १४६४ ब १.४६५
अब। संयोग सबंध - ४१४१ अ, नय २४६० अ, २.५४६ ब । संयोगाक्षर - अक्षर १३३ अ। सयोगाधिकरण-अधिकरण १४६ अ । संयोगी स्थान प्ररूपणा-उदय १३६९-४०८ । संयोगी भंग-उदय १३९६-४०८, गणित २.२२८ अ। सयोगी भाव-विभव ३५६१ अ, सन्निपातिक भाव
४.३१२ ब। संयोजन-४१४१ अ। संयोजना दोष-आहार १२६० अ। संयोजना सत्य-सत्य ४.२७१ ब । संरंभ-४१४१ अ। संरक्षणानंद-रौद्ध्यान ३.४०७ ब, ३४०८ अ ।
संयमचरण-चारित्र-चारित्र २,२६३ अ। संयमभाव-चारित्र २२८६अ। संयमरक्षा-आहार १.२६२ ब । संयमलब्धि -३.४१४ अ। सयमलब्धि-स्थान-अल्पबहुत्व १.१६६, स्थान ४.४५२ ब। सयमविशुद्धि स्थान- अल्पबहुत्व १.१६० अ।
Page #265
--------------------------------------------------------------------------
________________
सवत्
२५६
सहनन-काल
संवत-इतिहास १.३०६अ-३१० अ, १ परि०/१।
संसक्त साधु--४.१४६ अ। सवत्सर-४.१४१ अ, इतिहास १३०६अ-३१० अ,
संसक्त द्रव्यसेवा-ब्रह्मचर्य ३.१८६ अ। १. परि०/१, काल का प्रमाण २.२१६, सूर्य की गति
संसरण-ससार ४.१४६ ब। से उत्पत्ति २.३५१ अ।
संसर्ग-४१४६ अ, संगति ४.११८ अ, सप्तभंगी ४.३२४ संवर -----४.१४१ ब, अनुप्रेक्षा १.७७ अ, १.८० अ, उपयोग
अ-ब, ४३२५ ब । १.४३१ अ-१४३२ ब, क्षेत्र (व्रतादि का) २२६२
र संसार-४१४६ अ, अनुप्रेक्षा १.७७ अ-ब, १८० अ,
. ब, गणधर २२१२ ब, तप २३५८ अ, धर्मध्यान
क्षेत्रपरिवर्तन २२०६ अ, दो प्रकार ४१४७ अ। २.४८३ ब. निर्जरा २.६२३ अ, पुण्य १७८ ब, मोझ- संसारभीर-सल्लेखना ४,३६१ ब । मार्ग ३३३७ अ, सबर (निश्चय व्यवहार) ४.१४२ संसारस्थिति-नियति २६१४ ब ।
संसारानुप्रेक्षा-४१४६ ब । संवर (नाम)----तीय कर मुनिसुव्रत व अरहनाथ २.३७८ । सप्तारी-४ १४६ ब। संगित-४१४४ अ।
ससारी जीव-~अल्पबहुत्व १.१४२ ब, मूर्त ३.३१६ अ, सवर्तक वायु-प्रलय ३.१४७ अ ।
सहनानी २.२१६ अ। सवाद-वाद ३.५३३ अ।।
ससिद्धि---आराधना १.२७१ अ । संवास अनुमति-अनुमति १.६६ अ ।'
सस्कार-४१४६ ब, (अभ्या) ४१५० अ, (क्रिया) संवाह-४.१४४ अ।
४१५३ अ, गणधर २२१३ अ। संवाहन-४१४४ अ, चक्रवर्ती ४.१३ ब ।
संस्तवक-४.१५३ अ, नरक पटल -निर्देश २.५७९ ब, संवित - ४.१४४ अ, ज्ञान २.२५७ ब ।
विस्तार २.५७६ ब, अकन ३.४४१ । नारकी-अवसंवित्ति-अनुभव १.८१-८६ ।
गाहना ११७८, आयु १.२६३ । संवत-४.१४४ अ, योनि ३.३८७ अ।
संस्तर-५१५३ अ, सल्लेखना ४.३८४ अ, ४ ३५ असंवत-विवृत-योनि ३ ३८७ अ।
ब,४३८६ब, ४.३६० अ-ब, ४.३६२ अ, ४.३६६ संवत्ति-अभाव १.१२८ ब ।
सस्तव-प्रशंसा १.११२ अ, भक्ति ३.१६९ ब । संवति-सत्य-सत्य ४.२७१ ब । सवेग-४ १४४ अ, अनुप्रेक्षा १७८ अ,निर्वेद २.६२७ ब,
सस्थान-४१५३ ब, विप्रहगति १.२४७ अ, चक्रवर्ती
४१० ब, षट्का लक हानिवृद्धि २.६३ ।। सम्यग्दर्शन ४३५१ अ।
संस्थान नामकर्म-प्रकृति-आनपूर्वी नामक्रम १२४७ ब । संवेदन-अनुभव १८१-८६, उपयोग १.४३४ ब, प्रत्यक्ष
प्ररूपणा -प्रकृति ३.६५ ब, २.५८३, स्थिति ४.४६३, ३१२१ ब।
अनुभाग १.६५, प्रदेश ३ १३६ । बध ३.६७, बधसंवेजनी कथा-कया २३ अ।
स्थान ३.११० उदय १.३७५, उदय की विशेषता संवेवनी कथा-उपदेश १४२५ अ, १.४२६ अ।
१३७२ ब, १.३७३ ब, उदयस्थान १.३६०, उदीरणा संध्यवहरण दोष-४१४४ ब, आहार १.२६१ ब।
१.४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४.२७८, संशय-४.१४४ ब, अनेकात ११०५ ब, अवग्रह ११८२
सत्त्वस्थान ४ ३०३, त्रिसयोगी भग १४०४ । सक्रम ग अ-ब, ईहा १३५१ अ-ब, न्याय २६३३ अ-ब, मिश्र
४८५ अ, अल्पबहुत्व १.१६६ अ। गुणस्थान ३३०७ ब, ३३०८ब ।
संस्थान-निर्माण -निर्माण २६२५ अ। संशय मिथ्यात्व-संशय ४.१४५ अ।
संस्थान-विचय-धर्मध्यान २४८० अ । संशय मिथ्यादृष्टि -आगमार्थ १.२३२ अ, मिश्रगुणस्थान । संस्थान-विचय धर्मध्यान-धर्मध्यान २४८०ब। ३.३०८ब।
सस्थानाक्षर-अक्षर १३३ अ। संशय वचन-भाषा ३.२२७ अ ।
संहनन-४१५५ अ, चक्रवर्ती ४१० ब, जन्म (गति संशयसमा जाति-४.१४६ अ।
अगति) २.३२१ अ, ध्याता २.४६२ ब, २४६४ अ संश्लेष-स्कंध ४.४४८ अ।
शुक्लध्यान ४.३६ अ, षट्कालिक हानिवृद्धि २.६३ । संश्लेषबध-बध ३.१७० ब।
संहनन-काल-सल्लेखना ४.३८७ अ।
Page #266
--------------------------------------------------------------------------
________________
सहनन नामकर्म-प्रकृति
२६०
सत्
सहनन नामकर्म-प्रकृति-प्ररूपणा-प्रकृति ३६५ ब, सचित्त-त्याग प्रतिमा-आरभ-त्याग प्रतिमा १२७१ अ.
२.५८३, स्थिति ४४६३, अन् भाग १६५, प्रदेश सचित्त ४१५७ ब। ३ १३६ । बध ३६७, बंधस्थान ३११०, उदय सचिसद्रव्य शल्य -- शल्य ४२६ ब । १३७५, उदय की विशेषता १ ३७३ ब, उदयस्थान सचित्त-निक्षेप-सवित्त ४१५८ अ, निक्षेप २५६१ ब. १३६०, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान २६०१ अ। १,४१२,सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४.३०३. त्रिसंयोगी सचित्त नोकर्म द्रव्य बधक-बध भंग १४०४ । संक्रमण ४८५ अ, अल्पबहुत्व ११६६ सचित्त-पाहुड-प्राभूत ३१५६ ब । अ।
सचित्तपूजा--पूजा ३७४ ब । संहरण सिद्ध-अल्पबहुत्व ११५३ ।
सचित्त बंधक-बध ३.१७६ अ। सहार-जीव २३३८ ब।
सचित्त भाव----भाव ३२१८ ब। स-समयप्रबद्ध की सहनानी २२१६ अ ।
सचित योनि-योनि ३.३८७ अ। स-समयप्रबद्ध की सहनानी २२१६ अ।
सचित्त वर्गणा-वर्गमा ३५१६ ब, ३५१८ अ । सककापिर-४१५६ अ, मनुष्यलोक ३ २७५ अ ।
सचित्त सबध आहार-भोगोपभोग ३.२३६ ब, सचित्त सकक्ष-विद्याधर नगरी ३ ५४५ अ।
४१५८ अ। सकल-परमात्मा ३२० अ।
सचित्त स्थान-स्थान ४४५३ अ) सकलकीति--४१५६अ, नदिसघ १३२४ अ, इतिहास सचित्ताचित्त योनि-योनि ३ ३८७ अ। १.३३३ अ, १३४५ ब ।
सचित्तापिधान-४.१५८ अ। सकलचारित्र--सयम ४.१३७ अ ।
सचेलता-येद (स्त्री) ३ ५८६ अ । सकल-जिन-जिन २३२८ ब, पूजा ३७७ अ।
सज्जन--सगति ४११८ अ । सकल-त्याग-उपयोग १४३१ अ, सयम ४१३७ ब ।
सज्जनचित्तवल्लभ-४१५८ ब, इतिहास १३३१ ब, सफलदत्ति-दान २.४२२ ब।
१३४३ ब ।
सज्जाति-क्रिया- सस्कार ४.१५२ ब । सकल परमात्मा-परमात्मा ३.२० अ। सकल प्रत्यक्ष-प्रत्यक्ष ३.१२२ ब ३१२३ अ।
सतालक ४२७० अ, पिशाच ३.५८ ब। सकलभूषण-नदिसघ भट्टारक १३२४ अ, इतिहास सतीपुत्र -४२७० अ। १३३३ ब ।
सत् --४१५८ ब, अद्वैतवाद १४७ ब, अनुयोगद्वार ११०२ सकलात्मा-परमात्मा ३२० ।
अ, अनेकात ११०६ अ, असत् १.२०८ अ, अस्तित्व सकलादेश-४१५६ ब, सप्तभंगी ४.३१५८,४३१६ अ
१२१२ अ, उत्पादादि १३५७ ब, १३५८ अ, ब, ४.३१७ अ।
१३६१ अ-ब, कार्य (उत्पादादि) १३६२ ब, जैनसकलादेशी-नय २.५१७ अ ।
दर्शन २३४४ ब, द्रव्य २४५३ ब, २४५४ ब, द्रव्यसकलेंद्रिय-जीवसमास २.३४३, त्रस २ ३६८ ।
गुण-पर्याय (उत्पादादि) १३६१ब-३६२, सापेक्ष सक्तनिभ-४१५७ ब ।
धर्म १.१०६ अ, ४ ३२३ अ । सक्ता-४१५७ ब, जीव २ ३३३ ब ।
सत-प्ररूपणा--प्रकृति ३६७, स्थिति ४.४६०, अनुभाग सक्रिय-योग ३ ३७६ ब।
१८६ ब, प्रदेश ३१३६ । बध ३ ९७-१०८, बंधसगर-४.१५७ ब इक्ष्वाकुवश १.३३५ अ, चक्रवर्ती ४१० स्थान ३.१०८, ३.११३, उदय १३७५-३८७, उदयअ, तीर्थंकर अजितनाथ २.३६१ ।
स्थान १.३६२ ब, १.४.६, उदीरणा १४११ अ, सचित्त- ४.१५७ ब, निक्षेप २६०१ अ, पूजा ३८० अ, उदीरणा स्थान १४१२, सत्त्व ४.२७८-२८४, सत्त्व
भक्ष्याभक्ष्य ३.२०४ अ-ब, भोगोपभोग ३.२३६ अ, स्थान ४२८७, ४२६८, ४.३०५, त्रिसंयोगी भंग योनि ३.३८७ अ।
१३६६, १४००, ६.४०६ ब, करणदशक-स्वामित्व सचित्त काल-काल २८१ ब ।
२.६, जीव सामान्य ४१६१-२६८, परिषह-स्वामित्व सचित्त गुणयोग-योग ३.३७६ अ।
३३४, प्रत्यय-स्वामित्व ३१२७-१२६, भाव-स्वामित्व सचित्त व्यतिरिक्त नोआगम द्रव्य-अतर १३ ब ।
३.२१६-३.२२२, योग-स्वामित्व ३.३७६, शरीर
Page #267
--------------------------------------------------------------------------
________________
संस्का
स्वामित्व ४७, पटुकर्म स्वामित्व ४१६० अ समुद्घात-स्वामित्व ४४७४ ब ।
सत्कथा-कथा २२ अ-ब ।
सत्कर्म - इतिहास १३४१ ब, ४ परि० ।
--
सत्कर्म पजिका इतिहास १३४२ अ ४. परि० । सत्कर्म स्थान - अनुभाग १ ८६ ब । सरकार ब्रह्म ३१५२ अ विनय ३५५२ ब श्रोता ४७५ ब ।
-
सत्कार पुरस्कार परिषह - ४२७० अ परिषद् ३३३ ब ३ ३४ अ ।
सस्कीति बलदेव ४ १७ ब ।
सत्क्रियाक्रिया २ १७४ ब ।
-
४२६१ व सत् ४ ३४३, स्पर्श
सतरिका -४२७० अ । सत्तवसन कहा इतिहास १३४७ अ ।
सत्ता - ४.२७० अ अवावर १२१३ अ अस्तित्व १२१२ ब, १२१३ अ, उदीरणा १.४१० अ, द्रव्य २ ४५४ ब महा ( अस्तित्व ) १२१३ अ सापेक्ष धर्म १ १०६ अ,
४ ३२३ अ, सामान्य ४४१२ अ ।
सत्ताईस - प्रकृति सत्त्व- सक्रमण ४ ८७ ब । सत्ता-गौण उत्पाद व्यय ग्राहक नयनय २५५२ अ । ता-प्राकशुद्ध द्रव्यार्थिक नय नय २५४४ व सत्ता मात्र अवलोकन सम्यग्दर्शन ४ ३४६ अ सत्ता सापेक्ष स्वभाव नित्य नय नय २५५२ अ ।
सत्पति हरिवश १ ३४० अ सत्परिणाम —परिणाम ३३२ अ, सामान्य ४४१२ अ । सत्पात्र - २४२३ व सत्पुरुष ४२७० अ किपुरुष जातीय व्यतरेद्र-निर्देश २ १२५ अ, ३६११ अ परिवार ३६११ ब, आयु १२६४ व सख्या ३६११ असमति ४१११ अ । सत्प्रतिपक्षी - ४३२६ ब ।
,
सत्प्रतिषेध-असत्य १२०८ व
सत्य- ४२७० अ अहिसा १ २१७ अ. उपदेश १४२४ ब
सत्य अणुवत सत्य ४.२७० ब
- ।
--
२६१
सत्यक- यदुवंश १३३६ । सत्यकिपुत्र ४२७३ ब तीर्थकर अनतवीर्य व दिव्यपाद २३७७, तीर्थंकर वर्द्धमान २३९१, रुद्र ४.२२ अ । सत्यगुप्त गणधर २२१२ ब ।
सत्यघोष -४२७३ ब ।
सत्यदत्त - ४२७४ अ, एकांत विनयवादी १.४६५ ब तीर्थंकर धर्मनाथ २.३६१, वैनयिक ३६०५ अ ।
सत्यदेव गणधर २२१२ ब । सत्यधर्म - सत्य ४.२७३ ब ।
सत्यनेमि यदुवंश १.३३७ ॥
- । -
सत्यप्रवाद - ४२७४ अ श्रुतज्ञान ४६८ ब ।
सत्यभामा-४ २७४ अ ।
सत्य मनोयोग - निर्देश ३२७६ ब । प्ररूपणा - बध ३१०४, वधस्थान ३११३, उदय १.३७६, उदयस्थान १.३२२ व उदीरणा १.४११ अ उदीरणा स्थान १४१२, सत्त्व ४२८३, सरवस्थान ४२१६, ४.३०५, त्रिसयोगी भग १.४०६ व सत् ४२१२, सख्या ४१०२, क्षेत्र २२०२, स्पर्शन ४.४८४, काल २१०८ अंतर १.१२, भाव ३.२२० व अल्पबहुत्व ११४८ ।
सत्त्व (प्ररूपणा
सत्यमित्र - गणधर २.२१२ ब ।
--
सत्यवचन योग - वचन योग २.४९८ अ प्ररूपणा दे० सत्य मनोयोग |
'सत्यवाक कगुनीवरम् ४.२७४ अ ।
सत्य महाव्रत] सस्य ४.२७० व । सत्यवीर्य तीर्थकर संभवनाथ २.३९१ । सत्यव्रत - पारिशुद्धि व्रत २.२१४ च । सत्यशासनपरीक्षा - ४ २७४ अ, इतिहास १ ३४१ ब । सत्या देवी - ४ २७४ अ कुलकर ४२३ रुचकर पर्वत के कूट की दिक्कुमारी निर्देश ३४७६ अ अकन
1
३.४६६ ।
सत्याभ - ४२७४ अ, लोकातिक देव ३४६३ ब । सत्यार्थ उपचरित व्यवहार- उपचार १.४२० अ । सत्यासत्य — सत्य ४.२७१ अ । सत्यासत्यार्थ उपचरित व्यवहार- उपचार १.४२० अ सत्व ४२७४ अ असत १२०७ व आयुकर्म १२६२ ब, करण-दशक २.६ अ, गुणस्थान २६ अ द्रव्य २.४५४ व निषेक रचना (उदय) १.३७०, १३७१ अ सत् ४१६० अ, सापेक्ष धर्म ( अनेकात ) ११०९ अ ।
(करण - दशक )
-
-
सत्त्व (प्ररूपणा ) - बध ३८६ अ उदय १.३६८ अ, १.३७०, १३७१ अ सत्त्व ४६७८, ४२८५ । सत्त्वस्थान - सत्त्व ४२७७ ब, पचभाव ३२२२ ब, अनुभागसत्व अल्पबहुत्व १.१६५ ब स्थितिसस्व अल्पबहुत्व १.१६५, सत्त्व के साथ त्रिसंयोगी भंग १.४००१.४०८ । काल —— सामान्य २१२०, अनंतानुबंधी का १.६१ अ मोहनीय का २ १२३ । अतर १२३, भाव
Page #268
--------------------------------------------------------------------------
________________
सत्त्व विभगी
३ २२२ ब, अल्पबहुत्व १.१७५ । सश्च विभी-४३११ अ, इतिहास १.३३० ब, १.३४२
ब, १३४४ ब। सत्त्व भावना-भावना ३२२४ ब । सत्त्व व्युच्छिति -- सत्त्व ४२७७ ब । सत्त्वस्थान-सत्व ४.२७७ ब । प्ररूपणा दे० सत्त्व । सत्वाद-४.२७० अ। सत्वापसरण--अपकर्षण १११५ ब, क्षय २.१८० अ। सत्सगति-सगति ४११८ ब । सदर चउक-४.३११ अ, उदय १३७४ ब । सदवस्था रूप उपशम-उपशम १.४३७ अ। सदसत्-उत्पादादि-सामान्य १.३५७-३६२, काय
१३६२, द्रव्य-गुण-पर्याय १.३६१-३६२। सदानद-४४११ अ, मोक्षमाग ३ ३३६ अ, वेदात
३.५६५ब। सदा मुक्त-जीव २ ३३६ ब । सदार्चन-पूजा ३७४ अ। सदाशिव-जीव २.३३६ ब, ३.६०१ अ। सदाशिव मत-४३११ अ, एकात १४६५ ब । सदासुखदास-४.३११ अ, अकलकस्तोत्र १.३१ अ, ___इतिहास १ ३३४ ब। सदृश-४३११ ब, ग्रह २२७४ अ, परिणाम ३३२ अ,
सापेस धर्म । अनेकात) १.१०६अ। सदृश उत्पाद-परिणाम ३ ३२ अ। सदश एकत्व उपचार -- उपचार १४२१ अ। सदृश तद् उपचार-उपचार १४२० ब । सद्गृहित्व क्रिया संस्कार ४.१५३ अ। सद्धर्म कया-कथा २२ ब । सद्धर्माक्सिंवाद -अस्तेय १.२१४ अ । सद्भाव-सप्तभगी ४.३१६ ब । सभाक्-स्थापना-अतर १.३ ब, उपशम १४३७ अ,
निक्षेप २५६७ ब, २.५६८ ब । सदभाव-स्थापना कर्म-कर्म २२६ अ। सद्भावस्थापना-काल-काल २.८१ ब । सदभावानित्य-नय २ ५५२ अ । सदभाषितावली-इतिहास १.३४५ ब । सद्भूत व्यवहार-उपचार १४१६अ। सद्भुत व्यवहार नय-नय २५५६ ब । सद्रूप-अनेकांत ११०६ अ । सद्य-वेदनीय ३.५६२ अ . सनंबा-तीर्थकर सुबाहु २३६२।
सप्त ऋषि'सनक-सास्य ४३९८ ब । सनत्कुमार चक्रवर्ती-४३१२ अ, कूरुवश १३३५ ब.
१३३६ अ, चक्रवर्ती ४१० अ, तीर्थकर प्ररूपणा २३६१, नारायण ४.१८ ब, बनदेव ४१६ ब, साख्य
४३६८ ब। सनत्कुमार (देव)-४३१२ अ। देव-निर्देग ४५१० ब.
अवगाहना ११८० ब, अवधिज्ञान ११६८ ब आयु १२६७, आयुबंध के योग्य परिणाम १२५८ ब । इद्र-निर्देश ४ ५१० ब, दक्षिणेद्र ४.५११ अ, परिवार ४ ५१२-५१३, चिह्न नादि ४५११ ब, अवस्थान
४५२० ब, विमान, नगर व भवन ४ ५२०-५२१ । सनत्कुमार (देव)-प्ररूपणा-बध ३१०२, बधस्थान
३ ११३, उदय १३७८, उदयस्थान १.३६२ ब, उदीरणा १४११, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४ २८२, सत्त्वस्थान ४.२६८,४३०५ त्रिसयोगी भग १४०६ ब । सत् ४.१६१, सख्या ४६८, क्षेत्र २१६६, स्पर्शन ४४८१, काल २१०४, अतर ११०, भाव
३२२० ब, अलबहत्व ११४५ । सनत्कुमार (स्वर्ग)-४३१२ अ, निर्देश ४५१४ ब, पटल
४५१७, इद्रक व श्रेणीबद्ध ४५१७, ४.५२०, विस्तार ४५१७, अवस्यान ४५१४ ब, अकन ४५१५,
४५२० । सनातन-साख्यदर्शन ४३९८ । सन्नासन्न -४३१२ अ, क्षेत्र का प्रमाण २२१५ अ । सन्निकर्ष -४३१२ अ, प्रमाण ३१४३ ब, प्रवचनसन्नि
कर्ष ३१४८ अ। सन्निधिकरण-पूजा ३८० ब । सन्निपाजिक भाव-४३१२ अ । सन्निवेश-४३१३ अ। सन्नीरा---४३१३ अ, मनुष्य लोक ३२७५ ब । सन्मति-४३१३ अ, कुलकर ४.२३ । सन्मतिकोति-४३१३ अ। सन्मतितर्क टोका-अभयदेव १.१२७ अ। सन्मतिसूत्र-४३१३ अ, इतिहास १३४१ अ । सपर्या-४.३१३ अ, पूजा ३७४ अ । सपादलक्ष-आशाधर १२८० ब । सप्त-अनीक १६८ ब, ऋषि ४३१३ अ, क्षेत्र ३.४४४
ब, ३.४४६ अ, तत्त्व २ ३५३ ब, नय २.५२६ ब, पृथिवी (नरक) २.५७६ अ, भग ४३१३ ब, भय
३ २०६ अ, व्यसन ३.६१७ ब, समुद्घात ४३४३ अ। सप्त ऋषि-४३१३ अ ।
Page #269
--------------------------------------------------------------------------
________________
सप्त-ऋषि पूजा
२६३
समभाव
सप्त-ऋषि पूजा-इतिहास १.३४८ अ । सप्तकरण-क्षय (चारित्रमोह) २१८० अ। सप्तकक्षा-अनीक १६८ ब । सप्तकुम्भ-४३१३ अ। सप्तक्षेत्र-लोक ३४४४ ब, ३.४४६ अ। सप्तगृह-भिक्षा-आहार १२८७ अ। सप्त गोदावर-४३१३ ब, मनुष्यलोक ३ २७५ ब। सप्त चत्वारिंशत-शक्तियाँ (जीव) २३३७ ब । सप्तच्छद-बन-तीर्थकर धर्मनाय २३८३, नन्दीश्वर द्वीप
३४६६ अ, भवनवासी देवो के नगर ३२१० ब,
व्यतर देवो के नगर ३६१२ ब । सप्त-तत्त्व-तत्त्व २ ३५३ ब । सप्ततिका-इतिहास १३४१ अ, ४ परि०। सप्ततिका चणि-इतिहास १३४२ अ । सप्त-दोष-आहार १२८९ब । सप्तद्वीपिक भूगोल-निर्देश ३ ४३१ ब । सप्त नय-नय २५२६ ब। सप्त पदार्थ-२० सप्ततत्त्व । सप्त पदार्थी --वैशेषिक दर्शन ३६०८ अ। सप्त पदार्थो टीका-इतिहास १३४४ ब । सप्तपर्ण वन जीर्थकर अजितनाथ २३८३ । सप्तपारा-४३१३ ब, मनुष्यलोक ३२७५ ब । सप्तभगी तरगिणी -४,३२६ ब । सप्तभंगी-४३१३ व, नय २५२२ ब, स्याद्वाद् ४.५०२
अ। सप्त भय-भय ३ २०६ अ । सप्तविंशति-प्रकृति सत्त्व-सक्रमण ४८७ ब । सप्तव्यसन कथा-इतिहास १३४६ अ । सप्तव्यसन चारित्र-४३२६ ब, इतिहास १३४८ अ । सप्तांक-४.३२६ ब । सप्रतिपक्षी-४३२६ ।। सप्रतिपक्षी प्रकृति-कृतिबध ३ ६१ अ । सप्रतिपक्षी हेत्वाभास -- ४.३२६ ब । सप्रदेशी द्रव्य-द्रव्य २ ४५६ ब । सभाभवन- चैत्य-चैत्यालय २३०३ अ, ज्योतिषी देवी का
प्रासादो मे २ ३५१ । सभामंडप-चैत्यचैत्यालय २३०३ अ । समंतभद्र-४.३२६ ब, मूलसघ १३२२ ब, इतिहास
१.३२८ ब, १.३४० ब । समंतभद्र (लघु) -सेनसघ १.३२६ ब, इतिहास १.३४२
समतानुपात क्रिया-क्रिया २.१७४ ब। सम-४ ३२७ अ, सामायिक ४४१४ ब, ४.४१५ अ,
सोम लोकपाल का यान ४५१३ अ। समकित चौबीसी व्रत-४.३२७ अ । समर्केद्रिय-४३२७ अ। समगुण-स्कध ४४४० अ। समचतुरस्र संस्थान - सस्थान ४ १५४ अ । समचतुरस्त्र संस्थान नामकर्म प्रकृति-प्ररूपणा-प्रकृति
३.८८, २५८३, स्थिति ४४६३, अनुभाग १६५, प्रदेश ३ १३६ । बंध ३६७, बधस्थान ३११०, उदय १.३७५, उदयस्थान १३६०, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४३०३, त्रिनयोगो भग १४०४ सक्रमण ४८५ अ,
अल्पबहुत्व ११६६ अ । समच्छिन्नक-४३२७ अ। समच्छेद - ४.३२७ अ, गणित २ २२३ ब । समता-४३२७ अ, उपयोग (युद्ध) १४३० व,१४३१
अ, उपेक्षा १४४४ ब, चारित्र २२८३ ब, २२८४ अ, तप २३६० ब, धर्म २४६७ अ, मिथ्यादृष्टि ३३०५ ब, सल्लेखना ४३६० ब, ४३६२ अ, साधु ४४०६ अ, सामायिक ४४१४, अब, ४४१५ अ, सामायिक व्रत ४४१७ ब, सामायिक चारित्र ४.४१६
अ। समता परिणाम-सामायिक ४४१४ ब । समता भाव-सामायिक व्रत ४४१७ ब सामायिक चारित्र
४४१६ अ। समता रहित साधु ४.४०७ अ । समतोया-४ ३२७ अ, मनुष्यलोक ३.२७५ ब । समदत्ति-दान २.४२२ ब । सद्विबाहु - ४.३२७ अ। समधारा-गणित २.२२६ अ । समनस्क-सज्ञा ४.१२१ अ, भजी ४१२२ अ । समन्वय-४ ३२७ ब । निश्चय-व्यवहार ज्ञान २.२६९ ब,
निश्चय-व्यवहार चारित्र २.२६२ अ, निश्चय व्यवहार मोक्षमार्ग ३.३३८ ब निश्वय-व्यवहार सम्यग्दर्शन ४.३५६ ब, निश्चय-व्यवहार हिंसा ४.५३५ ब,
बाह्याभ्यन्तर तप २.३६० ब । समपर्यकासन तप-- क्रायक्लेश २.४७ ब । समपाद तप-कायक्लेश २.४७ अ। समभाव-मोक्षमार्ग ३.३३६ अ, सामायिक ४.४१४ अ,
४,४१५ अ, सामायिक व्रत ४.४१७ ब, सामायिक चारित्र ४.४१६ ।
Page #270
--------------------------------------------------------------------------
________________
समभिरू नय
समभिरूढ नय - नय २.५२८ अ, भूत ) २५४१ ब निक्षेप ४ ३२३ ब ।
समभिरूढनय उपक्रम - उपक्रम १४१६ ब । समभिरूढ नयाभास - नय २५४० ब । सममूर्धाग्निनाद- नारायण ४१८ व । समय - ४.३२७, करणत्रिक (अधकरण ) २.५ अ २.१० अ, (अपूर्वकरण ) २१२ ब काल अविभागी २ ८७ अ, काल (उत्पत्ति) २८७ अ, कालद्रव्य २.८४ अ, कालप्रमाण २२१६ अब पर्याय ३४५ अ मूढता ३३१५ ब शब्द अर्थ-ज्ञान समय ४३२८ अ, सामायिक ४४१४ व ४४१५ अ स्वपर समय ४.३२८ अ । समयबद्ध - ४.३२० व उदय १३६० व १३६९-३७०, प्रदेश ३.१३५ ब प्रदेशापबहुत्व ११५७, ११७१, ३. १३५ ब प्रदेश भागाभाग ४११६, प्रदे वर्गणा ३ १३५ व सहनानी २२११ अ
7
समय भूषण - ४.३२९ अ इन दि १२९९ व समय भेदाभेद- उत्पादादि १३६० ।
समयमूढता -- मूढता ३३१५, सम्यग्दर्शन ४३६१ ब ।
समय वक्तव्यता
वक्तव्यता ३.४६६ अ ।
२.५३६ अ, नय ( एवं२५६५ ब २५६५ ब
सप्तभगी
समयसत्य --- सत्य ४२७२ अ ।
समयसार - ४३२१ अन्य अनुभव १८३ अ मोक्षमार्ग ३. ३३६ अ, सामायिक ४४१६ ब ।
-
२६४
१.३४३ अ ।
समयसार नाटक - ४३२६ ब, इतिहास १.३४७ ब । समयसार नाटक टीका -४३११ ब 1
,
समाधान - ४.३३७ अ, ध्यान २ ४६६ अ । समाधि - ४३३७ अ अनुभव १३. अतरात्मा १.२७ म उपयोग (शुद्ध) १४३१ अ, उपयोग (ध्य न ) १४६६ अ, गुप्ति २२५० ब तप २३६१ अ, तीर्थ ध्यान २४६८ अ, २.४६६ अ, ध्यान १४६६ अ पद्धति ३६ अ, प्राणायाम ३. १५५ अ-ब, मोक्षमार्ग ३ ३४० अ योग ३३७५ अ, शुकरान ४३२ व सल्लेखना ४३१० व सुख ४.४३१ ब ४.४३२ ब ।
"
समयसार (शास्त्र ) - ४.३२९ ब इतिहास १ ३४० ब । समयसार ( आत्मस्यानी वचनिका) — इतिहास १.३४८
समाधिगुप्त – ४३३ अ तीर्थकर २३७७ समाधितंत्र - ४३३८ अ, इतिहास १३४१ अ । समाधितंत्र ठीका इतिहास १.३४२ व समाधिमरण- सल्लेखना ४ ३६४ अ । समाधिरस्तु - विनय ३५५२ अ ।
अ
समयसार कलश
इतिहास १.३४२ अ : समयसार टीका प्रथम अमृतचद्र ११३३ अ इतिहास समाधि सधारणता समाधि ४.३३७ व ।
समान खड - ४.३३७ ब ।
समान गोल - ४३३८ अ ।
समान जातीय द्रव्य पर्याय - पर्याय ३.४६ अ । समानता नव (ऋजुसूत्र ) २.५५० अ समानदत्ति -- २४२२ ब । समानाधिकरण - ४.३३८ अ ।
समानुपात सिद्धांत ४.३३८ अ समाय-सामायिक ४.४१४ व ४.४१५ अ ।
समरसी भाव - ध्यान २.४६६ अ ।
समवदान कर्म कर्म २२६ अब सत् ४२६१, संख्या
"
४. ११६ ब, क्षेत्र २२०८, भाव ३.२२३ । समवधान कर्म कर्म २.२६ व सत् ४.२६९ ब ।
समवसरण --- ४.३२६ ब, इद्रभूति गणधर १ २६६ ब ।
समवसरण व्रत - ४.३३४ अ ।
समवाय - ४.३३४ अ, द्रव्य २.४५४ ब, समय ४.३२७ ब । समवाय पदार्थ - समवाय ४ ३३४ ब ।
समवाय संबंध - द्रव्य २ ४६० ब, नय २५४९ ब, समवाय
४. ३३४ अ, संबंध ४.१२६ अ, स्कध ४.४४७ ब । समवायांग श्रुतज्ञान ४.६८ अ । समवायी ४.३३५ व । समवायी कारण
समवायी ४.३३५ ब ।
समवृत्त स्तूप -- ४.३३६ अ । समवृत्ति -४३३६ अ समांतर श्रेणी -४ ३३६ अ । समांतरानीक - ४३२६ अ । समांतरी गुणोत्तर श्रेणी - ४३३६ अ । समाचार - ४३३६ अ ।
समाचार काल-काल २८१ ब । समादान किया क्रिया २.१७४ | समादेश -४ ३३७ अ, उद्दिष्ट १.४१३ अ ।
--
समास
ज्ञान २२६६ अ २३६३ अ, धर्म
समारभ - ४.३३८ अ । समारोप उपचार १.४१६ व
समास -- ४.३३८ अ, जीवसमास २.३४१ ब, (अक्षर व पर्याय समास ) ४.६५ अ
२.२६९ ब २४७१ अ, (उपयोग )
श्रुतज्ञान
Page #271
--------------------------------------------------------------------------
________________
समाहार
२६५
सम्यग्ज्ञान
समाहार-४.३३८ अ, रुचकवर पर्वत की दिक्कुमारी- सम्यक्त्व-दे० सम्यग्दर्शन । निर्देश ३ ४७६ अ, अकन ३४६८ ।
सम्यक्त्व उद्योतन-उद्योत १.४१४ अ । समिति-४३३८ अ, अहिंसा १.२१७ ब, अहिंसाव्रत । सम्यक्त्वकौमुदी-४.३४४ अ, इतिहास १.३४६ ब ।
की भावना १.२१६ अ, उपयोग (शुभ) १४३३ अ, सम्यक्त्वक्रिया-क्रिया २.१७४ ब । १४३४ ब, गुप्ति २२५० ब, चारित्र २२८२ अ, सम्यक्त्वमिथ्यात्व-दे० सम्यग्मिथ्यात्व । चारित्रशद्धि व्रत २२६४ ब, धर्म २२५० ब, सयम सम्यक्त्वमोहनीय--दे० सम्यकप्रकृति । ४.१३६ ब, ४१३८ ब, सवर (समिति) ४३४२ ब, सम्यक्त्व वाद-एकात १४६५ ब । सामायिक चारित्र ४४२० अ, सूक्ष्मसापराय चारित्र सम्यक्त्वाचरण-चारित्र २२८५ अ, २२६३ अ। ४४४१ ब ।
सम्यक्त्वाराधना-आराधना १२७१ ब । समीकरण-४३४२ ब ।
सम्यक् नय-नय २५२०, २५२४ अ। समीपस्थ तत उपचार - उपचार १४२० ब ।
सम्यक प्रकृति-देशघातो १.६२ ब, मोक्षमार्ग ३ ३४३ अ,, समीरण गति-वानरवंश १३३८ ब ।
मोहनीय ३.३४३ स, सम्यग्दर्शन ४३७१ अ। प्ररूपणा समुच्छिन्नक्रिया-निवृत्ति - शुक्लध्यान ४.३५ अ, ४ ३६ ब ।
-प्रकृति ३.८८, ३ ३४१, स्थिति ४४६१, स्थिति समुत्कीर्तना-अनुयोगद्वार ११०३ ब ।
सत्त्वस्थानों का अल्पबहुत्व १.१६४ ब, अनुभाग समुत्पत्ति-कषाय २ ३६ अ ।
१.९५, प्रदेश ३ १३६ । बध ३ ६७, बधस्य न ३.१०६, समुत्पत्तिक अनुभाग सत्त्वस्थान-अल्पबहुत्व ११६५ ब । उदय १.३७५, सदयस्थान १३८६, उदीरण समुत्पत्तिक कषाय-२ ३५ ब, २३६ अ, २३७ अ-ब । १.४११ अ, उदी णास्थान १४१२. सत्त्व ४२७८, समत्पत्तिस्थान - अल्पबहुत्व १.१६५ब, अनुभाग १८६ सत्त्व काल २.२१०, त्रिसयोगीभग १४०१ब, ब-६० अ।
उपशम १४३६ अ, क्षय २१७६ अ, सक्रमण ४.८६ समुत्युक्त ज्ञायक शरीर-अतर १३ ब ।
अ, ४.८७ अ,४८८ अ । अल्पबहुत्व ११६८ । पवधात--४३४२ ब, केवली २ १५६ अ, मरण ३२८२ सम्यक्त्वोद्योत-उद्योत १४१४ अ। अ, योग (वचनयोग) ३३८० ब, आहारक १२६६ सम्यगनेकांत - अनेकांत १.१०५ ब ।
सम्यगेकांत-एकात १४५६ ब, १.४६२ ब । समहिष्ट-४३४४ अ, गणित २ २२६ अ-ब, २ २२७ ब । सम्यगवधिज्ञान अवधिज्ञान ११८७ अ। समुद्देश-४३४४ अ, उद्दिष्ट १४१३ अ।
सम्यग्ज्ञान-अधिगमज १५१ब, अनुभव १.८१-८६, समुद्र-४३४४ अ, राक्षसवश १३३८ अ, स्वप्न ४५०४ अभ्यास १.१३१ ब, आगमज्ञान १.२२८ अ, आत्मा ब,४५०५ अ।
३.३३७ अ, उपयोग १.४२६ ब १.४३१ ब, उपलब्धि समुद्रगुप्त ---४.३४४ अ, गुप्तवश १३११ अ, १३१५ । १४३५ अ, कषायः १.४३२ ब, काल'वधि का अल्पसमद्रविजय-४३४४ अ, अन्ध्रकवृष्णि १३० अ, चक्रवर्ती
बहत्व १.१६०, वारित्र २.२८६ अ-ब, जन्म (गति४११ ब, तीर्थंकर नेमिनाथ २३८०, यदुवश १३३७,
अगति) २.३२२ अ, तर २.३६० ब, धर्म ३.४६६ ब, हरिवश १३४० अ
ध्यान २.४६५ ब, २.४६६ ब । ध्येय २.५०० अ, सम्मइजिण चरिउ-इतिहास १३४५ ब ।
निश्चय व्यवहार ज्ञान २.२७० ब, निसर्गज १.५१ ब, सम्मत्तगुणविहाण कव्व-इतिहास १३४६ अ ।
प्रज्ञा १८७ अ, प्रज्ञाश्रमण १.४५० ब, प्रत्याख्यान सम्मत सत्य -- सत्य ४२७१ ब ।
३१३२ ब, प्रमाण २.२५८ ब, २.५२६ अ, ३.१४१ सम्मद - शलाकापुरुष ४२६ अ।।
ब, बद्धि ३.१८४ ब, मिथ्याज्ञान (अजान) १३७ अ, सम्मान--ब्रह्मचर्य ३१८६ब, विनय ३५५२ ब ।
२.२६४ अ, मिश्रज्ञान ३.३०८ अ-ब, मोक्षमार्ग सम्मिथ-भोगोपभोग ३२३६ ब, सचित्त ४१५८ अ । ३.३२८ अ-ब, ३.३३३ ब, ३.३३७ अ,योग १४३२ सम्मेदशिखर-तीर्थकर प्ररूपणा २३८५।
ब, राग ३ ३६५ अ, विशुद्धि ३.५७० अ, शुद्धोपयोग सम्यक-४३४४ अ, एकात १.४५६ ब, १४६२ ब, श्रुत- (उपयोग) १.४३४ अ, शुद्धाशुद्ध उपयोग १.४३२ अ, ज्ञान ४.५६ ब।
श्रुतकेंवलो ४५५ ब, श्रुतज्ञान (आगम) १.२२६ ब, सम्यकचारित्र-चारित्र २२८३ अ-ब । दे. चारित्र।
४.५६ ब, सम्यग्ज्ञान २२६२ अ, २.२६५ व, सम्यग
Page #272
--------------------------------------------------------------------------
________________
सम्यग्ज्ञानचद्रिका
२६६
सम्यग्मिथ्यात्व प्रकृति
दर्शन ४३५३ ब, सम्यग्दृष्टि ४३७५ ब,४.३७६ ब, संख्या ४१०८, क्षेत्र २ २०६, स्पर्शन ४.४६२, काल सिद्धो का अल्पबहुत्व १.१५४, सूख ४.४३२ अ, २११७, अतर १२०, भात्र ३.२२१ ब, अल्पबहत्व स्वसवेदन (अनुभव) १८१-८७ अ।
११५२, भागाभाग ४११४ । पंचशरीर स्वामित्वसम्यग्ज्ञानचंद्रिका-इतिहास १३४८ अ ।
निर्देश ४७, अल्पबहुत्व ११६० अ। षट्कर्म सभ्यग्दर्शन -४३४४ ब, अश (मिश्र) ३३१० अ, अध:- स्वामित्व ४.७ ।
करण २७ अ, अधिगमन १५१ अ, अनन्तानुबधी सम्यग्दर्शन वाक वचन ३४६७ ब । १६० ब, अनन्तानुबधी विसयोजन १.४३६ ब, । सम्यग्दर्शनार्य-आर्य १२७४ ब । अनिवृत्तिकरण (करण) २.१३ अ, अनुप्रेक्षा १.७८ सम्यग्दृष्टि--४ ३७३ ब, अनुभव १.८४ ब, अवधिज्ञान ब, अनुभव १८२ ब, अनुभाग क्षयोपशम) २१८६ ११६५ अ, आगमार्थ ग्रहण १.२३२ ब, आर्तध्यान अ, अत रकरण १२५ ब, अतर काल १.४ अ, अपूर्व- १२७४ ब, करणदशक २६ अ, कषाय २४० ब, करण (क. ण) २.११ ब, अभ्यास ११३१ ब, अवधि- काय २४५ ब, क्षायिक २१८६ ब, गर्हण २.२३८ ज्ञान ११६४ ब, ११६५ अ, आयु (बद्धायुष्क) ब, गुणस्थान २ २४६ ब, चेतना २२६७ ब, तीर्थंकर १२६२ ब, उपलब्धि १४३५ अ, उपशम १.४३७ ब- (जन्म) २३७६ ब, दर्शन २४१७ अ, दर्शन प्रतिमा १४३६ ब, करण चिह्न (अवधिज्ञान) ११६२ अ, २ ४१८ अ, देवगति २.४४८ ब, नय २५२६ अ, करणत्रिक २६-१४, करणलब्धि (लब्धि) ३ ४१४ अ,
नि शकित २५८६ ब पापभीरु (आगम) १२४२ करुगा २१५ अ, कर्मभूमि (भूमि) ३२३५ ब, कारण ब, बद्धायुप्क १२६२ ब, मिथ्यादृष्टि, ३ ३०५ अ, (सभ्यग्दर्शन) ४.३६२ अ, क्षय २१७६ अ, क्षयोपशम राग (भोग) ३ ३६६ अ, ३.४०० अ,.राग (वैराग्य) २१८३ ब, २.१८६ अ-ब, चारित्र २२८६ अ-ब, ३३६८ अ-ब, लेश्या ३.४२७ अ विसयोजना ३५७१ २२८७ अ, जन्म २३१३ ब, जन्म (गति-अगति) ब, वैराग्य ३ ३६८ अ-ब, शका ४१४५ ब, श्रद्धान २३२२ ब, तर २.३६० ब, तिथंच गति २३६७ ब, ४.४५ अ, ४४६ अ, धृतज्ञान ४६० अ, सक्रमण तीर्थकर २३७५ अ, त्रिकरण २.६-१४, देवगति ४ ८७ अ, सख्या ४६३ अ, सशय ४.१४५ ब, २.४४७ अ, द्वितीयोपशम (उपशम) १४३६ अ, धर्म सम्यग्ज्ञान २ २६५ ब, सम्यग्दर्शन ४ ३५१ अ। २४६७ ब, नरकगति २.५७४ ब, २५७५ ब, प्ररूपणा-दे० अविरतसम्यग्दष्टि ।। निश्चयनय (नय) २.५५६ अ, निसर्गज (अधिगमज) सम्यग्मिथ्याचारित्र-चारित्र २२८० ब । १५१ अ, प्रत्याख्यान ३१३३ ब, प्रथमोपशम सम्यग्मिथ्यात्व (प्ररूपणा)--बध ३ १०८ बधस्थान (उपशम) १४३० ब, १४३८ अ, बद्धायुष्क (आयु) ३११३, उदय १३८६, उदयस्यान १३६३ ब, १.२६२ ब, भूमि (कर्ममूमि) ३ २३५ ब, मल ३.२८८ उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्व ब, मिश्र (सम्यग्मिथ्यात्व) ३३१० अ, मोक्षमार्ग
४२८४, सत्वस्थान ४३०१, ४३०६, त्रिसयोगी भग ३ ३३७ अ, रुद्र ४.२२ ब, लब्धि (करणलब्धि)
१४०८ अ। सत् ४.२६०, सख्या ४.१०६, क्षेत्र ३.४१४ अ, (पचलब्धि) ३४१२ ब, लिंग ४.४३० २२०६, स्पर्शन ४४९३, काल २११६, अतर १२१, ब, लेश्या ३४२७ अ, विकल्प ३५३७ ब, वेद भाव ३२२१ ब, अल्पबद्धत्व १.१५२ अ। ३५८८ अ, व्रत ३.६२५ ब, शंका २५८६ ब,४१४५ सम्यग्मिथ्यात्व प्रकृति-मिथ्यात्वप्रकृति का विधाकरण ब, शलाकापुरुष ४ २५ ब, ४,२६ ब, श्रद्धान ४ ४५ ब, (उाशम) १४३६ अ, सर्वघाती १.१३ अ । प्ररूपणाश्रावक ४.४६ ब, श्रोता ४.७५ अ, संजी ४१२२ ब, प्रकृति ३.८८, ३ ३४१, ३.३४३ अ, स्थिति सम्मूच्छिम ४१२७ ब, सम्यग्ज्ञान २२६३-२६५, ४४६१, स्थितिसत्व जघन्य ४२७७ अ, स्थितिसत्व सम्यग्दर्शन ४३५१ अ, ४.३६२ अ, ४ ३७१ अ, स्थानो का अल्पबहुत्व १.१६५, अनुभाग १.६३ अ, साधु ४४०६ ब, स्वाध्याय ४५२३ अ।
१६५, प्रदेश ३१३६ । बध ३.६७, बंधस्थान सम्यग्दर्शन-प्ररूपणा-बध ३.१०८, बधस्थान ३११३, ३१०६, उदय १.३७५, ३३०७ ब, उदयस्थान
उदय १.३८५, उदयस्थान १.३६३, उदीरणा १.४११ १३८६, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान, असत्त्व ४.२८४, ४.२५६, सरवस्थान ४.३०२, १४१२, सत्त्व ४२७८, सत्त्वकाल २१२०, स्थिति ४३०६, त्रिसंयोगीभंग १.४०८ अ। सत् ४.२४५, सत्त्व जघन्य ४.२७७ अ, सत्त्वस्थान ४.२६६, त्रिसयोगी
Page #273
--------------------------------------------------------------------------
________________
सम्यग्मिथ्यादृष्टि
२६७
सर्वगुप्त
भग १४०१ब । सक्रमण ४८६ अ, ४८७ अ, ४.८८ सरस्वती-तीर्थंकर वज्रधर २३६२, व्यन्तरेद्र वल्लभिका स, अल्पबहुत्व ११६८ ।
३६११ ब। सम्यग्मिथ्यादष्टि--अनतानुबधी ३५७१ ब, अतर काल सरस्वतीमत्रकल्प--इतिहास १३४३ ब ।
१४ अ, आरोहण-अवरोहण (गणस्थान) २२४७, सरस्वतीयंत्र-यत्र ३.३६४ । उदय (अन नानुबधी) ३.५७१ ब, उदय (मिश्रप्रकृति) सरह-४३७६ अ। ३ ३०७ ब, करणदशक २६, कषाय २४० ब, काय सरहपा ४ ३७६ अ.। २४५ ब, नरकगति २ ५७५ ब, परिषह ३ ३४,
सरागचारित्र -अपवादमार्ग ११२० ब, उपयोग (शुभ)
१४३३ अ, चारित्र २.२८० ब, २२८४ ब, २.२६०प्रत्यय ३ १२७, बद्धायुष्क १ २६२ ब, मरण ३२८२ ब, सक्रमण ४,८६ अ,४८७ अ.
२६३ । सम्यग्मिथ्यादष्टि (प्ररूपणा)-बध ३.६७, बंधस्थान सराग छमस्थ-- छमस्थ २.३०५ ब ।
सराग श्रमण-साधु ४.४०४ अ। ३११०, ३.१११, उदय १३७५, उदयस्थान १३६२ अ, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान १४१२,
सराग सयम -चारित्र २.२६१ अ। सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान ४.२८७, ४२६६,
सराग सम्यग्दर्शन–सम्यग्दर्शन ४३६० ब। ४.३०४, त्रिसयोगी भग १४०६ अ । सत् ४१६२, सराग सम्यग्दृष्टि-सम्यग्दर्शन ४.३५८ अ। सम्यग्दष्टि सख्या ४.६४, क्षेत्र २.१६७, स्पर्शन ४४७७, काल
४३७७ब। २.६६, अंतर १.७, भाव ३.२२१, अल्पबहत्व १.१४३। सरित्-४ ३७६ अ। विदेहस्थ क्षेत्र-निर्देश ३.४६० अ। सयलविहिविहाण-इतिहास १.३४३ ब ।
नामनिर्देश ३४७० ब, विस्तार ३.४७६, ३४८०, सयोग---गुणस्थान ३२४६ ब।
३.४८१, अकन ३.४४४, ३४६४ के सामने, चित्र सयोगकेवली-अर्हन्त ११३८ अ, आरोहण (गुणस्थान) ३४६० अ।
१.२४७, करणदशक २६ अ, कर्मक्षय (केवली) सरीसृप -निर्देश (तिर्यंच) २.३६७. आय १.२६३। २.१५८ अ, कषाय २४० ब, काय २.४५ ब, काला- सरोवर-स्वप्न ४.५०४ ब । वधि का अल्पबहत्व १.१६१, केवली २१५७ ब, सजे कषाय-कषाय २.३५ ब, २.३६ अ। २.१५८ अ, नामकर्म उदयस्थान १ ३६६, १३९७, सर्प-तीर्थकर पार्श्वनाथ २ ३७६, नक्षत्र २ ५०४ अ । परिषह ३ ३४, प्रदेशनिर्जरा का अल्पबहुत्व १.१७४ सपंवत् चाल-करण (अध.करण) २.१० अ, उपशम अ, प्राण ३ १५३ ब, वनस्पति (अप्रतिष्ठित प्रत्येक- १४३६ अ। शरीरी) ३५०६ अ, सक्रमण ४८६ ब, समुदधात
सर्पसम श्रोता-उपदेश १४२५ ब, श्रोता ४७४ ब । ४३४३ अ ।
सपिनावी ऋद्धि-ऋद्धि १४४७, १४५६ ब। सयोगकेवली (प्ररूपणा)-बध ३६७, बधस्थान ३.११३,
सर्वजय-विद्याधर वश १.३३६ अ। उदय १.३७५, उदयस्थान १३६२ अ, उदीरणा सर्व-४.३७६ अ, अनशन १.६५ ब । तीर्थकर (सर्व ऋद्धि १.४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४२७६, संख्या) २३८७, मंत्र ३.२४८ अ । सत्त्वस्थान ४२८६, ४.२६६, ४३०४, त्रिसयोगी सर्व-असर्व बध-बध ३११४ । भंग १.४०६ अ। सत ४१६४, संख्या ४.६४, क्षेत्र सर्वकरण-उपशम १.४३७ अ। २.१६७, स्पर्श ४.४७७, काल २.१००, अतर १७, सर्वगधा-४.३७६ अ, अरुणाभास द्वीप का देव ३.६१४ । भाव ३.२२२ ब, अल्पबहुत्व ११४३ ।
सर्वगत-४.३७६ अ, केवलज्ञान २१५३ ब, जीव २.३३८ सयोगी-समुद्घात ४३४३ । दे० ऊपर सयोगकेवली। द्रव्य २.४५७ अ, स्कध ४४४७ अ। सयोगी जिन-केवली २१५७ ब। दे० अपर सयोग
होर सर्वगतत्व-४.३७६। केवली।
सर्वगत नय-नय २५२३ अ । सरल-तीर्थंकर अभिनदन २.३८३ ।
सर्वगंध-४.३७६ अ, अरुणाभास द्वीप का देव,३.६१४ । सरलता-आर्जव १.२७२ अ।
सर्वगप्त-४.३७६ ब, गणधर २.२१२ ब, तीर्थंकर सरल समीकरण-४.३७६अ।
विमलनाथ २.३७८ । सरस-४.४३७ अ ।
सर्वगुप्त-इतिहास १.३२८ ।
Page #274
--------------------------------------------------------------------------
________________
सर्वगुप्ति
सर्वातिचार प्रतिक्रमण
सर्वगुप्ति-तीर्थकर अनंतनाथ २३७८ ।
सर्वप्रभ-४.३८० अ, तीर्थंकर २३७७। सर्वज्ञत्व-४ ३७६ ब, अनतत्व १५८ ब, अनुभव १.८३ ब, सर्वप्रिय-गणधर २२१२ ब ।
केवलज्ञान २१४७ अ-२,१५१ अ, केवली २.१५७ सर्वभद्र-४३८० अ, यक्ष ३.३६६ अ । ब । वक्तृत्व (केवलज्ञान) २१५२ अ, श्रुतज्ञान ४६३ सर्वमत-जीव २.३३६ ब । अ,४६४ अ।
सर्वयज्ञ--गणधर २२१२ ब । सर्वज्ञत्व शक्ति-४३७६ ब।
सर्वयश-गणधर २ २१२ ब । सर्वज्ञदेव -देव (भगवान्) २.४४४ अ।
सर्वरक्षित-४३८० अ, लौकातिक देव ३ ४६३ ब। सर्वज्ञबाह्य-कर्ताकर्म ५.२३ अ-ब ।
सर्वरत्न-४३८० अ, मानुषोत्तर पर्वत का कूट-निर्देश सर्वज्ञसिद्धि-अनतकीति १ ५६ ब, इतिहास-लघु १.३४२ ३ ४७५ अ, विस्तार ३.४८६, अकन ३४६४ । रुचकअ, बृहद १३३० अ, १३४२ अ ।
वर पर्वत का कूट-निर्देश ३ ४७६ अ-ब, विस्तार सर्वज्ञात्म मुनि--४ ३७६ ब, वेदात ३ ५६५ ब ।
३४८७, अकन ३४६८ । सर्वग्राहकता-केवलज्ञान २.१४७ अ।
सर्वरत्नमयी-सुमेरु की परिधि ३.४४६ अ, वनखण्ड सर्वघाती-अनुभाग १ ६१-६३, अनुभाग का अल्पबहुत्व । ३४५० अ।
११७१ अ, उदय १३७१ ब, स्पर्धक ४.४७३ अ। सर्वविजय-गणधर २२१२ ब । सर्वचद्र-४.३७६ ब. मदिसघ देशीय गण १.३२४ ब, सवविद्याप्रकाषणा-विद्या ३.५४४ अ । इतिहास १३३० अ।
सर्वविद्याविराजिता--विद्या ३.५४४ अ। सर्वजनानद-तीर्थंकर पुष्पदत व शीतलनाय २.३७८ । सर्वविपरिणामना-विपरिणाम ३.५५५ ब । सर्वतत्र-न्याय २.६३३ ब, सिद्धात ४.४२७ ब ।
सर्वविभक्ति - अनुयोगद्वार १.१०३ ब सवतोभद्र-चक्रवर्ती ४१५ अ, ब्रह्मद्र का यान ४५११ सर्वव्यापी - केवलज्ञान (सर्वगत) २.१५३ ब, जीव (सर्वगत) ब, यम लोकपाल का यान ४५१३ अ।
२३३८ अ, द्रव्य (सर्वगत) २.४५७ अ, मुक्तजीव सर्वतोभद्र यंत्र (लघु व बृहद)- यत्र ३ ३६५ ।
३ ३२६ अ । स्कन्ध (सर्वगत) ४.४४७ अ। सर्वतोभद्र व्रत ४.३७९ ब ।
सर्वशून्य दोष---कर्ता-कर्म २ २२ ब ।। सर्वतोभद्रा-४.३८० अ नदीश्वर द्वीप की वापी-निर्देश सश्य
. सश्यामा--जीर्थकर अनंतनाथ की माता २ ३८० । ३४६३ अ, नामनिर्देश ३ ४७५ ब, विस्तार ३.४६१, सर्वश्री - कल्की (आर्यिका) २३१ ब, तीर्थंकर अनतनाथ अकन ३ ४६५ ।
(आर्यिका) २३८८, व्यंतरेद्र की वल्लभिका ३.६११ सर्वथा--४.३८० अ, एकात १.४६० अ, नय २.५२५ अ, स्याद्वाद ४.५०० अ, ४५०१ अ-ब ।
सर्वसंकर दोष-कर्ता-कर्म २.२२ ब । सर्वशित्व शक्ति-४३८० अ।
सर्वसंक्रमण-सक्रमग ४.८४ अ-ब, ४६० ब, अल्पबहुत्व सर्वदेव -गणधर २२१२ ब ।
१.१७४ ब । सर्वदेश दोष -आहार १.२६० ब, उद्दिष्ट १.४१३ ब। सर्वसंघ-गणधर २.२१३ अ । सर्वदेश अभिघट दोष-आहार १२६० ब, उद्दिष्ट
सर्वसाधु-साधु ४४०३ अ । १४१३ ब ।
सर्वसावध निवृत्ति-सामायिक ४.४१७ ब । सर्वदेश-त्याग-व्रत ३६२७ ब ।
सर्वसावध योग-सामायिक ४.४१६ ब । सर्वधन-गणित २.२२६ ब, २.२३० ब ।
सर्वसुंदर-४.३८० ब । सर्वधारा-गणित २.२२६ अ।
सर्वसेना- व्यतरेद्र गणिका ३.६११ ब । सर्वनंदि-४३८० अ, इतिहास १३२६ अ, १३४१ अ।
सर्वस्थिति-अनुयोगद्वार १.१०३ अ, स्थिति ४४५६ ब । सर्वपदगत भंग-३.१६७ अ ।
सर्वस्थिति विभक्ति-स्थिति ४.४५६ ब । सर्वपदार्थ-श्रुतज्ञान ४.६३ अ।
सर्वस्पर्श-स्पर्श ४.४७६ अ । पर्वपदार्थ स्थितत्व-अनेकात (सापेक्ष धर्म) १.१०६ अ। सर्वांग-केवलज्ञान २.१४६ अ । सर्वपरित्याग--उत्सर्गमार्ग १.१२१ अ, उपयोग (शुद्ध) सर्वातिचार-अयिचार १.४२ ब, १.४४ अ । १.४३१ अ।
सर्वातिचार प्रतिक्रमण-प्रतिक्रमण ३.११६ अ।
Page #275
--------------------------------------------------------------------------
________________
सर्वात्मभूत
२६६
सहभांव
सर्वात्मभूत-तीर्थकर २३७७ । सर्वानंत-अनत १५५ ब । सर्वानशन- अनशन १६५ ब । सर्वानुकंपा - अनुकपा १७० अ । सर्वायुध-तीर्थकर २३७७ । सर्वार्थ-तीर्थकर चद्रप्रभ २ ३८३, रत्नप्रभा (चित्रा पृथिवी)
३३६१ अ। सर्वार्थपुर-४.३८० ब, विद्याधर नगरो ३५४५ ब । सर्वार्थसिद्धा-विद्या ३५४४ अ । गर्थिसिद्धि-देव-अवगाहना १.१८१ अ, अवधिज्ञान
१.१६८ ब, आयु १२६६, आयुबध के योग परिणाम १२५८ व, द्विचरम शरीरी ४५१० ब । स्वर्गविमान ४३८० । नामनिर्देश ४.५१८, विस्तार ४५१८, अकन ४.५१५, ४५१७, चक्रवर्ती ४१०
सवर्णकारिणी--विद्या ३५४४ अ । सवर्तक - तीर्थंकर चन्द्रप्रभ २.३८३ । सवस्त्र लिंग-लिंग ३४१७ अ, वेद ३५८६ ब । सविकल्प-विकल्प (ज्ञान) ३.५३७ ब, सम्यग्दर्शन ४३६२
। सविचार-शुक्लध्यान ४.३३ अ-ब, सल्लेखना ४.३८८ ब,
४३६० अ। सविचार भक्त प्रत्याख्यान-सल्लेखना ४३८८ ब,४३६०
सविचार स्थान तप-कायक्लेश २.४७ अ। सवितर्क-शक्लध्याग ४३३ ब,४३४ ब । सविपाक - अनुप्रेक्षा (निर्जरा) १.७५ ब, उदय १.३६५
सर्वार्थसिद्धि (देवप्ररूपणा)-बंध ३.१०२, बधस्थान
३.११३, उदय १३७८, उदयस्थान १३६२ ब, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४२८२, सत्त्वस्थान ४२६८, ४३०५, विसयोगीभम १.४०६ ब । सत ४१६२. स ख्या ४६८, क्षेत्र २ २००, स्पर्शन ४४८१, काल २.१०४, अतर ११०, भाव
३२२० ब, अल्पबहुत्व ११४५।। सर्वार्थसिद्धि (शास्त्र)-४३८० ब, इतिहास १३४१ अ। सर्वार्थसिद्धि वचनिका--इतिहास १३४८ अ। सर्वार्थसिद्धि वत-४३८० ब । सर्वावधि --अवधिज्ञान-निर्देश ११८७ ब, ११६३ ब
१६६, गुणप्रत्यय ११६३ ब, विषय ११६६ । सर्वाशन-अनशन १ ६६ अ, अपवादमार्ग १ १२१ अ, तप
२३६० अ। सर्वासंख्यात-असख्यात १२०६ अ । सर्वोपशम- सम्यग्दर्शन ४ ३६८ ब । सर्वोपशमन-धर्मध्यान २४८३ अ। सर्वोपशमना-सम्यग्दर्शन ४३६८ ब । सवौं षध ऋद्धि-ऋद्धि १४४७,१४५५ ब । सर्षप फल-४३८० ब, तौल का प्रमाण २.२१५ अ। सलक्खण - आशाधर १२८०ब। सहलक्षण-आशाधर १.२८०ब। सल्लेखना-४३८०ब, शुद्धि ४.४० ब, सल्लेखना के ४०
अधिकार ४३६० अ। सल्लेखना काल-काल २.८०ब। सवरी गुह्यगृहन-४ ३६७ ब ।
सविपाक उदय-उदय १३६५ ब । सविपाक निर्जरा-अनुप्रेक्षा १७५ ब । सविश्वरूपत्व-अनेकात (सापेक्षधर्म) १.१०६ अ । सद्धिक दोष-आहार १२६० ब, उद्दिष्ट १.४१३ अ। सवृद्धिक प्रामृष्य दोष-आहार १.२६० ब । सवेद भाग-वेद ३५८७ ब । सवैडूर्य-सुमेरु ४४३७ अ । सव्यभिचार-त्याय २६३३ ब । सशल्य मरण-मरण ३.२८१ ब । ससन्निरोध तप-कायक्लेश २.४७ अ । ससिक्थ-४.३६८ अ । सहकार-तीर्थकर नेमिनाथ २.३८३ । सहकारी-४३६८ अ, काल २.६३ ब । सहकारीकरण-कारण २५६ अ, २ ५७ अ, २६३ ब,
२६६ अ, काल २ ८२, २८५ अ, निमित्त २.६१२
अ। सहगमन-सगति ४.११६ अ। सहचर-हेतु ४.५३८ । सहज ४.३६८ अ। सहज दु.ख-दुःख २.४३४ ब । सहदेव-४३६८ अ, कुरुवश १.३३६ अ । सहदेवी-४.३६८ अ, चक्रवर्ती ४११ ब । सहर्धामणी-स्त्री ४.४५२ अ। सहनानी-४३६८ अ। सहप्रवृत्त-गुण २.२४२ ब, द्रव्य २.४५४ अ । सहभाव-४.३६८ अ, अविनाभाव १.२०२ ब, गूण
२२४३ अ।
Page #276
--------------------------------------------------------------------------
________________
सहभावी
सहभावी गुण २२४२ ब द्रव्य (गुण २४५४ अ. पर्याय
३ ४५ व ।
सहभावी विशेष द्रव्य २.४५४ अ ।
सहभूगुण २२४२ व अन्य
सहभूत गुण २२४३ अ
सहभोजन आहार १२८६ व
सहवर्ती - ध्येय ( गुण ) २५०० अ । सहवर्ती उदय
उदय १.३७३ अ
-
ब ।
सहवा (कवि ) -- इतिहास १३३४ अ ।
सहवास - सगति ४-११९ व
१.११२ ब
सहस्र - गणित २.२१४ ब ।
।
सहवृति-४३१८ ।
सहसा अतिचार १४४ अ, निक्षेप १४९ ब । सहसा तिचार - अतिचार १.४४ अ ।
सहसा निशेष निक्षेप १.४९ ब
सहस्ती - रुचकर पर्वत का दिग्गजेंद्र –निर्देश ३४७६
२७०
सहस्रकीति नदिसंघ के भट्टारक १.३२४ अ काण्डासम १ ३२७ अ ।
सहस्रनयन-४३६८ अ ।
सहस्रनाम स्तव --- ४.३६८ अ, आशाधर १.२८१ अ, स्तोत्र ४.४४६ व इतिहास १.३४४ व
1
सहस्रपर्वा विद्या ३.५४४ अ ।
सहस्रबाहु चत्रवर्ती ४.११ व
सहस्ररश्मि - ४३६८ अ । सहरूानीक - विद्याधरवश १ ३३९ अ । सहस्रान तीर्थंकर शाविनाथ २२८३ ।
सहस्राध-४ ३६८ ।
सहस्रार (देव) - ४३९८ ब । देव – निर्देश ४५१० ब अवगाहना ११८१ अ अवधिज्ञान ११६८ ब, आयु १.२६८, आयुध के योग्य परिणाम १२५८ । इद्र — निर्देश ४.५१० व उत्तरेद्र ४.५११ अ परिवार ४. ५१२-५१३, चिह्न आदि ४.५११, अवस्थान ४. ५२० ब विमान नगर व भवन ४.५२०-५२१ । तीर्थंकर नेमिनाथ २.३८२, नारायण ४ १८ व बलदेव ४.१६ ब ।
सहबार (देव प्ररूपणा ) - ३१०२, बंधस्थान ३११२, उदय १.३७८, उदयस्थान १३९२ ब, उदीरणा १.४११ अ उदीरणास्थान १४१२, ४२६२, सत्वस्थान ४.२१०, ४.३०५, त्रिसयोगी भग व सत् ४.१९२ संख्या ४.६८ क्षेत्र
१.४०६ २.२००,
साव्यवहारिक प्रत्यक्ष
स्पर्शन ४.४०१ काल २.१०४, अंतर १.१०, भाव
३.२२० ब, अल्पबहुत्व १.१४५ ।
सहस्रार (स्वर्ग) स्व-निर्देश ४.५१४, पटल ४५१६, इंद्रक व श्रेणीबद्ध ४५१८, ४५२०, उत्तर विभाग ४५२१ अ, अवस्थान ४५१४ ब, अकन ४५१५ । पटल - निर्देश ४.५१८, विस्तार ४५१८, अंकन ४.५१५. देव आयु १२६० । सहानवस्था विरोध - विरोध ३.५६४ व । सहायक कारण निमित्त २६१२ व सहेतुक प्रत्याख्यान - प्रत्याख्यान ३१३१ ब ।
सहेतुक वन तीर्थकर अजित सभव, सुमति, सुपार्श्व शोनल, विमल, अनंथ, कुथु, अरनाथ २.३८३ ॥ सहा४३६० व मनुष्यलाक २२७५ च यदुवंश १३३७ ।
ब,
(४३२० व
सांख्यकारिका - साख्न ४३६८ ब ।
साध्यकौमुदी सांख्य ४३१८ व
सांख्यदर्शन - एकांत १४६५ अब, २४०३ अ, साख्य
४३६८ ब ।
सांख्यप्रवचन भाव्य-सौव्य ४ ३६८ ब ।
सांख्यप्रवचन सूत्र - सांख्य ४३६८ ब । सांख्यमतजीव २३३६ । सप्तति सांख्य ४ ३६८ व । सांख्यसार - साख्य ४३१८ ब । सातरगतिसिद्ध अक्षयत्व ११५३ व - । सांतर-निरंतर द्रव्यवर्गणा - वर्गणा ३.५१३ ब । सातर निरंतर वर्गणा वर्मणा ३.५१३ अ, ३.५१५ ब ३५१६ अ ।
सांवरबधी प्रकृति-निर्देश ३.०० ३.१० व नियम ३६३-६४, त्रियोगी प्ररूपणा १३६६ । सातर मागंना मार्गणा ३.२६७ अ । सांतर सिद्ध अल्पबहुत्व ११५३ व सांतर स्थिति स्थिति ४.४५७ अ ।
सांद्र - ४४०० अ । सापराधिकवधक ३१७२ अ
-
सोपरायिक आस्रव - आस्रव १.२८२ ब । परायिक बंधक-धक ३.१७६ अ । सांप्रति ४.४०० अ ।
सांप्रतिक कृष्टि - कृष्टि २.१४३ अ । सांवत्सरिक प्रतिक्रमण - प्रतिक्रमण ३.११६ अ । सांध्यवहारिक प्रत्यक्ष प्रत्यक्ष ३.१२२ व ।
Page #277
--------------------------------------------------------------------------
________________
सांव्यवहारिक शब्दज्ञान
२७१
सादि बंधी प्रकृति
सांव्यवहारिक शब्दज्ञान-श्रुतज्ञान ४.६१ अ ।
सातक-स्वर्गपटल-निर्देश ४.५१८, विस्तार ४.५१८, सांसारिक दुख-सुख ४,४३० ब ।
अन ४५१५ ब । देव आयु १२६८। सांसारिक सुख-सुख ४.४३० ब।
सातकर्णी--४४०० ब, इतिहास १३१४ । साकांक्ष अनशन-अनशन १.६५ ब।
सात गारव-गारव २ २३६ अ। साकार-४४०० अ, प्रत्याख्यान ३ १३१ ब ।
सात ज्ञान-ज्ञानावरण २२७२ ब। साकार उपयोग -आकार १२१८ ब, १२१६ अ, विशुद्धि सातत्य -४४००ब। ३५७० अ।
सात नय-नय २.५१४ ब । साकार मंत्रभेद - ४४०० अ ।
सान बंधक-विशुद्धि ३.५६६ ब । साकार स्थापना -अतर १.३ ब, उपशम १.४३७ अ, सात भय-भय ३ २०६अ। निक्षेप २५६७ ब, २,५६८ ब ।
सातवी पथिवी - क्षेत्रप्ररूपणा २१६४ ब । साकेत-४.४०० अ।
साल व्यसन व्यसन ३६१७ ब। साकेतपुर- मनुष्यलोक ३.२७६ अ।
सात स्वप्न -स्वप्न ४५०४ ब । साकेता--तीर्थंकर अजित, अभिनन्दन व सुमतिनाथ साता-दु ख २.४३४ ब । १३७६ ।
साता वेदनीय--निर्देश ३.५६२ अ, आबाधा १२४६ अ, साक्षर शब्द-भाषा ३ २२६ ब।
घाती १६१ अ, बधयोग्य परिणाम (विशुद्धि) साक्षात् प्रत्यक्ष हेतु-स्वाध्याय ४५२४ अ ।
३५६६ अ । प्ररूपणा-प्रकृति ३६६ ब, ३५६८, सागर-४४०० अ, काल का प्रमाण २.२१७ब, तीर्थकर
स्थिति ४४५६ अ, ४४६०, ४.४६६, अनुभाग २३७७, यदुवंश १-३३६ ।
१६५, ४५२७ । बध ३६७, बंधस्थान ३१०६, सागर - गणित क्षेत्रफल आदि) २२३३ ब, जापनिर्देश उदय १३७५ उदयस्थान १३८७ । उदीरणा
३ ४७०, अकन ३४४३ । चातुद्वोपिक भूगोल १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४२७८, ३४३७, बौद्धाभिमत ३.४३४, वैदिकाभिमत ३४३१
सत्त्वस्थान ४२६४। विसयोगी भग १.३६६ ।
सक्रमग ४८४ अ, अलाबहुत्व ११६८। सागर (कट)--गजदत का कूट-निर्देश ३.४७३ अ, सातिचार सामायिक सामायिक ४४१८ अ।
विस्तार ३.४८३,३४८६, अकन ३.४४४, ३.४५७। सातिप्रयोग --४४०० ब । माया ३२९६अ। समेह के वनो का कट-निर्देश ३.४७३ ब, विस्तार सातिरेक-४४०० व। ३४७३, ३४८५, ३.४८६, अंकन ३.४५१ ।
सातिशय अप्रमत --उपशम १.४४० अ, क्षपणा चारित्रसागरदत्त-बलदेव ४१८ अ ।
मोह की २.१७६ ब, संयत ४१३० अ। सागर वृद्धि--४४०० अ ।
सातिशय केवलो-केवली २.१५७ अ। सागरसिद्ध - अल्पबहुत्व ११५३ अ ।
सातिशय मिथ्यादृष्टि-निर्देश (मिथ्यादृष्टि) ३ ३०३ अ, सागरसेन -हरिवंश १३४० अ ।
करणदशक २६ अ । बध ३६८ अ, उदय १.३८६सागार -४.४०० ब, सयम ४.१३७ अ।
३८७, उपशम १.४३८ अ, सत्त्व ४.२८० । सागार धर्मामत-४४०० ब, आशाबर १२८१ अ, सात्यकिपुत्र-४४०० ब, रुद्र ४२२ अ। इतिहास १३४४ अ।
सात्यमुनि-अज्ञानवाद १.३८ ब । सागरोपम-४.४०० अ।
-सात्विक दान-दान २४२३ अ। सात -नारायण ४.१६ ब ।
सादि -अनुभाग १८६ अ, काल २.८८ ब, बध ३.१६६ सात-अनीक १.६८ ब, ऋषि ४३१३ अ, ३.४४४ ब, ब, बधी प्रकृति ३.८८, ३.६० अ।
३.४४६ अ, तत्त्व २.३५३ ब, नय २५२६ ब, नरक सादित्व-अनंत १५१ अ। पथिवी २.५७६ अ, अग ४.३१३ व, व्यसन सादि नित्य पर्यायार्थिक नय-नय २.५५१ ब । ३ ६१७ ब । समुदघात ४३४३ अ।
सादि पद-अनुयोगद्वार ११०२ ब, १.१०३ ब । सात (७)-रज्जू, रज्जूप्रतर व रज्जूघन की सहनानी सादि बध-प्रकृतिबध ३.११४ । २.२३६ ब।
सादि बंधी प्रकृति-प्रकृतिबध ३.६० अ ।
.
Page #278
--------------------------------------------------------------------------
________________
सादि मिथ्यादृष्टि २७२
साध्य सावि मिथ्याष्टि-उपशम १४३८ अ, क्षयोपशम ४२८२, सत्वस्थान ४.२६६, ४३०५, त्रिसंयोगी भग
२.१८५ अ, सममासयम क्षयोपशम २१८५ अ, १४०६ ब। सत् ४.२०७, सख्या ४१०१, क्षेत्र सम्यग्दर्शन ४.३६८ ब,४३७१ ब ।
२२०१ स्पर्श ४४८४, काल २१०६, अतर १.१२ सादि शरीरी बंध-बध ३१७० ब ।
भाव ३.२२० ब, अल्पबहुत्व १.१४६ । सादि स्थिति बंध-स्थिति ४४५७ अ।
साधारण वनस्पति-कार्यानर्देश २.४४, अवगाहना सादृश्य-४४०० ब।
११७६, आयु १२६४ अ, जीवसमास २ ३४३, सादृश्य प्रत्यभिज्ञान-प्रत्यभिज्ञान ३ १२५ अ ।
वनस्पति ३.५०२, ३.५०६, ३५०८, ३.५१० । सादृश्य लक्षणसामान्य-सामान्य ४४१२ ब ।
साधारण स्थान तप-कायक्लेश २ ४७ अ । सादृश्य सत्ता- अस्तित्व १२१३ अ ।
साधारण हेत्वाभास-साधारण ४.४०२ अ । साधक क्षुल्लक - क्षुल्लक २१६० अ।
साधारणासाधारण-साधारण ४४०१ ब । साधक श्रावक-थावक ४४८ ब ।
साधारणीकृत -४४०२ अ। साधक हेतु-हेतु ४ ५३८ ब ।
साधिक जघन्य - सहनानी २ २१८ ब । साधन-४४०१ अ, कारण २५४ अ, २५७ अ, ज्ञान साधित-आराधना १२७१ अ।
२२६८, मोक्षमार्ग ३ ३३६ ब, हेतु ४५३८ ब । साधु-४४०२ अ, अनगार १६२ अ, अपवाद मार्ग साधन व्यभिचार - नय २५३८ अ।
१.१२१ अ, अवर्णवाद १.२०१ अ, आर्यिका की सगति साधनसाध्य भाव -४४१२ अ, संबध ४१२६ अ। ४१२० अ, आवश्यक कर्म १.२८० अ । आहार-चर्या
व्यवहार-निश्चय-समन्वय-ज्ञान २ २६८ ब, चारित्र १.२८६-२६३, आहारातराय १२६ अ, उपकार । २२६० अ, धर्म २४७१ अ, धर्मध्यान २.४८६ अ १.४१६ अ, उपदेश १४२४ ब, ओम १.४६६ ब, नय २५६८ अ-ब, मोक्षमार्ग ३.३३६ ब, सम्यग्दर्शन
कुशील साधु २ १३१ अ, कृतिकर्म २१३७ अ, २.१३६ ४३६० अ।
अ, क्रिया २१७५ अ, गुरु २२५१ ब, चैत्य-चैत्यालय साधन हेतु-हेतु ४५३८ ब ।
२३०१ अ, त्याग २३६७ ब, दशधर्म २.४७६ अ, साधना-अनुयोग ११०२ अ, अभ्यास ११३१ ब, साधु देवत्व २४४४ ब, धर्म २ ४७३ अ, धर्मध्यान १८५ ४४०६ अ ।
ब, ध्येय २५०१ अ, नमस्कार (विनय) ३ ५५२ ब, साधर्म्य-४४०१ ।
परीक्षा (विनय) ३५५४ अ, पूजा ३.७७ अ, प्रत्यासाधर्म्य उदाहरण -दृष्टात २४३८ अ ।
ख्यान ३ १३२ ब, भिक्षा चर्या ३.३२८ ब, मत्रतत्र साधर्म्यसमा जाति - ४.४०१ अ।
३ २४८ अ, मिथ्यादृष्टि (श्रुतकेवली) ४५६ अ, मत साधारण---४४०१ ब, ४४०२ अ, पारिणामिक ३५५ शरीर (कृतिकर्न) २.१३६ अ, लिंग ३ ४१७ ब, वदना अ।
(विनय) ३५५२ ब, विनय ३५५२ ब, ३५५४ अ, साधारण कायिक जीव-बनस्पति ३५०६ अ ।
शुद्धि ४४१ अ, श्रावक ४.४६ ब, ४ ४७ अ, श्रुतसाधारण गुण-गुण २.२४० ब, ३ २४३ ब।
केवली ४५६ अ, श्रणी ४७१ ब, सगति (आर्यिका) साधारणत्व-साधारण ४.४०१ ब ।
४ १२० अ, सयत ४१२६ ब, ४१३२ अ-ब, ४१३३ साधारण दोष-वसतिका ३ ५२६ ब ।
अ, ससार ४१४६ अ, सस्कार ४१५० अ, सत्य वचन साधारण नामकर्म प्रकृति -प्रकृति ३८८, २.५८३, ४२७० ब, साधु ४.४१० अ।
३५०६ ब, स्थिति ४.४६३, अनुभाग १६५, प्रदेश साधुधर्म - अनगार धर्म १६२ अ, अपवादमार्ग ११२१ । ३,१३६ । बध ३६७, बधस्थान ३.११०, उदय १.३७५, अ, उपदेश १४२४ ब। उदयस्थान १ ३६०, उदीरणा १४११ अ, उदीरणा- साधु-पूजा--उपयोग १.४३४ ब, पूजा ३ ७७ अ। स्थान १४१२, सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४.३०३, साधु-प्रासुक-परित्यागता-त्याग २.३६७ अ। त्रिसयोगी भंग १.४०४ । संक्रमण ४८५ अ, अल्प- साधु-संघ-इतिहास १३१६, कल्की २.३१ ब। बहुत्व ११६८।
साधुसमाधि-समाधि ४.३३७ ब। साधारण कापमार्गणा प्ररूपणा-बध ३.१०४, बंधस्थान साधुसेन-गणधर २.२१२ ब ।
३.११३, उदय १.३७६, उदयस्थान १.३६२ ब, साध्य-पक्ष ३२ ब, विरुद्ध हेत्वाभास ३ ५६४ अ । विरोध उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व ३५६४ ब ।
Page #279
--------------------------------------------------------------------------
________________
साध्य सम हेतु
२७३
सामायिक सयम
साध्य-सम हेतु-४४११ अ, या २६३३ ब।
पारिणामिक भाव २२४२ ब । साध्यसमा जाति-४.४११ अ ।
सामान्य गह-भवनवासी देवो के भवन ३.२१०ब। साध्य-साधक भाव-४४११ अ, धर्मध्यान २४८६ अ,
सामान्य ज्ञान---ज्ञान (केवलज्ञान) २.२६० ब । नय २.५६८ अ-ब, मोक्षमार्ग ३ ३३६ ब, सम्बन्ध सामान्य ग्रहण--दर्शनोपयोग २४१२ ब । ४१२६ अ, सम्यग्दर्शन ४३६० अ।
सामान्य छल- ल २.३०५ ब, न्याय २६३४ अ। साध्याभात-पक्ष ३३ अ।
सामान्यतो दृष्ट ---अनुमान १६७ ब। सान-४४११ अ।
सामान्य नय - नय २५२३ अ। सानत्कुमार-दे० सनत्कुमार।
सामान्य भूमि - समवसरण ४३३० ब। सानकार-स्वर्ग पटल-निर्देग ४५१८, विस्तार ४५१८, सामान्य विधि-आगम १२३२ अ । अकन ४५१५, देव आयु १२६८ ।
सामान्य विशेषात्मक-सामान्य ४ ४१२ ब । सापराध-विभाव ३५५६ अ ।
सामान्य सग्रह नय-नय २ ५३४ अ । सापेक्ष- एकात १.४६१ अ-४६३, धर्मध्यान २४८६ सामान्य संग्रह भेदक व्यवहार नय-नय २५५८ ब ।
सामान्य स्वभाव-स्वभाव ४.५०६ अ। सापेक्ष तत्त्व-स्याद्वाद ४४९८अ ।
सामान्यालोचना-आलोचना १२७७ अ, सल्लेखना सापेक्षता --अने हात ११०८ ब, नय २५६६ अ, स्वभाव ४५०७ब।
सामान्याधिकरण-४४१३ अ। सापेक्ष दृष्टि -स्थाद्वार ४४६६अ।
सामायिक----४.४१३ अ, अभ्यास ११३१. ब, कृतिकर्म सापेक्ष धर्म-अनेकात ११०६ अ, सप्तभगी ४३२३ ब । २१३५ ब, प्रतिक्रमण ३.११८ अ, प्रोषधोपवास सापेक्ष नय-नय २ ५२५ ब ।
३ १६७ अ, शाति ४२७ अ, थावक ४४७ अ श्रुतसापेक्ष मात्रा-४४११ अ।
ज्ञान ४६६ व, मयत ४.१२६ अ, ४.१३२ अ, समय सामर्थ्य कारण (कर्मोदय) २.७१ ब.
४.३२७ अ, समिति ४.३३८ ब, सामायिक ४४१४ सामानाधिकरण्य-४३३८ अ।
ब, ४३२७ अ। सामानिक-४४११ अ।
सामायिक चारित्र-निर्देश सामायिक) ४.४१६ अ, उपसामानिक देव-ज्योतिप देव २.३४६ अ। भवनवासी योग (शुभ) १४३४ ब, छेदोषस्थापना २.३०८ अ,
देव-निर्देश ३ २०६ अ, पद्म आदि द्रहो मे श्री आदि लब्धिस्थानो का अल्पब इत्व १.१६० अ, सिद्धो का देवियर्या ३ ४५३-४५४, ३६१२ अ, आयु १.२६५, अपबहुत्व ११५३ ब । व्यंतर देव-निर्देश ३.६११ ब, आयु -१.२६४ ब। सामायिक दडक कृतिकर्म २ १३७ ब. वदना ३.४६५ ब । वैमानिक देव -निर्देश ४ ५१२, देवियो की गणना सामायिक पाठ -४ ४२० अ अमिति १.१३२ अ, इति४५१३, देवो की आपू १२६९, देवियो की आयु हास १ ३४३ अ । १.२७० ।
सामायिक प्रतिमा-सामायिक ४.४१७ ब ।' सामान्य-४४११ ब, जानि २३२६ ब, दर्शनोपयोग सामायिक प्रतिमाधारी-सामायिक ४.४१६ ब ।
२४१० ब, द्रव्य २.४५४ ब, सप्नभगी ४.३१८ अ, सामायिक भावभुत - ग्रथकृति २.२७३ ब । समयसार ४.३२६ अ, सापेक्ष धर्म (अनेकाते) सामायिक मूढता अमूढदृष्टि १ १३२ ब, गूढता ३.३१५ १.१०६अ।
ब सामान्य आलोचना-आलोचना १२७७ अ, सल्लेखना सामायिक व्रत-सामायिक ४.४१८ अ। ४.३६१ ब ।
सामायिक शास्त्र-शास्त्र ४.२८ अ। सामान्य उपयोग-दर्शन १२१६ अ ।
सामायिकशद्धि सपन-सामायिक ४४२० अ । सामान्य काल-सप्तभंगी ४३२३ अ।
सामायिक संबम - मोक्षमार्ग (स्नत्रय) ३.३३३ ब, मोहसामान्य केवली-- केवली २.१५७ अ।
नीय का स्थितिसत्त्व ४३०६ अ! प्ररूपणा-बंध सामान्य क्षेत्र --क्षेत्र २.१६२ अ ।
३.१०६, बंधस्थान ३.११३. उदय १.३८३, उदयसामान्य गुण-गुण २.२४० ब,
स्थान १.१६३, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान द्रव्य २.२४३ अ,
Page #280
--------------------------------------------------------------------------
________________
सामीप्य
१.४१२, सस्व ४२०३, सस्वस्थान ४३०१, ४.३०६, त्रिसंयोगी भंग १४०७ । सत् ४.२३७, संख्या ४.१०६, क्षेत्र २.२०५, स्पर्शन ४४८६, काल २ ११४, अंतर ११६, भाव ३२२१ अ अ ११५१ ।
सामीप्य - ४.४२० अ । साम्य उपेत १.४४४ व उपयोग (शुद्ध) १४३१ अ. चारित्र २२०० व २२८१ब, मामाणिक ४.४१४
अ ।
साम्राज्य क्रिया -संस्कार ४.१५२ अ, ४.१५३ अ । सायणाचार्य - ४४२० छ ।
-
सार- ४.४२० अ
सारण - यदुवश १३३७ ।
सारण:-- सल्लेखना ४३९० ब ।
,
सारनिवह - ४४२० अ विद्याधर नगरी ३ ५४५ व सारसंग्रह - ४.४२० अ इतिहास १.३४० ब । सारसमुच्चय- ४४२० व प्रतिनारायण ४२० व इतिहास १.३४२ ब ।
,
सारस्वत ४४२० व मनुष्यलोक ३.२७५ अ लौकातिक देव ३ ४६३ ब ।
सारस्वत यत्र यंत्र ३३६५ ।
-
सारीपुत्र- ४४२० ।
साइंद्रय द्वीप प्रज्ञप्ति मिति १.१३२ अ सार्द्धद्वय प्रज्ञप्ति - ४.४२० ब इतिहास १ ३४३ अ । सापोर्ण पछि श्वेतावर ४.७७ ब ।
-
सार्धशतक - इतिहास १.३४३ ब ।
सार्वभौम तीर्थ हर महिलनाथ २.३९१ ।
-
-
सालंबन ध्यान शुक्लध्यान ४३३ ब ।
सालवन - तीर्थंकर सुविधि तथा वर्द्धमान २३८३ । सालव मल्लिराय - ४.४२० ब ।
सालिवाहन (कवि) - ४४२० ब इतिहास १३३३ ब । साल्ज (कवि ) - इतिहास १.३३३ ब ।
सावद्य (कर्म) - ४४२० ब शिल्पकर्म ४.२६ अ, श्रावक ४५२ व सर व कर्म ४३७६ अ । सावध कर्मार्थ ४४२० व ४.४२१ अ आर्य १२७४
-
-
अ ।
सावद्य निवृत्ति असा १२१६ व साम्म्रमिक ४४१५ म ४.४१६ व ४४१६ म सावध परिहार अहिंसा १२१६ ब ।
सावध वचन वचन ३.४३७ ब । सावत्र व्य]
हावानी (कवि) इतिहास १.३३४ ।
२७४
२५४६ अ परम. ३.१६ ४ ।
1
सिंधु नदी
सासादन ( गुणस्थान ) -- ४.४२२ अ अनानुबंधी १.६१ अ आरोहण २२४७, करणदशक २६ अ, कषाय २४० व काय २.४५ व, जन्म २३१४ व. नरक गति २५७५ अब, परिषह ३३४, प्रत्यय २ १२७, बढायुष्क १२६२ ब, मरण ३२८२ ब श्रेणी ४७२ अ संक्रमण ४८६ अ, ४८७ अ, समुद्घात ४३४३ अ, सम्यग्दर्शन ( उपशम) ४.३६९ अ ।
सासादन ( गुणस्थान ) - प्ररूपणा - बध ३६७, बधस्थान ३ ११०, ३१११, उदय १३७५, उदयस्थान १ ३६२ अ । उदीरणा १४११ अ उदीरणास्थान १४१२, सस्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४२८७, ४२६७, ४३०४, त्रिसंयोगी भग १४०५ ब । सत् ४१६१, सख्या ४१४, क्षेत्र २ १९३ २.१९६अ, २१७, स्पर्शन ४.४७७, काल २.९४ २२६, अतर १४ अ-ब, १७, भाव ३२२२, अल्पत्व १ १४२ ब । सासादन सम्यग्दृष्टि प्ररूपणा बंध ३१०८ वधस्थान ३११३, उदय १.३८५, उदयस्थान १३६३ ब उदीरणा १.४११ अ उदीरणास्थान १४१२, सत्य ४२०४, ४.२८६, सरवस्थान ४३०२, ४.३०६, त्रिसंयोगी भंग १.४०७ ब । सत् ४२५५, संख्या ४. १०८ क्षेत्र २२०६. स्पर्शन ४४६२. काल २११७, अंतर १.२०, भाव ३२२२ अ अल्पबहुत्व १.१५२ । साहसगति ४.४२६ अ
-
साहसी ४४२६ अ ।
सिघाटक - चक्रवर्ती ४.१५ अ ।
सिंदूर द्वीप सागर -- ४४२६ ब, नामनिर्देश ३४७० अ, विस्तार ३४७८, अफन ३ ४४३, जल का रस ३४७० अ, ज्योतिषचक्र २३४८ ब, अधिपति देव ३६१४ । सिंधु कक्ष - ४.४२६ ब, विद्याक्षर नगरी ३ ५४५ अ । ३ ४५५ अ, सिंधु कुंड सिंधु नदी का द्वार-निर्देश
विस्तार ३.४६, अकन ३४४७ । इस कुंड का द्वीप -निर्देश ३४५५ अ, विस्तार ३४८४, अकन ३ ४४७, वर्ण ३ ४७७ ।
३४७१ अ,
सिप कूट- सिंधु द्वीप का कूट निर्देश विस्तार ३४९०, अकन ३४४७, वर्ण ३४७७, हिमवान पर्वत का कूट तथा देवी - निर्देश ३४७२ म विस्तार ३४८३३४८५, अरुन ३४४४ । सिंधु नदी - ४४२६ ब, चक्रवर्ती ४१४ ब, मनुष्यलोक ३ २७५ अब भरत तथा विदेह क्षेत्र निर्देश ३.४५५ ४ ३.४६० अ विस्तार ३४८६, ३.४१० । अकन ३.४४४, ३.४६० अ, ३.४६४ के सामने, चि.४४७, जल का ग
Page #281
--------------------------------------------------------------------------
________________
सिह
२७५
सिद्धहेमशब्दानुशामने
सिह-४४२६ ब, ग्रह २२७४ अ, तीर्थंकर बर्द्धमान ब, स्वप्न ४.५०४ ।
२३७६, यदुवंश १.३३७, विद्याधर नगरी ३५४५ ब, सिकंदर-४.४२७ अ। सनत्कुमारेद्र का यान ४५११ ब, स्वप्न ४.५०४ ब, सिकतिनी-मनुष्यलोक ३.२७५ ब । ४५०५ अ।
सिक्तानन--४.४२७ अ। सिंह (कवि)-इतिहास १३३१ ब, १३४४ ब ।
सिक्तिनी-४.४२७ अ, मनुष्यलोक ३२७५ ब। सिंहकीर्ति - नदिसघ भट्टारक १.३२३ ब ।
सिक्य-ससिक्थ ४३६८ अ। सिंहकेतु-विद्याधरवंश १.३३६ अ।
सिक्य मत्स्य-हिंसा ४५३६ अ। सिंहचंद्र-शलाकापुरुष ४.२५ ब ।
सितपट चौरासी-४.४२७ अ, इतिहास १.३४४ अ । सिंहदमन-इक्ष्वाकुवश १.३३५ ब ।
सिद्ध-अकाय (काय) २४५ ब, अहंत (मोक्ष) ३,३२४ अ। सिंहदृष्ट-मातगवश १ ३३६ ब ।
अल्पबहुत्व १.१४२ अ-ब, १४३ ब, ११४४ अ, सिंहध्वज-४.४२६ ब, विद्याधर नगरी ३.५४५ अ।
११५३-१५४, अवगाहनत्व गुण १.१७७ ब, अवर्णसिंहनंदि-४४२६ ब, प्रथम-मूलसंघ १.३२२ ब, नंदि- वाद १२०१ अ, आराधना १२७१ अ, उत्पादादि
संघ १३२३ अ । इतिहास १.३२८ ब । द्वितीय- १३६२ ब, ओम् १.४६६ ब, काय मार्गणा २.४५ अ, नंदिसंघ १.३२४ अ, इतिहास १.३२६ अ । चतुर्थ-- चैत्य-चैत्यालय २३०१ अ, पक्षाभास ३.३ म, जीव इतिहास १३३०ब। पंचम-इतिहास १.३३३ अ। ३.३३४ ब, ध्येय २५०० ब, मोक्ष ३ ३२३ अ, ३.३२४ षष्ठ १.३३३ अ।
अ, मोक्षमार्ग ३३३५ब, संख्या ४६२ ब। सत् प्ररूपणा सिंहनादपुर-तीर्थंकर श्रेयांसनाथ २.३७६ ।
४.१६५, सामायिक ४.४१७ ब, सुख ४.४३२ अ । सिंहनिष्क्रीडित व्रत-४.४२६ ब ।
सिद्धषि-४.५४४ अ, इतिहास १.३३० अ, १.३४२ अ । सिंहपर-४.४२७ अ, तीर्थंकर श्रेयासनाथ २३७६, सिद्धकाल-अल्पबहुत्व १.१४२ ब ।
सिद्धकवली-केवली २.१५७ अ। लोक ३.२७६अ।
सिद्ध गति—अल्पबहुत्व ११५३, मोक्ष ३ ३२३ अ। सिंहपुरी-४.४२७ अ । विदेह नगरी-निर्देश ३.४६० अ, सिद्धचक्क कहा-इतिहास १.३४५ अ ।
नामनिर्देश ३.४७० ब, विस्तार ३४७६, ३४८०, सिद्धचक्रयंत्र बृहत्-यत्र ३.३६७ । ३.४८१, अंकन ३.४४४, ३ ४६४ के सामने, चित्र सिद्धचक्रयंत्र लघु-यत्र ३.३६६ । ३४६० अ।
सिद्धचक्र विधान-पूजापाठ ३८१ ब । सिंहबल-पुन्नाटसंघ १३२७ अ ।
सिद्धचक्राष्टक पूजा-पूजापाठ ३.८१ ब । सिंहयान-विद्याधरवश१३३६ अ ।
सिद्ध जीव--मोक्ष ३.३२३ अ । सिंहरथ-४.४२७ अ, इक्ष्वाकुवश १.३३५ ब, तीर्थंकर सिद्धजीव-राशि- गणित (सहनानी) २.२१९ अ। __ कुथु तथा अरनाथ २.३७८ ।
सिखत्व-४.४२७ब। सिंहल-४.४२७ अ, भोजवंश १३१० अ ।
सिद्धप्रतिमा क्रिया-कृतिकर्म २१३६ अ । सिंहवर्मा-४.४२७ अ।
सिद्धभक्ति-भक्ति २.१६८ ब । इतिहास १.३४० ब । सिंहवाहिनी-चक्रवर्ती ४.१५ अ।
सिद्ध भगवान-दे०सिद्ध। सिंहविक्रम-राक्षसवश १.३३८ ।
सिद्धयिनी-४.४२७ ब, तीथंकर महावीर की यक्षिणी सिंहसंघ-इतिहास १.३३६ अ ।
२.३७६ । सिंहस प्रभु-विद्याधरवश १.३३६ अ।
सिद्धलोक-मोक्ष ३.३२३ । सिंहसरि-४.५४४ अ, इतिहास १.३२६ अ, १.३३३ अ, सिद्धसाधन दोष-किंचित्कर हेत्वाभास १.३१ब। १.३४६ अ।
सिद्धसेन गणी-४.४२७ ब, इतिहास १.३२६ ब, सिंहसेन-४.४२७ थ, तीर्थकर अनंतनाथ २.२८०, तीर्थ- १.३४२ । ।
कर अजितनाथ २.३८७, बलदेव ४.१७ अ, ४.१८ अ, सिद्धसेन दिवाकर-४.४२७ ब, इतिहास १.३२६ अ,
यदुवंश १.३३७ । पुन्नाटसंघी आचार्य १.३२७ अ । १.३४१ ।। सिंहासन-अहंत प्रातिहार्य १.१३७ ब, समवसरण ४.३३१ सिद्धहेमशब्दानुशासन-शब्दकोश ४.४ ब।
Page #282
--------------------------------------------------------------------------
________________
सिद्धात
२७६
सीतोदा नदी
सिद्धांत-४.४२७ ब, कर्म २२६ अ, न्याय २६३३ अ,
इतिसास १३४१ ब। पद्धति ३६ ब, प्रवचन ३१४७ ब, वेद ३.५८३ ब। सिद्धिविनिश्चय वृत्ति-इतिहास १३४२ ब । सिद्धांत अध्ययन-कायक्लेश (श्रावक) २,४८ अ । श्रोता सिर चालन-व्युत्सर्ग का दोष ३ ६२२ अ। ४७५ ब।
सिरा-४४२८ अ, औदारिक शरीर १४७२ अ। सिद्धांतग्रंथ-पद्धति ३.८ ब।
सिरिवालचरिउ-४४२८ अ, इतिहास १३४५ ब, सिद्धांतचक्रवर्ती-अभयनदि ११२७ अ, इद्रनंदि १.२६६ १.३४६ अ। ब, इतिहास १३३० ब, १३४२ ब।
सिरीष कषाय-कषाय २.३५ ब, २.३६ अ। सिद्धांत भट्टारक-द्राविड सघ १३२० ब, इतिहास सीता-४.४२८ ब, नारायण ४.१८ ब। १.३३०ब।
सीताकुड-४४२८ ब, सीता नदी का उद्गम स्थानसिद्धांतशास्त्र-कायक्लेश (श्रावक) २४८ अ. थोता निर्देश ३.४५५ अ, विस्तार ३.४६०, अंकन ३४४७। ४७५ ब ।
इस कुड का द्वीप-निर्देश ३.४५६ अ, विस्तार सिद्धांतसागर--४.४२८ अ ।
३.४८४, अंकन ३.४४७, वर्ण ३४७७ । सिद्धांतसार-४.४२८ अ, इतिहास १३४४ ब, १.३४६ सीता कट--४.४२८ अ, सीताकुड का कट -निर्देश अ।
३४५६ अ, विस्तार ३४८४, अंकन ३ ४४७, वर्ण सिद्धांतसारदीपक-इतिहास १.३४६ अ।
३४७७ । गजदंत पर्वत का-निर्देश ३४७३ अ, सिद्धांतसार भाष्य-इतिहास १३४७ ब ।
विस्तार ३४८३, अंकन ३.४५६ । नील पर्वत कासिद्धांतसारसग्रह -४४२८ अ, इतिहास १.३४३ ब ।
निर्देश ३.४७३ अ, विस्तार ३.४८३, ३४८५, सिद्धांतसेन-४४२८ अ, द्राविड संघ १३२. ब, इतिहास
३४८६, अकन ३४४४ । रुचकवर पर्वत का१३३० ब।
निर्देश ३.४७६ अ, विस्तार ३४८७, अकन ३ ४६८ । सिद्धांताचार वाचन-क्रिया--कृतिकर्म ३१३६ ब।
सीतादेवी-सीताकड की-निर्देश ३.४६५ अ, अरुन सिद्धांतिक देव-नदिसघ देशीय गण १३२४ ब, इतिहास
३४४७ । रुचक पर्वत की--निर्देश ३ ४०६ अ, अकन १३३१ अ।
३.४६८। सिद्धाभ देव-४.४२८ अ, तीथंकर २.३७७।
सीता नदी-४४२८ ब, विदेह क्षेत्र की-निर्देश ३४५५
अ, विस्तार ३.४८६, ३.४६०, अंकन ३.४४४, सिद्धायतन कूट-४४२८ अ, आयतन १२५१ अ, चैत्य
३.४६४ के सामने, जल का वर्ण ३ ४७८ । चातुर्कीपिक चैत्यालय २३०४ अ । सभी पर्वतो पर एक एक
भूगोल ३४३८ अ, बौद्धाभिमल ३४३४ ब । निर्देश ३४७१-४७३, विस्तार ३.४८३, अकन
सीतोदा कुंड-४४२८ ब, सीतोदा नदी का उद्गम स्थान ३४६०,३४७८ । ३ ४४४, ३४६४ के सामने (चित्र
--निर्देश ३४५५ अ, विस्तार ३.४६०, अकन स० ३७)।
३४४७ । इस कुण्ड का द्वीप-निर्देश ३.४५६ अ, सिद्धार्थ-४४२८ अ, तीर्थंकर ऋषभदेव २३८३, नेमि
विस्तार ३ ४८४, अकन ३ ४४७, वर्ण ३.४७७ । नाथ २३७८, वर्तमान २३८० मानुषोत्तर पर्वत .
सीतोदा कूट-४४२८ । सीतोदा कुड में स्थित-निर्देश का देव-निर्देश ३४७५ अ, अकन ३.४६४, विद्या
३ ४५५ ब, विस्तार ३४८४, अकन ३.४४७, वर्ण धर नगरी ३५४५ ब ।
३४७७, गजदंत पर्वत का निर्देश ३४७३ अ, विस्तार सिद्धार्थ-मूलसघ १३१६, इतिहास १.३२८ ।
३४८३, अकन ३.४४४, ३४५७ । निषध पर्वत का सिद्धार्थक-विद्याधर नगरी ३५४५ ब।
-निर्देश ३.४७२ अ , विस्तार ३.४८३, अंकन सिद्धार्थ मगल-मगल ३.२४४ अ।
३४४४ । सिद्धार्थ-४.४२८ अ, तीर्थंकर अभिनदननाथ की यक्षिणी । सीतोदा देवी-सीतोदा कुंड की-निर्देश ३.४५५ अ, २.३८०, विद्या ३.५४४ अ।
अंकन ३.४४७। निषध पर्वत के कट की-निर्देश सिद्धि-४४२८ अ, ध्यान २.४६६ब, २.४६७ अ।
३.४७२ अ, अकन ३.४४४ । सिद्धिप्रिय स्तोत्र-४४२८ अ, इतिहास १.३४० ब। सीतोश नदी–४.४२८ ब, विदेह क्षेत्र की महानदीसिद्धिविनिश्चय-४.४२८ अ, अकलंक भट्ट १.३१ अ, निर्देश ३.४५५ , विस्तार ३.४८६, ३.४६०, अकन
Page #283
--------------------------------------------------------------------------
________________
सीदिया
३४४४, ३४६४ के सामने, जर का वर्ग ३४७८ । विभगा नदी निर्देश ३४६० अ नामनिर्देश ३४७४ ब, विस्तार ३४८६, ३४६०, अकन ३४४४, ३४६४ के सामने ।
सौदिया - ४४२८ व
सीमकर - ४४२८ व कुल र ४.२३, ०२ २७४ अ । सोमंतक - ४४२० नरवपटल-निर्देश २ ५७१ व
ब
।
विस्तार २५७६ व अकन ३४३८ | नारखी अव
गाना ११७८, आयु १.२६३ । सीमंधर- ४.४२० व कुलकर ४.२३ तीर्थंकर २२१२, तीर्थकर सुमति तथा पद्मप्रभ २.२७८, तीर्थकर शीतलनाथ २.३११ ।
सीमा - ४४२८ ब ।
सीमातीत संख्या ४४२८ व । सीरीतीकर २३७७ । सुंगपुन ४४२८ ब
।
सुंदर - ४४२० में कुडलवर पर्वत का कूट तथा देव
३ ४७५ व विस्तार ३.४५७ अकन ३४६७ । सुदरदास - ४.४२८ ब इतिहास १.३३३ ब, १.३४७ ब । सुंदरी - ४४२८ ब ।
सुअंधदमी कहा - इतिहास १.३३२ अ १३४४ अ ।
सुकंठ -- शलाका पुरुष ४२६ अ ।
सुकंदा असुरेंद्र की अप्रदेश ३२०१ अ ।
सुकक्ष ४४२९ अ ।
सुकच्छ - ४.४२६ अ ।
सुकच्छविजय- ४,४२९ अ ।
सुकच्छा विदेहस्थ क्षेत्र निर्देश ३४६० अ नामनिर्देश ३. ४७० ब विस्तार ३४७६, ३४८०, ३४८१, अकन ३४४४, ३४६४ के सामने, चित्र ३.४६० अ । वक्षारगिरि का कूट तथा दिक्कुमारी निर्देश ३४७२ व विस्तार ३४५२, ३.४०५, ३.४५६, अंकन ३४४४ ।
--
सुकांता-असुरेद्र की अग्रदेवी ३२०६अ। सुकीति - कुरुवंश १.३३५ ब, १३३६ अ । सुकुमार- कुरुवंश १३३५ व १३३६ अ । सुकुमारचरित - इतिहास १.३४४ सुकुमाचारित्र - ४.४२९ अ इतिहास
"
।
१ ३४४ अ ।
इतिहास १.३३२ ब,
सुकेतु - ४.४२१ अ ।
सुकेश राक्षसवंश १.३३५
सुकौशल - ४.४२६ अ, इक्ष्वाकुवंश १.३३५ ब ।
२७७
सुक्कोसलचरिउ - इतिहास १.३४६ अ । सुख-४४२१ अ
अनुभव १८१-८५ अ, ईर्यापथ १३५० अ देवगति २४४६ अ देवगति (दुखमेव )
२.४४६ अ, मोक्ष ३. ३२४ ब, वेदनीय कर्म ३.५९४ अ सम्यग्दृष्टि ४.३७४ अ, सामायिक ४४११ अ सुख ४४३१ अब गुख (बीतराग )
·
,
परदन (अनुभव)
४४३२ अ, ४४३३ अ. १८२००६ ।
सुखकारण व्रत-४४३४ व सुखद वायु - अहंतातिशय १.१३७ ब । सुख-दुःखोपसंयत समाचार ४३३७ अ । सुखनिधान- इतिहास १३४७ व सुबोध - ४४३४ व ।
सुखबोधवृति इतिहास १.३४५ अ १३४७ अ
सुखबोधिनी वृत्ति इतिहास १.३४३ व
सुखरथ - विश १.३४० अ ।
-
सुखशक्ति - ४४३४ ब । सुखपत्ति व्रत ४४३४ व
-
सुखानुबंध - ४.४३४ व ।
सुखानुभूति मोक्षमार्ग ३.३६६ अ
सुखाभाव सुख ४४३३ अ ।
सुगधा
-
सुवाभास सुब ४.४३० व । सुखावह - ४४३४ व वक्षाशोरि -निर्देश ३.४६० अ नामनिर्देश ३.४७१ अ विस्तार ३४८२, ३४८५, ३.४८६, अंकन ३४४४, ३.४६४ के सामने, वर्ण ३.४७७ । इस पर्वत का कूट तथा देव-निर्देश ३४७२ ब विस्तार ३४५२, ३.४५५ ३.४०६, अंकन ३४४४ ।
।
सुखासन आसन १०२०१ व कृतिकर्म २.१३५ अ सुखास्वादन - चारित्र २.२८५ अ । सुखेद्रकीति नंदिसघ भट्टारक १३२३ व सुखोदय क्रिया सस्कार ४१५१ द ।
सुगंध - ४४३४ व अरुणाभास द्वीप का रक्षक देव
7
३.६१४ ।
सुगंधदशमी व्रत - ४.४३५ अ ।
सुगंधा -- ४.४३५ अ । विदेहस्य क्षेत्र निर्देश ३.४६० व नामनिर्देश ३४७० ब विस्तार ३.४७६, ३.४५०३
1
३.४८१, अकन ३४४४, ३४६४ के सामने, चित्र ३.४६० अ । वक्षारगिरि का कूट तथा देवी निर्देश ३४७२ ब, विस्तार ३४८२, ३.४८५, ३४८६,
Page #284
--------------------------------------------------------------------------
________________
सुगधिनी
२७८
सुपर्णकुमार देव (प्ररूपणा)
अंकन ३ ४४४ ।
पूज्य २.३८७, बलदेव ४१६ ब, ४१७ब । श्रुतकेवली सुगंधिनी - ४४३५ अ, विद्याधर नगरी ३५४६ अ।
(मूलसंघ) १३१६ । सुगत--४४३५ अ।
सुधर्ममित्र-चक्रवर्ती ४.१० ब । सुगर्भ-यदुवश १३३७ ।
सुधर्मसेन--४४३५ ब, पुन्नाटसंघ १.३२७ अ । सुगात्र-४४३५ अ।
सुधर्माचार्य-~-मृ नसघ (श्रुतकेवली) १३१६, इतिहास सुग्रीव-४.४३५ अ, अगद १.१ अ, तीर्थंकर सुविधिनाथ १३२८ ।
२३८०, तीर्थंकर सुबाहु २.३६२, राक्षसवश १३३८ सुधर्मा सभा-४४३५ ब, चैत्य-चैत्यालयो मे २.३०३ अ, अ, वानर वश १३३८ ब ।
वैमानिक देवों के भवनो मे ४.५२१ अ, व्यंतरदेवों के सुघोषा-व्यन्तरेद्र की गणिका ३६११ ब ।
नगरो मे ३६१२ ब, सौधर्म स्वर्ग में ४४४५ अ। सुचंद्रशलाकापुरुष ४ २५ ब ।
सुनंद-तीर्थकर २ ३७७, तीर्थकर मुनिसुव्रत, नेमि तथा सुचक्ष--४४३५ अ, मानुषोत्तर व पुष्करार्ध का देव वर्द्धमान २.३७८, तीर्थकर शीतलनाथ २.३८०, प्रति३६१४।
नारायण ४२० अ सुवरित मिश्र -४.४३५ अ, मीमासादर्शन ३.३११ अ।
सुनदा-कुलकर ४.२३ । सुचार-कुरुवश १३३६ ब ।
सुनंदिषेण - ४४३५ ब । पुन्नाटसघ-प्रथम १ ३२७ अ, सुचारित्र मिश्र-मीमासादर्शन ३.३११ अ ।
द्वितीय १.३२७ अ। सुवार-कुरुवश १.३३५ ब, यदुवंश १.३३७ ।
सुनक्षत्र---४.४३५ ब । अनुत्तरोपपादक दशागी १.७० ब । सुतारा-४.४३५ अ।
सुनपथ-४४३५ ब । सुतेजस-कुरुवश १३३५ ब ।
सुनय-सकलादेश ४१५७ अ । सुत्तपाहुड-इतिहास १.३४० ब ।
सुनेत्रा-नारायण ४.१८ ब । सुदंसणचरिउ-इतिहास १.३४३ ब ।
सुनेमि-यदुवंश १.३३७ । सुदर्शन-४४३५ अ, अंतकृत केवली १२ ब, कुरुवश
सुपत्नीत्व-स्त्री ४.४५२ अ। १३३५ ब, १३३६ अ, तीर्थकर अरनाथ २३८०,
सुपा-४.४३५ ब । कुरुवंश १३३५ ब, १.३३६ अ। तीर्थंकर धर्मनाथ २ ३६१, बलदेव ४.१६ अ, विद्याधर नगरी ३ ५४६ अ।
सुपना-विदेहस्थ क्षेत्र-निर्देश ३ ४६० अ, नामनिर्देश सुदर्शन (पर्वत व कूट) - बौद्धाभिमत पर्वत ३.४३४ अ,
३.४७० ब । विस्तार ३.४७६, ३.४८०, ३.४८१, मानुषोत्तर पर्वत का कूट-निर्देश ३.४७५ ब, विस्तार
अकन ३४४४, ३.४६४ के सामने (चित्र सं० ३७), ३.४८६, अंकन ३.४६४ । रुचकवर पर्वत का कूट
चित्र ३.४६० अ। वक्षारगिरि का कूट तथा देवीनिर्देश ४.४७६ अ, विस्तार ३४८७, अकन ३४६८,
निर्देश ३.४७२ ब,विस्तार ३.४८२, ३.४८५, ३४८६ ३ ४६६ । सुमेरु पर्वत ४४३७ अ।
अंकन ३.४४४। सुदर्शन (स्वर्ग)- स्वर्गपटल-निर्देश ४.५१८, विस्तार सुपर्ण-४.४३१ ब ।
४५१८, अंकन ४.५१५ । देव आयु १.२६८। सुपर्णकुमार-४.४३५ ब, भवनवासी देव-निर्देश ३.२१० सुदर्शन चक्र-चक्रवर्ती ४.१३ अ, ४.१५ अ, नारायण
ब, नामनिर्देश ३.२०८ अ, अवगाहना ११८०, अवधि४.१६ ब।
ज्ञान १.१९८ आयु १.२६५ । इन्द्र-निर्देश ३.२०८ सुदर्शनचरित्र-४.४३५ अ । इतिहास-प्रथम १.३४३ ब,
अ, शक्ति आदि ३.२०८ब, अवस्थान ३.२०६ब, द्वितीय १.३४६ अ।।
३.४७१, ३.६१२-६१४।। सुदर्शना-नन्दीश्वर द्वीप की वापी-निर्देश ३.४६३ अ, सुपर्णकुमार देव (प्ररूपणा)-बंध ३.१०२, बंधस्थान
नामनिर्देश ३४७५ ब, विस्तार ३४६१, अंकन ३.११३, उदय १३७८, उदयस्थान १.३६२ ब, ३४६५। बलदेव की माता ४.१७ ब, व्यंतरेंद्र उदीरणा १४११ अ, उदीरणा स्थान १.४१२, सत्त्व 'वल्लभिका ३६११ ब।
४.२८२ सत्त्वस्थान ४.२९८, ४.३०५, त्रिसंयोगीभंग सुवास-४.४३५ अ।
१.४०६ ब । सत् ४.२८८, संख्या ४६७, क्षेत्र सुबई-४४३५ अ, गुणधर २.२१३ अ, तीर्थकर वासु- २.१६६, स्पर्शन ४.४८१, काल.२.१०४, अंतर १.१०,
Page #285
--------------------------------------------------------------------------
________________
सुपार्श्वनाथ
भाव ३.२२० अ, अल्पबहुत्व १.१४५ सुपार्श्वनाथ - ४.४३५ व तीर्थंकर २.३७७, तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ २.३७६-३६१ तीर्थंकर सूरप्रभ २ ३७७ । सुप्रर्श्वनाथ स्तोत्र – ४४३५३ ।
सुप्रकीर्णा दचकवर पर्वत के कूट की दिक्कुमारी निर्देश २.४७६ अ, अकन २४६८ । सुप्रकीति - ४४३५ ब ।
-
सुप्रणिधि - ४.४३५ ब, रुचकवर पर्वत की दिक्कुमारीनिर्देश ३४७६ अ, अकन ३४६६ । सुप्रतिष्ठ – ४.४३५ ब, चैत्य - चैत्यालय २३०२ अ, कुरुवश १.३३५ ब, १३३६ अ, तीर्थंकर नेमिनाथ २३७८, तीर्थंकर श्रेयासनाथ २.३२१, तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ २. ३८०, रुचकवर पर्वत का कूट - निर्देश ३.४७६ अ, विस्तार ३.४८७, अंकन ३४६६ । रुद्र ४.२२ अ । सुप्रबंध --- ४.४३५ ब । सुप्रबुद्ध - ४,४३५ व
मानुषोत्तर पर्वत के कूट का देवनिर्देश ३.४७५ अ, अंकन ३.४६४ । रुचक पर्वत का कूट - निर्देश ३.४७६ अ, विस्तार ३४८७, अकन ३.४६९ । स्वर्गपटल निर्देश ४५१८, विस्तार ४.५१८ अंकन ४५१५ देव आयु १.२६८ । सुप्रबुद्धा --४४३५ व नदीश्वर द्वीप की वापी निर्देश । - ३.४६३ अ नामनिर्देश ३.४७५ व विस्तार ३.४६१, अंकन ३.४६५ ॥ रुचकवर पर्वत की दिवकुमारी निर्देश ३.४७६ अ, अंकन ३४६८ ।
-
-
सुमतिदेव
३८८३१६अ, २.५८३, स्थिति ४.४६३, अनुभाग १.६५, प्रदेश ३.१३६ । बध ३.६७, बधस्थान ३.११०, उदय १ ३७५ उदवस्थान १३९०, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४.३०३, त्रिसंयोगी भग १४०४ | सक्रमण ४.८५ अ, अल्पबहुत्व १९६९ । सुभगसुलोचनाचरित्र - इतिहास १.३४७ अ
सुभट वर्मा - ४.४३६ अ, आशावर १.२०० व भोजवश १.३१० अ ।
सुभद्र - ४४३६ अ, अरुणवर द्वीप का देव ३.६१४, नदी
श्वर सागर का देव ३.६१४, नारायण ४.१८ ब, यक्ष ३. ३६९ अ व्यतर देव ३६१४ अ, रुचकबर पर्यंत का कूट तथा दिग्गजेंद्र - निर्देश ३.४७६ अन्य विस्तार ३. ४८७, अंकन ३.४६८ । वरुण लोकपाल का यान ४.५१३ अ । स्वर्ग पटल – निर्देश ४५१८, विस्तार
-
४५१८ अंकन ४५१५, देव आयु १२६६ । सुभद्रनाटिका - इतिहास १ ३४४ अ ।
सुभद्रसागर - इक्ष्वाकुवंश १.३३५ अ ।
सुभद्रा - ४.४३६ अ, चक्रवर्ती ४१३ अ, ४. १५ ब, बलदेव ४.१७ ब, विद्याधर वश ( भरतपत्नी) १.३३६ अ, व्यतरेद्र गणिका ३६११ ब ।
२७६
नारायण
सुप्रभ – ४४३५ ब, कुडलवर पर्वत का कूट तथा देवनिर्देश ३४७५ व तवर द्वीप का देव ३६१४, चक्रवर्ती ब, ४.१० ब तीर्थकर २.३७७, तीर्थंकर अनंतनाथ २३६१, तीर्थंकर नमिनाथ २३८७, ४१८ व बलदेव ४.१६ अ । सुप्रभा - ४४३६ अ तीर्थंकर २.३८०, नदीश्वर द्वीप की वापी–निर्देश ३४६३ अ नामनिर्देश ३४७५ व विस्तार ३.४६१, अकन ३.४६५ । बलदेव ४१७ ब रघुवंश १३३८ ।
"
प्रयोगा- ४.४३६ अ मनुष्यलोक ३ २७५ ब । सुप्रीति क्रिया मंत्र ३ २४६ व सस्कार ४१५१ अ । सुफल्गु यदुवंश १३३७ ।
४२३ ।
सुबल - इक्ष्वाकुवंश १३३५ अ, सोमवंश १३३६ ब । सुबाला - चक्रवर्ती ४११ ब, बलदेव ४ १७ ब । सुबाहु - तीर्थंकर २३९२ हरिवश १३४० अ सुभगत्रिक उदय १.३७४ म सुभग नामक प्रकृति ४.४३६ म प्रकपणा - प्रकृति मतिदेषमूलसंघ १.१२२ व इतिहास १.१२६ नामकर्म - ।
सुमतिनीति - ४.४३६ व नंदिस १३२४ अ इतिहास १.३३३ व १.३४७ अ ।
वा ।
सुभद्राचार्य इतिहास १.३२८ अ, ३३१ व १.३४४ अ । - ब, सुभानु - यदुवंश १३३७, हरिवश १३४० अ । सुभाषित तत्र - इतिहास १३४१ अ ।
सुभाषितरत्नसंदोह - ४४३६ अ अमितगति १.१३२ अ इतिहास १३४३ अ । सुभाषितरत्नावली ४४३६अ।
-
सुभाषितार्णव ४४३६ अ इतिहास १३४६ व - । सुभीम-४४३६अ। राक्षसव १३३८ अ । सुभूति नारायण ४.१८ ब ।
•
सुभोगभूमि-आयु वध के योग्य परिणाम १२५६ अ । सुभोगा - गजदत के कूट की देवी - निर्देश ३४७३ अ, अकन
२४५७१
-
सुभौम ४४३६ व कुरुवश १३२५ व चक्रवर्ती २३११, चक्रवर्ती ( शलाकापुरुष ) ४.१० अ तीर्थकर अरनाव २३११ ।
सुमंगला - चक्रवर्ती ४११ व तीर्थंकर सुमतिनाथ २३८० । सुमंदर --- मनुष्यलोक ३.२७५ ब ।
सुमति - ४४३६ व अपराजित १११९ अ, कुलकर
Page #286
--------------------------------------------------------------------------
________________
सुवत्सा
सुमतिनाथ-४.४३६ ब, तीर्थकर प्ररूपणा २.३७६-३६१। अकन ४५१५, देव आयु १२६७ । सुमनस-४४३६ ब, स्वर्गपटल-निर्देश ४५१८, विस्तार सुरसमिति-स्वर्गपटल -निर्देश ४.५१८, विस्तार ४५१५, ४.५१८, अंकन ४.५१५, देव आयु १.२६८ ।
अंकन । सुमना-नदीश्वर द्वीप की वापी-निर्देश ३.४६३ अ । नाम सुरस--४ ५१५, देव आयु १२६७ ।
निदंश ३४७५ ब, विस्तार ३४६१, अकन ३४६५। सरसा-व्यतरेद्र गणिका ३६११ ब । सुमागधी-४.४३६ ब, मनुष्यलोक ३ २७५ ब ।
सुरा-४४३७ अ, रुचकबर पर्वत की दिक्कुमारी-निर्देश सुमाली-४४३६ ब, राक्षसवंश १ ३३८ ब ।
३ ४७६ अ, अकन, ३४६८, ३४६६ । हिमवान् सुमित्र-४४३६ ब, चक्रवर्ती ४ ११ ब, तीर्थकर मुनि- पर्वत का कुट तथा देवी-निर्देश ३,४७२ अ, विस्तार सुव्रत २.३८०, बलदेव ४.१७ ब, यदुवश १३३७,
३४८३, ३.४८५, ३ ४८६, अकन् ३ ४४४ । हरिवश १.३४० अ।
सुरारि-राक्षसवरा १.३३८ अ । सुमित्रा--गजदत के कट की देवी-निर्देश ३.४७२ ब,
सुरालय - ४४३७ अ। अकन ३ ४५७, रघुवश १३३८ अ।
सुराष्ट्र-४.४३७ अ, मनुष्यलोक ३ २७५ अ। सुमुख - ४.४३६ ब, यदुवंश १.३३७, राक्षसवंश १.३३८
सुरूपदत्त-तीर्थकर २.३७७ । ।
सुरेंद्रकांत-विद्याधरनगरी ३५४५ ब । सुमुखी-४४३६ ब, विद्याधर नगरी ३.५४५ ब, व्यंतरेद्र
सुरेंद्रकीति-- नदिसघ भट्टारक १३२३ ब, इतिहास १३३४। वल्लभिका ३.६११ ब ।
सुरेद्रचक्र यंत्र-यत्र ३.३६८ । सुमेधा-४४३६ ब, असुरेद्र की अग्रदेवी ३२०९ अ, सुमेरु पर्वत के वन की देवी-निर्देश ३.४७३ ब. सुरेद्रता क्रिया-सस्कार ४१५३ अ।
सुरेंद्रभूषण-- इतिहास १३३४ अ। अकन ३ ४५१ । सुमेरु-४.४३६ ब, ४.४३७ अ, प्रत्येक द्वीप के मध्यवर्ती
सुरेंद्रमन्यु- इक्ष्वाकुवंश १३३५ ब ।
सुरेश्वर-४.४३७ ब, वेदात ३.५६५ ब। प्रधान पर्वत - निर्देश ३.४४८ अ, विस्तार ३४८३,
सुलस-४४३७ ब । देवकुरु का द्रह-निर्देश ३४५६ ब, ३ ४८५, ३४८६, अंकन ३.४४४, ३४५७, ३४६४ के सामने (चित्र स० ३७), चित्र ३४४६, वर्ण
नामनिर्देश ३.४७४ अ, विस्तार ३४६०, ३.४६१, ३४७७, परिधि ३४४९ अ, चूलिका ३४४६ ब,
अकन ३.४४४, ३४५७, ३४६४ के सामने (चित्र वनखण्ड ३४५० अ । चातु:पिक भूगोल ३.४३७
स० ३७)। ब, बौद्धाभिमत ३४३४ अ, वैदिकाभिमत ३४३१ ब, सुलसा-४४३७ ब, व्यतरद्रा का ज्यष्ठा दवा ४५१४
जैनाभिमत ३ ४३१ अ । स्वप्न ४.५०४ ब । सुयश-४,४३७ अ।
सुलोका-तीर्थकर पार्श्वनाथ २३८८ । सुर-४४३७ अ, असुर १२१० ब ।
सुलोचन---४ ४३७ ब। सुरगिरि---४.४३७ अ।
सुलोचना-४४३७ ब, अकपन १.३० ब, तीर्थंकर पावसुरदेव--४४३७ अ, तीर्थकर २३७७ ।
नाथ २ ३८८ । सुरपतिकांत-४,४३७ अ, विद्याधर नगरी ३५४५ ब । सुलोयणाचरिउ - इतिहास १३४३ ब । सुरप्रभ-तीर्थंकर २.३७७ ।
सुर्वक्षु-४४३७ ब । सुरमन्यु-४४३७ अ।
सुवक्त्र-विद्याधर वंश १३३६अ। सुरम्या--विदेहस्थ क्षेत्र--निर्देश ३.४६० अ, नामनिर्देश सुवज्र-विद्याधरवरा १३३६ अ ।
३ ४७० ब, विस्तार ३४७९, ३.४८०, ३.४८१, सुवत्सा-४४३७ ब । अंकन ३ ४४४, ३.४६४ के सामने (चित्र सं० ३७), सुवत्सा-४.४३७ ब । मजदंन के कट की देवी-निर्देश चित्र ३.४६० अ। वक्षारगिरि का कट तया देवी
३४७२ ब,३६१४, अंकन ३ ४५७ विदेहस्थ क्षेत्र निर्देश ३४७२ ब, विस्तार ३.४८२, ३.४८५, निर्देश ३.४६० अ, नामनिर्देश ३४७० ब, विस्तार ३.४८६, अकन ३.४४४ ।
३.४७६, ३४८०, ३.४८१, अंकन ३.४४४, ३४६४ सुरश्रेष्ठ-तीर्थंकर नेमिनाथ ३.३७८ ।
के सामने (चित्र सं. ३७), चित्र ३४६० अ। वक्षार सुरस-स्वर्गपटल-निर्देश ४५१८, विस्तार ४५१८, गिरि का कूट तथा दिक्कुमारी-निर्देश ३.४७२ ब,
Page #287
--------------------------------------------------------------------------
________________
सुवप्रा
२८१
सुहस्ति
विस्तार ३४८२, ३४८५, ३४८६, अकन ३४४४। अ, उत्सपिणी २६०, क्षेत्र २९२, गणित २.२१७ ब, सुवप्रा-४४३७ ब ।
दर्शनमोह क्षपणा २१७८ ब, प्रमाण २.६०। सुवप्रा-विदेहस्थ क्षेत्र निर्देश ३.४६० अ, नामनिर्देश सुषमा-दुषमा काल -निर्देश २८६, २.६३, अवगाहना
३ ४७० ब, विस्तार ३४७६, ३.४८०, ३४८१, ११८०, अवसर्पिणी २८६, आयु १.२६४, आर्यखड अंकन ३ ४४४, ३.४६४ के सामने, चित्र ३.४६० अ। १२७५ अ, उत्सपिणी २६०, क्षेत्र २६२, गणित वक्षारगिरि का कूट तया देवी-निर्देश ३४७२ ब, २२१७ ब, प्रमाण २६०।
विस्तार ३४८२, ३४८५, ३४८६, अकन ३४४४। सुषमा-सुषमा काल-निर्देग २८८, २६३, अवगाहना सुवर्ण -तौल का प्रमाण २५१५ अ । शिखरी पर्वत का ११८०, अवसर्पिणी २८६, आयु १ २६४, आर्यखड
कुट त देव-निर्देश ३ ४७२ ब, विस्तार ३४८३, १२७५ अ, उरिणी २६०, क्षेत्र २.६२, गणित ३४८५ ३४८६, अकन ३४४४ । सुमेरु की परिधि २.२१७ ब, दर्शनमोह क्षपणा २१७८ ब, प्रमाण ३.४४९ ब । सुमेह के वन मे वरुण देव का पुर
२.६० । निर्देश ३ ४५० अ, अकन ३.४५१ ।
सुषेण-४.४३८ अ, यदुवंश १.३३६ । सुवणं कुभ-बलदेव ४.१७ ब ।
सुषेणा-तीर्थकर सभवनाथ २.३८०, वैमानिक इद्रो की सुवर्ण कट-विद्याधर नगरी ३५४५ अ ।
ज्येष्ठा देवी ४५१४ अ। सुवर्णप्रभ --सुनेरु के वन मे वरुण देव का पुर–निर्देश सुसिद्धार्थ-बलदेव ४.१७ ब । ३४५० अ, अकन ३.४५१ ।
सुसीमा--४.४३८ अ, चद्रमा अग्रदेवी २.३४६ अ, वैमानिक सुवर्णवती-मनुष्यलोक ३२७५ ब ।
इंद्रो की वल्लभिका देवी ४५१३ ब, वैमानिक इद्रों सुवल्ग-४४३७ ब, विदेहस्थ क्षेत्र-निर्देश ३.४६० अ,
की ज्येष्ठा देवी ४५१४ अ, व्यंत रेद्र की वल्लभिका नामनिर्देश ३ ४७० ब, विस्तार ३.४७६, ३.४८०,
३६११ ब । ३४८१, अकन ३४४४४, ३४६४ के सामने (चित्र
सुसीमा (नगरी)-तीर्थकर अजितना व कुथुनाथ २.३७८, सं. ३७), चित्र ३.४६० अ । वक्षारगिरि का कूट तथा
तीर्थंकर ऋषभानन, बाहु, ईश्वर तथा देवयश देव-निर्देश ३.४७२ ब, विस्तार ३.४८२, ३.४५५,
२.३६२, बलदेव ४१६ ब । विदेहस्थ नगरी-निर्देश ३.४८६, अकन ३.४४४ ।
३४६० अ, नामनिर्देश ३ ४७० ब, विस्तार ३४७६, सुवसु-कुरुवश १३३५ ब, यदुवश १३३७, हरिवश
३.४८०, ३.४८१, अकन ३४४४, ३४६४ के सामने, १३४० अ।
चित्र ३,४६० अ। विधि -४४३७ ब, चक्रवर्ती ४१५ अ, तीयकर-प्ररूपणा ससूनाग-मगधदेश इतिहास १.३१० ब, १.३१२,
२३७६-३६१ । सुविशाल-४४३७ ब। स्वर्गपटल-निदेश ४५१८, सोमा-तीर्थंकर पद्मप्रभ २.३८० ।
विस्तार ४५१८, अकन ४५१५, देव आयु १२६८। सस्थित -४.४३८ अ, लवणसागर का रक्षक देव ३.६१४, सुवीर्य-इक्ष्वाकुवश १.३३५ अ ।
सल्लेखना ४.३६० । सुवेल-राक्षसवश १.३३८ अ ।
सुस्थिता-४४३८ अ, बकवर पर्वत की दिक्कुमारीसुवेषा-बसदेव ४१७ ब।
निर्देश ३,४७६ अ, अझन ३ ४६६ ।। सुव्यक्त--गक्षसवश १.३३८ अ।
सुस्वर नामकर्म प्रकृति -प्ररूपणा-प्रकृति ३,८८, ३.६७ सुव्रत-कुरुवश १३३५ ब, १३३६ अ, तीर्थंकर २३७७, __अ, २५८३, स्थिति ४४६३, अनुभाग १६५, प्रदेश
बलदेव ४.१६ ब, ४.१७ ब, हरिवंश १.३३६ ब, ३१३६, बध ३.६७, वधस्थान ३११०, उदय १.३४० अ।
१३७५, उदयस्थान १३६०, उदीरणा १४११ अ, सुव्रता-तीर्थंकर धर्मनाथ २३८०, २.३८८ ।
उदीरणास्थान १.४१२, सत्व ४२७६, सत्त्वस्थान सुशांति-कुरुवंश १३३५ ब ।
४.३०४, त्रिसयोगी भग १४०४ । संक्रमण ४.८५ अ, सुशील-सगति ४११६अ।
अल्पबहुत्व १.१६७ अ। सुषमा काल-निर्देश२८८,२६३, अवगाहना १.१८०, सुस्वरा-व्यतरेद्र गणिका ३.६११ब।
अवसर्पिणी २.८६, आयु १.२६४, आर्यखड १.२७५ सुहस्ति ---४.४३८ अ ।
Page #288
--------------------------------------------------------------------------
________________
सुह्म
२८२
सूक्ष्म-सूक्ष्म स्कंध सुह्म-४.४३८ अ, मनुष्यलोक ३.२७५ ब ।
सूक्ष्म प्राभृत दोष - आहार १.२६० ब । सू-सूक्ष्म की सहनानी २ २१६ अ, सूच्य गुल की सहनानी। सूक्ष्म-बादर-स्कंध-स्कध ४४४६ ब। २२१६ ब ।
सूक्ष्म राग-राग ३.३६६ अ। सू-प्रतरागुल की सहनानी २ २१६ ब।
सूक्ष्म लोभ-सूक्ष्मसापराय ४४४१ ब । सू-घनागुलकी सहनानी २ २१६ ब ।
सूक्ष्म व्रत-व्रत ३ ६२७ ब । सूकरिका-४४३८ अ, मनुष्यलोक ३२७६ अ ।
सूक्ष्मशरीर नामकर्म प्रकृति -प्ररूपणा~प्रकृति ३५८. सूक्ष्म--४.४३८ अ, जीव २३३३ ब, पर्याय ३४७ ब, २५८३, स्थिति ४ ४६३, अनुभाग १.६५, प्रदेश
श्रद्धान ४४५ अ, सहनानी २२१६ अ, सूक्ष्म ४४३६ ३१३६ । बध ३६७, बंधस्थान ३११०, उदय ब, ४.४०० ब, स्कंध ४.४४६ अ-ब ।
१३७५, उदयस्थान १.३६०, उदीरणा १४११ अ, सक्ष्म अनुमान लिंग - अनुमान १६८ अ।
उदीरणास्थान १४१२, सत्व ४२७८, सत्त्वस्थान सुक्ष्म आलोचना-आलोचना का दोष १.२७७ ब ।
४.३०३, त्रिसयोगी भग १४०४ । सक्रमण ४.८५ सूक्ष्म ऋजुसूत्र नय-नय २५३५ अ ।
अ, अल्रबहुत्व १ १६८। सक्ष्म कषाय-सूक्ष्म सारराय ४.४४१ ब ।
सूक्ष्म सांपराय (गुणस्थान)-४४४१ अ, अनिवृत्तिकरण सक्ष्मकायिक जीव-अप्रतिघाती १.२२३ ब, अहिंसा
१.६८ अ, आरोहण-अवरोहण २ २४७ अ, ईर्यापथ १२१७ ब, आयु १२६४, काय २.४४, जीव २३३३ १३४६ अ, करणदशक २६ अ, कषाय २४० ब, ब, जीवसमास २.३४३, निगोद ३.५०८, वनस्पति काय २.४५ ब, कालावधि का अल्पबहुत्व १.१६० ब, ३५०३, मूक्ष्म ४४३८ अ। प्ररूपणा -बंध ३१०४, छेदोपस्थापना २३०८ ब, परिषह ३.३४ अ, प्रदेश बधस्थान ३.११३, उदय १३७६, उदय की विशेषता
निर्जरा का अल्पबहुत्व ११७४, बधक ३.१७६ अ, १३७३ अ, उदयस्थान १.३९२ ब, उदीरणा १४११
लब्धिस्थानो का अल्पबहुत्व १.१६०, सक्रमण ४८६ अ, उदीरगास्थान १४१२, सत्त्व ४२८२, सत्त्वस्थान अ, सिद्धो का अल्पबहुत्व १.१५३, सूक्ष्मकृष्टि २.१४३ ४ २६६, ४ ३०५, त्रिसयोगी भंग १४०६ ब । सत्
अ। ४२०१, सख्या ४१०१, क्षेत्र २ २०१, स्पर्शन सक्षमसांपराय गणस्थान प्ररूपणा --बंध ३६७, बंधस्थान ४४८४, काल २.१०६, अतर १.१२, भाव ३ २२०
३ ११०, उदय १३७५, उदयस्थान १४०६ अ, उदीब, अलबहुत्व १.१४६ ।
रणा १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व सूक्ष्म कृष्टि-उपशम १.४४१ अ, कृष्टि २१४२ ब, यक्ष ४ २७६, सत्त्वस्थान ४ २८६, ४३०४, विसयोगी भग (चारित्रमोह क्षपणा) २१८० ब, सूक्ष्मसापराय
१४०६ अ। सत् ४१६४, सक्रमण ४.९४, क्षेत्र ४४४१ ब, ४.४४२ अ।
२१६७, स्वर्शन ४.४७७, काल २.१००, अतर सूक्ष्मक्रिया अप्रतिपानी-शुक्लध्यान ४.३४ ब, ४ ३६ ब।
१.७, भाव ३ २२२ ब, अल्पबहुत्व १.१४३ । सूक्ष्म क्षेत्रफल-गणित २२३२ ब ।
सूक्ष्मसापराय चारित्र-सूक्ष्मसापराय ४४४१ अ। सूक्ष्म जीव-दे० सूक्ष्मकायिक ।
सूक्ष्मसापराय बध -बध ३.१७६ अ । सूक्ष्मता-पर्याय ३,४८ ब ।
सूक्ष्मसांपराय बंध - बंध ३.१७६ अ। सक्ष्मत्व गण-मोक्ष ३ ३२५ ब, ३ ३२६ अ, सूक्ष्म सक्ष्मसापराय शद्धि संयत-सूक्ष्मसापराय ४४४१ ब, ४.४३६ अ।
सूक्ष्मसापराय सयम - सूक्ष्मसापराय ४४४१ अ । प्ररूपणा सूक्ष्म दोष- आलोचना १२७७ ब, आहार १२६० ब, बंध ३.१०६, बंधस्थान ३.११३, उदय १३८३, उद्दिष्ट १४१३ अ।
उ यस्थान १ ३६३ अ, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणासक्ष्मनिगोद वर्गणा -वनस्पति ३५०५ ब, वर्गणा स्थान १.४१२, सत्त्व ४२८३, सरवस्थान ४.३०१,
३.५१३ अ, ३.५१५ ब, ३.५१६ अ, ३५१७ ब, ४३०६, त्रिमंयोगी भग १४०७ ब, सत् ४२३८ ३.५१८ अ।
सख्या ४ १०७, क्षेत्र २ २०५, स्पर्शन ४४८६, काल सूक्ष्म पदार्थ - श्रद्धान ४,४५ अ ।
२ ११४, अन्तर ११६, भाव ३.२२१ अ, अल्मबहुत्व सुक्ष्म परिधि गणित २ २३२ ब । सूक्ष्म पर्याय पर्याय ३ ४७ ब ।
सूक्ष्म-सूक्ष्म स्कंध-स्कध ४.४४६ ब ।
Page #289
--------------------------------------------------------------------------
________________
सूक्ष्म स्कंध
२८३
सूर्यमाल
सूक्ष्म स्कंध - सूक्ष्म ४.४३८ अ, स्कध ४.४४६ अ-ब । सूर्य (ज्योतिष देव)-४४४३ ब, निर्देश २.३४५ ब, आयु सूक्ष्म-स्थल स्कंध-स्कध ४.४४६ अ।
१२७८ । इन्द्र -निर्देश २ ३४५ ब, परिवार २३४६ सूक्ष्म भाषा -भाषा ३ २२७ ब ।
अ, किरणे व शक्ति २ ३४७, विमान सख्या २ ३४८ सूची-४४४२ अ, गणित २ २३३ ब ।
अ, अवस्थान २३४६ ब। सूचीकर्म-अनुयोग ११०१ब ।
सूर्य (ज्योतिष देव प्ररूपणा) बध ३१०२, बधस्थान सूच्यंगुल-४४४२ अ,क्षेत्र का प्रमाण २२१५ ब, सहनानी ३.११३, उदय १.३७८, उदयस्थान १३६२ ब, २ २१६ ब ।
उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व सूतक-४.४४२ अ।
४.२८२, सत्त्वस्थान ४.२६८, ४.३०५, त्रिसयोगी भग सूत्र-४४४३ अ, आगम १२३७ अ-ब, १.२३८ ब, ज्ञान १४०६ ब । सत् ४.१८८, सख्या ४.६७, क्षेत्र २.२६६अ।
२१६६, स्पर्शन ४.४८१, काल २१०४, अतर सूत्रकृतांग-४,४४३ अ, श्रुतज्ञान ४.६८ अ ।
१.१०, भाव ३२२० अ, अल्पबहुत्व १.१४५ । सूत्र तात्पर्य-ज्ञान २.२६६ म।
सुर्य (विमान)-निर्देश (ज्योतिषलोक) २३५० ब, काल सूत्र दर्शनार्य-आर्य १२७५ अ।
२.८७ ब, किरणे तथा वाहक देव २.३४८ अ, गगनसूत्रपाहुड-४.४४३ ब, इतिहास १.३४० ब।
खड २३५० अ, गतिविधि २.३५० अ, ग्रहण
२.३५१, चार क्षेत्र २.३४६ अ, परिवार २.३४६, सूत्रपौरुषी- अध्ययनकुशल साधु १.५२ । सूत्रमणि-४.४४३ ब, रुचकवर पर्वत की देवी-निर्देश
विस्तार २.३५१, वीथियो २.३४६ ब, अकन ३४७६ ब ।
२३४७ । स्वप्न ४५०४ ब, ४.५०५ अ।
सर्यक-मगधदेश इतिहास १३१२ । सूत्ररुचि- सम्यग्दर्शन ४.३४८ ब । सूत्र वचन-आगम प्रामाण्य १.२४२ ब ।
सूर्यगिरि-४४४६ ब । विदेह वक्षार-निर्देश ३ ४६० अ,
नामनिर्देश ३.४७१ अ, विस्तार ३४८२, ३४८५, सूत्राविरुद्ध-आगम प्रामाण्य १.२३८ अ । सूत्रसम-आगम १.२३६ अ, आगम प्रामाण्य १.२३५ ब,
३४८६, अंकन ३.४४४, ३.४६४ के सामने (चित्र
सं० ३७), वर्ण ३४७७। इस वक्षार का कूट तथा निक्षेप २६०२ अ।
देव-निर्देश ३ ४७२ ब, विस्तार ३.४८२, ३४८५, सूत्रसम द्रव्यनिक्षेप-निक्षेप २.६०२ अ।
३४८६, अकन ३.४४४। सूत्र सम्यक्त्वार्य-आर्य १.२७५ अ ।
सूर्यग्रहण-ज्योतिषलोक २.३५१ अ। सूत्रसम्यग्दर्शन-सम्यग्दर्शन ४.३४८ ब ।
सूर्यघोष-कुरुवंश १.३३५ ब । सूत्रोपसंयत-समाचार ४.३३६ अ ।
सूर्यतप-कायक्लेश २.४७ अ। सूना-४.४४३ ब।
सूर्यद्वीप-निर्देश ३.४६२ ब, विस्तार ३ ४७६, अंकन सुर-देवकुरु का ब्रह-निर्देश ३४५६ ब, नामनिर्देश
३.४७४ अ, विस्तार ३.४६०, ३.४६१, अंकन' सर्यपत्तन-४४४३ ब । ३.४४४, ३४५७, ३.४६४ के सामने (चित्र सं०
पूर-४४४३ ब, प्रतिनारायण ४.२० ब, विद्याधर ३७)।
नगरी ३.५४५ अ । सूरकोति-नदिसंघ भट्टारक १.३२३ ब ।
सूर्यप्राप्ति-४.४४३ ब, श्रुतज्ञान ४.६८ ब, इतिहास सरदत्तणधर २.२१२ ब ।
१.३४१ अ। सरसेन-४.४४३ ब, कुरुवंश १.३३६ अ, तीर्थंकर कुंथु- सर्यप्रभ-चक्रवर्ती ४.१३ अ, ४.१५ अ । नाथ. २.३८०, मनुष्यलोक ३.२७५ अ । सेनसंघ
सूर्यप्रभा–सूर्य की अग्रदेवी २.३४६ अ । १.३२६ अ।
सूर्यमंडल-काल २.८७ ब । सरिप्रभ-तीर्थकर २.३९२ ।
सूर्यमाल-विदेह वक्षार-निर्देश ३.४६० अ, नामनिर्देश सूर-४.४४३ ब, मनुष्यलोक ३.२७५ मः।
३.४७१ अ, विस्तार ३.४८२, ३.४८५, ३.४८६, सूर्म-इक्ष्वाकुवंश १.३३५ म, कुरुवंश १.३३५ ब, तीर्थकर
अंकन ३.४४४, ३.४६४ के सामने, वर्ण ३.४७७ । नेमिप्रभ व संजात २.३६२, यदुवंश १.३३७ हरिवंश
इस का कुट तथा देव-निर्देश ३.४७२ ब, विस्तार १३४० अ।
३.४८२, ३.४८२, ३.४८६, अंकन ३.४४४ ।
Page #290
--------------------------------------------------------------------------
________________
सूर्यरज
सूर्यरज -- ४४४३ ब, वानरवरा १३३८ ब । सूर्यवश - इक्ष्वाकुवश १३३५ अ, इतिहास १३३६ ब । सूर्य- ४४४३ व ।
सूर्याचरण - ४४४३ व सुमेरु ४४३७ अ
सूर्याभ-- ४४४३ व लोकातिक देव ३४९२ व विद्याधर नगरी ३ ५४५ अ ।
सूर्यावर्त -- ४.४४३ ब, सुमेरु ४४३७ अ
सूबा सूतक ४४४२ ब ।
"
सृष्टि- ४.४४३ व काल २.११, केवली ४१६० अ वेदात ३५९६ ब, वंशेषिक दर्शन ३.६०८ अ । सुष्ट्यधिकारता अधिकार- ब्राह्मण ३१९६ अ । सेज्जाघर - ४.४४३ ब ।
सेन तीर्थंकर धर्मनाथ २.३८७ ।
सेनसंघ - इतिहास १३२६ अ ।
सेना - ४४४४ अ, अनीक १६८ ब, तीर्थंकर सभवनाथ २३८०, तीर्थकर वासुपूज्य २३८८ ।
सेनापति - ४४४४ अ चक्रवर्ती ४१३ अ ।
सेनामुख --- ४.४४४ अ ।
सेमर - ४४४४ अ ।
सेवक - तीर्थकर २३७७, मिथ्यादृष्टि ३३०५ ब, राग ३ ३६६ अ ।
सेवन-वन्दना ३ ३६६ ब ।
सेवा - ४४४४ अ ।
सेही - तीर्थंकर अनतनाथ २.३७९ ।
संतालीस जीव (शक्तियाँ) २३३७ नय २.५२३ अ । संध--४४४४ अ मनुष्यलोक २.२७५ ब ।
सेकेंड -- काल का प्रमाण २२१७ अ सेतव - ४४४४ न मनुष्यलोक ३.२७५ व । सैद्धांतिक (देव) - ४४४४ अ ।
२६४
सोमधिक सख्या का प्रमाण २.२१४ व सोतांतर वाहिनी - विभगा नदी निर्देश ३ ४६० अ, नामनिदेश ३ ४७४ ब, विस्तार ३.४८६, ३.४६०, अकन ४४४४, ३४६४ के सामने ।
सोता निद्रा २६०२ अ सम्यग्दृष्टि ४.३७८ अ । सोतो- वाहिनी - विभगा नदी - निर्देश ३.४६० अ, नामनिर्देश ३.४७४ ब विस्तार ३.४८६, ३.४६०, अंकन ३.४४४, ३ ४६४ के सामने |
सोना निद्रा २६१० अ सम्यग्दृष्टि ४३७८ अ । सोपक्रम आयुष्क आयु १.२५९ भ, १२६० अ सोपक्रम कालकाल २८१ अ ।
सोपाधिक अनुमान उपाधि १४४४ अ ।
सालह
सोम -- ४४४४ अ, नक्षत्र २५०४ ब, नारायण ४१८ ब यदुवत १.३३७, विद्याधरवश १३३१ अ
सोम (लोकपाल) निर्देश ( लोकपाल ) ३.४९१ व आयु १२६६, मध्यलोक मे अवस्थान ३६१३ अ, सुमेरु पर्वत पर अवस्थान ३४५० अ-ब, स्वर्गलोक में अवस्थान ४.५१३ अ शक्ति व ऋद्धि ४.५१३ अ । सोमक तीर्थंकर नेमिनाथ के गणधर २३८७ । सोमकायिक- ४४४४ अ, आकाशोपपन्न देव २४४५ ब । सोमकीति - ४४४४ अ, काष्ठासघ १३२७ अ इतिहास १ ३३३ अ १३४६ अ ।
सोमदत्त --- ४४४४ ब, गणधर २२१२ ब, यदुवश १.३३७ ।
इतिहास
-
सोमदेव – ४.४४४ व अग्निभूत १.३६ व १.३४२ ब । द्वितीय १३३१ अ,
प्रथम १.३३० ब, १३३३ अ । सोमनाथ - ४४४४ व
इतिहास १.३३२ अ ।
सोमप्रभ - ४४४४ ब, कुरुवंश १.३३५ व तीर्थंकर बल देव ४१७ अ ४.१८ अ, राज्यवश सामान्य १३३५
अ ।
सोमयश – ४.४४५ ब इक्ष्वाकुवंश १.३३५ अ, १३३६ ब ।
सोमवंश - इतिहास १.३३६ ब, ऋषिवश १३३५ ब चन्द्रवश १३३६ ब ।
सोम शर्मा ४४४४ ब ।
सोमश्री - यदुवश १.३३७ ।
-
सोमश्रेणी - ४४४४ व
सोमसेन -- ४४४४ व सेनसघ १३२६ अब इतिहास
१.३३३ व १३४७ ब ।
सोमवंश
सोमा तीर्थंकर मुनिसुव्रतनाथ २.३८० ॥
सोमिल - ४.४४४ ब, अंतकृत केवली १२ ब ।
सोमेश्वर- ४.४४४ व मीमासा दर्शन (भट्ट) २.३११ अ सोरठ- ४४४४ व मनुष्यलोक ३.२७५ ब । सोलसा – २४४४ व तीर्थंकर धर्मनाथ की यक्षिणी २.३७१ ।
=
=
सोलह-सहनानी - अनन्त १६, अनंतानंत = १६, असख्यात (परीत) १६, जीवराशि १६ काल समय राशि = १६ ख ख, आकाशप्रदेश राशि = १६ ख ख ख गणित २.२१६ अ ।
सोलह - आहार के उत्पादन व उद्गम दोष १.२८१ - २६१, कुलकर ४.२३ अ पृथिवी (रस्नप्रभा ) ३.३८९ ब भावना ३.२२५ अ स्वप्न ४.५०४ अ ।
3
Page #291
--------------------------------------------------------------------------
________________
सोल्व
२८५
स्तनित
सोल्व-४.४४५ अ, मनुष्यलोक ३.२७५ अ।
रु वकवर पर्वतका-कूट निर्देश ३ ४७६ अ, विस्तार सौ-सख्या का प्रमाण २.२१४ व, इन्द्र १.२६६ अ।
३४८७ अकन ३.४६६ । सौकर-४४४५ अ, विद्याधर नगरी ३ ५४५ ब । सौमनस वन-सुमेरु पर्वत का वन-निर्देश ३.४५० अ, सोक्षम्य-सूक्ष्म ४.४३८ब, स्कध ४.४४७ ब।
विस्तार ३.४८८, चित्र ३४५१ । इस वन का एक सौगधी-मानुषोत्तर पर्वत का कूट-निर्देश ३४७५ अ,
भाग ३ ४५० अ। विस्तार ३ ४८६, अंकन ३.४६४ ।
सौम्य चर्चा-हेतु ३.५३३ ब । सौत्रांतिक-बौद्ध दर्शन ३ ३८७ अ ।
सौम्य रूपक - स्वर्ग का श्रेणीबद्ध-निर्देश ४ ५१६ अ, सौदामिनी-४४४५ अ, रुचकवर पर्वत की देवी---निर्देश
अकन ४५१५, ५१७, देव आयु १.२६६ । ३.४७६ ब, अंकन ३.४६८, ३४६६।।
सौम्या--व्यंतरेद्र गणिका ३६११ ब । सौदास--४.४४५ अ, इक्ष्वाकुवश १३३५ ब ।
सौम्या वाचना-वाचना ३५३१ ब । सौधर्म देव--४.४४५ अ, अवगाहना ११८० ब, अवधि सौराष्ट्र मगध देश इतिहास १.३१० ब, १ परि० २.२ ।
ज्ञान ११९८, आयु १.२६६, आयुबध के योग्य परिणाम सौवीर-४४४४ ब, मनुष्यलोक ३.२७५ अ। १२५८ ब । इद्र-निर्देश ४५१० ब, दक्षिणेद्र सौवीर भुक्ति व्रत---४.४४४ ब । ४५११ अ, परिवार ४५१२-५१३, चिह्न आदि सौधिर शब्द-शब्द ४.३ अ। ४५११ ब, अवस्थान ४ ५२० ब, विमान, नगर व स्कंदगुप्त -४४४५ ब, गुप्तवश १.३११ अ-ब, १३१५। भवन ४.५२०-५२१।
स्कध---४४४५ ब, अण्डर १२ अ, आकाश.(लोकाकाश) सौधर्म देव (प्ररूग्णा )-बध ३.१०२. बधस्थान ३११३, १२२३ अ, कर्म २.२७ ब, परमाणु १.२२४ अ, उदय १.३७८, उदयस्थान १.३६२ ब, उदीरणा
वनस्पति ३ ५०६ व, ३.५१० अ, सूक्ष्म ४.४३८ अ, १४११ अ, उदीरणास्थान, १४१२ सत्त्व ४.२८२,
सूक्ष्म (महास्कध) ४४३६अ। सत्त्वस्थान ४२६८, ४३०५, त्रिसयोगी भग १.४०६ स्कंध देश-स्कध ४४४६ अ। ब । सत् ४.१८६, सख्या ४६७, क्षेत्र २.१६६, स्पर्शन स्कध प्रदेश-स्कंध ४.४४६ अ। ४.४८१, काल २.१०४, अंतर १.१०, भाव ३ २२० स्कंध बीज-वनस्पति ३.५०२ ब, ३५०६ अ। अ, अल्पबहुत्व ११४५।
स्कधशाली-४४४८ ब, महोरग ३.२६३ अ । सौधर्म स्वर्ग-निर्देश ४.५१४ ब, पटल ४५१६, इन्द्रक व स्तंभन-ध्यान २.४६७ अ, मंत्र ३.२४५ ब । श्रेणीबद्ध ४.५१६, ४.५२०, दक्षिण विभाग ४ ५२०
स्तभन यत्र-यत्र ३३६८।। ब, अवस्थान ४.५१४ ब, अकन ४५१५, चित्र ४.५१६
स्तंभ स्थिनि-व्युत्सर्गदोष ३६२१ ब । ब । नारायण ४.१८ ब, बलदेव ४.१६ ब ।
स्तंभावष्टंभ-४.४४८ ब, व्युत्सर्ग दोष ३ ६२१ ब । सौनव - नारायण ४१६ ब ।
स्तनक--४४४८ब । नरक पटल-निर्देश २५७६ ब, सोनंदक-चक्रवर्ती ४.१५ अ ।
विस्तार २५७९ ब, अकन ३ ४४१ । नारकी-अवसौभाग्य-सुभग ४.४३६ अ।
गाहना ११७८, आयु १२६३ ।। सौभाग्यवशमी व्रत-~४.४४५ ब ।
स्तनदृष्टि -४४४६ अ, व्युत्सर्ग ३.६२१ ब। सोममस-४.४४५ब, चैत्य-चैत्यालय २३०३ अ, विद्याधर स्तनलोला-४४४६अ। नरकपटल-निदेश २५७६ब,
नगरी ३.५४६ अ, सनत्कुमार का यान ४५११ ब। विस्तार २ ५७९ ब, अकन ३४४१ । नारकी-अवस्वर्गपटल -निर्देश ४.५१९ अ, अकन ४५१५, ४ ५१७, गाहना ११७८ आयु १.२६३ । देव आयु १.२६८।
स्तनलोलुक-४.४४६ अ। नरकपटल-निर्देश २.५७६ सौमनस (पर्वत तथा कट)गजदत पर्वत-निर्देश ३.४५६ ब । विस्तार २.५७६ब, अंकन ३.४४१ । नारकी
ब, नामनिर्देश ३ ४७१ ब, विस्तार ३४८२, ३.४८५, अवगाहना १.१७८, आयु १.२६३ । ३.४८६, अकन ३.४४४, ३.४६२, चित्र ३४५२ ब, स्तनलोलप-४.४४६अ। नरकपटल-निर्देश २.५७६ब: वर्ण ३४७७, इसके कूट तथा देव ३.४७२ ब । गजदंत विस्तार २.५७९ ब । अंकन ३.४४१ । नारकी-अवर का कूट लथा देव-निर्देश ३४७२ ब, विस्तार गाहना १.१७८, आयु १२६३। ३.४८३,३४८५, ३.४८६, अंकन ३.४४४, ३.४५७। स्तनित-४,४४६अ।
ब।
Page #292
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्तनितकुमार
स्त्री- ४४५१ व आहारक काययोग १२६७
परिष
J
३३३ब, ३.३४ अ, ४४५२ ब । वेद - तीर्थकर ३५६० अ, प्रमाद ३५८६ अ, प्रव्रज्या २५८८ ब मुक्ति ३५८८ व शुक्लध्यान ४.३६ व संहनन ४ १५६ अ । स्त्रीकथा-कथा २३ । स्त्रीपरिषह - ४४५२ अ स्त्रीप्रव्रज्या - वेद ३.४८८ ब । स्त्रीमुक्ति - वेद ३५८८ ब ।
परिषह ३.३३, ३३४ अ ।
स्तनितकुमार - (०४४१ अ ) । भवनवासी देव-निर्देश ३.२०८ अ. ३२१० ब अवगाहना १.१८०, अवधि ज्ञान १११८ आयु १२६५ इन्द्रनिर्देश १.२०० अ, शक्ति आदि ३२०८, अवस्थान ३२०९ ब ३४७१, ३६१२-६१४ । स्तनितकुमार (प्ररूपणा ) - बंध ३१०२, बंधस्थान ३. ११३ उदय १३६३, उदयस्थान १३६२ ब, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४२८२, सत्त्वस्थान ४.२६८, ४३०५, त्रिसयोगी भग १.४०६ व सत् ४ १८ संख्या ४१७, क्षेत्र २११९ स्पर्श स्त्रीमुक्ति प्रकरण – इतिहास १३४२ अ । - । ४४८१, काल २१०४, अतर ११०, भाव ३२२० स्त्री वेद- ४.४४९ व आहारक काययोग १.२६७ व अ, अल्पबहुत्व १.१४५ कषाय २३५ ब, राग २३६ अ । प्ररूपणा बंध ३ १०५, बधस्थान ३११३, उदय १.३८१, उदयस्थान १३६२, उदीरणा १४११ अ उदीरणास्थान १.४१२ व सत्त्व ४२८३ स्वस्थान ४.३००, ४३०५, त्रियोगी भग १.४०७ अ सत् ४२२२. सख्या ४६४ ब ४१०४, क्षेत्र २.२०३, स्पर्शन ४.४८७, काल २१११. अतर १.१४, भाव ३.२२० ब, अल्पबहुत्व १.१४८ ।
स्तनोग्नोति
दोष ३६२२ अ
स्तब्ध - ४.४४९ अ, व्युत्सर्ग दोष ३६२२ ब ।
स्तब्धत्व मान ३ २९४ ब ।
स्तव - उपयोग १.४२६ ब भक्ति ३ १६६ ब ।
स्तवदंडक - कुतिकर्म २१३४ ब ।
स्तवन - उपयोग १४२६ ब, भक्ति ३. १६६ ब ।
स्तवभूति तीर्थकर देवयश २.३६२ । स्तिमितसागर र-- यदुवंश १.३३७ । स्तिक संक्रमण सक्रमण ४६० व स्तुति - ४४४९ अ, उपयोग १४२६ ब, भक्ति ३ १६६ ब । स्तुति (दोष) आहार १२९१ अन्न
।
स्तुति विद्या - इतिहास १.३४० ब । स्त्व--- ४.४४९ अ चैत्यचैत्यालय २३०२ ब २.३०३ अ स्तेन प्रयोग - ४४४६ अ, अस्तेय व्रतानिचार १२१३ ब । स्तनित ४४४६ अ सर्ग दोष ३.६२२ ब स्तेय - ४४४६ अ, १.२१३-२१५, अहिंसा
स्त्रीवेद कर्मप्रकृति-निर्देश (मोहनीय) ३३४४ व । प्ररूपणा - प्रकृति ३.१४ व २५०३, स्थिति ४.४६३, अनुभाग १.९५, प्रदेश ३१३६ । बंध ३.६७, बंध की कालाबधि का अल्पबहुत्व १.१६१, बध विषयक नियम ३ ६६ ब, बंधस्थान ३.१०६, उदय १.३७५, उदय की विशेषता १.३७३ ब, उदयस्थान १.३८१, उदीरणा १.४११ अ उदीरणास्थान १.४१२ सत्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४२६५, ४.३०५, स्थिति सत्त्वस्थानो का अल्पबहुत्व १.१६५ व त्रिसयोगी भंग १४०१ व संक्रमण ४.८५ अ अल्पबहुत्व ११६८ । स्त्रीवेद सिद्ध - अल्पबहुत्व ११५३ ब । स्त्रीसंसर्ग संगति ४ ११६ व ।
अस्तेय
----
१२१७ अ ।
स्तेयानंद रौद्रध्यान ३४१४ व - ।
--
स्नोक - ४.४४६ अ, काल का प्रमाण २२१६ अ-ब ।
स्तोत्र -- ४४४६ अ ।
स्वानमृद्धि - निद्रा २.६०८ व
स्थानगृद्धि कर्म प्रकृति - दर्शनावरण २.४२० अ । प्ररूपणा प्रकृति ३६२४२०, स्थिति ४.४६२, अनुभाग १.९४ ब प्रदेश २.१३६ । बध २.९७, बंधस्थान ३१०६, उदय १.३७५, उदय की विशेषता १.२७३, उदयस्थान १.३५७, उदीरणा १.४११ अ उदीरणा स्थान १.४१२, सत्व ४२७०, सरवस्थान ४.२६९४. त्रियोगी भंग १३९९ संक्रमण ४.०५ अ अल्पबहुत्व
११६८ ।
स्स्थानत्रिक उदय १ ३७४ व ।
२८६
-A
-
स्थडिल-समिति ४ ३४१ ब, सल्लेखना ४.३८६ ब । स्थपति - ४४५२ ब, चक्रवर्ती ४.१३ अ । स्थलगता चूलिका -- ४.४५२ ब, श्रुतज्ञान ४.६६ ब । स्थविर कल्प ४४५२ व कृतिकर्म २१३६ श्वेवर
४.७६ अ । स्थविरवादी मत बौद्ध दर्शन ३.१५६ अ ।
स्थान
-
-
स्थान - ४.४५२ ब अध्यवसाय १.५३ अ, अध्यात्म १.५४ अ, अनुभाग १.८९ अ अनुयोगद्वार १.१०२ व अंतर १.३ ब, आबाधा १.२४८ ब, आयुबंध ११६४ म उदय १.३८७, गणित २.२२९ व, गुणस्थान २.२४६
Page #293
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्थान अल्पबहुत्व
अ, जीवसमास २.३४१ व ३२१६ व, बघ ३ ११०, बंध - उदय सत्त्व के त्रिसंयोगी स्थान १३६६, मार्गणा ३२९६ ब, योग ३.३८८ अ, लब्धि ३ ४१४ अ, क्लेश विशुद्धि ३.५६८ व सत्व ४२०७ । स्थान अल्पबहुत्व अनुभाग ११६६, बंध ११६४ व बंध समुत्पत्तिक ११६५ व योग १९६१ व लब्धि १.१६०, सक्लेश विशुद्धि १.१६०, स्थितिबंध ११६४ व स्थितिसत्त्व ११६५ ब हत्समुत्पत्तिक ११६६
,
अ ।
स्थानकवासी निन्दा २ १८८ व श्वेतावर ४.८० ब । - स्थानगत-भग ३ ११७ अ । स्थान सप कायक्लेश २४७ अ ।
स्थायी उपादान - उपादान १.४४३ ब । स्थानलाभ क्रिया -- संस्कार ४.१५२ ब । स्थानांग ४.४५३ व ज्ञान ४६० अ स्थानांतर गमन - आहारांतराय १.२६ ब । स्वाना पद्धति ४.४५३ ब ।
1
स्थापना - ४.४५३ ब, अनंत १५५ ब, अंतर १३ ब,
उपशम १४३७ अ धारणा २४६१ अ ध्यान २.५१०
ब, ध्येय २५०० अ, पूजा ३८० ब । स्थापना उपक्रम - उपक्रम १.४१६ ब ।
-
स्थापनाक्षर-अक्षर १३३ अ ।
स्थापना कर्म-कर्म २२६ अ ।
स्थापना कषाय-कषाय २३५ ब, २३७ ब । स्थापना छेदना - छेदना २३०६ ब ।
२८७
स्थितिबंध स्थान
क्षेत्र २२०१ स्पर्शन ४४५२, काल २१०६, अंतर ११२, भाव ३२२० व अल्पबहुत्व ११४५ । स्थावर जीव-स्थावर ४४५३ ब ।
-
• प्रत्याख्यान ३.१३२ अ ।
स्थावर दशक उदय १३७४ ब । स्थावर लोक स्थावर ४.४५५ ।
स्थावर - शरीर नामकर्म - प्रकृति - प्ररूपणा - प्रकृति ३८८ २. ५६३, स्थिति ४.४६२, अनुभाग १.९५, प्रदेश ३१३६ । बध ३१७, वधस्थान ३.११०, उदय १.३७५, उदयस्थान १३९०, उदीरणा १.४११ व उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्वस्थान ४३०३, त्रिसयोगी भग १.४०४, सक्रमण ४८५ अ, अल्पबहुत्व ११६७ ।
7
स्थित निशेष २.६०१ व जीव २३३९ अ स्थिति – ४४५५ व अनुयोग ११०२ अ अतरकरण ब, १. २५ व अपकर्षण १.११५ व ईर्याय १.३५० अ उत्कर्षण १३५३ ब, उत्पादादि १३६० अ, उदय १.३६५ व १३८७, द्वितीय (अन्तरकरण) १२५ अब १.२६ अ धर्माधर्म २४०० व २.४६०, प्रथम (अतरकरण ) १.२५ अ-ब १२६अ, वध (स्थिति) ४४६०, बधस्थान अल्पबहुत्व ११६५, सरव (अल्पबहुत्व ) १.१७६ सत्व (काल) २१२०, सत्त्वस्थान अल्पबहुत्व ११६४ व सर्वस्थिति ४३८० ब स्थान ४४५२ ब, स्थिति प्ररूपणा ४४६० ।
-
स्थापना नय - नय २५२२ ब । स्थापना निक्षेप - निक्षेप २ ५१७ व
स्थापना प्रतिक्रमण - प्रतिक्रमण ३ ११६ व
स्थापना प्रत्याख्यान
स्थापना मंगल - मंगल ३.२४१ अ ।
-
स्थितिबंध - अध्यवसाय स्थान १५३ अ,
१११७, आयु १२६१ ब । स्थापना सत्य सत्य ४२७१ ब । स्थिति तप कायसेश २४७ अ । स्थापनास्तव - भक्ति ३०२०० ब । स्थिति दंड केवल २१६७ अ । स्थापित – ४४५३ व आहारदोष १.२९० व उद्दिष्टदोष स्थिति निषेक उदय १३७० ॥ १४१३ अ । स्थावर ( काय ) - ४४५३ ब, अवगाहना ११७६, जीव २३३३ ब, जीवस्थान २.३४२-३४३, पर्याप्ति ३ ४४ अ, प्राण ३ १५३ अ । प्ररूपणा - बंध ३१०४, बधस्थान ३११३, उदय १.३७५, उदयस्थान १.३६२ ब, उदीरणा १.४११ अ उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व ४२८२, सत्त्वस्थान ४.२६६, ४३०५. त्रिसयोगी भंग १४०६ व सत् ४ १९९, संख्या ४.९६,
सख्या ४११६ ब ।
स्थितिबंध प्ररूपणा — स्थिति ४४६० अ । स्थितिबंध वेदना - अल्पबहुत्व ११७६ । स्थितिबंध स्थान - अल्पबहुत्व १९६४ ब, स्थान ४.४५२
1
ब !
1
स्थिति अपसरण-क्षय २.१८० अ काक २४२ अ । स्थितिकरण - ४.४७० अ । स्थितिकल्प - ४४७० ब । स्थिति-कांडक घात
अंतरकरण १२६ व १११६ ब, १ ११७ अ । स्थिति क्षय उदय १३६५ व
स्थितिघात अनुभाग १११७ व अपकर्ष १११६ व
-
-
-
7
अंतरकरण १२६ ब स्थिति ४४५६ व स्थितिबंध अध्यवसाय स्थान अध्यवसाय
अपकर्षण
४११६ ब ४.४५७ ब । १.५३ अ,
Page #294
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्थितिबधापसरण
२८८
स्पर्श-प्रत्ययविधान
स्थितिबंधापसरण-अपकर्षण १११५ अ, काण्डक २४२ स्नातक-४४७१ अ, साधु ४४०८ब। अ, क्षय २.१८० अ।
स्नान-४४७१ ब, पूजा ३८१ ब । स्थिति-भोजन-४४७० ब, आहार १.२८६ ब ।
स्नायु-औदारिक शरीर १.४४२ । स्थिति-विपरिणामना-विपर्यय ३५५५ ब।
स्निग्ध-४.४७१ ब, स्कंध ४.४४८ अ । स्थिति-व्यक्ति-उत्कर्षण १.३५४ ब ।
स्निग्धगण-ईर्यापथ कर्म १३४६ ब । स्थिति-शक्ति-उत्कर्षण १३५४ ब ।
स्निग्धत्व - स्कध ४.४४८ अ। स्थिति सक्रमण-आयुबध ११६५।
स्नेह-अतिचार १.४४ अ, वात्सल्य ३५३२ अ-ब । स्थितिसत्त्व-सत्त्व ४२७६ ब ।
स्नेहातिचार- अतिचार १.४४ अ । स्थितिसत्वस्थान-अल्पबहुत्व ११६५।
स्पदन-दे० परिस्पंदन। स्थिर-४४७० ब, आसन २.४६३ अ, चारित्र २२८४ स्पंदरहित नेत्र-चैत्य-चैत्यालय २३०२ ब ।
अ, चित्त १४६६ अ, ध्यान २.४६५ ब, यदुवंश स्पर्धक-४ ४७२ अ, उदय १३६६ ब, भोग ३३८३ ब । १.३३७।
स्पर्धक करण-कृष्टि २१४० ब । स्थिर-आसन-ध्याता २४६३ अ ।
स्पर्धक शलाका-सहनानी २.२१६ । स्थिरचित्त-उपयोग १.४६६ अ, ध्यान २४६५ ब।
स्पर्श-४४७३ ब, आहारातराय १२८ अ, ईपिथ कर्म स्थिर-नामकर्म-प्रकृति-प्ररूपणा-प्रकृति ३८८, ३.६६ १ .३४९ अ. सम्यग्दर्शन ४.३५० ब, सर्वस्पर्श अ, २५८३, स्थिति ४४६३, अनुभाग १६५, प्रदेश
४.३८० ब। ३.१३६। बंध ३.६७, बधस्थान ३.११०, उदय स्पर्श-अन्तरविधान-अनुयोग १.१०२ अ। १.३७५, उदयस्थान १.३६०, उदारणा १४११ अ, स्पर्श-कालविधान-अनुयोग १.१०२ अ। उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान
स्पर्श क्षेत्रविधान-अनुयोग १.१०२ अ। ४३०३, त्रिसयोगी भग १.४०४॥ सक्रमण ४८५ अ,
स्पर्श गतिविधान-अनुयोग ११०२ अ । अल्पबहुत्व ११६७।
स्पर्श द्रव्यविधान-अनुयोग १.१०२ अ । स्थिरभाव-सामायिक ४.४१५ ब ।
स्पर्शन-अनुयोग १ १०२ अ, आहारातराय १.२८ अ, कालास्थिरहृदय-कुडलवर पर्वत के कट का देव-निर्देश
वधि का अल्पबहत्व११६०, क्षेत्र २.१६१ अ, २१६२ ३.४७५ ब, अंकन ३ ४६७ ।
ब, प्रदेश तथा अवगाहना का अल्पबहुत्व १.१५७, स्थूणा-४.४७१ अ, औदारिक शरीर १.४७२ अ।
प्ररूपणा ४४७७, गोहनीय ३.३४२ ब, स्पर्शन स्थूल-अनुमान लिंग १९८ अ, औदारिक १.४७१ अ,
४.४७४ ब। पर्याय ३ ४७ ब, ३४८ ब, स्कध ४.४४६ अ।
स्पर्शन इद्रिय-इंद्रिय १३०२ अ। स्थूल अब्रह्म-धावक ४५० ब ।
स्पर्शन क्रिया-क्रिया २१७४ ब। स्थूल ऋजूसूत्र नय-नय २५३५ अ ।
स्पर्शनानुगम--अनुयोग १.१०३ अ। स्थूल चोरी-अस्तेय १२१३ ब ।
स्पर्शनानुयोगद्वार - स्पर्श ४.४७४ ब । स्थूल जीव-~-अहिंसा १२१७ ब ।
स्पर्श नाम कर्मप्रकृति--प्रकृति ३८८, २.५८३, स्थिति स्थूल परिग्रह -श्रावक ४५० ब ।
४४६३, अनुभाग १.६५, प्रदेश ३१३६, बंध ३६७, स्थूलभद्र---४४७१ अ, इतिहास १३२८ अ, १.परि०/
बधस्थ न ३११०, उदय १३७५, उदयस्थान २२, श्वेताबर ४७७ अ-ब, ४७८ अ। स्थूलवत-व्रत ३ ६२७ ब ।
१३६०. उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, स्थूल-सूक्ष्म-स्कध ७४४६ अ।
सत्त्व ४२७८, सस्वस्थान ४.३०३, त्रिसंयोगी भंग स्थूल-स्थूल-पर्याय ३४७ ब, स्कंध ४४४६ अ ।
१४०४ । सक्रमण ४८५ अ, अल्पबहुत्व १.१६६ । स्थलाचार्य-४४७१ अ, इतिहास १३२८ अ, श्वेताबर स्पर्श नाम-विधान-अनुयोग १.१०२ अ। ४.७७ अ।
स्पर्श नाम विभीषणता-अनुयोग ११०२ अ । स्थैर्य-प्रौव्य १३५८ अ ।
स्पर्श-निक्षेप- अनुयोग १.१०२ अ। स्थौल्य-सूक्ष्म ४४३६अ।
स्पर्श परिमाण विधान-अनयोग ११०२ अ स्नात-स्नान ४४७१ ब ।
स्पर्श-प्रत्ययविधान--- अनुयोग १.१०२ अ।
Page #295
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्पर्श-भागाभाग-विधान
२८६
स्रष्टा
स्पर्श-भागाभाग-विधान-अनुयोग १.१०२ अ।
स्यात्कार-स्यात् ४४६६ ब, सप्तभंगी ४३१५ ब, स्पर्श-भावविधान --अनुयोग १ १०२ अ।
स्याद्वाद ४.५०० अ, ४५०१ अ । स्पर्श-सन्निकर्षविधान-अनुयोग ११०२ अ ।
स्याच्चेतन - स्याद्वाद ४४६८ ब । स्पर्श-स्पर्श विधान-~अनुयोग ११०२ अ, स्पर्श ४.४७६ स्याच्छुद्ध-स्याद्वाद ४४६८ ब ।
स्यात्पद-नय २.५१७ ब।
स्यात्परम--स्याद्वाद ४४६८ ब । स्पर्श-स्वामित्वविधान-अनुयोग १.१०२ अ ।
स्यादचेनन -स्याद्वाद ४४९८ ब । स्पष्ट-४.४६५ अ।
स्यादनित्यत्व-स्याद्वाद ४४६८ ब । स्पष्टता-विशद ३५६७ ब ।
स्थादनुपचरित स्याहार ४४६८ ब । स्पृश्य-वर्णव्यवस्था ३ ५२५ ब ।
स्वादनेकत्व-स्याद्वाद ४४९८ ब । स्पष्ट -इंद्रिय १३०३ अ ।
स्थादनेकप्रदेशत्व-स्याद्वाद ४४४६८ ब। स्पृहा-४४६५ अ।
स्यादपरम-स्यावाद ४४६८ व। स्फटिक-४.४६५ अ । अनुदिश स्वर्ग का श्रेणीबद्ध
स्मादभव्यत्व-स्याद्वाद ४४६८ ब । निर्देश ४ ५१६ अ, अंकन ४ ५१५, ४ ५१७, देव आयु
स्वादभेदत्व-स्पद्वाद ४.४६८ ब । १.२६६ । कारण (कर्म संयोग का उदाहरण) २७१
स्वावमूर्त -स्याद्वाद ४४६८ ब । ब । कुडनवर पर्वत का कूट-निर्देश ३४७५ ब,
स्थादवक्तव्य-सप्तभंगी ४ ३१४ ब । विस्तार ३.४८७, अकन ३४६७ । गजदंत का कूट
स्थादशुद्धत्व स्याद्वाद ४४६८ ब । -निर्देश ३.४७५ अ, विस्तार ३४८३, ३४८५,
स्यादस्ति-सस्तभंगी ४.३१४ ब, स्याद्वाद ४४६८ ब । ३४८६, अकन ३ ४४४ ३४५७। मानुषोत्तर
स्थादस्ति अवतव्य - सप्तभगी ४३१४ ब । पर्वत का कूट-निर्देश ३ ४७५ अ, विस्तार ३ ४८६,
स्यादस्ति नास्ति --सप्तभगी ४३१४ ब । अंकन ३.४६४, रत्नप्रभा की चित्रा पृथिवी ३ ३६१
स्यादस्ति नास्ति अवक्तव्य-सप्तभगी ४३१४ ब । अ, रुचकवर पर्वत का कूट---निर्देश ३ ४७६ अ,
स्थावस्त्यवक्तव्य-सप्तभगी ४३१४ ब । विस्तार ३.४८७, अकन ३ ४६८, ३४६६ । सौधर्म
स्थादुपचरित--स्याद्राद ४.४६ - ब । स्वर्ग का पटल-निर्देश ४.५१६, विस्तार ४.५१६,
स्यादेकत्व--स्याद्वाद ४४६% ब) अंकन ४५१६ ब, देव आयु १२६६।। स्फटिकप्रभ-४४६५ अ, कुडलवर पर्वत का कूट-निर्देश
स्यादेकप्रदेशत्व--स्याहाद ४४६८ ब।
स्थाद्भव्यत्व- म्याद्वाद ४.४६८ ब। ३४७५ ब, विस्तार ३४८७, अंकन ३४६७ ।
स्याभेदत्व-स्याद्वाद ४.४६८व। स्फुट--राक्षसवश १३३८ अ।
स्यावाद---४.४६६ ब, श्रुतज्ञान ४६३ व, सप्तभगी स्फुटपद-इतिहास १३४७ ब ।
४३१३ ब सापेक्ष ४४११ अ। स्फोट-४४६५ अ, कर्म ४.४२१ ब ।
स्याद्वादभूषण-४५०२ ब, अभयचंद्र ११२७ अ, स्फोटित-४.४६५ ब, गणित २.२२२ ब ।
इतिहास १३४५ अ। स्मरण-आहारातराय १.२६ अ, मनिज्ञान ३ २५४ ब ।
स्याद्वादमंजरी--४.५०२ ब, इतहास १ ३४५ अ । स्मरणाभास-४.४६५ ब।
स्याद्वादमजूषा-४.५०२ ब, इतिहास १३४७ ब । स्मितगिरि-मनुष्यलोक ३२७५ ब ।
स्याद्वादरलाकर - इतिहास १३४४ अ । स्मितयश- इक्ष्वाकुवश १.३३५ अ।
स्याद्वादवदन विदारण-४५०२ ब, इतिहास १३४६ ब । स्मृति-४४६५ ब, आहारातराय १२९ अ, प्रत्यभिज्ञान
स्याद्वादसिद्धि-~४.५०३ अ इतिहास १ ३४४ अ। ३२५४ अ, मतिज्ञान ३२५४ अ।
स्याद्वादोपनिषद -४.५०३ अ, इतिहास १,३४२ ब । मुल्यनुपत्यानानि -४४६५ ब।
स्यान्नास्ति- सप्तभंगी ४ ३१४ ब, स्याद्वाद ४.४६८ ब । मत्संतराधात-४४६५ ब ।
स्यान्नास्त्यवक्तव्य-सप्तभगी ४.३१४ ब । स्पंदन-४.४६६ अ ।
स्यान्नित्यत्व-स्याद्वाद ४.४६८ ब। स्यात्-४.४६६ अ, सप्तभगी ४.३१५ ब, ४.३१७ अ, स्याम्मतत्व-त्याद्वाद ४.४६८ ब । स्यादाद ४.४६७ भ।
स्रष्टा -कर्म २.२८ अ ।
Page #296
--------------------------------------------------------------------------
________________
२६०
स्वभाव
स्व-अनेकांत (सापेक्ष धर्म) ११०६ अ।
स्वदेश दोष-आहार १२६० ब, उद्दिष्ट १४१३ अ । स्व-अनुकपा- अनुकपा १६६अ।
स्वद्रव्य-४.५०३ ब, चतुष्टय २.२७८ अ, द्रव्य २.४५३ स्व-हिंसा - अहिंसा १२१६ ब ।
अ, सप्तभगी ४३२१ ब । स्व-आकार--सप्तभगी ४३२२ अ ।
स्वद्रव्य रति-उपदेश १,४२४ अ । स्व-उपकार-उपकार १४१५ अ-ब ।
स्वद्रव्यादि-ग्राहक नय-नय २५४५ ब । स्वकाल-कान २८० अ, चतुरय २२७८ अ, सप्तभगी स्वधर्मव्यापकत्व शक्ति-४५०३ब। ४३२३ अ।
स्वनिंदा--निंदा २५८८ अ। स्वकाल निर्जरा - अनुप्रेक्षा १७५ ब।
स्व-निमित्त-२६११ ब । स्वकीय काल-सप्तभगी ४३१६ अ ।
स्वनिमित्तक उत्पाद आकाश १२२१ ब, उत्पाद १.३५७ स्व-क्षेत्र--क्षेत्र २ १६१ ब, ३ १६३ अ, चाष्टय २२७८ ५, ससार ४१४७ अ-ब, सप्तभगी ४३१६ अ, ४३२१
स्वपक्ष-साधक हेतु -हेत ४५४२ अ।
स्वपर-अवभासक -दर्शनोपयोग २४०८ ब । अ। स्वगणानुपस्थापनप्रायश्चित--३.३५ ब ।
स्वपर-चतुष्टय-चतुष्टय २२७८ अ। स्वगरु-स्थापनावाप्ति किया--संस्कार ४१५१ ब ।
स्वपर-चारित्र-चारित्र २२८० ब ।
स्वपर तत्त्व - मोक्षमार्ग ३ ३३६ ब । स्वग्राम-अभिघट दोष -आहार १.२६० ब, उद्दिष्ट १.४१३।
स्वपर प्रकाशक-केवलज्ञान २१५२ ब, ज्ञान २२५८ ब, स्वग्राम दोष---आहार १२६० ब, उद्दिष्ट १४१३ अ ।
२२५६, दर्शन उपयोग २४०८ अ स्वचतुष्टय-चतुष्टय २२७७ब, सप्तभगी ४.३१७ ब,
स्वपर भेद-विज्ञान-ज्ञान (निश्चय) २२६७ ब । ४३१६ब।
स्वपर-विवेकसम्यग्दर्शन ४३५८ ब, ४३५६ अ । स्वचारित्र-चारित्र २.२८२ ब, २२८३ अ, मोक्षमार्ग ३ ३३८ अ।
स्वपर-स्थान -अल्पबहुत्व ११५४ ब, ११५५ अ, ११७५,
भागाभाग ४११५ । स्वच्छत्व शक्ति-~~४५०३ ब ।
स्व-पर्याय-पर्याय ३ ४६ ब । स्वच्छद -४,५०३ अ, अवसन्न १२८१ ब, साधु ४४०८
स्वपाक-विद्या ३५४४ अ । ल, ४.४०६ ब।
स्वप्न - ४५०४ अ, अतिचार १.४४ ब, निद्रा २६०८ ब । स्वच्छद वृत्ति - अपवादमार्ग ११२३ ब।
स्वप्न-निमित्तज्ञान - ऋद्धि १४४८, निमित्तज्ञान २६१३ स्वच्छंद्र श्रोता-उपदेश १४२५ ब ।
अ॥ स्वच्छंद साधु ४.५०३ अ ।
स्वप्नसत्य-स्वप्न ४५०४ अ । स्वच्छदाचार-आहार १२८८ब।
स्वप्नातिचार अतिचार १.४४ ब । स्वच्छाहार - ४.५०३ ब ।
स्व प्रकाशक-दर्शनोपयोग २४०८ अ । स्वजाति-जाति २.३२६ ब।
स्वप्रतिभास दर्शनोपयोग २४०८ ब । स्वजाति आरोप-उपवार ३४१६ ब ।
स्वप्रत्यय उत्पाद--आकाश १.२२१ ब, उत्पाद १३५७ ब । स्वजाति-विजाति-उपचार-उपवार १,४२० अ ।
स्वभाव-४५०५ ब, अनेकात (सापेन धर्म) १.१०६ अ, स्वत सिद्ध-भत् ४.१५६ ब।
करुणा २.१५ अ, कारण २.५४ ब, २.६० अ, काल स्वतत्त्व-तन्व २३५३ ।।
२.८३ अ, गति २.२३५ ब, गण २२४० अ, चतुष्टय स्वतंत्र ४.५०३ ब, कारण-कार्य २.६० अ, २७३ अ, २.२७८ अ, चारित्र २२८२ ब, २.२८३ ब, द्रव्य
गुण २,२४२ अ, द्रव्य २.४६० ब, वस्तु (काग्णकार्य) २.४६० ब, परतत्रवाद ३.१२ अ, परिणमन (कारण) २७३ अ, स्वच्छद ४५०३ अ ।
२.६० अ, पर्याय ३.४६ अ, पुदग्ल ३.६७ अ, प्रकृति स्वतंत्र लिंग - चक्रवर्ती ४.१० ब ।
बध ३.८७ ब, भाव ३.२१८ ब, मोक्षमार्ग ३३३५ ब, स्वतत्रवाद - एकात १४६५ ब ।
विभाव ३.५५७ ब, ३.५५६ अ, ससार ४.१४७, अ, स्वतंत्र विवक्षा - स्याहाद ४.४६८ अ ।
सत् ४.१५६ ब सप्तभगी ४.३२२ ब, सापेक्ष धर्म स्वदार सतोष-ब्रह्मचर्य ३१८६ ब ।
(अनेकात) १.१०६ अ, सापेक्षधर्म (सनभगी) स्वदेश अभिघट दोष -आहार १.२६० ब।
४.३२२ ब, स्वतन्त्रता (करण) २.६० अ।
Page #297
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वभाव अनित्य नय
२६१
स्वरूपास्तित्व
स्वभाव अनित्य नयनय २.५५२ अ।
स्वयंभूस्तोत्र-४५०८ अ, स्तोत्र ४.४४६ अ, इतिहास स्वभाव क्रिया क्रिया २१७३ ब ।
१३४० ब। स्वभाव गति-ति (ऊर्ध्वगति) २.२३५ अ, गति २२३५ स्वयंवर-तीर्थकर अभिनदननाथ २३८० । अ, २ २३६ अ, जीव पुदगल २ २३५ ब ।
स्वयंवर विधि-अकंपन १३० ब । स्वभावगुणपर्याय -पर्याय ३ ४६ ब ।
स्वय शोधक-आतचार १४४ ब । स्वभाव-गुणव्यजन पर्या-पर्याय ३५० अ ।
स्वयं हिसन-हिंसा ४५३४ ब । स्वभावज्ञान--उपयोग १.४३० अ ।
स्वर---४५०८ ब, अक्षर १.३३ अ । स्वभावदर्शन-उपयोग १४३० अ ।
स्वरकीति--दिसघ भट्टारक १.३२३ ब । स्वभावद्रव्यपर्याय-पर्याय ३.४६ अ ।
स्वरक्षा-अहिंसा १२१६ ब । स्वभावद्रव्यव्यजन पर्याय-पर्याय ३ ४६ अ।
स्वरनामकर्म प्रकृति-स्वर ४५०८ ब । प्ररूपणा--प्रकृति स्वभाव नय-नय २ ५२३ ब ।
३.८८, २.५८३, स्थिति ४ ४६३, अनुभाग १६५, स्वभाव निरपेक्ष-मिथ्यादर्शन ३३०१ अ।
प्रदेश ३.१३६ । बंध ३६७, बधस्थान ३.११०, उदय स्वभाव-पुद्गल-पुद्गल ३ ६७ अ ।
१३७५, उदय की विशेषता १.३७४ अ, उदयस्थान स्वभाववाद-४५०७ ब, एकात १४६५ अ-ब । नियति १३६०, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान बाद २६१६ अ, पुरुषार्थवाद (नियति) २६१६ अ।
१४१२, सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४.३०३, त्रिसस्वभावविरुद्धानुपलब्धि हेतु-४५३८ ।
भय १४०४ । सक्रमण ४.८५ अ, अल्पबहुत्व ११७१, स्वभाव-सिद्ध–सत ४१५६ ब। स्वभाव-स्थिति–मोक्षमार्ग ३ ३३५ ब ।
स्वरनिमित्त ज्ञान-ऋद्धि १.४४८, निमित्तज्ञान २.६१२ स्वभावाराधना-उपयोग १४३० ब, धर्म २४६७
अ
ब । स्वमख-उदय-उदय १३६६ अ, १.३६७ अ,१३७१ब। स्वरसेना-व्यंतरेद्र वल्लभिका ३.६११ब । स्वयंप्रम- ४.५०७ ब, ग्रह २२७४ अ. तीर्थंकर २३७७,
स्वराज्य क्रिया-सस्कार ४.१५२ अ । २३६२, तीर्थंकर सभवनाथ व अभिनन्दन २३७८,
स्वरूप-४५०८ब, चारित्र २.२८३ ब, सामायिक रुचक वर पर्वत का कूट-निर्देश ३ ४७६ ब, विस्तार ३४८७, अंकन ३४६८, ३४६६, सुमेरु ४४३७ अ,
४.४१७ अ । सोम लोकपाल का यान ४५१३ अ।
स्वरूप (देव)-४५०८ ब, भूत जातीय व्यतर देव ३२३४ स्वयप्रभ पर्वत-जीवो की अवगाहना १९७८ अ।
अ । इन्द्र-निर्देश ३.६११ अ, सख्या ३६११ अ, स्वयंप्रभा--४५०७ब, कुलकर ४.२३ ।
परिवार ३६११ ब, आयु १२६४ ब । यक्ष ३.३६६
अ। स्वयबुद्ध -४.५०७ ब, ४,५०८ अ । स्वयभू–४.५०८ अ, गणधर २२१३ अ, जीव २३३३ ब, स्वरूप चतुष्टय-सप्तभंगी ४३२१ ब । तीर्थंकर २२७७, तीर्थंकर कथनाथ व पार्श्वनाथ स्वरूप फल-उदय १.३६६ ब ।
स्वरूपलय - मोक्षमार्ग ३.३३५ ब । २.३८७, तीर्थकर वासुपूज्य तथा विमल २३६१, नारायण ४१८ अ, योगदर्शन ३.३८४ अ।
स्वरूप विपर्यास --विपर्यय ३.५५६ अ, सम्यग्ज्ञान २२६४ स्वयंभू-इतिहास १३२६ ब, १.३४१ ब । स्वयंभूछंद-~४५०८ अ, इतिहास १.३४१ ब।
स्वरूप संबोधन-४.५०६ अ, अकलक भट्ट १३१ अ,
इतिहास १.३४१ ब, १.३४७ ब । स्वयंभू-मुखोत्पन्न ब्राह्मण ३१६५ अ। स्वयभरमण-४५०८ अ, द्वीप सागर पर्वत–४.५०८ स्वरूप संवेदन-दर्शनोपयोग २.४१२ अ ।
अ, निर्देश ३ ४६६ ब, नामनिर्देश ३.४७० अ. अव- स्वरूपाचरण चारित्र--४.५०६ अ, अनुभव १.८५ अ । गाहना १.१७६, आयुबंध १.२६१ ब, कर्मभूमि चारित्र २.२८५ अ, चारित्र (संयमाचरण) २.२८० (भूमि) ३ २३५ ब, काल विभाग २.६३, तिर्यंच २३७०, द्वीप २.४६२ ब, विस्तार ३५०३, अकन स्वरूपाभाव-अभाव १.१२८ अ। ३४४३। ज्तोतिष चक्र २.३४८ ब, जल का रस स्वरूपासिद्ध हेत्वाभास-हेत्वाभास १.२१० अ । ३.४७० अ, अधिपति देव ३.६१४ ।
स्वरूपास्तित्व-अस्तित्व १.२१२ ब ।
Page #298
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वर्ग
२६२
स्वस्थान संयत
रणा
स्वर्ग-४५०६ अ, वैदिकाभिमत स्वर्लोक ३.४३३ । स्ववचनबाधित-बाधित ३ १८२ ब । स्वर्गवासी देव-निर्देश २ ४४५ ब, ४ ५१० ब, अवगाहना स्ववश-४५२२ अ, अनुभव १८३ ब । ११८०ब,अवधिज्ञान ११६८ब, आयु १२६८, आयु
स्ववात्सल्य-उपकार १४१५ ब । बंध के योग्य परिणाम १२५८ ब, कल्याणक २.३२ स्वपर विभाग - स यग्दर्शन ४३५६ ब । ब, जन्म २३१७ अ-ब, त्रायस्त्रिश २.३६६ ब, स्ववृत्ति-एकाग्रचितानिरोध १४६६ अ। सम्यक्त्वादि गुण २४४८ । इन्द्र -निर्देश ४५१० ब, स्वसंयोगी-भंग ३.१६७ अ। परिवार ४५१२, शक्ति आदि ४.५११ अ-ब, दक्षिण स्वसवेदन- अनुभव १८१-८७, अनुभव (केवलज्ञान) उत्तर विभाग ४.५११ अ, देवियाँ ४५१३ । प्ररूपणा १.८३ अ, दर्शन (सप्रदाय) २.४०६ ब, विकल्प
-बध ३.१०२, बधस्यान ३११३, उदय १.३७८, ३५३८ अ, शुक्लध्यान ४३४ ब, सम्यग्दर्शन ४३५१ उदयस्थान १३६२ ब, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणा- ब, ४.३५२ अ, सुख ४.४३१ ब । स्थान १.४१२, सत्त्व ४२८२, सत्त्वस्थान ४२९८, स्वसंवेदन ज्ञान-उपयोग १४३४ ब, ज्ञान (निश्चय) ४.३०५, त्रिसयोगीभग १.४०६ ब । सत् ४.१८६, २.२६२ ब, विकल्प (निर्विकल्प) ३ ५३८ अ, प्रत्यासख्या ४६३ ब, ४६७, क्षेत्र २१६१, स्पर्शन ख्यान ३१३२ ब, मोक्षमार्ग ३३३५ ब, सम्यग्दृष्टि ४४८१, काल २१०४, अन्तर १.१०, भाव ३२२० ४ ३७६ ब । अ, अल्पबहुत्व ११४५।
स्वसंवेद्य सुख-सुख ४.४३१ ब, ४.४३३ ब । स्वर्गसिद्ध-अल्पबहुत्व ११५३ ।
स्वसमय-४.५२२ अ, चारित्र २२८२ ब, समय ४३२८ स्वर्गोत्कृष्ट-राक्षस वश १३३८ अ।
अ। स्वर्ण-४.५२२ अ।
स्वसमय-उपक्रम-उपक्रम १.४१६ ब । स्वर्णकमल-अहंतातिशय १.१३७ब ।
स्वसमय-प्रवृत्ति--चारित्र २२८३ ब । स्वर्णकूला (कुड)-४५२२ अ, स्वर्ण कूला नदी का द्वार
का हार- स्वसमय-वक्तव्यता---वक्तव्यता ३४६६ अ। frर्देश ३ ४५५ अ, विस्तार ३४६०, अकन ३ ४४७।
अकन ३ ४४७१ स्वसहाय - सत् ४१५६ ब। इसी कुड में स्थित द्वीप-निर्देश ३४५६ अ, विस्तार स्वस्तिक-४.५२२ अ । कुडलवर पर्वत का कूट तथा देव ३४८४, अकन ३ ४४७, वर्ण ३ ४७७ ।
-निर्देश ३ ४७५ ब, विस्तार ३.४८७, अकन स्वर्णकला (कूट) --४ ५२२ अ, स्वर्णकूला कुंड में स्थित ३४६७। गजदत का कूट तथा देव-निर्देश ३ ४७३
-निर्देश ३ ४५६ अ, विस्तार ३.४८४, अकन अ, विस्तार ३४८३, ३४८५, ३.४८६, अकन ३४४७, वर्ण ३ ४७७ । शिखरी पर्वत का-निर्देश ३.४४४, ३४५७ । तीर्थकर शीतलनाथ २.३७६ । ३४७२ ब, विस्तार ३४८३, ३४८५, ३.४८६,
देवकूरु का दिग्गजेंद्र-निर्देश ३४७१ ब, विस्तार अकन ३.४४४ :
३४८३, ३४८५, ३.४८६, अंकन ३.४४४। रुचकस्वर्णकला (देवी)-स्वर्णकूला कंड की-३.४५५ अ,
वर पर्वत का कुट-निर्देश ३.४७६ अ-ब, विस्तार शिखरी पर्वत के कट की-निर्देश ३ ४७२ ब, अकन
३.४८७, अंकन ३ ४६८ । ३४४४।
स्वस्तिमति-४.५२२ अ । स्वर्णकला (नदी)-४५२२ अ, हैरण्यवत क्षेत्र की महा- बस्ती स्त्री ४४५०ब। नदी--निर्देश ३.४५६ अ, विस्तार ३४८९-४६०,
स्वस्थ-यदुवंश १३३६, स्वास्थ्य ४.५२६अ। अकन ३ ४४४, ३४६४ के सामने (चित्र सं० ३७)
स्वस्थान-अप्रमत्त-उपशम १.४३६ छ । जल का वर्ण ३.४७८ ।
स्वस्थान-अल्पबहुत्व-अल्पबहुत्व १.१४३-१७६ । वर्णनाभ - ४.५२२ अ, विद्याधर नगरी ३.५४५ में। स्वस्थान उद्वेलना-सत्व ४.२८१.२८२। स्वर्णभद्र-४५२२ ।
स्वस्थान गुणकर-कृष्टि २.१४० ब । स्वर्णमध्य -४.५२२ अ, सुमेह ४४३७ अ।
स्थान-गोपुच्छा-गोपुच्छा २ २५४ अ । स्वर्णमयी-सुमेह की परिधि ३.४४९।
स्वस्थान भागाभाग-संख्या ४११० अ । स्वर्णरेखा ~४.५२२ अ ।
स्वस्थान संक्रमण-संक्रमण ४८४ अ। स्वर्णवती-४.५२२ अ, मनुष्यलोक ३.२७५ ब ।
स्वस्थान संयत-संयत ४.१३० ।
Page #299
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वस्थान सत्त्व
हरणवतो
।
स्वस्थान सत्त्व- सत्व ४ २७५ अ ।
स्वास्थ्य-४५२६ अ, अनुभव १.८१व, उपयोग १४३१ स्वस्थान-सन्निकर्ष-सन्निकर्ष ४ ३१२ अ । स्वस्थान स्वस्थान-क्षेत्र २१६७-२०७ ।
स्वाहा-४५२६ब। स्वस्थान-स्वस्थान-अवस्थान-क्षेत्र २१६२ अ ।
स्वेच्छा -साधु ४४०७ ब । स्वहस्त क्रिया-क्रिया २१७४ ब ।
स्वेच्छाचारी-साधु ४४०६ ब स्वच्छद साधु ४.५०३ स्वहिसा-हसा ४५३२ ब । स्वहित-हित ४५३८ अ।
स्वेदज जीव २ ३३४ अ। स्वाति-४ ५२२ अ, तीर्थंकर २.३८१, नक्षत्र २.५०४ स्वेदराहित्य अहंतातिशय १.१३७ ब ।
ब, नाभिगिरि का देव ३४७१ अ । मानुषोत्तर पर्वत स्वेष्टकृत-अज्ञानवाद १३८ ब । का देव-निर्देश ३ ४७५ अ, अकन ३४६४, सस्थान स्वोदयबंधी प्रकृति-उदय १३६८ अ, सयोगी प्ररूपणा ४.१५३ ब।
१३६६। स्वात्मरक्षा-अहिंसा १२१६: ब।
स्वोपकार-उपकार १४१५ अ-ब । स्वात्मा-चारित्र २२८४ अ। सप्तभगी ४.३२१ ब । स्वाथ-४५२२ अ, आहार १२८५ अ । स्वाधीन-सुख ४.४३२ ब, ४.४३३ अ, स्वाध्याय ४५२४
। स्वाधीन सुख-सुख ४.४३२ ब, ४.४३३ अ । स्वाध्याय-४.५२२ ब, कृतिकर्म २१३७ ब, धर्मध्यांन हस-४५२६ ब, तीर्थकर सीमधर भगवान् २.३६२,
२४७८ अ, श्रावक (कायक्लेश) २.४८ अ, सम्यर- ब्रह्मद्र का यान ४.५११ ब, शुक्लध्यान ४३३ अ। दर्शन ४.३६२ ब।
हंसगर्भ-४.५२६ ब, विद्याधरनगरी ३५४५ ब, ३५४६ स्वानुभव- अनुभव १८१-८६, सम्यग्दर्शन ४.३५३ ब ।
अ। स्वानुभव दर्पण-४५२६ ब ।
हंसद्वीप--राक्षसवंश १३३८ अ। स्वानुभूति-सम्यग्दर्शन ४ ३५३ अ ।
हेससंप्रदाय-वैशेषिक दर्शन ३.६०६ अ । स्वानुभूत्यावरण-अनुभव १.८४ ब ।
हंससम श्रोता-श्रता ४७४ ब । स्वाभाविक आनंद--मोक्षमार्ग ३.३३६ अ, सूख ४.४३१
हंस साधु-वेदात ३.५६५ ब ।
हठवाव-दे० एकांत। स्वाभाविक क्रिया-विभाव ३५५७ ब ।
हत-४.५२६ ब, गणित २.२२२ ब, २.२२३ अ । स्वाभाविक दुःख-२.४३४ ब ।
हतसमुत्पत्तिक स्थान--अनुभाग १६० अ, अल्पबहुत्व स्वाभाविक विमान--विमान ३५५३ अ।
(अनुभाग सत्त्व) १.१६६ अ, अल्पबहुत्व (मोहनीय) स्वाभाविक स्वभाव-स्वभाव ४५०६ ब । स्वाभाविकी शक्ति-विभाव ३ ५५८ अ ।
हतहत-समुत्पत्तिक स्थान-अनुभाग १६० अ। स्वामित्व-४५२६ ब, अनुयोग १.१०२ अ, अर्थावग्रह हनन-४५२६ ब, गणित २.२२२ ब।
१.१८३ ब, भावपचक ३२१९ ब, योगस्थान अल्प- हनुमंतचारित्र-४.५२६ ब, इतिहास १३४७ अ। बहुत्व ११६२ अ, व्यंजनावग्रह १.१८३ ब ।
हनुमान् -४.५२६ ब, अंजना १२ अ। मानुषोत्तर पर्वत स्वामीकुमार-कुमार २१२६ ब।
के कूट का देव ३४७५, अकन ३.४६४ । स्वार्थ- ४.५२६ अ।
हनुरुह द्वीप-४.५२६ब। स्वार्थप्रमाण-प्रमाण ३१४१ अ-ब ।
हयग्रीव-शलाकापुरुष ४२६ अ। स्वार्याधिगम-अधिगम १.५० ब।
हय राय-मंगल ३.२४४ अ। स्वानुमान- अनुमान १.९७ अ, १.६८ ब।
हर-गणित २.२२३ ब, शलाकापुरुष ४.२६ अ । स्वार्थी-उपकार १.४१६अ, ग्रह २.२७४ अ।
हरण-४५२६ ब। स्वास्तिक-४५२६अ।
हरणवती-मनुष्यलोक ३.२७६ अ ।
Page #300
--------------------------------------------------------------------------
________________
हरि
२६४
हरिवर्ष
हरि-४.५२६ ब, इतिहास (पौराणिक राज्यवश) १.३३५ हरित-४.५३० अ। हरिक्षेत्र की महानदी-निर्देश अ, रघुवश १३३८ अ, हरिवश १३३६ ब, १३४० ३.४५५ अ, विस्तार ३.४८६, ३४६०, अकन
३४४४, ३ ४६४ के सामने, जल का वर्ण ३.४७७ । हरि (कुड व कूट)--हरित नदी का कुड - निर्देश ३ ४५५ इस नदी का कुड -निर्देश ३ ४५५ अ, विस्तार
अ, विस्तार ३४६०, अकन ३ ४४७ । इस कुड का ३४६०, अकन ३ ४४७ । इस कड का द्वीप -निर्देश द्वीप-निर्देश ३ ४५५ अ, विस्तार ३.४८४, अकन ३ ४५५ अ, विस्तार ३४८४, अकन ३ ४४७, वर्ण ३४४७, वर्ण ३ ४७७ । इस कड मे स्थित कूट-निर्देश ३४७७ । इस कुंड में स्थित कूट-निर्देश ३ ४५५ ३४५६ अ, विस्तार ३४८४, अकन ३४४७, वर्ण ब, विस्तार ३४८४, अकन २४४७, वर्ण ३ ४७७ । ३ ४७७ । महाहिमवान तथा निषध पर्वत का कूट हरित (स्वर्ग)-सौधर्म स्वर्ग का पटल -निर्देश ४५१७, तया देव -निर्देश ३४७२ अ, विस्तार ३४८३,
विस्तार ४५१७, अंकन ४५१६ब, देव आयु ३.४८५, ३.४८६, अकन ३ ४४४ । गजदंतो के कूट
१२६७ । तथा देव-निर्देश ३ ४७३ अ, विस्तार ३४८३,
हरितप्रभ-लोकपाल ३ ४६१ ब । ३४८५, ३.४८६, अकन ३.४४४,३४५७ ।
हरिताल-४ ५३० अ।
हरितालमयी-सुमेरु की परिधि ३४४६ अ-ब । हरि (क्षेत्र)-४.५३० अ, विशेष दे० हरिवर्ष । हरिकंठ-शलाकापुरुष ४२६ अ।
हरितालवर-द्वीप सागर-निर्देश ३४७० अ, विस्तार
३ ४७८, अकन ३.४४३, जल का रस ३ ४७० अ, हरिकांत-४.५२६ ब, इतिहास (पौराणिक राज्यवश)
ज्योतिष चक्र २ ३४८ ब, अधिपति देव ३६१४ । १३३५ अ । विद्युत्कुमारेद्र -निर्देश ३२०८ अ, आयु १२६५, परिवार ३ २०६ अ, निवास ३२०९ ब ।
हरिदेव (कवि)-४ ६३२ अ, इतिहास १ ३३२ ब,
१३४५ ब । हरिकाता नदी का कुड तथा देवी -निर्देश ३ ४५५ अ,
हरिद्र-सुमेरु के वनमे लोकपाल का भवन-निर्देश अकन विस्तार ३.४६०, अकन ३ ४४७ । महाहिमवान
३४५० ब, अकन ३४५० ब। पर्वत का कूट तथा देव-निर्देश ३ ४७२ अ, विस्तार
हरिद्वती-४५३० अ, मनुष्यलोक ३२७५ ब । ३४८३, ३४८५, ३.४८६, अकन ३४४४ ।
हरिध्वज-कुरुवश १३३५ ब, १३३६ अ। हरिकांता-४५३० अ। हरिक्षेत्र की महानदी-निर्देश
हरिनंदि-नदिसघ के भट्टारक १३२३ ब। ३.४५५ अ, विस्तार ३४८६, ३४६०, अकन ३ ४४४, ३.४६४ के सामने, जल का वर्ण ३४७८ ।
हरिपुर -प्रतिनारायण ४२० ब ।
हरिभद्र (याकिनीसूनु)- ४५३० अ, इतिहास १.३२६ ब, इस नदी का कुड-निर्देश ३४५५ अ, विस्तार
१३४१ ब। ३४६०, अकन ३४४७। इस कुड मे स्थित द्वीपनिर्देश ३४५५ अ, विस्तार ३४८४, अकन ३.४४७,
हरिभद्र सूरि-४.५३० अ, इतिहास १.३२६ अ, १.३३१ वर्ण ३ ४७७ । इस कुंड मे स्थित कूट-निर्देश ३ ४५५
ब, १३४१ अ। ब, विस्तार ३ ४८४, अकन ३ ४४७, वर्ण ३ ४७७ ।
हरिमथु-४५३० अ, एकान्त १४६५ ब, क्रियावाद
१२७५ ब । हरिकेतु - चक्रवर्ती ४.११ ब ।
हरिसम शुक्ल-वैष्णव दर्शन ३६०६ ब । हरिगिरि-हरिवश १३४० अ।
हरिवंश-४५३० अ, इतिहास-पौराणिक राज्यवंश हरिग्रीव-राक्षस वश १३३८ अ।
१३३५ अ, यदुवश १३३६, १३३६ ब । हरिघोष - कुरुवश १३३५ ब, १.३३६ अ।
हरिवंश गोस्वामी-वैष्णवदर्शन ३.६०९ ब । हरिचन्द्र - ४.५३० अ, शलाकापुरुष ४.२५ ब, विद्याधर हरिवंश पुराण-४ ५३० ब । इतिहास-प्रथम १.२२६ ब, वंश १३३६ अ।
१.३४१ ब । द्वितीय १३३३ अ, १.३४३ ब । तृतीय हरिचंद्र कवि-इतिहास-प्रथम १.३३० अ, १.३४२ अ, १.३३२ अ। चतुर्थ १३४५ ब । पचम १.३४५ ब । द्वितीय १३३२ ब, १३४५ ब।
षष्ठ १.३४६ अ । सप्तम १.३३३ अ, १.३४६ ब। हरिण-तीर्थंकर शातिनाथ २.३७६, तीर्थंकर बाहु हिन्दी अनुवाद १.३३३ ब । अष्टम १३३४ब । २३६२, स्वप्न ४५०५ अ।
हरि वर्मा-४.५३० ब, तीर्थंकर मुनिसुव्रत २३७८। हरिजय-विद्याधरवंश १३३६अ।
हरिवर्ष-४५३० ब, महाहिमवान् तथा निषध पर्वत का
Page #301
--------------------------------------------------------------------------
________________
हरिवाहन
२६५
हास्य वेदनीय कर्मप्रकृति
कूट तथा देव - निर्देश ३ ४७२ अ, विस्तार ३.४८३, ब, प्रतिनारायण ४.२० ब, बलदेच ४ १६ ब, मनुष्य३४८५,३४८६, अकन ३४४४ । महा क्षेत्र - निर्देश लोक ३.२७६ अ। ३४४६ अ, विस्तार ३.४७६, ३४८०, ३४८१, हस्तिनायक-४.५३० ब, विद्याधर नगरी ३५४५ ब । अंकन ३.४४४, ३४६४ के सामने, भोगभूमि ३२३५ हस्तिपानी-४५२० ब, मनुष्यलोक ३ २७५ ब । ब, कालविभाग २६२ ब, २६३, अवगाहना ११८०, हस्तिमल--४.५३० ब, इतिहास १.३३२ अ, १३४४ अ। आय (तियंच) १२६३, आयु (मनुष्य) १२६४ । चातु- हस्तिसडासन तप-कायक्लेश २४७ ब। द्वापिक भूगोल ३४३७ ब, वैदिकाभिमत ३.४३१ हाथ-४५३० ब, क्षेत्र का प्रमाण (इस्त) २२१५ अ । ब।
हाथी--एकातवाद का उदाहरण १४६३ ब, तीर्थंकर हरिवाहन-अच्युत १४१ अ।
मुनिसुव्रत २३८२, सौधमेद्र तथा एशानेद्र का यान हरिविजय-निषध पर्वत का कट तथा देव-निर्देश
४५११ ब, स्वप्न ४५०४ अ। ३४७२ अ, विस्तार ३४८३, अंकन ३ ४४४ । हानि-४५३१ अ, सल्लेखना ४ ३६२ ब। हरि व्यासी-वैष्णव दर्शन ३६०६अ।
हार-४.५३१ अ, गणित २२२३ अ-ब, पर्याय ३.४५ हरिश्मश्रु-४.५३० अ, एकात १४६५ ब, क्रियावाद का २.१७५ ब । विद्याधर वश १३३६ अ।
हारजीत-वाद ३५३३ ब । हरिषेण-४.५३० ब, चक्रवर्ती ४१० अ, तीर्थकर
र
,
हारित-४५३१ अ, एकात १.४६५ ब, क्रियावाद २.३६१। असुरेन्द्र-निर्देश ३.२०८ अ, परिवार
२.१७५ ब। ३.२०४ अ, अवस्थान ३.२०६ ब, आयु १२६५। हारिद्र -४५३१ अ, भक्ष्याभक्ष्य (हल्दी) ३.२०४ अ । हरिवंश १३४० अ।
सौधर्म स्वर्ग का पटल --निर्देश ४५१६, विस्तार हरिषेण (आचार्य)-इतिहास-प्रथम १.३३० अ,
४५१६, अकन ४५१६ ब, देव आयु १.२६७ । १.३४२ अ । द्वितीय १३३० ब, १३४३ अ ।
हारी-४५३१ अ, विद्या ३ ५४४ अ । हरिषेणा-तीर्थकर शांतिनाथ २.३८८ ।
हारीत-(हारित) ४५३१ अ, एकात १४६५ ब, क्रियाहरिसह-गजदत का कूट तथा देव-निर्देश ३४७३ अ,
वादी २ १७५ ब । विस्तार ३४८३, अकन ३४४४, ३४५७ ।
हारीति-साख्यदर्शन ४३६८ब । हरे फल-फूल-पूजा ३७६ ब ।
हार्य-४५३१ अ, गणित २२२३ अ। हर्ष-शलाकापुरुष ४.२६ अ ।
हाव-४५३१ अ, विभ्रम विलास ३५६२ ब । हर्षवर्धन-४५३०ब।
हास्तिन --४.५३१ अ, विद्याधर नगरी ३५४५ ब । हर्षसेन-काष्ठा संघ भट्टारक १३२७ अ ।
हास्तिविजय -४५३१ अ, विद्याधर नगरी ३ ५४५ ब। हल-चक्रवर्ती ४१३ अ, करणत्रिक २.६ अ।
हास्य-४५३१ अ, कषाय २३५ ब, २३६ अ, हिंसा हलभूत-गणधर २२१२ ब।
४५३४ ब। हल्दी-भक्ष्याभक्ष्य ३ २०४ अ।
हास्य द्विक-उदय १३७४ ब । हल्दी का दाग-लोभ २३८ ।
हास्य वचन - समिति ४३४० ब । हलाहल-अनुभाग १६० ब ।
हास्य वेदनीर कर्मप्रकृति - मोड्नीय ३३४४ ब, हास्य हस्त-४.५३० ब, क्षेत्र का प्रमाण २२१५ अ, तीर्थकर हास्य वदना २३८३, नक्षत्र २.५०४ ब ।
४५३१ अ। प्ररूपणा-प्रकृति ३८८, ३ ३४४ बे, हस्तकर्म-४५३० ब, क्रिया २१७४ ब ।
स्थिति ४४६१, अनुभाग १.६४, प्रदेश ३१३६ । बंध हस्त प्रहेलित-४५३० ब, काल का प्रमाण २२१६ ब,
३.६३, ३.६४, ३६६ ब, ३ ९७, बध की कालावधि २.२१७ अ।
का अल्पबहुत्व ११६१, बधस्थान ३ १०६, उदय हस्ति--एकातवाद का उदाहरण १४६३ ब, तीर्थंकर १.३७५, उदयस्थान १३८६, उदीरणा १४११ अ,
मुनिसुवत ' २ ३८२, सौरपेद्र तथा ऐ गानेद्र का उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व ४३७८, सत्त्वस्थान यान ४५११ ब, स्वप्न ४५०४ अ।
४२६६, स्थिति सस्वस्थानो का अल्पवत्व १.१६५ हस्तिनापुर-४५३० ब, तीर्थकर अरनाथ कंथनाथ ब, त्रिसयोगीभंग १४०१ ब। सक्रमण ४८५ अ,
२३७६, तीर्थंकर नेमिनाथ २३७८, नारायण ४-१८ अल्पबहुत्व-११६८।
Page #302
--------------------------------------------------------------------------
________________
हाहाण
हाहांग- ४.५३१ अ काल का प्रमाण २.२१६ अ, २.२१७ अ ।
हाहा --४५३१ अ, काल का प्रमाण २.२१६अ, २२१७ अ, गधर्व जाति का व्यतर देव २२११ अ
हिंगुल - ४५३१ अ । हिंगुलवर
विस्तार
---
३.४७० अ
- द्वीप सागर - निर्देश ३४७० अ, ३४७८, अकन ३४४३, जल का रस ज्योतिषचक्र २३४८ ब अधिपति देव ३६१४ । हिंसक -अहिसा १२१७ अ, अहिंसा (प्रमत्त) १२१६ अ । हिंसा --४५३१ अ, अध्यवसान १५३ अ, कषाय २.३५ अ अशुद्धोपयोग (अहिंसा) १२१६, १२१७ ब अहिंसा १२१६ अ-ब १.२१७ अन्य परिग्रह ३२५ ब, श्रावक ४५० ब । हिसाsभाव - अहंतातिजय १.१३७ ब । हिंसात्व - परिग्रह ३२५ ब । हिंसादान - अनर्थदद १.६३ व हिंसा दोष - श्रावक ४ ४६ अ । हिंसानंद - रौद्रध्यान ३ ४०७ अ । हिंसानंदी रौद्रध्यान ३४०७ व
हिंसाय यज्ञ ३३६९ ब । हिंसाशुद्धि- धावक ४४९ अ
हिजरी सवत् - इतिहास १३०६ ब ।
हित ४५३७ अ, उपदेश १.४२४ व १४२५ अ १.४२६ ब मिध्यादृष्टि ३ २०५ व समिति ४.३४० अ-ब । हितकारक वचन-- ४ २७० ब ।
हिताहित वचन - सत्य ४.२७२ ब ।
हितोपदेश उपदेश १.४२४ व १.४२५ अ. १४२६ । हिम-४५३७ अ । नरकपटल-निर्देश २.५७६ ब विस्तार २५७९ व अंकन ३.४४१। नारकी अवगाहना ११७८, आयु १२६३ । हिमगिरि हरियम १.३४० ब
हिमनाश -- तीर्थंकर शीतलनाथ २३८२ । हिमपुर-४१३७ अ विद्याधर नगरी ३५४५ अ । हिमपुष्टि यदुवंश १३३७ ।
हिमवत्-४५३७ अ ।
हिमवान् ४५३७ अ चक्रवर्ती ४१५ व, यदुवश
-
--
-
१३३७ ।
हिमवान् (पर्वत) ४.५३७ व जैन मान्यता- निर्देश ३४४६, विस्तार ३४८२, ३.४०५, ३४०६, अकन ३ ४४४ के सानने, ३.४६४ के सामने, वर्ण ३४७७ । तुलना ३४३६ व
२६६
हुल्लराज
३४३७ व बौद्धाभिमत ३.४३४ व वैदिकाभिमत ३.४३१ व ।
1
हिमवान (कूट तथा देव) - कुंडलवर पर्वत का कूटनिर्देश ३.४७५ ब विस्तार ३.४८७, अकन ३.४६७ । पद्मद का कूट - निर्देश ३४७४ अ, विस्तार ३४८३, ३.४८५, ३४८६, अकन ३.४५४ । सुमेरु के वन का फूट निर्देश ४७३ व विस्तार ३४८३, ३.४८५ ३४८६, अंकन ३४४१ हिमवान् पर्वत का कूट तथा देव-निर्देश ३.४७२ अ विस्तार ३.४८३, ३४८५.३४८६, अंकन ३४४४ के सामने । हिमशीतल- ४५३७ अ अकलंक भट्ट १३१ अ । हिरण - स्वप्न ४५०५ अ । हिरण्य - ४५३७ ब ।
हिरण्यकशिपु - ४.५३७ व वाकुवंश १३३५व । हिरण्यगर्भ - ४५३७ व इक्ष्वाकुवस १३३५ब, योगदर्शन
३.३८४ अ ।
हिरण्यनाभ - ४५३७ ब ।
हिरण्योत्कृष्ट जन्मता - संस्कार ४.१५२ । ही एकांत १.४६०-४६२ ।
होन -- ४.५३७ ब, गणित २.२२२ ब्र व्युत्सर्ग दोष ३.६२२ अ ३६२३ अ
हीनयान बौद्धदर्शन ३.१८७
हीनाधिक मानोन्मान - ४५३७ व अस्तेय व्रततिचार १.२१३ व ।
हीयमान ४५३७ व अवधिज्ञान १.१५७ व १.११३ व । हीराचंद -४५३७ ब इतिहास १३३४ अ । हीरानंद- ४५३७ ब । होलित – ४५३७ ब । हुंकार - व्युत्सर्ग ३.६२२ अ । हंडकसंस्थान सस्थान ४.१५४ व
इंडसस्थान नामकर्म प्रकृति प्ररूपणा प्रकृति २.८०० २५०३, स्थिति ४४६२, अनुभाग १२५ प्रदेश ३१३६, बंध ३.६७, बधस्थान २.११०, उदय १३७५, उदय की विशेषता १.३७४ अ, उदयस्थान १.३०, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान ४३०३, त्रिसंयोगीभग १.४०४ । संक्रमण ४८५ अ १.१६ डावी काल २.११, कर्ती ४.१६, जन्म
२३१४ ब ।
चातुर्वीपिक भूगोल स्मराज--४५३७ व नंदिध १.३२५ ।
।
Page #303
--------------------------------------------------------------------------
________________
हूनवंश
ही (कूट)
हूनवंश-४५३७ ब, कस्को २.३० ब, इतिहास १.३११ हेमरथ-इक्ष्वाकुवंश,१.३३५ ब । अ-ब, १.३१५।
-हेमराजपांडे-४.५४२ अ, इतिहास १.३३४ अ। हूहू-४.५३७ ब, काल का प्रमाण २.२१६ अ, २.२१७ हेय-मिथ्यादृष्टि ३.३०५ ब, ३.३०६ ब, सम्यग्दर्शन अगन्धर्व जातीय ब्यंतर देव २.२११ ।
४.३५६ ब। हह अंग-४.५३८ अ, काल का प्रमाण २.२१६ अ, हेयवद्धि-सम्यग्दर्शन ४.३५६ ब । २.२१७ अ।
हेलित-व्युत्सर्ग दोष ३.६२३ अ । हूक-काल का प्रमाण २.२१६ अ।
हैमवत् (कूट)-४.५४२ अ, रुचकवर पर्वत का कूटहुहकांग-काल का प्रमाण २२१६अ।
निर्देश ३.४७६ अ, विस्तार ३४८७, अंकन ३.४६८ । हृदयकमल-पदस्थ ध्यान ३.६ ब ।
सुमेरु के वन का कूट-निर्देश ३ ४७३ ब, विस्तार हृदयंगम-४५३८ अ, किन्नर जातीय व्यंतर देव २१२४ ३४८३, ३४६५, अंकन ३.४५१। हिमवान पर्वत
का कूट तथा देव-निर्देश ३.४७२ अ, विस्तार हदयावती-विभंगा नदी-निर्देश ३४५६ अ, ३.४६० ३४८३,३४८५, अंकन ३४४४ के सामने।
अ, नामनिर्देश ३.४७४ ब, विस्तार ३.४८६, ३.४६०, हैमवत् (क्षेत्र)--४.५४२ अ, निर्देश ३ ४४६ अ, विस्तार
अंकन ३४४४, ३ ४६४ के सामने (चि. स. ३७)। ३४७६, ३४८०,३४८१, अकन ३४४४, ३.४६४ हृविक - यदुवश १.३३६ ।
के सामने। अवगाहना ११८०, आयु (तियंच) हदिनंदि-नदिसघ भट्टारक १.३२३ ब ।
१.२६३, आयु (मनुष्य) १२६४, काल विभाग हेतु-४.५३८ अ, अनुमान अवयव १.६८ ब, कारण २.५४ २६२ अ, २६३, भोगभूमि ३ २३५ ब । ____ अ, न्याय २.६३३ ब ।
हैमी नाममाला -(अभिधानचिन्तामणि) इतिहास १.३४३ हेतुत्व-धर्माधर्म २ ४८८ ब, २.४६० ।
ब। हेतुबिंदु टीका-अर्चट १.१३४ ब ।
हैरण्यवत् (कूट)-४ ५४२ अ, शिखरी पर्वत का कूट तथा हेतुमत-हेतु ४५४० ब ।
देव-निर्देश ३४७२ ब, विस्तार ३.४८३, ३.४५ हेतुवाद-पद्धति ३८ ब, श्रुतज्ञान ४.६० अ, हेतु ४.५४०
अंकन ३.४४४ के सामने।
हैरण्यवत् (क्षेत्र)-४ ५४२ अ, निर्देश ३ ४४६ अ, विस्तार हेतुवाद समर्थन आगम १२३७ ब ।
३ ४७६, ३.४८०, ३ ४८१, अंकन ३ ४४४ के सामने। हेतुविचय-धर्मध्यान २ ४८० अ।
अवगाहना ११८०, आयु (तिर्यच) १२६३, आयु हेत्वतर-~४ ५४१ ब ।
(मनुष्य) १.२६४, कालविभाग २६२ब, २६३, हेत्वंतर निग्रहस्थान-हेत्वंतर ४५४१ ब ।
भोगभूमि ३२३५ ब । चातुर्दीपिक भूगोल ३४३७ ब, हेत्वाभास - अज्ञातासिद्ध १२१० अ, असिद्ध १२०६ ब,
वैदिकाभिमत हिरण्यमय क्षेत्र ३४३१ ब । आश्रयासिद्ध १२१० अ, एकदेशासिद्ध १२१० अ, हाय्सल -१.५०
होय्सल - ४.५४२ ब । न्याय २६३३ अ, व्याप्यासिद्ध १२१० अ, सन्दिग्धा- होलीरेणुकाचरित्र-४ ५४२ ब, इतिहास १३३३ ब. सिद्ध १२१० अ, स्वरूपासिद्ध १२१० अ, हेतु
१३४७ अ। ४५४० ब, ४ ५४१ अ।
ह्य नसांग-४५४२ ब।
हद-४५४२ ब, प्रत्येक वर्षधर पर्वत पर स्थितहेम (वैद्यराज-हरिदेव ४५३० अ ।
निर्देश ३.४४६ ब, ३४५३ ब, विस्तार ३४६०, हेमकीति भट्टारक -- नदिसघ १३२३ ब, १३२४ अ ।
३४६१, अकन ३ ४४४, ३४६४ के सामने (चित्र हेमकर-विद्याधर नगरी ३ ५४५ अ।
स ३७), चित्र ३४५४, गणना ३ ४४५ अ, ३४७४ हेमग्राम-४५४१ व। हेमचंद्र-४ ५४१ ब। प्रथम-काष्ठासघ १३२७ अ, ह्रस्व-४.५४२ ब, अक्षर १३३ अ ।
इतिहास १ ३३ . अ । द्वितीय (श्वे. हेमचंद्र सूरि)- ह्री-पदस्थध्यान ३७ अ । स्तोत्र ४४४६ ब, इतिहास १३३१ अ, १ ३४३ ब, ह्री (कूट)-४५४२ ब, महाहिमवान पर्वत का कूरउनीय - इतिहास १३४४ अ।
निर्देश ३ ४७२ अ, विस्तार ३.४८३, ३४८५, हेममाला-व्यन्त रेद्र वल्लभिका ४.५१३ ब ।
३ ४८६, अकन ३ ४४४ ।
अ।
Page #304
--------------------------------------------------------------------------
________________
ह्री (देवी)
ही (देवी) - ४५४२ ब, महापद्म हृद की देवी - निर्देश ३४५३ ब, परिवार ३.६१२ अ, मध्यलोक मे अवस्थान ३.६१४ अ, भवन का विस्तार ३.६१५, आयु
३४६६ ।
१.२६५ । महाहिमवान् पर्वत के कूट की देवी निर्देश होमत - ४.५४२ ब, मनुष्यलोक ३ २७५ ब ।
२६८
होमत
३४७२ अ, अकन ३४४४ । रुचकवर पर्वत की दिक्कुमारी -- निर्देश ३.४७६ अ, अकन ३४६८,
For Private Personal Use Only
Page #305
--------------------------------------------------------------------------
________________
परिशिष्ट
शब्दानुक्रमणिका में छूटे हुए शब्द
आकाशपुष्प-२.२२४ ब, असत्, अविद्यमान।
दोहासार-२४५१ ब, दे. योगसार स./३। आकाशभूत-१.२२४ ब, भूत जाति के व्यन्तरदेव।
द्योतन-२.४५२ अ, दे. उद्योत। इकट्ठी-१३०७ ब, बादाल सख्या।
द्वारपाल-२४६२ अ, दे लोकपाल। उज्ज्वल-१३५३ अ, विद्युत्प्रभ गजदन्त पर स्थित शतउज्ज्वल धर्मानुकम्पा-२४८७ ब, दे. अनुकम्पा । कूट तथा देव का नाम।
धर्मी-२४६० ब, दे. पक्ष। उत्पादनोच्छेद-१.३५६ ब, एक प्रकार का व्युच्छेद । धलिकलशाभिषेक-२४६२ अ. दे. प्रतिष्ठा-विधान। उत्पादलब्धिस्थान-१.३५६ ब, एक प्रकार का लब्धिस्थान। धुवमतिज्ञान-२.५०२ ब, दे. मतिज्ञान/४। उत्तरोत्तर-१.३५६ ब, गणित प्रकरण से सम्बन्धित । ध्रुववर्गणा-२.५०३ अ, दे. वर्गणा। उपासकाचार-१.४४४ ब, एक श्रावकाचार।
नरकायु-२५८० अ, दे. आयु/३ । ऋषि मन्त्र-१४५८ अ, मन्त्र विशेष ।
नाग्न्य-२.५८२ अ, दे. अचेलकत्व कंटकद्वीप-२.१ अ, लवण समुद्र में स्थित एक अन्तर्वीप। नास्तित्व भंग-२.५८५ ब, दे. सप्तभंगी/४। क्षायिक सम्यग्ज्ञान-२ १८६ अ, दे सम्यग्ज्ञान।
नास्त्वि स्वभाव-२.५८५ ब, दे असत् स्वभाव, अन्य का धनप्रायोगिक शब्द-२२७४ ब, दे शब्द।
अन्य रूप से न होना। घोषप्रायोगिक शब्द-२२७५ अ, दे. शब्द ।
निजगुणानुस्थान-२.६०७ अ. दे परिहार प्रायश्चित्त। चन्द्रकल्याणकव्रत-२.२७५ ब, दे. कल्याणकव्रत। निव-२.६१० अ, ज्ञान का अपलाप करना, छिपाना। चतुःशिर-२ २७७ ब, दे नमस्कार।
निर्दोषसप्तमीव्रत-२.६२४ ब, दे. नंदसप्तमीव्रत। चलितप्रदेश-२.२७६ ब, दे. जीव ।
निर्लाछन कर्म-२.६२५ ब, दे. सावद्य/५। चारक्षेत्र-२२८० अ, दे विहार-क्षेत्र।
निर्वाह-२.६२६ अ, दे. निर्वहण। जलशुद्धि-२.३२६ अ, दे. जलगालन।
निर्विष-२.६२७ ब, दे. निर्विष नाम की एक ऋद्धि जसफल-२३२६ ब, दे. जयपाल।
(आस्यनिर्विष, दृष्टिनिर्विष)। जाग्रत-२३२६ ब, दे. निद्रा।
निषध हृद-२.६२८ ब, देवकुरु का एक ह्रद। जाति आर्य-२.३२८ अ, दे. आर्य।
निस्तारक मन्त्र-२.६२६ ब, दे. मन्त्र/१/६। जैनाभिषेक-२.३४५ अ, दे. पूजापाठ ।
पंचकल्याणकव्रत-३.१ अ, दे. कल्याणकव्रत। जोइंदु-२३४५ अ, दे. योगेदु ।
पत्नी-३.३ ब, दे. स्त्री।। ज्ञानवाद-२.२७० अ, दे वाद ।
परंपराश्रय हेत्वाभास-३.११ ब. दे. अन्योन्याश्रय। तत्प्रायोगिक शब्द-२३५७ अ, दे शब्द।
परमार्थ प्रत्यक्ष-३.२२ ब, दे. प्रत्यक्ष/१। तव्यतिरिक्त संयमलब्धिस्थान-२.३५७ अ, दे लब्धि। परस्पर कल्याणकव्रत-३.२३ ब, दे. कल्याणकव्रत । तिर्यक्क्रम-२.३७१ अ, दे क्रम/१।
परिग्रहानन्दी रौद्रध्यान-३.३० अ, दे. रौद्रध्यान। तीर्थकृद्भावना क्रिया-२ ३६३ ब, दे सस्कार/२। परिग्राहिकी क्रिया-३३० अ, दे क्रिया/३/८ तृतीय भक्त-२३६४ अ, दे प्रोषधोपवास/१।
परिणामप्रत्यय प्रकृतियाँ-३.३२ ब, दे. प्रकृतिबन्ध/२ । त्रिराशि गणित-२.४०० अ, दे. गणित/II/४
परिणामशुद्ध प्रत्याख्यान-३.३२ ब, दे. प्रत्याख्यान/१। दत्ति-२.४०२ अ, दे. दान।
पांड्रय-३.५२ अ, आर्यखण्ड स्थित मध्यप्रदेश। दिक्व्रत-२४२८ ब, दे. दिग्व्रत।
पातालवासी-३.५२ अ, लवण आदि समद्रो में रहनेवाले। दिव्यलक्षणपंक्तिव्रत-२४३३ ब, दे. पक्तिव्रत
पानांगकल्पवृक्ष-३.५३ ब, दे. वृक्ष/१। दीर्घस्वर-२४३४ अ, दे अक्षर।
पिष्टपेसन-३.५६ अ, दे अतिप्रसग। दुगुंछा-२.४३६ ब, दे. जुगुप्सा।
पुद्गल परिवर्तन-३६८ ब, दे. ससार/२। देवारण्यक-२.४५० अ, पूर्व विदेह के वनखण्ड।
पुरुस्कार परिषह-३.७१ ब, दे. सत्कार। दे. लोक ३.६१४।
पूर्वज्ञान-३.८३ ब, दे. श्रुतज्ञान/III/१। देशचारित्र-२.४५० ब, दे सयतासयत।
पृच्छनी भाषा-३.८३ ब, दे. भाषा।
Page #306
--------------------------------------------------------------------------
________________
परोिशष्ट
३००
प्रकारक सूरि-३.८६ अ, दे प्रकुर्वी। प्रज्ञापन नय-३.११४ अ, दे नय//५। प्रज्ञापिनी भाषा-३११४ ब, दे भाषा। प्रच्छना-३ ११४ ब, दे. पृच्छना। प्रत्यक्षबाधित पक्षाभास-३ १२४ अ, दे. बाधित। प्रत्यक्षबाधित हेत्वाभास-३.१२४ अ. दे बाधित। प्रत्ययिक बन्ध-३.१३१ अ, दे बन्ध/१। प्रमाण सप्तभंगी-३.१४५ ब, दे सप्तभगी/२। प्रयोगबन्ध-३.१४६ ब, दे बन्ध/१। प्रलाप-३.१४७ ब, दे. वचन। प्रवालचारणऋद्धि-३१४८ ब, दे. ऋद्धि/४ । प्रव्रज्याकाल-३ १५१ अ, काल/१। प्रव्रज्याक्रिया-३. १५१ अ, दे सस्कार/२। प्रव्रज्यागुरु-३ १५१ अ, दे गुरु/३। . प्रशस्त उपशम-३.१५१ ब, दे उपशम/१॥ प्राभृतकज्ञान-३.१५६ ब, दे श्रुतज्ञान/II/११ प्राभृतकसमासज्ञान-३.१५७ ब, दे श्रुतज्ञान/II/१। प्रायोगिक शब्द-३.१६२ अ, दे शब्द। प्लवंग संवत्-३.१६७ अ, दे इतिहास/२। बध वचन-३.१८० ब, दे वचन। बध्यमान आयु-३.१८० ब, दे आयु। बाह्य उपकरण इन्द्रिय-३.१८३ ब, दे. इन्द्रिय/१। बाह्य निर्वृति इन्द्रिय-३१८३ ब, दे. इन्द्रिय/११ ब्रह्म ऋषि-३ १८८ अ, दे ऋषि। भाटक जीविका-३.२१६ अ, दे सावद्य/५ । भिन्न अंकगणित-३२३३ ब, दे गणित/II/१। भेदग्राही शब्दनय-३.२३७ अ, दे. नय/III/१/६ । मंडलीक वायु-३२४५ अ, दे. वायु। मंत्रन्यास-३२४८ ब, दे प्रतिष्ठाविधान। मंद-३.२४८ ब, दे. तीव्र।। मंदराभिषेक क्रिया-३.२४८ ब, दे. सस्कार/२ । मनशुद्धि-३.२७२ ब, दे शुद्धि। मनोदंड-३.२७६ अ, दे योग/१। मनोविनय-३.२७८ ब, दे. विनय/१। मरणभय-३.२८८ अ, दे भय। मशकपरिषड्-३.२८६ अ, दे. दशपरिषह। मसिकर्म-३.२८६ अ, दे. सावद्य/३। महातप ऋद्धि-३२६० अ, दे. ऋद्धि/५ महामह-३.२६० ब, दे पूजा। माय-३.२६६ अ, आगमस्वरूप। मायावाद-३२६६ ब, दे. वेदान्त/२। मिथ्यादर्शन शल्य-३.३०१ ब, दे शल्य। मिष्ट संभाषण-३.३१० ब, दे सत्य।
मुखपटविधान-३३१३ ब, दे प्रतिष्ठा विधान। मृषामन-३.३१६ ब, दे मन। मृषावचन-३.३१६ ब, दे वचन । मोष मन-३३४० अ, दे. मनोयोग। युग्मचतुष्टय-३३७३ अ, दे अनेकान्त/४। राजवंश-३४०० ब, दे. इतिहास/३। रेवस्या-३.४०६ ब, आर्यखण्ड की एक नदी। रेशम-३.४०६ ब, दे वस्त्र। रूपरेखा-३.४०५ ब, outline लयनकर्म-३.४१५ ब, दे निक्षेप/४ । लौंच-३४६३, अ, दे. केशलोच। वचनबाधित-३४६८ ब, दे. बाधित। वचनविनय-३.४६८ ब, दे. विनय/११ वचनातिचार-३४६८ ब, दे. अतिचार। वचनोपगत-३४६८ ब, दे निक्षेप/५। वाल्हीक-३.५३६ अ, भरतक्षेत्र का एक प्रदेश (दे. मनुष्य/४)। वास्तु-३.५३६ अ, गृह सम्बन्धी शिल्पविद्या। विधुच्चोर-३.५४६ ब, दे विद्युत्प्रभ/६। विद्युन्माला-३.५४६ ब, पश्चिम पुष्करार्द्ध का मेरु। विधिचंद-३५४७ अ, कवि बुधजन। विपतत्त्व-३.५५५ अ, दे. गरुड तत्त्व। विपरीत दृष्टान्त-३.५५५ ब, दे. दृष्टान्त । विपर्यास-३.५५६ अ, दे विपर्यय। विमिचिता-३५६३ ब, विजयाध की दक्षिण श्रेणी का एक
नगर। विराग विचय-३५६४ अ, दे. धर्मध्यान/१। विश्वास-३.५७० ब, दे. श्रद्धान। विषय व्यवस्था हानि-३.५७० ब, दे. हानि। विष संरक्षण ध्यान-३५७० ब, दे. रौद्रध्यान। विसदृश प्रत्यभिज्ञान-३५७२ ब, पूर्व ज्ञानरूप न होना। वीचार-३५७५ ब, दे विचार। वीचारस्थान-३.५७५ ब, दे स्थिति/१। वीरशासन दिवस-३.५७६ ब, दे. महावीर। वृद्ध-३.५८१ अ, गुणो मे वृद्धि को प्राप्त। वेद्य-३६०१ ब, दे. वेदना/१। वैतृष्णा-३.६०४ ब, दे उपेक्षा। वैधर्म्यसमा-३.६०५ ब, दे साधर्म्यसमा। व्यतिरेकी हेतु-३६१६ ब, दे. हेतु। व्यवस्था हानि-३.६१७ ब, दे. हानि । व्यवहार द्रव्य-३६१७ ब, दे नय/V/४/२/४ व्युदास-३.६२४ अ, दे. अभाव। शक्ति तत्त्व-४.२ अ, दे शैवदर्शन। शन्मुख-४२ ब, भ. वासुपूज्य का शासक यक्ष।
Page #307
--------------------------------------------------------------------------
________________ 301 परिशिष्ट शब्द पुनरुक्त निग्रह स्थान-४.४ ब, दे पुनरुक्त। शरीर मद-४.८ ब, दे मद। शरीर मिश्रकाल-४.८ ब, दे काल/११ शामिला यव मध्य-४२७ ब, दे. यव। शास्त्राभ्यास-४२८ ब, दे स्वाध्याय। शिखाचारण ऋद्धि-४ 28 ब, दे. ऋद्धि/४ / शीतगुह-४३० अ, भरतक्षेत्र में मलयगिरि के निकट का एक पर्वत। शीतभोगतप-४.३० अ, दे कायक्लेश। शीलांक-४३१ अ, नवागवृत्ति के कर्ता श्वेताम्बराचार्य। श्यामवर-४.४३ ब, मध्यलोक का तेरहवॉ द्वीप व सागर। श्रृंखलित-४४३ ब, कायोत्सर्ग का एक अतिचार। श्रुतमूढ-४७१ अ, दे मूढ। श्रुतिकल्याणव्रत-४७१ ब, दे कल्याणकव्रत। श्वना धारणा-४.७६ अ, दे वायु। पंड-४.८१ अ, दे नपुसक। षट्काल-४.८१ अ, दे काल/४ / संकलन धन-४.८२ अ, दे गणित/II/१/३ / संकलन वार-४.८२ ब, दे. गणित/II/१। संघातज्ञान-४.१२४ अ, दे. श्रुतज्ञान/II / संथारा-४.१२५ ब, दे सस्तर। संदिग्धानेकान्तिक हेत्वाभास-४.१२५ ब, दे व्यभिचार। संपृच्छिनी दोष-४.१२५ ब, दे. भाषा। संमत सत्य-४.१२६ ब, दे सत्य/१। संयमी-दे सयत। संशयानेकान्तिक हेत्वाभास-४१४६ अ, दे. व्यभिचार / संशयासिद्ध हेत्वाभास-४.१४६ अ. दे. असिद्ध / सकलचन्द्र-४.१५६ ब, दे इतिहास/७/५।। सकल विधि विधान-४ 156 ब, दे. पूजापाठ / सचित्त संमिश्र-४.१५८ ब, दे. सचित्त/३। सत्कर्मिक-४.२७० अ, दे सत्त्व। सत्वाद-४ 270 अ, कपिलादिका मत है कि कारण व्यापार से पूर्व भी कार्य सत् ही है। सत्संगति-४२७० अ, दे. सगति। सत्योपचार-४.२७४ अ, दे. उपचार/१। सत्त्वकाल-४३११ अ, दे काल/१/६ / सप्त व्यसन-४.३२६ ब, दे व्यसन। समवायिनी क्रिया-४.३३५ ब, दे. क्रिया/३। समुत्पत्तिक बन्धस्थान-४३४२ ब, दे. अनुभाग/१। सम्मेदाचल माहात्म्य-४३४४ अ, प. मनरगलाल कृत छन्दबद्ध रचना। सम्यक्त्व प्रकृति-४३४४ अ, दे मोहनीय/२॥ सम्यक्त्व लब्धि-४.३४४ अ, दे. लब्धि/१/३। सम्यक् मिथ्यात्व गुणस्थान-४.३४४ अ, दे., मिश्र। सम्यग्दर्शन क्रिया-४.३७३ ब, दे क्रिया/३। सरःशोष कर्म-४.३७६ अ, दे. सावद्य/५। सरस्वती पूजा-४.३७६ अ, दे. पूजा। सर्वघाती प्रकृति-४.३७६ ब, दे अनुभाव/४। सर्वघाती स्पर्धक-४.३७६ ब, दे स्पर्धक। सर्वतोभद्रपूजा-४ 376 ब, दे पूजा/१। सहज विपर्यय-४.३६८ अ, दे. विपर्यय। सहवृत्ति-४ 368 अ, दे तादात्म्य सम्बन्ध / सांपराय-४४०० अ, दे सपराय। सांशयिक मिथ्यात्व-४४०० अ, दे. संशय। साधनमन्त्र-४४०१ अ, दे. मन्त्र/१/६। साधन विकल-४४०१ अ, दे दृष्टान्त/१/८ / साध्य विकल्प-४४११ अ, दे. दृष्टान्त/८। साध्य विरुद्ध-४४११ अ, दे. विरुद्ध। सान्निपातिक भाव-४.४११ अ, दे सन्निपातिक भाव। सिद्धार्था-४.४२८ ब, एक विद्या। सुखमा काल-४.४३४ ब, दे. काल/४ | सुप्त-४.४३५ अ, दे. निद्रा। सुरलोक-४ 437 अ, दे. स्वर्ग/५ / सुषिर प्रायोगिक शब्द-४.४३८ अ, दे शब्द/१। सूक्ष्मा वाणी-४.४४२ अ, दे भाषा। स्थितिबंधोत्सरण-४.४७० ब, दे. उत्कर्षण/५। स्थितिसत्त्वापसरण-४.४७० ब, दे. अपकर्षण/३। स्वतन्त्रता-४.५०३ ब, द्रव्य, गुण, पर्याय स्वतन्त्र है। स्वात्मनि क्रिया विरोध-४.५२२ अ, दे. विरोध / हड्डी-४.५२६ ब, दे. अस्थि। हत्या-४.५२६ ब, आत्महत्या, मरण। हित संभाषण-४.५३७ अ, दे. सत्य/२।