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________________ जानूपरि व्यतिक्रम जिनायतन जानपरि व्यतिक्रम-आहारान्तराय १.२६ अ। जिनपुर--भवनवासी देवो के नगरों में जिनचैत्यालय जान्यधःपरामर्श-आहारान्तराय १.२६ अ । २.३०३ ब, व्यन्तर देवो के नगरो मे जिमचैत्यालय जाप-पदस्थध्यान ३५ ब, पूजा ३.७५ अ, व्युत्सर्ग ३.६२० ३.६१२ ब। ब, सामायिक ४४१७ अ। जिनपूजा पुरन्दर व्रत-२३२६ ब । जासन-(दही का जामन) भक्ष्याभक्ष्य ३२०३ अ। जिनबिब-पूजा ३ ७७ अ, सामायिक ४४१७ अ। जाल-२३२८ अ, औदारिक शरीर १.४७२ अ । जिनबिब दर्शन---४३६३ अ । जालंधर - २३२८ अ। जिनभद्रगणी--२३२६ ब, इतिहास १.३२६ अ, जिज्ञासा-२ ३२८ अ, ऊहा १.४४५ ब । १३४१ अ। जिणयत्तकहा-इतिहास १ ३४४ ब । जिनभवन-चैत्यालयो मे रति-कामदेव की मूर्ति २ ३०३ जिणरति कहा- इतिहास १३४६ अ। ब भवन ३ २१० ब । जिणरतिविहाणकहा--इतिहास १३४५ अ। जिनभास्कर---राक्षसवश १३३८ अ। जित-निक्षेप २६०१ ब । जिनमहिमा दर्शन-सम्यग्दर्शन की उत्पत्ति मे निमित्त जितकषाय-२३२८ अ। ४३६३ अ । जिलदड-२३२८ अ, पुन्नाट सघ १३२७ अ । जिनमुखावलोकन व्रत-२३२६ ब। जितनाभि-नारद ४२२ अ। जिनमुद्रा-२१३५ अ, कृतिकर्म ३३१३ ब । जितमोह-२३२८ अ। जिनयज्ञ कल्प- इतिहास १३४४ ब । जितशत्रु-२३२८ अ, इक्ष्वाकुवश १३३५ अ । अजितनाथ जिनयज्ञ काव्य-आशाधर १२८१ अ। २ ३८०, २३६१, नारद ४ २२ अ, यदुवंश १३३७, जिनराज--इतिहास १३३३ ब । रुद्र (अजितनाथ का) २.३६१ । जिनरात्रि व्रत-२३३० अ। जितारि-यदुव श १३३७ । जिनरूपता क्रिया--संस्कार ४.१५१ ब, ४१५२ ब । जितेंद्रिय-२३२८ अ। जिनवचन-स्वाध्याय ४.५२५ अ । जिन-२३२८ ब । जिनवन्दना--पूजा ३७६ ब। जिनकल्प-२३२६ अ, २.१३६ ब, श्वेताम्बर ४७८ ब, जिनपर-२ ३३० । ४७६ अ-ब। जिनवर वृषभ-२.३३० । जिनकट-पद्म आदि द्रहो के कट-निर्देश ३४७४ अ, जिनवल्लभ गणी-इतिहारा १३३१ अ, १३४३ ब । विस्तार ३४८३, अंकन ३४४४ । जिनशतक-इतिहास १३३४ ब । जिनगुणसपत्ति व्रत-२३२६अ। जिनशतक स्तोत्र-४.४४६ ब । जिनगुणस्तुति-पात्रकेसरी स्तोत्र, इतिहास १३४१ अ । जिनचविंशति स्तोत्र--इतिहास १३४६ अ। जिनशासन-आगम १२२७ ब । जिनचंद्र --२३२६ अ, कून्दकाद के गरु २१२६ ब. जिनसंहिता-२३३० अ। २१२८ अ, मूलसंघ १३२२ ब, नन्दिसंघ १३२३ जिनसहस्रनाम-२३३० अ। अ, १३२४ अ, १ परि०/२३,१ परि०/४ ३, इतिहास जिनसहस्रनाम स्तोत्र-आशाधर १२८१ अ, स्तोत्र १३३८ ब, १.३३१ ब, १३३२ ब, १३३३ अ, ४.४४६ ब । १३४६ अ । श्वेताम्बर ४.७७ अ-ब। जिनधागर-२३३० अ, इतिहास १३३४ ब, १ ३४७ ब। जिनदत्तचरित-२ ३२६ व, इतिहास १३४२ अ । जिनसेन-२२३० अ, उत्तरपुराण १३५६ अ। इतिहासजिनदत्ता-दक्षिणेन्द्रो की वल्लभिका ४५१३ ब। कवि १३३४ ब, द्रविड सघ १.३२० अ, पंचस्तूप संघ जिनदास-२३२९व, इतिहास १३३२ ब, १३३४ ब । १३२६ ब, पुन्नाट सघ १.३२७ अ, इतिहास १.३३० जिनदासी-उत्तरेन्द्रो की वल्लभिका देवी ४५१३ ब । अ, १.३४१ ब, १३४२ अ, भट्टारक १३२६ ब, जिनदीक्षी--प्रव्रज्या ३१४६ ब, भरत चक्रवर्ती ३ ४१६अ। सेन सघ १३१८ ब, १.३२६ ब। जिननंदि--२३२६ ब, इतिहास १३२८ अ । जिनस्तुति शतक-२.३३० अ, स्तोत्र ४४४६ अ । जिनपालित-२.३२६ब। जिनायतन-प्रत्येक पर्वत पर स्थित-निर्देश ३४७१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016012
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2003
Total Pages307
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size23 MB
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