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________________ यौग योग - ३३८८ अ । यौवराज्य किया-मस्कार ४.१५२ अ । र र- रज्जू की सहनानी २.२१६ ब । " रघु ३३ अ इतिहास १.३३२ व १३४५ ब । रक्कस- -३३८८ अ । रक्त- आहारात राय १.२६ अ, औदारिक शरीर १.४७१ ब, १.४७२ अ । रक्तकला – ३.३८८ अ ३ ४५० ब, विस्तार २.४७७ । २०५ पाहुकवन की शिला-निर्देश ३४८४, अकन ३.४५०, वर्ण रक्तनिभ ग्रह २.२७४ अ रक्तवती शिखरी पर्वत का कूट तथा देवी निर्देश ३.४७२ व विस्तार ३४८३, अकन ३.४४४, २.४६४ के सामने । रक्त शिला - ३.३८८ अ । पाडुक वन की शिला-निर्देश ३४५० व विस्तार ३.४८४ अंकन ३४५० ब, वर्ण ३ ४७७ । रक्ता (कुड) - ३३८८ अ, रक्ता नदी का कुड तथा उसकी देवी- निर्देश ३४५५ अ विस्तार ३४९०, अकन ३.४४७ । इस कुड मे स्थित द्वीप तथा कूट — निर्देश २.४५६ अ विस्तार ३४८४, अकन ३.४४७, वर्ण ३४७७ । - रक्ता (कूट ) - ३३८ अ शिखरी पर्वत का कूट तथा देवी — निर्देश ३.४७२ ब विस्तार ३.४०३ अकन ३.४४४ के सामने, ३ ४६४ के सामने | रक्ता (देवी) - ३.३८८ अ, रक्ताकूटवासिनी ३.४७२ब, रक्ताकुडवासिनी ३.४५५ म । रक्ता (नदी) - ३३८ अ निर्देश ३.४५५ अ, ३४६० Jain Education International अ विस्तार ३४८९ ४६०, अंकन ३.४४४, ३.४६४ के सामने, जल का वर्ण ३.४७८ । रक्तोदा (कुंड) - ३३८८ अ, रक्तोदा नदी का कुंड निर्देश ३.४५५ अ विस्तार ३.४६०, अकन ३.४४७ । इस कुंड का द्वीप तथा कूट- निर्देश ३.४५६ अ । विस्तार २.४८४, अकन ३४४७, वर्ण ३.४७७ । रज्जू रक्तोदा ( कूट ) - ३.३८६ अ शिखरी पर्वत का कूट तथा देवी निर्देश ३४७२ ब विस्तार ३४८३, अकन ३४४४ । रक्तोदा कुछ मे स्थित कूट निर्देश - ३४५६ अ विस्तार ३४६४, अकन ३. ४४७, वर्ण ३ ४७७ । रक्तोदा (देवी) ३.३८८ अ, रक्तोदा कुड तथा कूटवासिनी ३४५६, ३.४७२ ब । रक्तोदा (नदी) - ३.३८८ अ । ऐरावत तथा विदेहक्षेत्रो की - निर्देश ३.४५५ अ, ३.४६० अ, विस्तार ३४८६, ३४६०, अकन ३४४४, ३४६४ के सामने, जल का वर्ण ३.४७८ । 4 रक्तोष्ठ - विद्याधरवश १३३६ अ । रक्षा अहिंसा १२१६ व १.२१७ व शरीर ४.८ अ रक्षाबंधन व्रत - ३३८८ अ । रक्षिता तीर्थंकर मल्लिनाथ २३८० ॥ रघु - ३.३८८ अ, इक्ष्वाकुश १ ३३५ अ, रघुवश १३३८ अ । रघु (कवि) - इतिहास १.३३४ ब । --- - रघुनाथ - ३.३८८ ब । रघुवंश इतिहास १.२३८ अ - रज - ३३८८ ब । रजत ३३८८ व कुडलवर पर्वत का कूट-निर्देश ३.४७५ ब, विस्तार ३४८७, अकन ३४६७ । मानुवोत्तर पर्वत का कूट-निर्देश ३४७५ अ विस्तार ३४८६, अकन ३४६४ माल्यवान गजदत का कूट -निर्देश ३४७३ अ, विस्तार ३४५३, अकन ३४४४, ३ ४५७ । रुचकवर पर्वत का कूट-निर्देश ३४७६ अ विस्तार ३४८७, अकन ३.४६८ । सुमेरु के वन का कूट - निर्देश ३४७३ ब विस्तार ३४८३, अकन ३ ४५१ । रजतप्रभ कुडलवर पर्वत का कूट निर्देश ३. ४७५ ब विस्तार ३४८७, अंकन ३४६७ । रजताभ कुडलवर पर्वत का कूट निर्देश २.४७५ ब विस्तार ३.४६७, अकन ३४६७ । " रजस्वला स्त्री - भिक्षा ३.२३२ अ सूतक ४.४४३ अ । रजोहरण - श्वेतावर ४७९ व । रज्जू - ३.३८८ व औदारिक शरीर १.४७२ अ, क्षेत्र का प्रमाण २.२१५ ब, गणित २.२१८ ब, लोक का आयाम ३३४३ व सहनानी २.२१९ ब । रज्जू - रज्जूप्रतर की सहनानी २.२१६ ब । रज्जू -- रन्जूधन की सहनानी २.२१६ ब । - - For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016012
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2003
Total Pages307
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size23 MB
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