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________________ अमृतरसायन अरनाय १३७५ब, उदयस्थान १ ३६० अ, १.६६,१३६७, उदीरणा १४११ अ, स्व ४२७६, सत्त्वस्थान ४२६३, त्रिसयोगी भग १४०६ अ । सत् ४१६४, सख्या ४६८, क्षेत्र २.१६७, स्पर्शन ४.८७७, काल २.१००, अन्तर १७, भाव ३२०२ ब, अल्पबहुत्व १.१४३। अयोगव्यवच्छेद-११३३ ब। अयोगी-दे० अयोगकेवली। अयोध्य-४ १५ अ। अयोध्या-११३३ ब, नारायण ४.१८ ब, तीर्थकर ऋषभ अजित अभिनन्दन सुमति अनन्त पार्श्व २३७८-३७६, भरतक्षेत्र की राजधानी-निर्देश ३ ४४६ अ, अकन ३.४४४,३४४७, विदेह नगरी--निर्देश ३.४६० अ, नामनिर्देश ३.४७० ब, विस्तार ३.४७६, ३४८०, ३४८१, अकन ३ ४४४, ३.४६४ के सामने, चित्र अमतरसायन-१.१३३ अ। अमृतवेग-राक्षसवश १३३८ अ। अमृतसर-४.१६ ब। अमृतस्रावी-ऋद्धि १.१३३ अ,१४८७,१४५६ अ। अमृताशीति-१.१३३ अ, इतिहाम १३४१ अ। अमेचक-१.१३३ अ। अमेध्य-(आहारान्तराय) १.२६ अ। अमोघ-११३३ ब, वाण ४१५ ब, नारायण ४१८ अ। अमोघ (स्वर्गपटल)-निर्देश ४५१८, विस्तार ४५१८, अकन ४५१५ । देव-आयु १२६८ । अमोघ (पर्वतीय कूट)---मानुषोत्तर--निर्देश ३.४७५ अ, अंकन ३ ४६४। रुचकवर-निर्देश ३४७६ अ, विस्तार ३.४८७, अंकन ३.४६८, ४६६ । अमोघमली शक्ति--४.१६ ब । अमोघवर्ष-१.१३३ ब, राष्टकूटवश १.३१५ अ, ब, अकालवर्ष १३१ अ। अयन-कर्मावस्था २६८ अ। अयत्नाचारी-४५३५ ब। अयथाकाल-उदय १.३६८ अ । अययार्थ-३ ३०२ ब। अयन-११३३ ब, कालप्रमाण २.२१६ अ, ब, सूर्य चन्द्र की गतिविधि २३५१ अ, कायक्लेश २.४७ अ। अयश कीति-१.१३३ ब, नामकर्म ३ ६६ अ । प्ररूपणा प्रकृति ३८८, २.५८३ अ, स्थिति ४४६७, अनुभाग १६५ ब, प्रदेश ३ १३६ ब । बन्ध ३६७, बन्धस्थान ३११०. उदय १३७५, उदयस्थान १३९०, उदीरणा १.४११, सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४.३०३, त्रिसयोगी भग १.३६६ ब, सक्रमण ४८५ अ, अल्प- बहुत्व १.१६७ अ, ११७२ ब। अयस्थूल-३.६०५ अ। अयुत-कालप्रमाण २.२१६ अ। अयुतसिद्ध--१.१३३ ब, ४३३४ अ, द्रव्य २४५४ अ । अयुतांग-कालप्रमाण २ २१६ अ । अयोग-११३३ ब, योग ३ ३७६ ब । अयोगकेवली-अयोगी ३५०६ अ, अर्हन्त ११३८ अ, कर्मक्षय २१५८ अ, कषाय २४० ब, काय २४५ ब, केवली २१५७ ब, २.१५८ अ, निगोद ३ ५०५ ब, प्राण ३ १५३ ब, समुद्घात ४.३४३ अ । आरोहण क्रम २.२४७, दश करण २.६, परिषह ३.३४, प्रदेश निर्जरा अल्पबहुत्व १.१७४ अ। अयोगकेवली (प्ररूपणा)--बन्धस्थान ३.११३, उदय अयोनिज--- १६५ अ। अर - चक्रवर्ती ४१० अ, २.३७७ । (दे० अरनाथ) अरक्षा भय - १.१३३ ब, भय ३ २०६अ। अरजस्का-११३३ ब, विद्याधर नगरी ३५४५ अ। अरजा-१.१३३ ब । विदेहस्थ नगरो-निर्देश ३.४६० अ, नाम ३४७० ब, विस्तार २४७६-४८०-४८१, अकन ३ ४४४, ४६४ के सामने, चित्र ३४६० अ। नन्दीश्वर द्वीप की वापी-निर्देश ३४६३ ब, नाम ३४७५ अ, विस्तार ३.४६१, अकन ३४६५ । अरण्य -१.१३३ ब। अरति-कषाय ११३३ ब, २३५ ब, परीषह ११३४ अ, ३३३ ब, ३३४ अ, रति ३.३८८ ब, रागद्वेष २३६ अ, शोक ४.४२ ब। अमोल अरति परीषह-११३४ अ, ३३३ ब, ३३४ अ। अरति प्रकृति--११३४ अ। प्ररूपणा-प्रकृति ३८८, ३.३४४ अ, स्थिति ४.४६१, स्थिति सत्त्वस्थान ४३०८, स्थिति सत्त्वस्थान का अल्पबहुत्व ११६५ ब, अनुभाग १६४ ब, प्रदेश ३.१३६, बन्ध ३६७, बन्ध काल का अल्पबहुत्व १.१६१ ब, बन्धस्थान ३१०६, उदय १.३७५ ब, उदयस्थान १३८६, उदीरणा १.४११ अ, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान ४.२६५ त्रिसंयोगी भग १.४०१ ब, अल्पबहुत्व १.१६८, ४.८५ अ। अरति वाक्-१.१३४ अ, वचन ३ ४६७ । अरति वेदनीय-३.३४४ ब । अरनाथ-१.१३४ अ, भावि तीर्थकर २.३७७. पर्व भव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016012
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2003
Total Pages307
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size23 MB
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