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________________ कुमत कुलमद गुण ३.२३६ । वैदिक अभिमत भूगोल ३ ४३१ ब। कुमुदशैल-२ १२६ ब । कमत-विनय ३५५३ ब । कुमदांग-२१२६ ब, कालप्रमाण २२१६ अ, २.२१७ कमतिज्ञान----प्ररूपणा-बन्ध ३१०५, बन्धस्थान ३ ११३, अ, संख्या प्रमाण २.२१४ ब। उदय १३८३, उदयस्थान १३६३, उदीरणा कुमुदा-२ १२६ ब। विदेहक्षेत्र-निर्देश ३४६० अ, १४११ अ, सत्त्व ४२८३, सत्त्वस्थान ४.३००, नाम ३ ४७० ब, विस्तार ३.४७६-४८०-४८१, ४३०५, त्रिसंयोगी भग १.४०७ अ । सत ४२३४, अकन ३४४४, ३४६४ के सामने, चित्र ३.४६० सख्या ४१०५, क्षेत्र २.२०४, स्पर्शन ४४८८, काल अ। सुमेरु की पुष्करिणी-निर्देश ३.४५३ ब, नाम २११३, अन्तर ११५, भाव ३२२१ अ, अल्पबहुत्व ३ ४७३ ब, विस्तार ३४६०-४६१, अकन ३.४५१, ११५०। चित्र ३४५१ । नन्दीश्वर द्वीप की वापी कुमानुष-निर्देश ३.३४६, आयु बन्धयोग्य परिणाम ३४६३ अ, नाम ३.४७५ ब, विस्तार ३.४६१, १२५६ ब, पाप ३५४ अ। अकन ३४६५। कुमानुष द्वीप-निर्देश ३३४६ अ-ब, ३४६२ ब, कुमुदेंदु-इतिहास १ ३३२ ब। ३४६३ ब, विस्तार ३४७६, अकन ३.४४४, ३४६१, कुरल काव्य-२१२६ ब। ३४६४ के सामने । कुरला- अपवाद मार्ग ११२१ ब । कुमार-२.१२६ अ, भवनवासी देव ३ २०८ अ, श्रेयासनाथ कुरु-~२.१२६ ब, कुरुवश १ ३३५ ब, १.३३६ अ, का यक्ष २३७६। कुन्थुनाथ धर्मनाथ २.३८०, मनुष्यलोक ३.२७५ ब । कुमारगुप्त-२.१२६ ब, गुप्तवंश १३११ अ-ब, कुरुक्षेत्र-उत्तरकुरु ३.४४५ अ । १३१५। कुरुचंद्र-कुरुवश १.३३५ ब, १.३३६ अ । कुमारनन्दि-२१२८ अ-१२६ अ, नन्दिसंघ १३२३ अ, कुरुजांगल देश--मनुष्यलोक ३ २७५ अ। इतिहास १३२८ ब, १३२६ अ-ब, १३४१ । कुरुपांचाल-वैदिकाभिमत ३ ४३३ अ । कुमारश्रमण-वासुपूज्य आदि तीर्थकर २३८९ । करवश-२१२६ ब, ऐतिहासिक राजवश १३१० ब, कुमारसेन-२१२६ अ, काष्ठा संघ १.३२१ अ, १.३२७ अ, पौराणिक राजवश १.३३५ अ-ब। पचस्तूप सघ १३२६ ब, सेन सघ १३२६ अ, कर्यधर-२१२६ ब। इतिहास १३२६ ब, १३३० । कुल-२.१३० अ, प्रव्रज्या ३.१५० अ 'भिक्षा ३ २३१ ब, कुमारस्वामी (कार्तिकेय)-२७५ अ, इतिहास १ ३२८ ब, वर्ण-व्यवस्था ३ ५२० ब। १३४० ब, २.१२९ अ। कुलकर-२१३० ब, शलाकापुरुष ४.२३ अ, ४ २५ अ । कुमारिल भट्ट-२ १२६ ब, मीमासा दर्शन ३ ३११ अ। कुलकीति-कुरुवश १.३३५ ब । कुमारी-४ ४५० अ। कुलकुंड पार्श्वनाथ विधान-२.१३० ब । कमार्ग- अमूढदष्टि ११३२ ब, ध्यान २.४६७ अ। कुल क्रिया-श्रावक ४.५० अ । कुमुद -२१२६ ब, कालप्रमाण २२२६ अ, २२१७ अ, कुलचद्र-२.१३० ब, कुरुवश १.३३६ अ, नन्दिसंघ सख्याप्रमाण २२१४ ब, आरण इन्द्र का यान देशीय गण १ ३२५ । ४५११ ब, लोकपाल ३४६१ ब, विद्याधर नगरी कुलचर्या क्रिया-सस्कार ४१५१ ब, ४१५२ ब । ३ ५४५ ब । कुलटा-४.४५० ब। कुमुद (पर्वत तथा कूट)-देवकुरु का दिग्गजेन्द्र-निर्देश कुलदेवता-श्वेताम्बर ४७७ अ। ३४७१ ब, विस्तार ३.४८३, ३४८५-४८६, अंकन कुलधर-२.१३० ब, शलाकापुरुप ४.२५ अ। ३ ४४४ । रुचकवर पर्वत का कूट-निर्देश ३ ४७६ अ, कुलपर्वत-चैत्य-चैत्यालय २.३०३ । विस्तार ३ ४८७, अकन ३४६८-४६६ । कुलपुत्र-तीर्थकर २.३७७ । कमवप्रभा-२१२६ ब, सुमेरु की पुष्करिणी निर्देश ३.४५३ कुलभद्र --२.१३० ब, इतिहास १.३३० ब, १.३४२ ब । ब, नाम ३.४७३ ब, विस्तार, ३.४६०-४६१, अंकन कुलभूषण-२.१३० ब, देशीय गण १.३२५, इतिहास ३.४५१, चित्र ३.४५१ । १.३३१ अ । अग्निप्रभ देव १३६ ब । कुमुदवती-२१२६ब । कुलम-३.२५९। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016012
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2003
Total Pages307
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size23 MB
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