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दुषमा-दुषमा काल
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देवकुरु
प्रमाण २६० । अवगाहना १.१८०, अवसपिणी २.८६, दूरादास्वादन ऋद्धि-१४४८, १४५० अ। आयु १.२६४, आयंखण्ड १२७५ अ, उत्सपिणी
दूराद्दर्शन ऋद्धि --१४४८, १.४५० अ। २.६० कर्मभूमि ३ २३५, कल्कि २३१ अ, क्षेत्र
दूरापकृष्टि--२ ४३७ अ। २६२, दर्शनमोह क्षपणा २१७८ ब. धर्मध्यान २४८४ ब।
दूरार्थ-२४३७ अ। दषमा-दुषमा काल-उपमा काल २२१७ ब, निर्देश २८८ दूरास्वादित्व ऋद्धि-१४५० अ।
परिचय २६३, प्रमाण २.६० । अवगाहना ११८०, दूषण -- उभय १.४४४ ब । अवसपिणी २९०, आयु १२६४, आयेखण्ड १२७५ दृष्य क्षेत्र-२४३७ अ। अ, उत्सर्पिणी २.६०, कर्मभूमि ३.२३५, क्षेत्र २६२,
दृढचर्याक्रिया-सस्कार ४१५२ ब । दर्शनमोह क्षपणा २१७८ ब ।
दृढनेमि -- यदुवंश १ ३३७ ॥ दुषमा-सुषमा काल-~-उपमा काल २२१ ब, निर्देश
दृढमुष्टि - यदुवंश १ ३३७ । २८८, परिचय २९३, कुछ विशेषताएँ २ ६२, प्रमाण
दृढरथ-२४३७ अ, गणधर २२१२ ब, विद्याधर वंश २.६०। अवगाहना १.१८०, अवसर्पिर्णी २.८६,
१३३६ अ, शान्तिनाथ २३७८, शीतलनाथ २३८०, आयु १.२६४, आर्यखण्ड १.२७५ अ, उत्सर्पिणी
हरिवंश १३४० । २६०, कर्मभूमि ३२३५, क्षेत्र २६२, चरमशरीरी
दृढराज्य-सम्भवनाथ २३८०। तथा तीर्थकरो आदि का जन्म २.६२, २३१७ अ,
दृढव्रत-~-यदुवश १.३३७ । ३२३५, विदेह ३.५४३ ब, विद्याधर लोक ३.२३५ ।
दृश्यकर्म-२४३७ अ। दुष्ट-प्रमृष्ट निक्षेप-१५० अ।
दृश्यमान द्रव्य-२.४३७ अ, कृष्टि २.१४१ ब। दुष्पक्व आहार-२४३६ ब, भोगोपभोग ३२३६अ।
दृष्ट--२४३७ अ। दुष्पूर-यदुवंश १ ३३७ ।
दृष्टांत-२४३७ अ-ब, अनुमानावयव १.६८ ब, न्याय दुष्प्रणिधान-२.४३६ ब, प्रणिधान ३.११५ अ, स्मृत्य
२६३३ अ-ब, षट्लेश्या ३४२६ अ । नुपस्थान ४४६५ ब ।
दृष्टि - आहारान्त राय १२८ ब, चैत्य-चैत्यालय (प्रतिमा) दुष्प्रमाण--मिथ्यादृष्टि ३.३०५ अ ।
२३०१ अ, मिथ्यादृष्टि (रुचि) ३ ३०२ ब, रुचि दुष्प्रयुक्त निक्षेप-१.५० अ।
३४०४ ब। दुस्स्वर नामकर्म प्रकृति-प्ररूपणा-प्रकृति ३६६ अ, दृष्टिनिविष ऋद्धि-१४४७ १४५५ ब।
२५८३, स्थिति ४४६३, अनुभाग १.६५, प्रदेश दृष्टिप्रवाद - २४४० अ, श्रुतज्ञान ४६८ अ। ३.१३६ । बन्ध ३६७, बन्धस्थान ३.१११, उदय दृष्टिभेद-२४४० अ। १३७४, १.३७५, उदयस्थान १३६०, उदीरणा दृष्टिवाद श्रुतज्ञान ४६७ अ, ४६८ अ। १.४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्व४.२७८, दृष्टिविषऋद्धि-१.४४७, १४५६ अ। सत्त्वस्थान ४३०३, त्रिसंयोगी भंग १.४०४ । सक्रमण दृष्टिशक्ति-२,४४३ अ । ४.८५ अ, अल्पबहुत्व ११६८ ।
देय--२.४४३ अ, गणित २२२३ ब । दूत-२.४३६ ब।
देयक्रम-२४४३ अ। दूतकर्म- वसतिका का दोष ३५२६ अ।
देयद्रव्य--२४४३ अ। दूध-भक्ष्याभक्ष्य ३.२०३ अ।
देव-२४४३ अ, २.४४४ अ, पूजा (शास्त्र व प्रतिमा) दूरध्राणत्व ऋद्धि--१४५० अ ।
३७७ अ-ब । देवगति (दे० आगे)। दूरदशित्व ऋद्धि-१४५० अ ।
देव--मूलसघ १३१६ ।
देवऋद्धि-२४४६ अ। दूरभव्य - ३.२११ ब ।
देव ऋद्धिदर्शन-सम्यक्त्वोत्पत्तिका कारण ४३६३ अ,ब। दूरवर्ती-४४५ अ।
देवकृत अतिशय--अर्हन्त ११३७ ब । दूरश्रवणत्व ऋद्धि-१.४५० अ।
देवकीनारायण ४१८ ब, यदुवश १३३६, १३३७ । दूरस्पर्शत्व ऋद्धि-१.४५० अ ।
देवकीति-२.४४६ अ, देशीय गण १३२५, इतिहास द्वि० दूराच्छ्रवण ऋद्धि-१४४८, १४५० अ।
१३३० ब, तु. १३३१ ब, चतु..१३३२ अ, दाडि दूरात्स्पर्श ऋद्धि-१४४८, १.४५० अ।
सघ १३२०ब। दूराद्माण ऋद्धि-१.४४८, १.४५० अ।
देवकुरु--२४४६ -ब। लोकविभाग-निर्देश ३.४५६
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