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शूद्र
२५०
श्यामा
शूद्र-आहारातराय १.२६ ब, प्रायश्चित्त ३.१६२ अ, कालावधि का अल्पबहुत्व ११६१, हिसा ४५३३ ब ।
भिक्षा ३.२३२ अ, ब्राह्मण ३.१६५ अ, वर्णव्यवस्था शोक --(कर्मप्रकृति)-४४२ अ, चारित्र मोहनीय ३.३४३ ३.५२५ ब ।
ब, ३ ३४४ ब, उपशम १२६ अ, १४४० अ, उपशम शूद्र (कारू)- वर्णव्यवस्था ३.५२५ ब।
की कालावधि का अल्पबहुत्व ११६१, क्षपणा १२६ शूद्रवश - वर्णव्यवस्था ३५२४ अ ।
ब, २१७६ ब, क्षपणा का कालावधि का अपबहत्व शुद्रवर्ण-वर्णव्यवस्था ३.५२३ ब, ३.५२४ अ-ब।
११६१, चारित्र २.२६४ अ । शून्य-अगुहीत द्रव्य की सहनानी '०' २.२१६ अ ।
शोक (कर्मप्रकृति)-प्ररूपगा-प्रकृति ३.८८, ३.३४१, शून्य...४.४२ अ, अनुभव १.८२ अ, जीव २.३३३ अ,
स्थिति ४ ४६१, स्थिति सत्त्वस्थानो का अल्पबहत्व ध्यान २ ४६६ ब, पदस्थ ध्यान ३७ अ, शुक्लध्यान ४.३३ अ।
११६५ ब, अनुभाग १६४ ब, प्रदेश ३ १३६ । बध शन्यघर-वसतिका ३ ५२७ ब ।
३.६७, बधस्थान ३१०६, बंध की कालावधि का शन्य दोष-कर्ता कर्म २२२ ब।
अल्पबहुत्व ११६१, उदय १.३७५, उदय की काला
वधि का अल्पबहुत्व २.१२०, उदय की विशेषता शुन्य ध्यान-धर्मध्यान २४८५ब, शुक्नध्यान ४३२ ब ।
१३७२ अब, उदयस्थान १.३८६, उदीरणा १४११ शून्य नय-४४२ अ, नय २५२३ अ।
अ. उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वशून्य परिकर्माष्टक -गणित २२२२ अ, २२२४ ब ।
स्थान ४२६५, स्पिनि सत्त्वस्थानो का अल्पबहुत्व शून्य वर्गणा-वर्गणा ३ ५१८ अ।
११६५ ब, त्रिसयोगी भग १.४०१ ब। संक्रमण शुन्यवाद-४४२ अ, एकांत १.४६५ ब, बौद्धदर्शन
४८५ अ अल्पबहुत्व १.१६८ । ३१८७ ब । शन्यागारावास- अस्तेय १.२१४ अ ।
शोक वेदनीय-मोहनीय ३३४४ अ, ३.३४४ व। शूर - ४.४२ अ, अध्रकवृष्णि १.३० अ, कुरुवंश १.३३६ शोका--विदेह नगरी-निर्देश ३.४६० अ, नामनिर्देश अ, मनुष्यलोक ३.२७५ अ, यदुवंश १३३६, हरिवंश
३४७० ब, विस्तार ३.४७६ ३४८०, ३४५१, १३४० अ।
अकन ३.४४४, ३.४६४ के सामने, चित्र ३४६० अ। शूरसेन--४४२ अ।
शोधन-आहार (अन्न शोधन) १२८५ ब । शृखलित-४४३ ब, व्युत्सर्ग दोष ३६२२ अ।
शोधित--४ ४२ ब, गणित (अकलन) २.२२२ ब । शृंगारमंजरी-इतिहास १.३४५ अ।
शोन- ४.४२ ब, मनुष्यलोक ३ २७५ व । शृंगारार्णवचंद्रिका-इतिहास १.३४५ अ ।
शौच - ४४२ ब, समिति (उपकरण) ४.३४१ अ। शेषवत् अनुमान-अनुमान १.६७ ब।
शौचधर्म-४.४२ ब, गुप्ति २२५० । शेषवती-४४२ अ, रुचकवर पर्वत के कुट की दिक्कुमारी शौचोपकरण - ममिति ४ ३४१ अ। -निर्देश ३४७६ अ, अंकन ३.४६८ ।
शौद्धोदनि-परवाद ३२३ अ । शैक्ष-४४२ अ।
शौरपुर-४४३ ब, अध्रावृष्णि १३० अ, मनुष्यलोक शैल-४४२ अ, अनुभाग १.९१ब, १६४ अ, कषाय ३२.६ अ।
(मान) २३८ अ, रत्नप्रभा ३ ३६१ अ, यदुवंश शौरीपर-तीर्थंकर नेमिनाथ २ ३७६ । १.३३७ ।
शौर्यपुर - यदुवंश १३३६ । शेलकर्म-कर्म २.२६ अ, निक्षेप २५९८ अ ।
श्मशान-निलय-मातगवश १ ३३६ ब । शैलघन श्रोता-उपदेश १४२५ ब ।
श्मशानभूमि- वसतिका ३५२७ ब । शैलनगर -- नारायण ४१८ब।
श्यामकुमार-४४३ व । शलभद्र-४४२ अ, यक्ष ३ ३६६अ।
श्याम द्वीप व सागर-तेरहवाँ द्वीप व सागर-निर्देश शैलराज-सुमेरु ४.४३७ अ।
३.४७० अ, विस्तार ३.४७८, अंकन ३.४४३, जल का शैला-४४२ अ।
रस ३४७० अ, ज्योतिषचक्र २.३४८ब, अधिपत देव शैलेशी अवस्था-शुक्लध्यान ४.३५ ।
३.६१४। शैवदर्शन-४.२ अ, एकांत १.४६५ब, वेदांत ३.६०१ अ। श्यामा-वैमानिक इद्रो की ज्येष्ठा देवी ४.५१४ अ, यदुशोक-४.४२ अ, कषाय २.३५, (रागद्वेष) २.३६ अ, वश १.३३७ ।
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