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कल्याणक
काचन (द्वीप, सागर)
कल्याणक-~~२३१ ब, तीर्थंकर २.३७३ अ-ब, सुमेरु ४३६६ अ, सामायिक ४४१५ ब । पर्वत ३.४५० ब।
कषायपाहुड-२४१ अ, इतिहास १.३४० अ-ब, टीका कल्याणकव्रत -२३३ अ ।
१ ३४१ ब । कल्याणकारण - उग्रादित्य १.३५२ अ, इतिहास १.३४२ अ। कषायप्रत्यय-अविरति ३१२७ अ, प्रमाद ३१२६ अ, कल्याणकीति--इतिहास १३३३ अ।
उदय न्युच्छिति ३१२७ -१३० । कल्याणत्रलोक्यसार यन्त्र-यन्त्र ३.३५१ ।
कषायप्रवृत्ति-लेश्या ३४२२ ब, ३ ४२४ अ, ३ ४२४ ।। कल्याणमंदिरस्तोत्र-२ ३३ ब, स्तोत्र ४.४४६ अ, इतिहास कक्षायप्राभूत---उच्चारणाचार्य १३५२ अ । १३४१ अ।
कषायमार्गणा-कषाय २३, ब, काल २.६७ अ, प्ररूपणाकल्याणमाला-२३३ ब ।
बन्ध ३१०५, बन्धस्थान ३.११३, आयुबन्ध के कल्याणवाद पूर्व-श्रुतज्ञान ४.६६ अ ।
स्थान १.२५६ अ, उदय १.३८२, उदयस्थान कल्ली-२.३३ ब, मनुष्यलोक ३.२७५ ।
१३६३ अ, उदीरणा १४११ अ, सत्त्व ४१८३, सत्त्व कल्लोल-ध्येय २५०० अ।
स्थान ४.२८७, ४.३००, ४.३०५, त्रिसयोगी भग क्लेशवणिज्या-अनर्थदण्ड १.६३ अ।
१.४०७ अ। सत् ४.२२८, संख्या ४.१०५, भागाभाग कवच-सल्लेखना ४.३६० ब, ४.३६२ अ, ४३६६ अ । ४.११७, क्षेत्र २.२०४, स्पर्शन ४.४८८, काल २.११२, कवयव-१३३ ब, ग्रह २.२७४ अ ।
कालावधि का अल्पबहुत्व ११६०-१६१, अतर १.१५, कवल--आहार १२८५ब।
भाव ३.२२१, अल्पबहुत्व १.१४६ । स्वामित्व-पच कवल चन्द्रायण व्रत-२.३३ ब।
शरीर ४७, अल्पबहुत्व ११५६, षट्कर्म ४.२६६ । कवलाहार-२ ३३ ब, आहार १.२८५ अ, आहारक कषायशक्ति-कषाय २.३८ अ। १.२६५ अ, केवली २.१५६ अ।
कषायसमुद्घात--निर्देश ४.३४३, कषाय २.४० ब, क्षेत्र कवाटक --२.३३ ब, मनुष्यलोक ३.२७५ ब ।
२.१६७-२०७, सत् ४.३४३, स्पशन ४.४७७-४६४। कश्मीर हून वश १३११ ब।
कसेरू-मनुष्यलोक ३.२७५ ब। कश्यप-राज्यवंश १.३३५ अ।
कहाण छप्पय-२.४१ ब । कषना- कषाय २३५ अ।
कांगधुनी -२.४२ अ, मनुष्यलोक ३.२७५ ब । कषाय--२३३ ब, अध्यवसाय स्थान १५३ अ-ब,
कांचन-द्वीप सागर २.४१ ब, राक्षस वश १.३३८ अ, अशुभोपयोग १४३३ ब, अजीव द्रव्य २३७ ब, आयु
विद्याधर नगरी ३.५४५ ब, स्वर्ग पटल-निर्देश बध स्थान १.२५६ अ, उपयोग १.४३२ ब, कषाय ४.५१६, विस्तार ४.५१६, अकन ४५१६ ब, देव की (जीव द्रव्य) २३७ अ, कालावधि का अल्पबहत्व आयु १२६६। १.१६१, जन्म २३१८ अ, परिग्रह ३.२६ अ, प्रत्यय कांचन (कट)-२४१ब, रुक्मि पर्वत-निर्देश ३४७२ब, (अविति) ३ १२७ अ, प्रत्यय (प्रमाद) ३१२६ अ, विस्तार ३.४८३, अकन ३४४४ । रुचकवर पर्वतप्रत्यय (उदय व्युच्छित्ति) ३.१२७-१३०, बध ३ १७५
निर्देश ३.४७६ अ, विस्तार ३.४८७, अंकन ३.४६८. अ, ३ १७८ ब, मोक्षमार्ग ३.३३६ अ, मोहनीय
४६६ । शिखरी पर्वत-निर्देश ३.४७२ ब, विस्तार ३.३४४ अ, लेश्या ३.४२२ ब,४४३७ अ-ब, विभाव
३.४८३, अंकन ३.४४४। सौमनस गजदन्त-निर्देश ३.५५८ ब, शक्ति २३८ अ, संक्रमण ४.८६ अ, संयम ३.४७२ ब, विस्तार ३.४८३, अंकन ३.४४४ ४.१२६ ब, ४.१३९ अ, संस्कार ४१५० अ, सल्लेखना ३४५७ । ४३८२ अ, ४.३८३ अ, ४३६६ अ, साध ४४०० कांचन (गिरि)-२ ४१ ब, देव तथा उत्तर कूरु में स्थित ब, सामायिक ४.४१५ ब, सासादन ४५२५ अ, हिंसा
पर्वत-निर्देश ३.४५३ अ, विस्तार ३.४८३, ३.४८५, १.२२६ अ, २१७ ब, ४५३४ अ।
४८६, वर्ण ३.४७७, अकन ३.४४४, ३.४६४ के करायकालक-अल्पबहुत्ब ११६१ अ।
सामने, चित्र ३.४५३ अ । कवायकुशील-कुशील साधु २.१३१ अ, श्रुतकेवली कांचन (देव)-२.४१ ब, कांचनगिरि का देव ३.४५३ ब, ४.५५ ब।
३.६१३ अ। कवायविग्रह-मोक्षमार्ग ३ ३३६ अ, सयम ४.१३६ ब, कांचन (द्वीप, सागर)-२.४१ ब, निर्देश ३.४७० अ,
१.१३६ अ, सल्लेखना ४.३८२ अ, ४.३८३ अ, विस्तार ३.४७८, अंकन ३.४४३, जस का रस
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