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सायिक सम्यग्दृष्टि
क्षेत्रऋद्धि संक्रमण ४.८७ अ, सत्त्व ४ ३७८, २८४, सत्त्वस्थान क्षीरकदंब-२१८७ ब । ४२८६, ३०१,३०६ त्रिसंयोगी भंग १.४०८ अ। क्षीरफल-उदम्बर १३६३ ब । सत् ४२५५, सख्या ४.१०८, क्षेत्र २.२०६, सर्शन क्षीररस-२१८७ ब, ग्रह २.२७४ अ । ४४६२, काल २.११८, अन्तर १२०, भाव ३.२२१ क्षीरवर द्वीप सागर-२.१८७ ब, नामनिर्देश ३.४७० अ, ब, असबहुत्व १.१५२ ।
विस्तार ३.४७८, जल का रस ३४७० अ, अधिपति क्षायिक सम्यादृष्टि-अप्रशस्त वेद ३.५८८ अ, उपशान्त
देव ३.६१४, ज्योतिषचक्र २.३४८ ब, अंकन कषाय ४३१२ ब, क्षीण कषाय ४.३१२ ब, दमोह क्षपणा २१७९ब, संक्रमण ४८७ अ, सयतासंयत
क्षीरस्रावी ऋद्धि-ऋद्धि १.४४७, १४५६ ब । २.३६८ब।
क्षीरोदधि-नामनिर्देश ३ ४७० अ, विस्तार ३४७८, क्षायोपशमिक भाव -अज्ञान १३७ अ, अज्ञानी २२६६
जल का रस ३ ४७० अ, अधिपति देव ३६१४, ब, गुणस्थान ३२०९ अ, चारित्र २२८५ ब,
ज्योतिषचक्र २३४८ ब, अक ३ ४४३ । वैदिकाभिमत पौगलिकत्व ३३१८ ब, योग ३.३७७ ब, सयम
३.४३१ ब। ४१३१ व, सयमासयम ४ १३५ अ, सन्निपातिक
क्षीरोदा-२.१८७ ब, विभगा नदी-निर्देश ३.४६० अ, भाव ४३१२ ब। क्षायोपशमिक सम्यक्त्व--४.३६६ ब, ४३७० ब,
नाम ३.४७४ ब, विस्तार ३४८६, अकन ३.४४४, २१८४ ब। प्ररूपणा-बन्ध ३१०७, बन्धस्थान
३४६४ के सामने । ३११३, उदय १.३८५, उदयस्थान १.३६३. क्षुद्रध्वजा-चैत्य-चैत्यालय २.३०३ अ। उदीरणा १४११ अ, सत्त्व ४.२८४, सत्त्वस्थान क्षुद्रभव-२ १८७ ब, आयु १.२६४, कालावधि का अल्प४.३०१, ४३०६, त्रिसयोगी भग १.४०८ अ। सत् बहुत्व ११६१ अ। ४.२५७, सख्या ४.१०६, क्षेत्र २.२०६, स्पर्शन क्षुब्रहिमवान्-पद्म आदि द्रहो का कूट-निर्देश ३ ४७४ ४.४६२, काल २.११८, अन्तर १.२०, भाव ३ २२१ अ, विस्तार ३४८३, अकन ३४५४ । ब, अल्पबहुत्व १.१५२ ।
क्षुधा-२.१८७ ब, परिषह ३ ३३ ब, ३.३४ अ । क्षारराशि-२.१८६ ब, ग्रह २.२७४ अ ।
क्षुल्लक-२१८८ अ, स्पर्श्य शूद्र ३ ५२५ ब । क्षितिशयन-२.१८६ ब, निद्रा २.६०६ ब ।
क्षुल्लक दीक्षा-स्पृश्य शूद्र ३ ५२५ ब । क्षितिसार-४.१५ अ।
क्षुल्लक भव-३.२०७ ब । क्षिप्रमतिज्ञान-मतिज्ञान ३.२५६ अ।
क्षेत्र--२.१६० अ, अनुयोगद्वार ११०२ अ, अन्तर क्षिप्रमतिज्ञानावरण-१४४६८।
१३ ब, अवधिज्ञान ११८८ ब, १.१६६ अ, आगमार्थ क्षीणकषाय-२१८६ ब, आरोहण २.२४७ अ, करण १२३४ अ, उपक्रम १४१६ व, कर्मोदय १३६७ अ,
दशक २.६ अ, परिषह ३.३४ अ, बन्धक ३.१७६ अ, कायोत्सर्ग ३ ६२० ब, गणना ४६२ ब, निमित्त वीतराग २१८६ ब, वीतराम छद्मस्थ २.१८६ ब, २६४ अ, प्रमाण २२°५ अ, ३ १४५ अ, प्ररूपणा
सन्निपातिक भाव ४ ३१२ ब, समुद्धात ४.३४३ अ । २१६७, बध ३८६ ब, मुक्ति ३ ३२६ ब, वसतिका क्षीणमोह-करण दशक २.६ अ, कषाय २.४० ब, काय
३ ५२७ अ, सप्तमगी ४३२० अ, स्व-चतुष्टय २४५ ब, परिषह ३ ३४ अ, बन्धक २ १७६ अ, २२७७ ब ।
सन्निपातिक भाव ४३१२ ब, समुद्घात४ ३४३ अ। क्षेत्र (भौगोलिक)-चातुर्दीपिक भूगोल ३४३७ अ. क्षीणमोह (प्ररूपणा)--बन्ध ३६८, बन्धस्थान ३ ११०- बौद्धाभिमत भूगोल ३ ४३४ अ, वैदिकाभिमत
१११, बन्धक ३ १७६ अ, उदय १३७५, उदय-, ३ ४३१ ब। जैनाभिमत-निर्देश ३४४६ अ, स्थान १.३६२ अ, उदीरणा १.४११ अ, सत्त्व विस्तार ३४७६-४८०-४८१. अंकन ३४४४, ४.२७६, सत्त्वस्थान ४२८९, २६६, ३०४, विसयोगी ४६४ के सामने । जैनाभिमत विदेह के ३२ क्षत्रभंग १४०६ अ। प्रदेश निर्जरा का अलबहुत्व ११७४ ।
निर्देश ३.४६० अ, नाम २ ४७० ब, विस्तार ३.४७६. सत् ४१६४, सख्या ४.६४, क्षेत्र २ १६७, स्पर्शन ४८०, अंकन ३ ४४४, ३ ४६४ के सामने, चित्र ४.४७७, काल २१००, कालावधि का अल्पबहुत्व
३.४५० अ। १.१६१ अ, अन्तर १.७, भाव ३.२२२ब, अल्प- क्षेत्र-भरतादि क्षेत्रो की चूलिका, गणित २२३३ अ। बहुत्व १.१४३ ।
क्षेत्रऋद्धि--ऋद्धि १.४४७. १.४५६ ब ।
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