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________________ कंदबीज कनक (कूट) कंदबीज-बनस्पति ३५०२ ब, ३५०६ अ । कंदमुल-२१ अ, ३.५०२ ब, ३५०६, अ। भक्ष्याभक्ष्य ३.१२४ अ। कदरा- वसतिका ३५२८ अ । कंदर्प-२१ अ, तीर्थंकर २३७७, नीच देव-निर्देश २१ अ, २४४५ ब, आयुबन्ध योग्य परिणाम १२५८ अ। कंबल - अचेलकत्व १४० ब, मनुष्य लोक ३ २७५ ब। कस-२१ अ, उग्रमेन १३५२ अ, ग्रह २२७४ अ, तौल का प्रमाण २ २१५ अ, यदुवण १३३६ । कंस (आचार्य)--- मलमध १३१६, इतिहास १३२८ अ । कसकवर्ण-२.१ ब, ग्रह २२७४ अ। ककुत्थ-इक्ष्वाकु वंश १ ३३५ ब । ककेली–तीर्थकर मल्लिनाथ २३८४। कच्छ-२.१ ब, गणधर २.२१३ अ, मनष्य-लोक ३.२७५ ब। कच्छ (कट)-गजदन्त का कट व देव-निर्देश ३४७३ अ. विस्तार ३४८३, ३४८५, ३.४८६, अंकन ३.४४४, ३४५७ । कच्छउड-अण्डर १.२ अ, आवास १.२८० ब, पुलवी ३.७१ ब । कच्छ परिंगित २१ ब, व्युत्सर्ग दोष ३ ६२२ ब। कच्छवद-२१ ब। कच्छविजय-२.१ ब। कच्छा-विदेह की नगरी-निर्देश ३४६० अ, नाम ३.४७० ब, विस्तार ३४७६-४८०-४८१,अकन ३.४४४, ३.४६४ के सामने, चित्र ३४६० अ। वक्षार गिरि का कूट तथा देव ३ ४७२ ब । कच्छावती-विदेह की नगरी-निर्देश ३.४६०, नाम ३.४७० ब, विस्तार ३.४७६-४८०-४८१ अंकन ३.४४४, ३.४६४ के सामने। वक्षारगिरि का कट तथा देव ३.४७२ व । कछुआ - इन्द्रिय (प्रत्याहार) ३.१३४ अ । मुनिसुव्रतनाथ २.३७६ । कज्जलप्रभा- सुमेरु के वनो की पुष्करिणी-निर्देश ३.४५३ ब, नाम ३.४७३ ब, विस्तार ३४६०-४६१, कन ३.४५१, चित्र ३ ४५१।। कज्जला-२०१ ब, सुमेरु के वनों की पुष्करिणी --निर्देश ३.४५३ ब, नाम ३.४७३ ब, विस्तार ३.४६०-४६१, अकन ३ ४५१, चित्र ३४५१ । कज्जलाभा-२.१ ब, सुमेरु के वनो को पुष्करिणी-निर्देश ३.४५३ ब, नाम ३.४७३ ब, विस्तार ३४६०.४६१, अंकन ३४५१, चित्र ३४५१। कज्जली-२.१ ब, ग्रह २२७४ अ। कटक-२.१ ब । कट-सर्वायुध तीर्थकर २.३७७ 1 कटुवचन---२१ब, गुरु २.२५३ अ, सत्य ४२७२ ब, ४२७३ अ, समिति ४३४० ब । कट्ठ---२.१ ब। कठूमर-भक्ष्याभध्य ३.२०३ ब, श्रावक ४५० ब । कठोर वचन - उपदेश १४२५ अ, गुरु २२५३ अ, सत्य ४२७२ १, ४२७३ अ, समिति ४३४०ब। कडछी--२२६ ब। कणभक्ष-एकान्त (कणाद) १४६५ अ, परवाद ३२३ अ, वैशेषिक दर्शन ३६०७ ब, ३६०८ अ। कणाद-एकान्त अमत्कार्यवादी १४६५ अ. परख ३२३ अ, वैशेषिक दर्शन ३६०७ व, ३६०८ अ । कणाद रहस्य-वैशेषिक दर्शन ३६०८ अ । कण्व.२१ब, अज्ञानवादी १३५ब, एकान्ती १४६५ अ। कचित-२१ब, नय २.५२५ अ, स्यात् ४४६६ अ, स्याद्वाद ४४६७ ब, ४५०० ब । कथन पद्धति-उपदेश १.४२५ अ । कथा-२२ अ। कथाकोष--२.३ ब, इतिहास-बहत्कथाकोप १३४२ ब, १.३४३ ब, पुण्यात्रत्र १.३४५ अ। देवेन्द्रकीर्ति कृत १.३४७ ब, १.३३३ ब । कथान-संख्या प्रमाण २२१४ ब । कथा-विचार-इतिहास १३४४ ब । कदंब-२४ अ, गन्धर्व २२११ अ, वासुपूज्यनाथ २३८३। लवणसागर का पर्वत--निर्देश ३४७४ ब, विस्तार ३४७८, अकन ३४६१ । कदंबवंश-२४ अ। कदलीगृह-भवनवासी देवो के भवनो मे ३२१० ब । कदलीघात-२४ अ, अपवर्तन १११६ ब, आयु १२६१ __अ, मरण ३२८४ अ । कनक-२४ अ, कुलकर ४२५ अ, ग्रह २२७४ अ, अजितवीर्य तीर्थकर २३६२। व्यन्तर देव-क्षोद्रवर द्वीप का रक्षक ३६१४, घृतवरसागर का ३६१४। कमक (कट)-२४ अ, सौमनस गजदत का--निर्देश ३.४७२ ब, विस्तार ३.४८३, अंकन ३.४५७, ३.४४ । मानुषोत्तर पर्वत का-निर्देश ३४७५ अ, विस्तार ३४८६ अकन ३४६४। कडलवर पर्वत का-निर्देश ३.४७५ व, विस्तार ३४८७, अकन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016012
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2003
Total Pages307
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size23 MB
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